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हैलो दोस्तों आज मैं अपनी दूसरी कहानी लिखने जा रहा हूं, आशा करता हूं कि आपको मेरी पहली कहानी "मां के हाथ के छाले" की तरह ये भी पसंद आएगी। अपने विचार जरूर दें और जिसने पहली कहानी नहीं पढ़ी, एक बार जरूर पढ़े। Thankyou ![Red heart :heart: ❤️](https://cdn.jsdelivr.net/joypixels/assets/7.0/png/unicode/64/2764.png)
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मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर : पार्ट 2
दीदी के चले जाने के बाद मैनें मां से कहा : मां..
मां : है, क्या?
मैं: मां, जो आपने दीदी को बोला, वो सच है क्या?
मां : क्या?
मैं: वही के मैं 3 साल तक आपका....
मां : अच्छा वो, हां बिलकुल सच है
मैं: नहीं मां, मैं नहीं मानता, आप झूठ बोल रहे हो।
मां : अरे सच बोल रही हूं, तेरे पापा आएंगे ना तो उन्हीं से पूछ लेना बस।
मैं: नहीं, नहीं।
मां: क्यूं अब क्या हुआ?
मैं: मां, पापा से कैसे ये पूछूंगा?
मां : फिर मान ले जो मैं कह रही हूं
मैं: नहीं मां, मैं नहीं मान सकता इसे सच।
मां : अरे सच में तुने ऐसा किया है। अब कैसे यकीन दिलाऊं तुझे।
मैं: जब सच होगा तो दिलाओगे ना यकीन तो।
मां : अरे हां, जब तू 3 साल का था ना तो हम तेरी मोसी के यहां गए थे और तब तूने उनके घर पर जिद्द कर के मेरा दूध पीते वक्त मुझे काट लिया था गुस्से में। तु अपनी मोसी से पूछ लेना भले, पापा से नहीं पूछ सकता तो।
मैं: क्या सच में मां?
मां : ओर क्या, ले मैं तेरी मोसी से अभी बात करवा देती हूं।
मां ने मोसी को फोन मिलाया फिर 1 मिनट हाल चाल पूछने के बाद फोन स्पीकर पर रख कर बोली : अच्छा निशा ये ले गोलू से बात कर, इसने कुछ पूछना है तुझसे
मैं: नमस्ते मोसी, कैसी हो आप?
मोसी : नमस्ते गोलू, मैं ठीक हूं तु बता?
मैं: मैं भी अच्छा हूं मोसी
मोसी : क्या पूछना है तुझे मुझसे?
मैं: मोसी वो...वो दरअसल
मोसी : हां, क्या???
मां : अरे पूछ भी ले, क्यूं शर्मा रहा है।
मैं: वो वो...
मोसी : क्या हुआ? बोलो ना
मां : अरे निशा इसे ये बात के ये बचपन में कितना जिद्दी था।
मोसी : हां गोलू, बहुत जिद्दी था तु, बस यही पूछने के लिए फोन किया था?
मैं: नहीं मोसी वो, दरअसल...
मोसी : अरे गोलू, बोल ना क्या पूछना है , शर्मा रहा है क्या? कोई और बात है क्या? कोई गर्लफ्रेंड बना ली क्या? जो उसके बारे में कुछ पूछने में शर्मा रहा है।
इस बात पर हम तीनों हसने लगे और मां बोली : अरे निशा वो इसे आज मैंने बताया के ये 3 साल तक मेरा दूध पीता रहा और इसे लग रहा है के मैं झूठ बोल रही हूं।
मोसी तुरंत बोली : नहीं गोलू, बिलकुल भी झूठ नहीं है ये, दीदी एकदम सच बोल रही है।
मैं: नहीं मोसी, आप भी मां की बात में हां मिला रहे हो बस।
मोसी : अरे नहीं नहीं, सही कह रही है दीदी, तु सच में पिता था ।
मां: अच्छा निशा, तुझे वो याद है जब हम तेरे घर आए थे और इसने गुस्से में क्या किया था?
मोसी : हां दीदी वो कैसे भूल सकती हूं।
मां : हां , बता तो इसे जरा।
मोसी : अरे हुआ यूं के दीदी मार्केट गई थी सामान लेने तुझे मेरे पास सोता छोड़कर और तु जब उठा तो रोने लगा, तेरे रोने को चुप कराने का मेरे पास कोई तरीका था नहीं तो दीदी ने मुझसे कहा के तुझे मैं अपना दूध पिला दूं तो तू शायद चुप हो गए।
मैं: क्या सच में, आपने?
