इस पूरे वार्तालाप में अल्का नीचे की ही तरफ देखती रही।
मैंने बोल तो दिया था, लेकिन मुझे पूरा संदेह था की वो ऐसा कुछ कर भी सकती है। लेकिन अगर उसने यह कर दिया तो मज़ा आ जायेगा। आज पहली बार एक लड़की के अनावृत स्तन और योनि देखने को मिल सकेगा! संभव है, कि वो अपने अंगों को छूने भी दे! काफी देर के बाद हम अंततः अपने तालाब पर पहुँच गए। वहां पहुँच कर हम दोनों ही रुक गए। अल्का सर झुकाए वहां खड़ी हुई थी। मुझे लगा कि मैंने हमारी दोस्ती की सीमा का उल्लंघन कर दिया है, और इसीलिए अल्का उदास या नाराज़ है। यह बात मेरे मन में जैसी ही आई, मैंने उसको अपने गले से लगा लिया।
“अल्का, तुमको ऐसा कुछ करने की ज़रुरत नहीं! आई ऍम सॉरी! मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।”
“नहीं चिन्नू… सॉरी मत कहो! मुझे मालूम है कि तुम क्या चाहते हो! लेकिन… मैं नहीं जानती कि तुम्हारी इच्छा पूरी कर पाऊँगी या नहीं!”
“मोलू, ऐसे मत कहो!” मैंने पहली बार अल्का को उसके प्यार के नाम से बुलाया था, “तुमको कुछ करने की ज़रुरत नहीं! समझी?”
“नहीं चिन्नू… मेरी बात सुनो! तुम… मैं.... क्या तुम, मेरे कपड़े उतारोगे?”
“अल्का! तुम क्या कह रही हो?” मेरा सर चकरा गया।
“प्लीज मेरी बात सुन लो! मैं चाहती थी की मुझे बिना कपड़ो के वो देखे जिसे मैं प्यार करती हूँ.…”
उसकी बात सुन कर मैं भौंचक्क रह गया। ‘ये क्या कह रही है अल्का! मुझसे प्यार!?’
“तू तु तु तुम.... मुझसे प्यार?”
“हाँ मेरे भोले बाबू! लेकिन, इतनी जल्दी नहीं! आराम से!”
“आराम से? मतलब?”
“मतलब ये मेरे चिन्नू, कि यह सच है कि मैं तुमको चाहती हूँ.... लेकिन तुमको भी तो मुझसे प्यार होना चाहिए! है न?”
“पर मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ।”
“मुझे मालूम है। तुम मुझे प्यार करते तो हो... लेकिन, उस तरह से नहीं!”
“उस तरह से नहीं? मतलब? किस तरह से नहीं?”
“उस तरह जैसे एक प्रेमी, अपनी प्रेमिका को करता है!”
“मैं करुंगा!”
“मुझे मालूम है... तुम ‘करोगे’... लेकिन, तुम अभी तक नहीं करते!” अल्का मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
“अल्का,” मैंने संजीदा होते हुए कहना शुरू किया, “मैं तुमको कभी भी, किसी भी तरह से दुःख नहीं दूंगा!”
“मुझे मालूम है, कुट्टन!” अल्का इस समय बहुत प्यार से बोल रही थी, बहुत ही संयत स्वर में! “तुम बहुत अच्छे हो! लेकिन मैं तुम पर किसी तरह का दबाव नहीं डालूँगी! लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ! बहुत लम्बे अरसे से करती हूँ।”
मेरे मष्तिष्क में इस समय घंटियां बज रही थीं। ह्रदय धाड़ धाड़ कर धड़क रहा था।
“कितना अच्छा हो, अगर हम दोनों साथ रह सकें! हमेशा!” अल्का बोलती जा रही थी।
“अल्का, मैं तुम्हारे साथ हूँ! और हमारा साथ में रहना आज से शुरू! आज से... अभी से... हमेशा के लिए!” मैंने मन ही मन निर्णय ले लिया था।
“सच में कुट्टन? सोच लो! मुझसे पीछा नहीं छुड़ा पाओगे कभी!”
“मेरी मोलू , मुझे तुमसे पीछा छुड़ाना भी नहीं है।”
अल्का की मुस्कराहट कुछ गहरी हो गई, “अभी तुमको मेरा शरीर नहीं मिला है, इसलिए तुम ऐसे कह रहे हो!”
मुझसे कुछ कहा नहीं गया।
“इसीलिए कह रही हूँ, इतनी जल्दी जल्दी नहीं!”
उसकी बात से मैं निराश हो गया।