• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery भाभियों का रहस्य

snidgha12

Active Member
1,508
2,712
144
Chutiyadr बहुत ही रोचक, रोमांटिक, रहस्यमय कथा,

१२६*०२=२५२ + १(अम्मा) + १(रामिका) जबर्दस्त सैक्शन (ऐक्शन पैक्ड सैक्स) का इंतजार
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,175
23,255
159
अध्याय 21
अम्मा तो चली गई थी,मैं अन्नू को देखता रह गया, ये अभी क्या किया था ,मैं यही समझने की कोशिश कर रहा था,
" तुम ऐसा करोगी मैंने सोचा नहीं था "मैं थोडा हैरान परेशान था
वह मुस्कुराई और मेरे हाथों में एक लिस्ट पकड़ा दिया
"यह क्या है ???" मैंने कहा
"गांव की सभी औरतों की लिस्ट है जिनके साथ तुम्हें संभोग करना है,"

मैं चौक गया
" क्या ??/यह सब ?आखिर क्यों ??"
"तुम्हारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है निशांत, तो किसी को तो यह करना पड़ेगा, गांव में बहुत सारी महिलाएं हैं ,लेकिन जिन्हें तुम्हारी जरूरत है यह उनकी लिस्ट है , कुल 253 महिलाएं हैं जिन्हें तुम्हारी जरूरत है, तो हर दिन तुम्हें दो महिलाओं के साथ संभोग करना होगा यह लिस्ट उनके मासिक धर्म के अनुसार बनाई गई है,मैंने इसके लिए एक महिला चिकित्सक की सलाह ली है ,हर महीने महिला का वो दिन होता है जिसमे बच्चा होने के चांस सबसे ज्यादा होता है उन्ही के हिसाब से इन्हें जमाया गया है,तुम्हे सबका गर्भ भरना है "

उसने लिस्ट मेरे हाथों में पकड़ा दिया ,मैंने लिस्ट देखी पहला नाम अम्मा का ही था ,एक बार पूरी लिस्ट पर एक नजर डाली
"इसमे तुम्हारा नाम तो है ही नही"
वो हल्के से मुस्कुराई उसकी मुस्कुराहट में भी एक दर्द छिपा था ,
"मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद तुम किसी और महिला से संबंध बनाओ ,तो पहले तुम सभी को गर्भवती करके उन्हें श्राप से मुक्ति दोगे फिर हम शादी करेंगे …"
उसके आंखों में आंसू थे और हृदय में पीड़ा ,मैंने उसका हाथ खींचकर उसे अपने गोद मे बिठा लिया
"चाहे जिस्म किसी के भी साथ हो मेरे मन की मल्लिका तो तुम ही हो "
उसने बड़े ही प्यार से मुझे देखा और मुझे गले से लगा लिया
"तुम्हारे मन और तन दोनो की मल्लिका मैं ही हु समझ गए ,कोई चालाकी नही जो जिम्मेदारी मिली है उसे पूरी करो उसके बाद तुम मेरे रहोगो ,हर तरह से ,फिर मैं तुम्हे किसी और के साथ नही बाटूंगी "
उसके भोलेपन में मुझे बड़ा प्यार आया ,मैंने उसके गालो में एक किस लिया
"लव यू जान , ये गांव तुम्हारे इस बलिदान को हमेशा याद रखेगा "
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई
"लव यू मेरा बाबू " उसने जोरो से मेरे गालो पर किस कर लिया था…
“लेकिन क्या तुम अकेले मुझे झेल लोगी , मतलब शादी के बाद “
उसने आँखे तरेर कर मुझे देखा
“प्यार सब झेल लेता है समझ गए , तुम्हारे अंदर कितना भी बड़ा शैतान हो मेरे प्यार के अंदर नहीं टिक पायगा, ये शैतान का हवाला देकर मुझसे चिट करने की सोची भी न तो हाथ पाँव तोड़कर फिर से कोमा में सुला दूंगी “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा वही लौडू अंदर से चिल्लाया
‘इससे शादी मत करना ये तो हमारा पूरा मजा ही ख़त्म कर देगी , रोज रोज एक ही लड़की के साथ .. छि छि ये तो पाप है “
मैं उसकी बातो पर हँसा
“ये पाप नहीं छोटे ये प्यार है …”
*************************
नीचे अंकित और कालू मेरा इतजार कर रहे थे , मैं निचे आकर उसी सोफे में बैठा जन्हा बैठकर अम्मा गांव के फैसले किया करती थी ..
