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Incest मजबूरी या जरूरत

rohnny4545

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आराधना को रात भर नींद नहीं आई थी,,, रात भर उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी बहन और उसके जवान बेटे की संभोग लीला नजर आती रही,,, उसे अपनी आंखों पर अभी भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसने देखी थी उसमें झूठलाने वाली कोई भी बात नहीं थी,,,,,, उसे अपने बेटे से इस तरह की हरकत की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी उम्मीद तो उसे अपनी बड़ी दीदी से भी नहीं थी,,,,,,, जिस तरह का दृश्य उसने अपनी आंखों से देखी थी उस दृश्य को देखकर आराधना खुद ही अपने हाथ का सहारा लेकर अपनी प्यास को बुझाने की नाकाम कोशिश की थी क्योंकि पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लगा था कि जैसे वह भी तृप्त हो गई है और वह भी केवल अपनी उंगली से लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था गया तो एक शुरुआत थी ,,, बार-बार उसे वही दृश्य नजर आ रहा था कितना मजा लेकर उसकी बड़ी दीदी उसके बेटे के मोटे लंबे लंड को अपनी चुत में लेकर सिसकारी ले रही थी इस तरह से तो आराधना ने कभी भी अपने पति से नहीं चुदवाई थी,,,,,एक औरत होने के नाते आराधना को इतना तो समझ में आ रहा था कि उसकी बड़ी दीदी को कितना मजा आ रहा होगा,,,,लेकिन उसे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि घर में पति होने के बावजूद भी उसकी बड़ी दीदी को इस तरह से अपने ही भतीजे के साथ शारीरिक संबंध बनाने की क्या जरूरत पड़ गई,,,,,,, आराधना को अपनी सवाल का जवाब इसलिए नहीं मिल रहा था क्योंकि आराधना दूसरी औरतों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अपनी शारीरिक जरूरत को वह एक तरफ रख कर अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाने में लगी रह गई लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसकी तरह दूसरी औरतें बिल्कुल भी नहीं है दूसरी ओर से अपनी शारीरिक जरूरत को भी अच्छी तरह से समझती थी और उसे अहमियत देती थी,,,जिसका उदाहरण उसकी आंखों के सामने था कि उसकी बड़ी बहन घर में पति होने के बावजूद जवान लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाकर तृप्त हो रही थी,,,, संजू के द्वारा लगाया गया एक एक धक्काआराधना को याद आ रहा था उसकी हर एक जबरजस्ते धक्के पर उसकी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी गांड पानी की तरह लहरा उठती थी,,,उसी दृश्य को देखकर तुम अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा ली थी,,,,,।
Aradhna


आराधना को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बड़ी दीदी इतनी समझदार होने के बावजूद भी इस तरह की हरकत करने पर मजबूर कैसे हो गई ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं था कि संजू उसकी बड़ी दीदी को ऐसा करने के लिए जोर दिया होगा क्योंकि वह अपनी बड़ी दीदी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से परिचित थी वह कभी भी किसी से डरती नहीं थी ना ही किसी दबाव में आती थी इसका मतलब साफ था कि वह अपनी मर्जी से अपने ही भतीजे के साथ शारीरिक संबंध बनाई थी,,,, लेकिन राजू कैसे तैयार हो गया अपनी ही मौसी को चोदने के लिए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था लेकिन फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने आप से ही ढूंढते हुए वह अपने मन में बोली,,, शायद जवान लड़के इस उम्र में अपने आप पर काबू नहीं रख पाते और कोई भी औरत या लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाने के सपने देखते रहते हैं फिर वह पहले चाहे उनके परिवार की ही क्यों ना हो,,, इसका अनुभव खुद आराधना को हो चुका था उसे समझ में आ गया था कि उसका बेटा एक औरत की संगत के लिए कितना तड़प रहा था और शायद इसीलिए वह अपनी मौसी के साथ चुदाई करने के लिए तैयार हो गया,,,,,,,, यही सब सोचते सोचते ना जाने उसे कब नींद आ गई सुबह जब आंख खुली तो बगल में साधना बड़ी गहरी नींद में सो रही थी,,, आराधना बड़े गौर से अपनी बड़ी दीदी के चेहरे को देख रही थी सोते समय साधना कितनी मासूम लग रही थी उसके चेहरे का भोलापन उसकी शादी की आराधना को हमेशा से अपनी तरफ आकर्षित करती थी लेकिन वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उसकी दूरी अपने मासूम चेहरे के साथ ही अपने ही भतीजे के साथ अपना मुंह काला करवाएंगी,,,,कभी-कभी तो आराधना का मन करता था कि अपनी दीदी से चीख चीख कर रात वाली बात बताएं,,, उसकी बेशर्मी भरी बातों को उससे ही कह कर उसे शर्मिंदा करें और फिर कभी अपने घर पर आने की उसकी हिम्मत ना हो ऐसा जरूर करें लेकिन फिर सोचने लग जाती थी कि उसकी दीदी उसका कितना मदद करती हैं उसकी मुसीबत को उसकी परेशानियों का चित्र से समझती हैं और इन मौके पर पैसों की मदद करके उसे बड़ी मुसीबत से बचाई भी थी और उसके ही बदौलत उसे जॉब करने की प्रेरणा भी मिली थी और एक अच्छी जॉब भी जिसके चलते वह अपने घर परिवार को अच्छी तरह से लेकर चल रही थी,,,,, इन्हीं सब के चलते वहां अपनी बड़ी दीदी को जलील नहीं करना चाहती थी,,,,।
Sadhna or sanju


रात वाली बात को भूलने की कोशिश करते हुए आराधना बिस्तर पर से उठी और दिनचर्या में लग गई बर्तन की खतर पटर की आवाज सुनकर साधना की भी नींद खुल गई और वह भी आलस मरोड़ते हुए बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, और रात वाली बात को याद करके मुस्कुराने लगी,,,,संजू की मर्दानगी से वह अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी संजू जिस तरह की चुदाई करता था उस तरह की उसने तो कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,, चूत की अंदरूनी दीवारों पर संजू के लंड की रगड़ अभी भी उसे साफ महसूस हो रही थी अपनी चूत में उसे मीठा मीठा दर्द हो रहा था जो कि राजू के मोटे तगड़े लंड की जबरदस्त धक्के की वजह से हो रहा था,,,,,,।




