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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Baba__Bhai

I am open book, But you have no access to read it.
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शानदार अपडेट
:party:

भाई मजा आ गया ।
बहुत अच्छा अपडेट था।


:rock2::rock2::rock2::rock2::rock2::rock2:

पर इस अपडेट में आपने पहले वाली स्टोरी को जोड़ दिया है।।।
ये सिर्फ मेरी आपसे गुजारिश है।।
की इस स्टोरी में कोई दूसरी कहानी न जोड़ें।।।
क्योंकि आधा अपडेट पढ़ने के बाद बाकी का आधा समझ नहीं आया।।। अगर ऐसा कुछ लिखना है तो पुरानी वाली स्टोरी में ही लिख दीजिए।

वर्ण इस स्टोरी का मजा खराब हो जाएगा।
:flamethrower:
बाकी आप की मर्जी।
:bounce:
ऐसे ही लिखते रहिए।✍🏻
हमेशा मुसकुराते रहिए।🙂
:rock2:
 
Last edited:

Unique star

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शानदार अपडेट
:party:

भाई अपडेट तो बहुत अच्छा था।
पर थोड़ा छोटा रह गया ।।।
या गलती से शायद आपने पूरा पोस्ट नहीं किया है।


चलिए कोई बात नहीं पर अगली बार लंबा अपडेट देने की कोशिश करना।

अभी पढ़ लीजिए आप।
 

Unique star

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पूरा अपडेट पोस्ट हो गया है। कृपया अब पढ़ लीजिए।
 

sam00023

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रात में करीब आठ बजे सौंदर्या अपने भाई के साथ घर पहुंच गई और उन्हें देखते ही कमला की जान में जान अाई और रोती हुई भगाकर सौंदर्या से लिपट गई।

सौंदर्या ने भी अपनी मा को अपनी बांहों में भर लिया और उससे चिपक गई। घर में आस पड़ोस के लोगो की भीड़ इकट्ठा हो गई थी जो कमला को सांत्वना देने और उसका दुख दर्द बांटने आए थे। सभी लोग अजय से वहां क्या हुआ पूछ रहे थे और अजय उन्हें वहीं सब बता रहा था जो वो अपने प्लान के तहत पहले ही पुलिस को बता चुका था।

सीमा के पापा:" ओह बेटा ये तो बहुत अच्छा हूं कि अपनी समझदारी से अच्छा मौका देखकर सौंदर्या अपनी जान बचा कर भाग अाई और उस कमीने मनोज का पर्दाफाश कर दिया।

राम बाबू ( सरपंच)= मनोज ने अपने गंदे कामो से गांव का नाम बदनाम किया वहीं सौंदर्या ने ना सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि उसके काले कारनामों का पर्दाफाश करके गांव का नाम भी खराब होने से बचा लिया। सौंदर्या जैसे बेटी भगवान सबको दे। ये सिर्फ कमला बहन की ही नहीं बल्कि पूरे गांव की बेटी है।

सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई चुपचाप अपने भाई की बाते सुन रही थी और तभी अजय बोल पड़ा:"

" सच में मेरी दीदी ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए उनकी सूचना पुलिस को दी और गांव का नाम रोशन किया है। नारी शक्ति के लिए एक नई मिशाल हैं मेरी दीदी सौंदर्या।

सारा गांव मिलकर सौंदर्या की जय जयकार कर रहा था और सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपने भाई को देख रही थी कि वो कितना महान हैं। सब गुण्डो को उसने मारा और लोगो की नजरो में मुझे ऊंचा कर दिया। सच में मेरा भाई लाखो में एक हैं, हीरा हैं बिल्कुल हीरा।

थोड़ी देर के बाद जय जयकार करके गांव के सभी लोग अपने घर चले गए और सौंदर्या ने अपनी मम्मी को सारी सच्चाई बता दी तो उसने खुशी और गर्व से अपने बेटे की तरफ देखा और स्माइल करते हुए अपने बेटे की बलाएं लेते हुए अपने पास आने का इशारा किया



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कमला:" शाबाश बेटा। आज तूने मेरे दूध का हक अदा कर दिया। भगवान करे तेरी ताकत को कभी नजर ना लगे। बेटा हो तो मेरे बेटे जैसा। आज से तुम्हे पूरी आजादी हैं चाहे जिम करो या फाइट।

कमला ने आगे बढ़कर अपने बेटा का माथा चूम लिया। सौंदर्या मंद मंद खड़ी हुई स्माइल कर रही थी और कमला बार बार अपने बेटे के माथे को चूम रही थी।

कमला:" सच में तू ही अपनी बहन की इज्जत की मान मर्यादा और इज्जत का रखवाला है। अरे मैं तो भूल ही गई रुक तेरी नज़र उतार देती हूं।

इतना कहकर कमला अंदर चली और जल्दी ही हाथ में एक थाली लिए अाई और खुशी के मारे उसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे। उसने अजय के सामने खड़ी होकर उसकी आरती( नजर) उतारनी शुरू कर दी।



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कमला अपनी आंखो में खुशी के आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए अपने बेटे की आरती उतार रही थी और अजय बहुत ही प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपनी मा को खामोशी से देख रहा था जिसकी आंखो से आंसू निकलकर उसके गालों को भिगो रहे थे। कमला के ठीक पीछे खड़ी हुई सौंदर्या ये सब देख कर खुशी से फूली नहीं समा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि उसके भाई को उसके किए का असली सम्मान और प्यार अब मिल रहा है। कानूनी प्रक्रिया के चलते वो चाह कर भी सबके सामने सच नहीं बोल सकती थी लेकिन घर में अपनी मा को बताकर उसने अपने दिल का बोझ हल्का कर लिया था।

अजय ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और अपनी मा की आंखो से आंसू साफ करने लगा और बोला:"

" बस मम्मी हो गई मेरी आरती। सच कहूं मम्मी आपका ये ही प्यार तो अद्भुत हैं।

कमला ने थाली एक तरफ रखी और अजय से गले लग गई। उसके आंसू अब पूरी तरह से रुक गए थे। थोड़ी देर के बाद कमला ने थोड़ा सा खाना बनाया और सभी ने साथ ने मिलकर खाना खाया।

खाना खाने के बाद सभी लोग नीचे ही हॉल में बैठ गए और बात होने लगी।

कमला:" बेटा आज तूने सच में कमाल किया है। तेरे पापा जिंदा होते तो सच में आज वो बहुत खुश होते ।

अजय:" मम्मी कमाल वामाल कुछ नहीं किया। बस अपनी दीदी की रक्षा करी जो कि मेरा फ़र्ज़ है।

कमला:" लेकिन बेटा आजकल लोग अपना फ़र्ज़ भी कहां पूरा करते हैं। मैंने जरूर पिछले जन्म में कुछ पुण्य किए होंगे जो तुझ जैसा लायक बेटा मिला।

सौंदर्या:" हान मम्मी ये बात आपने बिल्कुल ठीक कही। ऐसे भाई आजकल किस्मत से ही मिलते हैं बस।

कमला:" अच्छा अजय अब हमे जल्दी से जल्दी सौंदर्या के हाथ पीले कर देने चाहिए। कल आचार्य तुलसी प्रसाद जी भी अा रहे हैं गांव में ही। क्यों ना हमे उनसे मिलकर इसकी कुंडली के निवारण का कोई उपाय देखना चाहिए।

सौंदर्या अपनी शादी की बात सुनकर शर्मा गई और अपने गुलाबी गाल लिए वहां से उठकर उपर चली गई। अजय और कमला दोनो ये देखकर हंस पड़े और अजय बोला:"

" हान मम्मी, मैंने उनके बारे में सुना है कि वो बहुत ही अच्छे और सिद्ध पुरुष हैं। इसलिए मुझे भी पूरी उम्मीद है कि वो जरूर कोई ना कोई उपाय बता देंगे।

कमला ने गर्दन हिला कर अपने बेटे की बातो को समर्थन दिया और बोली:"

" हान बेटा। अच्छा अब एक काम करो तुम भी जाओ और जाकर आराम कर लो। थक गए होंगे दोनो आज बहुत। ऊपर से मौसम भी खराब हैं।

अजय:" ठीक है मम्मी। आप सौंदर्या दीदी की शादी की चिंता मत कीजिए। मैं अपने आप अब सब संभाल लूंगा , मैं चलता हूं आप भी आराम कर लीजिए।

इतना कहकर अजय खड़ा हो गया और उपर की तरफ चल पड़ा। कमला भी बाहर हॉल में ही पड़े हुए बेड पर लेट गई और सोने का प्रयास करने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शादाब और शहनाज़ दोनो इंडिया वापिस अा गए थे और दोनो सीधे हॉस्पिटल में पहुंच गए जहां उसके फूफा भर्ती थे। शहनाज़ को देखते ही रेशमा उससे लिपटकर भावुक हो गई और दोनो औरतें एक दूसरे के गले लग गई।

शादाब ने दोनो को समझाते हुए और अलग किया और बोला :"

" बुआ कहां है फूफा जी ? उनसे हमे मिलवाओ।

रेशमा शादाब और शहनाज़ को अपने साथ अंदर ले गई और एक कमरे में उन्हें वसीम लेटा हुआ दिखाई दिया। शादाब को देखते ही वो भावुक हो उठा और उठने की कोशिश करने लगा लेकिन उठ नहीं पाया और उसकी आंखो में आंसू अा गए।

शादाब बिना कुछ बोले ही समझ गया कि उसके फूफा को पेट से नीचे लकवा मार गया है।

वसीम के पास ही शादाब बैठ गया तो वसीम ने शादाब का हाथ थाम लिया और बोला:"

" शादाब बेटा, मेरा कमर से नीचे का हिस्सा खत्म हो गया है। डॉक्टर बोलते हैं कि मैं कभी ठीक नहीं हो सकता। तुम भी तो एक डॉक्टर बन रहे हो बेटा। तुम सच बताओ क्या मैं ठीक हो सकता हूं कभी या नहीं ?

शादाब जानता था कि ऐसी हालत में कोई जादू ही वसीम को ठीक कर सकता है लेकिन फिर भी तसल्ली देते हुए बोला:"

" मुश्किल तो बहुत हैं लेकिन आप खुदा पर भरोसा रखिए। आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।

वसीम:" बेटा मुझे यहां से घर ले चलो, मैं अब और यहां रहना नहीं चाहता।

शादाब:" ठीक है। मैं डॉक्टर से बात कर लेता हूं और शाम तक हमे छुट्टी मिल सकती हैं।

इतना बोलकर शादाब उठकर बाहर अा गया और फिर डॉक्टर दे बात करने चला गया। दोपहर तक सब कागजी कार्यवाही पूरी हो गई और उसके बाद सभी लोग घर की तरफ लौट पड़े।

वसीम को नीचे बैठक में ही लिटा दिया जहां पहले कभी दादा दादी लेटा करते थे। रेशमा घर में नीचे ही रह रही थी और उसने कभी भी उपर शहनाज़ और शादाब के कमरे नहीं खोले थे।

रेशमा घर आकर खाना बनाने में जुट गई और शादाब और शहनाज़ दोनो उससे चाबी लेकर उपर चले गए। कमरे को खोला तो वो काफी गंदे हो गए थे। धूल मिट्टी लग गई और पूरे कमरे में बंद होने की वजह से एक अजीब सी बदबू फैली हुई थी।

दोनो के एक दूसरे की तरफ देखा और उनके होंठो पर एक साथ स्माइल अा गई और दोनो साफ सफाई में जुट गए। शादाब ने कमरे से एक एक करके सारा सामान बाहर निकाला। सारी कमरे में लगे हुए जालो को हटाया झाड़ू से शहनाज ने पूरे कमरे को साफ किया। उसके बाद शादाब ने कमरे की दीवारों को अच्छी धोया और फिर एक गुलाब की महक वाला लिक्विड निकालकर उसने शहनाज़ को दिया और शहनाज ने फिर सारे कमरे में उसका पोछा मार दिया तो पूरा कमरा खुशबू से भर उठा।

दोनो के उपर धूल जम गई और दोनो ही एक दूसरे ही हालत को देखकर हंस रहे थे।

शादाब:" अम्मी अपनी शक्ल देखो आइने में। बिल्कुल चुड़ैल जैसी लग रही हो आप। आपके ऊपर बहुत ज्यादा धूल जम गई है आज सफाई करके।

शहनाज़ ने उसकी तरफ घूरकर देखा और बोली:" अच्छा और खुद को देखो। आदि मानव जैसे लग रहे हो तुम।

आदि मानव की बात सुनकर शादाब के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" लेकिन मेरी जान शहनाज़, मेरी अम्मी आदि मानव तो नंगे रहते थे बिल्कुल नंगे।

