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Incest मजबूरी या जरूरत

Sanju@

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संजू मौके की नजाकत और जरूरत को समझ नहीं पा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात में क्या करना चाहिए जहां पर उसकी मां को मदद की जरूरत होती थी वहां पर वह मदद तो करता था लेकिन उसकी अपनी लालच भी थी अपनी मां के नंगे बदन को देखने की जिसमें वह लगभग कामयाब‌ भी होता जा रहा था,,,,, धीरे-धीरे वह अपनी मां को संपूर्णता नग्न अवस्था में देख चुका था और अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देखने के बाद वह अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मां दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है जो कि कपड़े पहनने के बाद भी खूबसूरत नजर आती है और उससे भी ज्यादा खूबसूरत कपड़े उतार देने के बाद नजर आती है,,,। अपनी मौसी की दो बार चुदाई कर चुका था उसके अंग अंग से वाकिफ हो चुका था लेकिन अपनी मां के नंगे बदन को देखने के बाद वह इस अहसास से अपने मन में यही सोच कर मत हो सुबह जा रहा था कि अगर उसे मौका मिलेगा तो वह अपनी मां की चुदाई जरूर करेगा और उसे बहुत ज्यादा मजा आएगा उसकी मौसी से भी ज्यादा मजा उसकी मां देगी,,,, इस बात से उसके तन बदन की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,, अपनी मां के बारे में इस तरह के गंदे ख्याल लाना उसे भी खराब लगता था लेकिन वह मजबूर हो जाता था उम्र के जिस पड़ाव पर वह था,,, ऐसे में इंसान ना तो अपने दिल की सुनता था और दिमाग की बस जरूरत के मुताबिक ही उसकी सोच बदलती जाती थी और इस समय जवानी के दौर से गुजरते हुए उसके मन में औरतों के अंगों को लेकर उत्सुकता हमेशा बढ़ती रहती थी और ऐसे में घर में ही अपनी मां के नंगे बदन को देख कर वह उतेजीत हो जाता था और अपनी मां को लेकर गंदे गंदे विचार करने में उसे आनंद की अनुभूति होती थी,,,।

अपनी मां की मदद करने के लिए जिस पल का इंतजार कर रहा था वह पल आते ही वह अपनी मां के कमरे में घुस तो गया था और गुस्से में वह अपने बाप को दो चार थप्पड़ भी लगा दिया था,,,,,, और संजू का गुस्सा देखकर आराधना बीज बचाओ करने के लिए उठ खड़ी हुई थी उसे इस बात का भी अहसास तक नहीं था कि वह इस समय पूरी तरह से नंगी है और वह अपने बेटे को छुडाने लगी थी,,, और छुड़ाने में संजु का हाथ उसकी मां की चूची पर दब गया थाइस बात का एहसास होते हैं संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी और यही एहसास आराधना के भी तन बदन में हो रही थी,,,, इस हरकत की वजह से वह अपनी मां की असहजता को समझ गया था और तुरंत कमरे से बाहर निकल गया था,,,,।



दूसरे दिन रमेश कुछ बोला नहीं और चुपचाप नाश्ता करके ऑफिस के लिए निकल गया,,,, मोहिनी भी जा चुकी थी लेकिन संजू अभी नाश्ता नहीं किया था तो नाश्ता करने के लिए वह रसोई घर में चला गया,,, आराधना रसोई तैयार कर रही थी,,, अपने बेटे को रसोई घर में आता देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,,, कुछ दिनों से अपने बेटे की उपस्थिति में उसे उत्तेजना का अनुभव होने लगा था उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस होने लगी थी,,,।वह अपने आप को असहज महसूस कर रही थी लेकिन किसी भी तरह से अपना मन खाना बनाने मैं लगा रखी थी,,,

संजूमटके में से पानी निकालते हुए अपनी मां की गोल-गोल गांड को ही देख रहा था क्योंकि कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से गांड की दोनों फांकों का उभार साड़ी के ऊपर से भी एकदम साफ झलक रहा था,,,,,,,और अपनी मां की गांड को देखकर संजू का मन कर रहा था कि उसकी गांड की दोनों फांकों में अपना मुंह डाल दे,,,,, यह सोचता हुआ संजू पानी पीने लगा,,,,, आराधना की हिम्मत नहीं हो रही थी अपने बेटे से नजर मिलाने की क्योंकि रात को वह अपने बेटे की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी चूची पर उसके हाथ को दबा हुआ भी पाई थी जिसकी वजह से उसके तन बदन में शर्म की उमंग उठ रही थी,,,, वह संजू से बात करना तो चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,, लेकिन वह इस समय खामोश की तो नहीं रह सकती थी अगर वह कुछ बोलेगी नहीं तो उसकी बेटी को ऐसा ही लगेगा कि उसकी मां नाराज है और वह ऐसा नहीं चाहती थी,,, इसलिए खाना बनाते समय अपनी नजरों को झुकाए हुए ही आराधना बोली,,,।

तुझे देर नहीं हो रही है कब से नाश्ता तैयार है,,,


हां मम्मी आज थोड़ा देर हो गई,,, वो,,, में,,,,मै,,,,तुमसे यह कहना चाह रहा था कि कल जो कुछ भी हुआ उसके लिए माफी चाहता हूं,,,,


क्यों,,,?


