मां को बेटा ही संभाल सकता हैआराधना रोती रही सुबकती रही,,, अपनी किस्मत को कोसती रही,,,बड़े अरमान से उसने रमेश के साथ विवाह की थी उसे लगा था कि उसे उसके सपनों का राजकुमार मिल गया है,,,, पर शुरू शुरू में सब कुछ सही भी लग रहा था लेकिन कुछ वर्षों में इतना कुछ बदल गया था कि सब कुछ नरक की तरह लगने लगा था,,,,,,,,
अपनी किस्मत को कोसते हुए उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला,,, लेकिन दूसरी तरफ संजु की नींद हराम हो चुकी थी,,,क्योंकि उसने अपनी आंखों से वह देख लिया था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना नहीं किया था और ना ही कभी अनजाने में इस तरह का दृश्य नजर आया था,,,।
वह अपनी मां को बचाने के लिए बगल वाले कमरे में दरवाजा खोलकर घुस गया था इतना तो जानता ही था कि उसकी मां अस्त-व्यस्त हालत में होगी लेकिन अस्त-व्यस्त हालत में भी उसकी मां इतनी खूबसूरत लगती होगी इस बारे में उसने कभी सोचा नहीं था हालांकि उसकी मां बेहद खूबसूरत है लेकिन उस समय उसे कुछ भी सोचा नहीं था और वह बिना सोचे समझे कमरे में घुस गया था जहां पर उसने जो देखा उसे देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे हालांकि ऐसा बिल्कुल भी एक बेटे के लिए अपनी मां के प्रति नहीं होना चाहिए,,, लेकिन यहां माहौल कुछ और था जबसे संजू अपनी मौसी की जमकर चुदाई किया था उसके खूबसूरत अंको से खेला था एक औरत के नाजुक खूबसूरत रंगों से खेलने में कितना आनंद आता है इस अनुभव से गुजरा था तब से उसे हर औरत ने केवल खूबसूरती और संभोग का सूख नजर आता था,,, और वैसे भी रात को वहां अपनी मम्मी-पापा के बीच हो रही गंदी बातों को चलता ही रहता था और अनुमान लगाता रहता था कि अब उसकी मां क्या कर रही है उसके पापा क्या कर रहे हैं इसलिए उसके तन बदन में उत्तेजना के साथ-साथ कल्पनाओं का घोड़ा भी बड़ी तेजी से दौड़ता था,,,।
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जिस समय संजू अपनी मां के कमरे में दाखिल हुआ था उस समय उसके पापा उसकी मां पर झुके हुए थे और उसे मार रहे थे लेकिन उस हाल में,,, उसकी मां का ब्लाउज पूरी तरह से टूट चुका था,,, क्योंकि उसके पापा ने उसकी मम्मी पर वैसी पन दिखाया था उसके ब्लाउज का बटन खोलने की जगह उसे खींचकर फाड़ दिया था जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां गुलाबी रंग की ब्रा में कैद नजर आ रही थी और चुचियों का साइज इतना ज्यादा था कि,,, ऐसा लग रहा है कि मानो ब्लाउज फाड़ के चूचियां बाहर आ जाएंगी,,, ट्यूबलाइट की दूधियां रोशनी में संजू को अपनी मां का खूबसूरत नंगा बदन एकदम साफ नजर आ रहा था उसका मांसल चिकना पेट पतली कमर,,, और पेटीकोट भी उतर जाने की वजह से उसकी गुलाबी रंग की पेंटी नजर आ रही थी जिसे देखते ही,,,संजू की आंखों में आकर्षण और वासना की चमक नजर आने लगी थी इसलिए अपनी मां को तकलीफ में देखने के बावजूद भी वह कुछ देर तक उसके खूबसूरती के आकर्षण में पूरी तरह से खो चुका था और उसे घूर रहा था,,,,,, वह पल संजू के लिए बेहद अजीब था अद्भुत था और बेहद अतुल्य था जिसके बारे में उसने आज तक कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,,,,,
अपनी मां को अर्धनग्न अवस्था में देखकर अपनी मौसी के साथ बिताए पल के बारे में उसे ख्याल आ गया उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी एक बार बुर की रगड़ का सुख प्राप्त कर चुका संजू बार-बार उसी सुख की लालसा में उत्तेजित हुआ जा रहा था अब उसे हर एक औरत में,,, आनंद प्रमोद की अभिलाषा नजर आती थी,,,,।
संजू की नींद हराम हो चुकी अपने कमरे में जाते ही वह अपनी मां के बारे में सोच कर अपने पेंट में हाथ डालकर अपने लंड को बाहर निकाल दिया था और उसके अर्ध नग्न बदन के बारे में सोच सोच कर और कल्पनाओं में जो उसने अपनी मौसी के साथ वास्तविक में चुदाई किया था उसी तरह की कल्पना वह अपनी मां के बारे में करने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि वह जिस तरह से अपनी मौसी की चड्डी को उतारा था उसी तरह से अपनी मां की चड्डी को उतार रहा है और उसकी नमकीन बुर पर अपनी जीभ लगाकर चाट रहा है,,,
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।संजू की कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि उसे सब कुछ वास्तविक सा लग रहा था वह अपनी आंखों को बंद किए हुए था और अपने लंड को धीरे धीरे मुठिया रहा था,,, उत्तेजना की मदहोशी में वो इतना भी भूल गया था कि उसकी मां तकलीफ में थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां के बारे में मदहोश कर देने वाली कल्पना करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था,,,,संजू की कल्पनाओं का घोड़ा अपनी गति पकड़ लिया था और संजू कल्पना में अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपने मोटे और लंबे लंड को हाथ में पकड़ कर उसके गुलाबी छेद पर रख दिया था,,, कल्पना में भी वह अपनी मां की बुर की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर पा रहा था और नतीजा यही होगा कि वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया की कल्पना में भी अपनी मां की चुत में लंड डालने से पहले ही झड़ गया,,,, वह अपनी कल्पना से बेहद हैरान था उसे इस तरह की कल्पना गंदे विचार अपनी मां के बारे में लाना नहीं चाहिए था लेकिन वह मजबूर होता जा रहा था ना चाहते हुए भी उसके जेहन में उसकी मां का ख्याल आ जाता था,,,। अपने आप को संतुष्ट कर के वह सो गया,,,।
Sanju ki kalpna me uski mummy
सुबह सबसे पहले आराधना कि नींद खुली और वह जल्दी-जल्दी अपने दिनचर्या में लग गई,,,,,, आज वह अपने पति को नहीं जगाई क्योंकि धीरे-धीरे वह अपने पति से नफरत करने लगी थी उसकी बातें उसका ईल्जाम सब कुछ उसके कानों में जैसे जहर की तरह घूलता था,,,। वह जल्दी जल्दी खाना बना रही थी और नाश्ता तैयार कर रही थी,,,, पराठा बनाते समय उसके दिमाग में रात वाली बातें चल रही थी,,, उसके बेटे के द्वारा उठाया गया कदम उसे बहुत अच्छा लगा था,,, क्योंकि वह उसे बचाने के लिए आया था,,, एक मां को एक बेटे से यही उम्मीद भी होती है,,,, उसके पति से तो वह अब ना उम्मीद हो चुकी थी,,,,।आराधना अपने मन में ही सोच रही थी कि कैसे उसका पति उसे पीट रहा था और ऐसे में उसके बेटे से रहा नहीं गया और मैं उसे बचाने आ गया और कैसे उसका कॉलर पकड़कर पीछे खींचा था और उसका पति नीचे जा गिरा था फिर दोबारा डंडे से वार करने के चक्कर में फिर से संजू ने उसे नीचे गिरा दिया था,,,,। संजू की यह प्रतिक्रिया आराधना को विचार मांगने कर दी थी वह अपने मन में अब सोचने लगी थी कि उसके बाप की हरकतों से तंग आकर उसका बेटा भी अपने बाप की इज्जत करना बंद कर दिया है तभी तोबिल्कुल भी शर्म किए बिना ही वह अपने बाप के ही कॉलर को पकड़ लिया था और उसे नीचे गिरा दिया था पैसा एक बेटा तभी करता है जब उसका बाप उसकी नजरों से गिर जाता है उसका अत्याचार बढ़ जाता है,,,। आराधना को लगने लगा कि अब उसका बेटा उसके सामने दीवार बनकर खड़ा रहेगा उसका पति उसके साथ अब किसी भी प्रकार की जात्ती नहीं कर पाएगा,,, यह ख्याल मन में आते ही उसके होठों पर मुस्कान आ गई थी,,,
लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि जब उसका बेटा कमरे में दाखिल हुआ था तो वह किस अवस्था में थी,,,,,,,,, उस पल को याद करते ही वह शर्म से पानी-पानी होने लगी,,,,,,क्योंकि उसे ख्याल आ गया था कि जब उसका बेटा कमरे में दाखिल हुआ था तब वह केवल ब्रा और पैंटी में ही थी उसका गोरा बदन उसके बेटे की आंखों के सामने चमक रहा था,,,,। उसका बेटा उसे बचाने आया था और उसे बचाया भी था लेकिन उसकी खूबसूरती देखकर वह दंग रह गया था और घूर कर उसे देख रहा था इस बात का एहसास उस समय आराधना को होते ही वह शर्म से गड़ी जा रही थी,,,,,,एकदम से असमंजस में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह इतनी ज्यादा आ सकते हो गई थी कि बगल में पड़ी चादर भी उठा कर अपने ऊपर डाल सकने की हिम्मत उसने नहीं थी,,,, उसे याद आया कि उसके बेटे को यह ख्याल होते ही कि वह किसको घूर रहा है वह तुरंत बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाकर उसके ऊपर डाल दिया था,,,, अपने बेटे की यह हरकत याद आते ही उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,,।
वह पराठा को तवे पर रखते हुए इस बात के बारे में विचार कर रही थी कि,,,, क्या इस उमर में भी उसकी जवानी पूरी तरह से बरकरार है क्योंकि संजू एक जवान लड़का था उसे तो लड़कियों की खूबसूरत बदन में रुची होना चाहिए था लेकिन,,, वह उस समय जबकि वह परेशान थी मुसीबत में थी सताई हुई थी,,, फिर भी वह उसे प्यासी नजरों से घुर रहा था उसकी खूबसूरत अंगों को ऊपर से नीचे तक अपनी आंखों से जी भर कर देख रहा था,,,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,पर एक बात और उसे परेशान कर रही थी कि उसे कैसे पता चला कि उसका बाप मार रहा है,,, फिर अपने सवाल का जवाब खुद ही देते हुए वह अपने मन में सोची,,, शायद उसके रोने की आवाज सुनकर उसका बेटा आ गया और वो भी तो जोर-जोर से चिल्ला रहा था,,,,फिर वह अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ उसका बेटा सही मौके पर आ गया था क्योंकि उसका पति उसे जानवर की तरह पीट रहा था,,,।