शहनाज़ अपने बेटे के मुंह से नंगे शब्द सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" शर्म नहीं आती तुम्हे। अपनी मा के सामने नंगा बोलते हो तुम।

शादाब थोड़ा सा उसके करीब हुआ और उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी आंखे में देखते हुए बोला:"

" तुमसे नंगा बोलने में कैसी शर्म मेरी जान। नंगा तो तुम्हे आज सारी रात रहूंगा। यहीं इसी बेड पर इसी कमरे में सारी रात।

इतना कहकर उसने शहनाज की गांड़ को दोनो हाथों में भर कर मसल दिया तो शहनाज के मुंह से एक आह निकल पड़ी और वो किसी मछली की तरह फुर्ती दिखाती हुई उसकी बांहों से निकल गई और तेजी से बाथरूम में घुस गई और गेट से बोली:"

" सच में आदि मानव ही हो तुम। वो दिन में नंगे रहते थे और तुम रात में होते हो।

इतना कहकर शहनाज़ ने बाथरूम बंद कर दिया और अपनी उपर नीचे हो रही चूचियों को देख कर मुस्करा उठी और बेड शीट पर पर्दे धोने में जुट गई। कमरा अब तक अंदर से सूख गया था तो वहीं शादाब ने एक एक करके सारे सामान को अंदर वापिस लगा दिया। अब कमरे में किसी भी तरह की बदबू का कोई नामो निशान नहीं था बल्कि एक भीनी भीनी सी खुशबू पूरे कमरे में फैली हुई थी।

शहनाज ने सभी कपडे धोकर शादाब को दिए और उसने वो उपर छत पर सूखने के लिए डाल दिए। शहनाज़ नहा चुकी थी और बिल्कुल एक ताजे गुलाब की तरह खिली हुई लग रही थी। अपनी अम्मी को ललचाई नज़रों से देखते हुए शादाब भी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और जल्दी ही दोनो मा बेटा नहा धोकर नीचे अा गए।

खाना बन गया था इसलिए पूरे परिवार ने खाना खाया और उसके बाद थके और शादाब और शहनाज़ दोनो उपर कमरे में गए और बेड पर गिरते ही उन्हें नींद आ गई।

अजय उपर छत पर अा गया और उसने देखा कि उसकी बहन उसके कमरे में हैं और उसके सोने की चादर ठीक कर रही थी। अजय को ये देखकर काफी सुकून मिला कि दोनो भाई बहन के बीच गलतफहमी की वजह से बनी हुई नफरत की दीवार अब ढह गई थी।

सौंदर्या:" आओ भाई। देखो मैंने आपकी बेड शीट को बिल्कुल ठीक कर दिया है।

अजय स्माइल करते हुए बोला:" हान दीदी वही तो मैं भी देख रहा हूं कि आप अपने भाई का कितना ज्यादा ध्यान रख रही है।

सौंदर्या ने एक मीठी सी स्माइल अजय को दी और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" रखूंगी क्यों नहीं, मेरा भाई हैं भी लाखो में एक।

अजय अपनी दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और वहीं बेड पर बैठ कर अपने जूते निकालने लगा। तभी सौंदर्या को याद आया कि उसने अपने भाई के लिए अलमारी से तकिया तो अभी निकाला नहीं हैं तो वो तकिया निकालने लगी। तकिया हाथ में लेकर वो आगे बढ़ी और अजय से तकरा गई और उसके हाथ से तकिया छूटकर नीचे गिर गया। सौंदर्या तकिया उठाने के लिए नीचे की तरफ झुकी और उसकी रेशमी साडी उसके कंधे से पूरी तरह से सरक गई। साडी सरकते ही उसकी हल्के पीले रंग के शॉर्ट ब्लाउस में कैद चूचियों का उभार साफ़ नजर आया और अजय की नजरे किसी चुंबक की तरह उन पर टिक गई। सौंदर्या पूरी तरह से इस बात से बेखबर नीचे झुकती जा रही थी और उसकी चुचियों का उभार और ज्यादा गहरा होता जा रहा था।



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अजय की आंखो में एक अजीब सी चमक थी और उसे अपनी बहन की चूचियों की गहराई बहुत आकर्षक लग रही थी। सौंदर्या ने तकिया उठाया और जैसे ही सीधी हुई तो उसकी नजरे अजय पर गई और अजय की ललचाई नज़रों का पीछा करते ही उसे अपने हालत का एहसास हुआ था तो वो शर्म से लाल हो गई और उसने तेजी से तकिए को बेड पर फेंक दिया और अपने कमरे में दौड़ती चली गई।

अजय अपनी बहन की इस हरकत पर हैरान हो उठा। जो हुआ वो सब हादसा था लेकिन उसकी इतनी शर्मा कर तकिया फेंक कर क्यों भाग गई। कहीं उसे ये सब गलत तो नहीं लगा या फिर दीदी मुझसे शर्मा गई है।

अपने विचारो में डूबा हुआ अजय सोच रहा था कि आखिर हुआ क्या हैं। वहीं सौंदर्या अपने भाई की ललचाई नजरो को समझते ही अंदर से कांप उठी थी। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे इसलिए तेजी से अपने कमरे में भागती हुई चली अाई थी।

सौंदर्या अपने भाई के बारे में सोच रही थी और वो बेड पर लेट गई। शर्म और उत्तेजना के मारे उसकी सांसे अभी तक तेजी से चल रही थी। सोने की कोशिश करते हुए सौंदर्या ने अपने साडी को उतारकर एक तरफ रख दिया और तभी बेड के उपर लगे हुए बल्ब से एक कीड़ा नीचे गिरा और सीधे उसके ब्लाउस में घुस गया। सौंदर्या के मुंह से डर के मारे एक आह निकल पड़ी और वो तेजी से बाहर की तरफ भागी और अजय के कमरे में घुस गई और अपने दोनो हाथों से अपने ब्लाउस को इधर उधर करने लगी। कभी ब्लाउस के अंदर झांकती तो कभी उसे नीचे से उपर उठाने की कोशिश करती तो कभी उसने हाथ ब्लाउस के अंदर घुसा देती।


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सौंदर्या की हरकतों से उसकी चूचियां बाहर को छलक पड़ रही थी। अजय ये देखकर तेजी से उसकी और दौड़ा और बोला:"

" क्या हुआ दीदी ? आप क्यों परेशान हो और चिल्ला रही हो ?

कीड़ा खुद अंदर छटपटा रहा था और तेजी से अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर दौड़ रहा था जिससे सौंदर्या को तेज गुदगुदी हो रही थी और वो कांपती हुई बोली:"

" आह भाई मेरे ब्लाउस के अंदर कीड़ा घुस गया है। उफ्फ निकल नहीं रहा। कुछ मदद करो।

सौंदर्या मचलते हुए सिसक उठी तो अजय उसके करीब हो गया और उसके ब्लाउस के अंदर झांकने लगा। सौंदर्या की हालत उत्तेजना से खराब हो गई और उसने शर्मा कर अपनी आंखो को बंद कर दिया। अजय ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और उसने कांपते हाथो से अपनी दीदी के ब्लाउस को थोड़ा सा आगे की तरफ खींच दिया ताकि अंदर अंदर झांक सके।


अजय ने अपनी बहन के ब्लाउस के अंदर झांका तो उसकी गोरी गोरी गोल गोल चूचियों की जानलेवा उभार को देखते ही उसके लंड ने अपने आप एक जोरदार अंगड़ाई ली। सौंदर्या अभी भी मचल रही थी क्योंकि उसे कीड़े की वजह से तेज़ गुदगुदी हो रही थी इसलिए वो उत्तेजना से भर उठी और तड़पते हुए बोली:"

" आह भाई कुछ करके बाहर निकालो इसे। उफ्फ मेरी जान ही ले लेगा ये आज। आह भाई जल्दी करो तुम।

अजय से अपनी बहन की तड़प बर्दाश्त नहीं हुई और उसने अपने हाथ से ब्लाउस को आगे की तरफ किया। खींचते ही एक झटके के साथ उसके दो बटन कटक की आवाज के साथ टूट गए और सौंदर्या के मुंह से डर और शर्म के मारे एक आह निकल पड़ी और वो शर्म के मारे अपने भाई के सीने में घुस गई।

अजय ने एक हाथ को उसके गोरे चिकने कंधे पर रख दिया और उसके कान में धीरे से बोला:"

" दीदी डरो मत। देखने दो मुझे ताकि कीड़ा निकाल सकू।

सौंदर्या का रोम रोम अपने भाई की बात सुनकर सिहर उठा। उसकी चूचियों में कड़कपन अा गया और ये सोचकर कि उसका भाई उसकी चूचियों को देखेगा वो उससे पूरी तरह से चिपक गई।

अजय उसकी हालत समझ गया और उसने धीरे से उसकी कमर सहलाते हुए उसके कान में कहा::"

" दीदी देर मत करो, कहीं कीड़ा जहरीला हुआ और काट लिया तो दिक्कत होगी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर डर और फिर धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"

" आह मेरे प्यारे भाई, जल्दी निकालो फिर तो, सिर्फ कीड़ा ही देखना तुम।

इतना कहकर सौंदर्या ने अपनी छाती को थोड़ी सा पीछे किया और अपनी आंखे बंद करते हुए अपने सिर को अजय के कंधे पर टिका दिया। अजय ने पहली बार अपनी बहन की चुचियों को देखा। बस ब्लाउस नाम भर के लिए था और उसकी चूचियों के सिर्फ निप्पल को छुपा रहा था जबकि उसकी पूरी चूची बाहर निकली हुई थी। अजय पूरी तसल्ली से बिना किसी जल्दबाजी के अपनी बहन को देख रहा था जिसका असर उसके लंड पर पूरी तरह से हो गया था और लंड अपनी औकात में आकर लोहे की रॉड की तरह तन गया था। सौंदर्या ने एक पल के लिए अपनी आंखे खोली और अपने भाई को अपनी चूचियों को घूरते हुए देखकर शर्म से पानी पानी हो गई और उससे कसकर लिपट गई और जैसे ही उसे अपने भाई के खड़े हुए लंड का एहसास हुआ तो उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

अजय ने देखा कि कीड़ा मर गया था और ये तो घर में उड़ने वाला मामूली सा कीड़ा था। अजय के खड़े हुए लंड और सौंदर्या की गोल गोल चूचियां अपना असर अजय पर दिखा रही थी और अजय ने कीड़े को हाथ में पकड़ लिया और उसे सौंदर्या के सीने पर घुमाना शुरू कर दिया। सौंदर्या पूरी तरह से मचल रही थी और आगे पीछे उत्तेजना की वजह से हो रही थी जिससे उसके भाई के खड़े हुए लंड का एहसास उसे अपनी जांघो के बीच में हो रहा था। अजय के हाथ सौंदर्या की चूचियों पर घूम रहे थे और रह रह कर सौंदर्या के मुंह से मस्ती भरी आह निकल रही थीं। अजय अपनी बहन की नरम नरम चूचियों के एहसास से पागल सा हो रहा था और उसने अपनी चाल चलते हुए कीड़े को उसके ब्लाउस में फिर से एक तरफ डाल दिया।सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी क्योंकि वो जानती थी कि अब उसका भाई कीड़े को पकड़ने के लिए उसके ब्लाउस के सभी बटन खोल देगा।

अजय ने अपने साथ को आगे बढ़ाया और उसकी दाई चूची की तरफ ब्लाउस के अंदर घुसाने लगा। सौंदर्या की चूत में चिंगारी सी निकलने लगी और उसकी सांसे तेज चल रही थी।

अजय के हाथ उसके ब्लाउस में घुसे और उसकी आधे से ज्यादा चूची उसके भाई की गिरफ्त में अा गई। सौंदर्या मस्ती में डूब गई और उसने खुद ही अपनी चूचियों को उपर की तरफ उभार दिया तो अजय ने हिम्मत करके उसकी पूरी चूची को अपने हाथ में भर लिया और इसके साथ ही सौंदर्या का धैर्य जवाब दे गया और वो अपने भाई से अमर बेल की तरह लिपट गई। अजय ने एक उंगली से कीड़े को पकड़ा और उसके निप्पल पर घुमाया तो सौंदर्या पूरी तरह से बहक गई और अपनी टांगो को पूरी से खोलते हुए अजय के लन्ड पर अपनी चूत को चिपका दिया। अजय अपनी बहन की एक हरकत से जोश में अा गया और उसने उसकी चूची को हाथ में भरते हुए हल्का सा मसल दिया तो सौंदर्या मस्ती से बिफर उठी और अजय के कंधे में अपने दांत गडा दिए।

