दूसरे दिन सुबह संजू को जरा भी शक नहीं हुआ कि रात को उसकी बहन मोहिनी ने उसके लंड के दर्शन कर लिए हैं और उसके लंड को देखते हुए पहली बार अपने हाथों से ही झड़ गई है,,,, मोहिनी के जीवन में बदलाव लाने वाली यह पहली रात थी,, जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,, रात को जो कुछ नहीं हुआ था उसने उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,, पहली बार वह अपनी मौसी के मुंह से गंदी गंदी बातों को सुनकर उत्तेजित हुई थी और,,दूसरी बार कल रात को अनजाने में ही अपने भाई के झंडे के दर्शन कर ली थी इससे पहले वह लंड की भूगोल आकार,, के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानती थी कल रात को ही वह लंड से उसके आकार से उसके संपूर्ण भूगोल से मुखातिब हुई थी भले ही वह उसे छूकर उसे अपने अंदर महसूस नहीं कर पाई थी लेकिन फिर भी उसे देखने के बाद जो उत्तेजना का संचार उसके बदन में हुआ था उसके चलते वह पूरी तरह से काम विभोर हो गई थी,,, और अपने हाथ से ही अपनी चूत को मसलना शुरू कर दी थी,,, और अपनी चूत के गुलाबी चूत में उंगली डालकर अपना काम रस भी बाहर निकाल दी थी,,,
मोहिनी की कल्पना
अपने भाई के लंड को देखकर उसके ऊपरी हिस्से के गोलार्ध के बारे में सोचकर ही अभी भी हैरान थी,,, जो कि शायद अधिकांशतः जवान होती लड़कियों में यह सहज ही होता है,, लंड के आकार को लेकर उसकी मोटाई को लेकरउनके मन में यही शंका रहती है कि इतना मोटा और लंबा लंड उनकी चूत में घुस पाएगा कि नहीं,,, और यही शंका मोहिनी के मन में भी पैदा हो गई थी,,,,,, अब अपने भाई को देखने का उसका नजरिया बदलता जा रहा था सुबह से जब जब उसकी नजर अपने भाई पर पड़ी थी तब तक उसके मन में वही दृश्य नजर आने लगता था,,,बार-बार अनजाने में ही महीने की नजर अपने भाई के दोनों टांगों के बीच चली जाती थी और वह उसके लंड के बारे में कल्पना करने लगती थी,,।
और दूसरी तरफ अपनी मां के विकार से संजू थोड़ा चिंतित हो गया था और व्यथित भी,,,क्योंकि जो कुछ भी उसकी मां ने रात को की थी,,,और शाम को दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ था उसे देखते हुए,, उसकी उसने कल्पना नहीं किया था उसे लगा था कि सब कुछ अच्छे तरीके से हो जाएगा,, लेकिन ऐन मौके पर उसकी मां ने उसे झटका दे दिया,,, संजू एकदम से तडप उठा,, उसके लंड की हालत एकदम से खराब हो गई,,, क्योंकि जब तक उसकी मां ने उससे दूर नहीं हुई थी तब तक उसे ऐसा ही लग रहा था कि आज कि वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच होगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया हालांकि संजू ने अपना उद्देश्य बताते हुए अपनी मां की आंखों का चुंबन करने के साथ ही ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था,,,,
आराधना दो बच्चों की मां थी इसलिए उसे इतना तो आभास हो गया था कि उसका लड़का उसके साथ क्या करना चाहता है उसके मन में क्या चल रहा है और एक हद तक वह भी अपनी बेटी का सहकार देने के लिए तैयार हो गई थी और एक नई खुशी की उमंग उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी लेकिन मौके पर उसकी आत्मा ने ऐसा करने से इंकार कर दिया,,,,और वह अपने बेटे का दिल तोड़ते हुए अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दी,,, संजू आहत था,, व्यथित था,, परेशान था,,, एकाएक उसके हाथों से एक अच्छे मौके को छीन लिया गया था ऐसा लग रहा था कि उसके मुंह में आया नहीं वाला किसी ने जबरदस्ती करते हुए छीन लिया था,,,,, संजू किसी भी तरह से अपनी मां को बनाना चाहता था उसका यह व्यवहार उसे अच्छा नहीं लगा था,,,,, जब से वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देखा था तब से उसके बदन की मादकता उसकी खुशबू उसके दिलो-दिमाग पर पूरी तरह से छा चुकी थी,,, जिसकी मादकता में वह पूरी तरह से अपनी मां की जवानी के नशे में खो गया था,,,,,।
