बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाआखिरकार वह दिन आ ही गया जिसका इंतजार पूरे परिवार को था ,,,, आराधना का दिल कुछ ज्यादा ही उत्तेजना से धड़क रहा था क्योंकि उसके जीवन में दूसरी बार सुहागरात वाली रात आने वाली थी पहली सुहागरात तो अपने पति के साथ मनाई थी लेकिन दूसरी सुहागरात उसे अपने बेटे के साथ मनानी थी,,, वैसे तो वह रोज ही अपने बेटे के साथ सुहागरात मानती थी और सुहागदीन भी,,, लेकिन आज की रात उसके जीवन की बहुत ही खास रात होने वाली थी और जिसका इंतजाम पहले से ही मोहिनी ने कर रखी थी और यह मोहिनी का ही सुझाव था सुहागरात मनाने का अपने पति से अलग होने का दुख नहीं बल्कि खुशी मनाना चाहती थी,,,,।
वैसे भी कोई भी औरत अपने पति से अलग होना नहीं चाहती लेकिन संजोग इस तरह के बन जाते हैं कि उसे अपने पति से अलग होना ही पड़ता है क्योंकि हालात उसकी सोच के बिल्कुल विपरीत चलने लगते हैं जैसा की आराधना के साथ हो रहा था पति की पीड़ा से वह पूरी तरह से जूझ रही थी कुछ वर्षों से उसे पति का प्यार पति की तरफ से मान सम्मान बिल्कुल भी नहीं मिल रहा था और आए दिन गलत गलत इल्जाम लगाने से आराधना अंदर ही अंदर टूट गई थी और ऐसे हालात में उसे अपने बेटे का सहारा मिला और अपने बेटे का सहारा पाकर वह भावनाओं में बहकर अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बन बैठी जिसका उसे अब कोई मलाल नहीं था और वह यही सोच रही थी कि अच्छा ही हुआ कि उसके पति से उसे छुटकारा मिल गया अब वह अपनी जिंदगी आराम से गुजार सकती थी अपने बच्चों के साथ,,,,।
आज मोहिनी काफी खुश नजर आ रही थी क्योंकि सब कुछ उसके सोच के मुताबिक हो रहा था,,,। उसकी मां और उसका बड़ा भाई यह बात अच्छी तरह से जानते थे आज की रात दोनों की सुहागरात थी लेकिन कैसे होगी यह वह दोनों नहीं जानते थे जिसका इंतजाम मोहिनी को खुद करना था,,,,। सुबह-सुबह ही रसोई घर में खाना बनाते हुए आने वाली रात के बारे में सोच कर आराधना मंद मंद मुस्कुरा रही थी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर रसोई घर में पानी पीने आई मोहिनी अपनी मां का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर चुटकी लेते हुए बोली,,,।
क्यों मम्मी आज रात की सुहागरात के बारे में सोच कर मुस्कुरा रही हो ना,,,।
(मोहिनी के मुंह से इतना सुनते ही आराधना शर्म से पानी पानी हो गई,,, क्योंकि एक मां से एक बेटी इसकी सुहागरात के बारे में बात करें भला ऐसा कौन सी मैन चाहेगी लेकिन यहां पर हालात बिलकुल विपरीत थे,,,, और शायद ऐसा पहली बार हो रहा था कि अपनी मां की सुहागरात की तैयारी एक बेटी कर रही थी और वह भी अपने भाई के साथ होने वाली सुहागरात के लिए,,,,, बहने अक्सर अपनी भाभी के लिए सुहागरात की सेज सजाती है फूलों से महकाती है लेकिन यहां पर उसके बिल्कुल विपरीत हो रहा था यहां पर मोहिनी को अपनी मां की सुहागरात की तैयारी करनी थी और इसीलिए मोहिनी की बात सुनकर आराधना शर्म से पानी पानी होने लगे लेकिन वहां अपने चेहरे पर अपनी उत्सुकता को छुपाने में नाकामयाब साबित हो रही थी उसके चेहरे पर उत्तेजना और उत्सुकता के भाव बराबर दिखाई दे रहे थे और इसीलिए मोहिनी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम आज की रात के लिए बेहद उत्सुक हो ,, और अंदर ही अंदर अपने आप को तैयार कर रही हो लेकिन तुम्हें रात के मुकाबले के लिए किसी भी प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं है क्योंकि इस तरह के खेल में तो तुम अच्छी तरह से माहिर हो,,,,।
मोहिनी तु बहुत शैतान हो गई है,,, भला कोई अपनी मां से इस तरह की बातें करता है,,,।
मैं अच्छी तरह से जानती हूं मम्मी की बेटी के लिए अपनी मां के बारे में इस तरह की बातें करना ठीक नहीं है लेकिन एक औरत की होने वाली सुहागरात के बारे में उसकी सहेलियां उसके साथ बात करके चुटकी लेती है और यहां पर समझ लो कि मैं ही तुम्हारी सहेली हूं जो आज की सुहागरात के बारे में तुमसे हंसी मजाक कर रही है,,,।
तू भी ना मोहिनी एकदम पागल है क्या जरूरत है यह सब की,,,
क्यों नहीं जरूरत है आज से तुम्हारे जीवन की नई शुरुआत होने वाली है और इसीलिए आज का दिन बहुत खास होना चाहिए और एक औरत के लिए इसकी सुहागरात ही सबसे खास होती है इसीलिए तुम्हारे लिए मैं सारा इंतजाम करने जा रही हूं,,,।
मैंने तो ऐसा कुछ मत कर मुझे बहुत शर्म आ रही है,,,
वो हो,,, यह तो और भी अच्छी बात है वैसे भी दुल्हन को अपनी सुहागरात को लेकर शर्माना ही चाहिए जितना तुम ज्यादा शर्माओगी भाई उतना ज्यादा मजा देगा तुमको,,,,
अरे हां तेरा भाई कहां है आज दिखाई नहीं दे रहा है,,,।
रात की तैयारी में लगा होगा लंड पर तेल लगा रहा होगा,,, ताकि आज तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना सके,,,,।
(इतना सुनते ही आराधना झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए हाथ में बेलन लेकर मोहिनी को मारने के लिए आगे बढ़ी तो मोहिनी खिलखिला कर हंसकर वहां से चली गई,,,, और आराधना अपनी चूत को अकेली होती हुई महसूस करने लगी उसे अपनी बेटी की बातें बेहद मादकता भरी लग रही थी,,, और अपने मन में सोच कर परेशान भी हो रही थी की ये केसे हालात उसके परिवार में बन गए हैं की परिवार में किसी से भी किसी के लिए पर्दा नहीं है मां बेटे बेटी सब लोग एक दूसरे से खुलकर बातें करते हैं जो कि इस तरह की बातें किसी और के परिवार में नहीं होती होगी लेकिन जहां एक तरफ इस तरह की बातें सोचकर आराधना हैरान हो रही थी परेशान हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह इस बात से खुश भी थी कि तीनों के पीछे इस तरह के संबंध हैं तीनों को एक दूसरे की जरूरत पूरी करने का साधन एक दूसरे से मिल जा रहा है वरना आजकल जवान लड़के क्या औरतें भी राह भटकने में समय नहीं लेती,,, आराधना की खुद के बारे में भी यही धारणा थी कि,,,, अगर सही समय पर उसे अपनी बेटी का साथ ना मिलता तो शायद किसी और के साथ शारीरिक संबंध बना लेती,,,,।
देखते-देखते दिन गुजरने लगा शाम को,,, सारी तैयारी कर लेने के बाद मोहिनी अपनी मां के कमरे का दरवाजा बंद करके उसमें ताला लगा दी थी और अपनी मां को साफ-साफ बोलती थी कि यह कमरा रात को 11:00 बजे ही खुलेगा जिसे वह खुद अपने हाथों से खोलेगी,,,, मोहिनी की बात सुनकर मां बेटे दोनों की सांस ऊपर नीचे हो रही थी उन दोनों को समझ में नहीं आ रहा था कि मोहिनी अंदर कैसा इंतजाम करके रखी होगी इसीलिए दोनों आश्चर्य से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे लेकिन दोनों के चेहरे पर उत्तेजना वह आश्चर्य के भाव साथ झलक रहे थे दोनों 11:00 का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे,,,।
वास्तव में ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके घर पर शादी वाला माहौल है ,,, मोहिनी के कहने पर उसकी मन खाने में छोले की सब्जी पूरी और खीर बना कर रखी थी जिसे तीनों एक साथ बैठकर खाकर तृप्त हो गए थे लेकिन असली तृप्ति तो अभी बाकी थी,,, क्योंकि अभी तो पेट की आग ठंडी हुई थी बदन की आग बुझाना तो अभी बाकी था,,,,।
खाना खाने के बाद मोहिनी और आराधना दोनों मिलकर बर्तन साफ कर दिए थे और आदत के अनुसार संजू कुछ देर के लिए बाहर टहलने के लिए गया था और यही मौका देखकर मोहिनी,,, जल्दी से अपनी कुर्ती में से चाबी निकाली जिसे वहां अपनी कुर्सी के अंदर ब्रा में डाल कर रखी थी मोहिनी का अपनी ब्रा में से चाभी निकालने का अंदाज आराधना को बेहद मोहक लगा था,,,,। वह चाबी अपने हाथ में लेकर अपनी मां से बोली,,,।
इधर आओ मम्मी मैं सब समझाती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह धीरे से दरवाजा खोली दरवाजे के दोनों पट को अपने हाथों से धक्का देकर जैसे ही उसने कमरे के अंदर प्रवेश की तो अंदर का नजारा देखकर पीछे खड़ी आराधना एकदम से हैरान रह गई कैमरा वाकई में पूरी तरह से सुहागरात के लिए ही सजा हुआ था मानो कि जैसे मोहिनी अपने भाई की शादी के बाद सुहागरात के लिए कमर सजाई हो आराधना तो हैरान हो गई थी क्योंकि इस तरह से तो इसकी सुहागरात में भी कमरा नहीं सजाया हुआ था जैसा कि आज उसकी लड़की ने उसके लिए कमरा सजा कर रखी थी,,,, आराधना की आंखें आश्चर्य से चोरी हो गई थी बिस्तर फूलों से सजा हुआ था बिस्तर के ऊपर फूलों की लड़कियां लगी हुई थी बीच में दो तकिया रखा हुआ था जिस पर दिल का निशान बना हुआ था और लाल चादर पर भी फूल बिछाए हुए थे अधिकतर गुलाब के फूलों का उपयोग किया गया था जिससे पूरा कमरा मंद मंद खुशबू से भरा हुआ था यह सब देखकर आराधना एकदम हैरान होते हुए बोली,,,।
यह सब क्या है मोहिनी,,,,!
