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दिल्ली के मेेेेनेजर से चुदी रसीली पंजाबन 2
फिर वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा। इसी बीच उसने मेरे बालों में से हेयर रिंग निकाल दिया जिससे बाल मेरे चेहरे पर बिखर गए। मुझे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था, अब तो मैं भी वासना की आग में डूबे जा रही थी।
फिर उसने मुझे पकड़ कर खड़ा कर दिया और मेरी कमीज़ को ऊपर उठाया और उतार दिया। मेरी ब्रा में से मेरे मोटे मुम्मे जैसे पहले ही आजाद होने को फिर रहे थे। वो ब्रा के ऊपर से ही मेरे मुम्मे मसल रहा था और चूम रहा था।
फिर उसका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया। जिसका नाड़ा खींच कर उसने खोल दिया। मेरी सलवार उतारते ही वो मेरी गोल गोल गाण्ड देख कर खुश हो गया। अब तक मेरी शर्म और डर दोनों गायब हो चुके थे। मैंने उसकी शर्ट खोलनी शुरू कर दी थी। जैसे जैसे मैं उसकी शर्ट खोल रही थी उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सामने आई।
मैं उस पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी और चूमने लगी। धीरे धीरे मैंने उसकी शर्ट खोल कर उतार दी। वो मेरे ऐसा करने से बहुत खुश हो रहा था। मुझे तो अच्छा लग ही रहा था। मैं मस्त होती जा रही थी। वो मेरे दोनों तरफ हाथ रख कर मेरे ऊपर झुक गया। फिर उसने मुझे अपने ऊपर कर लिया और मेरी ब्रा की हुक खोल दी। मेरे दोनों मुम्मे आजाद होते ही उसकी छाती पर जा गिरे। उसने भी बिना देर किये दोनों मुम्मो को अपने हाथो में थाम लिए और बारी बारी दोनों को मुँह में डाल कर चूसने लगा। वो मेरे मुम्मों को बड़ी बुरी तरह से चूस रहा था। मेरी तो जान निकली जा रही थी। मेरे मुम्मों का रसपान करने के बाद वो उठा। अब मेरे हाथ उसकी पैंट तक पहुँच गए थे। मैंने उसकी पैंट खोली और नीचे सरका दी। उसका लण्ड अंडरवियर में कसा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अंडरवीयर फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
मैंने उसकी पैंट उतार दी और अंडरवियर को नीचे खींचा। उसका 8 इंच का लण्ड उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे मुँह के सामने हिलने लगा। मैं एक बार तो डर गई। फिर मेरे होंठ उसकी तरफ बढ़ने लगे और मैंने उसके सुपारे को चूम लिया। तभी उस ने भी मेरे बालों को पकड़ लिया और मेरा सर अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा। मैंने मुँह खोला और उसका लण्ड मेरे मुँह में समाने लगा। उसका लण्ड मैं पूरा अपने मुँह में नहीं घुसा सकी मगर जो बाहर था उसको मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और मसलने लगी। वो भी मेरे सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था और अपनी गाण्ड हिला हिला कर मेरे मुँह में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भी दिल से उस का लण्ड चूस रही थी। काफी देर लण्ड चुसवाने को बाद वो मेरी टांगों कि तरफ बैठ गया । मेरी जांघों को चूमने लगा और फिर अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ने लगी। मैंने उसका सर अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा लिया और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लिया।उसका लण्ड मेरे पैरों के साथ छू रहा था। मुझे पता चल गया कि उसका लण्ड मेरी गुलाबी चूत चोदने के लिए पूरा तैयार हो चुका हैं। मैंने उसकी बांह पकड़ी और ऊपर की और खींचते हुए कहा- मेरे ऊपर आ जाओ राजा..
वो भी समझ गया कि अब मेरी फुद्दी लण्ड लेना चाहती है। वो मेरे ऊपर आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया। मैंने हाथ में पकड़ कर उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर टिकाया और अंदर को खींचा। उसने भी एक धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी चूत में मीठा सा दर्द होने लगा। इस दर्द के लिए मैं बहुत तड़पी थी।
उसने मेरे होंठ अपने होंठो में लिए और एक और धक्का मारा। उसका सारा लण्ड मेरी चूत में उतर चुका था। मेरा दर्द बढ़ गया था। मैंने उसकी गाण्ड को जोर से दबा लिया था कि वो अभी और धक्के ना मारे।
जब मेरा दर्द कम हो गया तो मैं अपनी गाण्ड हिलाने लगी।
वो भी लण्ड को धीरे धीरे से अंदर-बाहर करने लगा।
कमरे में मेरी और उसकी सीत्कारें और आहों की आवाज़ गूंज रही थी। वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा।
मैंने घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मुझे दर्द हो रहा था मगर मैं सह गई। दर्द कम होते ही फिर से धक्के जोर जोर से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था। उसने धक्के तेज कर दिए।
अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह आज मेरी चूत फाड़ देगा। फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया।
वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया।
मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उठ कर अपनी चूत साफ की और कपड़े पहनने लगी।
उसने मुझे कहा- चलो अब तुम्हें शॉपिंग करवाता हूँ।
वो मुझे मार्केट ले गया। उसने मुझे भी एक बेहद सुन्दर और कीमती सूट लेकर दिया और बोला- जब अगली बार मिलने आओगी तो यही पहन कर आना।
फिर वो मुझे बस स्टैंड तक छोड़ गया और मैं बस में बैठ कर वापिस अपने गाँव अपने घर आ गई।
