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Adultery भाभियों का रहस्य

Sanju@

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अध्याय 26
यूनिवर्सिटी में अफरा तरफ्री का माहोल था , राज्य के मंत्री और जिले का कलेक्टर आने वाले थे , वो जिससे मिलने आने वाले थे उसके अलावा सभी लोग चौक्कने थे , कुलपती सुबह से तैयार खड़ा था , तभी कई गाडिया आकर मनोविज्ञान डिपार्टमेंट के सामने रुकनी शुरू हुई …
कुलपति तुरंत ही एक्शन में आया
“अरे ठाकुर साहब आप ने कष्ट क्यों किया हमें बुला लिया होता “
वो फुल मालाये सामने करते हुए बोला
“सर इन सबकी जरुरत नहीं है , हमें डॉ चुतिया से मिलना है , और आप तो जानते हो वो किसी की नहीं सुनते , हमने बुलावा भेजा था लेकिन डॉ साहब तो …”
अब्दुल ने बड़े ही मान से कहा , आखिर वो इसी यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट रह चूका था ..
“अरे अब्दुल बेटा तुम तो जानते हो उसे , ऐसे मैं तुम्हारे पास आने ही वाला था , आखिर हमारा स्टूडेंट आईएएस बना है तो … कभी आकर कोई मोटिवेशनल स्पीच दे कर जाओ “
“जी सर आता हु कभी , अभी ठाकुर साहब को देर हो रही है ये सब बाद में करते है “
बलवंत और अब्दुल डॉ के कमरे की ओर बढे , लेकिन बाहर एक स्टूडेंट खड़ा था उसने उनका रास्ता रोक लिया …
“बत्तमीज जानता है हम कौन है “
बलवंत भड़क गया लेकिन अब्दुल डॉ के नेचर को जानता था उसने उसे शांत करवाया ..
“छोटे डॉ साहब को बोल की अब्दुल औरठाकुर बलवंत आये है .”
“सर मैं आप दोनों को जानता हु लेकिन डॉ साहब अभी बीजी है , आप लोग बैठिये “
अब्दुल ने अपने माथे पर हाथ फेरा और सभी गार्ड को बाहर इन्तजार करने के लिए कहा , और बलवंत को सामने लगी कुर्सियों में बैठने का इशारा किया …
“ये साला प्रोफ़ेसर खुद को समझता क्या है हमें इन्त्त्जार करवाएगा “
बलवंत गुस्से में आ गया था ..
“ठाकुर साहब शांत हो जाओ , मैं इनका स्टूडेंट था और इन्हें अच्छे से जानता हु , मुख्यमंत्री भी आये ना तो ये अपने मर्जी से उनसे मिलते है , अगर ना मिलना हो तो बाहर से ही भागा दे , खैर मैंने बात कर ली है आज उन्होंने हमें बुलाया था तो शांत रहिये , हमें इनकी जरुरत है “
अब्दुल की बात सुनकर बलवंत शांत हो गया , तभी एक और लस्कर सामने से आता हुआ दिखा , सबसे सामने अम्मा थी और पीछे कई लोगो की भीड़ , कुछ ओरते थी और साथ ही कुछ गार्ड भी ..
बलवंत के गार्ड्स ने उन्हें रोकने की कोशिस की लेकिन अम्मा के गार्ड ने उन्हें वही सम्हाल लिया था ..
वो लड़का फिर से खड़ा हो गया और अम्मा को अंदर जाने से रोक दिया , अम्मा ने सामने देखा तो बलवंत और अब्दुल वही बैठे थे , अम्मा ने भी सभी को वापस भेज दिया और खुद वही अब्दुल के बगल में बैठ गई ..
अम्मा को देखकर अब्दुल और बलवंत दोनों ही थोड़े चौक गए थे ..
“कैसे हो अब्दुल आज कल तो तुम अपने गांव को ही भूल गए हो , अपनों को छोड़कर दुश्मनों के साथ हाथ मिला लिया है “
अम्मा की बात सुनकर भी अब्दुल कुछ नहीं बोला , वो सर निचे किये वही बैठा रहा , जबकि बलवंत अम्मा की ओर मुह करके उन्हें देखने लगा ..
“आज भी वैसे ही हसीन हो कांति , और सुना है की तुम्हारा भतीजा भी इस हुस्न का दीवाना है “
ठाकुर के व्यंग से अम्मा मुस्कुरा उठी ..
“कभी तुम भी इस हुस्न के दीवाने थे बलवंत , कालेज के दिन भूल गए क्या ?”