तुम्हारी सुहागरात का इंतजाम है मम्मी आज की रात जिंदगी की सबसे यादगार रात बनने वाली है इसलिए तुम बिल्कुल दुल्हन की तरह सज जाओ,,,।
मतलब,,,,(फिर से आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)
रुको अभी बताती हूं,,,।
(इतना कहने के साथ ही मोहिनी अलमारी के पास गई और अलमारी को खोलकर अपनी मां के लिए लाल रंग की साड़ी लाल रंग का ब्लाउज लाल रंग की पेटिकोट और दो दिन पहले ही खरीदी गई लाल रंग की जालीदार ब्रा और पेटी दोनों निकालकर अपने हाथों में लिए हुए अपनी मां के सामने आ गई और कपड़ों को अपनी मां की तरफ करते हुए बोली,,,,)
अब जल्दी से अपने पुराने कपड़ों को उतार कर सज धज कर इस कपड़े को पहन लो आज तुम्हे बिल्कुल दुल्हन की तरह लगना है,,,।
(मोहिनी के हाथों में लाल रंग के जोड़े को देखकर आराधना शर्म से मरी जा रही थी... उसे समझ में नहीं आ रही थी कि वह अपनी बेटी को क्या कहें हालात पूरी तरह से बदल गए थे मोहिनी में उसे अपनी बेटी नहीं बल्कि एक सहेली नजर आ रही थी जो उसकी मदद कर रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपने बेटी के हाथों से लाल रंग की जोड़े को ले ले,,, क्योंकि भले ही मोहिनी के लिए यह सब सहज था लेकिन आराधना के लिए बिल्कुल भी सहज नहीं था वह शर्म से मरी जा रही थी,,, इसलिए कुछ देर तक वहां मोहिनी की तरफ देखती रह गई तो मोहिनी खुद उसे कपड़े को अपनी मां के हाथों में पकडाते हुए बोली,,,,)
जल्दी करो मम्मी भाई के आने से पहले तुम दुल्हन की तरह तैयार हो जाना,,,,(और इतना कहकर वह जाने लगी तो उसे रोकने के लिए वह बोली)
अरे सुन तो मुझे बहुत शर्म आ रही है,,,।
मैं कुछ भी सुना नहीं चाहती 15 मिनट में जल्दी से तैयार हो जाओ मैं बाहर से दरवाजा बंद कर देता हूं ताकि इस दरवाजे को भाई अपने हाथों से खोलें,,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी कमरे से बाहर निकल गई कमरे के अंदर आराधना शर्म से मरी जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसके बदन में हल्का कंपन हो रहा था उसकी टांगें थरथरा रही थी,,, अपने बेटे के साथ हमबिस्तर होना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि यह उसके रोज का काम था लेकिन आज की रात कुछ खास थी आज की रात उसे मन बनाकर उसका बिस्तर गर्म नहीं करना था बल्कि उसकी बीवी बनाकर उसका बिस्तर गर्म करना था और एक औरत के लिए तब यह ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब वह मां का अदाकारी करते-करते बीवी बन जाए और वैसे भी जिस तरह के संबंध आराधना और संजू के बीच था उसे देखते हुए दोनों के बीच मां बेटे का काम बीवी और पति का रिश्ता कुछ ज्यादा ही था,,,,।
कमरे का दरवाजा बंद हो चुका था मोहिनी कमरे को बाहर से बंद करके अपने कमरे में चली गई थी आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि 15 20 मिनट में ही उसका बेटा घर पर वापस आ जाएगा और इसी बीच उसे दुल्हन की तरह तैयार होना था उसे अपने पुराने दिन याद आ गए थे जब पहली बार इसी तरह से वह सज-धजकर कमरे में अपने पति अशोक का इंतजार कर रही थी,,, लेकिन आराधना के लिए वह जितना खास दिन था उससे भी ज्यादा खास दिन आज लग रहा था क्योंकि अशोक तो उसका पति था एक बीवी का फर्ज था अपने पति को खुश करने का लेकिन आज वह एक मां थी और अपने बेटे के लिए उसे दुल्हन की तरह सजना था इसीलिए वह परेशान भी थी उत्सुक भी थी और उत्तेजित भी थी,,, उसे समय तो वह अपने पति के लिए सहज रूप से जैसा कि हर औरत अपने जीवन की सुहागरात वाली रात को सजती धजती है, उसी तरह से आराधना भी सजी हुई थी,,,, लेकिन आज इस तरह से एक दुल्हन के रूप में सजने में उसके पसीने छूट रहे थे उत्तेजना के मारे उसकी टांगें कांप रही थी,,, और मदहोशी के आलम में उसकी चूत में घुल रहा मदन रस उसके मुख्य द्वार तक आकर फिर वापस चला जा रहा था,,,। उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी चूत कचोरी की तरह फुल चुकी थी,,,।
आराधना के पास वक्त ज्यादा नहीं था उसे 15 मिनट के अंदर ही तैयार होना था और वह जानती थी कि इसी तरह से खड़ी होकर सोचती रह गई तो समय निकल जाएगा और वह अपने बेटे को सरप्राइज नहीं दे पाएगी जैसा कि उसकी बेटी चाहती है,,, अच्छी तरह से जानती थी कि वह भले ही सुहागरात के लिए इंकार करते लेकिन अपने बेटे के साथ हम बिस्तर तो उसे हर हाल में होना है अपने बेटे के साथ चुदवाना उसके लिए भी बेहद जरूरी है इसलिए वह भी अपने आप को अपने बेटे के साथ होने वाली सुहागरात के लिए तैयार करने लगी,,,, और इसीलिए वह बड़े से आईने के सामने जाकर खड़ी हो गई,,यह आदमकद आईना कुछ महीना पहले ही उसने खरीदी थी क्योंकि वह अपने नंगे बदन को आईने में देखना चाहती थी,,,,। वह आईने में देखते हुए अपने वस्त्र को उतारना चाहती थी और वस्त्र को पहनना चाहती थी और इसी ख्वाहिश के चलते वह आदमकद आईने को खरीदी थी,,, और रोज ही इसके सामने खड़ी होकर वहां अपने कपड़े उतार कर नंगी होती थी और फिर अपने अंगों को देखकर कपड़े पहनकर मन ही मन प्रसन्न होती थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती अच्छी दो-दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी आज भी उसके बदन की जवानी देखकर अच्छे-अच्छे का पानी निकल जाता था और,,,, अभी तक उसने अपने बदन को बरकरार बना कर रखी हुई थी।,,
बड़े से आईने के सामने खड़ी होकर वह कुछ सेकेंड तक अपने आप को देखते रह गई आज भी वह बला की खूबसूरत लगती थी अपने आप को देखते देखते वह अपने कंधे पर से अपनी साड़ी के पल्लू को अपने हाथों से नीचे गिरा दी और ऐसा करने पर उसकी भारी भरकम छातियां ब्लाउज में कैद नजर आने लगी जिसे देखकर उसके होठों की मुस्कान और ज्यादा बढ़ गई,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों को आकर्षित करने में औरतों की गोलाकार चुचीया अहम भूमिका निभाती है पर वह जानती थी कि उसकी चूचियां आज भी पूरी तरह से आकर्षक थी इसके आकर्षण में उसके खुद का जवान बेटा पागल हो चुका था उसका दीवाना हो चुका था,,,, धीरे-धीरे वह अपनी कमर पर बंधी हुई साड़ी को खोलना शुरू कर दी और अगले ही पल वह अपनी साड़ी को उतार कर,,,, एक कोने में रख दी और आईने के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी,,,, और इस हालात में वह बला की खूबसूरत लग रही थी।,,,.
उसके बदन से साड़ी उतारकर कमरे के कोने में पड़ी हुई थी ब्लाउज में इसकी भारी भरकम खरबूजे जैसी गोल-गोल चूचियां जमाने में असमर्थ साबित होती थी लेकिन वह किसी तरह से अपने ब्लाउज के बटन को बंद करके अपनी बेलगाम चूचियों को काबू में करने की कोशिश करती थी इस हालत में अगर कोई भी आराधना के रूप को देख ले तो बिना कुछ बोल ही उसका लंड अपने आप खड़ा होकर अपनी औकात में आ जाए क्योंकि इस रूप में आराधना एकदम काम की देवी लगती थी,,,, ब्लाउज में उसकी भरी हुई ऐसा प्रतीत हो रहा था की बगावत पर उतर आई है ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने को आतुर हो गई है लेकिन इसी आतुरता को आराधना खुद अपने हाथों से दूर करते हुए अपने ब्लाउज के बटन को खोलने लगी एक तरफ हुआ अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देकर अपने ब्लाउज के बटन खोल रही थी और दूसरी तरफ वह आईने में अपने आप को निहार रही थी ब्लाउज खोलने में भी उसका एक अलग अंदाज था जिसे देख पाना हर एक मर्द की ख्वाहिश होती है और आराधना की तरफ से एक ख्वाहिश केवल संजू के लिए पर्याप्त थी संजू अपने आप को इस तरह के नजारे को देखकर धन्य समझता था लेकिन अधिकतर वह खुद ब्लाउज को अपने हाथों से खोलना था ऐसा कमी होता था की आराधना अपने हाथों से ब्लाउज का बटन अपने बेटे के लिए खोल रही हो,,,,।
