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Incest मजबूरी या जरूरत

Ajju Landwalia

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संजू की कामलीला लगातार जारी थी वह रोज रात को अपनी बहन की जमकर चुदाई करता था चुदवा चुदवा कर मोहिनी की बुर और ज्यादा खूबसूरत और रसीली हो चुकी थी उसके बदन में भराव आना शुरू हो गया था चुचियों का उठाव थोड़ा और बढ़ गया था नितंबों का घेराव सुडोल और बेहद खूबसूरत आकर्षक होता जा रहा था मोहिनी पहले से ही बला की खूबसूरत थी लेकिन अपने भाई के हाथों से जी भर कर चुदवाने के बात उसकी जवानी और ज्यादा महकने लगी थी जिसकी खुशबू कॉलेज के सभी लड़कों में उत्तेजना जगा रहे थे लेकिन मोहिनी किसी को भी भाव नहीं देती थी,,,। दूसरी तरफ अपनी बहन से पूरी तरह से रजामंदी पाकर संजू अपनी मां को उकसाने में पूरी तरह से लग गया था वह किसी भी तरह से अपनी मां को चोदना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसका नंगा बदन हमेशा से संजू की उत्तेजना का प्रमुख कारण रहा था और अब तो उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी मां भी अंदर ही अंदर प्यासी है क्योंकि अशोक महीनों से घर नहीं आया था एक औरत के बदन की प्यास एक औरत को किस कदर मजबूर कर देती है वह अपनी मौसी की हालत को देखकर अच्छी तरह से जानता था,,,, ऐसा नहीं था कि आराधना के तन बदन में उत्तेजना की आग नहीं लगती थी रह रहे कर उसे भी बदन की प्यास सताने लगती थी पुरुष संसर्ग के लिए वह भी तड़पने लगती थी लेकिन,, किसी भी तरह से वह अपने आप को संभाल ले जाती थी उसी के चलते तो वह बेहद माधव और कामोत्तेजना से भरा हुआ सपना देखी थी जिसमें वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग करके तृप्त हो रही थी,,,, और उस सपने के चलते वह इतनी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि उसे सपना भी हकीकत लग रहा था,,,,,,

संजु का अपनी चचेरी बहन मनीषा के प्रति भी लगाव था,,, क्योंकि वह पहली बार में ही मनीषा को केवल एक छोटी सी टीशर्ट और पेंटी में देख चुका था उसके नंगे गोरे बदन को देख कर उस समय भी उसके तन बदन में आग लग गई थी लेकिन,,, लेकिन अपने बदन की गर्मी उसने उसकी मां की चुदाई करके मिटाया था लेकिन जब से दोनों साथ मिलकर कोचिंग क्लास करने लगे थे तब से संजू का लंड मनीषा को देखकर टन टना जाता है लेकिन वह मनीषा के मन में क्या चल रहा है इस बात से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था इसलिए वह आगे बढ़ने से डरता था किसी हद तक मनीषा का भी आकर्षण संजू की तरफ बढ़ता जा रहा था वैसे भी संजू बेहद आकर्षक और कसरती बदन का लड़का था,,,। कोचिंग क्लास बहुत बढ़िया चल रही थी देखते ही देखते कोचिंग क्लास का नाम फेमस होने लगा था,,,,।

अपनी सबसे अच्छी सहेली सा कोचिंग क्लास फेमस होता देखकर,,, काव्या जो कि मनीषा की सबसे अच्छी सहेली थी वह उसका कोचिंग क्लास देखने की जिद करने लगी,,,।

अरे यार मनीषा तेरा कोचिंग क्लास तो चल निकला जरा हमें भी तो ले चल हम भी तो देखें कैसा है तेरा कोचिंग क्लास जरूरत पड़ेगी तो हम भी तेरा साथ देंगे,,,


अरे ले चलूंगी काव्या तू भी कहां इतना जिद कर रही है,,,, किसी दिन समय मिलेगा तो तुझे ले चलूंगी,,,,(कॉलेज से छूटकर पार्किंग की तरफ जाते हुए मनीषा काव्या से बोली जो कि वह भी पार्किंग की तरफ ही जा रही थी,,,,)

नहीं ऐसे काम नहीं चलेगा मैं आज ही तेरे कोचिंग आऊंगी आखिरकार मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड का कोचिंग क्लास है और मैंने अभी तक उसकी मुलाकात भी नहीं नहीं हूं यह तो नाइंसाफी है,,,,

तू समझा कर काव्या मैं तुझे खुद ले चलूंगी,,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तो मुझे एड्रेस बता मैं आज शाम को ही पहुंच जाऊंगी आखिरकार तुझसे पार्टी भी तो चाहिए,,,,


पार्टी तो मैं दे दूंगी,,,


वह तो मैं ले ही लूंगी लेकिन तू एड्रेस बता,,,
(काव्या के इतना पीछे पड़ने पर मनीषा कोई बहाना नहीं बना पाई और उसे एड्रेस दे दी और थोड़ी देर में दोनों अपने अपने घर की तरफ निकल गए मनीषा काव्या को कोचिंग क्लास नहीं ले जाना चाहती थी जिसकी वजह था संजू,,,,, क्योंकि वह काव्य को अच्छी तरह से जानती थी और संजू के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि संजू को देखते ही काव्या उस पर लट्टू हो जाएगी और मनीषा ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी क्योंकि कहीं ना कहीं संजू के लिए उसके मन के कोने में आकर्षण था और वह किसी और लड़की को उसके करीब जाने नहीं देना चाहती थी लेकिन उसकी जीद के आगे वह ना चाहते हुए भी उसे एड्रेस दे दी थी,,,,,,,,,,,।

कोचिंग का समय होते ही संजू और मनीषा दोनों अपने-अपने घर से निकल चुके थे और थोड़ी ही देर में कोचिंग क्लास पहुंच चुके थे,,, आज मनीषा चुस्त सलवार और शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी जिसमें उसकी मोटी मोटी जांगे और भी ज्यादा खूबसूरत उभर कर नजर आ रहे थे और साथ ही उसके नितंबों का आकार गोलाकार मटके की तरह नजर आ रहा था जिसे देखकर संजू का लंड बुलबुला छोड़ रहा था,,,,,,,,,,,, अभी तक काव्या कोचिंग क्लास पर नहीं पहुंची थी इसलिए मनीषा को लग रहा था कि वह नहीं आने वाली है और इस बात का उसे राहत थी,,,,,,, क्लास छूटने में 10 मिनट का समय रह गया था तभी काव्या क्लास के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई जिस पर नजर पड़ते मनीषा एकदम से परेशान हो गई,,,,,।

अरे काव्या तुम बहुत लेट आई अब तो क्लास छूटने वाला है,,,

अरे तो क्या हुआ कौन सा मैं इधर कोचिंग क्लास ज्वाइन करने आई हूं मैं तो सिर्फ तुम्हारा यह कोचिंग क्लास देखने के लिए आई थी,,,,(इतना कहने के साथ ही काव्या क्लास के अंदर प्रवेश कर गई और क्लास के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी काफी स्टूडेंट पढ़ रहे थे)
काफी कम समय में तुम्हारी कोचिंग क्लास का बहुत नाम हो गया है मनीषा इस बात की मुझे बहुत खुशी है,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर संजू के ऊपर जाकर ठहर गई जो कि एक स्टूडेंट को कुछ समझा रहा था,,)

यह कौन है मनीषा,,,,?

ये ये,,,, मेरा कजिन है संजू,,,,

वाव काफी हैंडसम है तुम्हारा कजिन,,,,,,,(उसके कसरती गठीला बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) लगता है रोज जिम जाता है,,,,
(मनीषा काव्या की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए अंदर ही अंदर उसे जलन हो रही थी मनीषा कुछ बोल पाती,,, काव्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) यार मनीषा तुम्हारा कजिन इतना हैंडसम है मिलवाओगी नहीं उससे,,,

हां हां क्यों नहीं,,,(मनीषा एकदम बेमन से बोली,,,,) क्लास खत्म हो जाने दो फिर तुम्हें मिलवाती हुं,,,,

ठीक है कोई बात नहीं मैं यहीं पर इंतजार कर लेती हूं,,,,,
(काव्या उसी क्लास में खाली बेंच पर जाकर बैठ गई और बार-बार संजू की तरफ भी देख रही थी संजू भी उसके आते ही तिरछी नजर उसके खूबसूरत बदन पर डाल चुका था इसलिए बार-बार चोर नजरों से उसे देख ले रहा था,,, काव्या की बेहद खूबसूरत सुडोल बदन वाली खूबसूरत लड़की थी एक मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ था उसके पास पीली रंग की टीशर्ट में उसकी चुचियों का उभार बेहद कामुकता भरा नजर आ रहा था,,, जिस पर बार-बार संजू की नजर चली जा रही थी,,,, लेकिन मनीषा काव्या की उपस्थिति से असहज महसूस कर रही थी,, काव्या का इधर आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,,।

देखते ही देखते समय गुजर गया और कोचिंग क्लास छूट गई सभी स्टूडेंट कोचिंग क्लास से निकल गए और क्लास में रह गए केवल मनीषा काव्या और संजू,,, मौजूदा हालात को देखते हुए मनीषा को ना चाहते हुए भी संजू को काव्या से अवगत कराना पड़ा,,,।


संजू यही मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड काव्या,,, और काव्या यह है संजू,,,,
(काव्या संजू को करीब से देखी तो देखती ही रह गई उसके मोहक आकर्षक व्यक्तित्व के आगे वह धराशाई होती हुई नजर आने लगी वो खुद ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस से हाथ मिलाने चाहिए तो संजू भी उसकी खूबसूरती के आगे अपने आप को रोक नहीं पाया और हाथ आगे बढ़ा कर काव्या से हाथ मिलाने लगा उसकी गोरी नरम नरम हथेली के साथ-साथ उंगलियों का स्पर्श महसूस करते ही संजू के लंड में हलचल होने लगी,,,,)

तुमसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई संजू,,,,


और मुझे भी काव्या,,,(संजू मुस्कुराते हुए बोला मनीषा दोनों की हरकतों को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल भून रही थी,, संजू मनीषा का चचेरा भाई था लेकिन ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे वह उसका भाई नहीं बल्कि उसका प्रेमियों और वह अपने प्रेमी को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी,,,,, मनीषा चाह कर भी दोनों के बीच में कुछ बोल नहीं पा रही थी और काव्य इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा रही थी,,,,)

इस कोचिंग कलास की सफलता प्राप्ति में मनीषा को मुझे पार्टी देने वाली नहीं है लेकिन संजू तुम तो मुझे पार्टी दे सकते हो,,,,

हां हां क्यों नहीं काव्या,,,,,, मैं अभी सबके लिए कुछ नाश्ता लेकर आता हूं,,,, मनीषा दीदी अपनी स्कूटी की चाबी देना तो,,,

मेरी स्कूटी में पेट्रोल कम है फिर वापस जाने में दिक्कत हो जाएगी,,,,

लो संजू तुम मेरी स्कूटी ले जाओ,,, नीचे पार्किंग में लाल रंग की स्कूटी है उस पर भी मेरा नाम लिखा हुआ है तो पहचान जाओगे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बेंच पर बैठे हुए ही अपने पर्स में से अपनी स्कूटी की चाबी निकालने लगी और संजू की नजर उसके पीली टीशर्ट में से नजर आती हुई उसकी दोनों गोलाइयों पर पड़ गई,,, संजू काव्या की सूचियों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था और काव्या अपने पर्स में से चाबी निकालकर संजू को थमा दी संजू काव्या के हाथों से स्कूटी की चाबी लेकर तुरंत बाहर आ गया और उसे काव्या की स्कूटी ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई,,,, मनीषा अंदर ही अंदर काव्या से एकदम जलने लगी थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन का पिया को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसका यहां आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है और वैसे भी काव्या को उन दोनों के बीच किसी भी प्रकार के रिश्ते के पनपने की शंका ही नहीं थी क्योंकि दोनों चचेरे थे और संजू उसे मनीषा दीदी कहकर बुलाता था,,,,)

यार मनीषा संजू कितना हैंडसम है उसके चेहरे पर कितनी मासूमियत है और उसकी बॉडी कितनी डिवेलप है ऐसा लगता है कि किसी फिल्म का हीरो हो मैं तो कसम से तेरे चचेरे भाई को देखती ही रह गई,,,


चल अब ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत कर वह ऐसा वैसा लड़का नहीं है,,,

यार मनीषा लड़के तो सब एक जैसे ही होते हैं बस इशारे की देर होती है,,,, वरना संजू भी उन्हीं लड़कों में से है जिन्हें इस उम्र में लड़कियों के दोनों टांगों के बीच की ही ज्यादा जरूरत होती है,,,


कैसी बातें कर रही है काव्या,,,, कोचिंग क्लास में इस तरह की बातें शोभा नहीं देती कोई सुन लेगा तो हम लोगों की इमेज खराब हो जाएगी,,,


सॉरी सॉरी बाबा मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी,,,,।
(दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि संजू आ गया और स्कूटी की चाबी काव्या गौतम आते हुए पॉलीथिन की थैली में से समोसे कचोरी और पेप्सी का कैन निकालने लगा,,,, यह देखकर काव्या बोली,,)