अजय तड़प उठा और उसने पहली बार अपनी बहन की पूरी चूची को अपनी हथेली में कस लिया और थोड़ा जोर से दबाया तो सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी जीभ अपने भाई के कंधे को चाटने लगी।

कीड़ा कभी का नीचे गिर गया था और अजय अब अपने हाथ से उसकी चूची को मसल रहा था। दोनो भाई बहन पूरी तरह से मस्ती में डूबे हुए थे और अजय ने अपने दूसरे हाथ से सौंदर्या के ब्लाउस के आखिरी बटन को भी खोल दिया तो उसकी चूचियां नंगी होकर उछल पड़ी। सौंदर्या को जैसे ही अपनी नंगी बिल्कुल नंगी चूचियों का एहसास हुआ तो उसे अपनी हालत का एहसास हुआ और वो अपनी आंखे खोली और एक तेज झटके के साथ अजय से अलग हुई और अपने कमरे में दौड़ती हुई चली गई।
Der se hi..update aya aur thoda khushi hui...ab agla dekhte hai update...
 

andyking302

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रात में करीब आठ बजे सौंदर्या अपने भाई के साथ घर पहुंच गई और उन्हें देखते ही कमला की जान में जान अाई और रोती हुई भगाकर सौंदर्या से लिपट गई।

सौंदर्या ने भी अपनी मा को अपनी बांहों में भर लिया और उससे चिपक गई। घर में आस पड़ोस के लोगो की भीड़ इकट्ठा हो गई थी जो कमला को सांत्वना देने और उसका दुख दर्द बांटने आए थे। सभी लोग अजय से वहां क्या हुआ पूछ रहे थे और अजय उन्हें वहीं सब बता रहा था जो वो अपने प्लान के तहत पहले ही पुलिस को बता चुका था।

सीमा के पापा:" ओह बेटा ये तो बहुत अच्छा हूं कि अपनी समझदारी से अच्छा मौका देखकर सौंदर्या अपनी जान बचा कर भाग अाई और उस कमीने मनोज का पर्दाफाश कर दिया।

राम बाबू ( सरपंच)= मनोज ने अपने गंदे कामो से गांव का नाम बदनाम किया वहीं सौंदर्या ने ना सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि उसके काले कारनामों का पर्दाफाश करके गांव का नाम भी खराब होने से बचा लिया। सौंदर्या जैसे बेटी भगवान सबको दे। ये सिर्फ कमला बहन की ही नहीं बल्कि पूरे गांव की बेटी है।

सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई चुपचाप अपने भाई की बाते सुन रही थी और तभी अजय बोल पड़ा:"

" सच में मेरी दीदी ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए उनकी सूचना पुलिस को दी और गांव का नाम रोशन किया है। नारी शक्ति के लिए एक नई मिशाल हैं मेरी दीदी सौंदर्या।

सारा गांव मिलकर सौंदर्या की जय जयकार कर रहा था और सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपने भाई को देख रही थी कि वो कितना महान हैं। सब गुण्डो को उसने मारा और लोगो की नजरो में मुझे ऊंचा कर दिया। सच में मेरा भाई लाखो में एक हैं, हीरा हैं बिल्कुल हीरा।

थोड़ी देर के बाद जय जयकार करके गांव के सभी लोग अपने घर चले गए और सौंदर्या ने अपनी मम्मी को सारी सच्चाई बता दी तो उसने खुशी और गर्व से अपने बेटे की तरफ देखा और स्माइल करते हुए अपने बेटे की बलाएं लेते हुए अपने पास आने का इशारा किया



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कमला:" शाबाश बेटा। आज तूने मेरे दूध का हक अदा कर दिया। भगवान करे तेरी ताकत को कभी नजर ना लगे। बेटा हो तो मेरे बेटे जैसा। आज से तुम्हे पूरी आजादी हैं चाहे जिम करो या फाइट।

कमला ने आगे बढ़कर अपने बेटा का माथा चूम लिया। सौंदर्या मंद मंद खड़ी हुई स्माइल कर रही थी और कमला बार बार अपने बेटे के माथे को चूम रही थी।

कमला:" सच में तू ही अपनी बहन की इज्जत की मान मर्यादा और इज्जत का रखवाला है। अरे मैं तो भूल ही गई रुक तेरी नज़र उतार देती हूं।

इतना कहकर कमला अंदर चली और जल्दी ही हाथ में एक थाली लिए अाई और खुशी के मारे उसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे। उसने अजय के सामने खड़ी होकर उसकी आरती( नजर) उतारनी शुरू कर दी।



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कमला अपनी आंखो में खुशी के आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए अपने बेटे की आरती उतार रही थी और अजय बहुत ही प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपनी मा को खामोशी से देख रहा था जिसकी आंखो से आंसू निकलकर उसके गालों को भिगो रहे थे। कमला के ठीक पीछे खड़ी हुई सौंदर्या ये सब देख कर खुशी से फूली नहीं समा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि उसके भाई को उसके किए का असली सम्मान और प्यार अब मिल रहा है। कानूनी प्रक्रिया के चलते वो चाह कर भी सबके सामने सच नहीं बोल सकती थी लेकिन घर में अपनी मा को बताकर उसने अपने दिल का बोझ हल्का कर लिया था।

अजय ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और अपनी मा की आंखो से आंसू साफ करने लगा और बोला:"

" बस मम्मी हो गई मेरी आरती। सच कहूं मम्मी आपका ये ही प्यार तो अद्भुत हैं।

कमला ने थाली एक तरफ रखी और अजय से गले लग गई। उसके आंसू अब पूरी तरह से रुक गए थे। थोड़ी देर के बाद कमला ने थोड़ा सा खाना बनाया और सभी ने साथ ने मिलकर खाना खाया।

खाना खाने के बाद सभी लोग नीचे ही हॉल में बैठ गए और बात होने लगी।

कमला:" बेटा आज तूने सच में कमाल किया है। तेरे पापा जिंदा होते तो सच में आज वो बहुत खुश होते ।

अजय:" मम्मी कमाल वामाल कुछ नहीं किया। बस अपनी दीदी की रक्षा करी जो कि मेरा फ़र्ज़ है।

कमला:" लेकिन बेटा आजकल लोग अपना फ़र्ज़ भी कहां पूरा करते हैं। मैंने जरूर पिछले जन्म में कुछ पुण्य किए होंगे जो तुझ जैसा लायक बेटा मिला।

सौंदर्या:" हान मम्मी ये बात आपने बिल्कुल ठीक कही। ऐसे भाई आजकल किस्मत से ही मिलते हैं बस।

कमला:" अच्छा अजय अब हमे जल्दी से जल्दी सौंदर्या के हाथ पीले कर देने चाहिए। कल आचार्य तुलसी प्रसाद जी भी अा रहे हैं गांव में ही। क्यों ना हमे उनसे मिलकर इसकी कुंडली के निवारण का कोई उपाय देखना चाहिए।

सौंदर्या अपनी शादी की बात सुनकर शर्मा गई और अपने गुलाबी गाल लिए वहां से उठकर उपर चली गई। अजय और कमला दोनो ये देखकर हंस पड़े और अजय बोला:"

" हान मम्मी, मैंने उनके बारे में सुना है कि वो बहुत ही अच्छे और सिद्ध पुरुष हैं। इसलिए मुझे भी पूरी उम्मीद है कि वो जरूर कोई ना कोई उपाय बता देंगे।

कमला ने गर्दन हिला कर अपने बेटे की बातो को समर्थन दिया और बोली:"

" हान बेटा। अच्छा अब एक काम करो तुम भी जाओ और जाकर आराम कर लो। थक गए होंगे दोनो आज बहुत। ऊपर से मौसम भी खराब हैं।

अजय:" ठीक है मम्मी। आप सौंदर्या दीदी की शादी की चिंता मत कीजिए। मैं अपने आप अब सब संभाल लूंगा , मैं चलता हूं आप भी आराम कर लीजिए।

इतना कहकर अजय खड़ा हो गया और उपर की तरफ चल पड़ा। कमला भी बाहर हॉल में ही पड़े हुए बेड पर लेट गई और सोने का प्रयास करने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शादाब और शहनाज़ दोनो इंडिया वापिस अा गए थे और दोनो सीधे हॉस्पिटल में पहुंच गए जहां उसके फूफा भर्ती थे। शहनाज़ को देखते ही रेशमा उससे लिपटकर भावुक हो गई और दोनो औरतें एक दूसरे के गले लग गई।

शादाब ने दोनो को समझाते हुए और अलग किया और बोला :"

" बुआ कहां है फूफा जी ? उनसे हमे मिलवाओ।

रेशमा शादाब और शहनाज़ को अपने साथ अंदर ले गई और एक कमरे में उन्हें वसीम लेटा हुआ दिखाई दिया। शादाब को देखते ही वो भावुक हो उठा और उठने की कोशिश करने लगा लेकिन उठ नहीं पाया और उसकी आंखो में आंसू अा गए।

शादाब बिना कुछ बोले ही समझ गया कि उसके फूफा को पेट से नीचे लकवा मार गया है।

वसीम के पास ही शादाब बैठ गया तो वसीम ने शादाब का हाथ थाम लिया और बोला:"

" शादाब बेटा, मेरा कमर से नीचे का हिस्सा खत्म हो गया है। डॉक्टर बोलते हैं कि मैं कभी ठीक नहीं हो सकता। तुम भी तो एक डॉक्टर बन रहे हो बेटा। तुम सच बताओ क्या मैं ठीक हो सकता हूं कभी या नहीं ?

शादाब जानता था कि ऐसी हालत में कोई जादू ही वसीम को ठीक कर सकता है लेकिन फिर भी तसल्ली देते हुए बोला:"

" मुश्किल तो बहुत हैं लेकिन आप खुदा पर भरोसा रखिए। आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।

वसीम:" बेटा मुझे यहां से घर ले चलो, मैं अब और यहां रहना नहीं चाहता।

शादाब:" ठीक है। मैं डॉक्टर से बात कर लेता हूं और शाम तक हमे छुट्टी मिल सकती हैं।

इतना बोलकर शादाब उठकर बाहर अा गया और फिर डॉक्टर दे बात करने चला गया। दोपहर तक सब कागजी कार्यवाही पूरी हो गई और उसके बाद सभी लोग घर की तरफ लौट पड़े।

वसीम को नीचे बैठक में ही लिटा दिया जहां पहले कभी दादा दादी लेटा करते थे। रेशमा घर में नीचे ही रह रही थी और उसने कभी भी उपर शहनाज़ और शादाब के कमरे नहीं खोले थे।

रेशमा घर आकर खाना बनाने में जुट गई और शादाब और शहनाज़ दोनो उससे चाबी लेकर उपर चले गए। कमरे को खोला तो वो काफी गंदे हो गए थे। धूल मिट्टी लग गई और पूरे कमरे में बंद होने की वजह से एक अजीब सी बदबू फैली हुई थी।

दोनो के एक दूसरे की तरफ देखा और उनके होंठो पर एक साथ स्माइल अा गई और दोनो साफ सफाई में जुट गए। शादाब ने कमरे से एक एक करके सारा सामान बाहर निकाला। सारी कमरे में लगे हुए जालो को हटाया झाड़ू से शहनाज ने पूरे कमरे को साफ किया। उसके बाद शादाब ने कमरे की दीवारों को अच्छी धोया और फिर एक गुलाब की महक वाला लिक्विड निकालकर उसने शहनाज़ को दिया और शहनाज ने फिर सारे कमरे में उसका पोछा मार दिया तो पूरा कमरा खुशबू से भर उठा।

दोनो के उपर धूल जम गई और दोनो ही एक दूसरे ही हालत को देखकर हंस रहे थे।

शादाब:" अम्मी अपनी शक्ल देखो आइने में। बिल्कुल चुड़ैल जैसी लग रही हो आप। आपके ऊपर बहुत ज्यादा धूल जम गई है आज सफाई करके।

शहनाज़ ने उसकी तरफ घूरकर देखा और बोली:" अच्छा और खुद को देखो। आदि मानव जैसे लग रहे हो तुम।

आदि मानव की बात सुनकर शादाब के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" लेकिन मेरी जान शहनाज़, मेरी अम्मी आदि मानव तो नंगे रहते थे बिल्कुल नंगे।

शहनाज़ अपने बेटे के मुंह से नंगे शब्द सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" शर्म नहीं आती तुम्हे। अपनी मा के सामने नंगा बोलते हो तुम।

शादाब थोड़ा सा उसके करीब हुआ और उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी आंखे में देखते हुए बोला:"

" तुमसे नंगा बोलने में कैसी शर्म मेरी जान। नंगा तो तुम्हे आज सारी रात रहूंगा। यहीं इसी बेड पर इसी कमरे में सारी रात।

