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Incest मजबूरी या जरूरत

rohnny4545

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मोहिनी अपनीसहेली रेणुका से मिलके काफी खुश और उत्साहित नजर आ रही थी क्योंकि अपनी सहेली से मिलने के बाद से उसे एक नया रास्ता मिल गया था जैसे वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकती थी,,,रेणुका की बताई युक्ति जो कि वह अपने बॉयफ्रेंड पर आजमाना चाहती थी उसे सुनकर मोहिनी के मन में भी उत्सुकता जागने लगी उसे अपनी सहेली की इस युक्ति पर पूरा भरोसा नजर आ रहा था,,, क्योंकि यही हाल उसका भी था जब वह अपने भाई के लंड को अपनी आंखों से देखी थी और उसे पूरा यकीन था कि उसका भाई भी पूरी तरह से पागल हो जाएगा जब उसे बिना पेंटी के देखेगा तब,,,।


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दूसरी तरफ साधना परेशान थी अपने बेटे को लेकर,,, साधना अच्छी तरह से जानती थी कि संजू जो कुछ भी करने की सोच रहा है वह बहुत गलत है एक बेटा भला अपनी मां के साथ इस तरह का रिश्ता कैसे रख सकता है और उसे ताज्जुब भी हो रहा था कि इस नौजवान उम्र मेंएक लड़का एक नौजवान लड़की की तरफ आकर्षित होता है ऐसे मोड़ पर उसका बेटा एक उम्रदराज औरत की ओर आकर्षित हुआ जा रहा है और वह भी अपनी मां की तरफ,,,,इस बात को लेकर मैं बेचैन नजर आती थी लेकिन ना जाने क्यों अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित होता देखकर उसके मन में अजीब सी हलचल भी होती थी क्योंकि उसे लगने लगता था कि इस उम्र में भी उसके अंदर जवानी की आग पूरी तरह से बरकरार है,,, वरना भला उसका बेटा उसकी तरफ आकर्षित क्यों होता,,,, अपने बेटे की हरकत की सोच के बारे में सोच सोच कर कभी कभी साधना की आंखों से आंसू टपक पड़ते थे तो कभी उसकी हरकत को लेकर उसकी चूत से काम रस बहने लगता था साधना समझ नहीं पा रही थी फैसला नहीं कर पा रही थी कि वह, अपने बेटे को समझाए या आगे बढ़ने दें,,,,,


, कहीं ना कहीं उसे अपने बेटे की हरकत अच्छी भी लगती थी,,,,,, वरना उसकी चुत से काम रस युं ना बहता,,,,, कभी-कभी अपने बेटे की मौजूदगी में दोनों के बीच हालात कुछ इस कदर आगे बढ़ जाते की साधना को समझ में नहीं आता था कि वह क्या करें,,, उसका बदन अपने बेटे की हरकत के आगे घुटने टेक देता था लेकिन दिमाग पर जोर देकर वह बार-बार कतरा जा रही थी,,,,,,,। अब तो उसी और की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्योंकि उसके बेटे ने खुले शब्दों में एक औरत की जरूरत है को उदाहरण के रूप में उसकी आगे धर दिया था,,, और वह भी अपने ही दोस्त और उसकी मम्मी का उदाहरण देते हुए,,,,।

खैर जैसे-तैसे दिन गुजरने लगे संजू के मन में अपनी मां को लेकर थोड़ा गुस्सा भी था लेकिन प्यार भी बहुत था लेकिन यह प्यार स्नेह ना होकर पूरी तरह से वासना था जिसमें संजू पूरी तरह से लिप्त हो चुका था और किसी भी तरह से अपनी मां को चोदना चाहता था उसे अपना बनाना चाहता था उसकी खूबसूरत बदन पर अपना अधिकार जमाना चाहता था,,,, वह तो साधना थी जो अपने पति से संतुष्ट ना होते हुए भी,,अपने बेटे की जरूरत के आगे घुटने नहीं टेक दिए वरना उसकी जगह कोई और औरत होती तो अब तक वह अपने बेटे के साथ हमबिस्तर हो चुकी होती,,,,,,,,।



