Naik
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Bhot hi kamuk aur uttezak update unique bhai. Aise hi chote chote hot encounters ajay aur shehnaz k beech kahani me alg hi level k kamukta Paida kr rhe hain... keep going
Bahot behtareenअंदर अजय सिर्फ अंडर वियर में अपने खड़े हुए लंड के साथ रह गया जबकि शाहनाज अपना ब्लाउस हाथ में लिए हुई बदहवाश सी अपनी उछलती हुई चूचियों और गीली पेंटी के साथ बाहर अा गई।
सौंदर्या बेड पर पड़ी हुए करवटें बदल रही थी कि अंदर किस तरह की विधियां होगी, क्या शहनाज़ अच्छे से कर पाएगी।
तभी उसे सामने से शहनाज़ आती हुई दिखाई दी जिसके शरीर पर ब्लाउस नहीं था बल्कि उसके हाथ में था। उसने साडी के उपर वाले पल्लू को अपनी ब्रा की स्ट्रिप में फंसाया हुआ था। शहनाज़ की चाल लड़खड़ा रही थी और ब्रा में कैद उसकी चूचियां हिल रही थी।सौंदर्या ये सब देखकर पूरी तरह से हैरान हो गई।
शहनाज़ चलती हुई उसके पास अाई और वो अभी लंबी लंबी सांसें ले रही थी। उसके चेहरे पर लाली, आंखे लाल सुर्ख, होंठो की लिपिस्टिक बिगड़ गई थी और पूरा जिस्म पसीने से लथपथ था।
सौंदर्या:" आपकी ये हालत कैसे हो गई ? आपकी तो पूजा की विधि पूरी करने गई थी ना।
शहनाज़ ने उसे देखा और अपनी सांसे दुरुस्त करते हुए बोली:"
" पूजा की विधि ही कर रही थी मैं, लेकिन खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया था इसलिए ये सब हुआ।
सौंदर्या:" हाय राम आपकी तो चाल ही बदल गई, आप तो उस फूल जैसी लग रही हो जिसका सारा रस निचोड़ लिया गया हो।
सौंदर्या ने जान बूझकर ये बात कही ताकि वो शहनाज़ के चेहरे के भाव पढ़ सके। शहनाज ने उसे घूरा और बोलो:"
" पागल कहीं की, ऐसा कुछ नहीं हैं, अब तुम जाओ खुद पता चल जाएगा तुम्हे।
शहनाज़ के चेहरे के सपाट भाव देखकर वो समझ गईं कि कुछ भी गलत नहीं हुआ है लेकिन अपने अंदर जाने की बात सुनकर वो हलका सा डर गई और बोली:"
" दीदी मुझे बताओ ना आप, अंदर क्या हुआ है, कैसी विधियां हैं और क्या करना हैं ? लो पहले आप पानी पी लो थोड़ा सा
सौंदर्या ने पानी की बोतल उसकी तरफ करी और शहनाज़ गटागट पीती चली गई। पानी पीने के बाद उसे थोड़ा सा सुकून मिला और बोली:"
" अंदर एक आसन हैं जिस पर बैठकर तुम्हे पूजा करनी हैं। और फिर तुम्हे छत में लगे हुए घंटे बजाने होंगे।
सौंदर्या:" ओह बस इतनी सी बात है फिर आप इसमें इतना परेशान क्यों हो गई, ऐसा लग रहा है मानो आप मीलो दौड़कर अाई हो। फिर आपका ब्लाउस कैसे फट गया ?
