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यूनिवर्सिटी में अफरा तरफ्री का माहोल था , राज्य के मंत्री और जिले का कलेक्टर आने वाले थे , वो जिससे मिलने आने वाले थे उसके अलावा सभी लोग चौक्कने थे , कुलपती सुबह से तैयार खड़ा था , तभी कई गाडिया आकर मनोविज्ञान डिपार्टमेंट के सामने रुकनी शुरू हुई …
कुलपति तुरंत ही एक्शन में आया
“अरे ठाकुर साहब आप ने कष्ट क्यों किया हमें बुला लिया होता “
वो फुल मालाये सामने करते हुए बोला
“सर इन सबकी जरुरत नहीं है , हमें डॉ चुतिया से मिलना है , और आप तो जानते हो वो किसी की नहीं सुनते , हमने बुलावा भेजा था लेकिन डॉ साहब तो …”
अब्दुल ने बड़े ही मान से कहा , आखिर वो इसी यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट रह चूका था ..
“अरे अब्दुल बेटा तुम तो जानते हो उसे , ऐसे मैं तुम्हारे पास आने ही वाला था , आखिर हमारा स्टूडेंट आईएएस बना है तो … कभी आकर कोई मोटिवेशनल स्पीच दे कर जाओ “
“जी सर आता हु कभी , अभी ठाकुर साहब को देर हो रही है ये सब बाद में करते है “
बलवंत और अब्दुल डॉ के कमरे की ओर बढे , लेकिन बाहर एक स्टूडेंट खड़ा था उसने उनका रास्ता रोक लिया …
“बत्तमीज जानता है हम कौन है “
बलवंत भड़क गया लेकिन अब्दुल डॉ के नेचर को जानता था उसने उसे शांत करवाया ..
“छोटे डॉ साहब को बोल की अब्दुल औरठाकुर बलवंत आये है .”
“सर मैं आप दोनों को जानता हु लेकिन डॉ साहब अभी बीजी है , आप लोग बैठिये “
अब्दुल ने अपने माथे पर हाथ फेरा और सभी गार्ड को बाहर इन्तजार करने के लिए कहा , और बलवंत को सामने लगी कुर्सियों में बैठने का इशारा किया …
“ये साला प्रोफ़ेसर खुद को समझता क्या है हमें इन्त्त्जार करवाएगा “
बलवंत गुस्से में आ गया था ..
“ठाकुर साहब शांत हो जाओ , मैं इनका स्टूडेंट था और इन्हें अच्छे से जानता हु , मुख्यमंत्री भी आये ना तो ये अपने मर्जी से उनसे मिलते है , अगर ना मिलना हो तो बाहर से ही भागा दे , खैर मैंने बात कर ली है आज उन्होंने हमें बुलाया था तो शांत रहिये , हमें इनकी जरुरत है “
अब्दुल की बात सुनकर बलवंत शांत हो गया , तभी एक और लस्कर सामने से आता हुआ दिखा , सबसे सामने अम्मा थी और पीछे कई लोगो की भीड़ , कुछ ओरते थी और साथ ही कुछ गार्ड भी ..
बलवंत के गार्ड्स ने उन्हें रोकने की कोशिस की लेकिन अम्मा के गार्ड ने उन्हें वही सम्हाल लिया था ..
वो लड़का फिर से खड़ा हो गया और अम्मा को अंदर जाने से रोक दिया , अम्मा ने सामने देखा तो बलवंत और अब्दुल वही बैठे थे , अम्मा ने भी सभी को वापस भेज दिया और खुद वही अब्दुल के बगल में बैठ गई ..
अम्मा को देखकर अब्दुल और बलवंत दोनों ही थोड़े चौक गए थे ..
“कैसे हो अब्दुल आज कल तो तुम अपने गांव को ही भूल गए हो , अपनों को छोड़कर दुश्मनों के साथ हाथ मिला लिया है “
अम्मा की बात सुनकर भी अब्दुल कुछ नहीं बोला , वो सर निचे किये वही बैठा रहा , जबकि बलवंत अम्मा की ओर मुह करके उन्हें देखने लगा ..
“आज भी वैसे ही हसीन हो कांति , और सुना है की तुम्हारा भतीजा भी इस हुस्न का दीवाना है “
ठाकुर के व्यंग से अम्मा मुस्कुरा उठी ..
“कभी तुम भी इस हुस्न के दीवाने थे बलवंत , कालेज के दिन भूल गए क्या ?”
उसकी बात सुनकर अब्दुल दोनों को प्रश्न भरी निगाहों से देखने लगा वही बलवंत हलके से हँसा
“क्या करे जवानी में इन्सान के पास दिमाग ही कहा होता है कांति , जो भी हुआ वो अच्छा ही हुआ , तुम्हारा प्यार नहीं तो नफरत ही सही , हमने तो वो भी हंसकर अपना लिया है , ऐसे भी जिसके लिए तुमने हमें छोड़ा वो तो किसी काम का नहीं निकला , इससे ज्यादा सकून मुझे और क्या चीज देगी “
अम्मा के सीने में एक दर्द सा उठा , पिछली बाते उनके सामने आ गई , कभी बलवंत और यशवंत दोनों ही उसके दीवाने हुआ करते थे , अम्मा ने बलवंत को ठुकरा कर यशवंत को चुना था , कालेज के दिनों में बलवंत और यशवंत दोनों की कट्टर दुश्मनी थी लेकिन उन्हें प्यार एक ही लड़की से हुआ , बहुत मारा मारी हुई , अम्मा को पाने के लिए दोनों ने जी जान लगा दिया ,आखिर यशवंत की जीत हुई और अम्मा ने उनसे ही शादी की , लेकिन शादी के बाद से ही उन्हें ऐसी बीमारी लगी जिससे उनका शरीर दिन ब दिन कमजोर होता गया और आज भी जैसे उनका कोई वजूद ही ना हो , हवेली के एक कोने में यशवंत पड़ा रहा , चलने फिरने में भी असमर्थ सा , और पूरी जिम्मेदारी अम्मा ने ही अपने कंधे में ले ली , लेकिन अम्मा को अपने फैसले पर कभी अफ़सोस नहीं हुआ , बलवंत आज भी अम्मा के लिए दिल में सपने और अहसास रखता था ये बात अम्मा अच्छे से जानती थी , गहरी दुश्मनी के बाद भी बलवंत के दिल में अम्मा के लिए प्रेम का चिराग कभी बुझ नहीं पाया था , और अम्मा को अपना ना बना पाने का अफ़सोस भी उसके कालेजे को हल्का दर्द देता रहता , वही निशांत के अम्मा से संबंधो को सुनकर उसे ऐसा लगा था जैसे किसी ने उसके ही सीने में कोई तेज खंजर चला दिया हो …
वो हमेशा की तरह ही मनमसोज के रह गया ,उसे पता था की अम्मा उसकी कभी नहीं हो सकती ..
लेकिन पहले प्यार का दर्द भी तो ऐसा होता है की भुलाये नहीं भूलता , कितनी भी कोशिस करो सब बेकार हो जाती है …..
“ऐसे दुखी ना हो बलवंत हमने एक दुसरे की दुश्मनी स्वीकार ली है लेकिन आज भी मैं तुम्हारे उस प्रेम की क़द्र करती हु जो आज भी तुम्हारे दिल के किसी कोने में पल रहा है “
अम्मा की बात सुनकर बलवंत बिलकुल ही चुप हो गया था , वो नज़ारे गडाए हुए बस जमीन को देखने लगा , इतने शक्तिशाली इंसान का ये रूप देख अब्दुल भी आश्चर्य से भर गया .. दोनों गांव में किसी को इस गुप्त सम्बन्ध का पता नहीं था , अब्दुल भी इस बात से अनजान था की उसका होने वाला ससुर और इस राज्य का सबसे ताकतवर समझे जाने वाला इंसान भी किसी की मोहोब्बत में है वो भी सालो पूरानी नाकाम मोहोब्बत ..
अब मोहोब्बत नाकाम हो या कामियाब साली दिल में हमेशा एक टिस की तरह रहती है …
*************
कुछ देर ही हुए थे की डॉ ने दोनों पक्षों को एक साथ बुला लिया …
तीनो अंदर गये तो डॉ आराम से अपने चेयर में बैठा हुआ सिगरेट का धुवा उड़ा रहा था , अम्मा और अब्दुल दोनों ने आने से पहले ही डॉ को आने का कारण बता दिया था …
बलवंत जन्हा पुरे गुस्से में था वही अम्मा शांत थी , अम्मा डॉ को जानती थी और वो ये भी जानती थी की आदमी भले ही वो अजीब है लेकिन काम का है …
जाते ही अब्दुल ने डॉ के चरण स्पर्श करे …
“खुश रहो बेटा , कलेक्टर बन गए … बहुत खूब “
“धन्यवाद सर आपका आशीर्वाद है , “
“बढ़िया बढ़िया बैठो “
अब्दुल के साथ साथ ही सभी सामने लगी हुई कुर्सी में बैठ गए ..
डॉ अभी भी सिगरेट का धुआ उड़ा कर उससे छल्ला बनाने की कोशिस कर रहा था …
अब बलवंत से बर्दास्त नहीं हुआ
“सुनो डॉ हमारा काम है इसलिए हम तुम्हारे पास आये , उपर से ये बत्तमीजी “
अब्दुल ने इशारे से बलवंत को शांत रहने के लिए कहा , बलवंत की बात सुनकर एक बार डॉ ने सभी को देखा और …
“भखलंड …”
सभी उसकी बात सुनकर एक दुसरे को देखने लगे
“मलतब “ अम्मा भी थोड़ी चौकी थी
“जिसके कारन आप परेशान हो वो भखलंड प्रजाति का शैतान है , मैंने इस प्रजाति के शैतानो पर पूरी रिसर्च की है “
“क्या ??? शैतानो की भी प्रजाति होती है “ अम्मा थोड़ी चौकी जबकि बलवंत को लगा की ये साला मैं कहा फंस गया
“बिलकुल होती है , सभी शैतानी ताकते असल में एक ही है लेकिन फिर ही सभी का काम अलग अलग होता है , उसी के हिसाब से ये वर्गीकरण किया गया है , मैं इस पर एक थीसिस भी लिख रहा हु , भखलंड , चुदैल आदि प्रकार के प्रजातियों पर “
“चुड़ैल ??? “ बलवंत ने थोडा अपसेट होते हुए कहा
“चुड़ैल नहीं ठाकुर साहब चुदैल , ये शैतान के स्त्री लिंग वाला रूप है “
“यार काम की बात करो , तुम्हारे इस थीसिस में मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है “
बलवंत थोडा झल्ला गया था , जिसे देखकर थोडा हँसा
“ठाकुर साहब जिस चीज से आपको लड़ना है कम से कम उसकी जानकारी तो आपको होनी ही चाहिए न , मैं थोडा भखलंडो के बारे में बताता हु , जैसे शैतानी ताकते कई चीजो को पाने के लिए उपद्रव करती है जैसे पॉवर , पैसा ,जमीन जायजाद ,ओरते आदि आदि या ये सभी एक साथ , लेकिन ये प्रजाति थोड़ी अलग है , इन सालो को बस एक ही चीज चाहिए और वो है इंसान के अंदर हवस भर देना , इन्हें सेक्स करवाने में मजा आता है , जो भी इनकी पूजा करे या गुलाम बने वो इन्हें वैसे ही ताकते देते है , खासकर जिसे समाज पाप कहता हो वैसा सेक्स इन्हें और भी ज्यादा पसंद है , जैसे रिश्तो में सेक्स , दुसरे के प्यार या बीबी से सेक्स आदि आदि …”
सब खामोश थे लेकिन अम्मा बोल उठी
“डॉ साहब ये सब तो ठीक है लेकिन आप भी जानते है की इस शैतान ने हमारे कुवर की मदद की है , और ये शक्तिया एक खास मकसद से उसे मिली है ,लेकिन अब वो हमें डराने लगी है , अब हमे क्या करना चाहिए “
“अम्मा निशांत जितना अधिक सेक्स में इन्वोल्व होगा उतनी ही उसकी शक्तिया भी बढ़ते जायेगी , और शायद यही दोनों गांवो की सबसे बड़ा डर है , लेकिन फिक्र मत करे मेरे पास इसका भी एक उपाय है “
“क्या ???” तीनो एक साथ बोल पड़े
“चुदैल शैतान “
अब तीनो एक दुसरे का चहरा देखने लगे
“लेकिन कैसे “ अब्दुल बोला
“बेटे आसान है , जैसे निशांत को पॉवर मिली अगर वैसे ही कोई लड़की चुदैल शैतान से पॉवर ले ले तो वो एक दुसरे के काट बन सकते है , अभी हमारे पास टाइम है की हम कोई ऐसी लड़की ढूंढ ले “
सभी से एक दुसरे को देखने लगे
“लेकिन डॉ साहब ये चुदैल शैतान की उपासना कैसे की जाती है और कौन लड़की अपनी क़ुरबानी देगी “
डॉ के चहरे में एक मुस्कान खिल गई
“चुदैल शैतान की पॉवर वाली लड़की भखलंड को शारीरिक रूप से पूर्ण संतुष्ट करके उसे शांत कर सकती है ,लेकिन उसकी शक्ति को पाना किसी आम लड़की के बस का नहीं है , ये समर्पण वही कर सकती है जो ….”
“जो क्या ???” तीनो ने एक साथ कहा
“जो निशांत से सच्चे मन से प्यार करती हो और उसे शांत करने के लिए कुछ भी कर जाए “
तीनो एक दुसरे का मुह देखने लगे , आखिर ऐसी लड़की है कौन …
लेकिन अम्मा के दिमाग में एक ही नाम गूंज रहा था ..
अन्नू ……..
शाम का वक्त था जब डॉ अपने एक साथी के साथ मेरे कमरे में आये ,
वो मुझसे अकेले में मिलना चाहते थे , उनके हाथो में कुछ सामान थे जो की मेडिकल रिपोर्ट लग रहे थे ..
“निशांत तुम जानना चाहते थे ना की तुम्हारे साथ क्या हुआ है ..?”
मैंने हां में सर हिलाया ..
उन्होंने सभी रिपोर्ट्स को एक एक कर मुझे दिखाया ..
“तुम्हे लोहे की रॉड से मारा गया था जिससे तुम्हारी कई हड्डिया टूट गई थी , और गोलीयो तुम्हारे वाइटल ऑर्गन को डेमेज कर दिया था , लेकिन सबसे ज्यादा नुक्सान उस गर्म सरिये से हुआ जिसे तुम्हारे पेट में घुसाया गया था , वो सीधे तुम्हारे स्पाइन को डेमेज करते हुए बाहर निकली थी जिससे कई नर्व डेमेज हो गए … तुम जिन्दा हो वो ही एक चमत्कार है ,लेकिन जो अभी तुम्हारी हालत है , दुनिया का कोई भी डॉ तुम्हे अपने पैरो में खड़ा नहीं कर सकता , तुम हमेशा हु ही रहोगे , ना कभी चल पाओगे ना कभी अपने शरीर को हिला पाओगे ,,,वो शैतानी ताकत ही थी जिसके कारन आज तुम जिन्दा बच गए और वही है जो तुम्हे फिर से तुम्हारी पुरानी जिंदगी दे सकता है , जो कोई नहीं कर सकता वो ये कर सकते है …”
उन्होंने अपने साथ आये एक आदमी की ओर इशारा किया …
“इनसे मिलो ये है चमन चुतिया , आत्याचारी लंड नामक संस्था के फाउनडर है “
मैंने उस आदमी को अजीब निगाहों से देखा , एक अजीब सा इंसान था , बड़े बड़े बाल और बड़ी बड़ी दाढ़ी लिए वो इंसान कोई 40-45 वर्ष का होगा , पुरे बाल बिखरे हुए और हलके घुंघराले थे , उसके कपडे मटमैले थे किसी जादूगर जैसा अजीब सी शेरवानी पहन रखी थी , बहुत सारी मानिक की मालाये डाल कर रखी थी , और सबसे अजीब तो उसका और उसके संगठन का नाम था , साला ऐसा नाम कौन रखता है , लेकिन जब डॉ का नाम चुतिया हो सकता है तो इसका नाम चमन चुतिया क्यों नहीं हो सकता …
“आप के साथ रहने वाले लोग इतने अजीब क्यों होते है “
मैंने डॉ से कहा
“बेटा ये अजीब से लोग ही तुझे तेरे पैर में खड़े करने वाले है , तो इनसे थोड़ी इज्जत से बात करो … ये कोई आम इन्सान नहीं है एक बहुत बड़े जादूगर है और जादू टोना एक्सपर्ट है , और शैतानी ताकतों को सम्हालने और उसके इस्तमाल में इसने कालाकंडी युनिवर्सिटी से पीएचडी की हुई है , समझा “
“अब ये युनिवर्सिटी कहा है ???”
