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Adultery भाभियों का रहस्य

Dungeon Master

Its not who i am underneath
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अध्याय 6
सुबह के 10 बजे थे जब हम डॉ चुतिया के पास गए , मैंने अपने साथ अन्नू को भी ले गया था , क्योकि मेरे लिए ये जानना भी जरुरी था की आखिर उसने क्या सपना देखा था ..
अब्दुल और मैं अन्नू कार से कॉलेज के लिए निकले थे , अन्नू बड़े ही मुस्किल से जाने के लिए मानी थी , उसे अब भी लग रहा था की मेरे साथ होने पर वो खुद को काबू नहीं कर पायेगी लेकिन मेरे समझाने से वो भी समझ गयी , वो अब शांत थी लेकिन जिस अन्नू को मैं जानता था वो उससे अलग थी , वो जैसे अपने ही ग्लानी में जल रही थी , मेरे समझाने पर भी उसका कोई असर नहीं हुआ , शायद डॉ चुतिया ही उसे समझा पाए , पुरे सफ़र कोई कुछ भी नहीं बोल रहा था , आखिर कालेज आने पर हम डॉ की केबिन की ओर बढे ..
“रुको आप यही बैठो हम देखकर आते है “
अब्दुल ने अन्नू से कहा , बाहर रखी एक कुर्सी पर अन्नू को बैठा कर हम दोनों अंदर गए ..
अंदर का नजारा देख कर हम दोनों ही सकते में आ गए थे , एक अधेड़ उम्र का आदमी अपनी बेंच के पीछे कुर्सी में आराम से फैला हुआ था , उसकी आँखे बंद थी , ऐसा लग रहा था जैसे की किसी आनंद में खोया हुआ हो , वही वो हलके हलके हांफ भी रहा था , उसका शरीर पसीने से भीगा हुआ था वो दुनिया भूलकर अपनी ही मस्ती में बैठा हुआ था ..
“सर …”
अब्दुल बोल उठा ..
सामने बैठा शख्स हडबडाया
“अरे अब्दुल … रामलाल ने तुम्हे रोका नहीं ??”
“सर बाहर तो कोई नहीं है “
वो चुप हो गया और जल्दी से नीचे देखते हुए कुछ करने लगा , शायद अपने पेंट की जिप लगा रहा था ..
“ये साला रामलाल पूरा काम कामचोर है , मरवाएगा एक दिन “ वो खुद से बडबडाने लगा , तभी बेंचे के अंदर से एक लड़की प्रगट हुई , हम दोनों को देखकर वो भी चौकी उसके हाथ अपनी जीभ को पोछ रहे थे , इस बार तो मैं दोनों भी चौके क्योकि वो हमारे ही गांव की रमला थी , अब्दुल के साथ ही यंहा पढ़ती थी ..
“हाय दइया कुवर जी “ वो बच्चो जैसे उछल पड़ी
वो वंहा से भागी और हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़ी हो गई
“कुवर जी माफ़ी … किसी को कुछ मत कहियेगा पलीज “
मैंने आँखों से ही संतुस्ट किया की मैं किसी से कुछ नहीं करूँगा , अब तक डॉ भी सम्हाल कर बैठ चूका था
“तुम दोनों को इतनी भी तमीज नहीं है की किसी के केबिन में जाने से पहले दरवाजा खटखटा लो “
वो थोड़े गुस्से में बोला
“सॉरी सर वो ..”
अब्दुल ने कुछ कहा ही था की उन्होंने चुप रहने का इशारा कर दिया , एक काला सा अधेड़ उम्र का सिंगल पसली आदमी , बड़े बड़े बाल और हलकी बढ़ी दाढ़ी कही से भी कोई विद्वान नहीं लगता था , और उपर से उसकी ऐसी हरकत …
मैं निराश हो गया था , मैं कहा इसके चक्कर में पड़ गया ये तो साला पूरा ठरकी है , अपनी स्टूडेंट से सुबह सुबह अपने केबिन में बैठा चुसवा रहा था ..
“कोई बात नहीं आओ बैठो “ उसने कडक स्वर में कहा और फिर नजरे मुझपर गडा दी
“तो तुम हो कुवर निशांत जी अम्मा के भतीजे “
उसने मुझे घूरते हुए कहा , मैंने हां में सर हिला दिया
“हम्म्म तुम मेरे पास क्या कर रहे हो ..?? कही तुम्हे कोई सपना तो नहीं आया “
उसकी बात सुनकर मैंने अब्दुल को देखने लगा उसने अपने कंधे उचका दिए , अभी तक मैंने अब्दुल को सपने की बात नहीं बताई थी मैंने बस डॉ से मिलने की इच्छा जाहिर की भी , डॉ के मुह से सपने की बात सुनकर मैं भी सम्हल कर बैठ गया …
“ओह अब्दुल तुम बाहर जाओ मुझे कुवर जी से कुछ बात करनी है “
अब्दुल चुप चाप उठकर बाहर चला गया ..
डॉ ने एक बार मुझे देखा और हलके आवाज में बोले
“तुम्हारे अलावा और किसे सपना आया है, क्या तुम उसके बारे में भी जानते हो , कोई कुवारी लड़की होगी ..तुम्हारी कोई बहन तो है नहीं तो शायद कोई ऐसी जो तुम्हारे बहन के सामान हो , कोई दोस्त या कोई रिश्तेदार “
मैं बुरी तरह से चौका इसे ये सब बाते कैसे पता , मैं कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया की आखिर ये साला है कौन ? और अपने राज इसे बताना क्या सही होगा, ये मुझे जानता है मेरा नाम और पहचान इसे पता है , और ये भी मुझे कोई सपना आया और ये भी की किसी और कोई भी ये सपना आया है जो मेरे करीब है …
मुझे सोचता देखकर वो फिर से बोल उठा
“कोई तो होगी जिसने तुम्हारे साथ कुछ अजीब सी हरकत की होगी जो उसे नहीं करनी चाहिए थी , या तुम्हारे बीच सब हो गया ??”
मैंने ना में सर हिलाया
“ओह तो तुम्हे पता है की वो कौन है ??”
