• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest "माँ बेटे की गंदी कामवासना"

rajeev13

Active Member
1,664
2,081
159
Welcome to my thread❤️
ये स्टोरी एक सीधी भोली भाली माँ और उसके बेटे की है, जिसमे ढेर सारा गंदा सेक्स, गंदी बातें होंगी। कृपया सहयोग बनाए रखे

रूपा:- कहानी की असल नायिका
उम्र 46 साल, एवरेज कद काठी, भरा हुआ बदन, उम्र के इस पड़ाव पर भी शरीर कसा हुआ है। गोरा चिट्ठा रंग, 38 इंची के मादकता से भरे हुए कसे हुए चुचे, हल्का बाहर को निकला हुआ पेट, गहरी नाभि, ओर नीचे दुनिया की बेहतरीन चीज रुपा की अमृत से लबालब चूत, जिसपे हल्के भूरे रंग के छोटे छोटे बाल।
46 इंची कमर में मौजूद रूपा के दो अनमोल छेद जिसकी मादक गंध से आदमी मचल जाए। ऐसी कामदेवी का अवतार है रूपा💦

Gallery-1751793194560
Gallery-1751793180420


करमु:- 48 साल के करमु पेशे से एक किसान है।
एक खेत है इसके पास जिसमे ये खाने के लिए अनाज ऊगा लेते हैं। करमु की सारी दुनियां उसके खेत तक ही सीमित थी, दिन भर खेत मे लगा रहता शाम को थक हार कर सो जाता

बेटी:- चंपा, 26 साल की शादीशुदा औरत, गाँव के पास ही लगते गाँव मे इसकी शादी प्रेम से कर दी,
फिलहाल इसके एक लड़का है जो छोटी उम्र का है।
चम्पा का शरीर अपनी माँ की तरह भरा हुआ था। गोल सुडौल बड़ी चूची, जो शादी के बाद ओर गदरा गयी हैं, बाहर को निकली गांड जो सबके लौड़े का पानी निकालने के लिए काफी है।

बेटा भूरा:- कहानी का नायक, उम्र 20 साल, दुबला पतला शरीर, गाँव के ही सरकारी स्कूल में 11th कक्षा का छात्र है, दिन भर आवारागर्दी करता रहता है। हर बुराई की चीजों से वाकिफ है। बुरी आदतों की वजह से
अपने बाप की मार झेलता रहता है। पर भूरा ढीट है वो घण्टे दो घण्टे में सब भूल कर फिरसे बुरे कामों में लगा रहता।
images

बाकी जो भी सदस्य ऐड होगा उसका इंट्रोडक्शन कहानी में आने के बाद दिया जाएगा।
इस कहानी में एक ऐसे घर की कहानी हो सकती है, जहाँ पिता की आँखों में बेटे के लिए सिर्फ़ अयोग्यता और कामचोरी का अक्स दिखता हो। उनके हर शब्द में एक ऐसी निराशा घुली हो, जो बेटे के आत्मसम्मान को लगातार कुचलती रहती हो। पिता के लिए उनका बेटा बस एक बोझ था, एक ऐसी विफलता जिसे वो चाहकर भी स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। यह हीनभावना उनके भीतर इतनी गहरी पैठ चुकी थी कि बेटे की हर कोशिश उन्हें निरर्थक ही लगती थी।
वहीं, घर के दूसरे कोने में एक माँ थीं – पुत्र-मोह के अथाह सागर में डूबी हुई। उन्हें अपने पति से कभी वह प्रेम, वह भावनात्मक सहारा नहीं मिला था, जिसकी उन्हें आकांक्षा थी। शायद इसीलिए, उनका सारा स्नेह और अटूट विश्वास अपने बेटे पर केंद्रित हो गया था। माँ की आँखें अपने बेटे में वह सब कुछ देखती थीं, जो पिता को कभी दिखाई नहीं दिया। वह उसकी हर छोटी-बड़ी उपलब्धि पर प्रसन्न होती थीं, और उसकी असफलताओं में भी उसे ढाँढस बंधाती थीं। उनका यह असीम मोह ही बेटे के लिए एकमात्र संबल था, एक ऐसा साया जो उसे पिता की कटुता से बचाता था।
कहानी आगे बढ़ती है, और यही पुत्र-मोह धीरे-धीरे एक गहरे और अटूट मोहब्बत में बदलने लगता है। माँ का निस्वार्थ प्रेम, उनका निरंतर प्रोत्साहन, बेटे के जीवन में एक ऐसी बहार ले आता है जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। यह प्रेम सिर्फ़ माँ-बेटे के रिश्ते तक सीमित नहीं रहता, बल्कि एक अनचाहे रिश्ते में तब्दील हो जाता है!

