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Incest मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात

Bittoo

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🌺 Part - 2 🌺



अब मां ने मुझे पीछे किया और खुद गेट को खींच खींच कर खोलने की कोशिश करने लगी। मैं अब बाथरूम में मां के पीछे खड़ा था और मां मेरे आगे गेट खोल रही थी और वो जो नसीबदार टॉवल था जो मेरी मां के बदन में लिपटा था, बिचारा पीछे कमर से खुलता सा जा रहा था जैसे ही मां गेट पर जोर लगा रही थी। मैं शांति से खड़ा होकर मां को ऐसे देख रहा था और ये शायद पहली बार ही था के मां के कमर की वो सीधी लाइन बिना किसी कपड़े से ढके मुझे दिख रही थी।

बचपन में कभी दिखी हो तो पता नहीं पर आज दिख रही थी वो अलग ही एक ऐसा था मेरे लिए। इस वक्त तक तो मेरे मन में मां के लिए ऐसी वैसी कोई भी बात नहीं थी पर शायद अगले ही पलों में कुछ ऐसा होने वाला था जिसके बारे में मैनें शायद ही कभी सोचा हो भूले भटके।
मैं आराम से खड़ा होकर मां की देख रहा था । टॉवल उनकी कमर से खुला हुआ था जिसमे से उनके गोरे बदन की वो कमर की लकीर दिख रही थी जो उनकी गर्दन से शुरू होकर उनकी गांड तक जा रही थी। नीचे का हिस्सा भी कबीले तारीफ था। उस नीले पैटर्न वाले लोवर में मां की थोड़ी सी फूली हुई गांड हल्के हल्के से हिल रही थी जैसे ही मां आगे को जोर लगा रही थी।

मैं चुपचाप खड़ा होकर ये देख ही रहा था के मां की आवाज मेरे कानों में पड़ी - अब क्या करें चीकू, ये तो खुल ही नहीं रहा। ये क्या मुसीबत है।

मैं - रुको में देखता हुआ फिर से ट्राई करके।
मैनें फिर खोलने का ट्राई किया पर वो तो जैसे लॉक अटक गया था और अब तो सिर्फ किसी प्लास या पेचकस की मदद से खुलता या शायद बाहर वाली तरफ से। और बाहर की तरफ तो कोई था नहीं और ना ही हमारे पास अन्दर की और कोई ओजार था जिस से ये लॉक खुले।

वैसे ओजार तो एक था मेरे पास काले रंग का पर वो ओजार सिर्फ चूत और गांड के छेद खोलने के काम आता था ना कि किसी गेट के लॉक खोलने के। मैं जब ट्राई कर कर थक गया तो मां से बोला - ये नहीं खुलेगा अब मां।

मां - तो फिर अब? पड़ोस वाली भाभी को आवाज लगाऊं क्या ? वो खोल देंगी उनके पास चाबी है एक एक्स्ट्रा हमारे घर की।
मैं - हा देखो ट्राई करके।

मां - मैं कैसे लगाऊं , तु आवाज लगा, ये उपर वाली जाली से।
बाथरूम में ऊपर एक छोटी सी खिड़की थी जैसे एग्जास्ट फैन लगाने के लिए होती है। पर वो छोटी सी खिड़की अंदर से अभी बंद थी तो पहले किसी को ऊपर चढ़ कर उसे खोलना था फिर ही हमारी आवाज बाहर तक जा सकती थी और शायद सामने घर वाली आंटी गेट खोल देती हमारे घर का।
तो मां ने पहले तो आवाज लगाई - भाभी, भाभी, स्नेहा भाभी, स्नेहा भाभी।

पर आवाज लगाने पर कोई रेस्पॉन्स ना आया तो मैं मां से बोला - मां , ऊपर कांच वाली खिड़की बंद है, आपकी आवाज बाहर नहीं जाएगी, पहले वो खोलनी पड़ेगी।

