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जहा निशांत सहारे के लिए डॉक्टर के पास पहुचा उधर साला डॉक्टर ही गाँव की रमला को सहारा दे रहा था, डॉक्टर चालू लगता है किसी को भी अपना इन्जेक्शन लगा देता है।अध्याय 6 सुबह के 10 बजे थे जब हम डॉ चुतिया के पास गए , मैंने अपने साथ अन्नू को भी ले गया था , क्योकि मेरे लिए ये जानना भी जरुरी था की आखिर उसने क्या सपना देखा था ..
अब्दुल और मैं अन्नू कार से कॉलेज के लिए निकले थे , अन्नू बड़े ही मुस्किल से जाने के लिए मानी थी , उसे अब भी लग रहा था की मेरे साथ होने पर वो खुद को काबू नहीं कर पायेगी लेकिन मेरे समझाने से वो भी समझ गयी , वो अब शांत थी लेकिन जिस अन्नू को मैं जानता था वो उससे अलग थी , वो जैसे अपने ही ग्लानी में जल रही थी , मेरे समझाने पर भी उसका कोई असर नहीं हुआ , शायद डॉ चुतिया ही उसे समझा पाए , पुरे सफ़र कोई कुछ भी नहीं बोल रहा था , आखिर कालेज आने पर हम डॉ की केबिन की ओर बढे ..
“रुको आप यही बैठो हम देखकर आते है “
अब्दुल ने अन्नू से कहा , बाहर रखी एक कुर्सी पर अन्नू को बैठा कर हम दोनों अंदर गए ..
अंदर का नजारा देख कर हम दोनों ही सकते में आ गए थे , एक अधेड़ उम्र का आदमी अपनी बेंच के पीछे कुर्सी में आराम से फैला हुआ था , उसकी आँखे बंद थी , ऐसा लग रहा था जैसे की किसी आनंद में खोया हुआ हो , वही वो हलके हलके हांफ भी रहा था , उसका शरीर पसीने से भीगा हुआ था वो दुनिया भूलकर अपनी ही मस्ती में बैठा हुआ था ..
“सर …”
अब्दुल बोल उठा ..
सामने बैठा शख्स हडबडाया
“अरे अब्दुल … रामलाल ने तुम्हे रोका नहीं ??”
“सर बाहर तो कोई नहीं है “
वो चुप हो गया और जल्दी से नीचे देखते हुए कुछ करने लगा , शायद अपने पेंट की जिप लगा रहा था ..
“ये साला रामलाल पूरा काम कामचोर है , मरवाएगा एक दिन “ वो खुद से बडबडाने लगा , तभी बेंचे के अंदर से एक लड़की प्रगट हुई , हम दोनों को देखकर वो भी चौकी उसके हाथ अपनी जीभ को पोछ रहे थे , इस बार तो मैं दोनों भी चौके क्योकि वो हमारे ही गांव की रमला थी , अब्दुल के साथ ही यंहा पढ़ती थी ..
“हाय दइया कुवर जी “ वो बच्चो जैसे उछल पड़ी
वो वंहा से भागी और हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़ी हो गई
“कुवर जी माफ़ी … किसी को कुछ मत कहियेगा पलीज “
मैंने आँखों से ही संतुस्ट किया की मैं किसी से कुछ नहीं करूँगा , अब तक डॉ भी सम्हाल कर बैठ चूका था
“तुम दोनों को इतनी भी तमीज नहीं है की किसी के केबिन में जाने से पहले दरवाजा खटखटा लो “
वो थोड़े गुस्से में बोला
“सॉरी सर वो ..”
अब्दुल ने कुछ कहा ही था की उन्होंने चुप रहने का इशारा कर दिया , एक काला सा अधेड़ उम्र का सिंगल पसली आदमी , बड़े बड़े बाल और हलकी बढ़ी दाढ़ी कही से भी कोई विद्वान नहीं लगता था , और उपर से उसकी ऐसी हरकत …
मैं निराश हो गया था , मैं कहा इसके चक्कर में पड़ गया ये तो साला पूरा ठरकी है , अपनी स्टूडेंट से सुबह सुबह अपने केबिन में बैठा चुसवा रहा था ..
