• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery भाभियों का रहस्य

Chutiyadr

Well-Known Member
16,890
41,415
259

Chutiyadr

Well-Known Member
16,890
41,415
259
Chutiyadr डाक्टर साहेब ये तो ग़ज़ब का चुटियापा हो गया, स्तब्ध कर दिया, निशांत की तो लाग ली अब तो या आप या शैतान ही बचा सकता है, बहुत रोचक मोड़ पर एपिसोड पूरा किया है, अब तुरंत ही दूसरा अंक प्रकाशित कर इस दुविधा से आप सभी को बाहर निकले..
dhanywad bhai :)
jald hi aayega update :approve:
 

Chutiyadr

Well-Known Member
16,890
41,415
259
सच मे ऐसा हुआ है लगता नही।

कहानी में बहुत बढ़िया सस्पेन्स बन पड़ा है।

उत्सुकता जगा दी आपने की आगे क्या होगा।

आपकी लेखनी की जितनी प्रशंशा की जाए कम है

साधुवाद।
dhanywad prabha ji :)
 

Chutiyadr

Well-Known Member
16,890
41,415
259
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
ठाकुर ने तो निशांत के पुरे प्लॅन की गांड मार दी ठाकुर तो खिलाड़ी निकला एक दम पूरा प्लान चेंज कर दिया
क्या निशांत ठाकुर के आदमी यों के द्वारा मारा जायेगा या शैतानी शक्ती के द्वारा बच निकलेगा देखते हैं
नदी के पास खडे कुंवर के आदमी निशांत को बचाते हैं या नही अगर बच गया तो निशांत क्या करेगा

Amazing update
अब तो सब कुछ अम्मा के कहने पर अपने हीरो को ही समालना है अन्नू को उसके घर भेज दिया है

बहुत ही लाजवाब अपडेट है निशांत ने ठाकुर को मात दे दी उसकी पूरी जन्म कुंडली निकाल ली सौदा 35 65 में कर लिया और तो और क्या आइडिया लगाया है देखते हैं अब पत्थर के पास क्या होता है निशान भी कुछ करता है या नहीं

बहुत ही लाजवाब अपडेट है निशांत ने ठाकुर को मात दे दी उसकी पूरी जन्म कुंडली निकाल ली सौदा 35 65% में कर लिया और तो और क्या आइडिया लगाया है ठाकुर को चूतिया बना दिया नई चूतो का इंतजाम कर लिया
dhanywad sanju bhai :)
 

