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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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कमरे में पूरा अंधेरा था और दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े बाहर की तरफ चल पड़े। जैसे ही दोनो घर से बाहर निकले तो शहनाज़ का जिस्म चांद की रोशनी से नहा उठा। शहनाज़ के जिस्म पर लिपटी हुई चादर में उसकी चूचियां साफ़ साफ़ नजर आ रही थी और कत्थई रंग के निप्पल भी तन कर खड़े हुए थे। शहनाज़ के खूबसूरत चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे और वो बेहद कामुक लग रही थी।

शहनाज़ को ऐसे अवतार में देख कर अजय ने उसका हाथ जोर से दबा दिया तो शहनाज़ ने शिकायती नजरो से उसकी तरफ देखा और बोली:"

:" हाथ पर लिखने की क्या जरूरत थी ? बोल कर भी तो बता सकते थे कि रात में पूजा की कुछ विधि करनी होगी।

अजय:'" बोलने से सब सौंदर्या को पता चल जाता। वो मांगलिक हैं इसलिए शामिल नहीं हो सकती। अगर वो शामिल हुई तो अब तक की सब मेहनत खराब हो जाएगी।


शहनाज़:" अच्छा ये बात हैं तो फिर तो ठीक किया तुमने।

अजय तेजी से चल रहा था जिससे शहनाज़ की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और देखते ही देखते वो दोनो घाट पर पहुंच गए और अजय शहनाज़ को आगे की पूजा और विधि के बारे में सब समझाने लगा। शहनाज़ सब समझ गई कि आज पूजा पूरी होते होते वो पागल सी हो जाएगी। वहां एक बड़े से पत्थर पर एक काफी बड़ा मुलायम गद्दा लगा हुआ था जिसके बीचों बीच में एक केले का बहुत ही बड़ा पत्ता बिछा हुआ था।

केले के पत्ते को देखकर शहनाज़ को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अजय की तरफ देखा और
अजय बोला:" शहनाज़ तो फिर आगे पूजा शुरू करे क्या ?

शहनाज़:' हान लेकिन एक बात का डर लग रहा है कि अगर बीच में सौंदर्या अा गई तो क्या सोचेगी ?

अजय ने आगे बढ़कर शहनाज़ का गोरा गोरा हाथ पकड़ लिया और बोला:" सौंदर्या बिल्कुल भी नहीं अा पाएगी क्योंकि मैंने उसके दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया है शहनाज़।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ की चूत में मधुर संगीत सा बज उठा और कुछ बूंदे छलक पड़ी। शहनाज़ अजय की आंखो में देखते हुए बोली:" तुम तो बहुत तेज निकले, पहले ही पक्का इंतजाम करके आए हो ।

अजय ने शहनाज़ को खींच कर अपने कर किया और बोला:"

" अब आप देर मत करो, कहीं मुहूर्त निकल गया तो सब पता बेकार हो जाएगा।

शहनाज़ खुद ही उससे लिपट गई और बोली:' बताओ पहले कौन सी विधि करे ?

अजय: आप एक काम कीजिए, ये चादर औढ़ कर केले के पत्ते पर लेट जाए।

शहनाज़ गद्दे पर जैसी ही चढ़ी तो उसे गद्दे की कोमलता का एहसास हुआ और उसका रोम रोम खुशी से खिल उठा। गद्दा इतना ज्यादा मुलायम था कि उस पर बैठते ही शहनाज़ नीचे की तरफ धंसी और फिर उपर की तरफ उछल पड़ी। शहनाज़ के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी और वो धीरे धीरे आराम से केले के पत्ते पर लेट गई। सफेद रंग की पारदर्शी चादर से उसने अपने पूरे जिस्म को ढक लिया।


02


शहनाज़ के जिस्म पर चादर फैली हुई थी लेकिन चादर इतनी पतली थी कि उसके जिस्म के उभार साफ़ उभर कर नजर अा रहे थे। शहनाज़ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है वो तो बस चादर के अंदर से अजय को ही देख रही थी। अजय थोड़ा सा आगे बढ़ा और उसके पास गद्दे पर ही बैठ गया।

अजय ने एक लोटा निकाला जिसमे कुछ गंगा जल भरा हुआ था और अपनी आंखे बंद कर ली और कुछ मंत्र पढ़े और बोला:"

" शहनाज़ मुझे तुम्हारे जिस्म को इस गंगा जल से पवित्र करना होगा ताकि सौंदर्या के जिस्म से भी मंगल का प्रभाव कम हो सके।