वो बड़े ही परखी नजरो से मुझे देख रहा था , मैंने भी उसे सच बताने का फैसला कर लिया
“जी … वो मेरी दोस्त है अन्नू , मेरे साथ ही गांव आई है , उसे भी कुछ अजीब सा सपना आया है , क्या ये मुझे नहीं पता , लेकिन हम दोनों ही काफी परेशान है “
“ओह अभी कहा है वो??? “
“बाहर बैठी है …”
मेरी बात सुनकर डॉ का चहरा चमक गया था .. मुझे फिर से फिक्र हुई की कही मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा हु , लेकिन ये आदमी इतना कुछ जानता है की मुझे एक आश भी बंध गई थी की शायद ये मुझे कोई रास्ता दिखा सके , शायद ये बता सके की ये सपना था या हकीकत …
डॉ के चहरे में एक अजीब सी चमक थी वो उठ खड़ा हुआ ..
“अभी मेरे लेब चलो तुम लोगो से मुझे बहुत सारी जानकारी चाहिए , और हां अब्दुल का यंहा कोई काम नहीं उसे घर भेज दो “
उसकी इस तत्परता ने मुझे थोडा डरा दिया था , जिसे शायद वो भी भांप गए
“डरो नहीं मैं तुम दोनों की मदद कर सकता हु , और शायद मैं ही तुम दोनों की मदद कर सकता हु ..”
“हमे क्या हुआ है डॉ …??”
मेरे चहरे में एक अजीब सा भय था लेकिन डॉ मुस्कुराया
“तुम अब दुनिया का सबसे खुशनशीब इंसान हो सकते हो , या फिर सबसे बदनसीब … मेरे साथ रहोगे तो मैं ध्यान रखूँगा की तुम सबसे खुशनसीब बनो , तुम्हे अब वो चीजे मिल सकती है जिसे पाने को लोग तरसते है …”
उसने बड़े ही कान्फिडेंस के साथ कहा
“क्या ये सपना सच था ..??”
मेरे सवाल पर वो फिर से मुस्कुराया
“आधा सच आधा सपना … बस अब कोई प्रश्न नहीं , लेब चलते है वही बात करेंगे “
वो अपना बेग लेकर उठ खड़ा हुआ
****************************
कालेज से थोड़े ही दूर उसका घर था जन्हा उसने एक कमरे में अपना ऑफिस बना रखा था , लेब बस कहने को था बल्कि उसे ओफ्फिस या क्लिनिक कहे तो ज्यादा अच्छा रहेगा , कुछ किताबे इधर उधर पड़ी थी जिनमे से एक पर मेरी नजरे गढ़ गई …
“साइकोलॉजी ऑफ़ सेक्स …” मैंने मन में ही बुदबुदाया , लाल रंग की मोटी सी किताब थी , डॉ मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था मैंने झट से किताब नीचे रख दी …
“पहले तुम आओ ”
उसने अन्नू को देखते हुए कहा जिस अभी तक ये समझ नहीं आ रहा था की आखिर हम लोग यंहा कर क्या रहे है , ऐसे ये तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा था , अन्नू अभी भी बहुत ही नर्वस थी लेकिन डॉ ने उसे सांत्वना और लाड दिखाते हुए उसे एक बिस्तर नुमा चेयर पर बिठा दिया , उन्होंने अपने जेब से एक बड़ा सा कांच जैसा टुकड़ा निकला जो की एक धागे से बंधा हुआ था , मैंने फिल्मो में देखा था इससे लोगो को सम्मोहित किया जाता था , उन्होंने भी ये धागा अन्नू के सामने घुमाना शुरू कर दिया ..
“बस इसे देखते जाओ , अब तुम्हे नींद आ रही है …तुम्हारी आंखे भारी हो रही है , बोझिल आँखे अब बंद होने लगी है , तुम शांत होते जा रही हो , शांत होते जा रही हो , शांत होते जा रही हो , तुम गहरी नींद में जा रही हो ,गहरी नींद में जा रही हो ,गहरी नींद में जा रही हो ,अब तुम्हे सिर्फ मेरी आवज सुनाई दे रही है , सब अँधेरा सा है , और कुछ सुनाई नै दे रहा है … अगर तुम मेरी आवाज सुन रही हो तो अपना दाया हाथ उठाओ ..”
मैं फटी आँखों से ये देख रहा था , कितना आश्चर्य था की एक मिनट के अंदर ही डॉ ने अन्नू को सम्मोहित कर लिया था और अन्नू उनकी आज्ञा का पालन करने लगी थी , अन्नू ने अपना दांया हाथ उठाया
“अब इसे नीचे रख दो , अब तुम आराम की अवस्था में हो , बिलकुल आराम की अवस्था है , अब तूम पीछे जा रही हो ,तुम एक दिन पीछे जा चुकी हो , बताओ तुम क्या कर रही हो “
डॉ ने बार मेरी ओर देखा वो बहुत ही सीरियस दिख र्रहे थे ,उनकी काबिलियत पर मुझे विश्वास होने लगा था , उन्होंने अपने मुह में उंगली रखकर मुझे बिलकुल चुप रहने का इशारा किया …
वही अन्नू बोलने लगी ..
“मैं अभी बिस्तर में लेटी हुई हु “
“वक्त क्या हो रहा है “
“रात के ग्यारह बजे है “
“तुम्हे लेटकर क्या सोच रही हो “
“निक्कू , मेरा निशांत .. हाय मुझे ये सोच कर कितनी शर्म आ रही है ..”
मैंने देखा अन्नू के चहरे में शर्म के भाव उभर गए वो अभी सम्मोहन में थी और आधी लेटी हुई थी , उसका शरीर भी नहीं हिल रहा था लेकिन चहरे के भाव साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहे थे ..और वो मुझे निक्कू बोल रही थी , आज तक उसने मुझे इस नाम से नहीं बुलाया था , हा एक दो बार उसने मुझे निक नाम से बुलाने और कोई छोटा नाम बनाने की कोशिस की थी , जिसमे निक्कू भी एक था , लेकिन मुझे ये सब पसंद नहीं था , अच्छा खासा नाम था मेरे पास ..
“क्या किया निशांत ने जो तुम्हे शर्म आ रही है “
“हाय … वो कुछ करता ही तो नहीं , मैंने उसे बता दिया की मेरे दिल में क्या है , लेकिन … ये दोस्ती की लकीर ना होती तो आज .. कितनी बेचैनी लग रही है , क्यों उसने मुझे ठुकरा दिया , कब वो मेरे अंदर डालेगा हाय , आह ..”
