Jitender kumar
J.K
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Update 2
सुबह बड़े भाई 8 बजे काम पर चला गया। मुझे भी 11 बजे कॉलेज जाना था। तबतक मैंने सुमती भाभी के साथ आराम से नाश्ता कर लिया और फिर हम दोनों थोड़ी देर टीव्ही देखने लगे। भाभी ने आज पीली साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। मुझे कल की घटना याद आ रही थी। इसलिए मैने उसके ब्लाऊज को बारिकी से देखा। उसका ब्लाऊज के अंदर पहना हुआ का ब्रा साफ दिख रहा था। भाभी के हावभाव से लग रहा था कि उनको कोई परेशानी नही हो रही थी। मैं 11 बजे कॉलेज के लिए घर के बाहर निकला। कॉलेज जाते समय भी मेरे मन मे स्तनपान के विचार ही चल रहे थे। कॉलेज के लेक्चर के दौरान भी भाभी का सॉफ्ट मुम्मा और उसके रसीले दूध की टेस्ट याद आ रही थी। मेरा किसी भी विषय मे मन नही लग रहा था।
शाम को मैं 4 बजे घर वापस आ गया। भाभी हॉलमे आराम कर रही थी। मैं हाथ पाव धोकर फ्रेश हो गया और थोड़े स्नैक्स खा कर भाभी के बाजुमें ही लेट गया। भाभी सोयी नही थी और उसने मेरी तरफ पलट कर कहा,
"मोहन बेटे, मुझे फिर से दर्द हो रहा है। लगता है तुम्हेही सब दूध पीना होगा।"
"ठीक है भाभी । पिता हूँ। "
"आ इधर।"
मैं उसके पास खिसक गया। सुमती भाभी ने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये। फिर मेरे सर के निचे एक हाथ सपोर्ट के लिए दिया और मेरा सर ढकते हुए मुझे वो अपना दूध पिलाने लगी।
"आह... मोहन। बहुत राहत मिल रही है। पूरा दूध पी जाओ।"
मैं धीरे धीरे दूध पीने लगा। भाभी ने एक हाथ से मेरे मुँह में उसका मुम्मा पकड़ कर रखा था। वो बीच बीच मे उसे दबा भी रही थी। मैंने इतना स्वादिष्ठ दूध कभी चखा नही था। बहुत मजा आ रहा था। भाभी लगभग 20 मिनिट तक मुझे स्तनपान कर रही थी। दूध खतम होने के बाद सुमती भाभी ने उसका ब्लाऊज और पल्लू ठीक कर लिया और मुझे बोली,
"थैंक यू मोहन बेटे। अब अच्छा लग रहा है।"
"पर भाभी ये कबतक मुझे ऐसे स्तनपान करना पड़ेगा?"
"मुझे कितना दर्द हो रहा है वो भी तो देखो। मेरे कहने पर चुपचाप दूध पी लेना।"
"ठीक है भाभी।"
"अच्छा बेटा है ना तू।"
"मैंने कहा ना पी लूँगा दूध।"
"इतना अकड़ मत।"
शाम के 7 बजे बड़े भाई काम से वापस आगए। 9 बजे हमने डिनर कर लिया और फिर हॉल में बिस्तर लगा कर हम सब टीव्ही देखने लगे। भाई ने लाइट बंद कर दी ताकि हम सब सोते हुए टीव्ही देख सके। थोड़ी देर बाद सुमती भाभी मुझे बोली,
"चल मोहन बेटे। दूध पी ले अब। फिर मुझे अच्छी नींद आएगी।"
मैं उसके पास ही था। उसने मुझे उसके और करीब लिया। फिर मेरा सर पल्लू से ढकते हुए मुझे वो स्तनपान करने लगी। मुझे स्तनपान करने में अब मजा आने लगा था। बहुत आराम से मैं दूध चूस रहा था। भाभी का पूरा दूध खतम करने में मुझे 25 मिनट लग गए भाभी ने मुझे धन्यवाद किया और हम दोनों भी सो गए। मेरे बड़े भाई और थोड़ी देर तक टीव्ही देखते रह गए थे।
सुबह 8 बजे भाई काम पर चला गया और फिर मैं और भाभी हॉल में टीव्ही देखने लगे। हम नीचे जमीन पर बैठे थे। भाभी मुझे हँसते हुए बोली,
"कल मैंने गलती कर दी। मुझे तुझे सुबह ही दूध पिला देना चाहिए था। बहुत परेशानी हो गयी थी कल दोपहर को। चल अब दूध पी ले बेटे।"
"ठीक है भाभी।"
"तो फिर आ इधर।"
मैं उसके पास गया और उसने मुझे उसकी गोद मे सुला दिया। आज उसने पिंक साड़ी और नीला ब्लाऊज पहना था। मेरा सर उसके मुम्मो से काफी करीब था इसलिए मुझे उसके ब्लाऊज के निचे पहना ब्रा साफ नजर आ रहा था।भाभी ने बिना देर लगाए ब्लाऊज के निचले कुछ हुक खोल दिये। और फिर मेरा सर ढकते हुए मुझे वो किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। मुझे दूध पीते वक्त बहुत अच्छा लग रहा था। बहुत देर तक पिता रहा मैं। उसका दूध भी बढ़ गया था। दूध पीने के बाद मैं कॉलेज को जाने निकला। मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी।
सुमती भाभी ने पूछा,
"हँस क्यों रहा है तू?"