धीरे-धीरे आराधना एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दी और ब्लाउज के दोनों पट अलग हो गए ब्लाउज के दोनों पट अलग होते ही ब्रा में किए थे उसकी दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी आराधना की आदत थी कि वह अपने नाप के हिसाब से एक डोरा कम ही नाप का ब्रा पहनती थी ताकि उसकी चुचियों का कसाव बरकरार रहे,,,,, देखते ही देखते अपने होठों पर मुस्कुराहट भी खेलते हुए आराधना अपने ब्लाउस को उतार कर इस कोने में फेंक दी जहां पर साड़ी पड़ी हुई थी और फिर वह नजर भरकर ब्रा में कैद अपनी चूचियों को आईने में देखने के बाद अपने एक हाथ की उंगलियों को हरकत देते हुए उसे अपनी पेटिकोट की डोरी पर रख दी,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि कुछ देर बाद उसके पेटिकोट की डोरी उसका बेटा अपने हाथों से खींच कर खुलेगा और यह खैर मन में आते ही उसके तन-बाद में उत्तेजना के लहर उठने लगी उसके बदन का हर एक तार झनकने लगा,,,, और फिर वह अपनी पेटीकोट की डोरी को अपनी उंगलियों में पकडते हुए खींच दी और उसके हिसाब करने पर कमर से कई हुई पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई लेकिन पेटिकोट की डोरी वाली जगह आराधना की कमर के गोलाई में अपने लिए जगह बनाई हुई थी इसलिए उसजगह पर उसकी पेटीकोट ढीली होने के बावजूद भी टिकी रह गई थी क्योंकि वह अभी पूरी तरह से ढीली नहीं हुई थी,,,, और आराधना अपने दोनों हाथों की बीच वाली उंगली को पेटिकोट के अंदर डालकर उसे दोनों तरफ घूमर उसे अपनी कमर से ढीली कर ली और उसे उसी अवस्था में अपने हाथों से छोड़ने से पहले आगे से अपनी मुट्ठी में पकड़ ली और एक बार फिर से अपनी रूप लावण्य को देखने लगी,,,, आराधना अपनी जवानी अपना हुस्न देखकर अंदर ही अंदर गर्व महसूस कर रही थी,,, क्योंकि इस उम्र में भी वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी इस उम्र में भी उसकी ख्वाहिशें जवां थी,।
वह आईने में अपने आप को साफ देख पा रही थी उत्तेजना के मारे उसकी सांसे गहरी चल रही थी और गहरी सांसों के चलने की वजह से उसकी चूचियां जो कि अभी भी ब्रा में खेती थी वह ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी ऊपर नीचे हो रही चूचियां खुद उसकी हालत को खराब कर रही थी तो मर्दों की बीसात ही क्या थी,,, आराधना समय की मर्यादा को अच्छी तरह से जानती थी खुद तो वहां अपनी मर्यादा को लग चुकी थी लेकिन इस पल की मर्यादा को लांघना नहीं चाहती थी क्योंकि वह समय में रहकर अपने बेटे को आश्चर्यचकित कर देना चाहती थी जिसके लिए उसकी बेटी ने पूरी तैयारी करके रखी थी,,,। और इसीलिए वहां अपनी पेटीकोट को जो कि वह मुट्ठी में पकड़ रखी थी अपनी मुट्ठी को खोल दी और उसकी पेटिकोट मुट्ठी में सरकती हुई रेत की तरह भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरी और आराधना आईने के सामने ब्रा और पेटी में आ गई,,,, इस रूप में भी आराधना का रूप यौवन पूरी तरह से मिला हुआ नजर आ रहा था वैसे तो वह कपड़ों में जिस तरह की सुंदरता की मूरत दिखाई देती थी उससे भी कई ज्यादा मदहोश कर देने वाली सुंदरता उसकी नग्नता में नजर आती थी,,,, और आराधना अपने बदन की नग्नता की ओर अग्रसर थी,,,, उसे संपूर्ण रूप से वस्त्र विहीन होने में अभी भी केवल दो वस्त्र ही रह गए थे जो औरतों की जवानी और मर्दों की उत्तेजना के केंद्र बिंदु बने रहते हैं उसकी ब्रा और उसकी पेंटिं जिसमें वह दुनिया का सबसे बेस्ट कीमती खजाना छुपाए बैठी थी,,, चुची और चूत,,,, यह दो शब्द ऐसे थे जिसके लिए मरद किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता है औरतों के इस दो अंग को पाने के लिए वह पूरी ताकत झोंक देता है और इसे प्राप्त कर लेने के बावजूद भी अपनी मर्दाना ताकत दिखाने के लिए उसे अपनी जवानी का रस नहीं छोड़ देना पड़ता है जिसमें बहुत कम लोग ही कामयाब हो पाते हैं और जो कामयाब हो जाते हैं औरतें उनकी मर्दानगी की दीवानी हो जाती है जैसा की आराधना अपने बेटे की मर्दानगी की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी,,,,।
अब समय आ गया था आराधना को नंगी होने के लिए और इसीलिए वह अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी और अगले ही पल वह अपनी ब्रा कहो को खोलकर धीरे से नजाकत दिखाते हुए अपने दोनों हथेलियां को अपनी चूची पर रखकर ब्रा के कप को अपनी हथेली में लेकर उसे धीरे से अपनी बाहों में से ब्रा की डोरी को निकलने लगी और अगले ही पल उसकी छाती से उसकी ब्रा अलग हो चुकी थी और ब्रा के अलग होते ही उसकी सुंदरता में चार चांद लग गए थे जिसमें से दो चांद उसकी छाती पर नजर आ रहे थे,,,,, वैसे तो औरतें आसमान में चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ती है लेकिन मर्द हर एक रात को अपनी बीवी के दोनों चांद को देखकर ही उसकी रोशनी में नहाते हैं,,,,।
आराधना आईने में अपनी दोनों चूचियों को देख रही थी जो की खरबूजे के आकार में एकदम गोल नजर आ रही थी और सबसे आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह थी कि अभी भी उसकी छातिया की शोभा बढ़ा रही है उसकी दोनों चुचियों में बिल्कुल भी ढलाव नहीं आया था उसमें जरा भी लचकपन नहीं था आज भी जवानी के दौर की तरह ही एकदम मजे हुए सैनिक की तरह जवानी के मुख्य द्वार पर सीना ताने खड़े थे,,,, आराधना की यह वही चूचियां थी जिसे देखकर अच्छे अक्षरों के मुंह में पानी आ जाता था हालांकि संजू से ज्यादा और कोई भी खुशकिस्मत नहीं था क्योंकि संजू तो अपनी मां की नंगी चूचियों के दर्शन रोज ही करता था और उनसे खेलते भी था लेकिन बाकी के मर्द तो केवल उन्हें वस्त्र में देख कर ही केवल अंदाजा लगाकर ही अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपने हाथों का प्रयोग करते थे जबकि संजू अपनी मां की दोनों जवानी से खेल कर उसके छोटे से गुलाबी छेद में अपना औजार डालकर अपनी जवानी का रस निकलता था,,,, अपनी कई हुई चूचियां देखकर आराधना के होठों पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसे इस बात का करवा था कि इस उम्र में भी उसकी चुचियों का कसाव बरकरार था और यह सब उसकी देखरेख और संजू के प्यार का नतीजा था,,,, एक बार ना चाहते हुए भी वह अपने दोनों हाथों को अपने दोनों चूचियों पर रखकर उसे हल्के-हल्के सहलाते हुए उत्तेजना के आसार में हल्के से दबा दी और उसे दबाते ही उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और वह अपनी ही नजर में शर्मा गई,,,,। वह इस बात से और ज्यादा उत्तेजित और उत्सुक थी कि थोड़ी देर बाद उसका बेटा उसकी दोनों जवानियों को अपने हाथों में लेकर जी भर कर खेलेगा उन्हें टमाटर की तरह लाल कर देगा,,,, और यही सोचते हुए आराधना अपनी पैंटी की तरफ नजर डालकर देखने लगी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी पेंटी के निचले हिस्से पर गीलापन महसूस हो रहा था जो की आईने मे उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी पैंटी आगे से पूरी तरह से गिली हो चुकी थी। और अपनी स्थिति को देखकर वहां खुद आईने के सामने शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि अभी तो शुरुआत थी अभी तो पूरी रात बाकी थी अभी तो वह कमरे में केवल अकेली थी अभी तो उसका साजन आना बाकी था जो उसे बिस्तर पर ले जाकर उसके बदन को अपनी बाहों में लेकर उसे तार-तार कर देने वाला था,,,, उसके छोटे से गुलाबी छेद को अपने औजार से फैलाकर भोसड़ा बना देने वाला था और इन सब के लिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी वह जानती थी कि आज की रात उसके जीवन की यादगार रात होने वाली थी इसीलिए तो उसकी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी ,,,,।
अपनी गीली पेंटी को नजर अंदाज करके वह अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों को हल्के से दोनों तरफ से अपनी पैंटी के अंदर प्रवेश कर कर उसे उंगलियों के सहारे से पकड़ ली और उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी यह नजारा भी क्या खूब था,,, आराधना अपनी उंगलियों को हरकत दे रही थी और इस अंदाज को इस नजारे को वह आईने में देख रही थी जैसे-जैसे उसके बदन की चड्डी नीचे की तरफ जा रही थी वैसे-वैसे उसकी जवानी का केंद्र बिंदु आईने में साफ नजर आ रहा था,,,, चूत पर मखमली बाल का रेशा तक नहीं था क्योंकि आराधना की इबादत पड़ चुकी थी वहां दो-तीन दिन के बाद खुद क्रीम लगाकर अपनी चूत के बाल को एकदम साफ कर देती थी एकदम चिकनाहट भारी रखती थी ताकि उसके बेटे का इमान बार-बार उसे देखकर फिसलता रहे,,,,, और देखते ही देखते आराधना को आईने में उसकी खुद की कचोरी जैसी खुली हुई चूत एकदम साफ नजर आने लगी अभी वह चड्डी को केवल अपनी चूत के आकार के नीचे तक ले गई थी यह नजारा देखकर उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह जानती थी कि जब उसकी हालत हो रही है तो जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी चड्डी उतारेगा उसकी गुलाबी चूत को देखेगा तो उसकी क्या हालत होगी,,, लेकिन इतना तो वह जानते ही थी कि संजय के लिए तो यह उसका रोज का काम था,,, लेकिन वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि आज की रात इस तरह से उसके लिए खास थी उसके बेटे के लिए भी बेहद खास होने वाली थी इसलिए आज जो कुछ भी होगा उसके और उसके बेटे के जीवन में पहली बार होगा और आज की रात दोनों के जीवन को पूरी तरह से बदलकर रखने का इसीलिए वह उत्सुक थी कि जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी चड्डी उतरेगी और उसकी गुलाबी चूत देखेगा तो उसके चेहरे के भाव कैसे नजर आते हैं,,,। यही सब सोते हुए आराधना अपनी चड्डी को देखते-देखते अपने घुटनों के नीचे तक ले आई और उसके बाद खुद एकदम से खड़ी हो गई अपने पैरों के सहारे से अपने पैर में से अपनी चड्डी को उतार दी और अपनी ही चड्डी को अपनी पर के अंगूठे और उंगली का सहारा लेकर पड़कर उसे हल्के से ऊपर की तरफ उठाई और अपनी चड्डी को हाथ में लेकर वह अपनी चूत से निकल रहे काम रस को साफ करके पेंटिं को भी कमरे के कोने में फेंक दी,,,।