यह हुई ना बात संजू तुमने तो सच में पार्टी दे दी,,,
(मनीषा को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी देखते ही देखते संजू ने तीन प्लेट लगा दिया और तीनों में एक समोसा एक कचोरी रख दिया और मनीषा और काव्या को थमा दिया और खुद भी खाने लगा संजू तिरछी नजरों से काव्या की तरफ देख रहा था खासकर के पीली टी-शर्ट में भरी हुई उसकी दोनों चूचियां और टी-शर्ट के अंदर से झांकती हुई उसकी चुचियों के बीच की पतली लकीर जिसे देखकर वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, काव्या भी चोर नजरों से संजू की तरफ देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे,,,, एक लड़की होने के नाते दोनों की यह हरकत भला मनीषा से कैसे चुप ही रह सकती थी मनीषा भी उन दोनों की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल रही थी वह किसी भी तरह से संजू को रोकना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि संजू काव्या की तरफ आकर्षित हो क्योंकि मन ही मन मनीषा उसे चाहने लगी थी,,,,।

जैसे तैसे करके तीनों ने अपना अपना नाश्ता खत्म करके पेप्सी पीना शुरू कर दी और बात ही बात में काव्या एक बार फिर से मनीषा का दिल जलाने वाली बात कर दी,,,

यार संजू तुम इतना अच्छा पढ़ाते हो मुझे भी पढ़ा दिया करो मेरी इंग्लिश थोड़ी कमजोर है,,,

जरूर तुम भी चली आया करो कोचिंग क्लास,,,

नहीं नहीं यहां नहीं प्राइवेट में मेरे घर पर,,,,,

हां हां क्यों नहीं बोलो कब से पढ़ाना है,,,


जब से तुम कहो मैं तो हमेशा तैयार हूं,,,


नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है,,,,(दोनों की बातों को सुनकर मनीषा एकदम से बीच में कूदते हुए बोली) संजू को और भी काम रहते हैं वह प्राइवेट में नहीं पढ़ा सकता,,,

नहीं दीदी मैं पढ़ा लूंगा,,,,


लेकिन मैंनेज कैसे करोगे,,,,


कर लूंगा दीदी,,,,


हां मनीषा संजू मैनेज कर लेंगे थोड़ा बहुत मुझे पढ़ा देंगे तो फाइनल एग्जाम में मुझे भी राहत मिल जाएगी,,,


ठीक है तुम दोनों जैसा ठीक समझो,,,,,


चलो तब तय है कल से संजू तुम मेरे घर आ जाना मैं तुम्हें एड्रेस बता दूंगी,,, लेकिन तुम्हारा मोबाइल नंबर तो मुझे मालूम ही नहीं है,,,

अरे हां मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,,,
(मनीषा की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह बहुत गुस्से में थी लेकिन अपना गुस्सा जाहिर नहीं होने दे रही थी कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के बाद ही संजू ने एक छोटा सा मोबाइल ले लिया था और अपना नंबर काव्या को दे दिया काव्या अपने मोबाइल में नंबर सेट करके उसे सेव कर ली थी,,,, थोड़ी ही देर में काव्या मनीषा और संजू के साथ बाहर आई और अपनी स्कूटी पर बैठ कर चली गई,,,, और संजू भी ऑटो पकड़ कर अपने घर की तरफ चला गया मनीषा अपने घर पर पहुंचकर बहुत परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें काव्या की हरकत से वह अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,,,, वह जानती थी कि जिस तरह से वह कोचिंग क्लास में बात कर रही थी कि मर्दों को केवल लड़कीयों कि दोनों टांगों के बीच पहुंचना रहता है वह अपना कथन सच कर देगी वह संजू को जरूर अपनी दोनों टांगों के बीच ले लेगी और फिर संजू उसका गुलाम बन जाएगा ऐसा सोचकर मनीषा पूरी तरह से परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा संजीव को रोकना चाहती थी वह काव्या से दूर रखना चाहती थी क्योंकि संजू के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था,,,,, वह मोबाइल हाथ में लेकर अपनी बालकनी में इधर से उधर घूम रही थी वह संजू को फोन लगाना चाहती थी और संजू को फोन पर सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं था वह उस से रूबरू मुलाकात करना चाहती थी लेकिन अभी समय बहुत हो रहा था इसके लिए वह संजू से कुछ बोल नहीं पाई,,,,,,,।

दूसरी तरफ संजू खाना खा रहा था साथ में उसकी मां और उसकी बहन भी खाना खा रही थी,,,,,,, खाना खाते समय आराधना का आंचल उसके कंधे पर से नीचे सरक गया था जिससे उसकी मद भरी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में अपना उभार लिए हुए नजर आ रही थी और उसके ऊपर का एक बटन खुला नहीं था बल्कि टूट चुका था जिस पर संजू की नजर पड़ते ही पेंट में उसका लंड दंगल मचाने को तैयार हो गया,,,,,,, संजू खाना खाते समय तिरछी नजरों से अपनी मां की चूची की तरफ देख रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि ब्लाउज के अंदर उसकी मां ने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से,,, उसकी सूची की निप्पल खजूर की तरह ब्लाउज के ऊपर से ही उप्सी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर संजू के मुंह में पानी आ रहा था मोहिनी भी अपने भाई की नजर से वाकिफ हो चुकी थी वह भी अपने भाई की तिरछी नजरों को देखकर दंग रह गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसका भाई उसकी मां की चुचियों को देख रहा है और इस बात की उसके मन में खुशी भी थे क्योंकि वह भी चाहती थी किसी तरह से उसकी मां उसके भाई से चुदवाना शुरू कर दे ताकि बाहर का कोई इतनी खूबसूरत औरत के साथ गलत ना कर सके,,,, मोहिनी अपने भाई की हरकत को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन उसकी मां बिल्कुल भी उन दोनों की ओर ध्यान नहीं दे रही थी और खाना खाने में मस्त बोलते इसलिए नजर बचाकर मोहिनी अपने भाई के हाथ पर अपनी कोहनी से मारकर इशारा करते हुए उसे आंख मार दी संजू भी अपनी बहन का इशारा पाकर और ज्यादा मस्ती में आ गया था और अपनी बहन की उपस्थिति में ही अपनी मां से बोला,,,।)

मम्मी तुम्हारे ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है,,, तुम बटन लगाना भूल गई कि अभी अभी टूटा है,,,,।
(आराधना अपने बेटे के बात को सुनकर अपनी स्थिति पर गौर कर पाती इससे पहले ही संजू फिर से अपना दूसरा पासा फेंकते हुए बोला,,,) और मम्मी तुमने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी हो सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा है,,,,.
(इस बार आराधना एकदम से झेंप गई वह अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसे भी इस बात का आभास हुआ कि उसके ब्लाउज का ऊपर का बटन टूटा हुआ है और उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया है और आज उसने जल्दबाजी में ब्रा भी नहीं पहनी थी,,,,,, उसका गोरा मुखड़ा शर्म से लाल हो गया हुआ तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके अपने कंधे पर डाल दी और अपनी छातियों को साड़ी के पल्लू के नीचे छुपा ली,,, उसे ऐसा करता हुआ देखकर मोहिनी भी चुटकी लेते हुए बोली,,,)


क्या करती हो मम्मी ब्लाउज तो ढंग का पहन लिया करो तुम्हें ऑफिस जाना पड़ता है अगर इसी हाल में ऑफिस पहुंच गई तो देखने वालों का तो होश उड़ जाएगा और तुमने ब्रा भी नहीं पहनी हो भाई ठीक कह रहा है ऐसे में तुम्हारा आधा तो बाहर झूल रहा है,,,,।
(मोहिनी की बात सुनते ही शर्म के मारे और आश्चर्य से आराधना का मुंह खुला का खुला रह गया और वह उसे चुप कराते हुए बोली)

चुपकर बेशरम जल्दी से खाना खत्म कर मुझे पता है मुझे क्या करना है,,,,(आराधना यह बात गुस्से में बोली थी इसलिए दोनों एकदम खामोश हो गए थे और खाना खा रहे थे खाना खत्म करते ही,,,, संजू थोड़ा हवा लेने के लिए घर से बाहर निकल गया और मोहिनी अपनी मां का हाथ बताने लगी तो आराधना उससे बोली)

मैंने तुझे जरा भी शर्म है कि नहीं अपने भाई के सामने ऐसी बातें करती है,,,

ऐसा क्या कह दी मम्मी जो कुछ कही थी सच तो कही थी तुम्हारे ब्लाउज के बटन टूटा हुआ है और भाई ने भी तो यही कहा,,,

कहां तू कहां लेकिन तूने क्या कही आधा बाहर झुल रहा है,, अपने भाई के सामने यह सब कहते हुए तुझे शर्म नहीं आती है इतनी बड़ी हो गई लेकिन तुझे जरा भी अक्ल नहीं है कि कहां क्या कहा जाता है,,,

क्या मम्मी तुम भी कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर रही हो आखिर इस घर में हम तीनों के सिवा है कौन ऐसा भी तो नहीं था कि मैं किसी और के सामने कह रही थी अपने भाई के सामने ही कहीं ना,,,

अरे बुद्धू अब तुझे कैसे समझाऊं तो उसकी गैर हाजरी में मुझसे यह कहीं होती तो मैं तुझे कुछ नहीं कहती लेकिन वह एक लड़का है वह लड़कों के सामने औरतों कि ईस तरह की बातें नहीं की जाती समझ में आया,,,

ठीक है मम्मी आगे से ऐसा नहीं होगा बस,,,
(और इतना कहकर दोनों फिर से अपने-अपने काम में लग गए मोहिनी बात को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती थी क्योंकि अगर वह बात को आगे बढ़ाती तो हो सकता था उसकी मां को इस बात का शक हो जाए कि उसकी लड़की गलत राह पर चल पड़ी है और इसीलिए वह किसी तरह से बात को वही खत्म कर दी थी लेकिन काम करते समय आराधना के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी अपने बेटे के द्वारा कहा गया एक-एक शब्द को याद करके वह उत्तेजित हो जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे ने ऐसे खुले शब्दों में उसी से कैसे कह दिया कि ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है और वह ब्रा भी नहीं पहनी है उसे भी अपनी बहन की उपस्थिति का जरा भी बाहर नहीं रहा और ना ही एक मां के सामने इस तरह के शब्दों का उपयोग करने में उसे जरा भी शर्म नहीं आई,,,, आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने बेटे को समझाए उसकी हरकत को देखते हुए आराधना को इस बात का एहसास हो गया था कि संजू उसकी खूबसूरती का दीवाना हो चुका है लेकिन वह अपना निशाना गलत जगह लगा रहा है उसे आकर्षण और वासना इन्हें इतना अंधा और नासमझ कर दिया है कि वह आपसी रिश्तो को भी नहीं पहचान रहा है,,, आराधना बड़े ही धर्म संकट में फंसी हुई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे को कैसे समझाएं लेकिन इस बात से उसे इनकार भी नहीं था कि उसकी इन हरकतों की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी बदन में उत्तेजना का संचार होने लगता था खास करके उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार हमेशा गीली होने लगती थी,,,,,, इन्हीं सब खयालों में खोए हुए वहां अपने सारे काम खत्म करके अपने कमरे में चली गई थोड़ी ही देर में संजू घर में वापस लौटा तो मोहिनी का दरवाजा बंद था लेकिन उसकी मां की कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था जिसमें से ट्यूबलाइट की रोशनी आ रही थी वह बाहर का दरवाजा बंद करके उस पर कड़ी लगाकर अपने कमरे मैं जाने वाला था कि तभी उसके मन में क्या हुआ वह अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया और जैसे ही थोड़े से खुले हुए दरवाजे को धक्का देकर खोला तो बिस्तर पर बैठी हुई उसकी मां के होश उड़ गए और तुरंत उसकी उंगली में सुई चुभ गई,,,,
आराधना अपने बेटे और बेटी की बात को सुनकर वह कमरे में आकर अपना ब्लाउज उतार कर उसमें बटन टांग रही थी और अपने बदन पर चादर डाल रखी थी लेकिन संजू के द्वारा इस तरह से दरवाजा खोलने पर वह पूरी तरह से चौक गई थी और उसके हाथ की उंगली में सोई चुभ गई थी जिसकी वजह से उस में से खून निकलने लगा था संजू भैया देखकर एकदम हैरान हो क्या और तुरंत दौड़ता हुआ आया और एकदम से अपनी मां के कदमों घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत उसका कलाई पकड़ कर उसकी उंगली को जिस में से खून निकल रहा था उसे अपने मुंह में भर कर उसके खून को चूसने लगा या देखकर आराधना पूरी तरह से गनगना गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने हाथ को पीछे लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन संजू ने उसकी कलाई को कस के पकड़ रखा था और उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर उसके खून को बंद करने की कोशिश कर रहा था आराधना के तन बदन में आग लगने लगी थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके सामने बैठा हुआ उसका बेटा नहीं बल्कि उसका प्रेमी है और उसके चोट लग जाने पर वह पूरी तरह से परेशान है और उसकी परेशानी दूर करने के लिए उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर चूस रहा है,,,, यह सब आराधना के लिए बिल्कुल नया था उसके तन बदन में उत्तेजना की फुहार फूटने लगी थी,,,,।