थोड़ी ही देर में नाश्ता तैयार हो चुका था,,,सब लोग साथ में ही नाश्ता कर रहे थे आराधना अपने बेटे से मैसेज नहीं मिला पा रही थी अपने बेटे की तरफ देखने में उसे शर्म महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सामने उसका बेटा नहीं बल्कि कोई अनजान आदमी बैठा हुआ है जो रात भर उसकी बड़ी दीदी की चुदाई करके उसे तृप्त कर चुका था,,,,,,,,अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह चाय की चुस्की नहीं रही थी अपनी बड़ी दीदी से भी बात करने में शर्म महसूस हो रही थी कल रात को ही आराधना ने अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड की अपनी आंखों से दर्शन की थी,,, अपने बेटे की कामुक हरकतों को वह महसूस कर चुकी थी,,,,उसके बेटे के द्वारा उसे अपनी बाहों में लेकर कसके पकड़ना उसकी गांड को दबाना और बरसात वाली शाम को जिस तरह की हरकत संजू ने किया था उससे तो आराधना को यही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी चूत में अपना लंड डाल देना लेकिन ऐन मौके पर वह अपने आप को,,, संभाल ले गई थी,, लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी आराधना ने सिर्फ अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर नाश्ता हुआ महसूस की थी उसकी लंबाई चौड़ाई मोटाई को लेकर कभी भी कल्पना नहीं की थी,,,,,,,लेकिन कल रात को अपने बेटे के दर्द को अपनी आंखों से देखकर वह दंग रह गई थी आश्चर्य से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी ना चाहते हुए भी वह अपनी बेटी के लंड की तुलना अपने पति से करने लगी थी जो कि उसके लंड के आगे आधा भी नहीं था और जिस तरह से वह अपनी मौसी की चुदाई कर रहा था उसकी ताकत को देखकर हैरान रह गई थी क्योंकि अशोक ज्यादा से ज्यादा 2 या 3 मिनट तक ठहर पाता था इसके बाद चारों खाने चित हो जाता था पता ही नहीं चलता था की चुदाई किसे कहते हैं लेकिन कल रात के दृश्य में उसकी जिंदगी में सब कुछ बदल कर रख दिया था,,,।


अरे क्या सोच रही है नाश्ता तो कर,,,(साधना की बात सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई हो वह एकदम से चौक गई,,, और हडबढ़ाते हुए बोली,,,)

जी जी दीदी,,,,(पर इतना कहने के साथ ही वह भी प्लेट में से ब्रेड का एक टुकड़ा लेकर खाने लगी,,,,)

संजू बहुत अच्छा लड़का है,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) और समझदार भी है पढ़ने लिखने में तेज ही है इसीलिए तो मनीषा ने इसे क्लास ज्वाइन करने के लिए बोली है,,,, देखना आराधना तेरा बेटा तेरी बहुत मदद करेगा,,,


ज़ी दीदी,,,(अपनी बड़ी बहन की बात पर आराधना हामी तो भर रहे थे लेकिन अपने मन में यही कह रही थी कि अभी तो यह तुम्हारी मदद कर रहा है दीदी,,,)

रात को तुम्हें परेशानी तो नहीं हुई थी मौसी,,,,(संजू चाय की चुस्की लेते हुए अपनी मौसी से बोला)


नहीं-नहीं परेशानी कैसी बेटा मुझे तो एकदम आराम था,,,

(साधना की बात सुनकर आराधना अपने मन नहीं बोली इतना मोटा लंबा नंदिनी चूत में लोगी तो आराम ही रहेगा ना)

मेरा तो मन करता है कि हर सप्ताह में एक रात यहां पर ही गुजारु,,,,

(और रात भर मेरे बेटे से चुदवाओ,,,, आराधना अपने मन में बोली,,,,)


मौसी बहुत अच्छी है मम्मी मेरा बहुत ख्याल रखती है,,,
(हां रात भर तुझे जो अपनी चूत चोदने के लिए दे देती हूं और मैं तेरा इस तरह से ख्याल नहीं रख सकती,,,)


मेरा भी,,,(मोहिनी भी मुस्कुराते हुए बोली तो संजु उसके सर पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

तेरा ख्याल तो मैं रखता हूं मोहिनी,,,,
(मोहिनी अपने भाई के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए बिना कुछ बोले चाय की चुस्की लेने लगी,,,,,, थोड़ी ही देर में सब लोग ने नाश्ता कर लिए और साधना जाने की तैयारी करने लगी,,,, संजू अपनी मौसी के साथ ही खड़ा था ना जाने क्यों आराधना को अब यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था कि उसका बेटा साधना के साथ खड़े रहे ना जाने क्यों उसे अब साधना के साथ संजू का खड़ा रहना अच्छा नहीं लगता था एक तरह से उसे साधना से जलन सी होने लगी थी,,,,,,,, आराधना साधना और संजू को तिरछी नजरों से ही देख रही थी मन तो कर रहा था कि वह अपने बेटे का हाथ पकड़कर साधना के बगल में से अपनी तरफ खींच ले और बोल देगी आज से तुम मेरे घर पर कभी मत आना लेकिन ऐसा आराधना बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी वह अपने दीदी का दिल नहीं दुखाना चाहती थी,,,,)

अच्छा आराधना अब मैं चलती हूं,,,,,( साथ में लाई हुई थैली को हाथ में लेते हुए) और आराधना तुझे मैं एक औरत होने के नाते जाति तौर पर तुझे एक सलाह देना चाहती हूं,,,, तुझे भी अपनी जिंदगी में अपनी जरूरतों का ख्याल रखना चाहिए सज संवर कर रहना चाहिए,,,, खुश रहना चाहिए,,,, तू एक औरत होते हुए भी एक औरत की जरूरत को अपने अंदर ही अंदर मार रही है,,,,,, मुझे देख हमेशा खुश रहती हूं ऐसा नहीं है कि मुझे अपने पति से सुख ही मिल रहा है दुख भी मिलता है उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं मिलती और मैं अपने काम में मस्त रहती हूं,,,, इसलिए कहती हूं तू भी मेरी तरह एकदम बिंदास जिया कर अशोक की चिंता बिल्कुल भी मत किया कर क्योंकि जितनी भी तु अशोक की चिंता करेगी उतना ही तू अपने आप को कमजोर करेगी,,,(अपनी तरह बिंदास जीने के मतलब को आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी वह अपनी दीदी की बिंदास जीवन शैली को रात को ही देख चुकी थी) अच्छा तो मैं चलती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही साधना घर से बाहर निकली वैसे ही ना चाहते हुए भी आराधना के मुंह से इतना निकल गया,,,)


