Strange Love
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Lajawab writing mere dost... Kya jabar sama bandha hai...bhai behen ka anmol sangam hone wala hai... Bhai lage raho...agle update ka besabri se intezaar rahega jab aapko time mile tab fursat se likhna...
Fantabulous updateअजय ने खाना खाया और उसके बाद सौंदर्या बर्तन उठाकर धोने के लिए चली गई। अजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे उन गुण्डो के बारे में पता लगाए। वो अपने विचारो में डूबा हुआ था और कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा था। वहीं सौंदर्या बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गई।
आज बेहद गरम दिन था और दिन में धूप बहुत तेज निकली थी जिसके कारण अभी तक गर्मी महसूस हो रही थी।
सौंदर्या को पसीना अा रहा था इसलिए उसने अपने कमरे में जाकर एसी ऑन किया। रात के समय उसे हल्की और सफेद रंग की सूती नाइटी पहनने की आदत थी इसलिए उसने अपनी ब्रा पेंटी पहनते हुए उपर सफेद रंग की नाइटी पहन ली।
सौंदर्या ने अपनी अलमारी खोली और डिल्डो को देखने लगी। उसने डिल्डो के पैकेट को ठीक से छुपा दिया और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई। वो आज पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी और उसने अपना फोन निकाल कर रिकॉर्डिंग सुनने का फैसला किया और जैसे ही उसने फोन शुरू किया तो लाइट चली गई।
उसका मूड खराब हो गया क्योंकि उसे अभी भी पसीना आया हुआ था। उसने अपना हेड फोन लिया और उपर छत की तरफ चल पड़ी।
छत पर जाकर उसे हवा लगी और कुछ ठंडक का एहसास हुआ तो उसे सुकून मिला। थोड़ी देर में उसका सभी पसीना सूख गया और उसके दिल में फिर से उमंगे जवान होने लगी और उसे फिर से रिकॉर्डिंग सुनने का मन हुआ लेकिन वो जानती थी कि अभी सही समय नहीं हैं इसलिए वो छत पर घूमती रही।
बाहर अभी अभी अंधेरा थोड़ा बढ़ रहा था। नीचे अजय भी गर्मी के कारण परेशान था इसलिए वो भी उपर छत की तरफ आने लगा। अपने कमरे के सामने आते ही उसे ठंडी हवा का एहसास हुआ।उसने अपनी दीदी को ना देखा तो उन्हें आवाज लगाईं
" दीदी कहां हो आप ?
छत पर से सौंदर्या की आवाज अाई :"
" भाई नीचे गर्मी थी तो मैं छत पर अा गई। तुम भी उपर आओ ना देखो कितनी अच्छी हवा चल रही है यहां छत पर !!
अजय उपर की तरफ चल पड़ा और देखा कि उपर छत पर सच में दूर दूर से खुली हवा लग रही थी और देखते ही देखते हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ गई।
अजय:" दीदी सच में यहां तो बहुत अच्छी हवा चल रही है। ऐसी हवा में शहर में कहां नसीब होती हैं ? आप उधर कहां हो ?
सौंदर्या बिल्कुल अजय के सामने आ गई और बोली:
:" हान भाई ये बात तो हैं। गांव के तो अपने अलग ही मजे हैं। बिल्कुल शुद्ध खाना और ताजी सब्जियां हवा।
अजय ने जैसे ही अपनी दीदी को नाइटी में देखा तो उसे अपनी दीदी बहुत प्यारी लगी। सच में सफेद रंग की इस नाइटी में सौंदर्या बहुत खूबसूरत लग रही थी। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा रहा लेकिन बिल्कुल पास से अभी भी सब कुछ साफ दिख रहा था। नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर पूरी तरह से कसी हुई थी।
अजय अपने दीदी के जिस्म के एक एक कटाव को ध्यान से देख रहा था तो सौंदर्या को शर्म महसूस हुई और बोली:"
" भाई क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ?