उसकी बात सुनकर अब्दुल दोनों को प्रश्न भरी निगाहों से देखने लगा वही बलवंत हलके से हँसा
“क्या करे जवानी में इन्सान के पास दिमाग ही कहा होता है कांति , जो भी हुआ वो अच्छा ही हुआ , तुम्हारा प्यार नहीं तो नफरत ही सही , हमने तो वो भी हंसकर अपना लिया है , ऐसे भी जिसके लिए तुमने हमें छोड़ा वो तो किसी काम का नहीं निकला , इससे ज्यादा सकून मुझे और क्या चीज देगी “
अम्मा के सीने में एक दर्द सा उठा , पिछली बाते उनके सामने आ गई , कभी बलवंत और यशवंत दोनों ही उसके दीवाने हुआ करते थे , अम्मा ने बलवंत को ठुकरा कर यशवंत को चुना था , कालेज के दिनों में बलवंत और यशवंत दोनों की कट्टर दुश्मनी थी लेकिन उन्हें प्यार एक ही लड़की से हुआ , बहुत मारा मारी हुई , अम्मा को पाने के लिए दोनों ने जी जान लगा दिया ,आखिर यशवंत की जीत हुई और अम्मा ने उनसे ही शादी की , लेकिन शादी के बाद से ही उन्हें ऐसी बीमारी लगी जिससे उनका शरीर दिन ब दिन कमजोर होता गया और आज भी जैसे उनका कोई वजूद ही ना हो , हवेली के एक कोने में यशवंत पड़ा रहा , चलने फिरने में भी असमर्थ सा , और पूरी जिम्मेदारी अम्मा ने ही अपने कंधे में ले ली , लेकिन अम्मा को अपने फैसले पर कभी अफ़सोस नहीं हुआ , बलवंत आज भी अम्मा के लिए दिल में सपने और अहसास रखता था ये बात अम्मा अच्छे से जानती थी , गहरी दुश्मनी के बाद भी बलवंत के दिल में अम्मा के लिए प्रेम का चिराग कभी बुझ नहीं पाया था , और अम्मा को अपना ना बना पाने का अफ़सोस भी उसके कालेजे को हल्का दर्द देता रहता , वही निशांत के अम्मा से संबंधो को सुनकर उसे ऐसा लगा था जैसे किसी ने उसके ही सीने में कोई तेज खंजर चला दिया हो …
वो हमेशा की तरह ही मनमसोज के रह गया ,उसे पता था की अम्मा उसकी कभी नहीं हो सकती ..
लेकिन पहले प्यार का दर्द भी तो ऐसा होता है की भुलाये नहीं भूलता , कितनी भी कोशिस करो सब बेकार हो जाती है …..
“ऐसे दुखी ना हो बलवंत हमने एक दुसरे की दुश्मनी स्वीकार ली है लेकिन आज भी मैं तुम्हारे उस प्रेम की क़द्र करती हु जो आज भी तुम्हारे दिल के किसी कोने में पल रहा है “
अम्मा की बात सुनकर बलवंत बिलकुल ही चुप हो गया था , वो नज़ारे गडाए हुए बस जमीन को देखने लगा , इतने शक्तिशाली इंसान का ये रूप देख अब्दुल भी आश्चर्य से भर गया .. दोनों गांव में किसी को इस गुप्त सम्बन्ध का पता नहीं था , अब्दुल भी इस बात से अनजान था की उसका होने वाला ससुर और इस राज्य का सबसे ताकतवर समझे जाने वाला इंसान भी किसी की मोहोब्बत में है वो भी सालो पूरानी नाकाम मोहोब्बत ..
अब मोहोब्बत नाकाम हो या कामियाब साली दिल में हमेशा एक टिस की तरह रहती है …
*************
कुछ देर ही हुए थे की डॉ ने दोनों पक्षों को एक साथ बुला लिया …
तीनो अंदर गये तो डॉ आराम से अपने चेयर में बैठा हुआ सिगरेट का धुवा उड़ा रहा था , अम्मा और अब्दुल दोनों ने आने से पहले ही डॉ को आने का कारण बता दिया था …
बलवंत जन्हा पुरे गुस्से में था वही अम्मा शांत थी , अम्मा डॉ को जानती थी और वो ये भी जानती थी की आदमी भले ही वो अजीब है लेकिन काम का है …
जाते ही अब्दुल ने डॉ के चरण स्पर्श करे …
“खुश रहो बेटा , कलेक्टर बन गए … बहुत खूब “
“धन्यवाद सर आपका आशीर्वाद है , “
“बढ़िया बढ़िया बैठो “
अब्दुल के साथ साथ ही सभी सामने लगी हुई कुर्सी में बैठ गए ..