अरे संजू स्कूटी पर अपनी मौसी को घर तक छोड़ दें,,,

अरे हां आराधना यह तो और भी अच्छा है आज ही संजू मनीषा से मुलाकात भी कर लेगा और कोचिंग के बारे में सब कुछ समझ भी लेगा,,,


हां मम्मी मौसी ठीक कह रही है,,, मैं मनीषा दीदी से कोचिंग के बारे में सब कुछ समझ सकूंगा,,,,


हां यह भी ठीक है,,,,।
(इजाजत देने के बाद आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,क्योंकि अब उसे साधना से डर लगने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अब वह अपने बेटे को रोबिन सकती थी आराधना किस बात का डर था कि अपने घर ले जाकर साधना कहीं फिर से उसके बेटे से चुदवाना ना शुरू कर दे,,,,आराधना यह सब सोच ही रही थी कि संजू तुरंत स्कूटी की चाबी लेकर आया और घर से बाहर निकल कर स्कूटी को स्टार्ट कर दिया और साधना अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर मुस्कुराते हुए संजू के कंधे पर हाथ रखकर पिछली सीट पर बैठ गई और संजू एक्सीलेटर देकर स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,,, आराधना अपने मन को किसी भी हाल में काबू नहीं कर पा रही थी उसके मन में ढेर सारे ख्याल आ रहे थे वह जानबूझकर घर के काम में अपने आप को व्यस्त करने लगी और थोड़ी ही देर में संजू साधना के घर पहुंच गया,,,, घर पर पहुंचते ही,,,, साधना संजू से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

यहां पर भी मौका मिल जाता तो कितना मजा आता,,,


मैं भी यही सोच रहा हूं मौसी तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड मेरा लंड खड़ा कर देती है,,,।

सहहह,,, धीरे बोल बगल वाले कमरे में मनीषा पढ़ाई कर रही है और हां तु जाकर उससे मिल‌ ले तब तक मैं कुछ खाने को बना देती हूं,,,।

(इतना कहने के साथ ही साधना किचन की तरफ चले गए और संजय मनीषा के कमरे के बाहर खड़ा हो गया,,,और अपने मन में सोचने लगा कि आज कमरे के अंदर मनीषा किस हालत में होगी उस दिन तो केवल एक पतली सी टीशर्ट और छोटी सी चड्डी में थी चड्डी नहीं पेंटी में थी इतना सोचते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि कमरे के अंदर मनीषा दीदी एकदम नंगी मिल जाती तो कितना मजा आता इसलिए,,, दरवाजे पर बिना नोक किए,,,वह दरवाजे को धक्का देकर खोने लगा क्योंकि वह पहले ही देख चुका था कि दरवाजा खुला हुआ था दरवाजा के खुलते ही,,,, उसे मनीषा सामनेकुर्सी पर बैठकर पढ़ती हुई नजर आ गई जो कि दरवाजा खोलने पर दरवाजे की तरफ देख रही थी ऐसे में दोनों की नजर आपस में टकरा गई,,, लेकिन संजू के उम्मीद से नाकामी ही प्राप्त हुई थी क्योंकि इस समय मनीषा टी-शर्ट और पतले से पजामे में बैठे हुई थी लेकिन टी-शर्ट के अंदर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी मदमस्त गोलाई लिए हुए उभरकर नजर आ रही थी,,,, मनीषा एकदम गोरी चिट्टी बला की खूबसूरत थी इसलिए संजू उसे देखता ही रह गया,,,, तो उसकी तंद्रा को भंग करते हुए मनीषा ही बोली,,,।


अरे संजु तु ,,, कब आया,,आ इधर आ कर बैठ,,,।
(इतना सुनते ही संजू नमस्ते दीदी कहकर कमरे में प्रवेश किया और पास में ही बिस्तर पर जाकर बैठ गया)
 
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Ajju Landwalia

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आराधना को रात भर नींद नहीं आई थी,,, रात भर उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी बहन और उसके जवान बेटे की संभोग लीला नजर आती रही,,, उसे अपनी आंखों पर अभी भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसने देखी थी उसमें झूठलाने वाली कोई भी बात नहीं थी,,,,,, उसे अपने बेटे से इस तरह की हरकत की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी उम्मीद तो उसे अपनी बड़ी दीदी से भी नहीं थी,,,,,,, जिस तरह का दृश्य उसने अपनी आंखों से देखी थी उस दृश्य को देखकर आराधना खुद ही अपने हाथ का सहारा लेकर अपनी प्यास को बुझाने की नाकाम कोशिश की थी क्योंकि पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लगा था कि जैसे वह भी तृप्त हो गई है और वह भी केवल अपनी उंगली से लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था गया तो एक शुरुआत थी ,,, बार-बार उसे वही दृश्य नजर आ रहा था कितना मजा लेकर उसकी बड़ी दीदी उसके बेटे के मोटे लंबे लंड को अपनी चुत में लेकर सिसकारी ले रही थी इस तरह से तो आराधना ने कभी भी अपने पति से नहीं चुदवाई थी,,,,,एक औरत होने के नाते आराधना को इतना तो समझ में आ रहा था कि उसकी बड़ी दीदी को कितना मजा आ रहा होगा,,,,लेकिन उसे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि घर में पति होने के बावजूद भी उसकी बड़ी दीदी को इस तरह से अपने ही भतीजे के साथ शारीरिक संबंध बनाने की क्या जरूरत पड़ गई,,,,,,, आराधना को अपनी सवाल का जवाब इसलिए नहीं मिल रहा था क्योंकि आराधना दूसरी औरतों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अपनी शारीरिक जरूरत को वह एक तरफ रख कर अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाने में लगी रह गई लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसकी तरह दूसरी औरतें बिल्कुल भी नहीं है दूसरी ओर से अपनी शारीरिक जरूरत को भी अच्छी तरह से समझती थी और उसे अहमियत देती थी,,,जिसका उदाहरण उसकी आंखों के सामने था कि उसकी बड़ी बहन घर में पति होने के बावजूद जवान लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाकर तृप्त हो रही थी,,,, संजू के द्वारा लगाया गया एक एक धक्काआराधना को याद आ रहा था उसकी हर एक जबरजस्ते धक्के पर उसकी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी गांड पानी की तरह लहरा उठती थी,,,उसी दृश्य को देखकर तुम अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा ली थी,,,,,।