वैसे आपकी कहानी का पहला शीर्षक भी मजेदार था, बदलने की आवश्यता नहीं थी Dark_Lover भाई !
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Raja jani

Dark_Lover

New Member
7
44
14
अपडेट बस तैयार है समय नही मिल पा रहा है। एक दो दिन में बड़ा अपडेट आपको दिया जाएगा। संयम बनाये रखे।
 

rajeev13

Active Member
1,664
2,081
159
अपडेट बस तैयार है समय नही मिल पा रहा है। एक दो दिन में बड़ा अपडेट आपको दिया जाएगा। संयम बनाये रखे।
प्रतीक्षा रहेगी...
 

Dark_Lover

New Member
7
44
14
अपडेट:- 2
हमारे घर मे दो कमरे हैं उनके सामने बरामदा है
बाथरूम घर के सामने आंगन में बना हुआ है जहां पानी का नल लगा हुआ है।
एक सुबह मेरी आँखें खुलती है और मैं कमरे से बाहर निकल कर पानी के नल पर हाथ मुँह धोकर घर से निकल जाता हूँ। आज मौसम बहुत सुहाना हुआ पड़ा था। ठंडी ठंडी ताजी हवा चल रही थी। गावँ के लोग जंगल की तरफ चल दिये थे, कुछ औरतें, हाथों में लोटा लिए हगने जा रही थी। गाँव मे बहुत कम लोगो के पास खुद का लेटरिंग बाथरूम नही था वो सब सुबह ही जंगल होने निकल जाते।
मैं अपनी मंजिल पर पहुंच जाता हूँ जहां में अक्सर आता था। यहां एक नीम का पेड़ था जिसमे चढ़कर मेने नीम की दांतुन तोड़ कर ऊपर ही बैठ गया। और दांतुन करने लगा। आस पास गेंहू के खेत थे जिनमें अभी बस बीज ही बोया गया था।
मैं दांतुन करके नीचे उतरा और फ्रेश होकर घर की तरफ चल पड़ा। घर पहुंचा तो माँ चुहलें पर बैठी किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी। मैं माँ के पास पहुंचा ओर वहीं बैठ गया। माँ ने मुझे कप में चाय दी और मैं पीने लगा। माँ की बातों से लगा कि वो दीदी से बात कर रही थी। माँ ने कुछ देर बात की ओर फोन रखकर मुझसे बोली।
माँ:- बेटा चम्पा का फ़ोन आया है उसे सिलाई मशीन की जरूरत है। तेरे बापू मशीन ले आये हैं तुम लेकर चले जाना तेरे जीजा जी के पास टाइम नही है। इसलिए तू नहा धोकर चले जाना उधर। आज स्कूल मत जाना।
मैं:- माँ मुझसे नही होगा, मुझे स्कूल जाना है, मेरी पढाई छूट जाएगी माँ
तभी बगल में खटिया पर बैठे बापू मेरी बात सुनकर बोले, लाड़ साहब तू कब से पढ़ाई की चिंता करने लगा,
दिन भर आवारा सांड की तरह गाँव भर में फिरता रहता है, तू कब से पढ़ाई की टेंशन लेने लगा।
माँ:- अजी आप बस करो, सुबह सुबह ताने मत मारो।
बापू:- हाँ कुछ मत कहो इससे, तुम्हारे लाड़ ने इसको चढा रखा है, पीछे तीन साल से ये आवारा 11th कक्षा में ही अटका है। उसकी चिंता नही है तुझे।
माँ:- बेटा तुम आज छुट्टी कर लेना और अपनी दीदी को सिलाई मशीन देने चले जाना।
मैं:- ठीक है माँ।
इतना कहकर में कमरे में आ गया और फ़ोन में डूब गया ओर मस्त सी पोर्न देखने लगा। मुझे पोर्न देखने का शौक़ था खासकर ऐसी पोर्न जिसमे कोई गदराई औरत को कोई लड़का बेरहमी से पेल रहा हो। फिलहाल में ऐसी पोर्न देख रहा था जिसमे एक काला सा नोजवान लड़का किसी मोटी औरत को गोद मे उठाए कमरे की फर्श पर खड़ा था और ओर उस औरत को अपने काले लम्बे मोटे लन्ड से हचक हचक कर चोद रहा था, चोदते चोदते उस औरत का मूत फर्श पर गिर रहा था जिसे squirt कहते हैं।
10 बजे के आसपास मैं नहाने के लिए गुसलखाने में घुस गया और नहा धोकर खाना खाया और तैयार हो गया दीदी को साथ लाने के लिए।
माँ:- हो गया तैयार बेटा
मैं:- हाँ माँ हो गया, पैसे दे दो किराये के लिए।
माँ ने अपने ब्लाउज से कुछ पैसे निकाले ओर मुझे चूम कर कहा " बेटे आराम से जाना और कुछ फ्रूट दीदी के घर ले जाना। दोपहर वही आराम कर लेना और शाम को आराम से आ जाना।
मैं घर से निकल कर ऑटो स्टैंड पर पहुंचा और फिर निकल गया दीदी की तरफ। दीदी का ससुराल हमसे लगभग 30 किलोमीटर दूर था।
रास्ते से मैने सिलाई मशीन ओर कुछ फ्रूट लिए ओर कोई 2 घण्टे के बाद में आखिर दीदी की सुसराल पहुंच गया।
दीदी के घर में तीन कमरें बने हुए थे दो नीचे ओर एक ऊपर था। दीदी ऊपर कमरे में रहती थी
दीदी का घर काफी अच्छा बना हुआ था क्योंकि दीदी के ससुर बैंक में नोकरी करते थे।
दीदी के घर मे उसके सास-ससुर, एक ननद, थी।
ननद अभी जवान थी लेकिन शादी नही हुई थी वो कॉलेज जाती थी मेडिकल का कोर्स करने।
जीजा जी मिस्त्री है वो शहर में लोगो के घरो को बनाते हैं।
मैं अंदर गया तो दीदी घर के आंगन में बैठी अपने बेटे सोनू जो कोई 4 साल का था उसे सुला रही थी।
मेने दीदी को प्रणाम किया और दीदी ने मेरे सर पर हाथ फेरा ओर फिर पानी लेने चली गयी।