शहनाज़ नहीं चाहती थी कि एक सगी बहन अपने सगे भाई के सामने ब्रा पेंटी में अा जाए और फिर नारी स्वभाव के कारण वो नहीं चाहती थी कि अजय पर किसी दूसरी नारी की नजर पड़े और अजय का ध्यान उस पर से भटक जाए इसलिए वो चाल चलते हुए बोली:"
" सौंदर्या अंदर एक ऐसा आसन हैं जिस पर बैठने के लिए दुनिया की हर औरत तरसती है। अंदर जाओ तुम्हे खुद पता चल जाएगा। और हान अपने ब्लाउस के पिन थोड़े ढीले कर लो कहीं अपने सगे भाई के सामने ही टूट ना जाए।
सौंदर्या उसकी बात सुनकर शर्मा गई लेकिन उसे शहनाज़ की बात ठीक लगी और बोली:"
" अच्छा फिर एक काम कीजिए आप ही अपने हिसाब से सेट कर दीजिए ताकि मेरे साथ ऐसा ना हो जैसा आपके साथ हुआ।
सौंदर्या ये बोलकर मुस्कुरा उठी और अपनी कमर उसके सामने कर दी। शहनाज़ ने उसके ब्लाउस के पिन को अंतिम हुक में लगाया और बोली:"
" अब तुम अंदर चली जाओ, और ध्यान रखना कि अंदर कुछ ऐसा दिखेगा जिसके लिए तुम तरस रही हो। खुद पर काबू नहीं तो पूजा करने का कोई फायदा नहीं होगा।
सौंदर्या:" हान आप बेफिक्र रहिए, आप और अजय मेरे साथ इतनी मेहनत कर रहे हैं मै आपकी मेहनत को खराब नहीं होने दूंगी।
इतना कहकर वो अंदर की तरफ चल पड़ी। शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही रही थी कि उसने सौंदर्या को अपनी चाल में फंसा लिया था। मदहोश सी शहनाज़ वही बेड पर लेट गई और आंखे बंद कर ली। उसके सामने अभी भी अजय की चौड़ी कठोर छाती और गुलाबी लंड के सुपाड़े घूम रहे थे।
सौंदर्या दरवाजे के अंदर गई तो दरवाजा अपने आप बंद हो गया। जैसे ही उसकी नजर पूजा के स्थान पर पड़ी उसकी सांस गले में अटक सी गई। ठीक बीच में सामने लहराता हुआ बड़ा का पत्थर का लंड और गुलाबी सुपाड़ा, आसान नहीं वल्कि बैठने के लिए भी लंड भी था। छत पर उसकी नजर पड़ी तो छत में घंटे नहीं बल्कि लंड लटके हुए थे। हाय राम ये क्या मुसीबत हैं। तभी उसे अजय नजर अाया जिसके जिस्म पर एक चादर लिपटी हुई थी और उसमें एक बहुत बड़ा उभार बना हुआ था।
सौंदर्या समझ गई कि ये सब जरूर शहनाज़ के साथ पूजा की विधि करने की वजह से हुआ होगा। सौंदर्या की आंखे शर्म से बंद हो गई और उसकी आंखो के आगे वो पक घूमने लगे जब वो अपने भाई के साथ ट्रैक्टर पर बैठकर खेत पर गई थी। उफ्फ कमीने ने कैसे मुझे अपनी गोद में ही बिठा लिया था और मैं खुद उसकी गोद में बैठ कर इसके लंड लंड पर उछल रही थी। ये सब बाते याद आते ही सौंदर्या के रोंगटे खड़े हो गए और उसके जिस्म में हलचल सी मच गई।
अजय:"दीदी आप जल्दी से आंखे खोलिए। शुभ मुहूर्त निकला जा रहा है।
सौंदर्या ने शरमाते हुए आंखे खोल दी और अजय अब अजय उसके बिल्कुल पास खड़ा हुआ था।
अजय:" दीदी ये आसान हैं जिस पर आपको बैठना होगा।
इतना कहकर अजय ने आसन रूपी लंड की तरफ इशारा किया तो सौंदर्या शर्मा गई। सौंदर्या धीरे से आगे बढ़ी और आसन के पास जाकर खड़ी हो गई लेकिन उसके अंदर उस पर बैठने की हिम्मत नहीं थी। उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे इसलिए अजय से बोली:"