मां - हां तो खोल जल्दी से, किसका इंतजार कर रहा है।
मैं - इतनी ऊपर हाथ थोड़ी जाएगा मेरा, या तो आप मुझे उठाओ फिट खिड़की खोलता हूं, या फिर मैं आपको उठाता हूं आप खोल देना।
मां - मैं कहां उठा पाऊंगी तुझे, इतना भारी है तु।
मैं - तो आओ फिर मैं उठाता हूं आपको।
मां - क्या मुसीबत है ये भी, एक तो इतनी ठंड लगने लग गई है अब और ऊपर से ये गेट भी अभी खराब होना था।
मैं - हम्मम।
मां - उठा लेगा मुझे?
मैं - हां, आप चिंता मत करो।

फिर मां दीवार के कोने में खिड़की के ठीक नीचे जा खड़ी हो गई और दोनों हाथों से टॉवल को अच्छे से पकड़ बोली - चल ध्यान से उठा अब, फिर खिड़की खोलती हूं

मैं आगे बढ़ हल्का सा नीचे झुका और उनके दोनों गोडों में अपनी पकड़ बना कर उन्हें ऊपर की और उठाने लगा। मां को पहली बार मैं ऐसे उठा रहा था वो भी लोवर में।

लोअर इतना सॉफ्ट सा सिल्की सा था के मेरे हाथ जैसे उसपर से फिसल से रहें हो। फिर मैं अपने मुंह को दूसरी तरफ मोड कर मां को ऊपर उठाकर कहा - खोलो अब मां, फटाफट।
मेरा मुंह अब ऐसे मुड़ा हुआ था के मेरा एक कान मां की उस सॉफ्ट सी गांड पा टच हुआ पड़ा था और मैं मां को उठाकर खड़ा था। तभी मां boli - थोड़ा और ऊपर कर हाथ नहीं जा रहा मेरा।

मैंने ये सुनते ही अपना मुंह मां को ऊपर देखने के लिए जैसे ही घुमाया के सीधा उनकी गांड के दरार में मेरा नाक सा रगड़ गया। उफ्फ उस पल की वो सॉफ्टनेस और खुशबू, क्या ही कहने, ये पहली बार था जिंदगी में के किसी लेडीज की गांड में मैनें अपना मुंह रखा हो एक बेहद आनन्द भरे पल का एहसास किया हो।

मैनें नाक को उनकी गांड की दरार से ऊपर की और ले जाते हुए होंठों को भी उस कोमल रास्ते का दर्शन करवाते हुए आगे के सामने नंगी कमर पाकर बोला - और कितना उठाऊं मां?

मां - मैं क्या करूं? हाथ ही नहीं पहुंचा मेरा।
मैं - रुको।
मैनें फिर अपनी कमर से एक हल्का सा झटका सा मारा और बाजुओं से जैसे मां को हल्का सा ऊपर की और उछाल कर थोड़ा पहले से ऊपर की और पकड़ कर बोला - अब देखो , पहुंचा हाथ?
मां - हां हां पहुंच गया।

फिर मां जैसे ही एक खिड़की खोलने लगी के उनका टॉवल सीधा नीचे सरक कर उनके पैरों में आ अटका। मैं ये देखकर जैसे एकदम हैरान सा ही हो गया। मां ने खिड़की खोली और बोली - खुल गई , खुल गई, शुक्र है ऊपर वाले का, नीचे कर चीकू खुल गई खिड़की।
मैनें जैसे ही उन्हें नीचे किया तो वो एक छोटी सी खिड़की खुलने के जैसे अचीवमेंट से खुश होकर मेरे गले लगी और बोली - अब आवाज लगाते हैं। पक्का खोल देगी आंटी अब।

मैं मां के उन मोटे मोटे चूचों को इतने नजदीक अपनी छाती के पास से फील करके सदमे में था के मां जैसे ही हटी के वो मोटे मोटे स्पंजी चूचों को देख मेरी नजर तो जैसे उन पर ही टिक गई। मां ने जैसे ही देखा तो वो तुरंत घूमी और बोली - हे भगवान , ये क्या, ये टॉवल, टॉवल कहां, टॉवल कहां, टॉवल टॉवल कब ये गिरा?????