दूसरी तरफ मोहिनी अपने भाई के ऊपर मोहिनी बाण चलाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अपनी सहेली के बताए युक्ति पर वह पूरी तरह से काम करना चाहती थी लेकिन,, वह डरती भी थी कि अगर उसका भाई उसकी हरकत पर उसे डांट दिया तो क्या होगा,,,, लेकिन अपनी सहेली की बात उसे याद थी कि अगर उसका बॉयफ्रेंड एक बार उसकी चूत देख लेगा तो पागलों की तरह उसके पीछे-पीछे दीवाना बनकर घूमेगा और यही उसकी बात उसकी ताकत बन चुकी थी उसे भी पूरा यकीन हो चुका था किअगर उसका भाई भी उसकी चूत का झलक देख लेगा तो उसका दीवाना हो जाएगा जैसा कि वह अपने भाई के लंड की दीवानी हो चुकी थी,,,,,,।

आज शनिवार का दिन था वह आज ही पूरी तैयारी कर लेना चाहती थी क्योंकि कल रविवार था कल स्कूल जाना नहीं था किसी भी तरह सेवा अपने भाई को अपनी मोहिनी जाल में फंसाना चाहती थी,,, अपने हुस्न का जलवा दिखाकर उसे लुभाना चाहती थी,,,, मोहिनी ऐसी पहले कभी नहीं थी पहली बार अपनी मौसी के मुंह से गंदी गंदी बातों को सुनकर उसके तन बदन में जो हलचल हुई थी उसके चलते उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी की बातें घर कर गई थी जब वह अपनी मौसी की बातों को थोड़ा-थोड़ा बोल चुकी थी तभी ऐन मौके पर उसने अपने भाई के खड़े लंड का दर्शन कर ली और एक जवान लंड के दर्शन कर लेने से एक जवान लड़की के तन बदन में जो हलचल होती थी वही हलचल व अपनी बदन में महसूस करते हुए अपनी जवानी की गर्मी को अपने ही हाथ की उंगली से शांत करने पर मजबूर हो गई और उसकी यही मजबूरी उसकी दीवानगी बन गई अपनी सहेली की बातों को सुनकर उसने भी अपने भाई को अपने माया जाल में फंसाने का पूरी तरह से इंतजाम कर ली और उसी के इंतजाम के चलते वह ,, चोरी छुपे अपनी मां के कमरे की अलमारी में से ड्रावर में छिपाकर रखे गए वीट क्रीम को निकाल ली,,, जिसका उपयोग साधना कभी कबार कर लेती थी क्योंकि उसे अपनी चूत पर ढेर सारे बाल पसंद बिल्कुल भी नहीं थे वह हमेशा अपनी चूत को चिकनी रखना चाहती थी और रखती भी थी लेकिन कुछ महीनों से उसके जीवन में जिस तरह का बदला हुआ था उसे देखते हुए वह‌ सजना सवरना और चूत को क्रीम से साफ करके चिकना रखना भूल चुकी थी,,,, वैसे भी उसकी जिंदगी में मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी जिससे कि उसका ध्यान अपने बदन पर सजने सवरने पर जाएं वह तो अपना जीवन बचाने पर लगी हुई थी अपने जीवन की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने की पूरी कोशिश में लगी हुई थी लेकिन उसकी कोशिश बिल्कुल भी रंग लाती दिखाई नहीं दे रही थी हां उसके बेटे की थोड़ी सी हिम्मत ने घर में शांति का माहौल बना रखा था,,,, लेकिन इस शांति के पीछे भी बहुत बड़ा तूफान था जोकि मोहिनी संजू और साधना के मन पर अपने तरीके से भारी असर कर रहा था,,,,।