" भाई इस तरह के आसन की पूजा में क्या सच में जरूरत होगी ? और शहनाज़ दीदी तो बोल रही थी कि छत में लगे घंटे बजाने होंगे। यहां तो कोई घंटा मुझे नहीं दिख रहा है।
अजय:" दीदी ये लिंगेश्वर मंदिर हैं और अभी तक आपकी शादी ना होने के कारण आप पर लिंग देव की कृपा नहीं हुई है। यहां लिंग की पूजा करने से आपके पति को ताकत मिलेगी और आपकी आगे की ज़िन्दगी अच्छे सेक्स से भर जाएगी। बस इसलिए ये पूजा बताई गई है।
सौंदर्या ने ज्यादा बहस नहीं करी और धड़कते दिल के साथ लंड आसन पर बैठ गई। बैठते ही उसकी पूरे जिस्म में रोमांच सा भर गया और और उसकी नजर सामने हवा में लटके हुए लंड पर पड़ी जो कि ठीक उसके मुंह में सामने था और कुंड के ठीक ऊपर था। सौंदर्या को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे लेकिन उसके पास कोई दूसरा उपाय नहीं था इसलिए पूजा में सहयोग करने लगी। अजय ने कुछ मंत्र पढ़े और और थोड़ी सामग्री उसके हाथ में दी और डालने का इशारा किया तो सौंदर्या ने आगे होते हुए सामग्री को कुण्ड में डाल दिया। आगे होने से उसकी ब्लाउस हल्की सी खींच गई लेकिन आखिरी पिन पर होने होने कारण उसे कोई दिक्कत नहीं हुई।
अब सौंदर्या फिर से सरक कर पीछे हुई तो पत्थर की रगड़ उसे अपनी जांघो में बीच में महसूस हुई। सौंदर्या का मुंह लाल हो गया और फ़िर से पूजा पर ध्यान देने लगी। सौंदर्या के तन बदन में सिरहन सी दौड़ रही थी ये सोचकर कि यहां पूजा करने के बाद उसके होने पति में पति में ताकत बढ़ जाएगी और फिर वो उसके लंड पर बैठ जाएगी।
अजय ने फिर से कुछ मंत्र पढ़े और सौंदर्या को सामने देखने के लिए बोला तो सौंदर्या हवा में लटके हुए लंड को देखने लगी। अजय सौंदर्या की आंखो में चमक साफ देख रहा था।
अजय ने फिर से सामग्री ली और सौंदर्या को दी तो सौंदर्या ने फिर से आगे सरक कर सामग्री को कुंड में डाल दिया। आगे होने से उसके ब्लाउस से झांकती हुई उसकी गोलाईयों की हल्की सी झलक उसे मिल गई।
लंड के सुपाड़े पर बैठी हुई सौंदर्या जैसे ही पीछे होने लगी तो उसे अजय ने इशारे से रोक दिया और सौंदर्या सुपाड़े पर ही टिकी रह गई। ये एक दूसरा आसन था जिस पर सौंदर्या बैठी थी और इसमें आगे सुपाड़े पर खुरदरा पन था जिससे सौंदर्या अपनी टांगो के बीच महसूस कर रही थी। हर बार उसके झुकने से रगड़ पहले से ज्यादा तेज हो रही थी जिससे उसकी सांसे तेजी से चलने लगी और सीने में कम्पन होने लगा।
अजय भी बार बार उसे सामग्री देने के लिए झुक रहा था तो उसके जिस्म से चादर अपने आप सरक गई और वो सिर्फ अंडर वियर में अा गया। कुंड से उठती हुई अग्नि में उसकी छाती और मादक लग रही थी और सौंदर्या बीच बीच में अपने भाई की तरफ देख रही थी। अब उसके लंड का उभार भी साफ नजर आ रहा था और और सौंदर्या ये सब देखकर मदहोश हो रही थी।
अजय ने फिर से उसे सामग्री दी और दोनो ने एक साथ कुण्ड में डाल दी और अजय बोला:"
" दीदी बस पूजा की ये विधि खत्म हो गई है। आपको अब घंटे बजाने होंगे।