शहनाज़ के तन बदन में हलचल सी मच गई। उफ्फ इसका मतलब अजय अब गंगा जल लगाने के बहाने मेरे जिस्म को छुएगा। ये सोचकर ही उत्तेजना के मारे उसकी सांसे तेज हो गई तो शहनाज़ की छाती पर से चादर बार बार ऊपर नीचे होने लगी। अजय ने थोड़ा सा जल लिया और शहनाज़ के पैरो पर छिड़क दिया तो चादर भीग जाने के कारण उसके पैर पूरी तरह से साफ नजर आने लगे। चादर बस नाम मात्र के लिए ही थी । अजय ने शहनाज़ के तलवो को अपनी उंगली से सहलाया तो शहनाज़ के तन बदन में मीठी मीठी लहर दौड़ गई और वो कांप उठी।

शहनाज की हालत देखकर अजय की आंखे चमक उठी और उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली। अजय ने जोश में आकर पानी से भरा हुआ लोटा उसके पूरे जिस्म पर पलट दिया और शहनाज़ कांप उठी। चादर उसके जिस्म पर अब सिर्फ नाम के लिए रह गई थी और उसकी गोल गोल ठोस चूचियां पूरी तरह से खिल उठी थी। अजय उसके पैरो के बीच बैठ गया और उसने अपने हाथो को चादर के अंदर घुसा दिया और उसके पैरो को घुटनो से लेकर पंजो तक जल से भिगो रहा था और बहुत ही कामुक तरीके से सहला रहा था जिससे शहनाज़ मस्ती में आती जा रही थी। अजय ने फिर से हाथो में जल लिया और उसकी जांघो को छूआ तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी जांघो को पूरी ताकत से कस लिया। अजय ने अपने दोनो हाथों से उसके घुटनो को पकड़ा और खोलने लगा लेकिन शहनाज़ ने और जोर से कस लिया तो अजय ने अपने दोनो हाथों की ताकत लगाई और एक झटके के साथ उसकी जांघों को खोल दिया तो शहनाज़ की सांसे पूरी तरह से तेज हो गई और उसकी चूचियों पर पड़ी हुई चादर हिलने लगी मानो उसकी चूचियां चादर को हटा देना चाहती हो। अजय ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और शहनाज़ की जांघो को छुआ तो शहनाज़ के मुंह से फिर से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। अजय ने दोनो हाथ से उसकी जांघो को हथेली में भर लिया और जल से भिगोने के बहाने सहलाने लगा। शहनाज़ का जिस्म उसके काबू से बाहर होता जा रहा था और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल रही थी।

अजय ने हाथ थोड़ा उपर की तरफ किया और शहनाज़ के जांघो में फंसे हुए मंगल यंत्र को जोर से एक झटका दिया तो उसकी चूत में घुसा हुआ घुंघरू जोर से हिला और शहनाज़ ने एक बार फिर से अजय के हाथो को अपनी जांघो के बीच में कस लिया। शहनाज़ की सांसे पूरी तेज गति से चल रही थी और उसकी आंखे लाल सुर्ख होकर दहक रही थी। उसकी चूचियों पर पड़ी हुई चादर चूचियां हिलने से इधर उधर खिसक गई थी और उसकी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर छलक उठी। अजय ने एक बार उसकी चूचियों की तरफ देखा और मंगल यंत्र को पकड़ कर जोर से हिलाते हुए कामुक अंदाज में बोला'"

" मंगल यंत्र ज्यादा परेशान तो नहीं कर रहा है ना शहनाज़?

इतना कहकर उसने जोर जोर से मंगल यंत्र को हिलाया तो घुंघरू शहनाज़ की चूत की फांकों से रगड़ने लगा और उसकी चूचियां के निप्पल उछलते हुए चादर से बाहर निकल गए।
Awesome superb and laajawab update Bhai
 

Sirajali

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Awesome superb and laajawab update Bhai
U
Awesome superb and laajawab update Bhai
Uniq star ji ye galat baat hai aap purane update post kar dete hai naya update Kab aayega ye batate nahi kam se kam apne chahne waalon ko update ka time to Bata sakte hai .......................... agar Maine kuch galat kaha hai to mai maafi chahunga
 

Pal9kit

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इस दमदार चुदाई के बाद दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे और शहनाज़ की आंखे पूरी तरह से बंद थी। उसके चेहरे पर असीम शांति फैली हुई थी और फैले भी क्यों नहीं क्योंकि उसकी एक हफ्ते से टपक रही चूत की जो दमदार चुदाई हुई थी उससे ना सिर्फ शहनाज़ की चूत बल्कि उसकी आत्मा तक को तृप्ति मिल गई थी। शहनाज़ अपनी आंखे बंद किए हुए ही अजय के बालो में अपनी नाजुक उंगलियां घुमा रही थी और अजय ने उसे अपनी बाहों में पूरी तरह से समेत रखा था। दोनो के दिलो की धड़कन अभी तक शांत नहीं हुई थी क्योंकि अजय का साथ देने में शहनाज़ ने भी अपने जिस्म की पूरी ताकत झोंक दी थी।

