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Incest मजबूरी या जरूरत

Sanju@

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मनीषा की खूबसूरती को संजू पहले दिन ही अपनी आंखों से भांप लिया था उसका दूध जैसा गोरा बदन पहले दिन से ही उसकी आंखों में बस गया था और वह भी पहली बार जिस अवस्था में होने जा रही थी उसे देखकर उसके लौड़े ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया था,,, और वह भी संजू की किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह पहली बार में ही मनीषा को केवल एक छोटी सी टीशर्ट और पेंटी में देखा था जिसमें मनीषा गजब की कयामत लग रही थी,,, वह तो उस दिन संजू अपनी मौसी को चोदने के इरादे से आया था इसलिए मनीषा के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया नहीं था,,, उस दिन से आज जाकर उसे मौका मिला था मनीषा से मुलाकात करने का और अब तो उसकी किस्मत में चार चांद लग गया था क्योंकि वह मनीषा के साथ कोचिंग का क्लास जो शुरू करने जा रहा था इसी सिलसिले में वह‌मनीषा के घर आया था,,,।

संजू मनीषा के बिस्तर पर बैठा हुआ था और मनीषा कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई कर रही थी,,, मनीषा आज संजू को देख कर खुश नजर आ रही थी लेकिन यही मनीषा उस दिन संजू के ऊपर मन ही मन बहुत गुस्सा कर रही थी जब वह उसे पेंट और टीशर्ट में देखा था और अपनी मां पर भी उसे गुस्सा आया था कि किसी को भी उसके कमरे में ले कर चली आती है,,,,, दोनों बैठे हुए थे बिस्तर पर समझी और कुर्सी पर मनीषा बात की शुरुआत कैसे करनी है मनीषा को समझ में नहीं आ रहा था और संजू था कि तिरछी नजरों से मनीषा की खूबसूरती के मादक रस को अपनी आंखों से पी रहा था,,, संजू टी शर्ट में झांकती है उसकी गोलाईयों को तिरछी नजरों से देख कर मन ही मन खुश हो रहा था,,, उसे इतना तो समझ में आ ही गया था कि जब गोडाउन मैं बेहतरीन माल है तो शोरूम आले दर्जे का तो होगा ही होगा,,,, मनीषा ही बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।

और संजू क्या हाल है,,,(किताबों को एक तरफ रखते हुए बोली)

एकदम ठीक है मनीषा दीदी,,,


तुमको मम्मी ने तो सब कुछ बता ही दी होगी,,,


जी दीदी मौसी ने मुझे सब कुछ बता दि‌ है और मैं तैयार हूं इसीलिए तो बात करने के लिए आया था,,,

चलो इस बात की मुझे खुशी है कि तुम तैयार तो हो,,, पढ़ा तो लोगे ना,,,

जी हां दीदी पड़ा लूंगा और वैसे भी अगर नहीं समझ में आएगा तो तुम तो हो ना,,,


हां यह बात सही है जहां पर तुम्हारा काम फंसे वहां पर मुझसे पूछ लेना,,,


शुरू कब से करना है दीदी,,,

कल ही से शाम को,,,।(बालों के लटको अपनी नाजुक ऊगलियों से पकड़ कर उसे अपने कान के पीछे ले जाते हुए बोली और यही अदा,, संजू के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

जी दीदी में पहुंच जाऊंगा,,,,

(इतना सुनते ही मनीषा जोर जोर से हंसने लगी उसके हंसने की वजह को संजू समझ नहीं पा रहा था लेकिन हंसती हुई मनीषा स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से कम नहीं लग रही थी,,,)

क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,

अरे हंसु नहीं तो और क्या करूं,,,

क्यो,,,?(संजू आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे बुद्धू तुम्हें पता है कि कोचिंग क्लास कहां पर है,,,