मां हैरान होकर फट से टॉवल अपने से लपेट चुप चाप खड़ी हो गई।
मैं भी एकदम से बोला - मां वो, वो, ये टॉवल नीचे गिर गया था, सारी वो, आपको बताने ही वाला था के आप एकदम खिड़की खुलने की खुशी में , वो बस....नीचे उतरीं

और ये सब हो गया। सॉरी वो...मां



🌺
कैसा लगा अपडेट?
बेहतरीन शुरुआत
आशा है अपडेट लगातार मिलेंगे 👌👌
 

insotter

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🌺 Part - 2 🌺



अब मां ने मुझे पीछे किया और खुद गेट को खींच खींच कर खोलने की कोशिश करने लगी। मैं अब बाथरूम में मां के पीछे खड़ा था और मां मेरे आगे गेट खोल रही थी और वो जो नसीबदार टॉवल था जो मेरी मां के बदन में लिपटा था, बिचारा पीछे कमर से खुलता सा जा रहा था जैसे ही मां गेट पर जोर लगा रही थी। मैं शांति से खड़ा होकर मां को ऐसे देख रहा था और ये शायद पहली बार ही था के मां के कमर की वो सीधी लाइन बिना किसी कपड़े से ढके मुझे दिख रही थी।

बचपन में कभी दिखी हो तो पता नहीं पर आज दिख रही थी वो अलग ही एक ऐसा था मेरे लिए। इस वक्त तक तो मेरे मन में मां के लिए ऐसी वैसी कोई भी बात नहीं थी पर शायद अगले ही पलों में कुछ ऐसा होने वाला था जिसके बारे में मैनें शायद ही कभी सोचा हो भूले भटके।
मैं आराम से खड़ा होकर मां की देख रहा था । टॉवल उनकी कमर से खुला हुआ था जिसमे से उनके गोरे बदन की वो कमर की लकीर दिख रही थी जो उनकी गर्दन से शुरू होकर उनकी गांड तक जा रही थी। नीचे का हिस्सा भी कबीले तारीफ था। उस नीले पैटर्न वाले लोवर में मां की थोड़ी सी फूली हुई गांड हल्के हल्के से हिल रही थी जैसे ही मां आगे को जोर लगा रही थी।

मैं चुपचाप खड़ा होकर ये देख ही रहा था के मां की आवाज मेरे कानों में पड़ी - अब क्या करें चीकू, ये तो खुल ही नहीं रहा। ये क्या मुसीबत है।

मैं - रुको में देखता हुआ फिर से ट्राई करके।
मैनें फिर खोलने का ट्राई किया पर वो तो जैसे लॉक अटक गया था और अब तो सिर्फ किसी प्लास या पेचकस की मदद से खुलता या शायद बाहर वाली तरफ से। और बाहर की तरफ तो कोई था नहीं और ना ही हमारे पास अन्दर की और कोई ओजार था जिस से ये लॉक खुले।

वैसे ओजार तो एक था मेरे पास काले रंग का पर वो ओजार सिर्फ चूत और गांड के छेद खोलने के काम आता था ना कि किसी गेट के लॉक खोलने के। मैं जब ट्राई कर कर थक गया तो मां से बोला - ये नहीं खुलेगा अब मां।

मां - तो फिर अब? पड़ोस वाली भाभी को आवाज लगाऊं क्या ? वो खोल देंगी उनके पास चाबी है एक एक्स्ट्रा हमारे घर की।
मैं - हा देखो ट्राई करके।

मां - मैं कैसे लगाऊं , तु आवाज लगा, ये उपर वाली जाली से।
बाथरूम में ऊपर एक छोटी सी खिड़की थी जैसे एग्जास्ट फैन लगाने के लिए होती है। पर वो छोटी सी खिड़की अंदर से अभी बंद थी तो पहले किसी को ऊपर चढ़ कर उसे खोलना था फिर ही हमारी आवाज बाहर तक जा सकती थी और शायद सामने घर वाली आंटी गेट खोल देती हमारे घर का।
तो मां ने पहले तो आवाज लगाई - भाभी, भाभी, स्नेहा भाभी, स्नेहा भाभी।