कल थोड़ा गुस्से में पापा पर हाथ उठा दिया,,,, लेकिन रोज-रोज का अब सहन नहीं होता,,,, मुझे कल ज्यादा गुस्सा आ गया था,,,




मैं जानती हूं बेटा,,,,मुझसे भी बर्दाश्त नहीं होता लेकिन क्या करूं मजबूर हूं अपने घर को बिखरने नहीं देना चाहती किसी भी तरह से सब को समेट कर रखना चाहती हूं लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है,,, तेरे पापा घर की जिम्मेदारियों से अपने फर्ज से मुंह मोड़ते जा रहे हैं,,,, तू देख रहा है तनख्वाह की तारीख निकल चुकी है और तेरे पापा एक रुपया भी घर पर नहीं लाए हैं,,,, राशन खत्म हो गया है राशन लेने जाना है,,,, दूध वाले का कर्जा राशन वाले का कर्जा,,,, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कैसे होगा,,,,।

Sanju or aaradhna kitchen me



पापा से पैसे मांगना चाहिए था ना,,,,


जो इंसान रोज झगड़ा करता है मारपीट करता है ऐसे इंसान से उम्मीद भी क्या रख सकते है,,, मुझे नहीं लगता कि इस बार तेरे पापा पैसा देंगे,,,,


सच कहूं तो मम्मी तुम्हारा दुख मुझसे देखा नहीं जाता,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना को अपने मन में थोड़ी तसल्ली हो रही थी कि उसका बेटा समझदार हो गया है वह मन में प्रसन्न होते हुए बोली)


कल तू सो गया था क्या,,,?


क्यों,,,?


तेरे पापा तो बहुत देर से झगड़ा कर रहे थे,, मैं कब से तेरा इंतजार कर रही थी कि तू अब आएगा अब आएगा लेकिन तू बहुत देर में आया,,,,


हां वो कल मेरी आंख लग गई थी,,,,बहुत देर से आंख खुली जब तुम्हारी चिल्लाने की आवाज मेरे कानो तक पहुंची तब,,,,(गिलास को मटके के ऊपर रखी प्लेट पर रखता हुआ बोला,,,अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना को इस बात से थोड़ी राहत तो हुई क्योंकि वह अपने मन में सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा सब कुछ जानता हुआ और सुनने के बावजूद भी कहीं उसके कपड़े उतार कर नंगी होने का इंतजार तो नहीं कर रहा था कि जब वह नंगी हो जाए ताकि चले क्योंकि पहले भी जब अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी तभी उसका बेटा था और कल भी ऐसा ही हुआ था लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर उसे थोड़ी बहुत सर्दी हो रही थी कि हो सकता है उसकी आंख लग गई हो लेकिन आया तो सही बचाने यही उसके लिए काफी था,,,,)

क्या सच में मम्मी तुम्हें मेरा इंतजार था,,,


हां मुझे पक्का यकीन हो गया है कि जब से तेरे पापा मुझ से बदसलूकी करेंगे तो मुझे बचाने जरूर आएगा,,,।
(तवे पर रोटी रखते हुए आराधना बोली और अपनी मां की बात सुनकर संजू मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,,, अपने बेटे के चेहरे के हाव-भाव को देखने के लिए आराधना पल भर के लिए अपनी नजर को पीछे करके संजू की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी कमर के नीचे के उभार पर टिका हुआ पाकर वह उत्तेजना के मारे अंदर तक सिहर उठी,,,, अपने बेटे की नजरों को और दो बार में जो भी वाकया हुआ था,,, और उसी समय अपने बेटे की उपस्थिति को देखते हुए उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसका बेटा चोरी छुपे उसके बदन को देखता है यह ख्याल ही उसके तन बदन को झकझोर कर रख दिया था,,,,,उसके बदन में अजीब सी हलचल होने वाली थी पल भर के लिए वह अपने तन बदन में उत्तेजना तांडव कर रही थी और उसे अपनी बुर के अंदर रिसाव का अनुभव हो रहा था,,,, तवे पर गर्माहट पाकर फूल रही रोटी की तरह उसकी बुर भी रोटी की तरह उत्तेजना की वजह से फूल रही थी,,,।

संजू के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, रह रह कर उसे अपने ख्यालों पर अपने नजरिए पर गुस्सा भी आ रहा था वह अपनी मां के पीछे खड़े खड़े यह सोच रहा था कि वह क्या देखकर उत्तेजित हो रहा है अपनी मां की गांड,,,, नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए वह जो कुछ भी करना है गलत कर रहा है ऐसा ख्याल मन में आते ही तुरंत,,, अपनी मां की हिलती हुई गांड को देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लग जाती थी,,,। चाह कर भी वह अपने ख्यालों को अपनी सोच को दूसरी तरफ मोड़ नहीं पाता था,,,,,,।

संजू उसकी गदराई बड़ी बड़ी गांड को देख रहा है यह जानकर वह पीछे नजर करने में घबरा रही थी,,, वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसी स्थिति में कैसे संभाला जाए,,,, और खास करके ऐसी ही स्थिति में ना चाहते हुए भी उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही लहर मार रही थी,,,,,, दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी छाई रही इस खामोशी से आराधना तोड़ते हुए बोली,,,।