धीरे धीरे खाना और नाश्ता दोनों तैयार हो चुका था रमेश अपने आप उठ कर नहा धोकर तैयार हो गया था ना सब करने के बाद बहुत सीधा-साधा इंसान हो जाता था इसलिए बिना कुछ बोले ही अपना टिफिन लेकर अपनी ड्यूटी पर चला गया मोहिनी भी उठकर तैयार हो गई थी,,,, और वह नाश्ता करके जल्दी कॉलेज के लिए निकल गई थी,,,। घर में केवल संजू और उसकी मा रह गए थे,,,, संजू नहा रहा था,,,,। और आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि कल रात वाले वाक्ये की वजह से वह अपने बेटे से नजर कैसे मिला पाएगी जो समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे के सामने कैसे जाएगी,,,, इसलिए वह रसोई घर में ही इधर उधर का काम करती रही तभी नहा धोकर तैयार होकर संजु रसोई घर में प्रवेश करते हुए बोला,,, और रसोई घर में प्रवेश करते समय उसकी नजर ऐसी थी उसकी मां की गोलाकार गांड पर टकराई जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गांड का उधार कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकला हुआ नजर आ रहा था अपनी मां की मदहोश कर देने वाली कसी गांड देखकर संजू के मुंह से आह निकल गई,,,, और वह बोला,,,।
मम्मी नाश्ता तैयार हो गया है,,,
नाश्ता तो मैंने कब से तैयार कर दी हूं मोहिनी तो नाश्ता करके चली भी गई है तू ही लेट हो गया है,,,।(आराधना बोल तो अपने बेटे से ही रही थी लेकिन उसे नजर नहीं मिला पा रही थी वह अपने आप को दूसरे काम में व्यस्त रखने का बहाना बनाते हुए उससे बात कर रही थी,,,)
ठीक है मम्मी जल्दी से नाश्ता निकाल दो देर हो रही है,,,
तेरा नाश्ता प्लेट में रखा हुआ है,,,
ओहहहह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो,,,(भले ही बेहद सहज रूप से संजू अपनी मां से बातें कर रहा था लेकिन उसके दिमाग में रात वाला ही दृश्य नजर आ रहा था जब वह अपनी मां को बिस्तर पर अर्धनग्न अवस्था में देखा था बार-बार उसकी चूचियों का उठावपन जोकी कसी हुई ब्रा में कुछ ज्यादा ही उभरी हुई नजर आ रही थी वह झलक उसकी आंखों के सामने आ जा रहा था,,।गुलाबी रंग की रंग बिरंगी पेंटी में उसकी मां की मोटी मोटी सुडौल जांघें और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,, और उस रात वाले द्शय को याद करके उसके पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया था,,, वह तुरंत नाश्ता करना शुरू कर दिया वह रसोई घर में ही पलाठी मारकर बैठ गया था,,, ना जाने क्यों इस समय अपनी बेटी की उपस्थिति में आराधना अपने आप को असहज महसूस कर रही थी उसका बदन कसमसा रहा था अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो जैसे किसी को हाथ पैर जमाने लड़के की उपस्थिति में खड़ी हो,,,, आराधना ऐसा पहली बार महसुस कर रही थी जिसका कारण था रात वाला वाक्या,,,,,, जबसे संजीव ने उसे अर्धनग्न अवस्था में देख लिया था तब से आराधना अजीब सी कशमकश में फसी हुई थी,,,।
वह काम करते हुए तिरछी नजरों से संजू की तरफ देख ले रही थी वह बड़ी मासूमियत के साथ बैठकर नाश्ता कर रहा था उसे देखने के बाद उसके मासूम चेहरे को देखने के बाद आराधना को यकीन नहीं हो रहा था कि रात को वह उसे बचाने के लिए उसके कमरे में आया था और उसकी मत मस्त जवानी देख कर उसे प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,,इस समय आराधना के मन में भावनाओं का बवंडर उड़ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या सोचे क्या ना सोचे,,, तभी उसे उसके पति के द्वारा लगाया गया गंदा एग्जाम याद आने लगा कि उसका पति अपने ही बेटे को लेकर उसे बदनाम कर रहा था,,, उसके पति के द्वारा उसकी बेटी के बारे में कहां गया एक एक शब्द शुल कि तरह चुभ रहा था,,,, बार-बार उसके घर के सब उसके कान में गूंज रहे थे कि संजू का जवान लंड से पसंद आ गया है संजू एक ही झटके में उसका पानी निकाल देता होगा,,,, यह सब बातें सोच कर ना जाने क्यों आराधना को गुस्सा भी आ रहा था और उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ हलचल सी महसूस भी हो रही थी,,,,,,,,,यह अनुभव आराधना के लिए बेहद अद्भुत था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने इस अनुभव के एवज में खुश हो या हैरान,,,,।
वह संजू से बात करना चाहती थी लेकिन कैसे करें उसे समझ में नहीं आ रहा था और एक लड़का भी था वह भी रात में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में बात करना चाहता था लेकिन शुरुआत कहां से करनी थी यह उसे समझ में नहीं आ रहा था भाई नाश्ता खत्म करने वाला ही था कि तभी आराधना हिम्मत जुटाते हुए बोली,,,।
रात को तूने जो कुछ भी किया उसके लिए थैंक यू,,,,
कैसी बातें कर रही हो मम्मी,,, वह तो मेरा फर्ज था मां के लिए उसके बेटे का यही फर्ज होता है कि वह उसकी हर हाल में सेवा करें उसकी हिफाजत करें,,,,मैं सुन सुनकर हैरान हो गया था मुझसे रहा नहीं गया जब तुम्हारे रोने की आवाज आने लगी तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं तुम्हें बचाने के लिए कमरे में आ गया,,,,।
तेरे पापा एकदम जानवर हो गए हैं,,,, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता अच्छा हुआ तु सही-समय पर आ गया था वरना तेरे पापा ना जाने मेरा क्या हाल करते ,,,,(आराधना संजू से नजर मिलाए बिना ही बोल रही थी,,)
अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मम्मी भी रोज सुनता आ रहा था सच में पापा जानवर हो गए हैं कल रात को तो हद ही हो गई थी लेकिन अब पापा तुम पर हाथ नहीं उठा पाएंगे,,, क्योंकि तुम्हारे आगे तुम्हारा यह बेटा खड़ा रहेगा,,,
(संजू की यह बातें सुनकर आराधना का दिन खुशी से झूम उठ रहा था,,, उसे इस बात की खुशी थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया था,,, लेकिन उसका इस तरह प्यासी नजरों से घुरना उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था,,,, आराधना अपने मन में यही सोच रही थी उस बारे में बात करे लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन फिर समझदारी दिखाते हुए,,, अपनी उस बात पर पुर्णविराम लगा दी,,, क्योंकि वह क्षेत्र से समझ रही थी कि उसके बारे में जिक्र छेड़ना भी उसके बेटे का मनोबल तोड़ सकता है इसलिए उस बारे में उसने बात भी नहीं की लेकिन वह बोली,,,)
बेटा क्या हम दोनों की बात तु रोज सुनता था,,,
(अपनी मां की यह बात सुनने के बाद संजय थोड़ा सोच में पड़ गया क्योंकि वह जान रहा था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है वह जानना चाहती थी कि उसकी हर एक बात को वह सुनता था या नहीं,,, और संजु बात को बिना छुपाए ही एक दम सच बोलते हुए बोला)
हां मम्मी मैं रात देर तक पढ़ाई करता हूं तो मुझे सब कुछ सुनाई देता है,,,
सब कुछ,,,(आराधना एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली)
हां मम्मी सब कुछ,,,,(संजीव अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है)
मतलब कि हम दोनों के बीच में कुछ भी बातें होती थी कार्यक्रमों से लेकर सब कुछ तुझे सब कुछ सुनाई देता था,,,।
हां मम्मी तुम दोनों की एक एक बात मुझे सुनाई देती थी,,,।
(अपनी मम्मी को सच्चाई बताते हुए संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी क्योंकि वह जानता था कि उसकी मम्मी अपने मन में क्या सोच रही है और उसी के चलते संजु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,उसे कॉलेज आने में देर भी हो रही थी इसलिए वह जल्दबाजी दिखाते हुए बोला,,,)
मम्मी अब मैं चलता हूं मुझे बहुत देर हो रही है और हां अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करना पापा तुम्हारे साथ जरा सी भी बदसलूकी नहीं कर पाएंगे क्योंकि मैं अच्छी तरह से समझ गया हूं कि उन्हें किस तरह से समझाना है तुम तो समझा समझा कर हार गई,,,(और इतना कहते हो गई संजू जल्दी से रसोई घर से बाहर आ गया क्योंकि उसके पैंट में तंबू अपनी औकात में बन चुका था इसलिए जल्दी से बैग उठाया और कुछ देर तक घर से बाहर खड़ा होकर अपने तंबू को गिरने का इंतजार करने के लिए और जैसे ही वह शांत हुआ ले कॉलेज की तरफ निकल गया और दूसरी तरफ आराधना के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसके बेटे के बताए अनुसार वह उन दोनों की सभी बातों को सुनता था,,,जिनमें गाली गलौज इसीलिए करके एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने तक की बातें थी और आराधना के द्वारा अपने कपड़े उतारने की बात और उसके पति के द्वारा जबरदस्ती करने की उससे कपड़े उतरवाने कि उसे नंगी करने की हर तरह की बातें थी जिसके बारे में सोच कर ना जाने क्यू आराधना की चूत से काम रस टपकने लगा था,,,,, वह इस बात से और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करने ताकि कि उसका पति बार-बार उसके बेटे के द्वारा गंदा एक जाम लगा रहा था वह समझ गई थी कि उसका बेटा उसके पति के द्वारा लगाया गया ईल्जाम भी सुना होगा,,, उसे धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि जिस तरह का इल्जाम उसका पति लगा रहा था उसी के चलते संजू उसे घूर कर प्यासी नजरों से देख रहा था,,,, इन सब बातों को सोच कर आराधना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी हुआ था उसे सेवा गुस्सा करें या खुशी मनाएं इतनी बात की खुशी उसे जरूर हो रही थी कि अब उसका पति उसे मारपीट नहीं पाएगा,,,,। लेकिन इस बात का डर भी उसे था की उसके बेटे के बीच में आ जाने से अब उसका पति उस पर उसके बेटे को लेकर और गलत गलत इल्जाम लगाएगा,,, लेकिन ना जाने क्यों अब उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थीक्योंकि वह समझ गई थी कि अब इसका पति सुधरने वाला नहीं है वह नशे में पूरी तरह से डुब चुका है,,,,,,,।अपने बेटे के बारे में सोच कर उसके माथे से पसीना टपकने लगा और उसकी दोनों टांगों के बीच से काम रस अपने बदन की गर्मी उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह तुरंत बाहर का दरवाजा बंद कर दे क्योंकि वह जानती थी कि अब घर में उसके सिवा कोई नहीं है और वह तुरंत बाथरूम में घुस गई और अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होगी वह अपने आप को एक जवान लड़के के नजर से देखने लगी और सोचने लगी कि क्या इस उम्र में भी वह किसी जवान लड़के के लंड को खड़ा कर सकती है,,,। ऊपर से नीचे तक अपने नंगे बदन को देखने लगी चुचियों का कसाव अभी भी बरकरार था,,, जिसे वह अपने हाथ में लेकर अनजाने में ही दबाने लगी उसे अपनी इस हरकत पर अपने बदन में सिहरन सी दौड़ टी हुए महसूस होने लगी वह अपनी नजरों को चुचियों से नीचे की तरफ ले गई तो मांसल चिकना पेट देख कर,,, खुद उसकी हालत खराब होने लगी उसके पेट का आकार ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन बेहद खूबसूरत और कामुक था जिसकी शोभा उसकी गहरी नाभि बढ़ा रही थी,,, नाभि से नीचे की तरफ नजर ले जाने पर उसे अपनी चूत पर फैले झांट के बाल नजर आने लगे जो कि काफी बड़े होकर झुरमुट से बन गए थे ऐसा नहीं था कि आराधना को सफाई पसंद नहीं थी वह हमेशा अपनी चूत को क्रीम लगाकर साफ रखती थी लेकिन अपने पति के रवैए को देखते हुए उसका मन नहीं करता था और धीरे-धीरे उसकी चूत पर झाटों का झुरमुट हो गया था,,,, वह अनजाने में अपनी हथेली को अपनी चूत पर रखकर दबाने लगी और अपने बेटे के बारे में सोचने के लिए,,,,
