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Incest मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात

TheAdultWriter

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कहानी की शुरुआत हुई ठंडी की उस रात से जब मैं पापा को करीब 10 बजे रेलवे स्टेशन छोड़ कर आया उनकी दूसरे शहर किसी मीटिंग की लिए। उन्हें स्टेशन छोड़ कर मैं घर पहुंचा और गेट को खोल कर गाड़ी अंदर खड़ी कर गेट अंदर से लॉक कर चाबी उंगली में घूमता हुआ गाने गुनगुनाता हुआ अंदर आया।
अंदर मां सोफे पर बैठ टीवी देख रही थी और मेरे आते ही मां ने पूछा - छोड़ आया पापा को स्टेशन?

मैं - हां मां।
मां - ट्रेन आ गई थी उनकी?
मैं - हां, तभी तो मुझे लेट हो गया थोड़ा आने में।
मां - अच्छा, जा मेरे कमरे के बाथरूम का गीजर ऑन कर आ, मैं नहा के फिर खाना लगाती हूं फिर खा कर सोते हैं हम भी।
मैं - मां रात में कौन नहाता है वो भी इतनी ठंड में।
मां - आज सुबह नहाई नहीं थी मैं तो नींद सही से आएगी नहीं मुझे, इसलिए सोचा नहा कर ही सोती हूं।
मैं - ठीक है , जैसी आपकी मर्ज़ी।
मां - हां।

मैं मां के कमरे के बाथरूम का गीजर ऑन करके बाल्टी लगाकर बाहर आया और मां को बता कर अपने कमरे की और चला गया। कमरे में जाकर जीन्स जैकेट उतार कर लोवर और टी शर्ट डाल मैं फोन चलाने लगा के मां की आवाज आई - चिक्कू बेटा, इधर आ एक बार।

मैं फोन वहीं बैड पर रख मां के कमरे की और गया और कमरे में देखा तो मां नहीं थी पर उनका सूट पड़ा था जो उन्होंने थोड़ी देर पहले डाल रखा था और साथ में एक स्वेटर भी बैड पर ही पड़ा था तो मैं बोला - मां कहां हो?
मां - इधर बाथरूम में।

मैं बाथरूम में गया तो मां बाथरूम में एक लोवर डाल कर खड़ी थी और ऊपर की और उन्होंने एक बड़ा सा टावल लपेट रखा था । पूरा ऊपर का बदन वो टावल कवर कर रहा था। मैं मां को ऐसे देख कर बोला - क्या हुआ मां?
मां - ये देख न जरा, नहाने के लिए आई ही थी के गेट बंद ही नहीं हो रहा ये अंदर से ।

मैनें गेट के नॉब को घुमाया तो वो अटक सा रहा था । फिर बाहर से घुमाया तो फिर भी जाम था। फिर 2-3 बार फिर घुमाया तो एकदम से वो लॉक लग गया। ये वो मॉडर्न लॉक था जो गेट के दोनों एंड में लगा होता है और दोनों साइड से लॉक अनलॉक हो जाता है। तो बाहर से जब वो बंद हुआ तो मैं मां से बोला - मां अब अंदर से कर कर देखना।

मां ने बाथरूम के अंदर से ट्राई किया पर फिर से वही हाल। फिर में भी बाथरूम के अंदर साइड में आ गया और लॉक 2-3 बार फिर से घुमाया और वो लॉक हो गया। तो मैं मां से बोला - लो हो गया, अभी तो चला लो काम, फिर कल मिस्त्री को दिखा कर ठीक करवाता हूं इसको।

मां - हां करवा दियो।

फिर मैं लॉक खोल कर जैसे ही बाहर जाने लगा के लॉक साला खुला ही ना। बड़ी मशक्कत की मैनें भी और मां ने भी पर लॉक था के खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था। अब सिचुएशन ये थी के हम दोनों बाथरूम में थे और बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद था और ना ही हमारे पास फोन था के किसी को कॉल करके बुला लें हम। और इस सबमें एक बात ये थी के मां सिर्फ टावल और लोवर में थी।



अब कैसे ये लॉक खुलेगा, कब खुलेगा इसके लिए थोड़ा सा इंतजार करना, Next Part जल्द ही दूंगा।
 

