• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

माँ पर कविता

Firoza

Member
285
662
94
माँ पर कविता



एक रात काली काली थी

जब मम्मी चुदने वाली थी



हर तरफ घनघोर अंधेरा था

बस बारिश का पहरा था



घर में मेरी माँ अकेली थी

जो कई लंडो पर खेली थी



काली साडी में गोरी सी

मम्मी लगी थी छोरी सी



एक दिया जलाकर लाया मैं

मम्मी से आँख मिलाया मैं



फिर लगा के ताला गेट के

मैंने लण्ड निकाला लेट के



वो देख के बोली शर्म कर

माँ हूँ तेरी भगवान से डर



मेरे पीछे-पीछे घूमता है

मुझे बात-बात में चूमता है



कभी कमर पर हाथ लगता है

कभी खुलकर चुचे दबाता है

कभी गले लगा कर गांड में

जबरदस्ती ऊँगली घुसाता है



मैं परेशान हूँ इस परिपाटी से

तेरी जापानी चूमा-चाटी से

तूने दबा दबा के छाती भी

गहरी कर दी है घाटी से



मैं तुझसे अब थक-हार चुकी

जीते जी खुदको मार चुकी



तुझे पैदा करके रोती हूँ

कभी चैन से नहीं सोती हूँ



तू चाहे तो आज चोद भी ले

अपनी माँ की बुर खोद भी ले



पर एक दिन तू पछतायेगा

जब तेरा मन भर जाएगा



मैंने थप्पड़ खींच के मार दिया

माँ का सारा ज्ञान उतार दिया



फिर तेल लगा के घोड़े पे

उसे बैठा लिया मेरे लोडे पे



जैसे ही बिल में नाग गया

मेरे अंदर जानवर जाग गया



मम्मी शर्म के मारे बेहाल हुई

मेरा लण्ड घुसते ही लाल हुई



मैंने उठा उठा के पेलाने लगा

माँ के जज्बातों से खेलने लगा



माँ बोली बेटा बस कर अब

तूने चोद लिया है कसकर अब



कभी आगे से कभी पीछे से

तूने सुज्जा दिया मुझे नीचे से



सारी रात लण्ड पे नचा लिया

जोबन का पानी बरसा लिया



मेरी चुत में तूने झाड़ दिया

घाघरा चोली सब फाड़ दिया



सगी माँ हूँ सौतली नहीं

इतना तो कभी झेली नहीं



अब थोड़ी देर तो सोने दे

दिल भरके मुझको रोने दे



मैंने हाथ पकड़ के खींच लिया

माँ को बांहों में भींच लिया



फिर जुल्फ सवारके हाथों से

मैंने चुम लिया जज्बातों से



माँ बोली बेटा और नहीं

मैं बोला मम्मी शोर नहीं



माँ बोली ये दिन पावन है

मैं बोला मम्मी सावन है



माँ बोली आह्ह आराम से

तू चोद रहा है शाम से



ऐसा क्या मुझमे ख़ास है

जिसकी तुझे इतनी प्यास है



मैं बोला क्या क्या बताऊ मैं

मेरी आखों से देख दिखाऊ में



जन्नत की हूर से ज्यादा हसीन है तू

ऊपर मीठी और नीचे नमकीन है तू



तू हसे तो फूल खिलते है

तेरे चुचे कितने हिलते है

तेरी गांड मटकती देखकर

बच्चे भी लुल्ली मलते है



पुरे गाँव ने होली सपनो में

तेरे साथ ही खेली लगती है

हर औरत तुझसे जलती है

जितनी भी मैंने पेली है



तेरे नाम की मुठी मार मार के

दिवार डहा दी लोगों ने

तेरे नाम से दारू बिकती है

तेरी रेट लगा दी लोगों ने



मेरे दोस्त तुझपर मरते है

बस मुझसे ही वो डरते है

वरना लण्ड पकड़ के हाथों में

सब तेरी बातें करते है



चल आजा मुँह में ले ले अब

और चूस चूस के पिले सब



पिले मेरे लोडे का माल तू माँ

और मुझे अपना बनाले इस साल तू माँ



माँ ने मेरी बातें सुनकर के

मेरे लंड को ठंडा कर डाला

और बहा के पानी जोबन का

मेरी आग को ठंडा कर डाला



माँ से फिर मेरी बात हुई

नये रिश्ते की शुरुआत हुई

सुबह शाम और रातों में


बस चुत लंड की बात हुई
बहुत बढ़िया।
 
  • Love
Reactions: moms_bachha

rajeev13

Active Member
662
1,055
138
धांसू और झन्नाटेदार कविता है भाई :respekt:
 