नहीं तो,,,


तब कैसे पहुंच जाओगे बताओ,,,,


अरे हां,,,,, कहां पर है कोचिंग क्लास,,,,


अरे बताती हूं,,,, तुम्हें अभी ले चलती हूं थोड़ी देर रुको तो सही,,,,,।(इतना कहने के साथ फिर से हंसने लगी उसकी हंसी संजीव को बहुत ही मनमोहक लग रही थी और हंसते हुए उसके बदन के साथ-साथ उसके दोनों संतरे इस टीशर्ट में उछल रहे थे जिसे देखकर संजू के तन बदन में आग लग रही थी और उसे उछलता हुआ देखकर संजू समझ गया था कि मनीषा टी-शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहनी है जोकि कभी-कभी उसकी दोनों चूचियों की कड़ी निप्पल टी-शर्ट में भाले की नोक की तरह उभर कर नजर आने लगती थी,,,,,, संजू तुरंत ही अपने मन में कल्पना करने लगा कि बिना टीशर्ट की मनीषा की चूचियां कैसी नजर आती होगी,,,, वह मन ही मन मनीषा की सूचियों की तुलना अपनी मौसी की बड़ी-बड़ी चुचियों से करने लगा था जो कि वह जानता था कि मौसी की चूचियां फुटबॉल के साइज की थी और वही मनीषा की चूचियां टेनिस के गेंद से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,, थोड़ी देर में फिर से कमरे में सन्नाटा फैल गया,,, मनीषा अपने कमरे में एक जवान लड़के की उपस्थिति में थोड़ा असहज महसूस कर रही थी और वह भी इसलिए कि ईसी लड़के ने उस दिन उसे केवल टी शर्ट और पेंटी में देख लिया था,,, इसलिए संजू के सामने उसे थोड़ा अजीब लग रहा था,,, वह फिर से बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।)

तुम उस दिन आए थे ना संजू लेकिन मैं तुमसे बात नहीं कर पाई थी,,।

वो हां दीदी उस दिन,,, के लिए मैं थोड़ा शर्मिंदा हूं,,,

क्यों,,,?


वह उस दिन मौसी तुम्हारे कमरे में लेकर आ गई थी ना और तुम केवल पेंटी,,,,,


अरे हां कोई बात नहीं,,,(संजू के मुंह से पेंटी शब्द सुनते ही मनीषा के गोरे गोरे गाल शर्म के मारे लाल होने लगे) तुम जानबूझकर थोड़ी आए थे,,, कोई बात नहीं उस दिन के लिए मेरे मन में कोई गिला शिकवा नहीं है,,,

चलो तब तो ठीक है दीदी उसी वजह से मैं तुम्हारे से मिलने में थोड़ा सा घबरा रहा था कि तुम मुझे क्या बोलोगी क्या समझोगी,,,


अगर तुम्हारे लिए मेरे मन में गिला शिकवा होता तो मैं मम्मी से तुम्हारे लिए कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के लिए नहीं कहलाती,,,,,,
(अभी दोनों बात ही कर रहे थे कि किचन में से आवाज आई,,,)

मनीषा चाय तैयार हो गई है,,, ले ले कर जा,,,
(अपनी मां की आवाज सुनते ही मनीषा बोली)

तुम यही बैठो मैं चाय लेकर आती हूं,,,,(इतना कह कर मनीषा कुर्सी पर से उठने वाली थी कि तुरंत संजू बिस्तर पर से उठा और अपना हाथ मनीषा के कंधे पर रखकर उसे हल्के से दबाते हुए उसे बैठने का इशारा करते हुए बोला,,,)

तुम बैठो दीदी मैं लेकर आता हूं,,,


अरे नहीं नहीं मैं लेकर आ रही हूं ना,,,


अरे दीदी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं जो मेरी मौसी का ही घर है ना इसलिए मेरी भी जिम्मेदारी बनती है और वैसे भी तुम मेरी बड़ी दीदी हो तुम मेरे लिए चाय लेकर आओ ही अच्छा थोड़ी लगता है,,, तुम बैठो मैं लेकर आता हूं,,,,।
( इतना कहने के साथ ही संजू मनीषा के कमरे से बाहर निकल गया और मनीषा उसे जाते हुए देखती रह गई,, जिस अदा से उसने उसके कंधे पर रखकर उसे बैठने का इशारा किया था मनीषा पूरी तरह से उसके इस अदा से कायल हो चुकी थी,,, मनीषा पहली बार संजू को गौर से देख रही थी एक जवान लड़की के लिए ऐसा खूबसूरत नौजवान लड़का ही उसका बॉयफ्रेंड बनने के लायक था ऐसा मन में ख्याल आते ही उसके तन बदन में अजीब सी झुर्झुरी सी फैल गई,,, मनीषा संजू के खूबसूरत मासूम चेहरे को देखकर उसके ऊपर मोहित हो चुकी थी वह कुर्सी पर बैठे बैठे मन ही मन मुस्कुरा रही थी और संजू था कि जानबूझकर मनीषा को ही बैठने के लिए बोल कर खुद चाय लेने के लिए गया था ताकि रसोई घर में जाकर वहां अपनी मौसी के साथ थोड़ी मस्ती कर सके,,,,,