अन्नू के मुह से मादक सिसकिया सुनकर मेरी हालत ख़राब होने लगी , कल रात ये मेरे बारे में ही सोच रही थी ??
अन्नू अपनी जीभ को अपने दांतों से काट रही थी , और सिसकिया ले रही थी
“तुम क्या कर रही हो ??”
डॉ ने हलके से पूछा
“तकिये से अपनी बुर रगड़ रही हु , कितना मजा आता है इसमें , ये सोच कर मेरी खुजली बढ़ रही है की निक्कू इसमें अपना डालेगा .. आह कितना मजा है इसमें “
“तुम क्यों पीछे हट रही हो.. वो तो तुम्हे माना नहीं करेगा, वो भी तो बहक सकता है “
डॉ की बात सुनकर ,अन्नू का चहरा उदास हो गया
“वो मुझसे प्यार करता है बहुत प्यार , मेरी दोस्ती की क़द्र है उसे , वो आम लडको जैसा नहीं है जो लड़की देखकर अपनी लार टपका देते है , वो मेरे साथ ऐसा कभी नहीं करेगा , लेकिन मैं ही पापी हु जो उसके बारे में ऐसा सोच रही हु “
अन्नू रोने लगी थी , शायद फिर से ग्लानी का भाव उस पर हावी होने लगा था , एक ही समय में दो परस्पर विरोधी भावनाओ का सामना करना कितना दुखदाई होता है ये मैं साफ साफ देख रहा था ,एक तरफ जिस्म की गर्मी थी तो दूसरी तरफ प्यार की कोमलता , मखमल में जैसे आग लग गई हो और फिर भी मखमल की कोमलता का अहसास करना हो ,हाथ का जलना तो अब लाजमी ही था …
अब क्या दोस्ती के बंधन को तोड़ देना ही उचित है या फिर इसी आग में अन्नू हमेशा जलती रहेगी , क्या मुझे कुछ करना होगा ..??
मैं दुविधा और दुःख से भरा अन्नू को देख रहा था , उसकी तकलीफे मुझे तकलीफ पंहुचा रही थी , डॉ ने इस बार मुझे देखा इस बार उनका चहरा शांत था ..
“तुम और आगे जाओ एक रात पीछे जाओ , अब तुम कहा हो “
“मैं सोयी हुई हु “
“तुम अकेली हो , कहा हो तुम ??”
“हा , अपने कमरे में ..”
“कैसा महसूस कर रही हो …???”
“बहुत थकान है ,गहरी नींद में हु “
डॉ के चहरे में एक सिलवट सी आई , उन्होंने मुझे थोडा अलग बुलाया
“तुम्हे सपना कब आया था “
“परसों ..??”
“क्या सपने में तुम दोनों कही गए थे ..??”
मैं चौका ये साला क्या सब जानता है ??
“हा नदी किनारे “
“समय क्या था ..??”
“शाम का समय था ..”
डॉ फिर से अन्नू के पास पहुच गए
“थोडा और पीछे जाओ , देखो तुम कहा हो शाम को तुम कहा हो “
अन्नू के चहरे में हँसी आई
“मैं अम्मा के साथ हु , वो कितनी अच्छी है , कितना प्यार करती है मुझे , वो मेरे लिए मेरी फेवरेट सब्ब्जी बना रही है “
डॉ सोच में पड़ गया …थोड़ी देर तक सोचता ही रहा
“अभी निशांत कहा है ..”
“वो शहर से आते ही सो गया , अभी तक नहीं उठा “
डॉ का चहरा जैसे पिला पड़ने लगा था , उसके इस अजीब से बर्ताव को देखकर मैं भी चिंतित होने लगा , आखिर वो ढूंढ क्या रहा है …??
“खाना खाकर तुम कहा गई थी …??”
“मैं अपने कमरे में सोने आ गई “
“अभी निशांत कहा है ..??”
“वो अपने कमरे में सो रहा है “
“क्या तुम उसके कमरे में जाकर उसे देखा ??”
“हा वो अपने कमरे में सो रहा है ..”
“तुम अपने कमरे में आ गई हो , बताओ क्या निशांत ने तुम्हे रात में जगाया “
डॉ की बात सुनकर मैं भी अचरज में पड़ गया था , ना ये सपने से मेल खा रहा था ना ही जिसे हम हकीकत समझ रहे थे उससे , हम शाम को नदी के किनारे नहीं गए तो फिर जो भी मैंने देखा वो मात्र एक सपना होना चाहिए था , और गए थे तो रात को तो मुझे सर पर चोट लगी थी उसके बाद का कोई होश नहीं था , फिर आखिर ये रात वाला क्या सीन आ गया
अन्नू अभी भी चुप थी ..
“बताओ क्या रात में सोते हुए तुम्हे निशांत ने जगाया था “
“हा ..”
डॉ ने अपनी कुर्सी में थोड़े बेचैनी से करवट लिया और माथे में आये पसीने को रुमाल से पोंछा , उसके साथ साथ मैं भी आश्चर्य में था ..
“क्या कहा उसने तुमसे ..”
“उसने दरवाजा खटखटाया , मैंने उस सोते रहने को डांटा , वो मुझे हमेशा नदी घुमाने ले जाता था , लेकिन आज थके होने के कारन आते ही सो गया था , “
“उसने क्या कहा ..”
“उसने कहा की आज चांदनी रात है , झरने के पास चलते है , वंहा चांदनी का उजाला भी होगा और शांति भी “
मैं अन्नू की बात सुनकर बिलकुल ही हैरान था , झरना तो गांव से बहुत दूर पड़ता था आखिर रात में मैं उसे वंहा क्यों ले जाता …
डॉ ने फिर से अपना पसीना पोंछा
“तुम वंहा पहले भी गई हो ..??”
“ नहीं लेकिन निशांत वंहा अपने दोस्त के साथ जाता है , वो लोग वंहा बैठकर शराब पीते है , उसने मुझे कई बार बताया था और वंहा ले जाने का वादा भी किया था “
डॉ ने एक बार मेरी ओर देखा , मैंने हां में सर हिलाया , मैंने कई बार उससे उस झरने का जिक्र किया था जन्हा मैं और अंकित बैठकर शराब पिया करते थे ..
