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दोस्तो अभी रक और कहानी पे काम कर रहा था इसलिए थोड़ा वक़्त लग रहा है।
बहुत बहुत शुक्रिया इतना प्यार के लिए।
बहुत बहुत शुक्रिया इतना प्यार के लिए।
Nice startदोस्तों मेरा नाम समीर है और आज मैं अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हु।
जो कि एक पारिवारिक चुदाई संबंधों पर है। आशा करता हु आपको ये कहानी पसंद आएगी।
मैं अपने छोटे से परिवार के साथ एक गांव में रहता हूं जहा हम लोग बहुत खुस रहते है हमारे गांव का नाम ***** है और हमारे गांव में रात को बिजली नही आती।
तो ये है मेरा परिवार।
1)पिता- मोहन उम्र (50)साल ये फ़ौज़ में है हर दो साल में 1 महीने के लिए ही घर आते है।
2)माँ- सविता उम्र(40)साल यह एक गृहणी है जो हमेशा अपनी बुर की आग को ठंडा करने के कुछ न कुछ करती रहती है।
3) दीदी- कंचन उम्र(23) ये एक पुलिस ऑफिसर है पर अभी अभी मिलने अति रहती है ये दिल्ली में है और गुस्सा हमेशा इनकी नाक पर रहता है पर अपने छोटे भाई से बहुत प्यार करती है।
4)समीर यानी मै कहानी की हीरो उम्र(18)साल लन्ड(9इंच) पर अभी तक कोई बुर नही मिली इसीलिए हमेशा चूची और बुर के सपने देखता हूँ।
अब कहानी शुरू करते है।
Update. 1
तो मैं अपने घर आखिरकार वापस जा रहा था क्योंकि मेरी पढ़ाई पूरी हो गई थी में अपने घर 8 साल बाद जा रहा था क्योंकि पिता जी ने मुझे सहर के एक होस्टल में डाल दिया था।
पर अभी अभी में अपनी गांव जाया करता था छुटियो में।
मैंने बस स्टैंड से रात को 9 बजे बस में बैठा और सुबह 7 बजे घर पहुंच गया माँ को इस बात की खबर नही थी कि मै वापस आ रहा हूँ।
मै घर मे धीरे से घुसा माँ रसोई में थी और मैंने माँ को बाहो में भर लिया जिसे माँ चौक गयी।
माँ- कौन है।
मै- मैं हु।
माँ- कौन है छोड़ मुझे तू जानता नही मेरी बेटी पुलिस में है।
में- तो मैं क्या करूँ और मैंने एक चूमि उनके गालो पे दी।
माँ- समीर बेटा।
में- ओह्ह माँ।
और हम गले लग गए और माँ मेरे चेहरे को चूमने लगी और एक छोटी सी पप्पी मेरे होठो पे दी।
माँ- तू कब आया।
मै- बस अभी माँ।
माँ- एक बार बता तो देता बेटा।
मै- बता के आता तो चूमि कैसे मिलती।
ये सुनकर माँ शर्मा गयी।
माँ- तू नाहा ले में खाना बनाती हु।
मै- माँ तुम नहला दो ना।
माँ- हट बदमास।
इतना कहते हुए एक हल्की चपत मेरे गालो पे लगा दी और चली गयी।
उसके बाद मैंने और माँ ने साथ मे खाना खाया और ढेर सारी बाते करी उसके बाद में गाँव मे घूमने निकल गया।
गाँव घूमते हुए मैंने देखा कि एक औरत एक बच्चे को नहला रही थीं ये देखकर मुझे अपने पुराने दिन की याद गये।
बचपन की याद।
मैं अपने बचपन मे अपनी माँ और पापा के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे में सोती थी जब पापा छुटियों में घर आते थे तो माँ को जमके रात भर चोदते थे में बगल में से सबकुछ देखता था वो सोचते थे कि मै सो रहा हु उस वक़्त मेरी उम्र 18 साल थी मे देखता की कैसे पापा माँ के ऊपर चढ़ के उन्हें चोदते थे माँ उनसे कहती मत करिए जी समीर देख लेगा तो पापा कहते वो अभी बच्चा है।
और जब हर सुबह माँ मुझे नहलाती तो मेरा लन्ड अपने हाथों से साफ करती एक बार मैंने माँ से कहा कि माँ आप पिता जी नुनु मुह में क्यों लेती हो तो वो चौक गयी और कहा कि क्योंकि नुनु चाटने में बहुत मज़ा आता है मैन फिर माँ से कहा मेरा भी नुनु चुसो न माँ तो माँ ने मना कर दिया तो तो जिद करने लगा तो उन्होने कहा ठीक है पर किसी कोबताना मत मैने है कर दी तो माँ मेरे लुंड पे जीभ फिरने लगी मैंने माँ के बाल पकड़ लिए फिर 1 में मै गरम हो गया और माँ भी गरम हो गयी थी तो उन्होने कहा बेटा अब जाओ नुनु चूस दिया ना तो मैं जाने लगा मैंने पलट कर देखा तो माँ अपनी ब्रा उतार रही थी मैंने पहली बार उनकी चुचियो को देख पागल से हो गया और मेरा लन्ड थोड़ा अकड़ गया क्योंकि मैं झड़ा नही था। और फिर माँ फर्श पर लेट कर अपना हाथ पेटिकोट के अंदर दाल कर अपनी बुर सहलाने लगी मुझसे रहा नही गया तो मैं उनके पास गया और उनके ऊपर चढ़ गया जिसे माँ फिर चौक गयी और कहा अरे तू फिर आ गया फिर मैंने कहा कि माँ मेरे नुनु में दर्द हो रहा है इतना कहते ही में धक्के मारने लगा फिर माँ ने कहा धक्के क्यों मार रहा है फिर मैंने कहा अच्छा लग रहा ह माँ और अगला धक्का सीधा उनकी बुर बुर के दाने पे लगा जिसे उनकी सिसकी निकल गयी और फिरमैंने उनका पेटिकोट उठाया और धक्के पे धक्के मारने लगा फिर कुछ देर बाद माँ को भी मज़ा आने लगा और वो मुझसे कहने लगी और जोर से मार मेरे लाल पर उस वक़्त मेरा लन्ड इतना बड़ा नही था जो कि माँ को मैं चोद पाता पर मैं उनकी बुर पर अपना लन्ड घिसता गया और 10 मिनट बाद मेरे लन्ड कुछ बूंद पानी से निकल गया और माँ से कस के चिपक गया और मेरी आह निकल गयी माँ को इस बात का एहसास हो गया था और वो झड़ने लगी आह मेरे लाल कुछ देर बाद मैं उनके बगल मै लेट गया और सास लेने लग़ाफ़िर माँ मेरी ओर पलटी और कहा ये सब कहा से सीखा तूने फिर माँ से कहा कि जब पापा आप पे चढ़ हिलते थे तो मै देखा करता था इस पे माँ हँस पड़ी और कहा उसे हिलना नही कुछ और कहते है मेरे लाल इतना कह कर मेरे होठो पे चूमि दे दी और कहा अब बाहर जा मुझे नहाने दे और हा ये बात किसी से बताना मत मैंने हा कह दिया और बाहर आ गया।
फिर ये सिलसिला रोज का हो गया माँ जब मुझे नहलाती तो उन्हें पटक कर में उनपर चढ़ जाता धक्के मारने लगता माँ भी मुझे नही रोकती क्योंकि पिता जी जाने के बाद ये ही उनका सहारा था और सिर्फ नहाना ही नही यहाँ तक की माँ के साथ मे गुसलखाने में घुस जाता और मैं और माँ खूब मजा करते मगर फिर 2 महीने बाद सब बदल गया जब पिता जी मेरा दाखिल सेहर के हॉस्टल में करवा दिया और मै सहर चला गया और माँ फिर अकेले हो गयी।
To be continued.................