अद्भुत और मादकता से भरा हुआ यह दृश्य धीरे-धीरे दोनों को मदहोश कर रहा था संजू को अपनी मां की उंगली अपने मुंह में लेकर चूसने में इतना अधिक मजा आ रहा था कि पूछो मत उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की चूची की निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा हो,,, संजू पूरी तरह से अपनी मां की उंगली को अपनी मां की चूची की निप्पल समझकर उसे चूसने में मशगूल हो चुका था आराधना भी अपने बेटे की हरकत की मदहोशी में खोने लगी थी उसे भी अपनी स्थिति का भान बिल्कुल भी नहीं था अभी तक संजू का ध्यान केवल अपनी मां की उंगली पर था लेकिन जैसे ही उसकी नजरें अपनी मां की छातियों पर गई उसके होश उड़ गए,,,,, संजू को अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां अपना ब्लाउज उतार कर उसने बटन लगा रही थी उसकी नंगी चूचियां संजू की आंखों के सामने नृत्य कर रही थी आराधना थोड़ा सा झुकी हुई थी इसलिए उसकी दोनों खरबूजे जैसी सूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी जिसे देखने में संजू को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आम के बगीचे में आम के पेड़ पर लटक रहे दशहरी आम को जी भर कर देख रहा हो और उन्हें पाने की लालसा में लार टपका रहा हो,,,,,,, जैसे ही आराधना का ध्यान अपने बेटे की नजरों पर गई और उसकी नजरों की सीधान को वह अपनी छातियों पर खत्म होता हुआ महसूस की तो वैसे ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे के सामने अपनी छातियों को छुपाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ट्यूबलाइट की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसे भी इस बात का अंदाजा था कि उसकी चूचियां उसके बेटे को एकदम साफ नजर आ रही हैं और अपने बेटे की आंखों में वह अपनी चूची की मस्ती की चमक एकदम साफ देख पा रही थी ,,, आराधना को अपने बेटे की आंखों में मदहोशी नजर आ रही थी उसकी खूबसूरत जवानी का नशा नजर आ रहा था वह अच्छी तरह से देख पा रही थी कि उसकी मदहोश जवानी में उसका बेटा पूरी तरह से खो चुका है,,, अपने बेटे की आंखों में हूं चलती हुई मस्ती को देखकर आराधना भी अपना आपा खोने लगी थी संजू काफी देर से देख रहा था कि उसकी मां को पता होने के बावजूद भी अपनी चुचियों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही है तो संजू की हिम्मत पड़ने लगी और संजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची को पकड़ लिया उसे अपनी हथेली में लेकर संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पूरी दुनिया को अपनी हथेली में भर लिया हो रख लिया हो और वह धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया पल भर में ही आराधना के तन बदन में आग लगने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी संजू अपनी मां की मूली को अपने मुंह में लिए हुए ही दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाया और दोनों हाथों से अपनी मां के लटक रहे जैसे चुचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया उसे इस बात का आभास था कि स्तन मर्दन से औरतों की उत्तेजना जाग जाती है और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में लेना चाहता था अपनी मां की चूची दबाकर उसे उत्तेजित करना चाहता था इसी कार्य में वह पूरी तरह से लग चुका था और धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था पल भर में ही आराधना का चेहरा उत्तेजना के मारे एकदम लाल हो चुका था धीरे-धीरे संजू अपनी जगह से ऊपर की तरफ उठा और अपने मुंह से अपनी मां की उंगली को बाहर निकालकर धीरे से अपनी मां की चूची को पकड़े हुए उसे बिस्तर पर लेट आने लगा उसकी मां पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के आगे मंत्रमुग्ध हो गई थी जैसा संजू कर रहा था वैसे ही आराधना होती जा रही थी। ,, देखते ही देखते संजू अपनी मां को बिस्तर पर लिटा दिया पीठ के बल आराधना लेट चुकी थी कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी भी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी जिसे संजू जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था देखते ही देखते आराधना के मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज उठने लगी थी जिसे सुनकर संजू पागल हुआ जा रहा था और देखते ही देखते वह अपने प्यासे होठों को अपनी मां की चूची की तरफ बढ़ाया और देखते ही देखते अपनी मां की चूची को मुंह में भर लिया और उसे पीना शुरु कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबना शुरू कर दी थी वह अपने बेटे की हरकत को देखकर वह पूरी तरह से काम आतुर हुए जा रही थी उसे अपनी चूत पानी छोड़ते हुए महसूस हो रही थी बरसों के बाद किसी ने उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु किया था,,,, इसलिए वह अपने बेटे की हरकत पर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,, देखते ही देखते वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटकने लगी और तभी बगल में बर्तन के गिरने और दरवाजा खुलने की आवाज‌ आई तो उसे एकदम से होश आया और वह तुरंत संजू को अपने ऊपर से उठाने लगे लेकिन संजू पूरी तरह से हम मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहा था वह अपनी मां की चूची को बारी-बारी से पीना शुरू कर दिया था,,,।

मोहिनी जाग गई है,,,(आराधना एकदम घबराए स्वर में बोली संजू इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ था कि अगर उसकी बहन मोहिनी दोनों को ही सहादत में देख भी लेती तो गुस्सा करने की जगह वह खुश हो जाएगी लेकिन वहां अपनी मां को मोहिनी की आंखों के सामने बेइज्जत होते हुए नहीं देखना चाहता था इसलिए तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए उठकर खड़ा हो गया और तुरंत आराधना भी उठ कर बैठ गई संजू ने तुरंत चादर को अपनी मां के बदन पर डाल दिया और उसके हाथों से गिरा ब्लाउज और सुई धागा लेकर खुद ही बटन लगाने का नाटक करने लगा तब तक मोहिनी दरवाजे पर आ चुकी थी और दरवाजे पर खड़ी होकर बोली)

भाई तुम मम्मी के ब्लाउज में बटन लगा रहे हो,,,

हां मोहिनी वो क्या है ना कि मम्मी की उंगली में सुई छुप गई थी इसके लिए मैं लेकर बटन लगा रहा हूं,,,
(इतना सुनकर मोहिनी अपने भाई के पजामे की तरफ देखी तो सारा मामला उसे समझ में आ गया था उसे समझते देर नहीं लगी थी कि कुछ देर पहले उसके आने से पहले यहां पर कुछ और चल रहा था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन फिर भी वह कमरे में आते हुए बोली)

लाओ भाई तुमसे नहीं होगा मैं लगा देती हूं,,,(इतना कहकर मोहिनी अपने भाई के पास आई और उसके हाथ से अपनी मां का ब्लाउज लेकर उसमें बटन लगाने लगे तब तक आराधना की नजर अपने बेटे के पजामे की तरफ गई तो एकदम पूरी तरह से चौक गई उसकी पैंट में तंबू बना हुआ था और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटी की नजर उसके भाई के बने तंबू पर पड़े इसलिए वह 1 बहाने से बोली)


संजू अब तू जा मोहिनी लगा देगी जाकर आराम कर,,,,
(संजू भी ज्यादा कुछ बोला नहीं और मुस्कुराता हुआ अपनी मां के कमरे से बाहर चला गया थोड़ी ही देर में मोहिनी भी अपनी मां के ब्लाउज में बटन लगाकर उसे दे दी और वापस अपने कमरे मैं चली गई आराधना तुरंत खड़ी हुई और ब्लाउज पहनकर अपने दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा ले क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा फिर से ना आ जाए वह बिस्तर पर बैठ कर मन ही मन अपनी स्थिति पर शर्मिंदा होने लगी और इस इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ उसकी बेटी आ गई वरना आज जरूर कुछ ना कुछ हो जाता और दूसरी तरफ संजू मोहिनी का इंतजार कर रहा था मोहिनी के आते ही वह तुरंत मोहिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बदन से उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया क्योंकि कुछ देर पहले की उत्तेजना वह अपनी बहन को चोद कर शांत कर देना चाहता था मोहिनी मुस्कुराते हुए अपने भाई से बोली,,,

कमरे में क्या हो रहा था,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो मैं मम्मी की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाया,,,

क्या भाई तू सच कह रहा है,,,

हारे मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,,,(अपनी बहन की चूची को दबाते हुए बोला)

लेकिन यह हो कैसे गया,,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया मेरी बाहों में आ गई हो मैंने तो मां की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथ से दबाया भी और उन्हें बिस्तर पर लेटा कर उनकी दोनों चूची को मुंह में लेकर जी भरकर पिया,,,

मममी ने कुछ बोला नहीं,,,,,

अरे वह क्या बोलती उनकी तो हालत मैंने खराब कर दिया था वह तो गर्मागर्म सिसकारी ले रही थी मानो कि जैसे मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया,,,,


फिर क्या हुआ भाई,,,

फिर क्या फिर तू आ गई और सारा मामला खत्म हो गया अगर तू थोड़ी देर और नहीं आई होती तो आज मैं अपने लंड को मम्मी की चूत में डाल ही दिया होता,,,

धत् तेरी की मैं भी गलत समय पर आ गई,,,


चल कोई बात नहीं मेरी रानी आधा सफर तो तय हो गया है हम मंजिल दूर नहीं है देखना एक ना एक दिन में मम्मी की दोनों टांगों के बीच पहुंच ही जाऊंगा,,,,( और इतना कहने के साथ ही,, संजू अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर अपने खड़े लंड को अपनी बहन की चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया और तब तक चोदता रहा जब तक कि दोनों एकदम शांत नहीं हो गए,,,,।)

Wah Rohnny Bhai,

Kya gazab ki mast update di he...

Der aaye durust aaye.....maja aa gaya bhai

Keep posting
 

Mahakaal

The Destroyer
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संजू की कामलीला लगातार जारी थी वह रोज रात को अपनी बहन की जमकर चुदाई करता था चुदवा चुदवा कर मोहिनी की बुर और ज्यादा खूबसूरत और रसीली हो चुकी थी उसके बदन में भराव आना शुरू हो गया था चुचियों का उठाव थोड़ा और बढ़ गया था नितंबों का घेराव सुडोल और बेहद खूबसूरत आकर्षक होता जा रहा था मोहिनी पहले से ही बला की खूबसूरत थी लेकिन अपने भाई के हाथों से जी भर कर चुदवाने के बात उसकी जवानी और ज्यादा महकने लगी थी जिसकी खुशबू कॉलेज के सभी लड़कों में उत्तेजना जगा रहे थे लेकिन मोहिनी किसी को भी भाव नहीं देती थी,,,। दूसरी तरफ अपनी बहन से पूरी तरह से रजामंदी पाकर संजू अपनी मां को उकसाने में पूरी तरह से लग गया था वह किसी भी तरह से अपनी मां को चोदना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसका नंगा बदन हमेशा से संजू की उत्तेजना का प्रमुख कारण रहा था और अब तो उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी मां भी अंदर ही अंदर प्यासी है क्योंकि अशोक महीनों से घर नहीं आया था एक औरत के बदन की प्यास एक औरत को किस कदर मजबूर कर देती है वह अपनी मौसी की हालत को देखकर अच्छी तरह से जानता था,,,, ऐसा नहीं था कि आराधना के तन बदन में उत्तेजना की आग नहीं लगती थी रह रहे कर उसे भी बदन की प्यास सताने लगती थी पुरुष संसर्ग के लिए वह भी तड़पने लगती थी लेकिन,, किसी भी तरह से वह अपने आप को संभाल ले जाती थी उसी के चलते तो वह बेहद माधव और कामोत्तेजना से भरा हुआ सपना देखी थी जिसमें वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग करके तृप्त हो रही थी,,,, और उस सपने के चलते वह इतनी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि उसे सपना भी हकीकत लग रहा था,,,,,,

संजु का अपनी चचेरी बहन मनीषा के प्रति भी लगाव था,,, क्योंकि वह पहली बार में ही मनीषा को केवल एक छोटी सी टीशर्ट और पेंटी में देख चुका था उसके नंगे गोरे बदन को देख कर उस समय भी उसके तन बदन में आग लग गई थी लेकिन,,, लेकिन अपने बदन की गर्मी उसने उसकी मां की चुदाई करके मिटाया था लेकिन जब से दोनों साथ मिलकर कोचिंग क्लास करने लगे थे तब से संजू का लंड मनीषा को देखकर टन टना जाता है लेकिन वह मनीषा के मन में क्या चल रहा है इस बात से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था इसलिए वह आगे बढ़ने से डरता था किसी हद तक मनीषा का भी आकर्षण संजू की तरफ बढ़ता जा रहा था वैसे भी संजू बेहद आकर्षक और कसरती बदन का लड़का था,,,। कोचिंग क्लास बहुत बढ़िया चल रही थी देखते ही देखते कोचिंग क्लास का नाम फेमस होने लगा था,,,,।

अपनी सबसे अच्छी सहेली सा कोचिंग क्लास फेमस होता देखकर,,, काव्या जो कि मनीषा की सबसे अच्छी सहेली थी वह उसका कोचिंग क्लास देखने की जिद करने लगी,,,।

अरे यार मनीषा तेरा कोचिंग क्लास तो चल निकला जरा हमें भी तो ले चल हम भी तो देखें कैसा है तेरा कोचिंग क्लास जरूरत पड़ेगी तो हम भी तेरा साथ देंगे,,,


अरे ले चलूंगी काव्या तू भी कहां इतना जिद कर रही है,,,, किसी दिन समय मिलेगा तो तुझे ले चलूंगी,,,,(कॉलेज से छूटकर पार्किंग की तरफ जाते हुए मनीषा काव्या से बोली जो कि वह भी पार्किंग की तरफ ही जा रही थी,,,,)

नहीं ऐसे काम नहीं चलेगा मैं आज ही तेरे कोचिंग आऊंगी आखिरकार मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड का कोचिंग क्लास है और मैंने अभी तक उसकी मुलाकात भी नहीं नहीं हूं यह तो नाइंसाफी है,,,,

तू समझा कर काव्या मैं तुझे खुद ले चलूंगी,,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तो मुझे एड्रेस बता मैं आज शाम को ही पहुंच जाऊंगी आखिरकार तुझसे पार्टी भी तो चाहिए,,,,