फिर वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा। इसी बीच उसने मेरे बालों में से हेयर रिंग निकाल दिया जिससे बाल मेरे चेहरे पर बिखर गए। मुझे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था, अब तो मैं भी वासना की आग में डूबे जा रही थी।
फिर उसने मुझे पकड़ कर खड़ा कर दिया और मेरी कमीज़ को ऊपर उठाया और उतार दिया। मेरी ब्रा में से मेरे मोटे मुम्मे जैसे पहले ही आजाद होने को फिर रहे थे। वो ब्रा के ऊपर से ही मेरे मुम्मे मसल रहा था और चूम रहा था।
फिर उसका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया। जिसका नाड़ा खींच कर उसने खोल दिया। मेरी सलवार उतारते ही वो मेरी गोल गोल गाण्ड देख कर खुश हो गया। अब तक मेरी शर्म और डर दोनों गायब हो चुके थे। मैंने उसकी शर्ट खोलनी शुरू कर दी थी। जैसे जैसे मैं उसकी शर्ट खोल रही थी उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सामने आई।
मैं उस पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी और चूमने लगी। धीरे धीरे मैंने उसकी शर्ट खोल कर उतार दी। वो मेरे ऐसा करने से बहुत खुश हो रहा था। मुझे तो अच्छा लग ही रहा था। मैं मस्त होती जा रही थी। वो मेरे दोनों तरफ हाथ रख कर मेरे ऊपर झुक गया। फिर उसने मुझे अपने ऊपर कर लिया और मेरी ब्रा की हुक खोल दी। मेरे दोनों मुम्मे आजाद होते ही उसकी छाती पर जा गिरे। उसने भी बिना देर किये दोनों मुम्मो को अपने हाथो में थाम लिए और बारी बारी दोनों को मुँह में डाल कर चूसने लगा। वो मेरे मुम्मों को बड़ी बुरी तरह से चूस रहा था। मेरी तो जान निकली जा रही थी। मेरे मुम्मों का रसपान करने के बाद वो उठा। अब मेरे हाथ उसकी पैंट तक पहुँच गए थे। मैंने उसकी पैंट खोली और नीचे सरका दी। उसका लण्ड अंडरवियर में कसा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अंडरवीयर फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
मैंने उसकी पैंट उतार दी और अंडरवियर को नीचे खींचा। उसका 8 इंच का लण्ड उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे मुँह के सामने हिलने लगा। मैं एक बार तो डर गई। फिर मेरे होंठ उसकी तरफ बढ़ने लगे और मैंने उसके सुपारे को चूम लिया। तभी उस ने भी मेरे बालों को पकड़ लिया और मेरा सर अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा। मैंने मुँह खोला और उसका लण्ड मेरे मुँह में समाने लगा। उसका लण्ड मैं पूरा अपने मुँह में नहीं घुसा सकी मगर जो बाहर था उसको मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और मसलने लगी। वो भी मेरे सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था और अपनी गाण्ड हिला हिला कर मेरे मुँह में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भी दिल से उस का लण्ड चूस रही थी। काफी देर लण्ड चुसवाने को बाद वो मेरी टांगों कि तरफ बैठ गया । मेरी जांघों को चूमने लगा और फिर अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ने लगी। मैंने उसका सर अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा लिया और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लिया।उसका लण्ड मेरे पैरों के साथ छू रहा था। मुझे पता चल गया कि उसका लण्ड मेरी गुलाबी चूत चोदने के लिए पूरा तैयार हो चुका हैं। मैंने उसकी बांह पकड़ी और ऊपर की और खींचते हुए कहा- मेरे ऊपर आ जाओ राजा..
वो भी समझ गया कि अब मेरी फुद्दी लण्ड लेना चाहती है। वो मेरे ऊपर आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया। मैंने हाथ में पकड़ कर उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर टिकाया और अंदर को खींचा। उसने भी एक धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी चूत में मीठा सा दर्द होने लगा। इस दर्द के लिए मैं बहुत तड़पी थी।
उसने मेरे होंठ अपने होंठो में लिए और एक और धक्का मारा। उसका सारा लण्ड मेरी चूत में उतर चुका था। मेरा दर्द बढ़ गया था। मैंने उसकी गाण्ड को जोर से दबा लिया था कि वो अभी और धक्के ना मारे।
जब मेरा दर्द कम हो गया तो मैं अपनी गाण्ड हिलाने लगी।
वो भी लण्ड को धीरे धीरे से अंदर-बाहर करने लगा।
कमरे में मेरी और उसकी सीत्कारें और आहों की आवाज़ गूंज रही थी। वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा।
मैंने घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मुझे दर्द हो रहा था मगर मैं सह गई। दर्द कम होते ही फिर से धक्के जोर जोर से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था। उसने धक्के तेज कर दिए।
अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह आज मेरी चूत फाड़ देगा। फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया।
वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया।
मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उठ कर अपनी चूत साफ की और कपड़े पहनने लगी।
उसने मुझे कहा- चलो अब तुम्हें शॉपिंग करवाता हूँ।
वो मुझे मार्केट ले गया। उसने मुझे भी एक बेहद सुन्दर और कीमती सूट लेकर दिया और बोला- जब अगली बार मिलने आओगी तो यही पहन कर आना।
फिर वो मुझे बस स्टैंड तक छोड़ गया और मैं बस में बैठ कर वापिस अपने गाँव अपने घर आ गई।
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