“कुवर जच रहे हो ..” कालू मुझे देखकर बहुत खुश था
“धन्यवाद ..”
मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा , वही अंकित बोल उठा
“भाई एक खबर है , अच्छी या बुरी ये समझ नहीं आ रहा है “
मैंने उसे थोड़े आश्चर्य से देखा
“आखिर ऐसा क्या हो गया …”
“हमारा अब्दुल यंहा का कलेक्टर बन कर आ रहा है …”
“क्या ..??? वो तो अभी अभी अकादमी गया था ना इतनी जल्दी उसे कलेक्टर का पोस्ट कैसे मिल गया “
“यही तो अजीब बात है इसीलिए तो बोला की अच्छी है या बुरी ये समझ नहीं आ रहा , क्योकि अकादमी की पढाई पूरी होने के बाद 2 साल अलग अलग पोस्ट में काम करने के बाद कोई आईएएस कलेक्टर बन पाता है , पहले तो होम केडर हि नहीं मिलता , उसके लिए मुख्यमत्री की सिफारिस लगती है और फिर केंद्र से उसका अप्रूवल होता है तब जाकर अपना राज्य मिल पाता है , चलो ये हुआ समझ भी आता है लेकिन 2 साल का ट्रेनिंग पिरेड बिना किये सीधे कलेक्टर ये समझ नहीं आया , इसके लिए तो बहुत उपर तक पहुच चाहिए और उस साले की इतनी पहुच कब से हो गई …”
मैं थोड़े देर तक सोच में पड़ा रहा …
“बलवंत की पार्टी अभी राज्य और केंद्र दोनों में है , और बलवंत का साला तेजबहादुर अभी केंद्रीय मंत्री है … यंहा का मुख्यमत्री तो बलवंत के ही इशारे पर काम करता है , कही अब्दुल ने पार्टी तो नहीं बदल ली ..”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप थे फिर कालू बोला
“मालिक अब्दुल को पढाया लिखाया तो आपने था , वो ऐसा क्यों करेगा ??”
“हम्म्म कर सकता है , कब है उसकी पोस्टिंग “
“आज ही ..”
“तो चलो कलेक्टर साहब से मिलकर आते है …”
***************************
अम्मा ने मेरे लिए एक बुलेट प्रूफ फार्चुनर लिया था , मेरे साथ कालू और अंकित भी बैठे मेरे आगे और पीछे 5-5 गाडियों का काफिला था , सभी गाडियों में बन्दुखो से लेस गार्ड्स और हमारे आदमी बैठे थे , अम्मा अब मुझे लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहती थी .. हम दनदनाते हुए कलेक्टर ऑफिस की ओर बढ़ गए …
वंहा पहले से ही काफी हलचल थी , शहर के और आसपास के गांव के कई लोग वंहा नए कलेक्टर का स्वागत करने पहुचे थे , हमारी गाड़ी सीधे गेट के पास रुकी मेरे साथ मेरे सभी अंग रक्षक भी उतरे , उसी ताम झाम के साथ उधर से बलवंत भी पंहुचा था , हम दोनों ही थोड़ी दुरी में खड़े थे …
वो मुझे देख कर चौक गया , मैं पहले से कई गुना ताकतवर लग रहा था , काले रंग के टी शर्ट में मेरे डोले साफ़ साफ़ झलक रहे थे , आँखों में काले रंग का चश्मा अभी भी चढ़ा हुआ था …
पैरो में एक भूरे रंग का लेदर का जूता था … बलवंत को देखकर मैं मुस्कुराया और उस ओर बढ़ गया , मैंने अपने अंगरक्षकों को वही रोक दिया था , लेकिन मेरे उसकी ओर बढ़ने से उसके अंगरक्षक चौकन्ने हो गए , उसने हाथ उठा कर सभी को शांत किया …
मैं बलवंत के पास पहुच कर उसके पाँव छुए …
मेरा ऐसा करने से वो थोडा और चौका ..
