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Incest मजबूरी या जरूरत

Ajju Landwalia

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आराधना को बड़ी बेसब्री से शाम होने का इंतजार था वह अपने बच्चों को अपनी जॉब के बारे में बताना चाहती थी वह काफी खुश नजर आ रही थी लेकिन जो कुछ भी वह इंटरव्यू देने के बाद घर पर आकर की थी उसके बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो जा रही थी क्योंकि आज वह कल्पना‌ में अपने बेटे के साथ थी और अपने बेटे के साथ की कल्पना करके वह जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव अपने तन बदन में कर रही थी वह एहसास आराधना के लिए अद्भुत था,,,वह कभी सोची नहीं थी कि वह अपने बेटे के बारे में इस तरह की कल्पना करेगी लेकिन कुछ दिनों से जिस तरह के हालात घर के अंदर बदल रहे थे उसे देखते हुए ना जाने क्यों वह खुद अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुई जा रही थी,,,, वह अपने बेटे की बातों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसकी बातों में उसकी हरकतों में उसके लिए प्यार और एहसास दोनों था वह उसकी परवाह करता था उसके बारे में सोचता था,,,,आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी कि जो कुछ भी उसके उसके पति के बीच में हो रहा था संजू नहीं चाहता था कि वह इस तरह की जिंदगी जिए संजू उसे दुनिया की हर खुशी देना चाहता था उसे प्यार से रखना चाहता था लेकिन इसके बदले में संजू उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था जो कि मां और बेटे के बीच में इस तरह के नाजायज संबंध सही बिल्कुल भी नहीं थे ना तो खुद की नजरों में ना ही दुनिया की नजरों में,,,,।