डॉ अभी भी सिगरेट का धुआ उड़ा कर उससे छल्ला बनाने की कोशिस कर रहा था …
अब बलवंत से बर्दास्त नहीं हुआ
“सुनो डॉ हमारा काम है इसलिए हम तुम्हारे पास आये , उपर से ये बत्तमीजी “
अब्दुल ने इशारे से बलवंत को शांत रहने के लिए कहा , बलवंत की बात सुनकर एक बार डॉ ने सभी को देखा और …
“भखलंड …”
सभी उसकी बात सुनकर एक दुसरे को देखने लगे
“मलतब “ अम्मा भी थोड़ी चौकी थी
“जिसके कारन आप परेशान हो वो भखलंड प्रजाति का शैतान है , मैंने इस प्रजाति के शैतानो पर पूरी रिसर्च की है “
“क्या ??? शैतानो की भी प्रजाति होती है “ अम्मा थोड़ी चौकी जबकि बलवंत को लगा की ये साला मैं कहा फंस गया
“बिलकुल होती है , सभी शैतानी ताकते असल में एक ही है लेकिन फिर ही सभी का काम अलग अलग होता है , उसी के हिसाब से ये वर्गीकरण किया गया है , मैं इस पर एक थीसिस भी लिख रहा हु , भखलंड , चुदैल आदि प्रकार के प्रजातियों पर “
“चुड़ैल ??? “ बलवंत ने थोडा अपसेट होते हुए कहा
“चुड़ैल नहीं ठाकुर साहब चुदैल , ये शैतान के स्त्री लिंग वाला रूप है “
“यार काम की बात करो , तुम्हारे इस थीसिस में मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है “
बलवंत थोडा झल्ला गया था , जिसे देखकर थोडा हँसा
“ठाकुर साहब जिस चीज से आपको लड़ना है कम से कम उसकी जानकारी तो आपको होनी ही चाहिए न , मैं थोडा भखलंडो के बारे में बताता हु , जैसे शैतानी ताकते कई चीजो को पाने के लिए उपद्रव करती है जैसे पॉवर , पैसा ,जमीन जायजाद ,ओरते आदि आदि या ये सभी एक साथ , लेकिन ये प्रजाति थोड़ी अलग है , इन सालो को बस एक ही चीज चाहिए और वो है इंसान के अंदर हवस भर देना , इन्हें सेक्स करवाने में मजा आता है , जो भी इनकी पूजा करे या गुलाम बने वो इन्हें वैसे ही ताकते देते है , खासकर जिसे समाज पाप कहता हो वैसा सेक्स इन्हें और भी ज्यादा पसंद है , जैसे रिश्तो में सेक्स , दुसरे के प्यार या बीबी से सेक्स आदि आदि …”
सब खामोश थे लेकिन अम्मा बोल उठी
“डॉ साहब ये सब तो ठीक है लेकिन आप भी जानते है की इस शैतान ने हमारे कुवर की मदद की है , और ये शक्तिया एक खास मकसद से उसे मिली है ,लेकिन अब वो हमें डराने लगी है , अब हमे क्या करना चाहिए “
“अम्मा निशांत जितना अधिक सेक्स में इन्वोल्व होगा उतनी ही उसकी शक्तिया भी बढ़ते जायेगी , और शायद यही दोनों गांवो की सबसे बड़ा डर है , लेकिन फिक्र मत करे मेरे पास इसका भी एक उपाय है “
“क्या ???” तीनो एक साथ बोल पड़े
“चुदैल शैतान “
अब तीनो एक दुसरे का चहरा देखने लगे
“लेकिन कैसे “ अब्दुल बोला
“बेटे आसान है , जैसे निशांत को पॉवर मिली अगर वैसे ही कोई लड़की चुदैल शैतान से पॉवर ले ले तो वो एक दुसरे के काट बन सकते है , अभी हमारे पास टाइम है की हम कोई ऐसी लड़की ढूंढ ले “
सभी से एक दुसरे को देखने लगे
“लेकिन डॉ साहब ये चुदैल शैतान की उपासना कैसे की जाती है और कौन लड़की अपनी क़ुरबानी देगी “
डॉ के चहरे में एक मुस्कान खिल गई
“चुदैल शैतान की पॉवर वाली लड़की भखलंड को शारीरिक रूप से पूर्ण संतुष्ट करके उसे शांत कर सकती है ,लेकिन उसकी शक्ति को पाना किसी आम लड़की के बस का नहीं है , ये समर्पण वही कर सकती है जो ….”
“जो क्या ???” तीनो ने एक साथ कहा
“जो निशांत से सच्चे मन से प्यार करती हो और उसे शांत करने के लिए कुछ भी कर जाए “
तीनो एक दुसरे का मुह देखने लगे , आखिर ऐसी लड़की है कौन …
लेकिन अम्मा के दिमाग में एक ही नाम गूंज रहा था ..
अन्नू ……..