“उसके बाद क्या हुआ ???”
“हम दोनों झरने की ओर चल पड़े , हम उसकी बुलेट में वंहा गए थे “
“तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है , निशांत कैसा है …”
“बहुत ही प्यारी जगह है , झरने की आवाज रोड तक आ रही है , निशांत थोडा बेचैन है , वो मेरे हाथ को पकड कर खिंच रहा है , वो कह रहा है की जल्दी से झरने के पास चलो , आज की रात बहुत अच्छी है “
डॉ और मैं दोनों ही आँखे फाडे उसकी बात सुन रहे थे आखिर ये हुआ कब था , मेरा दिमाग फटा जा रहा था
“फिर क्या हुआ “ डॉ ने हलके से कहा और अन्नू ने बोलना जारी रखा ..
“वंहा एक बड़ा सा पत्थर है , किसी तबुतरे जैसा “
डॉ ने मेरी ओर देखा , हा वंहा एक बड़ा सा पत्थर है , मैं भी जानता हु , झरने के बिलकुल ही करीब , मैं और अंकित वंहा बैठकर कई बार दारू पि चुके है , झरने के पास होने पर झरने का पानी वंहा तक छिटकता है इसलिए वो पत्थर हमेशा गिला रहता है …
“आगे क्या हुआ ..??”
डॉ ने फिर अन्नू से पूछा
“वो मुझे उस पत्थर की ओर ले जा रहा है , वो बहुत ही जल्दी में है , मैं उसे ऐसा करने से माना कर रही हु लेकिन वो जैसे अपने होश में ही नहीं है “
अब मेरे चहरे में भी पसीना आ गया था , ये वही पत्थर था जिसमे अंकित ने कई लडकियों को पेला था , वो कहता था की इस पत्थर में जादू है , इसके उपर लिटा के किसी को पेलने में मजा ही आ जाता है …
अन्नू ने आगे कहा
“वो मुझे झरने के करीब उस पत्थर के पास ला चूका है “
वो चुप हो गयी
“फिर क्या हुआ ..” डॉ ने बहुत ही धीरे से कहा
“नहीं निशांत ये क्या कर रहे हो , नहीं ओओहह आआआअ , मैं मर जाउंगी ये क्या हो रहा है ….. आआआ “अन्नू जोरो से चिल्लाई और छटपटाने लगी
डॉ तुरंत उसके सर के पास पंहुचा …
“शांत हो जाओ शांत हो जाओ शांत हो जाओ , तुम शांत हो तुम अपने कमरे में हो , तुम सो रही हो , तुम समय में आगे बढ़ रही हो , तुम शांत हो , तुम शांत हो ..”
अन्नू को छटपटाते हुए देख कर मेरी हालत भी ख़राब हो गई थी लेकिन डॉ ने उसे तुरंत ही सम्हाल लिया , अन्नू शांत होने लगी ..
“जैसे ही मैं तुम्हे उठने कहूँगा तुम धीरे धीरे अपनी आँखे खोलोगी , मेरे चुटकी बजाते ही तुम हमें बताई सारी बाते भूल जाओगी , तुम वैसे ही रहोगी जैसा तुम यंहा आने से पहले थी , तुम्हे कुछ याद नहीं रहेगा ,,, “
डॉ ने चुटकी बजाई और अन्नू को उठ जाने को कहा ..
अन्नू ने आँखे खोली और आश्चर्य से हमें देखा ..
“आपने मेरे साथ क्या किया ..” उसने उठते हुए डॉ से पूछा
“कुछ भी तो नहीं , मैं तो तुम्हे सम्मोहित करने की कोशिस करता रहा और तुम खर्राटे मरते हुए सो गई “
डॉ ये बोल कर हँसने लगा , मैं भी उनके साथ दिखावा करते हुए मुस्कुराया
“हा थोड़ी थकावट सी महसूस हो रही है मुझे “
वो अंगड़ाई लेते हुए बोली
अन्नू की ये हालत देख कर मेरा दिल बैठा जा रहा था , मैं उससे लिपटकर रोना चाहता था लेकिन मैंने खुद को काबू में किया …
“अन्नू अब तुम बाहर जाकर बैठो , चाहो तो थोड़ी देर आराम करो “
उन्होंने नौकर को बुलाकर अन्नू को गेस्ट रूम में भेज दिया ..
अन्नू के जाते ही मैं बेचैन हो उठा
‘डॉ ये क्या था .. क्या अन्नू ने कोई सपना देखा था ???”
मन में अब कई सवाल थे और जवाब को जानने को मैं बेचैन हो रहा था ..
“नहीं निशांत अन्नू ने जो कहा वो सब सच है , लेकिन ये बात तुम दोनों को याद नहीं “
मैं धडाम में कुर्सी में बैठ गया , आखिर उस रात क्या हुआ था , क्यों हम दोनों को सपने आये , क्यों अन्नू मुझे पाने के लिए बेचैन थी ,क्यों मैं स्त्री सम्भोग के लिए बेचैन हुआ जा रहा था , क्या मैंने अन्नू के साथ कुछ गलत किया था , अगर किया था तो अन्नू ने आगे कुछ क्यों नहीं कहा , पत्थर के पास पहुचने के वाकये के बाद वो चिल्लाने क्यों लगी …. मेरा दिमाग फटने लगा था वही डॉ का चहरा भी गम्भीर हो गया था ..
अब इन सवाल कोई दे सकता था वो शख्स यही हो सकता था ..
डॉ चुन्नीलाल यरवदा वाले उर्फ़ डॉ चुतिया ………….
:blush: जहा निशांत सहारे के लिए डॉक्टर के पास पहुचा उधर साला डॉक्टर ही गाँव की रमला को सहारा दे रहा था, डॉक्टर चालू लगता है किसी को भी अपना इन्जेक्शन लगा देता है। :hinthint2:

अपडेट बहुत ही अच्छा था, पढ़कर मजा आया रोमांच फ़ील हुआ, अब अन्नू के सपने का राज जल्द ही खुल जाएगा। लगे रहो डॉक्टर साब, कहानी मस्त जा रही है। :claps:
 

Sanju@

Well-Known Member
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18,904
158
अध्याय 7

मेरी आँखे डॉ पर जमी हुई थी , मन में बेचैनी बढ़ने लगी थी
“अब क्या आप मुझे भी सम्मोहित करने वाले है डॉ “
आखिर ख़ामोशी को तोड़ते हुए मैंने कहा
“नहीं जो जवाब अन्नू ने दिया है तुम भी वही दोगे “
“आप इतने विस्वास के साथ कैसे कह सकते है ??”