"कुछ नही भाभी। ऐसे ही।"
"ठीक है। कॉलेज जाते समय खयाल रखना।"
"हा भाभ
एक कहानी मे एक बुजुर्ग आदमी भी शामिल करो.Update 2
सुबह बड़े भाई 8 बजे काम पर चला गया। मुझे भी 11 बजे कॉलेज जाना था। तबतक मैंने सुमती भाभी के साथ आराम से नाश्ता कर लिया और फिर हम दोनों थोड़ी देर टीव्ही देखने लगे। भाभी ने आज पीली साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। मुझे कल की घटना याद आ रही थी। इसलिए मैने उसके ब्लाऊज को बारिकी से देखा। उसका ब्लाऊज के अंदर पहना हुआ का ब्रा साफ दिख रहा था। भाभी के हावभाव से लग रहा था कि उनको कोई परेशानी नही हो रही थी। मैं 11 बजे कॉलेज के लिए घर के बाहर निकला। कॉलेज जाते समय भी मेरे मन मे स्तनपान के विचार ही चल रहे थे। कॉलेज के लेक्चर के दौरान भी भाभी का सॉफ्ट मुम्मा और उसके रसीले दूध की टेस्ट याद आ रही थी। मेरा किसी भी विषय मे मन नही लग रहा था।
शाम को मैं 4 बजे घर वापस आ गया। भाभी हॉलमे आराम कर रही थी। मैं हाथ पाव धोकर फ्रेश हो गया और थोड़े स्नैक्स खा कर भाभी के बाजुमें ही लेट गया। भाभी सोयी नही थी और उसने मेरी तरफ पलट कर कहा,
"मोहन बेटे, मुझे फिर से दर्द हो रहा है। लगता है तुम्हेही सब दूध पीना होगा।"
"ठीक है भाभी । पिता हूँ। "
"आ इधर।"
मैं उसके पास खिसक गया। सुमती भाभी ने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के कुछ हुक खोल दिये। फिर मेरे सर के निचे एक हाथ सपोर्ट के लिए दिया और मेरा सर ढकते हुए मुझे वो अपना दूध पिलाने लगी।
"आह... मोहन। बहुत राहत मिल रही है। पूरा दूध पी जाओ।"
मैं धीरे धीरे दूध पीने लगा। भाभी ने एक हाथ से मेरे मुँह में उसका मुम्मा पकड़ कर रखा था। वो बीच बीच मे उसे दबा भी रही थी। मैंने इतना स्वादिष्ठ दूध कभी चखा नही था। बहुत मजा आ रहा था। भाभी लगभग 20 मिनिट तक मुझे स्तनपान कर रही थी। दूध खतम होने के बाद सुमती भाभी ने उसका ब्लाऊज और पल्लू ठीक कर लिया और मुझे बोली,
"थैंक यू मोहन बेटे। अब अच्छा लग रहा है।"
"पर भाभी ये कबतक मुझे ऐसे स्तनपान करना पड़ेगा?"
"मुझे कितना दर्द हो रहा है वो भी तो देखो। मेरे कहने पर चुपचाप दूध पी लेना।"
"ठीक है भाभी।"
"अच्छा बेटा है ना तू।"
"मैंने कहा ना पी लूँगा दूध।"
"इतना अकड़ मत।"
शाम के 7 बजे बड़े भाई काम से वापस आगए। 9 बजे हमने डिनर कर लिया और फिर हॉल में बिस्तर लगा कर हम सब टीव्ही देखने लगे। भाई ने लाइट बंद कर दी ताकि हम सब सोते हुए टीव्ही देख सके। थोड़ी देर बाद सुमती भाभी मुझे बोली,
"चल मोहन बेटे। दूध पी ले अब। फिर मुझे अच्छी नींद आएगी।"
मैं उसके पास ही था। उसने मुझे उसके और करीब लिया। फिर मेरा सर पल्लू से ढकते हुए मुझे वो स्तनपान करने लगी। मुझे स्तनपान करने में अब मजा आने लगा था। बहुत आराम से मैं दूध चूस रहा था। भाभी का पूरा दूध खतम करने में मुझे 25 मिनट लग गए भाभी ने मुझे धन्यवाद किया और हम दोनों भी सो गए। मेरे बड़े भाई और थोड़ी देर तक टीव्ही देखते रह गए थे।
सुबह 8 बजे भाई काम पर चला गया और फिर मैं और भाभी हॉल में टीव्ही देखने लगे। हम नीचे जमीन पर बैठे थे। भाभी मुझे हँसते हुए बोली,
"कल मैंने गलती कर दी। मुझे तुझे सुबह ही दूध पिला देना चाहिए था। बहुत परेशानी हो गयी थी कल दोपहर को। चल अब दूध पी ले बेटे।"
"ठीक है भाभी।"
"तो फिर आ इधर।"
मैं उसके पास गया और उसने मुझे उसकी गोद मे सुला दिया। आज उसने पिंक साड़ी और नीला ब्लाऊज पहना था। मेरा सर उसके मुम्मो से काफी करीब था इसलिए मुझे उसके ब्लाऊज के निचे पहना ब्रा साफ नजर आ रहा था।भाभी ने बिना देर लगाए ब्लाऊज के निचले कुछ हुक खोल दिये। और फिर मेरा सर ढकते हुए मुझे वो किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। मुझे दूध पीते वक्त बहुत अच्छा लग रहा था। बहुत देर तक पिता रहा मैं। उसका दूध भी बढ़ गया था। दूध पीने के बाद मैं कॉलेज को जाने निकला। मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी।
सुमती भाभी ने पूछा,
"हँस क्यों रहा है तू?"
"कुछ नही भाभी। ऐसे ही।"
"ठीक है। कॉलेज जाते समय खयाल रखना।"
"हा भाभी।"
एक कहानी मे एक बुजुर्ग आदमी भी शामिल करो.