पर आवाज लगाने पर कोई रेस्पॉन्स ना आया तो मैं मां से बोला - मां , ऊपर कांच वाली खिड़की बंद है, आपकी आवाज बाहर नहीं जाएगी, पहले वो खोलनी पड़ेगी।

मां - हां तो खोल जल्दी से, किसका इंतजार कर रहा है।
मैं - इतनी ऊपर हाथ थोड़ी जाएगा मेरा, या तो आप मुझे उठाओ फिट खिड़की खोलता हूं, या फिर मैं आपको उठाता हूं आप खोल देना।
मां - मैं कहां उठा पाऊंगी तुझे, इतना भारी है तु।
मैं - तो आओ फिर मैं उठाता हूं आपको।
मां - क्या मुसीबत है ये भी, एक तो इतनी ठंड लगने लग गई है अब और ऊपर से ये गेट भी अभी खराब होना था।
मैं - हम्मम।
मां - उठा लेगा मुझे?
मैं - हां, आप चिंता मत करो।

फिर मां दीवार के कोने में खिड़की के ठीक नीचे जा खड़ी हो गई और दोनों हाथों से टॉवल को अच्छे से पकड़ बोली - चल ध्यान से उठा अब, फिर खिड़की खोलती हूं

मैं आगे बढ़ हल्का सा नीचे झुका और उनके दोनों गोडों में अपनी पकड़ बना कर उन्हें ऊपर की और उठाने लगा। मां को पहली बार मैं ऐसे उठा रहा था वो भी लोवर में।

लोअर इतना सॉफ्ट सा सिल्की सा था के मेरे हाथ जैसे उसपर से फिसल से रहें हो। फिर मैं अपने मुंह को दूसरी तरफ मोड कर मां को ऊपर उठाकर कहा - खोलो अब मां, फटाफट।
मेरा मुंह अब ऐसे मुड़ा हुआ था के मेरा एक कान मां की उस सॉफ्ट सी गांड पा टच हुआ पड़ा था और मैं मां को उठाकर खड़ा था। तभी मां boli - थोड़ा और ऊपर कर हाथ नहीं जा रहा मेरा।

मैंने ये सुनते ही अपना मुंह मां को ऊपर देखने के लिए जैसे ही घुमाया के सीधा उनकी गांड के दरार में मेरा नाक सा रगड़ गया। उफ्फ उस पल की वो सॉफ्टनेस और खुशबू, क्या ही कहने, ये पहली बार था जिंदगी में के किसी लेडीज की गांड में मैनें अपना मुंह रखा हो एक बेहद आनन्द भरे पल का एहसास किया हो।

मैनें नाक को उनकी गांड की दरार से ऊपर की और ले जाते हुए होंठों को भी उस कोमल रास्ते का दर्शन करवाते हुए आगे के सामने नंगी कमर पाकर बोला - और कितना उठाऊं मां?

मां - मैं क्या करूं? हाथ ही नहीं पहुंचा मेरा।
मैं - रुको।
मैनें फिर अपनी कमर से एक हल्का सा झटका सा मारा और बाजुओं से जैसे मां को हल्का सा ऊपर की और उछाल कर थोड़ा पहले से ऊपर की और पकड़ कर बोला - अब देखो , पहुंचा हाथ?
मां - हां हां पहुंच गया।

फिर मां जैसे ही एक खिड़की खोलने लगी के उनका टॉवल सीधा नीचे सरक कर उनके पैरों में आ अटका। मैं ये देखकर जैसे एकदम हैरान सा ही हो गया। मां ने खिड़की खोली और बोली - खुल गई , खुल गई, शुक्र है ऊपर वाले का, नीचे कर चीकू खुल गई खिड़की।
मैनें जैसे ही उन्हें नीचे किया तो वो एक छोटी सी खिड़की खुलने के जैसे अचीवमेंट से खुश होकर मेरे गले लगी और बोली - अब आवाज लगाते हैं। पक्का खोल देगी आंटी अब।

मैं मां के उन मोटे मोटे चूचों को इतने नजदीक अपनी छाती के पास से फील करके सदमे में था के मां जैसे ही हटी के वो मोटे मोटे स्पंजी चूचों को देख मेरी नजर तो जैसे उन पर ही टिक गई। मां ने जैसे ही देखा तो वो तुरंत घूमी और बोली - हे भगवान , ये क्या, ये टॉवल, टॉवल कहां, टॉवल कहां, टॉवल टॉवल कब ये गिरा?????