इतना कहकर अजय खड़ा हो गया और अपने सिर्फ को चादर से साफ करने के बाद उसने सौंदर्या के आगे अपने हाथ किए और सौंदर्या उसके हाथ पर खड़ी हो गई और अजय ने उसे उपर उठा लिया।
सौंदर्या उपर चली गई और बोली:"
" भैया घंटा कैसे बजेहाय ? यहां तो घंटा दिख ही नहीं रहा है।
अजय ने एक बार उसकी तरफ देखा और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" दीदी उपर छत में लगे हुए लिंग को पकड़ कर जोर जोर से हिलाएं। घंटा अपने आप बजने लगेगा।
सौंदर्या शर्मा गई और आंखे नीचे करते हुए बोली:"
" भैया आप मत देखो नहीं तो मुझे शर्म आएगी इसे पकड़ते हुए बहुत ज्यादा।
अजय ने अपनी नजरे नीचे झुका ली और सौंदर्या ने अपने कांपते हाथो से छत में लटके हुए लिंग को पकड़ लिया और हिलाने लगी। उसकी सांसे बहुत तेज चल रही थी और उसने एक के बाद लंड पकड़कर घंटे पकड़े और बजाने लगी। सौंदर्या की लंबाई शहनाज़ की तुलना में थोड़ी ज्यादा थी इसलिए आराम से उसका हाथ उपर तक जा रहा था। उसने थोड़ा सा आगे झुकते हुए एक बड़े लंड को पकड़ा और जोर से हिलाया तो वो एक झटके के साथ टूट गया और सौंदर्या अपने भाई के हाथो से फिसलकर नीचे अा गिरी। सौंदर्या डर गई थी लेकिन उसे कोई चोट नहीं लगी थी।
सौंदर्या ने अजय की तरफ देखा और अपने हाथ में पकड़े हुए लंड को दिखाते हुए बोली:"
" भैया ये घंटा टूट गया। कोई अपशकुन तो नहीं होगा ना ?
अजय उसके पास बैठ और उसके हाथ से पत्थर का लंड लिया और बोला:"
" दीदी ये घंटा नहीं लिंग हैं। इसका टूटना जरूरी था और अब ये विधि भी ठीक से पूरी हो गई है। बस अब एक लास्ट विधि बची और उसके शहनाज़ दीदी को भी अंदर बुलाना होगा।
अजय दरवाजे पर अाया और उसे सामने बेड पर लेटी हुई शहनाज़ नजर आईं जो बेचैनी से करवटें बदल रही थी। शहनाज़ अभी भी सिर्फ साडी और ब्रा पहने हुए ही लेती हुई थी। अजय जानता था कि शहनाज़ उसकी ताकत और उसके तगड़े जिस्म पर मचल गई है इसलिए उसके मन में शहनाज़ को अपनी दिखाने का एक और विचार आया ताकि वो पूरी तरह से उसे अपने वश में कर सके। शहनाज़ बेड पर पड़ी हुई अभी भी मचल रही थी और उसके जिस्म के मादक कटाव और कामुक बदन को एक बार फिर से देखकर अजय मस्त हो गया और बोला:"
"शहनाज़ दीदी आप एक बार अंदर आइए ना, पूजा की अंतिम विधि बची हुई है जो आपको दोनो को साथ में करनी होगी।
शहनाज़ आवाज सुनकर पलटी और उसकी तरफ देखा तो उसकी छाती और चौड़े कंधे देखकर फिर से उसके जिस्म में हलचल मच गई और शहनाज़ खड़ी हुई और उसकी आंखो में देखते हुए अपनी चाल को पूरी तरह से कामुक बना और अपनी गांड़ को मटकाती हुई उसकी तरफ बढ़ गई।
शहनाज़ उसकी आंखों में देखते हुए उसके पास पहुंच गई और बोली:" अजय बताओ ना अब कौन सी विधि बच गई है ?
अजय अंदर आ गया और शहनाज़ उसने पीछे अा गई और उसने सौंदर्या को देखा और उसे उसके पूरे कपड़ों में देखकर उसने सुकून की सांस ली और स्माइल करते हुए बोली:"
" हो गई ना पूजा अच्छे से सौंदर्या ? कोई दिक्कत तो नहीं अाई ?