पूरी तरह से नंगी हो जाने के बाद आराधना अपने आप को अपने रूप को आईने के अंदर देखने लगी और अपनी नितंबों को आईने की तरफ घूमर अपनी नजर को तिरछी करके आईने में अपनी गोलाकार गांड को देखने लगी जो कि एकदम जानलेवा नजर आ रही थी कमर से नीचे का भाग पूरी तरह से उन्नत पहाड़ की तरह उभर कर नजर आ रहा था जिसे देखकर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, और वह अपने मन में ही कहने लगी कि इस गाने को देखकर तो उसका बेटा चारों खाने उचित हो जाएगा,,, ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसका गोरा बदन एकदम दूध की तरह चमक रहा था वह बार-बार आईने में अपनी नितंबों को देख रही थी और अपने दोनों हथेलियां को उसे पर रखकर हल्के हल्के सहला रही थी,,,,, उसे अपनी नितंबों की त्वचा एकदम मक्खन मलाई की तरह फिसलते हुई महसूस हो रही थी और वह इस बात से खुश थी कि जब उसका बेटा अपने होठों से उसके नितंबों का स्पर्श करेगा तो वह मदहोश हो जाएगा और जी भर कर उसके नितंबों से खेलेगा उसके छोटे से छेद पर जीभ लगाकर चाटेगा,,,, अपने मन में यही सोचते हुए आराधना को एक शरारत सूझी और वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुककर अपने नितंबों की तरफ देखते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी गांड के दोनों आंखों को हल्के से फैला कर अपनी गुलाबी छेद और अपनी गांड के बुरे छेद की तरफ देखने लगी और दोनों ही छेद पूरी तरह से मर्दाना अंग को अपने अंदर लेने के लिए आतुर नजर आ रहे थे अपने छोटे से छेद को देखकर आराधना के तन-बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,, और वह अपने मन में सोचने लगी की औरत के यही दो छेद मर्दों को पूरी तरह से जीवन भर औरत का गुलाम बनाकर रख देती है,,,,,।
थोड़ी देर में वह अपनी पूर्व वत स्थिति में आ चुकी थी,,, और टेबल पर पड़े अपने लाल रंग के जोड़े की तरफ देख रही थी कपड़ों को पहनने से पहले वह अलमारी की तरफ गई और उसमें से जो कि अभी भी अलमारी खुली हुई थी वह एक हल्के खुशबू वाला परफ्यूम निकाली और उसे हल्के से अपने हाथ को ऊपर करके अपनी कांख में उसे परफ्यूम को स्प्रे करने लगी ताकि उसमें खुशबू बरकरार रहे और फिर वह उसे परफ्यूम को हल्के से अपनी चूत पर भी मार कर उसे खुशबूदार बना दी ताकि जब उसका बेटा उस पर जीभ लगाकर चाटे तो वह उसकी खुशबू से और ज्यादा मदहोश हो जाए,,,,,, आराधना किसी भी तरह से इस यादगार रात को पूरी तरह से अपनी मधुर एहसास से भर देना चाहती थी ताकि उसका बेटा जिंदगी भर उसकी जवानी की प्यास बुझाता रहे,,,,।
अपने बेटे के द्वारा खरीदी गई चड्डी को अपने हाथ में लेकर उसे उत्तेजना के मारे अपनी चूत फूलती और पिचकती हुई महसूस होने लगी उसे जालीदार चड्डी को देखकर वह समझ गई थी किस पहनने के बावजूद भी अपनी चूत छुपाने का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि सब कुछ नजर आ रहा होगा और यही सोचकर वह चड्डी को वापस टेबल पर रखती और फिर लाल रंग की बरा अपने हाथों में ले ले जो कि वह भी जालीदार था जिसमें से उसकी चूचियां उसकी निप्पल सब कुछ नजर आने वाली थी वह मुस्कुराते हुए ब्रा को पहनने लगी,,,, और देखते ही देखते अपने गर नंगे बदन पर ब्रा को पहनकर वहां दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक बंद कर दी और आईने में अपने आप को देखने लगी,,, गोरे बदन पर लाल रंग की ब्रा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी और जालीदार ब्रा में से उसकी नंगी गोरी गोरी चूचियां झलक रही थी और साथ ही उसकी चॉकलेटी रंग की छोटी सी कैडबरी जैसी चॉकलेट भी उत्तेजना के मारे तनकर अपना अस्तित्व दिख रही थी,,,, आराधना अपने दोनों हथेलियां को अपनी चूचियों पर रखकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाकर उसे ब्रा में अपनी चूचियों को फिट करने लगी और फिर मुस्कुराते हुए वहां फिर से अपनी लाल रंग की चड्डी को अपने हाथों में ले ली और फिर नीचे की तरफ झुक कर उसमें एक-एक करके दोनों पैरों को डालकर अपनी चड्डी को ऊपर की तरफ उठने लगी और अगले ही पर वह अपनी छोटी सी गुलाबी छेद को उसमें छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए अपनी चड्डी को पहन ली लेकिन आईने में देखकर उसे साफ पता चल रहा था की चड्डी में उसका अंग बिल्कुल भी छुपा नहीं था ,,, जालीदार चड्डी में उसकी खुली हुई चूत का हर एक हिस्सा नजर आ रहा था और उसे जालीदार चड्डी से उसकी चूत पूरी तरह से चिपकी हुई थी इसलिए उसका आकार भी एकदम साफ नजर आ रहा था खुद अपनी चूत को देखकर आराधना के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,,,,
वह मुस्कुराते हुए अपने लाल रंग के ब्लाउज को अपने हाथों में ले ली और उसे पहनने लगी और एक-एक करके अपने सारे बटन को बंद करके वह ब्लाउज को व्यवस्थित करके पेटिकोट की तरफ हाथ बढ़ा दे पेटिकोट को पहनने के बाद उसे इस बात का एहसास होगा कि लाल रंग की पेटिकोट उसके नितंबों से एकदम चिपकी हुई थी पेटिकोट का कसम उसके नितंबों पर एकदम जबरदस्त कसा हुआ था जिसकी वजह से उसके नितंबों का आकार भी एकदम खुलकर सामने नजर आ रहा था,, वहां पेटीकोट को पहन कर उसकी डोरी को गीठान मारते हुए आईने की तरफ घूम कर अपने नितंबों को देख रही थी जो की काफी ऊभरी हुई नजर आ रही थी,,, और फिर देखते ही देखते वहां लाल रंग की साड़ी को पहनकर एकदम दुल्हन की तरह तैयार हो चुकी थी,,,,, लेकिन अभी भी उसका सिंगार बाकी था,,,।
वह धीरे से अलमारी की तरफ गई और ड्रोवर खोलकर,,, उसमें से अपने गहने और चूड़ियां निकलने लगी और उसे एक-एक करके अपनी कलाइयों में सजने लगी देखते-देखते वह अपनी दोनों कलाइयों में ढेर सारी चूड़ियां लाल रंग की हरी रंग की पीले रंग की पहन ली थी और उसकी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा मधुर संगीत से गुंज रहा था,,,, वह धीरे-धीरे अपनी शादी के गहने भी पहने लगी और फिर माथे पर बिंदी लगाकर वह लाल रंग की लिपस्टिक अपने होठों पर लगाकर अपने रूप यौवन को और भी मादकता प्रदान करने लगी लाल रंग की लिपस्टिक लगाकर तो वह वाकई में एकदम दुल्हन की तरह नजर आ रही थी जिसे देखने के बाद किसी भी दूल्हे का लंड खड़े-खड़े पानी छोड़ दे,,,, वह दुल्हन की तरह सज कर तैयार हो चुकी थी,,,,। और यह सब वह मोहिनी के द्वारा दिए गए समय मर्यादा में पूरा कर ली थी वह अपने आप को अपने रूप यौवन को आईने में देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी कि तभी बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज आई और वह झट से बिस्तर पर फूलों की लाडो को अपने दोनों हाथों से हटाते हुए बिस्तर के बीचो-बीच दुल्हन की तरह सिमट कर जाकर बैठ गई,,,,, वह जान गई थी कि संजू वापस आ चुका था,,,।
संजू अच्छी तरह से जानता था कि आज की रात उसके और उसकी मां की सुहागरात की रात थी लेकिन वह अपनी मां के कमरे में जाने से पहले अपने कमरे में गया जहां पर मोहिनी पहले से उसका इंतजार कर रही थी और उसे देखकर मुस्कुराते हुए बोली,,,।
आओ मेरे मम्मी के दुल्हेराजा,,,,
तेरा भी तो हूं,,,,,
वह तो है ही,,,, लेकिन आज की रात के लिए तो तुम मेरी मम्मी के दूल्हे राजा होना इसीलिए कह रही हूं कि एक दूल्हे की तरह तैयार हो जाओ,,,(इतना कहते हुए वह अपनी जगह से उठकर खड़ी हुई और पास में ही टेबल पर पड़े शेरवानी को उठाकर संजू की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) लो ईसे पहन लो,,, और एक दुल्हन के लिए दूल्हा बन जाओ,,,,।
(मोहिनी की बात और शेरवानी की तरफ देख कर संजू थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया और बोला ,,,)
यह सब क्या है,,,?