अजय: देख रहा हूं मेरी दीदी कितनी खूबसूरत है। वैसे दीदी आप इस नाइटी में बिल्कुल कमाल लग रही हो।
सौंदर्या:" भाई क्या फायदा इस खूबसूरती का जब इसकी किसी को कद्र ही नहीं हो।
इतना कहते हुए सौंदर्या हल्की सी उदास हो गई तो अजय उसके बिल्कुल पास पहुंच गया और बोला:'
" दीदी आप इस तरह उदास मत हुआ कीजिए। आपका भाई हैं ना आपकी कद्र करने के लिए।
सौंदर्या ने अपनी भाई की बात सुनकर एक बार उसे देखा और थोड़ी तेजी से बोली:"
" ऐसे कुछ भी बोल देते हो तुम अज्जु भाई। पागल लड़के बहन की खूबसूरती की कद्र भाई नहीं उसके पति करते है।
सौंदर्या की बात सुनकर अजय को अपनी कहीं हुई बात का मतलब समझ में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसने क्या बोल दिया हैं और वो बोला:"
" दीदी मेरा मतलब वो नहीं था, मैं ये कहना चाह रहा था कि आपका भाई आपका बहुत ख्याल करेगा और जल्दी ही आपकी कुंडली से दोष भी दूर हो जाएंगे।
सौंदर्या दोष दूर वाली बात सुनकर खुश हुई और उसने अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और बोली:"
" क्या सच मैं भाई ? लेकिन ये सब कैसे हो सकता है ? सभी पंडित तो मना करके चले जाते है कि इसका कुछ नहीं हो सकता।
अजय:" मम्मी बता रही थी कि उन्होंने आचार्य तुलसी दास से मिलने के लिए समय मांगा है। और जहां तक मैंने सुना हैं उनके पास हर समस्या का समाधान होता हैं।
अजय की बाते सुनकर सौंदर्या को एक सुकून मिला और बोली:"
" सच में भाई अगर ऐसा हो जाए तो मा भी कितनी खुश होगी। बेचारी मेरी वजह से कितनी परेशान होती है।
अजय:" दीदी मा से ज्यादा खुश तो आप हो जाएगी क्योंकि आपको आपकी खूबसूरती की कद्र करने वाला भी मिला जाएगा फिर कोई।
सौंदर्या के होंठो पर एक पल के लिए मुस्कान तैर गई और अगले ही पल शरमाते हुए बोली:"
" बस बस। ज्यादा मजे मत लो मेरे तुम अज्जु भाई। ज्यादा मत सोचो तुम।
अजय: " दीदी आप जब स्माइल करती है तो कितनी प्यारी लगती है। सच में दीदी।
सौंदर्या:" क्या बात है भाई, आज अपनी बहन की बड़ी तारीफ कर रहे हो तुम।
अजय:" तो इसमें बुराई क्या है, मेरी दीदी सच में हैं भी तो तारीफ ये काबिल।
तभी बहुत जोर से आसमान में बिजली कड़की और सौंदर्या डर के मारे उछल कर अजय के गले लग गई तो अजय ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"
" क्या हुआ मेरी दीदी बस इस बिजली से डर गई ? कहां तो आप गुण्डो से लड़ पड़ती हो और अभी बिजली से डर गई।
सौंदर्या कांपती हुई बोली:" भाई मुझे बिजली से बहुत डर लगता हैं सच में।
देखते ही देखते रिमझिम बारिश शुरू हो गई और अजय बोला:"
" दीदी बारिश शुरू हो गई है। छोड़ो मुझे नहीं तो हम दोनों भीग जायेगे।
सौंदर्या ने अजय को छोड़ दिया और जैसे ही उससे अलग हुई तो फिर से तेजी से एक बिजली कड़क उठी और सौंदर्या फिर से अपने भाई से कसकर लिपट गई और बोली:"
" भाई देखो कितनी जोर से कड़क रही हैं। डर लगता है मुझे बहुत मेरे भाई।
बारिश तेज दोनो के कारण दोनो पूरी तरह से भीग गए और अजय बोला:"
" दीदी देखो ना इस बिजली के चक्कर में हम पूरी तरह से भीग गए हैं।
सौंदर्या:" भाई जब भीग ही तो नहा लेते हैं अब बारिश में। वैसे भी सीजन की पहली बारिश में मुझे नहाना बहुत पसंद है।
अजय:" अच्छा दीदी। अगर बीच में बिजली कड़क उठी तो फिर क्या होगा?
