Ajju Landwalia
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मेरा लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और टट्टो में उबाल आने लगा तो लंड बिल्कुल कठोर गांड़ फाड़ने लगा और माँ दर्द से कराह कर किसी हलाल होते जानवर की तरह तड़प उठी और मैं बिना उसकी परवाह किए हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा। मैं जानता था की पहली बार माँ अपनी गांड मरवा रही है तो चाहे में कितना भी आराम से चोदू , माँ को दर्द तो होगा ही। किया भी क्या जा सकता था.
बदहवास सी हुई माँ मेरे नीचे कराहती हुई सिसक रही थी और मैं उसकी गर्दन कंधो को दांतो से काट रहा था, मसल रहा था चूम रहा था। माँ ने अपनी गांड़ को दर्द के मारे जोर से कस लिया तो मुझे लगा कि लंड फट रहा है तो उसने पूरी जोर से लंड को बाहर खींचा और फिर से एक जोरदार धक्का लगाया और उसकी गांड़ में ठोक दिया तो माँ दर्द के मारे कराह उठी
मैं ने माँ के कमर को हाथों से पकड़कर लंड का दबाव उसकी गांड के छेद पर लगाया लंड कुछ और अंदर चला गया अब अपने दोनों हाथों से उसकी के चूची को पकड़कर मसलते हुए अपने लंड को माँ के गांड के छेद घर धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा ।
माँ के मुख से चीख निकलने लगी। बेटा दर्द हो रहा है निकाल दो । मगर मैं माँ के बातों को अनसुना कर वह उसकी चूची को जोर जोर से मसलने लगा और अपने लंड को उसके गांड के छेद में अंदर-बाहर करने लगा ।
लंड गांड के के छेद में में अपना जगह बनाने लगा अब उसका लंड पूरे गांड के अंदर घुस चुका था।
माँ का गांड बुरी तरह से मैं के लंड को जकडा हुआ था। लंड कसा कसा हुआ अंदर बहार आने जाने लगा ।
मुझे चूत चोदने से गांड चोदने में एक अलग ही अनुभव और आनंद आने लगा। क्योंकि गांड काफी टाइट था और वह लंड को ही कस कर जकड़ा हुआ था ।काफी तेज घर्षण लंड पर हो रहा था।
इधर माँ का दर्द भी धीरे-धीरे कम होने लगा और उसे भी गांड चुदाने में मजा आने लगा। वह अपने कमर को आगे पीछे हिलाकर मैं को गांड चोदने में सहयोग करने लगी ।
इधर मुझे एहसास हो गया कि माँ को अब मजा आने लगा है ।अब मैं अपने लंड पूरा गाड से बाहर निकालकर माँ के गांड के के अंदर बाहर करने लगा । और कसकस कर गांड चोदने लगा ।
माँ भी अब मजा लेने लगी। वह भी लंड पर अपनी गांड को पीछे से धक्का लगाने लगी।
इधर मैं भी तेज धक्का मारने लगा। लंड माँ के गांड में बिना किसी रोक के फक फक के अवाज के साथ अंदर बाहर आने जाने लगा।
मुझे चूत चोदने से ज्यादा मजा, गांड चोदने में आने लगा ।मैं तो जैसे किसी दूसरी दुनिया में खो गया और अपने लंड को तेजी से माँ की गांड के छेद में अंदर-बाहर करने लगा ।
मैं ने माँ से कहा आह माँ आपकी गांड चोदने में बहुत ही मजा आ रहा है । मेरा लंड तुम्हारे गांड के अंदर कितना कसा कसा आ जा रहा है। हां मैं बता नहीं सकता मुझे कितना मजा आ रहा है। अब से मै रोज ही तुम्हारी गांड मारूंगा ।
इधर माँ को गांड चुदाने में भी अलग मजा आने लगा । वह भी गांड चोदने में मदद करने लगी।
मैं से अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था ,उसकी सांस तेज तेज चलने लगी। लंड अकड़ने लगा शरीर की सारी ताकत अपने लंड की ओर जाता हुआ महसूस करने लगा और जोर-जोर से माँ की गांड को चोदने लगा ।