ले बेटा नाश्ता कर ले,,,(नाश्ते की प्लेट को किचन फ्लोर पर ही आगे की तरफ सरकाते हुए बोली,,,,संजय समझ गया कि ज्यादा देर तक अपनी मां के पीछे खड़ा रहना ठीक नहीं था इसलिए वह आगे की तरफ आ गया और नाश्ते की प्लेट को हाथ में ले लिया और नाश्ता करते हुए जोर नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था वह ठीक अपनी मां के बगल में खड़ा था और उसकी लंबाई उसकी मां से थोड़ा ज्यादा थी इसलिए उसकी नजर अपनी मां की ब्लाउज पर बराबर जा रही थी और खास करके ब्लाउज में कह दोनों चूचियों के बीच की गहरी लकीर पर उसका ध्यान बार बार चला जा रहा था,,,। आराधना की चूचियों के बीच की घाटी का आकर्षण बेहद मंत्रमुग्ध कर देने वाला था जिसमें उसका खुद का बेटा डूबता चला जा रहा था और दोनों के बीच की गहरी लकी किसी नहर की तरह नजर आ रही थी जिस में संजू का मन डुबने को कर रहा था,,,, लो कट ब्लाउज होने की वजह से चुची का अधिकांश हिस्सा संजू को एकदम साफ तौर पर नजर आ रहा था और ऊपर से चुचियों का उठाव उसके पेंट में हलचल मचा रहा था,,,, नाश्ता करते समय पेट की भूख तो शांत होती जा रही थी लेकिन अपनी मां की चूचियों को देखकर उसके तन की भूख और ज्यादा बढ़ती जा रही थी आराधना इस बात से अनजान थी कि नाश्ता करते समय उसका बेटा उसकी चूचियों को घूर रहा है अगर वह यह देख लेती तो शायद उत्तेजना के मारे उसकी बुर से काम रस की बुंद टपक पड़ती,,,,,, वह जानबूझकर अपने आप को खाना बनाने में मशगूल किए हुए थी,,और,, संजू अपनी आंखों को गर्म करने में लगा हुआ था,,,,, अपनी मां की सूचियों को देखकर वह अपने मन में सोचने लगा के ब्लाउज के ऊपर से जब उसकी मां की चूचियां इतनी जानदार दिखती है तो पूरी तरह से नंगी होने के बाद तो पूरी तरह से कयामत लगती है,,,,जिसका एहसास उसने कल ही रात को कर लिया था और अनजाने मे ही उसके हाथ से उसकी मां की चूचियां दब दी गई थी,,, रात वाली घटना याद आते ही संजू के पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया,,,,,,,वह किसी भी तरह से अपनी मां को रात वाली घटना के बारे में याद दिलाना चाहता था इसलिए वह एक बहाने से बोला,,।


मम्मी,,,


क्या हुआ,,,?(अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली)

वो,,, वो,,,, कल रात को जो कुछ भी हुआ था उसके लिए मैं माफी मांगता हूं मुझसे अनजाने में हो गया था,,,।

कोई बात नहीं बेटा जिस तरह के हालात थे उसे देखते हुए तो नहीं ठीक ही किया था,,,,(आराधना को लग रहा था कि संजू अपने पापा पर हाथ उठा दिया था उस बारे में बोल रहा है लेकिन संजु किसी और के बारे में बात करना चाहता था इसलिए संजू फिर बोला,,,)

उसके लिए नहीं मम्मी,,,


तो किसके लिए,,,,

वो वो,,,, अनजाने में ही ,,,,, मेरे हाथ से,,,,, तुम्हारी ये,,,(उंगली से अपनी मां की चूचियों की तरफ इशारा करते हुए,,,) दब गई थी ना इसके लिए,,,।
(अपने बेटे के मुंह से उसकी बात सुनकर और उसकी उंगली का इशारा अपनी चूचियों की तरफ होता देखकर पहले तो आराधना को कुछ समझ में ही नहीं आया वह आश्चर्य से संजू की तरफ देखती ही रह गई,,,जब उसे एहसास हुआ कि संजू क्या कहना चाह रहा है तो वह शर्म से पानी पानी हो गई,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,, अपने ही बेटे को अपनी चूची की तरफ इशारा करते हुए उसे दिखाते हुए जिस अंदाज में संजू ने बोला था आराधना को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि कुछ इस तरह की हरकत संजू करेगा,,,,,,,आराधना इस बात से और शर्म से पानी पानी में जा रही थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ देखते हुए इशारा किया था उसके ब्लाउज में कैद उसके दोनों गोलाइयों को अपनी आंखों से देखा था,,, उसे इस बात का आभास था कि रात को उसके हाथ से उसकी चूची दब गई थी और उसकी चुची उस समय बिल्कुल नंगी थी,,,,,,,,, आराधना एकदम आश्चर्य में थी वह संजू की तरफ देख रही थी और समझो कभी उसके चेहरे को तो कभी उसकी छातियों की गोलाई को,,,, दोनों कुछ देर के लिए एक दूसरे में एकदम से खो गए,,, तवे पर रखी हुई रोटी जलने लगी,,,,, जब उसकी गंध आराधना की नाक में गई तो उसे इस बात का एहसास हुआ और वह जैसे होश में आई हो इस तरह से तवे पर रखी हुई रोटी को हाथ से हटाते हुए बोली,,।




कककक ,,, कोई बात नहीं जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था,,,, मैं तुमसे बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं,,,(आराधना संजू की तरफ देखे बिना ही बोल रही थी और जली हुई रोटी को एक तरफ रख कर दूसरी रोटी को तवे पर रखने की तैयारी कर रही थी,,,, अपनी मां की चुचियों को देखते हुए संजू पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया था और उसके पैंट में तंबू भी बन गया था,,,अपनी मां की हालत को संजू अच्छी तरह से समझ रहा था वह एकदम असहज हो रही थी इसलिए वहां पर खड़े रहना उसे उचित नहीं लगा,,, तो वह नाश्ता खत्म करके खाली प्लेट को किचन फ्लोर पर रखते हुए बोला,,,।


अब मैं जाता हूं मम्मी बहुत देर हो रही है,,,,


ठीक है बेटा,,,,(इतना कहते हुए वह संजू की तरफ एक नजर डाली तो अनजाने में ही उसकी नजर संजू के पेंट के आगे वाले भाग पर चली गई और उसमें बने तंबू को देखकर एकदम से हैरान रह गई,,,,,,संजू वहां से जा चुका था लेकिन जाते-जाते अपने पीछे अपनी मां के लिए उत्तेजनाओं का तूफान छोड़ गया था,,,,,,।