मनीषा अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर संजू की मासूमियत के बारे में सोच रही थी वहीं दूसरी तरफ संजू किचन में पहुंच गया था मनीषा की मां के साथ मस्ती करने के लिए किचन में घुसने से पहले अपनी चारों तरफ नजर घुमाकर देखकर तसल्ली कर लेने के बाद वह रसोई घर में प्रवेश किया जहां पर उसकी मां दरवाजे की तरफ पीठ करके प्लेट में नाश्ता लगा रही थी और तुरंत संजू जाकर पीछे से उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया,,, और अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों पर रखकर दबाने लगा एकाएक हुए इस हमले से साधना एकदम से चौंक गई लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसे बाहों में कसने वाला संजू है तो उसकी जान में जान आई लेकिन इस बात से वह घबरा गई कि कहीं कोई देख ना ले,,, इसलिए वह संजू की पकड़ से छूटने का प्रयास करते हुए बोली,,।

छोड़ संजू कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,

अरे मौसी तुम खामखा डरती हो कोई देखने वाला नहीं है मैं पूरी तसल्ली कर लेने के बाद ही तुम्हें इस तरह से पकड़ा हूं ,,,(संजू बोलते हुए लगातार साधना की चूचियों को दबा रहा था,, और अपनी मौसी के इजाजत के बिना ही वह जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मौसी के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा था तो साधना उसका हाथ पकड़ते हुए बोली,,,)

पागल हो गया क्या संजू अरे कुछ तो सब्र कर अगर मनीषा ने देख ली तो हम दोनों का जीना मुश्किल हो जाएगा,,,


अरे कुछ नहीं होगा मौसी तुम खामखा कर रही हो,,,,


अरे सच में तू पागल हो गया है रात भर तो लिया है फिर भी तेरा मन नहीं भर रहा है,,,


क्या करूं मौसी तुम्हारे ये खूबसूरत बदन जब भी मेरे करीब रहता है तो मुझे चैन नहीं मिलता,,,(इतना कहते हुए संजू अपनी मौसी के ब्लाउज का एक बटन खोलने में कामयाब हो गया,,, इसलिए साधना उसके हाथ को पकड़कर हटाते हुए अपने ब्लाउज का बटन बंद करते हुए बोली,,)


तू तो मुझे मरवाएगा,,,


मरवाएगा नहीं,,, बल्कि तुम्हारी मारूंगा,,,


किसी और समय मार लेना,,, अभी मैं तुझे कुछ नहीं करने दूंगी,,,


ऐसा गजब मत करो मौसी मेरा इस समय तुम्हें चोदने का बहुत मन कर रहा है,,,(साधना की गांड पर अपने लंड को धंसाते हुए बोला,,, संजू की हरकत से साधना के तन बदन में भी चुदास की लहर दौड़ रही थी उसकी भी चुत गीली होने लगी थी,,,, फिर भी अपने आप पर काबू रखते हुए वह बोली,,,)

नहीं अभी बिल्कुल भी नहीं,,, बाद में कर लेना,,,


नहीं मौसी ऐसा कसम मत करो,,,(इतना कहने के साथ ही संजू फुर्ति दिखाता हुआ आगे से अपनी मौसी की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाते हुए,,, उसकी पेंटी में हाथ डालकर उसकी चुत को दबोचने लगा,,,,)

आहहह क्या कर रहा है रे,,,


अब तो मान जाओ मौसी तुम्हारी चुत भी पानी छोड़ रही है,,,

इस तरह की हरकत करेगा तो पानी तो छोड़ेगी ही,,, चल हट मनीषा किसी भी वक्त आ जाएगी बहुत देर हो गई है,,,

(संजू समझ गया था कि इस समय उसकी मौसी मानने वाली बिल्कुल भी नहीं है इसलिए अपने मन को ही मनाने के लिए वह बोला,,,)

अच्छा कोई बात नहीं मौसी चोदने ना सही लेकिन एक बार अपनी चुत को चाटने तो दो-चार से पहले तुम्हारी चुत का स्वाद मिल जाएगा तो मजा आ जाएगा,,,

अब देख संजू तेरी ये जीद अच्छी नहीं है हम दोनों का भंडा फुट सकता है,,,(साधना चिंता व्यक्त करते हुए बोली )


नहीं नहीं मौसी ऐसा कुछ भी नहीं होगा जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं होगा तुम्हें बिल्कुल डरने की जरूरत नहीं है यहां कोई नहीं आने वाला और बस 2 मिनट का ही तो है,,,,,