पार्टी तो मैं दे दूंगी,,,


वह तो मैं ले ही लूंगी लेकिन तू एड्रेस बता,,,
(काव्या के इतना पीछे पड़ने पर मनीषा कोई बहाना नहीं बना पाई और उसे एड्रेस दे दी और थोड़ी देर में दोनों अपने अपने घर की तरफ निकल गए मनीषा काव्या को कोचिंग क्लास नहीं ले जाना चाहती थी जिसकी वजह था संजू,,,,, क्योंकि वह काव्य को अच्छी तरह से जानती थी और संजू के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि संजू को देखते ही काव्या उस पर लट्टू हो जाएगी और मनीषा ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी क्योंकि कहीं ना कहीं संजू के लिए उसके मन के कोने में आकर्षण था और वह किसी और लड़की को उसके करीब जाने नहीं देना चाहती थी लेकिन उसकी जीद के आगे वह ना चाहते हुए भी उसे एड्रेस दे दी थी,,,,,,,,,,,।

कोचिंग का समय होते ही संजू और मनीषा दोनों अपने-अपने घर से निकल चुके थे और थोड़ी ही देर में कोचिंग क्लास पहुंच चुके थे,,, आज मनीषा चुस्त सलवार और शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी जिसमें उसकी मोटी मोटी जांगे और भी ज्यादा खूबसूरत उभर कर नजर आ रहे थे और साथ ही उसके नितंबों का आकार गोलाकार मटके की तरह नजर आ रहा था जिसे देखकर संजू का लंड बुलबुला छोड़ रहा था,,,,,,,,,,,, अभी तक काव्या कोचिंग क्लास पर नहीं पहुंची थी इसलिए मनीषा को लग रहा था कि वह नहीं आने वाली है और इस बात का उसे राहत थी,,,,,,, क्लास छूटने में 10 मिनट का समय रह गया था तभी काव्या क्लास के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई जिस पर नजर पड़ते मनीषा एकदम से परेशान हो गई,,,,,।

अरे काव्या तुम बहुत लेट आई अब तो क्लास छूटने वाला है,,,

अरे तो क्या हुआ कौन सा मैं इधर कोचिंग क्लास ज्वाइन करने आई हूं मैं तो सिर्फ तुम्हारा यह कोचिंग क्लास देखने के लिए आई थी,,,,(इतना कहने के साथ ही काव्या क्लास के अंदर प्रवेश कर गई और क्लास के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी काफी स्टूडेंट पढ़ रहे थे)
काफी कम समय में तुम्हारी कोचिंग क्लास का बहुत नाम हो गया है मनीषा इस बात की मुझे बहुत खुशी है,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर संजू के ऊपर जाकर ठहर गई जो कि एक स्टूडेंट को कुछ समझा रहा था,,)

यह कौन है मनीषा,,,,?

ये ये,,,, मेरा कजिन है संजू,,,,

वाव काफी हैंडसम है तुम्हारा कजिन,,,,,,,(उसके कसरती गठीला बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) लगता है रोज जिम जाता है,,,,
(मनीषा काव्या की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए अंदर ही अंदर उसे जलन हो रही थी मनीषा कुछ बोल पाती,,, काव्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) यार मनीषा तुम्हारा कजिन इतना हैंडसम है मिलवाओगी नहीं उससे,,,

हां हां क्यों नहीं,,,(मनीषा एकदम बेमन से बोली,,,,) क्लास खत्म हो जाने दो फिर तुम्हें मिलवाती हुं,,,,

ठीक है कोई बात नहीं मैं यहीं पर इंतजार कर लेती हूं,,,,,
(काव्या उसी क्लास में खाली बेंच पर जाकर बैठ गई और बार-बार संजू की तरफ भी देख रही थी संजू भी उसके आते ही तिरछी नजर उसके खूबसूरत बदन पर डाल चुका था इसलिए बार-बार चोर नजरों से उसे देख ले रहा था,,, काव्या की बेहद खूबसूरत सुडोल बदन वाली खूबसूरत लड़की थी एक मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ था उसके पास पीली रंग की टीशर्ट में उसकी चुचियों का उभार बेहद कामुकता भरा नजर आ रहा था,,, जिस पर बार-बार संजू की नजर चली जा रही थी,,,, लेकिन मनीषा काव्या की उपस्थिति से असहज महसूस कर रही थी,, काव्या का इधर आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,,।

देखते ही देखते समय गुजर गया और कोचिंग क्लास छूट गई सभी स्टूडेंट कोचिंग क्लास से निकल गए और क्लास में रह गए केवल मनीषा काव्या और संजू,,, मौजूदा हालात को देखते हुए मनीषा को ना चाहते हुए भी संजू को काव्या से अवगत कराना पड़ा,,,।


संजू यही मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड काव्या,,, और काव्या यह है संजू,,,,
(काव्या संजू को करीब से देखी तो देखती ही रह गई उसके मोहक आकर्षक व्यक्तित्व के आगे वह धराशाई होती हुई नजर आने लगी वो खुद ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस से हाथ मिलाने चाहिए तो संजू भी उसकी खूबसूरती के आगे अपने आप को रोक नहीं पाया और हाथ आगे बढ़ा कर काव्या से हाथ मिलाने लगा उसकी गोरी नरम नरम हथेली के साथ-साथ उंगलियों का स्पर्श महसूस करते ही संजू के लंड में हलचल होने लगी,,,,)

तुमसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई संजू,,,,


और मुझे भी काव्या,,,(संजू मुस्कुराते हुए बोला मनीषा दोनों की हरकतों को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल भून रही थी,, संजू मनीषा का चचेरा भाई था लेकिन ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे वह उसका भाई नहीं बल्कि उसका प्रेमियों और वह अपने प्रेमी को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी,,,,, मनीषा चाह कर भी दोनों के बीच में कुछ बोल नहीं पा रही थी और काव्य इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा रही थी,,,,)

इस कोचिंग कलास की सफलता प्राप्ति में मनीषा को मुझे पार्टी देने वाली नहीं है लेकिन संजू तुम तो मुझे पार्टी दे सकते हो,,,,

हां हां क्यों नहीं काव्या,,,,,, मैं अभी सबके लिए कुछ नाश्ता लेकर आता हूं,,,, मनीषा दीदी अपनी स्कूटी की चाबी देना तो,,,

मेरी स्कूटी में पेट्रोल कम है फिर वापस जाने में दिक्कत हो जाएगी,,,,

लो संजू तुम मेरी स्कूटी ले जाओ,,, नीचे पार्किंग में लाल रंग की स्कूटी है उस पर भी मेरा नाम लिखा हुआ है तो पहचान जाओगे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बेंच पर बैठे हुए ही अपने पर्स में से अपनी स्कूटी की चाबी निकालने लगी और संजू की नजर उसके पीली टीशर्ट में से नजर आती हुई उसकी दोनों गोलाइयों पर पड़ गई,,, संजू काव्या की सूचियों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था और काव्या अपने पर्स में से चाबी निकालकर संजू को थमा दी संजू काव्या के हाथों से स्कूटी की चाबी लेकर तुरंत बाहर आ गया और उसे काव्या की स्कूटी ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई,,,, मनीषा अंदर ही अंदर काव्या से एकदम जलने लगी थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन का पिया को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसका यहां आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है और वैसे भी काव्या को उन दोनों के बीच किसी भी प्रकार के रिश्ते के पनपने की शंका ही नहीं थी क्योंकि दोनों चचेरे थे और संजू उसे मनीषा दीदी कहकर बुलाता था,,,,)

यार मनीषा संजू कितना हैंडसम है उसके चेहरे पर कितनी मासूमियत है और उसकी बॉडी कितनी डिवेलप है ऐसा लगता है कि किसी फिल्म का हीरो हो मैं तो कसम से तेरे चचेरे भाई को देखती ही रह गई,,,


चल अब ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत कर वह ऐसा वैसा लड़का नहीं है,,,

यार मनीषा लड़के तो सब एक जैसे ही होते हैं बस इशारे की देर होती है,,,, वरना संजू भी उन्हीं लड़कों में से है जिन्हें इस उम्र में लड़कियों के दोनों टांगों के बीच की ही ज्यादा जरूरत होती है,,,


कैसी बातें कर रही है काव्या,,,, कोचिंग क्लास में इस तरह की बातें शोभा नहीं देती कोई सुन लेगा तो हम लोगों की इमेज खराब हो जाएगी,,,


सॉरी सॉरी बाबा मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी,,,,।
(दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि संजू आ गया और स्कूटी की चाबी काव्या गौतम आते हुए पॉलीथिन की थैली में से समोसे कचोरी और पेप्सी का कैन निकालने लगा,,,, यह देखकर काव्या बोली,,)

यह हुई ना बात संजू तुमने तो सच में पार्टी दे दी,,,
(मनीषा को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी देखते ही देखते संजू ने तीन प्लेट लगा दिया और तीनों में एक समोसा एक कचोरी रख दिया और मनीषा और काव्या को थमा दिया और खुद भी खाने लगा संजू तिरछी नजरों से काव्या की तरफ देख रहा था खासकर के पीली टी-शर्ट में भरी हुई उसकी दोनों चूचियां और टी-शर्ट के अंदर से झांकती हुई उसकी चुचियों के बीच की पतली लकीर जिसे देखकर वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, काव्या भी चोर नजरों से संजू की तरफ देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे,,,, एक लड़की होने के नाते दोनों की यह हरकत भला मनीषा से कैसे चुप ही रह सकती थी मनीषा भी उन दोनों की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल रही थी वह किसी भी तरह से संजू को रोकना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि संजू काव्या की तरफ आकर्षित हो क्योंकि मन ही मन मनीषा उसे चाहने लगी थी,,,,।

जैसे तैसे करके तीनों ने अपना अपना नाश्ता खत्म करके पेप्सी पीना शुरू कर दी और बात ही बात में काव्या एक बार फिर से मनीषा का दिल जलाने वाली बात कर दी,,,

यार संजू तुम इतना अच्छा पढ़ाते हो मुझे भी पढ़ा दिया करो मेरी इंग्लिश थोड़ी कमजोर है,,,

जरूर तुम भी चली आया करो कोचिंग क्लास,,,

नहीं नहीं यहां नहीं प्राइवेट में मेरे घर पर,,,,,

हां हां क्यों नहीं बोलो कब से पढ़ाना है,,,


जब से तुम कहो मैं तो हमेशा तैयार हूं,,,


नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है,,,,(दोनों की बातों को सुनकर मनीषा एकदम से बीच में कूदते हुए बोली) संजू को और भी काम रहते हैं वह प्राइवेट में नहीं पढ़ा सकता,,,

नहीं दीदी मैं पढ़ा लूंगा,,,,


लेकिन मैंनेज कैसे करोगे,,,,


कर लूंगा दीदी,,,,


हां मनीषा संजू मैनेज कर लेंगे थोड़ा बहुत मुझे पढ़ा देंगे तो फाइनल एग्जाम में मुझे भी राहत मिल जाएगी,,,


ठीक है तुम दोनों जैसा ठीक समझो,,,,,


चलो तब तय है कल से संजू तुम मेरे घर आ जाना मैं तुम्हें एड्रेस बता दूंगी,,, लेकिन तुम्हारा मोबाइल नंबर तो मुझे मालूम ही नहीं है,,,

अरे हां मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,,,
(मनीषा की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह बहुत गुस्से में थी लेकिन अपना गुस्सा जाहिर नहीं होने दे रही थी कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के बाद ही संजू ने एक छोटा सा मोबाइल ले लिया था और अपना नंबर काव्या को दे दिया काव्या अपने मोबाइल में नंबर सेट करके उसे सेव कर ली थी,,,, थोड़ी ही देर में काव्या मनीषा और संजू के साथ बाहर आई और अपनी स्कूटी पर बैठ कर चली गई,,,, और संजू भी ऑटो पकड़ कर अपने घर की तरफ चला गया मनीषा अपने घर पर पहुंचकर बहुत परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें काव्या की हरकत से वह अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,,,, वह जानती थी कि जिस तरह से वह कोचिंग क्लास में बात कर रही थी कि मर्दों को केवल लड़कीयों कि दोनों टांगों के बीच पहुंचना रहता है वह अपना कथन सच कर देगी वह संजू को जरूर अपनी दोनों टांगों के बीच ले लेगी और फिर संजू उसका गुलाम बन जाएगा ऐसा सोचकर मनीषा पूरी तरह से परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा संजीव को रोकना चाहती थी वह काव्या से दूर रखना चाहती थी क्योंकि संजू के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था,,,,, वह मोबाइल हाथ में लेकर अपनी बालकनी में इधर से उधर घूम रही थी वह संजू को फोन लगाना चाहती थी और संजू को फोन पर सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं था वह उस से रूबरू मुलाकात करना चाहती थी लेकिन अभी समय बहुत हो रहा था इसके लिए वह संजू से कुछ बोल नहीं पाई,,,,,,,।

दूसरी तरफ संजू खाना खा रहा था साथ में उसकी मां और उसकी बहन भी खाना खा रही थी,,,,,,, खाना खाते समय आराधना का आंचल उसके कंधे पर से नीचे सरक गया था जिससे उसकी मद भरी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में अपना उभार लिए हुए नजर आ रही थी और उसके ऊपर का एक बटन खुला नहीं था बल्कि टूट चुका था जिस पर संजू की नजर पड़ते ही पेंट में उसका लंड दंगल मचाने को तैयार हो गया,,,,,,, संजू खाना खाते समय तिरछी नजरों से अपनी मां की चूची की तरफ देख रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि ब्लाउज के अंदर उसकी मां ने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से,,, उसकी सूची की निप्पल खजूर की तरह ब्लाउज के ऊपर से ही उप्सी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर संजू के मुंह में पानी आ रहा था मोहिनी भी अपने भाई की नजर से वाकिफ हो चुकी थी वह भी अपने भाई की तिरछी नजरों को देखकर दंग रह गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसका भाई उसकी मां की चुचियों को देख रहा है और इस बात की उसके मन में खुशी भी थे क्योंकि वह भी चाहती थी किसी तरह से उसकी मां उसके भाई से चुदवाना शुरू कर दे ताकि बाहर का कोई इतनी खूबसूरत औरत के साथ गलत ना कर सके,,,, मोहिनी अपने भाई की हरकत को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन उसकी मां बिल्कुल भी उन दोनों की ओर ध्यान नहीं दे रही थी और खाना खाने में मस्त बोलते इसलिए नजर बचाकर मोहिनी अपने भाई के हाथ पर अपनी कोहनी से मारकर इशारा करते हुए उसे आंख मार दी संजू भी अपनी बहन का इशारा पाकर और ज्यादा मस्ती में आ गया था और अपनी बहन की उपस्थिति में ही अपनी मां से बोला,,,।)