Fantastic updateUpdate. 2
फिर से स्वागत है दोस्तों
अब कहानी वर्तमान में।
तोड़ी देर घूमने के बाद में घर वापस आ गया चुदाई की कहानियां पढ़ने लगा फिर माँ ने मुझे आवाज लगाई की बेटा खाना तैयार है और खाना खाने के बाद अचानक बिजली चली गई माँ ने मुझसे कहा कि गांव में बिजली का यही हाल है फिर हम छत पर चले गए तोड़ा घूमने के लिए और हम एक खाट लगा कर बैठ गए और बातें करने लगे।
माँ- और बेटे सेहर में कैसा लगता था।
मै- ठीक था माँ पर गांव की बात ही कुछ अलग है।
माँ- पर अभी तुझे तोड़ी तकलीफ होगी यहां बिजली के कारण।
मै- कोई बात माँ इतना तो चलता हैं।
माँ- हा पर वहाँ तो ए सी आदत ह ना।
मै- ये सब छोड़ो माँ चलो कोई खेल खेलते हैं।
माँ- बेटा रात में कौनसा खेल खेलेगा ऊपर से बिजली भी नही है।
मै- माँ ताश खेलते है।
माँ- हा ताश ठीक रहेगा।
मै- ताश लेकर आता हूं।
माँ- वहाँ नही नीचे चल मेरे कमरे में मैं लालटेन जलाती हु।
मै- ठीक है माँ।
और फिर हम नीचे आ गये और मै ताश की गढ़ी लेकर माँ के कमरे में चला गया माँ पलंग पर मेरा इतंज़ार कर रही थी लालटेन की रोशनी में माँ बिल्कुल कामदेवी लग रही थीं मै माँ के पास गया और और पलंग पर बैठ गया माँ ने कहा चल पत्ते बाटो मैंने फिर कहा माँ पर ये खेल कुछ अलग तरीके का होगा माँ ने कहा क्या मतलब ह तेरा मैंने कहा कि जो हारेगा उसे जीतने वाला कोई काम करने को देगा जो उसे करना पड़ेगा।
माँ- ठीक है चलो पत्ते बाटो।
मै- ठीक ह माँ।
में पत्ते बाटने लगा अब वक्त था पहली चाल का माँ ने पहली चाल चली उनके पास तीन रानिया थी और माँ ने मुझसे कहा अब क्या करेगा राजा फिर मैंने अपने पत्ते फेके और माँ का मुंह खुल गया क्योंकि मेरे पास तीन बादशाह थे और मैंने कहा अब बोलो मेरी रानी फिर माँ ने कहा कि बताओ क्या करना पड़ेगा मैंने कहा कि माँ तुम्हे नाचना होगा फिर माँ खड़ी हो गई और कहा कि बिना गाने के कैसे नाचूँ मैंने फिर अपने मोबाइल में गाना लगा दिया और माँ नाचने लगी मुझे तो यकीन नही हो रहा था कि माँ इतना अच्छा नाचती है वो टूट टूट कर नाचने लगी जिसके कारण मेरा लन्ड अकड़ गया और में अपना लन्ड सहलाने लगा।
फिर दूसरा खेल शुरू हुआ और इसबार मैंने पहली चाल चली और मेरे पास फिर से तीन बादशाह थे फिर माँ ने अपनी चाल चली और इस बार माँ के पास तीन इक्के थे और मैं हार गया और माँ ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा ओह मेला बेटा तो हाल गया और वो हँसने लगी मैंने कहा कि क्या करना ह मुझे तो उन्होंने सोचते हुए कहा कि गोद में उठा कर दिखा मैंने कहा ठीक है और पलंग से उतर कर खड़ी हो गयी और मै उन्हें उठाने लगा पर फर्श पर पानी होने के कारण मेरा संतुलन बिगड़ गया और मै गिरगया और मेरे ऊपर गिर गई और हमारी छोटी सी चूमि हो गयी फिर मैने माँ को पलट कर उनके ऊपर चढ़ गया और ने भी अपनी टाँगे तोड़ी फैलाली मैंने उनकी आँखों मे देखकर कहा।
मै- माँ तुम कितनी सूंदर हो।
माँ- क्या बात ह आज बड़ी सूंदर लग रही हु तूझे।
मै- नही माँ तुम तो हमेशा से ही सुंदर थी।
माँ- अच्छा जी तो फिर क्यों चला गया मुझे अकेला छोड कर और कि आँखों मे आँसू आ गये।
मैं- माफ कर दो माँ पर पिता जी बात भी तो नही टाल सकता ना।
और हम कुछ देर यूही लेटे लेटे रोते रहे फिर कुछ समय बाद माँ ने मुझे कहा कि अब उठ बेटा और उठने से पहले मैंने एक धक्का लगाया जिसे माँ की सिसकी निकल गयी और माँ का मुंह खुल गया और मैंने अपनी जीभ उनके मुंह मे डाल दी और 5मिनट तक उनकी मुँह का लार पिता रहा फिर माँ ने मुझे अलग किया और मेरे ग्लो पे हल्की चपत लगा कर कहा है बदमास अब उठने भी दे।
उठने के बाद माँ ने कहा कि अब मुझे नींद आ रही है फिर मैंने माँ से कहा कि माँ मैं भी आपके पास सो जाऊ तो माँ ने कहा ठीक है पर कोई शैतानी नही मैंने कहा ठीक है और मेरे मन में लडडू फूटने लगे कि आज तो मज़ा आ गया आज के पास सोऊंगा फिर माँ ने कहा कि तू लेट में अभी आती हु मैंने कहा कहा जा रही हो माँ गुसलखाने में फिर मैंने कहा क्या करने तो माँ शर्मा गयी और मेरे कान में धीरे से कहा कि मूतने जा रही हूं तो हस्ते हुए चली गयी माँ के जाने के बाद में माँ के पलंग पर लेट गया और माँ की राह देखने लगा फिर माँ आई माँ को देखते ही मेरा लन्ड खड़ा हो गया क्योंकि माँ सिर्फ एक पेटिकोट और ब्रा में थी माँ मेरे पास आई और कहा।
माँ- अरे तूने कपड़े पहन कर सोयेगा क्या।
मै- नही माँ उतार रहा हु।
माँ- जल्दी उतार की मै लालटेन बंद कर दु।
मैं- कपड़े उतारते समय मेरी नज़र माँ की पीठ पर थी जो लगबग नंगी थी बस पतली सी ब्रा की लकीर थी।
कपड़े उतारने के बाद माँ ने लालटेन भुझा दी और मेरे बगल में लेट गयी।