संजू की हरकत से आराधना पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गई थी उसकी हर एक हरकत के बारे में सोचने पर मजबूर हो गई थी पेंट में बनी तंबू को लेकर वह और ज्यादा हैरान थी,,, वह अपने मन में सोचने लगी थी क्या उसका बेटा उसे देखकर उत्तेजित होता है,,, अगर उत्तेजित ना होता तो उसका लंड खड़ा ना होता ,,,, पेंट में बने तंबू के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी पैंट में तंबू कब बनता है इसलिए तो हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा खुद अपनी मां को ही देख कर उत्तेजित हो रहा था अपना लंड खड़ा कर रहा था,,, यह सब क्या है उसकी समझ में नहीं आ रहा था,,,, रोटी बनाते समय वाह एकदम से विचार मग्न हो गई थी,,,, पल भर में ही समझो की सारी हरकतों के बारे में हो सोचने लगी,, पानी पीते समय उसकी गांड को घुरना , चुचियों की तरफ इशारा करना फिर तंबू का बन जाना यह सब उसकी जवानी की कहानी बयां कर रहा था जहां एक तरफ अपने बेटे की हरकत से आराधना हैरान थी वहीं दूसरी तरफ सोच में पड़ गई थी कि इस उम्र में भी क्या बात है जवान लड़के को आकर्षित करने में सक्षम है,,,, अगर वह आकर्षक ना होती तो उसके बेटे का लंड खड़ा ना होता है क्योंकि ऐसे उम्र में तो लड़के अपनी उम्र की ही लडकीयां पसंद करते हैं,,,और उसका बेटा था की अपनी मां को देखकर उत्तेजित हो रहा था,,,,,,, यह सब सोचकर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस हो रही थी,,,
चूत की पतली दरार से काम रस का बहाव एकदम साफ महसूस हो रहा था,,,, जिससे आराधना हैरान थी पहले भी एक बार वह अपने बेटे की उपस्थिति में अपनी चूत को गीली होती हुई महसूस की थी,,,,।


आराधना अपनी भावनाओं में आए बदलाव को समझ नहीं पा रही थी,,,एक तरफ अपनी बेटी का बर्ताव उसे अजीब लग रहा है और अपने बेटे के बर्ताव से उत्तेजित भी हो रही थी फिर जैसे तैसे करके वहा रसोई का काम पूरा करके अपने कमरे में घुस गई वह अपने बदन को गौर से देखना चाहती थी,,,वह देखना चाहती थी कि उम्र के इस पड़ाव पर भी उसके बदन का कसाव कोयले की तरह बरकरार है या कुछ ढीलापन आ गया है,,,,इसलिए व रसोई का काम पूरा करके अपने कमरे में चली गई और कमरे में जाते हैं अपने सारे कपड़े उतार कर आदम कद आईने के सामने एकदम नंगी हो गई,,,, अभी कुछ देर पहले ही नहा कर रसोई बना रही थी इसलिए उसके बाल खुले हुए थे आईने में अपनी नंगे बदन को देखकर अनजाने में ही उसके होठों पर मुस्कान आ गई यह मुस्कान अपने बदन के कसाव पर बरकरार रखने की खुशी में थी,,,, अपनी तनी हुई चूचियों को देखकर खुद उसकी हालत खराब हो गई थी क्योंकि दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी चुचियों में जरा भी ढीलापन नहीं आया था वह अभी भी जवानी के दिनों की तरह एकदम तनी हुई थी जो की छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,, बस पहले से उसका आकार थोड़ा सा ज्यादा बढ़ गया था जवानी के दिनों में नारंगी के आकार की थी और उम्र के इस पड़ाव पर खरबूजे की तरह एकदम गोल-गोल रस से भरी हुई थी,,,,।

अपनी गोल-गोल चुचियों को देखकर खुद आराधना के मुंह में पानी आ गया और अनजाने में ही उसके हाथ अपने दोनों चूचियों पर चले गए जिसे वह हल्के से दबा दी,,,,,,सीईईईईई,,, की आवाज उसके मुख से निकल गई वह दोनों हथेली में अपनी दोनों चुचियों को लेकर अपने दोनों खरबूजो का वजन का अंदाजा लगा रही थी,,,,

घर में इस समय कोई भी नहीं था और ना ही कोई आने वाला था इसलिए पूरी तरह से निश्चिंत अपने कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी,,,,अपनी गांड को आईने के सामने करके आईने में अपनी गोल-गोल गांड को निहार रही थी,,,एक मर्द को पूरी तरह से पानी पानी कर देने की क्षमता अभी भी उसकी गोल-गोल गांड में थी जिसे देखकर मर्द के मुंह से आह निकल जाती है केवल उसका पति हीइस अद्भुत और मादकता भरे सुख से विमुख होकर उस पर जुर्म कर रहा था,,, अपनी गोल-गोल बड़ी-बड़ी गांड का जबर्दस्त उभार देख कर खुद उसका मन ललचा रहा था,,,।
आईने में अपनी नंगी गांड को देखकर आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे का यह हाल क्यों हो रहा है,,, यह सोचकर उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,,गांड को आईने के सामने किए हुए ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर हथेली से अपनी गांड की दोनों फांकों को पकड़ कर उसे जोर जोर से मसलने लगी,,, और उस पर दो-चार चपत भी लगा दी पल भर में ही उसकी गोरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई,,,, यह देख कर उसके चेहरे पर भी शर्म की लालिमा छाने लगी वो थोड़ा आगे की तरफ झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड का उभार देखना चाहती थी जो कि बेहद लाजवाब और जानलेवा था,,,,अपने नंगे रूपरेखा को देखकर आराधना मन ही मन अपने बदन पर गर्व कर रही थी लेकिन निराश थी तो अपने पति की तरफ से कितनी खूबसूरत होने के बावजूद भी उसका पति उसे प्यार करने की जगह उसे मारता पीटता था,,,,