दूल्हे की पोशाक,,,,
क्या मोहिनी,, तू भी ना,,,,
अब मैं कुछ नहीं सुनना चाहती बस जल्दी से इसे पहन कर तैयार हो जाओ,,,,,,
तू अपनी जीद पूरी करके ही रहती है,,,।
जीद पूरी करने में ही तो मजा है,,,, लो जल्दी से समय मत बर्बाद करो,,,, कमरे में मम्मी तुम्हारा इंतजार कर रही है,,,,।
(थोड़ी ही देर में संजू की शेरवानी पहनकर एकदम दूल्हे की तरह तैयार हो गया,,,, शेरवानी में संजू और भी ज्यादा खूबसूरत और गठीले बदन का लग रहा था,,,, उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए मोहिनी बोली,,,)
वह भाई तु तो एकदम सच का दूल्हा लग रहा है,,,, तुझे देखते ही मम्मी का पानी निकल जाएगा,,,,,।
बस अब बकवास बंद कर,,,,(संजू थोड़ा सा शरमाते हुए बोला,,,, वैसे तो वह कभी भी समाधान नहीं था लेकिन आज दूल्हा बनने के बाद उसे भी शर्म महसूस हो रही थी और अच्छा भी लग रहा था,,,,)
चलो मैं तुम्हें मम्मी के कमरे तक छोड़ देती हूं,,,,(और इतना कहने के साथ है मोहिनी अपने भाई का हाथ पकड़ कर उसे अपनी मां के कमरे के पास लेकर गई और दरवाजे के बाहर से ही आवाज लगाते हुए बोली,, )
आ गया तुम्हारा दूल्हा,,,,,(और हंसते हुए अपने कमरे में चली गई,,,,,, अंदर आराधना फूलों से सजाई हुई सेज पर बैठी हुई थी,,, मोहिनी की आवाज सुनते की उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वाकई में आज उसे दुल्हन बनने का एहसास हो रहा था,,,,,, इसलिए अपने दूल्हे को दरवाजे पर खड़ा हुआ महसूस करके उसके अंदर की दुल्हन पूरी तरह से जागरूक हो चुकी थी और यह दुल्हन का एहसास उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में बड़े अच्छे से हो रहा था,,,, जिस तरह की उत्सुकता आराधना के मन में हो रही थी उसी तरह की उत्सुकता संजू के मन में भी हो रही थी वह भी अपनी दुल्हन से मिलने के लिए बेकरार था वैसे तो वह रोज ही मिलता था लेकिन आज के बाद कुछ और थी आज वह अपनी मां से नहीं बल्कि अपनी दुल्हन से मिलने जा रहा था इसीलिए वह धीरे से दरवाजे की सीटकनी को खोला और सीटकनी के खुलने की आवाज से ही आराधना का दिल बड़ी जोरों से धड़कने लगा,,,,
Bahot hee hot tayaar hui haiआखिरकार वह दिन आ ही गया जिसका इंतजार पूरे परिवार को था ,,,, आराधना का दिल कुछ ज्यादा ही उत्तेजना से धड़क रहा था क्योंकि उसके जीवन में दूसरी बार सुहागरात वाली रात आने वाली थी पहली सुहागरात तो अपने पति के साथ मनाई थी लेकिन दूसरी सुहागरात उसे अपने बेटे के साथ मनानी थी,,, वैसे तो वह रोज ही अपने बेटे के साथ सुहागरात मानती थी और सुहागदीन भी,,, लेकिन आज की रात उसके जीवन की बहुत ही खास रात होने वाली थी और जिसका इंतजाम पहले से ही मोहिनी ने कर रखी थी और यह मोहिनी का ही सुझाव था सुहागरात मनाने का अपने पति से अलग होने का दुख नहीं बल्कि खुशी मनाना चाहती थी,,,,।
वैसे भी कोई भी औरत अपने पति से अलग होना नहीं चाहती लेकिन संजोग इस तरह के बन जाते हैं कि उसे अपने पति से अलग होना ही पड़ता है क्योंकि हालात उसकी सोच के बिल्कुल विपरीत चलने लगते हैं जैसा की आराधना के साथ हो रहा था पति की पीड़ा से वह पूरी तरह से जूझ रही थी कुछ वर्षों से उसे पति का प्यार पति की तरफ से मान सम्मान बिल्कुल भी नहीं मिल रहा था और आए दिन गलत गलत इल्जाम लगाने से आराधना अंदर ही अंदर टूट गई थी और ऐसे हालात में उसे अपने बेटे का सहारा मिला और अपने बेटे का सहारा पाकर वह भावनाओं में बहकर अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बन बैठी जिसका उसे अब कोई मलाल नहीं था और वह यही सोच रही थी कि अच्छा ही हुआ कि उसके पति से उसे छुटकारा मिल गया अब वह अपनी जिंदगी आराम से गुजार सकती थी अपने बच्चों के साथ,,,,।
आज मोहिनी काफी खुश नजर आ रही थी क्योंकि सब कुछ उसके सोच के मुताबिक हो रहा था,,,। उसकी मां और उसका बड़ा भाई यह बात अच्छी तरह से जानते थे आज की रात दोनों की सुहागरात थी लेकिन कैसे होगी यह वह दोनों नहीं जानते थे जिसका इंतजाम मोहिनी को खुद करना था,,,,। सुबह-सुबह ही रसोई घर में खाना बनाते हुए आने वाली रात के बारे में सोच कर आराधना मंद मंद मुस्कुरा रही थी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर रसोई घर में पानी पीने आई मोहिनी अपनी मां का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर चुटकी लेते हुए बोली,,,।
क्यों मम्मी आज रात की सुहागरात के बारे में सोच कर मुस्कुरा रही हो ना,,,।
(मोहिनी के मुंह से इतना सुनते ही आराधना शर्म से पानी पानी हो गई,,, क्योंकि एक मां से एक बेटी इसकी सुहागरात के बारे में बात करें भला ऐसा कौन सी मैन चाहेगी लेकिन यहां पर हालात बिलकुल विपरीत थे,,,, और शायद ऐसा पहली बार हो रहा था कि अपनी मां की सुहागरात की तैयारी एक बेटी कर रही थी और वह भी अपने भाई के साथ होने वाली सुहागरात के लिए,,,,, बहने अक्सर अपनी भाभी के लिए सुहागरात की सेज सजाती है फूलों से महकाती है लेकिन यहां पर उसके बिल्कुल विपरीत हो रहा था यहां पर मोहिनी को अपनी मां की सुहागरात की तैयारी करनी थी और इसीलिए मोहिनी की बात सुनकर आराधना शर्म से पानी पानी होने लगे लेकिन वहां अपने चेहरे पर अपनी उत्सुकता को छुपाने में नाकामयाब साबित हो रही थी उसके चेहरे पर उत्तेजना और उत्सुकता के भाव बराबर दिखाई दे रहे थे और इसीलिए मोहिनी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम आज की रात के लिए बेहद उत्सुक हो ,, और अंदर ही अंदर अपने आप को तैयार कर रही हो लेकिन तुम्हें रात के मुकाबले के लिए किसी भी प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं है क्योंकि इस तरह के खेल में तो तुम अच्छी तरह से माहिर हो,,,,।
मोहिनी तु बहुत शैतान हो गई है,,, भला कोई अपनी मां से इस तरह की बातें करता है,,,।
मैं अच्छी तरह से जानती हूं मम्मी की बेटी के लिए अपनी मां के बारे में इस तरह की बातें करना ठीक नहीं है लेकिन एक औरत की होने वाली सुहागरात के बारे में उसकी सहेलियां उसके साथ बात करके चुटकी लेती है और यहां पर समझ लो कि मैं ही तुम्हारी सहेली हूं जो आज की सुहागरात के बारे में तुमसे हंसी मजाक कर रही है,,,।
तू भी ना मोहिनी एकदम पागल है क्या जरूरत है यह सब की,,,
क्यों नहीं जरूरत है आज से तुम्हारे जीवन की नई शुरुआत होने वाली है और इसीलिए आज का दिन बहुत खास होना चाहिए और एक औरत के लिए इसकी सुहागरात ही सबसे खास होती है इसीलिए तुम्हारे लिए मैं सारा इंतजाम करने जा रही हूं,,,।
मैंने तो ऐसा कुछ मत कर मुझे बहुत शर्म आ रही है,,,
वो हो,,, यह तो और भी अच्छी बात है वैसे भी दुल्हन को अपनी सुहागरात को लेकर शर्माना ही चाहिए जितना तुम ज्यादा शर्माओगी भाई उतना ज्यादा मजा देगा तुमको,,,,
अरे हां तेरा भाई कहां है आज दिखाई नहीं दे रहा है,,,।
रात की तैयारी में लगा होगा लंड पर तेल लगा रहा होगा,,, ताकि आज तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना सके,,,,।
(इतना सुनते ही आराधना झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए हाथ में बेलन लेकर मोहिनी को मारने के लिए आगे बढ़ी तो मोहिनी खिलखिला कर हंसकर वहां से चली गई,,,, और आराधना अपनी चूत को अकेली होती हुई महसूस करने लगी उसे अपनी बेटी की बातें बेहद मादकता भरी लग रही थी,,, और अपने मन में सोच कर परेशान भी हो रही थी की ये केसे हालात उसके परिवार में बन गए हैं की परिवार में किसी से भी किसी के लिए पर्दा नहीं है मां बेटे बेटी सब लोग एक दूसरे से खुलकर बातें करते हैं जो कि इस तरह की बातें किसी और के परिवार में नहीं होती होगी लेकिन जहां एक तरफ इस तरह की बातें सोचकर आराधना हैरान हो रही थी परेशान हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह इस बात से खुश भी थी कि तीनों के पीछे इस तरह के संबंध हैं तीनों को एक दूसरे की जरूरत पूरी करने का साधन एक दूसरे से मिल जा रहा है वरना आजकल जवान लड़के क्या औरतें भी राह भटकने में समय नहीं लेती,,, आराधना की खुद के बारे में भी यही धारणा थी कि,,,, अगर सही समय पर उसे अपनी बेटी का साथ ना मिलता तो शायद किसी और के साथ शारीरिक संबंध बना लेती,,,,।
देखते-देखते दिन गुजरने लगा शाम को,,, सारी तैयारी कर लेने के बाद मोहिनी अपनी मां के कमरे का दरवाजा बंद करके उसमें ताला लगा दी थी और अपनी मां को साफ-साफ बोलती थी कि यह कमरा रात को 11:00 बजे ही खुलेगा जिसे वह खुद अपने हाथों से खोलेगी,,,, मोहिनी की बात सुनकर मां बेटे दोनों की सांस ऊपर नीचे हो रही थी उन दोनों को समझ में नहीं आ रहा था कि मोहिनी अंदर कैसा इंतजाम करके रखी होगी इसीलिए दोनों आश्चर्य से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे लेकिन दोनों के चेहरे पर उत्तेजना वह आश्चर्य के भाव साथ झलक रहे थे दोनों 11:00 का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे,,,।
वास्तव में ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके घर पर शादी वाला माहौल है ,,, मोहिनी के कहने पर उसकी मन खाने में छोले की सब्जी पूरी और खीर बना कर रखी थी जिसे तीनों एक साथ बैठकर खाकर तृप्त हो गए थे लेकिन असली तृप्ति तो अभी बाकी थी,,, क्योंकि अभी तो पेट की आग ठंडी हुई थी बदन की आग बुझाना तो अभी बाकी था,,,,।
खाना खाने के बाद मोहिनी और आराधना दोनों मिलकर बर्तन साफ कर दिए थे और आदत के अनुसार संजू कुछ देर के लिए बाहर टहलने के लिए गया था और यही मौका देखकर मोहिनी,,, जल्दी से अपनी कुर्ती में से चाबी निकाली जिसे वहां अपनी कुर्सी के अंदर ब्रा में डाल कर रखी थी मोहिनी का अपनी ब्रा में से चाभी निकालने का अंदाज आराधना को बेहद मोहक लगा था,,,,। वह चाबी अपने हाथ में लेकर अपनी मां से बोली,,,।
इधर आओ मम्मी मैं सब समझाती हूं,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह धीरे से दरवाजा खोली दरवाजे के दोनों पट को अपने हाथों से धक्का देकर जैसे ही उसने कमरे के अंदर प्रवेश की तो अंदर का नजारा देखकर पीछे खड़ी आराधना एकदम से हैरान रह गई कैमरा वाकई में पूरी तरह से सुहागरात के लिए ही सजा हुआ था मानो कि जैसे मोहिनी अपने भाई की शादी के बाद सुहागरात के लिए कमर सजाई हो आराधना तो हैरान हो गई थी क्योंकि इस तरह से तो इसकी सुहागरात में भी कमरा नहीं सजाया हुआ था जैसा कि आज उसकी लड़की ने उसके लिए कमरा सजा कर रखी थी,,,, आराधना की आंखें आश्चर्य से चोरी हो गई थी बिस्तर फूलों से सजा हुआ था बिस्तर के ऊपर फूलों की लड़कियां लगी हुई थी बीच में दो तकिया रखा हुआ था जिस पर दिल का निशान बना हुआ था और लाल चादर पर भी फूल बिछाए हुए थे अधिकतर गुलाब के फूलों का उपयोग किया गया था जिससे पूरा कमरा मंद मंद खुशबू से भरा हुआ था यह सब देखकर आराधना एकदम हैरान होते हुए बोली,,,।
यह सब क्या है मोहिनी,,,,!