सौंदर्या:" हान शहनाज़ सब कुछ ठीक से हो गया। कोई दिक्कत नहीं हुई।
शहनाज़ खुश थी कि उसकी चाल काम कर गई जबकि सौंदर्या भी खुश थी क्योंकि वो शहनाज़ की वजह से अपने भाई के सामने नंगी होने से बच गई।
अजय:" आपने पूजा करते हुए एक एक लिंग तो तोड़ ही दिया। अब आगे एक साथ दोनो को मिलकर छत में लगे हुए ये लिंग तोडने होंगे। तब जाकर ही पूजा पूरी तरह से सही समझी जाएगी।
शहनाज़:" वो तो ठीक हैं अजय। लेकिन हम दोनों एक साथ उपर कैसे जाएगी ?
अजय:" उसकी आप चिंता मत कीजिए। मैं आप दोनो को उठा लूंगा एक साथ।
शहनाज़:" ये कोई बच्चो का खेल नहीं हैं अजय।
अजय:" और मैं भी बच्चा नहीं हूं शहनाज़ दीदी। तुम्हे अभी मेरी ताकत का सही से अंदाजा नहीं है। एक काम करो दोनो आगे अा जाओ।
शहनाज़ और सौंदर्या आगे अा गई और अजय ने अपने दोनो हाथों से अलग उन्हें उठा लिया और देखते ही देखते अपनी छाती के बराबर उपर उठा लिया। शहनाज़ ये सब देखकर अजय की बाजुओं की ताकत पर अपना सब कुछ हार गई और उसने सौंदर्या की तरफ देखा और दोनो ने एक एक करके लंड तोडने शुरू कर दिए। शहनाज़ ने जान बूझकर अपना पैर उसके हाथ पर थोड़ा सा आगे बढ़ा दिया और बिना उसकी तरफ देखे अपने पैर के अंगूठे से उसकी छाती सहलाने लगी। अजय उसकी इस हरकत पर मस्ती में अा गया और उसने एक बार उपर की तरफ देखा कि दोनो लंड तोड़ रही हैं तो अजय ने अपना चेहरा हल्का सा नीचे किया और अपने जलती हुई जीभ को उसके अंगूठे पर फेर दिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और सौंदर्या ने हैरानी से उसकी तरफ देखा तो सौंदर्या ने उसे स्माइल देते लंड की तरफ इशारे से बताया कि ये देखो कितना मोटा लग रहा है।
सौंदर्या ये देखकर मन ही मन शर्मा गई और अजय ने अपना मुंह खोलते हुए शहनाज़ के लाल रंग की नैल पॉलिश लगे हुए अंगूठे को अपने मुंह में भर लिया और शहनाज़ का पूरा बदन कांप उठा। उसकी चूत फिर से भीगना शुरू हो गई। अजय उसके अंगूठे को चूसे जा रहा था और बदहवाश सी मदहोश शहनाज़ पागलों की तरह लंडो को पकड़ पकड़ कर तोड़ रही थी मानो उनसे अपनी दुश्मनी निकाल रही हो। जल्दी ही दोनो ने सारे लंड तोड़ डाले तो अजय ने शहनाज़ ने अंगूठे को हल्का सा अपने दांतो से दबाया तो शहनाज़ ने अपने दूसरे पैर के नाखून उसकी छाती में गडा दिए तो अजय तड़प उठा और अजय ने दोनो को एक साथ नीचे उतार दिया।
नीचे उतरकर सौंदर्या और शहनाज़ बाहर की तरफ चल पड़ी। सौंदर्या आगे चल रही थी और शहनाज़ जैसे ही गेट पर पहुंची तो उसने पीछे पलटकर अजय की तरफ देखा और उसे स्माइल दी और बाहर निकल गई। अजय उसकी इस अदा पर पागल सा हो गया।
अजय भी अपने कपड़े बदल कर आ गया और उसके बाद सभी लोग गाड़ी में बैठकर निकल पड़े। अजय बार बार शीशे में पीछे बैठी हुई शहनाज़ को देख रहा था और शहनाज़ भी उसे सौंदर्या से नजरे बचा बचा कर स्माइल दे रही थी।
गाड़ी काफी देर से चल रही थी और पीछे बैठी हुई दोनो बाते कर रही थी। रात का करीब एक बज गया था और सौंदर्या को नींद अा गई तो वो वहीं खिड़की से सिर लगाकर सो गई। शहनाज़ ने उसके दोनो पैर सीधे किए और खुद थोड़ी सी आगे होकर सीट के अगले हिस्से पर बैठ गई।
अजय ने पीछे देखा कि सौंदर्या सो गई हैं तो उसने इस बार खिड़की से नहीं बल्कि अपनी पूरी गर्दन पीछे घुमाते हुए शहनाज़ की तरफ देखा और उसे स्माइल देते हुए बोला:"
" क्या हुआ नींद नहीं अा रही है क्या आपको शहनाज़ ?