Aaradhna aaine k samne


अपनी चूत की पतली दरार की स्थिति का जायजा लेने के लिएवह फिर से आईने की तरह मिला लें और धीरे-धीरे अपनी नजर को आईने में ही दिख रही अपनी दोनों टांगों के बीच ले गई और उस पत्नी दरार को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई जो कि हल्के हल्के रेशमी बालों से घिरा हुआ था,,,, उस पर हल्के से हथेली रख करआराधना यह सोचने लगी कि क्या उसका बेटा भी उसकी चूत के बारे में कल्पना करता होगा हालांकि तो बार-बार उसे पूरी तरह से नंगी देख चुका ना तो क्या उसकी चूत को भी उसके बेटे ने देखा होगा अगर देखा होगा तो क्या सोच रहा होगा,,,, कहीं उसकी चूत को देखकर उसका बेटा उसको चोदने की कल्पना तो नहीं करता है यह ख्याल मन में आते ही उसकी चूत से काम रस की बुंद अमृत की धारा बनकर नीचे जमीन पर चु गई,,,, अपने बेटे के बारे में सोच कर आराधना की उत्तेजना निरंतर बढ़ती जा रही थी यह भी उसके लिए आश्चर्य की बात थी उसकी हथेली अभी भी उसकी चूत पर थी जिसे वह उत्तेजना के मारे धीरे-धीरे मसलने लगी थी और ऐसा करते हुए उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी हालांकि इस तरह के कार्य को उसने कभी भी नहीं की थी लेकिन आज अनजाने में ही वह अपनी चूत को अपनी हथेली से मसल रही थी,,,
देखते ही देखते उसकी उत्तेजना बढने लगी,,पति से उसे अब बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह उसे अच्छी तरह से शरीर सुख देकर उसे संतुष्टि प्रदान करेगा,,,,

वह अपनी चूत को मसलते हुए अपनी आंखों को बंद कर दी थी और उसकी आंखों के सामने उसके बेटे के पेंट में बने तंबू का दृश्य नजर आ रहा था जिसे देख कर उसकी कल्पना और ज्यादा बढ़ने लगी सब कुछ अनजाने में हो रहा था वह उत्तेजना की भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,,,यह जानते हुए भी कि जिस तरह की वह कल्पना कर रही है वह ठीक नहीं है,,,, उसकी आंखें बंद थी और उसे अपने बेटे के पेंट में बना तंबू नजर आ रहा था जिसे कल्पना में वह अपने हाथों से उसके पेंट की बटन खोलने लगी और पेंट की बटन खुलते ही उसमें से मोटा तगड़ा लंबा लंड बाहर को उछल कर आ गया जिसे देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई और वह कल्पना में ही अपने बेटे का लंड को अपने हाथ से पकड़ ली,,,,,



कल्पना में उसे हकीकत का अनुभव रहा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी देखते ही देखते वह कल्पना में अपने बेटे की लंड को पकड़ कर उसे अपनी चूत पर रख कर उसके सुपाड़े को अपनी चूत की गुलाबी पत्तियों पर रखकर रगड़ना शुरु कर दी,,,,वास्तविकता में आराधना की उत्तेजना बढ़ने लगी और अपनी कल्पनाओं के घोड़े को और तेजी से ले जाते हुए आराधना अपने बेटे के लंड को अपने गुलाबी छेद पर रखकर अपने बेटे को धक्का मारने के लिए बोली आराधना की कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि उसे साफ महसूस हो रहा था कि कल्पना में भी उसका बेटा उसकी कमर को थाम कर अपने लंड को उसकी चूत में डालता हुआ आगे की तरफ बढ़ रहा था,,,आराधना अपने बेटे की लंड की कल्पना कर रही थी लेकिन वास्तविक में वह अपनी उंगली को अपनी चूत में डाल रही थी और वह भी एक टांग पलंग पर रख कर,,,, देखते ही देखते आराधना की उंगली उसकी खुद की चूत में अंदर बाहर होने लगी और कल्पना में उसका बेटे का लंड उसकी चुत की गहराई नापने लगा,,,एक तरफ हकीकत में उसकी खुद की उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी और दूसरी तरफ कल्पना में उसके बेटे का लंड उसकी बुर की गहराई नाश्ता हुआ उसे कल्पना नहीं चल रहा था जिसकी कल्पना करके वह पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी,,,, और देखते ही देखते जरा सिसकारी की आवाज के साथ आराधना झड़ने लगी,,,।


और थोड़ी देर बाद जब वासना के तूफान से वह बाहर निकली तो अपनी खुद की हरकत पर उसे शर्मिंदगी महसूस होने लगी,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा उसे नहीं करना चाहिए था,,, संजू की कामुक हरकत की वजह से वह दूसरी बार इस तरह की क्रिया करने पर मजबूर हो गई थी और वह अपने आप को ही वचन देते हुए की आईंदा ऐसा नही करेगी ,,,,,, ऐसा समझकर वह बिना कपड़े पहने ही नग्न अवस्था में ही अपने कमरे से बाहर निकल गई और बाथरूम में चली गई,,।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और गरमागरम कामुक अपडेट है
 

Sanju@

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अपने बेटे के बारे में ही कामुक कल्पना करके आराधना दो बार अपने हाथों से ही झड़ चुकी थी लेकिन इन दो बारो में ही उसे अधिक सुख की अनुभूति हुई थी भले ही वह अपना चर्मसुख अपनी उंगली से प्राप्त क्यों ना कि हो,,,, अपने बेटे की कल्पना करने में उसे अद्भुत उत्तेजना का अनुभव होता था,,,,,

रमेश इस बार घर में तनख्वाह नहीं दिया था,,,, वह तनख्वाह के सारे पैसे शराब और जुए में उड़ा दिया था,, जिससे धीरे-धीरे किल्लत पड़ने लगी, राशन का डब्बा खाली होने लगा, था,,, दूध वाले का उधार चुकाया नहीं गया था इसलिए उसने दुध देने से इनकार कर दिया था,,,, आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, जैसे तैसे करके वह अपने बच्चों का पेट भर रही थी लेकिन राशन पूरी तरह से समाप्त हो जाने की वजह से अब आराधना के पास कोई रास्ता नहीं बचा था वह करेगी क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,।