FB-IMG-1745879089280
दीदी ओर मेरी उम्र में 6 साल का फर्क था, लेकिन इस समय दीदी पूरी औरत जैसी बन गयी। एक साल पहले दीदी जब घर आई थी तब मोटी नही थी, पर अब दीदी का शरीर पूरा भर गया था। यौवन की जिस पड़ाव पर स्त्री में कामरस उबाल मारता है दीदी उस पड़ाव पर थी। दीदी का पिछवाड़ा अब बड़ा रूप ले चुका था। सीना भी अब खुलके उभर आया था।
दीदी ने पानी दिया और घर का हालचाल पूछकर आराम करने के लिए कमरे में ले गयी। दीदी ने एक रात रुकने का बोला तो मैं भी मना नही कर सका। आखिर बहुत दिन बाद दीदी के यहां आना हुआ है।
ऐसे ही शाम हो गयी। मैं दीदी के कमरे से निकल कर नीचे आया तो मुझे उनकी सास दिखी जो पलँग पर बैठी थी वहीं उसकी बेटी पायल थी जो किताबें खोलकर पढ़ रही थी।
मैं दीदी से कहकर बाहर टहलने के लिए निकल गया और इधर उधर टहलता रहा इतने में हल्की रात सी हो गयी तो मैं वापिस घर की तरफ बढ़
घर पहुंच कर दीदी ने खाना दिया और में उसके कमरे में आ गया। जीजा जी ने शहर में काम शुरू कर रखा था वो घर नही आ सकते थे।
Gallery-1752818682499

थोड़ा सहयोग करें। लन्ड चूत में उबाल ला दूंगा ऐसी स्टोरी है
 
Last edited:
Top