शहनाज़ ने भी इसे स्माइल दी और बोली:" मुझे नींद नहीं आ रही हैं बिल्कुल भी लेकिन सौंदर्या पूरी तरह से गहरी नींद में सो गई है अजय।
अजय उसकी बात सुनकर खुश हो गई। क्योंकि जिस तरह से शहनाज़ से पूरी गहरी नींद शब्द का इस्तेमाल किया था उससे एहसास हो रहा था कि वो खुद उसे ये बताना चाह रही थी कि अब वो दोनो गाड़ी में अकेले हैं।
अजय: हान ये तो बहुत गहरी नींद सोती है बचपन से ही। अब आराम से सुबह तक ऐसे ही सोती रहेगी।
अजय ने भी उसे अपनी तरफ से इशारा दिया कि अब सौंदर्या उठने वाली नहीं है। शहनाज़ सब समझ भी गई लेकिन उसमें कुछ पहला करने की हिम्मत नहीं थी। अभी तक जो कुछ हुआ पूजा के बहाने हुआ था इसलिए उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि कैसे आगे बढ़ा जाए।
अजय मर्द था तो पहल उसे ही करनी थी इसलिए बोला:"
" आप पीछे आराम से तो बैठी हुई हैं ना ? कुछ दिक्कत तो नहीं हो रही आपको ?
शहनाज़ को लगा कि यही सही मौका हैं इसलिए बोली:"
" नहीं कुछ ज्यादा नहीं !!
शहनाज़ ने जान बूझकर नपा तुला सा जवाब दिया। अजय तड़प सा उठा क्योंकि उसे लगा था कि शहनाज़ आगे बैठने के लिए कहेगी लेकिन शहनाज़ ने बात को अधूरा ही छोड़ दिया था। कुछ ज्यादा नहीं तकलीफ बोलकर शहनाज़ ने अजय के दिमाग में हलचल मचा दी कि वो आगे बैठना तो चाहती है लेकिन अजय की मर्जी से तो अजय ने फिर से कोशिश करना ही बेहतर समझा और उसने गाड़ी की स्पीड को कम किया और पीछे देखते हुए शहनाज़ की आंखो में देख कर बोला:"
" आपको थोड़ी सी भी दिक्कत होगी तो मुझे दुख होगा। वैसे पीछे इतनी सी जगह में आपको सोने में दिक्कत होगी।
शहनाज़ फिर से उसका ऑफर सुनकर ललचा गई और उसे स्माइल देते हुए बोली:"
" दिक्कत नहीं होगी क्योंकि मुझे नींद नहीं आ रही है अजय।
इतना कहकर शहनाज़ ने अपनी मेक अप किट को खोला और उसमे से एक गहरे लाल रंग की लिपस्टिक निकाल ली।
अजय उसकी बात सुनकर समझ गया कि अरमान तो उसके भी मचल रहे हैं नहीं तो ये रात को लिपस्टिक क्यों निकाल रही है कहीं मुझे उकसा तो नहीं रही हैं। अजय से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और अपने चेहरे को शहनाज के चेहरे के पास लाते हुए बोला:"
" वैसे आगे गाड़ी में बड़ी और आरामदायक सीट हैं !!