“कोई बात नहीं आओ बैठो “ उसने कडक स्वर में कहा और फिर नजरे मुझपर गडा दी
“तो तुम हो कुवर निशांत जी अम्मा के भतीजे “
उसने मुझे घूरते हुए कहा , मैंने हां में सर हिला दिया
“हम्म्म तुम मेरे पास क्या कर रहे हो ..?? कही तुम्हे कोई सपना तो नहीं आया “
उसकी बात सुनकर मैंने अब्दुल को देखने लगा उसने अपने कंधे उचका दिए , अभी तक मैंने अब्दुल को सपने की बात नहीं बताई थी मैंने बस डॉ से मिलने की इच्छा जाहिर की भी , डॉ के मुह से सपने की बात सुनकर मैं भी सम्हल कर बैठ गया …
“ओह अब्दुल तुम बाहर जाओ मुझे कुवर जी से कुछ बात करनी है “
अब्दुल चुप चाप उठकर बाहर चला गया ..
डॉ ने एक बार मुझे देखा और हलके आवाज में बोले
“तुम्हारे अलावा और किसे सपना आया है, क्या तुम उसके बारे में भी जानते हो , कोई कुवारी लड़की होगी ..तुम्हारी कोई बहन तो है नहीं तो शायद कोई ऐसी जो तुम्हारे बहन के सामान हो , कोई दोस्त या कोई रिश्तेदार “
मैं बुरी तरह से चौका इसे ये सब बाते कैसे पता , मैं कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया की आखिर ये साला है कौन ? और अपने राज इसे बताना क्या सही होगा, ये मुझे जानता है मेरा नाम और पहचान इसे पता है , और ये भी मुझे कोई सपना आया और ये भी की किसी और कोई भी ये सपना आया है जो मेरे करीब है …
मुझे सोचता देखकर वो फिर से बोल उठा
“कोई तो होगी जिसने तुम्हारे साथ कुछ अजीब सी हरकत की होगी जो उसे नहीं करनी चाहिए थी , या तुम्हारे बीच सब हो गया ??”
मैंने ना में सर हिलाया
“ओह तो तुम्हे पता है की वो कौन है ??”
वो बड़े ही परखी नजरो से मुझे देख रहा था , मैंने भी उसे सच बताने का फैसला कर लिया
“जी … वो मेरी दोस्त है अन्नू , मेरे साथ ही गांव आई है , उसे भी कुछ अजीब सा सपना आया है , क्या ये मुझे नहीं पता , लेकिन हम दोनों ही काफी परेशान है “
“ओह अभी कहा है वो??? “
“बाहर बैठी है …”
मेरी बात सुनकर डॉ का चहरा चमक गया था .. मुझे फिर से फिक्र हुई की कही मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा हु , लेकिन ये आदमी इतना कुछ जानता है की मुझे एक आश भी बंध गई थी की शायद ये मुझे कोई रास्ता दिखा सके , शायद ये बता सके की ये सपना था या हकीकत …
डॉ के चहरे में एक अजीब सी चमक थी वो उठ खड़ा हुआ ..
“अभी मेरे लेब चलो तुम लोगो से मुझे बहुत सारी जानकारी चाहिए , और हां अब्दुल का यंहा कोई काम नहीं उसे घर भेज दो “
उसकी इस तत्परता ने मुझे थोडा डरा दिया था , जिसे शायद वो भी भांप गए
“डरो नहीं मैं तुम दोनों की मदद कर सकता हु , और शायद मैं ही तुम दोनों की मदद कर सकता हु ..”
“हमे क्या हुआ है डॉ …??”
मेरे चहरे में एक अजीब सा भय था लेकिन डॉ मुस्कुराया
“तुम अब दुनिया का सबसे खुशनशीब इंसान हो सकते हो , या फिर सबसे बदनसीब … मेरे साथ रहोगे तो मैं ध्यान रखूँगा की तुम सबसे खुशनसीब बनो , तुम्हे अब वो चीजे मिल सकती है जिसे पाने को लोग तरसते है …”
उसने बड़े ही कान्फिडेंस के साथ कहा
“क्या ये सपना सच था ..??”