“क्योकि तुम पहले नहीं हो जो इस श्राप के शिकार हुए हो “
मेरी आँखे खुल गई , मैं चौकन्ना हो गया था
“मतलब …???”
“मतलब ये की ये श्राप सदियों पुराना है ,हमने मिलकर इसे ख़त्म कर दिया लेकिन इसका कुछ असर अब भी बाकी है , और तुम इसके शिकार हो गए “
“आखिर ये श्राप है क्या …???”
मेरी उत्त्सुकता बढ़ने लगी थी
डॉ ने एक गहरी साँस ली
“ये एक राज है जिसे कई लोग जानते है , अब तुम सोचोगे की ये कैसा राज हुआ जिसे कई लोग जानते है .. यही इस राज की खासियत है की ये जितना जाहिर है उतना ही छुपा हुआ है , हर आदमी इसे अपने नजरिये से जानता है ,लेकिन इसकी असलियत मैं आज तुम्हे बताता हु , मैं इसे तुम्हे इसलिए बता रहा हु क्योकि अगर तुमने इसे नहीं समझा तो समझ लो की तुम बुरी तरह से फंस जाओगे , वासना और हवास के दलदल में फंसकर तुम अपना और दूसरो का भी नुकसान कर सकते हो …क्या तुम तैयार हो “
मैं डॉ की बात सुनकर हैरान परेशान था , ये आदमी इतना बिल्डअप किये बिना भी तो बता सकता है , साला दिल की धड़कने बढ़ा रहा है , मैंने भी एक गहरी साँस ली सोचा देखते है की आखिर क्या ऐसा राज है जो जाहिर भी है और छुपा हुआ भी है ..
“जी डॉ बोलिए मैं तैयार हु “
“सुनो बात कई साल पहले की है बादलपुर गांव को एक तांत्रिक ने श्राप दिया था ,वो तात्रिक गांव के ही प्रधान का भाई था , लेकिन गांव के नियमो का ना मानने वाला एक विद्रोही , बादलपुर गाँव कभी आसपास में सबसे समृद्ध और खुशहाल हुआ करता था , वंहा की परंपरा में प्रेम और आपसी भाईचारा घुला मिला था , लोग रिश्तो का आदर करते और प्रेम से रहते , कोई भी पाप कहे जाने वाला कृत्या वंहा बर्दास्त नही किया जाता , लेकिन प्रधान का भाई इन सबके खिलाफ था , वो कहता की जिस्म की जरूरतों के लिए किसी का भी भोग नाजायज नहीं है , प्रधान उससे परेशान हो चूका था लेकिन वो सब सह लेता अगर उसके भाई ने वो कृत्य ना किया होता …”
मैं डॉ की बात ध्यान से सुन रहा था , मेरी उत्सुकता और भी बढ़ने लगी
“कौन सा कृत्य ???”
डॉ मुस्कुराए
“एक ऐसा कृत्य जिसे दुनिया पाप मानती है और बादलपुर के लोगो के लिए तो वो परम पाप था … खून के रिश्ते में जिस्मानी सम्बन्ध बनाना , प्रधान के भाई ने अपनी सगी बहन से प्रेम करने का जुर्म कर दिया , दोनों ही एक दुसरे के प्रेम में थे और दोनों के बीच जिस्मानी संबध स्थापित हो गए … ये बात गांव वालो को पता चली तो चारो तरफ हल्ला मच गया , प्रधान का भाई उस समय वंहा नहीं था , गांव वालो ने उसकी बहन को जिन्दा जला दिया … “
हम दोनों ही खामोश थे
डॉ ने आगे बोलना जारी रखा
“गांव वालो ने जो जगह चुनी थी वो वही जगह थी जन्हा प्रधान का भाई साधना किया करता , वो काले जादू की साधना करता , जब वो वापस आया तो वो पागल सा हो गया , गांव वालो को श्राप दे दिया की तुम सब पापी हो जाओगे , होशो हवास खोकर वासना में अंधे होकर किसी से भी जिस्मानी सम्बन्ध बनाने लगोगे , उसने इसके लिए खुद की बलि दे दी , इससे पहले की वो श्राप गांव में फैलता प्रधान और गांव के पंडित ने उस श्राप को उसी जगह कैद कर दिया , गांव का पंडित बहुत ही पंहुचा हुआ जानकार था , उसने एक पत्थर के निचे तांत्रिक की आत्मा को कैद कर दिया था और उस जगह में किसी को जाने की अनुमति नहीं थी, खासकर स्त्री और पुरुष को एक साथ वंहा जाने की मनाही थी , चाहे वो कोई भी हो , सालो तक तंत्रिका का श्राप और उसकी आत्मा वही कैद रही , गांव का कोई भी इंसान वंहा नहीं जाता , वो जगह भी खंडहर हो चुकी थी , लेकिन कुछ सालो पहले तांत्रिक की आत्मा जाग उठी और बादलपुर में हाहाकार मचा दिया , रिश्तो की मान मरियादा ख़त्म हो गई , आखिर गांव के प्रधान ने मुझे बुलाया और हमने मिलकर ये सब शांत किया , तात्रिक की आत्मा को मुक्त किया और सब सामान्य हो गया ….(बादलपुर की पूरी कहानी डिटेल में जानने के लीये पढ़िए मेरी स्टोरी “ तांत्रिक का श्राप “ … जो अभी तक लिखना शुरू नहीं हुआ है :lol1: जब लिखूंगा तब पढियेगा )
लेकिन जिस पत्थर में तांत्रिक की आत्मा को कैद किया गया था उसमे उसकी शक्ति का अंश बाकी था , इसलिए एक निर्जन जगह में छोड़ दिया गया … ये वही पत्थर है जिसपर बैठ कर तुम लोग शराब पिया करते थे , उसी दौरान पत्थर ने तुमको चुन लिया …”
मैं बुरी तरह से चौक गया
“मुझे चुन लिया मतलब ..और इसका गांव और हमारे सपने से क्या रिलेशन है ??”