Aaradhana is tarah ki kalpna karte huye
ना चाहते हुए भी उसके पति के द्वारा लगाए गए इल्जाम के बारे में व कल्पना करने लगी,,,,और उसकी कल्पना उसे अपने साथ बाहर ले जा रहे थे वह कल्पना में पूरी तरह से खाने लगी अपनी आंखों को बंद करके वह अपने बेटे के द्वारा कल्पना करने लगे और अपने पति के कहे गए एक-एक शब्द को वास्तविक का रूप देते हुए सोचने लगे कि कैसे उसका पति कहता था कि उसका बेटा एक ही धक्के में उसका पानी निकाल देता होगा,,,, और वह देखते ही देखते अपनी चूत पर अपनी हथेली रगड़ते हुएअनजाने में ही अपने बेटे के लंड की कल्पना करने लगी उसका बेटा घट के लिए बदन का था कसरती बदन होने के नातेआराधना अपनी कल्पना में उसकी दोनों टांगों के बीच के इस हथियार को बेहद दमदार और लंबा मोटा कल्पना करने लगी इसके बारे में सोच कर ही उसकी चूत से काम रस टपक ने लगा था,,,, और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसका बेटा उसके पति के जैसा नहीं बल्कि बड़े प्यार से उसके बदन से एक-एक वस्त्र अपने हाथों से उतारकर उसे,,, नंगी कर रहा है,,,,
Aradhna ki madhoshi bhari kalpna
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और उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने के बाद,,, उसे प्यासी नजरों से देखते हुए,,, अपने खुद के कपड़े उतार रहा है,,,,आराधना एकदम मन से कल्पना कर रही थी इसलिए उसे सब कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आपको तो सब कुछ अनुभव कर रही हो उसकी हथेली चूत कर बराबर की रगड़ बना रही थी,,,,इस समय घर में कोई नहीं था और दरवाजे पर कड़ी लगी हुई थी इसलिेए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी,,,, देखते ही देखते कल्पना नहीं उसका बेटा अपने कपड़े उतार कर अपनी जींस की पेंट खोल रहा था उसकी जींस में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना के मुंह में पानी आ रहा था,,,,कल्पना में भी आराधना यही सोच रही थी कि उसका बेटा जल्दी से अपनी पैंट उतार कर अपने नंगे लंड का दर्शन उसे करवाएं,,,, और देखते ही देखते संजु ने अपनी पेंट भी उतार दिया,,,।कल्पना में अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर आराधना के मुंह में पानी आ गया,,, और उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,,,,।
Aradhna ki kalpna me Sanju
आराधना ने कभी इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन आज ना जाने क्यों वह अपने आप को बदल देना चाहती थी अनजाने में ही उससे यह हरकत हो रही थी बाथरूम में वह पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और उसकी हथेली उसकी चूत पर थी जिसे वो जोर जोर से लग रही थी आंखें बंद थी और कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था,,,, कल्पना में ही संजू उसे ईसारा करके अपनी तरफ बना रहा था और आराधना पैरों के बल चलते हुए बिस्तर के करीब पहुंच गई और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, आराधना को बहुत मजा आ रहा था कुछ देर तक उसकी कल्पना इसी तरह से चलती रही और फिर वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर खुद अपने बेटे का मुंह पकड़ कर उसे अपनी चूत पर रख दी उसका बेटा लपा लप चाटना शुरू कर दिया,,,,कल्पना में भी आराधना की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उस से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपने बेटे को उसके लंड को उसकी चूत में डालने के लिए बोल रही थी,,,,। उसका बेटा भी उसकी आज्ञा मानते हुए तुरंत अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की चूत में डाल कर सोचना शुरू कर दिया और कल्पना के अधीन होकर आराधना एक साथ अपनी दो उंगली को अपनी चूत में डाल दी,,,कल्पना करके वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी और जल्दी जल्दी अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी और उसे ऐसा लग रहा है कि जैसे उसका बेटा अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करके उसकी चुदाई कर रहा है वह इतनी ज्यादा गरम हो गई थी कि,,, थोड़ी ही देर में उसका कामरस उसकी चूत से भलभला बहने लगा,,,,जैसे ही वह कल्पनाओं की दुनिया से बाहर आई तो उसे वास्तविकता का ज्ञान हुआ और वह शर्म के मारे पानी पानी हो गई और अपनी हालत को देखकर एकदम से शर्म आ गई जल्दी से नहा कर वो बाहर आ गई और अपने कपड़े पहन कर अपने काम में लग गई,,,।
दूसरी तरफ संजू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कॉलेज जाने की जगह अपनी मौसी के घर की तरफ चल दिया,,,।
nice update..!!दिन इसी तरह से गुजरने लगे,,, रमेश के बर्ताव में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आ रहा था,,,,, आराधना एकदम परेशान हो गई थी, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,, रमेश का व्यवहार दीन ब दीन अपने ही परिवार के लिए खराब होते जा रहा था,,,,,, आराधना अपने पति को सुधारने का हर तरीका इख्तियार कर चुकी थी,,, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था,,,यहां तक कि अपनी बड़ी बहन के बताए अनुसार अपने पति को रिझाने का हर एक प्रयास कर चुकी थी लेकिन उसने भी उसे ना करा मैं अभी के साथ-साथ बदनामी भी मिली थी क्योंकि उसकी हर एक हरकत का अर्थ रमेश गलत तरीके से निकाल रहा था,,,,।अपने आप ही जब अपने पति का लंड मुंह में लेकर चूसने की कोशिश करने लगी तो उसका पति मजा तो खूब लिया लेकिन फिर उसे बदनाम करते हुए बोला,,,।
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पीठ पीछे लगता है किसी जवान लड़के से मजा ले रही है तभी खुद ही मुंह में लेकर चूस रही है आज तक तो ऐसा कभी नहीं हुआ,,,। कहीं ऐसा तो नहीं संजू की जवानी देख कर तेरी जवानी पिघलने लगी है,,, कहीं अपने ही बेटे के साथ मुंह तो काला नहीं करवा रही है,,,।
अपनी पति की इस तरह की गंदी बातों को सुनकर आराधना के पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा था वह पत्थर से सर टकरा रही थी वह जानती थी कि किसी भी प्रकार की बात का उसके पति पर बिल्कुल भी असर होने वाला नहीं है वह पूरी तरह से निराश हो चुकी थी अपने बेटे के साथ गलत रिश्ते का अपमानजनक ईल्जाम उससे सहा नहीं जा रहा था,,, वह पूरी तरह से परेशान हो चुकी थी,,,,अपने मन में यह सोच कर और ज्यादा परेशान हो जाती थी कि अगर उसके पति की बातें उसका बेटा सुनेगा तो क्या सोचेगा उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा,,,,,, इसलिए वह अपने बच्चों की हाजिरी में अपने पति के साथ बिल्कुल भी तो हंस नहीं करती थी क्योंकि उसके बच्चे जवान हो रहे थे ऐसे में उसके पति की गंदी बातें उन पर बुरा प्रभाव कर सकती थी,,,। लेकिन धीरे-धीरे वह रमेश से दूर होती जा रही थी,,,,,, अपने पति का गलत व्यवहार गलत रवैया शराब पीना उसके साथ जबरदस्ती करना और अपने ही बेटे के बारे में गंदा इल्जाम लगाना यह सब सुनकर आराधना धीरे-धीरे अपने पति से ही नफरत करने लगी थी,,,,,,,,,,।
अब तो तनख्वाह मेरी कटौती होने लगी थी क्योंकि ज्यादातर वह अपनी तनख्वाह का हिस्सा शराब पीने में उड़ा देता था घर चलाना मुश्किल हुआ जा रहा था,,,,,,, घर चलाने में आ रही दिक्कत को देखते हुए आराधना को लगने लगा था कि जैसे अब उसे भी कोई नौकरी ढूंढनी पड़ेगी,,,अपने पति से यह बात कह नहीं सकती थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह नौकरी के बारे में बात करेगी तो वह जरूर कोई गलत ईल्जाम लगा देगा,,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, किससे नौकरी की बात करें और अगर बात भी कर लेगी तो भी क्या उसका पति उसे नौकरी करने देगा इन सब बातों को सोच कर आराधना परेशान हुई जा रही थी,,,।
रमेश अपनी बीवी की चुचियों को मसलता हुआ