तू सच में मुझे फंसा देगा,,,,
(अब साधना के पास बोलने के लिए शब्द नहीं थे क्योंकि राजू की हरकत की वजह से उसका भी मन करने लगा था लेकिन उसके पास इतना समय नहीं था कि संजू के लंड को अपनी चुत में ले सके,,, संजू अपनी मौसी के चेहरे के भाव को देखकर समझ गया था कि उसकी मौसी तैयार है इसलिए बिना कुछ बोले वह अपनी मौसी की साड़ी आगे से पकड़कर उसे एक झटके में ऊपर की तरफ उठा दिया और साधना खुद अपनी साड़ी को कमर तक पकड़ कर खड़ी हो गई और संजू एक बार दरवाजे की तरफ देखकर घुटनों के बल बैठ गया और अपने हाथों से अपनी मौसी की पेंटी को खींचकर घुटनों तक ले आया और इसके बाद अपने प्यासे होठों को अपनी मौसी की पनीआई चुत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,, पल भर में ही साधना मदहोशी में सिहर उठी संजू की जीभ अपना कमाल दिखा रही थी,,, साधना की सांस अटकने लगी थी उसके पेट वाला भाग मादक तरीके से ऊपर नीचे हो रहा था और उत्तेजना के मारे उसकी चुत कचोरी की तरफ फूल गई थी,,,, संजू अच्छी तरह से जानता था कि उसके पास समय ज्यादा नहीं है इसलिए जितना हो सकता था उतना जीभ को अपनी मौसी की चुत की गहराई में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,

ओहहहह संजू तूने तो फिर से मेरे बदन में आग लगा दिया रे,,,,आह हहहहहहह,,,,ऊममममम,,,,,
(साधना मस्त होकर गरमा गरम सिसकारी लेना शुरू कर दी थी संजू का मन तो कर रहा था कि अभी इसी वक्त अपने लंड को निकालकर उसकी चुत में डालकर उसकी चुदाई कर दे,, लेकिन ऐसा करने का समय बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह अपनी जीभ से ही मजा ले रहा था,,, साधना की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी क्योंकि वह अपने चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गई थी कि तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई और वह दोनों एकदम से सकपका गए,,,। कदमों की आहट किचन के करीब आ रही थी इसलिए दोनों के पास बिल्कुल भी समय नहीं था संजू तो तुरंत उठ कर खड़ा हो गया और कोने में रखी फ्रिज के पास जाकर फ्रिज खोलकर पानी की बोतल निकालने लगा,,, साधना के पास अपनी पेंटी को ऊपर करके पहनने का बिल्कुल भी समय नहीं था इसलिए वह कमर तक पकड़ी हुई अपनी साड़ी को तुरंत नीचे छोड़ दी और धीरे से नाश्ते की प्लेट के पास पहुंचकर नाश्ता लगाने का नाटक करने लगी तब तक,,, मनीषा वहां पर आ गई,,,।


क्या मम्मी कितनी देर लग गई,,,

वो हां,,,, कहना कि संजू को अदरक वाली चाय पसंद है और मैंने अदरक डाली नहीं थी इसलिए वापस अदरक डालकर पका रही थी,,,


हां दीदी बिना अदरक की चाय मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,(फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर उसके ढक्कन को खोलते हुए वह बोला)


कोई बात नहीं लेकिन अब तो तैयार हो गई है ना जल्दी से मम्मी हम दोनों को चाय नाश्ता दे दो मुझे इसे कोचिंग क्लास भी दिखाने जाना है,,,


हां तैयार हो गया है,,,, मैं अभी लेकर आती हूं,,,


तुम तैयार कर दो मैं लेकर जाता हूं मौसी,,,।
(संजू की बात सुनकर मनीषा मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे की तरफ चली गई और उसके जाते ही दोनों की जान में जान आई,,, साधना संजू की तरफ देखकर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना अगर तेरी में मनमानी करने दी होती तो आज हम दोनों सच में पकड़े जाते,,,

चलो पकड़े तो नहीं गए ना लेकिन मौसी मजा बहुत आया तुम्हारी चुत बहुत नमकीन है,,,

धत्,,,, अब अपनी बकवास बंद कर और यह चाय नाश्ता लेकर जा,,,

जो आज्ञा मैडम जी,,,

(और इतना कहने के साथ ही संजू चाय का कप और नाश्ते की प्लेट लेकर मनीषा के कमरे में पहुंच गया थोड़ी देर में दोनों नाश्ता करके कोचिंग क्लास देखने के लिए निकल गए,,,)
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मनीषा भी संजू को पसंद करने लगी है लगता है वह उसे जल्दी ही अपना बॉयफ्रेंड बना लेगी अब तो मनीषा का नंबर जल्दी ही लगने वाला है संजू धीरे धीरे डेरिंग होता जा रहा है अपनी मौसी के साथ आज तो बच गया संजू और साधना देखते हैं कब तक बचते हैं या पकड़े जाते है
 