मम्मी तुम्हारे ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है,,, तुम बटन लगाना भूल गई कि अभी अभी टूटा है,,,,।
(आराधना अपने बेटे के बात को सुनकर अपनी स्थिति पर गौर कर पाती इससे पहले ही संजू फिर से अपना दूसरा पासा फेंकते हुए बोला,,,) और मम्मी तुमने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी हो सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा है,,,,.
(इस बार आराधना एकदम से झेंप गई वह अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसे भी इस बात का आभास हुआ कि उसके ब्लाउज का ऊपर का बटन टूटा हुआ है और उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया है और आज उसने जल्दबाजी में ब्रा भी नहीं पहनी थी,,,,,, उसका गोरा मुखड़ा शर्म से लाल हो गया हुआ तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके अपने कंधे पर डाल दी और अपनी छातियों को साड़ी के पल्लू के नीचे छुपा ली,,, उसे ऐसा करता हुआ देखकर मोहिनी भी चुटकी लेते हुए बोली,,,)


क्या करती हो मम्मी ब्लाउज तो ढंग का पहन लिया करो तुम्हें ऑफिस जाना पड़ता है अगर इसी हाल में ऑफिस पहुंच गई तो देखने वालों का तो होश उड़ जाएगा और तुमने ब्रा भी नहीं पहनी हो भाई ठीक कह रहा है ऐसे में तुम्हारा आधा तो बाहर झूल रहा है,,,,।
(मोहिनी की बात सुनते ही शर्म के मारे और आश्चर्य से आराधना का मुंह खुला का खुला रह गया और वह उसे चुप कराते हुए बोली)

चुपकर बेशरम जल्दी से खाना खत्म कर मुझे पता है मुझे क्या करना है,,,,(आराधना यह बात गुस्से में बोली थी इसलिए दोनों एकदम खामोश हो गए थे और खाना खा रहे थे खाना खत्म करते ही,,,, संजू थोड़ा हवा लेने के लिए घर से बाहर निकल गया और मोहिनी अपनी मां का हाथ बताने लगी तो आराधना उससे बोली)

मैंने तुझे जरा भी शर्म है कि नहीं अपने भाई के सामने ऐसी बातें करती है,,,

ऐसा क्या कह दी मम्मी जो कुछ कही थी सच तो कही थी तुम्हारे ब्लाउज के बटन टूटा हुआ है और भाई ने भी तो यही कहा,,,

कहां तू कहां लेकिन तूने क्या कही आधा बाहर झुल रहा है,, अपने भाई के सामने यह सब कहते हुए तुझे शर्म नहीं आती है इतनी बड़ी हो गई लेकिन तुझे जरा भी अक्ल नहीं है कि कहां क्या कहा जाता है,,,

क्या मम्मी तुम भी कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर रही हो आखिर इस घर में हम तीनों के सिवा है कौन ऐसा भी तो नहीं था कि मैं किसी और के सामने कह रही थी अपने भाई के सामने ही कहीं ना,,,

अरे बुद्धू अब तुझे कैसे समझाऊं तो उसकी गैर हाजरी में मुझसे यह कहीं होती तो मैं तुझे कुछ नहीं कहती लेकिन वह एक लड़का है वह लड़कों के सामने औरतों कि ईस तरह की बातें नहीं की जाती समझ में आया,,,

ठीक है मम्मी आगे से ऐसा नहीं होगा बस,,,
(और इतना कहकर दोनों फिर से अपने-अपने काम में लग गए मोहिनी बात को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती थी क्योंकि अगर वह बात को आगे बढ़ाती तो हो सकता था उसकी मां को इस बात का शक हो जाए कि उसकी लड़की गलत राह पर चल पड़ी है और इसीलिए वह किसी तरह से बात को वही खत्म कर दी थी लेकिन काम करते समय आराधना के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी अपने बेटे के द्वारा कहा गया एक-एक शब्द को याद करके वह उत्तेजित हो जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे ने ऐसे खुले शब्दों में उसी से कैसे कह दिया कि ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है और वह ब्रा भी नहीं पहनी है उसे भी अपनी बहन की उपस्थिति का जरा भी बाहर नहीं रहा और ना ही एक मां के सामने इस तरह के शब्दों का उपयोग करने में उसे जरा भी शर्म नहीं आई,,,, आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने बेटे को समझाए उसकी हरकत को देखते हुए आराधना को इस बात का एहसास हो गया था कि संजू उसकी खूबसूरती का दीवाना हो चुका है लेकिन वह अपना निशाना गलत जगह लगा रहा है उसे आकर्षण और वासना इन्हें इतना अंधा और नासमझ कर दिया है कि वह आपसी रिश्तो को भी नहीं पहचान रहा है,,, आराधना बड़े ही धर्म संकट में फंसी हुई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे को कैसे समझाएं लेकिन इस बात से उसे इनकार भी नहीं था कि उसकी इन हरकतों की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी बदन में उत्तेजना का संचार होने लगता था खास करके उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार हमेशा गीली होने लगती थी,,,,,, इन्हीं सब खयालों में खोए हुए वहां अपने सारे काम खत्म करके अपने कमरे में चली गई थोड़ी ही देर में संजू घर में वापस लौटा तो मोहिनी का दरवाजा बंद था लेकिन उसकी मां की कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था जिसमें से ट्यूबलाइट की रोशनी आ रही थी वह बाहर का दरवाजा बंद करके उस पर कड़ी लगाकर अपने कमरे मैं जाने वाला था कि तभी उसके मन में क्या हुआ वह अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया और जैसे ही थोड़े से खुले हुए दरवाजे को धक्का देकर खोला तो बिस्तर पर बैठी हुई उसकी मां के होश उड़ गए और तुरंत उसकी उंगली में सुई चुभ गई,,,,
आराधना अपने बेटे और बेटी की बात को सुनकर वह कमरे में आकर अपना ब्लाउज उतार कर उसमें बटन टांग रही थी और अपने बदन पर चादर डाल रखी थी लेकिन संजू के द्वारा इस तरह से दरवाजा खोलने पर वह पूरी तरह से चौक गई थी और उसके हाथ की उंगली में सोई चुभ गई थी जिसकी वजह से उस में से खून निकलने लगा था संजू भैया देखकर एकदम हैरान हो क्या और तुरंत दौड़ता हुआ आया और एकदम से अपनी मां के कदमों घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत उसका कलाई पकड़ कर उसकी उंगली को जिस में से खून निकल रहा था उसे अपने मुंह में भर कर उसके खून को चूसने लगा या देखकर आराधना पूरी तरह से गनगना गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने हाथ को पीछे लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन संजू ने उसकी कलाई को कस के पकड़ रखा था और उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर उसके खून को बंद करने की कोशिश कर रहा था आराधना के तन बदन में आग लगने लगी थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके सामने बैठा हुआ उसका बेटा नहीं बल्कि उसका प्रेमी है और उसके चोट लग जाने पर वह पूरी तरह से परेशान है और उसकी परेशानी दूर करने के लिए उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर चूस रहा है,,,, यह सब आराधना के लिए बिल्कुल नया था उसके तन बदन में उत्तेजना की फुहार फूटने लगी थी,,,,।

अद्भुत और मादकता से भरा हुआ यह दृश्य धीरे-धीरे दोनों को मदहोश कर रहा था संजू को अपनी मां की उंगली अपने मुंह में लेकर चूसने में इतना अधिक मजा आ रहा था कि पूछो मत उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की चूची की निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा हो,,, संजू पूरी तरह से अपनी मां की उंगली को अपनी मां की चूची की निप्पल समझकर उसे चूसने में मशगूल हो चुका था आराधना भी अपने बेटे की हरकत की मदहोशी में खोने लगी थी उसे भी अपनी स्थिति का भान बिल्कुल भी नहीं था अभी तक संजू का ध्यान केवल अपनी मां की उंगली पर था लेकिन जैसे ही उसकी नजरें अपनी मां की छातियों पर गई उसके होश उड़ गए,,,,, संजू को अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां अपना ब्लाउज उतार कर उसने बटन लगा रही थी उसकी नंगी चूचियां संजू की आंखों के सामने नृत्य कर रही थी आराधना थोड़ा सा झुकी हुई थी इसलिए उसकी दोनों खरबूजे जैसी सूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी जिसे देखने में संजू को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आम के बगीचे में आम के पेड़ पर लटक रहे दशहरी आम को जी भर कर देख रहा हो और उन्हें पाने की लालसा में लार टपका रहा हो,,,,,,, जैसे ही आराधना का ध्यान अपने बेटे की नजरों पर गई और उसकी नजरों की सीधान को वह अपनी छातियों पर खत्म होता हुआ महसूस की तो वैसे ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे के सामने अपनी छातियों को छुपाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ट्यूबलाइट की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसे भी इस बात का अंदाजा था कि उसकी चूचियां उसके बेटे को एकदम साफ नजर आ रही हैं और अपने बेटे की आंखों में वह अपनी चूची की मस्ती की चमक एकदम साफ देख पा रही थी ,,, आराधना को अपने बेटे की आंखों में मदहोशी नजर आ रही थी उसकी खूबसूरत जवानी का नशा नजर आ रहा था वह अच्छी तरह से देख पा रही थी कि उसकी मदहोश जवानी में उसका बेटा पूरी तरह से खो चुका है,,, अपने बेटे की आंखों में हूं चलती हुई मस्ती को देखकर आराधना भी अपना आपा खोने लगी थी संजू काफी देर से देख रहा था कि उसकी मां को पता होने के बावजूद भी अपनी चुचियों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही है तो संजू की हिम्मत पड़ने लगी और संजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची को पकड़ लिया उसे अपनी हथेली में लेकर संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पूरी दुनिया को अपनी हथेली में भर लिया हो रख लिया हो और वह धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया पल भर में ही आराधना के तन बदन में आग लगने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी संजू अपनी मां की मूली को अपने मुंह में लिए हुए ही दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाया और दोनों हाथों से अपनी मां के लटक रहे जैसे चुचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया उसे इस बात का आभास था कि स्तन मर्दन से औरतों की उत्तेजना जाग जाती है और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में लेना चाहता था अपनी मां की चूची दबाकर उसे उत्तेजित करना चाहता था इसी कार्य में वह पूरी तरह से लग चुका था और धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था पल भर में ही आराधना का चेहरा उत्तेजना के मारे एकदम लाल हो चुका था धीरे-धीरे संजू अपनी जगह से ऊपर की तरफ उठा और अपने मुंह से अपनी मां की उंगली को बाहर निकालकर धीरे से अपनी मां की चूची को पकड़े हुए उसे बिस्तर पर लेट आने लगा उसकी मां पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के आगे मंत्रमुग्ध हो गई थी जैसा संजू कर रहा था वैसे ही आराधना होती जा रही थी। ,, देखते ही देखते संजू अपनी मां को बिस्तर पर लिटा दिया पीठ के बल आराधना लेट चुकी थी कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी भी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी जिसे संजू जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था देखते ही देखते आराधना के मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज उठने लगी थी जिसे सुनकर संजू पागल हुआ जा रहा था और देखते ही देखते वह अपने प्यासे होठों को अपनी मां की चूची की तरफ बढ़ाया और देखते ही देखते अपनी मां की चूची को मुंह में भर लिया और उसे पीना शुरु कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबना शुरू कर दी थी वह अपने बेटे की हरकत को देखकर वह पूरी तरह से काम आतुर हुए जा रही थी उसे अपनी चूत पानी छोड़ते हुए महसूस हो रही थी बरसों के बाद किसी ने उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु किया था,,,, इसलिए वह अपने बेटे की हरकत पर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,, देखते ही देखते वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटकने लगी और तभी बगल में बर्तन के गिरने और दरवाजा खुलने की आवाज‌ आई तो उसे एकदम से होश आया और वह तुरंत संजू को अपने ऊपर से उठाने लगे लेकिन संजू पूरी तरह से हम मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहा था वह अपनी मां की चूची को बारी-बारी से पीना शुरू कर दिया था,,,।

मोहिनी जाग गई है,,,(आराधना एकदम घबराए स्वर में बोली संजू इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ था कि अगर उसकी बहन मोहिनी दोनों को ही सहादत में देख भी लेती तो गुस्सा करने की जगह वह खुश हो जाएगी लेकिन वहां अपनी मां को मोहिनी की आंखों के सामने बेइज्जत होते हुए नहीं देखना चाहता था इसलिए तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए उठकर खड़ा हो गया और तुरंत आराधना भी उठ कर बैठ गई संजू ने तुरंत चादर को अपनी मां के बदन पर डाल दिया और उसके हाथों से गिरा ब्लाउज और सुई धागा लेकर खुद ही बटन लगाने का नाटक करने लगा तब तक मोहिनी दरवाजे पर आ चुकी थी और दरवाजे पर खड़ी होकर बोली)