लेकिन इस बात से आराधना इंकार भी नहीं कर सकती थी कि उसके पति से उसे अब किसी प्रकार की खुशियां संतुष्टि नहीं मिल रही थी उसका पति उससे मैं तो प्यार भरी बातें करता था ना ही प्यार करता था और तो और ना तो उसकी परवाह करता था अगर इंसान अच्छी तरह से कमाता ना होऔर ना ही औरतों को अच्छी तरह से खिला पाता हूं लेकिन उसकी परवाह करता हूं उसकी इज्जत करता हूं उससे बेशुमार प्यार करता हो तो औरत के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और कुछ नहीं होती वहां दुनिया की हर खुशी को त्याग कर अपने पति के पहलू में अपनी जिंदगी बिता लेना चाहती है लेकिन यहां तो ना तो पति का प्यार था और ना ही अच्छे जीने के लिए जिंदगी,,,,,इसलिए अपने पति से विमुख होकर ना जाने क्यों उसका आकर्षण अपने बेटे की तरफ बढ़ता जा रहा था,,,, आराधना यह बात अच्छी तरह से समझ रही थी कि मर्द तो आखिर मर्द ही होता है किसी चीज के बदले में उसे कुछ न कुछ फायदा चाहिए जरूर होता है और उसे अपने बेटे के पक्ष में भी यही नजर आ रहा था उसका बेटा उसकी परवाह करता था उसका ख्याल रखा था उसे तकलीफ देना नहीं चाहता था लेकिन बदले में वह भी चाहता तो उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार ही,,,, आराधना अपने बेटे से दूरी बनाकर रहती थी क्योंकि औरत वह बाद में थी पहले एक मां थी लेकिन यह बात संजू बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था वह बेटा होने के बावजूद भी उसके साथ अपने आप को मर्द के रूप में देता था और अपनी मां को एक औरत के रूप में,,,, आराधना अपने मन में सोच रही थी कि उस दिन रात को वह सही समय पर अपने बेटे के बाहों में से अलग हो गई वरना उस दिन वह अपनी मर्यादा को लांघ गई होती,,, और एक बार जब वह मर्यादा की दीवार को लांघ जाती तो उसके लिए वापस आना मुश्किल हो जाता,,,,। आराधना किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही थी वह बीच मझधार में फंसी हुई थी चारों तरफ से किनारा तो नजर आ रहा था लेकिन वहां तक पहुंचने की कोई राह नजर नहीं आ रही थी और ना ही वहां पहुंचने की उसकी हिम्मत हो रही थी,,, वाह अपनी चाहत और भावनाओं के घेरे में घिरी हुई थी,,,,, एक तरफ उसे अपने बेटे की हरकत ठीक नहीं लगती थी वह नहीं चाहती थी कि उसका बेटा आगे बढ़े और दूसरी तरफ वह अपने बेटे की तरफ आकर्षित भी हुई जा रही थी,,, हद तो आज हो गई थी जब वह अपने ही नंगे बदन को देखकर उत्तेजित हो गई और उत्तेजित अवस्था में अपनी उंगली को अपनी चुत में डालकर अपने बेटे के बारे में कल्पना करने लगी,,,, और कल्पना में उसकी खुद की उंगली उसे उसके बेटे का लंड महसूस होने लगा जिसे कल्पना में उसका बेटा उसकी मांसल चिकनी कमर पर थाम कर अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसे चोद रहा था और उसके लिए यह कल्पना बेहद अद्भुत और अवर्णनीय थी अपने बेटे के बारे में इस तरह की कल्पना करके वह झड़ चुकी थी,,,,।
आराधना अपने बच्चों का इंतजार करती हो यही सोच रही थी कि जब कल्पना में अपने बेटे के साथ उसे इतना आनंद की अनुभूति हुई तो अगर यह सब वास्तविक का रूप ले ले तो उसका क्या हाल होगा,,,,,,आराधना चित्र से जानती थी कि उसे समझाने की उसके बेटे ने लाख कोशिश कर चुका था लेकिन वो टस का मस नहीं हुई थी,,,उसके बेटे ने उसे यह भी समझाने की कोशिश किया था कि दुनिया की नजर में या पाप होगा लेकिन चारदीवारी के अंदर जो कुछ भी हो रहा है वह किसे पता चलने वाला है और इसमें वह भी खुश और वो भी खुश ,,,,,,, आराधना अपने मन में चारदीवारी के अंदर वाली बात को बड़ी गहराई से सोच रही थी वह अपने मन में अनजाने में ही इस बात पर गौर कर रही थी कि उसके बेटे के कहे अनुसार अगर चारदीवारी के अंदर उन दोनों के बीच कुछ होता है तो यह बात वास्तव में कहां किसी को पता चलने वाली है और ऐसे में उसे शारीरिक सुख भी मिल जाएगा जिसके लिए वह तरस तो रही है लेकिन कर कुछ नहीं रही है लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि नहीं यह गलत है चारदीवारी के अंदर भी अगर वह अपनी बेटी के साथ संबंध बना लेती है तो अगर घर का ही सदस्य कोई अपनी आंखों से देख लिया तो क्या होगा,,,,

यह सब ख्याल उसकी अंतरात्मा को पूरी तरह से झकझोर कर रख दे रहा था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन इन सभी ख्यालों के चलते उसकी टांगों के बीच की पतली दरार फिर से गीली होने लगी थी,,, अपनी चूत की नमी आराधना को भी तरोताजा कर जाती थी उसे इस बात का अहसास होने लगता था कि अभी भी उसमें बहुत कुछ बाकी है,,,,।

Aaradhna


मोहिनी और संजू के आने का समय हो गया था आराधना खाना बनाने की तैयारी करने लगी थी वह बहुत खुश थी क्योंकि उसे 12000 की जॉब लगी थी और जॉब पर आने जाने के लिए स्कूटी भी मिल रही थी,,, जिससे आने जाने का किराया बस जाता वरना किराया बचाने के लिए पैदल आना जाना पड़ता,,,,,,,