सौंदर्या ने उसे हल्का सा घूरा और बोली:" तो फिर से अपने भाई से चिपक जाऊंगी। तुम बचा लोगो मुझे।
इतना कहकर सौंदर्या छत के बीच में अा गई और आंखे बंद कर के खड़ी हो गई और नहाने लगी। नाइटी पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपक गई थी और उसके जिस्म की बनावट पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी।अजय ने पहली बार अपनी बहन को इस मादक रूप में देखा और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके चिकने कंधे, सफेद रंग की ब्रा में कैद उसकी भरी भरी, गोल गोल ठोस चूचियां, बहुत ही सुन्दर सा पेट और चिकनी जांघों को देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। तभी सौंदर्या के गालों पर पानी की एक बूंद अा गिरी और सौंदर्या ने अपने होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला और उस बूंद को चाट लिया। अजय अपनी बहन की इस हरकत पर पूरी तरह से फिदा हो गया और उसे प्तागी नहीं चला कि कब वो बारिश में नहा रही सौंदर्या के पास बिल्कुल पास पहुंच गया।
बारिश में भीग चुकी नाइटी सौंदर्या के जिस्म पर ना होने के बराबर हो गई थी। बारिश की बूंदे सौंदर्या के जिस्म को और जला रही थी जिससे सौंदर्या पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और अपने सिर के पीछे बांध दिए। अजय पर उसकी ये हरकत एक ज़ुल्म के समान हुई क्योंकि इससे उसकी चूचियां पूरी तरह से तन कर बिल्कुल अजय के सामने आ गई।
अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देखते ही अजय की धड़कन पूरी तरह से बढ़ गई और उसके जिस्म में हलचल सी मच गई। वो धीरे धीरे क़दमों से चलता हुआ बिल्कुल सौंदर्या के करीब हो गया और उसकी चूचियों को गौर से देखने लगा।
तभी सौंदर्या ने अपनी आंखे खोल दी और अजय की हालत खराब हो गई लेकिन सौंदर्या को उसकी इस हरकत का एहसास नहीं हुआ और बोली:"
" ओह भाई तुम भी नहा लो अच्छे से। गांव की बारिश में देखो कितना मजा आ रहा है।
अजय ने अपनी आंखे सौंदर्या की आंखो में डाल दी और बोला:"
" सच में दीदी। बहुत अच्छा लग रहा है। बचपन में भी हम दोनों ऐसे ही साथ नहाते थे छत पर।
सौंदर्या:" हान भाई। मुझे सब कुछ याद हैं।
सौंदर्या अपने दोनो हाथ पीछे ले गई और अपने बालो को खोलने लगी ताकि खुल कर बारिश का मजा ले सके। लेकिन जल्दी के चक्कर में उसकी क्लिप बालो में फंस गई और उसके उसे दर्द का एहसास हुआ तो उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी।
सौंदर्या:" उफ्फ भाई। मेरी क्लिप बालो में फंस गई है। निकाल दो ना, आह कितना दर्द कर रही है।
अजय अपनी बहन के पीछे पहुंच गया और उसके बालो में फसी हुई क्लिप को निकालने लगा। अजय अपनी हाथ से क्लिप निकाल रहा था और उसकी नजरे अपनी बहन के दूध से गोरे चिट्टे कंधो पर टिकी हुई थी जिसे देखकर अजय के लंड में भी तनाव अा रहा था।
सौंदर्या:" आह क्या हुआ भाई? निकल नहीं रही हैं क्या ?
अजय ने हल्की सी ताकत लगाई तो उसके बाल खींच गए और उसे दर्द का एहसास हुआ तो सौंदर्या बोली:"
" आह भाई। थोड़ा आराम से करो ना, दर्द होता है।
अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से फंस गई है। थोड़ी दिक्कत हो होगी ही।
सौंदर्या:" अच्छा रुक में थोड़ी मदद करती हूं ।
सौंदर्या थोड़ी पीछे को हुई और उसने अपनी गर्दन को पीछे की तरफ झुका दिया ताकि उसे निकालने में आसानी हो। गर्दन पीछे की तरफ झुकते ही सौंदर्या की चूचियां अपने आप उपर उठती चली गई।
पीछे होने से सौंदर्या अजय से जा लगी और उसकी कमर अजय की छाती से मिल गई। अजय को अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसने क्लिप पर अपनी नजरे टिका दी और खोलने लगा।
सौंदर्या:" आह भाई। लगता है खुल जाएगा।
क्लिप अजय के हाथ में थी और कभी भी खोल सकता था। अजय ने एक आखिरी बार अपनी बहन के कंधे को देखने का सोचा और कंधे पर नजर पड़ते ही उसे सौंदर्या की मस्त मस्त गोल चूचियां आधे से ज्यादा उपर की तरफ उठी नजर आईं तो उन्हें देखने के लिए वो थोड़ा सा और आगे की तरफ झुक गया और उसकी जांघें सौंदर्या के पिछवाड़े से मिल गई। अजय ने सौंदर्या के कुछ बाल पकड़े और उन्हें क्लिप में फिर से फंसा दिया।
सौंदर्या की कमर अजय की छाती से चिपक जाने से सौंदर्या को पहली बाद मर्द की छुवन का एहसास हुआ तो उसके जिस्म के तार झनझना उठे और बोली:"
" निकाल ना भाई, क्या कर रहा है इतनी देर से ?