और में माँ से चिपक गया माँ ने कहा क्या कर रहा ह सोने दे नींद आरही है और मेरा एक उनके पेट पर था और मेरा लन्ड उनकी जांघो पर रगड़ रहा था माँ को समझ मे आ गया था कि ये बिना झड़े सोयेगा नही तो माँ मेरी पलटी और कहा।
माँ- क्या हुआ मेरे बच्चे नींद नही आरही।
मै- नही माँ।
माँ- एक काम कर ना।
मै- क्या माँ।
माँ- मेरे उपर चढ़ के सोजा जैसे पहले सोता था।
मै- सच्ची माँ।
इतना कहते हुए माँ ने मुझे अपने ऊपर खीच लियाऔर अपनी टाँगे खोल दी ओर माँ ने पेटिकोट के बिलकुल नंगी थी और मैं उनके ऊपर चढ़ के दोनों हाथों से उन्हें जकड़ लिया अचानक कमरे में गर्मी बढ़ गई और मैंने माँ से कहा माँ मुँह खोलो ना और ने मुँह खोल दिया और मे उनका थूक और लार पीने लगा और फिर मैंने उनकी ब्रा की पत्तियां उनकी कंधे से उतार कर चूमने लगा अब माँ भी पूरे जोश में थी और में माँ का पेटिकोट उठाने लगे तो तभी माँ ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे कान में कहा आज ऐसे ही कर ले फिर मैं जोर जोर से धक्के पे धक्के मारने लगा और माँ भी अपनी उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
माँ- आह मेरे लाल।
मै- ओह माँ।
माँ- कितना तड़पती थी मैं तेरे जाने के बाद।
मै- अब मै आ गया हूं न माँ ( मेरा होने वाला है माँ)
माँ- बेटा मेरे मुँह में झाड़ दे।
औऱ माँ के इतना कहते ही मे उठा और माँ के मुंह मे लन्ड घुसा कर झड़ने लगा और मेरा माल पीने लगी झड़ने के बाद मैं हम सो गए।
To be continued...............
Fabulous updateUpdate. 3
स्वागत है दोस्तों।
तो जैसा की आप ने पिछले update में पढ़ा कि कैसे दोनों माँ बेटे ताश खेल कर मज़ा मारा तो अब आगे की कहानी।
सुबह हो चुकी थी 7बज रहे थे में उठा तो अकेला पलंग पर था माँ उठ चुकी थी मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आया मुझे बहुत जोर से मूत आ रहा था तो मैं घुसलखाने की ओर गया तो मैंने देखा कि दरवाजा बंद है मैंने दरवाजे को खटखटाया तो अंदर माँ थी मुझे उनकी मूत की सीटी सुनाई दी और मेरा लन्ड खड़ा हो गया।
माँ- क्या है बेटा।
मै- माँ मुझे मूतना है जल्दी करना।
माँ- अच्छा बस 1 मिनट रुक जा।
फिर माँ बाहर निकली और उन्होने अभी तक साड़ी नही पहनी थी और जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर घुसलखाने में गुस गया जिसे माँ चौक गयी और कहा।
माँ- अरे क्या कर रहा है।
मै- माँ मूतना है।
माँ- तो मूत ले ना।
मै- नही मूझे आपके साथ मूतना है।
माँ- अच्छा ठीक है जल्दी मूत।
मैंने उन्हें दीवार से लगाया और उनके होठ काटने लगा और माँ भी मुझे चूमने लगी।
माँ- छोड न बेटा।
मै- माँ करने दो ना।
माँ- रात में किया तो था।
मै- मूझे और चाहिए।
और मैंने उनका पेटिकोट उठाया और अपना लन्ड निकल लिया जिसे माँ डर गई और कहा।
माँ- यहाँ मत मेरे लाल कोई सुन लेगा।
मै- कुछ नही होगा माँ डरो मत।
माँ- देख तूझे मेरी कसम।
मै- एच ठीक है पर मूत तो लेने दो।
माँ- अच्छा बाबा जल्दी कर।
और मैंने अपना लन्ड उनकी बुर से सटा कर मूतने लगा जिसके कारण माँ कि बुर पेटिकोट और उनकी जांघे मेरे पेसाब से गीली हो गयी और मेरे गरम मूत से माँ की आह निकल गयी और माँ से रहा नही गया और वो भी मूतने लगी फिर मूत लेने के बाद मैंने एक धक्का मारा और माँ की सिसकी निकल गयी और ने गुस्से में कहा तूझे कहा था यहाँ मत कर और मैंने उन्हें छोड़ दिया पर उससे पहले मैंने अपना हाथ उनकी बुर पे से उनका मूत लेके चाट लिया जिसके कारण माँ मुस्कुरा पड़ी और कहा।
माँ- हो गया ना अब चल।
मै- है माँ हो गया।
और फिर माँ चली गयी और मैने अपने मन में कहा कि कब चोदे ने दो माँ मगर मुझे कोई जल्दी नहीं थी माँ मुझे भले ही चोदने न दे पर मज़ा खूब देती है।
फिर में मैने नाहा कर नास्ता किया और फिर तोड़ा घूमने चला गया पर तभी रास्ते मे कुछ पुराने दोस्त मिल गये और मैं उनसे बात करने लगा बात करते-2 समय का पता ही नही चला 7बज गए थे मै जल्दी से घर पहुंचा यो माँ मेरा इतंज़ार कर रही थी।
माँ- कहा था इतनी देर से।
मै- माफ़ कर दो माँ वो दोस्त से बात करते समय का पता ही नही चला।
माँ- ठीक ह कोई बात नही चलो खाना खाते है।
मै- हा चलो माँ।
फिर हमने मिलकर खाना खाया और बाते करने लगे।
माँ- तो का इरादा है।
मैं- क्या मतलब माँ।
माँ- यही की आज कोनसा खेल खेले।
मै- आप बताओ माँ।
माँ- आज कोई ताकत वाला खेल खेलते है जिसमें मा आये।
मै- कुस्ती कैसा रहेगा माँ।
माँ- है कुस्ती में मज़ा आएगा।
मै- पर माँ।
माँ- पर क्या।
मै- पर आप एक औरत है में तो आपको तुरंत हरा दूंगा।
माँ- बेटा जी मैं भी देसी औरत हु तुम जैसो को तो...।
मै- तुम जैसो को क्या माँ।
माँ- तुम जैसो को तो मूत के बहा दु।
मै- तो हो जाये फिर।
माँ- है क्यों नहीं।
फिर मैं और माँ उनके कमरे में चले गए और माँ ने दरवाजे की कुंडी लगा दी फिर माँ ने कहा चल शुरू करते है इसपे मैंने कहा कि माँ कुस्ती लड़ेंगे कहा यहां तो जगह ही नहीं है।
