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नमस्कार दोस्तों मैं आपका परम मित्र मस्तराम आज मैं आपको एक अधेड़ घरेलू महिला और उसके बेटे की कामुक क्रीडा के बारे में बताने जा रहा हूं उन दिनों में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के बाहरी इलाके में कमरा किराए पर लेकर अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रहा था मैंने शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक गरीब बस्ती में कमरा किराए पर लिया था मेरा मकान मालिक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड था और मकान मालकिन एक 50 वर्षीय घरेलू भोली भाली धार्मिक विचारों वाली एवं अंधविश्वास में यकीन रखने वाली महिला थी और उनके एक 12 वर्षीय नवी क्लास में पढ़ने वाला बेटा भी था जिसका नाम भोलू था परंतु वह पढ़ने में बहुत कमजोर था जिसकी गोलू के घर वालों को बहुत चिंता थी रोजाना उसके अध्यापक उसे पढ़ाई के प्रति गंभीर होने के लिए बोला करते थे तो मैंने भोलू को पढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में भोलू कमजोर से 50 प्रतिशत का विद्यार्थी बन गया गोलू के इस तरीके से परिवर्तन को देखकर उसके अध्यापकों ने उसके माता-पिता को विद्यालय बुलाकर भोलू को शाबाशी दी तो उसके माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए और घर आकर मुझे मिठाई खिलाई और बहुत आशीर्वाद दिया और कहा की भैया आप इसे नियमित रूप से पढ़ाते रहिए और मैंने भी ऐसा ही किया जिससे गोलू कमजोर से होशियार विद्यार्थी बन गया और गोलू की मम्मी सुमित्रा देवी मुझे अपने घर का सदस्य समझने लगी और मुझ पर भरोसा करने लगी जब कभी गोलू के माता पिता किसी काम से कहीं रिश्तेदारी या गांव जाते तो मुझे भोलू की जिम्मेदारी सौंप जाते थे परंतु भोलू धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था उसके हाथों में सीने में और गुप्तांग के आसपास छोटे-छोटे बाल निकलना शुरू हो गए थे मैं कुछ दिनों से देख रहा था कि आजकल गोलू अकेले में कुछ पढ़ता रहता है तथा बात भी कम करता है और ज्यादातर समय अपनी मां सुमित्रा देवी के साथ ही बिताता है एक दिन मैंने जब भोलू किसी काम से बाजार गया हुआ था तब उसके बैग से अश्लील चित्रों वाली कामुक कहानियों वाली एक किताब बरामद करी जब मैंने उस किताब को खोल कर देखा तो मैं दंग रह गया उस किताब में अधेड़ उम्र की महिलाएं निर्वस्त्र होकर विभिन्न आसनों में छोटे-छोटे किशोर उम्र के बालकों के साथ कामुक क्रीडा कर रही थी और उस किताब में मां का बेटे के साथ योन संबंध पर आधारित कुछ कहानियां भी छपी हुई थी अब मैं भोलू की मनोदशा को समझ चुका था परंतु मुझे डर इस बात का था कहीं भोलू अपनी ही मां सुमित्रा देवी के साथ अपनी यौन कुंठाओं को पूरा करने की गलती ना कर बैठे वरना गलत होगा इसलिए मैंने अब गोलू की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया परंतु उसे इस बात का शक नहीं होने दिया अब मुझे लगने लगा था कि शायद मेरा डर सही साबित होने वाला था और शायद इसमें भोलू की इतनी गलती नहीं जितने कि बदलते परिवेश की है और उससे भी ज्यादा गलती है भोलू की मां सुमित्रा देवी की है क्योंकि सुमित्रा देवी एक 50 वर्षीय घरेलू कार्यों में व्यस्त रहने