मेरे सवाल पर वो फिर से मुस्कुराया
“आधा सच आधा सपना … बस अब कोई प्रश्न नहीं , लेब चलते है वही बात करेंगे “
वो अपना बेग लेकर उठ खड़ा हुआ
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कालेज से थोड़े ही दूर उसका घर था जन्हा उसने एक कमरे में अपना ऑफिस बना रखा था , लेब बस कहने को था बल्कि उसे ओफ्फिस या क्लिनिक कहे तो ज्यादा अच्छा रहेगा , कुछ किताबे इधर उधर पड़ी थी जिनमे से एक पर मेरी नजरे गढ़ गई …
“साइकोलॉजी ऑफ़ सेक्स …” मैंने मन में ही बुदबुदाया , लाल रंग की मोटी सी किताब थी , डॉ मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था मैंने झट से किताब नीचे रख दी …
“पहले तुम आओ ”
उसने अन्नू को देखते हुए कहा जिस अभी तक ये समझ नहीं आ रहा था की आखिर हम लोग यंहा कर क्या रहे है , ऐसे ये तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा था , अन्नू अभी भी बहुत ही नर्वस थी लेकिन डॉ ने उसे सांत्वना और लाड दिखाते हुए उसे एक बिस्तर नुमा चेयर पर बिठा दिया , उन्होंने अपने जेब से एक बड़ा सा कांच जैसा टुकड़ा निकला जो की एक धागे से बंधा हुआ था , मैंने फिल्मो में देखा था इससे लोगो को सम्मोहित किया जाता था , उन्होंने भी ये धागा अन्नू के सामने घुमाना शुरू कर दिया ..
“बस इसे देखते जाओ , अब तुम्हे नींद आ रही है …तुम्हारी आंखे भारी हो रही है , बोझिल आँखे अब बंद होने लगी है , तुम शांत होते जा रही हो , शांत होते जा रही हो , शांत होते जा रही हो , तुम गहरी नींद में जा रही हो ,गहरी नींद में जा रही हो ,गहरी नींद में जा रही हो ,अब तुम्हे सिर्फ मेरी आवज सुनाई दे रही है , सब अँधेरा सा है , और कुछ सुनाई नै दे रहा है … अगर तुम मेरी आवाज सुन रही हो तो अपना दाया हाथ उठाओ ..”
मैं फटी आँखों से ये देख रहा था , कितना आश्चर्य था की एक मिनट के अंदर ही डॉ ने अन्नू को सम्मोहित कर लिया था और अन्नू उनकी आज्ञा का पालन करने लगी थी , अन्नू ने अपना दांया हाथ उठाया
“अब इसे नीचे रख दो , अब तुम आराम की अवस्था में हो , बिलकुल आराम की अवस्था है , अब तूम पीछे जा रही हो ,तुम एक दिन पीछे जा चुकी हो , बताओ तुम क्या कर रही हो “
डॉ ने बार मेरी ओर देखा वो बहुत ही सीरियस दिख र्रहे थे ,उनकी काबिलियत पर मुझे विश्वास होने लगा था , उन्होंने अपने मुह में उंगली रखकर मुझे बिलकुल चुप रहने का इशारा किया …
वही अन्नू बोलने लगी ..
“मैं अभी बिस्तर में लेटी हुई हु “
“वक्त क्या हो रहा है “
“रात के ग्यारह बजे है “
“तुम्हे लेटकर क्या सोच रही हो “
“निक्कू , मेरा निशांत .. हाय मुझे ये सोच कर कितनी शर्म आ रही है ..”
मैंने देखा अन्नू के चहरे में शर्म के भाव उभर गए वो अभी सम्मोहन में थी और आधी लेटी हुई थी , उसका शरीर भी नहीं हिल रहा था लेकिन चहरे के भाव साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहे थे ..और वो मुझे निक्कू बोल रही थी , आज तक उसने मुझे इस नाम से नहीं बुलाया था , हा एक दो बार उसने मुझे निक नाम से बुलाने और कोई छोटा नाम बनाने की कोशिस की थी , जिसमे निक्कू भी एक था , लेकिन मुझे ये सब पसंद नहीं था , अच्छा खासा नाम था मेरे पास ..