आराधना को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बड़ी दीदी इतनी समझदार होने के बावजूद भी इस तरह की हरकत करने पर मजबूर कैसे हो गई ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं था कि संजू उसकी बड़ी दीदी को ऐसा करने के लिए जोर दिया होगा क्योंकि वह अपनी बड़ी दीदी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से परिचित थी वह कभी भी किसी से डरती नहीं थी ना ही किसी दबाव में आती थी इसका मतलब साफ था कि वह अपनी मर्जी से अपने ही भतीजे के साथ शारीरिक संबंध बनाई थी,,,, लेकिन राजू कैसे तैयार हो गया अपनी ही मौसी को चोदने के लिए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था लेकिन फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने आप से ही ढूंढते हुए वह अपने मन में बोली,,, शायद जवान लड़के इस उम्र में अपने आप पर काबू नहीं रख पाते और कोई भी औरत या लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाने के सपने देखते रहते हैं फिर वह पहले चाहे उनके परिवार की ही क्यों ना हो,,, इसका अनुभव खुद आराधना को हो चुका था उसे समझ में आ गया था कि उसका बेटा एक औरत की संगत के लिए कितना तड़प रहा था और शायद इसीलिए वह अपनी मौसी के साथ चुदाई करने के लिए तैयार हो गया,,,,,,,, यही सब सोचते सोचते ना जाने उसे कब नींद आ गई सुबह जब आंख खुली तो बगल में साधना बड़ी गहरी नींद में सो रही थी,,, आराधना बड़े गौर से अपनी बड़ी दीदी के चेहरे को देख रही थी सोते समय साधना कितनी मासूम लग रही थी उसके चेहरे का भोलापन उसकी शादी की आराधना को हमेशा से अपनी तरफ आकर्षित करती थी लेकिन वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उसकी दूरी अपने मासूम चेहरे के साथ ही अपने ही भतीजे के साथ अपना मुंह काला करवाएंगी,,,,कभी-कभी तो आराधना का मन करता था कि अपनी दीदी से चीख चीख कर रात वाली बात बताएं,,, उसकी बेशर्मी भरी बातों को उससे ही कह कर उसे शर्मिंदा करें और फिर कभी अपने घर पर आने की उसकी हिम्मत ना हो ऐसा जरूर करें लेकिन फिर सोचने लग जाती थी कि उसकी दीदी उसका कितना मदद करती हैं उसकी मुसीबत को उसकी परेशानियों का चित्र से समझती हैं और इन मौके पर पैसों की मदद करके उसे बड़ी मुसीबत से बचाई भी थी और उसके ही बदौलत उसे जॉब करने की प्रेरणा भी मिली थी और एक अच्छी जॉब भी जिसके चलते वह अपने घर परिवार को अच्छी तरह से लेकर चल रही थी,,,,, इन्हीं सब के चलते वहां अपनी बड़ी दीदी को जलील नहीं करना चाहती थी,,,,।

रात वाली बात को भूलने की कोशिश करते हुए आराधना बिस्तर पर से उठी और दिनचर्या में लग गई बर्तन की खतर पटर की आवाज सुनकर साधना की भी नींद खुल गई और वह भी आलस मरोड़ते हुए बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, और रात वाली बात को याद करके मुस्कुराने लगी,,,,संजू की मर्दानगी से वह अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी संजू जिस तरह की चुदाई करता था उस तरह की उसने तो कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,, चूत की अंदरूनी दीवारों पर संजू के लंड की रगड़ अभी भी उसे साफ महसूस हो रही थी अपनी चूत में उसे मीठा मीठा दर्द हो रहा था जो कि राजू के मोटे तगड़े लंड की जबरदस्त धक्के की वजह से हो रहा था,,,,,,।


थोड़ी ही देर में नाश्ता तैयार हो चुका था,,,सब लोग साथ में ही नाश्ता कर रहे थे आराधना अपने बेटे से मैसेज नहीं मिला पा रही थी अपने बेटे की तरफ देखने में उसे शर्म महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सामने उसका बेटा नहीं बल्कि कोई अनजान आदमी बैठा हुआ है जो रात भर उसकी बड़ी दीदी की चुदाई करके उसे तृप्त कर चुका था,,,,,,,,अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह चाय की चुस्की नहीं रही थी अपनी बड़ी दीदी से भी बात करने में शर्म महसूस हो रही थी कल रात को ही आराधना ने अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड की अपनी आंखों से दर्शन की थी,,, अपने बेटे की कामुक हरकतों को वह महसूस कर चुकी थी,,,,उसके बेटे के द्वारा उसे अपनी बाहों में लेकर कसके पकड़ना उसकी गांड को दबाना और बरसात वाली शाम को जिस तरह की हरकत संजू ने किया था उससे तो आराधना को यही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी चूत में अपना लंड डाल देना लेकिन ऐन मौके पर वह अपने आप को,,, संभाल ले गई थी,, लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी आराधना ने सिर्फ अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर नाश्ता हुआ महसूस की थी उसकी लंबाई चौड़ाई मोटाई को लेकर कभी भी कल्पना नहीं की थी,,,,,,,लेकिन कल रात को अपने बेटे के दर्द को अपनी आंखों से देखकर वह दंग रह गई थी आश्चर्य से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी ना चाहते हुए भी वह अपनी बेटी के लंड की तुलना अपने पति से करने लगी थी जो कि उसके लंड के आगे आधा भी नहीं था और जिस तरह से वह अपनी मौसी की चुदाई कर रहा था उसकी ताकत को देखकर हैरान रह गई थी क्योंकि अशोक ज्यादा से ज्यादा 2 या 3 मिनट तक ठहर पाता था इसके बाद चारों खाने चित हो जाता था पता ही नहीं चलता था की चुदाई किसे कहते हैं लेकिन कल रात के दृश्य में उसकी जिंदगी में सब कुछ बदल कर रख दिया था,,,।


अरे क्या सोच रही है नाश्ता तो कर,,,(साधना की बात सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई हो वह एकदम से चौक गई,,, और हडबढ़ाते हुए बोली,,,)