वाली भोली भाली शहर की चालाकियां से दूर धार्मिक विचारों वाली एवं अंधविश्वास में यकीन रखने वाली महिला है भोलू की मां सुमित्रा देवी का शरीर भरा हुआ एवं रंग गोरा था और कद भी सामान्य ही था और सुमित्रा देवी घर में ज्यादातर ब्लाउज और पेटीकोट में ऊपर से एक पतली सी लुगड़ी डालकर रहती थी गोलू की मां सुमित्रा देवी के स्तन यानी बूब्स 34 की साइज के थे और अभी भी सुडोल थे परंतु सबसे ज्यादा आकर्षक गोलू की मां सुमित्रा देवी के बड़े और चौड़े उभरे हुए कूल्हे थे और ज्यादातर समय सुमित्रा देवी ब्लाउज पेटीकोट में ही अपने घर के कार्य में व्यस्त रहती थी परंतु सुमित्रा देवी को भी इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उसका सगा बेटा उसके कामुक नितंबों का दीवाना हो चुका है उधर जब भी सुमित्रा देवी घर में साफ सफाई का कोई कार्य नीचे झुककर कर रही होती तो भोलू चुपचाप अपनी मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े कूल्हों को पीछे से देखकर निहारता रहता था शायद भोलू अपनी मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े और चौड़े कूल्हों को साक्षात नग्न देखने की कामना करने लगा था इसी कारण जब भी भोलू की मां सुमित्रा देवी घर का कोई भी कार्य नीचे झुक कर घोड़ी बनी हुई अवस्था में कर रही होती थी तो निश्चित रूप से भोलू कहीं ना कहीं छुप कर पीछे से अपनी सगी मां सुमित्रा देवी के कामुक नितंबों को निहारता रहता था और सुमित्रा देवी भी इन सब बातों से अनजान अपने कार्य में व्यस्त रहती थी भोलू कि मां सुमित्रा देवी भी भोलू की इस मनोदशा के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार थी क्योंकि सुमित्रा देवी अभी भी गोलू को चार पांच साल का अबोधबालक ही समझती थी जबकि भोलू किशोरावस्था से युवावस्था में प्रवेश करने जा रहा था और उसकी मनोदशा के साथ-साथ उसमें शारीरिक परिवर्तन भी हो रहे थे परंतु सुमित्रा देवी अभी भी इन सभी चीजों से अनजान थी आखिर सुमित्रा देवी थी ही इतनी कामुक 50 वर्ष की उम्र में भी भरा हुआ शरीर रंग गोरा माथे पर बिंदिया लाल गहरी भरी हुई मांग हाथों में चूड़ियां एकदम भारतीय संस्कारवान नारी की तरह दिखती थी या यूं कहें कि दक्षिण भारत की घरेलू मोटी औरतों की तरह सुमित्रा देवी के कूल्हों का सौंदर्य देखते ही बनता था अब मैंने भोलू का रिएक्शन देखने के लिए एक योजना बनाई क्योंकि सुमित्रा देवी पूजा-पाठ और अंधविश्वास में यकीन रखती थी तो मैंने अपने एक मित्र जोकि थोड़ी बहुत क्रियाएं जानता था उसे बुलाया और समझाया की कैसे अपना फायदा उठाया जाए उसे कुछ पैसों की जरूरत थी तो मैंने उसे ₹4000 दे दिए मेरा मित्र बहुत खुश हुआ और बोला यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है क्या चाहते हो आप मस्त राम जी आप कहो तो भोलू का लिंग उसी की मां के नितंबों से चिपकवा दे सारी योजना बन जाने के बाद मैंने अपनी मकान मालकिन सुमित्रा देवी से कहा की आप लोग विशेष पूजा नहीं करवाते हैं इसी वजह से आपके घर में सरस्वती और लक्ष्मी का वास नहीं है तभी मेरी मकान मालकिन सुमित्रा देवी बोली जी भैया आप सही कह रहे हैं गोलू के पापा तो शराब पीकर मस्त रहते हैं और घर में कोई पूजा पाठ पर ध्यान नहीं देते कृपा करके आप ही कुछ उपाय