Pendujatt

New Member
16
27
18
Bahut jabardast likhe ho bhai 👌🏻
 

Jit_123

New Member
12
4
3
kya shayari hai bro
 

Avreen

New Member
54
48
18
माँ पर कविता



एक रात काली काली थी

जब मम्मी चुदने वाली थी



हर तरफ घनघोर अंधेरा था

बस बारिश का पहरा था



घर में मेरी माँ अकेली थी

जो कई लंडो पर खेली थी



काली साडी में गोरी सी

मम्मी लगी थी छोरी सी



एक दिया जलाकर लाया मैं

मम्मी से आँख मिलाया मैं



फिर लगा के ताला गेट के

मैंने लण्ड निकाला लेट के



वो देख के बोली शर्म कर

माँ हूँ तेरी भगवान से डर



मेरे पीछे-पीछे घूमता है

मुझे बात-बात में चूमता है



कभी कमर पर हाथ लगता है

कभी खुलकर चुचे दबाता है

कभी गले लगा कर गांड में

जबरदस्ती ऊँगली घुसाता है



मैं परेशान हूँ इस परिपाटी से

तेरी जापानी चूमा-चाटी से

तूने दबा दबा के छाती भी

गहरी कर दी है घाटी से



मैं तुझसे अब थक-हार चुकी

जीते जी खुदको मार चुकी



तुझे पैदा करके रोती हूँ

कभी चैन से नहीं सोती हूँ



तू चाहे तो आज चोद भी ले

अपनी माँ की बुर खोद भी ले



पर एक दिन तू पछतायेगा

जब तेरा मन भर जाएगा



मैंने थप्पड़ खींच के मार दिया

माँ का सारा ज्ञान उतार दिया



फिर तेल लगा के घोड़े पे

उसे बैठा लिया मेरे लोडे पे



जैसे ही बिल में नाग गया

मेरे अंदर जानवर जाग गया



मम्मी शर्म के मारे बेहाल हुई

मेरा लण्ड घुसते ही लाल हुई



मैंने उठा उठा के पेलाने लगा

माँ के जज्बातों से खेलने लगा



माँ बोली बेटा बस कर अब

तूने चोद लिया है कसकर अब



कभी आगे से कभी पीछे से

तूने सुज्जा दिया मुझे नीचे से



सारी रात लण्ड पे नचा लिया

जोबन का पानी बरसा लिया



मेरी चुत में तूने झाड़ दिया

घाघरा चोली सब फाड़ दिया



सगी माँ हूँ सौतली नहीं

इतना तो कभी झेली नहीं



अब थोड़ी देर तो सोने दे

दिल भरके मुझको रोने दे



मैंने हाथ पकड़ के खींच लिया

माँ को बांहों में भींच लिया



फिर जुल्फ सवारके हाथों से

मैंने चुम लिया जज्बातों से



माँ बोली बेटा और नहीं

मैं बोला मम्मी शोर नहीं



माँ बोली ये दिन पावन है

मैं बोला मम्मी सावन है



माँ बोली आह्ह आराम से

तू चोद रहा है शाम से



ऐसा क्या मुझमे ख़ास है

जिसकी तुझे इतनी प्यास है



मैं बोला क्या क्या बताऊ मैं

मेरी आखों से देख दिखाऊ में



जन्नत की हूर से ज्यादा हसीन है तू

ऊपर मीठी और नीचे नमकीन है तू



तू हसे तो फूल खिलते है

तेरे चुचे कितने हिलते है

तेरी गांड मटकती देखकर

बच्चे भी लुल्ली मलते है



पुरे गाँव ने होली सपनो में

तेरे साथ ही खेली लगती है

हर औरत तुझसे जलती है

जितनी भी मैंने पेली है



तेरे नाम की मुठी मार मार के

दिवार डहा दी लोगों ने

तेरे नाम से दारू बिकती है

तेरी रेट लगा दी लोगों ने



मेरे दोस्त तुझपर मरते है

बस मुझसे ही वो डरते है

वरना लण्ड पकड़ के हाथों में

सब तेरी बातें करते है



चल आजा मुँह में ले ले अब

और चूस चूस के पिले सब



पिले मेरे लोडे का माल तू माँ

और मुझे अपना बनाले इस साल तू माँ



माँ ने मेरी बातें सुनकर के

मेरे लंड को ठंडा कर डाला

और बहा के पानी जोबन का

मेरी आग को ठंडा कर डाला



माँ से फिर मेरी बात हुई

नये रिश्ते की शुरुआत हुई

सुबह शाम और रातों में


बस चुत लंड की बात हुई
Wow moz krdi
 

K.kumar

Active Member
1,200
258
99
Wow moz krdi
Hi bebby
 
  • Like
Reactions: Avreen
Top