Chutiyadr

Well-Known Member
16,890
41,415
259
अध्याय 15
चेतना धीरे धीरे लौटने लगी थी , लेकिन अभी भी मुझे शरीर का अहसास नहीं हो पा रहा था,मुझे लग रहा था की मैं हु , लेकिन मेरा शरीर कहा है इसका आभास ही नहीं था …
मैं दुनिया देखना चाहता था , क्या मैं जिन्दा हु …???
समय का कोई ज्ञान नही हो रहा था ,बस मैं हु ये एक मात्र ज्ञान मुझे था ..
ना जाने कितना समय बिता था जब मुझे पहली बार अपने शरीर का भान हुआ , मुझे अपने कानो में कुछ आवाजे सुनाई दी , और हलकी रोशनी का आभास किया , मुझे कुछ धुंधला सा दिखने लगा था …
“इसने पलके झपकाई … डॉ …नर्स इसने पलके झपकाई …” किसी लड़की की आवाज मेरे कानो में पड़ी , वो चिल्ला रही थी , उस आवाज को मैं कैसे भूल सकता था , इससे तो मेरी शादी होने वाली थी …
थोड़ी देर में कमरे में थोड़ी हलचल बढ़ गई , मेरी आँखे थोड़ी और खुली लेकिन कुछ भी साफ़ नहीं दिखाई पड़ रहा था ना ही शरीर महसूस हो रहा था , कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद फिर से मेरी चेतना गायब हो गई …
पता नहीं कितना समय बिता था , मुझे मेरी उंगलिया महसूस हो रही थी , शरीर के कई हिस्सों को मैं महसूस कर पा रहा था … आँखों को खोलने की कोशिस करने लगा , आँखे ऐसी बोझिल थी जैसे सदियों से सो कर उठने पर होता है ..
“तुम मुझे सुन पा रहे हो … “
एक करुण आवाज मेरे कानो में पड़ी ..उस आवाज में दर्द था ऐसा दर्द जो सीधे मेरे दिल से लग रहा था , एक कम्पन थी जिसने मुझे जगा दिया था , मैंने आँखे खोलने की भरसक कोशिस की , वो चहरा अभी भी धुंधला ही था …
“लौट आओ निशांत ,मेरे निक्कू लौट आओ ..” वो रो पड़ी , उसका रोना मेरे लिए दर्दनाक था लेकिन मेरी मज़बूरी की मैं उठकर उसके आंसू नही पोछ सकता था ..
मैंने पूरी ताकत लगा कर हलके से पलके झपकाई …
वो चहक उठी ..
“इसने पलके झपकाई , इसने मेरे बात का जवाब दिया “ वंहा मौजूद सभी लोग उम्मीद से मेरी ओर देख रहे थे , उसकी इस अदा पर मुझे बड़ा प्यार आया , मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब देना चाहता था लेकिन शरीर में जैसे कोई संवेदना ही ना रही हो …
ना जाने कितना समय बीत गया ,कभी अन्नू तो कभी अम्मा मेरे पास होती ..
अन्नू तो लगभग यही रहा करती थी , वो मेरे पास बैठे मुझे कविता सुनाती , गाने गुनगुनाती , कभी हंसकर बाते करती तो कभी शिकायतों के पुलिंदे सामने खोल देती , उसे शिकायत थी की मैं उसके बातो का जवाब नहीं देता , कभी हँसते हँसते ही वो रो पड़ती थी , मैं कभी कभी पलके झपकाकर उससे ये बताता की मैं उसे सुन रहा हु .. वो खुश हो जाती , उसकी उम्मीद और भी गहरी हो जाती की एक दिन आएगा जब मैं उठ खड़ा होऊंगा ..
वो कहती की हम अपनी शादी में साथ नाचेंगे , गायेंगे , पता नहीं वो दिन कब आने वाला था , मैं भी उसके इन्तजार में था , उम्मीद की छोटी सी किरण के सहारे हम दोनों ही अपने इस रिश्ते को निभा रहे थे ….
ना जाने कितना समय बीत गया , मैं अपने शरीर को महसूस कर पा रहा था लेकिन उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था , मैंने अपनी उंगलिया हिलाई थी , लेकिन किसी ने देखा नही , अगर अन्नू देख लेटी तो झूम जाती , लेकिन वो वंहा नही थी …
ना जाने कितना समय बीत गया , अन्नू प्यार से मुझे कबिता रही थी , मेरी पसंदीदा कबिता रश्मिरथी

“सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,

शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं, “

वो गए जा रही थी और मैं दिनकर जी के कवित्वा को साधुवाद दे रहा था , हर बार की तरह मैं इसे सुनकर प्रफुल्लित था , मैं भी इस विपत्ति से विचलित नहीं होना चाहता था , मैं इसे पार करके अपने प्यार के पास आना चाहता था , मैंने कोशिस जारी रखी , आज मैंने आपने आँखे पूरी खोली , अन्नू पुस्तक पकडे एक ले में गा रही थी , अचानक उसने मुझे देखा …
मैं एकटक उसे ही देख रहा था ,ना जाने कितने वक्त के बाद मैंने उसके सुन्दर चहरे को देखा था , कभी हमेशा ही खिला रहने वाला चहरा कितना मुरझा गया था , मेरे आँखों में आंसू की बुँदे अनायास ही आ गई ,
वो कुछ देर तक बस मुझे देखती रही , और अचानक से वो जोरो से रो पड़ी …
“नर्स .. डॉ .. अम्मा कोई है… देखो मेरा निक्कू उठ गया , मेरा निक्कू उठ गया “
उसने मेरे माथे को चूमना शुरू कर दिया
“मैं जानती थी तुम मुझे सुन रहे हो , मैं जानती थी की तुम उठोगे …” वो रोते हुए बोलती रही
तभी कुछ लोग भागते हुए वंहा आये ..
“मेडम प्लीज थोडा हटिए “ एक नर्स ने कहा , डॉ ने एक इंजेक्शन तैयार किया
सबके पीछे अम्मा भी वंहा आया गयी थी वो मेरे पास ना आई बस ही खड़ी हो गई ..
“देखो ना अम्मा निक्कू जाग गया है “
अन्नू उनके पास गई , और अम्मा .. वो रोते हुए वही बैठ गई थी …
ना जाने कितना समय बीत गया था , अब मैं पलके झपकाता , आंखे खोलकर अन्नू और अम्मा को निहारता , अपनी उंगलिया भी हिलाने लगा था , बोलने की कोशिस करता लेकिन अभी आवाज बहुत ही धीमी थी , अन्नू अपने कान मेरे मुह के पास लाकर सुनने की कोशिस करती लेकिन कुछ समझ ना पाती ..
सब लोग खुश थे , मुझे बताया गया की मैं अभी अपने हवेली में हु , मुझे मार कर नदी में फेंक दिया गया था , जिसकी जानकारी रामिका ने अम्मा को दी और अम्मा ने उसके साथ मिलकर मुझे बचाया , बताया गया की जब वलवंत मुझे लेने आया तो मैंने अपना मोबाइल वही छोड़ दिया था , रामिका ने जब मुझे जाते देखा तो उन लोगो का पीछा किया , जब वो वंहा पहुची तब तक उन लोगो ने मुझे बुरी तरह से जख्मी कर दिया था , रामिका ने तुरंत मेरे मोबाइल से अम्मा को फोन किया और उन लोगो का छिपकर पीछा किया , उनके जाने के बाद वो नदी में कूदकर मेरे शरीर को नदी के किनारे तक ले आई , अम्मा और बाकि के लोग कुछ देर में वंहा पहुचे , मुझे हॉस्पिटल में रखा गया लेकिन वंहा भी मेरी जान को खतरा हो सकता था , ना जाने बलवंत के लोग मुझपर कब हमला कर देते , इसलिए मुझे हवेली में ही शिफ्ट कर दिया गया , बलवंत को भी पता चल चूका था की मैं जिन्दा बच गया हु , लेकिन उसे ये नै पता था की मुझे बचाने वाली उसकी ही बेटी है …
मेरी जो हालत थी उसमे बच पाना लगभग नामुमकिन था ,लगभग डेढ़ साल से मैं कोमा में था , मुझे होश तो आ गया था लेकिन अभी भी मेरा शरीर किसी काम का नही था , मैं अच्छे से बोल भी नहीं पा रहा था ,