“क्या किया निशांत ने जो तुम्हे शर्म आ रही है “
“हाय … वो कुछ करता ही तो नहीं , मैंने उसे बता दिया की मेरे दिल में क्या है , लेकिन … ये दोस्ती की लकीर ना होती तो आज .. कितनी बेचैनी लग रही है , क्यों उसने मुझे ठुकरा दिया , कब वो मेरे अंदर डालेगा हाय , आह ..”
अन्नू के मुह से मादक सिसकिया सुनकर मेरी हालत ख़राब होने लगी , कल रात ये मेरे बारे में ही सोच रही थी ??
अन्नू अपनी जीभ को अपने दांतों से काट रही थी , और सिसकिया ले रही थी
“तुम क्या कर रही हो ??”
डॉ ने हलके से पूछा
“तकिये से अपनी बुर रगड़ रही हु , कितना मजा आता है इसमें , ये सोच कर मेरी खुजली बढ़ रही है की निक्कू इसमें अपना डालेगा .. आह कितना मजा है इसमें “
“तुम क्यों पीछे हट रही हो.. वो तो तुम्हे माना नहीं करेगा, वो भी तो बहक सकता है “
डॉ की बात सुनकर ,अन्नू का चहरा उदास हो गया
“वो मुझसे प्यार करता है बहुत प्यार , मेरी दोस्ती की क़द्र है उसे , वो आम लडको जैसा नहीं है जो लड़की देखकर अपनी लार टपका देते है , वो मेरे साथ ऐसा कभी नहीं करेगा , लेकिन मैं ही पापी हु जो उसके बारे में ऐसा सोच रही हु “
अन्नू रोने लगी थी , शायद फिर से ग्लानी का भाव उस पर हावी होने लगा था , एक ही समय में दो परस्पर विरोधी भावनाओ का सामना करना कितना दुखदाई होता है ये मैं साफ साफ देख रहा था ,एक तरफ जिस्म की गर्मी थी तो दूसरी तरफ प्यार की कोमलता , मखमल में जैसे आग लग गई हो और फिर भी मखमल की कोमलता का अहसास करना हो ,हाथ का जलना तो अब लाजमी ही था …
अब क्या दोस्ती के बंधन को तोड़ देना ही उचित है या फिर इसी आग में अन्नू हमेशा जलती रहेगी , क्या मुझे कुछ करना होगा ..??
मैं दुविधा और दुःख से भरा अन्नू को देख रहा था , उसकी तकलीफे मुझे तकलीफ पंहुचा रही थी , डॉ ने इस बार मुझे देखा इस बार उनका चहरा शांत था ..
“तुम और आगे जाओ एक रात पीछे जाओ , अब तुम कहा हो “
“मैं सोयी हुई हु “
“तुम अकेली हो , कहा हो तुम ??”
“हा , अपने कमरे में ..”
“कैसा महसूस कर रही हो …???”
“बहुत थकान है ,गहरी नींद में हु “
डॉ के चहरे में एक सिलवट सी आई , उन्होंने मुझे थोडा अलग बुलाया
“तुम्हे सपना कब आया था “
“परसों ..??”
“क्या सपने में तुम दोनों कही गए थे ..??”
मैं चौका ये साला क्या सब जानता है ??
“हा नदी किनारे “
“समय क्या था ..??”
“शाम का समय था ..”
डॉ फिर से अन्नू के पास पहुच गए
“थोडा और पीछे जाओ , देखो तुम कहा हो शाम को तुम कहा हो “
अन्नू के चहरे में हँसी आई
“मैं अम्मा के साथ हु , वो कितनी अच्छी है , कितना प्यार करती है मुझे , वो मेरे लिए मेरी फेवरेट सब्ब्जी बना रही है “
डॉ सोच में पड़ गया …थोड़ी देर तक सोचता ही रहा
“अभी निशांत कहा है ..”
“वो शहर से आते ही सो गया , अभी तक नहीं उठा “
डॉ का चहरा जैसे पिला पड़ने लगा था , उसके इस अजीब से बर्ताव को देखकर मैं भी चिंतित होने लगा , आखिर वो ढूंढ क्या रहा है …??
“खाना खाकर तुम कहा गई थी …??”