अब मैंने भी उसकी चूत में ऊँगली देते हुए उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा फिर कुछ ही समय बाद चूत की खुजली मिटाने के चक्कर में माँ खुद ही कमर चलाते हुए तेज़ी से आगे-पीछे होने लगी और उसके स्वर अब दर्द से आनन्द में परिवर्तित हो चुके थे।
मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपनी भी गति बढ़ा दी और अब मेरा पूरा ‘सामान’ बिना किसी रुकावट के.. उसको दर्द दिए बिना ही आराम से अन्दर-बाहर होने लगा।
जिससे मुझे भी एक असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी थी.. जिसको शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
देखते ही देखते माँ की चूत रस से मेरी ऊँगलियां ऐसे भीगने लगीं जैसे किसी ने अन्दर पानी की टोंटी चालू कर दी हो।
पूरे कमरे उसकी सीत्कारें गूंज रही थी- आआआअह्ह्ह उउम्म्म्म स्सस्स्स्स्श ज्ज्ज्जाअण आआअह आआइ बेटा बहुत मज़ा आ रहा है.. मुझे नहीं मालूम था कि इतना मज़ा भी आएगा.. शुरू में तो तूने फाड़ ही दी थी.. पर अब अच्छा लग रहा है.. तुम बस अन्दर-बाहर करते रहो.. लूट लो इसके कुंवारेपन का मज़ा.. आह बेटे आज तो तूने सच में मेरी गांड का उद्धघाटन कर ही दिया.
तो मैं भी बेधड़क हो उसकी गाण्ड में बिना रुके ऐसे लण्ड ठूँसने लगा.. जैसे ओखली में मूसल चल रहा हो।
उसकी चीखने की आवाजें, ‘उउउउम्म्म्म आआआअह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह अह्ह्हह आह आआह’ मेरे कानों में पड़ कर मेरा जोश बढ़ाने लगीं।
जिससे मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई और मैं अपनी मंजिल के करीब पहुँच गया।
मुझे मालूम था की अब मेरा काम बस तमाम होने ही वाला है. मेरा लौड़ा माँ की गांड में इतना अकड़ गया था की जैसे बस फट ही जायेगा. लण्ड की जड़ से मुझे अपना वीर्य निकलने को त्यार लग रहा था. अति-उत्तेजना मैंने अपने लौड़े को ऐसे ठेल दिया जैसे कोई दलदल में खूटा गाड़ दिया हो।
इस कठोर चोट के बाद, मेरे मुँह से एक जोर की आह की आवाज निकली और मुझे ऐसा लगा की जैसे में आसमान में उड़ रहा हूँ. मेरे लण्ड ने माँ की गांड के अंदर जोर जोर से अपने वीर्य का फुवारा चालू कर दिया। मैंने अपना सारा रस उसकी गाण्ड के अंतिम पड़ाव में छोड़ने लगा और तब तक ऐसे ही लगा रहा.. जब तक लण्ड की पूरी नली खाली न हो गई। लंड से ढेर सारा वीर्य निकल कर माँ के गांड में भरने लगा।
इधर माँ भी झड़ने लगी।
कुछ समय तक हम दोनो इसी अवस्था में थे और वे दोनो झडने का आनंद लेने लगे ।
फिर मैंने उसकी गाण्ड को मुट्ठी में भरकर कसके भींचा और रगड़ा.. जिससे काफी मज़ा आ रहा था। और आए भी क्यों न.. माँ की गाण्ड किसी स्पंज के गद्दे से काम न थी। फिर इस क्रीड़ा के बाद मैं आगे को झुका और उसकी पीठ का चुम्बन लेते हुए.. उसकी बराबरी में जाकर लेट गया।
अब उसका सर नीचे था और गाण्ड ऊपर को उठी थी.. तो मैं उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसकी चूचियों को छेड़ने लगा.. पर वो वैसे ही रही।
मैंने पूछा- क्या हुआ.. सीधी हो जाओ.. अब तो हो चुका जो होना था।
तो माँ अपना सर मेरी ओर घुमाते हुए बोली- तूने तो आज मेरा कचूमर निकाल दिया। आखिर माँ हूँ मैं तेरी। कोई बेटा अपनी माँ की इतने जोर से गांड मारता है क्या?