sexyswati

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मनीषा की खूबसूरती को संजू पहले दिन ही अपनी आंखों से भांप लिया था उसका दूध जैसा गोरा बदन पहले दिन से ही उसकी आंखों में बस गया था और वह भी पहली बार जिस अवस्था में होने जा रही थी उसे देखकर उसके लौड़े ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया था,,, और वह भी संजू की किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह पहली बार में ही मनीषा को केवल एक छोटी सी टीशर्ट और पेंटी में देखा था जिसमें मनीषा गजब की कयामत लग रही थी,,, वह तो उस दिन संजू अपनी मौसी को चोदने के इरादे से आया था इसलिए मनीषा के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया नहीं था,,, उस दिन से आज जाकर उसे मौका मिला था मनीषा से मुलाकात करने का और अब तो उसकी किस्मत में चार चांद लग गया था क्योंकि वह मनीषा के साथ कोचिंग का क्लास जो शुरू करने जा रहा था इसी सिलसिले में वह‌मनीषा के घर आया था,,,।

संजू मनीषा के बिस्तर पर बैठा हुआ था और मनीषा कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई कर रही थी,,, मनीषा आज संजू को देख कर खुश नजर आ रही थी लेकिन यही मनीषा उस दिन संजू के ऊपर मन ही मन बहुत गुस्सा कर रही थी जब वह उसे पेंट और टीशर्ट में देखा था और अपनी मां पर भी उसे गुस्सा आया था कि किसी को भी उसके कमरे में ले कर चली आती है,,,,, दोनों बैठे हुए थे बिस्तर पर समझी और कुर्सी पर मनीषा बात की शुरुआत कैसे करनी है मनीषा को समझ में नहीं आ रहा था और संजू था कि तिरछी नजरों से मनीषा की खूबसूरती के मादक रस को अपनी आंखों से पी रहा था,,, संजू टी शर्ट में झांकती है उसकी गोलाईयों को तिरछी नजरों से देख कर मन ही मन खुश हो रहा था,,, उसे इतना तो समझ में आ ही गया था कि जब गोडाउन मैं बेहतरीन माल है तो शोरूम आले दर्जे का तो होगा ही होगा,,,, मनीषा ही बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।

और संजू क्या हाल है,,,(किताबों को एक तरफ रखते हुए बोली)

एकदम ठीक है मनीषा दीदी,,,


तुमको मम्मी ने तो सब कुछ बता ही दी होगी,,,


जी दीदी मौसी ने मुझे सब कुछ बता दि‌ है और मैं तैयार हूं इसीलिए तो बात करने के लिए आया था,,,

चलो इस बात की मुझे खुशी है कि तुम तैयार तो हो,,, पढ़ा तो लोगे ना,,,

जी हां दीदी पड़ा लूंगा और वैसे भी अगर नहीं समझ में आएगा तो तुम तो हो ना,,,


हां यह बात सही है जहां पर तुम्हारा काम फंसे वहां पर मुझसे पूछ लेना,,,


शुरू कब से करना है दीदी,,,

कल ही से शाम को,,,।(बालों के लटको अपनी नाजुक ऊगलियों से पकड़ कर उसे अपने कान के पीछे ले जाते हुए बोली और यही अदा,, संजू के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

जी दीदी में पहुंच जाऊंगा,,,,

(इतना सुनते ही मनीषा जोर जोर से हंसने लगी उसके हंसने की वजह को संजू समझ नहीं पा रहा था लेकिन हंसती हुई मनीषा स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से कम नहीं लग रही थी,,,)

क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,

अरे हंसु नहीं तो और क्या करूं,,,

क्यो,,,?(संजू आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे बुद्धू तुम्हें पता है कि कोचिंग क्लास कहां पर है,,,