“बच्चे यंहा आम पढाई नहीं होती , ना ही आम लोग वंहा पढने जाते है , तुम ये सब छोडो और अब मेरी बात सुनो ..” वो आदमी पहली बार बोला था अब वो मेरे पास आ गया
मैंने हां में सर हिलाया , उसने बोलना शुरू किया
“एक ही ताकत तुम्हे बचा सकती है जो तुम्हारे अंदर है , लेकिन इस हादसे से वो सो चुकी है , उसे फिर से जगाना होगा , आज अमावस की रात है , आज शैतानी ताकते अपने सबसे ज्यादा प्रभाव में होती है , लेकिन इसे जगाने के लिए कई जतन करने होंगे, साथ ही कई महिलाओ का साथ चाहिये होगा , यंहा की कई ओरते साथ देने को तैयार है , क्योकि वो तुम्हे बहुत चाहती है, हमने उनमे से 10 कोई चुन लिया है , लेकिन सबसे जरुरी ये है की तुम इसकी इजाजत दो “
“आखिर मेरे इजाजत देने से क्या होगा ??”
“तुम्हारे अंदर जो ताकत आएगी वो कोई आम ताकत नहीं है , शैतान की शक्ति का एक अंश जो तुम्हारे पहले से था , तुमने उसकी शक्ति का आभास किया है , लेकिन अब जो होगा वो उससे कई गुना ज्यादा ताकतवर होगा , तुम उसे काबू नहीं कर पाओगे , और तुम्हे ये जिंदगी शैतान के नाम करनी होगी , उसका कहा मानना होगा , हा इसके बदले तुम्हे इतनी अदम्य शक्तिया मिलेगी जिसके कोई इंसान सपने ही देख सकता है …”
मैं गंभीर सोच में पड़ गया … अपने पास शैतानी शक्तियों को रखना मतलब खुद का और दूसरो का भी बुरा करना था , लेकिन मेरी जो हालत थी वैसे जीना भी तो मुमकिन नहीं था ..
“मैं नहीं चाहता की मेरे कारण किसी का बुरा हो , ऐसे भी मैंने कई लोगो का बुरा कर दिया है , अब और नहीं …”
“तो क्या जीवन भर तुम ऐसे ही बिस्तर में पड़े रहना चाहते हो …”
चमन ने गुस्से में कहा
मैं चुप हो गया … तभी डॉ ने कहा
“निशांत किसी का बुरा या अच्छा करना तो तुम्हारे हाथो में है , शक्ति का स्वरुप हमेशा से ही उदासीन रहा है , उसके ऊपर किये कर्म बताते है की वो अच्छा है या बुरा ,कोई भी शक्ति अच्छी या बुरी नहीं होती , अच्छे या बुरे तो केवल कर्म ही होते है , और लोगो की प्रकृति होती है की वो आदतन ही अच्छे या बुरे कर्म करते है , तुम्हारे पास पहले भी शैतानी शक्ति रह चुकी है लेकिन तुमने अपने प्रकृति की अनुरूप इसका उपयोग किया ,कभी इसी पर जबरदस्ती नहीं की , तुम चाहते तो पुरे गांव की स्त्रियों को अपने काबू में कर सकते थे लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया , ये तुम्हारा प्रकृति दर्शाता है , और इसीलिए उस शक्ति ने तुम्हे चुना था, इस गांव का भाग्य भी तुम्हारे हाथो में ही है , अगर तुम ये काम नहीं करोगे तो शायद इस काम के लिए तो वो पत्थर कही दुसरे को ना चुन ले , जिसकी प्रकृति दुष्ट हो और फिर वो क्या आतंक मचाएगा वो तुम सोच सकते हो , और ये मत बुलो की तुम्हारी अम्मा और अन्नू भी इसी गांव में रहते है अगर पथ्थर ने फिर से किसी दुसरे को चुन लिया तो वो सबसे पहले इस गांव की सबसे प्रभावशाली महिला को अपने कब्जे में करेगा , तुम इस हालत में बैठे हुए अपनी घर को सिर्फ लुटते हुए देख पाओगे …. क्या तुम यही चाहते हो …”
डॉ ने जो कहा था उससे मैं पूरी तरह से हिल गया था और सोचने में मजबूर हो गया था …
मैं इस शक्ति के प्रभाव को समझता था ये शक्ति अगर किसी बुरे व्यक्ति के हाथ में पड़े तो वो तबाही मचा सकता था , मुझे ये करना पड़ेगा …. मैंने अपना मन मजबूत किया ..
“ठीक है डॉ मैं तैयार हु …”
“बहुत बढ़िया , चमन तयारी शुरू करो “
चमन मेरे ओर देखा उसका चहरा खिला हुआ था ..
“बहुत बढ़िया निशांत , तुमने सही फैसला किया , अब तुम भी एक अत्याचारी लंड बन जाओगे … तो बोलो होउस द जोश …”
“क्या …” मैंने आश्चर्य से उसे देखा
“कुछ नही बस तुम इस रात के बाद से मेरे संगठन के सदस्यों में से एक हो जाओगे , तो खुश हो ना …”
डॉ ने उसके कंधे पर हाथ रखा
“भाई चम्मन चूतिये , तुम अपना काम करो ना यार क्यों बच्चे को डरा रहे हो “
वो ख़ुशी ख़ुशी वंहा से चला गया ..
“ठीक है कुवर अब हम कल ही मिलेंगे , एक चीज याद रखना की तुम्हे फिर से अच्छा करने के लिए गांव की कई स्त्रियाँ अपना जीवन और अपना योवन समर्पित करने को तैयार है , ठीक होने के बाद उनका ख्याल रखना , उनके अहसानों को भूल मत जाना …“
डॉ भी वंहा से चले गए थे ……….
रात हो चुकी थी लगभग 11 बजने वाले थे , मुझे एक गाडी से ले जाने का पूरा बंदोबस्त हो चूका था , साथ ही और भी कई गाड़िया तैयार थी , मुझे गाडी में बिठाया गया , मेरे साथ ना अन्नू थी ना ही अम्मा , मेरे बाजु में चमन बैठा था , वो आंखे मूंदे कुछ मंत्र जप रहा था ..
कुछ देर में हम उस जगह पर पहुच चुके थे , कुछ लोग मुझे झील के किनारे ले कर गए , वहा मुझे उठाकर उसी पत्थर पर रख दिया गया था , झील का कलरव मेरे कानो में गूंज रहा था , उन्होंने मुझे निर्वस्त्र कर दिया , चमन के अलावा सभी मर्द वंहा से चले गए थे ..
“आधी रात होने पर हमे शैतान का आह्वाहन शरू करना है ..” चमन मेरे कानो में बोला और कुछ इशारा किया
“तुम्हे शांत रहना होगा .. और जो हो खुद को समर्पित कर देना है , अपना दिमाग लगाना बंद कर दो , खुद को ढीला छोड़ दो ..” उसने मेरे कानो में कहा ..
मैं भी चुप चाप अपने को ढीला छोड़कर वंहा लेटा रहा ..
कुछ देर बाद ही पायलो की झंकार हुई , मैंने देखा की वंहा कई स्त्रिया इकट्ठी हुई है , वो सभी झील की ओर जाने लगी , मेरे पास ही आग जलाई गई थी , सभी स्त्रियाँ निर्वस्त्र थी और वो झील में जाकर डुबकी मारने लगी …
थोड़े देर बाद सभी मेरे चारो ओर आकर खड़े हो गए , एक नजर मैंने सभी को देखा , कई पहचान के चहरे थे , गुंजन भाभी और कामिनी भाभी भी उसमे खड़े थे , सभी गिले थे , ढोल बजने की आवाज शुरू हो गई , सभी बाल बिखरा कर नाचने लगे , मैंने ऐसा नृत्य पहले भी सपने में देखा था , लेकिन इस बार वो मेर चारो ओर नाच रहे थे , तभी सबके बीच से महिला सामने आई उन्हें देख कर मेरे रोंगटे ही खड़े हो गए , उन्हें हाथो में एक बड़ा सा चाकू था और वो कोई और नहीं बल्कि मेरी अम्मा थी ..
हम दोनों की नजरे मिली लेकिन उनके आँखों में कोई भाव ना था , चमन लगातार मन्र पढ़कर आग में आहुति दे रहा था , स्त्रियाँ मेरे चारो ओर नाच रही थी , अम्मा पूरी तरह से निर्वस्त्र थी वो मेरे चहरे के पास आई और अपनी हथेली काट कर मेरे चेहरे के कुछ उपर रख दिया , रक्त बहने लगा था जो सीधे मेरे चहरे पर पड़ रहा था …
मेरा चहरा उनके खून से सन रहा था , वो अपने हथेली को मेरे चहरे से लेकर पैरो तक ले गई , उनका रक्त मेरे नग्न शरीर को भिगोने लगा , वो एक जगह रुकी , और मेरे शरीर में अचानक से जैसे संवेदना का संचार हो गया , मेरे निर्जीव शरीर का हर अंग जैसे जीवित हो गया था , मुझे अपने पुरे शरीर का भान होने लगा , लेकिन जिस जगह अम्मा अभी खून की धार टपका रही थी उसका आभास पाते ही मैं चुह्क उठा ..
“आह …” मेरे मुह से निकला ..
अम्मा मेरे लिंग पर खून से मालिस कर रही थी और उन्होंने झुककर अपने मुह से मेरे लिंग को भर लिया ..
इतने सालो के बाद मैंने अपने शरीर को महसूस किया था वो भी ऐसे , मेरा लिंग तनने लगा , मैं आश्चर्य से भर गया था ये सच में एक चमत्कार था , अम्मा के नाजुक मुख चोदन से मैं उत्तेजना के शिखर तक पहुचने लगा , सभी दूसरी महिलाये भी मेरे आस पास आने लगी , सभी के हाथो में चाकू थे सभी ने अपनी कलाई काटी और मेरे शरीर में रक्त गिराने लगी , वो सभी कुल 10 महिलाये थी जिनके रक्त से मेरा पूरा शरीर नहाने लगा , , वो अपने हाथो को मेरे शरीर में चलाने लगी , उन सभी की आँखे बंद होने लगी थी , सभी अपने ही मस्ती में आ रही थी , सभी मुझे यत्र तत्र छू रही थी और अपने खून को मेरे शरीर में फ़ैलाने लगी …
वो मस्ती में आकर मेरे शरीर के विभिन्न हिस्सों को चूमने चाटने लगी थी ,मुझे हर एक जीभ की संवेदना महसूस हो रही थी , एक अलग सा खुमार मेरे शरीर में चढ़ने लगा था …सभी महिलाये मुझपर बुरी तरह से टूट पड़ी थी , मेरे शरीर में संवेदनाये तो वापस आ गई लेकिन मैं अभी भी अपने शरीर को नहीं हिला पा रहा था , थोड़ी ही देर बाद मुझे चमन दिखाई दिया , उसके हाथो में एक बड़ा सा प्याला था , उसने उसे मेरे मुह में लगा दिया ,
“ये इन सभी स्त्रियों का पेशाब है , इसे पि लो “
मैं अपनी ही मस्ती में खोया था , मुझे कुछ सूझ नही रहा था , एक तो शरीर पर इतनी स्त्रियों का स्पर्श और मेरे लिंग में अभी भी अम्मा मुह चलना , मैं बुरी तरह से कांपने लगा , मजे और उत्तेजना में मैं बेहाल हो रहा था लेकिन मेरा शरीर बिलकुल भी हिल नहीं पा रहा था , उसी स्तिथि में मैंने वो प्याला पि लिया , मुझे उसके स्वाद का जरा भी आभास नहीं हुआ , लेकिन जैसे ही वो मेरे गले से उतरा , शरीर में एक अजीब सी ताकत का संचार मैंने महसूस किया , मेरी आँखे बंद होने लगी …. और अचानक से खुली …
“आह … साला मजा आ गया , कितने देर से सोया था मैं ???? वाह क्या माहोल है , मुझे इतनी ताकत कैसे महसूस हो रही है , तुम तो शैतानी साधना कर रहे हो , मजा ही आ गया , सही किया तुमने पाट्नर “
मेरे अंदर से एक आवज आई ,
“लौडू तू .. तू जाग गया “ मैंने उसे देखकर बहुत ही खुश हो गया था ऐसा लगा जैसे कोई बिछड़ा दोस्त मिल गया हो ..
“हा जाग गया , तेरे कारन मैं भी मर गया था , खैर ये बात करने का समय नहीं है , अभी तो मस्ती कर … वह क्या रांड है जो लिंग चूस रही है , भाई आज तो मजा ही आ गया ..”
“मादरचोद वो अम्मा है ..”
“वाह तब तो और भी मजा आएगा , अब मुझे मजे लुटने दे मैं तो चला “
अचानक से जैसे लौडू गायब हो गया , वो सभी महिलाये अपने ही धुन में डूबी हुई है , मैंने अपने हाथ पैर हिलाए और मैं खुश के साथ साथ अचम्ब्भित भी था , मुझे यकीं नही हो पा रहा था की मैं इतना स्वस्थ हु , अभी अम्मा का चहरा मेरे सामने आया , उन्होंने मेरे आँखों में देखा , वो मेरे उपर लेटी हुई थी , मेरे आँखों में देखते हुए ही उन्होंने मेरे लिंग को हाथो में लेकर सीधे अपने योनी द्वार में रगड़ दिया ..
हम दोनों ही उत्तेजना से मरे जा रहे थे , मेरे मन में नैतिकता का बोध तो था लेकिन अभी तो उत्तेजना ही हावी थी , उन्होंने मेरे लिंग को दिशा दिखाई और सीधे अपनी योनी में उसे प्रवेश करवा दिया …
“आह …” दोनों के ही मुह से एक साथ निकला , अभी भी हम एक दुसरे के आँखों में ही देख रहे थे , सभी महिलाये एक साथ चिल्लाने लगी , वो हु हु की आवाज निकाल रही थी ,
अम्मा भी मेरे लिंग में अपनी कमर घुमाने लगी थी और मुह उठा कर वो भी भेडियो की तरह हु हु की आवाज कर रही थी ..