जी जी दीदी,,,,(पर इतना कहने के साथ ही वह भी प्लेट में से ब्रेड का एक टुकड़ा लेकर खाने लगी,,,,)

संजू बहुत अच्छा लड़का है,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) और समझदार भी है पढ़ने लिखने में तेज ही है इसीलिए तो मनीषा ने इसे क्लास ज्वाइन करने के लिए बोली है,,,, देखना आराधना तेरा बेटा तेरी बहुत मदद करेगा,,,


ज़ी दीदी,,,(अपनी बड़ी बहन की बात पर आराधना हामी तो भर रहे थे लेकिन अपने मन में यही कह रही थी कि अभी तो यह तुम्हारी मदद कर रहा है दीदी,,,)

रात को तुम्हें परेशानी तो नहीं हुई थी मौसी,,,,(संजू चाय की चुस्की लेते हुए अपनी मौसी से बोला)


नहीं-नहीं परेशानी कैसी बेटा मुझे तो एकदम आराम था,,,

(साधना की बात सुनकर आराधना अपने मन नहीं बोली इतना मोटा लंबा नंदिनी चूत में लोगी तो आराम ही रहेगा ना)

मेरा तो मन करता है कि हर सप्ताह में एक रात यहां पर ही गुजारु,,,,

(और रात भर मेरे बेटे से चुदवाओ,,,, आराधना अपने मन में बोली,,,,)


मौसी बहुत अच्छी है मम्मी मेरा बहुत ख्याल रखती है,,,
(हां रात भर तुझे जो अपनी चूत चोदने के लिए दे देती हूं और मैं तेरा इस तरह से ख्याल नहीं रख सकती,,,)


मेरा भी,,,(मोहिनी भी मुस्कुराते हुए बोली तो संजु उसके सर पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

तेरा ख्याल तो मैं रखता हूं मोहिनी,,,,
(मोहिनी अपने भाई के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए बिना कुछ बोले चाय की चुस्की लेने लगी,,,,,, थोड़ी ही देर में सब लोग ने नाश्ता कर लिए और साधना जाने की तैयारी करने लगी,,,, संजू अपनी मौसी के साथ ही खड़ा था ना जाने क्यों आराधना को अब यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था कि उसका बेटा साधना के साथ खड़े रहे ना जाने क्यों उसे अब साधना के साथ संजू का खड़ा रहना अच्छा नहीं लगता था एक तरह से उसे साधना से जलन सी होने लगी थी,,,,,,,, आराधना साधना और संजू को तिरछी नजरों से ही देख रही थी मन तो कर रहा था कि वह अपने बेटे का हाथ पकड़कर साधना के बगल में से अपनी तरफ खींच ले और बोल देगी आज से तुम मेरे घर पर कभी मत आना लेकिन ऐसा आराधना बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी वह अपने दीदी का दिल नहीं दुखाना चाहती थी,,,,)

अच्छा आराधना अब मैं चलती हूं,,,,,( साथ में लाई हुई थैली को हाथ में लेते हुए) और आराधना तुझे मैं एक औरत होने के नाते जाति तौर पर तुझे एक सलाह देना चाहती हूं,,,, तुझे भी अपनी जिंदगी में अपनी जरूरतों का ख्याल रखना चाहिए सज संवर कर रहना चाहिए,,,, खुश रहना चाहिए,,,, तू एक औरत होते हुए भी एक औरत की जरूरत को अपने अंदर ही अंदर मार रही है,,,,,, मुझे देख हमेशा खुश रहती हूं ऐसा नहीं है कि मुझे अपने पति से सुख ही मिल रहा है दुख भी मिलता है उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं मिलती और मैं अपने काम में मस्त रहती हूं,,,, इसलिए कहती हूं तू भी मेरी तरह एकदम बिंदास जिया कर अशोक की चिंता बिल्कुल भी मत किया कर क्योंकि जितनी भी तु अशोक की चिंता करेगी उतना ही तू अपने आप को कमजोर करेगी,,,(अपनी तरह बिंदास जीने के मतलब को आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी वह अपनी दीदी की बिंदास जीवन शैली को रात को ही देख चुकी थी) अच्छा तो मैं चलती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही साधना घर से बाहर निकली वैसे ही ना चाहते हुए भी आराधना के मुंह से इतना निकल गया,,,)


अरे संजू स्कूटी पर अपनी मौसी को घर तक छोड़ दें,,,

अरे हां आराधना यह तो और भी अच्छा है आज ही संजू मनीषा से मुलाकात भी कर लेगा और कोचिंग के बारे में सब कुछ समझ भी लेगा,,,


हां मम्मी मौसी ठीक कह रही है,,, मैं मनीषा दीदी से कोचिंग के बारे में सब कुछ समझ सकूंगा,,,,


हां यह भी ठीक है,,,,।
(इजाजत देने के बाद आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,क्योंकि अब उसे साधना से डर लगने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अब वह अपने बेटे को रोबिन सकती थी आराधना किस बात का डर था कि अपने घर ले जाकर साधना कहीं फिर से उसके बेटे से चुदवाना ना शुरू कर दे,,,,आराधना यह सब सोच ही रही थी कि संजू तुरंत स्कूटी की चाबी लेकर आया और घर से बाहर निकल कर स्कूटी को स्टार्ट कर दिया और साधना अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर मुस्कुराते हुए संजू के कंधे पर हाथ रखकर पिछली सीट पर बैठ गई और संजू एक्सीलेटर देकर स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,,, आराधना अपने मन को किसी भी हाल में काबू नहीं कर पा रही थी उसके मन में ढेर सारे ख्याल आ रहे थे वह जानबूझकर घर के काम में अपने आप को व्यस्त करने लगी और थोड़ी ही देर में संजू साधना के घर पहुंच गया,,,, घर पर पहुंचते ही,,,, साधना संजू से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

यहां पर भी मौका मिल जाता तो कितना मजा आता,,,


मैं भी यही सोच रहा हूं मौसी तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड मेरा लंड खड़ा कर देती है,,,।

सहहह,,, धीरे बोल बगल वाले कमरे में मनीषा पढ़ाई कर रही है और हां तु जाकर उससे मिल‌ ले तब तक मैं कुछ खाने को बना देती हूं,,,।