“मैं अपने कमरे में सोने आ गई “
“अभी निशांत कहा है ..??”
“वो अपने कमरे में सो रहा है “
“क्या तुम उसके कमरे में जाकर उसे देखा ??”
“हा वो अपने कमरे में सो रहा है ..”
“तुम अपने कमरे में आ गई हो , बताओ क्या निशांत ने तुम्हे रात में जगाया “
डॉ की बात सुनकर मैं भी अचरज में पड़ गया था , ना ये सपने से मेल खा रहा था ना ही जिसे हम हकीकत समझ रहे थे उससे , हम शाम को नदी के किनारे नहीं गए तो फिर जो भी मैंने देखा वो मात्र एक सपना होना चाहिए था , और गए थे तो रात को तो मुझे सर पर चोट लगी थी उसके बाद का कोई होश नहीं था , फिर आखिर ये रात वाला क्या सीन आ गया
अन्नू अभी भी चुप थी ..
“बताओ क्या रात में सोते हुए तुम्हे निशांत ने जगाया था “
“हा ..”
डॉ ने अपनी कुर्सी में थोड़े बेचैनी से करवट लिया और माथे में आये पसीने को रुमाल से पोंछा , उसके साथ साथ मैं भी आश्चर्य में था ..
“क्या कहा उसने तुमसे ..”
“उसने दरवाजा खटखटाया , मैंने उस सोते रहने को डांटा , वो मुझे हमेशा नदी घुमाने ले जाता था , लेकिन आज थके होने के कारन आते ही सो गया था , “
“उसने क्या कहा ..”
“उसने कहा की आज चांदनी रात है , झरने के पास चलते है , वंहा चांदनी का उजाला भी होगा और शांति भी “
मैं अन्नू की बात सुनकर बिलकुल ही हैरान था , झरना तो गांव से बहुत दूर पड़ता था आखिर रात में मैं उसे वंहा क्यों ले जाता …
डॉ ने फिर से अपना पसीना पोंछा
“तुम वंहा पहले भी गई हो ..??”
“ नहीं लेकिन निशांत वंहा अपने दोस्त के साथ जाता है , वो लोग वंहा बैठकर शराब पीते है , उसने मुझे कई बार बताया था और वंहा ले जाने का वादा भी किया था “
डॉ ने एक बार मेरी ओर देखा , मैंने हां में सर हिलाया , मैंने कई बार उससे उस झरने का जिक्र किया था जन्हा मैं और अंकित बैठकर शराब पिया करते थे ..
“उसके बाद क्या हुआ ???”
“हम दोनों झरने की ओर चल पड़े , हम उसकी बुलेट में वंहा गए थे “
“तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है , निशांत कैसा है …”
“बहुत ही प्यारी जगह है , झरने की आवाज रोड तक आ रही है , निशांत थोडा बेचैन है , वो मेरे हाथ को पकड कर खिंच रहा है , वो कह रहा है की जल्दी से झरने के पास चलो , आज की रात बहुत अच्छी है “
डॉ और मैं दोनों ही आँखे फाडे उसकी बात सुन रहे थे आखिर ये हुआ कब था , मेरा दिमाग फटा जा रहा था
“फिर क्या हुआ “ डॉ ने हलके से कहा और अन्नू ने बोलना जारी रखा ..
“वंहा एक बड़ा सा पत्थर है , किसी तबुतरे जैसा “
डॉ ने मेरी ओर देखा , हा वंहा एक बड़ा सा पत्थर है , मैं भी जानता हु , झरने के बिलकुल ही करीब , मैं और अंकित वंहा बैठकर कई बार दारू पि चुके है , झरने के पास होने पर झरने का पानी वंहा तक छिटकता है इसलिए वो पत्थर हमेशा गिला रहता है …
“आगे क्या हुआ ..??”