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है
इन सब का इलाज Dr.chutya के पास है
निशांत के अंदर भखलंड शैतान है अब क्या अन्नू चुदैल शैतान की साधना कर निशांत को काबू में करती है या नहीं
ये अम्मा तो बडी पहुंची हुई निकली अपने काॅलेज के दिनों में दो दो को अपना दिवाना बना चुकी है और पता नही कितने कांड कर चुकी है खैर
देखते हैं आगे क्या होता है
 

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अध्याय 27
झरने की आवाज और उसका ठंडा पानी में मेरे मन को शीतलता नहीं दे पा रहा था , मैं झरने के निचे खड़ा हुआ अपने अंदर की आग को शांत करने की कोशिस कर रहा था , अन्नू के जाने के बाद से ही मैं पागल सा हो गा गया था , सामने जो लड़की दिखे उसके उपर चढ़ जाता , कल मैंने गांव की स्त्रियों के साथ सड़क में ही सम्भोग कर दिया , मुझे अपनी अपने कुल की और ना ही अम्मा और उन ओरतो की इज्जत की कोई चिंता हुई , मैं एक जानवर बन रहा था और मेरा सामना करने वाला कोई नहीं था ,
आज सुबह से मैं 5 लडकियों को भोग चूका था , अम्मा गांव की कुछ ओरतो के साथ शहर गई थी और सभी को सख्त हिदायत दी गई थी की उनके आने तक मुझे कमरे से ना निकलने दिया जाए , हर एक घंटे में एक नयी लड़की को मेरे पास भेजा जा रहा था , ये सभी वही ओरते थी जिनकी कोख मुझे भरनी थी , 5 ओरतो के कोख में अपना वीर्य भरने के बाद भी मैं वासना की आग में जल रहा था, लेकिन मुझे थोड़ी चेतना जरुर आई , मैं खुद को स्वतंत्र करना चाहता था लेकिन उल्टे मैं वासना के भवर में फंस रहा था , ये ख्याल आते ही मैंने खुद को नियंत्रित करने की सोची , मेरा ये पागलपन गांव वालो के लिए और अम्मा के लिए भी एक मुसिबित बन चूका था , मैं बाहर जाने लगा तो मुझे लोगो ने रोका , कालू भी उनमे शामिल था …
“कुवर अम्मा का आदेश है आप बाहर नहीं जा सकते , आपको जो चाहिए वो हम आपको आपके कमरे में लाकर दे देंगे ..”
मैंने गुस्से से भरी आँखों से कालू को देखा , उसके चहरे में पसीने आ गए थे
“शांति मुझे शांति चाहिए “ मैंने दबे हुए स्वर में ही उससे कहा
“कहा रहती है महराज बताइए अभी आपकी सेवा में हाजिर कर देते है , अरे ये शांति कौन है “
पास खड़ा मुंशी थोडा सोचने लगा
“शायद महुआ की बहन का नाम है “
उसने सोचते हुए कहा
लेकिन उनकी इन हरकतों से मेरा दिमाग ख़राब हो गया था ,
“अबे चुतियो शांति मतलब , मन की शांति , मुझे मन की शांति चाहिए और ये मुझे इस कमरे में रहकर नहीं मिल सकता , जितना मैं सम्भोग करता हु उतना ही वासना और भी बलवती होने लगती है , ये एक श्राप सा है , मुझे एकांत चाहिए हटो सामने से वरना सबका सर फोड़ दूंगा “
मेरा गुस्सा देखकर वो थोड़े बाजु हुए
“कुवर , कोई पसंद आ जाए तो उसके घर चले जाना , सड़क में नहीं वरना अम्मा हमे मार डालेगी “
कालू ने हिम्मत करके कहा , मैं बिना कुछ बोले ही अपनी बुलेट उठा कर झरने की ओर चल पड़ा …
गांव में जो भी मुझे देखता वो वही जम जाता था ,कल की हरकत के बाद से सभी मुझसे डरने लगे थे , क्या मैं एक शैतान बन चूका हु ,
ये सवाल मेरे मन को खाए जा रहा था , अंकित भी अपने घर के सामने बैठा था हम दोनों की आँखे मिली वो उठ कर खड़ा हो गया लेकिन मैं अभी उससे बात नहीं करना चाहता था ..
मैं सीधे झरने के पास आकर निर्वस्त्र होकर झरने के निचे खड़ा हो गया , लेकिन ये पानी मुझे शांत नही कर पा रही थी , शायद वो अन्नू ही थी जिसका प्यार मुझे शांत कर सकता था लेकिन वो यंहा नहीं थी …
****************
इधर अंकित के घर में …
“नहीं भाभी वो मेरा बचपन का दोस्त है मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकता , आखिर अम्मा भी तो गई है ना डॉ साहब के पास , वो कोई ना कोई हल निकाल ही लेगी “
शायद ये जीवन में पहली बार था जब अंकित ने अपनी भाभी की बात नहीं मानी थी , गुंजन के हाथो में एक इंजेक्शन था , उसने बड़े ही प्यार से अंकित के सर को सहलाया और उसके हाथो को अपने पेट में रख दिया ..