डॉ हँसने लगा ,
“एक घटना बादलपुर की थी , और दूसरी घटना तुम्हारे गांव में घटी ….वो ही एक तांत्रिक से ही जुडी हुई है , कुछ सालो पहले ही की बात है जब एक तांत्रिक तुम्हारे गांव में आया था , गांव के तालाब के पास पीपल पेड़ के नीचे उसने अपना डेरा जमाया , इधर बादलपुर में हाहाकार मचा था , ऐसे तो वंहा से बाहर किसी को इस बात की खबर नहीं थी लेकिन कुछ कानाफूसी जरुर चल रही थी की बादलपुर में किसी तांत्रिक का प्रकोप छाया हुआ है ,जब तुम्हारे गांव में वो तांत्रिक आया तो तुम्हारी गांव की महिलाये जोकि तालाब में नहाने जाया करती थी उन्होंने ठकुराइन यानि तुम्हारी अम्मा की सास से उसकी चुगली कर दी ,और सब ने मिलकर उस तांत्रिक को वंहा से भागा दिया , तांत्रिक ने गुस्से में ये श्राप दे डाला की जिस योवन के घमंड में डूब कर ये ओरते अपने पति को नाचा रही है वो यौवन ही उनका दुश्मन बनेगा , वो काम सुख को तरसेंगी और कभी पुत्र का सुख नहीं पाएंगी … उस समय तो किसी ने उसे सीरियस ही नहीं लिया लेकिन जब ये श्राप सच होने लगा तो लोगो में बेचैनी बढ़ी , गांव के मर्दों को इस बात की भनक ना लगे इस बात की जतन की गई , हा उन्हें ये तो समझ आ रहा था की गांव में पुत्र पैदा होना बंद हो चूका है , और औरते भी खोयी खोई सी रहती है , तब तुम्हारी अम्मा की नयी नयी शादी हुई थी ,और तुम्हारे फूफा जी बीमार रहने लगे थे , उस तांत्रिक को फिर से ढूंढा गया , ओरतो का एक झुण्ड उनसे मिलने गया और माफ़ी मांगी जिसमे तुम्हारी अम्मा और उनकी सास भी थी तांत्रिक भी थोडा नर्म पड़ा और उसने सुझाया की ये श्राप ख़त्म हो जायेगा जब कोई किसी शैतान की पूजा करने वाले तांत्रिक के मंत्रो से अभिमंत्रित किसी वस्तु के संपर्क में जायेगा , और वो वस्तु उसे लायक समझेगी ,और वो व्यक्ति उस वस्तु को जागृत कर दे तो उससे सम्भोग करने से हर स्त्री की तृप्ति भी होगी और पुत्र धन भी प्राप्त होगा …मजेदार बात ये थी किसी को कुछ समझ नहीं आया की वस्तु क्या होगी और कौन उसे जागृत करेगा और कैसे करेगा … तांत्रिक ने इतना ही कहा था की सब वक्त के साथ पता चल जायेगा … अब अच्छी और बुरी दोनों बाते ये है की तुम ही वो व्यक्ति हो जिसने ये सब किया है , तुमने उस पत्थर को जागृत भी कर दिया और उस पत्थर ने तुम्हे ही चुना है , ये बात किसी को पता तो नहीं लेकिन आभास सभी को हो चूका है …”
मैं अब और भी बुरी तरह से कंफ्यूज हो चूका था .. और एक सवाल मेरे जेहन में गूंजा
“आखिर ये सब आपको कैसे पता ..???”
डॉ मुस्कुराया
“उन ओरतो को तांत्रिक से मिलाने वाला व्यक्ति मैं ही था , बादलपुर के तांत्रिक की रूह को मुक्त करने के बाद मैं ही इस गाँव में उस पत्थर को ठिकाने लगाने आया था , उसी दौरान मेरी मुलाकात यंहा की ठकुराइन से हुई , मेरे बारे में जानकार उन्होंने मुझसे सभी बाते कही और मैंने उस तांत्रिक को खोज निकाला , तांत्रिक से मिलने के बाद सभी इसी पसोपेश में थे की आखिर वो वस्तु क्या होगी , और वो शैतान की पूजा करने वाले किसी तांत्रिक को कहा ढूंढें , इसका हल भी मैंने ही उन्हें दिया था क्योकि वैसा तांत्रिक खोज पाना लगभग असम्भव था , अगर कोई ऐसा करे भी तो वो दुनिया के सामने नहीं आता , लेकिन ऐसे एक तांत्रिक की एक वस्तु तुम्हारे गांव के बाहर मैंने ही रखवाई थी , वो चबूतरे जैसा पत्थर जिसके नीचे सालो तक एक दुष्ट तंत्रीक की आत्मा कैद में थी , उसमे शक्तिया तो अभी तक थी लेकिन उसे जागृत वैसे ही किया जा सकता था जैसे बादलपुर में किया गया था , उसके उपर अगर कोई सम्भोग करे … लेकिन उसकी शक्तियों का पूर्ण जागरण तभी हो पाता जब वो अनजाने में किया जाता , दूसरा की सम्भोग करने वाले के मन में वो पाप का भाव भी होता”
मुझे ये कुछ समझ नहीं आया
“मतलब कैसे सम्भोग के दौरान पाप का भाव आएगा और अगर आएगा तो वो सम्भोग ही कैसे कर पाएंगे “
डॉ फिर मुस्कुराया
“यही तो मुश्किल थी जिसके कारन इतना समय लग गया वरना अंकित ने तो ना जाने कितने बार वंहा सम्भोग किया , उससे पत्थर जाग्रत तो हुआ जिसके कारन अंकित को वंहा बहुत मजा आता था लेकिन पूर्ण जागरण नहीं हो पाया , ना ही उस पत्थर ने अंकित को उस काबिल समझा, क्योकि वो हवस से भरे हुए मन से लडकियों को वंहा लाता था , ना उनके बीच कोई खून का सम्बन्ध होता ना ही कोई घनिष्ट सम्बन्ध जिसमे प्रेम हो ना की हवस , तो पाप का बोध कैसे होगा …? लेकिन तुम्हारे और अन्नू के बीच ये था , प्रेम का घनिष्ट सम्बन्ध और एक दुसरे से जिस्मानी ताल्लुक रखने के सोच से ही ग्लानी का भाव , मतलब तुम दोनों ही इसे पाप समझते हो , तुम पत्थर के संपर्क में आये और पत्थर ने ये चीज समझ ली थी की तुम्हारे मन में प्रेम है ना की वासना , और उसने तुम्हे चुन लिया की तुम पाप करो और उसे उसकी पूर्ण शक्तियों में जागृत कर दो ..