अन्नू दिन भर मेरे पास बैठी रहती वो मुझे गांव के किस्से बताती , उसने बताया की अब्दुल ने UPSC का एग्जाम निकाल लिया , उसका चयन आई.ए .एस . के लिए हो गया है , कुछ दिन ही हुए वो ट्रेनिंग के लिए चला गया ..
अन्नू बताती की कभी कभी अंकित भी मुझे देखने आता,मेरे पास बैठ कर रोता लेकिन बिना कुछ कहे वंहा से चला जाता ..
समय बीत रहा था लेकिन मैं उंगलियों को थोडा मोड़ा हिलाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर पा रहा था , मैं अंदर से टूटने लगा था , मुझे लगने लगा था की इससे अच्छी तो मौत थी , मुझे कोई कुछ बताता नहीं लेकिन मैंने महसूस किया था की शायद मेरा जीवन ऐसे ही बीतने वाला है , अम्मा और अन्नू डॉ से बात करने के बाद अक्सर दुखी दिखाई पड़ते , मेरे सामने आने पर वो अपने आंसू तो कमरे के बाहर छोड़ कर आते लेकिन उनके चहरे को देखकर मैं समझ सकता था की कोई बड़ी दिक्कत जरुर चल रही है ..
मेरे आवाज में थोड़ी ताकत आने लगी भी , मैं थोडा बहुत बोल पा रहा था …
“अन्नू मुझे क्या हुआ है , मैं अपने शरीर को महसूस क्यों नहीं कर पा रहा “
एक दिन मैंने अन्नू से कहा , मेरी आवाज बहुत कमजोर थी लेकिन अब वो समझ में आने लगी थी …
“कुछ भी नही हुआ है , तुम जल्द ही ठीक हो जाओगे “
वो मुस्कुरा कर बोली ..
झूठ मत बोलो अन्नू मुझे बताओ की आखिर मुझे हुआ क्या है …
“अरे कुछ भी तो नहीं हुआ है बाबु , तू बस आराम करो ,सब ठीक हो जाएगा …”
हर बार मैं पूछता और हर बार मुझे यही कह दिया जाता , समय बीतने लगा था , मुझे होश आये अब 4 महीने बीत चुके थे , मुझे बाहर घुमाने ले जाया जाता , जो भी मुझे देखता उसकी आँखों में मेरे लिए बस हमदर्दी होती , वो हमदर्दी मुझे इतनी चुभने लगी थी की मुझे लगता की मैं जीवन भर ऐसा ही रहने वाला हु …
मुझे वीलचेयर पर बिठाने के लिए ३ लोग लगते थे , मैं अच्छे से अपना गला भी सम्हाल नही पाता , अगर बैठने से मेरा गला निचे गिर जाता तो उसे उठाने के लिए भी एक आदमी की मदद लगती थी …
सच में ऐसे जीवन से मौत बेहतर थी …
एक दिन मेरे कमरे में कुछ लोग आये , साथ में अम्मा और अन्नू भी थे … उनमे से एक शख्स को मैं पहले भी मिल चूका था ..
वो थे डॉ चुतिया …
“अब कैसे हो कुवर …”
डॉ ने मेरे पास रखी स्टूल में बैठते हुए कहा ..
“जी रहा हु डॉ ..”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराये
“तुम सिर्फ जीने के लिए पैदा नहीं हुए हो , तुम्हे अभी बहुत कुछ करना है , मैंने कहा था ना की मैं तुमसे फिर मिलूँगा … लो मैं फिर से आ गया …”
मैंने उनकी बातो का कोई जवाब नहीं दिया ..
“फिक्र मत करो बस आज की रात और कल से तुम बिलकुल ठीक होगे “
इतना कहकर डॉ और उनके साथ आये लोग वंहा से चले गए ..
मैं बस उन्हें देखता रह गया था , और मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल था …आखिर कैसे ??????
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
3,988
22,229
159
अध्याय 15
चेतना धीरे धीरे लौटने लगी थी , लेकिन अभी भी मुझे शरीर का अहसास नहीं हो पा रहा था,मुझे लग रहा था की मैं हु , लेकिन मेरा शरीर कहा है इसका आभास ही नहीं था …