दूसरी तरफ मोहिनी घर लौटते समय रात वाली बात को याद करके पूरी तरह से उत्तेजित में जा रही थी रात को जो कुछ भी हुआ था उसकी युक्ति पूरी तरह से काम कर गई थी,, बस उसके भाई ने थोड़ी सी और ज्यादा हिम्मत दिखाने की कोशिश नहीं कर पाया वरना,,,पहली बार मैं उसके भाई का लंड उसकी चूत के अंदर होता और वह जिंदगी में पहली बार चुदाई का सुख प्राप्त कर लेती,,,,, लेकिन रात का नशा आप ही किसके तन बदन में छाया हुआ था वह रात वाली बात को याद करके एकदम गदगद हुए जा रहे थे कैसे उसके भाई ने उसकी चूत को अपनी हथेली में लेकर सहलाया था,,,और कैसे अपनी जी उस में डाल कर उसके रस को चाट रहा था यह देखना मोहिनी के लिए बेहद अचरज भरा था लेकिन अपने भाई की हरकत से और पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी नस-नस में मदहोशी का नशा भरने लगा था एक पल के लिए तो उसमें ऐसा लग रहा था कि वह अपने भाई के सिर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दें,,,,ऊफफ वह एहसास गजब का था,,,, सड़क पर चलते हुए मोहिनी यही सोच रही थी कि उसकी सबसे अच्छी सहेली रोहिणी की युक्ति उसके ऊपर काम करी कि नहीं यह तो वह नहीं जानती लेकिन उसकी बताई युक्ति उसके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही थी वह इस युक्ति को और ज्यादा आजमाना चाहती थी क्योंकि वह किसी भी सूरत में अपने भाई के लंड को अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी,,,।

मां और बेटी में इस मामले में बहुत फर्क नजर आ रहा था एक तरफ मां की जो अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से कतरा रही थी वह नहीं चाहती थी कि वहां अपनी मर्यादा से आगे निकल कर जाएं अपनी बेटी के ही साथ शारीरिक संबंध बनाकर मां बेटे के बीच के रिश्ते को कलंकित करें और दूसरी तरफ मोहिनी थी जो कि किसी भी सूरते हाल में अपने भाई के साथ संबंध बनाकर चुदाई का सुख भोगना चाहती थी,,, उसे लोक लाज शर्म किसी का भी डर बिल्कुल भी नहीं था भाई बहन के पवित्र रिश्ते को तार-तार करने का भी दुख उसमें जरा भी नहीं था बल्कि वहां तो एक औरत और मर्द के बीच के संबंध का मजा लेना चाहती थी,,,,,, और इसी प्रयास में वह अपना प्रयास जारी रखना चाहती थी,,,,।

संजू भी रात के बारे में ही सोच रहा था वह यह सोच रहा था कि अगर रोज उसकी बहन फ्रॉक पहनकर सोए तो कितना मजा आ जाए,,,। पहली बार संजू किसी जवान लड़की की चूत देखा था और वह भी अपनी बहन की अब तक उसने केवल अपनी मौसी की चूत देखा था और उसे चोदा भी था,,,अपनी बहन की चूत का काम रस पीकर जिस तरह का नशा संजू के तन बदन में चढ़ने लगा था उस नशे में वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,,,सड़क पर चलते हुए संजू उस पल को याद करके रोमांचित हुआ जा रहा था जब वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच आकर अपनी खड़े लंड को उसकी चूत की दरार पर लगा रहा था उस समय उसके तन बदन में जो उत्पात हो रहा था वह बता नहीं सकता था संजू का मन उस समय अपना लंड पूरा का पूरा अपनी बहन की चूत में डाल देने को कर रहा था,,, लेकिन अपनी मौसी की दो बार की चुदाई से थोड़ा बहुत अनुभव संजू को हो गया था वह अपनी बहन की चूत का छेद देख कर समझ गया था कि बिना उसके सहकार के उसका मोटा तगड़ा लंड चूत में घुसने वाला नहीं है,,,इसीलिए केवल संजू अपने लंड को अपनी बहन की चूत पकड़ कर ही अपना पानी निकाल दिया था लेकिन इतना भी संजू के लिए बहुत था,,,, अब वह अपने मन में सोचने लगा कि क्या वाकई में रोज उसकी बहन बिना चड्डी के सोती है वहअंदर कुछ नहीं पहनती अगर ऐसा है तो उसे फिर से वही खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा,,, और यह सोच कर सही रोमांचित हो उठा,,, थोड़ी ही देर में वह भी घर पर पहुंच गया अभी अभी कुछ देर पहले ही मोहिनी घर पर पहुंची थी और हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो रही थी,,,,, संजू के भी घर पर पहुंच जाने की वजह से मोहिनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी क्योंकि अब वह अपनी भाई की उपस्थिति में अजीब सा अनुभव करने लगी थी वह अपने भाई से नजर मिलाने में शर्म महसूस कर रही थी,,, और संजू का भी यही हाल था यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी उसने किया है वह मोहिनी को बिल्कुल भी पता नहीं है क्योंकि वह बेहद गहरी नींद में सोती है फिर भी संजू अपनी बहन से नजर मिलाने में कतरा रहा था,,,।