ऐसा नहीं था की तुमसे पहले और लोगो वंहा नही आये , जब मैंने उस पत्थर और उसके नियमो के बारे में ठकुराइन को बताया था तब ही उस जगह को आने जाने के लायक बना दिया गया था , जरुरी ये था की सब को इस बारे में पता ना चले , क्योकि जो भी होना था वो अनजाने में होना जरुरी था , जानबूझ कर करने से तो पत्थर जागृत ही नहीं होता …..”
मैं डॉ की बातो पर भरोसा तो करना चाहता था लेकिन ये बिलकुल ही काल्पनिक लग रही थी , मैंने अपना तर्क दिया
“अगर ऐसी बात थी तो मैंने तो उस पत्थर में कुछ नहीं किया और वो सपना जो मुझे और अन्नू को आया वो क्या था …??”
डॉ ने गह्ररी साँस ली और बोलने लगा
“तुम कई बार उस पत्थर के संपर्क में आये थे , पत्थर ने तुम्हे चुन लिया था और तुम्हारे दिमाग को काबू करने लगी थी , दिक्कत ये थी की तुम यंहा रहते ही नही हो और ना ही तुम्हारी उम्र ही परिपक्व थी , लेकिन इस बार जब तुम आये तो तुम्हारे साथ अन्नू भी थी और तू उम्र के उस दौर में पहुच चुके थे जन्हा मन का बहकना बहुत ही आसन होता है , भावनाओ का वेग अपने चरम पर होता है , दूसरा की चांदनी रात भी थी , पत्थर ने तुम्हे आकर्षित किया , तुम्हारी नींद खुल गई और तुम बेचैन हो गए, तब तुम अन्नू के पास पहुचे , तुमने उसे कई बार उस जगह के बारे में बताया था , उस झील की सुन्दरता का वर्णन किया था , आज चांदनी रात में तुम्हे वंहा जाने की तीव्र इच्छा हुई वो भी अन्नू को लेकर , तुम उसे भी उस खुबसूरत नज़ारे को दिखाना चाहते थे .. अन्नू भी वंहा जाने को राजी हो गई , अगर ना जाती तो कुछ होता ही नहीं , लेकिन शायद किस्मत को यही मंजूर था , अन्नू किसी आकर्षण में नही थी लेकिन वो तुम्हारे विश्वास में थी , तुमपर उसे खुद से ज्यादा भरोसा था , वो तुम्हारे साथ चल दी , वंहा जाते तक तुम भी नार्मल ही थे , लेकिन जैसे ही तुम उस पत्थर के पास पहुचे तुमने अपना आपा खो दिया , पत्थर ने तुम दोनों को ही अपने वश में कर लिया था , वो जागृत होने को बेचैन थी उसने तुम दोनों के अंदर की हवस की आग को इतना भड़का दिया की तुम दोनों दुनिया भूल कर वो कर बैठे जो तुम्हे नहीं करना था , तुमने उस पत्थर को जागृत कर दिया और उसकी शक्ति तुम्हारे अंदर समां गई ….”
डॉ ये बोलकर खामोश हो गए और मैं अवाक … कुछ देर तक मैं उन्हें एकटक देखता रहा फिर जैसे मुझे होश आया हो ..
“नहीं ये सब फिजूल की बाते है , मैं ऐसा नहीं कर सकता वो भी अन्नू के साथ … नहीं ये नहीं हो सकता .. और अन्नू ने सम्मोहन में सब कुछ बताया था लेकिन पत्थर में पहुचने के बाद की बाते तो उसने भी नहीं बताई थी , फिर आप इस निष्कर्स में कैसे पहुच सकते है की हमारे बीच …. नहीं आप झूठ बोल रहे है ..”
“पत्थर में लेटने के बाद की घटना सम्मोहन से इसलिए पता नहीं चली क्योकि तब तुम दोनों ही पत्थर के वश में थे , इसलिए उस रात क्या हुआ तुम दोनों के चेतन मन को नहीं पता , तुम दोनों को बस इतना याद रहा की तुम दोनों सोने गए थे , जब उठे तब तुम थके हुए थे लेकिन रातं में तुमने क्या किया ये तुम्हारे चेतन दिमाग से मिट चूका था,लेकिन तुम्हारा अचेतन मन हर चीज को जानता है , सम्मोहन से अन्नू के अवचेतन ने वो बाते याद कर ली लेकिन पत्थर में लिटाये जाने के बाद से उसका मन उसका ना रहा था …तुम दोनों को वो सपने भी इसीलिए आये क्योकि तुम्हारे अवचेतन मन ने तुम्हे एक संकेत दिया की तुम्हारे साथ कुछ बुरा हुआ है , अवचेतन मन की शक्तियों का पता तो अभी विज्ञान भी नहीं लगा पाया है ,इसे ही काबू में कर लोग सिद्ध हो जाते है ,ये बहुत पॉवरफुल है ,इतना कि उन चीजों को भी जान ले जो जिसका हमसे कोई वास्ता नही ,अवचेतन मन की एक और विशेषता है कि वो तर्क नही करता चीजो को सीधे समझता है ,इसका प्रयोग साधक अपनी साधना में करते है और मनोविज्ञान में इसी खासियत का प्रयोग करके आत्मसमोहन द्वारा लोगो की पुरानी से पुरानी आदतों को बदला जाता है,जिस संकल्प और सम्मोहन की हम बात करते है सब अवचेतन से ही संभव हो पाता है,,यही सपने दिखता है कभी भूत का कभी वर्तमान का तो कभी भविष्य का भी ,इसने ही वो सपने बनाये थे ,समझ लो तुम्हारे मन ने तुम्हे आगाह किया था और शायद तुम्हारी जिम्मेदारी के बारे में संकेत किया था …"
डॉ की बात सुनकर मैं झल्ला गया था
"मेरी कोई जिम्मेदारी नही है " मैंने झल्लाते हुए कहा
डॉ हँसने लगा
"चाहो या ना चाहो अब ये तुम्हारी जिम्मेदारी है ,हो सके तो इसे खुश होकर निभाओ …"
डॉ की बात सुनकर मुझे सपने में देखी बात याद आ गयी उसमे भी औरतों ने मुझे पकड़ कर यही कहा था ,चाहो या न चाहो करना तो पड़ेगा …
मै अपना माथा पकड़ कर बैठ गया ,पता नही मेरा भविष्य क्या होने वाला था ,उस पत्थर ने मुझे क्यों चुना ,अंकित को चुन लेता तो वो मजे से ये सब करता
“मन से द्वन्द हटाओ निशांत अपनी किस्मत को स्वीकार करो , इसे खुशनशिबी बनाओ ना की बदनाशीबी “
डॉ ने फिर से कहा था , मेरे आँखों में आंसू गए थे , ये किस्मत मेरे साथ ऐसे खेल क्यों खेल रही थी
“मैंने अन्नू के साथ जो किया … मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउँगा डॉ “
मैंने अपना चहरा निचे कर लिया था , डॉ ने मेरे बालो को सहलाया
“जो बिता गया उसे भूल जाओ , अब अन्नू के साथ तुम्हारा रिश्ता केवल दोस्ती का नहीं हो सकता , तुम दोनों को अब जानकर एक होना होगा ..”