मोहिनी अपनी मम्मी की अलमारी में से वीट क्रीम से थोड़ी बहुत क्रीम एक साथ पेपर पर निकाल कर उसे सबकी नजरों से बचाकर बाथरूम में लेकर आ गई,,,,,,सुबह का समय था नहाने का समय उसी का था इसलिए इत्मीनान से वह बाथरूम का दरवाजा बंद करके धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतारने लगी,,, आज दूसरी बार वह अपनी चूत को साफ करने जा रहे थे इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी बाथरूम के दरवाजे की कड़ी लगाते समयउसके दिल की धड़कन जोरों से चल रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई वह चोरी वाला काम करने जा रही है,,, देखते ही देखते मोहिनी अपने बदन पर से सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,, बाथरूम में शीशा तो लगा नहीं था क्योंकि मोहिनी का परिवार पूरी तरह से सुख सुविधा से संपन्न नहीं था,,, एक तरह से इस समय रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे थे,,, और ऐसे हालात में मोहिनी अपनी जरूरतों को पूरी करने की कोशिश कर रही थी,,,,अपने नंगे बदन को अपनी ही नजरों से ऊपर से नीचे की तरफ देखकर वह संतुष्ट होते हुए सबसे पहले अपनी छातियों की शोभा बढ़ा रहे हैं छोटे-छोटे अनार को जो की पूरी तरह से सुगठित अवस्था में थी उसे अपनी हथेली में लेकर हल्के हल्के दबाने की कोशिश करने लगे और उसकी यह हरकत उसके तन बदन में उत्तेजना का संचार बढ़ाने लगी,,,,।

हथेली की हरकत धीरे-धीरे शख्ती में बदलने लगी,,,, अपने ही बदन के नाजुक अंग को अपनी हथेली में लेकर दबाने में उसे आनंद आने लगा,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी मोहनी यह हरकत अपने बदन के साथ पहली बार कर रही थी,,, और वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी देखते देखते वह अपनी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगी,,,, इस समय आनंद की परिभाषा शायद उसके लिए यही थी,,,, पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, दोनों हथेलियों पर अपनी चुचियों को लेकर वह अपनी आंखों से देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और उत्तेजित भी हो रही थी,,,, छोटी-छोटी नारंगीयो को देखकर उसे अपने ऊपर गर्व का अनुभव हो रहा था,,,, चुचियां उसकी पल भर भी एकदम कड़क हो चुकी थी और उन चूचियों की शोभा बढ़ा रहे छोटी सी छुआरा टाइप की निप्पल पूरी तरह से जितना हो सकता था अपनी औकात में आकर खड़ी हो चुकी थी और खड़ी होने के बाद कैडबरी की कोई स्वादिष्ट चॉकलेट लगने लगी थी,,,, जिसे देखकर महीने का मन मुंह में लेकर चूसने को कर रहा था लेकिन उसकी चूचियां अभी पूरी तरह से जवान हो रही थी इसलिए उसमें जवाबी लचक और घेराव पन नहीं था जिसे वह खुद अपने हाथ में लेकर उसे मुंह में लगा सके,,,,,,, लेकिन जवानी के दौर में अरमानों को अपने आप ही पंख लग जाते हैं इसलिए अपने मुंह पर ना पहुंचने के बावजूद भी वह पूरी कोशिश कर रही थी कि उसकी चूची उसके मुंह तक पहुंच जाएं और वह अपनी ही निप्पल को मुंह में लेकर चुसे,,, लेकिन उसके हार मान उसकी यह चाहत इस समय असंभव थी,,, इसलिए वह मुंह में लेकर चूसने की अपनी इच्छा को मन में ही दबाकर वह अपनी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगी ना जाने क्यों उसे अपनी चूचियां दबाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,देखते ही देखते मोहिनी ने खुद अपने हाथों से अपनी गोरी गोरी सूचियों को टमाटर की तरह लाल कर दी जिसे देख कर उसके गाल भी शर्म से लाल हो गए,,,,,,,।

