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माँ पर कविता
एक रात काली काली थी
जब मम्मी चुदने वाली थी
हर तरफ घनघोर अंधेरा था
बस बारिश का पहरा था
घर में मेरी माँ अकेली थी
जो कई लंडो पर खेली थी
काली साडी में गोरी सी
मम्मी लगी थी छोरी सी
एक दिया जलाकर लाया मैं
मम्मी से आँख मिलाया मैं
फिर लगा के ताला गेट के
मैंने लण्ड निकाला लेट के
वो देख के बोली शर्म कर
माँ हूँ तेरी भगवान से डर
मेरे पीछे-पीछे घूमता है
मुझे बात-बात में चूमता है
कभी कमर पर हाथ लगता है
कभी खुलकर चुचे दबाता है
कभी गले लगा कर गांड में
जबरदस्ती ऊँगली घुसाता है
मैं परेशान हूँ इस परिपाटी से
तेरी जापानी चूमा-चाटी से
तूने दबा दबा के छाती भी
गहरी कर दी है घाटी से
मैं तुझसे अब थक-हार चुकी
जीते जी खुदको मार चुकी
तुझे पैदा करके रोती हूँ
कभी चैन से नहीं सोती हूँ
तू चाहे तो आज चोद भी ले
अपनी माँ की बुर खोद भी ले
पर एक दिन तू पछतायेगा
जब तेरा मन भर जाएगा
मैंने थप्पड़ खींच के मार दिया
माँ का सारा ज्ञान उतार दिया
फिर तेल लगा के घोड़े पे
उसे बैठा लिया मेरे लोडे पे
जैसे ही बिल में नाग गया
मेरे अंदर जानवर जाग गया
मम्मी शर्म के मारे बेहाल हुई
मेरा लण्ड घुसते ही लाल हुई
मैंने उठा उठा के पेलाने लगा
माँ के जज्बातों से खेलने लगा
माँ बोली बेटा बस कर अब
तूने चोद लिया है कसकर अब
कभी आगे से कभी पीछे से
तूने सुज्जा दिया मुझे नीचे से
सारी रात लण्ड पे नचा लिया
जोबन का पानी बरसा लिया
मेरी चुत में तूने झाड़ दिया
घाघरा चोली सब फाड़ दिया
सगी माँ हूँ सौतली नहीं
इतना तो कभी झेली नहीं
अब थोड़ी देर तो सोने दे
दिल भरके मुझको रोने दे
मैंने हाथ पकड़ के खींच लिया
माँ को बांहों में भींच लिया
फिर जुल्फ सवारके हाथों से
मैंने चुम लिया जज्बातों से
माँ बोली बेटा और नहीं
मैं बोला मम्मी शोर नहीं
माँ बोली ये दिन पावन है
मैं बोला मम्मी सावन है
माँ बोली आह्ह आराम से
तू चोद रहा है शाम से
ऐसा क्या मुझमे ख़ास है
जिसकी तुझे इतनी प्यास है
मैं बोला क्या क्या बताऊ मैं
मेरी आखों से देख दिखाऊ में
जन्नत की हूर से ज्यादा हसीन है तू
ऊपर मीठी और नीचे नमकीन है तू
तू हसे तो फूल खिलते है
तेरे चुचे कितने हिलते है
तेरी गांड मटकती देखकर
बच्चे भी लुल्ली मलते है
पुरे गाँव ने होली सपनो में
तेरे साथ ही खेली लगती है
हर औरत तुझसे जलती है
जितनी भी मैंने पेली है
तेरे नाम की मुठी मार मार के
दिवार डहा दी लोगों ने
तेरे नाम से दारू बिकती है
तेरी रेट लगा दी लोगों ने
मेरे दोस्त तुझपर मरते है
बस मुझसे ही वो डरते है
वरना लण्ड पकड़ के हाथों में
सब तेरी बातें करते है
चल आजा मुँह में ले ले अब
और चूस चूस के पिले सब
पिले मेरे लोडे का माल तू माँ
और मुझे अपना बनाले इस साल तू माँ
माँ ने मेरी बातें सुनकर के
मेरे लंड को ठंडा कर डाला
और बहा के पानी जोबन का
मेरी आग को ठंडा कर डाला
माँ से फिर मेरी बात हुई
नये रिश्ते की शुरुआत हुई
