अल्का मेरे पास आकर लेट गई। मेरे बगल लेटे हुए वो बोली, “जानू, तुमने आज पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा है?”
अल्का से मैंने कभी भी झूठ नहीं कहा था, तो मैं आज शुरू नहीं करने वाला था। भले ही मैं अनाड़ी क्यों न लगूँ ,
“हाँ। .... पहली बार है!”
“मुझे लगा!” वो हलके से हंसी - हंसने से उसके दोनों स्तन हिल गए।
“तुम्हे शायद मेरी बात का भरोसा नहीं होगा, लेकिन तुम भी वो पहले मर्द हो जिसको मैंने नंगा देखा है।”
‘क्या उसने मुझे मर्द कहा?’
न जाने क्या सोच कर मैंने पूछा, “तुमने अभी तक शादी नहीं करी, उसका कारण तो मालूम है। लेकिन, कम से कम कोई बॉयफ्रेंड तो बना लेती?”
“इस जगह में और बॉयफ्रेंड? मज़ाक कर रहे हो?” अल्का का हंसना जारी था, “और.... मैंने तो अपना दिल पहले ही तुमको दे दिया था। ऐसे कैसे किसी और से शादी कर लेती या उसको बॉयफ्रेंड बना लेती?”
“तुम्हे कैसे पता था की मैं तुमको अपनी गर्लफ्रैण्ड मान लूँगा?” मैंने पूछा।
“मुझे नहीं मालूम था। लेकिन… अगर तुम मुझे अपना न मानते, तो ही मैं किसी और की तरफ देखती।”
मैं चुप हो गया। अल्का सचमुच मुझे बहुत प्यार करती है, और यह बात तो साफ़ हो चली थी। कुछ देर के बाद उसने करवट बदल कर मेरी तरफ देखा, और बहुत ही शांत स्वर में कहा, “मेरे कुट्टन, मुझे कल के अपने सपने के बारे में बताओ! जिसके कारण तुम्हारा... अह...”
हमने सपने में क्या किया था, वो मैं अल्का को नहीं बताना चाहता था। अभी भी मेरे मन में यह बात थी कि कहीं वो नाराज़ न हो जाय। मैंने टालने की सोची,
“कुछ नहीं! ऐसे ही कुछ हुआ होगा।”
“मेरे कुट्टन, तुमको क्या अभी भी यह लगता है कि तुमको मुझसे किसी तरह का पर्दा करना चाहिए?”
उसकी बात तो सही थी। हमारे बीच में अब क्या पर्दा? अल्का को इतना तो मालूम ही था कि वो मेरे सपने में आई थी, और हमने सपने में जो भी कुछ किया था उसी का परिणाम बिस्तर, चद्दर और मेरे शॉर्ट्स पर अंकित था। जाहिर सी बात है की मैंने मैथुन के बारे में सपना देखा था - अल्का के साथ मैथुन! और वो जानना चाहती थी की मैं अपने अंतर्मन में उसके बारे में क्या कुछ सोचता हूँ, तो उसको बताने में कोई हर्जा नहीं था। और बताना ही क्यों, कर के दिखाना भी चाहिए!
मैं भी वहीं घास पर करवट ले कर अल्का के बगल ही लेट गया - अब हम दोनों एक दूसरे की तरफ ही देख रहे थे। उसकी आँखों में देखते हुए मैं बताना शुरू किया,
“सपने में हम दोनों ऐसे ही लेटे हुए थे, जैसे अभी हैं। लेकिन हम समुद्र के किनारे बीच पर लेटे हुए थे। पूरी तरह नंगे! जैसे अभी हैं। लेकिन हम दोनों एक दूसरे को स्पर्श कर रहे थे।”
कहते हुए मैंने बढ़ाया, और उसके एक स्तन को अपनी हथेली में भर लिया। उस स्तन को प्यार से मसलते हुए मैंने कहा, “मैं कुछ इसी तरह एक हाथ से तुम्हारे मुलाक्कल (स्तन) सहला रहा था।”
और दूसरे हाथ को अल्का की योनि के ऊपर रख कर कहा,
“और दूसरे हाथ से यहाँ, तुम्हारी पूरू (योनि) को सहला और छेड़ रहा था!”
कह कर मैंने अपनी एक उंगली को अल्का की योनि की दरार में फंसाया, और हलके हलके कोमलता से ऊपर नीचे करते हुए उसको सहलाया। अल्का के गले से मीठी सिसकी निकल गई। उसने अपनी एक टांग कुछ ऊपर उठा ली, जिससे मेरे हाथ को अपना कार्य करने के लिए कुछ अधिक स्थान मिल सके। मैंने भी स्वच्छंद हो कर हाथ से ही अल्का की योनि का अच्छे से जायजा लिया।
“तुमने कहा था की हम एक दूसरे को छू रहे थे! क्या मैं तुमको यहाँ छू रही थी?” अल्का ने अपनी हथेली से मेरे स्तंभित लिंग को कसते हुए कहा।
“हाँ!” अल्का की छुवन मदमस्त कर देने वाली थी। मेरी आवाज़ बस एक फुसफुसाहट ही रह गई थी।
“हम एक दूसरे को आनंद दे रहे थे! कामुक आनंद!”