माँ- अब क्या करे।
मै- माँ एक काम करते हैं।
माँ- क्या मेरे लाल।
मै- मेरे कमरे में चलते है वहाँ काफी जगह हैं।
माँ- हा वही चलते है।
फिर हम मेरे कमरे में आ गए और कुस्ती की तैयारी करने लगे हमने जमीन पर बहुत सारे गद्दे बिछा दिए फिर मैंने माँ से कहा कि माँ हो जाये।
माँ- ऐसे ही कुस्ती करेगा क्या।
मै- तो फिर कैसे माँ।
माँ- सारे कपड़े उतार दे और सिर्फ चड्डी रह।
मै- ठीक ह माँ और मैंने सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ चड्ढी छोड़कर।
फिर माँ ने लालटेन जला दिया क्योंकि रात में बिजली काली जाती है।
माँ- बेटा जा तेल लेकर आ।
मै- माँ तेल क्यों।
माँ- अरे बेटा कुस्ती लड़ने से पहले सरीर पर तेल लगाना जरूरी होता हैं।
फिर मे तेल लेने चला गया और जब तेल लेके वापस आया तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि माँ भी अपनी साड़ी और ब्लॉस उतार चुकी थी वो सिर्फ पेटिकोट और ब्रा में थी।
माँ- ले आया तेल चल जल्दी से तेल लगा ले अपने पूरे सरीर पे।
मै- ठीक है माँ।
और हम अपने सरीर पर तेल लगाने लगे मै माँ तेल लगते हुए देखकर मन कर रहा था कि उन्हें पटक कर चोद दु। फिर हम तेल लगाने के बाद गद्दों पर आ गए फिर माँ ने कहा चल शुरू कर और हमारी कुस्ती शुरू हो गई माँ मुझे पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर मैंने उन्हें पीछे से पकड़ा और गड्ढे पे पटक दिया और उनपर चढ़ गया तेल के कारण हमारा सरीर बहुत चिपचिपा हो गया था जिसे हमे काफी मज़ा आ रहा था मैंने माँ पटक कर कहा कि अब बोलो को जीता पर तभी माँ ने मुझे पटक के चित्त कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और बोली अब बोल मेरे लाल कोन है ताकतवर माँ मेरे मेरे लन्ड पर बैठी थी जिसका अंदाजा उन्हें हो गया था मे भी कहा हार मानने वाला था मैंने नीचे से धक्के मारने लगा जिसे माँ की पकड़ ढीली हो गई और माँ से मैंने खुद को छुड़ा लिया
और फिर हम दोनों खड़े हो गए माँ फिर से मेरी ओर झपटी पर भी पीछे ना हटा और माँ की दोनों जांघो को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया और दीवार से लगाकर उन्हें चूमने लगा माँ भी मेरे होंठ काटने लगी फिर ने ब्रा उतार दी और मैं उनकी चुचियो को पीने लगा 10मिनट चूमा चाती के बाद हम अलग हुए क्योंकि कमरे में गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी पर मौसम को हमारा अलग होना अच्छा ना लगा और तेज़ ठंडी हवा चलने लगी और बारिश होने लगी माँ ने आँखों में देख रही थी तभी मैंने माँ से कहा माँ चलो न बारिश में नहाते है माँ ने कहा चल फिर माँ ने जल्दी से अपनी ब्रा पहनी और हम छत पर आ गये।
बारिश पूरे उफान पर थी और बिजली भी कड़क रही थी फिर हम दोनों बारिश का मज़ा लेने लगे बारिश के कारण हमारे कपड़े बिलकुल गीले हो चुके थे माँ पेटिकोट और ब्रा में बहुत मस्त माल लग रही थी ऊपर से गीली भी थी और फिर मुझसे रहा नही गया और मैंने उन्हें अपनी बाहों में खीच लिया फिर माँ ने कहा।
माँ- बेटा क्या कर रहा कोई देख लेगा।
मै- कोई नही है माँ इतनी बारिश में कौन देखेगा।
इतना कहते हुए मैंने उन्हें जमीन पर लेटा दिया और उनपर चढ़ गया और फिर उनकी ब्रा उत्तर दी और गिर हम चूमने लगी एक दूसरे को उसके बाद मैंने उनका पेटिकोट उतारने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे रोक दिया और कहा।
माँ- अभी ये सब नही मेरे लाल।
मै- कब करने दोगी माँ।
माँ- सही वक़्त आने पर मेरे लाल।
मै- पर कब माँ।
माँ- बहुत ही जल्द।
और फिर में कपड़ों के उपर से ही उन्हें चोदने लगा और फिर 10मिनट बाद मैंने माँ से कहा।
मै- माँ मेरा होने वाला है।
माँ- बेटा मेरे मुँह में दाल दे।
मै- ये लो मेरी प्यारी माँ।
झड़ने के बाद में और माँ मेरे कमरे में आ गए और मैने अपनी चड्डी उत्तर कर पलंग पर लेट गया और भी अपनी पेटिकोट और ब्रा उत्तर कर मेरे बगल में लेट गयी माँ और में बिलकुल नंगे थे मुझसे बर्दाश्त न हुआ ओर मैं एक बार फिर माँ पर चढ़ गया अपर माँ ने मुझे रोका नहीं बस इतना कहा।
माँ- फिर मन कर रहा है।
मै- हा माँ।
माँ- चल कर ले मगर अंदर मत डालना ऊपर से धक्के मार ले।
ये सुनकर मैं खुश हो गया क्योंकि पहली बार मे नंगी माँ की बुर से लन्ड छुआ था फिर मै धक्के मारने लगा और माँ भी गांड उठा कर मेरा साथ दे रही थी और मुझसे रहा ना गया और मैं उनकी बुर पर झड़ने लगा और फिर माँ से भी ना रहा गया और वो भी भलभला कर झड़ने लगी और हम दोनों का प्रेम रस मिल गया और मैं माँ के ऊपर से उतार गया और फिर माँ ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी माँ ने अपना हाथ बुर पे लेजा कर मेरे रास को बुर पर मलने लगी और अपनी चुचियो पर भी ये देखकर मैं खुश हो गया।
To be continued...............