अजय थोड़ा सा आगे को हुआ और उसकी जांघें अब पूरी तरह से सौंदर्या की टांगो में पीछे से चिपक गई और अजय अब बिल्कुल अपने पंजो पर खड़े होते हुए जितना हो सकता था आगे कि तरफ झुक गया जिससे उसे सौंदर्या की चूचियां पूरी नजर आ रही थी। बस निप्पल ही अंदर कैद थे और पूरी चूचियां बाहर।
अजय ने चूचियों को देखते हुए बालो को खोलना शुरू कर दिया। सौंदर्या के गर्म जिस्म की आंच पाकर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा जिसका एहसास अब सौंदर्या को हो रहा था। अजय की सांसे तेज हो गई थी और सीधे सौंदर्या की गर्दन पर पड़कर उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिससे उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी और उसकी चुचियों में कम्पन होने लगा और उसके जिस्म में चिंगारी सी उठने लगी और सौंदर्या मचलते हुए बोली:"
" आह भाई, तुम भी ना बस, एक क्लिप नहीं खुल रही तुमसे, इतने बड़े हो गए हो।
अजय:" दीदी देखो ना कितनी बुरी तरह से आपके बाल फंसे हुए हैं, थोड़ा जोर लगाता हूं तो आपको दर्द होता है।
सौंदर्या:" आह लगा दे जोर, लेकिन थोड़ा ध्यान से करना, कहीं मेरे बाल ही ना फाड़ दो।
अजय ने अपने एक हाथ को सौंदर्या के कंधे पर रखकर उसकी गर्दन को पीछे की तरफ किया तो सौंदर्या अपने पंजों के बल खड़ी हो गई और जिससे उसकी कमर उसकी छाती में घुस सी गई और अजय थोड़ा आगे को हुआ और तेजी से जोर से क्लिप को बाहर खींचा तो उसका पूरी तरह से खड़ा हो चुका लंड सौंदर्या की गांड़ में टकराया।
क्लिप के साथ कुछ बाल भी खींच गए और सौंदर्या को अपने पिछवाड़े में कुछ बहुत सख्त सा टकराता महसूस हुआ और सौंदर्या के मुंह से एक आह निकल गई। ये आह बालो में हुए दर्द की वजह से कम और पीछे लंड टकराने की वज़ह से ज्यादा निकली थी। झटके की वजह से क्लिप निकल गई लेकिन हाथ से छूट कर वहीं गिर पड़ी छत पर।
सौंदर्या पलटी और उसने थोड़ा नाराजगी से अजय के सीने में कुछ घुस्से जमा दिए और शिकायती लहजे में बोली:"
" अज्जु भाई, पूरे ज़ालिम हो तुम, हर काम ताकत से नही होता, थोड़ा दिमाग भी लगाया करो। आज तो तुम मेरी जान ही निकाल देते। चलो लाओ मेरी क्लिप दो जल्दी।
अजय ने अपने हाथ में देखा तो क्लिप नहीं थीं। सौंदर्या ने उधर उधर देखा तो पाया कि क्लिप वहीं निकल कर गिर गई है तो वो क्लिप झुकाने के लिए जैसे ही नीचे झकी तो उसकी चूचियां काबू से बाहर होकर उछल पड़ी मानो अपनी आजादी चाहती हो।
अजय अपनी बहन के इस कामुक अंदाज को देख कर सम्मोहित सा हो गया और उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बहन की चुचियों के उभार पर ठहर गई। सौंदर्या ने क्लिप को पकड़ना चाहा लेकिन छत पर बह रहे पानी के साथ वो थोड़ी आगे पहुंच गई और ठीक अजय के सामने पहुंच गई जिसका लंड अब पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया था। सौंदर्या ने तेजी से आगे होते हुए उसे पकड़ लिया और क्लिप हाथ में लेकर सौंदर्या जैसे ही उपर उठी तो उसका माथा अपने भाई के तम्बू से टकराया और उसके मुंह से फिर से आह निकल पड़ी। लंड पर अपनी बहन का माथा लगते ही अजय की नजरे उसकी चुचियों से हट गई और सौंदर्या ने एक बार खड़ी होते हुए उपर की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके माथे पर क्या लगा था तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई। हे भगवान उफ्फ ये क्या हो गया।