दूसरी तरफ संजू एक औरत की मदहोश कर देने वाली जवानी का स्वाद चख चुका था अपनी मौसी की रफ्तार जवानी का स्वाद का चटकारा लेने के बाद उसके जेहन में उसकी मौसी पूरी तरह से विराजमान हो चुकी थी,,, सोते जागते बस उसे अपनी मौसी का नंगा बदन ही नजर आता था उसकी गंदी बातें उसकी हरकत और किस तरह से उसने अपनी मौसी की चुदाई किया इन सब बातों को सोचकर कहीं भी संजु का लंड खड़ा हो जाता था,,,अपनी मौसी की बुर की गर्माहट उसे अभी तक महसूस होती थी उसे यकीन नहीं होता था कि औरत की बुर के अंदर इतनी ज्यादा गर्मी होती है,,,,,, पहले वह कभी कबार ही मुठ मारा करता था लेकिन अपनी मौसी के साथ अद्भुत संतुष्टि भरे जुदाई के बाद से उसके तन बदन में चुदाई का नशा भरता चला जाना है और अपनी गर्मी शांत करने के लिए उसे अपने हाथ का सहारा लेना पड़ता था क्योंकि अब इसकी आदत बन चुकी थी रात को सोते समय अपने पेंट में हाथ डालकर अपनी मौसी को याद करके पूरी तरह से गर्म हो जाता था और अपना लावा बाहर निकाल देता था,,,। उसकी मौसी के कारण उसकी सोच में और व्यवहार में धीरे-धीरे बदलाव आता जा रहा था,,,। औरतों को देखने और सोचने का तरीका उसका बदलता जा रहा था,,, एक बार तो बाहर नाइट बल्ब की रोशनी में अपनी बहन के खूबसूरत बदन को देख कर कल्पना करते हुए अपनाकर अपनी गर्मी को शांत किया था हालांकि इसके बाद उसे बहुत पछतावा हुआ था और दोबारा ऐसा ना करने की कसम खा कर सो गया था लेकिन धीरे-धीरे यह हरकत उसकी आदत में शुमार होता जा रहा था,,,।
Sadhna ko is haal me dekhkar Sanju ka man machal utha tha
जिस तरह से अनजाने में ही वहां बाथरूम के अंदर अपनी मौसी के दर्शन करके एक अद्भुत सुख को प्राप्त किया था उसी तरह से अपने मन में यही धारणा बांध के रखता था कि काश उसकी मौसी की तरह बाथरूम में उसकी मां के नंगे बदन को भी देखने का मौका मिल जाता तो वह धन्य हो जाता,,,, हालांकि वह अपनी मां के बारे में इस तरह के गंदे विचार कभी नहीं रखता था लेकिन उसकी मौसी साधना की वजह से उसका व्यवहार बदलता जा रहा था क्योंकि उस रात को बार-बार उसकी मौसी ने उसकी मां का जिक्र जो कर रही थी,,,, कि तेरी मां अपना तो तेरे पापा को भी कह रही है नंगी हो रही है अपनी साड़ी उठा रही है तेरे पापा के लंड को अपनी बुर में ले रही है चुदवा रही है,,, यह सब बातें सोच कर संजू अर्जेंट है ना चाहते हुए भी पूरी तरह से खड़ा हो जाता था और अपनी मां के लिए अपने लैंड को खड़ा होता देख कर उसके तन बदन में अद्भुत उत्तेजना का प्रसार होने लगता था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं करता था और ऐसे हालात में अपनी मां के बारे में गंदे विचार लाते हुए अपने लंड को हिलाने में जिस प्रकार का उसे सुख प्राप्त होता था,,, उसके बारे में बयां कर पाना शायद उसके बस में नही था,,,कुल मिलाकर अपनी मां के बारे में कल्पना करना उसे अच्छा भी लगता था और ग्लानी भी होती थी और वह दोबारा ऐसी गलती ना करने की कसम खाकर अपने मन को शांत करने की कोशिश करता था लेकिन दूसरे दिन फिर यही होता था जवानी की गर्मी शांत करने के लिए उसे अपनी मां की कल्पना का सहारा लेना पड़ रहा था,,,,। क्योंकि उसकी मौसी के कहे अनुसार और वो खुद जानता था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत है उसकी चूचियां बड़ी बड़ी है खरबूजे जैसी उसकी गांड गोल-गोल एकदम मस्त है तरबुज जैसी,,,, और तो और वह हर रात को अपने मम्मी पापा की बातें भी सुना करता था उसके पापा की तरह से गंदी गंदी बातें करके उसकी मां के साथ गंदी हरकत करते थे उसके चुदाई करते थे और उसकी मां कैसे उसे रोक दी थी और सहकार करती थी उसे बातों को सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता था और उसके मन की कल्पना में उसकी मां सदैव ही अग्रसर रहती थी,,,,। हालांकि उसे कभी भी ऐसा मौका नहीं मिला था कि वह अपनी मां के नंगे बदन की झलक भी पा सकें,,,। कोशिश वह पूरी करता था लेकिन जाने अनजाने में भी उसकी मां के द्वारा कभी भी ऐसी कोई भी गलती नहीं होती थी कि उसके बेटे को उसका नंगा बदन देखने का मौका मिले,,,,,।
Ramesh apni bibi ki chut sahlaata hua
संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसके पापा उसकी मां के साथ अत्याचार कर रहे हैं उसके साथ हमेशा से गलत व्यवहार करते आ रहे हैं,,,, संजू को अपनी मां पर दया आने लगी थी क्योंकि वह धीरे-धीरे अपनी मां के दुख को समझने लगा था क्योंकि एक औरत मर्द को कितना सुख दे पाती है इससे वह भली भांति परिचित हो चुका था और उसे सुख को पाने के लिए वह किसी भी हद तक कर गुजरने को तैयार भी था और वह इसीलिए परेशान था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत औरत थी और उसके बदन का बनावट भी बेहतरीन था लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसके पापा उसकी मां के साथ इस तरह का गलत व्यवहार करते थे यह बात उसे समझ में नहीं आती थी,,,,,,। ना जाने कि उसके मन में ख्याल आने लगा के काश उसकी मां उसकी बीवी होती तो वह उसे सर आंखों पर रखता उसके हर एक ख्वाहिश को पूरी करता और उसे अपनी पलकों पर बिठा कर रखता किसी भी प्रकार की उसे कमी नहीं आने देता और ना ही कभी उसे दुख देता,,,। यह ख्याल उसके मन में अनजाने में ही आया था ,,, और इस खयाल के मन में आते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी ना चाहते हुए भी उसके मन में अपनी मां को बीवी के रूप में देखने का ख्याल आया था ख्याल उसके जीवन में पहली बार आया था जिसका कारण थी उसकी मां की बड़ी बहन जिसने उसकी जिंदगी में सर्वप्रथम उसे औरत का सुख दी थी,,, उसी औरत के सुख के चलते उसके ख्याल देखने का नजरिया सब कुछ बदलता जा रहा था वरना वह कभी सपने में भी अपनी मां को स्वरूप में नहीं देखा था और ना ही देखने की चाहत थी,,, लेकिन इस ख्याल के बदौलत उसके लंड में सुरसुरा हाइट बढ़ने लगी थी एक बात पर वह भी गौर करता था कि जब जब वहां अपने मन में अपनी मां के प्रति गंदा ख्याल आता था तब तक उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगती थी उसका आनंद पूरी तरह से खड़ा हो जाता है और उसका कड़क पन पहले के भांति और भी अत्यधिक बढ़ जाता था जिससे उसे बहुत ज्यादा आनंद की अनुभूति होती थी और ऐसे में अपने हाथ से हिला कर संतुष्टि प्राप्त करने की कोशिश करता था पहले तो उसे अपने हाथ से हिलाने के बाद संतुष्टि मिल जाती थी लेकिन जब से वह अपनी मौसी की चुदाई किया था तब से अब उसे मुट्ठी में नहीं बल्कि बुर में डालने की ज्यादा इच्छा होने लगी थी लेकिन,,,
Sadhna or Sanju
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मौसी के जाने के बाद ऐसा कोई जुगाड़ उसके पास नहीं था,,, ख्यालों में ही वह अपनी मौसी और अपनी मां का कल्पना करके मस्त हो जाता था लेकिन इसी से उसे ग्लानी भी महसूस होती थी लेकिनकुछ समय बाद फिर से उसकी उत्तेजना का केंद्र बिंदु उसकी मौसी या उसकी मां ही होती थी,,,, यह अब रोज का होता जा रहा था,,,,।
ऐसे ही एक दिन रात को संजू अपने कमरे में बेठा पढ़ाई कर रहा था मोहिनी घोड़े बेच कर सो रही थी उसकी यह आदत का वह फायदा उठा लेता था हालांकि अपनी बहन के साथ कुछ भी शारीरिक छेड़छाड़ तो नहीं करता था लेकिन फिर भी अपने मन में कल्पना करके अपने लंड को बाहर निकाल कर हीलाता जरूर था,,, संजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा का इंतजार हमेशा करती थी भले ही वह उसे किसी भी प्रकार की खुशी नहीं देता था लेकिन फिर भी वह अपनी तरफ से अपना धर्म और फर्जी दोनों निभाती थी तकरीबन रात के 12:30 बजे दरवाजा खुलने की आवाज के साथ ही वह समझ गया कि उसके पापा घर पर आ गए हैं,,,,,,,देर रात तक जागने की उसकी एक लालच और भी बढ़ गई थी कि वह अपनी मां की तरफ से गंदी गंदी बातें सुनता था और उसके पापा भी गंदी बातें करते थे हालांकि उसकी मां मजबूरी में सिर्फ अपने पति को खुश करने के लिए ही इन सब बातों को सुनती और सहती रहती थीलेकिन संजू को इससे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव होता था क्योंकि वहां अपनी मां के बारे में कल्पना करता था कि उसके पापा इस समय बगल वाले कमरे में क्या कर रहे होंगे,,,।
ramesh or aaradhna
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दरवाजा उसकी मां ने ही खोला था,,,रात के 12:30 बज रहे थे लेकिन वहां अपना फर्ज निभाते हुए जाग रही थी दिन भर की थकान को भूल कर भी अपने पति को खुश करने की पूरी कोशिश करती थी अपनी मां पर संजू को दया आने लगी थी लेकिन वह कर भी क्या सकता था,,,लेकिन वह धीरे-धीरे अपने मन में क्या सोचेंगे लगा था कि वह पूरी तरह से जवान हो गया है ऐसे में उसे अपनी मां का साथ देना चाहिए अपनी मां के पक्ष में खड़ा होना चाहिए उसके पापा जब भी उसके साथ जाती कर रहे हो तब उन्हें रोकना चाहिए यह सब ख्याल मन में आते ही उसमें अद्भुत ऊर्जा का संचार होने लगा था,,,, वह अपने कमरे में बैठा बैठा बगल वाले कमरे में हो रही वार्तालाप को सुन रहा था,,,।
Sadhna or Sanju
आप 9:00 बजे छूट जाते हैं फिर भी रात को 12:30 बजे आते हैं आपको जरा भी एहसास है कि आप किस कदर शराब में डूबते जा रहे हैं और आपका परिवार किस तरह से बिखर रहा है,,,।
देख तू ज्यादा चु चपड़ मत कर,,,, और खाना निकाल मुझे भूख लगी है,,,,(अपने जूते को निकालने की कोशिश करता हुआ रमेश बोला तो आराधना बोली)
आप कितने नशे में हैं आपसे अपना खुद का जूता भी निकाला नहीं जा रहा है रुकीए में निकाल देती हुं,(इतना कहने के साथ ही आराधना आगे बढ़ी और नीचे बैठकर जैसे ही जूते की डोरी खोलने लगी वैसे ही रमेश ने एक लात मारते हुए बोला,,,)
चल हट मादरचोद,,,, बड़ी आई है एहसान जताने,,,,
(लात पढ़ने की वजह से आराधना की कराहने की आवाज संजू को साफ सुनाई दी थी,,, अपने बाप के व्यवहार से वह एकदम से तिलमिला उठा था,,,उसका मन कर रहा था कि इसी समय बगल वाले कमरे में घुस जाए और अपने बाप को 2-4 थप्पड़ लगा दे हालांकि इस तरह का ख्याल उसके मन में कभी भी नहीं आया था लेकिन अब वह जवान हो रहा था वैसे मैं अपनी मां पर हो रहे अत्याचार को सहन नहीं कर पा रहा था और अपने ही बाप के प्रति उसका क्रोध बढ़ता जा रहा था,,,।) तू मेरे लिए किसी काम की नहीं है बस तू मेरे लिए चोदने की काम आती है बस समझी चल जल्दी खाना दे,,,,।