भाई तुम मम्मी के ब्लाउज में बटन लगा रहे हो,,,

हां मोहिनी वो क्या है ना कि मम्मी की उंगली में सुई छुप गई थी इसके लिए मैं लेकर बटन लगा रहा हूं,,,
(इतना सुनकर मोहिनी अपने भाई के पजामे की तरफ देखी तो सारा मामला उसे समझ में आ गया था उसे समझते देर नहीं लगी थी कि कुछ देर पहले उसके आने से पहले यहां पर कुछ और चल रहा था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन फिर भी वह कमरे में आते हुए बोली)

लाओ भाई तुमसे नहीं होगा मैं लगा देती हूं,,,(इतना कहकर मोहिनी अपने भाई के पास आई और उसके हाथ से अपनी मां का ब्लाउज लेकर उसमें बटन लगाने लगे तब तक आराधना की नजर अपने बेटे के पजामे की तरफ गई तो एकदम पूरी तरह से चौक गई उसकी पैंट में तंबू बना हुआ था और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटी की नजर उसके भाई के बने तंबू पर पड़े इसलिए वह 1 बहाने से बोली)


संजू अब तू जा मोहिनी लगा देगी जाकर आराम कर,,,,
(संजू भी ज्यादा कुछ बोला नहीं और मुस्कुराता हुआ अपनी मां के कमरे से बाहर चला गया थोड़ी ही देर में मोहिनी भी अपनी मां के ब्लाउज में बटन लगाकर उसे दे दी और वापस अपने कमरे मैं चली गई आराधना तुरंत खड़ी हुई और ब्लाउज पहनकर अपने दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा ले क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा फिर से ना आ जाए वह बिस्तर पर बैठ कर मन ही मन अपनी स्थिति पर शर्मिंदा होने लगी और इस इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ उसकी बेटी आ गई वरना आज जरूर कुछ ना कुछ हो जाता और दूसरी तरफ संजू मोहिनी का इंतजार कर रहा था मोहिनी के आते ही वह तुरंत मोहिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बदन से उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया क्योंकि कुछ देर पहले की उत्तेजना वह अपनी बहन को चोद कर शांत कर देना चाहता था मोहिनी मुस्कुराते हुए अपने भाई से बोली,,,

कमरे में क्या हो रहा था,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो मैं मम्मी की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाया,,,

क्या भाई तू सच कह रहा है,,,

हारे मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,,,(अपनी बहन की चूची को दबाते हुए बोला)

लेकिन यह हो कैसे गया,,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया मेरी बाहों में आ गई हो मैंने तो मां की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथ से दबाया भी और उन्हें बिस्तर पर लेटा कर उनकी दोनों चूची को मुंह में लेकर जी भरकर पिया,,,

मममी ने कुछ बोला नहीं,,,,,

अरे वह क्या बोलती उनकी तो हालत मैंने खराब कर दिया था वह तो गर्मागर्म सिसकारी ले रही थी मानो कि जैसे मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया,,,,


फिर क्या हुआ भाई,,,

फिर क्या फिर तू आ गई और सारा मामला खत्म हो गया अगर तू थोड़ी देर और नहीं आई होती तो आज मैं अपने लंड को मम्मी की चूत में डाल ही दिया होता,,,

धत् तेरी की मैं भी गलत समय पर आ गई,,,


चल कोई बात नहीं मेरी रानी आधा सफर तो तय हो गया है हम मंजिल दूर नहीं है देखना एक ना एक दिन में मम्मी की दोनों टांगों के बीच पहुंच ही जाऊंगा,,,,( और इतना कहने के साथ ही,, संजू अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर अपने खड़े लंड को अपनी बहन की चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया और तब तक चोदता रहा जब तक कि दोनों एकदम शांत नहीं हो गए,,,,।)
Adbhut mast fantastic super hot update
 

Mass

Well-Known Member
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Super Hot update Rohnny Bhai...logon ko samajhna chahiye ki itna accha aur lamba update dene ke liye thoda time to lagta hi hain :)
Next ab hopefully Sanju aur Aaradhna ki baari hain :)
rohnny4545
 
Last edited:

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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भाई संजू और मनीषा की शादी कराना लास्ट में वैसे भी चचेरे ममेरे मौसेरे भाई बहनों में शादी allowed होती है,
And संजू और मनीषा के physical होने को थोड़ा बचा कर रखना लास्ट के लिए, तब तक लव स्टोरी को धीरे धीरे चलने दो

कहानी सही जा रही, अच्छी पेस
पर है
और हा हो सके तो आपकी बाकी स्टोरी की लिंक बना कर अपने signature में डाल दो ताकि बाकी रीडर्स को स्टोरी ढूंढने में दिक्कत न हो


Signature वाला option log out के ठीक ऊपर है
स्टोरी के लिए धन्यवाद
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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56,827
259
संजू की कामलीला लगातार जारी थी वह रोज रात को अपनी बहन की जमकर चुदाई करता था चुदवा चुदवा कर मोहिनी की बुर और ज्यादा खूबसूरत और रसीली हो चुकी थी उसके बदन में भराव आना शुरू हो गया था चुचियों का उठाव थोड़ा और बढ़ गया था नितंबों का घेराव सुडोल और बेहद खूबसूरत आकर्षक होता जा रहा था मोहिनी पहले से ही बला की खूबसूरत थी लेकिन अपने भाई के हाथों से जी भर कर चुदवाने के बात उसकी जवानी और ज्यादा महकने लगी थी जिसकी खुशबू कॉलेज के सभी लड़कों में उत्तेजना जगा रहे थे लेकिन मोहिनी किसी को भी भाव नहीं देती थी,,,। दूसरी तरफ अपनी बहन से पूरी तरह से रजामंदी पाकर संजू अपनी मां को उकसाने में पूरी तरह से लग गया था वह किसी भी तरह से अपनी मां को चोदना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसका नंगा बदन हमेशा से संजू की उत्तेजना का प्रमुख कारण रहा था और अब तो उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी मां भी अंदर ही अंदर प्यासी है क्योंकि अशोक महीनों से घर नहीं आया था एक औरत के बदन की प्यास एक औरत को किस कदर मजबूर कर देती है वह अपनी मौसी की हालत को देखकर अच्छी तरह से जानता था,,,, ऐसा नहीं था कि आराधना के तन बदन में उत्तेजना की आग नहीं लगती थी रह रहे कर उसे भी बदन की प्यास सताने लगती थी पुरुष संसर्ग के लिए वह भी तड़पने लगती थी लेकिन,, किसी भी तरह से वह अपने आप को संभाल ले जाती थी उसी के चलते तो वह बेहद माधव और कामोत्तेजना से भरा हुआ सपना देखी थी जिसमें वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग करके तृप्त हो रही थी,,,, और उस सपने के चलते वह इतनी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि उसे सपना भी हकीकत लग रहा था,,,,,,

संजु का अपनी चचेरी बहन मनीषा के प्रति भी लगाव था,,, क्योंकि वह पहली बार में ही मनीषा को केवल एक छोटी सी टीशर्ट और पेंटी में देख चुका था उसके नंगे गोरे बदन को देख कर उस समय भी उसके तन बदन में आग लग गई थी लेकिन,,, लेकिन अपने बदन की गर्मी उसने उसकी मां की चुदाई करके मिटाया था लेकिन जब से दोनों साथ मिलकर कोचिंग क्लास करने लगे थे तब से संजू का लंड मनीषा को देखकर टन टना जाता है लेकिन वह मनीषा के मन में क्या चल रहा है इस बात से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था इसलिए वह आगे बढ़ने से डरता था किसी हद तक मनीषा का भी आकर्षण संजू की तरफ बढ़ता जा रहा था वैसे भी संजू बेहद आकर्षक और कसरती बदन का लड़का था,,,। कोचिंग क्लास बहुत बढ़िया चल रही थी देखते ही देखते कोचिंग क्लास का नाम फेमस होने लगा था,,,,।

अपनी सबसे अच्छी सहेली सा कोचिंग क्लास फेमस होता देखकर,,, काव्या जो कि मनीषा की सबसे अच्छी सहेली थी वह उसका कोचिंग क्लास देखने की जिद करने लगी,,,।

अरे यार मनीषा तेरा कोचिंग क्लास तो चल निकला जरा हमें भी तो ले चल हम भी तो देखें कैसा है तेरा कोचिंग क्लास जरूरत पड़ेगी तो हम भी तेरा साथ देंगे,,,


अरे ले चलूंगी काव्या तू भी कहां इतना जिद कर रही है,,,, किसी दिन समय मिलेगा तो तुझे ले चलूंगी,,,,(कॉलेज से छूटकर पार्किंग की तरफ जाते हुए मनीषा काव्या से बोली जो कि वह भी पार्किंग की तरफ ही जा रही थी,,,,)

नहीं ऐसे काम नहीं चलेगा मैं आज ही तेरे कोचिंग आऊंगी आखिरकार मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड का कोचिंग क्लास है और मैंने अभी तक उसकी मुलाकात भी नहीं नहीं हूं यह तो नाइंसाफी है,,,,

तू समझा कर काव्या मैं तुझे खुद ले चलूंगी,,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तो मुझे एड्रेस बता मैं आज शाम को ही पहुंच जाऊंगी आखिरकार तुझसे पार्टी भी तो चाहिए,,,,


पार्टी तो मैं दे दूंगी,,,


वह तो मैं ले ही लूंगी लेकिन तू एड्रेस बता,,,
(काव्या के इतना पीछे पड़ने पर मनीषा कोई बहाना नहीं बना पाई और उसे एड्रेस दे दी और थोड़ी देर में दोनों अपने अपने घर की तरफ निकल गए मनीषा काव्या को कोचिंग क्लास नहीं ले जाना चाहती थी जिसकी वजह था संजू,,,,, क्योंकि वह काव्य को अच्छी तरह से जानती थी और संजू के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि संजू को देखते ही काव्या उस पर लट्टू हो जाएगी और मनीषा ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी क्योंकि कहीं ना कहीं संजू के लिए उसके मन के कोने में आकर्षण था और वह किसी और लड़की को उसके करीब जाने नहीं देना चाहती थी लेकिन उसकी जीद के आगे वह ना चाहते हुए भी उसे एड्रेस दे दी थी,,,,,,,,,,,।

कोचिंग का समय होते ही संजू और मनीषा दोनों अपने-अपने घर से निकल चुके थे और थोड़ी ही देर में कोचिंग क्लास पहुंच चुके थे,,, आज मनीषा चुस्त सलवार और शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी जिसमें उसकी मोटी मोटी जांगे और भी ज्यादा खूबसूरत उभर कर नजर आ रहे थे और साथ ही उसके नितंबों का आकार गोलाकार मटके की तरह नजर आ रहा था जिसे देखकर संजू का लंड बुलबुला छोड़ रहा था,,,,,,,,,,,, अभी तक काव्या कोचिंग क्लास पर नहीं पहुंची थी इसलिए मनीषा को लग रहा था कि वह नहीं आने वाली है और इस बात का उसे राहत थी,,,,,,, क्लास छूटने में 10 मिनट का समय रह गया था तभी काव्या क्लास के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई जिस पर नजर पड़ते मनीषा एकदम से परेशान हो गई,,,,,।

अरे काव्या तुम बहुत लेट आई अब तो क्लास छूटने वाला है,,,

अरे तो क्या हुआ कौन सा मैं इधर कोचिंग क्लास ज्वाइन करने आई हूं मैं तो सिर्फ तुम्हारा यह कोचिंग क्लास देखने के लिए आई थी,,,,(इतना कहने के साथ ही काव्या क्लास के अंदर प्रवेश कर गई और क्लास के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी काफी स्टूडेंट पढ़ रहे थे)
काफी कम समय में तुम्हारी कोचिंग क्लास का बहुत नाम हो गया है मनीषा इस बात की मुझे बहुत खुशी है,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर संजू के ऊपर जाकर ठहर गई जो कि एक स्टूडेंट को कुछ समझा रहा था,,)

यह कौन है मनीषा,,,,?