मैं दुनिया देखना चाहता था , क्या मैं जिन्दा हु …???
समय का कोई ज्ञान नही हो रहा था ,बस मैं हु ये एक मात्र ज्ञान मुझे था ..
ना जाने कितना समय बिता था जब मुझे पहली बार अपने शरीर का भान हुआ , मुझे अपने कानो में कुछ आवाजे सुनाई दी , और हलकी रोशनी का आभास किया , मुझे कुछ धुंधला सा दिखने लगा था …
“इसने पलके झपकाई … डॉ …नर्स इसने पलके झपकाई …” किसी लड़की की आवाज मेरे कानो में पड़ी , वो चिल्ला रही थी , उस आवाज को मैं कैसे भूल सकता था , इससे तो मेरी शादी होने वाली थी …
थोड़ी देर में कमरे में थोड़ी हलचल बढ़ गई , मेरी आँखे थोड़ी और खुली लेकिन कुछ भी साफ़ नहीं दिखाई पड़ रहा था ना ही शरीर महसूस हो रहा था , कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद फिर से मेरी चेतना गायब हो गई …
पता नहीं कितना समय बिता था , मुझे मेरी उंगलिया महसूस हो रही थी , शरीर के कई हिस्सों को मैं महसूस कर पा रहा था … आँखों को खोलने की कोशिस करने लगा , आँखे ऐसी बोझिल थी जैसे सदियों से सो कर उठने पर होता है ..
“तुम मुझे सुन पा रहे हो … “
एक करुण आवाज मेरे कानो में पड़ी ..उस आवाज में दर्द था ऐसा दर्द जो सीधे मेरे दिल से लग रहा था , एक कम्पन थी जिसने मुझे जगा दिया था , मैंने आँखे खोलने की भरसक कोशिस की , वो चहरा अभी भी धुंधला ही था …
“लौट आओ निशांत ,मेरे निक्कू लौट आओ ..” वो रो पड़ी , उसका रोना मेरे लिए दर्दनाक था लेकिन मेरी मज़बूरी की मैं उठकर उसके आंसू नही पोछ सकता था ..
मैंने पूरी ताकत लगा कर हलके से पलके झपकाई …
वो चहक उठी ..
“इसने पलके झपकाई , इसने मेरे बात का जवाब दिया “ वंहा मौजूद सभी लोग उम्मीद से मेरी ओर देख रहे थे , उसकी इस अदा पर मुझे बड़ा प्यार आया , मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब देना चाहता था लेकिन शरीर में जैसे कोई संवेदना ही ना रही हो …
ना जाने कितना समय बीत गया ,कभी अन्नू तो कभी अम्मा मेरे पास होती ..
अन्नू तो लगभग यही रहा करती थी , वो मेरे पास बैठे मुझे कविता सुनाती , गाने गुनगुनाती , कभी हंसकर बाते करती तो कभी शिकायतों के पुलिंदे सामने खोल देती , उसे शिकायत थी की मैं उसके बातो का जवाब नहीं देता , कभी हँसते हँसते ही वो रो पड़ती थी , मैं कभी कभी पलके झपकाकर उससे ये बताता की मैं उसे सुन रहा हु .. वो खुश हो जाती , उसकी उम्मीद और भी गहरी हो जाती की एक दिन आएगा जब मैं उठ खड़ा होऊंगा ..
वो कहती की हम अपनी शादी में साथ नाचेंगे , गायेंगे , पता नहीं वो दिन कब आने वाला था , मैं भी उसके इन्तजार में था , उम्मीद की छोटी सी किरण के सहारे हम दोनों ही अपने इस रिश्ते को निभा रहे थे ….
ना जाने कितना समय बीत गया , मैं अपने शरीर को महसूस कर पा रहा था लेकिन उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था , मैंने अपनी उंगलिया हिलाई थी , लेकिन किसी ने देखा नही , अगर अन्नू देख लेटी तो झूम जाती , लेकिन वो वंहा नही थी …
ना जाने कितना समय बीत गया , अन्नू प्यार से मुझे कबिता रही थी , मेरी पसंदीदा कबिता रश्मिरथी

“सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,

शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं, “

वो गए जा रही थी और मैं दिनकर जी के कवित्वा को साधुवाद दे रहा था , हर बार की तरह मैं इसे सुनकर प्रफुल्लित था , मैं भी इस विपत्ति से विचलित नहीं होना चाहता था , मैं इसे पार करके अपने प्यार के पास आना चाहता था , मैंने कोशिस जारी रखी , आज मैंने आपने आँखे पूरी खोली , अन्नू पुस्तक पकडे एक ले में गा रही थी , अचानक उसने मुझे देखा …
मैं एकटक उसे ही देख रहा था ,ना जाने कितने वक्त के बाद मैंने उसके सुन्दर चहरे को देखा था , कभी हमेशा ही खिला रहने वाला चहरा कितना मुरझा गया था , मेरे आँखों में आंसू की बुँदे अनायास ही आ गई ,
वो कुछ देर तक बस मुझे देखती रही , और अचानक से वो जोरो से रो पड़ी …
“नर्स .. डॉ .. अम्मा कोई है… देखो मेरा निक्कू उठ गया , मेरा निक्कू उठ गया “
उसने मेरे माथे को चूमना शुरू कर दिया
“मैं जानती थी तुम मुझे सुन रहे हो , मैं जानती थी की तुम उठोगे …” वो रोते हुए बोलती रही
तभी कुछ लोग भागते हुए वंहा आये ..
“मेडम प्लीज थोडा हटिए “ एक नर्स ने कहा , डॉ ने एक इंजेक्शन तैयार किया
सबके पीछे अम्मा भी वंहा आया गयी थी वो मेरे पास ना आई बस ही खड़ी हो गई ..
“देखो ना अम्मा निक्कू जाग गया है “
अन्नू उनके पास गई , और अम्मा .. वो रोते हुए वही बैठ गई थी …
ना जाने कितना समय बीत गया था , अब मैं पलके झपकाता , आंखे खोलकर अन्नू और अम्मा को निहारता , अपनी उंगलिया भी हिलाने लगा था , बोलने की कोशिस करता लेकिन अभी आवाज बहुत ही धीमी थी , अन्नू अपने कान मेरे मुह के पास लाकर सुनने की कोशिस करती लेकिन कुछ समझ ना पाती ..
सब लोग खुश थे , मुझे बताया गया की मैं अभी अपने हवेली में हु , मुझे मार कर नदी में फेंक दिया गया था , जिसकी जानकारी रामिका ने अम्मा को दी और अम्मा ने उसके साथ मिलकर मुझे बचाया , बताया गया की जब वलवंत मुझे लेने आया तो मैंने अपना मोबाइल वही छोड़ दिया था , रामिका ने जब मुझे जाते देखा तो उन लोगो का पीछा किया , जब वो वंहा पहुची तब तक उन लोगो ने मुझे बुरी तरह से जख्मी कर दिया था , रामिका ने तुरंत मेरे मोबाइल से अम्मा को फोन किया और उन लोगो का छिपकर पीछा किया , उनके जाने के बाद वो नदी में कूदकर मेरे शरीर को नदी के किनारे तक ले आई , अम्मा और बाकि के लोग कुछ देर में वंहा पहुचे , मुझे हॉस्पिटल में रखा गया लेकिन वंहा भी मेरी जान को खतरा हो सकता था , ना जाने बलवंत के लोग मुझपर कब हमला कर देते , इसलिए मुझे हवेली में ही शिफ्ट कर दिया गया , बलवंत को भी पता चल चूका था की मैं जिन्दा बच गया हु , लेकिन उसे ये नै पता था की मुझे बचाने वाली उसकी ही बेटी है …
मेरी जो हालत थी उसमे बच पाना लगभग नामुमकिन था ,लगभग डेढ़ साल से मैं कोमा में था , मुझे होश तो आ गया था लेकिन अभी भी मेरा शरीर किसी काम का नही था , मैं अच्छे से बोल भी नहीं पा रहा था ,