बाहर चल रही ठंडी ठंडी हवा का असर दोनो पर हो रहा था ठंडी हवाओं से उनके गर्म शरीर ठंडे होने शुरू हो गए और आखिरकार करीब 15 मिनट के बाद दोनो की सांसे दुरुस्त हो गई। अब दोनो के जिस्म बिल्कुल शांत थे लेकिन पसीने से भीगे हुए थे।

अजय धीरे से शहनाज़ के चेहरे को उपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरते हुए बोला:"

" शहनाज़, कैसा महसूस हो रहा है अब तुम्हे। सुकून मिला या नहीं


शहनाज़ उसकी बात सुनकर शर्मा ने और उसके होंठो पर स्माइल अा गई तो अजय सब कुछ समझ गया और उसने फिर से शहनाज़ की ठोड़ी पकड़कर उसका चेहरा उपर उठाया और उसे स्माइल दी तो शहनाज़ भी इस बार हल्की सी मुस्कुरा उठी।

अजय:" बताओ ना शहनाज़ कैसा लगा तुम्हे ?

इतना कहकर अजय ने उसकी चूत के होंठो को अपनी उंगलियों से हल्का सा मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल पड़ा

" आह, उफ्फ मत छुओ उसे, आह अम्मी, शैतान दर्द कर रही है वो बहुत ज्यादा। उसकी हालत खराब कर दी तुमने पूरे जानवर हो तुम। एक दम जंगली जानवर।

अपनी तारीफ सुनकर अजय अजय खुश हो गया और उसने एक झटके के साथ शहनाज़ को किसी गुड़िया की तरह अपनी गोद में उठा लिया तो शहनाज़ उसकी ताकत पर मर मिटी और उसे हैरानी से देखा और बोली:"

" अब क्या हुआ, तुमने तो मुझे किसी नाजुक गुड़िया की तरह उठा लिया जैसे मेरे अंदर वजन ही ना हो।

अजय ने अपनी तारीफ सुनकर शहनाज़ का मुंह चूम लिया और उसे गोद में लिए हुए गंगा की तरफ चल पड़ा और बोला:"

:" अपना जिस्म देखो कितना पसीने से भीग गया है। चलो तुम्हे आज अपने हाथो से नहला देता हूं शहनाज़। तुम किसी गुड़िया को तरह की हो शहनाज़।

इतना कहकर अजय ने एक हाथ में भर कर उसकी गांड़ को जोर से मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से दर्द भरी सिसकी निकल पड़ी और बोली:"

" आऊच पूरे पागल हो तुम। तुम्हे कुछ प्यार से करना नहीं आता क्या, सब कुछ इतनी जोर से करते हो तुम बस जान ही निकाल देते हो।

अजय:" मुझे प्यार से कुछ भी करना आता, बचपन से ही बस लड़ाई झगड़ा पसंद था। अब शरीर में ताकत ही इतनी ज्यादा है कि अपने हाथ बाहर निकल जाती है तुम्हे देखकर।

शहनाज़:" बस बस, हर एक काम के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती। समझे मिस्टर पहलवान।

अजय ने फिर से उसकी आंखो में देखते हुए उसकी मोटी गांड़ के एक हिस्से को अपनी मुट्ठी में भर लिया और पूरी ताकत से मसल दिया और बोला

:" हर काम का तो पता नहीं लेकिन चुदाई के लिए तो ताकत ही ताकत चाहिए मेरी जान शहनाज़।


शहनाज़ दर्द से कराह उठी और उसकी छाती में घुस्से मारते हुए बोली:"

" आह मर गई, उफ्फ कितने ज़ालिम हो तुम। थोड़ा सा भी रहम नहीं करते।

अजय:" हाय मेरी जान शहनाज़, वो मर्द ही क्या जिसके हाथो में रहम हो, जब तक औरत चींखें ना मारे तो लंड का क्या फायदा। ऐसा मैंने पढ़ा है।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर शर्मा ने और बोली:"

:" उफ्फ बस बस ये ही सब कुछ पढ़ते हो तुम। अच्छा एक बात बताओ तुम्हारा अपनी पढ़ाई में कुछ ध्यान लगता भी है या नहीं ?

अजय शहनाज़ की बात सुनकर खामोश हो गया लेकिन उसके कदम अभी भी गंगा की तरफ बढ़ रहे थे। उसकी खामोशी देखकर शहनाज़ बोली;


:" अरे चुप क्यों हो गए तुम? बताओ ना ?