“तुम बड़े ही ढीठ हो कुवर , तुम सच में मेरे लिए खतरा बनोगे “
बलवंत ने मेरे पीठ पर आशीर्वाद स्वरुप हाथ मरते हुए कहा , मैं मुस्कुरा कर उसे देखने लगा
“ठाकुर साहब बनूँगा नहीं … बन चूका हु … आपने तो मेरे दोस्ती का हाथ नही थमा तो चलो दुश्मनी ही सही , ऐसे मुझे मरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी आपने “
वो भी मुस्कुराया
“आज तक समझ नहीं आया की तुम जिन्दा कैसे बच गए ,और बच गए तो इतने स्वस्थ कैसे हो गए , तुम तो पहले से ज्यादा ताकतवर लग रहे हो “
मैं हँस पड़ा
“ठाकुर साहब ताकतवर और सचेत भी , पहले तो मैं थोडा कच्चा था आपके कारण अब पक्का हो गया हु “
वो हलके से हँसा
“वो तो वक्त ही बताएगा कुवर , राजनीती ताकत और दिमाग का मिक्सर होता है , जन्हा जैसी जरुरत पड़े वैसे इस्तमाल करने का हुनर आना चाहिए, तुम्हे अभी ये सब सिखने में बहुत समय लगेगा “
मैं मुस्कुराया
“बिलकुल , लेकिन आपसे मैंने कपट और चालाकी तो सिख ही ली आगे भी सीख लेंगे , आप ही मेरे गुरु हो और आपको ही आपके ही अखाड़े में हराऊंगा “
वो थोडा जोरो से हँसा
“सपना अच्छा है तुम्हारा , सपना देखने में कुछ जाता भी तो नहीं , देखो देखो “
“ठाकुर साहब अब बच कर रहिएगा , खेल शुरू हो चूका है “ मैंने उसे घूरते हुए कहा था , लेकिन उसकी मुस्कान कम नहीं हुई वो मंझा हुआ खिलाडी था ..
“बेटे खेल तो बहुत पहले से चल रहा है , तुम अभी आये हो , लो कलेक्टर साहब भी आ गए “
एक गाडी हमारे सामने रुकी , पुलिस वाले और कुछ कर्मचारी उस ओर भागे, अब्दुल का तो आज भेष ही बदला हुआ था , सफ़ेद फार्मल शर्ट और काले रंग के फार्मल पेंट पहने वो सच में किसी बड़े अधिकारी के जैसे लग रहा था , सभी लोग उसे गुलदस्ता भेट करने लगे वो सभी से लेकर अपने असिस्टंट को दे रहा था , उसकी नजर अब मुझपर और बलवंत पर पड़ी , सभी को हटाते हुए वो हमारे पास आया और सीधे बलवंत के पैर छूने लगा …
“ठाकुर साहब आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे , मैं आ जाता आपने आने की तकलीफ क्यों की “
बलवंत ने उसकी पीठ थपथपाई
“तरक्की करो बेटे , आज पहला दिन है सोचा तुमसे यही मिलने आ जाऊ “
“प्लीज अंदर चलिए “ उसने अपने हाथ बढ़ाते हुए बलवंत को इशारा किया , उसके लिए मानो मैं था ही नहीं , ऐसा तो नहीं था की उसने मुझे देखा नहीं था लेकिन फिर भी मुझे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया , कालू और अंकित दूर खड़े ये सब तमाशा देख रहे थे , बलवंत अब्दुल के साथ अंदर चला गया था वही मैं बस ये सब देखता रह गया …
मैं फिर से अंकित के पास आया ..
“ये साला अब्दुल , तुम सही कह रहे थे इसने पार्टी बदल ली है, देखा त्तुम्हे कैसे इग्नोर कर दिया जैसे तुम वंहा थे ही नहीं , लेकिन बलवंत इसपर इतना क्यों मेहरबान हो रहा है “
अंकित की बात सुनकर मैं हँसा
“इतना तो मुझे पता है की बलवंत कभी किसी पर ऐसे ही मेहरबान नहीं होगा , जरुर वो हमारे खिलाफ कोई बड़ी साजिश कर रहा है , देखते है … चलो …”
हम उससे बिना मिले ही वंहा से लौट गए ..