अन्नू दिन भर मेरे पास बैठी रहती वो मुझे गांव के किस्से बताती , उसने बताया की अब्दुल ने UPSC का एग्जाम निकाल लिया , उसका चयन आई.ए .एस . के लिए हो गया है , कुछ दिन ही हुए वो ट्रेनिंग के लिए चला गया ..
अन्नू बताती की कभी कभी अंकित भी मुझे देखने आता,मेरे पास बैठ कर रोता लेकिन बिना कुछ कहे वंहा से चला जाता ..
समय बीत रहा था लेकिन मैं उंगलियों को थोडा मोड़ा हिलाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर पा रहा था , मैं अंदर से टूटने लगा था , मुझे लगने लगा था की इससे अच्छी तो मौत थी , मुझे कोई कुछ बताता नहीं लेकिन मैंने महसूस किया था की शायद मेरा जीवन ऐसे ही बीतने वाला है , अम्मा और अन्नू डॉ से बात करने के बाद अक्सर दुखी दिखाई पड़ते , मेरे सामने आने पर वो अपने आंसू तो कमरे के बाहर छोड़ कर आते लेकिन उनके चहरे को देखकर मैं समझ सकता था की कोई बड़ी दिक्कत जरुर चल रही है ..
मेरे आवाज में थोड़ी ताकत आने लगी भी , मैं थोडा बहुत बोल पा रहा था …
“अन्नू मुझे क्या हुआ है , मैं अपने शरीर को महसूस क्यों नहीं कर पा रहा “
एक दिन मैंने अन्नू से कहा , मेरी आवाज बहुत कमजोर थी लेकिन अब वो समझ में आने लगी थी …
“कुछ भी नही हुआ है , तुम जल्द ही ठीक हो जाओगे “
वो मुस्कुरा कर बोली ..
झूठ मत बोलो अन्नू मुझे बताओ की आखिर मुझे हुआ क्या है …
“अरे कुछ भी तो नहीं हुआ है बाबु , तू बस आराम करो ,सब ठीक हो जाएगा …”
हर बार मैं पूछता और हर बार मुझे यही कह दिया जाता , समय बीतने लगा था , मुझे होश आये अब 4 महीने बीत चुके थे , मुझे बाहर घुमाने ले जाया जाता , जो भी मुझे देखता उसकी आँखों में मेरे लिए बस हमदर्दी होती , वो हमदर्दी मुझे इतनी चुभने लगी थी की मुझे लगता की मैं जीवन भर ऐसा ही रहने वाला हु …
मुझे वीलचेयर पर बिठाने के लिए ३ लोग लगते थे , मैं अच्छे से अपना गला भी सम्हाल नही पाता , अगर बैठने से मेरा गला निचे गिर जाता तो उसे उठाने के लिए भी एक आदमी की मदद लगती थी …
सच में ऐसे जीवन से मौत बेहतर थी …
एक दिन मेरे कमरे में कुछ लोग आये , साथ में अम्मा और अन्नू भी थे … उनमे से एक शख्स को मैं पहले भी मिल चूका था ..
वो थे डॉ चुतिया …
“अब कैसे हो कुवर …”
डॉ ने मेरे पास रखी स्टूल में बैठते हुए कहा ..
“जी रहा हु डॉ ..”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराये
“तुम सिर्फ जीने के लिए पैदा नहीं हुए हो , तुम्हे अभी बहुत कुछ करना है , मैंने कहा था ना की मैं तुमसे फिर मिलूँगा … लो मैं फिर से आ गया …”
मैंने उनकी बातो का कोई जवाब नहीं दिया ..
“फिक्र मत करो बस आज की रात और कल से तुम बिलकुल ठीक होगे “
इतना कहकर डॉ और उनके साथ आये लोग वंहा से चले गए ..
मैं बस उन्हें देखता रह गया था , और मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल था …आखिर कैसे ??????
सबसे पहली बात यह कि शादी करने के योग्य केवल अन्नू है।
जो विपत्ति में साथ दे वो ही सच्चा साथी होता है।
और जब अब डॉक्टर साहब खुद आ गए हैं फिर काहे की चिंता।। हाँ बस रामिका से बदला लेने का प्लान कैंसिल
 
Top