इतना कहकर उसने शहनाज की गांड़ को दोनो हाथों में भर कर मसल दिया तो शहनाज के मुंह से एक आह निकल पड़ी और वो किसी मछली की तरह फुर्ती दिखाती हुई उसकी बांहों से निकल गई और तेजी से बाथरूम में घुस गई और गेट से बोली:"

" सच में आदि मानव ही हो तुम। वो दिन में नंगे रहते थे और तुम रात में होते हो।

इतना कहकर शहनाज़ ने बाथरूम बंद कर दिया और अपनी उपर नीचे हो रही चूचियों को देख कर मुस्करा उठी और बेड शीट पर पर्दे धोने में जुट गई। कमरा अब तक अंदर से सूख गया था तो वहीं शादाब ने एक एक करके सारे सामान को अंदर वापिस लगा दिया। अब कमरे में किसी भी तरह की बदबू का कोई नामो निशान नहीं था बल्कि एक भीनी भीनी सी खुशबू पूरे कमरे में फैली हुई थी।

शहनाज ने सभी कपडे धोकर शादाब को दिए और उसने वो उपर छत पर सूखने के लिए डाल दिए। शहनाज़ नहा चुकी थी और बिल्कुल एक ताजे गुलाब की तरह खिली हुई लग रही थी। अपनी अम्मी को ललचाई नज़रों से देखते हुए शादाब भी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और जल्दी ही दोनो मा बेटा नहा धोकर नीचे अा गए।

खाना बन गया था इसलिए पूरे परिवार ने खाना खाया और उसके बाद थके और शादाब और शहनाज़ दोनो उपर कमरे में गए और बेड पर गिरते ही उन्हें नींद आ गई।

अजय उपर छत पर अा गया और उसने देखा कि उसकी बहन उसके कमरे में हैं और उसके सोने की चादर ठीक कर रही थी। अजय को ये देखकर काफी सुकून मिला कि दोनो भाई बहन के बीच गलतफहमी की वजह से बनी हुई नफरत की दीवार अब ढह गई थी।

सौंदर्या:" आओ भाई। देखो मैंने आपकी बेड शीट को बिल्कुल ठीक कर दिया है।

अजय स्माइल करते हुए बोला:" हान दीदी वही तो मैं भी देख रहा हूं कि आप अपने भाई का कितना ज्यादा ध्यान रख रही है।

सौंदर्या ने एक मीठी सी स्माइल अजय को दी और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" रखूंगी क्यों नहीं, मेरा भाई हैं भी लाखो में एक।

अजय अपनी दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और वहीं बेड पर बैठ कर अपने जूते निकालने लगा। तभी सौंदर्या को याद आया कि उसने अपने भाई के लिए अलमारी से तकिया तो अभी निकाला नहीं हैं तो वो तकिया निकालने लगी। तकिया हाथ में लेकर वो आगे बढ़ी और अजय से तकरा गई और उसके हाथ से तकिया छूटकर नीचे गिर गया। सौंदर्या तकिया उठाने के लिए नीचे की तरफ झुकी और उसकी रेशमी साडी उसके कंधे से पूरी तरह से सरक गई। साडी सरकते ही उसकी हल्के पीले रंग के शॉर्ट ब्लाउस में कैद चूचियों का उभार साफ़ नजर आया और अजय की नजरे किसी चुंबक की तरह उन पर टिक गई। सौंदर्या पूरी तरह से इस बात से बेखबर नीचे झुकती जा रही थी और उसकी चुचियों का उभार और ज्यादा गहरा होता जा रहा था।



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अजय की आंखो में एक अजीब सी चमक थी और उसे अपनी बहन की चूचियों की गहराई बहुत आकर्षक लग रही थी। सौंदर्या ने तकिया उठाया और जैसे ही सीधी हुई तो उसकी नजरे अजय पर गई और अजय की ललचाई नज़रों का पीछा करते ही उसे अपने हालत का एहसास हुआ था तो वो शर्म से लाल हो गई और उसने तेजी से तकिए को बेड पर फेंक दिया और अपने कमरे में दौड़ती चली गई।

अजय अपनी बहन की इस हरकत पर हैरान हो उठा। जो हुआ वो सब हादसा था लेकिन उसकी इतनी शर्मा कर तकिया फेंक कर क्यों भाग गई। कहीं उसे ये सब गलत तो नहीं लगा या फिर दीदी मुझसे शर्मा गई है।

अपने विचारो में डूबा हुआ अजय सोच रहा था कि आखिर हुआ क्या हैं। वहीं सौंदर्या अपने भाई की ललचाई नजरो को समझते ही अंदर से कांप उठी थी। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे इसलिए तेजी से अपने कमरे में भागती हुई चली अाई थी।

सौंदर्या अपने भाई के बारे में सोच रही थी और वो बेड पर लेट गई। शर्म और उत्तेजना के मारे उसकी सांसे अभी तक तेजी से चल रही थी। सोने की कोशिश करते हुए सौंदर्या ने अपने साडी को उतारकर एक तरफ रख दिया और तभी बेड के उपर लगे हुए बल्ब से एक कीड़ा नीचे गिरा और सीधे उसके ब्लाउस में घुस गया। सौंदर्या के मुंह से डर के मारे एक आह निकल पड़ी और वो तेजी से बाहर की तरफ भागी और अजय के कमरे में घुस गई और अपने दोनो हाथों से अपने ब्लाउस को इधर उधर करने लगी। कभी ब्लाउस के अंदर झांकती तो कभी उसे नीचे से उपर उठाने की कोशिश करती तो कभी उसने हाथ ब्लाउस के अंदर घुसा देती।


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सौंदर्या की हरकतों से उसकी चूचियां बाहर को छलक पड़ रही थी। अजय ये देखकर तेजी से उसकी और दौड़ा और बोला:"

" क्या हुआ दीदी ? आप क्यों परेशान हो और चिल्ला रही हो ?

कीड़ा खुद अंदर छटपटा रहा था और तेजी से अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर दौड़ रहा था जिससे सौंदर्या को तेज गुदगुदी हो रही थी और वो कांपती हुई बोली:"

" आह भाई मेरे ब्लाउस के अंदर कीड़ा घुस गया है। उफ्फ निकल नहीं रहा। कुछ मदद करो।

सौंदर्या मचलते हुए सिसक उठी तो अजय उसके करीब हो गया और उसके ब्लाउस के अंदर झांकने लगा। सौंदर्या की हालत उत्तेजना से खराब हो गई और उसने शर्मा कर अपनी आंखो को बंद कर दिया। अजय ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और उसने कांपते हाथो से अपनी दीदी के ब्लाउस को थोड़ा सा आगे की तरफ खींच दिया ताकि अंदर अंदर झांक सके।


अजय ने अपनी बहन के ब्लाउस के अंदर झांका तो उसकी गोरी गोरी गोल गोल चूचियों की जानलेवा उभार को देखते ही उसके लंड ने अपने आप एक जोरदार अंगड़ाई ली। सौंदर्या अभी भी मचल रही थी क्योंकि उसे कीड़े की वजह से तेज़ गुदगुदी हो रही थी इसलिए वो उत्तेजना से भर उठी और तड़पते हुए बोली:"

" आह भाई कुछ करके बाहर निकालो इसे। उफ्फ मेरी जान ही ले लेगा ये आज। आह भाई जल्दी करो तुम।

अजय से अपनी बहन की तड़प बर्दाश्त नहीं हुई और उसने अपने हाथ से ब्लाउस को आगे की तरफ किया। खींचते ही एक झटके के साथ उसके दो बटन कटक की आवाज के साथ टूट गए और सौंदर्या के मुंह से डर और शर्म के मारे एक आह निकल पड़ी और वो शर्म के मारे अपने भाई के सीने में घुस गई।

अजय ने एक हाथ को उसके गोरे चिकने कंधे पर रख दिया और उसके कान में धीरे से बोला:"

" दीदी डरो मत। देखने दो मुझे ताकि कीड़ा निकाल सकू।

सौंदर्या का रोम रोम अपने भाई की बात सुनकर सिहर उठा। उसकी चूचियों में कड़कपन अा गया और ये सोचकर कि उसका भाई उसकी चूचियों को देखेगा वो उससे पूरी तरह से चिपक गई।

अजय उसकी हालत समझ गया और उसने धीरे से उसकी कमर सहलाते हुए उसके कान में कहा::"

" दीदी देर मत करो, कहीं कीड़ा जहरीला हुआ और काट लिया तो दिक्कत होगी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर डर और फिर धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"

" आह मेरे प्यारे भाई, जल्दी निकालो फिर तो, सिर्फ कीड़ा ही देखना तुम।

इतना कहकर सौंदर्या ने अपनी छाती को थोड़ी सा पीछे किया और अपनी आंखे बंद करते हुए अपने सिर को अजय के कंधे पर टिका दिया। अजय ने पहली बार अपनी बहन की चुचियों को देखा। बस ब्लाउस नाम भर के लिए था और उसकी चूचियों के सिर्फ निप्पल को छुपा रहा था जबकि उसकी पूरी चूची बाहर निकली हुई थी। अजय पूरी तसल्ली से बिना किसी जल्दबाजी के अपनी बहन को देख रहा था जिसका असर उसके लंड पर पूरी तरह से हो गया था और लंड अपनी औकात में आकर लोहे की रॉड की तरह तन गया था। सौंदर्या ने एक पल के लिए अपनी आंखे खोली और अपने भाई को अपनी चूचियों को घूरते हुए देखकर शर्म से पानी पानी हो गई और उससे कसकर लिपट गई और जैसे ही उसे अपने भाई के खड़े हुए लंड का एहसास हुआ तो उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

अजय ने देखा कि कीड़ा मर गया था और ये तो घर में उड़ने वाला मामूली सा कीड़ा था। अजय के खड़े हुए लंड और सौंदर्या की गोल गोल चूचियां अपना असर अजय पर दिखा रही थी और अजय ने कीड़े को हाथ में पकड़ लिया और उसे सौंदर्या के सीने पर घुमाना शुरू कर दिया। सौंदर्या पूरी तरह से मचल रही थी और आगे पीछे उत्तेजना की वजह से हो रही थी जिससे उसके भाई के खड़े हुए लंड का एहसास उसे अपनी जांघो के बीच में हो रहा था। अजय के हाथ सौंदर्या की चूचियों पर घूम रहे थे और रह रह कर सौंदर्या के मुंह से मस्ती भरी आह निकल रही थीं। अजय अपनी बहन की नरम नरम चूचियों के एहसास से पागल सा हो रहा था और उसने अपनी चाल चलते हुए कीड़े को उसके ब्लाउस में फिर से एक तरफ डाल दिया।सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी क्योंकि वो जानती थी कि अब उसका भाई कीड़े को पकड़ने के लिए उसके ब्लाउस के सभी बटन खोल देगा।

अजय ने अपने साथ को आगे बढ़ाया और उसकी दाई चूची की तरफ ब्लाउस के अंदर घुसाने लगा। सौंदर्या की चूत में चिंगारी सी निकलने लगी और उसकी सांसे तेज चल रही थी।

अजय के हाथ उसके ब्लाउस में घुसे और उसकी आधे से ज्यादा चूची उसके भाई की गिरफ्त में अा गई। सौंदर्या मस्ती में डूब गई और उसने खुद ही अपनी चूचियों को उपर की तरफ उभार दिया तो अजय ने हिम्मत करके उसकी पूरी चूची को अपने हाथ में भर लिया और इसके साथ ही सौंदर्या का धैर्य जवाब दे गया और वो अपने भाई से अमर बेल की तरह लिपट गई। अजय ने एक उंगली से कीड़े को पकड़ा और उसके निप्पल पर घुमाया तो सौंदर्या पूरी तरह से बहक गई और अपनी टांगो को पूरी से खोलते हुए अजय के लन्ड पर अपनी चूत को चिपका दिया। अजय अपनी बहन की एक हरकत से जोश में अा गया और उसने उसकी चूची को हाथ में भरते हुए हल्का सा मसल दिया तो सौंदर्या मस्ती से बिफर उठी और अजय के कंधे में अपने दांत गडा दिए।

अजय तड़प उठा और उसने पहली बार अपनी बहन की पूरी चूची को अपनी हथेली में कस लिया और थोड़ा जोर से दबाया तो सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी जीभ अपने भाई के कंधे को चाटने लगी।