ऐसे ही एक दिन रविवार को दूध ना होने की वजह से चयनित और मोहिनी सुबह सुबह नहाने के बाद अपनी मम्मी से चाय नाश्ता के लिए बोली तो आराधना एकदम से परेशान हो गई,,,, रमेश की छुट्टी होने की वजह से वह भी घर पर ही था,,,,, आराधना परेशान होने की वजह से थोड़ा गुस्से में थी रमेश नहा धोकर तैयार हो रहा था,,,,वैसे उसे ड्यूटी पर जाना नहीं था लेकिन फिर भी बाहर अभी भी इसी तरह से निकल जाया करता था,,,,,,,, आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि रमेश से बोले भी तो कैसे बोले उस इंसान को तो जरा भी फर्क नहीं पड़ने वाला था वह भी यही सब सोच रही थी कि,,,, मोहिनी दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई और बोली,,,।

मम्मी तुमने चाय और नाश्ता नहीं बनाई,,,,


चाय नहीं बनेगी बेटा,,,

क्यों मम्मी ऐसा क्यों बोल रही हो,,,,(मोहिनी परेशान होते हुए बोली क्योंकि उसे सुबह-सुबह चाय चाहिए ही था)


क्योंकि दूध वाले ने दूध देने से इनकार कर दिया,,, है,,,(आराधना बिस्तर पर बैठी रमेश की तरफ गुस्से से देखते हुए बोली,,,)

क्या,,,? दूधवाले ने दूध देने से इनकार कर दिया है लेकिन क्यों,,,?(मोहिनी आश्चर्य से बोली,,)


क्योंकि दूधवाले को उसका बकाया नहीं मिला है,,,


क्या,,,? लेकिन मम्मी तनख्वाह तो आई होगी ना,,,,


मेरे हाथ में तो नहीं आई अपने पापा से पूछ,,,,(आराधना रमेश की तरफ देखते हुए बोले जा रही थी और इस समय रमेश बिल्कुल भी नशे में नहीं था इसलिए वह जानता था कि उसने इस महीने की तनख्वाह घर पर नहीं दिया है,,,)


यह क्या है पापा मम्मी जो कुछ भी कह रही हैं सच कह रही हैं,,,
(रमेश कुछ बोला नहीं)

चाय नाश्ता क्या आज तो घर में खाना भी नहीं बन पाएगा जाकर किचन में आटा चावल दाल के डिब्बे देख ले सब खा ली है,,,।


क्या कह रही हो मम्मी,,, लेकिन ऐसा क्यों हो गया,,,?(मोहनी एकदम चिंतित स्वर में बोली ,,, इतने में नहाकर संजू भी दरवाजे के पास आकर खड़ा हो गया और बोला,,)

क्या हुआ मोहिनी,,,,?

भैया मम्मी कह रही थी आज चाय नाश्ता और खाना भी नहीं बन पाएगा,,,,

क्यों,,,?

क्योंकि घर पर कुछ भी नहीं है,,,


ऐसे कैसे हो सकता है,,,


क्या हुआ मम्मी घर पर सच में कुछ नहीं है,,,


हां बेटा घर पर कुछ भी नहीं है,,, तेरे पापा इस बार तनख्वाह कहां दी मैंने जैसे तैसे करके मैं 1 सप्ताह तक निकाल ले गई,,,।


पापा क्या मम्मी सच कह रही है इस महीने की तनख्वाह कहां है,,,,


सब खत्म हो गया,,,,


कहां खत्म हो गया है,,,,( संजू गुस्से से अपने पापा से पूछा,,,)


मैं बोला ना खत्म हो गया है तो खत्म हो गया है,,,,


यह क्या बोल रहे हो पापा तुम्हें कुछ एहसास है,,,,


रहने दे मोहिनी तेरे बाप को एहसास होने वाला नहीं है,, इन्हें बिल्कुल भी फिक्र नहीं हम लोगों की,,, हम लोग जिए या मरे इन्हें तो सिर्फ अपने शराब से ही मतलब है,,,


देखो सुबह-सुबह तुम लोगों मेरा दिमाग मत खराब करो,,,,


पापा घर पर कुछ भी नहीं है खाने को और तुम्हें जैसे दिमाग खराब लग रहा है,,, मुझे तो आज शर्म आ रही है अगर किसी को पता चला तो क्या होगा,,,,
(संजू को अपने पापा पर बहुत गुस्सा आ रहा था अगर मोहिनी मौजूद ना होती तो अपने पापा को तो चार थप्पड़ फिर से लगा देता लेकिन उनके सामने वह किसी भी तरह का बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहता था इसलिए वह खामोश रहा,,,, आराधना रोने लगी उसके आंसुओं का भी रमेश पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ा था,,, अपनी मां को रोता हुआ देखकर मोहीनी दौड़कर अपनी मां के पास गई और उसे चुप कराने लगी,,,। और रमेश के पास यहां से चले जाने के सिवा कोई चारा नहीं था क्योंकि वह उन लोगों के सवाल का जवाब देने में असमर्थ था,,, और वह वहां से चला गया उसके चले जाने पर आराधना को बिल्कुल भी हैरानी नहीं हुई,,, क्योंकि वह जानती थी कि वह ऐसा ही करेगा,,,,।


मम्मी पापा को क्या हो गया है पहले तो वो ऐसा नहीं करते थे,,,


जानती हूं लेकिन जब से शराब की लत लगी है तब से सब कुछ बदल सा गया है,,,


लेकिन अब क्या होगा मम्मी,,,,


तू चिंता मत कर मैं हूं ना,,,,


मम्मी मुझे ट्यूशन जाना है,,,,


रुक,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना बिस्तर पर से उठी और अलमारी खोल कर उसके ड्रोवर में से 20 का नोट निकाली,,, और मोहिनी को थमाते हुए बोली,,,)

ले तु ट्यूशन जा और रास्ते में कुछ खा लेना,,,


नहीं मम्मी मैं चली जाऊंगी,,,(अपने घर की हालत को देखकर मोहिनी समझ गई थी कि घर में पैसे की किल्लत है इसलिए वह अपनी मां से बीस का नोट लेना नहीं चाहती थी लेकिन फिर भी आराधना जबरदस्ती से मांगने के हाथ में बीस का नोट थमाते हुए बोली,,,)