सौंदर्या तेजी से पलटी और नीचे की तरफ भागती हुई चली गई। वहीं अजय को जैसे कुछ समझ ही नहीं आया। उफ्फ ये मुझसे क्या पाप हो गया, पता नहीं दीदी अब मेरे बारे में क्या सोचेगी।
अजय भी अपनी बहन के पीछे पीछे ही नीचे की तरफ अा गया। नीचे लाइट अा गई थी और सौंदर्या तेजी से चलती हुई अपने कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने का सोचने लगी। उसने अपनी अलमारी को खोलना चाहा लेकिन वो नहीं खुल पाई क्योंकि उसका लॉक बुरी तरह से फंस गया था।
सौंदर्या को लगा कि अजय उसकी मदद कर सकता है लेकिन वो अपने भाई की नजरो का सामना कैसे कर पाएगी। छत पर जो हुआ उसके बाद अभी तक उसकी सांसे उखड़ी हुई थी और उसके जिस्म के रोम रोम में एक अजीब सी मस्ती छाई हुई थी।
सौंदर्या को जब कोई उपाय समझ नही आया तो उसने बेड के नीचे रखे हुए संदूक से अपने कपड़े निकालने की सोची लेकिन संदूक तो भारी था। मतलब उसे दोनो ही हालत में अजय की मदद लेनी होगी लेकिन अगर अलमारी नहीं खुल पाई तो आज रात के उसके प्लान का क्या होगा क्योंकि डिल्डो तो अलमारी में ही बंद हैं। डिल्डो के बारे में सोचते ही उसके मन में मस्ती भरी तरंगे उठने लगी और वो बिना कुछ समझे बाहर की तरफ अाई तो उसकी नजर अजय पर पड़ गई। अजय को देखते ही उसकी हालत फिर से खराब हो गई गर्दन अपने आप शर्म से नीचे झुक गई। लेकिन सौंदर्या शर्मीली जरूर थी पर हिम्मत की कोई कमी नहीं थी। उसने अपनी नजरे नीचे ही रखी और बोली:"
" भाई मेरे सारे कपड़े भीग गए हैं और मम्मी अा गई तो मुझे डांट पड़ेगी। क्या तुम मेरा संदूक निकाल सकते हो ? भारी हैं वो मुझसे बाहर नहीं अा रहा।
अजय अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा अच्छा महसूस किया और बोला:'
" ठीक है दीदी। मैं निकाल देता हूं इसमें कौन सी बड़ी बात हैं।
अजय उसके कमरे में घुस गया और बेड के नीचे रखे हुए संदूक को अपनी तरफ़ खींचने लगा लेकिन संदूक खड़ा हो गया था जिससे पुरा बेड हिल रहा था और सब कुछ उल्टा पुल्टा होने का खतरा था इसलिए सौंदर्या बोली:"
" भाई बस वहीं सीधा कर दो, कहीं बेड ही ना खींच जाए, मैं निकाल लुगी अंदर से ही।
अजय ने अपनी दीदी की बात मानते हुए संदूक को वहीं सीधा कर दिया और खड़ा हो गया तो सौंदर्या नीचे फर्श पर अपने घुटनों के बल झुक गई और अंदर झांकने लगी। सौंदर्या के झुकने से उसकी गांड़ पूरी तरह से उसकी गीली नाइटी में चिपक गई और पूरी तरह से खुल कर बाहर की तरफ उठ गई।
सौंदर्या थोड़ा आगे को हुई और बेड के नीचे झांकने लगी। नाइटी उसके कंधो से हल्की सी खिसक गई और उसके दूधिया गोरे कंधे संगमरमर की तरह चमक उठे और उसके खुले हुए बाल उसकी कमर पर फैल गए। अजय ये नजारा देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया। उसे आज समझ में आ रहा था कि उसकी बहन क्या चीज हैं। उसकी उठी हुई मोटी मोटी गांड़, बाहर की तरफ निकली हुई बिल्कुल जानलेवा, एकदम किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह या उससे भी कहीं बेहतर।
सौंदर्या संदूक को खोलने की कोशिश करने लगी जिससे उसका जिस्म इधर उधर लहराने लगा और तो पूरी तरह से अपने होश खो चुका था और उसका एक हाथ अपने लंड पर अपने आप ही पहुंच गया।