दोनों हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो चुके थे,,, आराधना तुरंत मिठाई का डिब्बा लेकर आई और डीपी को खोलते हुए दोनों के आंखें मिठाई का डब्बा करते हुए बोली,,,।


लो तुम दोनों मुंह मीठा करो,,,,
(आराधना की बात सुनकर मोहिनी और संजू दोनों अच्छे से एक दूसरे की तरफ देखते हुए अपनी मां से एक साथ बोले,,)

यह किस खुशी में,,,,


पहले तुम दोनों मिठाई लो तो सही,,,,
(संजू और मोहिनी दोनों मिठाई के डिब्बे में से मिठाई निकालकर खाते हुए अपनी मां की तरफ से से देखने लगे तो उन दोनों की उत्सुकता को खत्म करते हुए आराधना बोली,,)

मुझे बहुत ही अच्छी जॉब मिल गई है और वह भी कंप्यूटर चलाने की ऑफिस में और ज्यादा दूर भी नहीं है 10 मिनट का रास्ता है,,,और तो और कंपनी मुझे कंपनी की स्कूटी भी कह रही है आने जाने के लिए किराया भी बच जाएगा,,,(आराधना किसी और सामान के लिए अपने बच्चों को बिल्कुल भी मौका नहीं देना चाहती थी इसलिए एक ही सांस में सब कुछ बता दी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) और हां तनख्वाह है 12000,,,,,

क्या,,,?(मोहिनी आश्चर्य जताते हुए बोली,,)


12000 अब हमें किसी से भी पैसे उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,,( आराधना अपनी खुशी व्यक्त करते हुए बोली,,, मोहिनी और संजू अभी भी आश्चर्य में थे इतनी जल्दी नौकरी के लिए और वह भी ₹12000,,,,दोनों अभी भी आश्चर्य से आराधना की तरफ भी देख रहे थे तो आराधना बोली,,)

क्यों क्या हुआ तुम दोनों को खुशी नहीं हुई,,,


नहीं मम्मी बहुत खुशी हुई लेकिन थोड़ा अजीब लग रहा है तुम कभी नौकरी नहीं किए और घर चलाने की वजह से पहली बार जॉब करना पड़ रहा है,,,(संजू सांत्वना दर्शाते हुए भोला और संजू की यही बात आराधना को बहुत अच्छी लगती थी कि वह उसकी फिक्र बहुत करता था लेकिन उसकी बात को सुनते समय आराधना का ध्यान उसकी नजरों पर भी था संजू उसकी चूचियों की तरफ घूर रहा था,,,जो कि साड़ी का पल्लू थोड़ा सा नीचे होने की वजह से ब्लाउज में से उसकी चूचियों की गहराई एकदम साफ नजर आ रहे थे अपनी छातियों पर नजर जाते ही आराधना संजू की नजरों की वजह से शर्म से पानी पानी होने लगे वह अपने मन में सोचने लगी कि यह लड़का कभी भी कहीं भी शुरू हो जाता है,,,, आनन-फानन में अपने बेटे के बातों का जवाब देते हुए आराधना बोली,,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है ऐसा तो है नहीं कि औरतें नौकरी नहीं करती मैं जहां काम करने जा रही हूं वहां पर ज्यादातर औरतें ही है,, इसलिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, तुम दोनों मिठाई खाओ मैं जल्दी जल्दी खाना बना लेती हूं,,,,(इतना कहकर आराधना रसोई घर में चली गई,,, और मोहिनी आश्चर्य से संजू की तरफ देखते हुए बोली,,)

