एक गुंडे ने रघु को बालों से पकड़ा और घसीट कर दीवार से टेक लगा कर बिठा दिया। रघु अधमरा सा कुछ नही कर सकता था। उधर बाकी तीनों ने सरिता के कपड़े फाड़ कर उसे पूरा नंगा कर दिया था। और उसकी रस्सियां भी खोल दी थी। उनकी आंखों में वही भाव थे जो शेर की आंखों में हिरण के बच्चे को देख कर आते थे। सरिता को सुध आने लगी तो उसने अपने आप को उन पहलवान सरीखे गुंडों के बीच नंगा पाया। वो फिर से उठ कर भागने को उठी ही थी की एक ने उसे बालो से पकड़ लिया और वो दर्द से चिल्लाई। इस से पहले की उसकी चीख बाहर निकलती दूसरे गुंडे ने उसके मुंह में उसकी फटी हुई पैंटी ठूंस दी। तब तक दो गुंडे नंगे हो चुके थे। काले कसरती बदन वाले गुंडों के लन्ड लटक रहे थे। ऐसा नहीं था कि सरिता ने कभी बड़ा लन्ड नही लिया था या रघु के अलावा किसी और से नही चू दी थी, पर आज उसे पता था यह उसकी कोई सुनने वाला नहीं है। उसे अपना पिछला हाल पता था। अंदर से उसका मन था कि बात करके सब आराम से कर ले। पर उस से बात करनी किसको थी। उन दरिदों को सालो बाद चूत मिली थी। और वो उसे छोड़ना नहीं चाहते थे।
सरिता की चीख साथ वाले कमरे में किंजल ने सुनी तो कांप गई। अधनंगी किंजल का डर से कांपता हुआ बदन धर्मेंद्र उर्फ रूहानी बाबा को और उत्तेजित कर रहा था। बाबा ने उसके गालों को चूमना चाटना शुरू किया। दोनो हाथों से उसे चूचों और चूतड़ों को मसलना शुरू किया। पागल हो रहा था वो। "बाबा जी आराम से। अपने सेवक को एक मौका दीजिए। मैं आपको तैयार कर देता हु।" बिट्टू पास बैठा बोला। बाबा खड़ा हो गया। बिट्टू ने उसका कुर्ता उतारा। और धोती खोल दी। बाबा के शरीर में चर्बी भरी थी। पर शरीर में जान बहुत थी। इस उमर में भी अफीम के नियमित सेवन की वजह से उसका लुंड अधखड़ी अवस्था में झूल रहा था। बाबा को पूरा नंगा कर बिट्टू ने बाबा को चरण स्पर्श किया और उसका लुंड मुंह में ले लिया। किंजल हैरान सी देख रही। बाबा लन्ड चुसवाते हुए खाट पर बैठ गया। और किंजल को अपनी तरफ खींच कर उसके चूचे चूसने लगा। बाबा का लन्ड बिट्टू के मुंह में सख्त हो रहा था। किंजल को बाबा के बदन की बदबू परेशान कर रही थी। एक समय था किंजल के चूचों को जिग्नेश छूता भी था तो उसकी चूत गीली हो जाती थी। पर इस बूढ़े की बाहों में किंजल को घिन आ रही थी। उसका लन्ड झांटों से भरा था। जब बिट्टू ने लन्ड मुंह से बाहर निकाला तो लन्ड उसके थूक से पूरा गीला था। किंजल की नजर इसके लन्ड पर गई तो घबरा गई। इस तरह का लन्ड तो उसने एक बार बार ब्लू फिल्म में देखा था जो उसकी सहेली ने दिखाई थी। अब तक किंजल ने बस जिग्नेश के साढ़े चार इंच का लन्ड लिया था। उसे लगता था लन्ड बस इतने ही होते हैं। पर बाबा का 6 इंच का लन्ड देख किंजल का गला घबराहट से सूख गया।
इधर सिन्हा अपनी गोद में सोनिया के होंठों को चूस रहा था। एक हाथ सोनिया की पीठ को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसने सोनिया के बाल पकड़ रखे थे।सिन्हा सोनिया को गोद में उठाए उठाए खड़ा हो गया और उसे बेडरूम की तरफ ले जाने लगा। बेडरूम में ac चल रहा था। नंगे बदन सोनिया के शरीर में एक कंपकंपी सी आई। सिन्हा ने सोनिया को बिस्तर पर पटक दिया। और अपना कुर्ता उतार दिया। सोनिया उठ कर किनारे पर आई और सिन्हा के पजामे का नाड़ा पकड़ कर खींचा। और दोनो हाथों से सिन्हा का पजामा और बॉक्सर दोनो नीचे कर दिए। सिन्हा फिटनेस और सफाई पसंद था। खुद को फिट और साफ रखता था। सोनिया बेशक सांवली थी पर उसे तस्वीर में सोनिया का कसा हुआ बदन पसंद आया था। सिन्हा का खड़ा लन्ड बाहर निकल आया। बहुत दिनों बाद सोनिया को कोई ऐसा साफ सुथरा मर्द मिला था। चमकता हुआ बिना बालो वाला लन्ड सोनिया ने मुंह में डाल लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगी। सिन्हा की बीवी आज घर पर नहीं थी। उसने काम का बहाना बनाया और मौके का पूरा फायदा उठा रहा था। जेल में उसी का राज था। सोनिया घपाघाप मस्ती से लन्ड चूस रही थी। कुछ तो स्कॉच का नशा और कुछ लन्ड का मजा। सोनिया उसमे डूब रही थी। लन्ड सोनिया की लार से पूरा गीला हो चुका था। सिन्हा ने सोनिया को घोड़ी बनाया और चूत पर अपना लन्ड रगड़ने लगा। सोनिया की चूत भी अब पानी छोड़ रही थी। Ac का ठंडा कमरा, स्कॉच का नशा, मनपसंद लन्ड। सोनिया की चूत बेचैन हो गई थी लन्ड लेने को।