Mast updateUpdate. 4
फिर से स्वागत है दोस्तों।
अब आगे।
सुबह के 7बज रहे थे मै उठा और फ्रेस होने चला गया उसके बाद मे माँ को ढूंढने लगा पर कही नज़र न आई पर तभी बाथरूम से गाने की आवाज सुनाई दी मै समझ गया कि माँ नहा रही है।
मैं भी बाथरूम की ओर चल पड़ा और दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर आवाज आई।
माँ- उठ गया मेरे लाल।
मै- हा माँ तुम नाहा रही हो क्या।
माँ- नही बेटे अभी कपड़े धो रही हूं बाद में नाहउँगी।
मै- माँ।
माँ- हा मेरे लाल।
मै- कुछ मदद चाहिए क्या।
माँ- है मेरे बेटे काफी कपड़े है तो खाली है तो आजा तोड़ी मदद हो जायेगी।
मै- माँ दरवाजा तो खोलो।
माँ- अच्छा रुक।
फिर माँ ने बाथरूम का दरवाजा खोला और अंदर गया तो मेरा लन्ड फिर अकड़ गया क्योंकि माँ उस वक़्त सिर्फ एक पेटिकोट में थी जो उन्होंने अपनी छाती पे बाँध रखा था।
में अंदर गया तो बिल्कुल नंगा था माँ ने मुझे एक तोलिया दिया और मे और माँ कपड़े धोने लगे माँ टट्टी करने की अवस्था मे बैठी थी जिसके कारण उनकी बुर के बाल मुझे नज़र आ रहे थे फिर हम काम करते करते बातें करने लगे।
मै- माँ आपको पापा की याद नहीं आती क्या।
माँ- थोड़ी उदास होकर) आती तो मेरे लाल पर नौकरी भी तो जरूरी है ना।
मै- हा माँ ये बात तो है।
माँ- पर इन आने वाली छुटियों में तेरे पापा और दीदी आने के बाद हम खूब मज़े करेंगे।
मै- हा माँ क्यों नहीं।
माँ- एक बात पूछू।
मै- हा माँ पूछो ना।
माँ- तुझे कंचन कैसी लगती है।
मै- अछि लगती है।
माँ- मेरा मतलब किसी नज़र से है।
मै- माँ अब तुमसे क्या छुपाना में कंचन दीदी को पसंद करता हु।
माँ- मतलब कंचन के साथ भी।
मै- हा माँ अगर दीदी मेरी बहन होती में उनसे शादी कर लेता।
माँ- सच में मेरे लाल इतना प्यार करता है कंचन से।
मै- हा माँ मै औऱ दीदी एक दूसरे के बहुत करीब है।
माँ- तुम दोनों के बीच को है तो नही।
मैं- नही माँ अभी तक तो कुछ नही है।
कपड़े धूल चुके थे और अब बारी थी नहाने की फिर माँ ने कहा कि बेटा बाहर जा मुझे नहाना है पर उनके पास गया और उनसे कहा माँ चलो ना आज मिलके नहाते है जैसे पहले नहाते थे फिर मुस्कुरा पड़ी और कहा तू नही मानेगा फिर मैंने कहा आखिर बेटा किसका हु इतना कहते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उनका पेटिकोट जमीन पर गिर गया और फिर मैंने भी अपना तोलिया उतार दिया अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।
और फिर माँ ने मेरा लन्ड थाम लिया और कहा कि बोल आज कैसे नहाए मैं भी उनकी बुर कुरेदने लगा और बाथरूम में सिसकारियां गूंजने लगी मैंने माँ से कहा माँ मुँह में लेलो ना फिर माँ बोली ठीक है मेरे लाल ओर फिर माँ मेरा लन्ड को को खूब चुसने ओर चाटने लगी फिर 10 मिनट के बाद माँ ने मुझसे कहा कि मेरे मेरी मुनिया चाट ले पी ले मेरी बुर का अमृत मेरे लाल और मे जमीन पर लेट गया और माँ मेरे मुँह पर अपनी बुर लेकर बैठ गई और उनकी मुनिया का अनमोल अमृत पिता गया फिर माँ से रहा नही गया और माँ भी जमीन पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैलाकर मुझे चढ़ने के बुला रही थी।
आजा मेरे लाल और क्या था मैं उनपर चढ़ गया और अपना लन्ड उनकी बुर में डालने की कोशिश की तो माँ ने मना कर दिया और फिरसे मै उपर से धक्के मारने लगा जिसके कारण हमारी सिसकी फुट पड़ी माँ मेरी अपने नाखूनों के नोच रही थी पर इस तड़प का भी एक अलग ही मज़ा था मैंने माँ आँखों मे देखकर धक्के मारने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी आँखें पूछ रही हो कि कब माँ आखिर कब तुम मुझे चोदने दोगी कब मुझे अपनी बुर में बीज डालने दोगी कब माँ।
माँ मेरे दिल की बात जानती थी कि उनका बेटा क्या चाहता है पर सविता भी यही चाहती थी उसका बेटा उसे चोद कर गड गड कर दे मगर सविता उसे अपनी बुर के साथ एक और तोफा देना चाहती थी।
मै- माँ मेरा होने वाला है।
माँ- पिला दें मुझे अपना बीज मेरे लाल।
मैं- ये ले मेरी रानी।
मैं माँ के मुँह में झड़ गया और हम साथ में नाहा कर बाहर आ गए उसके बाद हमने साथ मे खाना खाया और अपने कमरो में चले गए क्योंकि बाहर बारिश हो रही इसलिए घूमने भी नहीं जा सकता था।
और फिर मेरे दरवाजे पर दस्तक़ हुई तो मैंने दरवाजा खोला और सामने माँ खड़ी थी फिर माँ बोली।
माँ- क्या कर रहा मेरे लाल।
मै- कुछ नही माँ बस खाली बैठा हूँ।
माँ- चलो न कोई खेल खेलते है।
मै- पर माँ अभी तो दोपहर है।
पर तभी अचानक बिजली चली गयी और पूरी घर मे अंधेरा हो गया क्योंकि बाहर बारिश बहुत तेज़ हो रही थी फिर माँ बोली।
माँ- अब तो खेल सकते ह ना अब तो बिजली भी नहीं है।