ये ये,,,, मेरा कजिन है संजू,,,,

वाव काफी हैंडसम है तुम्हारा कजिन,,,,,,,(उसके कसरती गठीला बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) लगता है रोज जिम जाता है,,,,
(मनीषा काव्या की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए अंदर ही अंदर उसे जलन हो रही थी मनीषा कुछ बोल पाती,,, काव्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) यार मनीषा तुम्हारा कजिन इतना हैंडसम है मिलवाओगी नहीं उससे,,,

हां हां क्यों नहीं,,,(मनीषा एकदम बेमन से बोली,,,,) क्लास खत्म हो जाने दो फिर तुम्हें मिलवाती हुं,,,,

ठीक है कोई बात नहीं मैं यहीं पर इंतजार कर लेती हूं,,,,,
(काव्या उसी क्लास में खाली बेंच पर जाकर बैठ गई और बार-बार संजू की तरफ भी देख रही थी संजू भी उसके आते ही तिरछी नजर उसके खूबसूरत बदन पर डाल चुका था इसलिए बार-बार चोर नजरों से उसे देख ले रहा था,,, काव्या की बेहद खूबसूरत सुडोल बदन वाली खूबसूरत लड़की थी एक मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ था उसके पास पीली रंग की टीशर्ट में उसकी चुचियों का उभार बेहद कामुकता भरा नजर आ रहा था,,, जिस पर बार-बार संजू की नजर चली जा रही थी,,,, लेकिन मनीषा काव्या की उपस्थिति से असहज महसूस कर रही थी,, काव्या का इधर आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,,।

देखते ही देखते समय गुजर गया और कोचिंग क्लास छूट गई सभी स्टूडेंट कोचिंग क्लास से निकल गए और क्लास में रह गए केवल मनीषा काव्या और संजू,,, मौजूदा हालात को देखते हुए मनीषा को ना चाहते हुए भी संजू को काव्या से अवगत कराना पड़ा,,,।


संजू यही मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड काव्या,,, और काव्या यह है संजू,,,,
(काव्या संजू को करीब से देखी तो देखती ही रह गई उसके मोहक आकर्षक व्यक्तित्व के आगे वह धराशाई होती हुई नजर आने लगी वो खुद ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस से हाथ मिलाने चाहिए तो संजू भी उसकी खूबसूरती के आगे अपने आप को रोक नहीं पाया और हाथ आगे बढ़ा कर काव्या से हाथ मिलाने लगा उसकी गोरी नरम नरम हथेली के साथ-साथ उंगलियों का स्पर्श महसूस करते ही संजू के लंड में हलचल होने लगी,,,,)

तुमसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई संजू,,,,


और मुझे भी काव्या,,,(संजू मुस्कुराते हुए बोला मनीषा दोनों की हरकतों को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल भून रही थी,, संजू मनीषा का चचेरा भाई था लेकिन ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे वह उसका भाई नहीं बल्कि उसका प्रेमियों और वह अपने प्रेमी को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी,,,,, मनीषा चाह कर भी दोनों के बीच में कुछ बोल नहीं पा रही थी और काव्य इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा रही थी,,,,)

इस कोचिंग कलास की सफलता प्राप्ति में मनीषा को मुझे पार्टी देने वाली नहीं है लेकिन संजू तुम तो मुझे पार्टी दे सकते हो,,,,

हां हां क्यों नहीं काव्या,,,,,, मैं अभी सबके लिए कुछ नाश्ता लेकर आता हूं,,,, मनीषा दीदी अपनी स्कूटी की चाबी देना तो,,,

मेरी स्कूटी में पेट्रोल कम है फिर वापस जाने में दिक्कत हो जाएगी,,,,

लो संजू तुम मेरी स्कूटी ले जाओ,,, नीचे पार्किंग में लाल रंग की स्कूटी है उस पर भी मेरा नाम लिखा हुआ है तो पहचान जाओगे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बेंच पर बैठे हुए ही अपने पर्स में से अपनी स्कूटी की चाबी निकालने लगी और संजू की नजर उसके पीली टीशर्ट में से नजर आती हुई उसकी दोनों गोलाइयों पर पड़ गई,,, संजू काव्या की सूचियों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था और काव्या अपने पर्स में से चाबी निकालकर संजू को थमा दी संजू काव्या के हाथों से स्कूटी की चाबी लेकर तुरंत बाहर आ गया और उसे काव्या की स्कूटी ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई,,,, मनीषा अंदर ही अंदर काव्या से एकदम जलने लगी थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन का पिया को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसका यहां आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है और वैसे भी काव्या को उन दोनों के बीच किसी भी प्रकार के रिश्ते के पनपने की शंका ही नहीं थी क्योंकि दोनों चचेरे थे और संजू उसे मनीषा दीदी कहकर बुलाता था,,,,)

यार मनीषा संजू कितना हैंडसम है उसके चेहरे पर कितनी मासूमियत है और उसकी बॉडी कितनी डिवेलप है ऐसा लगता है कि किसी फिल्म का हीरो हो मैं तो कसम से तेरे चचेरे भाई को देखती ही रह गई,,,


चल अब ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत कर वह ऐसा वैसा लड़का नहीं है,,,

यार मनीषा लड़के तो सब एक जैसे ही होते हैं बस इशारे की देर होती है,,,, वरना संजू भी उन्हीं लड़कों में से है जिन्हें इस उम्र में लड़कियों के दोनों टांगों के बीच की ही ज्यादा जरूरत होती है,,,


कैसी बातें कर रही है काव्या,,,, कोचिंग क्लास में इस तरह की बातें शोभा नहीं देती कोई सुन लेगा तो हम लोगों की इमेज खराब हो जाएगी,,,


सॉरी सॉरी बाबा मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी,,,,।
(दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि संजू आ गया और स्कूटी की चाबी काव्या गौतम आते हुए पॉलीथिन की थैली में से समोसे कचोरी और पेप्सी का कैन निकालने लगा,,,, यह देखकर काव्या बोली,,)

यह हुई ना बात संजू तुमने तो सच में पार्टी दे दी,,,
(मनीषा को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी देखते ही देखते संजू ने तीन प्लेट लगा दिया और तीनों में एक समोसा एक कचोरी रख दिया और मनीषा और काव्या को थमा दिया और खुद भी खाने लगा संजू तिरछी नजरों से काव्या की तरफ देख रहा था खासकर के पीली टी-शर्ट में भरी हुई उसकी दोनों चूचियां और टी-शर्ट के अंदर से झांकती हुई उसकी चुचियों के बीच की पतली लकीर जिसे देखकर वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, काव्या भी चोर नजरों से संजू की तरफ देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे,,,, एक लड़की होने के नाते दोनों की यह हरकत भला मनीषा से कैसे चुप ही रह सकती थी मनीषा भी उन दोनों की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल रही थी वह किसी भी तरह से संजू को रोकना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि संजू काव्या की तरफ आकर्षित हो क्योंकि मन ही मन मनीषा उसे चाहने लगी थी,,,,।

जैसे तैसे करके तीनों ने अपना अपना नाश्ता खत्म करके पेप्सी पीना शुरू कर दी और बात ही बात में काव्या एक बार फिर से मनीषा का दिल जलाने वाली बात कर दी,,,

यार संजू तुम इतना अच्छा पढ़ाते हो मुझे भी पढ़ा दिया करो मेरी इंग्लिश थोड़ी कमजोर है,,,

जरूर तुम भी चली आया करो कोचिंग क्लास,,,

नहीं नहीं यहां नहीं प्राइवेट में मेरे घर पर,,,,,

हां हां क्यों नहीं बोलो कब से पढ़ाना है,,,


जब से तुम कहो मैं तो हमेशा तैयार हूं,,,


नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है,,,,(दोनों की बातों को सुनकर मनीषा एकदम से बीच में कूदते हुए बोली) संजू को और भी काम रहते हैं वह प्राइवेट में नहीं पढ़ा सकता,,,

नहीं दीदी मैं पढ़ा लूंगा,,,,


लेकिन मैंनेज कैसे करोगे,,,,


कर लूंगा दीदी,,,,


हां मनीषा संजू मैनेज कर लेंगे थोड़ा बहुत मुझे पढ़ा देंगे तो फाइनल एग्जाम में मुझे भी राहत मिल जाएगी,,,


ठीक है तुम दोनों जैसा ठीक समझो,,,,,


चलो तब तय है कल से संजू तुम मेरे घर आ जाना मैं तुम्हें एड्रेस बता दूंगी,,, लेकिन तुम्हारा मोबाइल नंबर तो मुझे मालूम ही नहीं है,,,

अरे हां मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,,,
(मनीषा की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह बहुत गुस्से में थी लेकिन अपना गुस्सा जाहिर नहीं होने दे रही थी कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के बाद ही संजू ने एक छोटा सा मोबाइल ले लिया था और अपना नंबर काव्या को दे दिया काव्या अपने मोबाइल में नंबर सेट करके उसे सेव कर ली थी,,,, थोड़ी ही देर में काव्या मनीषा और संजू के साथ बाहर आई और अपनी स्कूटी पर बैठ कर चली गई,,,, और संजू भी ऑटो पकड़ कर अपने घर की तरफ चला गया मनीषा अपने घर पर पहुंचकर बहुत परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें काव्या की हरकत से वह अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,,,, वह जानती थी कि जिस तरह से वह कोचिंग क्लास में बात कर रही थी कि मर्दों को केवल लड़कीयों कि दोनों टांगों के बीच पहुंचना रहता है वह अपना कथन सच कर देगी वह संजू को जरूर अपनी दोनों टांगों के बीच ले लेगी और फिर संजू उसका गुलाम बन जाएगा ऐसा सोचकर मनीषा पूरी तरह से परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा संजीव को रोकना चाहती थी वह काव्या से दूर रखना चाहती थी क्योंकि संजू के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था,,,,, वह मोबाइल हाथ में लेकर अपनी बालकनी में इधर से उधर घूम रही थी वह संजू को फोन लगाना चाहती थी और संजू को फोन पर सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं था वह उस से रूबरू मुलाकात करना चाहती थी लेकिन अभी समय बहुत हो रहा था इसके लिए वह संजू से कुछ बोल नहीं पाई,,,,,,,।

दूसरी तरफ संजू खाना खा रहा था साथ में उसकी मां और उसकी बहन भी खाना खा रही थी,,,,,,, खाना खाते समय आराधना का आंचल उसके कंधे पर से नीचे सरक गया था जिससे उसकी मद भरी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में अपना उभार लिए हुए नजर आ रही थी और उसके ऊपर का एक बटन खुला नहीं था बल्कि टूट चुका था जिस पर संजू की नजर पड़ते ही पेंट में उसका लंड दंगल मचाने को तैयार हो गया,,,,,,, संजू खाना खाते समय तिरछी नजरों से अपनी मां की चूची की तरफ देख रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि ब्लाउज के अंदर उसकी मां ने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से,,, उसकी सूची की निप्पल खजूर की तरह ब्लाउज के ऊपर से ही उप्सी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर संजू के मुंह में पानी आ रहा था मोहिनी भी अपने भाई की नजर से वाकिफ हो चुकी थी वह भी अपने भाई की तिरछी नजरों को देखकर दंग रह गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसका भाई उसकी मां की चुचियों को देख रहा है और इस बात की उसके मन में खुशी भी थे क्योंकि वह भी चाहती थी किसी तरह से उसकी मां उसके भाई से चुदवाना शुरू कर दे ताकि बाहर का कोई इतनी खूबसूरत औरत के साथ गलत ना कर सके,,,, मोहिनी अपने भाई की हरकत को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन उसकी मां बिल्कुल भी उन दोनों की ओर ध्यान नहीं दे रही थी और खाना खाने में मस्त बोलते इसलिए नजर बचाकर मोहिनी अपने भाई के हाथ पर अपनी कोहनी से मारकर इशारा करते हुए उसे आंख मार दी संजू भी अपनी बहन का इशारा पाकर और ज्यादा मस्ती में आ गया था और अपनी बहन की उपस्थिति में ही अपनी मां से बोला,,,।)

मम्मी तुम्हारे ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है,,, तुम बटन लगाना भूल गई कि अभी अभी टूटा है,,,,।
(आराधना अपने बेटे के बात को सुनकर अपनी स्थिति पर गौर कर पाती इससे पहले ही संजू फिर से अपना दूसरा पासा फेंकते हुए बोला,,,) और मम्मी तुमने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी हो सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा है,,,,.
(इस बार आराधना एकदम से झेंप गई वह अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसे भी इस बात का आभास हुआ कि उसके ब्लाउज का ऊपर का बटन टूटा हुआ है और उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया है और आज उसने जल्दबाजी में ब्रा भी नहीं पहनी थी,,,,,, उसका गोरा मुखड़ा शर्म से लाल हो गया हुआ तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके अपने कंधे पर डाल दी और अपनी छातियों को साड़ी के पल्लू के नीचे छुपा ली,,, उसे ऐसा करता हुआ देखकर मोहिनी भी चुटकी लेते हुए बोली,,,)


क्या करती हो मम्मी ब्लाउज तो ढंग का पहन लिया करो तुम्हें ऑफिस जाना पड़ता है अगर इसी हाल में ऑफिस पहुंच गई तो देखने वालों का तो होश उड़ जाएगा और तुमने ब्रा भी नहीं पहनी हो भाई ठीक कह रहा है ऐसे में तुम्हारा आधा तो बाहर झूल रहा है,,,,।
(मोहिनी की बात सुनते ही शर्म के मारे और आश्चर्य से आराधना का मुंह खुला का खुला रह गया और वह उसे चुप कराते हुए बोली)

चुपकर बेशरम जल्दी से खाना खत्म कर मुझे पता है मुझे क्या करना है,,,,(आराधना यह बात गुस्से में बोली थी इसलिए दोनों एकदम खामोश हो गए थे और खाना खा रहे थे खाना खत्म करते ही,,,, संजू थोड़ा हवा लेने के लिए घर से बाहर निकल गया और मोहिनी अपनी मां का हाथ बताने लगी तो आराधना उससे बोली)

मैंने तुझे जरा भी शर्म है कि नहीं अपने भाई के सामने ऐसी बातें करती है,,,

ऐसा क्या कह दी मम्मी जो कुछ कही थी सच तो कही थी तुम्हारे ब्लाउज के बटन टूटा हुआ है और भाई ने भी तो यही कहा,,,

कहां तू कहां लेकिन तूने क्या कही आधा बाहर झुल रहा है,, अपने भाई के सामने यह सब कहते हुए तुझे शर्म नहीं आती है इतनी बड़ी हो गई लेकिन तुझे जरा भी अक्ल नहीं है कि कहां क्या कहा जाता है,,,

क्या मम्मी तुम भी कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर रही हो आखिर इस घर में हम तीनों के सिवा है कौन ऐसा भी तो नहीं था कि मैं किसी और के सामने कह रही थी अपने भाई के सामने ही कहीं ना,,,

अरे बुद्धू अब तुझे कैसे समझाऊं तो उसकी गैर हाजरी में मुझसे यह कहीं होती तो मैं तुझे कुछ नहीं कहती लेकिन वह एक लड़का है वह लड़कों के सामने औरतों कि ईस तरह की बातें नहीं की जाती समझ में आया,,,