सौंदर्या के हाथ ठीक से संदूक तक नहीं पहुंच पा रहे थे जिससे वो थोड़ा ज्यादा आगे को हुई और उसकी नाइटी बेड के साथ फंस गई और सौंदर्या की। कमर पर खिसक गई जिसका नतीजा ये हुआ कि पीछे से सौंदर्या की गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई।
अपनी बहन के मात्र सफेद रंग की पतली से पेंटी में कैद गोरे गोरे गांड़ के पटो को देखते ही अजय के मुंह से एक आह निकल पड़ी। सौंदर्या इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी नाइटी गांड़ पर से खिसक गई है। वो संदूक को खोल चुकी थी और अपने कपड़े निकाल रही थी जिससे उसकी गांड़ बार बार इधर उधर उछल रही थी। अजय का मन कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर गांड़ को अपने दोनो हाथो में थाम कर रगड़ रगड़ कर मसल डाले। लेकिन अपनी सगी बहन पर हाथ डालने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी।
सौंदर्या ने अपने कपड़े निकाल लिए और संदूक बंद करने के लिए जैसे ही हल्की सी आगे हो हुई तो उसकी गांड़ थोड़ा और अच्छे से खुल गई और अजय अपने होशो हवास खो बैठा और बिल्कुल सौंदर्या की गांड़ के पास बैठ गया और अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लिया और सहलाने लगा। सौंदर्या ने संदूक को बंद किया और धीरे धीरे पीछे को हटने लगी। अजय सौंदर्या की गांड़ को देखते हुए पूरी तरह से मदहोश होकर पागल हो गया था और सौंदर्या के पीछे हटने से उसकी गांड़ लंड के करीब होती जा रही थी लेकिन मदहोश अजय ये सब होते देख कर तेजी से अपना लंड सहला रहा था। सौंदर्या जैसे ही एक झटके से पीछे हुई तो बेड में फंसी हुई नाइटी पीछे उसकी गान्ड पर अा गई लेकिन उसकी गांड़ अपने भाई के लंड से जोर से टकराई।
सौंदर्या के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी और अजय ने तेजी से अपने लंड को पैंट के अंदर किया और सौंदर्या बाहर निकल गई। सौंदर्या के चेहरे का रंग एक बार फिर से उड़ गया था और उसने एक तिरछी नजर अजय की पेंट में बने हुए उभार पर डाली तो उसे समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर क्या टकराया था। हाय राम, कितना बड़ा उभार बना हुआ है इसकी पेंट में,इंसान है या घोड़ा ये मेरा भाई भी।
सौंदर्या के जिस्म में रोमांचक लहर दौड़ रही थी। लंड को देखते ही उसे फिर से डिल्डो याद अा गया लेकिन वो तो अलमारी में बंद हैं और आज उससे अलमारी तो नहीं खुल सकती।
उसने जोश में आकर एक फैसला लिया और अजय से बोली:"
" भाई तुम मेरी ये अलमारी भी खोल दो, मुझसे तो नहीं खुल रही हैं ये।
अजय बिना किसी बोले अलमारी के पास पहुंच गया और उसे खोलने लगा लेकिन उससे नहीं खुल रही थी। सौंदर्या तिरछी नजरों से बार बार उसके पेंट में बने हुए उभार को देख रही थी। उसे समझ में नहीं अा रहा था कि इतना बड़ा उभार क्या सच में लंड का हो सकता हैं।
अजय से अलमारी नहीं खुल रही थी तो वो बोला:"
" दीदी कल दिन में खोल दू क्या ? अभी तो नहीं खुल रही है।
सौंदर्या उदास सी हो गई और बोली:" भाई प्लीज़ आज ही खोल दो ना आप, इतनी ताकत हैं मेरे भाई के अंदर।
अजय ने थोड़ा अच्छे से अलमारी को पकड़ा और खोलने की कोशिश करते हुए बोला:"
" उफ्फ कितनी टाइट हैं,ऐसा क्या है दीदी इस अलमारी में जो आपको अभी चाहिए ?
