manu@84
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स्त्री द्वारा स्त्रीतव् का अहसास, पढ़ कर अब तो खुद से ही सवाल करने की इच्छा हो रही है, क्या स्त्री किसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर पुरुषो की अपेक्षा ज्यादा खुशी का अनुभव कर सकती हैं??? अगर ऐसा है तो समाज में ऐसे रिश्तों को स्वीकार क्यों नही किया जा सकता हैं???अध्याय ५
मुझे शर्म सी महसूस हुई, लेकिन मैंने अपना वादा निभाया| मैंने सर झुका कर मुस्कुराते हुए कहा, "जी हां जी हां आफरीन बाईसा! आप जैसा जैसा कहेंगीं; मैं अपने बालों को खोलकर बिल्कुल नंगी धड़ंगी होकर ठीक वैसा वैसा ही करूंगी; और मैं हमेशा आपकी बिगड़ी हुई गंदी लौंडिया बन कर रहूंगी"
भिखारिन आफरीन की बांछे खिल गई| और जैसे ही मैं उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी, उसने पीछे से आकर मेरे खुले बालों को समेट कर, मेरी गर्दन के पीछे एक पोनीटेल की तरह अपनी मुट्ठी में फिर से पकड़ा... और अब तुम्हें समझ गई थी कि वह इस तरह से मेरे बालों को पकड़ कर वह मेरे ऊपर अपने अधिकार और प्रभुत्व का दावा कर रही है|
मैं एक लड़की हूं| इसलिए मुझे बैठकर पिशाब करना पड़ता है| वैसे तो मैं कमोड पर बैठती हूं; लेकिन आज, आफरीन भिखारिन की मौजूदगी में मैं जमीन पर ही उकड़ू होकर बैठ गई...
भिखारिन आफरीन ने मेरे बालों को अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर उठा रखा| और मुझे पिशाब करते हुए देखकर उसकी आंखों में एक जंगली खुशी की चमक छा गई थी| पिशाब करने के बाद मैंने अपने गुप्तांगों को अच्छी तरह से धोया और फिर वापस उठकर मैं उसके साथ कमरे में आ गई|
उसने मुझसे कहा, "मेरी प्यारी गुलाब, मेरी बिगड़ी हुई गंदी लौंडिया... हर इंसान को चाहिए कि वह अपने अंदरूनी अरमानों को अपना सके और उन्हें जाहिर कर सके... और मुझे इस बात की खुशी है कि तूने बिल्कुल वैसा ही किया"
इसके बाद उसकी आवाज थोड़ी भारी हो गई| ऐसा लग रहा था कि वह शायद कुछ संगीन कहने वाली है|
वह बोलने लगी, "सुन मेरी गुलाब का फूल मेरी बिगड़ी हुई गंदी लौंडिया! मैं तुझे कुछ कहना चाहती हूं; मेरे शौहर को इलाज की सख्त जरूरत है और अब तो तू मेरे बारे में सब कुछ जान ही चुकी है, कि मैं तुझ जैसी लड़कियों को हासिल करके उनसे अपनी हवस की प्यास को मिटाया करती हूं... लेकिन इलाज के लिए पैसे चाहिए..."
इतना कहकर वह रुक गई|
मैं अच्छी तरह समझ गई कि वह क्या कहना चाह रही थी| लेकिन मैं भी थोड़ा सोच में पड़ गई; एक तरफ तो आफरीन भिखारिन की इन हरकतों ने मुझे जन्नत की सैर करवा दी थी और दूसरी और इसके बूढ़े पति के इलाज का खर्चा, मेरे लिए थोड़ा भारी पड़ सकता था| लेकिन मैं बिगड़ चुकी थी; मैंने गंदे फल का स्वाद चख लिया था| इसीलिए मैंने जवाब दिया, "जी हां जी हां आफरीन बाईसा! आप जैसा जैसा कहेंगीं; मैं अपने बालों को खोलकर बिल्कुल नंगी धड़ंगी होकर ठीक वैसा वैसा ही करूंगी; और मैं हमेशा आपकी बिगड़ी हुई गंदी लौंडिया बन कर रहूंगी... लेकिन मेरी भी एक शर्त है"
आफरीन भिखारिन मेरी तरफ थोड़ा अचरज से देखती हुई बोली, "बोल मेरी बिगड़ी हुई गंदी लौंडिया; क्या शर्त तेरी?"
मैंने शरारत से मुस्कुराते हुए उसकी आंखों में आँखे में डालकर कहा, "भिखारिन आफरीन बाईसा, आप हर हफ्ते छुट्टियों के दिन मेरे घर आया करोगी, मुझे अच्छी तरह से नहलाओगी-धुलाओगी; और मेरे साथ ऐसी गंदी-गंदी हरकतें करके मुझे बिगाड़ती रहोगी"
आफरीन भिखारिन मानो मारे हंसी के फट पड़ी, उसने हंसते हुए कहा, "जरूर जरूर! जब मैंने तुझे बिगाड़ कर तेरा फूल खिला ही दिया है; तो मैं तुझे थोड़ा और सड़ा कर किसी शराब का महुआ बनाने में कोई कसर नहीं छोडूंगी... लेकिन एक बात बता... तेरी चूत तो बिल्कुल गंजी है, इसके आसपास बिल्कुल भी बाल नहीं है; इतना कर मेरे लिए... तू अपनी चूत के आसपास थोड़े बाल उगा ले... अगर तू ऐसा करेगी तो मुझे तेरे साथ गंदा गंदा खेलने में और उसके बाद तुझे चाटने में और मजा आएगा... अब तू बता? क्या तू मेरे लिए ऐसा कर सकती है?"
मैं बड़ी खुशी के साथ जवाब दिया,"जी हां जी हां आफरीन बाईसा! आप जैसा जैसा कहेंगीं; मैं अपने बालों को खोलकर बिल्कुल नंगी धड़ंगी होकर ठीक वैसा वैसा ही करूंगी; और मैं हमेशा आपकी बिगड़ी हुई गंदी लौंडिया बन कर रहूंगी"
और उस दिन के बाद से हमारी यह अपरंपरागत साझेदारी एक जोशीले वादे में बदल गई| हर हफ्ते हम दोनों एक दूसरे के साथ होते और एक दूसरे को जिस्मानी सुकून और अपनी अपनी हवस की प्यास बुझाने में मदद करने लगे|
♥ || समाप्त ||♥
प्यारी बंगालन आप की लेखन शैली में स्त्रियों की स्त्रियों के साथ रचाई गयी रासलीला की अद्भुत विधा है, इसका pram@an किसी भी सबूत का मोहताज नहीं है। किंतु इतनी बारीखी से किसी वाकये को लिखने के लिए अनुभव होना जरूरी होता है, बिना जहर को चखे उसकी तासीर का सही आकलन नही किया जाता है।
एक सवाल है - क्या आप भी.....??? समझ तो गयी हो
एक सलाह है - कभी भी किसी राह चलते अजनबी को घर पर मत लेकर आइये।
धन्यवाद... मिलते है जिंदगी रही तो ❤