लम्बी लम्बी हूऊऊउ की आवाज के साथ वो मेरे तेजी से मेरे लिंग पर कूद रही थी , कोई जोरो से ढोल बजा रहा था , शायद वो चमन ही था , सभी जोरो से ढोल की धुन में ही हु हु की आवाज कर रहे थे , अम्मा और भी जोरो मेरे उपर खुद रही थी , मजे और उत्तेजना से मेरा बुरा हाल हुआ पड़ा था , अचानक से मुझे लगा जैसे पत्थर से कोई करेंट निकल कर मेरे पुरे शरीर में छा रहा है , मैं कांपने लगा साथ ही वो करेंट अम्मा के शरीर में भी दौड़ने लगा था , वो भी मेरे साथ कापने लगी थी , सभी और जोरो से हु हु की आवाजे निकाल रहे थे , अम्मा भी और तेजी से कूदने लगी थी , अपनी कमर को वो पूरी ताकत से मेरे लिंग पर रगड कर मेरे लिंग को अंदर बाहर कर रही थी , वो करेंट मेरे और अम्मा के पुरे शरीर में फ़ैल रहा था और अचानक से ऐसा लगा जैसे मेरी पूरी शक्ति उस करेंट के साथ सिमटते हुए मेरे लिंग में आ गई और दो तीन जोरदार धक्को के साथ वो वीर्य के साथ अम्मा के गर्भ में समां गई …
मुझे लगा जैसे मैं खुद ही उनकी योनी में समां गया हु , मेरी पूरी चेतना ही खो गई थी , मैं बेहोश सा हो गया , फिर से मेरे शरीर में कोई ताकत नही बची , मैं जाग जरुर रहा था लेकिन पूरी तरह से निर्जिब , वीर्य के साथ ही मेरा जीवन अम्मा के योनी के जरिये उनकी कोख में समा गया था … एक सेकण्ड में ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी पूरी ताकत फिर से योनी से निकल कर मेरे लिंग के जरिये मेरे पुरे शरीर में फ़ैल गई …
“आआआअ “ मैं चिल्ला उठा , एक अजीब सी उत्तेजना मेरे अंदर भर गई थी , जिसे मैं सम्हाल नहीं पा रहा था , मुझे लगा जैसे एक शक्ति का पूरा द्वार ही खुल गया हो और मेरे उपर छोड़ दिया गया हो , मैं अपने हाथ पैर पत्थर में पटक रहा था , और वो शक्ति अभी भी मेरे लिंग के जरिये मेरे पुरे शरीर में फ़ैल रही थी , वीर्य की धार छोड़ने पर जो मजा आता है वैसा ही मजा मुझे लगातार आ रहा था , मैं परेशान हो चूका था, लेकिन वो शक्ति मेरे अंदर प्रवेश कर ही रही थी ,मेरे एक एक मसल्स फडफडा रहे थे , जैसे उनमे कोई ताकत भरी जा रही हो , अम्मा का आँख और मुह खुला हुआ था वो असमान को देख रही थी जैसे वो बेसुध हो , वो बस एक तक असमान की ओर निहारे जा रही थी , कुछ सेकण्ड में ही मेरी हालत खराब हो चुकी थी और अचानक ये ख़त्म हो गया , अम्मा निढल होकर गिर गई , कुछ महिलाओ ने उन्हें सम्हाला , तब मुझे पता चला की नंग नाचने वाली महिलाओ के अलवा भी कुछ महिलाये आई हुई है जो दूर खड़ी थी अम्मा के गिरने के बाद उन्होंने तुरंत उन्हें उठा लिया …
अम्मा के जाते ही एक दूसरी महिला मेरे उपर चढ़ गई , उसने अपने कलाई का खून मेरे चहरे में डाला और अपनी नश को मेरे मुख पर रख दिया , मैंने अपने होठ खोले ..
“इसका खून चुसो “ चमन वहां से चिल्लाया
मैंने उसका खून चूसा और सभी फिर से हु हु चिल्लाने लगे , फिर से नंगाड़े बजने शुरू हो गए थे ..
मुझे यकीन नहीं हो पा रहा था की मेरा लिंग अभी भी इतना कड़ा है , वो भी अम्मा के जैसे मेरे लिंग पर कूद रही थी वो भी हु हु की आवाज निकाल रही थी , मैं फिर से मजे में खो रहा था , इस बार भी वैसा ही हुआ , पहले जब मेरा वीर्य उसकी योनी में गया तो मैं पूरी तरह से निढल हो गया और फिर एक उर्जा वापस से लिंग के जरिये मेरे शरीर में प्रवेश करने लगी , मैं वैसे ही कांपने लगा लेकिन इस बार मुझे इसका कुछ मजा आने लगा था ,थोड़ी आदत सी हो गई थी और उर्जा के वापस आने पर मैं खुद को और भी ताकतवर महसूस करता … और उर्जा पूरी तरह से मेरे अंदर आने के बाद वो महिला बेसुध होकर गिर पड़ी और दूसरी महिलाये उसे उठा कर वंहा से ले जाती …
ये सिलसिला पुरे 10 बार चला , गुंजन भाभी और कामिनी भाभी ने भी यही किया सभी बेसुध होकर गिर गई , लेकिन हर बार मैं खुद को और भी ताकतवर महसूस कर रहा था …
आखिरी महिला के गिरने के बाद मैं खुद से खड़ा हो गया , मेरा पूरा शरीर खून से भीगा हुआ था , लेकिन मैं पहले से कई ज्यादा ताकतवर महसूस कर रहा था , मैंने अपने मसल्स को देखा , अपने शरीर को छूने लगा , मुझे विस्वास ही नहीं हो पा रहा था , मैं जीवन में कभी जिम नहीं गया था लेकिन मेरे मसल्स इतने मजबूत लग रहे थे जैसे मैं कोई प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर हु , सारे घाव के निशान मिट चुके थे और शरीर में गजब की फुर्ती का आभास हो रहा था , मैंने अपने लिंग को अपने हाथो से छुवा वो बिलकुल ताजा मोटे केले की तरह दिखाई पड़ रहा था , उपर की ओर थोडा कर्व लिए हुए बिलकुल कड़ा और उन्नत …
मैंने एक नजर उन सभी महिलाओ को देखा जिनके साथ मैंने सम्भोग किया था , वो सभी बेसुध पड़ी थी ,उनके लिए मेरे मन में एक सम्मान और आदर का भाव आया , उनके लिए प्रेम उमड़ पड़ा , इनके कारन मैं स्वस्थ हुआ था , और स्वस्थ कहना भी गलत था और पहले से कही ज्यादा बेहतर और ताकतवर था , मेरे रगों में रक्त ऐसे फुदक रहा था की मैं अभी कोई पहाड़ तोड़ दू , आदर और सम्मान से मेरा सर झुका मैं उन महिलाओ के सामने दंडवत हो गया , मैंने लेट कर उन्हें प्रणाम किया ..
चमन ने मेरे पास आकर मुझे उठाया , मैं उनके चरणों में भी गिर पड़ा , लेकिन उन्होंने मुझे सम्हला , मेरे आँखों में कृतज्ञता के आंसू थे .. उसने उसे अपने हाथो से पोंछा
“सही कहा था डॉ ने की तुम इस शक्ति के असली हक़दार हो , कोई और होता तो उसके अंदर ताकत का अभिमान आ जाता , कभी कृतज्ञता का भाव उसके अंदर नहीं उमड़ता , लेकिन तुम्हारे अंदर ये भाव उमड़ा , सच में शक्ति सही या गलत नहीं होती व्यक्ति के कर्म मायने रखते है …. तुम बहुत आगे जाओगे , तुम इस गांव का ही नहीं बल्कि बहुत लोगो का कल्याण करने वाले होगे ,मुझे पूरा यकीन है की इस शक्ति का तुम सही प्रयोग करोगे , भले ही ये शैतानी शक्ति हो …”
मैंने हां में सर हिलाया ..
“अब इन सभी को झील में ले जाकर डुबाओ जिससे इनको होश आ जाये , इन्होने अपना जीवन तुम्हारे नाम कर दिया , अब तुम जब चाहो जितना चाहो इन्हें भोग सकते हो , ये सभी तुम्हारी गुलाम की तरह होंगी , “
मैंने आश्चर्य से चमन की ओर देखा
‘मैं जानता हु की तुम इन्हें अपने भोग की वस्तु नहीं बनाओगे लेकिन अगर तुम इन्हें भोगोगे तो इन्हें भी परम सुख मिलेगा , अब जाओ और इन्हें झील में स्नान करवाओ “
मैं उनके पास गया और एक साथ दो महिलाओ को मैंने एक एक हाथ में उठा लिया , मेरे अंदर सच में गजब की ताकत आ गई थी , मैं उन्हें एक एक करके झील के अंदर छोड़ता गया पानी पड़ने से सभी होश में आने लगी और खुद को मल मल कर खून को धोने लगी , चमन ने फिर से नंगाडा बजाना शुरू कर दिया था , और भी जो महिलाये वंहा आई थी वो चुप चाप एक कोने में बैठी हुई तमाशा देख रही थी और झील के अंदर सभी महिलाये झूम रही थी वो मेरे ही शरीर को घुर रही थी , सभी निर्वस्त्र थी और पानी में अटखेलिया कर रही थी , वो वंहा मस्ती करने लगी थी , सभी बिलकुल ठीक लग रही थी , अब मैं भी उनके साथ पानी में आया , सभी मुझसे लिपटने लगी , वो मेरे अलग अलग जगहों को चूम रही थी , सामने अम्मा भी मुस्कुराते हुए देख रही थी …
“आप सभी का मैं जीवन भर आभारी रहूँगा “
मैंने सभी के सामने हाथ जोड़ लिए
“अरे कुवर जी हम तो अब आपकी दासी है , और हम आभारी है की आपने हमें अपनी दासी के रूप में सेवा का मौका दिया “
कामिनी भाभी अपने स्तन मेरे सीने में रगड़ने लगी , मैंने उनको बालो से पकड़ा और उनके चहरे को अपने पास लाकर उनके मुह में अपना मुह घुसा दिया , तभी कोई पाने के अंदर डूबकर मेरे लिंग को अपने मुह में ले चूका था , मस्ती फिर से मेरे शरीर में छाने लगी थी , मैं कामिनी भाभी के होठो को चूस रहा था वही एक हाथ से उस महिला के सर को पकड कर अपने लिंग में जोरो से दबा रहा था , बाकि की महिलाओ के हिस्से में मेरे शरीर का जो भी हिस्सा आया वो उसे ही चूमने में लगी थी , ,, रात पूरी तरह से अँधेरी थी , और नंगाड़े की आवाज दूर दूर तक फ़ैल रही थी , छोटी सी आग जरुर जल रही थी जिससे यंहा थोड़ी रौशनी फैली हुई थी …
लेकिन अचानक हमारे उपर टार्च की लाईट मारी गई …
वो झील के उस पार से मारी जा रही थी , मैं गुस्से में उस ओर मुड़ा तो मुझे कोई 10 लोग वंहा दिखे ..
“मादरचोद वंहा क्या हो रहा है “ कोई वंहा से बोला और बंदूख तान कर खड़ा हो गया , मेरे रक्त का प्रवाह जैसे तेज हो गया मैं सभी को छोडकर उस ओर बढ़ गया ,मेरी रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी
“अबे इतनी ओरते वो भी नंगी , कही चुडैल तो नहीं “
“क्या पता चुड़ैल है या चुदैल हा हा हा “
एक आदमी बोला तभी मैं उनके सामने जा कर खड़ा हो गया , सभी ने टार्च की लाइट मेरे उपर कर दी …
“मादरचोद ये तो वही …” उनमे से एक बोला लेकिन उसके बोलने से पहले ही मैं फुर्ती से घुमा और सीधे उसके गले में एक लकड़ी का टुकड़ा घुसा दिया , वो सभी हडबडा गए और उन्होंने बन्दुक की नोक मेरे उपर तान दी एक न गोली चलाई लेकिन मैंने बंदूख की नोक पकड़ कर दूसरी ओर कर दिया , मैंने एक ही झटके में उससे बंदूख छीन ली थी और उल्टे उसके उपर तान कर गोलिया चला दी , उनके अंदर बुरी तरह से हडबडाहट फ़ैल गई थी वो बेतहाशा गोलिया चलाने लगे थे लेकिन मैं हर बार बच जाता , एक एक करके मैं उन्हें मारने लगा था ,तभी मेरे सामने बस एक आदमी बचा था . वो मुझे देख कर काँप रहा था लेकिन अपने हाथो में बंदूख को बड़े जोरो से जकड़ा हुआ मेरे ओर ही ताने था …
“आगे मत आना वरना गोली मार दूंगा “
वो डर से काँप रहा था , मैंने टार्च से उठने वाली रौशनी में उसका चहरा देखा …
“तू ही है ना जिसने मेरे पेट में वो सरिया घुसाया था …”
मैं उसे पहचान गया था ..
“तू… तुम .. तुम ठीक कैसे वो गए “ उसकी आवाज अभी भी काँप रही थी ,
“मादरचोद आज तो तू गया .. मैं उसके उपर झपटा , उसने लगातार गोलिया चलाई लेकिन बचते हुए मैंने उसके हाथो को पकड लिया और मरोड़कर सीधा उसका हाथ ही तोड़ दिया …
“बचाओ ..” वो बुरी तरह से चिल्लाया
मैंने दोनों हाथो से उसके मुह को पकड लिया ,एक हाथ से मैंने उसके निचे के जबड़े को पकड़ा और दुसरे से उपर के जबड़े को , मैंने जोर लगाया , वो दर्द से छटपटाने लगा , लेकिन मैंने और जोर लगाया , उसका मुह बाजुओ से फटने लगा था , मुह से खून की धार बहने लगी , और पूरी ताकत लगा ली और उसके मुह को दो हिस्सों में चिर दिया …
मैं उसके खून से सन चूका था …
मैंने चारो ओर देखा , मैं ऐसा खुनी खेल खेल चूका था , मैंने जानवरों की तरह उन लोगो को मारा था … सामने चमन अभी भी नगाड़ा बजा रहा था , दया जैसे मेरे अंदर से गायब थी , मैंने खुद को देखा , सच में मैं एक शैतान बन चूका था , लेकिन जैसा डॉ ने कहा था की शक्ति अच्छी या बुरी नहीं होती ..
मुझे इस शक्ति से लोगो की भलाई करनी थी ……….
जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
“तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए “
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
“यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है “
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
“कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …”एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
“मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु “
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
“ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है “
“हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है “
“कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है “
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
“आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है “
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
“कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो “
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
“इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले “
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
“क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …”
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …
रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
“कुवर ..”
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“कौन है …” मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
“आऊ ..” मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
“क्या हो रहा है ये , कौन है …???”
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
“कुवर जी….”
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
“अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु “
मैंने लौडू को आवाज दी
“ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी “
“अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है “
“कुवर जी …” एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
‘ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी “ लौडू बोल उठा
“मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है “
“बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है “
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
“कौन है सामने आओ …”
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
“कुवर ..”
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
“भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है “ मैंने उसे डांटा
“भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा “
“चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??”
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
“कौन हो तुम लोग “
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
“हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू “
“इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी “
वो हलके से मुस्कुराई
“हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर “
“मेरी प्रतीक्षा ???”
“जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया “
“क्या …???”
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
“जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …”
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
“भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा “ लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
“अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है ….”
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
“मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
कोकु की सुन्दरता को मैं मोहित होकर देख रह था , अद्वितीय सुन्दरता जिसका बखान नहीं किया जा सकता , जिस्म संगमरमर की तरह तरासा हुआ , हर अंग जैसे संतुलित हो , कही कुछ कम नहीं तो कही कुछ ज्यादा नहीं चहरे की मासूमियत किसी 20 साल की नवयोवना की तरह ,
लेकिन उसके आँखों में आये आंसू ने मुझे उसके मानवीय संवेदनाओ का भी अहसास दिलाया ,
वो पास आकर मुझसे लिपट गई ,
“तुमने मुझे मुक्त करके मेरे सारे बंधन तोड़ दिए , मैं सदा तुम्हारी आभारी रहूंगी “
उसके चिपकते ही उसके सीने मेरे सीने से जा मिले थे , मेरा लिंग पूर्ण रूप से अकड चूका था वही मेरे अंदर बैठा लौडू को तो जैसे जन्नत ही मिल गई हो , वो ख़ुशी से नाचने लगा
“लेकिन मैंने तो उस जादूगर के शरीर को नहीं जलाया है , तुम आखिर आजाद कैसे हो गई “
वो मुस्कुराई
“वो तो केवल एक परीक्षा थी , सालो से हम मर्दों को ये प्रस्ताब देते आ रहे है , किसी न किसी तरह का प्रस्ताब जिसे करके वो मनचाही चीजे पा सकते है , कोई दौलत मांगता है , कोई ताकत तो कोई यौन सुख , लेकिन मुझे इस जादू से वही आजाद कर सकता था जो बस हमें आजाद करना चाहे और बदले में कुछ भी ना चाहे , इतने सालो में तुम वो पहले मर्द हो जिसके अंदर शैतान का अंश भी है और हमें आजाद करने के बदले कुछ नहीं चाहिए , “
“ओह लेकिन बाकि की लडकिया कहा गई “
“वो केवल मेरी परछाई थी , जो आजाद होते ही मुझमे समां गई “
“तो क्या अब तुम पूरी तरह से आजाद हो , तुम कौन हो और जो मर्द कुछ मांगते थे उनका क्या होता था ??”