“देख ये जो मेरे पेट के अंदर पल रहा है वो तेरा बच्चा है , तू क्या चाहता है की दुनिया वाले ये बोले की मेरा गर्भ भी उस कुवर ने भरा है , “
अंकित थोडा सकपकाया
“तो दुनिया वालो के सामने क्या बोलोगी की ये गर्भ भाई का है ??”
गुंजन मुस्कुराई
“नहीं छाती ठोककर बोलूंगी की ये गर्भ तेरा है , और मैं भी “
गुंजन अंकित के गोद में बैठ गई थी ..और उसके बालो को सहलाती हुई उसने अंकित के होठो को हलके से चूमा
“यंहा तो पूरा गांव ही कुवर ने नंगा कर दिया है , अब किस बात की शर्म “
गुंजन की बात सुनकर अंकित का सर झुक गया , वो कभी अपनी भाभी की पूजा करता था , उन्हें माँ के समान सम्मान देता था लेकिन कुवर के कारण उन दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता बन गया और ये वासना की आग कभी नहीं बुझी , छिप छिप कर ही सही लेकिन दोनों एक दुसरे के जिस्म की आग को बुझाते रहे ,एक निश्छल प्रेम कब वासना बन गई उन्हें पता ही नहीं चला …
“वो सब तो ठीक है भाभी पर निशांत को मारने की क्या जरुरत है , वो हमारा नुकसान नहीं करेगा “
गुंजन जोरो से हँसी
“कल देखा उसने क्या किया , बीच सड़क में जिसने अपनी खुद की माँ की इज्जत उतार दी वो तेरी या मेरी क्या फिक्र करेगा …”
अंकित को पता था की अम्मा निशांत की असली माँ है ,इसलिए वो गुंजन की बात पर चौका नहीं , असल में गुंजन ने ही उसे ये बताया था ..
“भाभी वो अन्नू के जाने के कारन सदमे में था , वो ठीक हो जायेगा , मैं उसे अच्छे से जानता हु , अभी जब वो घर के सामने से गुजरा तो मैंने उसकी आँखों में देखा था , उसकी आँखों में प्रायश्चित था , वो अपने कृत्य से दुखी है , मैं जानता हु वो दिल का बहुत अच्छा है “
गुंजन उसे गुस्से से घूरने लगी
“तुझे समझ नहीं आता क्या , वो शैतान है और एक शैतान की ओलाद भी , ये एक इंजेक्शन उसके शरीर में लगा दे बस , उसका सारा शरीर लकवाग्रस्त हो जाएगा फिर अगर तुझसे ना हो सके तो मैं ही उसका सर पत्थर से कुचल दूंगी …”
गुंजन की आँखों में अंगारे थी उसका ये रूप देख कर अंकित भी काँप गया …
“लेकिन भाभी इससे आखिर होगा भी क्या ..आपको इससे क्या मिलेगा ??”
गुंजन हँसने लगी और फिर गंभीर होकर अंकित के चहरे को हाथो से पकड लिया …
“अगर एक कुवर जायेगा तो दूसरा कुवर आएगा , तू मेरी जान तू , तू होगा दूसरा कुवर , इस गांव की सभी महिलाओ के योनी को भोगने वाला , सभी के गर्भ में अपना बच्चा डालने वाला , और अम्मा की सारी सम्पत्ति का अकेला वारिस , मैं तुझे राजा के दोस्त की तरह नहीं बल्कि राजा की तरह देखना चाहती हु , मैं तुझे वो शैतानी शक्ति दिलवाऊगी और फिर अम्मा के हवेली में तू अम्मा को ही कुतिया बना कर रखना , उसके गले में कुत्ते का पट्टा होगा और वो नंगी तेरे आदेश पर अपनी गांड हिलाएगी ,और मैं उसके बड़े से सिहासन में मैं सबके सामने तेरे गोद में बैठूंगी , तू यंहा का राजा होगा और मैं तेरी रानी “
गुंजन की बातो में जैसे सम्मोहन था , अंकित के सामने वो नजारा घुमने लगा , उसके शरीर में जैसे कोई करेंट दौड़ गया था , गुंजन ये बात समझती थी उसने अंकित का हाथ पकड कर अपने साड़ी के अंदर अपनी योनी पर टिका दिया …
“सोच मेरे राज जब हमें यु छिप छिप कर नहीं मिलना पड़ेगा , जब तू मुझे पुरे हवेली में दौड़ा दौड़ा कर भोगेगा , और मैं खिलखिलाते हुए अपने राजा की बांहों में समां जाउंगी “
अंकित का लिंग तनने लगा था , लेकिन था तो वो निशांत का दोस्त ही ..
“भाभी बस , ये सपना अच्छा है लेकिन , लेकिन मैं कुवर की जगह कभी नहीं ले सकता “
गुंजन के होठो पर एक मुस्कान आ गई
“ले सकता है , आखिर तुम दोनों का बाप एक ही तो है “
अंकित आँखे फाड़े गुंजन को देखने लगा , उसके माथे पर पसीना था और पूरा शरीर काँप रहा था , उसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ …
“क्या बोल रही हो ??”