अजय ने एक बार शहनाज़ की तरफ देखा और फिर अपनी नजरे झुका कर बोला:"

:" सच कहूं तो पढ़ाई में मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता है। बस मम्मी का दिल रखने के लिए शहर में रहता हूं। पढ़ाई में मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता है।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

:" हान हान पढ़ाई में समझ नहीं आता तो क्या हुआ चुदाई में तो बड़ा मन लगता है।

इतना कहकर शहनाज़ ने उसके होंठो को चूम लिया। गंगा नदी की लहरे अब अजय के पांव से टकरा रही थी और वो शहनाज़ को गोद में लिए हुए आगे बढ़ गया और जल्दी ही उसके पेट तक पानी अा गया तो उसने शहनाज़ को अपनी गोद से नीचे उतार दिया।

ठंडे ठंडे पानी अपनी चूत को छूने के एहसास से शहनाज़ कांप उठी और बोली:"


" सी ईईई कितना ठंडा पानी हैं अजय। मुझे तो कंपकपी सी अा रही है इसमें।

अजय;" हान शहनाज़, सचमुच बहुत ही ठंडा पानी हैं। चलो जल्दी से मैं तुम्हारे शरीर को साफ कर देता हूं। कहीं ऐसा न हो तुम्हारी तबियत बिगड़ जाए। तुम जल्दी से एक डुबकी लगा लो।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर पानी में डुबकी लगाने लगी और उसने डुबकी लगाकर अपना सिर्फ सिर बाहर निकाल लिया जबकि गर्दन के नीचे का बाकी हिस्सा अभी भी पानी के अंदर ही था। अजय ने पानी से झांक रही उसकी चूचियों पर नजर डाली तो शहनाज़ एक कातिल मुस्कान फेंकती हुई सीधी खड़ी हो गई और उसकी ठोस गोल गोल चूचियां बाहर की तरफ उछल पड़ी।


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शहनाज़ की चूचियों से गिरती हुई पानी की बूंदे उसकी जांघो के बीच उसकी चूत पर गिर रही थी और अजय ये सब देखकर पागल सा हो गया और अजय ने हाथो में पानी लेकर उसके जिस्म को साफ करना शुरू कर दिया। शहनाज़ के नंगे जिस्म पर पानी की बूंदे क़यामत ही ढा रही थी। अजय ने दोनो हाथो में पानी लिया और शहनाज़ की चूचियों को पूरी तरह से भिगो दिया तो शहनाज़ ठंड से कांप उठी। अजय ने उसकी तरफ स्माइल करते हुए उसकी दोनो चूचियों को हाथो में भर लिया और धोने के बहाने धीरे धीरे मसलने लगा। कभी पूरी चूचियों को मसलता तो कभी निप्पल को उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर प्यार से सहला देता। शहनाज़ अपनी चूचियां मसली जाने से फिर से गर्म हो गई थी और उसकी चूत में गंगा नदी का ठंडा ठंडा पानी एक अलग ही आग पैदा कर रहा था। अजय ने अपने हाथ नीचे पानी में घुसाते हुए शहनाज़ की मोटी मोटी गोल मटोल गांड़ को अपने हाथो में भर लिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" आह शहनाज़, तेरी गांड़ कितनी मोटी और गद्देदार हैं। उफ्फ तू मुझे पहले क्यों नहीं मिली।

इतना कहकर अजय ने उसकी गांड़ को जोर से मसल दिया तो शहनाज़ दर्द से तड़प उठी और बोली:"

:" आह आह , आह इतनी जोर से मत मसलों निशान पड़ जाएंगे। तुम सुधर नहीं सकते क्या।

अजय ने अपनी अंगुलियों को उसकी गांड़ को चौड़ा करते हुए उसके छेद पर फिराया और बोला:"

:" आह शहनाज़, गांड़ ही क्या मैं तो तेरे सारे जिस्म पर निशान पड़ा दूंगा। तेरे गोरे गोरे जिस्म पर लाल निशान उफ्फ क़यामत लगोगी तुम।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर शर्मा गई और थोड़ा सा आगे को हुई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच में ने हाथ घुसा दिया और उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया तो शहनाज़ पलट कर उससे लिपट गई और सिसकी

:" आह अजय, दर्द करती हैं मेरी, उफ्फ क्या हाल कर दिया तुमने इसका, थोड़ा प्यार से साफ करो।

अजय शहनाज़ की बात सुनकर मस्ती में अा गया और उसने शहनाज़ की चूत के दोनों मखमली नाजुक मुलायम लिप्स को उंगली से सहला दिया और बोला:'

:" उफ्फ शहनाज़, कितनी मुलायम हैं ये, हाय बता ना क्या हैं ये जो दर्द करती हैं।

इतना कहकर उसने शहनाज़ की चूत की कलिट को मसल दिया तो शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई और सिसकी लेते हुए बोली:"

:" आह चूत हैं ये अजय। उफ्फ अम्मी चूत।

अजय शहनाज़ के मुंह से चूत सुनकर पागल हो गया और उसने शहनाज़ का हाथ पकड़ कर अपने सख्त मोटे तगड़े लंड पर टिका दिया और बोला:"

:" आह चूत, उफ्फ किसकी चूत हैं ये मेरी जान ?