शहनाज़ तो उसकी गोद में बैठने के लिए तैयार थी बस उसकी तरफ से पहल का इंतजार कर रही थी। अजय की तरफ से ऑफर मिलते ही शहनाज़ ने लिपिस्टिक को अपने होंठो पर घुमाया और हिम्मत दिखाते हुए बोली:"
" तो क्या मैं आगे बैठ जाऊं अजय !
शहनाज़ ने कांपते हुए कहा और अजय की आंखो में देखते हुए स्माइल दी तो अजय ने गाड़ी को बिल्कुल स्लो कर दिया और ।बोला:*
" आओ जाओ ना शहनाज़। मेरे पास ही बैठ जाओ। तुम्हे तो आगे ही होना चाहिए। रुको मैं पीछे की लाइट भी बंद कर देता हूं।
इतना कहकर उसने गाड़ी की आगे और पीछे की दोनो लाइट बंद कर दी और शहनाज़ धीरे से बिना आवाज किए हुए उठी और उसने सीट के बीच में से खाली जगह में अपना पांव आगे रखा और धीरे से आगे को निकल गई। शहनाज़ ने इसी बीच जान बूझकर उंगली से अपनी ब्रा की स्ट्रिप में फंसे हुए साडी के पल्लू को सरका दिया जिससे उसके आगे सीट पर बैठते ही उसकी साड़ी सरक कर नीचे अा गई और उपर से शहनाज़ सिर्फ ब्रा में अजय के सामने अा गई। अजय शहनाज़ को फिर से ब्रा में देख कर खुश हो गया।
बाहर चांदनी रोशनी फैली हुई थी जिसमें शहनाज़ का जिस्म गजब ढा रहा था। अजय बार बार उसकी तरफ देखकर रहा था और बीच बीच में उसकी चूचियों का उभार भी देख रहा था। उसकी चूचियों की गहराइयों के बीच में लटकी हुई सोने की चैन उसकी खूबसूरती और बढ़ा रही थी। अपनी चुचियों के उभार को देख रहे अजय को शहनाज़ ने एक कामुक स्माइल दी।
अजय पूरी तरह से उसके लिए पागल हो रहा था और शहनाज़ ये देखकर पूरी तरह से खुश थी क्योंकि वो यही तो चाह रही थी। उसने अपनी लिपस्टिक ली और होंठो पर लगाने लगी तो अजय बोला:"
" इतनी रात में लिपिस्टिक लगा रही हो क्या बात हैं ? किस पर बिजलियां गिरेगी आज ??
शहनाज़ ने अपने होंठो को पूरी तरह से लाल कर दिया और अजय को देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोली:"
" रात में लिपिस्टिक लगा सकते क्या अजय ? वैसे हैं कोई जिसके लिए मैं ये सब कर रही हूं।
इतना कहकर शहनाज़ ने उसे सेक्सी सी स्माइल दी। अजय ने गाड़ी को आगे मोड़ से घुमाया जिससे दोनो को हल्का सा झटका लगा और शहनाज़ मौके का फायदा उठाते हुए उसकी तरफ खिसक गई और एक अपने एक हाथ को उसकी जांघ पर रख दिया। अजय का दिल शहनाज़ को अपने इतने पास पकड़ धड़क उठा। शहनाज़ की गर्म गर्म सांसे उसे अब अपने उपर महसूस हो रही थी।
अजय बेचैन हो रहा था इसलिए बोला:" लगा सकते हैं शहनाज़ और तुम जैसी खूबसूरत औरत को बिल्कुल लगा सकती हैं।
अजय गियर बदलने के लिए अपना हाथ नीचे लाया और उसने गाड़ी को धीमी करते हुए गियर बदला और अपना हाथ उसके हाथ पर टिका दिया। शहनाज़ मचल उठी और उसने अजय की आंखो में देख कर स्माइल दी तो अजय ने उसके हाथ पर अपने हाथ का दबाव दिया और शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शहनाज़ की सांसे अब पूरी तेजी से चल रही थी और उसकी चूचियां फिर से उछल कूद कर रही थी।