(इतना कहने के साथ ही साधना किचन की तरफ चले गए और संजय मनीषा के कमरे के बाहर खड़ा हो गया,,,और अपने मन में सोचने लगा कि आज कमरे के अंदर मनीषा किस हालत में होगी उस दिन तो केवल एक पतली सी टीशर्ट और छोटी सी चड्डी में थी चड्डी नहीं पेंटी में थी इतना सोचते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि कमरे के अंदर मनीषा दीदी एकदम नंगी मिल जाती तो कितना मजा आता इसलिए,,, दरवाजे पर बिना नोक किए,,,वह दरवाजे को धक्का देकर खोने लगा क्योंकि वह पहले ही देख चुका था कि दरवाजा खुला हुआ था दरवाजा के खुलते ही,,,, उसे मनीषा सामनेकुर्सी पर बैठकर पढ़ती हुई नजर आ गई जो कि दरवाजा खोलने पर दरवाजे की तरफ देख रही थी ऐसे में दोनों की नजर आपस में टकरा गई,,, लेकिन संजू के उम्मीद से नाकामी ही प्राप्त हुई थी क्योंकि इस समय मनीषा टी-शर्ट और पतले से पजामे में बैठे हुई थी लेकिन टी-शर्ट के अंदर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी मदमस्त गोलाई लिए हुए उभरकर नजर आ रही थी,,,, मनीषा एकदम गोरी चिट्टी बला की खूबसूरत थी इसलिए संजू उसे देखता ही रह गया,,,, तो उसकी तंद्रा को भंग करते हुए मनीषा ही बोली,,,।


अरे संजु तु ,,, कब आया,,आ इधर आ कर बैठ,,,।
(इतना सुनते ही संजू नमस्ते दीदी कहकर कमरे में प्रवेश किया और पास में ही बिस्तर पर जाकर बैठ गया)


Shandar update Rohnny Bhai,

Aardhan man hi man jal rahi he Sanju aur Sadhna se.....lekin kab tak apni jarurato ko dabayegi wo.........jald hi wo bhi Sanju ki baho me hogi.....

Manisha ke rup me ab Sanju ko ek naya shikar mil gaya he.......

Keep posting Bhai
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Awesome Update With Sexy writing Skills RonyBhai
Sadhna ke bad uski Beti ka no. Aayega lagta hai, per aardhna ka kab aayega ye dekhne wali baat hai. Gajab ka kamuk update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥💯💯💯💯💯💥💥💥💥💥💥
 

Kammy sidhu

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आराधना को रात भर नींद नहीं आई थी,,, रात भर उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी बहन और उसके जवान बेटे की संभोग लीला नजर आती रही,,, उसे अपनी आंखों पर अभी भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसने देखी थी उसमें झूठलाने वाली कोई भी बात नहीं थी,,,,,, उसे अपने बेटे से इस तरह की हरकत की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी उम्मीद तो उसे अपनी बड़ी दीदी से भी नहीं थी,,,,,,, जिस तरह का दृश्य उसने अपनी आंखों से देखी थी उस दृश्य को देखकर आराधना खुद ही अपने हाथ का सहारा लेकर अपनी प्यास को बुझाने की नाकाम कोशिश की थी क्योंकि पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लगा था कि जैसे वह भी तृप्त हो गई है और वह भी केवल अपनी उंगली से लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था गया तो एक शुरुआत थी ,,, बार-बार उसे वही दृश्य नजर आ रहा था कितना मजा लेकर उसकी बड़ी दीदी उसके बेटे के मोटे लंबे लंड को अपनी चुत में लेकर सिसकारी ले रही थी इस तरह से तो आराधना ने कभी भी अपने पति से नहीं चुदवाई थी,,,,,एक औरत होने के नाते आराधना को इतना तो समझ में आ रहा था कि उसकी बड़ी दीदी को कितना मजा आ रहा होगा,,,,लेकिन उसे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि घर में पति होने के बावजूद भी उसकी बड़ी दीदी को इस तरह से अपने ही भतीजे के साथ शारीरिक संबंध बनाने की क्या जरूरत पड़ गई,,,,,,, आराधना को अपनी सवाल का जवाब इसलिए नहीं मिल रहा था क्योंकि आराधना दूसरी औरतों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अपनी शारीरिक जरूरत को वह एक तरफ रख कर अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाने में लगी रह गई लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसकी तरह दूसरी औरतें बिल्कुल भी नहीं है दूसरी ओर से अपनी शारीरिक जरूरत को भी अच्छी तरह से समझती थी और उसे अहमियत देती थी,,,जिसका उदाहरण उसकी आंखों के सामने था कि उसकी बड़ी बहन घर में पति होने के बावजूद जवान लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाकर तृप्त हो रही थी,,,, संजू के द्वारा लगाया गया एक एक धक्काआराधना को याद आ रहा था उसकी हर एक जबरजस्ते धक्के पर उसकी बड़ी दीदी की बड़ी बड़ी गांड पानी की तरह लहरा उठती थी,,,उसी दृश्य को देखकर तुम अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा ली थी,,,,,।