इसलिए मोहिनी और अपने पापा के जाते ही वह अपनी मां से बात करने के लिए रसोई घर में चला गया,,,आराधना भी उसे ठीक से नजर नहीं मिला पा रही थी क्योंकि संजू को देखते ही उसे शाम और रात वाली बात याद आने लगती थी कि किस तरह से उसका सगा बेटा,,, काम भावना से लिप्त होकर,, उसे चोदने के लिए तड़प रहा है उसके अंगों से खेलने के लिए मचल रहा है,,, जिस तरह से वहउसे गुलाबी होठों को अपने मुंह में लेकर उसके रस को चूस रहा था उससे आराधना पूरी तरह से हैरान थी कि यह सब संजू ने कहां सीखा और ब्लाउज के ऊपर से ही जिस तरह से चूचियों को दबाना था उसे देखते हुए आराधना को अपने बेटे की हरकत बेहद अजीब लगी अजीब इसलिए कि वह अपने बेटे को अच्छी तरह से जानती थी लड़कियों से वह शर्माता,,, नहीं उसकी कोई गर्लफ्रेंड थी तो वह इस तरह की हरकत किया कैसे,,,, जिस तरह से वह जोर लगाता हुआ,, ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबा रहा था आराधना को आभास हो गया था कि,,, उसके बेटे को ही अच्छी तरह से मालूम था कि औरतों की चूचियां दबाने में मजा आता है,,,,, और शाम को जिस तरह से वह उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों का रसपान कर रहा था और साथ ही उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी हथेलियां रखकर दबाते हुए उसे अपनी तरफ खींच रहा था और अपनी मोटे तगड़े लंड की ठोकर उसकी चूत पर साड़ी के ऊपर से ही मार रहा था वह सब देखकर महसूस करके आराधना पूरी तरह से समझ गई थी कि उसका बेटा उसका पूरी तरह से दीवाना हो चुका है उसे चोदना चाहता है लेकिन यह सब हरकत वह सीखा कहां से ऐसे तो संस्कार उसके बिल्कुल भी नहीं थे उसे तो अपने बेटे पर नाज होता था और जहां तक जिस तरह से अपने पति से मारपीट के दौरान हुआ बीच-बचाव किया था तब से तो उसके मन में अपने बेटे के लिए इज्जत और बढ़ गई थी वह अपने बेटे को अपना सहारा समझने लगी थी लेकिन,,,, अपनी मां के साथ ही इस तरह के काम भावना दिखाने पर वह हैरान थी,,,फिर वह अपने मन में सोचने लगी कि आखिर क्यों ना एक जवान लड़का अपने ही घर में अपनी मां के प्रति आकर्षित होगा,,, क्योंकि घर में माहौल ही कुछ इस तरह से था रात को मारपीट गालियां देना गंदी गंदी बातें करना और उसके पति के द्वारा अपने ही बेटे को लेकर लगाया गया इल्जाम,,,, यह सब सोचकर आराधना अपने आप से भी जैसे बात करते हुए अपने मन में बोली इन सब को सुनकर ही उसका बेटा इस कदर खराब हुआ है खास करके वह बात की अपने ही बेटे के साथ चुदवाती है,,, संजू रात भर दो उन लोगों की हर एक बात सुनता था गंदी गंदी गाली गलौज के साथ साथ अपने आप को लेकर अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध जैसे इल्जाम यह सब उसके मन पर गहरा प्रभाव कर रहा था और यही सब सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगा था और धीरे-धीरे अपनी मा के प्रति आकर्षित होने लगा था,,,और उसकी यह काम भावना और ज्यादा प्रज्वलित तब हो गई होगी जब वह बीच-बचाव करने के लिए कमरे में दाखिल हुआ था और उस समय वह पूरी तरह से नंगी होकर बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, तभी तो वह पागलों की तरह उसके नंगे बदन को खोले जा रहा था शायद इससे पहले वह कभी किसी औरत को नंगी नहीं देखा था इसीलिए वह दृश्य उसके मन पर गहरा प्रभाव डालने लगा जिस के वशीभूत होकर,,, वह अपनी ही मां को चोदने के लिए तैयार हो गया,,,यही सब सोचते हुए आराधना खाना बना रही थी और उसी समय संजू उधर आ गया था कि उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और ना ही संजू की,,,, लेकिन किसी भी तरह से संजू अपनी मां को मनाना चाहता था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी प्रेमिका उससे रुठ गई हो,,,,,,
किचन में आते ही औपचारिक रूप से नाश्ते के लिए पूछा तो उसकी मां ने बिना कुछ बोले नाश्ता देकर वहीं पास में रखी नाश्ते की प्लेट उठाते हुए संजू बोला,,,।
क्या हो गया मम्मी तुम को नाराज क्यों हो,,,
मैं नाराज नहीं हूं,,,
नाराज तो लग रही हो,,, अगर नाराज ना होती तो रात को यु दरवाजा बंद ना कर लेती,,,