मैंने डॉ को देखा
“मैं यंहा से भाग जाऊंगा “
मैंने उठते हुए कहा , लेकिन डॉ ने बड़े ही प्यार से मुझे फिर से बिठा दिया
“गलती से भी ये गलती मत करना , तुम अब गांव छोड़कर नहीं जा सकते , शिकार है , इनके बीच रहो जीवन के मजे करो , बाहर जाओगे तो पता नहीं किस लड़की के उपर चढ़ जाओ और रेप केस में अंदर कर दिए जाओगे … गांव की सभी बहुए श्राप से जूझ रही है , उन्हें संतुष्ट करो , उनके जीवन में खुशिया लाओ , अरे यार अब इतने भी स्वार्थी क्यों बन रहे हो , तुम्हे नैतिकता की पड़ी है और यंहा सभी नैतिकता की माँ चुदी पड़ी है ,उन ओरतो के बारे में सोचा है कभी जो सालो से तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी और अब तुम भागने की बात कर रहे हो … अभी अपनी अम्मा के बारे में सोचा है “
मैं अम्मा का जिक्र आते ही चौक पड़ा , मेरे पुरे शरीर में जैसे करेंट दौड़ गया हो
“नहीं ये पाप मुझसे नहीं होगा , इससे अच्छा तो मैं मर ही जाऊ “
डॉ ने मुझे शांत किया
“अभी अम्मा को छोड़ो लेकिन उस दर्द को महसूस करो जो वो भुगत रही है , अच्छा एक काम करो खुद से कुछ मत करो लेकिन जो होता है उसे रोको भी मत .. ये तो कर सकते हो ??”
मै कुछ देर सोच में पड़ा रहा और फिर हां में सर हिला दिया
“मैं अन्नू को गांव से भेज देता हु “
मैं अपनी किस्मत को भुगतने को तैयार था लेकिन अन्नू को यंहा रखना मतलब उसकी जिंदगी बेकार करना था ,
“अभी नहीं जब वक्त आएगा तो वो भी चली जाएगी , अभी उसे अपने साथ ही रखो उसका ख्याल रखो , जब तुम्हारी ये हालत है सोचो की उसकी क्या होगी , वो तुम्हे पाने को बेताब है उसकी बेताबी बुझाओ .. “
मैं फिर से सकते में आ गया था , डॉ ने अपना सर खुजलाया
“अरे भाई कुछ मत कर तू , बस जो होगा उसे होने देना .. साला पत्थर ने भी किस चुतिये को चुन लिया , मुझे चुन लेटा तो गांव में नंगा घूम रहा होता अभी …अब जा “
डॉ गुस्से में बोला , मैंने उनके सामने हाथ जोड़ लिए
“आप वादा करो की मुझे इस श्राप से मुक्ति दिलाओगे …”
“श्राप तुझे नहीं लगा है … तुझे तो एक शक्ति मिली है , लेकिन तू साले चुतिया है , अब दो मिनट भी और मेरे सामने रहा तो यही चप्पल उठा कर मरूँगा , भाग यहाँ से … समय आने पर मैं तुझसे मिलने आऊंगा , तू मुह उठा कर यंहा मत आ जाना “
डॉ का गुस्सा देख मुझे अजीब जरुर लगा , इतने देर से जो आदमी इतने प्यार से मुझे समझा रहा था वो अचानक ही गुस्से में आ गया था , लेकिन उन्होंने मेरे लिए जो किया था वो भी काफी था , उन्होंने मेरी दुविधा दूर कर दी थी , अब आगे क्या होगा ये तो मुझे नहीं पता था लेकिन जो भी होगा मैं तैयार था ….
अब सबसे पहले मुझे अन्नू का सामना करना था ….
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है मजा आ गया :adore:
चलो एक रहस्य से तो परदा हट गया जो खुशनसीब भी हो सकता है या बदनसीब । निशांत को श्रापित पत्थर से मिली शक्तीयों का किस तरीके से इस्तेमाल करता हैं और अम्मा के साथ साथ गाँव की औरतों से संभोग करके उन्हे शाप मुक्त कराता है उस पर निर्भर करता हैं रहस्यों के अनेक पहलू आगे आना बाकी हैं
अन्नु के साथ तो इसने संभोग कर ही लिया जिसका न तो अन्नु को न ही इसको पता है dr के अनुसार क्यू इस समय उनके मन पर उस शक्ति का प्रभाव था निशांत गांव छोड़ कर भी नहीं जा सकता क्यू की बाहर जाने पर वासना में अंधा हो जाएगा शायद अन्नु के साथ भी ये ही हो देखते हैं अगले अपडेट में क्या होता है
ये डॉ चुन्नीलाल ऊर्फ चुतिया को गुस्सा क्यो आ गया
देखते हैं आगे क्या होता है
 
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