उसके हर शब्द काँप रहे थे … गुंजन के होठो की मुस्कान और भी तेज हो गई
“हा वो तांत्रिक ही तुम्हारा असली बाप है और तुम्हारी माँ अपनी मर्जी से उसके पास जाया करती थी , तुम उसकी पहली ओलाद हो , उन दोनों के प्रेम का बीज जबकि निशांत … वो तो बलात्कार से पैदा हुआ है , निशांत ना केवल तुम्हारा नाजायज भाई है बल्कि वो तुम्हारे असली पिता का कातिल भी है “
अंकित को जैसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था , उसके आँखों के सामने अपनी माँ की छबि आ गई , कितनी सुन्दर थी उसकी माँ और कितनी भोली भाली सी , उसे यकीन नहीं हो रहा था की वो ऐसा कर सकती थी , वो चाहता था की गुंजन की बात झूठ हो लेकिन गुंजन के आँखों में उसने आत्मविश्वास देखा था ..
“लेकिन …”
वो कुछ बोलने ही वाला था की गुंजन ने उसके होठो पर उंगली रख दी
“ये बात गांव की कुछ ओरते जानती है ,अम्मा भी , सभी को पता है की तुम भी उसी तांत्रिक का खून हो लेकिन सभी ने तुम्हारी जगह निशांत को वो ताकत दी , तुम बड़े बेटे थे उस शक्ति पर पहला हक तुम्हारा था , मैंने कई बार ये बात सभी के सामने रखी लेकिन इस राज को कोई समाज के बीच नहीं खोलना चाहता इसलिए तुम्हारे पिता का सच सिमित लोगो को ही पता रहा , इसीलिए तुम्हारी जगह भाभियों की समिति ने निशांत को ताकत दिलवाई …”
अंकित का मन उधेड़ बन में लगा हुआ था , गुंजन ने उसका हाथ थाम लिया और अपने पेट में रख दिया
“अगर मेरे लिए नहीं तो इसके लिए ही सही , तुम्हे ये करना ही होगा अंकित , तुम्हे तुम्हारे होने वाले बच्चे की कसम है “
**************************
इधर झरने में
मैंने ठन्डे पानी से खुद को शांत किया और अपने जीवन के बारे में सोचने लगा , क्या क्या नहीं हो गया मेरे साथ , एक बार तो मैं मौत के मुह से बाहर निकला , जीवन पता नही और क्या क्या रंग दिखाने वाली थी …
एक गाड़ी की आवाज से मेरा ध्यान उस ओर गया , सामने से अंकित आ रहा था , उसके चहरे का रंग उड़ा हुआ था , मैं झरने से निकल कर उसके पास गया ,मैं अभी भी नग्न था …
“तुम यंहा क्या करे रहे हो , और इतने परेशान को दिख रहे हो “
मैंने उसके पास पंहुचा
“भाई मुझे माफ़ कर देना “
वो रो पड़ा और मेरे गले से लग गया , मैं कुछ समझ पता उससे पहले से मेरे पीठ पर कुछ चुभा और अंकित मुझसे अलग हुआ ..
“अबे ये क्या था ??”
वो बस रो रहा था ,मैंने उसके हाथो में एक इंजेक्शन देखा और आश्चर्य से अंकित की ओर देखने लगा , आखिर ये कर क्या रहा है … मैं कुछ समझने की कोशिस कर ही रहा था की मेरी आवाज लडखडाने लगी , हाथ पैर जैसे सुन्न होने लगे ,
“ये क्या है “ मैं बोला लेकिन बोल मुह से अच्छे से नहीं निकल पाए , मेरे पैरो ने जवाब दे दिया था , मैं जमीन में गिरने लगा
अंकित ने दौड़कर मुझे सम्हाला और मुझे उसी पत्थर पर सुला दिया ,
“माफ़ करना भाई , मुझे दौलत और ताकत की चाहत नही है ,लेकिन जिसकी मुझे चाहत है उसने मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया “
वो रोते हुए मेरे हाथो को थाम लिया , तभी मुझे वंहा किसी और के भी होने का अहसास हुआ , मैं अपना सर नहीं घुमा पा रहा था , पूरा शरीर ही शुन्य हो गया था , मेरा मेरे शरीर पर जैसे कोई अधिकार ही ना रहा हो ..
मैं निर्जीव सा बस उन्हें देखे जा रहा था ..
मुस्कुराता हुआ गुंजन भाभी का चहरा मेरे सामने आया …
“बहुत बढ़िया , देखो तो कितना सुंदर शरीर है इसका और ये ..”