तुम्हारी सुहागरात का इंतजाम है मम्मी आज की रात जिंदगी की सबसे यादगार रात बनने वाली है इसलिए तुम बिल्कुल दुल्हन की तरह सज जाओ,,,।
मतलब,,,,(फिर से आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)
रुको अभी बताती हूं,,,।
(इतना कहने के साथ ही मोहिनी अलमारी के पास गई और अलमारी को खोलकर अपनी मां के लिए लाल रंग की साड़ी लाल रंग का ब्लाउज लाल रंग की पेटिकोट और दो दिन पहले ही खरीदी गई लाल रंग की जालीदार ब्रा और पेटी दोनों निकालकर अपने हाथों में लिए हुए अपनी मां के सामने आ गई और कपड़ों को अपनी मां की तरफ करते हुए बोली,,,,)
अब जल्दी से अपने पुराने कपड़ों को उतार कर सज धज कर इस कपड़े को पहन लो आज तुम्हे बिल्कुल दुल्हन की तरह लगना है,,,।
(मोहिनी के हाथों में लाल रंग के जोड़े को देखकर आराधना शर्म से मरी जा रही थी... उसे समझ में नहीं आ रही थी कि वह अपनी बेटी को क्या कहें हालात पूरी तरह से बदल गए थे मोहिनी में उसे अपनी बेटी नहीं बल्कि एक सहेली नजर आ रही थी जो उसकी मदद कर रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपने बेटी के हाथों से लाल रंग की जोड़े को ले ले,,, क्योंकि भले ही मोहिनी के लिए यह सब सहज था लेकिन आराधना के लिए बिल्कुल भी सहज नहीं था वह शर्म से मरी जा रही थी,,, इसलिए कुछ देर तक वहां मोहिनी की तरफ देखती रह गई तो मोहिनी खुद उसे कपड़े को अपनी मां के हाथों में पकडाते हुए बोली,,,,)
जल्दी करो मम्मी भाई के आने से पहले तुम दुल्हन की तरह तैयार हो जाना,,,,(और इतना कहकर वह जाने लगी तो उसे रोकने के लिए वह बोली)
अरे सुन तो मुझे बहुत शर्म आ रही है,,,।
मैं कुछ भी सुना नहीं चाहती 15 मिनट में जल्दी से तैयार हो जाओ मैं बाहर से दरवाजा बंद कर देता हूं ताकि इस दरवाजे को भाई अपने हाथों से खोलें,,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी कमरे से बाहर निकल गई कमरे के अंदर आराधना शर्म से मरी जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसके बदन में हल्का कंपन हो रहा था उसकी टांगें थरथरा रही थी,,, अपने बेटे के साथ हमबिस्तर होना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि यह उसके रोज का काम था लेकिन आज की रात कुछ खास थी आज की रात उसे मन बनाकर उसका बिस्तर गर्म नहीं करना था बल्कि उसकी बीवी बनाकर उसका बिस्तर गर्म करना था और एक औरत के लिए तब यह ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब वह मां का अदाकारी करते-करते बीवी बन जाए और वैसे भी जिस तरह के संबंध आराधना और संजू के बीच था उसे देखते हुए दोनों के बीच मां बेटे का काम बीवी और पति का रिश्ता कुछ ज्यादा ही था,,,,।
कमरे का दरवाजा बंद हो चुका था मोहिनी कमरे को बाहर से बंद करके अपने कमरे में चली गई थी आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि 15 20 मिनट में ही उसका बेटा घर पर वापस आ जाएगा और इसी बीच उसे दुल्हन की तरह तैयार होना था उसे अपने पुराने दिन याद आ गए थे जब पहली बार इसी तरह से वह सज-धजकर कमरे में अपने पति अशोक का इंतजार कर रही थी,,, लेकिन आराधना के लिए वह जितना खास दिन था उससे भी ज्यादा खास दिन आज लग रहा था क्योंकि अशोक तो उसका पति था एक बीवी का फर्ज था अपने पति को खुश करने का लेकिन आज वह एक मां थी और अपने बेटे के लिए उसे दुल्हन की तरह सजना था इसीलिए वह परेशान भी थी उत्सुक भी थी और उत्तेजित भी थी,,, उसे समय तो वह अपने पति के लिए सहज रूप से जैसा कि हर औरत अपने जीवन की सुहागरात वाली रात को सजती धजती है, उसी तरह से आराधना भी सजी हुई थी,,,, लेकिन आज इस तरह से एक दुल्हन के रूप में सजने में उसके पसीने छूट रहे थे उत्तेजना के मारे उसकी टांगें कांप रही थी,,, और मदहोशी के आलम में उसकी चूत में घुल रहा मदन रस उसके मुख्य द्वार तक आकर फिर वापस चला जा रहा था,,,। उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी चूत कचोरी की तरह फुल चुकी थी,,,।
आराधना के पास वक्त ज्यादा नहीं था उसे 15 मिनट के अंदर ही तैयार होना था और वह जानती थी कि इसी तरह से खड़ी होकर सोचती रह गई तो समय निकल जाएगा और वह अपने बेटे को सरप्राइज नहीं दे पाएगी जैसा कि उसकी बेटी चाहती है,,, अच्छी तरह से जानती थी कि वह भले ही सुहागरात के लिए इंकार करते लेकिन अपने बेटे के साथ हम बिस्तर तो उसे हर हाल में होना है अपने बेटे के साथ चुदवाना उसके लिए भी बेहद जरूरी है इसलिए वह भी अपने आप को अपने बेटे के साथ होने वाली सुहागरात के लिए तैयार करने लगी,,,, और इसीलिए वह बड़े से आईने के सामने जाकर खड़ी हो गई,,यह आदमकद आईना कुछ महीना पहले ही उसने खरीदी थी क्योंकि वह अपने नंगे बदन को आईने में देखना चाहती थी,,,,। वह आईने में देखते हुए अपने वस्त्र को उतारना चाहती थी और वस्त्र को पहनना चाहती थी और इसी ख्वाहिश के चलते वह आदमकद आईने को खरीदी थी,,, और रोज ही इसके सामने खड़ी होकर वहां अपने कपड़े उतार कर नंगी होती थी और फिर अपने अंगों को देखकर कपड़े पहनकर मन ही मन प्रसन्न होती थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती अच्छी दो-दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी आज भी उसके बदन की जवानी देखकर अच्छे-अच्छे का पानी निकल जाता था और,,,, अभी तक उसने अपने बदन को बरकरार बना कर रखी हुई थी।,,
बड़े से आईने के सामने खड़ी होकर वह कुछ सेकेंड तक अपने आप को देखते रह गई आज भी वह बला की खूबसूरत लगती थी अपने आप को देखते देखते वह अपने कंधे पर से अपनी साड़ी के पल्लू को अपने हाथों से नीचे गिरा दी और ऐसा करने पर उसकी भारी भरकम छातियां ब्लाउज में कैद नजर आने लगी जिसे देखकर उसके होठों की मुस्कान और ज्यादा बढ़ गई,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों को आकर्षित करने में औरतों की गोलाकार चुचीया अहम भूमिका निभाती है पर वह जानती थी कि उसकी चूचियां आज भी पूरी तरह से आकर्षक थी इसके आकर्षण में उसके खुद का जवान बेटा पागल हो चुका था उसका दीवाना हो चुका था,,,, धीरे-धीरे वह अपनी कमर पर बंधी हुई साड़ी को खोलना शुरू कर दी और अगले ही पल वह अपनी साड़ी को उतार कर,,,, एक कोने में रख दी और आईने के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी,,,, और इस हालात में वह बला की खूबसूरत लग रही थी।,,,.
उसके बदन से साड़ी उतारकर कमरे के कोने में पड़ी हुई थी ब्लाउज में इसकी भारी भरकम खरबूजे जैसी गोल-गोल चूचियां जमाने में असमर्थ साबित होती थी लेकिन वह किसी तरह से अपने ब्लाउज के बटन को बंद करके अपनी बेलगाम चूचियों को काबू में करने की कोशिश करती थी इस हालत में अगर कोई भी आराधना के रूप को देख ले तो बिना कुछ बोल ही उसका लंड अपने आप खड़ा होकर अपनी औकात में आ जाए क्योंकि इस रूप में आराधना एकदम काम की देवी लगती थी,,,, ब्लाउज में उसकी भरी हुई ऐसा प्रतीत हो रहा था की बगावत पर उतर आई है ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने को आतुर हो गई है लेकिन इसी आतुरता को आराधना खुद अपने हाथों से दूर करते हुए अपने ब्लाउज के बटन को खोलने लगी एक तरफ हुआ अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देकर अपने ब्लाउज के बटन खोल रही थी और दूसरी तरफ वह आईने में अपने आप को निहार रही थी ब्लाउज खोलने में भी उसका एक अलग अंदाज था जिसे देख पाना हर एक मर्द की ख्वाहिश होती है और आराधना की तरफ से एक ख्वाहिश केवल संजू के लिए पर्याप्त थी संजू अपने आप को इस तरह के नजारे को देखकर धन्य समझता था लेकिन अधिकतर वह खुद ब्लाउज को अपने हाथों से खोलना था ऐसा कमी होता था की आराधना अपने हाथों से ब्लाउज का बटन अपने बेटे के लिए खोल रही हो,,,,।
धीरे-धीरे आराधना एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दी और ब्लाउज के दोनों पट अलग हो गए ब्लाउज के दोनों पट अलग होते ही ब्रा में किए थे उसकी दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी आराधना की आदत थी कि वह अपने नाप के हिसाब से एक डोरा कम ही नाप का ब्रा पहनती थी ताकि उसकी चुचियों का कसाव बरकरार रहे,,,,, देखते ही देखते अपने होठों पर मुस्कुराहट भी खेलते हुए आराधना अपने ब्लाउस को उतार कर इस कोने में फेंक दी जहां पर साड़ी पड़ी हुई थी और फिर वह नजर भरकर ब्रा में कैद अपनी चूचियों को आईने में देखने के बाद अपने एक हाथ की उंगलियों को हरकत देते हुए उसे अपनी पेटिकोट की डोरी पर रख दी,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि कुछ देर बाद उसके पेटिकोट की डोरी उसका बेटा अपने हाथों से खींच कर खुलेगा और यह खैर मन में आते ही उसके तन-बाद में उत्तेजना के लहर उठने लगी उसके बदन का हर एक तार झनकने लगा,,,, और फिर वह अपनी पेटीकोट की डोरी को अपनी उंगलियों में पकडते हुए खींच दी और उसके हिसाब करने पर कमर से कई हुई पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई लेकिन पेटिकोट की डोरी वाली जगह आराधना की कमर के गोलाई में अपने लिए जगह बनाई हुई थी इसलिए उसजगह पर उसकी पेटीकोट ढीली होने के बावजूद भी टिकी रह गई थी क्योंकि वह अभी पूरी तरह से ढीली नहीं हुई थी,,,, और आराधना अपने दोनों हाथों की बीच वाली उंगली को पेटिकोट के अंदर डालकर उसे दोनों तरफ घूमर उसे अपनी कमर से ढीली कर ली और उसे उसी अवस्था में अपने हाथों से छोड़ने से पहले आगे से अपनी मुट्ठी में पकड़ ली और एक बार फिर से अपनी रूप लावण्य को देखने लगी,,,, आराधना अपनी जवानी अपना हुस्न देखकर अंदर ही अंदर गर्व महसूस कर रही थी,,, क्योंकि इस उम्र में भी वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी इस उम्र में भी उसकी ख्वाहिशें जवां थी,।