मोसी : ओर नहीं तो क्या, वो पहली बार था जब मैने तुझे दूध पिलाया था और है भगवान तूने तो मेरी जान ही निकाल दी थी , तभी मुझे वो दिन याद रह गया।
मैं: जान निकाल दी थी, वो कैसे?
मोसी : दूध चूस चूस कर, तु एक दम दबा दबा कर चूस रहा था और मेरे बच्चो ने कभी तेरी तरह इतना दबा कर दूध नहीं पिया था इसी लिए।
मैं: ओ, अच्छा।
मोसी : हां और फिर जब दीदी मार्केट से आई तो तू उनका पीने लगा और तूने उन्हे गुस्से में काट भी लिया था वहां पर।
मां : ले सुन ले हो गया यकीन अब।
मैं: हम्म, हां, हां मां।
मैनें अचानक ने फोन पर मोसी को बोला : सॉरी मोसी
मोसी : किस लिए?
मैं: वो मैनें आपको इतना परेशान किया, ओर दबा दबा कर दूध पिया इस लिए
ये सुनते ही मां ओर मोसी हसने लगे और मां बोली : अब सॉरी बोलने से क्या होगा, उस वक्त बोलना था ना।
मैं: उस वक्त मुझे पता थोड़ी था ये सब।
मां : हां तो अब कोनसा तु मोसी का दूध पी रहा है जो उन्हे सॉरी बोल रहा है।
इस पर हम तीनों हसने लगे और मैं बोला : हां, नहीं पी रहा पर सॉरी तो बनता है ना।
मां : अच्छा जी, जिस मां को तूने काटा उन्हे सॉरी नहीं बोला और मोसी को पहले ही सॉरी बोल दिया, वाह बेटा मोसी से ज्यादा प्यार करता है तु।
मैं: नहीं मां, सॉरी आपको , मैनें आपको गुस्से में काटा उसके लिए।
मैं भोला बनते हुए बोला : मां, आपको दर्द तो नहीं हो रहा वो काटने से?
मां और मोसी हस्ते हुए : लो दीदी कर लो बात, ये हमारा गोलू जितना बचपन में जिद्दी था अब बड़ा होकर उतना ही भोला बन गया है। अब पूछ रहा है आपसे दर्द का, इतने सालो बाद।
मां : हां, अब तक तो वो काटने का निशान भी चला गया होगा , बेटा जी
मोसी : सही कहा दीदी।
मां : हां, ओर वैसे भी मैं किसी का सॉरी नहीं लेती बेवजह।
मोसी : और मैं भी दीदी, गोलू वो बचपन की बात थी बेटा, अगर तूने अब दबा कर चूसा होता और फिर सॉरी बोला होता तो मैं तेरा सॉरी ले भी लेती पर वो बचपन का सॉरी कैसे ले सकती हूं अब।
इस बात पर मां हसने लगी और मोसी सोचने लगी के ये मैं क्या बोल गई।
मां भी मजा लेते हुए बोली: हां गोलू, जा मोसी का दूध पी ले दबा के और फिर सॉरी बोल देना, फिर मोसी ले लेगी।
मोसी हस्ते हुए नॉटी अंदाज में : क्या ले लेगी दीदी?
मां भी हस्ते हुए : अरे सॉरी ले लेगी और क्या....
मैं हैरान नहीं था मां ओर मोसी की ऐसी बातें सुनकर , वो अक्सर यूंही खुलकर सहेलियों की तरह बाते किया करती थी।
मोसी : अच्छा अच्छा सॉरी
मां: हां।
मोसी : ओर दीदी, आप भी सॉरी मत लेना ऐसे, इसने कोई आपको अब थोड़ी चूसते हुए काटा है, जो आप इसका सॉरी अब लें।
मां : हां, सही बात है।
मैं: तो आप दोनो क्या चाहती हैं, मैं फिर से वो गलती करूं और फिर आपसे माफी मांगूं?
मोसी : मेरी तरफ से तो कोई मनाही नहीं है।
मां : चुप कर बदमाश कहीं की