मम्मी जोब कर पाएगी,,,


क्यों नहीं कर पाएगी जरूर कर पाएंगी,,,,
((इतना कहते हो संजू एक नजर अपनी बहन के ऊपर डाला तो देखा कि उसकी बहन आज फ्रॉक नहीं पहनी थी सलवार कमीज पहनी थी लेकिन सलवार समीज में भी वह पूरी तरह से कयामत लग रही थी,,,, अपनी बहन के ऊपर एक नजर डालने के बाद वह अपने कमरे में चला गया और वहां जाकर थोड़ी पढ़ाई करने लगा,,,, मोहिनी कमरे में नहीं गई बल्कि रसोई घर में जाकर अपनी मां का हाथ बटाने लगी ,,




Behad shandar update Rohnny Bhai,

Aaradhna ne apni phantasy me Sanju ko dekhna shuru kar diya he...........

Dusri taraf uski job bhi karni shuru hone wali he..lekin uska boss bhi uspar nazar jamaye huye he aur use bhogna bhi chahta he........

Mohini se ab intezar nahi ho raha, wo kisi bhi tarah apne bhai se chudna chahti he.........

Dekhte he pehle kiska number aata he Maa ya Behan ka......

Keep posting Bhai
 

sunoanuj

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Jabardast updates keep posting bro…
 

karan77

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, आराधना अपने कमरे में अपने पति का इंतजार करते हुए सो गई थी,,,, आज उसकी शादी की सालगिरह थी,,,, सुबह से ही वह आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,, ऐसा कम ही होता था कि जब वह बहुत खुश होती थी,,,, शादी की सालगिरह की खुशी उसे बिल्कुल भी नहीं थी खुशी तो उसे इस बात की थी कि आज उसका पति रमेश अपनी सालगिरह पर शराब ना पीने का कसम खाकर गया था और आते समय उसके लिए गिफ्ट लाने का वादा करके गया था,,,,,, अपने पति के बर्ताव को देखकर उसके मन में उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी कि अब से सही उसका पति सुधर तो जाएगा,,, इसी उम्मीद से वह रात की तैयारी सुबह से ही करना शुरू कर दी थी,,, रात के भोजन के लिए वह पूड़ी सब्जी और खीर बना कर रखी थी ,,,,


संजू आराधना का बड़ा लड़का था और मोहिनी उसकी छोटी लड़की थी दोनों भी अपने मम्मी पापा के इस खुशी में हाथ बताते हुए उसकी मदद कर रहे थे आराधना गौर से अपने बच्चों को देखकर अपने मन में भगवान से यह प्रार्थना करती रहती थी कि हे भगवान अब से उसकी जिंदगी सुधर जाती तो बहुत अच्छा होता,,,,

रात के 9:00 बज गए थे सारी तैयारियां हो गई थी बस इंतजार था रमेश का जो कि अपनी ड्यूटी खत्म करके इस समय तक आ ही जाता था लेकिन धीरे-धीरे 10:00 बज गए संजू और मोहिनी भी अपनी मां के साथ दरवाजे पर खड़े होकर अपने पापा का इंतजार करने लगे,,,, आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि सुबह सुबह सुबह कसम खाकर गया था उसे भी तोड़ दिया होगा तभी तो 10:00 बज गए और उसका पता नहीं था,,,, बाहर का रास्ता देखते देखते आराधना की आंखों में आंसू भर आए थे लेकिन वह अपने बच्चों से अपने आंसुओं को छुपा ले रही थी,,, क्योंकि वह अपने बच्चों की खुशी को दुख में नहीं बदलना चाहती थी इसलिए वह अपने बच्चों को खाना परोस दी और उन्हें खिलाकर उन्हें अपने कमरे में भेज दी जोकि उसके ही कमरे से सटा हुआ था,,,,।