कीड़ा कभी का नीचे गिर गया था और अजय अब अपने हाथ से उसकी चूची को मसल रहा था। दोनो भाई बहन पूरी तरह से मस्ती में डूबे हुए थे और अजय ने अपने दूसरे हाथ से सौंदर्या के ब्लाउस के आखिरी बटन को भी खोल दिया तो उसकी चूचियां नंगी होकर उछल पड़ी। सौंदर्या को जैसे ही अपनी नंगी बिल्कुल नंगी चूचियों का एहसास हुआ तो उसे अपनी हालत का एहसास हुआ और वो अपनी आंखे खोली और एक तेज झटके के साथ अजय से अलग हुई और अपने कमरे में दौड़ती हुई चली गई।
शानदार जबरदस्त लाजवाब भाई
 

Luckyloda

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बहुत शानदार अपडेट अंत में कीड़े न apne aap ko Fanaa Kar donon bahan bhaiyon ke bich ki Duri ko Kuchh kam karne ka Prayas Kiya Hai
 

Lib am

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रात में करीब आठ बजे सौंदर्या अपने भाई के साथ घर पहुंच गई और उन्हें देखते ही कमला की जान में जान अाई और रोती हुई भगाकर सौंदर्या से लिपट गई।

सौंदर्या ने भी अपनी मा को अपनी बांहों में भर लिया और उससे चिपक गई। घर में आस पड़ोस के लोगो की भीड़ इकट्ठा हो गई थी जो कमला को सांत्वना देने और उसका दुख दर्द बांटने आए थे। सभी लोग अजय से वहां क्या हुआ पूछ रहे थे और अजय उन्हें वहीं सब बता रहा था जो वो अपने प्लान के तहत पहले ही पुलिस को बता चुका था।

सीमा के पापा:" ओह बेटा ये तो बहुत अच्छा हूं कि अपनी समझदारी से अच्छा मौका देखकर सौंदर्या अपनी जान बचा कर भाग अाई और उस कमीने मनोज का पर्दाफाश कर दिया।

राम बाबू ( सरपंच)= मनोज ने अपने गंदे कामो से गांव का नाम बदनाम किया वहीं सौंदर्या ने ना सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि उसके काले कारनामों का पर्दाफाश करके गांव का नाम भी खराब होने से बचा लिया। सौंदर्या जैसे बेटी भगवान सबको दे। ये सिर्फ कमला बहन की ही नहीं बल्कि पूरे गांव की बेटी है।

सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई चुपचाप अपने भाई की बाते सुन रही थी और तभी अजय बोल पड़ा:"

" सच में मेरी दीदी ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए उनकी सूचना पुलिस को दी और गांव का नाम रोशन किया है। नारी शक्ति के लिए एक नई मिशाल हैं मेरी दीदी सौंदर्या।

सारा गांव मिलकर सौंदर्या की जय जयकार कर रहा था और सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपने भाई को देख रही थी कि वो कितना महान हैं। सब गुण्डो को उसने मारा और लोगो की नजरो में मुझे ऊंचा कर दिया। सच में मेरा भाई लाखो में एक हैं, हीरा हैं बिल्कुल हीरा।

थोड़ी देर के बाद जय जयकार करके गांव के सभी लोग अपने घर चले गए और सौंदर्या ने अपनी मम्मी को सारी सच्चाई बता दी तो उसने खुशी और गर्व से अपने बेटे की तरफ देखा और स्माइल करते हुए अपने बेटे की बलाएं लेते हुए अपने पास आने का इशारा किया



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कमला:" शाबाश बेटा। आज तूने मेरे दूध का हक अदा कर दिया। भगवान करे तेरी ताकत को कभी नजर ना लगे। बेटा हो तो मेरे बेटे जैसा। आज से तुम्हे पूरी आजादी हैं चाहे जिम करो या फाइट।

कमला ने आगे बढ़कर अपने बेटा का माथा चूम लिया। सौंदर्या मंद मंद खड़ी हुई स्माइल कर रही थी और कमला बार बार अपने बेटे के माथे को चूम रही थी।

कमला:" सच में तू ही अपनी बहन की इज्जत की मान मर्यादा और इज्जत का रखवाला है। अरे मैं तो भूल ही गई रुक तेरी नज़र उतार देती हूं।

इतना कहकर कमला अंदर चली और जल्दी ही हाथ में एक थाली लिए अाई और खुशी के मारे उसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे। उसने अजय के सामने खड़ी होकर उसकी आरती( नजर) उतारनी शुरू कर दी।



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कमला अपनी आंखो में खुशी के आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए अपने बेटे की आरती उतार रही थी और अजय बहुत ही प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपनी मा को खामोशी से देख रहा था जिसकी आंखो से आंसू निकलकर उसके गालों को भिगो रहे थे। कमला के ठीक पीछे खड़ी हुई सौंदर्या ये सब देख कर खुशी से फूली नहीं समा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि उसके भाई को उसके किए का असली सम्मान और प्यार अब मिल रहा है। कानूनी प्रक्रिया के चलते वो चाह कर भी सबके सामने सच नहीं बोल सकती थी लेकिन घर में अपनी मा को बताकर उसने अपने दिल का बोझ हल्का कर लिया था।

अजय ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और अपनी मा की आंखो से आंसू साफ करने लगा और बोला:"

" बस मम्मी हो गई मेरी आरती। सच कहूं मम्मी आपका ये ही प्यार तो अद्भुत हैं।

कमला ने थाली एक तरफ रखी और अजय से गले लग गई। उसके आंसू अब पूरी तरह से रुक गए थे। थोड़ी देर के बाद कमला ने थोड़ा सा खाना बनाया और सभी ने साथ ने मिलकर खाना खाया।

खाना खाने के बाद सभी लोग नीचे ही हॉल में बैठ गए और बात होने लगी।

कमला:" बेटा आज तूने सच में कमाल किया है। तेरे पापा जिंदा होते तो सच में आज वो बहुत खुश होते ।

अजय:" मम्मी कमाल वामाल कुछ नहीं किया। बस अपनी दीदी की रक्षा करी जो कि मेरा फ़र्ज़ है।

कमला:" लेकिन बेटा आजकल लोग अपना फ़र्ज़ भी कहां पूरा करते हैं। मैंने जरूर पिछले जन्म में कुछ पुण्य किए होंगे जो तुझ जैसा लायक बेटा मिला।

सौंदर्या:" हान मम्मी ये बात आपने बिल्कुल ठीक कही। ऐसे भाई आजकल किस्मत से ही मिलते हैं बस।

कमला:" अच्छा अजय अब हमे जल्दी से जल्दी सौंदर्या के हाथ पीले कर देने चाहिए। कल आचार्य तुलसी प्रसाद जी भी अा रहे हैं गांव में ही। क्यों ना हमे उनसे मिलकर इसकी कुंडली के निवारण का कोई उपाय देखना चाहिए।

सौंदर्या अपनी शादी की बात सुनकर शर्मा गई और अपने गुलाबी गाल लिए वहां से उठकर उपर चली गई। अजय और कमला दोनो ये देखकर हंस पड़े और अजय बोला:"

" हान मम्मी, मैंने उनके बारे में सुना है कि वो बहुत ही अच्छे और सिद्ध पुरुष हैं। इसलिए मुझे भी पूरी उम्मीद है कि वो जरूर कोई ना कोई उपाय बता देंगे।

कमला ने गर्दन हिला कर अपने बेटे की बातो को समर्थन दिया और बोली:"

" हान बेटा। अच्छा अब एक काम करो तुम भी जाओ और जाकर आराम कर लो। थक गए होंगे दोनो आज बहुत। ऊपर से मौसम भी खराब हैं।

अजय:" ठीक है मम्मी। आप सौंदर्या दीदी की शादी की चिंता मत कीजिए। मैं अपने आप अब सब संभाल लूंगा , मैं चलता हूं आप भी आराम कर लीजिए।

इतना कहकर अजय खड़ा हो गया और उपर की तरफ चल पड़ा। कमला भी बाहर हॉल में ही पड़े हुए बेड पर लेट गई और सोने का प्रयास करने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शादाब और शहनाज़ दोनो इंडिया वापिस अा गए थे और दोनो सीधे हॉस्पिटल में पहुंच गए जहां उसके फूफा भर्ती थे। शहनाज़ को देखते ही रेशमा उससे लिपटकर भावुक हो गई और दोनो औरतें एक दूसरे के गले लग गई।

शादाब ने दोनो को समझाते हुए और अलग किया और बोला :"

" बुआ कहां है फूफा जी ? उनसे हमे मिलवाओ।

रेशमा शादाब और शहनाज़ को अपने साथ अंदर ले गई और एक कमरे में उन्हें वसीम लेटा हुआ दिखाई दिया। शादाब को देखते ही वो भावुक हो उठा और उठने की कोशिश करने लगा लेकिन उठ नहीं पाया और उसकी आंखो में आंसू अा गए।

शादाब बिना कुछ बोले ही समझ गया कि उसके फूफा को पेट से नीचे लकवा मार गया है।

वसीम के पास ही शादाब बैठ गया तो वसीम ने शादाब का हाथ थाम लिया और बोला:"

" शादाब बेटा, मेरा कमर से नीचे का हिस्सा खत्म हो गया है। डॉक्टर बोलते हैं कि मैं कभी ठीक नहीं हो सकता। तुम भी तो एक डॉक्टर बन रहे हो बेटा। तुम सच बताओ क्या मैं ठीक हो सकता हूं कभी या नहीं ?

शादाब जानता था कि ऐसी हालत में कोई जादू ही वसीम को ठीक कर सकता है लेकिन फिर भी तसल्ली देते हुए बोला:"

" मुश्किल तो बहुत हैं लेकिन आप खुदा पर भरोसा रखिए। आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।

वसीम:" बेटा मुझे यहां से घर ले चलो, मैं अब और यहां रहना नहीं चाहता।

शादाब:" ठीक है। मैं डॉक्टर से बात कर लेता हूं और शाम तक हमे छुट्टी मिल सकती हैं।

इतना बोलकर शादाब उठकर बाहर अा गया और फिर डॉक्टर दे बात करने चला गया। दोपहर तक सब कागजी कार्यवाही पूरी हो गई और उसके बाद सभी लोग घर की तरफ लौट पड़े।

वसीम को नीचे बैठक में ही लिटा दिया जहां पहले कभी दादा दादी लेटा करते थे। रेशमा घर में नीचे ही रह रही थी और उसने कभी भी उपर शहनाज़ और शादाब के कमरे नहीं खोले थे।

रेशमा घर आकर खाना बनाने में जुट गई और शादाब और शहनाज़ दोनो उससे चाबी लेकर उपर चले गए। कमरे को खोला तो वो काफी गंदे हो गए थे। धूल मिट्टी लग गई और पूरे कमरे में बंद होने की वजह से एक अजीब सी बदबू फैली हुई थी।

दोनो के एक दूसरे की तरफ देखा और उनके होंठो पर एक साथ स्माइल अा गई और दोनो साफ सफाई में जुट गए। शादाब ने कमरे से एक एक करके सारा सामान बाहर निकाला। सारी कमरे में लगे हुए जालो को हटाया झाड़ू से शहनाज ने पूरे कमरे को साफ किया। उसके बाद शादाब ने कमरे की दीवारों को अच्छी धोया और फिर एक गुलाब की महक वाला लिक्विड निकालकर उसने शहनाज़ को दिया और शहनाज ने फिर सारे कमरे में उसका पोछा मार दिया तो पूरा कमरा खुशबू से भर उठा।

दोनो के उपर धूल जम गई और दोनो ही एक दूसरे ही हालत को देखकर हंस रहे थे।

शादाब:" अम्मी अपनी शक्ल देखो आइने में। बिल्कुल चुड़ैल जैसी लग रही हो आप। आपके ऊपर बहुत ज्यादा धूल जम गई है आज सफाई करके।

शहनाज़ ने उसकी तरफ घूरकर देखा और बोली:" अच्छा और खुद को देखो। आदि मानव जैसे लग रहे हो तुम।

आदि मानव की बात सुनकर शादाब के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" लेकिन मेरी जान शहनाज़, मेरी अम्मी आदि मानव तो नंगे रहते थे बिल्कुल नंगे।

शहनाज़ अपने बेटे के मुंह से नंगे शब्द सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" शर्म नहीं आती तुम्हे। अपनी मा के सामने नंगा बोलते हो तुम।

शादाब थोड़ा सा उसके करीब हुआ और उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी आंखे में देखते हुए बोला:"

" तुमसे नंगा बोलने में कैसी शर्म मेरी जान। नंगा तो तुम्हे आज सारी रात रहूंगा। यहीं इसी बेड पर इसी कमरे में सारी रात।

इतना कहकर उसने शहनाज की गांड़ को दोनो हाथों में भर कर मसल दिया तो शहनाज के मुंह से एक आह निकल पड़ी और वो किसी मछली की तरह फुर्ती दिखाती हुई उसकी बांहों से निकल गई और तेजी से बाथरूम में घुस गई और गेट से बोली:"