सुबह शाम और रातों में
बस चुत लंड की बात हुई
एक रात काली काली थी
जब मम्मी चुदने वाली थी
हर तरफ घनघोर अंधेरा था
बस बारिश का पहरा था
घर में मेरी माँ अकेली थी
जो कई लंडो पर खेली थी
काली साडी में गोरी सी
मम्मी लगी थी छोरी सी
एक दिया जलाकर लाया मैं
मम्मी से आँख मिलाया मैं
फिर लगा के ताला गेट के
मैंने लण्ड निकाला लेट के
वो देख के बोली शर्म कर
माँ हूँ तेरी भगवान से डर
मेरे पीछे-पीछे घूमता है
मुझे बात-बात में चूमता है
कभी कमर पर हाथ लगता है
कभी खुलकर चुचे दबाता है
कभी गले लगा कर गांड में
जबरदस्ती ऊँगली घुसाता है
मैं परेशान हूँ इस परिपाटी से
तेरी जापानी चूमा-चाटी से
तूने दबा दबा के छाती भी
गहरी कर दी है घाटी से
मैं तुझसे अब थक-हार चुकी
जीते जी खुदको मार चुकी
तुझे पैदा करके रोती हूँ
कभी चैन से नहीं सोती हूँ
तू चाहे तो आज चोद भी ले
अपनी माँ की बुर खोद भी ले
पर एक दिन तू पछतायेगा
जब तेरा मन भर जाएगा
मैंने थप्पड़ खींच के मार दिया
माँ का सारा ज्ञान उतार दिया
फिर तेल लगा के घोड़े पे
उसे बैठा लिया मेरे लोडे पे
जैसे ही बिल में नाग गया
मेरे अंदर जानवर जाग गया
मम्मी शर्म के मारे बेहाल हुई
मेरा लण्ड घुसते ही लाल हुई
मैंने उठा उठा के पेलाने लगा
माँ के जज्बातों से खेलने लगा
माँ बोली बेटा बस कर अब
तूने चोद लिया है कसकर अब
कभी आगे से कभी पीछे से
तूने सुज्जा दिया मुझे नीचे से
सारी रात लण्ड पे नचा लिया
जोबन का पानी बरसा लिया
मेरी चुत में तूने झाड़ दिया
घाघरा चोली सब फाड़ दिया
सगी माँ हूँ सौतली नहीं
इतना तो कभी झेली नहीं
अब थोड़ी देर तो सोने दे
दिल भरके मुझको रोने दे
मैंने हाथ पकड़ के खींच लिया
माँ को बांहों में भींच लिया
फिर जुल्फ सवारके हाथों से
मैंने चुम लिया जज्बातों से
माँ बोली बेटा और नहीं
मैं बोला मम्मी शोर नहीं
माँ बोली ये दिन पावन है
मैं बोला मम्मी सावन है
माँ बोली आह्ह आराम से
तू चोद रहा है शाम से
ऐसा क्या मुझमे ख़ास है
जिसकी तुझे इतनी प्यास है
मैं बोला क्या क्या बताऊ मैं
मेरी आखों से देख दिखाऊ में
जन्नत की हूर से ज्यादा हसीन है तू
ऊपर मीठी और नीचे नमकीन है तू
तू हसे तो फूल खिलते है
तेरे चुचे कितने हिलते है
तेरी गांड मटकती देखकर
बच्चे भी लुल्ली मलते है
पुरे गाँव ने होली सपनो में
तेरे साथ ही खेली लगती है
हर औरत तुझसे जलती है
जितनी भी मैंने पेली है
तेरे नाम की मुठी मार मार के
दिवार डहा दी लोगों ने
तेरे नाम से दारू बिकती है
तेरी रेट लगा दी लोगों ने
मेरे दोस्त तुझपर मरते है
बस मुझसे ही वो डरते है
वरना लण्ड पकड़ के हाथों में
सब तेरी बातें करते है
चल आजा मुँह में ले ले अब
और चूस चूस के पिले सब
पिले मेरे लोडे का माल तू माँ
और मुझे अपना बनाले इस साल तू माँ
माँ ने मेरी बातें सुनकर के
मेरे लंड को ठंडा कर डाला
और बहा के पानी जोबन का
मेरी आग को ठंडा कर डाला
माँ से फिर मेरी बात हुई
नये रिश्ते की शुरुआत हुई
सुबह शाम और रातों में
बस चुत लंड की बात हुई