शहनाज़ लंड पर हाथ में लेते ही उसकी गोलाई और मोटाई महसूस करके पागल सी हो गईं और उसे सहलाते हुए सिसक उठी:"

;" आह, मेरी चूत में ये अजय, उफ्फ शहनाज़ की चूत।

अजय ने अपनी एक उंगली को आधा उसकी चूत में घुसा दिया और बोला:"

" हाय शहनाज़ तेरी चूत लाल क्यों हो गई है? क्यों दर्द कर रही है ये

शहनाज़ ने जोर से उसके लंड को मुट्ठी में भींच दिया और बोली:"

" अहहग चुद गई है मेरी चूत, उफ्फ इस मोटे तगड़े लंड से एसआइआई ऊऊऊ इसलिए दर्द कर रही है छूने से ही।

अजय ने जोश में आकर अपनी पूरी उंगली को उसकी चूत में घुसा दिया और बोला:"

" आह शहनाज़ तेरी चूत कितनी गर्म है अब भी, किसके लंड से चुद गई है शहनाज़ की चूत ?

शहनाज़ अपनी सुखी चूत में उंगली घुसते ही दर्द से कराह रही और सिसकते हुई बोली:"

" आह तेरे लंड से, अजय के लन्ड से चुद गई मेरी चूत, उफ्फ ज़ालिम सूखी चूत में ही घुसा डाली उंगली।

अजय ने उंगली को चूत से बाहर निकाला और शहनाज़ को एक झटके के साथ अपनी गोद में उठा लिया और देखते ही देखते शहनाज़ को इतने ऊपर उठा दिया कि उसकी दोनो टांगे अजय के गले में लिपट गई जिससे उसकी चूत अजय के मुंह के सामने अा गई और अजय ने बिना देरी किए उसकी चूत पर अपने होंठ टिका दिए तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को पूरी तरह से खोल दिया और जिससे अजय के होंठ उसकी चूत के होंठो को रगड़ गए और शहनाज़ सिसक उठी।


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अजय ने अपनी लपलपाती हुई जीभ को बाहर निकाला और शहनाज़ की आंखो में देखते हुए उसकी चूत पर चिपका दिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी

" आह अजय, आऊच मेरी चूत, चूस लो शहनाज़ की चूत, उफ्फ

अजय ने उसकी चूत के जीभ अंदर घुसा दी तो शहनाज़ की आंखे बंद हो गई और उसने अजय के सिर को थाम लिया और अपनी चूत में घुसा दिया। अजय अपनी खुरदरी जीभ से उसकी चूत की दीवारों को रगड़ रगड़ कर चाट रहा था और शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी। शहनाज़ की सिसकियां तेज होती चली गई और अजय ने अपनी जीभ बाहर निकाली और देखते ही देखते शहनाज़ की गांड़ को नीचे किया तो उसकी चूत अजय के लन्ड पर अा टिकी और दोनो एक साथ सिसक उठे। शहनाज़ की दोनो टांगे उसकी कमर में और उसके हाथ अजय की गर्दन में लिपटे हुए थे। अजय शहनाज़ की गांड़ को मसलते हुए चूत को अपने लंड पर रगड़ रहा था जिससे शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई क्योंकि आज पहली बार वो इस पोजिशन में चुदने जा रही थी। जैसे ही लंड उसकी चूत के छेद से टकराया तो शहनाज़ ने अजय के होंठो को अपने मुंह में भर लिया और अजय ने नीचे से एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो आधे से ज्यादा लंड शहनाज़ की टाइट चूत में घुसता चला गया और शहनाज़ दर्द और मस्ती से सिसक उठी। अजय ने पूरी ताकत से दूसरा धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत को रगड़ते हुए जड़ तक अन्दर घुस गया और शहनाज़ दर्द से बिलबिला उठी और अजय से कसकर लिपट गई। अजय ने उसकी गांड़ को उपर उठा दिया और लंड को बाहर निकाला और फिर से उसकी गांड़ को ढीला छोड़ दिया तो तीर की तरह सर्ररर करता हुआ लंड जड़ तक उसकी चूत में घुस गया और शहनाज़ एक बार फिर दर्द से कराह उठी।


