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Adultery मकान मालकीन और ऊसका कीराएदार

Sumit1990

सपनों का देवता
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अरे किराएदार कब उठाएगा मकान मालकनी का फायदा।।
 

Sumit1990

सपनों का देवता
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राइटर जी यह तो बता दो यह कहानी आगे लिखोगे या नहीं कहीं खामा खा बस ऐसे ही कमेंट से भर जाए पूरे पेज।।
 

Sumit1990

सपनों का देवता
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यह किराएदार सिर्फ अपना हिलाता ही रह जाएगा या इसको चूत भी मिलेगी
 

rohnny4545

Well-Known Member
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सुधा बहुत खुश थी,, उसका काम बन गया था,, हालांकि उसे अपनी सबसे अच्छी सहेली शीला से इस तरह की मदद खास करके पैसों के मामले में लेना बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन हालात के हाथों वह पूरी तरह से मजबूर थी,, और ना चाहते हुए भी उसे अपनी सहेली शीला से मदद लेना ही पड़ता था वह तो वह अच्छी थी कि बार-बार सुधा की मदद कर दिया करती थी,,, रितु की फीस भरनी थी लेकिन सुबह सुबह जब वह बाथरूम में नहाने के लिए गई थी तब उसकी नजर अपनी फटी हुई पेंटी पर पड़ी थी जिसमें से उसके झांट के रेशमी घुंघराले बाल बाहर निकले हुए नजर आ रहे थे,,, पेंटी से ज्यादा उसे अपने झांट के बाल साफ करने की फिकर थी,,,इसलिए वह सबसे पहले एक मेडिकल पर गई और वहां से वीट क्रीम खरीद ली,,, कुछ घर के सामान भी खरीदने थे राशन वगैरह सब्जियां इसलिए वह मार्केट में से सब्जी खरीदने लगी,,, जब भी वह खरीदी करती थी तो पैसों के मामले में बेहद तालमेल रखकर ही खरीदती थी,,, वह सब्जी के ठेले पर गई जहां पर बैगन बिक रहा था वह बैगन को उठाकर देख कर उसे रख दिया और दूसरा उठा कर देखने लगी ऐसा वह तीन चार बार करी तो ठेलेवाला बड़े गौर से उसे देखते हुए,,, बोला,,,। क्या हुआ मैडम पसंद नहीं आ रहा है क्या,,,? कैसे पसंद आएगा देख रहे हो कैसे बेगन रखे हो एकदम मुरझाया हुआ ,,,,ताजगी इसमें बिल्कुल भी नहीं है,,,,, इससे तो बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा,,,(सुधा यह बोलते हुए भी बैगन को इधर-उधर करके अच्छे बेगन को ढूंढ रही थी,,, सुधा की उत्सुकता को देखकर वह ठेलेवाला बोला,,,) मैडम जी खाना है या कुछ और करना है,,,,। मतलब तुम्हारा खाना ही है ले जाकर फेंकना नहीं है,,, ना जाने कहां से इस तरह का सड़ी हुई सब्जियां लेकर आते हो,,, (सुधा गुस्से में बोली जा रही थी और ठेलेवाला बड़े गौर से उसे ही देख रहा था और इधर उधर देखते हुए बोला,,,) रूकीए मैडम,,,(इतना कहकर वह ठेले पर बिछाई हुई बोरी को उठाकर उसमें से 5 6 बड़े बड़े लंबे और मोटे बैगन को निकाल कर सुधा के सामने रख दिया और बोला,,) यह देखिए मैडम यह आपके लिए बिल्कुल ठीक रहेगा,,, हां यह हुई ना बात,,,(2 4 बैगन को अपने हाथ में उठाकर उसे देखते हुए उसकी मोटाई को अपने हाथों से नापते हुए) ताजी ताजी सब्जियां छुपा कर रखते हो,,, लो यह सब तोल दो,,, मैडम जी रखना पड़ता है आप जैसी स्पेशल कस्टमर के लिए,,,(और इतना कहते हुए वह सब्जियां तोलने लगा,,,सुधा सब्जियां लेकर थेली में रख ली और जाने लगी वह सब्जी वाला सुधा कोई देख रहा था खास करके उसकी बड़ी बड़ी गांड को,,, जिसे देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा था ,, खुदा की बड़ी बड़ी गांड को देखकर वह सब्जी वाला दिए हुए बैगन की साइज उसकी मोटाई और लंबाई के बारे में सोचने लगा और अपने आप से ही बोला इतनी बड़ी बड़ी गांड के लिए तो वाकई में वह लंबा तगड़ा बेगन बराबर रहेगा,,, सुधा थोड़ी बहुत और सब्जियां खरीद ली, इसके बाद घर आ गई,,,,,,,, पैसा मिल जाने की वजह से वह राहत की सांस ले रही थी,,, वह थेले में से सब्जियां निकालकर टोकरी में रखने लगी तभी उसके हाथ में एक मोटा तगड़ा और लंबा बैंगन आ गया वह पूरी तरह से सहज थी और बैगन को लेकर औपचारिक भी वह उसकी ताजगी और भारीपन को नापने के लिए उसे अपनी हथेली में लेकर अपनी हथेली को उसके इर्द-गिर्द दबाई तो एकाएक उसे एहसास हुआ कि उसके हाथ में बैंगन नहीं बल्कि एक मोटा तगड़ा लंबा लंड है,,,, तुरंत उसके जेहन में ऊस सब्जी वाले की बात गुजने लगी,,,, यह लो मैडम जी यह तुम्हारे लिए बराबर रहेगा,,,, उसके कहने का मतलब को सुधा अब अच्छी तरह से समझने लगी,,, वह अपने मन में सोचने लगी तभी तो वह कह रहा था कि खाने के लिए चाहिए या कुछ और करने के लिए कुछ और से उसके कहने का मतलब को अब वह अच्छी तरह से समझ रही थी,,, सब्जी वाले की सोच उसके लिए इस तरह की होगी यह सोचते ही उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी तू अपने मन में सोचने लगी कि गलती भी तो उसी की है इधर-उधर करके ना जाने कितने बेगन को वह देख रही थी और रख रही थी,,,,, इसलिए तो वह कुछ और समझ रहा था,,, बाप रे तभी तो वह बोरी के नीचे से बड़े बड़े मोटे तगड़े बेगन निकाल कर दिया,,, हे भगवान वह मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा,,, मेरी हरकत को देखकर जिस तरह से मैं बड़े-बड़े बेगम ढूंढ रहे थे उससे तो वह यही सोच रहा होगा कि मैं बैंगन सब्जी बनाने के लिए नहीं बल्कि मेरी बुर में,,,,(इतना कहकर वो खुद ही चुप हो गई,,, जिस तरह का ख्यालात उस सब्जी वाले के मन में था उसके बारे में सोच कर सुधा के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,, सुधा बरसों से अकेली थी पति का देहांत होते ही वह धीरे-धीरे अपने आप को संभालती चली आ रही थी लेकिन वक्त के साथ उसे इस बात का अंदाजा होने लगा था कि मर्दों की प्यासी नजरें उसके खूबसूरत बदन पर हमेशा रेंगती रहती थी,,,खास करके उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और बड़ी बड़ी गांड इन दोनों को देखकर हर मर्दों की आह निकल जाती थी इस बात का अंदाजा उसे पहले से ही हो चुका था,,, लेकिन आज उसे अपने ही गलती की वजह से किसी गैर को उसके बारे में गलत अंदाजा लगाते हुए देखी थी,,, खैर धीरे-धीरे करके वह सारी सब्जियों को टोकरी में रख दी,,, गर्मी की वजह से और काफी दूर से पैदल चलने की वजह से उसका बदन पसीना पसीना हो गया था इसलिए वह नहाने के लिए बाथरूम में घुस के लेकिन साथ में अपने साथ खरीद कर लाई हुई वीट भी ले आई,,, बाथरूम में घुसते ही आदत के अनुसार होगा अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई जिसमें उसकी खुद की छेद वाली पैंटी भी शामिल थी,,, गौर से अपनी दोनों टांगों के बीच देखने पर उसे इस बात का एहसास हुआ कि वाकई में उसके झांठ के बाल कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए थे,,, सुधा हमेशा से अपनी बुर के बाल को