“आखिर अब्दुल ही क्यों , बलवंत तो किसी भी कलेक्टर को ट्रांसफर करवा कर यंहा ला सकता था “
कार में बैठते हुए अंकित बोल उठा
“अब्दुल हमारे गांव का है , उसे हमारे बारे में जितना पता है उतना किसी और कलेक्टर को नहीं पता हो सकता “
मैंने उसका जवाब दिया , अंकित चुप हो चूका था …
कार में बैठे बैठे मैं अब्दुल के बारे में ही सोच रहा था , मुझे उस दिन अब्दुल की आँखे याद आई जब वो मेरे कारण अपनी माँ से सम्भोग कर रहा था …
उस दिन उसकी आँखों में लाचारी थी , गुस्सा था लेकिन वासना के सामने वो कुछ नहीं कर पा रहा था ..
उस दिन के बाद से अब्दुल ने मुझसे कभी बात नहीं की , शायद यही कारण होगा की जब उसके पास पॉवर आई तो उसने मेरे साथ ना जुड़कर बलवंत का साथ पकड़ लिया , बलवंत उसके जरिये कई काम करवा सकता था , शायद उसमे से कई काम हमारे विरोध में भी करवाए, मेरे लिए अब ये जानना जरुरी था की आखिर अब्दुल के मन में मेरे लिए क्या बैर पल रहा है …
“मुझे अब्दुल से बात करनी है उसका नंबर निकाल कर मुझे दो “
मैंने अंकित से कहा ………………..
निक्कू तो पूरी नई पीढ़ी का पापा बनने की ओर अग्रसर है।
अब्दुल का एंगल खतरनाक लग रहा है। चौधरी पुराना घाघ है। अम्मा को यह पैंतरा कैसे नहीं दिखा?
 

Napster

Well-Known Member
5,084
13,929
188
बहुत ही सुंदर लाजवाब और गजब का रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
गाँव की 253 महिलाओंके साथ चुदाई लौडू की तो निकल पडी
ये साला अब्दुल तो कुंवर निशांत के द्वारा किये उपकार को भुल कर बलवंत के साथ हो लिया और नयी साजिशों में उसका साथ देगा
फोन पर अब्दुल निशांत के साथ क्या बर्ताव करता हैं
ईस सारे खेल को निशांत शैतानी ताकदों की मदत से कैसे निपटता हैं देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
10,166
42,732
258
२५३ महिलाओं से सम्भोग ! .... बहुत ज्यादा नाइंसाफी है ये । ये निशांत के लिए मजा है या सजा ? उसका शरीर तो हाड़ मांस का पुतला बन कर रह जायेगा । वैसे तो उसके मन में फुलझड़ी सी चल रही होगी लेकिन वो फुलझड़ी नहीं बल्कि एटम बम्ब होगा जिसका निष्कर्ष सिर्फ और सिर्फ विनाश ही है । कम से कम एक समय का पैमाना तय किया गया होता तो शायद ठीक भी होता लेकिन यहां तो चट मंगनी पट ब्याह वाली स्थिति में उन सभी महिलाओं के साथ सेक्स करना है ।

अब्दुल जी ने अपनी तरक्की और फ्यूचर को अपने दोस्ती और नमकहलाली से ऊपर रखा । शायद एक कारण वह भी हो सकता है जब उसने निशांत के साथ मिलकर अपनी मां के साथ सेक्स किया था ।
पर जो भी हो उसने सही नहीं किया निशांत के साथ । इधर बलवंत साहब भी पुरे जोश खरोस में ही नजर आए । कलक्टर साहब जो उनके मुठ्ठी में आ गया ।

बढ़िया ट्विस्ट लेकर आए हैं डॉ साहब । बहुत ही बेहतरीन अपडेट ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
4,857
20,205
158
अध्याय 21
अम्मा तो चली गई थी,मैं अन्नू को देखता रह गया, ये अभी क्या किया था ,मैं यही समझने की कोशिश कर रहा था,
" तुम ऐसा करोगी मैंने सोचा नहीं था "मैं थोडा हैरान परेशान था
वह मुस्कुराई और मेरे हाथों में एक लिस्ट पकड़ा दिया
"यह क्या है ???" मैंने कहा
"गांव की सभी औरतों की लिस्ट है जिनके साथ तुम्हें संभोग करना है,"

मैं चौक गया
" क्या ??/यह सब ?आखिर क्यों ??"
