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Romance मंगलसूत्र [Completed]

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Thunderstorm

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“यह तो प्रेम गीत है, कुट्टन! लोरी नहीं!”

“हाँ! प्रेम गीत है, मेरी जान!”

“तो फिर इतना सुन्दर गीत सुन कर मुझे नींद कैसे आएगी? बोलो भला!”

“ओहो! गलती हो गई फिर तो!” मैंने थोड़ा नाटकीय तरीके से कहा, “अब क्या करें?”

“अब? अब ये करो मेरे चेट्टा कि तुमने मुझे इतना सुन्दर प्रेम गीत सुनाया है, तो मैं भी तुमको अपना प्रेम देती हूँ। आओ, तुमको अपने पृयूरों का स्वाद चखा दूँ?”

मैं एकदम से उत्साहित हो गया। लेकिन मैं कुछ करता, उसके पहले अल्का ने कहा,

“लेकिन तुमने यह (मेरे शॉर्ट्स की तरफ संकेत कर के) क्यों पहन रखा है? अब से तुम बिना कपड़ों के मेरे साथ सो सकते हो।” उसने शर्माते हुए आगे कहा।

मैंने झट पट अपना शॉर्ट्स उतार दिया! इससे अच्छा क्या हो सकता है भला। मैं तो बस मर्यादा के कारण उसको पहनता जा रहा था। पूर्णतया निर्वस्त्र होने के बाद मैंने अपनी अल्का को मन भर कर निहारा। कमरे की टिमटिमाती रोशनी में जगमगाती मेरी अल्का कितनी सुन्दर लग रही थी! सुन्दर.... और प्यारी! उसके सीने पर उसके सुन्दर से मुलाक्कल और उनके दोनों मुलाक्कन्न सुशोभित हो रहे थे। लेकिन आश्चर्य है कि न जाने क्यों, उसको ऐसी अवस्था में देख कर भी मेरे मन में कोई कामुक भाव नहीं जगे। उसको ऐसे देख कर कुछ ऐसा लगा कि जैसे वो कोई गुड़िया हो, जिसको सहेज कर रखा जाए। मैं अपने इस ख़याल पर मुस्कुरा उठा। अल्का ने मुझे मुस्कुराते देखा, तो आँखों के इशारे से उसने पूछा ‘क्या?’ और मैंने सर हिला कर उत्तर दिया, ‘कुछ नहीं’..

मैंने साँस भर कर धीरे धीरे से उसके दोनों मुलाक्कन्न पर फूँक मारी। उमस और गर्मी के सताए दोनों कोमल अंग थोड़ी सी राहत पाते ही सक्रिय हो उठे। दोनों मुलाक्कन्न पहले लगभग सपाट थे, लेकिन फूँक मारने के कुछ ही क्षणों में वो दोनों उठने लगे। अल्का और मैं दोनों ही इस बात पर मुस्कुरा उठे।

“बदमाश!” उसने धीरे से कहा।

मैंने नीचे झुक कर बारी बारी से दोनों को चूमा, और फिर उसके एक मुलाक्कन्न को मुँह में ले कर कोमलता से चूसने लगा। अल्का के गले से एक मीठी सिसकारी निकल गई। उसकी आँखें बंद हो गईं। कोई दो मिनट उसको चूसने, दुलारने के बाद मैंने दूसरे मुलाक्कन्न पर भी वही सब किया, जिससे वो बुरा न मान जाए। अल्का नीचे काँपती हुई इस अनोखे कृत्य का अनुभव कर रही थी। मुझे नहीं मालूम था कि यह सब करने से एक नारी को क्या अनुभव होता है। मेरे लिए तो यह सब बिलकुल नया था।

“कैसे लगे पृयूर?” जब मैंने स्तनपान बंद किया, तो अल्का ने पूछा।

“बहुत मीठे!”

“बदमाश है चिन्नू मेरा.... और झूठा भी!” कह कर उसने मुझे गले से लगा लिया।

अगला काम मैंने उसकी चड्ढी उतारने का किया। वो थोड़ी सी तो हिचकी, लेकिन फिर उसने खुद ही अपने नितम्ब उठा कर निर्वस्त्र होने मेरे मेरी मदद करी। इस समय तक मुझे कामोत्तेजना से पागल हो जाना चाहिए था। लेकिन मुझे खुद ही आश्चर्य हुआ कि वैसा कुछ नहीं हुआ। जब मेरी अल्का पूर्ण नग्न हो गई, तब मैंने तसल्ली से उसके शरीर के हर हिस्से को चूमा। फिर कहा,

“मोलू, अब तुम मेरी हो। मेरा सुख, दुःख, प्रेम, क्रोध, सब कुछ, सब तुमसे है और तुमको समर्पित है। एक बार मेरा प्रोजेक्ट ख़तम हो जाए, फिर मैं खुद अम्मम्मा से तुम्हारा हाथ परिणय में मांग लूँगा। अम्मा और अच्चन को मैं मना लूँगा। वो दिन दूर नहीं, जब हम सात जन्मों के लिए बंध जाएँगे!”

मेरी बात सुन कर अल्का मुस्कुरा उठी और उसकी आँखों में आँसू भर गए। वो भावातिरेक में आ कर मेरे आलिंगन में बंध गई। हम दोनों कब सो गए, कुछ याद नहीं।
बहुत ही बेहतरीन update है सर जी, अगले update की प्रतीक्षा रहेगी:claps:
 
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avsji bhaiya kahani bht shi jaa rhe hai but update ka bhi kuch kro
Mjhe aapki dono running story achi lge
Kayakalp aur yeh wali bhi lekin kayakalp pe aapne update he nhi de rhe toh plss uspe bhi update dijiye
 
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Reactions: avsji
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Bhai kahani aur aapki lekhani bohot sunder hai but update me samay lag raha hai isse kahani se readers ka dhayaan hat raha hai, agar possible ho to yahan aur kayakalp pe regular update dene ki koshish kare,

Manta hu sabki apni vyasthta hoti hai, Ghar pariwar kaam ko bhi samay Dena padta hai par yahan bhi thoda samay nikalo
 
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