ले बेटा तु चिंता मत कर,,,, मैं सब कुछ सही कर लूंगी,,,, रास्ते में जरूर कुछ खा लेना,,,,(20 का नोट मोहीनी अपने हाथ में ले ली थी,,, सुबह-सुबह उसे चाय नाश्ता चाहिए ही था,,,, थोड़ी देर में वह ट्यूशन के लिए निकल गई,,,,,, संजू और आराधना दोनों बिस्तर पर बैठे हुए थे घर पर राशन खत्म हो गया था इस बात की चिंता संजु को भी थी,,,आपस में चल रही बहस सुनकर संजू बाथरूम से निकलकर वैसे ही अपनी मां के कमरे में आ गया था वह सिर्फ अपने बदन पर टावल लपेटा हुआ था उसकी चौड़ी नंगी छाती बिल्कुल नंगी थी,,,, जिस पर ऐसे हालात में भी बार बार आराधना कि नजर चली जा रही थी,,,, घर पर कोई भी नहीं था बिस्तर पर आराधना और संजू ही बैठे हुए थे इसलिए आराधना का दिमाग उसी तरफ घूमने लगा वह अपने बेटे की जंगी छातियों को देखकर उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि उसके पति का शरीर उसके बेटे जैसा बिल्कुल भी नहीं है उसके बेटे के बदन में पूरी तरह से मर्दाना ताकत भरा हुआ है जो कि उसकी चौड़ी छाती से ही नजर आती थी उसके पति की चौड़ी छाती बिल्कुल भी नहीं थी,,,,,,,अपने बेटे की उपस्थिति में आराधना की हालत अजीब सी होने लगती थी और इस समय भी उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, जब तक रामेश मोहिनी थी तब तक आराधना अपने बेटे की तरफ बिल्कुल भी आकर्षित नहीं थी और न ही उसके मन में कुछ और रहा था लेकिन जैसे ही वह दोनों घर से बाहर चले गए वैसे ही आराधना के तन बदन में उलझन सी होने लगी,,,,,। लेकिन संजू घर के हालात को देखकर थोड़ा चिंतित था वही सोच रहा था कि अगर घर में पैसा नहीं है तो राशन कहां से आएगा इसलिए वह अपनी मां से चिंतित स्वर में बोला,,,।


अब क्या होगा मम्मी,,,, घर पर राशन नहीं है खाना कैसे बनेगा,,,,,,


मैं भी यही सोच रही हूं संजु,,, तेरे पापा से तो मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं है,,,


फिर अब क्या करेंगे मम्मी,,,, खाना कैसे बनेगा,,,,
(संजू की बातें सुनकर आराधना भी चिंतित थी उसे भी फिक्र थी कि अब क्या होगा तभी उसे अपनी बहन साधना का ख्याल आ गया और वह संजू से बोली,,,)


दीदी से कुछ पैसे उधार लेने पड़ेंगे,,,,,,,


मौसी से,,,,


हां तेरी मौसी से,,,, तेरी मौसी ही है जो हम लोगों की मदद कर सकती हैं,,,, वह हम लोगों की हालत से अच्छी तरह से वाकिफ है,,,,।
(अपनी मौसी का जिक्र आते ही संजू की आंखों के सामने अपनी मौसी का नंगा बदन नाचने लगा,, साधना का जिक्र होते ही संजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी,,, भला एक जवान लड़का उस औरत का जिक्र सुनते ही उत्तेजित क्यों ना हो जाए जिसके साथ वह दो दो बार चुदाई का सुख भोग चुका हो,,,,जिसके खूबसूरत नंगे बदन को देख कर पहली बार औरत के नंगे बदन के भूगोल के बारे में वाकीफ हुआ हो,,,, पहली मर्तबा जिस औरत के नंगे बदन को अपने हाथों से छूकर उसकी गर्मी को महसूस किया हो,,, इसीलिए तो साधना का जिक्र होते ही संजू का लंड खड़ा होने लगा था,,,)


तुम सच कह रही हो मम्मी मौसी ही हमारी मदद कर सकती हैं,,,,

तो थोड़ी देर में तैयार हो जा हमें तेरी मौसी के घर जाना है,,


सच में मम्मी,,,


हां रे तेरी मौसी के घर जाएंगे नहीं तो मदद कैसे मिलेगी,,,

(अपनी मौसी के घर जाने के बारे में सुनकर ही संजु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,, आराधना को पूरा यकीन था कि उसकी बड़ी दीदी उसकी मदद जरूर करेगी क्योंकि वैसे भी पैसे से वह लोग मजबूत ही थे किसी चीज की कमी नहीं थी,,,

तकरीबन 2 घंटे बाद आराधना तैयार हो चुकी थी अपनी दीदी के घर जाने के लिए,,, वैसे तो वह कहीं भी जाने के लिए ज्यादा तैयार नहीं होती थी लेकिन वह इतनी ज्यादा खूबसूरत थी कि हल्का सा मेकअप करने पर भी वह बला की खूबसूरत करने लगती थी,,, आराधना तैयार हो चुकी थी वह अपने कमरे से अपने साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बाहर निकली तो बाहर संजू खड़ा था और अपनी मां को देखा तो देखता ही रह गया,,,,,,संजु को उसकी मां स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी जो की आसमानी रंग की साड़ी में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, चेहरे पर हल्का सा मेकअप थावैसे तुम्हारा देना को किसी भी प्रकार के मेकअप की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी फिर भी हल्का सा पाउडर आराधना ने अपने गोरे गोरे गालों पर लगा रखी थी,,,, जिससे उसके गोरे गोरे गाल और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहे थे,,,, वैसे तो आराधना अपने लाल-लाल होठों पर लिपस्टिक लगाती थी क्योंकि लिपस्टिक लगाए बिना उसके लाल लाल होंठ गुलाब की पत्तियों की तरह एकदम लाल रहते थे लेकिन आज वह अपने होठों पर भी हल्की सी लिपस्टिक लगा रखी थी जैसे से उसके लाल-लाल होठों को देखकर संजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही पड़ रही थी उसका मन कर रहा था कि आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल होठों का सारा रस पी जाए,,,,,,,।