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" आह अजय, उफ्फ दुखती है मेरी चूत, थोड़ा प्यार से चोद ना इसे तू।

अजय ने उसकी गांड़ को थाम लिया और पूरी ताकत से उसे चोदने लगा तो शहनाज़ की सूज चुकी चूत में दर्द होने लगा और शहनाज़ दर्द से कराह उठी और उसने अपने दांत उसके कंधे में गडा दिए तो अजय दर्द से तड़प उठा और उसका धैर्य जवाब दे गया और उसने दोनो हाथो में शहनाज़ की जांघो को कसकर पकड़ लिया और जोर जोर से उसकी गांड़ को अपने लंड पर उछालते हुए पूरी ताकत से नीचे से तगड़े धक्के लगाने लगा।

शहनाज़ की चूत में आग सी लग रही थी और शहनाज़ दर्द के मारे मचल रही थी, सिसक रही थी और अजय बिना उसके दर्द की परवाह किए हुए पूरी ताकत से उसे चोद रहा था। धीरे धीरे शहनाज़ की चूत में मजा आने लगा और वो फिर से मस्ती में आकर अजय के होंठ चूसने लगी तो अजय ने उसकी दोनो टांगो को हाथो में थाम कर पूरा फैला दिया और गपागप चोदने लगा। शहनाज़ की चूत में अजय का कसा हुआ लंड उसे स्वर्ग दिखा रहा था और शहनाज़ खुद ही अपनी गांड़ उछाल रही थी और जोर जोर से सिसकियां ले रही थी

" आह अजय कितनी ताकत है तेरे अंदर, उफ्फ गोद में उठा कर चोद दिया मुझे, और चोद मुझे उफ्फ हाय।

अजय ने अब शहनाज़ की जांघो को थाम लिया और जोर जोर से चोदता हुआ बोला"

" आह शहनाज़, सब तेरे लिए ही है मेरी जान, तेरी चूत में कैसे फंस रहा है मेरा लन्ड।

अजय उसकी गांड़ उठाता और शहनाज़ खुद ही लंड अंदर ले लेती। शहनाज़ की चूत में हलचल शुरू हो गई और उसकी सिसकियां तेज होती चली गई।

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शहनाज़ की जैसे ही गांड़ उपर होती तो उसकी चूचियां अजय के खुले मुंह में घुस जाती और इस बार अजय ने उसके निप्पल को जोर से काट लिया तो शहनाज़ पागल सी हो गईं और उसकी चूत से सैलाब सा टूट पड़ा और सिसक उठी

" आह अजय मेरी चूत झड़ रही है, घुसा दे पूरा लंड हायय्य जड़ तक।

अजय ने एक जोरदार धक्का लगाया और उसका लंड शहनाज़ की चूत में जड़ तक घुस गया और शहनाज़ की चूत से बांध सा टूट पड़ा और शहनाज़ जोर जोर से सिसकते हुए झड़ गई। शहनाज़ के झड़ते ही अजय ने तेजी से उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की गीली चूत में लंड तेजी से घुसने लगा और शहनाज़ दर्द से कराह रही थी और अपने नाखून उसकी कमर में घुसा रही थी।

अजय ने शहनाज़ की कमर को अपने हाथो लपेट दिए और जोर जोर से उसकी गांड़ अपने लंड पर पटकने लगा तो शहनाज़ के चूत में आग सी लग गई और वो दर्द से कराहते हुए सिसक उठी

" आह छोड़ दे मुझे, उफ्फ मर जाऊंगी सांड।

अजय पूरी ताकत से उसकी चूत पेलने लगा और बोला:"

" आह शहनाज़ चुदाई से कोई नहीं मरता, आह तेरी मस्त टाइट चूत देख कैसे पूरा लंड ले रही है।

इतना कहकर अजय ने पूरे लंड को बाहर निकाल लिया तो शहनाज़ ने सुकून की सांस ली लेकिन अगले ही पल एक झटके में पुरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया तो शहनाज़ दर्द से बिलबिला उठी और बोली;'

" आह क्या दुश्मनी है तेरी मेरी चूत से, आह उफ्फ।

अजय ने बिना कुछ बोले उसकी चूत में तगड़े धक्के लगाने शुरू कर दिए और शहनाज़ की दर्द से भरी हुई घुटी घुटी चींखें निकलने लगी।

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अजय के लंड में भी उफान आने लगा और उसने शहनाज़ की चूत में एक आखिरी धक्का मारा और उसके साथ ही उसने भी अपने लंड की पिचकारी उसकी चूत में छोड़नी शुरू कर दी। शहनाज़ ने राहत की सांस ली और उसने अजय के गले में अपनी बांहे डाल दी और उससे लिपट गई।