Napster

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कहानी की शुरुआत हुई ठंडी की उस रात से जब मैं पापा को करीब 10 बजे रेलवे स्टेशन छोड़ कर आया उनकी दूसरे शहर किसी मीटिंग की लिए। उन्हें स्टेशन छोड़ कर मैं घर पहुंचा और गेट को खोल कर गाड़ी अंदर खड़ी कर गेट अंदर से लॉक कर चाबी उंगली में घूमता हुआ गाने गुनगुनाता हुआ अंदर आया।
अंदर मां सोफे पर बैठ टीवी देख रही थी और मेरे आते ही मां ने पूछा - छोड़ आया पापा को स्टेशन?

मैं - हां मां।
मां - ट्रेन आ गई थी उनकी?
मैं - हां, तभी तो मुझे लेट हो गया थोड़ा आने में।
मां - अच्छा, जा मेरे कमरे के बाथरूम का गीजर ऑन कर आ, मैं नहा के फिर खाना लगाती हूं फिर खा कर सोते हैं हम भी।
मैं - मां रात में कौन नहाता है वो भी इतनी ठंड में।
मां - आज सुबह नहाई नहीं थी मैं तो नींद सही से आएगी नहीं मुझे, इसलिए सोचा नहा कर ही सोती हूं।
मैं - ठीक है , जैसी आपकी मर्ज़ी।
मां - हां।

मैं मां के कमरे के बाथरूम का गीजर ऑन करके बाल्टी लगाकर बाहर आया और मां को बता कर अपने कमरे की और चला गया। कमरे में जाकर जीन्स जैकेट उतार कर लोवर और टी शर्ट डाल मैं फोन चलाने लगा के मां की आवाज आई - चिक्कू बेटा, इधर आ एक बार।

मैं फोन वहीं बैड पर रख मां के कमरे की और गया और कमरे में देखा तो मां नहीं थी पर उनका सूट पड़ा था जो उन्होंने थोड़ी देर पहले डाल रखा था और साथ में एक स्वेटर भी बैड पर ही पड़ा था तो मैं बोला - मां कहां हो?
मां - इधर बाथरूम में।

मैं बाथरूम में गया तो मां बाथरूम में एक लोवर डाल कर खड़ी थी और ऊपर की और उन्होंने एक बड़ा सा टावल लपेट रखा था । पूरा ऊपर का बदन वो टावल कवर कर रहा था। मैं मां को ऐसे देख कर बोला - क्या हुआ मां?
मां - ये देख न जरा, नहाने के लिए आई ही थी के गेट बंद ही नहीं हो रहा ये अंदर से ।

मैनें गेट के नॉब को घुमाया तो वो अटक सा रहा था । फिर बाहर से घुमाया तो फिर भी जाम था। फिर 2-3 बार फिर घुमाया तो एकदम से वो लॉक लग गया। ये वो मॉडर्न लॉक था जो गेट के दोनों एंड में लगा होता है और दोनों साइड से लॉक अनलॉक हो जाता है। तो बाहर से जब वो बंद हुआ तो मैं मां से बोला - मां अब अंदर से कर कर देखना।

मां ने बाथरूम के अंदर से ट्राई किया पर फिर से वही हाल। फिर में भी बाथरूम के अंदर साइड में आ गया और लॉक 2-3 बार फिर से घुमाया और वो लॉक हो गया। तो मैं मां से बोला - लो हो गया, अभी तो चला लो काम, फिर कल मिस्त्री को दिखा कर ठीक करवाता हूं इसको।

मां - हां करवा दियो।

फिर मैं लॉक खोल कर जैसे ही बाहर जाने लगा के लॉक साला खुला ही ना। बड़ी मशक्कत की मैनें भी और मां ने भी पर लॉक था के खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था। अब सिचुएशन ये थी के हम दोनों बाथरूम में थे और बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद था और ना ही हमारे पास फोन था के किसी को कॉल करके बुला लें हम। और इस सबमें एक बात ये थी के मां सिर्फ टावल और लोवर में थी।




अब कैसे ये लॉक खुलेगा, कब खुलेगा इसके लिए थोड़ा सा इंतजार करना, Next Part जल्द ही दूंगा।
कहानी का प्रारंभ ही हम तुम एक बाथरूम में बंद हो और गेट लाॅक हो जाये यानी की धमाकेदार हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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parkas

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अंदर मां सोफे पर बैठ टीवी देख रही थी और मेरे आते ही मां ने पूछा - छोड़ आया पापा को स्टेशन?