उन्होंने मेरे लिंग को सहलाया
“इसके कारण पूरा गांव डरा हुआ था , अब सबको चैन मिलेगा और मैं बनूँगी इस गांव की रानी , और अम्मा होगी मेरी दासी हा हा हा “ वो जोरो से हँस पड़ी
मेरे कानो आवाज तो आ रही थी गुंजन का ये रूप देखकर मैं भी हैरान था लेकिन क्या करता …
“तुम अब यंहा से जाओ अंकित आगे जो होगा तुम उसे नहीं देख पाओगे “
“भाभी प्लीज … “
“जाओ यंहा से “
गुंजन जोरो से चिल्लाई अंकित अपने आंसू पोछता हुआ वंहा से निकल गया
भाभी ने एक खंजर आगे किया …
“तेरी एक एक बोटी काट दूंगी , किसी को पता भी नहीं लगेगा की तू कहा गया “
उनकी आंखे लाल थी और चहरा तमतमाया हुआ ….
उन्होंने खंजर मेरे गले में रखा और ..
खच ….
रक्त की धार मेरे गले से बहने लगी थी ………….
एक और बेहद ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है
गुंजन भाभी ने तो एक और धमाका कर दिया अंकित निशांत का भाई है मतलब दोनो का बाप एक ही है मां अलग अलग है और गुंजन अंकित के बच्चे की मां बनने वाली है गुंजन भाभी ने अंकित को बडे बडे ख्वाब दिखाकर और ब्लाकमेल करके निशांत को लकवा ग्रस्त करने का इंजेक्शन दे दिया और निशांत के गले पर खंजर फिरा दिया वो रानी बनना चाहती है अब आगे क्या होता है देखते हैं अगले अपडेट में
 

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अध्याय 28
खच की आवाज के साथ गुंजन ने मेरे गले में खंजर चला दिया था ,
खून के छीटे सीधे उसके चहरे में जा पड़े , वो किसी शैतान की तरह हँसने लगी …
मैं छटपटान चाहता था लेकिन कैसे ???
मेरा शरीर शुन्य था ,
खून की धार मेरे गले से बह रही थी , गुंजन ने फिर से अपना खंजर उठाया , इस बार निशाना सीधे मेरे दिल पर था , उसने अपने दोनों हाथो से मजबूती से खंजर को पकड़ रखा था उसने एक बार मुझे देखा और अपना हाथ चला दिया …
लेकिन ये क्या …
बूम ..
वो दूर जाकर गिरी , मैं अपना सर घुमा कर देखने में नाकाम रहा की आखिर हुआ क्या , लेकिन तभी मेरे सामने जो आकृति उभरी उसे देख कर मेरा मन ही खुश हो गया था …
“कुवर ,ये कहा फंस गए आप “
उसने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे गले में बस अपनी उंगलिया चला दी , मेरे गले का जख्म अपने आप ही भरने लगा था , खून बहना रुक गया था …लेकिन मेरा शरीर अब भी नहीं हिल रहा था …
“आखिर आपको हुआ क्या है “
उसने इधर उधर देखा तो उसे खाली इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई दिया
“क्या दिया है इस डायन ने आपको “
उसकी आँखे लाल होने लगी थी , उसने सीधे मेरे सर में हाथ रखा और आँखे बंद कर ली , अचानक से एक तेज उर्जा का संचार मेरे तन बदन में हुआ जैसे किसी ने मेरे नशों में फिर से जान भर दी हो …
“कोकू …”
मेरे मुह से निकला , उसने प्यार से मरे सर में हाथ फेरा लेकिन उसकी आँखे गुस्से से अभी भी लाल थी .
वो गुंजन की तरफ बढ़ गई उसने हाथो से इशारा किया और गुंजन हवा में लटकने लगी …
गुंजन को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या बला है ???
“बचाओ …कोई बचाओ “ गुंजन जोरो से चिल्लाने लगी ..
मैं कोकू के पास जाकर खड़ा हो गया था …
“मेरे कुवर को छूने की तुमे हिम्मत भी कैसे की , अब देख मैं तुझे कितनी दर्दनाक मौत देती हु “
कोकू ने गुस्से में कहा लेकिन तभी ..
“रुक जाओ , निशांत रोक ले इसे नहीं ऐसा मत करो “
भागता हुआ अंकित वंहा आया , कुछ देर के लिए वो भी कोकू को आश्चर्य से देखने लगा लेकिन फिर वो मरे पैरो में गिर गया …
“भाई इसे छोड़ दे ,माफ़ कर दे इसके पेट में मेरा बच्चा है ..”
मैंने आश्चर्य से अंकित की ओर देखा
“भाई तू चाचा बनने वाला है , उसी बच्चे की खातिर मुझे इसकी बात माननी पड़ी , चाहे हो मुझे मार ले लेकिन इसे छोड़ दे “
वो मेरे पैरो को पकडे हुए रो रहा था , मैंने कोकू का हाथ थाम लिया ..