“जो मर्द हमें आजाद करवाने के एवज में कुछ चाहते उन्हें हम मार देते थे इससे हमारी शक्तिया बढ़ जाती , लेकिन हम फिर भी इस झील में कैद ही रहते , हर मर्द को मारने के बाद मेरी एक परछाई और बन जाती थी “
“ओह आखिर तुम्हे कैद किसने किया था??”
“बढ़ी लम्बी कहानी है , इस पर कभी और बात करेंगे , अभी तो मैं इस अहसान के बदले तुम्हे कुछ देना चाहती हु “
वो मेरे मुह के पास अपने मुह को ले आई , और मेरे हाथो को पकड़ कर अपनी कमर में रख दिया , उसकी नंगी कमर में हाथ पड़ते ही मैं जैसे पिघल गया था , हम दोनों के होठ मिलने लगे और मैंने उसे उसी पत्थर में लिटा दिया , धीरे धीरे जिस्म की आग बढ़ रही ही और हम दोनों ही उस आग में जलने को तैयार हो चुके थे , मैंने अपने लिंग का प्रवेश उसकी योनी में करवा दिया , मुझे ऐसा लगा जैसे उसके योनी की दीवारों के नर्म मांस ने मेरे लिंग को पूरी तरह से जकड लिया हो , इतनी संतुष्टि मुझे कभी नहीं मीली थी , ये एक अजीब सा मजा था , हम दोनों ही उस मजे में खोने लगे …
पूरी रात हमने अलग अलग तरह से एक दुसरे का भोग किया , लेकिन मजे की बात ये थी की ना तो मैं थक रहा था ना ही वो , दोनों ही उसी जोश में थे , ना ही कोई स्खलन ही हो रहा था, लेकिन मजा और संतुष्टि गजब की थी , अभी भोर होने को आई थी …
“अब मुझे चलना होगा , मैं तुम्हे किस नाम से पुकारू “
‘निशांत … तुम चाहो तो मुझे कुवर बुला सकती हो “
वो मुस्कुराई
“फिर कब मिलोगी ..?”
मैंने उसके नाजुक हाथो को पकड लिया
“अगर तुम चाहो तो हर रात इसी जगह “ उसने बड़े ही प्यार से कहा
“मैं केवल 15 दिनों के लिए यंहा हु , उसके बाद मैं अपने घर चला जाऊंगा “
“तो इस 15 दिनों में मैं तुम्हे रोज जन्नत के सैर करवाउंगी ..”
उसने मुस्कुराते हुए मेरे होठो को चूम लिया
“और उसके बाद ..??”
“मिलूंगी , सिर्फ तुमसे मिलने आउंगी “
“अभी तुम कहा जाओगी ??”
“मुझे कुछ काम पुरे करने है कुवर , अब चलती हु भोर होने को है “
वो इतना कहकर मुझसे अलग हुई और खड़ी होकर अपनी आँखे बंद कर ली उसके शरीर में अपने आप एक साड़ी आ गई, वो वंहा से मुझे अलविदा कहकर निकल गई , कितनी हसीन रात थी ये ..
सुबह के समय मैं झील में नहाकर निकला था , तभी मुझे चमन आता हुआ दिखाई दिया
“तो पहली रात कैसे गुजरी , चुड़ैल दिखी की नहीं “
चमन की बात सुनकर मैं थोडा चौका
“तुम्हे पता था की वो आएगी “
उसने एक गहरी साँस ली
“हा शैतान की पूजा करने वाले कई लोगो को वो अपना शिकार बना चुकी है , तुम बच गए मतलब की तुमने उसे जीत लिया “
“तुम्हे पता था लेकिन तुमने मुझे कुछ नही बताया , अगर मैं भी उसका शिकार बन जाता तो “
उसकी बात सुनकर मैं गुस्से से भर गया था ..
“अरे इतनी फिक्र क्यों करते हो यार , मुझे तुम्हारी काबिलियत पर यकीं था, नहीं बताया इसीलिए तुम जिन्दा हो वरना तुम्हारे मन में भी कोई न कोई लालसा जाग जाती और वो तुम्हारा शिकार कर लेती , ये देखो “
उसने अपने साथ लाये एक थैले से एक मोटी सी पुस्तक निकाली , कुछ पन्ने पलटने पर एक खुबसूरत लड़की का चित्र दिखा …
“ये है बनराकस चुड़ैल … शैतानी जादूगर और तांत्रिक इसे सिद्ध किया करते थे , इनमे बहुत सी ताकते होती है , वैसे ही एक चुड़ैल को एक जादूगर ने यंहा सिद्ध करके कैद कर लिया था , लेकिन शायद नसीब ऐसी रही होगी की खुद मारा गया , और ये बेचारी यही कैद रही , ये चुड़ैले खासकर यौन सुख को पूरा करने , अपनी गृहणी या संगनी बनाने के काम में लायी जाती थी , ये तुम्हे ऐसा यौन सुख प्रदान कर सकती है जैसा दुनिया की कोई ओरत नहीं कर पायेगी , इन्हें सिद्ध करने के लिए पहले तो इनका दिल जितना होता है , ये अपना दिल उसी को देती है जो निस्वार्थ हो , उस चुड़ैल ने तुम्हे अपना दिल दे दिया है कुवर , अब बारी है उन्हें सिद्ध करने की , तुम्हे हर रात 15 रातो तक उसके साथ सम्भोग करना होगा , उससे वो सिद्ध हो जाएँगी और तुम्हारे इशारो पर काम करेंगी , इसीलिए मैंने तुम्हे यंहा 15 रातो तक रहने के लिए कहा था “
मैंने उस चमन चूतिये को घुर ,उसकी बात सुनकर मैं गुस्से से भर गया
“और इससे मुझे क्या मिलेगा , अरे मुझे पुरे गांव की महिलाओ के साथ सम्भोग करना है , मेरे खुद का प्यार घर पर मेरा इन्तजार कर रहा है और मैं एक चुड़ैल से यौन सुख लू “
“शांत रहो कुवर , उस चुडैल को सिद्ध करके तुम महिलाओ को वो सुख भी दे पाओगे जो उन्हें सामान्य सम्भोग से पुरे जीवन में कभी नहीं मिलता , उनके जीवन को भी धन्य कर दोगे… मेरी बात मानकर एक बार उस चुड़ैल को सिद्ध कर लो ,आखिर नई ताकते हासिल करने में बुराई ही क्या है ??”
मैंने हां में सर हिलाया लेकिन मेरा दिल कोकू के लिए दुःख रहा था , उसकी सुन्दरता क्या केवल भोग के लिए थी , ऐसी भी क्या बदकिस्मती है …… मैंने उसे आजाद करने की ठानी और मैंने चमन के हाथो से वो पुस्तक ले ली , मैं बनराकस चुड़ैल के बारे में हर चीज जानना चाहता था , ताकि मैं उसे इस कुचक्र से मुक्त कर सकू , मुझे उसे अपना गुलाम नहीं बनाना था , बल्कि मुझे उसे मुक्त करना था ………
रात का वक्त था जब मुझे पायलो की आवाज सुने दी ,
मैं आराम से उस पत्थर पर बैठा हुआ था , यही सोच रहा था की मुझे आगे क्या करना है …
“कैसे हो मेरे सजन “
कोकू की मदहोश आवाज मेरे कानो में पड़ी “
“बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था ..” मैंने मुस्कुराते हुए कहा
“ओह क्या सोच रहे थे ..??”
वो इठलाते हुए मेरे गोद में आकर बैठ गई , कोई देखे तो शायद यकीन ना कर पाए की ये कोई आम इन्सान नहीं बल्कि एक शक्तिशाली प्रजाति की चुड़ैल है ..
मैंने प्यार से उसके गालो में एक चुम्मन लिया , वो थोड़ी मचली और अपने शरीर को मेरे लिए सोपते हुए खुद को ढीला छोड़ दिया , मैंने उसकी कमर को सहलाते हुए उसके गालो में फिर से एक चुम्मन किया …
“मैं सोच रहा था की तुम कितनी प्यारी हो , लेकिन … “
“लेकिन क्या ..??”
“लेकिन फिर भी मैं तुमसे प्यार नहीं करता , हा मैं तुम्हे चाहता जरुर हु, तुम्हे पाने की एक तीव्र इक्छा मेरे अंदर है लेकिन … मैं किसी और से प्रेम करता हु “
मेरी बात सुनकर वो उठ कर खड़ी हो गई , वो मेरे सामने ही थी , अचानक से एक हवा आई और उसके बाल पूरी तरह से बिखर गए , उसकी आँखे एकटक मुझे ही देखे जा रही थी …
“मतलब मैं तुम्हारे लिए सिर्फ एक रंडी हु , जिसे तुम जब चाहोगे बस भोगोगे और उसके बाद … उसके बाद मैं तुम्हारी कुछ नहीं …”
मैं जानता था की ये होने वाला है, मैं ये भी जानता था की ये खतरनाक हो सकता है , लेकिन उसे आजाद करने का यही एक रास्ता मुझे मिला था की मैं उसे सच सच बता दू …
“नही ऐसी बात तो नहीं , लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं करता और यही सच है , मेरे दिल में तुम्हारे लिए सम्मान है लेकिन …”
“सम्मान …” वो जोरो से चिल्लाई , माहोल अजीब सा हो गया था , चारो ओर पत्ते उड़ने लगे थे, झील का पानी अचानक से शोर करने लगा था , हवाए तेज हो गई थी , कोकू की सफ़ेद आँखों में रक्त उतरने लगा था ..
“मेरे जिस्म को भोगने को तुम सम्मान कहते हो , तुम्हे बस मेरा जिस्म प्यारा है , मैं नहीं … तुम मुझे एक रखैल बना कर रखना चाहते हो , अपनी गुलाम .. जैसा मेरे साथ हमेशा से लोग करते आये है … तुम भी वैसे ही हो … हो ना … सभी पहले प्रेम का दिखावा करते है , 15 दिनों तक रोज सम्भोग करके मुझे अपनी गुलाम बना लेते है और उसके बाद उनकी असलियत सामने आती है ,.. तुम भी वैसे ही हो ..”
वो गुस्से से लाल हो रही थी लेकिन मेरे चहरे मे महज एक मुस्कान थी ..
“मैं सच में तुम्हारा सम्मान करता हु ,इसलिए और मैं तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता , बल्कि तुम्हे मुक्त करना चाहता हु ,जिससे तुम फिर से किसी दुष्ट के प्रेम में ना पड़ जाओ , मैं चाहता हु की तुम मेरे भी प्रेम में ना पड़ो …”
मेरी बात का जैसे उसपर कोई असर नहीं हुआ , हवाए बहुत तेज हो गई थी , वो हवा में उठने लगी , चारो ओर एक बवंडर सा उठने लगा था , झील का शांत पानी हिलोरे मारता हुआ बड़ी बड़ी लहरे बना रहा था , पत्तिया और धुल बवंडर की चपेट में आकर मेरे गोल गोल घूम रहे थे …
“तुमने मुझे धोखा दिया , मुझे फ़साने की कोशिस की …”
उसकी बात सुनकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया …
“साला ये तुम लडकियों की प्रोब्लम क्या है , अगर तुमसे झूठ बोलकर प्यार का दिखावा करो तो तुम लोग सोना बाबु बोलकर सब कुछ खोलकर सामने रख देती हो , लेकिन अगर कोई सच्चा आदमी मिल जाए जो तुम्हे सच बता दे तो तुम्हे लगता है की उसने तुम्हारे साथ खिलवाड़ किया ..??? मैं चाहता तो तुम्हे प्यार के झूठे सपने दिखता रहता और 15 दिनों के बाद तुम खुद ब खुद मेरी गुलाम बन जाती , उसके बाद मैं तुम्हारा जैसा चाहता वैसा इस्तमाल करता , लेकिन मैं तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता , मैंने तुम्हे सच बता दिया , मैं तुम्हे इस दुष्चक्र से मुक्त करना चाहता हु और तुम मुझे मरने पर उतारू हो गई , अरे प्यार क्या कोई खेल है जो किसी से भी हो जायेगा , मैं किसी और से प्यार करता हु और करता रहूँगा , हां तुम्हे मेरे साथ कुछ करना है तो तुम्हारा स्वागत है , वरना जाओ यंहा से तुम मुक्त हो जाओ …या फिर अभी मुझे मार दो मैं यही खड़ा हु ”
मैंने चिल्ला कर ये कहा था , वो मेरी बात सुनकर वो शांत हो गई और उसके साथ पूरा माहोल ही शांत हो गया , लेकिन अभी भी वो मुझे गुस्से से देख रही थी …
“मैं तुमसे प्यार करने लगी थी कुवर “
उसने चिल्लाते हुए कहा , उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा
“नहीं कोकू तुम मुझसे प्यार नहीं करती थी , हा तुम्हे ये लगता जरुर है , क्योकि तुम्हे बनाया ही ऐसा गया है की जो तुम्हारी परीक्षा में पास हो जाये तूम उसके प्यार में पड़ जाओगी , तुम ही नहीं तुम्हारे जैसी जो भी चुड़ैले है उनका यही हाल होता है , और इसी बात का फायदा जादूगर और तांत्रिक उठाते है तूम जैसी चुड़ैल को बस में करने के लिए … ये देखो “
मैंने वो पुस्तक उसके सामने खोल कर रख दी ,
“मैंने भी ये पढ़ी और ये जाना ही की तुम्हे मुक्त कैसे किया जाए , हा ये अलग बात है की इसके लिए मुझे अपने जान को जोखिम में डालना पड़ा “
वो उस पुस्तक को देखने लगी , देखते देखते उसकी आँखों में आंसू आ गए ..
वो मुझसे लिपट गई ..
“तुमने मुझे मुक्त किया , तुम चाहते तो मुझे गुलाम बना कर इस्तमाल कर सकते थे लकिन तुमने …”
वो रोने लगी , मैंने उसके बालो को सहलाया
“तुम्हारी प्रजाति की चुड़ैले बहुत ही अजीब होती है , इतनी संवेदनशील की प्रेम के लिए खुद को सौप दे , इसीलिए मैं तुम्हारा और तुम्हारी प्रजाति का सम्मान करता हु , लेकिन तुम्हे मुक्त होने के लिए भावना से उठकर दिमाग भी लगाना होगा , मैं जानता हु की तुम हो ही ऐसी की तुम दिमाग की बिलकुल नहीं सुनती बल्कि दिल से ही काम लेती हो , लेकिन अब नहीं तुम्हे अपना दिमाग भी चलाना होगा ताकि तुम बुरे व्यक्तियों से बच सको और सच्ची मोहोब्बत ढूंढ कर उन्हें अपना सबकुछ सौप सको …”
उसने अपने आंसू पोंछे
“मेरे लिए तो तुम ही मेरी सच्ची मोहोब्बत हो , मैं अभी तुम्हे अपना सब कुछ सोपती हु , तुम्हे 15 दिन का इन्तजार नहीं करना होगा “
उसकी बात सुनकर मैंने अपना माथा पकड़ लिया ,
“मैं तुम्हे मुक्त करना चाहता हु और तुम हो की बंधन में बंधने को तुली हो …”
वो मुस्कुराई
“प्रेम का बंधन अजीब है कुवर , ये दर्द तो देता है लेकिन इस दर्द में जीने में भी एक मजा है और ये मजा सिर्फ आशिक ही जानते है , जब उन्हें पता हो की उन्हें इस दर्द के बदले कुछ नहीं मिलने वाला लेकिन फिर भी वो अपना सब कुछ अपने प्रेम पर लुटाने को तैयार रहते है , चाहे इसका अंजाम उनके लिए कुछ भी हो , वो एक आह भी नहीं भरते सब कुछ प्रेम की खातिर सहते है “
मैंने उसके आँखों से लपकते हुए आंसू को अपनी उंगली से पोंछा
“तुम पागल हो , प्रेम की खातिर बिना सोचे समझे खुद को मिटा देना प्रेम नहीं बल्कि मुर्खता है “
उसके आँखों में आंसू था लेकिन फिर भी वो मेरी बात सुनकर मुस्कराई
“मुर्खता और विद्वता तो उन्हें समझ आता है जो दिमाग लगाते है , प्रेमी दिमाग की सुनता ही कहा है , उसके लिए तो दिल ही सब कुछ है , आप भी समझ जाओगे जब आपको प्रेम होगा , सच्चा प्रेम , फिर आप भी दिमाग नहीं लगाओगे , कभी सही गलत की नहीं सोचोगे , बस अपने प्रेम के लिए कुछ भी कर जाओगे …
ये मुर्खता है तो ये मुर्खता ही मंजूर है , खुद को तुम्हारे लिए सौप दिया है अब चाहो तो धुत्कार दो या लाड दुलार दो , मैं अब आपकी हु “
वो मेरे पैरो में सर रख कर बैठ गई , मैं इसे मुक्त करना चाहता था लेकिन इसे अनजाने में ही प्रेम के बंधन में फंसा बैठा , एक अजीब सी पीड़ा ने मेरे मन को झकझोर दिया , इसने मेरे लिए खुद को समर्पित कर दिया था ,मैं इसी कसमकस में था की आखिर मैं अब क्या करू , मैं अगर उसे अपनाता हु तो क्या ये उसका शोषण नहीं होगा ..??? और उसे ठुकरा दू तो क्या ये उसके पवित्र प्रेम का अपमान नहीं होगा ???
