अध्याय 20
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
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मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
बहुत ही सुंदर गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मनमोहक अपडेट हैं
कोकू तो अब चली गई देखते है दुबारा भी मुलाकात होती है या नही बिछडने के दुख में गजल
"जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘"
अम्मा तो चुद गयी निशांत के दमदार लंड से
और इन दोनो को नजदीक लाने वाली हैं अन्नू
चलो गाँव की भलाई करने का खाता अम्मा से शुरुवात करके चालू हो गया अब आगे मजे ही मजे देखते हैं आगे