"तुम्हारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है निशांत, तो किसी को तो यह करना पड़ेगा, गांव में बहुत सारी महिलाएं हैं ,लेकिन जिन्हें तुम्हारी जरूरत है यह उनकी लिस्ट है , कुल 253 महिलाएं हैं जिन्हें तुम्हारी जरूरत है, तो हर दिन तुम्हें दो महिलाओं के साथ संभोग करना होगा यह लिस्ट उनके मासिक धर्म के अनुसार बनाई गई है,मैंने इसके लिए एक महिला चिकित्सक की सलाह ली है ,हर महीने महिला का वो दिन होता है जिसमे बच्चा होने के चांस सबसे ज्यादा होता है उन्ही के हिसाब से इन्हें जमाया गया है,तुम्हे सबका गर्भ भरना है "

उसने लिस्ट मेरे हाथों में पकड़ा दिया ,मैंने लिस्ट देखी पहला नाम अम्मा का ही था ,एक बार पूरी लिस्ट पर एक नजर डाली
"इसमे तुम्हारा नाम तो है ही नही"
वो हल्के से मुस्कुराई उसकी मुस्कुराहट में भी एक दर्द छिपा था ,
"मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद तुम किसी और महिला से संबंध बनाओ ,तो पहले तुम सभी को गर्भवती करके उन्हें श्राप से मुक्ति दोगे फिर हम शादी करेंगे …"
उसके आंखों में आंसू थे और हृदय में पीड़ा ,मैंने उसका हाथ खींचकर उसे अपने गोद मे बिठा लिया
"चाहे जिस्म किसी के भी साथ हो मेरे मन की मल्लिका तो तुम ही हो "
उसने बड़े ही प्यार से मुझे देखा और मुझे गले से लगा लिया
"तुम्हारे मन और तन दोनो की मल्लिका मैं ही हु समझ गए ,कोई चालाकी नही जो जिम्मेदारी मिली है उसे पूरी करो उसके बाद तुम मेरे रहोगो ,हर तरह से ,फिर मैं तुम्हे किसी और के साथ नही बाटूंगी "
उसके भोलेपन में मुझे बड़ा प्यार आया ,मैंने उसके गालो में एक किस लिया
"लव यू जान , ये गांव तुम्हारे इस बलिदान को हमेशा याद रखेगा "
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई
"लव यू मेरा बाबू " उसने जोरो से मेरे गालो पर किस कर लिया था…
“लेकिन क्या तुम अकेले मुझे झेल लोगी , मतलब शादी के बाद “
उसने आँखे तरेर कर मुझे देखा
“प्यार सब झेल लेता है समझ गए , तुम्हारे अंदर कितना भी बड़ा शैतान हो मेरे प्यार के अंदर नहीं टिक पायगा, ये शैतान का हवाला देकर मुझसे चिट करने की सोची भी न तो हाथ पाँव तोड़कर फिर से कोमा में सुला दूंगी “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा वही लौडू अंदर से चिल्लाया
‘इससे शादी मत करना ये तो हमारा पूरा मजा ही ख़त्म कर देगी , रोज रोज एक ही लड़की के साथ .. छि छि ये तो पाप है “
मैं उसकी बातो पर हँसा
“ये पाप नहीं छोटे ये प्यार है …”
*************************
नीचे अंकित और कालू मेरा इतजार कर रहे थे , मैं निचे आकर उसी सोफे में बैठा जन्हा बैठकर अम्मा गांव के फैसले किया करती थी ..
“कुवर जच रहे हो ..” कालू मुझे देखकर बहुत खुश था
“धन्यवाद ..”
मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा , वही अंकित बोल उठा
“भाई एक खबर है , अच्छी या बुरी ये समझ नहीं आ रहा है “
मैंने उसे थोड़े आश्चर्य से देखा
“आखिर ऐसा क्या हो गया …”
“हमारा अब्दुल यंहा का कलेक्टर बन कर आ रहा है …”
“क्या ..??? वो तो अभी अभी अकादमी गया था ना इतनी जल्दी उसे कलेक्टर का पोस्ट कैसे मिल गया “
“यही तो अजीब बात है इसीलिए तो बोला की अच्छी है या बुरी ये समझ नहीं आ रहा , क्योकि अकादमी की पढाई पूरी होने के बाद 2 साल अलग अलग पोस्ट में काम करने के बाद कोई आईएएस कलेक्टर बन पाता है , पहले तो होम केडर हि नहीं मिलता , उसके लिए मुख्यमत्री की सिफारिस लगती है और फिर केंद्र से उसका अप्रूवल होता है तब जाकर अपना राज्य मिल पाता है , चलो ये हुआ समझ भी आता है लेकिन 2 साल का ट्रेनिंग पिरेड बिना किये सीधे कलेक्टर ये समझ नहीं आया , इसके लिए तो बहुत उपर तक पहुच चाहिए और उस साले की इतनी पहुच कब से हो गई …”
मैं थोड़े देर तक सोच में पड़ा रहा …
“बलवंत की पार्टी अभी राज्य और केंद्र दोनों में है , और बलवंत का साला तेजबहादुर अभी केंद्रीय मंत्री है … यंहा का मुख्यमत्री तो बलवंत के ही इशारे पर काम करता है , कही अब्दुल ने पार्टी तो नहीं बदल ली ..”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप थे फिर कालू बोला
“मालिक अब्दुल को पढाया लिखाया तो आपने था , वो ऐसा क्यों करेगा ??”