" सच में आदि मानव ही हो तुम। वो दिन में नंगे रहते थे और तुम रात में होते हो।

इतना कहकर शहनाज़ ने बाथरूम बंद कर दिया और अपनी उपर नीचे हो रही चूचियों को देख कर मुस्करा उठी और बेड शीट पर पर्दे धोने में जुट गई। कमरा अब तक अंदर से सूख गया था तो वहीं शादाब ने एक एक करके सारे सामान को अंदर वापिस लगा दिया। अब कमरे में किसी भी तरह की बदबू का कोई नामो निशान नहीं था बल्कि एक भीनी भीनी सी खुशबू पूरे कमरे में फैली हुई थी।

शहनाज ने सभी कपडे धोकर शादाब को दिए और उसने वो उपर छत पर सूखने के लिए डाल दिए। शहनाज़ नहा चुकी थी और बिल्कुल एक ताजे गुलाब की तरह खिली हुई लग रही थी। अपनी अम्मी को ललचाई नज़रों से देखते हुए शादाब भी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और जल्दी ही दोनो मा बेटा नहा धोकर नीचे अा गए।

खाना बन गया था इसलिए पूरे परिवार ने खाना खाया और उसके बाद थके और शादाब और शहनाज़ दोनो उपर कमरे में गए और बेड पर गिरते ही उन्हें नींद आ गई।

अजय उपर छत पर अा गया और उसने देखा कि उसकी बहन उसके कमरे में हैं और उसके सोने की चादर ठीक कर रही थी। अजय को ये देखकर काफी सुकून मिला कि दोनो भाई बहन के बीच गलतफहमी की वजह से बनी हुई नफरत की दीवार अब ढह गई थी।

सौंदर्या:" आओ भाई। देखो मैंने आपकी बेड शीट को बिल्कुल ठीक कर दिया है।

अजय स्माइल करते हुए बोला:" हान दीदी वही तो मैं भी देख रहा हूं कि आप अपने भाई का कितना ज्यादा ध्यान रख रही है।

सौंदर्या ने एक मीठी सी स्माइल अजय को दी और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" रखूंगी क्यों नहीं, मेरा भाई हैं भी लाखो में एक।

अजय अपनी दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और वहीं बेड पर बैठ कर अपने जूते निकालने लगा। तभी सौंदर्या को याद आया कि उसने अपने भाई के लिए अलमारी से तकिया तो अभी निकाला नहीं हैं तो वो तकिया निकालने लगी। तकिया हाथ में लेकर वो आगे बढ़ी और अजय से तकरा गई और उसके हाथ से तकिया छूटकर नीचे गिर गया। सौंदर्या तकिया उठाने के लिए नीचे की तरफ झुकी और उसकी रेशमी साडी उसके कंधे से पूरी तरह से सरक गई। साडी सरकते ही उसकी हल्के पीले रंग के शॉर्ट ब्लाउस में कैद चूचियों का उभार साफ़ नजर आया और अजय की नजरे किसी चुंबक की तरह उन पर टिक गई। सौंदर्या पूरी तरह से इस बात से बेखबर नीचे झुकती जा रही थी और उसकी चुचियों का उभार और ज्यादा गहरा होता जा रहा था।



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अजय की आंखो में एक अजीब सी चमक थी और उसे अपनी बहन की चूचियों की गहराई बहुत आकर्षक लग रही थी। सौंदर्या ने तकिया उठाया और जैसे ही सीधी हुई तो उसकी नजरे अजय पर गई और अजय की ललचाई नज़रों का पीछा करते ही उसे अपने हालत का एहसास हुआ था तो वो शर्म से लाल हो गई और उसने तेजी से तकिए को बेड पर फेंक दिया और अपने कमरे में दौड़ती चली गई।

अजय अपनी बहन की इस हरकत पर हैरान हो उठा। जो हुआ वो सब हादसा था लेकिन उसकी इतनी शर्मा कर तकिया फेंक कर क्यों भाग गई। कहीं उसे ये सब गलत तो नहीं लगा या फिर दीदी मुझसे शर्मा गई है।

अपने विचारो में डूबा हुआ अजय सोच रहा था कि आखिर हुआ क्या हैं। वहीं सौंदर्या अपने भाई की ललचाई नजरो को समझते ही अंदर से कांप उठी थी। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे इसलिए तेजी से अपने कमरे में भागती हुई चली अाई थी।

सौंदर्या अपने भाई के बारे में सोच रही थी और वो बेड पर लेट गई। शर्म और उत्तेजना के मारे उसकी सांसे अभी तक तेजी से चल रही थी। सोने की कोशिश करते हुए सौंदर्या ने अपने साडी को उतारकर एक तरफ रख दिया और तभी बेड के उपर लगे हुए बल्ब से एक कीड़ा नीचे गिरा और सीधे उसके ब्लाउस में घुस गया। सौंदर्या के मुंह से डर के मारे एक आह निकल पड़ी और वो तेजी से बाहर की तरफ भागी और अजय के कमरे में घुस गई और अपने दोनो हाथों से अपने ब्लाउस को इधर उधर करने लगी। कभी ब्लाउस के अंदर झांकती तो कभी उसे नीचे से उपर उठाने की कोशिश करती तो कभी उसने हाथ ब्लाउस के अंदर घुसा देती।


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सौंदर्या की हरकतों से उसकी चूचियां बाहर को छलक पड़ रही थी। अजय ये देखकर तेजी से उसकी और दौड़ा और बोला:"

" क्या हुआ दीदी ? आप क्यों परेशान हो और चिल्ला रही हो ?

कीड़ा खुद अंदर छटपटा रहा था और तेजी से अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर दौड़ रहा था जिससे सौंदर्या को तेज गुदगुदी हो रही थी और वो कांपती हुई बोली:"

" आह भाई मेरे ब्लाउस के अंदर कीड़ा घुस गया है। उफ्फ निकल नहीं रहा। कुछ मदद करो।

सौंदर्या मचलते हुए सिसक उठी तो अजय उसके करीब हो गया और उसके ब्लाउस के अंदर झांकने लगा। सौंदर्या की हालत उत्तेजना से खराब हो गई और उसने शर्मा कर अपनी आंखो को बंद कर दिया। अजय ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और उसने कांपते हाथो से अपनी दीदी के ब्लाउस को थोड़ा सा आगे की तरफ खींच दिया ताकि अंदर अंदर झांक सके।


अजय ने अपनी बहन के ब्लाउस के अंदर झांका तो उसकी गोरी गोरी गोल गोल चूचियों की जानलेवा उभार को देखते ही उसके लंड ने अपने आप एक जोरदार अंगड़ाई ली। सौंदर्या अभी भी मचल रही थी क्योंकि उसे कीड़े की वजह से तेज़ गुदगुदी हो रही थी इसलिए वो उत्तेजना से भर उठी और तड़पते हुए बोली:"

" आह भाई कुछ करके बाहर निकालो इसे। उफ्फ मेरी जान ही ले लेगा ये आज। आह भाई जल्दी करो तुम।

अजय से अपनी बहन की तड़प बर्दाश्त नहीं हुई और उसने अपने हाथ से ब्लाउस को आगे की तरफ किया। खींचते ही एक झटके के साथ उसके दो बटन कटक की आवाज के साथ टूट गए और सौंदर्या के मुंह से डर और शर्म के मारे एक आह निकल पड़ी और वो शर्म के मारे अपने भाई के सीने में घुस गई।

अजय ने एक हाथ को उसके गोरे चिकने कंधे पर रख दिया और उसके कान में धीरे से बोला:"

" दीदी डरो मत। देखने दो मुझे ताकि कीड़ा निकाल सकू।

सौंदर्या का रोम रोम अपने भाई की बात सुनकर सिहर उठा। उसकी चूचियों में कड़कपन अा गया और ये सोचकर कि उसका भाई उसकी चूचियों को देखेगा वो उससे पूरी तरह से चिपक गई।

अजय उसकी हालत समझ गया और उसने धीरे से उसकी कमर सहलाते हुए उसके कान में कहा::"

" दीदी देर मत करो, कहीं कीड़ा जहरीला हुआ और काट लिया तो दिक्कत होगी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर डर और फिर धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"

" आह मेरे प्यारे भाई, जल्दी निकालो फिर तो, सिर्फ कीड़ा ही देखना तुम।

इतना कहकर सौंदर्या ने अपनी छाती को थोड़ी सा पीछे किया और अपनी आंखे बंद करते हुए अपने सिर को अजय के कंधे पर टिका दिया। अजय ने पहली बार अपनी बहन की चुचियों को देखा। बस ब्लाउस नाम भर के लिए था और उसकी चूचियों के सिर्फ निप्पल को छुपा रहा था जबकि उसकी पूरी चूची बाहर निकली हुई थी। अजय पूरी तसल्ली से बिना किसी जल्दबाजी के अपनी बहन को देख रहा था जिसका असर उसके लंड पर पूरी तरह से हो गया था और लंड अपनी औकात में आकर लोहे की रॉड की तरह तन गया था। सौंदर्या ने एक पल के लिए अपनी आंखे खोली और अपने भाई को अपनी चूचियों को घूरते हुए देखकर शर्म से पानी पानी हो गई और उससे कसकर लिपट गई और जैसे ही उसे अपने भाई के खड़े हुए लंड का एहसास हुआ तो उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

अजय ने देखा कि कीड़ा मर गया था और ये तो घर में उड़ने वाला मामूली सा कीड़ा था। अजय के खड़े हुए लंड और सौंदर्या की गोल गोल चूचियां अपना असर अजय पर दिखा रही थी और अजय ने कीड़े को हाथ में पकड़ लिया और उसे सौंदर्या के सीने पर घुमाना शुरू कर दिया। सौंदर्या पूरी तरह से मचल रही थी और आगे पीछे उत्तेजना की वजह से हो रही थी जिससे उसके भाई के खड़े हुए लंड का एहसास उसे अपनी जांघो के बीच में हो रहा था। अजय के हाथ सौंदर्या की चूचियों पर घूम रहे थे और रह रह कर सौंदर्या के मुंह से मस्ती भरी आह निकल रही थीं। अजय अपनी बहन की नरम नरम चूचियों के एहसास से पागल सा हो रहा था और उसने अपनी चाल चलते हुए कीड़े को उसके ब्लाउस में फिर से एक तरफ डाल दिया।सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी क्योंकि वो जानती थी कि अब उसका भाई कीड़े को पकड़ने के लिए उसके ब्लाउस के सभी बटन खोल देगा।

अजय ने अपने साथ को आगे बढ़ाया और उसकी दाई चूची की तरफ ब्लाउस के अंदर घुसाने लगा। सौंदर्या की चूत में चिंगारी सी निकलने लगी और उसकी सांसे तेज चल रही थी।

अजय के हाथ उसके ब्लाउस में घुसे और उसकी आधे से ज्यादा चूची उसके भाई की गिरफ्त में अा गई। सौंदर्या मस्ती में डूब गई और उसने खुद ही अपनी चूचियों को उपर की तरफ उभार दिया तो अजय ने हिम्मत करके उसकी पूरी चूची को अपने हाथ में भर लिया और इसके साथ ही सौंदर्या का धैर्य जवाब दे गया और वो अपने भाई से अमर बेल की तरह लिपट गई। अजय ने एक उंगली से कीड़े को पकड़ा और उसके निप्पल पर घुमाया तो सौंदर्या पूरी तरह से बहक गई और अपनी टांगो को पूरी से खोलते हुए अजय के लन्ड पर अपनी चूत को चिपका दिया। अजय अपनी बहन की एक हरकत से जोश में अा गया और उसने उसकी चूची को हाथ में भरते हुए हल्का सा मसल दिया तो सौंदर्या मस्ती से बिफर उठी और अजय के कंधे में अपने दांत गडा दिए।

अजय तड़प उठा और उसने पहली बार अपनी बहन की पूरी चूची को अपनी हथेली में कस लिया और थोड़ा जोर से दबाया तो सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी जीभ अपने भाई के कंधे को चाटने लगी।

कीड़ा कभी का नीचे गिर गया था और अजय अब अपने हाथ से उसकी चूची को मसल रहा था। दोनो भाई बहन पूरी तरह से मस्ती में डूबे हुए थे और अजय ने अपने दूसरे हाथ से सौंदर्या के ब्लाउस के आखिरी बटन को भी खोल दिया तो उसकी चूचियां नंगी होकर उछल पड़ी। सौंदर्या को जैसे ही अपनी नंगी बिल्कुल नंगी चूचियों का एहसास हुआ तो उसे अपनी हालत का एहसास हुआ और वो अपनी आंखे खोली और एक तेज झटके के साथ अजय से अलग हुई और अपने कमरे में दौड़ती हुई चली गई।
Very nice update
 