सजु तु समझता क्यों नहीं है जैसा तू सोच रहा है वैसा कुछ भी होने वाला नहीं है,,, हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कभी नहीं होने वाला क्योंकि हम दोनों मां बेटे हैं,,,।
संजु अपनी मां के साथ
तो क्या हुआ मां बेटे के पहले तुम एक औरत हो और मैं एक मर्द तुम्हारी भी कुछ जरूरते है ख्वाहिशें है,,,
संजु तू पागल हो गया है,,, तु एकदम से बदल गया है,,, लेकिन तू ही चेहरा सोच है क्या एक मां और बेटे के बीच शारीरिक संबंध नैतिक रूप से संभव है,,, क्या तेरे जैसा बेटा अपनी मां के साथ इस तरह के गंदे रिश्ते को स्थापित करने के लिए तड़पता है जो कि मुमकिन ही नहीं है,,,।
तुम ऐसा कैसे कह सकती हो मम्मी,,,चारदीवारी के बीच क्या होता है यह जमाने को कहां पता चलता है,,, जैसा मैं सोच रहा हूं वैसा शायद दूसरे लड़के कर चुके हो,, कौन जानता है,,,,,,
नहीं नहीं मैं नहीं मानती,,, यह सब तेरे मन की उपज है,,,,,(रोटी को तवे पर रखते हुए बोली)
मम्मी तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करती तुम जिसे करने के लिए कतरा रही हो ऐसा हो भी सकता है कि घर की चारदीवारी के बीच ना जाने कितने घरों में इस तरह के रिश्ते पनप रहे हो,,,, मर्यादा और संस्कार के आगे भी औरत की नई जिंदगी होती है जिसमें वह खुल कर जीना चाहती है,,,तुम ही सोच लो अगर कल रात को हम दोनों के बीच कुछ हो गया होता तो यह बात क्या बाहर वालों को पता चलता,,, कभी नहीं पता चलता,,,,, यह राज सिर्फ हम दोनों के ही बीच रहता,,,,
तेरे संस्कार भटक गए हैं तु वासना में अंधा हो चुका है,,,संजु,,,
अंधा नहीं हुं,,, तुम्हारी आंखों पर मर्यादा और संस्कार का पर्दा पड़ चुका है तो अपनी ख्वाहिशों को अपनी जरूरतों को अपनी मर्यादा की दीवार में दबा दे रही हो एक औरत होने के नाते तुम्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि तुम्हें क्या चाहिए,,, पेट की भूख के साथ-साथ तुम्हें तन की भी फुर्सत आती है लेकिन तुम अपनी उस भूख को दबा रही हो,,, मैं जानता हूं कि तुम पापा के साथ बिल्कुल भी खुश नहीं हो,,,,।
(अपने बेटे की बातों को सुनकर आ रहा था ना पूरी तरह से हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब बातें संजू कहां से सीखा औरतों को क्या जरूरत है क्या नहीं यह सब उसे कहां से पता चला,,,लेकिन वहां अपने मन में सोचने लगी थी जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें सच्चाई है जिसे वह चाह कर भी नहीं छुपा सकती,,, फिर भी अपने बेटे की बात का जवाब देते हुए वह बोली,,,)
बहुत बड़ा हो गया है तू तुझे पता चलने लगा कि औरतों की ख्वाहिश क्या है जरूरते क्या है,,,(आराधना गुस्से में बोली)
एक बेटे के नजरिए से सागर मुझे तुम्हारा दुख दर्द ही नजर आता लेकिन एक मर्द के नजरिए से तुम्हारे खूबसूरत बदन में छुपी हुई तुम्हारी जरूरते तुम्हारी ख्वाहिशें नजर आती है तुम्हारी बदन की भुख नजर आती है जो कि पूरी नहीं हो पा रही है,,,,
और उसे तो पूरा करना चाहता है यही ना,,,
पापा ने भी तो हम दोनों पर यही इल्जाम भी लगाया है,,,
और तू उस एग्जाम को हकीकत का रुप देना चाहता है,,,हे ना,,,
मम्मी तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करती जब से मैंने तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखा हूं तब से ना जाने मुझे क्या हो गया,,,(संजू हिम्मत जुटाकर अपने मन की बात बताते हुए बोला ,,) मेरी रातों की नींद हराम हो गई है,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनते ही आराधना के बदन में भी सिहरन सी दौड़ने लगी,,,क्योंकि उसे इस बात का आभास है कि इस उम्र में लड़के जवान लड़कियों के पीछे भागते हैं और उसका बेटा है कि उसके नंगे बदन को देखकर उसका दीवाना हो गया है,,, फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,)
क्यों दीवाना हो गया इससे पहले कभी किसी औरत को नंगी नहीं देखा,,,(जानबूझकर आराधना इस सवाल सेअपने बेटे के मुंह से यह जानना चाहते थे कि क्या इससे पहले भी वह किसी औरत को नंगी देख चुका है या उसके जीवन में वह पहली औरत है जिसे वह बिना कपड़ों के पहली बार देखा था,,)