क्या मैं सच उसका शोषण करूँगा ???
क्या उसके देह को भोगना उसका शोषण नहीं होगा ???
उसने तो सब कुछ मेरे उपर ही छोड़ दिया है , मेरा एक कदम क्या मुझे ही दुःख देने को काफी नहीं होगा , क्या मैं जानकर ये कर पाउँगा की मैं उसका इस्तमाल कर रहा हु ???
मैं बेचैन हो गया था , तभी लौडू जाग गया …
“इधर से चोदो , उधर से चोदो , जिधर से मन है उधर से चोदो , उल्टे चोदो सीधे चोदो , अगर चाहो तो उड़कर चोदो , मुह में चोदो , चुद में चोदो अगर चाहो तो गांड में चोदो , चोदो चोदो कसकर चोदो … इसी हुस्न की मलिका तुम्हे यही कह रही है की तुम जैसे चाहो वो तुम्हे देने को तैयार है , और तू साले गांडू यंहा भी अपनी चुतिया हरकत से बाज नहीं आ रहा है , अरे ये तुझे दुनिया की हर स्त्री से ज्यादा यौन सुख दे सकती है , तेरे लिए कुछ भी कर सकती है और तू इस उधेड़ बुन में लगा हुआ है …. महाचुतिया है तू , महा गांडू है साले तू , इसी झील में डूबकर मर जा , मेरा दोस्त कहलाने के तो लायक भी नहीं है तू “
“तू क्या चाहता है ??? की मैं इसे चोदु , इसके जिस्म का इस्तमाल अपनी हवस की पूर्ति के लिए करू , इसका दैहिक शोषण करू , इसके प्रेम का ऐसे फायदा उठाऊ “
मैं लौडू के लिए भड़क गया था ,
“अबे काहे का इस्तमाल जब वो खुद तुझे सब देने को तैयार है “
“तू चुप कर मादरचोद, कभी चुद और चुदाई के बाहर भी सोच ले , दुनिया बहुत बड़ी है , और भावना नाम की भी एक चीज होती है दुनिया में …”मैंने गुस्से में कहा
“भावना …?? ये कौन सी नयी चुद आ गई “
मैंने अपना सर पकड़ लिया , मैं भी किसे समझा रहा था जिसका अस्तित्व ही यौन क्रिया के कारन हुआ , जिसे सम्भोग के अलावा और कुछ आता ही नहीं सम्भोग ही उसे ताकत देती है मैं उसे भावनात्मकता के बारे में समझा रहा था ,
“तू अभी चुप रह बस ..”
मैंने हारकर लौडू को कहा
“हा कर ले मुझे चुप , मत मान मेरी , रहने दे अपने लंड को ऐसे ही कड़ा और खड़ा , तड़प भोसड़ीके , बहुत नैतिकता की बाते करता है , नैतिकता से क्या दुनिया चलती है …”
मैं उससे बहस नहीं करना चाहता था इसलिए मैं चुप ही रहा और वो भी चुप हो गया ..
मैंने कोकू को उठाया …
“तुम बहुत प्यारी हो कोकू , तुमने खुद को मेरे लिए समर्पित कर दिया लेकिन मुझे ये डर है की मेरे कारन तुम्हारा अपमान ना हो जाए , कही मैं अपनी हवस की आग में बहकर तुम्हारे प्रेम का नाजायज फायदा ना उठा लू , कही मैं तुम्हारा शोषण ना कर बैठू “
मेरी बात सुनकर वो हँस पड़ी …
“कुवर यही चीज तो आपको खास बनाती है , आपकी इसी बात के कारण तो मैंने खुद को आपके सामने समर्पित कर दिया , मुझे पता है की आप कभी मेरा शोषण नहीं करोगे , लेकिन अगर आप मेरा उपभोग करो , अगर मेरा जिस्म आपके आग को ठंडा करने के काम में आये , अगर मेरे प्रेम के लहरों से आपके मन में थोड़ी भी तृप्ति मिले , अगर मेरी योनी का भोग आपको संतुष्टि पहुचाये तो मैं खुद को धन्य मानूंगी … मैं आपके प्रेम के लिए कुछ भी कर सकती हु , आप को अगर मुझे दर्द देकर भी सुख मिले तो मुझे दर्द दीजिए , मेरा सौभाग्य होगा की मैं आपके सुख की कारक बनी “
कोकू के मेरे लिए प्रेम को देखकर मैं भी द्रवित होने लगा था , उसका प्रेम और समर्पण मेरे मन में उसके लिए इज्जत को और भी बढ़ा रहा था , मैंने खींचकर उसे खुद से लगा लिया ..
“मुझे माफ़ कर दो कोकू , मैं इस लायक नहीं की तुम्हारा प्रेम समझ पाऊ …”
मैंने उसे खुद से लपेटते हुए कहा
वो मुस्कुराई
“प्रेम समझने की चीज है भी नहीं कुवर , प्रेम तो करने की चीज है , जीने की चीज है , मरने की चीज है , इसके साथ जिया जाता है , इसे अपने जीवन में उतार लेना ही प्रेम को जीना है , प्रेम एक सागर है जिसमे डूब जाना ही जीना है , प्रेम एक नदी है जिसकी धार में मंजिल की परवाह करे बिना बहते जाना ही प्रेम को जीना है , मैं भी आपके प्रेम में बहना चाहती हु , बिना मंजिल की परवाह किये , आपके प्रेम की धार मुझे जन्हा ले जाए मैं जाने को तैयार हु ,मुझे बहा ले चलो , अपनी धार में बहा लो , चाहे मजधार में या किनारे में जन्हा ले जाओगे मैं बहती जाउंगी “
उसने अपने शरीर को मेरे शरीर से ठिका कर खुद को छोड़ दिया था , मैं भी उसके प्रेम की धार में बहने को तैयार हो गया , उसका इतना प्रेम देख मैं भी बह गया था .मैंने उसके चहरे को उठाया वो किसी नए खिले फुल सी ताजा और मासूम थी , बड़ी आँखे आंसू से डबडबाई हुई थी , आंसू की एक बूंद जब उसकी आँखों को छोडती हुई लुद्की तो मैंने उसे अपने होठो में भर लिया , मेरी इस हरकत से वो मुस्कुराई और मेरे सर को अपनी ओर खींचते हुए अपने होठो को मेरे होठो से मिला दिया , हमारे होठ मिले और जीभ एक दुसरे से खेलने लगे , मैं उस प्रेम से भरे सागर में डूब रहा था , हमारी सांसे एक लय में नृत्य कर रही थी , जिस्म एक दुसरे से सटने को बेताब हो रहे थे , एक दुसरे को चुमते हुए हम हवा में उठने लगे , जो भी हो रहा था वो बस हो रहा था , भावनाओ का सैलाब आ चूका था और हम उसमे बह रहे थे ..
वो मुझसे लग हुई हम जमीन से कुछ फुट उपर थे ..
मैं चमत्कृत था लेकिन डरा नहीं , मैं जानता था की ये कोकू की भावनाओ का उफान है और उसकी ही शक्तियों का परिणाम है की हम हवा में उठे हुए है ..
वो मुझसे थोड़ी अलग हुई और हाथो को फैला कर उसने अपने शरीर को एक झटका दिया , उसके बाल हवा में लहराने लगे और शरीर का हर वस्त्र उसके शरीर को छोड़कर निचे गिर गया , उसने मुझे बड़े प्रेम से देखा और अपने हाथो को मेरे ओर बढाया , मुझे एक हवा के झोके सा आता महसूस हुआ और उसने मुझे एक ही झटके में निर्वस्त्र कर दिया …
वो उड़ते हुए मेरे पास आई और हम दोनों फिर से एक दुसरे में समाने लगे , जितना हम एक दुसरे के होठो में खोते जाते उतना हम जमीन से उपर उठते जाते थे ..
“यही सो जाओ ..” मैंने कोकू को कहा , वो वही हवा में लेट गई , ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बिस्तर में लेटी हो , मैं उसके उपर आ चूका था , मैंने निचे देखा तो नजारा देख कर मेरा मन झूम उठा ..
हम जमीन से बहुत उपर थे पास वाली पहाड़ी की चोटी हमारे बराबर में लग रही थी ..
रात के अँधेरे के कारण कुछ साफ़ तो नहीं दिख रहा था लेकिन थोड़ी दूर जलती हुई लाइट से मैं अपने गाँव और बाजु के गाँव को पहचान जरुर पा रहा था ..
“यंहा से गिरा मत देना “ मैंने उसके गालो को चुमते हुए कहा , वो मुस्कुराई
“मेरे रहते आपको खरोच तक नहीं आएगी , बेफिक्र रहिये “ उसने मुस्कुराते हुए मेरे गालो को सहलाया ,,
मैं उसके होठो को चुमते हुए उसके उपर लेट गया , हम दोनों के शरीर एक दुसरे में घुल गए थे , मैंने उसकी योनी में अपने लिंग को सहलाया , वो आह भरते हुए मुझसे और भी लिपट गई , मेरा लिंग उसकी योनी में उतरने लगा , वो मुझे और भी जोरो से चूमने लगी और हमारा शरीर हवा में इधर उधर उड़ने लगा , मैंने अपनी कमर को तेजी से चलाया और उसने अपने पैरो को मेरे कमर में बांध दिया , हमारा शरीर इधर उधर उड़ रहा था , हम उड़ते हुए अपने गांव से दूर निकल गए थे , मुझे एक पहाड़ की चोटी दिखाई दी जिससे झरना बह रहा था …
“उस ओर चलो “ मैंने कोकू से कहा
“आप जिधर जाना चाहे बस सोचे , हम उधर चले जायेंगे , पूरी कमान आपके हाथो में सौप दी है “
मूझे पहली बार इस ताकत का अहसास हुआ , मैं अपने हिसाब से इधर उधर जा रहा था ,
वो अकास में लेटी हुई थी और मैं उसके उपर सवारी करता हुआ उस गिरते हुए झरने के समीप पहुच गया , पहाड़ की चोटी पर झरने के नजदीक मैंने उसे फिर से खड़ा कर दिया और उस झरने के निचे ला दिया ,,,
झरना हमारे उपर से बहकर निचे जमीन में गिर रहा था , मैंने उसके हाथो को चट्टान से टिका दिया और उसके पीछे खड़ा होकर उसके योनी में अपने लिंग का प्रवेश करवा दिया ..
पानी हमारे उपर से जा रहा था , हम दोनों ही भीग चुके थे , एक अजीब सा उतावलापन मेरे अंदर मचल रहा था और उस मजे में मैं खुद को भूलकर उसे पूरा पाने की चाह में धक्के लगाये जा रहा था , मैंने उसे कसकर जकड़ा और हम निचे गिरने लगे ,हम निचे गिर रहे थे और मैं उसके पीछे खड़ा जोरो से धक्के दे रहा था अचानक से मैंने उसे लिटा दिया और पीछे से उसके उपर आकर उसकी सवारी करने लगा , हम ऐसे ही नीचे गिरे जा रहे थे , जमीन बस आने ही वाली थी जन्हा से झरना एक नदी के रूप में तब्दील हो जाता है ..
लेकिन हम नीचे नहीं गिरे और नदी के समांतर उड़ने लगे , उड़ते हुए मैं पीछे से जोरो से धक्के लगा रहा था , हम नदी से थोड़े ही उपर थे , कभी कभी मैं नदी के पानी में हाथ फेरता हुआ कोकू के उपर झिड़क दिया , मैंने उसे थोडा और दबाया और कोकू नदी के पानी के अंदर चली गई , उड़ने की स्पीड भी काफी थी , पानी छिटकने लगा था , हम दोनों ही एक बार नदी के पानी के अंदर ही कुछ दूर तक चले फिर उपर उठाकर आसमान की ओर बढ़ गए , इस बार मैं खड़ा था और वो मेरे कमर में अपने पैरो को फ़साये हुए उछल रही थी , हम सीधे ही उपर जा रहे थे , उपर और उपर और उपर , मुझे जमीन दिखाई देनी बंद हो गई एक साथ पूरी पृथ्वी ही दिख रही थी , कई देश एक साथ दिखाई दे रहे थे , उपर तो अँधेरा था लेकिन पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पड़ रहा था , उसके एक ओर तो अँधेरा था लेकिन दुसरे ओर प्रकाश …
मेरी सांसे उचटने लगी थी मुझे साँस लेने में दिक्कत होने लगी ..
“ये उचाई मानवों के लिए नहीं है कुवर नीचे चलिए “
कोकू ने मेरी उत्सुकता को देखकर हँसते हुए कहा और हम उल्टे होकर तेजी से निचे गिरने लगे , वो पल इतना उत्तेजक था की तेजी से गिरते हुए मैंने अपना वीर्य कोकू की योनी में उधेड़ दिया , कोकू ने भी मुझे पूरी ताकत से जकड़ लिया था , मेरा वीर्य उसकी योनी में बार बार तेजी से जा रहा था ,मुझे लग रहा था की अब यही आखरी पल है मैं इस पल में खुद को तबाह करने को तैयार था , जमीन अब पास ही थी की हमारी स्पीड कम होने लगी , शायद कोकू ने कमान फिर से अपने हाथो में ले ली थी , स्पीड कम होते हुए हम धीरे से जमीन में आ गए हम फिर से उसी जगह पर थे जहा से हमने शुरू किया था …
“मजा आ गया “ मैंने कोकू से कहा उसकी आँखों में आंसू थे ..
“आपने मुझे अपना बना कर मुझे धन्य कर दिया कुवर “
उसकी ये प्यारी बात सुनकर मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया था ……….
उमंगो से भरे उस प्रेम की बरसात ख़त्म हो चुकी थी , हम दोनों एक दुसरे के बांहों में बान्हे डाले लेटे हुए थे , भोर होने को थी की कोकू उठ खड़ी हुई …
“अब मुझे चलना चाहिए ..”
उसने उठते हुए कहा
“फिर कब आओगी “
मैं उसके हाथो को सहला रहा था
“अब कभी नहीं , आपके प्रेम ने मुझे मुक्त किया है अब मैं अपने प्रेम में आपको बंधना नहीं चाहती , आपके प्रेम का जोग लेके मैं जोगिनी बन जाना चाहती हु “
उसकी बातो से मुझे एक झटका सा लगा लेकिन फिर मैं सम्हला, मैं उसके प्रेम की क़द्र करता था …
मैं चुप ही रहा वो फिर से बोली
“प्रेम करना मेरी फितरत में है कुवर लेकिन अब इस जीवन भर ये प्रेम आपका ही रहेगा “
उसके होठो में मुस्कान और आँखों में हल्का पानी था ..