आराधना को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बड़ी दीदी इतनी समझदार होने के बावजूद भी इस तरह की हरकत करने पर मजबूर कैसे हो गई ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं था कि संजू उसकी बड़ी दीदी को ऐसा करने के लिए जोर दिया होगा क्योंकि वह अपनी बड़ी दीदी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से परिचित थी वह कभी भी किसी से डरती नहीं थी ना ही किसी दबाव में आती थी इसका मतलब साफ था कि वह अपनी मर्जी से अपने ही भतीजे के साथ शारीरिक संबंध बनाई थी,,,, लेकिन राजू कैसे तैयार हो गया अपनी ही मौसी को चोदने के लिए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था लेकिन फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने आप से ही ढूंढते हुए वह अपने मन में बोली,,, शायद जवान लड़के इस उम्र में अपने आप पर काबू नहीं रख पाते और कोई भी औरत या लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाने के सपने देखते रहते हैं फिर वह पहले चाहे उनके परिवार की ही क्यों ना हो,,, इसका अनुभव खुद आराधना को हो चुका था उसे समझ में आ गया था कि उसका बेटा एक औरत की संगत के लिए कितना तड़प रहा था और शायद इसीलिए वह अपनी मौसी के साथ चुदाई करने के लिए तैयार हो गया,,,,,,,, यही सब सोचते सोचते ना जाने उसे कब नींद आ गई सुबह जब आंख खुली तो बगल में साधना बड़ी गहरी नींद में सो रही थी,,, आराधना बड़े गौर से अपनी बड़ी दीदी के चेहरे को देख रही थी सोते समय साधना कितनी मासूम लग रही थी उसके चेहरे का भोलापन उसकी शादी की आराधना को हमेशा से अपनी तरफ आकर्षित करती थी लेकिन वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उसकी दूरी अपने मासूम चेहरे के साथ ही अपने ही भतीजे के साथ अपना मुंह काला करवाएंगी,,,,कभी-कभी तो आराधना का मन करता था कि अपनी दीदी से चीख चीख कर रात वाली बात बताएं,,, उसकी बेशर्मी भरी बातों को उससे ही कह कर उसे शर्मिंदा करें और फिर कभी अपने घर पर आने की उसकी हिम्मत ना हो ऐसा जरूर करें लेकिन फिर सोचने लग जाती थी कि उसकी दीदी उसका कितना मदद करती हैं उसकी मुसीबत को उसकी परेशानियों का चित्र से समझती हैं और इन मौके पर पैसों की मदद करके उसे बड़ी मुसीबत से बचाई भी थी और उसके ही बदौलत उसे जॉब करने की प्रेरणा भी मिली थी और एक अच्छी जॉब भी जिसके चलते वह अपने घर परिवार को अच्छी तरह से लेकर चल रही थी,,,,, इन्हीं सब के चलते वहां अपनी बड़ी दीदी को जलील नहीं करना चाहती थी,,,,।

रात वाली बात को भूलने की कोशिश करते हुए आराधना बिस्तर पर से उठी और दिनचर्या में लग गई बर्तन की खतर पटर की आवाज सुनकर साधना की भी नींद खुल गई और वह भी आलस मरोड़ते हुए बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, और रात वाली बात को याद करके मुस्कुराने लगी,,,,संजू की मर्दानगी से वह अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी संजू जिस तरह की चुदाई करता था उस तरह की उसने तो कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,, चूत की अंदरूनी दीवारों पर संजू के लंड की रगड़ अभी भी उसे साफ महसूस हो रही थी अपनी चूत में उसे मीठा मीठा दर्द हो रहा था जो कि राजू के मोटे तगड़े लंड की जबरदस्त धक्के की वजह से हो रहा था,,,,,,।


थोड़ी ही देर में नाश्ता तैयार हो चुका था,,,सब लोग साथ में ही नाश्ता कर रहे थे आराधना अपने बेटे से मैसेज नहीं मिला पा रही थी अपने बेटे की तरफ देखने में उसे शर्म महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सामने उसका बेटा नहीं बल्कि कोई अनजान आदमी बैठा हुआ है जो रात भर उसकी बड़ी दीदी की चुदाई करके उसे तृप्त कर चुका था,,,,,,,,अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह चाय की चुस्की नहीं रही थी अपनी बड़ी दीदी से भी बात करने में शर्म महसूस हो रही थी कल रात को ही आराधना ने अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड की अपनी आंखों से दर्शन की थी,,, अपने बेटे की कामुक हरकतों को वह महसूस कर चुकी थी,,,,उसके बेटे के द्वारा उसे अपनी बाहों में लेकर कसके पकड़ना उसकी गांड को दबाना और बरसात वाली शाम को जिस तरह की हरकत संजू ने किया था उससे तो आराधना को यही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी चूत में अपना लंड डाल देना लेकिन ऐन मौके पर वह अपने आप को,,, संभाल ले गई थी,, लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी आराधना ने सिर्फ अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर नाश्ता हुआ महसूस की थी उसकी लंबाई चौड़ाई मोटाई को लेकर कभी भी कल्पना नहीं की थी,,,,,,,लेकिन कल रात को अपने बेटे के दर्द को अपनी आंखों से देखकर वह दंग रह गई थी आश्चर्य से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी ना चाहते हुए भी वह अपनी बेटी के लंड की तुलना अपने पति से करने लगी थी जो कि उसके लंड के आगे आधा भी नहीं था और जिस तरह से वह अपनी मौसी की चुदाई कर रहा था उसकी ताकत को देखकर हैरान रह गई थी क्योंकि अशोक ज्यादा से ज्यादा 2 या 3 मिनट तक ठहर पाता था इसके बाद चारों खाने चित हो जाता था पता ही नहीं चलता था की चुदाई किसे कहते हैं लेकिन कल रात के दृश्य में उसकी जिंदगी में सब कुछ बदल कर रख दिया था,,,।


अरे क्या सोच रही है नाश्ता तो कर,,,(साधना की बात सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई हो वह एकदम से चौक गई,,, और हडबढ़ाते हुए बोली,,,)

जी जी दीदी,,,,(पर इतना कहने के साथ ही वह भी प्लेट में से ब्रेड का एक टुकड़ा लेकर खाने लगी,,,,)

संजू बहुत अच्छा लड़का है,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) और समझदार भी है पढ़ने लिखने में तेज ही है इसीलिए तो मनीषा ने इसे क्लास ज्वाइन करने के लिए बोली है,,,, देखना आराधना तेरा बेटा तेरी बहुत मदद करेगा,,,


ज़ी दीदी,,,(अपनी बड़ी बहन की बात पर आराधना हामी तो भर रहे थे लेकिन अपने मन में यही कह रही थी कि अभी तो यह तुम्हारी मदद कर रहा है दीदी,,,)

रात को तुम्हें परेशानी तो नहीं हुई थी मौसी,,,,(संजू चाय की चुस्की लेते हुए अपनी मौसी से बोला)


नहीं-नहीं परेशानी कैसी बेटा मुझे तो एकदम आराम था,,,

(साधना की बात सुनकर आराधना अपने मन नहीं बोली इतना मोटा लंबा नंदिनी चूत में लोगी तो आराम ही रहेगा ना)

मेरा तो मन करता है कि हर सप्ताह में एक रात यहां पर ही गुजारु,,,,

(और रात भर मेरे बेटे से चुदवाओ,,,, आराधना अपने मन में बोली,,,,)


मौसी बहुत अच्छी है मम्मी मेरा बहुत ख्याल रखती है,,,
(हां रात भर तुझे जो अपनी चूत चोदने के लिए दे देती हूं और मैं तेरा इस तरह से ख्याल नहीं रख सकती,,,)


मेरा भी,,,(मोहिनी भी मुस्कुराते हुए बोली तो संजु उसके सर पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