मैंने माँ को प्यार से चूमा और कहा
"माँ. आप तो मेरी जननी हो। मैं आपको दुःख देने की बात तो सपने में भी नहीं सोच सकता. पर क्या करे? आपकी गांड की चुदाई पहली बार हो रही थी. तो चाहे कितना भी छोटा और चाहे कितना भी पतला लण्ड होता , एक बार तो दर्द होना ही था. चलो अपने बेटे को माफ़ कर दो. मैं भी आपको प्रॉमिस करता हूँ की अगली बार आपको इतना दर्द नहीं होगा. देखो तो मेरे लण्ड ने आपको गांड का छेड़ कितना खुला कर दिया है. अब मैं रोज सुबह काम पर जाने से पहले आपकी गांड मारूंगा और रात को रोज आपकी चूत में घमासान होगा. आप ने जो १० साल न चुदवा कर जीवन में कमी की है मैं आपको चोद चोद कर वो कमी पूरी कर दूंगा. "
माँ क्या कहती. अब रोज चुदवाने को तो वो त्यार थी ही और पहली बार गांड के उद्धघाटन में जो दर्द होना था वो तो हो ही चूका था. इसलिए वो बस चुप रही.
कुछ समय तक हम दोनों उसी अवस्था में थे। लंड जब ढीला हुआ तो ,मैं अपने लंड को गांड से खींच कर निकाल दिया ।मैं ने देखा माँ का गार्ड पूरी तरह से खुल चुका है वह पूरी तरह फैल चुका था। वह उसके गांड को देख कर मुस्कुराने लगा
मैं बेड पर लेट गया और सुस्ताने लगा ।
माँ के गांड से वीर्य निकलता हुआ उसकी चूत से बहता हुआ वीर्य जमीन पर टपकने लगा ।
जिसका अहसास होते ही माँ खड़े हो गई और अपनी गांड मटकाते हुए , बाथरूम की ओर जाने लगी ।
वह अपने गांड को मटकाते हुए बाहर गई जिसे देख कर मैं अपन् लंड काे सहलाते हुुए मुस्कुराने लगा ।
मैं उसकी इस हालत पर तरस खाते हुए वाशरूम गया और सोख्ता पैड और गुनगुना पानी लाकर उसकी गाण्ड और चूत की सफाई की.. जिससे माँ ने मेरे प्यार के आगोश में आकर मुझे अपने दोनों हाथ खोल कर अपनी बाँहों में लेने का इशारा किया।
तो मैं भी अपने आपको उसके हवाले करते हुए उसकी बाँहों में चला गया।
उसने मुझे बहुत ही आत्मीयता के साथ प्यार किया और बोली- तुम मेरा इतना ख़याल रखते हो.. मुझे बहुत अच्छा लगता है.. आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा बेटा .. आई लव यू.. आई लव यू.. सो मच.. मुझे बस इसी तरह प्यार देते रहना।
मैंने भी फिर से माँ को बाहों में भर लिया और प्यार से चूम लिया. और फिर मैं माँ को गोद में ऐसे नंगी ही उठा कर वापिस बेड पर ले आया.
फिर थके हुए होने के कारण हम दोनों माँ बेटा एक दुसरे की बाहों में नंगे ही लेट सो गए.
इस तरह हम माँ बेटे ने अपने जीवन में आये हुई कमी को एक दुसरे के सहारे से दूर किया.
हम माँ बेटे का यह सेक्स जीवन और प्यार आज तक चल रहा है.
हम दोनों जानते हैं की बस अब हम दोनों ही एक दुसरे का सहारा हैं और जीवन आनंद पूर्वक गुजर रहा है. और अब हमें भगवान या जीवन से कोई शिकायत नहीं है.
समाप्त
Bahut hi badhiya tarike se is kahani ka end kiya Ting ting Bro,
Aise hi nayi nayi kahani likhte raho