“हम्म्म कर सकता है , कब है उसकी पोस्टिंग “
“आज ही ..”
“तो चलो कलेक्टर साहब से मिलकर आते है …”
***************************
अम्मा ने मेरे लिए एक बुलेट प्रूफ फार्चुनर लिया था , मेरे साथ कालू और अंकित भी बैठे मेरे आगे और पीछे 5-5 गाडियों का काफिला था , सभी गाडियों में बन्दुखो से लेस गार्ड्स और हमारे आदमी बैठे थे , अम्मा अब मुझे लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहती थी .. हम दनदनाते हुए कलेक्टर ऑफिस की ओर बढ़ गए …
वंहा पहले से ही काफी हलचल थी , शहर के और आसपास के गांव के कई लोग वंहा नए कलेक्टर का स्वागत करने पहुचे थे , हमारी गाड़ी सीधे गेट के पास रुकी मेरे साथ मेरे सभी अंग रक्षक भी उतरे , उसी ताम झाम के साथ उधर से बलवंत भी पंहुचा था , हम दोनों ही थोड़ी दुरी में खड़े थे …
वो मुझे देख कर चौक गया , मैं पहले से कई गुना ताकतवर लग रहा था , काले रंग के टी शर्ट में मेरे डोले साफ़ साफ़ झलक रहे थे , आँखों में काले रंग का चश्मा अभी भी चढ़ा हुआ था …
पैरो में एक भूरे रंग का लेदर का जूता था … बलवंत को देखकर मैं मुस्कुराया और उस ओर बढ़ गया , मैंने अपने अंगरक्षकों को वही रोक दिया था , लेकिन मेरे उसकी ओर बढ़ने से उसके अंगरक्षक चौकन्ने हो गए , उसने हाथ उठा कर सभी को शांत किया …
मैं बलवंत के पास पहुच कर उसके पाँव छुए …
मेरा ऐसा करने से वो थोडा और चौका ..
“तुम बड़े ही ढीठ हो कुवर , तुम सच में मेरे लिए खतरा बनोगे “
बलवंत ने मेरे पीठ पर आशीर्वाद स्वरुप हाथ मरते हुए कहा , मैं मुस्कुरा कर उसे देखने लगा
“ठाकुर साहब बनूँगा नहीं … बन चूका हु … आपने तो मेरे दोस्ती का हाथ नही थमा तो चलो दुश्मनी ही सही , ऐसे मुझे मरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी आपने “
वो भी मुस्कुराया
“आज तक समझ नहीं आया की तुम जिन्दा कैसे बच गए ,और बच गए तो इतने स्वस्थ कैसे हो गए , तुम तो पहले से ज्यादा ताकतवर लग रहे हो “
मैं हँस पड़ा
“ठाकुर साहब ताकतवर और सचेत भी , पहले तो मैं थोडा कच्चा था आपके कारण अब पक्का हो गया हु “
वो हलके से हँसा
“वो तो वक्त ही बताएगा कुवर , राजनीती ताकत और दिमाग का मिक्सर होता है , जन्हा जैसी जरुरत पड़े वैसे इस्तमाल करने का हुनर आना चाहिए, तुम्हे अभी ये सब सिखने में बहुत समय लगेगा “
मैं मुस्कुराया
“बिलकुल , लेकिन आपसे मैंने कपट और चालाकी तो सिख ही ली आगे भी सीख लेंगे , आप ही मेरे गुरु हो और आपको ही आपके ही अखाड़े में हराऊंगा “
वो थोडा जोरो से हँसा
“सपना अच्छा है तुम्हारा , सपना देखने में कुछ जाता भी तो नहीं , देखो देखो “
“ठाकुर साहब अब बच कर रहिएगा , खेल शुरू हो चूका है “ मैंने उसे घूरते हुए कहा था , लेकिन उसकी मुस्कान कम नहीं हुई वो मंझा हुआ खिलाडी था ..