मै- ठीक है माँ पर क्या खेले।
माँ- क्यों ना हम सच और साहस(Truth and Dare) खेले।
मै- है माँ ये ठीक है।
माँ- चलो फिर।
मै- कहाँ माँ।
माँ- मेरे कमरे में।
हम माँ के कमरे में आ गए फिर माँ ने लालटेन जलाई ओर खेल शुरू हुआ माँ ने बोतल घुमाई और बोतल और मेरी ओर रुकी फिर माँ ने पूछा सच या साहस मैंने सच चुना तो माँ ने पूछा कि क्या तूने कभी किसी को चोदा है तो मैंने ना में जवाब दिया फिर माँ ने बोतल घुमाई और इस बार बोतल माँ पर रुकी फर मैंने पूछा सच या साहस माँ ने साहस चुना तो मैंने कहा कि आप अपनी साड़ी और ब्लॉस उतार दो फिर माँ खड़ी हुई और अपना साड़ी का पल्लु उतार दिया और अपनी साड़ी खोलने लगी साड़ी उतारने के बाद वो अपनी ब्लॉस के हुक खोलने लगी ऐसा करते हुए वो मेरी आँखों में देख रही थी जैसे वो मुझे ओर तड़पना चाहती हो।
एक बार फिर माँ ने बोतल घुमाई इस बोतल मुझ पर रुकी इस बार मैंने साहस चुना तो माँ ने की तुम अपने सारे कपङे उतार दो चड्डी भी फिर मैंने सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लन्ड देखकर माँ मुस्कुरा कर अपनी मुनिया खुजलाने लगी।
फिर बोतल घुमाई फिर से बोतल मुझ पर रुकी तो इस बार मैंने सच चुना तो माँ ने पूछा कि तुम सबसे पहले किसे चोदना चाहते हो तो बोल पड़ा कि मैं सबसे पहले तुम्हे चोदना चाहता हूँ ये सुनकर माँ हस पड़ी और उठ कर माँ पास गया और माँ की बाड़ी(bra) फाड़ दी और उनकी चूची मिसने लगा औऱ माँ भी मेरे बालो को सहला रही थी फिर माँ बोली।
माँ- दूध पीना है।
मै- हा माँ
माँ- तो पिले ना।
मै- पर इनमे दूध कहाँ हैं माँ।
माँ- बहुत जल्द होगा।
फिर मैं खड़ा हुआ और मुठ मारने लगा और मैंने माँ से कहा कि माँ अपना थोड़ा थूक दो ना फिर उन्होंने मेरे लन्ड पर ढेर सारा थूक दिया जिससे मेरा लन्ड चिकना हो गया और 10मिनट मुठ मारने के बाद मैंने सारा बीज उनकी चुचियो पर छोड़ दिया और माँ ने सारा बीज अपनी मोटी चुचियो पर मल लिया और मैंने माँ से कहा कि माँ अपनी चुचियो को धोना मत तो माँ बोल पड़ी ठीक है मेरे लाल फिर माँ ने दूसरी ब्रा पहन ली और में अपने कमरे मे थोड़ी देर सोने चला गया।
To be continued...........
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तो स्वागत है दोस्तों।
शाम के 7बज रहे थे मैं उठा और कमरे से बाहर निकला तो माँ कही नज़र नहीं आयी तो मैंने माँ को आवाज लगाई तो माँ बोली में रसोई घर मैं हु मेरे लाल यो रसोई में गया तो मेरा लन्ड एक बार फिर अकड़ गया क्योंकि माँ अभी भी ब्रा और पेटिकोट में थी एयर उनकी चुचिया चमक रही थी मेरे बीज के कारण में माँ के पास गया और उन्हें अपनी बाहों में भर कर बोला।
मे- माँ तुमने अपनी छाती धोई नही देखो न तुम्हारी चुचिया कितनी चमक रही है।
माँ- तूने ही बोला था कि मत धोना।
मै- वैसे माँ मेरा बीज तुम्हारी छातियों पर अच्छा लग रहा है।
और इतना कहते ही मे फिर से उनकी चुचिया दबाने लगा और ब्रा उनकी निपल से हटा कर उन्हें मिसने लगा जिससे माँ सिसकारियां लेने लगी।
माँ- छोड़ ना लाल क्या कर रहा है।
मै- करने दो ना माँ।
माँ- अभी नही बाद में कर लेना।
मैं- कब माँ।
माँ- रात में मेरे लाल।
और फिर मैंने माँ को छोड़ दिया और बाहर जाने लगा तो माँ बोली।
माँ- सुन बेटा।
मै- हा माँ बोलो।
माँ- एक काम कर दे।
मै- कैसा काम माँ।
और माँ ने मुझे एक छोटी सी सीसी दी और कहा ब मेरे लाल इसमे अपना बीज दाल दे।
फिर मैंने माँ से पूछा।
मै- क्यों माँ।
माँ- वो मैं तेरे बीज को दाल में डाल कर खाऊँगी बहुत अच्छा लगता हैं तेरे बीज का स्वाद मुझे।
फिर मैंने माँ से कहा।
मै- पर माँ मेरा बीज ऐसे नही निकलेगा तुम कुछ मदद कॅरोना।
माँ- अच्छा ठीक है ये ले।
इतना कहते हुए माँ ने अपनी ब्रा उतारी और अपनी बुर पर रगड़ कर मेरे करीब आयी और अपनी ब्रा मेरी चड्डी में डाल दी फिर मैंने उन्हें बाहो में जकड़ लिया और बोला माँ ब्रा तो ठीक है पर लन्द कैसे चिकना होगा तो ने मुँह खोला और उसमें ढेर सारा थूक दिया और बोली अब जा मेरे लाल मुझे खाना बनाने दे।
फिर मे रसोई से बाहर आया और कमरे मे जाकर माँ का थूक अपने लन्द पर लगा दिया और माँ की ब्रा को चाटने लगा जिसमें उनकी बुर का पानी लगा था और मुठ मारने लगा औऱ 5मिनट बाद ही मेरे लन्द पानी फेक दिया और मैंने अपना पानी उस सीसी में दाल दिया जिसे सीसी पूरी भर गई और और थोड़ा पानी मैंने माँ की ब्रा में डाल दिया जिसे उनकी ब्रा भी पूरी गीली हो गई।
फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं रसोई घर में गया तो माँ बोली।
माँ- आ गया मेरे लाल।
मे- हा माँ ये लो सिशी।