मोहिनी है बात अच्छी तरह से जानती थी कि वह काफी सुंदर थी जो कि खुद उसकी नहीं सहेली उसे बताती भी थी अपने बदन के बनावट पर उसे भी गर्व होता था,,,, अपने नितंबों को अपने ही हाथ से स्पर्श करके वह उत्तेजित हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी आज उसकी यह खूबसूरत कांड उसके भाई के हाथों में होती तो कितना मजा आता उसका भाई अपनी जीभ से उसकी गोरी गोरी गांड को पूरी तरह से चाट जाता मानो कि जैसे उस पर मक्खन लगा हो,,,,,,, मोहिनी अपनी गांड के उभार को अपनी आंखों से देखना चाहती थी उसकी खूबसूरती को निहारना चाहती थी पर देखना चाहती थी कि खुद की गांड देखने में उसे कैसा अनुभव होता है कैसा महसूस होता है,,,, क्योंकि सड़क पर चलते समय वहां लड़कों की निगाह को भांप चुकी थी,,,आगे से आने वाले लड़के उसकी चूचियों को देखते रहते थे और पीछे से आने वाले उसकी खूबसूरत गांड के उभार को इसे देखकर ना जाने वालों को अपने बारे में कैसी-कैसी कल्पना करके अपने आप ही संतुष्ट होने का इंतजाम करते थे,,,।

एक बात तो उसे समझ में आ गई थी कि जिस तरह से उसने अपने भाई के लंड को देखकर खुद की गर्मी को शांत करने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा ले थी उसी तरह से लड़के भी खूबसूरत लड़कियों की कल्पना करके अपने लंड को हिला कर पानी निकाल कर अपनी गर्मी को शांत करते थे और उसको यह ज्ञान उसकी सबसे अच्छी सहेली रोहिणी से ही मिला था,,,, और इसलिए वह इतना तो अंदाजा लगा ही लिखी थी उसे भी देखकर कॉलेज की ना जाने कितने लड़के अपने मन में कल्पना करके उसके साथ ना जाने क्या-क्या करते होंगे,,,,एक तरह से उसे अपनी जवानी पर गर्म होने लगा था कि उसके बारे में सोच कर ना जाने कितने लड़के मुट्ठ मार कर अपना पानी निकाल देते हैं,,,,।

यह सब सोचकर उसके तन बदन में आग लग रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में से काम रस का बहना शुरु हो चुका था,,,, मोहिनी अपनी ही गांड के उभार को देखने के लिए पूरी कोशिश कर रही थी अपनी नजरों को पीछे की तरफ घुमा कर जितना हो सकता था उतना देखने की पूरी कोशिश करती थी और उसे अपनी कोशिश थोड़ी बहुत कामयाब होती नजर भी आ रही थी,,, पूरी तरह से नहीं फिर भी एक तरफ की गांड की फांक को देखकर अंदाजा लगा लेती थी कि उसकी गांड का उभार कितना है,,, वह अपनी हथेलियों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी गांड पर जोर जोर से चपत लगाकर उसे अपनी हथेली में दबोच ले रही थी और ऐसा करने में उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,।

अपने ही पतन के साथ खेलने में वह भूल चुकी थी कि समय ज्यादा हो रहा है किसी भी समय कोई भी आ सकता था नहाने चलेगा कागज मिला ही वीट क्रीम को जल्दी जल्दी अपनी तिकोन आकार की चूत पर लगाकर कुछ देर तक उसे ऐसे ही रहने दी,,, और रात के प्रोग्राम के बारे में सोचने लगे कि रात को उसे क्या करना है,,, वह अपने मन में रात के सारे इंतजाम को तय कर ली थी आज वह फ्रॉक पहन कर सोने वाली थी और ट्रक के नीचे कुछ भी नहीं क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने भाई को अपनी चूत की झलक दिखा देना चाहती थी अपनी जवानी के उस काम रस से भरे हुए कटोरे को अपने भाई के आगे परोस देना चाहती थी ताकि उसका भाई काम रस से भरे हुए उस कटोरे को अपनी जीभ लगाकर पूरा का पूरा चट कर जाए,,,,।