डॉ ने फिर अन्नू से पूछा
“वो मुझे उस पत्थर की ओर ले जा रहा है , वो बहुत ही जल्दी में है , मैं उसे ऐसा करने से माना कर रही हु लेकिन वो जैसे अपने होश में ही नहीं है “
अब मेरे चहरे में भी पसीना आ गया था , ये वही पत्थर था जिसमे अंकित ने कई लडकियों को पेला था , वो कहता था की इस पत्थर में जादू है , इसके उपर लिटा के किसी को पेलने में मजा ही आ जाता है …
अन्नू ने आगे कहा
“वो मुझे झरने के करीब उस पत्थर के पास ला चूका है “
वो चुप हो गयी
“फिर क्या हुआ ..” डॉ ने बहुत ही धीरे से कहा
“नहीं निशांत ये क्या कर रहे हो , नहीं ओओहह आआआअ , मैं मर जाउंगी ये क्या हो रहा है ….. आआआ “अन्नू जोरो से चिल्लाई और छटपटाने लगी
डॉ तुरंत उसके सर के पास पंहुचा …
“शांत हो जाओ शांत हो जाओ शांत हो जाओ , तुम शांत हो तुम अपने कमरे में हो , तुम सो रही हो , तुम समय में आगे बढ़ रही हो , तुम शांत हो , तुम शांत हो ..”
अन्नू को छटपटाते हुए देख कर मेरी हालत भी ख़राब हो गई थी लेकिन डॉ ने उसे तुरंत ही सम्हाल लिया , अन्नू शांत होने लगी ..
“जैसे ही मैं तुम्हे उठने कहूँगा तुम धीरे धीरे अपनी आँखे खोलोगी , मेरे चुटकी बजाते ही तुम हमें बताई सारी बाते भूल जाओगी , तुम वैसे ही रहोगी जैसा तुम यंहा आने से पहले थी , तुम्हे कुछ याद नहीं रहेगा ,,, “
डॉ ने चुटकी बजाई और अन्नू को उठ जाने को कहा ..
अन्नू ने आँखे खोली और आश्चर्य से हमें देखा ..
“आपने मेरे साथ क्या किया ..” उसने उठते हुए डॉ से पूछा
“कुछ भी तो नहीं , मैं तो तुम्हे सम्मोहित करने की कोशिस करता रहा और तुम खर्राटे मरते हुए सो गई “
डॉ ये बोल कर हँसने लगा , मैं भी उनके साथ दिखावा करते हुए मुस्कुराया
“हा थोड़ी थकावट सी महसूस हो रही है मुझे “
वो अंगड़ाई लेते हुए बोली
अन्नू की ये हालत देख कर मेरा दिल बैठा जा रहा था , मैं उससे लिपटकर रोना चाहता था लेकिन मैंने खुद को काबू में किया …
“अन्नू अब तुम बाहर जाकर बैठो , चाहो तो थोड़ी देर आराम करो “
उन्होंने नौकर को बुलाकर अन्नू को गेस्ट रूम में भेज दिया ..
अन्नू के जाते ही मैं बेचैन हो उठा
‘डॉ ये क्या था .. क्या अन्नू ने कोई सपना देखा था ???”
मन में अब कई सवाल थे और जवाब को जानने को मैं बेचैन हो रहा था ..
“नहीं निशांत अन्नू ने जो कहा वो सब सच है , लेकिन ये बात तुम दोनों को याद नहीं “
मैं धडाम में कुर्सी में बैठ गया , आखिर उस रात क्या हुआ था , क्यों हम दोनों को सपने आये , क्यों अन्नू मुझे पाने के लिए बेचैन थी ,क्यों मैं स्त्री सम्भोग के लिए बेचैन हुआ जा रहा था , क्या मैंने अन्नू के साथ कुछ गलत किया था , अगर किया था तो अन्नू ने आगे कुछ क्यों नहीं कहा , पत्थर के पास पहुचने के वाकये के बाद वो चिल्लाने क्यों लगी …. मेरा दिमाग फटने लगा था वही डॉ का चहरा भी गम्भीर हो गया था ..
अब इन सवाल कोई दे सकता था वो शख्स यही हो सकता था ..
डॉ चुन्नीलाल यरवदा वाले उर्फ़ डॉ चुतिया ………….
अपडेट बहुत ही अच्छा था, पढ़कर मजा आया रोमांच फ़ील हुआ, अब अन्नू के सपने का राज जल्द ही खुल जाएगा। लगे रहो डॉक्टर साब, कहानी मस्त जा रही है।