ठीक है मम्मी आगे से ऐसा नहीं होगा बस,,,
(और इतना कहकर दोनों फिर से अपने-अपने काम में लग गए मोहिनी बात को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती थी क्योंकि अगर वह बात को आगे बढ़ाती तो हो सकता था उसकी मां को इस बात का शक हो जाए कि उसकी लड़की गलत राह पर चल पड़ी है और इसीलिए वह किसी तरह से बात को वही खत्म कर दी थी लेकिन काम करते समय आराधना के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी अपने बेटे के द्वारा कहा गया एक-एक शब्द को याद करके वह उत्तेजित हो जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे ने ऐसे खुले शब्दों में उसी से कैसे कह दिया कि ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है और वह ब्रा भी नहीं पहनी है उसे भी अपनी बहन की उपस्थिति का जरा भी बाहर नहीं रहा और ना ही एक मां के सामने इस तरह के शब्दों का उपयोग करने में उसे जरा भी शर्म नहीं आई,,,, आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने बेटे को समझाए उसकी हरकत को देखते हुए आराधना को इस बात का एहसास हो गया था कि संजू उसकी खूबसूरती का दीवाना हो चुका है लेकिन वह अपना निशाना गलत जगह लगा रहा है उसे आकर्षण और वासना इन्हें इतना अंधा और नासमझ कर दिया है कि वह आपसी रिश्तो को भी नहीं पहचान रहा है,,, आराधना बड़े ही धर्म संकट में फंसी हुई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे को कैसे समझाएं लेकिन इस बात से उसे इनकार भी नहीं था कि उसकी इन हरकतों की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी बदन में उत्तेजना का संचार होने लगता था खास करके उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार हमेशा गीली होने लगती थी,,,,,, इन्हीं सब खयालों में खोए हुए वहां अपने सारे काम खत्म करके अपने कमरे में चली गई थोड़ी ही देर में संजू घर में वापस लौटा तो मोहिनी का दरवाजा बंद था लेकिन उसकी मां की कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था जिसमें से ट्यूबलाइट की रोशनी आ रही थी वह बाहर का दरवाजा बंद करके उस पर कड़ी लगाकर अपने कमरे मैं जाने वाला था कि तभी उसके मन में क्या हुआ वह अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया और जैसे ही थोड़े से खुले हुए दरवाजे को धक्का देकर खोला तो बिस्तर पर बैठी हुई उसकी मां के होश उड़ गए और तुरंत उसकी उंगली में सुई चुभ गई,,,,
आराधना अपने बेटे और बेटी की बात को सुनकर वह कमरे में आकर अपना ब्लाउज उतार कर उसमें बटन टांग रही थी और अपने बदन पर चादर डाल रखी थी लेकिन संजू के द्वारा इस तरह से दरवाजा खोलने पर वह पूरी तरह से चौक गई थी और उसके हाथ की उंगली में सोई चुभ गई थी जिसकी वजह से उस में से खून निकलने लगा था संजू भैया देखकर एकदम हैरान हो क्या और तुरंत दौड़ता हुआ आया और एकदम से अपनी मां के कदमों घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत उसका कलाई पकड़ कर उसकी उंगली को जिस में से खून निकल रहा था उसे अपने मुंह में भर कर उसके खून को चूसने लगा या देखकर आराधना पूरी तरह से गनगना गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने हाथ को पीछे लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन संजू ने उसकी कलाई को कस के पकड़ रखा था और उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर उसके खून को बंद करने की कोशिश कर रहा था आराधना के तन बदन में आग लगने लगी थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके सामने बैठा हुआ उसका बेटा नहीं बल्कि उसका प्रेमी है और उसके चोट लग जाने पर वह पूरी तरह से परेशान है और उसकी परेशानी दूर करने के लिए उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर चूस रहा है,,,, यह सब आराधना के लिए बिल्कुल नया था उसके तन बदन में उत्तेजना की फुहार फूटने लगी थी,,,,।

अद्भुत और मादकता से भरा हुआ यह दृश्य धीरे-धीरे दोनों को मदहोश कर रहा था संजू को अपनी मां की उंगली अपने मुंह में लेकर चूसने में इतना अधिक मजा आ रहा था कि पूछो मत उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की चूची की निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा हो,,, संजू पूरी तरह से अपनी मां की उंगली को अपनी मां की चूची की निप्पल समझकर उसे चूसने में मशगूल हो चुका था आराधना भी अपने बेटे की हरकत की मदहोशी में खोने लगी थी उसे भी अपनी स्थिति का भान बिल्कुल भी नहीं था अभी तक संजू का ध्यान केवल अपनी मां की उंगली पर था लेकिन जैसे ही उसकी नजरें अपनी मां की छातियों पर गई उसके होश उड़ गए,,,,, संजू को अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां अपना ब्लाउज उतार कर उसने बटन लगा रही थी उसकी नंगी चूचियां संजू की आंखों के सामने नृत्य कर रही थी आराधना थोड़ा सा झुकी हुई थी इसलिए उसकी दोनों खरबूजे जैसी सूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी जिसे देखने में संजू को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आम के बगीचे में आम के पेड़ पर लटक रहे दशहरी आम को जी भर कर देख रहा हो और उन्हें पाने की लालसा में लार टपका रहा हो,,,,,,, जैसे ही आराधना का ध्यान अपने बेटे की नजरों पर गई और उसकी नजरों की सीधान को वह अपनी छातियों पर खत्म होता हुआ महसूस की तो वैसे ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे के सामने अपनी छातियों को छुपाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ट्यूबलाइट की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसे भी इस बात का अंदाजा था कि उसकी चूचियां उसके बेटे को एकदम साफ नजर आ रही हैं और अपने बेटे की आंखों में वह अपनी चूची की मस्ती की चमक एकदम साफ देख पा रही थी ,,, आराधना को अपने बेटे की आंखों में मदहोशी नजर आ रही थी उसकी खूबसूरत जवानी का नशा नजर आ रहा था वह अच्छी तरह से देख पा रही थी कि उसकी मदहोश जवानी में उसका बेटा पूरी तरह से खो चुका है,,, अपने बेटे की आंखों में हूं चलती हुई मस्ती को देखकर आराधना भी अपना आपा खोने लगी थी संजू काफी देर से देख रहा था कि उसकी मां को पता होने के बावजूद भी अपनी चुचियों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही है तो संजू की हिम्मत पड़ने लगी और संजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची को पकड़ लिया उसे अपनी हथेली में लेकर संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पूरी दुनिया को अपनी हथेली में भर लिया हो रख लिया हो और वह धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया पल भर में ही आराधना के तन बदन में आग लगने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी संजू अपनी मां की मूली को अपने मुंह में लिए हुए ही दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाया और दोनों हाथों से अपनी मां के लटक रहे जैसे चुचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया उसे इस बात का आभास था कि स्तन मर्दन से औरतों की उत्तेजना जाग जाती है और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में लेना चाहता था अपनी मां की चूची दबाकर उसे उत्तेजित करना चाहता था इसी कार्य में वह पूरी तरह से लग चुका था और धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था पल भर में ही आराधना का चेहरा उत्तेजना के मारे एकदम लाल हो चुका था धीरे-धीरे संजू अपनी जगह से ऊपर की तरफ उठा और अपने मुंह से अपनी मां की उंगली को बाहर निकालकर धीरे से अपनी मां की चूची को पकड़े हुए उसे बिस्तर पर लेट आने लगा उसकी मां पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के आगे मंत्रमुग्ध हो गई थी जैसा संजू कर रहा था वैसे ही आराधना होती जा रही थी। ,, देखते ही देखते संजू अपनी मां को बिस्तर पर लिटा दिया पीठ के बल आराधना लेट चुकी थी कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी भी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी जिसे संजू जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था देखते ही देखते आराधना के मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज उठने लगी थी जिसे सुनकर संजू पागल हुआ जा रहा था और देखते ही देखते वह अपने प्यासे होठों को अपनी मां की चूची की तरफ बढ़ाया और देखते ही देखते अपनी मां की चूची को मुंह में भर लिया और उसे पीना शुरु कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबना शुरू कर दी थी वह अपने बेटे की हरकत को देखकर वह पूरी तरह से काम आतुर हुए जा रही थी उसे अपनी चूत पानी छोड़ते हुए महसूस हो रही थी बरसों के बाद किसी ने उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु किया था,,,, इसलिए वह अपने बेटे की हरकत पर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,, देखते ही देखते वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटकने लगी और तभी बगल में बर्तन के गिरने और दरवाजा खुलने की आवाज‌ आई तो उसे एकदम से होश आया और वह तुरंत संजू को अपने ऊपर से उठाने लगे लेकिन संजू पूरी तरह से हम मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहा था वह अपनी मां की चूची को बारी-बारी से पीना शुरू कर दिया था,,,।

मोहिनी जाग गई है,,,(आराधना एकदम घबराए स्वर में बोली संजू इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ था कि अगर उसकी बहन मोहिनी दोनों को ही सहादत में देख भी लेती तो गुस्सा करने की जगह वह खुश हो जाएगी लेकिन वहां अपनी मां को मोहिनी की आंखों के सामने बेइज्जत होते हुए नहीं देखना चाहता था इसलिए तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए उठकर खड़ा हो गया और तुरंत आराधना भी उठ कर बैठ गई संजू ने तुरंत चादर को अपनी मां के बदन पर डाल दिया और उसके हाथों से गिरा ब्लाउज और सुई धागा लेकर खुद ही बटन लगाने का नाटक करने लगा तब तक मोहिनी दरवाजे पर आ चुकी थी और दरवाजे पर खड़ी होकर बोली)

भाई तुम मम्मी के ब्लाउज में बटन लगा रहे हो,,,

हां मोहिनी वो क्या है ना कि मम्मी की उंगली में सुई छुप गई थी इसके लिए मैं लेकर बटन लगा रहा हूं,,,
(इतना सुनकर मोहिनी अपने भाई के पजामे की तरफ देखी तो सारा मामला उसे समझ में आ गया था उसे समझते देर नहीं लगी थी कि कुछ देर पहले उसके आने से पहले यहां पर कुछ और चल रहा था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन फिर भी वह कमरे में आते हुए बोली)

लाओ भाई तुमसे नहीं होगा मैं लगा देती हूं,,,(इतना कहकर मोहिनी अपने भाई के पास आई और उसके हाथ से अपनी मां का ब्लाउज लेकर उसमें बटन लगाने लगे तब तक आराधना की नजर अपने बेटे के पजामे की तरफ गई तो एकदम पूरी तरह से चौक गई उसकी पैंट में तंबू बना हुआ था और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटी की नजर उसके भाई के बने तंबू पर पड़े इसलिए वह 1 बहाने से बोली)


संजू अब तू जा मोहिनी लगा देगी जाकर आराम कर,,,,
(संजू भी ज्यादा कुछ बोला नहीं और मुस्कुराता हुआ अपनी मां के कमरे से बाहर चला गया थोड़ी ही देर में मोहिनी भी अपनी मां के ब्लाउज में बटन लगाकर उसे दे दी और वापस अपने कमरे मैं चली गई आराधना तुरंत खड़ी हुई और ब्लाउज पहनकर अपने दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा ले क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा फिर से ना आ जाए वह बिस्तर पर बैठ कर मन ही मन अपनी स्थिति पर शर्मिंदा होने लगी और इस इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ उसकी बेटी आ गई वरना आज जरूर कुछ ना कुछ हो जाता और दूसरी तरफ संजू मोहिनी का इंतजार कर रहा था मोहिनी के आते ही वह तुरंत मोहिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बदन से उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया क्योंकि कुछ देर पहले की उत्तेजना वह अपनी बहन को चोद कर शांत कर देना चाहता था मोहिनी मुस्कुराते हुए अपने भाई से बोली,,,

कमरे में क्या हो रहा था,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो मैं मम्मी की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाया,,,

क्या भाई तू सच कह रहा है,,,

हारे मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,,,(अपनी बहन की चूची को दबाते हुए बोला)

लेकिन यह हो कैसे गया,,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया मेरी बाहों में आ गई हो मैंने तो मां की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथ से दबाया भी और उन्हें बिस्तर पर लेटा कर उनकी दोनों चूची को मुंह में लेकर जी भरकर पिया,,,

मममी ने कुछ बोला नहीं,,,,,

अरे वह क्या बोलती उनकी तो हालत मैंने खराब कर दिया था वह तो गर्मागर्म सिसकारी ले रही थी मानो कि जैसे मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया,,,,


फिर क्या हुआ भाई,,,

फिर क्या फिर तू आ गई और सारा मामला खत्म हो गया अगर तू थोड़ी देर और नहीं आई होती तो आज मैं अपने लंड को मम्मी की चूत में डाल ही दिया होता,,,

धत् तेरी की मैं भी गलत समय पर आ गई,,,


चल कोई बात नहीं मेरी रानी आधा सफर तो तय हो गया है हम मंजिल दूर नहीं है देखना एक ना एक दिन में मम्मी की दोनों टांगों के बीच पहुंच ही जाऊंगा,,,,( और इतना कहने के साथ ही,, संजू अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर अपने खड़े लंड को अपनी बहन की चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया और तब तक चोदता रहा जब तक कि दोनों एकदम शांत नहीं हो गए,,,,।)
Bohot hi garama garam or kamuk update , padhkar Lund ekdum akad gaya bhai. 😁
Awesome Update And very sexy writing Style 👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💯💯💯💯💯💢💢💢🔥🔥🔥🔥🔥🔥 Intzaar rahega Aaradhna ki jabarjust Chudai Ka
 

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भाई बहुत मस्त अपडेट था
आगे क्या होगा इन्जार है
 
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