नहीं तो,,,


तब कैसे पहुंच जाओगे बताओ,,,,


अरे हां,,,,, कहां पर है कोचिंग क्लास,,,,




अरे बताती हूं,,,, तुम्हें अभी ले चलती हूं थोड़ी देर रुको तो सही,,,,,।(इतना कहने के साथ फिर से हंसने लगी उसकी हंसी संजीव को बहुत ही मनमोहक लग रही थी और हंसते हुए उसके बदन के साथ-साथ उसके दोनों संतरे इस टीशर्ट में उछल रहे थे जिसे देखकर संजू के तन बदन में आग लग रही थी और उसे उछलता हुआ देखकर संजू समझ गया था कि मनीषा टी-शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहनी है जोकि कभी-कभी उसकी दोनों चूचियों की कड़ी निप्पल टी-शर्ट में भाले की नोक की तरह उभर कर नजर आने लगती थी,,,,,, संजू तुरंत ही अपने मन में कल्पना करने लगा कि बिना टीशर्ट की मनीषा की चूचियां कैसी नजर आती होगी,,,, वह मन ही मन मनीषा की सूचियों की तुलना अपनी मौसी की बड़ी-बड़ी चुचियों से करने लगा था जो कि वह जानता था कि मौसी की चूचियां फुटबॉल के साइज की थी और वही मनीषा की चूचियां टेनिस के गेंद से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,, थोड़ी देर में फिर से कमरे में सन्नाटा फैल गया,,, मनीषा अपने कमरे में एक जवान लड़के की उपस्थिति में थोड़ा असहज महसूस कर रही थी और वह भी इसलिए कि ईसी लड़के ने उस दिन उसे केवल टी शर्ट और पेंटी में देख लिया था,,, इसलिए संजू के सामने उसे थोड़ा अजीब लग रहा था,,, वह फिर से बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।)

तुम उस दिन आए थे ना संजू लेकिन मैं तुमसे बात नहीं कर पाई थी,,।

वो हां दीदी उस दिन,,, के लिए मैं थोड़ा शर्मिंदा हूं,,,

क्यों,,,?


वह उस दिन मौसी तुम्हारे कमरे में लेकर आ गई थी ना और तुम केवल पेंटी,,,,,


अरे हां कोई बात नहीं,,,(संजू के मुंह से पेंटी शब्द सुनते ही मनीषा के गोरे गोरे गाल शर्म के मारे लाल होने लगे) तुम जानबूझकर थोड़ी आए थे,,, कोई बात नहीं उस दिन के लिए मेरे मन में कोई गिला शिकवा नहीं है,,,

चलो तब तो ठीक है दीदी उसी वजह से मैं तुम्हारे से मिलने में थोड़ा सा घबरा रहा था कि तुम मुझे क्या बोलोगी क्या समझोगी,,,


अगर तुम्हारे लिए मेरे मन में गिला शिकवा होता तो मैं मम्मी से तुम्हारे लिए कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के लिए नहीं कहलाती,,,,,,
(अभी दोनों बात ही कर रहे थे कि किचन में से आवाज आई,,,)

मनीषा चाय तैयार हो गई है,,, ले ले कर जा,,,
(अपनी मां की आवाज सुनते ही मनीषा बोली)

तुम यही बैठो मैं चाय लेकर आती हूं,,,,(इतना कह कर मनीषा कुर्सी पर से उठने वाली थी कि तुरंत संजू बिस्तर पर से उठा और अपना हाथ मनीषा के कंधे पर रखकर उसे हल्के से दबाते हुए उसे बैठने का इशारा करते हुए बोला,,,)

तुम बैठो दीदी मैं लेकर आता हूं,,,


अरे नहीं नहीं मैं लेकर आ रही हूं ना,,,


अरे दीदी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं जो मेरी मौसी का ही घर है ना इसलिए मेरी भी जिम्मेदारी बनती है और वैसे भी तुम मेरी बड़ी दीदी हो तुम मेरे लिए चाय लेकर आओ ही अच्छा थोड़ी लगता है,,, तुम बैठो मैं लेकर आता हूं,,,,।
( इतना कहने के साथ ही संजू मनीषा के कमरे से बाहर निकल गया और मनीषा उसे जाते हुए देखती रह गई,, जिस अदा से उसने उसके कंधे पर रखकर उसे बैठने का इशारा किया था मनीषा पूरी तरह से उसके इस अदा से कायल हो चुकी थी,,, मनीषा पहली बार संजू को गौर से देख रही थी एक जवान लड़की के लिए ऐसा खूबसूरत नौजवान लड़का ही उसका बॉयफ्रेंड बनने के लायक था ऐसा मन में ख्याल आते ही उसके तन बदन में अजीब सी झुर्झुरी सी फैल गई,,, मनीषा संजू के खूबसूरत मासूम चेहरे को देखकर उसके ऊपर मोहित हो चुकी थी वह कुर्सी पर बैठे बैठे मन ही मन मुस्कुरा रही थी और संजू था कि जानबूझकर मनीषा को ही बैठने के लिए बोल कर खुद चाय लेने के लिए गया था ताकि रसोई घर में जाकर वहां अपनी मौसी के साथ थोड़ी मस्ती कर सके,,,,,