मुझे वो गजल याद आ गई ,
‘जिनके होठो में हँसी पाँव में छाले होंगे , हां वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे ‘
मन भारी था उससे बिछड़ने का गम था , लेकिन उसने सही दिशा को चुना इस बात की ख़ुशी भी थी , अब वो किसी की गुलाम नहीं थी , आजादी की कीमत बहुत होती है लेकिन आजादी आजादी होती है …
मैं उसे जाते हुए देखता रहा , उसने एक बार भी मुड़कर पीछे नहीं देखा , शायद उस भी ये डर होगा की कही वो मुड़े और जा ही ना पाए …
*********
मेरा काम इस झील में ख़त्म हो चूका था और मैं अब हवेली जाने को तैयार हो गया , मेरे आने की खबर मुझसे पहले ही वंहा पहुच चुकी थी , ढोल नंगाड़े बजाये जा रहे थे , कई आँखे बेताबी से मेरा दीदार कर रही थी जब मैं गेट के पास पंहुचा तो सामने अंकित , अन्नू और अम्मा खड़े थे , ये तीन A मेरे जीवन के तीन पहलु थे , दोस्ती, प्रेम और परिवार के प्रतिक …
कई आँखे डबडबाई हुई थी , मेरे इन्तजार में कई आँखे बिछी हुई थी , बीते कुछ दिन मेरे जीवन के निर्णायक दिन थे , अब मैं निशांत नहीं रह गया था , पूरी तरह से कुवर बन चूका था , कुवरगढ़ का भविष्य कुवर निशांत सिह ठाकुर ….
मेरे आते ही अम्मा ने बड़े ही प्यार से मेरी आरती की और उसके बाद अन्नू मेरे गले से लग गई …
थोड़ी देर तक वो रोते ही रही , फिर अंकित भी मुझसे लिपट गया …
“बहुत थक गया होगा इसे आराम करने दो , “
आखिर में अम्मा के बोलने पर सब थोडा शांत हुआ , मैं अब अपने कमरे में था और अन्नू मुझसे लिपटी हुई बैठी थी …
“कितना इन्तजार करवा दिया कुवर जी …”
मैंने उसके चहरे को उठाया और उसके होठो पर अपने होठ डाल दिए , मेरी हमदम , मेरी हमराही थी वो , मेरी सबसे अच्छी दोस्त और हमसफर भी , अब मैं उसे हमराज बनाना चाहता था …
“अन्नू तुमसे बहुत सारी बाते करनी है , मेरा ये एक्सीडेंट और फिर मेरा यु ठीक हो जाना , फिर मेरा जंगल में ही यु रुक जाना , बहुत सारे राज है जो तुम्हे बताना जरुरी है आखिर तुम मेरी जीवन संगनी बनने वाली हो “
अन्नू ने प्यार से मेरे गालो पर हाथ फेरा
“फिक्र मत करो , मुझे सब पता है , अम्मा ने मुझे सब बताया , ये भी की उस रात झील के किनारे क्या हुआ और तुम कैसे ठीक हुए , मेरे लिए ये बात अहम नहीं है की तुम कैसे ठीक हुए , ये अहम् है की तुम आज ठीक हो , मेरे साथ हो , मेरे पास हो , मैं तुम्हारे बांहों में हु , मेरे लिए इतना ही काफी है “
“लेकिन शायद तुम्हे पता नहीं की इस गाँव के प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है “
वो मुस्कुराई
“मुझे सब पता है निशांत ,मैं तुम्हारे और तुम्हारी जिम्मेदारी के बीच कभी नहीं आउंगी , ना ही तुम्हारी शक्तियों के प्रयोग से तुम्हे रोकूंगी , मैं जानती हु की तुम जन्हा भी रहोगे मेरे ही रहोगे “
उसकी बात पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसके होठो को अपने होठो में भर लिया …
हम एक दुसरे के होठो में खोये हुए थे की वंहा अम्मा आ गई
“पहले शादी तो हो जाने दो फिर सुहागरात भी मना लेना “
अम्मा की आवाज सुनकर मैं बुरी तरह से सकपकाया , वही अन्नू को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा
“अम्मा आपने तो मेरे पति के साथ सुहागरात के मजे ले लिए और मुझे रोक रही हो “
अन्नू की बात सुनकर अम्मा बुरी तरह से हडबडा गई ..
“चुप कर बेशर्म … “ उनका गोरा चहरा शर्म से लाल हो चूका था , मुझे भी इस बात से बेहद ही असहज महसूस हो रहा था , मैं वंहा से उठ कर जाने लगा , तभी अन्नू ने मेरा हाथ थाम लिया …
“आप कहा चले , दोनों ने मिलकर कांड तो किया है लेकिन स्वीकारने की हालत किसी में नही है , देखो कैसे दोनों नजरे चुरा रहे हो … “
“अन्नू वंहा जो हुआ वो … समझा करो , अम्मा मेरी माँ जैसी है “
मैंने अन्नू को थोडा डांटते हुए कहा , और अन्नू खिलखिला कर हँस पड़ी , अम्मा भी असहज होकर वंहा से जाने लगी लेकिन अन्नू ने जल्दी से उनका हाथ पकड कर उन्हें थाम लिया ..
“ओहो इतनी शर्म भी किस काम की , अम्मा सच सच बताओ की आपको भी मजा आया था या नही “
अम्मा शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी , पूरा शरीर पसीने से भीग गया था , माथे का लाल सिंदूर बहकर बिखरने लगा था , गुलाबी रंग की रंगत थोड़ी और भी गुलाबी हो गई थी , और लाल सिंदूर के बिखरने से वो और भी कामुक प्रतीत होने लगी थी , उनकी सांसो में तेजी का अहसास मैं भी कर पा रहा था …
“हाय इतनी कामुकता की मुह से आवाज भी ना निकले “ अन्नू ने अम्मा को चिढाया ..
“चुप कर तू “ वो झूठे गुस्से से अन्नू पर हाथ चला दिया लेकिन अन्नू हंसती हुई बच गई , फिर अन्नू ने एक हरकत कर दी ..
उसने अम्मा के पीछे जाकर अम्मा को मेरे तरफ ढकेल दिया , अम्मा मेरे उपर आ गिरी और उनके साथ मैं बिस्तर में गिर गया ..
अन्नू अम्मा के पीछे आकर चढ़ गई , अब अम्मा मेरे और अन्नू के बीच फंसी हुई थी , वो कोई भी हरकत नहीं कर पा रही थी , वही मैं भी बेहद ही नर्वस हो गया था ,जिस महिला के सामने बात करने से भी मेरी आवाज लडखडा जाती थी उसके साथ ऐसे हालत में होना …
“निशांत तुम्हे बहुत जिम्मेदारिया पूरी करनी है ना , तो शुरुवात तुम्हे अम्मा से ही करनी होगी ,आखिर तुमपर सबसे पहला हक़ इनका ही है , पूरा जीवन ये मर्द के सुख से वांछित रही , और ना ही इन्हें ओलाद का सुख ही मिला , इन्हें दोनों की कमी ना हो ये तूम्हारी जिम्मेदारी है , मैं बाहर से कमरा लगा रही हु मुझे बाहर तक इनकी चीखे सुनाई देनी चाहिए ..”
अन्नू इतना बोलकर तेजी से बाहर की ओर निकली , हम दोनों उसे रोकने की कोशिस करते लेकिन देर हो चुकी थी , दरवाजा बंद हो चूका था , मैंने दरवाजा खटखटाया ..
“अन्नू ये क्या पागलपन है , खोलो दरवाजा ..”
“कुवर पहले घर को तो सम्हाल लो फिर गांव सम्हालना “
अन्नू इतना बोलकर वंहा से जा चुकी थी ..
मैं घबराया हुआ पलटा तो अम्मा की भी हालत किसी सुहागरात की सेज पर बैठे दुल्हन सी थी ..
साड़ी और बाल बिखरे हुए थे , माथे का सिंदूर फैला हुआ था , शेरनी सी अम्मा आज सिकुचाई सी बैठी थी , छतिया तेजी से उपर निचे हो रहे थे और उनके बीच फंसा मंगलसूत्र बाहर निकल आया था , चहरा दमक रहा था लेकिन शर्म से लाल हुआ जा रहा था , उन्हें देख कर मेरा लिंग भी अकड कर तम्बू बन चूका था , अंदर का लौडू फुदक फुदक कर एक मजेदार सम्भोग की कामना कर रहा था लेकिन रिश्तो की मरियादा को मैं यु तोडना नहीं चाहता था ..
“माफ़ करना अम्मा ये अन्नू पागल है कुछ भी बोलती है “
मैं दूर ही खड़े हुए बोला , अम्मा ने एक नजर उठा कर मुझे देखा
“सच ही तो बोल रही है , सभी ओरते तेरी ही आस में बैठी है , तू ही तो उन्हें ख़ुशी देगा …”
“हां लेकिन …” मैं बोलते बोलते रुक गया था , मैं सभी को ख़ुशी देने के लिए आया हु लेकिन क्या अम्मा उस ख़ुशी से वांछित रहेगी ..??
एक सवाल मेरे मन में कौंध गया , एक तरफ रिश्तो की मरियादा तो दूसरी तरफ उनकी ख़ुशी ..
लौडू मेरे अंदर ऐसे फुदक रहा था जैसे कोई दावत मिलने वाली हो , वही मैं एयर कंडीसन की ठडक के बावजूद पसीने से भीगा जा रहा था , मन किया की थोडा पास जाऊ ..
मैं थोडा पास पंहुचा ..
“अम्मा …” मैं बिस्तर में बैठता हुआ बोला
“कुछ मत बोलो निशांत मैंने तुम्हे बेटे की तरह प्यार किया है , तुम्हे पला है , ये जो भी हो रहा है ये अजीब है , लेकिन सच ये है की मैं भी तुमसे मिलन करने को मरी जा रही हु , हा रिस्तो की दिवार हमारे बीच ही , बात ये है की इसे पहले कौन तोड़ेगा , मेरी इतनी हिम्मत नही कि मैं इसे तोड़ पाऊ “
उन्होंने नजरे निचे कर ली , लौडू ने मुझे अंदर से धिक्कारा …
“इन्हें सुख देना तेरा कर्तव्य है चूतिये अब इतना क्या सोच रहा है , इनके बड़े बड़े वक्षो पर ध्यान लगा और कूद जा … तोड़ दे दिवार और हो जा एक , कर ले अपनी अम्मा से सम्भोग “
लौडू चिल्लाया , मैं बुरी तरह से डर के काँप रहा था , ये एक अजीब सी बेचैनी थी , एक तरफ मैं ये नहीं करना चाहता था दूसरी तरफ ये मेरी जिम्मेदारी भी थी , और मेरा शरीर भी अब बागी होने लगा था ..
मैंने अम्मा की सुन्दरता को निहारा , वो अभी भी जवान थी और जवानी के हर लक्षण उनके शरीर में मौजूद थे , हल्का गदराया गोरा अंग साड़ी में लिपटा हुआ मादक लग रहा था , वही पसीने से भीग कर वो और भी हसीन लग रही थी , मैं उनके और पास आया , और उनके साड़ी के अन्दर अपने हाथो को ले जाते हुए मैंने उनके पैरो को पकड लिया ..
“आह “ वो चुह्क गई और शर्म से अपना सर और भी झुका लिया ..
उनकी इस अदा ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया था , मैं हाथो को और भी अंदर डालते हुए उनके जन्घो को सहलाने लगा , उनकी आँखे बंद हो गई , वो मुझे रोकने को छटपटाई और इसी बेचैनी में मेरा हाथ और फिसला और उनके जन्घो के बीच चला गया ..
“आह बेटा रुको “
वो इस उत्तेजना से भरे हवस के वार को झेल नही पा रही थी , वो वही गिर गई और आँखे मूंदे हुए इस सुख का मजा लेने लगी वही मैं भी अब हवास की आंधी में बहने को तैयार था , ये एक अजीब सा अहसास था , मेरे लिए ये शयद पहली बार था , दिल अभी भी जोरो से धडक रहा था , मैंने उनके दोनों पैरो को फैला दिया उनकी साड़ी भी उपर खिसक चुकी थी , मेरा मुह सीधे उनके योनी से जा लगा ..
“आह बेटा …” वो चीख उठी , मैं उनकी योनी को लगभग खा रहा था ..
दोनों के उमंग की सीमा चरम पर पहुच चुकी थी मैंने बिना देर किये उनके अंतःवस्त्रो को उनके जांघ से निकाल दिया और अपने लिंग को उनकी योनी में डालकर उनकी गीली योनी के घर्षण का सुख लेने लगा , वो बिस्तर में पड़ी थी और उनकी साड़ी उनके कमर से उपर थी , निचे के अंगो को छोड़कर बाकि के अंगो में अभी भी कपडे डाले हुए थे …
मैं जोरो से धक्के मरता हुआ उनके चहरे को देख रहा था , एक दिवार टूट चुकी थी और वो आँखे बंद कर इस बंदिश से आजद खोने का मजा ले रही थी , उन्होंने जब आँखे खोली तो मुझे खुद को देखता हुआ पाया , उन्होंने बुरी तरह से शर्मा कर अपना मुह फेर लिया , लेकिन उनके होठो पर एक मुस्कान आ गई थी ..
उनकी इस अदा ने मेरा जोश और भी बढ़ा दिया था और जोश में घोड़े दौड़ता हुआ मैंने उनकी कोख भर दी …
हम दोनों ही एक साथ मजे में चिल्लाये थे , हम शांत हुए और कमरे का दरवाजा खुला , सामने अन्नू मुस्कुराते हुए खड़ी थी , अम्मा बिना कुछ कहे ही जल्दी से उठी और अपने कपड़ो को सही करते हुए कमरे से निकल कर भागी ……
अम्मा तो चली गई थी,मैं अन्नू को देखता रह गया, ये अभी क्या किया था ,मैं यही समझने की कोशिश कर रहा था,
" तुम ऐसा करोगी मैंने सोचा नहीं था "मैं थोडा हैरान परेशान था
वह मुस्कुराई और मेरे हाथों में एक लिस्ट पकड़ा दिया
"यह क्या है ???" मैंने कहा
"गांव की सभी औरतों की लिस्ट है जिनके साथ तुम्हें संभोग करना है," मैं चौक गया
" क्या ??/यह सब ?आखिर क्यों ??"
"तुम्हारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है निशांत, तो किसी को तो यह करना पड़ेगा, गांव में बहुत सारी महिलाएं हैं ,लेकिन जिन्हें तुम्हारी जरूरत है यह उनकी लिस्ट है , कुल 253 महिलाएं हैं जिन्हें तुम्हारी जरूरत है, तो हर दिन तुम्हें दो महिलाओं के साथ संभोग करना होगा यह लिस्ट उनके मासिक धर्म के अनुसार बनाई गई है,मैंने इसके लिए एक महिला चिकित्सक की सलाह ली है ,हर महीने महिला का वो दिन होता है जिसमे बच्चा होने के चांस सबसे ज्यादा होता है उन्ही के हिसाब से इन्हें जमाया गया है,तुम्हे सबका गर्भ भरना है " उसने लिस्ट मेरे हाथों में पकड़ा दिया ,मैंने लिस्ट देखी पहला नाम अम्मा का ही था ,एक बार पूरी लिस्ट पर एक नजर डाली
"इसमे तुम्हारा नाम तो है ही नही"
वो हल्के से मुस्कुराई उसकी मुस्कुराहट में भी एक दर्द छिपा था ,
"मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद तुम किसी और महिला से संबंध बनाओ ,तो पहले तुम सभी को गर्भवती करके उन्हें श्राप से मुक्ति दोगे फिर हम शादी करेंगे …"
उसके आंखों में आंसू थे और हृदय में पीड़ा ,मैंने उसका हाथ खींचकर उसे अपने गोद मे बिठा लिया
"चाहे जिस्म किसी के भी साथ हो मेरे मन की मल्लिका तो तुम ही हो "
उसने बड़े ही प्यार से मुझे देखा और मुझे गले से लगा लिया
"तुम्हारे मन और तन दोनो की मल्लिका मैं ही हु समझ गए ,कोई चालाकी नही जो जिम्मेदारी मिली है उसे पूरी करो उसके बाद तुम मेरे रहोगो ,हर तरह से ,फिर मैं तुम्हे किसी और के साथ नही बाटूंगी "
उसके भोलेपन में मुझे बड़ा प्यार आया ,मैंने उसके गालो में एक किस लिया
"लव यू जान , ये गांव तुम्हारे इस बलिदान को हमेशा याद रखेगा "
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई
"लव यू मेरा बाबू " उसने जोरो से मेरे गालो पर किस कर लिया था…
“लेकिन क्या तुम अकेले मुझे झेल लोगी , मतलब शादी के बाद “
उसने आँखे तरेर कर मुझे देखा
“प्यार सब झेल लेता है समझ गए , तुम्हारे अंदर कितना भी बड़ा शैतान हो मेरे प्यार के अंदर नहीं टिक पायगा, ये शैतान का हवाला देकर मुझसे चिट करने की सोची भी न तो हाथ पाँव तोड़कर फिर से कोमा में सुला दूंगी “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा वही लौडू अंदर से चिल्लाया
‘इससे शादी मत करना ये तो हमारा पूरा मजा ही ख़त्म कर देगी , रोज रोज एक ही लड़की के साथ .. छि छि ये तो पाप है “
मैं उसकी बातो पर हँसा
“ये पाप नहीं छोटे ये प्यार है …”
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नीचे अंकित और कालू मेरा इतजार कर रहे थे , मैं निचे आकर उसी सोफे में बैठा जन्हा बैठकर अम्मा गांव के फैसले किया करती थी ..