मैंने कभी नहीं देखा मैंने अपनी जिंदगी में सबसे पहले नंगी औरत को सिर्फ तुम्हें देखा और तुम्हें नंगी देखने के बाद पता चला कि तुम कितनी ज्यादा खूबसूरत हो,,,,(संजू के जीवन में सबसे पहली बिना कपड़ों के आने वाली औरत थी उसकी खुद की मौसी यानी उसकी मां की बड़ी बहन लेकिन संजू इस बात को अपनी मां के आगे जाहीर नहीं होने देना चाहता था इसलिए बात को छुपा ले गया था,, पर संजू की यह बात सुनकर जो अभी तक पूरी तरह से गुस्से में थे अब वही आराधना नरम पड़ने लगी थी,,,अपने बेटे की बात सुनकर उसे ना जाने क्यों अपने आप पर गर्व होने लगा था,,,उसे यह महसूस होने लगा था कि 2 बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन का कसाव एकदम जवानी के दिनों का ही था और यह बात तो खुद उसके बेटे ने हीं अपने मुंह से उसे बताया था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना का मन थोड़ा शांत हो रहा था लेकिन वह अपने मन की शांति को अपने चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं आने देना चाहती थी,,। इसलिए गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)
देख समझो तू जो कुछ भी कह रहा है एक औरत के लिए वह सब अच्छा लगता होगा लेकिन एक मां के लिए नहीं समझ रहा है ना मैं तेरी मां हूं और तेरी इन बातें मुझ पर बिल्कुल भी शोभा नहीं देती और ना ही तुझे यह सब कहने मैं शोभा देती है,,,
शोभा दे या ना दे लेकिन जो मुझे सच लग रहा है मैं वही कह रहा हूं,,,
तुझे मैं खूबसूरत लगी तो इसका मतलब थोड़ी नहीं कि तू मेरे साथ कुछ भी करेगा,,,आखिर तुझे रिश्ता और मर्यादा का भी तो ख्याल रखना चाहिए,,।
और तुम्हारी जरूरत का क्या,,, क्या तुम्हारा मन नहीं करता संतुष्ट होने का कोई तुम्हें प्यार करें अपनी बाहों में कस के भरे,,, तुम्हें वह खुशियां दें जिसकी तुम हकदार हो,,, ना की मारपीट गाली-गलौज जबरदस्ती का प्यार इन सब चीजों के लिए तुनटम नहीं बनी हो मम्मी,,,, परिवार संभालने में पति की सेवा करने में और संस्कार और मर्यादा से घिरे रहने में शायद तुम्हें भूल गई हो कि तुम कितनी ज्यादा खूबसूरत हो तुम्हारी जरूरत है क्या है शायद तुम आईना देखना भूल गई हो,,, उस इंसान के साथ जबरदस्ती खुश रहने की कोशिश करती हो जो तुम्हें बिल्कुल भी नहीं चाहता ना तो तुम्हारी इज्जत करता है,,, और खुद तुम्हें अपने ही बेटे के साथ चुदवाने का इल्जाम भी लगा चुका है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से चुदवाना शब्द सुनते ही वह एकदम से सिहर उठी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इन सब बातों को ऐसे गंदे शब्दों को कहां सीख कर आया लेकिन तभी वह अपने मन में सोची,,, जो लड़का अपनी मां को चोदने की कोशिश कर सकता है तो क्या वह इन सब बातों को नहीं जानता होगा,,,,,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे की बातों को सुनकर अपने बदन में उत्तेजना महसूस करने लगी, अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)
संजू तो तुम बिगड़ गया है तुझे अपनी ही मां से इस तरह की गंदी बातें करने में बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही है,,,,
मुझे बहुत शर्म आती है मुझे यह सब नहीं करना चाहिए,,, तुम्हारे बारे में जिस तरह की मैंने बात की वैसे भी नहीं बोलना चाहिए लेकिन क्या करूं मैं जानता हूं कि तुम अंदर से दुखी हूं अपने ही पति से संतुष्ट नहीं हूं इसलिए डरता हूं,,,
डरता हूं,,, किस लिए डरता है,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
मैं कहना तो नहीं चाहता लेकिन तुम नहीं समझ रही हो तो मैं तुम्हें बताता हूं,,, तुम्हारी जो हालत है वैसे ही एक मेरे दोस्त की हालत है क्योंकि मेरा बहुत ही जिगरी दोस्त है उसी ने मुझे बताया था और मुझे कसम दिया था किस बारे में किसी को मत बताना लेकिन मैं तुम्हें बता रहा हूं,,,
क्या,,,,?