मां हैरान होकर फट से टॉवल अपने से लपेट चुप चाप खड़ी हो गई।
मैं भी एकदम से बोला - मां वो, वो, ये टॉवल नीचे गिर गया था, सारी वो, आपको बताने ही वाला था के आप एकदम खिड़की खुलने की खुशी में , वो बस....नीचे उतरीं

और ये सब हो गया। सॉरी वो...मां



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कैसा लगा अपडेट?
Nice update
 

TheAdultWriter

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🌺 Part - 3 🌺



मां और मैं, हम दोनों करीब 1 मिनट तक यूंही चुप चाप खड़े रहे फिर मां बोली - हम्मम, ठीक ठीक, सॉरी बेटा वो मैं भी बस .....ये सब इतनी जल्दी में हो गया के बस वो..

मैं - हां मां , बस।
मां - हम्मम, चल छोड़ ये , देख अब खिड़की खुली है, लगा तो आंटी को आवाज जरा।
मैं - हां, लगाता हूं।

मैनें आंटी को आवाज लगाई, फिर पीछे पीछे मम्मी ने भी आवाज लगाई, पर कोई रिस्पॉन्स नहीं आया।

मैं - कहीं सो तो नहीं गए वो।
मैं - हो सकता है।
मां - टाइम क्या हुआ होगा अभी?

मैनें अपनी घड़ी देखी तो 11 : 17 हो रहे थे। मैनें मां को टाइम बताया तो मां बोली - अरे अब तक तो वो भी सो गए होंगे। ठंडी में तो सब ही जल्दी सो जाते हैं, वो तो तेरे पापा ने जाना था इसलिए हमें लेट हो गया सोने में , नहीं तो अब तक तो हम भी सो गए होते।

मैं - हां मां, फिर अब?
मां - अब क्या, ना फोन है, ना घर पर तेरे पापा हैं, और अब तो लगता है जब तक आंटी नहीं जगती तब तक यहीं ना रहना पड़े हमें।
मैं - हां शायद।
मां - ऊपर से ये इतनी ठंड लग रही है, मेरे तो कपड़े भी बाहर बैड पर ही पड़े थे।

मैं - हां मां, ठंड तो अब रात के साथ साथ और भी बढ़ती जाएगी।
मां - यही तो डर है मुझे, कहीं सुबह तक हमारी कुल्फी ना जम जाए, एक ये पतला सा लोअर ही डाल रखा है मैनें और उपर तो कुछ डाला भी नहीं।

मैं हंसने लगा और बोला - हां वो तो दिखा।
मां - चुप बदमाश, हम यहां फसे हैं और तु हस रहा है।मुझे तो लगता है ये मेरी जिंदगी की आखरी रात है।

मैं हंसी रोक कर - अरे क्या मां, आप भी ना, आखरी रात होगी, ऐसा क्यूं बोल रहे हो, मैं हूं ना आपके साथ, करते हैं कुछ ना कुछ।
मां - हां तु साथ है इस बात का तो मुझे ज्यादा डर है, मैं अकेली होती तो भी चल जाता। पर मेरा बेटा मेरे साथ ठंड में परेशान होगा पूरी रात इसका मुझे ज्यादा दुख है।

मैं मां के होंठों पर उंगली रख के बोला - क्या मां आप कैसी कैसी बाते करने लग गई हो एकदम ही।
मां - कैसी कैसी क्या सही तो बोल रहीं हूं, अगर तुझे इतनी ठंड में कुछ हो गया तो।

मैं - अरे मेरी प्यारी मां, कुछ नहीं होगा मुझे, आप हैं ना मेरे साथ।
मां - हम्मम, काश मैं अपने कपड़े तो कम से कम अंदर ही टांग लेती। थोड़ी ठंडी से तो बचती।

मैंने मां के ये सुनते ही अपनी सफेद टी शर्ट उतार कर मां को दी और बोला - लो मां ये डाल लो , कुछ तो फरक पड़ेगा ही इस से।
मां - पागल है तु, क्या कर रहा है, वापस पहन इसे।
मैं - अरे मां, आपका ख्याल रखना तो मेरा फर्ज है, अब चुपचाप डालो इसे , आपको मेरी कसम।
मां ने कसम का सुनके मेरे हाथ से वो टी- शर्ट पकड़ ली और बोली - ये आजाएगी मुझे?

