Update 1
“रिया, चल कपड़े उतार यार। बड़ा मन कर रहा है।” - मैंने कहा।
‘अभी रहने दे ना प्रतीक। सबके सामने मुझे अच्छा नही लगता है। प्लीज।’ - रिया ने जवाब दिया।
“अबे ये क्या बकचोदी है यार तेरी। तुम लोगो के लिए चुदना कौन सी नई बात हैं।”
‘प्लीज ना प्रतीक। बाद में कर लेना ना।’
“नही। मुझे तो अभी ही करना हैं।” - इतना कहते ही मैंने जबरदस्ती रिया की शॉर्ट्स और पैंटी नीचे सरका दी और उसे आगे की ओर झुकाकर उसकी गाँड़ में अपना लंड रगड़ने लगा।
रिया की गाँड़ मुझे एक अलग ही आनंद का एहसास करा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी नई चूत के छेद में अपना लंड चला रहा हूँ। मैं जोश में था और रिया की गाँड़ मारने को आतुर भी। वह सेल की सलाखों को थामे आगे की ओर झुककर खड़ी थी और मैंने उसकी मर्जी की परवाह किये बिना अपना लंड उसकी गाँड़ के छेद में घुसा दिया। मेरे लंड के अंदर जाते ही उसके मुँह से “आँह” की तेज चीखे निकल पड़ी और वह दर्द के मारे कराहने लगी। मैंने उसकी कमर को अपने हाथों में जकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
उसका गोरा और रसीला बदन मेरे लिए किसी जन्नत से कम नही था। वैसे तो मुझे औरतो व लड़कियों की कोई कमी नही थी लेकिन फिर भी रिया को चोदना मेरे लिए काफी खास था। वह मेरी क्लासमेट रह चुकी थी और बचपन से उसके साथ सेक्स करने की मेरी चाहत आखिरकार जेल में आकर पूरी हुई थी।
खैर, मैं पूरे जोश में आ चुका था और मैंने तेजी से अपने लंड को उसके छेद में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मेरी स्पीड बढ़ चुकी थी और मैं पूरा जोर लगाकर उसकी गाँड़ मारने लगा। रिया भी अब पूरी तरह वासना के सागर में डूब चुकी थी। मेरे लंड के झटके उसे चीखने के लिए मजबूर कर रहे थे और उसके मुँह से “आँह आँह” की तेज सिसकियाँ निकलने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी स्पीड और भी तेज कर दी और मैं अपनी पूरी ताकत लगाकर उसकी गाँड़ मारने लगा। उसकी चीखे मेरा जोश बढ़ाती जा रही थी और मैं लगातार उसे चोदे जा रहा था। आखिरकार, काफी देर तक उसकी गाँड़ मारने के बाद मुझे झड़ने का एहसास होने लगा और मैंने अपना लंड उसकी गाँड़ से बाहर निकाल लिया। हालाँकि मेरी वजह से किसी भी कैदी औरत या लड़की के गर्भवती होने का बिल्कुल खतरा नही था क्योंकि जेल में आने के बाद मेरी नसबंदी करवा दी गई थी और मैं बच्चे पैदा करने में असमर्थ था।
नमस्कार दोस्तो। मेरा नाम प्रतीक शर्मा है और मेरी उम्र 28 साल है। मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से जिले का रहने वाला हूँ। वर्तमान में मैं भोपाल की एक महिला जेल में कैद हूँ और उम्रकैद की सजा काट रहा हूँ। हालाँकि मैं एक पुरुष हूँ लेकिन इसके बावजूद मुझे महिला जेल में रखा गया है। दरअसल, किसी भी आरोपी को जेल भेजने से पहले उसके जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर ही यह तय किया जाता है कि आरोपी को पुरुषों की जेल में रखना है या महिलाओ की। मेरे जन्म प्रमाण पत्र में गलती से मेरा लिंग महिला लिखा हुआ था जिस वजह से एक पुरुष होने के बादजूद अदालत ने मुझे महिला माना व महिला जेल में भेजने के आदेश दिए। महिला जेल भेजे जाने से पहले मैंने लगभग दो महीने पुरुष जेल में बिताए थे जिसके बाद जन्म प्रमाण पत्र की गलती उजागर होते ही मुझे महिला जेल में शिफ्ट कर दिया गया। इसी जेल में मेरी बहुत सी महिला रिश्तेदार, दोस्त, टीचर्स व जान-पहचान की महिलाएँ व लड़कियाँ भी बंद है जिनमे मेरी मम्मी, बड़ी मम्मी, चाची, मामी, बुआ, बहने व अन्य कैदी शामिल हैं।