(इतना कुछ सहने के बाद भीआराधना उठी और खाने की थाली उसके पास लाकर रख दिया और पानी का गिलास भी रख दे नशे में पूरी तरह से धुत्त होने के कारण वो ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा था ऐसे कैसे करके बाहर थोड़ा बहुत खाना और फिर उसी थाली में हाथ धोने लगा यह सब देखकर आराधना अपनी किस्मत को कोसने लगी थी कि कैसे आदमी से वह शादी कर ली उसकी जिंदगी पूरी नरक हो गई,,,, ऐसा सोचते हुए वह बिस्तर लगाने लगी,,, उसे बिस्तर लगाता हुआ देखकर रमेश बोला,,)
मादरचोद रंडी दिल में किसी और से चुद वाली है क्या जो अभी सोने की तैयारी कर रही है मेरी प्यास कौन बुझाएगा,,,, ना जाने किस-किस की प्यास बुझाती रहती है,,,
यह कैसी बातें कर रहे हैं आप आपको शर्म नहीं आती,,,इस तरह की गंदी गंदी बातें करते हुए अच्छा हुआ कि बच्चे नहीं सुनते वरना हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा,,,।
Ramesh or aaradhna
बच्चा नहीं है वो पूरा जवान हो गया है और साली मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि अब तेरी प्यास वहीं बुझाता है,,,, जवान लंड लेने की तेरी तड़प बढती जा रही है,,, इसलिए मुझे जल्दी से सुला देना चाहती है ताकि फिर अपने बेटे को बुला सके और रात भर रंगरेलियां मना सकें,,,।
हे भगवान आपको क्या हो गया है अपने ही बेटे के बारे में इतना गंदा ईल्जाम लगाते हो आप को शर्म नहीं आती कोई सुनेगा तो क्या कहेगा,,,
क्या कहेगा सब यही कहेंगे कि जो कुछ भी मैं कह रहा हूं सही कह रहा हूं तभी तो तेरी चाल बदल गई है इस उम्र में भी देख कितना बन ठन कर रहती है,,, तेरी गांड और चूची दोनों का साइज बढ़ता जा रहा है,,, संजू रोज लेता है ना तेरी,,,,।
(यह बात सुनकर इतना हैरान उसकी मां थी उसे भी कहीं ज्यादा हैरान और परेशान संजू हुआ जा रहा था संजू के यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बाप उसके बारे में इतना गंदा इल्जाम लगा सकता है,,, लेकिन ना जाने क्यों अपने पास की बातों को सुनकर उसके मन में अजीब सी हलचल होने लगी थी अपनी ही मां के साथ अपना खुद का संबंध जुड़ता देखकर पलभर में ही उसकी आंखों के सामने कल्पना में ही उसकी मां का नंगा बदन नजर आने लगता था जैसा कि उसके बाप ने बोला था कि तेरी गांड और चूची दोनों का साइज बढ़ता जा रहा है यह बात सुनते ही उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां झुलने लगती थी और उसकी बड़ी-बड़ी गाना अपना पूरा जलवा बिखरने लगती थी,,, उसके लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था,,,, बगल वाले कमरे में उसकी मां के रोने का आवाज आने लगा था वह अपने पति की बातों को सुनकर हैरान थी और बहुत दुखी भी थी लेकिन उसके पति पर उसके आंसुओं का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था,,,।)
Sanju k man me apni ma k liye is tarah k vichaar aane lage the
चल कपड़े उतार कर नंगी हो जा अब मेरी बारी है दिन भर तो अपने बेटे को मजा देती है अब मुझे दे,,,।
नहीं नहीं आज मेरा बिल्कुल भी मन नहीं है मैं एकदम थक गई हूं,,,।
थक तो जाएगी जवान लंड अपनी बुर मे लेगी तो वह तो तुझे थका ही डालेगा,,,
(अपने पति की बात सुनकर सफाई देने के लिए आराधना के पास कुछ भी नहीं था क्योंकि वह जानती थी कि वह कुछ भी कहे कि उसके पति उस पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करेगा बल्कि और गंदे गंदे अंजाम लगाएगा इसलिए वह खामोश होकर बस रोती सुबकती रही,,,)
Sadhna or Sanju
रोना-धोना मेरे सामने नहीं चलेगा जल्दी से कपड़े उतार कर नंगी हो जा वरना आज तेरी गाना दूंगा फिर मत कहना,,,
नहीं नहीं ऐसा मत करना,,,, मैं उतारती हूं कपड़े,,,,
(इतना कहने के साथ ही आराधना खड़ी हुई और अपनी साड़ी उतारने लगी अपनी मां की बातें सुनकर संजू भी अपने मन में कल्पना करने लगा था कि कैसे उसकी मां अपनी साड़ी उतार रही होगी हालांकि उसके मन में क्रोध भी पैदा हो रहा था लेकिन उत्तेजना का असर उसके दिमाग पर कुछ ज्यादा ही था धीरे-धीरे आराधना अपनी साड़ी को उतार दी और ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर अपनी औकात में फड़फड़ा रहे थे जिसे देखकर रमेश बोला,,,)
आहहहह देख मैं बोलता था ना तेरी चूची का साइज बढ़ता जा रहा है लगता है संजू खूब दबाता है और खूब इसका दूध पीता है,,,।(इतना कहने के साथ ही रमेश आगे बढ़ा और ना उसके ऊपर से ही आराधना की दोनों चुचियों को थाम लिया दूसरी तरफ संजू अपने बाप की बात सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,।उसका बाप इसकी मां की चूची पीने की बात इससे जोड़कर कर रहा था इसलिए उसके मन में उत्तरा की कल्पना होने लगी थी,,, जिसका असर उसके दिमाग के साथ-साथ इसके दोनों टांगों के बीच में हो रहा था,,। रमेश पहले से ही शराब के नशे में धुत्त था और अपनी बीवी की नशीली जवानी की खुशबू से वह और ज्यादा मदहोश होने लगा,,, आराधना अपने कपड़े अपने हाथों से उतारती ईससे पहले ही रमेश उसकी ब्लाउज के बटन खोले बिना ही उसे दोनों हाथों से पकड़ कर खींच दिया जिससे उसका ब्लाउज फट गया और वह बोली,,,)
यह क्या कर रहे हो ब्लाउज फट गया,,,
(अपनी मां की बात सुनकर संजू को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पापा इसकी मां का ब्लाउज फाड़ दीए है,,,)
फट गया तो फट गया नया ले लेना,,,मेरे से तो पहली बार फटा है लेकिन तेरे आशिक तो ना जाने कितनी बार फाड़ते होंगे,,,, अब ज्यादा नखरा मत दिखा,,, आज तो तेरी जी भर कर लूंगा,,,,
अब मैं आपको हाथ भी नहीं लगाने दुंगी,,,
क्या बोली हरामजादी,,, तेरी इतनी हिम्मत,,,(और इतना कहने के साथ ही लगातार दो चार थप्पड़ वह आराधना के गाल पर लगा दिया,,,आराधना दर्द से बिलबिला उठी लेकिन आराधना के दर्द का रमेश पर बिल्कुल भी असर नहीं हो रहा था बगल वाले कमरे में अपनी मां की चीख सुनकर संजु के होश उड़े जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, मोहिनी तो घोड़े बेच कर सो रही थी,,,।)
हरामजादी मुझसे जबान लडाती है,,, रुक तुझे अभी बताता हूं तुझे पूरी नंगी करके ही रहुंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही वहां जबरजस्ती आराधना के पेटीकोट की डोरी को खींच दिया,,, आराधना की कमर पर कसी हुई पेटीकोट,,, डोरी खुलने की वजह से एकदम ढीली हो गई वह नीचे गीरती ईससे पहले ही आराधना अपनी पेटीकोट को पकड़ ली,,,, लेकिन रमेश जबरदस्ती करते हुए अपनी बीवी का पेटीकोट खींचने लगा और ऐसे में आराधना बिस्तर पर गिर गई और मौके की नजाकत को देखते हुए रमेश ने तुरंत उसकी पेटीकोट को जोर से खींच लिया और अगले ही पल,,, आराधना के पेटीकोट उसकी कमर से छूट कर उसकी नंगी चिकनी कामों से बाहर निकल गई और वह आधी नंगी हो गई उसकी बेशकीमती खजाने को छुपाने के लिए अभी भी गुलाबी रंग की पेंटी उसका पूरी तरह से सहारा बनी हुई थी,,,)
रहने दीजिए आप क्या कर रहे हैं,,,
साली मुझसे नखरा दिखाती है देखी तेरा कैसे पेटीकोट निकाल दिया,,, अब यह तेरी पेंटी भी निकाल दूंगा,,,।
Sanju apne man me is tarah ki kalpna karne laga tha
नहीं नहीं,,,(अपने पति से बचने के लिए वह पूरी कोशिश कर रही थी और इसी अफरा तफरी में रमेश के गाल पर तमाचा लग गया जो कि अनजाने में लगा था और इससे वह एकदम से तिलमिला उठा और आराधना को पीटना शुरू कर दिया इतनी जोर से उसे थप्पड़ मार रहा था कि आराधना की चीख निकल जा रही थी,,,,संजू से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ उसके धैर्य का बांध टूटने लगा और वह अपने मन में फैसला कर लिया कि जो कुछ भी होगा देखा जाएगा और यही सोचकर अपने कमरे से बाहर निकला और अपने बगल वाले कमरे का दरवाजा खोलने वाला था कि उसके हाथ लगाते ही दरवाजा एकदम से खुल गया और सामने का नजारा देखकर उसका खून खोलता उसकी मां बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और उसका बाप उस पर चढ़कर उसे थप्पड़ से मार रहा था,,,, संजू से रहा नही गया और वह कमरे में दाखिल हो गया,,, अपने बाप को पीछे से कॉलर से पकड़कर में जोर से खींचा तो एक झटके में ही रमेश बिस्तर से नीचे गिर गया,,,, और गुस्से में बोला,,,।
इंसान हो कि जानवर कोई अपनी बीवी से इस तरह से पेश आता है,,,।