तेरा ख्याल तो मैं रखता हूं मोहिनी,,,,
(मोहिनी अपने भाई के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए बिना कुछ बोले चाय की चुस्की लेने लगी,,,,,, थोड़ी ही देर में सब लोग ने नाश्ता कर लिए और साधना जाने की तैयारी करने लगी,,,, संजू अपनी मौसी के साथ ही खड़ा था ना जाने क्यों आराधना को अब यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था कि उसका बेटा साधना के साथ खड़े रहे ना जाने क्यों उसे अब साधना के साथ संजू का खड़ा रहना अच्छा नहीं लगता था एक तरह से उसे साधना से जलन सी होने लगी थी,,,,,,,, आराधना साधना और संजू को तिरछी नजरों से ही देख रही थी मन तो कर रहा था कि वह अपने बेटे का हाथ पकड़कर साधना के बगल में से अपनी तरफ खींच ले और बोल देगी आज से तुम मेरे घर पर कभी मत आना लेकिन ऐसा आराधना बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी वह अपने दीदी का दिल नहीं दुखाना चाहती थी,,,,)

अच्छा आराधना अब मैं चलती हूं,,,,,( साथ में लाई हुई थैली को हाथ में लेते हुए) और आराधना तुझे मैं एक औरत होने के नाते जाति तौर पर तुझे एक सलाह देना चाहती हूं,,,, तुझे भी अपनी जिंदगी में अपनी जरूरतों का ख्याल रखना चाहिए सज संवर कर रहना चाहिए,,,, खुश रहना चाहिए,,,, तू एक औरत होते हुए भी एक औरत की जरूरत को अपने अंदर ही अंदर मार रही है,,,,,, मुझे देख हमेशा खुश रहती हूं ऐसा नहीं है कि मुझे अपने पति से सुख ही मिल रहा है दुख भी मिलता है उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं मिलती और मैं अपने काम में मस्त रहती हूं,,,, इसलिए कहती हूं तू भी मेरी तरह एकदम बिंदास जिया कर अशोक की चिंता बिल्कुल भी मत किया कर क्योंकि जितनी भी तु अशोक की चिंता करेगी उतना ही तू अपने आप को कमजोर करेगी,,,(अपनी तरह बिंदास जीने के मतलब को आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी वह अपनी दीदी की बिंदास जीवन शैली को रात को ही देख चुकी थी) अच्छा तो मैं चलती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही साधना घर से बाहर निकली वैसे ही ना चाहते हुए भी आराधना के मुंह से इतना निकल गया,,,)


अरे संजू स्कूटी पर अपनी मौसी को घर तक छोड़ दें,,,

अरे हां आराधना यह तो और भी अच्छा है आज ही संजू मनीषा से मुलाकात भी कर लेगा और कोचिंग के बारे में सब कुछ समझ भी लेगा,,,


हां मम्मी मौसी ठीक कह रही है,,, मैं मनीषा दीदी से कोचिंग के बारे में सब कुछ समझ सकूंगा,,,,


हां यह भी ठीक है,,,,।
(इजाजत देने के बाद आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,क्योंकि अब उसे साधना से डर लगने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अब वह अपने बेटे को रोबिन सकती थी आराधना किस बात का डर था कि अपने घर ले जाकर साधना कहीं फिर से उसके बेटे से चुदवाना ना शुरू कर दे,,,,आराधना यह सब सोच ही रही थी कि संजू तुरंत स्कूटी की चाबी लेकर आया और घर से बाहर निकल कर स्कूटी को स्टार्ट कर दिया और साधना अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर मुस्कुराते हुए संजू के कंधे पर हाथ रखकर पिछली सीट पर बैठ गई और संजू एक्सीलेटर देकर स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,,, आराधना अपने मन को किसी भी हाल में काबू नहीं कर पा रही थी उसके मन में ढेर सारे ख्याल आ रहे थे वह जानबूझकर घर के काम में अपने आप को व्यस्त करने लगी और थोड़ी ही देर में संजू साधना के घर पहुंच गया,,,, घर पर पहुंचते ही,,,, साधना संजू से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

यहां पर भी मौका मिल जाता तो कितना मजा आता,,,


मैं भी यही सोच रहा हूं मौसी तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड मेरा लंड खड़ा कर देती है,,,।

सहहह,,, धीरे बोल बगल वाले कमरे में मनीषा पढ़ाई कर रही है और हां तु जाकर उससे मिल‌ ले तब तक मैं कुछ खाने को बना देती हूं,,,।

(इतना कहने के साथ ही साधना किचन की तरफ चले गए और संजय मनीषा के कमरे के बाहर खड़ा हो गया,,,और अपने मन में सोचने लगा कि आज कमरे के अंदर मनीषा किस हालत में होगी उस दिन तो केवल एक पतली सी टीशर्ट और छोटी सी चड्डी में थी चड्डी नहीं पेंटी में थी इतना सोचते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि कमरे के अंदर मनीषा दीदी एकदम नंगी मिल जाती तो कितना मजा आता इसलिए,,, दरवाजे पर बिना नोक किए,,,वह दरवाजे को धक्का देकर खोने लगा क्योंकि वह पहले ही देख चुका था कि दरवाजा खुला हुआ था दरवाजा के खुलते ही,,,, उसे मनीषा सामनेकुर्सी पर बैठकर पढ़ती हुई नजर आ गई जो कि दरवाजा खोलने पर दरवाजे की तरफ देख रही थी ऐसे में दोनों की नजर आपस में टकरा गई,,, लेकिन संजू के उम्मीद से नाकामी ही प्राप्त हुई थी क्योंकि इस समय मनीषा टी-शर्ट और पतले से पजामे में बैठे हुई थी लेकिन टी-शर्ट के अंदर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी मदमस्त गोलाई लिए हुए उभरकर नजर आ रही थी,,,, मनीषा एकदम गोरी चिट्टी बला की खूबसूरत थी इसलिए संजू उसे देखता ही रह गया,,,, तो उसकी तंद्रा को भंग करते हुए मनीषा ही बोली,,,।


अरे संजु तु ,,, कब आया,,आ इधर आ कर बैठ,,,।
(इतना सुनते ही संजू नमस्ते दीदी कहकर कमरे में प्रवेश किया और पास में ही बिस्तर पर जाकर बैठ गया)
Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue story
 
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