मनोज अपने सामने बैठे हुए आदमी की बाते बड़े गौर से सब सुन रहा था और उसके चेहरे पर ज़हरीली मुस्कान नाच रही थी।
मनोज:" मैं कैसे तुम्हारी बात का यकीन मान लु? साबित करो वरना अगर झूठ निकला तो समझो तुम्हारी कहानी खत्म।
आदमी:" मालिक सच बोल रहा हूं, रुको आपको सबूत दिखाता हूं
इतना कहकर उस आदमी ने वो सबूत उसके सामने कर दिया तो मनोज की आंखे चमक उठी। उसे यकीन हो गया कि वो सोच बोल रहा था।
मनोज:" बहुत ही बढ़िया। मजा आ गया भाई। इस काम के लिए इतने दिन से परेशान था मै और तूने तो एकदम से मेरी सारी दिक्कत दूर कर दी। आज से तू मेरा खास आदमी बनकर रहेगा और पैसा भी ज्यादा मिलेगा।
आदमी अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और बाहर की तरफ निकल गया। मनोज ने शेरा को फोन करके सारी बाते बता दी और दोनो आगे का प्लान करने लगे। दोनो जानते थे उन्हें क्या करना है।
वहीं दूसरी तरफ अजय और सौंदर्या दोनो पूरी रात अपने अपने बिस्तर पर करवटें बदलते रहे। अजय को अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि उसे अपनी दीदी के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी।
वहीं सौंदर्या सोच रही थी कि ये सब उसकी वजह से ही हुआ हैं। ना मैं डिल्डो के चक्कर में पड़ती और ना ही आज ये दिन देखना पड़ता। अजय को मैंने ही बढ़ावा दिया है लेकिन उसे भी समझना चाहिए कि ये सब ठीक नहीं हैं इसलिए ये सब बंद करना जरूरी हैं। उसे बुरा लगा होगा लेकिन ये होना बहुत जरूरी था। अब मैं आगे उससे दूरी बनाकर रखूंगी।
ये ही सब सोचते सोचते वो सो गई। अजय ने भी थक हर कर अपनी सोच को विराम दिया और सोने का फैसला किया।
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में शादाब अपनी अम्मी के साथ मजे से रह रहा था क्योंकि उसे एक अच्छा खासा पैसा स्कॉलरशिप के रूप में मिल था। वैसे की तो वैसे भी कोई कमी नहीं थी क्योंकि जमीन बेचकर और ठेके पर देकर उसने अच्छा पैसा बचा लिया था। उन्हें गए हुए करीब छह महीने हो गए थे और दोनो की ज़िन्दगी खुशियों से भरी हुई थी।
वहां के माहौल का शहनाज़ पर बहुत गहरा असर पड़ा और उसकी सोच और कपडे पहनने का तरीका सब बिल्कुल बदल गया। घर से बाहर कदम रखते हुए डरने वाली शहनाज़ अपने बेटे के साथ काफी घूम चुकी थी और उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई थी कि अब तो अकेले ही घूम लेती थी। पहले अपने शरीर की उंगलियां तक ढक कर रखने वाली शहनाज़ अब शॉर्ट स्कर्ट और टॉप पहनकर अपने बेटे की बांहों में बांहे डालकर खुलेआम सड़को पर अपने कातिल हुस्न और कामुक अदाओं का जलवा बिखेर रही थी।
शादाब ने उसके बालो को अच्छे से कट कराया और शहनाज ने जिम भी ज्वाइन कर लिया था। उसने अपनी फिटनेस पर बहुत मेहनत करी और जल्दी ही उसकी मेहनत रंग लाई। उसका पहले से ही भारी फिगर अब क़यामत बन चुका था। जिम के कारण उसके पेट पर जो थोड़ी सी चर्बी थी अब खींच कर उसके सीने पर अा गई थी जिससे उसकी पहले से ही टाइट चूचियां अब पूरी ठोस हो गई थी और निप्पल पूरी तरह से कस गए थे। शहनाज़ की कमर अब लचक खाने लगी थी और पहले से बहुत ज्यादा पतली हो गई थी। उसकी गांड़ के तो कहने ही क्या, बिल्कुल गोल गोल नितम्ब, चौड़े पहले से ज्यादा फैले हुए लेकिन लटकन का नामो निशान तक नहीं। शादाब ने शहनाज़ पर खुलकर पैसा खर्च किया और उसकी पूरी तरह से काया पलट हो गई थी।
उसका फिगर 39:29:42 हो गया था। शहनाज़ अब 27 या 28 साल की लगती थी। कोई भी देखकर नहीं कह सकता है कि वो शादाब की अम्मी हैं। दोनो गोरे चिट्टे, लगता था जैसे दोनो एक दूसरे के लिए ही बने हुए है।
शहनाज़ की दोनो फोटो उसके जिस्म और उसकी सोच में बदलाव दिखाते हुए।।
शहनाज़ पहले ऐसी दिखती थी।
शहनाज़ अपने बेटे से शादी के बाद कुछ ऐसी दिखती हैं।
शहनाज़ और शादाब दोनो एक साथ की बांहों में लेते हुए थे और शादाब बोला:"
" अम्मी क्यों इतना ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?