संजू कुछ देर तक मंत्रमुग्ध होकर वहीं खड़ा रहा हूं अपनी मां की खूबसूरती का रस अपनी आंखों से पीता रहा,,, संजू को इस तरह से अपनी तरफ देखता हुआ पाकर आराधना के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी अंदर ही अंदर वह भी बहुत खुश थी,,, कि उसका बेटा उसको देख कर पागल हुआ जा रहा है,,,, वैसे तो कहीं भी आराधना जाती थी अपने पति के साथ तो ज्यादा टीप टाप नहीं करती थी,,, लेकिन आज ना जाने क्यों वह बाहर निकलने से पहले अपने आप को थोड़ा बहुत तैयार कर ली थी,,,, शायद आज पहली बार किसी के घर अपने बेटे के साथ जा रही थी,,,, एक अजीब सी हलचल उसके तन बदन में हो रही थी,,,,,,, और अपने बेटे को इस तरह से अपनी तरफ देखता हूं आप आकर उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सुरसुराहट सी होने लगी थी,,,,,, अपने बेटे की तंद्रा भंग करते हुए वही खुद बोली,,,।)


अब चले,,,


हां हां क्यों नहीं,,,(अपनी मां की आवाज सुनते ही जैसे वह नींद से जागा हो इस तरह से हड़बड़ाते हुए बोला,,,,, उसकी हालत देखकर आराधना मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, वह अपने बेटे से दो कदम आगे निकलते हुए घर से बाहर निकल गई और पीछे पीछे संजू भी घर से बाहर निकल गया,,,, आराधना घर का दरवाजा बंद करके उस पर ताला लगाने लगी क्योंकि मोहिनी भी शाम को ही घर लौटती थी और वह लोग भी शाम को ही आने वाले थे,,,ताला लगाने के लिए आना था ना थोड़ा सा झुक गई और उसके झुकने के साथ ही उसकी बड़ी बड़ी गांड का गोल आकार उभर कर संजू की आंखों के सामने नजर आने लगा जिसे देखते हैं संजू के पेंट में खलबली सी मचने लगी,,,, ताला लगाने के बाद चाबी को रात में रखने लगी संजू की नजर अपनी मां के खूबसूरत चेहरे से हट ही नहीं रही थी यह देख कर आराधना मुस्कुराते हुए बोली,,,।)


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं है क्या,,,?


आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मम्मी,,,(हिम्मत जुटा तेरे संग अपने मन की बात बोल ही दिया और उसकी बात सुनकर आराधना मन ही मन प्रसन्न हो गई बरसों बाद किसी ने उसकी खूबसूरती की तारीफ जो किया था,,,,अपने बेटे की तारीफ सुनकर वो शर्मा गई थी जिसकी वजह से उसकी गोरे गोरे गाल सुर्ख लाल पड़ गए थे,,,,)

चल रहने दे अब इस उमर में,,,(इतना कहकर वो चलने लगी तो संजू भी साथ में चलते हुए बोला,,,)

क्या उमर,,,, तुमको देखकर लगता ही नहीं है कि तुम दो बच्चों की मां हो,,,

धत् कैसी बातें कर रहा है तु,,,


मैं जानता हुं जो कुछ भी मैं कह रहा हूं वह मुझे नहीं कहना चाहिए था ,,, लेकिन तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,


चल अब बस रहने दे,,, आगे चलकर चौराहे से ऑटो पकड़ लेंगे,,,,


ठीक है मम्मी,,,
(अपनी मां की बात सुनकर इससे ज्यादा ओर कुछ भी बोलने की हिम्मत संजू नहीं कर पाया,,, क्योंकि मैं किसी भी तरह से अपनी मम्मी को नाराज नहीं करना चाहता था और जिस तरह की बातें संजु कर रहा था उसे सुनकर आराधना की तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी इस तरह की बातें एक पति या प्रेमी हीं करता हैआराधना अपने आप को असहाय महसूस कर रही थी कि तन बदन में उत्तेजना कि लहर दौड़ने रही थी,,,उसे इस बात की खुशी थी कि इस उम्र में भी हुआ एक जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती थी,,,, दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, अपने बेटे की बात को सुनकरआराधना के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसे अपनी पेंट गीली होती हुई महसूस हो रही थी खास करके उस बात पर जब संजु ने ये कहा था कि तुम्हें देखने के बाद लगता ही नहीं है कि तुम दो बच्चों की मां हो,,,,।

यही सब सोचते हुए दोनों चौराहे पर पहुंच गए वहां से ऑटो पकड़ कर साधना के घर की तरफ निकल गए,,,।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और गरमागरम कामुक अपडेट है रमेश ने सारे पैसे दारू में खर्च कर दिए अब तो घर में बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है अपनी मां के साथ फिर अपनी मौसी के घर जा रहा है संजू मोसी के नाम से उत्तेजित हो रहा है देखते हैं मोसी के घर क्या होता है मां बेटे में अभी धीरे धीरे शुरुआत हो रही है देखते हैं आगे क्या होता है
 

sunoanuj

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Bahut he jabardast update… sach hai Sharab ya nasse ke koi bhi lat ghar ko barbad kar deti hai … 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

hariom1936

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Is it possible,jo aap kahani me likh rahe ho,ki ghar me sab khana khatam ho gaya, i dont believe at all , aaj bhi 99% gharo me ledies ghar kharch ke nam pat paisa bacha ke rakhti hai , or tum bhikh mangne mosi ke ghar chal diye,i dont beluve at all,koi or plot taiyyar karo but is par mujhe belive nahi, chut ke chakkar me realty bhul gaye ho,pl come on earth
 
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