मैं - हां मां।
मां - ट्रेन आ गई थी उनकी?
मैं - हां, तभी तो मुझे लेट हो गया थोड़ा आने में।
मां - अच्छा, जा मेरे कमरे के बाथरूम का गीजर ऑन कर आ, मैं नहा के फिर खाना लगाती हूं फिर खा कर सोते हैं हम भी।
मैं - मां रात में कौन नहाता है वो भी इतनी ठंड में।
मां - आज सुबह नहाई नहीं थी मैं तो नींद सही से आएगी नहीं मुझे, इसलिए सोचा नहा कर ही सोती हूं।
मैं - ठीक है , जैसी आपकी मर्ज़ी।
मां - हां।

मैं मां के कमरे के बाथरूम का गीजर ऑन करके बाल्टी लगाकर बाहर आया और मां को बता कर अपने कमरे की और चला गया। कमरे में जाकर जीन्स जैकेट उतार कर लोवर और टी शर्ट डाल मैं फोन चलाने लगा के मां की आवाज आई - चिक्कू बेटा, इधर आ एक बार।

मैं फोन वहीं बैड पर रख मां के कमरे की और गया और कमरे में देखा तो मां नहीं थी पर उनका सूट पड़ा था जो उन्होंने थोड़ी देर पहले डाल रखा था और साथ में एक स्वेटर भी बैड पर ही पड़ा था तो मैं बोला - मां कहां हो?
मां - इधर बाथरूम में।

मैं बाथरूम में गया तो मां बाथरूम में एक लोवर डाल कर खड़ी थी और ऊपर की और उन्होंने एक बड़ा सा टावल लपेट रखा था । पूरा ऊपर का बदन वो टावल कवर कर रहा था। मैं मां को ऐसे देख कर बोला - क्या हुआ मां?
मां - ये देख न जरा, नहाने के लिए आई ही थी के गेट बंद ही नहीं हो रहा ये अंदर से ।

मैनें गेट के नॉब को घुमाया तो वो अटक सा रहा था । फिर बाहर से घुमाया तो फिर भी जाम था। फिर 2-3 बार फिर घुमाया तो एकदम से वो लॉक लग गया। ये वो मॉडर्न लॉक था जो गेट के दोनों एंड में लगा होता है और दोनों साइड से लॉक अनलॉक हो जाता है। तो बाहर से जब वो बंद हुआ तो मैं मां से बोला - मां अब अंदर से कर कर देखना।

मां ने बाथरूम के अंदर से ट्राई किया पर फिर से वही हाल। फिर में भी बाथरूम के अंदर साइड में आ गया और लॉक 2-3 बार फिर से घुमाया और वो लॉक हो गया। तो मैं मां से बोला - लो हो गया, अभी तो चला लो काम, फिर कल मिस्त्री को दिखा कर ठीक करवाता हूं इसको।

मां - हां करवा दियो।

फिर मैं लॉक खोल कर जैसे ही बाहर जाने लगा के लॉक साला खुला ही ना। बड़ी मशक्कत की मैनें भी और मां ने भी पर लॉक था के खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था। अब सिचुएशन ये थी के हम दोनों बाथरूम में थे और बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद था और ना ही हमारे पास फोन था के किसी को कॉल करके बुला लें हम। और इस सबमें एक बात ये थी के मां सिर्फ टावल और लोवर में थी।




अब कैसे ये लॉक खुलेगा, कब खुलेगा इसके लिए थोड़ा सा इंतजार करना, Next Part जल्द ही दूंगा।
Nice and beautiful update....
 