मैं - हां ट्राई तो करो एक बार।
मां दूसरी तरफ घूमी और टॉवल उतार कर टी शर्ट डालने लगी। जैसे ही उन्होंने टॉवल उतारा उनकी पूरी नंगी पीठ मेरे सामने थी। हालांकि मैं उनके मोटे चूचों को तो एक पल के लिए पहले भी देख चुका था, पर ये उनकी गोरी पीठ के बीच से आती वो लकीर मुझे अपना दीवाना सा बना रही थी।

मां टी शर्ट डाल कर दूसरी तरफ मुंह कर कर ही बोली - ये टाइट है मुझे आगे से।

मैं - कोई नहीं मां, ठंड से तो बचाएगी ही।
मां - हा मुझे तो बचा लेगी, पर मेरे बच्चे को कौन बचाएगा।
मैं - आपको बचाया मुझे बचाया एक ही बात है मां।
मां ने टीशर्ट डाल कर फिर से ऊपर टॉवल ले लिया और मेरी ओर घूम कर बोली - इतनी समझदारी वाली बाते कब से करने लगा तू?
मैं - मैं समझदार ही हूं मां।

मां - हा हा, मेरे समझदार बेटे, अब तु ऐसे बनयान में रहेगा?
मैं - हां, फिर क्या हुआ, मुझे नहीं लगती ठंड इतनी जल्दी।
मैं - हु हु, मुझे तो ये डाल कर भी ठंड लगने लगी है और तु कह रहा है ठंड नहीं लगती।
मैं - हां मां।

मां - अब सुबह के 6-7 बजे तक ऐसे ही बाथरूम में रहना पड़ेगा लगता है, इतनी ठंडी में।
मैं - हां।

मां ने फिर साइड से वाइपर उठाया और नीचे फ्लोर को साफ करते हुए बोली - ये टाइल्स पर तो सोना भी मुश्किल है, इतनी ठंडी हैं ये।

मैं - हां , आप बैठ जाओ मां, अगर थक गई हो तो।
मां - नीचे कहां बैठूंगी बेटा अब?
मैं - अरे ये स्टूल है न छोटा सा नहाने वाला, इसपर ही बैठ जाओ।
मां - और तु?
मैं - मैं खड़ा हूं, कोई नहीं आप बैठो।

मां - नहीं नहीं, तु पागल है तूने पहले टी शर्ट भी मुझे उतार कर दे दी और अब बैठूं भी मैं, इतनी भी गंदी मां नहीं हूं मैं।
मैं - अरे क्या मां, कौन कहता है आप गंदी मां हो, आप तो दुनिया की सबसे अच्छी मां हो, चलो बैठ जाओ, थक जाओगे ऐसे तो पूरी रात।
मां - तु भी बैठ फिर।

मैं - चलो आप बैठो पहले, फिर मैं बैठता हूं।
मां स्टूल पर बैठ गई और मैं जैसे ही टाइल पर बैठा के एक सी की आवाज निकली मेरे मुंह से वो ठंडी की वजह से।

रजाई ओढ कर सोने वाली सर्दी में अगर आप कंबल ओढ कर सो जाओ तो भी ठंड से गांड फट जाती है वो भी कमरे में और यहां तो मां और मैं बाथरूम में वो भी बिना एक चद्दर के , सोचो हालत क्या हुई होगी हम दोनों की ठंड में।

अब मैं भी ठिठुरने सा लगा तो मां ने बोला - देखा कहा था ना ठंड लग जाएगी। इधर बैठ मेरी गोद में।
मैं - क्या गोद में?
मां - हां बैठ चुप चाप, पागल।

