नमस्कार दोस्तों पिछले भाग में आपने लोगों ने पढ़ा ही था किस तरह से भोलू अपनी सगी मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े और कामुक कूल्हों को निहारता था और उसने पूजा वाली रात अपनी ही मां के बड़े और चौड़े नितंबों को पेटीकोट में ऊपर से ही अपना लिंग सटाकर महसूस कर लिया था इसलिए अब भोलू अपनी मां सुमित्रा देवी को घोड़ी बनाकर बड़े-बड़े नितंबों को चोदना चाहता था इसलिए भोलू रोजाना कुछ ना कुछ सोचता रहता था शायद अपनी वासना को पूरा करने के लिए कोई योजना बना रहा था कुछ दिनों से मैंने नोटिस किया की भोलू अपनी मम्मी सुमित्रा देवी से पिछले कुछ दिनों से बहुत ही ज्यादा आत्मीयता आदर व ख्याल रखने वाला व्यवहार कर रहा था भोलू के इस व्यवहार से उसके माता-पिता बहुत खुश थे भोलू के माता-पिता अब भोलू पर बहुत ही ज्यादा विश्वास करने लगे थे और साथ ही साथ भोलू भी निरंतर पढ़ाई में सही होता जा रहा था इसकी वजह से एवं मेरे कहने पर उसके पिताजी ने भोलू को स्मार्टफोन दिलवा दिया था मोबाइल आ जाने से गोलू का काम आसान हो गया था अब भोलू दिनभर अपनी योन वासना को शांत करने के लिए स्मार्टफोन पर अश्लील साहित्य और अश्लील फिल्में देखता था परंतु भोलू उम्मीदों से भी ज्यादा शातिर था अब भोलू स्मार्टफोन की मदद से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े कूल्हों को नीचे झुका होने की स्थिति में यानी कि जब भी सुमित्रा देवी नीचे झुक कर घोड़ी बनी हुई कोई भी कार्य कर रही होती तो भोलू चुपचाप पीछे से स्मार्टफोन से वीडियो और फोटो ले लेता था और शायद रात को अकेले में अपनी ही मम्मी के कूल्हों को देखकर हस्तमैथुन करता था कुछ दिनों बाद भोलू के पिताजी का ट्रांसफर शहर की फैक्ट्री में हो गया इस वजह से भोलू और उसकी मां सुमित्रा देवी एवं किराएदार यानी कि मैं हम तीन लोग ही उस मकान में रहते थे और भोलू का काम आसान होने लगा था भोलू अपनी मां के साथ ही सोता था रात में गहरी नींद में सोते समय सुमित्रा देवी के कपड़े यानी कि पेटीकोट और साड़ी कभी-कभी जांघों से ऊपर हो जाते थे तो भोलू इस मौके का फायदा उठाने में माहिर था भोलू अपनी मम्मी सुमित्रा के बड़े-बड़े एवं चौड़े नंगे कूल्हों देखकर खूब प्रसन्न होता था और कामुकता और वासना के वशीभूत होकर उन्माद में अपना लिंग सटाकर आनंद लेने लगा था परंतु सुमित्रा देवी अभी भी अपने बेटे की इन हरकतों से अनजान थी और भोलू अपनी ही मां को चोदने का प्रयास कर रहा था