संजू को अपने पापा की आदत के बारे में अच्छी तरह से मालूम था उसे लगने लगा था कि आज भी उसके पापा पीकर ही आएंगे इसलिए वह अपनी बहन मोहिनी को लेकर कमरे में चला गया और सो गया,,, राह देखते देखते 12:00 बज गए तो आराधना भी आंखों में आंसू लिए दरवाजे को बंद कर दी लेकिन उसकी कड़ी नहीं लगाई क्योंकि वह जानती थी कि रात में वह कभी भी आएगा जरूर,,,,। आराधना सुबह से बहुत खुश थी अपने पति को हर तरह से खुश करने के लिए वह एकदम से सज-धज कर तैयार हुई थी एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी,,,,। एक औरत होने के नाते वहां अच्छी तरह से जानती थी किसान की राखी रात को उसके पति के लिए और उसके लिए सुहागरात वाली रात होती है इसलिए वह अपनी चूत के बाल को क्रीम लगाकर अच्छे से साफ कि थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने पति को खुश करना चाहती थी,,,,,,, बदले में वह यही चाहती थी कि उसका पति सुधर जाए,,,,


दुल्हन की तरह सज धज कर अपने पति का इंतजार करते हुए रात के 1:00 बज गए वह खाना नहीं खाई थी खाती भी कैसे उसकी खुशियों में ग्रहण जो लग गया था शराब उसके लिए सौतन बन चुकी थी,,,, आखिरकार इंतजार करते करते थक गई और बिना खाए ही सो गई,,,,



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रात के 3:00 बज रहे थे,,, आराधना कोई ऐसा लगा कि कोई उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है और जैसे ही उसकी नींद खुली तो उसका पति एक तरह से उसके ऊपर चढ़कर अपने घुटनों के बल अपने घुटनों को उसकी कमर के इर्द-गिर्द रखकर उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था,,,, अपने पति को अपने ऊपर देख कर वह पहले तो डर गई,,,, लेकिन शराब की बदबू जैसे ही उसके नाक में पहुंची उसे इस बात का अहसास हुआ कि,,, उसके ऊपर कोई और नहीं बल्कि उसका पति रमेश,,,।


आखिरकार तुमने अपनी कसम तोड़ दी फिर से शराब पीकर आए हो और आज के दिन अपनी शादी की सालगिरह के दिन आज मैं कितनी उम्मीद लगाकर तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,।



तो क्या हुआ मेरी रानी आ तो गया हूं ना,,,(रमेश एकदम लड़खड़ाते स्वर में बोला)


चलो पहले खाना खा लो,,,,(आराधना अपने पति का हाथ उठाते हुए पूरी लेकिन उसका पति माना नहीं है और जबरदस्ती उसके ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला)


नहीं पहले मुझे चोद लेने दे,,,,,



नहीं अब मेरा मन बिल्कुल भी नहीं,,,(आराधना फिर से उसका हाथ उठाते हुए बोली तो इस बार और गुस्सा दिखाते हैं उसके गाल पर दो-चार तमाचा लगा दिया और बोला)


साली तैयार होकर बैठी है और कहती है मेरा मन नहीं है कोई और से चुदवा कर तो नहीं सोई है,,,,(रमेश अपनी बीवी को गंदा इल्जाम लगाते हुए उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,,,और उसकी ब्रा को बिना खोले उसे पकड़ कर उसकी छाती के ऊपर का खींच लिया जिससे उसकी दोनों चूचियां एकदम से आजाद हो गई और वह तुरंत उसे दोनों हाथों में तो दबोचकर दबाने लगा,,,)


तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हो मुझे पता भी है कि आज क्या है अपनी शादी की सालगिरह है कितनी उम्मीद लगाकर में आज तुम्हारा इंतजार कर रहे थे कि आज तुम सुधर गए होगे,,,, लेकिन तुम कभी को सुधारने वाले नहीं हो शराब छोड़ने वाले नहीं हो,,,,


हां मुझ से शराब छूटने वाली नहीं है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, रमेश एकदम उत्तेजित हो गया था और वह जोर-जोर से अपनी बीवी की चूची को पी रहा था लेकिन इसमें आराधना को जरा भी आनंद की अनुभूति नहीं हो रही थी उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति उसके जज्बातों को कभी नहीं समझ पाएगा,,,,)