मैं मां की गोद में बैठा तो हल्का सा एक गर्माहट का एहसास सा हुआ मुझे। मां ने मेरे बैठते ही अपना टॉवल उतार कर मेरे शरीर पर लपेट दिया और बोली - ये डाल कर रख, ठंड कम लगेगी।




🎉Part - 4 ...
आज रात में


Part - 3 कैसा लगा जरूर कमेंट्स करके बताना...
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parkas

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🌺 Part - 3 🌺



मां और मैं, हम दोनों करीब 1 मिनट तक यूंही चुप चाप खड़े रहे फिर मां बोली - हम्मम, ठीक ठीक, सॉरी बेटा वो मैं भी बस .....ये सब इतनी जल्दी में हो गया के बस वो..

मैं - हां मां , बस।
मां - हम्मम, चल छोड़ ये , देख अब खिड़की खुली है, लगा तो आंटी को आवाज जरा।
मैं - हां, लगाता हूं।

मैनें आंटी को आवाज लगाई, फिर पीछे पीछे मम्मी ने भी आवाज लगाई, पर कोई रिस्पॉन्स नहीं आया।

मैं - कहीं सो तो नहीं गए वो।
मैं - हो सकता है।
मां - टाइम क्या हुआ होगा अभी?

मैनें अपनी घड़ी देखी तो 11 : 17 हो रहे थे। मैनें मां को टाइम बताया तो मां बोली - अरे अब तक तो वो भी सो गए होंगे। ठंडी में तो सब ही जल्दी सो जाते हैं, वो तो तेरे पापा ने जाना था इसलिए हमें लेट हो गया सोने में , नहीं तो अब तक तो हम भी सो गए होते।

मैं - हां मां, फिर अब?
मां - अब क्या, ना फोन है, ना घर पर तेरे पापा हैं, और अब तो लगता है जब तक आंटी नहीं जगती तब तक यहीं ना रहना पड़े हमें।
मैं - हां शायद।
मां - ऊपर से ये इतनी ठंड लग रही है, मेरे तो कपड़े भी बाहर बैड पर ही पड़े थे।

मैं - हां मां, ठंड तो अब रात के साथ साथ और भी बढ़ती जाएगी।
मां - यही तो डर है मुझे, कहीं सुबह तक हमारी कुल्फी ना जम जाए, एक ये पतला सा लोअर ही डाल रखा है मैनें और उपर तो कुछ डाला भी नहीं।

मैं हंसने लगा और बोला - हां वो तो दिखा।
मां - चुप बदमाश, हम यहां फसे हैं और तु हस रहा है।मुझे तो लगता है ये मेरी जिंदगी की आखरी रात है।

मैं हंसी रोक कर - अरे क्या मां, आप भी ना, आखरी रात होगी, ऐसा क्यूं बोल रहे हो, मैं हूं ना आपके साथ, करते हैं कुछ ना कुछ।
मां - हां तु साथ है इस बात का तो मुझे ज्यादा डर है, मैं अकेली होती तो भी चल जाता। पर मेरा बेटा मेरे साथ ठंड में परेशान होगा पूरी रात इसका मुझे ज्यादा दुख है।

मैं मां के होंठों पर उंगली रख के बोला - क्या मां आप कैसी कैसी बाते करने लग गई हो एकदम ही।
मां - कैसी कैसी क्या सही तो बोल रहीं हूं, अगर तुझे इतनी ठंड में कुछ हो गया तो।

मैं - अरे मेरी प्यारी मां, कुछ नहीं होगा मुझे, आप हैं ना मेरे साथ।
मां - हम्मम, काश मैं अपने कपड़े तो कम से कम अंदर ही टांग लेती। थोड़ी ठंडी से तो बचती।

मैंने मां के ये सुनते ही अपनी सफेद टी शर्ट उतार कर मां को दी और बोला - लो मां ये डाल लो , कुछ तो फरक पड़ेगा ही इस से।
मां - पागल है तु, क्या कर रहा है, वापस पहन इसे।
मैं - अरे मां, आपका ख्याल रखना तो मेरा फर्ज है, अब चुपचाप डालो इसे , आपको मेरी कसम।
मां ने कसम का सुनके मेरे हाथ से वो टी- शर्ट पकड़ ली और बोली - ये आजाएगी मुझे?