“बेटे खेल तो बहुत पहले से चल रहा है , तुम अभी आये हो , लो कलेक्टर साहब भी आ गए “
एक गाडी हमारे सामने रुकी , पुलिस वाले और कुछ कर्मचारी उस ओर भागे, अब्दुल का तो आज भेष ही बदला हुआ था , सफ़ेद फार्मल शर्ट और काले रंग के फार्मल पेंट पहने वो सच में किसी बड़े अधिकारी के जैसे लग रहा था , सभी लोग उसे गुलदस्ता भेट करने लगे वो सभी से लेकर अपने असिस्टंट को दे रहा था , उसकी नजर अब मुझपर और बलवंत पर पड़ी , सभी को हटाते हुए वो हमारे पास आया और सीधे बलवंत के पैर छूने लगा …
“ठाकुर साहब आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे , मैं आ जाता आपने आने की तकलीफ क्यों की “
बलवंत ने उसकी पीठ थपथपाई
“तरक्की करो बेटे , आज पहला दिन है सोचा तुमसे यही मिलने आ जाऊ “
“प्लीज अंदर चलिए “ उसने अपने हाथ बढ़ाते हुए बलवंत को इशारा किया , उसके लिए मानो मैं था ही नहीं , ऐसा तो नहीं था की उसने मुझे देखा नहीं था लेकिन फिर भी मुझे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया , कालू और अंकित दूर खड़े ये सब तमाशा देख रहे थे , बलवंत अब्दुल के साथ अंदर चला गया था वही मैं बस ये सब देखता रह गया …
मैं फिर से अंकित के पास आया ..
“ये साला अब्दुल , तुम सही कह रहे थे इसने पार्टी बदल ली है, देखा त्तुम्हे कैसे इग्नोर कर दिया जैसे तुम वंहा थे ही नहीं , लेकिन बलवंत इसपर इतना क्यों मेहरबान हो रहा है “
अंकित की बात सुनकर मैं हँसा
“इतना तो मुझे पता है की बलवंत कभी किसी पर ऐसे ही मेहरबान नहीं होगा , जरुर वो हमारे खिलाफ कोई बड़ी साजिश कर रहा है , देखते है … चलो …”
हम उससे बिना मिले ही वंहा से लौट गए ..
“आखिर अब्दुल ही क्यों , बलवंत तो किसी भी कलेक्टर को ट्रांसफर करवा कर यंहा ला सकता था “
कार में बैठते हुए अंकित बोल उठा
“अब्दुल हमारे गांव का है , उसे हमारे बारे में जितना पता है उतना किसी और कलेक्टर को नहीं पता हो सकता “
मैंने उसका जवाब दिया , अंकित चुप हो चूका था …
कार में बैठे बैठे मैं अब्दुल के बारे में ही सोच रहा था , मुझे उस दिन अब्दुल की आँखे याद आई जब वो मेरे कारण अपनी माँ से सम्भोग कर रहा था …
उस दिन उसकी आँखों में लाचारी थी , गुस्सा था लेकिन वासना के सामने वो कुछ नहीं कर पा रहा था ..
उस दिन के बाद से अब्दुल ने मुझसे कभी बात नहीं की , शायद यही कारण होगा की जब उसके पास पॉवर आई तो उसने मेरे साथ ना जुड़कर बलवंत का साथ पकड़ लिया , बलवंत उसके जरिये कई काम करवा सकता था , शायद उसमे से कई काम हमारे विरोध में भी करवाए, मेरे लिए अब ये जानना जरुरी था की आखिर अब्दुल के मन में मेरे लिए क्या बैर पल रहा है …
“मुझे अब्दुल से बात करनी है उसका नंबर निकाल कर मुझे दो “
मैंने अंकित से कहा ………………..
:superb: :good: :perfect: awesome update hai dr sahab,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai
 
Top