शहनाज़ ने अपने बेटे को स्माइल देते हुए कहा:" बेटा तुम तो जानते ही हो कि मेरे पीरियड चल रहे हैं
शादाब ने शहनाज़ की चुचियों की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया और बोली:"
" नहीं मेरे शादाब। मुझे दिक्कत होगी फिर बेटा। आज और सब्र करो, आप पांचवा दिन हैं। ब्लड बस रुक सा गया है।
शादाब:" अम्मी ये आपके पीरियड भी ना मेरी जान निकाल देते हैं। इस बार तो आपने मुंह से नहीं चूसा। देखो ना कैसे अकड़ रहा है मेरा मूसल आपकी औखलीं में जाने के लिए।
शादाब ने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखना चाहा तो उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया और शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"
" तुझे अब तब ओखली और मूसल याद हैं क्या ?
शादाब:" क्या बात कर दी अम्मी, मैं कैसे भूल सकता हूं। ज़िन्दगी में खुशियां इसी ओखली और मूसल की वजह से तो अाई थी।
शहनाज़:' अच्छा ये बात भी है। तुम अब जल्दी से हो जाओ, नहीं तो कॉलेज कर लिए लेट हो जाओगे।
शादाब ने एक किस अपनी अम्मी के गाल पर किया और तेजी से उठकर तैयार होने लगा और फिर नाश्ता करके जाने लगा तो शहनाज़ ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके गाल चूम कर बोली:"
" जल्दी आना, मेरा मन नहीं लगता तेरे बिना।
शादाब ने जल्दी से शहनाज़ का एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और बोला:"
" आपके प्यारे इस मूसल के बिना या मेरे बिना?
शहनाज़ ने उसके होंठो को चूम लिया और बोली:" दोनो के बिना अब खुश। जाओ जल्दी अब और जल्दी आना।
शादाब:" अच्छा जाता हूं, अगर जल्दी अाया तो क्या दोगी ?
शहनाज़:" पहले आओ तो तुम, उसके बाद बात करते हैं।
शादाब ने अपनी अम्मी की चूत की तरफ इशारा किया और बोला:" बात कुछ नहीं करनी मुझे आज आपकी ये चाहिए।
इतना कहकर शादाब उसकी तरफ जीभ निकाल कर कॉलेज चला गया और शहनाज़ अपने विचारो में खोई हुई थी कि किस तरह उसके बेटे ने उसकी ज़िन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया था। मैं सुंदर हूं इसलिए मेरे बेटे ने मेरे जिस्म को नहीं हासिल किया बल्कि उसने एक आशिक का पूरा फर्ज़ निभाया। मायके वालों को मेरी कद्र नहीं रही अम्मी पापा के बाद और ससुराल वालों ने भी मुझे पूरी तरह से निराश ही किया।
करीब सुबह के 10 बजे रहे थे और अपने विचारो में खोई हुई शहनाज़ को याद आया कि आज उसके पीरियड खत्म हो गए हैं और उसे अच्छे से सिर धोकर नहा लेना चाहिए। शादाब पिछले पांच दिन से सेक्स के लिए तड़प रहा था लेकिन मेरे पीरियड के चलते मजबूर था और बेचारे का इस बार तो मैंने चूसा भी नहीं। सुबह आज वो पूरी खुशी के साथ कॉलेज गया है कि आज शाम को जोरदार धमाका करेगा।
शहनाज़ नहाने के लिए बाथरूम में बाथरूम में घुस गई और पूरी तरह से नंगी हो गई। उसने अपने जिस्म को देखा तो उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ। उसकी चूचियां और गांड़ सचमुच जानलेवा हो गई थी। शहनाज़ ने देखा कि उसकी चूत पर पिछले कुछ दिनों में छोटे छोटे बाल उग आए थे पीरियड की वजह से। इसलिए शहनाज ने सबसे पहले अपने बालो को साफ करने का फैसला किया। उसने क्रीम लगाई और थोड़ी देर बाद ही उसे अपनी से धो दिया। उसकी चूत बिल्कुल सुंदर और चिकनी हो गई थी, एक भी बाल नहीं। उसने कांपते हाथो से चूत को छुआ तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम हैं।