मैं - हां ट्राई तो करो एक बार।
मां दूसरी तरफ घूमी और टॉवल उतार कर टी शर्ट डालने लगी। जैसे ही उन्होंने टॉवल उतारा उनकी पूरी नंगी पीठ मेरे सामने थी। हालांकि मैं उनके मोटे चूचों को तो एक पल के लिए पहले भी देख चुका था, पर ये उनकी गोरी पीठ के बीच से आती वो लकीर मुझे अपना दीवाना सा बना रही थी।

मां टी शर्ट डाल कर दूसरी तरफ मुंह कर कर ही बोली - ये टाइट है मुझे आगे से।

मैं - कोई नहीं मां, ठंड से तो बचाएगी ही।
मां - हा मुझे तो बचा लेगी, पर मेरे बच्चे को कौन बचाएगा।
मैं - आपको बचाया मुझे बचाया एक ही बात है मां।
मां ने टीशर्ट डाल कर फिर से ऊपर टॉवल ले लिया और मेरी ओर घूम कर बोली - इतनी समझदारी वाली बाते कब से करने लगा तू?
मैं - मैं समझदार ही हूं मां।

मां - हा हा, मेरे समझदार बेटे, अब तु ऐसे बनयान में रहेगा?
मैं - हां, फिर क्या हुआ, मुझे नहीं लगती ठंड इतनी जल्दी।
मैं - हु हु, मुझे तो ये डाल कर भी ठंड लगने लगी है और तु कह रहा है ठंड नहीं लगती।
मैं - हां मां।

मां - अब सुबह के 6-7 बजे तक ऐसे ही बाथरूम में रहना पड़ेगा लगता है, इतनी ठंडी में।
मैं - हां।

मां ने फिर साइड से वाइपर उठाया और नीचे फ्लोर को साफ करते हुए बोली - ये टाइल्स पर तो सोना भी मुश्किल है, इतनी ठंडी हैं ये।

मैं - हां , आप बैठ जाओ मां, अगर थक गई हो तो।
मां - नीचे कहां बैठूंगी बेटा अब?
मैं - अरे ये स्टूल है न छोटा सा नहाने वाला, इसपर ही बैठ जाओ।
मां - और तु?
मैं - मैं खड़ा हूं, कोई नहीं आप बैठो।

मां - नहीं नहीं, तु पागल है तूने पहले टी शर्ट भी मुझे उतार कर दे दी और अब बैठूं भी मैं, इतनी भी गंदी मां नहीं हूं मैं।
मैं - अरे क्या मां, कौन कहता है आप गंदी मां हो, आप तो दुनिया की सबसे अच्छी मां हो, चलो बैठ जाओ, थक जाओगे ऐसे तो पूरी रात।
मां - तु भी बैठ फिर।

मैं - चलो आप बैठो पहले, फिर मैं बैठता हूं।
मां स्टूल पर बैठ गई और मैं जैसे ही टाइल पर बैठा के एक सी की आवाज निकली मेरे मुंह से वो ठंडी की वजह से।

रजाई ओढ कर सोने वाली सर्दी में अगर आप कंबल ओढ कर सो जाओ तो भी ठंड से गांड फट जाती है वो भी कमरे में और यहां तो मां और मैं बाथरूम में वो भी बिना एक चद्दर के , सोचो हालत क्या हुई होगी हम दोनों की ठंड में।

अब मैं भी ठिठुरने सा लगा तो मां ने बोला - देखा कहा था ना ठंड लग जाएगी। इधर बैठ मेरी गोद में।
मैं - क्या गोद में?
मां - हां बैठ चुप चाप, पागल।

मैं मां की गोद में बैठा तो हल्का सा एक गर्माहट का एहसास सा हुआ मुझे। मां ने मेरे बैठते ही अपना टॉवल उतार कर मेरे शरीर पर लपेट दिया और बोली - ये डाल कर रख, ठंड कम लगेगी।




🎉Part - 4 ...
आज रात में


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Nice and excellent update....
 
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