“कुवर जच रहे हो ..” कालू मुझे देखकर बहुत खुश था
“धन्यवाद ..”
मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा , वही अंकित बोल उठा
“भाई एक खबर है , अच्छी या बुरी ये समझ नहीं आ रहा है “
मैंने उसे थोड़े आश्चर्य से देखा
“आखिर ऐसा क्या हो गया …”
“हमारा अब्दुल यंहा का कलेक्टर बन कर आ रहा है …”
“क्या ..??? वो तो अभी अभी अकादमी गया था ना इतनी जल्दी उसे कलेक्टर का पोस्ट कैसे मिल गया “
“यही तो अजीब बात है इसीलिए तो बोला की अच्छी है या बुरी ये समझ नहीं आ रहा , क्योकि अकादमी की पढाई पूरी होने के बाद 2 साल अलग अलग पोस्ट में काम करने के बाद कोई आईएएस कलेक्टर बन पाता है , पहले तो होम केडर हि नहीं मिलता , उसके लिए मुख्यमत्री की सिफारिस लगती है और फिर केंद्र से उसका अप्रूवल होता है तब जाकर अपना राज्य मिल पाता है , चलो ये हुआ समझ भी आता है लेकिन 2 साल का ट्रेनिंग पिरेड बिना किये सीधे कलेक्टर ये समझ नहीं आया , इसके लिए तो बहुत उपर तक पहुच चाहिए और उस साले की इतनी पहुच कब से हो गई …”
मैं थोड़े देर तक सोच में पड़ा रहा …
“बलवंत की पार्टी अभी राज्य और केंद्र दोनों में है , और बलवंत का साला तेजबहादुर अभी केंद्रीय मंत्री है … यंहा का मुख्यमत्री तो बलवंत के ही इशारे पर काम करता है , कही अब्दुल ने पार्टी तो नहीं बदल ली ..”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप थे फिर कालू बोला
“मालिक अब्दुल को पढाया लिखाया तो आपने था , वो ऐसा क्यों करेगा ??”
“हम्म्म कर सकता है , कब है उसकी पोस्टिंग “
“आज ही ..”
“तो चलो कलेक्टर साहब से मिलकर आते है …”
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अम्मा ने मेरे लिए एक बुलेट प्रूफ फार्चुनर लिया था , मेरे साथ कालू और अंकित भी बैठे मेरे आगे और पीछे 5-5 गाडियों का काफिला था , सभी गाडियों में बन्दुखो से लेस गार्ड्स और हमारे आदमी बैठे थे , अम्मा अब मुझे लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहती थी .. हम दनदनाते हुए कलेक्टर ऑफिस की ओर बढ़ गए …
वंहा पहले से ही काफी हलचल थी , शहर के और आसपास के गांव के कई लोग वंहा नए कलेक्टर का स्वागत करने पहुचे थे , हमारी गाड़ी सीधे गेट के पास रुकी मेरे साथ मेरे सभी अंग रक्षक भी उतरे , उसी ताम झाम के साथ उधर से बलवंत भी पंहुचा था , हम दोनों ही थोड़ी दुरी में खड़े थे …
वो मुझे देख कर चौक गया , मैं पहले से कई गुना ताकतवर लग रहा था , काले रंग के टी शर्ट में मेरे डोले साफ़ साफ़ झलक रहे थे , आँखों में काले रंग का चश्मा अभी भी चढ़ा हुआ था …
पैरो में एक भूरे रंग का लेदर का जूता था … बलवंत को देखकर मैं मुस्कुराया और उस ओर बढ़ गया , मैंने अपने अंगरक्षकों को वही रोक दिया था , लेकिन मेरे उसकी ओर बढ़ने से उसके अंगरक्षक चौकन्ने हो गए , उसने हाथ उठा कर सभी को शांत किया …
मैं बलवंत के पास पहुच कर उसके पाँव छुए …
मेरा ऐसा करने से वो थोडा और चौका ..
“तुम बड़े ही ढीठ हो कुवर , तुम सच में मेरे लिए खतरा बनोगे “
बलवंत ने मेरे पीठ पर आशीर्वाद स्वरुप हाथ मरते हुए कहा , मैं मुस्कुरा कर उसे देखने लगा
“ठाकुर साहब बनूँगा नहीं … बन चूका हु … आपने तो मेरे दोस्ती का हाथ नही थमा तो चलो दुश्मनी ही सही , ऐसे मुझे मरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी आपने “
वो भी मुस्कुराया
“आज तक समझ नहीं आया की तुम जिन्दा कैसे बच गए ,और बच गए तो इतने स्वस्थ कैसे हो गए , तुम तो पहले से ज्यादा ताकतवर लग रहे हो “
मैं हँस पड़ा
“ठाकुर साहब ताकतवर और सचेत भी , पहले तो मैं थोडा कच्चा था आपके कारण अब पक्का हो गया हु “
वो हलके से हँसा
“वो तो वक्त ही बताएगा कुवर , राजनीती ताकत और दिमाग का मिक्सर होता है , जन्हा जैसी जरुरत पड़े वैसे इस्तमाल करने का हुनर आना चाहिए, तुम्हे अभी ये सब सिखने में बहुत समय लगेगा “
मैं मुस्कुराया
“बिलकुल , लेकिन आपसे मैंने कपट और चालाकी तो सिख ही ली आगे भी सीख लेंगे , आप ही मेरे गुरु हो और आपको ही आपके ही अखाड़े में हराऊंगा “
वो थोडा जोरो से हँसा
“सपना अच्छा है तुम्हारा , सपना देखने में कुछ जाता भी तो नहीं , देखो देखो “
“ठाकुर साहब अब बच कर रहिएगा , खेल शुरू हो चूका है “ मैंने उसे घूरते हुए कहा था , लेकिन उसकी मुस्कान कम नहीं हुई वो मंझा हुआ खिलाडी था ..
“बेटे खेल तो बहुत पहले से चल रहा है , तुम अभी आये हो , लो कलेक्टर साहब भी आ गए “
एक गाडी हमारे सामने रुकी , पुलिस वाले और कुछ कर्मचारी उस ओर भागे, अब्दुल का तो आज भेष ही बदला हुआ था , सफ़ेद फार्मल शर्ट और काले रंग के फार्मल पेंट पहने वो सच में किसी बड़े अधिकारी के जैसे लग रहा था , सभी लोग उसे गुलदस्ता भेट करने लगे वो सभी से लेकर अपने असिस्टंट को दे रहा था , उसकी नजर अब मुझपर और बलवंत पर पड़ी , सभी को हटाते हुए वो हमारे पास आया और सीधे बलवंत के पैर छूने लगा …
“ठाकुर साहब आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे , मैं आ जाता आपने आने की तकलीफ क्यों की “
बलवंत ने उसकी पीठ थपथपाई
“तरक्की करो बेटे , आज पहला दिन है सोचा तुमसे यही मिलने आ जाऊ “
“प्लीज अंदर चलिए “ उसने अपने हाथ बढ़ाते हुए बलवंत को इशारा किया , उसके लिए मानो मैं था ही नहीं , ऐसा तो नहीं था की उसने मुझे देखा नहीं था लेकिन फिर भी मुझे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया , कालू और अंकित दूर खड़े ये सब तमाशा देख रहे थे , बलवंत अब्दुल के साथ अंदर चला गया था वही मैं बस ये सब देखता रह गया …
मैं फिर से अंकित के पास आया ..
“ये साला अब्दुल , तुम सही कह रहे थे इसने पार्टी बदल ली है, देखा त्तुम्हे कैसे इग्नोर कर दिया जैसे तुम वंहा थे ही नहीं , लेकिन बलवंत इसपर इतना क्यों मेहरबान हो रहा है “
अंकित की बात सुनकर मैं हँसा
“इतना तो मुझे पता है की बलवंत कभी किसी पर ऐसे ही मेहरबान नहीं होगा , जरुर वो हमारे खिलाफ कोई बड़ी साजिश कर रहा है , देखते है … चलो …”
हम उससे बिना मिले ही वंहा से लौट गए ..
“आखिर अब्दुल ही क्यों , बलवंत तो किसी भी कलेक्टर को ट्रांसफर करवा कर यंहा ला सकता था “
कार में बैठते हुए अंकित बोल उठा
“अब्दुल हमारे गांव का है , उसे हमारे बारे में जितना पता है उतना किसी और कलेक्टर को नहीं पता हो सकता “
मैंने उसका जवाब दिया , अंकित चुप हो चूका था …
कार में बैठे बैठे मैं अब्दुल के बारे में ही सोच रहा था , मुझे उस दिन अब्दुल की आँखे याद आई जब वो मेरे कारण अपनी माँ से सम्भोग कर रहा था …
उस दिन उसकी आँखों में लाचारी थी , गुस्सा था लेकिन वासना के सामने वो कुछ नहीं कर पा रहा था ..
उस दिन के बाद से अब्दुल ने मुझसे कभी बात नहीं की , शायद यही कारण होगा की जब उसके पास पॉवर आई तो उसने मेरे साथ ना जुड़कर बलवंत का साथ पकड़ लिया , बलवंत उसके जरिये कई काम करवा सकता था , शायद उसमे से कई काम हमारे विरोध में भी करवाए, मेरे लिए अब ये जानना जरुरी था की आखिर अब्दुल के मन में मेरे लिए क्या बैर पल रहा है …
“मुझे अब्दुल से बात करनी है उसका नंबर निकाल कर मुझे दो “
मैंने अंकित से कहा ………………..
रात का समय था जब मैं और अंकित बैठे हुए शराब पि रहे थे , ये पहली बार था जब मैं अपने ही हवेली में बैठा हुआ शराब पि रहा था , हवेली के बगीचे में बैठे हुए हम बड़े ही इत्मिनान से ब्लू लेबल की चुस्किया ले रहे थे ,
मैंने अब्दुल को कॉल लगाया ..
“बहुत उड़ रहा है छोटे “
मैंने पहले कहा , उधर से थोड़ी देर तक अब्दुल खोमोश ही रहा …
“बहुत हुई तुम्हारी दादागिरी ठाकुर मैं मेरी बारी है “
उसने थोड़ी देर बाद कहा , मुझे हल्का हल्का नशा भी होने लगा था
“अबे मादरचोद तू एक झांट भर का कलेक्टर बना है , तू मेरा क्या ही उखड लेगा , अपनी ओकात मत भुल “
मेरी बात सुन कर वो हँसने लगा ,
“इतना घमंड अच्छा नहीं ठाकुर , यही घमंड तुम्हे ले डूबेगा …मैं तुम्हारा क्या उखड सकता हु तुम सोच भी नहीं सकते “
“अच्छा कौन है तू बे … एक जिले का कलेक्टर है और क्या ..??”
इस बार अब्दुल जोरो से हँस पड़ा
“सिर्फ एक कलेक्टर नहीं ठाकुर , होने वाले मुख्यमंत्री जी और केंद्रीय मंत्री का दामाद भी हु “
इस बार चौकने की बारी मेरी थी
“क्या बक रहा है …”
अब्दुल अब भी हँस रहा था
“लगा ना शॉक …. रामिका और मेरी शादी होने वाली है .. इसी शर्त पर ठाकुर बलवंत ने मुझे यंहा का कलेक्टर बनाया है …”
रामिका का नाम सुनते ही मैं खामोश हो गया , रामिका ना सिर्फ मेरी दोस्त थी बल्कि उसने मेरी जान भी बचाई थी , और उसका ये अहसान मेरे उपर जीवन भर रहने वाला था , शायद बलवंत को ये बात पता ना हो लेकिन उस समय अब्दुल यही था और उसे ये बात जरुर पता होगी … क्या अब्दुल रामिका को अपनी ढाल बनाकर मुझ पर वार करना चाहता है …???
“अब्दुल … हमारे बीच जो हुआ वो अपनी जगह है लेकिन रामिका को इन सबमे मत घसीट … क्या वो शादी के लिए राजी है ??”
अब्दुल फिर से हँसा
“उसकी रजामंदी कौन पूछता है , बलवंत के सबसे बड़े दुश्मन को उसने बचाया था , इस बात की उसे सजा तो मिलनी ही थी , और ऐसे भी बलवंत को एक आईएएस दामाद मिल रहा है वो भी उसके दुश्मन का दुश्मन तो बलवंत के लिए ये सौदा करना बहुत आसान था “
“देख अब्दुल रामिका का इससे कोई लेना देना नहीं है “ मैं थोड़े गुस्से में आ गया था
“कुवर जी आपका कोई लेना देना नहीं है लेकिन मेरी तो बीबी बनने वाली है , मुझे तो लेना भी है और उसे देना भी है हा हा हा “
इतना कह कर उसने फोन रख दिया …
मैं चिंता में डूब गया था मैंने सारी बाते अंकित को बताई …
“मैंने पहले ही कहा था बलवंत कोई काम ऐसे ही नहीं करता , उसने कुछ तो बड़ी प्लानिंग की होगी , तुम्हे रामिका से बात करनी चाहिए , जन्हा तक मुझे पता है रामिका अपने पिता की लाडली है “
“बलवंत अपनी लाडली बेटी के दोस्त को एक बार मरवा भी चूका है , भूल गए क्या ?? “
“बात तो तुम्हारी भी सही है … लेकिन एक बार उससे बात तो कर लो “
मैंने हां में सर हिलाया और रामिका को काल लगा दिया
“ओह कुवर साहब बहुत जल्दी याद कर लिया इस नाचीज को “
उसने अपने चुटीले अंदाज में कहा
“हा ठकुराईन जी आपका शुक्रिया करने का मौका ही नहीं मिला मुझे , तुमने मेरी जान बचाई “
“अबे दोस्त को तू शुक्रिया कहेगा क्या … ऐसे शादी कब कर रहे हो तुम लोग , सुना है अब तो तू पहले से भी ज्यादा हट्टा कट्टा हो गया है “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा
“फिक्र मत कर तेरे बाद ही मेरी शादी होगी , तू तो अब कलेक्टर की बीवी बनने जा रही है “
वो थोडा चौकी
“तुझे किसने कहा ?? ये बात तो हमारे परिवार वालो के अलावा अभी किसी को नहीं पता थी , “
मैं हँस पड़ा
“अभी तुम्हारे कलेक्टर साहब से बात किया उन्होंने ही बताया “
“ओह ये बात है , ऐसे उसने ही मुझे बताया की तुम पहले से ज्यादा ताकतवर हो गये हो , सुनकर अच्छा लगा “
मैं थोड़े देर तक चुप ही था
“रामिका … तू खुश तो है ना , कही ये शादी अपने पिता के दबाव में आकर तो नहीं कर रही “
रामिका भी थोड़ी देर के लिए चुप हो गई
“अब्दुल बहुत अच्छा लड़का है निशांत , हां शुरू में मुझे लगा की मेरी शादी उससे करवा कर पापा मुझपर जबरदस्ती कर रहे है , लेकिन जितना मैंने उसको समझा और जाना मुझे पता चला की वो मेरे लिए एक सही चॉइस है , अब शादी चीज ही ऐसी है थोडा अर्जेस्ट तो करना ही पड़ता है , लेकिन जिस तरह से वो मेरा ध्यान रखता है मुझे तो वो बेस्ट लगता है “
रामिका की बात सुनकर मुझे थोडा सुकून आया
“तू खुश तो हम खुश , वरना कलेक्टर साहब को सुधार देंगे तू फिक्र मत कर “
“ये खबरदार जो मेरे भोलेभाले अब्दुल को अपनी राजनीती में लाये तो “
मैं जोरो से हँस पड़ा ,
“भोलाभाला ???”