आहहह,,आहहहह,,,,(हंसते हुए) देख आ गया तेरा आशिक तुझे बचाने के लिए,,,, तुम दोनों मिले हुए हो रुक अभी बताता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही रमेश पास में पड़ा डंडा उठाकर जैसे ही खड़ा हुआ और आराधना को मारने को हुआ संजु फिर से फुर्ती दिखाता हुआ अपने बाप को फिर से पकड़ कर पीछे खींच दीया और उसका बाप इस बार लड़खड़ा कर नीचे गिर गया तो गिरा ही रह गया वह पूरी तरह से नशे में चूर था,,,, आराधना अपने घर में मची क्लेश को देखकर बिलक बिलक कर रो रही थी और इस अफरा तफरी में वह अपने नंगे बदन को छुपाना भी भूल गई थी,,,संजू बिस्तर पर लेटी अपनी मां की तरफ देखा तो उसे उसकी हालत का एहसास हुआ उसके बदन पर कपड़े के नाम पर गुलाबी रंग की ब्रा और गुलाबी रंग की पहनती है और ब्लाउज पूरी तरह से फटा हुआ था ऐसी हालात में भी ना जाने क्यों संजू अपनी मां के दैनिक सौंदर्य को देखकर पूरी तरह से उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था उसकी नजर अपनी मां की छातियों पर थी जो कि गुलाबी रंग की ब्रा में से उसकी दोनों खरबूजे बाहर आने को मचल रहे थे पहली बार वह अपनी मां को इस हालत में देखा था अपनी मां की चूचियों की आकार को पहली बार अपनी आंखों से ना प्रार्थना की भले ही वह गुलाबी रंग के छिलके में कैद थी लेकिन फिर भी अपनी पूरी आभा बिखेर रही थी,,,, पल भर में ही ना जाने संजू का गुस्सा कहां हवा की तरह फुर्र होने लगा वह अपनी मां की दैहीक सौंदर्य में खोता चला जा रहा था,,, ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी मां का गोरा बदन चमक रहा था,,, एकदम मांसल सुडोल देह की मालकीन थी आराधना,,,, संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी बिस्तर पर लेटी हुई अपनी मां के बदन को ऊपर से देखता हुआ उसकी नजर नीचे की तरफ बढ़ रही थी चिकना सपाट मांसल पेट और उसके बीच की गहरी नाभि जिसकी गहराई में संजू को डूब जाने का मन कर रहा था और जैसे ही उसकी नजर अपनी मां की गुलाबी रंग की पेंटी पर पड़ी तो उसके तन बदन में आग लग गई उसे अपनी मौसी साधना याद आ गई जो इसी तरह से एक पल के लिए उसे अपनी पैंटी की झलक दिखाई थी लेकिन उस समय तो उसकी किस्मत बड़ी तेज थी कि उसे अपने ही मौसी की पैंटी उतार कर उसके खूबसूरत बदन से प्यार करने का मौका मिला था लेकिन यहां पर ऐसा होने वाला नहीं था लेकिन फिर भी वह अपनी मां की पेंटिं को देखकर पेंटी के अंदर छुपे खजाने के बारे में कल्पना करने लगा था,,,,अपनी मां की खूबसूरती की चमक देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसका पूरा ध्यान केंद्रित हुआ जा रहा था,,लेकिन जैसे ही दर्द से और अपने दुख से तड़पती आराधना को इस बात का एहसास हुआ कि उसका जवान लड़का उसकी खूबसूरत बदन को प्यासी नजरों से घूर रहा है तब वह एकदम से शरमा गई और अपने बदन को सीनेट ने लगी,,, अपने बेटे की प्यासी नजरों को वहां पलभर में ही पहचान गई थी क्योंकि जिस तरह से हुआ देख रही थी आराधना उन नजरों को अच्छी तरह से समझ रही थी और शर्म से पानी पानी में जा रही थी बगल में पड़ी चादर को उठाने की उसमें हिम्मत नहीं थी लेकिन जैसे ही संजू को भी इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां शर्मा कर सिमट रही है तो उसे भी अपनी गलती का एहसास हुआ और वह बिस्तर पर पड़ी चादर को अपनी मां के नंगे बदन पर डाल दिया और जाते-जाते अपने बाप से बोला,,।
अब तक जो कुछ भी चलता आ रहा था बिल्कुल भी चलने वाला नहीं है क्योंकि मैं अच्छी तरह से समझ गया हूं कि तुम्हें कैसे समझाया जा सकता है,,, अगर आज के बाद मेरी मां पर किसी भी प्रकार का अत्याचार किए तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,।
nice update..!!आराधना रोती रही सुबकती रही,,, अपनी किस्मत को कोसती रही,,,बड़े अरमान से उसने रमेश के साथ विवाह की थी उसे लगा था कि उसे उसके सपनों का राजकुमार मिल गया है,,,, पर शुरू शुरू में सब कुछ सही भी लग रहा था लेकिन कुछ वर्षों में इतना कुछ बदल गया था कि सब कुछ नरक की तरह लगने लगा था,,,,,,,,
अपनी किस्मत को कोसते हुए उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला,,, लेकिन दूसरी तरफ संजु की नींद हराम हो चुकी थी,,,क्योंकि उसने अपनी आंखों से वह देख लिया था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना नहीं किया था और ना ही कभी अनजाने में इस तरह का दृश्य नजर आया था,,,।
वह अपनी मां को बचाने के लिए बगल वाले कमरे में दरवाजा खोलकर घुस गया था इतना तो जानता ही था कि उसकी मां अस्त-व्यस्त हालत में होगी लेकिन अस्त-व्यस्त हालत में भी उसकी मां इतनी खूबसूरत लगती होगी इस बारे में उसने कभी सोचा नहीं था हालांकि उसकी मां बेहद खूबसूरत है लेकिन उस समय उसे कुछ भी सोचा नहीं था और वह बिना सोचे समझे कमरे में घुस गया था जहां पर उसने जो देखा उसे देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे हालांकि ऐसा बिल्कुल भी एक बेटे के लिए अपनी मां के प्रति नहीं होना चाहिए,,, लेकिन यहां माहौल कुछ और था जबसे संजू अपनी मौसी की जमकर चुदाई किया था उसके खूबसूरत अंको से खेला था एक औरत के नाजुक खूबसूरत रंगों से खेलने में कितना आनंद आता है इस अनुभव से गुजरा था तब से उसे हर औरत ने केवल खूबसूरती और संभोग का सूख नजर आता था,,, और वैसे भी रात को वहां अपनी मम्मी-पापा के बीच हो रही गंदी बातों को चलता ही रहता था और अनुमान लगाता रहता था कि अब उसकी मां क्या कर रही है उसके पापा क्या कर रहे हैं इसलिए उसके तन बदन में उत्तेजना के साथ-साथ कल्पनाओं का घोड़ा भी बड़ी तेजी से दौड़ता था,,,।
Sadhna
जिस समय संजू अपनी मां के कमरे में दाखिल हुआ था उस समय उसके पापा उसकी मां पर झुके हुए थे और उसे मार रहे थे लेकिन उस हाल में,,, उसकी मां का ब्लाउज पूरी तरह से टूट चुका था,,, क्योंकि उसके पापा ने उसकी मम्मी पर वैसी पन दिखाया था उसके ब्लाउज का बटन खोलने की जगह उसे खींचकर फाड़ दिया था जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां गुलाबी रंग की ब्रा में कैद नजर आ रही थी और चुचियों का साइज इतना ज्यादा था कि,,, ऐसा लग रहा है कि मानो ब्लाउज फाड़ के चूचियां बाहर आ जाएंगी,,, ट्यूबलाइट की दूधियां रोशनी में संजू को अपनी मां का खूबसूरत नंगा बदन एकदम साफ नजर आ रहा था उसका मांसल चिकना पेट पतली कमर,,, और पेटीकोट भी उतर जाने की वजह से उसकी गुलाबी रंग की पेंटी नजर आ रही थी जिसे देखते ही,,,संजू की आंखों में आकर्षण और वासना की चमक नजर आने लगी थी इसलिए अपनी मां को तकलीफ में देखने के बावजूद भी वह कुछ देर तक उसके खूबसूरती के आकर्षण में पूरी तरह से खो चुका था और उसे घूर रहा था,,,,,, वह पल संजू के लिए बेहद अजीब था अद्भुत था और बेहद अतुल्य था जिसके बारे में उसने आज तक कभी कल्पना भी नहीं किया था,,,,,,,
अपनी मां को अर्धनग्न अवस्था में देखकर अपनी मौसी के साथ बिताए पल के बारे में उसे ख्याल आ गया उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी एक बार बुर की रगड़ का सुख प्राप्त कर चुका संजू बार-बार उसी सुख की लालसा में उत्तेजित हुआ जा रहा था अब उसे हर एक औरत में,,, आनंद प्रमोद की अभिलाषा नजर आती थी,,,,।
संजू की नींद हराम हो चुकी अपने कमरे में जाते ही वह अपनी मां के बारे में सोच कर अपने पेंट में हाथ डालकर अपने लंड को बाहर निकाल दिया था और उसके अर्ध नग्न बदन के बारे में सोच सोच कर और कल्पनाओं में जो उसने अपनी मौसी के साथ वास्तविक में चुदाई किया था उसी तरह की कल्पना वह अपनी मां के बारे में करने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि वह जिस तरह से अपनी मौसी की चड्डी को उतारा था उसी तरह से अपनी मां की चड्डी को उतार रहा है और उसकी नमकीन बुर पर अपनी जीभ लगाकर चाट रहा है,,,
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।संजू की कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि उसे सब कुछ वास्तविक सा लग रहा था वह अपनी आंखों को बंद किए हुए था और अपने लंड को धीरे धीरे मुठिया रहा था,,, उत्तेजना की मदहोशी में वो इतना भी भूल गया था कि उसकी मां तकलीफ में थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां के बारे में मदहोश कर देने वाली कल्पना करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था,,,,संजू की कल्पनाओं का घोड़ा अपनी गति पकड़ लिया था और संजू कल्पना में अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपने मोटे और लंबे लंड को हाथ में पकड़ कर उसके गुलाबी छेद पर रख दिया था,,, कल्पना में भी वह अपनी मां की बुर की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर पा रहा था और नतीजा यही होगा कि वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया की कल्पना में भी अपनी मां की चुत में लंड डालने से पहले ही झड़ गया,,,, वह अपनी कल्पना से बेहद हैरान था उसे इस तरह की कल्पना गंदे विचार अपनी मां के बारे में लाना नहीं चाहिए था लेकिन वह मजबूर होता जा रहा था ना चाहते हुए भी उसके जेहन में उसकी मां का ख्याल आ जाता था,,,। अपने आप को संतुष्ट कर के वह सो गया,,,।
Sanju ki kalpna me uski mummy
सुबह सबसे पहले आराधना कि नींद खुली और वह जल्दी-जल्दी अपने दिनचर्या में लग गई,,,,,, आज वह अपने पति को नहीं जगाई क्योंकि धीरे-धीरे वह अपने पति से नफरत करने लगी थी उसकी बातें उसका ईल्जाम सब कुछ उसके कानों में जैसे जहर की तरह घूलता था,,,। वह जल्दी जल्दी खाना बना रही थी और नाश्ता तैयार कर रही थी,,,, पराठा बनाते समय उसके दिमाग में रात वाली बातें चल रही थी,,, उसके बेटे के द्वारा उठाया गया कदम उसे बहुत अच्छा लगा था,,, क्योंकि वह उसे बचाने के लिए आया था,,, एक मां को एक बेटे से यही उम्मीद भी होती है,,,, उसके पति से तो वह अब ना उम्मीद हो चुकी थी,,,,।आराधना अपने मन में ही सोच रही थी कि कैसे उसका पति उसे पीट रहा था और ऐसे में उसके बेटे से रहा नहीं गया और मैं उसे बचाने आ गया और कैसे उसका कॉलर पकड़कर पीछे खींचा था और उसका पति नीचे जा गिरा था फिर दोबारा डंडे से वार करने के चक्कर में फिर से संजू ने उसे नीचे गिरा दिया था,,,,। संजू की यह प्रतिक्रिया आराधना को विचार मांगने कर दी थी वह अपने मन में अब सोचने लगी थी कि उसके बाप की हरकतों से तंग आकर उसका बेटा भी अपने बाप की इज्जत करना बंद कर दिया है तभी तोबिल्कुल भी शर्म किए बिना ही वह अपने बाप के ही कॉलर को पकड़ लिया था और उसे नीचे गिरा दिया था पैसा एक बेटा तभी करता है जब उसका बाप उसकी नजरों से गिर जाता है उसका अत्याचार बढ़ जाता है,,,। आराधना को लगने लगा कि अब उसका बेटा उसके सामने दीवार बनकर खड़ा रहेगा उसका पति उसके साथ अब किसी भी प्रकार की जात्ती नहीं कर पाएगा,,, यह ख्याल मन में आते ही उसके होठों पर मुस्कान आ गई थी,,,
लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि जब उसका बेटा कमरे में दाखिल हुआ था तो वह किस अवस्था में थी,,,,,,,,, उस पल को याद करते ही वह शर्म से पानी-पानी होने लगी,,,,,,क्योंकि उसे ख्याल आ गया था कि जब उसका बेटा कमरे में दाखिल हुआ था तब वह केवल ब्रा और पैंटी में ही थी उसका गोरा बदन उसके बेटे की आंखों के सामने चमक रहा था,,,,। उसका बेटा उसे बचाने आया था और उसे बचाया भी था लेकिन उसकी खूबसूरती देखकर वह दंग रह गया था और घूर कर उसे देख रहा था इस बात का एहसास उस समय आराधना को होते ही वह शर्म से गड़ी जा रही थी,,,,,,एकदम से असमंजस में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह इतनी ज्यादा आ सकते हो गई थी कि बगल में पड़ी चादर भी उठा कर अपने ऊपर डाल सकने की हिम्मत उसने नहीं थी,,,, उसे याद आया कि उसके बेटे को यह ख्याल होते ही कि वह किसको घूर रहा है वह तुरंत बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाकर उसके ऊपर डाल दिया था,,,, अपने बेटे की यह हरकत याद आते ही उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,,।
वह पराठा को तवे पर रखते हुए इस बात के बारे में विचार कर रही थी कि,,,, क्या इस उमर में भी उसकी जवानी पूरी तरह से बरकरार है क्योंकि संजू एक जवान लड़का था उसे तो लड़कियों की खूबसूरत बदन में रुची होना चाहिए था लेकिन,,, वह उस समय जबकि वह परेशान थी मुसीबत में थी सताई हुई थी,,, फिर भी वह उसे प्यासी नजरों से घुर रहा था उसकी खूबसूरत अंगों को ऊपर से नीचे तक अपनी आंखों से जी भर कर देख रहा था,,,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,पर एक बात और उसे परेशान कर रही थी कि उसे कैसे पता चला कि उसका बाप मार रहा है,,, फिर अपने सवाल का जवाब खुद ही देते हुए वह अपने मन में सोची,,, शायद उसके रोने की आवाज सुनकर उसका बेटा आ गया और वो भी तो जोर-जोर से चिल्ला रहा था,,,,फिर वह अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ उसका बेटा सही मौके पर आ गया था क्योंकि उसका पति उसे जानवर की तरह पीट रहा था,,,।
धीरे धीरे खाना और नाश्ता दोनों तैयार हो चुका था रमेश अपने आप उठ कर नहा धोकर तैयार हो गया था ना सब करने के बाद बहुत सीधा-साधा इंसान हो जाता था इसलिए बिना कुछ बोले ही अपना टिफिन लेकर अपनी ड्यूटी पर चला गया मोहिनी भी उठकर तैयार हो गई थी,,,, और वह नाश्ता करके जल्दी कॉलेज के लिए निकल गई थी,,,। घर में केवल संजू और उसकी मा रह गए थे,,,, संजू नहा रहा था,,,,। और आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि कल रात वाले वाक्ये की वजह से वह अपने बेटे से नजर कैसे मिला पाएगी जो समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे के सामने कैसे जाएगी,,,, इसलिए वह रसोई घर में ही इधर उधर का काम करती रही तभी नहा धोकर तैयार होकर संजु रसोई घर में प्रवेश करते हुए बोला,,, और रसोई घर में प्रवेश करते समय उसकी नजर ऐसी थी उसकी मां की गोलाकार गांड पर टकराई जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गांड का उधार कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकला हुआ नजर आ रहा था अपनी मां की मदहोश कर देने वाली कसी गांड देखकर संजू के मुंह से आह निकल गई,,,, और वह बोला,,,।
मम्मी नाश्ता तैयार हो गया है,,,
नाश्ता तो मैंने कब से तैयार कर दी हूं मोहिनी तो नाश्ता करके चली भी गई है तू ही लेट हो गया है,,,।(आराधना बोल तो अपने बेटे से ही रही थी लेकिन उसे नजर नहीं मिला पा रही थी वह अपने आप को दूसरे काम में व्यस्त रखने का बहाना बनाते हुए उससे बात कर रही थी,,,)
ठीक है मम्मी जल्दी से नाश्ता निकाल दो देर हो रही है,,,
तेरा नाश्ता प्लेट में रखा हुआ है,,,
ओहहहह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो,,,(भले ही बेहद सहज रूप से संजू अपनी मां से बातें कर रहा था लेकिन उसके दिमाग में रात वाला ही दृश्य नजर आ रहा था जब वह अपनी मां को बिस्तर पर अर्धनग्न अवस्था में देखा था बार-बार उसकी चूचियों का उठावपन जोकी कसी हुई ब्रा में कुछ ज्यादा ही उभरी हुई नजर आ रही थी वह झलक उसकी आंखों के सामने आ जा रहा था,,।गुलाबी रंग की रंग बिरंगी पेंटी में उसकी मां की मोटी मोटी सुडौल जांघें और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,, और उस रात वाले द्शय को याद करके उसके पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया था,,, वह तुरंत नाश्ता करना शुरू कर दिया वह रसोई घर में ही पलाठी मारकर बैठ गया था,,, ना जाने क्यों इस समय अपनी बेटी की उपस्थिति में आराधना अपने आप को असहज महसूस कर रही थी उसका बदन कसमसा रहा था अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो जैसे किसी को हाथ पैर जमाने लड़के की उपस्थिति में खड़ी हो,,,, आराधना ऐसा पहली बार महसुस कर रही थी जिसका कारण था रात वाला वाक्या,,,,,, जबसे संजीव ने उसे अर्धनग्न अवस्था में देख लिया था तब से आराधना अजीब सी कशमकश में फसी हुई थी,,,।
वह काम करते हुए तिरछी नजरों से संजू की तरफ देख ले रही थी वह बड़ी मासूमियत के साथ बैठकर नाश्ता कर रहा था उसे देखने के बाद उसके मासूम चेहरे को देखने के बाद आराधना को यकीन नहीं हो रहा था कि रात को वह उसे बचाने के लिए उसके कमरे में आया था और उसकी मत मस्त जवानी देख कर उसे प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,,इस समय आराधना के मन में भावनाओं का बवंडर उड़ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या सोचे क्या ना सोचे,,, तभी उसे उसके पति के द्वारा लगाया गया गंदा एग्जाम याद आने लगा कि उसका पति अपने ही बेटे को लेकर उसे बदनाम कर रहा था,,, उसके पति के द्वारा उसकी बेटी के बारे में कहां गया एक एक शब्द शुल कि तरह चुभ रहा था,,,, बार-बार उसके घर के सब उसके कान में गूंज रहे थे कि संजू का जवान लंड से पसंद आ गया है संजू एक ही झटके में उसका पानी निकाल देता होगा,,,, यह सब बातें सोच कर ना जाने क्यों आराधना को गुस्सा भी आ रहा था और उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ हलचल सी महसूस भी हो रही थी,,,,,,,,,यह अनुभव आराधना के लिए बेहद अद्भुत था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने इस अनुभव के एवज में खुश हो या हैरान,,,,।
वह संजू से बात करना चाहती थी लेकिन कैसे करें उसे समझ में नहीं आ रहा था और एक लड़का भी था वह भी रात में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में बात करना चाहता था लेकिन शुरुआत कहां से करनी थी यह उसे समझ में नहीं आ रहा था भाई नाश्ता खत्म करने वाला ही था कि तभी आराधना हिम्मत जुटाते हुए बोली,,,।
रात को तूने जो कुछ भी किया उसके लिए थैंक यू,,,,
कैसी बातें कर रही हो मम्मी,,, वह तो मेरा फर्ज था मां के लिए उसके बेटे का यही फर्ज होता है कि वह उसकी हर हाल में सेवा करें उसकी हिफाजत करें,,,,मैं सुन सुनकर हैरान हो गया था मुझसे रहा नहीं गया जब तुम्हारे रोने की आवाज आने लगी तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं तुम्हें बचाने के लिए कमरे में आ गया,,,,।
तेरे पापा एकदम जानवर हो गए हैं,,,, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता अच्छा हुआ तु सही-समय पर आ गया था वरना तेरे पापा ना जाने मेरा क्या हाल करते ,,,,(आराधना संजू से नजर मिलाए बिना ही बोल रही थी,,)
अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मम्मी भी रोज सुनता आ रहा था सच में पापा जानवर हो गए हैं कल रात को तो हद ही हो गई थी लेकिन अब पापा तुम पर हाथ नहीं उठा पाएंगे,,, क्योंकि तुम्हारे आगे तुम्हारा यह बेटा खड़ा रहेगा,,,
(संजू की यह बातें सुनकर आराधना का दिन खुशी से झूम उठ रहा था,,, उसे इस बात की खुशी थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया था,,, लेकिन उसका इस तरह प्यासी नजरों से घुरना उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था,,,, आराधना अपने मन में यही सोच रही थी उस बारे में बात करे लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन फिर समझदारी दिखाते हुए,,, अपनी उस बात पर पुर्णविराम लगा दी,,, क्योंकि वह क्षेत्र से समझ रही थी कि उसके बारे में जिक्र छेड़ना भी उसके बेटे का मनोबल तोड़ सकता है इसलिए उस बारे में उसने बात भी नहीं की लेकिन वह बोली,,,)
बेटा क्या हम दोनों की बात तु रोज सुनता था,,,
(अपनी मां की यह बात सुनने के बाद संजय थोड़ा सोच में पड़ गया क्योंकि वह जान रहा था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है वह जानना चाहती थी कि उसकी हर एक बात को वह सुनता था या नहीं,,, और संजु बात को बिना छुपाए ही एक दम सच बोलते हुए बोला)
हां मम्मी मैं रात देर तक पढ़ाई करता हूं तो मुझे सब कुछ सुनाई देता है,,,
सब कुछ,,,(आराधना एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली)
हां मम्मी सब कुछ,,,,(संजीव अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है)
मतलब कि हम दोनों के बीच में कुछ भी बातें होती थी कार्यक्रमों से लेकर सब कुछ तुझे सब कुछ सुनाई देता था,,,।
हां मम्मी तुम दोनों की एक एक बात मुझे सुनाई देती थी,,,।
(अपनी मम्मी को सच्चाई बताते हुए संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी क्योंकि वह जानता था कि उसकी मम्मी अपने मन में क्या सोच रही है और उसी के चलते संजु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,उसे कॉलेज आने में देर भी हो रही थी इसलिए वह जल्दबाजी दिखाते हुए बोला,,,)
