दिल्ली के मेेेेनेजर से चुदी रसीली पंजाबन
मेरा नाम अमनप्रीत कौर है ओर मैं एक मस्त पंजाबन हूं। मेरी उम्र 27 साल, रंग गोरा, गठीला बदन। मेरे मोटे मुम्मे ओर निकली गांड देख बुड्डो को भी लंड खड़े हो जाते हैं। हमारा गाँव मोगा शहर के पास है। 21 वर्ष की आयु में मेरी शादी लुधियाना में हुई। लेकिन पति नशे का आदी था। तो जल्दी ही हमारा तलाक हो गया। मैंने फिर से अपने गाँव में रहना शुरू कर दिया। मेरा दिन तो घर के कामों में गुज़र जाता लेकिन रात में मुझे नींद ना आती । मेरी फुद्दी लंड के लिए तरस रही थी। लेकिन मैं किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रही थी जो मेरी अच्छी तरह से चुदाई करे और बदनामी भी न हो ।
एक दिन अचानक मेरी इच्छा पूरी हो गई। मेरी चाची को दिल का दौरा पड़ा। उसे लुधियाना में भर्ती कराया गया था। मुझे भी साथ जाना पड़ा क्योंकि मेरी चाची के साथ कोई लड़की या औरत नहीं थी। करीब 3 दिन बाद मेरे चाचा ने मुझे 2 दिन में गाँव जाने को कहा। मैं भी वहां रहने से थक गई थी । मेरे चाचा ने मुझे मोगा जाने वाली बस में बिठाया। उस दिन हल्की बारिश हो रही थी। बस लुधियाना से रवाना हुई थी जब एक 50-52 साल का लंबा चौड़ा आदमी मेरे बगल वाली सीट पर आकर बैठ गया। मीठी मीठी ठंड थी। हम साथ-साथ बैठे। उसने मुझसे मौसम के बारे में बात करना शुरू कर दिया। बातचीत में उस ने मेरा नाम पूछा। मैं खुल कल बात करने लगी। वह मेरे खुले स्वभाव तारीफ करने लगा। उस ने खुद को बैंक मैनेजर बताया। उसका परिवार दिल्ली से है और वह मोगा में अकेले रहता है। मुझे नहीं पता कि उसने कब मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया। मैं स्तब्ध रह गई। धीरे-धीरे उसने मेरी जांघो को छूना शुरू कर दिया। बस के बाहर बारिश हो रही थी और ओर अंदर मैनेजर मुझे मसल मसल कर गरम कर रहा था।
मोगा में पहुंचकर उस ने कहा, "मेरा घर पास में है। चाय पी कर चली जाना।" पहले तो मैंने मना कर दिया, लेकिन अधिक जोर देने पर मैं मान गई। फिर हम एक रिक्शा लेकर उसके घर गए। मैंने महसूस किया कि अगर मैं किसी अकेले अजनबी के घर पंहुच गई हूं तो पक्का चुदने वाली हूं। मैं अंदर आकर सोफे पर बैठ गई । उसने जल्दी ही मुझे चाय बनाकर दी। लेकिन वह खुद शराब पी रहा था। चाय पीने के बाद मैंने उस से कहा चाय के लिए धन्यवाद, अब मैं चलती हूं। वह उठा ओर मेरे साथ आकर बैठ गया ओर कहने लगा थोड़ी देर ओर रुक कर चली जाना। मैं भी उस की मीठी बातों में खो गई । हम दोनो सोफे पर सट कर बैैठे थे। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि उसका एक हाथ मेरी पीठ पर और दूसरा मेरी जाँघों पर चल रहा था। मैं उसे हटाने की कोशिश करने लगी तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे मुम्मो को दबाने लगा। मैं भी गर्म हो गई और उसे कस कर गले लगा लिया। उसने मुझे उठाया और बिस्तर पर पटक दिया।