इस दमदार चुदाई के बाद दोनो पूरी तरह से थक गए थे और अजय शहनाज़ को गोद में लिए हुए ही उसके कमरे में आ गया और उसे बेड पर लिटा दिया तो शहनाज़ ने एक बार अजय के होंठ चूम लिए और उसके बाद अजय अपने कमरे में घुस गया। बिस्तर पर पड़ते ही दोनो गहरी नींद में चले गए।


अगले दिन सुबह कमला की आंखे खुली और घर के काम में लग गई। उसे उम्मीद थी कि सपना आएगी और घर के काम में उसका हाथ बंटाएगी लेकिन आठ बजे तक भी सपना वापिस नहीं अाई तो कमला समझ गई कि शायद रात शादाब के साथ हुए सेक्स की वजह से वो डर गई है। शादाब का ख्याल आते ही वो उसे उठाने के लिए चली गई जो कि अभी तक सो रहा था।

शादाब के उपर से चादर हटी हुई थी और उसके पायजामे में एक बड़ा सा तम्बू बना हुआ था। कमला की आंखो फिर से हैरानी से फैल गई कि ये आज कल का छोटी सी उम्र का लड़का इतना बड़ा लंड लिए घूम रहा हैं। उसने शादाब को आवाज लगाई और शादाब जल्दी से हड़बड़ा कर उठ गया तो उसकी नजर अपने तम्बू पर पड़ी तो वो शर्मा गया और उठकर बाथरूम की तरफ भाग गया जबकि कमला उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दी और खाना बनाने के लिए काम में जुट गई।

शादाब नहा धोकर अा गया और कमला से बोला:"

" आंटी आज सपना नहीं अाई क्या काम करने के लिए ?

शादाब की बात सुनकर कमला मन ही मन मुस्कुरा दी और फिर बोली:" नहीं बेटा, शायद कोई काम होगा उसे आज अपने ही घर में इसलिए नहीं अाई होगी।

शादाब समझ गया कि रात उसने जो सपना के साथ किया वो उससे डर गई है और अब वापिस नहीं आने वाली। खाना बन गया था और दोनो नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद कमला बोली:"

" शादाब जंगल में घास लेने जाना होगा, सपना है नहीं तो मैं ही तुम्हारे साथ चलती हूं।

शादाब:" ठीक हैं आंटी जैसे आपको सही लगे। वैसे मैं तो यहां बिल्कुल नया हूं तो ज्यादा कुछ जानता भी नहीं हु।

कमला:" तुम मुझे बाहर मिलो, मैं बुग्गी झोत्ता लेकर आती हूं( एक गाड़ी जिसमे भैंसा जोड़ते हैं)।

शादाब बाहर निकल गया और थोड़ी देर बाद ही कमला बुग्गी झोत्ता लेकर अा गई और दोनो जंगल की तरफ चल पड़े। रास्ते में जैसे ही वो मुडे तो कमला की नजर सपना पर पड़ी जो सामने से अा रही थी। सपना ने जैस ही शादाब को देखा तो वो अंदर तक कांप उठी और अपना मुंह नीचे करके चुपचाप निकलने लगी तो कमला बोली:"

" क्या हुआ सपना, तेरी तबियत तो ठीक है ना बेटी ? ऐसे क्यों नजरे चुरा रही हैं तू ? आज घर भी नहीं अाई सुबह से।

सपना:" नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है। मैं भूल ही गई थी बस इसलिए नहीं अाई।

कमला:" अच्छा तो अब तो मिल ही गई है एक काम कर अब हमारे साथ खेत पर चल।

सपना बहाना करते हुए बोली:"

" वो मैंने घर नहीं बोला हैं तो कहीं बाद में मम्मी पापा परेशान ना हो जाए।

कमला:" अरे तो बुग्गी में बैठ तो सही, तेरा घर तक रास्ते में ही पड़ता है तो मैं तेरे मम्मी पापा को भी बोल दूंगी।

सपना ना चाहते हुए भी बुग्गी में बैठ गई और जैसे ही वो सपना के घर से सामने से गुजरे तो कमला ने जोर से आवाज लगाई और बोली:"

" अरे मोहन भाई सपना मेरे साथ जंगल में जा रही है। परेशान मत होना थोड़ी देर बाद ही वापिस लौट आएंगे।

मोहन" अच्छा कमला बहन, कोई बात नहीं हैं, लेकिन थोड़ा जल्दी वापिस अा जाना।

कमला ने बुग्गी आगे बढ़ा दी और सपना बिल्कुल चुपचाप बुग्गी में बैठी रही। थोड़ी देर बाद बुग्गी खेत में पहुंच गई और सभी लोग मिलकर घास काटने लगीं। कमला ने कुछ सोचा और बोली:"

" मेरा बड़ी तेज बाथरूम अा गई है मैं अभी आती हूं। तब तक आप दोनो घास काट लीजिए।

इतना कहकर कमला चली गई और पेड़ के पीछे छुप कर देखनी लगी। शादाब और सपना दोनो चुपचाप घास काट रहे थे लेकिन शादाब से घास काटना नहीं आता था तो सपना हंसने लगी तो शादाब बात को बदलते हुए बोला:"

" आज सुबह भी नहीं अाई तुम ? नाराज हो क्या मुझसे ?