साफ रखती थी क्योंकि उसके पति को चिकनी बुर बेहद पसंद थी,,। और जब भी हल्की सी भी झांठ के बाल दिखने लगते थे तभी वह क्रीम लगाकर साफ कर देती थी क्योंकि रात को हमेशा उसके पति अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटते थे,,,। पुरानी बातों को याद करके उसका मन व्याकुल होने लगा उसे अपने पति की याद बहुत आती थी खास करके ऐसे मौके पर और रात को सोते समय वैसे तो हर समय उसे अपने पति की कमी खलती रहती थी लेकिन एक औरत होने के नाते उसकी भी कुछ जरूरते थी,,, खेर किस्मत के साथ समझौता कर चुकी थी,,, वह क्रीम निकाल कर उसे अच्छी तरह से अपने बुर के इर्द-गिर्द मुलायम बालों पर लगाने लगी,,, जब अच्छे से वह क्रीम को चुपड ली तब थोड़ी देर बाद वाला टावल से उस क्रीम को साफ करने लगी,,, साफ करते ही उसकी बुर और भी ज्यादा हसीन और खूबसूरत हो गई,,, जिसे देखकर वह मन ही मन खुश होने लगी अच्छी तरह से जानती थी कि उम्र के इस पड़ाव पर भी वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी नजर आती है ,,। वह चाहती तो जिस तरह के ख्याल उसे बैगन को लेकर उसे सब्जी वाले के मन में आया था उसी ख्याल के चलते वह उस बैगन को अपनी बुर में डालकर बरसों से दबी अपने बदन की गर्मी को बाहर निकाल सकती थी,,, लेकिन वह ऐसा करना नहीं चाहती थी क्योंकि वह बरसों से अपनी भावनाओं को दबाते आई थी,,, और इसमें सफल भी हुई थी,,,। वह अपने बदन की गर्मी और प्यास के अधीन होकर ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती थी जिससे उसके पैर फिसल जाए वह अपने कदमों को बैठने नहीं देना चाहती थी इसलिए तो आज भी वह अपने पति के जाने के बाद भी पूरी तरह से अपने पति की ही होकर रह गई थी हालांकि बहुत लोगों ने उस पर अपना दांव आजमा आया था लेकिन,, सफल नहीं हो पाए थे,,, अपनी खूबसूरत हसीन बुर को और भी ज्यादा खूबसूरत चिकनी करके वह नहा कर बाथरूम से बाहर आ गई,,,। शाम को जब रितु घर पर आई तो उसके हाथ में फीस के पैसे थमाती हुई बोली,,,। ले रितु यह फीस के पैसे कल जाकर भर देना,,, ( अपनी मां के हाथों से फीस के पैसे लेते ही रितु एकदम से खुश होते हुए बोली,,) ओहहह,,, मम्मी तुम कितनी अच्छी हो,,, बेटा तु मन लगाकर पढ़ाई करना ,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी,,, (इसके बाद दोनों मिलकर खाना बनाए और रात को एक साथ खाना खाकर सो गए,,,,)
 

Mass

Well-Known Member
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Bhai, thanks..aapne is story ko be phir se continue kiya hain..hope aap is story kaa bhi regular update dete rahoge...Thanks so much.

Aapke stories is forum mein one of the best hain..no doubt about it.
 

rohnny4545

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Bhai, thanks..aapne is story ko be phir se continue kiya hain..hope aap is story kaa bhi regular update dete rahoge...Thanks so much.

Aapke stories is forum mein one of the best hain..no doubt about it.
Thanks dear
 

Sumit1990

सपनों का देवता
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Very nice update....par se ek request thi story ko gap dekar aur character wise likho please.....
 
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