सौंदर्या एक पल के लिए तो सकपका सी गई क्योंकि उसे तो अलमारी से डिल्डो चाहिए था लेकिन अपने भाई से कैसे बोल सकती हैं। फिर स्माइल करते हुए बोली:"
" भाई मेरे कुछ प्रोजेक्ट हैं जो आज रात मुझे देखने हैं, कल मुझे उसकी क्लास लेनी होगी।
अजय ने अलमारी के लॉक को अच्छे से पकड़ा और उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा तो एक जोरदार झटके के साथ अलमारी खुल गई और सारा सामान बेड पर गिर पड़ा। पैकेट से बाहर निकल कर डिल्डो गिरा और अजय की आंखो के ठीक सामने। सौंदर्या को काटो तो खून नहीं, उसके चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया।
अजय ने आगे बढ़कर डिल्डो को हाथ में उठा लिया और एक बार अपनी बहन की तरफ देखा जो सूखे पत्ते की कांप रही थी। अजय की नजरो का सामना करते ही सौंदर्या बेहोश हो गई और नीचे हवा में गिरने लगीं लेकिन अजय ने अपनी मजबूत बांहों में थाम लिया और बेड पर लिटा दिया। तभी बाहर दरवाजा खुला और वो समझ गया कि उसकी मम्मी वापिस लौट अाई हैं। उसने तेजी से सारा सामान अलमारी में भरा और डिल्डो को भी वापिस अलमारी में रख दिया और एक नजर अपने बहन के चेहरे पर डालकर अपने कमरे में घुस गया।
कमला नीचे अा गई और वो भी बारिश में काफी भीग गई थी इसलिए नीचे कमरे में घुस गई और अपने कपड़े बदलने लगीं।
अजय को अपनी आंखो पर यकीन नहीं हो रहा था। उसकी सीधी साधी सी दिखने वाली संस्कारी दीदी के पास डिल्डो भी होगा ये उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।
अपनी मा की तरफ से बेफिक्र होकर वो फिर से अपनी बहन के कमरे में घुस गया। सौंदर्या अभी तक बिस्तर पर ऐसे ही बेहोश पड़ी हुई थी। अजय ने एक नजर अपनी बहन पर डाली और उसके मन में एक विचार अाया। उसने अलमारी को खोला और डिल्डो बाहर निकाल लिया।
अलमारी खुलने की आवाज से सौंदर्या की आंखे खुल गई लेकिन अपने भाई के हाथ में डिल्डो देखकर उसने आंखे बंद रखने में ही भलाई समझी। अजय डिल्डो को अपनी नाक के पास लाया और सूंघने लगा।
सौंदर्या बिस्तर पर पड़ी पड़ी ही फिर से कांप उठी क्योंकि वो समझ गई थी कि उसका भाई डिल्डो इसलिए सूंघ रहा है कि वो उसकी चूत के रस की गंध महसूस कर सके। सौंदर्या के बदन में फिर से उत्तेजना दौड़ने लगी लेकिन उसने अपनी आंखो को बंद ही रखा और धीरे धीरे उसे बीच बीच में देख रही थी।
अजय को डिल्डो से उठती हुई खुशबू मदहोश कर रही थी इसलिए उसने अपनी आंखे बंद कर ली और जोर जोर से उसे सूंघने लगा। अजय ने मस्ती में अपना एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और उपर से ही सहलाने लगा। सौंदर्या ये सब देखते ही मचल उठी और अपने जांघो को आपस में रगड़ना शुरू कर दिया। तभी अजय के दिमाग में एक विचार आया कि उसकी बहन तो बेहोश हैं तो डिल्डो से क्यों खुशबू सूंघना, क्यों ना सीधे अपनी बहन की पेंटी से ही सूंघ लू। सौंदर्या को कुछ पता भी नही चलेगा और उसके मजे हो जाएंगे। ये विचार मन में आते ही उसने एक बार सौंदर्या की तरफ देखा और सौंदर्या फिर से अपनी आंखे बंद कर ली। अजय धीरे धीरे अपनी बहन के पास बैठ गया और उसे प्यार से आवाज लगाई
" सौंदर्या दीदी। मेरी प्यारी दीदी उठ जाओ आप।