मनीषा अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर संजू की मासूमियत के बारे में सोच रही थी वहीं दूसरी तरफ संजू किचन में पहुंच गया था मनीषा की मां के साथ मस्ती करने के लिए किचन में घुसने से पहले अपनी चारों तरफ नजर घुमाकर देखकर तसल्ली कर लेने के बाद वह रसोई घर में प्रवेश किया जहां पर उसकी मां दरवाजे की तरफ पीठ करके प्लेट में नाश्ता लगा रही थी और तुरंत संजू जाकर पीछे से उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया,,, और अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों पर रखकर दबाने लगा एकाएक हुए इस हमले से साधना एकदम से चौंक गई लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसे बाहों में कसने वाला संजू है तो उसकी जान में जान आई लेकिन इस बात से वह घबरा गई कि कहीं कोई देख ना ले,,, इसलिए वह संजू की पकड़ से छूटने का प्रयास करते हुए बोली,,।

छोड़ संजू कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,

अरे मौसी तुम खामखा डरती हो कोई देखने वाला नहीं है मैं पूरी तसल्ली कर लेने के बाद ही तुम्हें इस तरह से पकड़ा हूं ,,,(संजू बोलते हुए लगातार साधना की चूचियों को दबा रहा था,, और अपनी मौसी के इजाजत के बिना ही वह जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मौसी के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा था तो साधना उसका हाथ पकड़ते हुए बोली,,,)

पागल हो गया क्या संजू अरे कुछ तो सब्र कर अगर मनीषा ने देख ली तो हम दोनों का जीना मुश्किल हो जाएगा,,,


अरे कुछ नहीं होगा मौसी तुम खामखा कर रही हो,,,,


अरे सच में तू पागल हो गया है रात भर तो लिया है फिर भी तेरा मन नहीं भर रहा है,,,


क्या करूं मौसी तुम्हारे ये खूबसूरत बदन जब भी मेरे करीब रहता है तो मुझे चैन नहीं मिलता,,,(इतना कहते हुए संजू अपनी मौसी के ब्लाउज का एक बटन खोलने में कामयाब हो गया,,, इसलिए साधना उसके हाथ को पकड़कर हटाते हुए अपने ब्लाउज का बटन बंद करते हुए बोली,,)



तू तो मुझे मरवाएगा,,,


मरवाएगा नहीं,,, बल्कि तुम्हारी मारूंगा,,,


किसी और समय मार लेना,,, अभी मैं तुझे कुछ नहीं करने दूंगी,,,


ऐसा गजब मत करो मौसी मेरा इस समय तुम्हें चोदने का बहुत मन कर रहा है,,,(साधना की गांड पर अपने लंड को धंसाते हुए बोला,,, संजू की हरकत से साधना के तन बदन में भी चुदास की लहर दौड़ रही थी उसकी भी चुत गीली होने लगी थी,,,, फिर भी अपने आप पर काबू रखते हुए वह बोली,,,)

नहीं अभी बिल्कुल भी नहीं,,, बाद में कर लेना,,,


नहीं मौसी ऐसा कसम मत करो,,,(इतना कहने के साथ ही संजू फुर्ति दिखाता हुआ आगे से अपनी मौसी की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाते हुए,,, उसकी पेंटी में हाथ डालकर उसकी चुत को दबोचने लगा,,,,)

आहहह क्या कर रहा है रे,,,


अब तो मान जाओ मौसी तुम्हारी चुत भी पानी छोड़ रही है,,,

इस तरह की हरकत करेगा तो पानी तो छोड़ेगी ही,,, चल हट मनीषा किसी भी वक्त आ जाएगी बहुत देर हो गई है,,,

(संजू समझ गया था कि इस समय उसकी मौसी मानने वाली बिल्कुल भी नहीं है इसलिए अपने मन को ही मनाने के लिए वह बोला,,,)

अच्छा कोई बात नहीं मौसी चोदने ना सही लेकिन एक बार अपनी चुत को चाटने तो दो-चार से पहले तुम्हारी चुत का स्वाद मिल जाएगा तो मजा आ जाएगा,,,

अब देख संजू तेरी ये जीद अच्छी नहीं है हम दोनों का भंडा फुट सकता है,,,(साधना चिंता व्यक्त करते हुए बोली )


नहीं नहीं मौसी ऐसा कुछ भी नहीं होगा जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं होगा तुम्हें बिल्कुल डरने की जरूरत नहीं है यहां कोई नहीं आने वाला और बस 2 मिनट का ही तो है,,,,,