माँ- अरे वाह येतो पूरी भर दी तूने।
मे- और ये लो अपनी ब्रा।
माँ में अपनी ब्रा ले जो कि पूरी गीली थी तो माँ से रहा न गया और उसे सूंघ लिया और चाटने लगी और फिर माँ ने वो ब्रा पहन भी ली जो मेरे बीज से गीली थी फिर माँ ने मुझे एक चूमि दी और फिर हम खाना खाने लगे।
खाना खाने के कुछ ही देर बाद बिजली चली गयी रात के 9बज रहे थे फिर मे और माँ गप्पे मारने लगे माँ बोली मेरे लाल तेरे बीज ने खाना और स्वादिष्ट बना दिया।
मै- माँ आज कोनसा खेल खेले।
माँ- तू बता कोनसा खेल खेलना ह तुझे।
मै- माँ क्यों न आज लुका छुपी( चुपम छपाई) खेले।
माँ- अरे हा इस खेल में बहुत मज़ा आता है।
मै- तो चलो माँ चुपम छुपाई खेलते हैं।
फिर माँ ने सारी लालटेन बुझा दी फिर हमने टॉस किया तो पहली बारी मेरी थी खोजने की फिर छिप गए और गिनती शुरू की फिर की आवाज आई आ जाओ गिर मे माँ को खोजने लगा पहले मैंने माँ के कमरे में गया पर माँ वहाँ नही थी फिर अपने कमरे में गया लेकिन माँ वहाँ नही मिली उसके बाद में रसोई में गया माँ वहाँ भी नही मिली पर तभी अचानक मुझे कुछ दिख और मे समझ गया कि ये माँ ये क्योंकि उनकी चुचिया चमक रही थी मेरे बीज के कारण।
माँ मुझे बाथरूम में घुसते नज़र आई ओर मैं भी दबे पांव बाथरूम की ओर चल दिया और मैं बाथरूम के बगल में छुप गया तब बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर आई तो मै पीछे से गया और उनकी दोनों मोटी चुचिया दबाकर कहा कि माँ मैंने तुम्हें खोज लिया।
अब बारी थी माँ की खोजने की और मे छुप गया फिर माँ मुझे खोजने लगी फिर मैंने सोचा क्यों न घुसलखाने में छुप जाऊ पर फिर में बाथरूम में छिप गया और माँ मुझे खोजने लगी पहले माँ ने कमरो में देखा पर वहाँ नही था फिर माँ रसोई घर मे गयी मैं वहाँ भी नहीं था फिर माँ मुझे घुसलखाने में जाती नज़र आई और मे दबे पांव उनके पीछे गया और घुसलखाने में उन्हें धप्पा कर दिया और फिर माँ बोली।
माँ- अरे मैं तो फिर हार गई।
फिर माँ के इतना कहते ही मैंने गुसलखाने की कुंडी लगा दी और हम दोनों में थे और मैंने माँ जकड़ लिया और उनके होंठ चूमने लगा ओर फिर माँ भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने माँ की ब्रा उतार दी और गुसलखाने में खड़े खड़े उन्हें छेड़ने लगा और फिर उसके बाद उनका पेटिकोट उठाने लगा तो माँ बोली।
माँ- रुक जा मेरे लाल।
मै- क्या हुआ माँ।
माँ- मेरी गण्ड मरेगा।
मै- क्या।
माँ- मेरी गण्ड मरेगा।
मै- सच माँ।
माँ- हा बिलकुल सच।
माँ के इतना कहते ही मेने अपनी चड्डी उतार दी माँ का पेटिकोट उतारने लगा तो माँ बोली पेटिकोट उठा कर करले फिर लन्द सहलाने लगा और फिर माँ ने मेरे लन्द पर थूक कर उसे चिकना कर दिया फिर माँ ने अपना पेटिकोट उठा कर उसे पकड़ लिया और मैंने उनकी एक टांग उठायी और अपना लन्द उनकी गण्ड के छेद पर लगाया और पहला धक्का मारा पर मेरा लन्द फिसल गया मैंने फिर दूसरा धक्का मारा इस बार लन्द का टोपी उनकी गण्ड में घुस गया और धक्के में मेरा पूरा लन्द उनकी गांड में समा गया और माँ की चीख निकल गयी और मैम धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब माँ को भी मज़ा आने लगा और वो भी सिसकने लगी और हम एक दूसरे का थूक पीने लगे।
माँ को गण्ड मराने मैं इस इसलिए ज्याद तकलीफ नहीं हुई क्योंकि पापा भी माँ गण्ड चोदते थे।
उसके बाद मैं माँ की चोदता गया क्योंकि भले ही बुर न तो गण्ड ही तो मिली और चोदते हुए मैंने माँ से कहा कि माँ अपनी बुर कब दोगी तो उन्होंने कहा कि बस वक़्त और मेरे लाल उसके बाद जितना चाहे चोद लियो मेरी बुर और माँ की गण्ड घचा घच चोदता रहा 30मिनट बाद मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने इस बार माँ को नही बताया और उनकी गण्ड में ही झड़ने लगा और मेरे बीज की गर्मी से वो भी झड़ने लगी।
खड़े खड़े चुदाई के बाद हम घुसलखाने से निकले और माँ के कमरे में आ गए फिर हमने सारे कपड़े उतारकर पलंग पर लेट गये फिर 5 ही मिनट बाद मेरा लन्द फिर खड़ा हो गया और मैंने फिर माँ की 20 मिनट गण्ड मारी उसके बाद फिर थोड़ी देर बाद एक बार ओर 15 मिनट गण्ड मारी।
उसके बाद माँ उठ कर बाथरूम जाने लगी फिर मेरे उनका हाथ पकड़ लिया ओर पूछा कहा जा हो माँ।
माँ- मूतने।
मै- मुझे भी मूतना है।
माँ- चल फिर।
फिर माँ मेरा लंड पकड़कर बाथरूम में ले गयी और माँ को मूतता देख मुझे फिर चोदने का मन करने लगा और एक बार फिर मैंने माँ को पटक दिया और बाथरूम में ही उनकी गांड मारने लगा उस रात मैंने माँ की 4बार गांड मारी उसके बाद हम इतना थक गए कि हम बाथरूम में ही सो गए।
To be continued..............