TheAdultWriter

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🌺 Part - 2 🌺



अब मां ने मुझे पीछे किया और खुद गेट को खींच खींच कर खोलने की कोशिश करने लगी। मैं अब बाथरूम में मां के पीछे खड़ा था और मां मेरे आगे गेट खोल रही थी और वो जो नसीबदार टॉवल था जो मेरी मां के बदन में लिपटा था, बिचारा पीछे कमर से खुलता सा जा रहा था जैसे ही मां गेट पर जोर लगा रही थी। मैं शांति से खड़ा होकर मां को ऐसे देख रहा था और ये शायद पहली बार ही था के मां के कमर की वो सीधी लाइन बिना किसी कपड़े से ढके मुझे दिख रही थी।

बचपन में कभी दिखी हो तो पता नहीं पर आज दिख रही थी वो अलग ही एक ऐसा था मेरे लिए। इस वक्त तक तो मेरे मन में मां के लिए ऐसी वैसी कोई भी बात नहीं थी पर शायद अगले ही पलों में कुछ ऐसा होने वाला था जिसके बारे में मैनें शायद ही कभी सोचा हो भूले भटके।
मैं आराम से खड़ा होकर मां की देख रहा था । टॉवल उनकी कमर से खुला हुआ था जिसमे से उनके गोरे बदन की वो कमर की लकीर दिख रही थी जो उनकी गर्दन से शुरू होकर उनकी गांड तक जा रही थी। नीचे का हिस्सा भी कबीले तारीफ था। उस नीले पैटर्न वाले लोवर में मां की थोड़ी सी फूली हुई गांड हल्के हल्के से हिल रही थी जैसे ही मां आगे को जोर लगा रही थी।

मैं चुपचाप खड़ा होकर ये देख ही रहा था के मां की आवाज मेरे कानों में पड़ी - अब क्या करें चीकू, ये तो खुल ही नहीं रहा। ये क्या मुसीबत है।

मैं - रुको में देखता हुआ फिर से ट्राई करके।
मैनें फिर खोलने का ट्राई किया पर वो तो जैसे लॉक अटक गया था और अब तो सिर्फ किसी प्लास या पेचकस की मदद से खुलता या शायद बाहर वाली तरफ से। और बाहर की तरफ तो कोई था नहीं और ना ही हमारे पास अन्दर की और कोई ओजार था जिस से ये लॉक खुले।

वैसे ओजार तो एक था मेरे पास काले रंग का पर वो ओजार सिर्फ चूत और गांड के छेद खोलने के काम आता था ना कि किसी गेट के लॉक खोलने के। मैं जब ट्राई कर कर थक गया तो मां से बोला - ये नहीं खुलेगा अब मां।

मां - तो फिर अब? पड़ोस वाली भाभी को आवाज लगाऊं क्या ? वो खोल देंगी उनके पास चाबी है एक एक्स्ट्रा हमारे घर की।
मैं - हा देखो ट्राई करके।

मां - मैं कैसे लगाऊं , तु आवाज लगा, ये उपर वाली जाली से।
बाथरूम में ऊपर एक छोटी सी खिड़की थी जैसे एग्जास्ट फैन लगाने के लिए होती है। पर वो छोटी सी खिड़की अंदर से अभी बंद थी तो पहले किसी को ऊपर चढ़ कर उसे खोलना था फिर ही हमारी आवाज बाहर तक जा सकती थी और शायद सामने घर वाली आंटी गेट खोल देती हमारे घर का।
तो मां ने पहले तो आवाज लगाई - भाभी, भाभी, स्नेहा भाभी, स्नेहा भाभी।

पर आवाज लगाने पर कोई रेस्पॉन्स ना आया तो मैं मां से बोला - मां , ऊपर कांच वाली खिड़की बंद है, आपकी आवाज बाहर नहीं जाएगी, पहले वो खोलनी पड़ेगी।

मां - हां तो खोल जल्दी से, किसका इंतजार कर रहा है।
मैं - इतनी ऊपर हाथ थोड़ी जाएगा मेरा, या तो आप मुझे उठाओ फिट खिड़की खोलता हूं, या फिर मैं आपको उठाता हूं आप खोल देना।
मां - मैं कहां उठा पाऊंगी तुझे, इतना भारी है तु।
मैं - तो आओ फिर मैं उठाता हूं आपको।
मां - क्या मुसीबत है ये भी, एक तो इतनी ठंड लगने लग गई है अब और ऊपर से ये गेट भी अभी खराब होना था।
मैं - हम्मम।
मां - उठा लेगा मुझे?
मैं - हां, आप चिंता मत करो।