मम्मी अब मैं चलता हूं मुझे बहुत देर हो रही है और हां अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करना पापा तुम्हारे साथ जरा सी भी बदसलूकी नहीं कर पाएंगे क्योंकि मैं अच्छी तरह से समझ गया हूं कि उन्हें किस तरह से समझाना है तुम तो समझा समझा कर हार गई,,,(और इतना कहते हो गई संजू जल्दी से रसोई घर से बाहर आ गया क्योंकि उसके पैंट में तंबू अपनी औकात में बन चुका था इसलिए जल्दी से बैग उठाया और कुछ देर तक घर से बाहर खड़ा होकर अपने तंबू को गिरने का इंतजार करने के लिए और जैसे ही वह शांत हुआ ले कॉलेज की तरफ निकल गया और दूसरी तरफ आराधना के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि उसके बेटे के बताए अनुसार वह उन दोनों की सभी बातों को सुनता था,,,जिनमें गाली गलौज इसीलिए करके एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने तक की बातें थी और आराधना के द्वारा अपने कपड़े उतारने की बात और उसके पति के द्वारा जबरदस्ती करने की उससे कपड़े उतरवाने कि उसे नंगी करने की हर तरह की बातें थी जिसके बारे में सोच कर ना जाने क्यू आराधना की चूत से काम रस टपकने लगा था,,,,, वह इस बात से और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करने ताकि कि उसका पति बार-बार उसके बेटे के द्वारा गंदा एक जाम लगा रहा था वह समझ गई थी कि उसका बेटा उसके पति के द्वारा लगाया गया ईल्जाम भी सुना होगा,,, उसे धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि जिस तरह का इल्जाम उसका पति लगा रहा था उसी के चलते संजू उसे घूर कर प्यासी नजरों से देख रहा था,,,, इन सब बातों को सोच कर आराधना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी हुआ था उसे सेवा गुस्सा करें या खुशी मनाएं इतनी बात की खुशी उसे जरूर हो रही थी कि अब उसका पति उसे मारपीट नहीं पाएगा,,,,। लेकिन इस बात का डर भी उसे था की उसके बेटे के बीच में आ जाने से अब उसका पति उस पर उसके बेटे को लेकर और गलत गलत इल्जाम लगाएगा,,, लेकिन ना जाने क्यों अब उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थीक्योंकि वह समझ गई थी कि अब इसका पति सुधरने वाला नहीं है वह नशे में पूरी तरह से डुब चुका है,,,,,,,।अपने बेटे के बारे में सोच कर उसके माथे से पसीना टपकने लगा और उसकी दोनों टांगों के बीच से काम रस अपने बदन की गर्मी उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह तुरंत बाहर का दरवाजा बंद कर दे क्योंकि वह जानती थी कि अब घर में उसके सिवा कोई नहीं है और वह तुरंत बाथरूम में घुस गई और अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होगी वह अपने आप को एक जवान लड़के के नजर से देखने लगी और सोचने लगी कि क्या इस उम्र में भी वह किसी जवान लड़के के लंड को खड़ा कर सकती है,,,। ऊपर से नीचे तक अपने नंगे बदन को देखने लगी चुचियों का कसाव अभी भी बरकरार था,,, जिसे वह अपने हाथ में लेकर अनजाने में ही दबाने लगी उसे अपनी इस हरकत पर अपने बदन में सिहरन सी दौड़ टी हुए महसूस होने लगी वह अपनी नजरों को चुचियों से नीचे की तरफ ले गई तो मांसल चिकना पेट देख कर,,, खुद उसकी हालत खराब होने लगी उसके पेट का आकार ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन बेहद खूबसूरत और कामुक था जिसकी शोभा उसकी गहरी नाभि बढ़ा रही थी,,, नाभि से नीचे की तरफ नजर ले जाने पर उसे अपनी चूत पर फैले झांट के बाल नजर आने लगे जो कि काफी बड़े होकर झुरमुट से बन गए थे ऐसा नहीं था कि आराधना को सफाई पसंद नहीं थी वह हमेशा अपनी चूत को क्रीम लगाकर साफ रखती थी लेकिन अपने पति के रवैए को देखते हुए उसका मन नहीं करता था और धीरे-धीरे उसकी चूत पर झाटों का झुरमुट हो गया था,,,, वह अनजाने में अपनी हथेली को अपनी चूत पर रखकर दबाने लगी और अपने बेटे के बारे में सोचने के लिए,,,,
Aaradhana is tarah ki kalpna karte huye
ना चाहते हुए भी उसके पति के द्वारा लगाए गए इल्जाम के बारे में व कल्पना करने लगी,,,,और उसकी कल्पना उसे अपने साथ बाहर ले जा रहे थे वह कल्पना में पूरी तरह से खाने लगी अपनी आंखों को बंद करके वह अपने बेटे के द्वारा कल्पना करने लगे और अपने पति के कहे गए एक-एक शब्द को वास्तविक का रूप देते हुए सोचने लगे कि कैसे उसका पति कहता था कि उसका बेटा एक ही धक्के में उसका पानी निकाल देता होगा,,,, और वह देखते ही देखते अपनी चूत पर अपनी हथेली रगड़ते हुएअनजाने में ही अपने बेटे के लंड की कल्पना करने लगी उसका बेटा घट के लिए बदन का था कसरती बदन होने के नातेआराधना अपनी कल्पना में उसकी दोनों टांगों के बीच के इस हथियार को बेहद दमदार और लंबा मोटा कल्पना करने लगी इसके बारे में सोच कर ही उसकी चूत से काम रस टपक ने लगा था,,,, और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसका बेटा उसके पति के जैसा नहीं बल्कि बड़े प्यार से उसके बदन से एक-एक वस्त्र अपने हाथों से उतारकर उसे,,, नंगी कर रहा है,,,,
Aradhna ki madhoshi bhari kalpna
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और उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने के बाद,,, उसे प्यासी नजरों से देखते हुए,,, अपने खुद के कपड़े उतार रहा है,,,,आराधना एकदम मन से कल्पना कर रही थी इसलिए उसे सब कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आपको तो सब कुछ अनुभव कर रही हो उसकी हथेली चूत कर बराबर की रगड़ बना रही थी,,,,इस समय घर में कोई नहीं था और दरवाजे पर कड़ी लगी हुई थी इसलिेए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी,,,, देखते ही देखते कल्पना नहीं उसका बेटा अपने कपड़े उतार कर अपनी जींस की पेंट खोल रहा था उसकी जींस में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना के मुंह में पानी आ रहा था,,,,कल्पना में भी आराधना यही सोच रही थी कि उसका बेटा जल्दी से अपनी पैंट उतार कर अपने नंगे लंड का दर्शन उसे करवाएं,,,, और देखते ही देखते संजु ने अपनी पेंट भी उतार दिया,,,।कल्पना में अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर आराधना के मुंह में पानी आ गया,,, और उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,,,,।
Aradhna ki kalpna me Sanju
आराधना ने कभी इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन आज ना जाने क्यों वह अपने आप को बदल देना चाहती थी अनजाने में ही उससे यह हरकत हो रही थी बाथरूम में वह पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और उसकी हथेली उसकी चूत पर थी जिसे वो जोर जोर से लग रही थी आंखें बंद थी और कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था,,,, कल्पना में ही संजू उसे ईसारा करके अपनी तरफ बना रहा था और आराधना पैरों के बल चलते हुए बिस्तर के करीब पहुंच गई और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, आराधना को बहुत मजा आ रहा था कुछ देर तक उसकी कल्पना इसी तरह से चलती रही और फिर वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर खुद अपने बेटे का मुंह पकड़ कर उसे अपनी चूत पर रख दी उसका बेटा लपा लप चाटना शुरू कर दिया,,,,कल्पना में भी आराधना की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उस से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपने बेटे को उसके लंड को उसकी चूत में डालने के लिए बोल रही थी,,,,। उसका बेटा भी उसकी आज्ञा मानते हुए तुरंत अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की चूत में डाल कर सोचना शुरू कर दिया और कल्पना के अधीन होकर आराधना एक साथ अपनी दो उंगली को अपनी चूत में डाल दी,,,कल्पना करके वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी और जल्दी जल्दी अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी और उसे ऐसा लग रहा है कि जैसे उसका बेटा अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करके उसकी चुदाई कर रहा है वह इतनी ज्यादा गरम हो गई थी कि,,, थोड़ी ही देर में उसका कामरस उसकी चूत से भलभला बहने लगा,,,,जैसे ही वह कल्पनाओं की दुनिया से बाहर आई तो उसे वास्तविकता का ज्ञान हुआ और वह शर्म के मारे पानी पानी हो गई और अपनी हालत को देखकर एकदम से शर्म आ गई जल्दी से नहा कर वो बाहर आ गई और अपने कपड़े पहन कर अपने काम में लग गई,,,।
दूसरी तरफ संजू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कॉलेज जाने की जगह अपनी मौसी के घर की तरफ चल दिया,,,।
Nice commentnice update..!!
aaradhana ko uske pati ki taraf se sirf dukh hi mil raha hai..woh ab aradhana aur sanju ke bare me gandi baate karne laga hai..aaradhana ke upar ka aatyachar badhata hi ja raha hai..!! sanju ko mousi ke sath chudayi karne ke baad uski soch badal gayi hai..woh aaurat ko ek alag najar se dekh raha hai..ab woh apni behen aur maa ki taraf bhi attract ho raha hai..khaskar sanju ka zukav apni maa ki taraf badhta ja raha hai..sanju yeh bhi samajh raha hai ki uski maa ke sath uska baap had se jyada atyachar kar raha hai..aur sanju ne aakhirkar woh step bhi utha liya apni maa ke liye..aur sanju ne apne baap ko dhamaki bhi de di ki ab maa ko pareshan kiya toh achha nahi hoga..sanju uss waqt apni maa ko woh roop dekhkar attract toh huva lekin uss waqt sanju ko galti ka ehsas bhi huva aur ab sanju ghar ka asli mard bankar ubhar aaya hai..aur ab aaradhana bhi apne bete ke iss roop se bahot prabhavit hogi..!!