“हा निशांत वो बहुत अच्छे है “
“चलो बढ़िया है तुम खुश रहो और मुझे क्या चाहिए “
थोड़े देर और इधर उधर की बाते करके मैंने फोन रखा …
रामिका खुश थी और अब्दुल को मासूम ही समझ रही थी , अभी तक तो वो था भी मासूम पता नहीं आगे वो क्या गुल खिलाने वाला था , मैं रामिका के सामने अब्दुल के बारे में कुछ गलत बात करके उसे दुखी नहीं करना चाहता था ..
आज शराब थोड़ी ज्यादा हो गयी थी , मैं थोडा लडखडाता हुआ हवेली पंहुचा सामने अन्नू खड़ी मुझे घुर रही थी …
“अगर तुम्हे ऐसा करना है तो ये जिम्मेदारी ली ही क्यों , दो ओरते आ कर चली गई , ये तुम्हारे लिए कोई मजाक है क्या ?? यंहा की ओरतो की जिंदगी का सवाल है ये … “
मेरे आते ही उसने गुस्से से कहा ,
अभी मैं बहुत नशे में था और मुझे एक की जगह 2 दिखाई दे रहे थे ..
“आज का दिन बहुत ही टेंशन वाला था जान इसलिए थोड़ी ज्यादा ले ली … सॉरी “
“तुम्हारी सॉरी से किसी का बच्चा नहीं हो जाएगा , तुम्हे फिट रहना चाहिए हमेशा तैयार और तुम हो की … छि “
अन्नू की ये बात मेरे दिल में लग गई ..
“रामिका शादी कर रही है … अब्दुल से … और अब्दुल हमारे खिलाफ बलवंत से हाथ मिला कर खड़ा है “
मेरी बात सुनकर अन्नू कुछ ना बोली बल्कि मुझे सहारा देकर मेरे बिस्तर तक ले गई …
मैं लेटा हुआ था और अन्नू मेरे बालो में हाथ फेर रही थी ..
“इतना टेंशन मत लो यार तुम , अब्दुल जैसा भी है लेकिन अच्छा आदमी है वो कोई गलत काम नहीं करेगा “
मैं हलके से मुस्कुराया
“वो मेरे जान का दुश्मन बना हुआ है “
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई
“हां लेकिन किसके कहने पर उसने ये किया ये तो सोचो …??”
मैंने उसे ध्यान से देखा
“किसके …???”
अन्नू ने बड़े ही प्यार से मेरे माथे पर एक किस किया
“त्तुम्हारी होने वाली बीबी कोई कम नहीं है कुवर जी …”
उसने मुस्कुराते हुए कहा … उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा था …
पायलो की छम छम की आवाज मेरे कानो में गूंजी ..
“आमी जे तुमार …”
क्या प्यारी आवाज थी , ये आवाज मैं पहचानता था , मैंने पलट कर देखा तो मेरे चहरे में मुस्कान खिल गई ..
प्यारी सी सूरत और भोली भाली अदाओ वाली , मधुर गीत और होठो में मुस्कान लिए वो मेरे पास आ रही थी , मैं उसी पत्थर में बैठा हुआ था , वो मेरे पास आकर बैठ गई , आज उसने एक घाघरा चोली पहनी थी जैसे कोई गांव की लड़की हो , हाथो में ढेर सारी चुडिया , एक छोटी सी बिंदिया माथे पर थी .
“अब चुड़ैले फ़िल्मी गीत भी गाने लगी “
मैंने उसे देखते हुए पूछा
“हम मार्डेन चुड़ैल है कुवर जी “
कोकू की बात सुनकर मैं जोरो से हँसा और हँसते हँसते ही उसके प्यारे से चहरे को निहारने लगा ..
“कितनी प्यारी लग रही हो आज “ मैंने उसके गालो को हलके से सहलाया , उसके होठो में भी मुस्कान आ गई …
“कुछ परेशान लग रहे हो आप “ वो मेरे कंधे पर अपना सर टिकाते हुई बोली
“परेशान तो नही लेकिन … कुछ दुविधा में जरुर हु , समझ नही आ रहा है की अब क्या ??, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या होगा , मुझे क्या करना चाहिए , इतनी शक्तियों के बावजूद मैं एक आम जिंदगी तो नहीं जी सकता “
वो हलके से हँसी
“तो तुम अपनी शैतनी ताकतों को आजाद करना चाहते हो ?? सोच लो दिखने में तो ये बहुत ही अच्छा लगता है लेकिन इससे तुम्हारा ही अहित हो सकता है , तुम इसके गुलाम बन जाओगे या ये समझो की उस आनन्द के गुलाम बन जाओगे जो तुम्हे इसके इस्तमाल करने से मिलेगा “
“हा मैं जानता हु , लेकिन सोचो न ये शक्तिया आखिर मुझे मिली ही क्यों है अगर मैं इनका इस्तमाल ही ना करू , सोचो मैं अभी भी नहीं चाहता की मैं किसी महिला के साथ सम्भोग करू जबकि ये मेरी जिम्मेदारी भी है , मुझे ये शक्तिया दी ही इसलिए गई है की मैं ये सब कर सकू लेकिन मैं अपनी ही ताकतों से भाग रहा हु , क्या मैं सिर्फ इसलिए ही इनसे दूर नहीं हु क्योकि मुझे डर है की ये मुझपर हावी हो जाएगी ?? क्या इसी डर से मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुख मोड़ता रहूँगा ??? तुम ही बताओ कोकू की मैं क्या करू ??
मैं परेशान नहीं हु लेकिन एक अजीब सी दुविधा में फंसा हुआ हु , राह दिखाई नहीं दे रही , खुद को मैं कितना नियंत्रित करूँगा “
उसने अपना हाथ मेरे बालो में सहलाया और प्यार से एक चुम्मन मेरे गालो में दिया , वो गिला चुम्मन मेरे अंदर एक गुदगुदी पैदा करने को काफी था
“तुम छोड़ दो … छोड़ दो खुद को … पूरी तरह से बिना किसी नियंत्रण के उडो , ये पूरा आकश ही तुम्हारा है कुवर , क्यों चिंता करते हो , और किसकी चिंता करते हो ,इस समाज की या इनके नियमो की , सब कोरे है , इन्हें तुम अपने हिसाब से फिर से लिख सकते हो ,क्या तुम अपने परिवार की चिंता कर रहे हो ??
अम्मा की या अन्नू की … वो तुम्हारे सहयोगी होंगे ना की तुम्हारे विरोधी “
“लेकिन … अन्नू ने मुझे रोका है … वो नहीं चाहती की मैं किसी और के साथ सम्भोग करू , वो तो ये जिम्मेदारी है की मुझे ये सब करना पड़ रहा है वरना “
कोकू हँस पड़ी
“कोई प्रेयसी अपने प्रेमी को किसी दुसरे के साथ नहीं देख सकती कुवर , लेकिन तुम अलग ओ और बात अन्नू भी जानती हु , तुम खुद को कितना दबाओगे , तुम्हारी ताकते नियंत्रण के लिए नहीं बनी तुम आजाद रहने के लिए बने हो , उड़ने के लिए तुम जितना इन्हें दबा कर रखोगे उतना ही ये तुम्हे तकलीफ देंगी “
मैं अब भी चुप था , उसने मेरे बालो को सहलाया
“कुवर जरुरी नहीं की तुम हमेशा ही हीरो बने रहो , कभी कभी विलन बनने का भी अपना मजा होता है और कभी कभी ये बहुत ही जरुरी भी होता है “
मेरी आँखे अचानक से खुली मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ था , शराब के नशे में मुझे गहरी नींद आई थी , मैंने इधर उधर देखा लेकिन कोकू को कही नहीं पाया , बल्कि कामिनी भाभी झाड़ू लगाते हुए वंहा पहुची थी …
वो मुझे मुस्कुरा कर देख रही थी
“क्या हुआ कुवर किसे ढूँढ रहे हो “
मैं समझ गया था की ये सिर्फ एक सपना था , लेकिन हकीकत की तरह ही महत्वपूर्ण सपना , मुझे कोकू ने समझा दिया था की आगे क्या करना है , उसकी बात मेरे जेहन में गूंज रही थी की जरुरी नहीं की तुम हमेशा ही हीरो बने रहो …
मैंने खुद को आजाद करने की सोच ली , लेकिन एक डर अभी भी मेरे अन्द्र्र था की ये आजादी कही मुझे हवस का गुलाम ना बना दे …
“अबे लौड़े छोड़ दे खुद को , इस उम्र में इतना बोझ सही नहीं होता इतना मत सोच “ मेरे अंदर का लौडू चिल्लाया , वो सच कह रहा था इस उम्र में मेरे उपर बहुत सारी जिम्मेदारी आ गई थी और इसे अगर निभाना था तो मुझे अपने हवस को आजाद करना होगा , यु नियमो में बंधकर मैं शायद अपनी शक्तियों का सही उपयोग ना कर पाऊ …
“ठीक है मैं खुद को आजाद कर दूंगा , अब तो खुश “
मेरे बोलने पर लौडू जैसे नाच उठा
“याहू … अब सब मुझे जंगली कहेंगे हा हा हा , तो शिकार शुरू करे कुवर , पहला तो सामने ही खड़ा है “
मेरी नजर कामिनी भाभी पर पड़ी
“कुवर जी तबियत तो ठीक है ना आपकी कुछ बहके बहके नजर आ रहे हो “
मैंने मुस्कुराते हुए उनके साड़ी से झांकते हुए नाभि के पास देखा , हल्का सांवला रंग और गदराया बदन , तीखे नयन नक्स की मलिका थी कामिनी भाभी ..
मैंने उन्हें अपने पास बुलाया
“जरा यंहा आके बैठो “
वो मेरे पास आकार बैठ गई मैंने अपने शरीर से चादर हटा दिया , मैं पूर्ण रूप से नंगा था , मुझे देखकर एक बार उनका मुह खुला का खुला रह गया , उसने हाथ बढ़ा कर मेरे शरीर को छुवा
मैंने पहली बार कामिनी के चहरे में शर्म का भाव देखा था ..
“हाय री दइया ये तो लोहे जैसा मजबूत है “
वो मेरे शरीर पर अपने हाथ फेर रही थी , मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया जो अभी तक पूरी तरह से खड़ा हो गया था , मेरे लिंग पर हाथ पड़ते ही कामिनी जैसी कामुक महिला के भी पसीने छुट गए , वो हवस भरी नजरो से मेरे लिंग को देखे जा रही थी …
“कुवर … मुझे डर लग रहा है “ उसके स्वर लड़खड़ाने लगे थे …
“हाथो में अच्छा नहीं लग रहा तो मुह में लेके देखो “
उसने अजीब निगाहों से मुझे देखा , उसने मुझे इतना बेबाक कभी नहीं देखा था हमेशा ही मुझे छेड़ा करती थी लेकिन आज मैं खुद के हवस को आजाद करने के कार्यक्रम में था , मुझे इसे अब और काबू नहीं करना था बल्कि अपने अंदर के हवस से भरे हुए शैतान को बाहर निकलना था , अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना था और साथ ही इसका भरपूर मजा भी उठाना था …
वो कांपते हुए मेरे लिंग की ओर झुकी मैंने उसका सर पकड कर जोरो से उसे अपने लिंग के उपर रख दिया ..
“कुवर आराम से ..” वो बस इतना ही बोल पाई थी की उसके मुह में मेरा लिंग जा चूका था , उसके थूक के गीलेपन ने मेरे लिंग को और भी कड़ा कर दिया , उसने चूसने में जैसे महारत हासिल कर रखी थी , बड़े ही नाज से वो मेरा लिंग चूस रही थी , मैंने उसे अपने पास खिंच लिया , मैं उसके कुलहो को साड़ी के उपर से भी दबोचने लगा , वो भी मचल रही थी मैंने अपना हाथ उसके साड़ी के अदर डाला और साड़ी को कमर से उपर कर दिया ,
‘चटाक ‘
एक जोरदार थप्पड़ मैंने उसके कुलहो पर मारा , वो सिहर गई लेकिन अपने काम ले लगी रही …
मैं आनन्द की गहराईयो में गोते लगा रहा था , सच में हवस में डूब जाने का अपना ही मजा था , दिमाग से हर फिक्र को निकाल कर मैं इस यौन क्रिया का आनंद ले रहा था …
तभी दरवाजा खुला सामने अम्मा खड़ी थी , हमें इस अवस्था में देखकर वो मुह फाडे हुए वही खड़े हो गई , मैं मुस्कुराते हुए उन्हें ही देख रहा था जबकि कामिनी जैसे दुनिया को भूल चुकी थी , अम्मा यंहा अकेले नहीं आई थी बल्कि उनके साथ बाबूलाल भी था , बाबूलाल कामिनी का पति था , वो भी मुह फाडे अपनी बीवी को अपने मालिक के लिंग को चूसते हुए देख रहा था …
“दोनों अंदर आ जाओ “
मैंने लेटे लेटे ही आदेश दिया , आनंद में मैं ऐसा डूबा हुआ था की मेरी आँखे बार बार बंद हो रही थी ,
मैंने बाबूलाल को पास बुलाया , वो किसी रोबोट की तरह मेरे पास आया , मैंने कामिनी के कच्छी को निचे कर दिया , वो अभी किसी कुतिया की तरह पोश में थी और मेरे लिंग को चूस रही थी , मैंने बाबूलाल को इशारा किया …
“चाटो इसे और गिला करो “
एक बार को वो हडबडा गया लेकिन अगले ही पल वो निचे बैठ कर कामिनी के योनी में अपनी जीभ फेरने लगा ..
“आह …” कामिनी मजे से सिसकी लेने लगी थी
बाबूलाल अपने बीवी की योनी को जैसे खा ही जा रहा था , मैंने अम्मा की ओर देखा और उन्हें भी अपने पास बुला लिया , वो भी जैसे किसी सम्मोहन के वस में बंधी हुई मेरे पास चली आई और मेरे दुसरे बाजू आकर लेट गई , मैंने हवस से थोड़ी दूर जाकर प्रेम से उन्हें देखा और उनकी मोहक सुन्दरता में खुद को खोता हुआ पाया , मैंने उन्हें अपनी ओर खिंच लिया और उनके होठो में अपने होठ सटा दिए , हम दोनों ही एक दुसरे के होठो में खोते जा रहे थे तभी …
“ये सब यंहा क्या हो रहा है …???’
सामने अन्नू खड़ी थी और वो गुस्से से आग बबूला थी ..
उसने इतने जोरो से चिल्लाया की वंहा उपस्थित सभी का जैसे सम्मोहन टूट गया हो , सभी अपनी अवस्था को देख कर हडबडा उठे , बाबूलाल जल्दी से उठा वही कामिनी भी अपने वस्त्रो को सम्हालते हुए उठ खड़ी हुई , वही अम्मा ने बिस्तर में ही बैठे हुए शर्म से अपना सर झुका लिया …
मैं जो की हवस की गोद में बैठा हुआ खेल रहा था अन्नू के गुस्से भरे आवज से जैसे हकीकत में आ पहुचा था , सभी तूरंत ही वंहा से भागे, मैं अभी भी वंहा लेटा हुआ था और अन्नू को देख रहा था ..
उसका गोरा चहरा टमाटर की तरह लाल हो चूका था और आँखों में आंसू की बुँदे झलकने लगी थी …….