फिर मां दीवार के कोने में खिड़की के ठीक नीचे जा खड़ी हो गई और दोनों हाथों से टॉवल को अच्छे से पकड़ बोली - चल ध्यान से उठा अब, फिर खिड़की खोलती हूं

मैं आगे बढ़ हल्का सा नीचे झुका और उनके दोनों गोडों में अपनी पकड़ बना कर उन्हें ऊपर की और उठाने लगा। मां को पहली बार मैं ऐसे उठा रहा था वो भी लोवर में।

लोअर इतना सॉफ्ट सा सिल्की सा था के मेरे हाथ जैसे उसपर से फिसल से रहें हो। फिर मैं अपने मुंह को दूसरी तरफ मोड कर मां को ऊपर उठाकर कहा - खोलो अब मां, फटाफट।
मेरा मुंह अब ऐसे मुड़ा हुआ था के मेरा एक कान मां की उस सॉफ्ट सी गांड पा टच हुआ पड़ा था और मैं मां को उठाकर खड़ा था। तभी मां boli - थोड़ा और ऊपर कर हाथ नहीं जा रहा मेरा।

मैंने ये सुनते ही अपना मुंह मां को ऊपर देखने के लिए जैसे ही घुमाया के सीधा उनकी गांड के दरार में मेरा नाक सा रगड़ गया। उफ्फ उस पल की वो सॉफ्टनेस और खुशबू, क्या ही कहने, ये पहली बार था जिंदगी में के किसी लेडीज की गांड में मैनें अपना मुंह रखा हो एक बेहद आनन्द भरे पल का एहसास किया हो।

मैनें नाक को उनकी गांड की दरार से ऊपर की और ले जाते हुए होंठों को भी उस कोमल रास्ते का दर्शन करवाते हुए आगे के सामने नंगी कमर पाकर बोला - और कितना उठाऊं मां?

मां - मैं क्या करूं? हाथ ही नहीं पहुंचा मेरा।
मैं - रुको।
मैनें फिर अपनी कमर से एक हल्का सा झटका सा मारा और बाजुओं से जैसे मां को हल्का सा ऊपर की और उछाल कर थोड़ा पहले से ऊपर की और पकड़ कर बोला - अब देखो , पहुंचा हाथ?
मां - हां हां पहुंच गया।

फिर मां जैसे ही एक खिड़की खोलने लगी के उनका टॉवल सीधा नीचे सरक कर उनके पैरों में आ अटका। मैं ये देखकर जैसे एकदम हैरान सा ही हो गया। मां ने खिड़की खोली और बोली - खुल गई , खुल गई, शुक्र है ऊपर वाले का, नीचे कर चीकू खुल गई खिड़की।
मैनें जैसे ही उन्हें नीचे किया तो वो एक छोटी सी खिड़की खुलने के जैसे अचीवमेंट से खुश होकर मेरे गले लगी और बोली - अब आवाज लगाते हैं। पक्का खोल देगी आंटी अब।

मैं मां के उन मोटे मोटे चूचों को इतने नजदीक अपनी छाती के पास से फील करके सदमे में था के मां जैसे ही हटी के वो मोटे मोटे स्पंजी चूचों को देख मेरी नजर तो जैसे उन पर ही टिक गई। मां ने जैसे ही देखा तो वो तुरंत घूमी और बोली - हे भगवान , ये क्या, ये टॉवल, टॉवल कहां, टॉवल कहां, टॉवल टॉवल कब ये गिरा?????

मां हैरान होकर फट से टॉवल अपने से लपेट चुप चाप खड़ी हो गई।
मैं भी एकदम से बोला - मां वो, वो, ये टॉवल नीचे गिर गया था, सारी वो, आपको बताने ही वाला था के आप एकदम खिड़की खुलने की खुशी में , वो बस....नीचे उतरीं
और ये सब हो गया। सॉरी वो...मां




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कैसा लगा अपडेट?
 
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