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वह आईने में अपने आप को साफ देख पा रही थी उत्तेजना के मारे उसकी सांसे गहरी चल रही थी और गहरी सांसों के चलने की वजह से उसकी चूचियां जो कि अभी भी ब्रा में खेती थी वह ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी ऊपर नीचे हो रही चूचियां खुद उसकी हालत को खराब कर रही थी तो मर्दों की बीसात ही क्या थी,,, आराधना समय की मर्यादा को अच्छी तरह से जानती थी खुद तो वहां अपनी मर्यादा को लग चुकी थी लेकिन इस पल की मर्यादा को लांघना नहीं चाहती थी क्योंकि वह समय में रहकर अपने बेटे को आश्चर्यचकित कर देना चाहती थी जिसके लिए उसकी बेटी ने पूरी तैयारी करके रखी थी,,,। और इसीलिए वहां अपनी पेटीकोट को जो कि वह मुट्ठी में पकड़ रखी थी अपनी मुट्ठी को खोल दी और उसकी पेटिकोट मुट्ठी में सरकती हुई रेत की तरह भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरी और आराधना आईने के सामने ब्रा और पेटी में आ गई,,,, इस रूप में भी आराधना का रूप यौवन पूरी तरह से मिला हुआ नजर आ रहा था वैसे तो वह कपड़ों में जिस तरह की सुंदरता की मूरत दिखाई देती थी उससे भी कई ज्यादा मदहोश कर देने वाली सुंदरता उसकी नग्नता में नजर आती थी,,,, और आराधना अपने बदन की नग्नता की ओर अग्रसर थी,,,, उसे संपूर्ण रूप से वस्त्र विहीन होने में अभी भी केवल दो वस्त्र ही रह गए थे जो औरतों की जवानी और मर्दों की उत्तेजना के केंद्र बिंदु बने रहते हैं उसकी ब्रा और उसकी पेंटिं जिसमें वह दुनिया का सबसे बेस्ट कीमती खजाना छुपाए बैठी थी,,, चुची और चूत,,,, यह दो शब्द ऐसे थे जिसके लिए मरद किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता है औरतों के इस दो अंग को पाने के लिए वह पूरी ताकत झोंक देता है और इसे प्राप्त कर लेने के बावजूद भी अपनी मर्दाना ताकत दिखाने के लिए उसे अपनी जवानी का रस नहीं छोड़ देना पड़ता है जिसमें बहुत कम लोग ही कामयाब हो पाते हैं और जो कामयाब हो जाते हैं औरतें उनकी मर्दानगी की दीवानी हो जाती है जैसा की आराधना अपने बेटे की मर्दानगी की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी,,,,।
अब समय आ गया था आराधना को नंगी होने के लिए और इसीलिए वह अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी और अगले ही पल वह अपनी ब्रा कहो को खोलकर धीरे से नजाकत दिखाते हुए अपने दोनों हथेलियां को अपनी चूची पर रखकर ब्रा के कप को अपनी हथेली में लेकर उसे धीरे से अपनी बाहों में से ब्रा की डोरी को निकलने लगी और अगले ही पल उसकी छाती से उसकी ब्रा अलग हो चुकी थी और ब्रा के अलग होते ही उसकी सुंदरता में चार चांद लग गए थे जिसमें से दो चांद उसकी छाती पर नजर आ रहे थे,,,,, वैसे तो औरतें आसमान में चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ती है लेकिन मर्द हर एक रात को अपनी बीवी के दोनों चांद को देखकर ही उसकी रोशनी में नहाते हैं,,,,।
आराधना आईने में अपनी दोनों चूचियों को देख रही थी जो की खरबूजे के आकार में एकदम गोल नजर आ रही थी और सबसे आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह थी कि अभी भी उसकी छातिया की शोभा बढ़ा रही है उसकी दोनों चुचियों में बिल्कुल भी ढलाव नहीं आया था उसमें जरा भी लचकपन नहीं था आज भी जवानी के दौर की तरह ही एकदम मजे हुए सैनिक की तरह जवानी के मुख्य द्वार पर सीना ताने खड़े थे,,,, आराधना की यह वही चूचियां थी जिसे देखकर अच्छे अक्षरों के मुंह में पानी आ जाता था हालांकि संजू से ज्यादा और कोई भी खुशकिस्मत नहीं था क्योंकि संजू तो अपनी मां की नंगी चूचियों के दर्शन रोज ही करता था और उनसे खेलते भी था लेकिन बाकी के मर्द तो केवल उन्हें वस्त्र में देख कर ही केवल अंदाजा लगाकर ही अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपने हाथों का प्रयोग करते थे जबकि संजू अपनी मां की दोनों जवानी से खेल कर उसके छोटे से गुलाबी छेद में अपना औजार डालकर अपनी जवानी का रस निकलता था,,,, अपनी कई हुई चूचियां देखकर आराधना के होठों पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसे इस बात का करवा था कि इस उम्र में भी उसकी चुचियों का कसाव बरकरार था और यह सब उसकी देखरेख और संजू के प्यार का नतीजा था,,,, एक बार ना चाहते हुए भी वह अपने दोनों हाथों को अपने दोनों चूचियों पर रखकर उसे हल्के-हल्के सहलाते हुए उत्तेजना के आसार में हल्के से दबा दी और उसे दबाते ही उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और वह अपनी ही नजर में शर्मा गई,,,,। वह इस बात से और ज्यादा उत्तेजित और उत्सुक थी कि थोड़ी देर बाद उसका बेटा उसकी दोनों जवानियों को अपने हाथों में लेकर जी भर कर खेलेगा उन्हें टमाटर की तरह लाल कर देगा,,,, और यही सोचते हुए आराधना अपनी पैंटी की तरफ नजर डालकर देखने लगी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी पेंटी के निचले हिस्से पर गीलापन महसूस हो रहा था जो की आईने मे उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी पैंटी आगे से पूरी तरह से गिली हो चुकी थी। और अपनी स्थिति को देखकर वहां खुद आईने के सामने शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि अभी तो शुरुआत थी अभी तो पूरी रात बाकी थी अभी तो वह कमरे में केवल अकेली थी अभी तो उसका साजन आना बाकी था जो उसे बिस्तर पर ले जाकर उसके बदन को अपनी बाहों में लेकर उसे तार-तार कर देने वाला था,,,, उसके छोटे से गुलाबी छेद को अपने औजार से फैलाकर भोसड़ा बना देने वाला था और इन सब के लिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी वह जानती थी कि आज की रात उसके जीवन की यादगार रात होने वाली थी इसीलिए तो उसकी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी ,,,,।
अपनी गीली पेंटी को नजर अंदाज करके वह अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों को हल्के से दोनों तरफ से अपनी पैंटी के अंदर प्रवेश कर कर उसे उंगलियों के सहारे से पकड़ ली और उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी यह नजारा भी क्या खूब था,,, आराधना अपनी उंगलियों को हरकत दे रही थी और इस अंदाज को इस नजारे को वह आईने में देख रही थी जैसे-जैसे उसके बदन की चड्डी नीचे की तरफ जा रही थी वैसे-वैसे उसकी जवानी का केंद्र बिंदु आईने में साफ नजर आ रहा था,,,, चूत पर मखमली बाल का रेशा तक नहीं था क्योंकि आराधना की इबादत पड़ चुकी थी वहां दो-तीन दिन के बाद खुद क्रीम लगाकर अपनी चूत के बाल को एकदम साफ कर देती थी एकदम चिकनाहट भारी रखती थी ताकि उसके बेटे का इमान बार-बार उसे देखकर फिसलता रहे,,,,, और देखते ही देखते आराधना को आईने में उसकी खुद की कचोरी जैसी खुली हुई चूत एकदम साफ नजर आने लगी अभी वह चड्डी को केवल अपनी चूत के आकार के नीचे तक ले गई थी यह नजारा देखकर उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह जानती थी कि जब उसकी हालत हो रही है तो जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी चड्डी उतारेगा उसकी गुलाबी चूत को देखेगा तो उसकी क्या हालत होगी,,, लेकिन इतना तो वह जानते ही थी कि संजय के लिए तो यह उसका रोज का काम था,,, लेकिन वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि आज की रात इस तरह से उसके लिए खास थी उसके बेटे के लिए भी बेहद खास होने वाली थी इसलिए आज जो कुछ भी होगा उसके और उसके बेटे के जीवन में पहली बार होगा और आज की रात दोनों के जीवन को पूरी तरह से बदलकर रखने का इसीलिए वह उत्सुक थी कि जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी चड्डी उतरेगी और उसकी गुलाबी चूत देखेगा तो उसके चेहरे के भाव कैसे नजर आते हैं,,,। यही सब सोते हुए आराधना अपनी चड्डी को देखते-देखते अपने घुटनों के नीचे तक ले आई और उसके बाद खुद एकदम से खड़ी हो गई अपने पैरों के सहारे से अपने पैर में से अपनी चड्डी को उतार दी और अपनी ही चड्डी को अपनी पर के अंगूठे और उंगली का सहारा लेकर पड़कर उसे हल्के से ऊपर की तरफ उठाई और अपनी चड्डी को हाथ में लेकर वह अपनी चूत से निकल रहे काम रस को साफ करके पेंटिं को भी कमरे के कोने में फेंक दी,,,।