बताएं और हमारे घर में भी पूजा पाठ करवाएं तो मैंने सुमित्रा देवी से कहा रविवार का दिन सही रहेगा क्योंकि रविवार को सभी देवी देवता प्रसन्न रहते हैं मैंने उन्हें कुछ सामग्री भी लिखाई जिसमें भांग भी थी और रविवार के दिन गोलू के पापा डबल ड्यूटी करते हैं रविवार के दिन लाख काम होने के बावजूद भी गोलू के पापा छुट्टी नहीं करते इसी दिन का लाभ मुझे उठाना था तो मैंने गोलू के पापा को भी बताया और कहा कृपया करके आप भी उपस्थित रहे तो उन्होंने कहा भैया जी जब आप यहां पर हो तो मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है आप जो भी करेंगे वह अच्छा ही करेंगे मुझे आप पर पूर्ण भरोसा है अपनी योजना के अनुसार मैंने सुमित्रा देवी को कहा कि आप कल यानी रविवार को रात्रि 7:30 बजे नहा धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर उपस्थित होवे और भोलू को भी नहला धुलाकर साथ लावे निर्धारित समय पर मेरा मित्र और भोलू एवं उसकी मां सुमित्रा देवी पहुंच गए अब हमने पूजा शुरू करें मेरे बताए अनुसार मेरी मकान मालकिन सुमित्रा देवी पतला सा ब्लाउज और पीले रंग का पतला सा पेटिकोट व लुगड़ी ओढ़ कर पूजा में आ गई साथ ही भोलू भी आ गया था पूजा शुरू हो चुकी थी मैंने अपने मित्र को पूरी घटना बता चुका था जिसकी वजह से उसने वही क्रियाएं करवाना शुरू किया जिससे कि गोलू को आनंद आवे रात के 8:30 बज चुके थे मेरी मकान मालकिन सुमित्रा देवी ने हमारे मकान के सारे गेट बंद कर दिए थे ताकि कोई पूजा में व्यवधान ना डाल सके अब पूजा शुरू हो चुकी थी मेरे बताए अनुसार मेरा मित्र सुमित्रा देवी को हर 2 मिनट में यज्ञ में आहुति देने के लिए कहता अब समझने वाली बात यह है की मेरे मित्र ने सुमित्रा देवी को बताया था कि उन्हें कमर के बल झुक कर घोड़ी अवस्था में आहुति देनी है इसी कारण से मेरी मकान मालिक सुमित्रा देवी बार-बार उस पतले से पेटीकोट में घोड़ी बन रही थी और ठीक उनके पीछे हमने भोलू को खड़ा रहने के लिए कहा था भोलू का काम आसानी से बन रहा था गोलू बार-बार अपनी मम्मी के बड़े-बड़े कूल्हों को देखकर आनंदित हो रहा था अब कुछ देर बाद मेरे मित्र ने प्रसाद स्वरूप भांग सुमित्रा देवी और उसके पुत्र भोलू को पिला दी कुछ समय पश्चात भांग ने अपना असर दिखाना शुरू किया अब भोलू और उसकी मां सुमित्रा देवी को भांग का नशा हो चुका था जिसके कारण सुमित्रा देवी पूजा में पूरे भक्ति भाव से डूब चुकी थी अब दोबारा हमने वही क्रियाएं करवाना शुरू किया तो सुमित्रा देवी जैसे ही नीचे झुकी पीछे से सुमित्रा देवी के मदमस्त कामुक बड़े-बड़े एवं चौड़े कूल्हे गोलाई में फैल गए और ठीक पीछे भोलू अपनी सगी मां के कूल्हो को देखकर आनंदित होने लगा मैंने देखा कि भोलू का लिंग हरकत में आ चुका था भोलू का लिंग अपनी सगी मां की मदमस्त गांड को देखकर फड़फड़ाने लगा था अब मैंने अपने दोस्त को इशारा किया तो उसने गोलू की मां को नीचे झुक कर 5 मिनट तक दंडवत प्रणाम करने को कहा सुमित्रा देवी ने ऐसा ही किया अब भोलू टकटकी लगाए अपनी मां सुमित्रा देवी के मदमस्त कूल्हो को देख रहा था और अपनी मम्मी सुमित्रा देवी की बड़ी और चौड़ी गांड़ को पेटीकोट में ऊपर से ही निहारने लगा
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