शहनाज़ अपनी चूत के साथ ज्यादा छेड़ छाड़ नहीं करना चाहती थी इसलिए बस अच्छे से साफ किया और ब्रा पेंटी पहन ली और अपने कमरे में अा गई और अपने कपड़े बदल लिए।
वो टीवी देखने लगी और कब दो बज गए उसे पता ही नहीं चला। वो जानती थी कि उसके बेटे के आने का समय हो गया है तो उसन अपने बालो को खोल दिया और उसके बाद उसके खूबसूरत चेहरे के चारो और फैल गए और उसने अपनी टी शर्ट को निकाल दिया और सिर्फ एक डार्क ब्लू रंग की जीन्स और गहरे लाल रंग की डिजाइनर ब्रा में बाहर बालकनी में खड़ी हो गई और सड़क की तरफ देखने लगी।
शादाब की कार उसे सड़क पर आती दिखाई दी और शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई। शादाब ने अपनी अम्मी को देखा और कार की स्पीड को कम कर दिया और शहनाज़ को बालकनी में खुले बालों में देखकर उसे खुशी के साथ साथ हैरानी भी हो रही थी। शहनाज के दूध से गोरे कंधे दूर से ही साफ नंगे नजर अा रहे थे और शादाब ने अपनी अम्मी को एक फ्लाइंग किस दी तो शहनाज़ हल्की सी शरमाई और शादाब ने गाड़ी को घर के अंदर घुसा दिया।
गाड़ी खड़ी करने के बाद शादाब तेजी से उपर की तरफ दौड़ा क्योंकि उसे अपनी अम्मी से दूरी अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी। शादाब जैसे ही उपर पहुंचा तो उसे शहनाज़ दिखाई दी जो एक डार्क ब्लू कलर की जीन्स पहने हुए थी और उसकी गांड़ बाहर की तरफ निकली हुई थी। उपर उसकी कमर पर एक लाल गहरे रंग की ब्रा थी बस।
कदमों की आहट से शहनाज़ को एहसास हो गया कि शादाब आ गया है तो उसने अपनी गांड़ को पूरी तरह से बाहर की तरफ निकाल दिया ।
शादाब पागल सा हो उठा और आगे बढकर उसने शहनाज़ की मोटी गांड़ को अपनी दोनो हाथो में भर लिया और जोर से मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी
" आह क्या करता हैं शादाब, उफ्फ थोड़ा प्यार से बेटा।
शादाब ने अपने हाथो की पकड़ को और टाइट किया और शहनाज़ की गांड़ को कस कस कर मसलने लगा तो शहनाज़ बावली सी होकर पलटी और उससे लिपट गई और बोली।
" आह यहां नहीं बेटा, अंदर ले चल ना मुझे, अपने बेड पर
शादाब ने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और शहनाज़ ने अपनी बांहे उसके गले में लपेट दी।
शादाब ने अपनी अम्मी को बेड पर लिटा दिया और शहनाज़ ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो शादाब ने अपने होंठ अपनी अम्मी के होंठो पर टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ भी अपने बेटे के होंठ चूसने लगी।
शादाब ने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाते हुए शहनाज़ की ब्रा को खोल दिया तो उसकी चूचियां आजाद होकर उछल पड़ी। शादाब ने जैसे ही उसकी चूचियों को अपने हाथो में भरा तो उसका फोन बज उठा।
शहनाज़ और शादाब की नजरे मिली तो शहनाज़ ने उसे फोन उठाने का इशारा किया तो शादाब ने देखा कि उसकी बुआ का फ़ोन था इंडिया से।
शादाब कुछ बोलता उससे पहले ही रेशमा की डरी सहमी हुई आवाज आई
" शादाब तेरे फूफा की तबियत बहुत ज्यादा खराब हैं बेटा। हॉस्पिटल में एडमिट हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा हैं।