पूरी तरह से नंगी हो जाने के बाद आराधना अपने आप को अपने रूप को आईने के अंदर देखने लगी और अपनी नितंबों को आईने की तरफ घूमर अपनी नजर को तिरछी करके आईने में अपनी गोलाकार गांड को देखने लगी जो कि एकदम जानलेवा नजर आ रही थी कमर से नीचे का भाग पूरी तरह से उन्नत पहाड़ की तरह उभर कर नजर आ रहा था जिसे देखकर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, और वह अपने मन में ही कहने लगी कि इस गाने को देखकर तो उसका बेटा चारों खाने उचित हो जाएगा,,, ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसका गोरा बदन एकदम दूध की तरह चमक रहा था वह बार-बार आईने में अपनी नितंबों को देख रही थी और अपने दोनों हथेलियां को उसे पर रखकर हल्के हल्के सहला रही थी,,,,, उसे अपनी नितंबों की त्वचा एकदम मक्खन मलाई की तरह फिसलते हुई महसूस हो रही थी और वह इस बात से खुश थी कि जब उसका बेटा अपने होठों से उसके नितंबों का स्पर्श करेगा तो वह मदहोश हो जाएगा और जी भर कर उसके नितंबों से खेलेगा उसके छोटे से छेद पर जीभ लगाकर चाटेगा,,,, अपने मन में यही सोचते हुए आराधना को एक शरारत सूझी और वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुककर अपने नितंबों की तरफ देखते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी गांड के दोनों आंखों को हल्के से फैला कर अपनी गुलाबी छेद और अपनी गांड के बुरे छेद की तरफ देखने लगी और दोनों ही छेद पूरी तरह से मर्दाना अंग को अपने अंदर लेने के लिए आतुर नजर आ रहे थे अपने छोटे से छेद को देखकर आराधना के तन-बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,, और वह अपने मन में सोचने लगी की औरत के यही दो छेद मर्दों को पूरी तरह से जीवन भर औरत का गुलाम बनाकर रख देती है,,,,,।
थोड़ी देर में वह अपनी पूर्व वत स्थिति में आ चुकी थी,,, और टेबल पर पड़े अपने लाल रंग के जोड़े की तरफ देख रही थी कपड़ों को पहनने से पहले वह अलमारी की तरफ गई और उसमें से जो कि अभी भी अलमारी खुली हुई थी वह एक हल्के खुशबू वाला परफ्यूम निकाली और उसे हल्के से अपने हाथ को ऊपर करके अपनी कांख में उसे परफ्यूम को स्प्रे करने लगी ताकि उसमें खुशबू बरकरार रहे और फिर वह उसे परफ्यूम को हल्के से अपनी चूत पर भी मार कर उसे खुशबूदार बना दी ताकि जब उसका बेटा उस पर जीभ लगाकर चाटे तो वह उसकी खुशबू से और ज्यादा मदहोश हो जाए,,,,,, आराधना किसी भी तरह से इस यादगार रात को पूरी तरह से अपनी मधुर एहसास से भर देना चाहती थी ताकि उसका बेटा जिंदगी भर उसकी जवानी की प्यास बुझाता रहे,,,,।
अपने बेटे के द्वारा खरीदी गई चड्डी को अपने हाथ में लेकर उसे उत्तेजना के मारे अपनी चूत फूलती और पिचकती हुई महसूस होने लगी उसे जालीदार चड्डी को देखकर वह समझ गई थी किस पहनने के बावजूद भी अपनी चूत छुपाने का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि सब कुछ नजर आ रहा होगा और यही सोचकर वह चड्डी को वापस टेबल पर रखती और फिर लाल रंग की बरा अपने हाथों में ले ले जो कि वह भी जालीदार था जिसमें से उसकी चूचियां उसकी निप्पल सब कुछ नजर आने वाली थी वह मुस्कुराते हुए ब्रा को पहनने लगी,,,, और देखते ही देखते अपने गर नंगे बदन पर ब्रा को पहनकर वहां दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक बंद कर दी और आईने में अपने आप को देखने लगी,,, गोरे बदन पर लाल रंग की ब्रा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी और जालीदार ब्रा में से उसकी नंगी गोरी गोरी चूचियां झलक रही थी और साथ ही उसकी चॉकलेटी रंग की छोटी सी कैडबरी जैसी चॉकलेट भी उत्तेजना के मारे तनकर अपना अस्तित्व दिख रही थी,,,, आराधना अपने दोनों हथेलियां को अपनी चूचियों पर रखकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाकर उसे ब्रा में अपनी चूचियों को फिट करने लगी और फिर मुस्कुराते हुए वहां फिर से अपनी लाल रंग की चड्डी को अपने हाथों में ले ली और फिर नीचे की तरफ झुक कर उसमें एक-एक करके दोनों पैरों को डालकर अपनी चड्डी को ऊपर की तरफ उठने लगी और अगले ही पर वह अपनी छोटी सी गुलाबी छेद को उसमें छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए अपनी चड्डी को पहन ली लेकिन आईने में देखकर उसे साफ पता चल रहा था की चड्डी में उसका अंग बिल्कुल भी छुपा नहीं था ,,, जालीदार चड्डी में उसकी खुली हुई चूत का हर एक हिस्सा नजर आ रहा था और उसे जालीदार चड्डी से उसकी चूत पूरी तरह से चिपकी हुई थी इसलिए उसका आकार भी एकदम साफ नजर आ रहा था खुद अपनी चूत को देखकर आराधना के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,,,,
वह मुस्कुराते हुए अपने लाल रंग के ब्लाउज को अपने हाथों में ले ली और उसे पहनने लगी और एक-एक करके अपने सारे बटन को बंद करके वह ब्लाउज को व्यवस्थित करके पेटिकोट की तरफ हाथ बढ़ा दे पेटिकोट को पहनने के बाद उसे इस बात का एहसास होगा कि लाल रंग की पेटिकोट उसके नितंबों से एकदम चिपकी हुई थी पेटिकोट का कसम उसके नितंबों पर एकदम जबरदस्त कसा हुआ था जिसकी वजह से उसके नितंबों का आकार भी एकदम खुलकर सामने नजर आ रहा था,, वहां पेटीकोट को पहन कर उसकी डोरी को गीठान मारते हुए आईने की तरफ घूम कर अपने नितंबों को देख रही थी जो की काफी ऊभरी हुई नजर आ रही थी,,, और फिर देखते ही देखते वहां लाल रंग की साड़ी को पहनकर एकदम दुल्हन की तरह तैयार हो चुकी थी,,,,, लेकिन अभी भी उसका सिंगार बाकी था,,,।
वह धीरे से अलमारी की तरफ गई और ड्रोवर खोलकर,,, उसमें से अपने गहने और चूड़ियां निकलने लगी और उसे एक-एक करके अपनी कलाइयों में सजने लगी देखते-देखते वह अपनी दोनों कलाइयों में ढेर सारी चूड़ियां लाल रंग की हरी रंग की पीले रंग की पहन ली थी और उसकी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा मधुर संगीत से गुंज रहा था,,,, वह धीरे-धीरे अपनी शादी के गहने भी पहने लगी और फिर माथे पर बिंदी लगाकर वह लाल रंग की लिपस्टिक अपने होठों पर लगाकर अपने रूप यौवन को और भी मादकता प्रदान करने लगी लाल रंग की लिपस्टिक लगाकर तो वह वाकई में एकदम दुल्हन की तरह नजर आ रही थी जिसे देखने के बाद किसी भी दूल्हे का लंड खड़े-खड़े पानी छोड़ दे,,,, वह दुल्हन की तरह सज कर तैयार हो चुकी थी,,,,। और यह सब वह मोहिनी के द्वारा दिए गए समय मर्यादा में पूरा कर ली थी वह अपने आप को अपने रूप यौवन को आईने में देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी कि तभी बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज आई और वह झट से बिस्तर पर फूलों की लाडो को अपने दोनों हाथों से हटाते हुए बिस्तर के बीचो-बीच दुल्हन की तरह सिमट कर जाकर बैठ गई,,,,, वह जान गई थी कि संजू वापस आ चुका था,,,।
संजू अच्छी तरह से जानता था कि आज की रात उसके और उसकी मां की सुहागरात की रात थी लेकिन वह अपनी मां के कमरे में जाने से पहले अपने कमरे में गया जहां पर मोहिनी पहले से उसका इंतजार कर रही थी और उसे देखकर मुस्कुराते हुए बोली,,,।
आओ मेरे मम्मी के दुल्हेराजा,,,,
तेरा भी तो हूं,,,,,
वह तो है ही,,,, लेकिन आज की रात के लिए तो तुम मेरी मम्मी के दूल्हे राजा होना इसीलिए कह रही हूं कि एक दूल्हे की तरह तैयार हो जाओ,,,(इतना कहते हुए वह अपनी जगह से उठकर खड़ी हुई और पास में ही टेबल पर पड़े शेरवानी को उठाकर संजू की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) लो ईसे पहन लो,,, और एक दुल्हन के लिए दूल्हा बन जाओ,,,,।
(मोहिनी की बात और शेरवानी की तरफ देख कर संजू थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया और बोला ,,,)
यह सब क्या है,,,?
दूल्हे की पोशाक,,,,
क्या मोहिनी,, तू भी ना,,,,
अब मैं कुछ नहीं सुनना चाहती बस जल्दी से इसे पहन कर तैयार हो जाओ,,,,,,
तू अपनी जीद पूरी करके ही रहती है,,,।
जीद पूरी करने में ही तो मजा है,,,, लो जल्दी से समय मत बर्बाद करो,,,, कमरे में मम्मी तुम्हारा इंतजार कर रही है,,,,।
(थोड़ी ही देर में संजू की शेरवानी पहनकर एकदम दूल्हे की तरह तैयार हो गया,,,, शेरवानी में संजू और भी ज्यादा खूबसूरत और गठीले बदन का लग रहा था,,,, उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए मोहिनी बोली,,,)
वह भाई तु तो एकदम सच का दूल्हा लग रहा है,,,, तुझे देखते ही मम्मी का पानी निकल जाएगा,,,,,।
बस अब बकवास बंद कर,,,,(संजू थोड़ा सा शरमाते हुए बोला,,,, वैसे तो वह कभी भी समाधान नहीं था लेकिन आज दूल्हा बनने के बाद उसे भी शर्म महसूस हो रही थी और अच्छा भी लग रहा था,,,,)
चलो मैं तुम्हें मम्मी के कमरे तक छोड़ देती हूं,,,,(और इतना कहने के साथ है मोहिनी अपने भाई का हाथ पकड़ कर उसे अपनी मां के कमरे के पास लेकर गई और दरवाजे के बाहर से ही आवाज लगाते हुए बोली,, )
आ गया तुम्हारा दूल्हा,,,,,(और हंसते हुए अपने कमरे में चली गई,,,,,, अंदर आराधना फूलों से सजाई हुई सेज पर बैठी हुई थी,,, मोहिनी की आवाज सुनते की उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वाकई में आज उसे दुल्हन बनने का एहसास हो रहा था,,,,,, इसलिए अपने दूल्हे को दरवाजे पर खड़ा हुआ महसूस करके उसके अंदर की दुल्हन पूरी तरह से जागरूक हो चुकी थी और यह दुल्हन का एहसास उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में बड़े अच्छे से हो रहा था,,,, जिस तरह की उत्सुकता आराधना के मन में हो रही थी उसी तरह की उत्सुकता संजू के मन में भी हो रही थी वह भी अपनी दुल्हन से मिलने के लिए बेकरार था वैसे तो वह रोज ही मिलता था लेकिन आज के बाद कुछ और थी आज वह अपनी मां से नहीं बल्कि अपनी दुल्हन से मिलने जा रहा था इसीलिए वह धीरे से दरवाजे की सीटकनी को खोला और सीटकनी के खुलने की आवाज से ही आराधना का दिल बड़ी जोरों से धड़कने लगा,,,,