तुम्हें सिर्फ मेरे बदन से प्यार है मुझसे नहीं,,,


अब बकवास मत कर मुझे अपना काम करने दे,,,
(और इतना कहते हुए वह साड़ी को बिना उतारे साड़ी को पकड़कर ऊपर की तरफ करने लगा और अगले ही पल अपनी बीवी की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों से खींचने लगा,,,,आराधना की भारी-भरकम गांड के नीचे उसकी लाल रंग की पैंटी दबी हुई थी जो कि निकल नहीं रही थी यार अब मैं जानती थी क्या करने के लिए कि नहीं तो वह खींचकर उसकी नई पेंटी को जो कि वह 2 महीने पहले ही अपने पैसे बचा कर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी वह नहीं चाहती थी कि वह फट जाए,,, इसलिए मन ना होने के बावजूद भी वह अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ उठा कर पेंटी निकलवाने में मदद करने लगी,,,,, अपनी बीवी को इस तरह से अपनी गांड उपर उठाते हुए देखकर रमेश हंसते हुए बोली,,,।)
Ramesh apni bibi k sath kuch is tarah se


हाय मेरी रानी तेरा भी बहुत मन कर रहा है ना सिर्फ नखरा कर रही है,,,
(जवाब नहीं आ रहा देना नहीं कुछ नहीं कहीं वह बस दूसरी तरफ मुंह करके सब कुछ सहती रही,,,, रमेश अपनी बीवी की चिकनी चूत देखकर पूरी तरह से बावला हो गया एक तो शराब का नशा उस पर से अपनी बीवी की मदमस्त जवानी का नशा उस पर दोगुना असर करने लगा और वह अकेले ही पर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,,आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर उसका पति एक सही इंसान होता तो शायद इस पल का वह भी भरपूर मजा लेती लेकिन उस के नसीब में शायद यह सब बिल्कुल भी नहीं था,,,, रमेश आराधना की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने खड़े लंड को एक बार में ही उसकी चूत में डाल दिया जो कि उत्तेजना रहित सूखी हुई थी उसमें गीलापन बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि आराधना को बिल्कुल भी आनंद नहीं आ रहा था इसलिए वह दर्द से बिलबिला उठी लेकिन उसके पति कोउसके दर्द की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी लेकिन बगल वाले कमरे में सो रहे संजू की आंख खुल गई और वह जवान हो रहा लड़का था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है,,
Ramesh apni bibi aaradhna k sath

ascendium
, अच्छी तरह से जानता था कि उसका बाप उसकी मां पर अत्याचार करता है उसकी इज्जत नहीं करता उसे खुशियां नहीं देता और बस इस तरह से अपनी मनमानी करता रहता है,,,, रमेश आराधना को चोदना शुरू कर दिया था,,, आखिरकार वह भी एक औरत की लंड के अंदर बाहर होते ही उसकी चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था उसे भी आनंद आने लगा था लेकिन जब तक कि वह गर्म होती है उससे पहले ही रमेश हांफने लगा,,,, वह झड़ चुका था अपनी बीवी को भी ना संतुष्ट कि वे खुद संतुष्ट होकर उसके ऊपर से उठकर बगल में पसर गया था खाने की शुध उसे बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
Ramesh aaradhna ki chudai karta hua

थोड़ी देर बाद अपने आंसुओं को पोछते हुएआराधना उठी और अपने कपड़ों को तरसे करके उसे भी खाने के लिए उठाने लगे लेकिन वह शराब के नशे में चूर होकर सो चुका था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी इस तरह से नरक हो जाएगी सुबह परोसी हुई थाली को एक तरफ रख कर वह भी बिस्तर पर लेट गई और कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला,,,,,। संजु को इस बात का मलाल था कि,,, इतना बड़ा होने के बावजूद भी वह अपनी मां के लिए कुछ कर नहीं पा रहा है,,,,
आखिरकार वह भी काफी देर तक सोचते-सोचते नींद की आगोश में चला गया,,,।
congratulations for new story. eagerly waiting for adhuri pyaas 3.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Rony bhai is kahani ka update nahi ho raha hai????
Waiting
 

sunoanuj

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Waiting for next update please
 
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