अल्का मुस्कुराई, “तुमको पता है चिन्नू, मैं भी तुम्हारे ही सपने देख रही थी।”
“सच में! क्या देखा?”
“वही… वही, जो तुमने देखा!” कहते हुए अल्का ने अपनी आँखें बंद कर ली, और मंद मंद मुस्कुराने लगी।
मैंने उसका स्तन-मर्दन और योनि-भेदन जारी रखा। वो खुद भी मेरे लिंग को दुह रही थी। उसमें से वीर्य की कुछ बूँदें रिसने लगीं थीं। मुझे आनंद आ रहा था - अल्का की हरकतों से भी, और उसके शरीर की कोमलता / कठोरता और नमी सभी से! वो बहुत उत्तेजित हो गई थी - उसकी योनि रस से सराबोर हो गई थी। मेरी उंगली अभी तक उसकी योनि में प्रविष्ट नहीं हुई थी - लेकिन वहां बढ़ती चिकनाई के कारण एक बार अचानक ही मेरी उंगली उसके प्रेम-कूप में प्रविष्ट हो गई! मेरा लिंग नहीं - कोई बात नहीं - कम से कम मेरी उंगली तो उसके भीतर पहुंची! उंगली भीतर जाने के साथ ही मेरे अंगूठे ने उसके भगनासे को छेड़ना आरम्भ कर दिया। अल्का आनंद से अपने चूतड़ हिलाने लगी - छोटे छोटे वृत्तों में, और कुछ इस प्रकार कि मेरा अंगूठा और उंगली अधिक से अधिक उसकी योनि से छेड़खानी कर सकें! उसका भगनासा आनंद में सूज गया।
अपने हाथ से हस्त-मैथुन करना, और अल्का के हाथ से हस्त-मैथुन होने में काफी अंतर था। यह वो अनुभव था, जैसा न मैंने कभी महसूस किया, और ना ही जिसकी कभी कल्पना करी! मुझे मालूम था की जल्दी ही सपने के जैसे ही अल्का का हाथ भी मेरे वीर्य से भीगने वाला था। मेरे अंदर दबाव बढ़ता जा रहा था। उधर, अल्का ने भी अपने चूतड़ों के घूर्णन की गति बढ़ा दी थी। वो अब कराहने भी लगी थी, और मेरे हाथ में धक्के भी लगाने लगी थी।
अचानक ही उसको न जाने क्या हुआ, उसने मेरा सर अपनी तरफ खींच कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। ऐसा अप्रत्याशित चुम्बन! और उधर मेरे लिंग का दोहन जारी था। ऐसा आनंद, ऐसा सुख मैंने कभी नहीं पाया था! मुझे उसी क्षण यह ज्ञात हो गया की अब मेरी नियति और अल्का की नियति साथ आ चुकी है। मेरे अंदर बढ़ते दबाव को रोकने वाला बाँध अचानक ही टूट गया! मैंने पहली बार अपने चूतड़ों को अल्का के हाथ में धकेला - और उसी समय वीर्य की एक मोटी धार हवा में छूट निकली। यह पहला विस्फोट अल्का के पेट पर जा कर गिरा, और उसके बाद के छोटे छोटे विस्फोटों ने उसके हाथ को पूरी तरह से भिगो दिया।
मुझसे रहा न गया - आनंदातिरेक से मैं कराह उठा। उधर अल्का भी अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच गई थी।
“हाय अम्मा!” की पुकार के साथ ही उसकी जाँघों ने मेरे हाथ को जकड़ लिया। हम दोनों वहीं पड़े हुए अपने शरीर में उठने वाले अनगिनत कामुक कम्पनों का आनंद लेते रहे। बहुत देर तक हमने कुछ न कहा, और न ही अपनी जगह से हिले। अंत में अल्का ने पूछा,
“सपने में ऐसा ही हुआ था?”
“हा हा! हाँ, कुछ कुछ! लेकिन, सपना याद थोड़े ही रहता है। अभी जो हुआ, वो कहीं ज्यादा बेहतर था! ...और तुम्हारे सपने में?”
“ऐसा ही! लेकिन सच में, वास्तविकता में यह बहुत मज़ेदार है!”
अल्का ही सबसे पहले उठी।
“मेरे चिन्नू बाबू, नहाया धोया सब बेकार गया! चलो जल्दी से नहा लेते है, और घर चलते हैं! बहुत देर हो गई।”
हमने जल्दी से पानी में डुबकी मारी, और अपने कपड़े पहने। न तो अल्का ने, और न ही मैंने अपने अधोवस्त्र पहने। गीले शरीर पर कसी हुई जीन्स और शर्ट पहनने में अल्का को बहुत दिक्कत हुई। एक तरह से कपड़ा उसके शरीर पर चिपक सा गया था। और चलने पर ऐसा लगता जैसे उसके चूतड़, इस कैसे हुआ कपड़े में छटपटा रहे हों!
“अल्का, इसको क्या कहते हैं?” मैंने उसके नितम्ब देखते हुआ पूछा।
“कुण्डी!” अल्का ने मुस्कुराते हुए कहा। मेरा लिंग पुनः तन गया।