शादाब और शहनाज़ दोनो ने ये सुना तो उनकी नजरे आपस में मिली और शादाब बोला:"
" आप फिक्र ना करे बुआ, मैं अभी इंडिया के लिए निकल रहा हूं। तब तक आप उनका ख्याल रखें। पैसे की फिक्र ना करे आप।
शहनाज़ अपने कपड़े पहन चुकी थी और थोड़ी देर बाद ही उनकी फ्लाइट इंडिया के लिए उड़ चुकी थीं। शहनाज़ और शादाब दोनो को अब वसीम की चिंता हो रही थी क्योंकि उसके बाद रेशमा का क्या होगा ये ही सोचकर दोनो बहुत ज्यादा परेशान थे।
अगले दिन सुबह सौंदर्या उठी तो रात भर ठीक से ना सो पाने के कारण उसकी आंखे पूरी तरह से लाल हो गई थी। आज उसे कॉलेज जाना था इसलिए वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। सौंदर्या को अपनी टांगो के बीच हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था। उसने नहाने के लिए अपने सभी कपडे उतार दिए और अपनी जांघो के बीच झांका तो उसे अपनी चूत लाल सी नजर आईं। उसने अपनी एक उंगली की चूत जी की फांकों पर रखा तो उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी। उसकी चूत के दोनो होंठ सूजकर लाल हो गए थे और हल्का हल्का दर्द हो रहा था। उसे समझ नहीं अा रहा था कि ये सब कैसे हुआ। तभी याद याद आया कि किस तरह ट्रैक्टर पर वो अपने भाई की गोद में उछल रही थी और उसके भाई का लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था।
सौंदर्या की सांसे एक बार फिर से ये सब सोचकर तेज हो गई कि उसके भाई के अंदर इतनी ताकत हैं कि कमीने के कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत की ये हालत कर दी है। तभी सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि ये सब गलत है। मैं अपने सगे भाई के बारे में ऐसा नहीं सोच सकती। सौंदर्या नहाने लगी और थोड़ी देर बाद वो नहाकर बाहर अा गई और अपने कमरे ने तैयार होने लगी। आज उसे कॉलेेज जाना था और वो अब डर रही थी क्योंकि उसे अब पिंकी की याद आ रही थी कि किस तरह से गुण्डो ने उसे मार डाला।
अकेले जाने के उसकी हिम्मत नहीं थी और रात अपने भाई को थप्पड़ मारने के बाद वो किस मुंह से उसे अपने साथ जाने के लिए कहेगी उसकी समझ में नहीं अा रहा था। उसने अजय से बात करने का फैसला किया क्योंकि वो जानती थी कि उसका भाई उसे इनकार नहीं करेगा।
आखिरकार वो अपने भाई के कमरे में अाई तो उसे अजय नहीं दिखाई दिया तो उसे चिंता हुई कि पता नहीं सुबह सुबह कहां घूमने चला गया होगा। सौंदर्या नीचे अा गई तो उसने देखा कि अजय नहा धोकर तैयार बैठा हुआ था और उसने सुकून की सांस ली।
सबने नाश्ता किया तो अजय खुद ही बोल पड़ा:"
" दीदी मुझे शहर में काम हैं। मैं आपको छोड़ दुगा और शाम को मैं काम खत्म करके आपको लेता भी आऊंगा।
सौंदर्या ने अपने भाई को प्यार भरी नजरो से देखा और बोली:"
" ये तो बहुत अच्छी बात हैं भाई। मैं भी अकेले परेशान हो जाती हूं, अच्छा हूं कि आज तुम जा रहे हो मेरे साथ भाई।
कमला अपने बच्चो का प्यार और दोनो एक दूसरे की कितनी देखभाल करते है ये देखकर बहुत खुश हुई और बोली:"
" भगवान करे कि तुम दोनो भाई बहन के बीच ये प्यार ऐसे ही ज़िन्दगी भर बना रहे।
अजय और सौंदर्या की नजरे आपस में मिली मानो अपने आपसे पूछ रहे हो कि क्या मम्मी ठीक बोल रही है।
अजय उठा और गाड़ी निकाल कर अा गया तो सौंदर्या भी गाड़ी में बैठ गई और अजय ने गाड़ी को आगे बढ़ा दिया।