तू सच में मुझे फंसा देगा,,,,
(अब साधना के पास बोलने के लिए शब्द नहीं थे क्योंकि राजू की हरकत की वजह से उसका भी मन करने लगा था लेकिन उसके पास इतना समय नहीं था कि संजू के लंड को अपनी चुत में ले सके,,, संजू अपनी मौसी के चेहरे के भाव को देखकर समझ गया था कि उसकी मौसी तैयार है इसलिए बिना कुछ बोले वह अपनी मौसी की साड़ी आगे से पकड़कर उसे एक झटके में ऊपर की तरफ उठा दिया और साधना खुद अपनी साड़ी को कमर तक पकड़ कर खड़ी हो गई और संजू एक बार दरवाजे की तरफ देखकर घुटनों के बल बैठ गया और अपने हाथों से अपनी मौसी की पेंटी को खींचकर घुटनों तक ले आया और इसके बाद अपने प्यासे होठों को अपनी मौसी की पनीआई चुत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,, पल भर में ही साधना मदहोशी में सिहर उठी संजू की जीभ अपना कमाल दिखा रही थी,,, साधना की सांस अटकने लगी थी उसके पेट वाला भाग मादक तरीके से ऊपर नीचे हो रहा था और उत्तेजना के मारे उसकी चुत कचोरी की तरफ फूल गई थी,,,, संजू अच्छी तरह से जानता था कि उसके पास समय ज्यादा नहीं है इसलिए जितना हो सकता था उतना जीभ को अपनी मौसी की चुत की गहराई में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,

ओहहहह संजू तूने तो फिर से मेरे बदन में आग लगा दिया रे,,,,आह हहहहहहह,,,,ऊममममम,,,,,
(साधना मस्त होकर गरमा गरम सिसकारी लेना शुरू कर दी थी संजू का मन तो कर रहा था कि अभी इसी वक्त अपने लंड को निकालकर उसकी चुत में डालकर उसकी चुदाई कर दे,, लेकिन ऐसा करने का समय बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह अपनी जीभ से ही मजा ले रहा था,,, साधना की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी क्योंकि वह अपने चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गई थी कि तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई और वह दोनों एकदम से सकपका गए,,,। कदमों की आहट किचन के करीब आ रही थी इसलिए दोनों के पास बिल्कुल भी समय नहीं था संजू तो तुरंत उठ कर खड़ा हो गया और कोने में रखी फ्रिज के पास जाकर फ्रिज खोलकर पानी की बोतल निकालने लगा,,, साधना के पास अपनी पेंटी को ऊपर करके पहनने का बिल्कुल भी समय नहीं था इसलिए वह कमर तक पकड़ी हुई अपनी साड़ी को तुरंत नीचे छोड़ दी और धीरे से नाश्ते की प्लेट के पास पहुंचकर नाश्ता लगाने का नाटक करने लगी तब तक,,, मनीषा वहां पर आ गई,,,।


क्या मम्मी कितनी देर लग गई,,,

वो हां,,,, कहना कि संजू को अदरक वाली चाय पसंद है और मैंने अदरक डाली नहीं थी इसलिए वापस अदरक डालकर पका रही थी,,,


हां दीदी बिना अदरक की चाय मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,(फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर उसके ढक्कन को खोलते हुए वह बोला)


कोई बात नहीं लेकिन अब तो तैयार हो गई है ना जल्दी से मम्मी हम दोनों को चाय नाश्ता दे दो मुझे इसे कोचिंग क्लास भी दिखाने जाना है,,,


हां तैयार हो गया है,,,, मैं अभी लेकर आती हूं,,,


तुम तैयार कर दो मैं लेकर जाता हूं मौसी,,,।
(संजू की बात सुनकर मनीषा मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे की तरफ चली गई और उसके जाते ही दोनों की जान में जान आई,,, साधना संजू की तरफ देखकर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना अगर तेरी में मनमानी करने दी होती तो आज हम दोनों सच में पकड़े जाते,,,

चलो पकड़े तो नहीं गए ना लेकिन मौसी मजा बहुत आया तुम्हारी चुत बहुत नमकीन है,,,

धत्,,,, अब अपनी बकवास बंद कर और यह चाय नाश्ता लेकर जा,,,

जो आज्ञा मैडम जी,,,

(और इतना कहने के साथ ही संजू चाय का कप और नाश्ते की प्लेट लेकर मनीषा के कमरे में पहुंच गया थोड़ी देर में दोनों नाश्ता करके कोचिंग क्लास देखने के लिए निकल गए,,,)
वॉव ये चुत चाटने की क्विकी बड़ी मस्त और रोमांचक लगी........
मनीषा के वर्णन को पढ़ कर , उसकी अदाओ के बारे में पढ़कर ..... भाई लोगो के .... तन गए होंगे ...... :):):):)
 

Raj_sharma

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Rony bhai update Please......
 
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