लेकिन सौंदर्या ने शर्म के मारे कोई जवाब नहीं दिया तो अजय समझ गया कि उसकी बहन अभी तक बेहोश ही हैं तो उसने धीरे से सौंदर्या की नाइटी ऊपर की तरफ सरका दी और सौंदर्या की हालत पूरी तरह से खराब हो गई। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि उसका भाई क्या करने जा रहा है और वो कुछ बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी इसलिए चुप लेती रही।
नाइटी के उपर जाते ही अजय ने एक नजर अपनी बहन की दूध की गोरी, केले के तने के समान चिकनी जांघों पर डाली और अगले ही पल उसकी जांघो के बीच में अपना मुंह घुसा दिया। सौंदर्या का समूचा वजूद कांप उठा और उसकी सांसे तेजी से चलने लगी। अजय ने अपने मुंह को आगे किया और सीधे उसकी जांघो के जोड़ पर पेंटी के उपर से सूंघने लगा। अपनी भाई की गर्म गर्म सांसे अपनी पेंटी के ऊपर पड़ते ही सौंदर्या के मुंह से आह निकलते निकलते बची। उसने अपने एक हाथ से बेड शीट को दबोच लिया और दूसरे से अपने मुंह को कस कर बंद कर लिया।
सौंदर्या की पेंटी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीगी हुई थी और अजय ने अपनी नाक को पेंटी के उपर टिका दिया और सूंघने लगा। सौंदर्या की टांगे अपने आप ही थोड़ी सी खुल गई। तभी सीढ़ियों से कमला के आने की आहट हुई और अजय फुर्ती से उठा और उसने सौंदर्या की नाइटी को ठीक किया और उसके ऊपर एक चादर डाल कर वहीं बेड पर बैठ गया और मोबाइल में वीडियो देखने लगा।
कमला अंदर अा गई और बोली:"
" अरे मैं तुम दोनों को नीचे देख रही थी और तुम दोनों यहां हो।
अजय:" मम्मी मैं उपर ही अा गया खाना खाकर और दीदी से बात करने लगा। ये बात करते करते ही सो गई।
कमला:" ओह बेचारी, थक गई होंगी, दिन भर काम किया इसने आज सीमा की मम्मी बता रही थी मुझे। अरे ये बेड शीट गीली क्यों हो रही है?
बेड पर बैठते ही कमला को शीट के गीले होने का एहसास हुआ। सौंदर्या समझ गई कि अब उसे बोलना ही पड़ेगा क्योंकि उसकी चादर के नीचे डिल्डो भी पड़ा हुआ था। भाई की नजरो में तो वो गिर ही गई और मा की नजरो में बचना चाहती थी इसलिए सौंदर्या के धीरे से अपनी आंखे खोल दी और बोली:"
" मम्मी आप कब अाई ? वो मैं छत पर भीग गई थी इसलिए गीली हो गई।
कमला ने एक झटके के साथ चादर को हटा दिया और बोली:"
" पागल लड़की गीले कपड़ों के साथ सोएगी तो बीमार पड़ जाएगी।
चादर के हटते ही डिल्डो बाहर अा गया लेकिन इससे पहले कि कमला की नजर पड़ती अजय ने उसे अपनी टांग के नीचे दबा लिया और सौंदर्या ने राहत की सांस ली।
कमला:" चलो जल्दी दे खड़ी होकर अपने कपड़े बदल लो और फिर आराम से सो जाना।
इतना बोलकर कमला उठी और चादर लेकर बाहर की तरफ निकल गई। सौंदर्या ने अजय की देखा और अजय ने बिना कुछ कहे डिल्डो को अपनी दीदी के हाथ में थमा दिया।
सौंदर्या का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:"
" भाई मुझे क्यों दे रहे हो? मैं क्या करू इसका ?
अजय:" अब दीदी आपका हैं तो आपको ही दूंगा। आप खुद समझो क्या करना है।
सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया। वो फिर से हड़बड़ा गई और बोली:"
" भाई मेरा वो मतलब नहीं था। भाई मैं सच कहती हूं ये मेरा नहीं है। मेरा यकीन करो।
अजय:" दीदी मुझसे इससे कोई मतलब नहीं है। आप अपने तरीके से अपनी ज़िन्दगी जियो। लेकिन आगे से इसे संभाल कर रखना, मा ने देख लिया तो आपको बहुत दिक्कत होगी।
इतना कहकर अजय बाहर निकल गया और पीछे हताश, उदास सी खड़ी सौंदर्या उसे आवाज देती रह गई।