सपना ने उसकी तरफ गुस्से से देखा और बोली:"

" मेरे घर में भी काम होते हैं। बस घर के काम में लगी थी। तुम होते कौन हो जो मैं तुमसे नाराज हो जाऊ ?

शादाब समझ गया कि सपना उससे बहुत ज्यादा नाराज हैं और इतनी आसानी से उसकी अब दाल गलने वाली नहीं है तो बोला:"

" नहीं मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था। वैसे नाराज होना अच्छी बात नहीं होती।

सपना ने उसकी तरफ आंखे निकाली और बोली:"

" और हो तुमने किया क्या वो अच्छी बात थी ? ऐसे कौन करता है शादाब।

कमला पीछे खड़ी हुई इनकी सारी बाते सुन रही थी और उसे उम्मीद थी कि शायद दोनो थोड़ा सा मस्ती करे लेकिन सपना ज्यादा ही भाव खा रही थी जिससे शादाब को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिल रहा था।

शादाब:" अरे वो कभी कभी हो जाता है इसमें मेरी कोई गलती नहीं तुम हो ही इतनी खूबसूरत।

सपना अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली:"

" बस बस इतनी ज्यादा मक्खन लगाने की जरूरत नहीं। मैं अब हाथ आने वाली नहीं।

कमला अा गई तो दोनो उसे देखते ही चुप हो गए। कमला घास काटने बैठ गई और थोड़ी देर में ही उन्होंने काफी सारा घास काट लिया और अब सपना गठरी बांधने लगी। सपना ने जान बूझकर एक मोटी बड़ी भारी गठरी बांध दी ताकि शादाब को उठाने में दिक्कत आए और सपना उसके मजे ले सके।

जैसे जैसे ही शादाब भारी गठरी उठाने लगा तो कमला बोली:"

" अरे शादाब बेटा तुम रहने दो, तुमने कहां वजन उठाया होगा ऐसे सिर पर ? खेत की छोटी छोटी मेढ़ है जिन पर चलना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है।

शादाब" अरे नहीं आंटी मै कर लूंगा आप फिक्र मत कीजिए।

कमला:" नहीं एक बार बोल दिया तो बस बोल दिया। कुछ ऊंच नीच हो गई तो मैं शहनाज़ को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी। लाओ चलो इस गठरी को मेरे सिर पर रख दो तुम।

शादाब चुप हो गया और उसने सपना के साथ मिलकर घास की गठरी को उठाकर कमला के सिर पर रख दिया। सपना का बना बनाया प्लान खराब हो गया और शादाब की तरफ देख कर बुरा सा मुंह बनाया। कमला सावधानीपर्वक मेढ़ पर बढ़ रही थी कि तभी उसका पैर फिसला और वो खेत में अपने पिछवाड़े के बल गिर पड़ी और घास की भारी गठरी उसके पिछवाड़े पर गिरी। कमला के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी जिसे सुनकर शादाब और सपना तेजी से उसकी तरफ दौड़े और शादाब ने घास की भारी गठरी को इसके ऊपर से हटाया और बोला:"

" ओह आंटी आप ठीक तो हो ? ज्यादा चोट तो नहीं लग गई आपको ?

कमला दर्द से कराह उठी और बोली:" आह पिछ्वाड़ा लग गया नीचे, दर्द हो रहा है बहुत।

सपना का चेहरा उतर गया क्योंकि ये सब उसका ही किया धरा था। बस शादाब की जगह कमला गिर गई थी। सपना तेजी से उसके पास अाई और बोली:"

" आंटी आपको दिक्कत होगी अब चलने में , है भगवान ये क्या हो गया ?

कमला:" कुछ नहीं मेरी बेटी, बस तू फ़िक्र मत कर। हड्डी टूटने से बच गई मेरी इतना बहुत है।।


कमला शादाब का हाथ पकड़ कर खड़ी हुई और धीरे धीरे लंगड़ा कर चलने लगी। शादाब ने घास की गठरी को उठाकर बुग्गी में डाला और फिर सभी लोग घर की तरफ चल पड़े।
Nice update
 

Rajizexy

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