Zabardast hot ?????? updateUpdate.6
स्वागत है दोस्तों एक बार फिर से।
तो पिछली बार जैसा अपने पढ़ा कि आखिरकार सविता ने अपने लाडले बेटे को गांड मरवाई और अपने लाल को खुश किया।
अब आगे।
सुबह के 8बज चुके थे पर दोनों अभी तक नही उठे थे फिर कुछ देर बाद सविता की आँख खुली और वो तो उसका पूरा शरीर दर्द हो रहा था हो भी क्यों न आखिर 4बार जो गांड मारी थी समीर ने इसकी फिर वो उठी और नहाने लगी जिसके कारण समीर की आँख खुली और वो उठ गया क्योंकि दोनों बाथरूम में ही सो गए थे।
समीर उठा तो उठाने देखा कि उसकी माँ नाहा रही थी ओर उसका लन्द फिर अकड़ गया और फिरवो उठ कर सविता के करीब गया और बोला।
मैं- माँ तुम कब उठी।
माँ- बस अभी मेरे लाल।
फिर दोनों साथ नहाने लगे फिर मुझसे रहा ना गया और मैंने माँ को जकड़ लिया और उन्हें दीवार से लगा कर चूमने लगा ओर माँ भी मुझे चूमने लगी फिर बोली।
माँ- फिर गांड मारनी है।
मै- नही माँ।
माँ- तो फिर।
मै- आपकी बुर माँ।
माँ- मेरी बुर को भूल जा मेरे लाल।
मै- पर क्यों माँ।
माँ- क्योंकि मेरी बुर पर सिर्फ तेरे पापा का हक़ है।
मै- माँ बस एक बार।
माँ- पर मेरे लाल आज से मेरी महावारी शुरू हो गई हैं।
ये सुनकर मैं उदास हो गया और और फिर फिर गण्ड मारली औऱ फिर बाहर आगया फिर माँ ने खाना बनाया और खाना खाने के बाद में बाहर घूमने चला गया ओर कुछ देर बाद मुझे कंचन दीदी का कॉल आया।
दीदी- कैसा ह कुत्ते। दीदी ने प्यार से कहा।
मै- ठीक हु मेरी कुतिया। प्यार से।
दीदी- माँ कैसी है घर मे सब ठीक तो ना।
मै- है दीदी सब ठीक पर।
दीदी- पर क्या।
मै- अपकी बहुत याद आ रही है दीदी।
दीदी- सच्ची भाई।
मै- दीदी कुछ दिनों के लिए आ जाओ न।
दीदी- अरे यही तो बताने के कॉल किया ह तुझे मैं आ रही हु अगले हफ्ते।
मै- सच दीदी मज़ाक मत करो।
दीदी- तेरी कसम मेरे भाई।
मै- फिर तू मज़ा आ जायेगा दीदी।
दीदी- अच्छा जी आने दे मुझे अगले बताउंगी।
मे- क्या दीदी।
दीदी- मेरी मार ओर क्या।
मै- दीदी अब मुझे नही मार पाओगी।
दीदी- क्यों मेरे कुत्ते।
मै- क्योंकि मैं अब कुतिया पर चढ़ने लायक हु।
दीदी- अच्छा अब मुझे जाना ह अगले हफ्ते मिलते ह बाई।
मै- बाई दीदी।
में बहुत खुश था कि दीदी आ रही हैं पर थोड़ा उदास भी था क्योंकि दीदी के आने के बाद मै ओर माँ मज़े नही कर पाएंगे।
उसके बाद मे घर पहुंचा तो शाम के 7बज रहे थें मै रसोई घर में गया तो तो माँ मुर्गा बना रही थी।
माँ- आ गया मेरे बच्चे।
मै- है माँ।
माँ- चल खाना खाते है।
मै- ठीक है माँ।
और फिर खाना खाने के बाद माँ बोली बेटा जरा बाजार चल मुझे कुछ सामान लेने है फिर बाजार के लिए निकल हए फिर ने सामान लिया और बोली बीटा तू रुक में अभी आयी फिर एक दवाई की दुकान पर चली गयी और कुछ लेने लगी मुझे लगा शायद पैड ले रही होंगी फिर उसके बाद हम घर आगये फिर माँ बोली।
आज क्या इरादा है।
माँ- आज क्या खेले मेरे लाल।
मै- आपही बताओ माँ।
माँ- बेटा जी आज घर घर खेले में पत्नी बनूँगी और तुम पति।
मै- सच माँ चलो फिर।
माँ- इतनी जल्दी क्या है जी अभी तोफा इंजतार तो करो में तो सजने।
मै- पर माँ सजने की क्या जरूरत है।
माँ- थोड़ी देर बाद पता चल जायेगा।
फिर माँ कमरे में चली गयी और मै माँ का इन्तज़ार करने लगा फिर पूरे 2घण्टे बाद माँ बाहर निकली और बोली तुम अब घर के अंदर वापस आओ में फिर थोड़ी देर बाद वापस आया और माँ ने दरवाजा खोला तो चौक गया माँ ने एक लाल रंग का पेटिकोट और लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी और उसपे दुपट्टा दाल रखा था और माँ ने पैरो में पायल कमर के करधन पैरो बिछिया हाथो में चूड़ी उंगलियों में अंगूठी कान में झुमके नाक में नथुनी होठो पे लाली माथे पे बिंदी मांग में सिंदूर गले मे मंगलसूत्र माँ पत्नी और रांड का मिला जुला रूप लग रही थी।
दरवाजा खोलते हुए।
माँ- जी आप आ गए।
ये सुनकर मैं पागल से हो गया क्योंकि माँ बिलकुल मेरी पत्नी जैसी बातें कर रही थी।
में- हा सविता।
ये सुनकर माँ थोड़ा लाजा गयी और बोली।
माँ- अंदर चलिए न जी
मैं अंदर गया फिर माँ ने मेरे पैर छूने के झुकी मैंने माँ को।पकड़ लिया बोला।
मै- सविता उठो।
फिर माँ उठी और बोली चलिए खाना खा ली जिये और मै बोला मुझे भूक नही है इसपे माँ बोली तो फिर में आपके लिए दूध लाती हु माँ दूघ लेने चली गयी और मे माँ के कमरे में चला गया फिर दूध ले आयी फिर माँ मुझे दूध पिलाने लगी मैंने आधा दूध पी लिया और आधा दूध माँ को पिलाने लगा माँ बोली रुकिए और माँ उसमे मेरा बीज मिलने लगी और फिर दूध पी गयी दूघ पीने के बाद हम पंलग पर आ गए
और हम बाते करने लगे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी सुहागरात है।
माँ- मै आपके पैर दबा दु जी।
मै- हा दबा दें सविता।
पैर दबाते हुए।
माँ- सुनिये जी।
मै- है बोलो।
माँ- मेरा महीना चल रहा है।
मै- तो क्या हुआ मेरी रानी।
इतना कहते हुए मैंने माँ को अपनी बाहों में खींच लिया और माँ बोली जी मुझे एक नन्हा मुन्ना चाहिए जी।
फिर में माँ को चूमने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी फिर मैं एक एक करके माँ के गहने उतारने लगा फिर मैंने माँ दुपट्टा हटा कर इनकी ब्रा उत्तर दी और चूची पीने लगा फिर माँ ने मेरे सरर कपड़े उतार दिए और मैंने भी माँ का पेटिकोट उत्तर दिया फिर माँ मेरा लंड चूसने लगी और मै माँ की मुनिया चाटने लगा 10 मिनट बाद हम हमारा पानी निकाल गया उसके बाद में माँ पर चढ़ गया और मेरा लन्ड फिर खड़ा हो गया था और फिर मे ऊपर से धक्के मारने लगा फिर माँ बोली रुक और माँ अपना मेरे लन्ड को पकड़ कर बुर में घुसा दिया मुझसे रहा न गया और मैंने एक धक्के में माँ की बच्चेदानी पे ठोकर मारा और चीख पड़ी और मै पुती ताकत से माँ को पेलने लगा ।
मै- मेरा होने वाला ह माँ।
माँ- भर दे मेरी कोख मेरे लाल अपने बीज से।
और में झड़ने लगा और माँ भी मेरे साथ झड़ने लगी उस रात मैंने माँ को 3बार चौदा और बीज डाला।
To be continued.......
Ok bhai intjar hai next updateदोस्तो अभी रक और कहानी पे काम कर रहा था इसलिए थोड़ा वक़्त लग रहा है।
बहुत बहुत शुक्रिया इतना प्यार के लिए।