Sanju

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Mast update bhai man hii nahi bhara yr aur padne ka man kar raha tha dekhte hain aage kya hota hai
 

Dhansu2

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रात में करीब आठ बजे सौंदर्या अपने भाई के साथ घर पहुंच गई और उन्हें देखते ही कमला की जान में जान अाई और रोती हुई भगाकर सौंदर्या से लिपट गई।

सौंदर्या ने भी अपनी मा को अपनी बांहों में भर लिया और उससे चिपक गई। घर में आस पड़ोस के लोगो की भीड़ इकट्ठा हो गई थी जो कमला को सांत्वना देने और उसका दुख दर्द बांटने आए थे। सभी लोग अजय से वहां क्या हुआ पूछ रहे थे और अजय उन्हें वहीं सब बता रहा था जो वो अपने प्लान के तहत पहले ही पुलिस को बता चुका था।

सीमा के पापा:" ओह बेटा ये तो बहुत अच्छा हूं कि अपनी समझदारी से अच्छा मौका देखकर सौंदर्या अपनी जान बचा कर भाग अाई और उस कमीने मनोज का पर्दाफाश कर दिया।

राम बाबू ( सरपंच)= मनोज ने अपने गंदे कामो से गांव का नाम बदनाम किया वहीं सौंदर्या ने ना सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि उसके काले कारनामों का पर्दाफाश करके गांव का नाम भी खराब होने से बचा लिया। सौंदर्या जैसे बेटी भगवान सबको दे। ये सिर्फ कमला बहन की ही नहीं बल्कि पूरे गांव की बेटी है।

सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई चुपचाप अपने भाई की बाते सुन रही थी और तभी अजय बोल पड़ा:"

" सच में मेरी दीदी ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए उनकी सूचना पुलिस को दी और गांव का नाम रोशन किया है। नारी शक्ति के लिए एक नई मिशाल हैं मेरी दीदी सौंदर्या।

सारा गांव मिलकर सौंदर्या की जय जयकार कर रहा था और सौंदर्या अपनी मा से लिपटी हुई प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपने भाई को देख रही थी कि वो कितना महान हैं। सब गुण्डो को उसने मारा और लोगो की नजरो में मुझे ऊंचा कर दिया। सच में मेरा भाई लाखो में एक हैं, हीरा हैं बिल्कुल हीरा।

थोड़ी देर के बाद जय जयकार करके गांव के सभी लोग अपने घर चले गए और सौंदर्या ने अपनी मम्मी को सारी सच्चाई बता दी तो उसने खुशी और गर्व से अपने बेटे की तरफ देखा और स्माइल करते हुए अपने बेटे की बलाएं लेते हुए अपने पास आने का इशारा किया



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कमला:" शाबाश बेटा। आज तूने मेरे दूध का हक अदा कर दिया। भगवान करे तेरी ताकत को कभी नजर ना लगे। बेटा हो तो मेरे बेटे जैसा। आज से तुम्हे पूरी आजादी हैं चाहे जिम करो या फाइट।

कमला ने आगे बढ़कर अपने बेटा का माथा चूम लिया। सौंदर्या मंद मंद खड़ी हुई स्माइल कर रही थी और कमला बार बार अपने बेटे के माथे को चूम रही थी।

कमला:" सच में तू ही अपनी बहन की इज्जत की मान मर्यादा और इज्जत का रखवाला है। अरे मैं तो भूल ही गई रुक तेरी नज़र उतार देती हूं।

इतना कहकर कमला अंदर चली और जल्दी ही हाथ में एक थाली लिए अाई और खुशी के मारे उसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे। उसने अजय के सामने खड़ी होकर उसकी आरती( नजर) उतारनी शुरू कर दी।



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कमला अपनी आंखो में खुशी के आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए अपने बेटे की आरती उतार रही थी और अजय बहुत ही प्यार और इज्जत भरी नजरो से अपनी मा को खामोशी से देख रहा था जिसकी आंखो से आंसू निकलकर उसके गालों को भिगो रहे थे। कमला के ठीक पीछे खड़ी हुई सौंदर्या ये सब देख कर खुशी से फूली नहीं समा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि उसके भाई को उसके किए का असली सम्मान और प्यार अब मिल रहा है। कानूनी प्रक्रिया के चलते वो चाह कर भी सबके सामने सच नहीं बोल सकती थी लेकिन घर में अपनी मा को बताकर उसने अपने दिल का बोझ हल्का कर लिया था।

अजय ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और अपनी मा की आंखो से आंसू साफ करने लगा और बोला:"

" बस मम्मी हो गई मेरी आरती। सच कहूं मम्मी आपका ये ही प्यार तो अद्भुत हैं।

कमला ने थाली एक तरफ रखी और अजय से गले लग गई। उसके आंसू अब पूरी तरह से रुक गए थे। थोड़ी देर के बाद कमला ने थोड़ा सा खाना बनाया और सभी ने साथ ने मिलकर खाना खाया।

खाना खाने के बाद सभी लोग नीचे ही हॉल में बैठ गए और बात होने लगी।

कमला:" बेटा आज तूने सच में कमाल किया है। तेरे पापा जिंदा होते तो सच में आज वो बहुत खुश होते ।

अजय:" मम्मी कमाल वामाल कुछ नहीं किया। बस अपनी दीदी की रक्षा करी जो कि मेरा फ़र्ज़ है।

कमला:" लेकिन बेटा आजकल लोग अपना फ़र्ज़ भी कहां पूरा करते हैं। मैंने जरूर पिछले जन्म में कुछ पुण्य किए होंगे जो तुझ जैसा लायक बेटा मिला।

सौंदर्या:" हान मम्मी ये बात आपने बिल्कुल ठीक कही। ऐसे भाई आजकल किस्मत से ही मिलते हैं बस।

कमला:" अच्छा अजय अब हमे जल्दी से जल्दी सौंदर्या के हाथ पीले कर देने चाहिए। कल आचार्य तुलसी प्रसाद जी भी अा रहे हैं गांव में ही। क्यों ना हमे उनसे मिलकर इसकी कुंडली के निवारण का कोई उपाय देखना चाहिए।

सौंदर्या अपनी शादी की बात सुनकर शर्मा गई और अपने गुलाबी गाल लिए वहां से उठकर उपर चली गई। अजय और कमला दोनो ये देखकर हंस पड़े और अजय बोला:"

" हान मम्मी, मैंने उनके बारे में सुना है कि वो बहुत ही अच्छे और सिद्ध पुरुष हैं। इसलिए मुझे भी पूरी उम्मीद है कि वो जरूर कोई ना कोई उपाय बता देंगे।

कमला ने गर्दन हिला कर अपने बेटे की बातो को समर्थन दिया और बोली:"

" हान बेटा। अच्छा अब एक काम करो तुम भी जाओ और जाकर आराम कर लो। थक गए होंगे दोनो आज बहुत। ऊपर से मौसम भी खराब हैं।

अजय:" ठीक है मम्मी। आप सौंदर्या दीदी की शादी की चिंता मत कीजिए। मैं अपने आप अब सब संभाल लूंगा , मैं चलता हूं आप भी आराम कर लीजिए।

इतना कहकर अजय खड़ा हो गया और उपर की तरफ चल पड़ा। कमला भी बाहर हॉल में ही पड़े हुए बेड पर लेट गई और सोने का प्रयास करने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शादाब और शहनाज़ दोनो इंडिया वापिस अा गए थे और दोनो सीधे हॉस्पिटल में पहुंच गए जहां उसके फूफा भर्ती थे। शहनाज़ को देखते ही रेशमा उससे लिपटकर भावुक हो गई और दोनो औरतें एक दूसरे के गले लग गई।

शादाब ने दोनो को समझाते हुए और अलग किया और बोला :"

" बुआ कहां है फूफा जी ? उनसे हमे मिलवाओ।

रेशमा शादाब और शहनाज़ को अपने साथ अंदर ले गई और एक कमरे में उन्हें वसीम लेटा हुआ दिखाई दिया। शादाब को देखते ही वो भावुक हो उठा और उठने की कोशिश करने लगा लेकिन उठ नहीं पाया और उसकी आंखो में आंसू अा गए।

शादाब बिना कुछ बोले ही समझ गया कि उसके फूफा को पेट से नीचे लकवा मार गया है।

वसीम के पास ही शादाब बैठ गया तो वसीम ने शादाब का हाथ थाम लिया और बोला:"

" शादाब बेटा, मेरा कमर से नीचे का हिस्सा खत्म हो गया है। डॉक्टर बोलते हैं कि मैं कभी ठीक नहीं हो सकता। तुम भी तो एक डॉक्टर बन रहे हो बेटा। तुम सच बताओ क्या मैं ठीक हो सकता हूं कभी या नहीं ?

शादाब जानता था कि ऐसी हालत में कोई जादू ही वसीम को ठीक कर सकता है लेकिन फिर भी तसल्ली देते हुए बोला:"

" मुश्किल तो बहुत हैं लेकिन आप खुदा पर भरोसा रखिए। आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे।

वसीम:" बेटा मुझे यहां से घर ले चलो, मैं अब और यहां रहना नहीं चाहता।

शादाब:" ठीक है। मैं डॉक्टर से बात कर लेता हूं और शाम तक हमे छुट्टी मिल सकती हैं।

इतना बोलकर शादाब उठकर बाहर अा गया और फिर डॉक्टर दे बात करने चला गया। दोपहर तक सब कागजी कार्यवाही पूरी हो गई और उसके बाद सभी लोग घर की तरफ लौट पड़े।

वसीम को नीचे बैठक में ही लिटा दिया जहां पहले कभी दादा दादी लेटा करते थे। रेशमा घर में नीचे ही रह रही थी और उसने कभी भी उपर शहनाज़ और शादाब के कमरे नहीं खोले थे।

रेशमा घर आकर खाना बनाने में जुट गई और शादाब और शहनाज़ दोनो उससे चाबी लेकर उपर चले गए। कमरे को खोला तो वो काफी गंदे हो गए थे। धूल मिट्टी लग गई और पूरे कमरे में बंद होने की वजह से एक अजीब सी बदबू फैली हुई थी।

दोनो के एक दूसरे की तरफ देखा और उनके होंठो पर एक साथ स्माइल अा गई और दोनो साफ सफाई में जुट गए। शादाब ने कमरे से एक एक करके सारा सामान बाहर निकाला। सारी कमरे में लगे हुए जालो को हटाया झाड़ू से शहनाज ने पूरे कमरे को साफ किया। उसके बाद शादाब ने कमरे की दीवारों को अच्छी धोया और फिर एक गुलाब की महक वाला लिक्विड निकालकर उसने शहनाज़ को दिया और शहनाज ने फिर सारे कमरे में उसका पोछा मार दिया तो पूरा कमरा खुशबू से भर उठा।

दोनो के उपर धूल जम गई और दोनो ही एक दूसरे ही हालत को देखकर हंस रहे थे।

शादाब:" अम्मी अपनी शक्ल देखो आइने में। बिल्कुल चुड़ैल जैसी लग रही हो आप। आपके ऊपर बहुत ज्यादा धूल जम गई है आज सफाई करके।

शहनाज़ ने उसकी तरफ घूरकर देखा और बोली:" अच्छा और खुद को देखो। आदि मानव जैसे लग रहे हो तुम।

आदि मानव की बात सुनकर शादाब के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" लेकिन मेरी जान शहनाज़, मेरी अम्मी आदि मानव तो नंगे रहते थे बिल्कुल नंगे।

शहनाज़ अपने बेटे के मुंह से नंगे शब्द सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" शर्म नहीं आती तुम्हे। अपनी मा के सामने नंगा बोलते हो तुम।

शादाब थोड़ा सा उसके करीब हुआ और उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी आंखे में देखते हुए बोला:"

" तुमसे नंगा बोलने में कैसी शर्म मेरी जान। नंगा तो तुम्हे आज सारी रात रहूंगा। यहीं इसी बेड पर इसी कमरे में सारी रात।

इतना कहकर उसने शहनाज की गांड़ को दोनो हाथों में भर कर मसल दिया तो शहनाज के मुंह से एक आह निकल पड़ी और वो किसी मछली की तरह फुर्ती दिखाती हुई उसकी बांहों से निकल गई और तेजी से बाथरूम में घुस गई और गेट से बोली:"