“नहीं मेरी जान , ये मेरे भाई की गर्भवती है “
वो आश्चर्य और बेचैनी से मुझे देखने लगी
“इन दोनों ने मिलकर तुम्हारी जान लेने की कोशिस की है “
वो चिल्लाई लेकिन मैं बस मुस्कुराया
“जैसा भी है लेकिन मैं अपने दोस्त को सजा दे सकता हु उसके होने वाले बच्चे को नही , एक बार मुझसे गलती हुई थी , ये मुझसे दूर हो गया था लेकिन फिर भी मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ा रहा , कम से कम इस बात के लिए तो मैं इसे एक बार माफ़ कर ही सकता हु , तुम्हे मेरी कसम है इन्हें छोड़ दो …”
कोकू का गुस्सा शांत हो गया था उसने गुंजन को नीचे उतार दिया और मेरा हाथ जोरो से थाम लिया ..
“याद रखना कुवर मेरा है , अगर किसी ने इसके तरफ आँखे भी उठाई तो आँखे नोच दूंगी “
कोकू ने मेरा हाथ थमा और उसने मुझे हवा में उड़ा दिया …
“हम कहा जा रहे है ??”
मैंने उसे इतना बेचैन कभी नहीं देखा था
“यंहा से बहुत दूर …”
उसने मुझसे बस इतना ही कहा ……….

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शहर सुवालाल जी(अन्नू के पिता ) का घर ….
“आखिर ये हुआ कैसे “
सुवालाल जी की बात सुनकर अम्मा परेशान थी , डॉ चुतिया से मिलने के बाद वो अब्दुल और बलवंत के साथ सुवालाल के पास अन्नू से मिलने आई थी , एक वही थी जो निशांत के अंदर के शैतान को सम्हाल सकती थी …लेकिन यंहा तो मामला ही अलग हो चूका था ..
“क्या बताऊ अम्मा , जब से गांव से आई थी बस दिन रात रोना , ना ढंग से खाती थी ना पीती थी , मैं भी परेशान था , लेकिन आज पता नहीं क्या हुआ , वो कमरे में नहीं थी , बहुत ढूंढा सोचा आसपास कही गई होगी लेकिन वो नहीं मिली , सोचा था आपसे बात करके पुछू की कही वो फिर से गांव तो नहीं चली गई लेकिन अब आप लोग ही यंहा आ गए …”
“आखिर वो गई कहा ??”
अम्मा जैसे खुद से बडबडाई
इस बीच अब्दुल बोल उठा
“मैं जन्हा तक अन्नू को जानता हु वो बहुत ही समझदार लड़की है वो कही भी ऐसे ही नहीं चली जायेगी , उसे अपने दुःख का सामना करना आता है , मैं अभी यंहा के sp से बात करके उसे पूरा जोर लगाने को कहता हु , फिक्र मत कीजिए प्रशासन और पुलिस आपके साथ है , हम पूरा जोर लगा देंगे “
अब कोई कहता भी तो क्या ही कहता , कमरा अंदर से बंद था और अनु कही गायब थी , बस उसके कमरे की खिड़की खुली हुई थी लेकिन दो मंजिल उपर के कमरे से आखिर वो खिड़की से कैसे निकल सकती थी ????

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इधर एक सुनसान कमरा
“कौन है ?? कौन है यंहा …दरवाजा खोलो “
अन्नू की आँखों में आंसू था वो आज सुबह से बस यही चिल्ला रही थी और बार बार दरवाजे को पिट रही थी लेकिन कही से कोई जवाब नहीं आ रहा था …
आखिर वो यंहा पहुची कैसे ???
उसने सोचने की बहुत कोशिस की
रात वो निशांत की याद में खूब रोई थी , एक कुवरगढ़ से आने के बाद से उसने एक अन्न का दाना अपने मुह में नहीं डाला था , रोते हुए कब उसकी नींद पड़ लग गई उसे पता भी ना चला ,जब नींद खुली तो वो इस कमरे में थी …
बेचैन और परेशान वो बस बार बार अपने कुँवर को ही याद किये जा रही थी ,,
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय मनभावन अपडेट है
कोकू ने निशांत को बचा लिया जब कोकू गुंजन के गुनाह की सजा देने जा रही थी तब अंकित वहा आ कर गुंजन के गर्भ में अपना बच्चा हैं कहकर माफी मांगता हैं और निशांत दोस्ती के खातिर उसे माफ भी कर देता हैं
ये कोकू निशांत को कहा उडा ले गई और अन्नु अपने कमरे से कैसे गायब हो कर किसी अज्ञात कमरे में कैसे पहुंच गयी। क्या कोकु ने तो नही क्या ये काम या कोई और भी तांत्रिक है
देखते हैं आगे क्या होता है
 
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