शहनाज़ ने अपने हाथ की उंगलियों को खोला तो अजय ने अपनी उंगलियां उसकी उंगलियों में फंसा दी और सहलाने लगा। शहनाज़ ने फिर से अपने होंठो पर जीभ फिराई तो अजय ने शहनाज़ की उंगलियों को जोर से दबा दिया तो शहनाज़ ने उसकी जांघ को सहला दिया। अजय ने अब उसके हाथ को अपने हाथ में लिए हुए ही अपनी जांघ को सहलाना चालू कर दिया और शहनाज़ के होंठ कांप रहे थे और धीरे धीरे दोनो एक दूसरे की तरफ खिसक रहे थे और उनके बीच की दूरी कम होती जा रही थी।
शहनाज़ अजय की मजबूत चौड़ी जांघो पर अपनी हथेली रगड़ रही थी और धीरे धीरे अजय उसका हाथ अपने लंड की तरफ बढ़ा रहा था।
दोनो एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे और शहनाज़ बार बार उसे देखते हुए अपने होंठो को अपनी जीभ से गीला कर रही थी। अजय बार बार उसके लिप्स को प्यासी नजरो से देख रहा था।
अजय ने शहनाज़ की आंखो में देखते हुए उसके हाथ को अपने लंड के उभार पर टिका दिया। शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई और उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अजय पर झुकते हुए अजय के होंठो को चूम लिया।
अजय इस चुम्बन से मस्त हो गया और उसने शहनाज़ को अपनी खींचा और शहनाज़ खुद ही उसकी गोद में बैठ गई और अपनी दोनो टांगे उसकी कमर में लपेट दी। अजय ने अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिए और शहनाज़ मदहोश होकर उसके होंठ चूसने लगी।
अजय ने भी शहनाज़ का साथ देते हुए अपने एक हाथ को उसकी गर्दन के पीछे लगाया और उसके होंठ चूसने लगा। अजय पूरी तरह से मदहोश हो गया और शहनाज़ ने अपने मुंह को खोल दिया और अजय के होंठ उसके मुंह में घुसते चले गए। दोनो एक दूसरे की जीभ को बारी बारी से चूस रहे थे। अजय शहनाज़ से मुंह से निकलते हुए मादक और रसीले रस को पूरी तरह से मस्त होकर चूस रहा था।
तभी पीछे इन्हे सौंदर्या के हिलने की आवाज अाई तो शहनाज़ किस रोककर उसकी गोद से उतरी और अपनी सीट पर बैठ गई। सौंदर्या पीछे अपनी आंखे मलती हुई उठ गई और शहनाज़ को आगे बैठे देखा तो थोड़ी सी हैरान हो गई और बोली:"
" अरे शहनाज़ आप आगे बैठ गई जाकर।
शहनाज का मुंह अभी तक लाल था और होंठो की लिपस्टिक थोड़ी सी फैल गई थी लेकिन गाड़ी में अंधेरा होने के कारण सौंदर्या को नहीं दिखी। शहनाज़ सौंदर्या के जाग जाने से बुरी तरह से डर गई थी इसलिए कांपते हुए बोली
" वो तुम सो गई थी और मुझे नींद नहीं आ रही थी। इसलिए सोचा अजय से ही बात कर लेती हूं।
शहनाज़ ने बड़ी मुश्किल से अपनी बात खत्म करी। अजय उसकी बात को बढ़ावा देने के लिए बोला:"
" दीदी आप सो गई थी और आप ठीक से सो सके पूरी सीट पर बस इसलिए ही ये आगे अा गई थी।
सौंदर्या अजय की बात सुनकर खुश हुई और उसने आज झुकते हुए खुशी में शहनाज़ का गाल चूम लिया। शहनाज़ ने चैन की सांस ली कि वो पकड़ी जाने से बाल बाल बची। भाई होंठ चूमता हैं और बहन मेरे गाल। पता नहीं ये सौंदर्या की कुंडली से दोष निकालने के लिए होने वाली पूजा मुझसे क्या क्या करवाएगी।
Shaandaar update
Shehnaz ek dam se tayyar ho gayi thi
Lekin saundria n jaag ker rang m bhang daal dia