" सच में आदि मानव ही हो तुम। वो दिन में नंगे रहते थे और तुम रात में होते हो।

इतना कहकर शहनाज़ ने बाथरूम बंद कर दिया और अपनी उपर नीचे हो रही चूचियों को देख कर मुस्करा उठी और बेड शीट पर पर्दे धोने में जुट गई। कमरा अब तक अंदर से सूख गया था तो वहीं शादाब ने एक एक करके सारे सामान को अंदर वापिस लगा दिया। अब कमरे में किसी भी तरह की बदबू का कोई नामो निशान नहीं था बल्कि एक भीनी भीनी सी खुशबू पूरे कमरे में फैली हुई थी।

शहनाज ने सभी कपडे धोकर शादाब को दिए और उसने वो उपर छत पर सूखने के लिए डाल दिए। शहनाज़ नहा चुकी थी और बिल्कुल एक ताजे गुलाब की तरह खिली हुई लग रही थी। अपनी अम्मी को ललचाई नज़रों से देखते हुए शादाब भी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और जल्दी ही दोनो मा बेटा नहा धोकर नीचे अा गए।

खाना बन गया था इसलिए पूरे परिवार ने खाना खाया और उसके बाद थके और शादाब और शहनाज़ दोनो उपर कमरे में गए और बेड पर गिरते ही उन्हें नींद आ गई।

अजय उपर छत पर अा गया और उसने देखा कि उसकी बहन उसके कमरे में हैं और उसके सोने की चादर ठीक कर रही थी। अजय को ये देखकर काफी सुकून मिला कि दोनो भाई बहन के बीच गलतफहमी की वजह से बनी हुई नफरत की दीवार अब ढह गई थी।

सौंदर्या:" आओ भाई। देखो मैंने आपकी बेड शीट को बिल्कुल ठीक कर दिया है।

अजय स्माइल करते हुए बोला:" हान दीदी वही तो मैं भी देख रहा हूं कि आप अपने भाई का कितना ज्यादा ध्यान रख रही है।

सौंदर्या ने एक मीठी सी स्माइल अजय को दी और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" रखूंगी क्यों नहीं, मेरा भाई हैं भी लाखो में एक।

अजय अपनी दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और वहीं बेड पर बैठ कर अपने जूते निकालने लगा। तभी सौंदर्या को याद आया कि उसने अपने भाई के लिए अलमारी से तकिया तो अभी निकाला नहीं हैं तो वो तकिया निकालने लगी। तकिया हाथ में लेकर वो आगे बढ़ी और अजय से तकरा गई और उसके हाथ से तकिया छूटकर नीचे गिर गया। सौंदर्या तकिया उठाने के लिए नीचे की तरफ झुकी और उसकी रेशमी साडी उसके कंधे से पूरी तरह से सरक गई। साडी सरकते ही उसकी हल्के पीले रंग के शॉर्ट ब्लाउस में कैद चूचियों का उभार साफ़ नजर आया और अजय की नजरे किसी चुंबक की तरह उन पर टिक गई। सौंदर्या पूरी तरह से इस बात से बेखबर नीचे झुकती जा रही थी और उसकी चुचियों का उभार और ज्यादा गहरा होता जा रहा था।



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अजय की आंखो में एक अजीब सी चमक थी और उसे अपनी बहन की चूचियों की गहराई बहुत आकर्षक लग रही थी। सौंदर्या ने तकिया उठाया और जैसे ही सीधी हुई तो उसकी नजरे अजय पर गई और अजय की ललचाई नज़रों का पीछा करते ही उसे अपने हालत का एहसास हुआ था तो वो शर्म से लाल हो गई और उसने तेजी से तकिए को बेड पर फेंक दिया और अपने कमरे में दौड़ती चली गई।

अजय अपनी बहन की इस हरकत पर हैरान हो उठा। जो हुआ वो सब हादसा था लेकिन उसकी इतनी शर्मा कर तकिया फेंक कर क्यों भाग गई। कहीं उसे ये सब गलत तो नहीं लगा या फिर दीदी मुझसे शर्मा गई है।

अपने विचारो में डूबा हुआ अजय सोच रहा था कि आखिर हुआ क्या हैं। वहीं सौंदर्या अपने भाई की ललचाई नजरो को समझते ही अंदर से कांप उठी थी। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे इसलिए तेजी से अपने कमरे में भागती हुई चली अाई थी।

सौंदर्या अपने भाई के बारे में सोच रही थी और वो बेड पर लेट गई। शर्म और उत्तेजना के मारे उसकी सांसे अभी तक तेजी से चल रही थी। सोने की कोशिश करते हुए सौंदर्या ने अपने साडी को उतारकर एक तरफ रख दिया और तभी बेड के उपर लगे हुए बल्ब से एक कीड़ा नीचे गिरा और सीधे उसके ब्लाउस में घुस गया। सौंदर्या के मुंह से डर के मारे एक आह निकल पड़ी और वो तेजी से बाहर की तरफ भागी और अजय के कमरे में घुस गई और अपने दोनो हाथों से अपने ब्लाउस को इधर उधर करने लगी। कभी ब्लाउस के अंदर झांकती तो कभी उसे नीचे से उपर उठाने की कोशिश करती तो कभी उसने हाथ ब्लाउस के अंदर घुसा देती।


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सौंदर्या की हरकतों से उसकी चूचियां बाहर को छलक पड़ रही थी। अजय ये देखकर तेजी से उसकी और दौड़ा और बोला:"

" क्या हुआ दीदी ? आप क्यों परेशान हो और चिल्ला रही हो ?

कीड़ा खुद अंदर छटपटा रहा था और तेजी से अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर दौड़ रहा था जिससे सौंदर्या को तेज गुदगुदी हो रही थी और वो कांपती हुई बोली:"

" आह भाई मेरे ब्लाउस के अंदर कीड़ा घुस गया है। उफ्फ निकल नहीं रहा। कुछ मदद करो।

सौंदर्या मचलते हुए सिसक उठी तो अजय उसके करीब हो गया और उसके ब्लाउस के अंदर झांकने लगा। सौंदर्या की हालत उत्तेजना से खराब हो गई और उसने शर्मा कर अपनी आंखो को बंद कर दिया। अजय ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और उसने कांपते हाथो से अपनी दीदी के ब्लाउस को थोड़ा सा आगे की तरफ खींच दिया ताकि अंदर अंदर झांक सके।


अजय ने अपनी बहन के ब्लाउस के अंदर झांका तो उसकी गोरी गोरी गोल गोल चूचियों की जानलेवा उभार को देखते ही उसके लंड ने अपने आप एक जोरदार अंगड़ाई ली। सौंदर्या अभी भी मचल रही थी क्योंकि उसे कीड़े की वजह से तेज़ गुदगुदी हो रही थी इसलिए वो उत्तेजना से भर उठी और तड़पते हुए बोली:"

" आह भाई कुछ करके बाहर निकालो इसे। उफ्फ मेरी जान ही ले लेगा ये आज। आह भाई जल्दी करो तुम।

अजय से अपनी बहन की तड़प बर्दाश्त नहीं हुई और उसने अपने हाथ से ब्लाउस को आगे की तरफ किया। खींचते ही एक झटके के साथ उसके दो बटन कटक की आवाज के साथ टूट गए और सौंदर्या के मुंह से डर और शर्म के मारे एक आह निकल पड़ी और वो शर्म के मारे अपने भाई के सीने में घुस गई।

अजय ने एक हाथ को उसके गोरे चिकने कंधे पर रख दिया और उसके कान में धीरे से बोला:"

" दीदी डरो मत। देखने दो मुझे ताकि कीड़ा निकाल सकू।

सौंदर्या का रोम रोम अपने भाई की बात सुनकर सिहर उठा। उसकी चूचियों में कड़कपन अा गया और ये सोचकर कि उसका भाई उसकी चूचियों को देखेगा वो उससे पूरी तरह से चिपक गई।

अजय उसकी हालत समझ गया और उसने धीरे से उसकी कमर सहलाते हुए उसके कान में कहा::"

" दीदी देर मत करो, कहीं कीड़ा जहरीला हुआ और काट लिया तो दिक्कत होगी।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर डर और फिर धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"

" आह मेरे प्यारे भाई, जल्दी निकालो फिर तो, सिर्फ कीड़ा ही देखना तुम।

इतना कहकर सौंदर्या ने अपनी छाती को थोड़ी सा पीछे किया और अपनी आंखे बंद करते हुए अपने सिर को अजय के कंधे पर टिका दिया। अजय ने पहली बार अपनी बहन की चुचियों को देखा। बस ब्लाउस नाम भर के लिए था और उसकी चूचियों के सिर्फ निप्पल को छुपा रहा था जबकि उसकी पूरी चूची बाहर निकली हुई थी। अजय पूरी तसल्ली से बिना किसी जल्दबाजी के अपनी बहन को देख रहा था जिसका असर उसके लंड पर पूरी तरह से हो गया था और लंड अपनी औकात में आकर लोहे की रॉड की तरह तन गया था। सौंदर्या ने एक पल के लिए अपनी आंखे खोली और अपने भाई को अपनी चूचियों को घूरते हुए देखकर शर्म से पानी पानी हो गई और उससे कसकर लिपट गई और जैसे ही उसे अपने भाई के खड़े हुए लंड का एहसास हुआ तो उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

अजय ने देखा कि कीड़ा मर गया था और ये तो घर में उड़ने वाला मामूली सा कीड़ा था। अजय के खड़े हुए लंड और सौंदर्या की गोल गोल चूचियां अपना असर अजय पर दिखा रही थी और अजय ने कीड़े को हाथ में पकड़ लिया और उसे सौंदर्या के सीने पर घुमाना शुरू कर दिया। सौंदर्या पूरी तरह से मचल रही थी और आगे पीछे उत्तेजना की वजह से हो रही थी जिससे उसके भाई के खड़े हुए लंड का एहसास उसे अपनी जांघो के बीच में हो रहा था। अजय के हाथ सौंदर्या की चूचियों पर घूम रहे थे और रह रह कर सौंदर्या के मुंह से मस्ती भरी आह निकल रही थीं। अजय अपनी बहन की नरम नरम चूचियों के एहसास से पागल सा हो रहा था और उसने अपनी चाल चलते हुए कीड़े को उसके ब्लाउस में फिर से एक तरफ डाल दिया।सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी क्योंकि वो जानती थी कि अब उसका भाई कीड़े को पकड़ने के लिए उसके ब्लाउस के सभी बटन खोल देगा।

अजय ने अपने साथ को आगे बढ़ाया और उसकी दाई चूची की तरफ ब्लाउस के अंदर घुसाने लगा। सौंदर्या की चूत में चिंगारी सी निकलने लगी और उसकी सांसे तेज चल रही थी।

अजय के हाथ उसके ब्लाउस में घुसे और उसकी आधे से ज्यादा चूची उसके भाई की गिरफ्त में अा गई। सौंदर्या मस्ती में डूब गई और उसने खुद ही अपनी चूचियों को उपर की तरफ उभार दिया तो अजय ने हिम्मत करके उसकी पूरी चूची को अपने हाथ में भर लिया और इसके साथ ही सौंदर्या का धैर्य जवाब दे गया और वो अपने भाई से अमर बेल की तरह लिपट गई। अजय ने एक उंगली से कीड़े को पकड़ा और उसके निप्पल पर घुमाया तो सौंदर्या पूरी तरह से बहक गई और अपनी टांगो को पूरी से खोलते हुए अजय के लन्ड पर अपनी चूत को चिपका दिया। अजय अपनी बहन की एक हरकत से जोश में अा गया और उसने उसकी चूची को हाथ में भरते हुए हल्का सा मसल दिया तो सौंदर्या मस्ती से बिफर उठी और अजय के कंधे में अपने दांत गडा दिए।

अजय तड़प उठा और उसने पहली बार अपनी बहन की पूरी चूची को अपनी हथेली में कस लिया और थोड़ा जोर से दबाया तो सौंदर्या के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी जीभ अपने भाई के कंधे को चाटने लगी।

कीड़ा कभी का नीचे गिर गया था और अजय अब अपने हाथ से उसकी चूची को मसल रहा था। दोनो भाई बहन पूरी तरह से मस्ती में डूबे हुए थे और अजय ने अपने दूसरे हाथ से सौंदर्या के ब्लाउस के आखिरी बटन को भी खोल दिया तो उसकी चूचियां नंगी होकर उछल पड़ी। सौंदर्या को जैसे ही अपनी नंगी बिल्कुल नंगी चूचियों का एहसास हुआ तो उसे अपनी हालत का एहसास हुआ और वो अपनी आंखे खोली और एक तेज झटके के साथ अजय से अलग हुई और अपने कमरे में दौड़ती हुई चली गई।
Bhai mast update lekin jyada intezzar mt kraya kro
 
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