यही कि उसकी मां भी तुम्हारे जैसी ही खूबसूरत है लेकिन अपने पति से बिल्कुल भी खुश नहीं है ऐसा नहीं है क्या उसके पति काम नहीं करते मेरे दोस्त के घर किसी चीज की कमी नहीं है बस उसकी मां को कमी रहती है कि उसका पति उसे संतुष्ट नहीं कर पाता और इसीलिए वहां तंग आकर,,, बाहर सुख ढूंढने लगी अपनी प्यास बुझाने के लिए वह गैर मर्दों का सहारा लेने लगी और धीरे-धीरे उसकी आदत हो गई अब तो वह जब कोई नहीं होता तो घर पर ही बुलाकर चुदवाती है,,,(एक बार फिर से संजू ने एकदम साफ और गंदे लफ्जों में बोला,, लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर आराधना समझ गई और गुस्से में बोली,,)
तो तुझे क्या लगता है किस बात का डर लगता है कि मैं भी बाहर जाकर किसी और से संबंध बनाओगी दूसरे मर्दों को अपने घर पर लाऊंगी तो पागल हो गया है मुझे इतना गिरा हुआ समझता है,,,।
नहीं मम्मी मैं तुम्हारी तुलना उस औरत से नहीं कर रहा हूं क्योंकि तुम कई मायने में उस औरत से बहुत अच्छी हो लेकिन दोनों की एक ही बात सामान नहीं कि दोनों अंदर से प्यासी है,,, तुम भी उसी की तरह प्यासी हो,,, इसलिए मुझे डर लगता है,,,,। मेरे अंदर यही डर था जो मै रिश्तो की मर्यादा को लांघ कर आगे बढ़ जाना चाहता था,,, मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारी हालत उस औरत की तरह हो जाए जो की चाह कर भी पीछे आना नामुमकिन हो,,,, बस यही कहना था,,,,
(पर इतना कहने के साथ ही अपना बैठाया और जाने लगा नाश्ते की प्लेट वैसे ही थी उसने कुछ भी नहीं खाया था तो आराधना पीछे से आवाज लगाते हुए बोली,,)
नाश्ता तो कर ले,,,
लेकिन संजू कुछ बोला नहीं और घर से बाहर चला गया आराधना उसे जाते हुए देखती रह गई आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, अपने बेटे की अपने दोस्त की मां वाली बात सुनकर उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन वह जानती थी कि हालत कैसी भी हो वह उसके दोस्त की मां की तरह तो बिल्कुल भी नहीं बनेगी जो कि यह बात संजू अपने ही फायदे के लिए मनगडंत कहानी बताया था,,,,,संजू के जाने के बाद आराधना एकदम सोच में पड़ गई उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कोई राह दिखाई नहीं दे रही थी अपने मन में सोचने लगी कि क्या वाकई में उसका बेटा उसके दोस्त की मां की तरह हालत ना हो जाए इसलिए खुद उसे संतुष्ट करने की जिम्मेदारी उठाया था,,, अगर ऐसा भी है तो भी तो अपने दोस्त की मां की हालत का वर्णन करते हुए अपनी मां के साथ गलत संबंध बनाना यह तो गलत ही है,,,, आराधना को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन सच में जिस तरह से खुले शब्दों में चुदाई वाली बात किया था उसके मुंह से चुद वाना सब को सुनकर आराधना अंदर ही अंदर उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, वह इन सब बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना चाहती थी क्योंकि यह सब बातें उसे कमजोर बना रहे थे और वह कमजोर नहीं बनना चाहती थी किसी भी हालत में वह मां बेटे के बीच के रिश्ते को तार-तार नहीं करना चाहती थी इसलिए अपने आप पर काबू करके अपना ध्यान घर के काम में लगा कर अपने आप को व्यस्त करने लगी,,,।