तकरीबन 5 मिनट का समय बीत चुका था और वह तुरंत नीचे थैंक्यू ही अपनी पेंटी को उठाकर चुत पर की क्रीम को साफ करने लगी,,,,देखते ही देखते वह पूरी क्रीम अपनी पेंटी से साफ कर लेने के बाद जब एक निगाह अपनी चूत पर डाली तो उसे देखती ही रह गई,,,, उसकी चूत अभी पूरी तरह से कुंवारी थी क्योंकि अभी तक किसी भी मर्द की परछाई भी उस पर नहीं पहुंची थी केवल एक बार ही मोहिनी ने अपनी उंगली का सहारा लेकर अपनी चूत की गर्मी को शांत करने की कोशिश की थी और आज दूसरी बार था जब वह अपनी चूत को चिकना कर के अपनी ही चूत को देखकर मदहोश हुए जा रही थी,,,,।

वह अपनी निगाहों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर की हुई थी उत्तेजना के मारे उसकी चूत फुल कर कचोरी जैसी हो गई थी उसे यह देख कर बिल्कुल भी सब्र नहीं हुआ और उस पर अपनी हथेली रख दी,,, चूत चूल्हे पर रखे हुए तवे की तरह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,, जिसकी गरमी हथेली पर महसूस होते हैं उसके तन बदन में आग लगने लगी,,,,, आंखें बंद होने लगी पूरे बदन पर मदहोशी छाने लगी,,,, आंखों में खुमारी का नशा पूरी तरह से उसेअपनी गिरफ्त में ले चुका,,, था,,,,, और उसकी हथेली चूत के भूगोल पर पूरी तरह से फैली हुई थी,, और मदहोशी और उत्तेजना के आलम में उसकी एक उंगली धीरे धीरे उसकी पतली दरार के गुलाबी छेद में प्रवेश करने लगी और उंगली को प्रवेश कराते समय आंखों को बंद करके मोहिनी उस उंगली की जगह अपने भाई के लंड की कल्पना करने लगी,,, जो कि उसके आलूबुखारे जैसा सुपाड़ा धीरे-धीरे कल्पना में उसकी चूत के गुलाबी छेद को भेंदता हुआ अंदर की तरफ सरकने लगा,,,, मोहिनी उत्तेजना और आनंद में पूरी तरह से डूबने लगी थी अपने भाई के लंड की कल्पना करके उसकी उत्तेजना काफी हद तक बढ़ चुकी थी,,,देखते ही देखते वह पूरी उंगली को अपनी चुत की गहराई में जहां तक हो सकता था वहां तक डालने की कोशिश करने लगी और कल्पना में वह अपने भाई के लंड को अपनी चूत की गहराई में ले चुकी थी,,, धीरे-धीरे महीने अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी और कल्पना में उसका भाई उसकी कमर थामे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया उसे चोदना शुरू कर दिया था और यह ख्याल‌ यह कल्पना उसके तन बदन में आग लगा रही थी और देखते ही देखते वह पल भर में ही झड़ने लगी,,,,, जब वह अपना काम रस निकालते हुए झड़ रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक हुई,,,।


अरे जल्दी निकल कॉलेज के लिए देर हो रहा है।


हां,,,,हा,,,,, बस 5 मिनट भैया,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने बदन पर पानी डालकर साबुन लगाकर नहाना शुरू कर दी,,,,अपनी हालत पर उसे खुद हंसी आ गई थी क्योंकि जिस भाई की कल्पना करके वह उसे अपने साथ सैया वाला काम करवा रही थी,,, और उसी को दरवाजे पर दस्तक देता हुआ देखकर भैया कह रही थी,,,, 5 मिनट बाद ही बना तो कर बाहर निकल कर बहुत काफी तरोताजा महसूस कर रही थी और फिर नाश्ता करके वह कॉलेज के लिए निकल गई,,,,।
 
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