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Romance मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर

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sahilgarg6065

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मां का "दूध छुड़वाने से चुस्वाने" तक का सफर : पार्ट 4
फिर अगले दिन की सुबह मेरी लेट आंख खुली। आंख खुलते ही वो रात का सीन मेरी आखों के सामने फिर आ गया और लोड़ा खड़ा हो गया। लोड़े को सैट करके मैं बाथरूम में घुसा, फ्रैश होकर रूम से निकल कर मां को आवाज लगाई
मैं: मां, कहां हो आप?
मां: यहां किचन में हूं बेटा।
मैं: गुड मार्निंग मां
मां : गुड मॉर्निंग बेटा।
मैं: मां पापा कहां है?
मां : वो तो अभी निकले काम के लिए, तु घड़ी देख पहले, आज लेट उठा है तु इतना।
मैनें वक्त देखा तो 10 बज चुके थे। फिर मैं बोला : ओ हां, आज थोड़ा लेट हो गया मां।
मां : हां, चल ब्रश करले फिर साथ मिलकर नाश्ता करते हैं, मैनें भी अभी नहीं किया।
मैं: ठीक है मां।
ऐसे बोलकर मैं ब्रश करने चला गया। ब्रश कर कर आया तो मां फ्रिज खोलकर नीचे घोड़ी की तरह बनकर झुकी हुई फ्रिज के निचले शैल्फ में से सामान उठा रही थी। मां को ऐसा झुका हुआ देखकर आज पहली बार था के मेरे मन में कुछ खुराफाती विचार आ रहा था। मन कर रहा था के मां की पजामी को नीचे उतारूं और उनकी गांड़ में अपना मुंह दे कर चाटने लग जाऊं।
हमारा फ्रिज किचन के अंदर घुसते ही साइड में रखा था और मां के इस तरह खड़े होने से अंदर जाने का थोड़ा सा ही रास्ता बचा हुआ था तो मैनें सोचा क्यूं ना इसी बात का फायदा उठाया जाए और आज मां की गांड़ का एहसास कर लिया जाए। मैनें भी मां के खड़े होने से पहले ही उनकी गांड़ के पीछे से गुजरने के बहाने से अपना शरीर उनसे थोड़ा सा रगड़ा। मां ने कुछ भी नहीं बोला और ना ही कोई प्रतिक्रिया की। फिर मैं किचन में घुस कर इधर उधर यूंही समान देखने लगा और बोला : मां, क्या बनाया है नाश्ते में आज?
मां उठी और बोली : आज तो पोहा बनाया है बेटा।
मैं: बहुत भूख लगी है मां, दे दो जल्दी से।
मां : हां देती हूं।
मैं और मां फिर बाहर सोफे पर बैठे और पोहा खाने लगे के मैनें मां से कहा : अच्छा मां ,एक बात तो बताओ
मां: क्या ?
मैं: क्या मैनें सच में बचपन में दबा दबा कर दूध पिया करता था जैसा मोसी बोली कल?
मां : ओर नहीं तो क्या.. वो तो मैं थी जो तुझे ओट लेती थी, कोई और होती मेरी जगह तो शायद तुझे दूध पिलाती ही नहीं कभी।
मैं: ऐसा क्यूं मां?
मां : तु था ही इतना हेल्दी बचपन में के किसी का भी दूध पीते वक्त हाय निकलवा देता।
मैं: अच्छा सच्ची मां?
मां : हां ओर क्या, तेरी मोसी ने तो तुझे एक ही बार पिलाया था और बेचारी की जान निकाल दी थी तूने?
मां ओर मैं हसने लगे और मां फिर बोली : पता है क्या, तु एक को हाथ से दबाता रहता था और दूसरे को कस के पकड़ कर चूसता रहता था।
मैं: हां मां। और मैं इतना हेल्दी कैसे हो गया था मां बचपन में?
मां : शायद तु तीन साल तक दूध पीता रहा मेरा बाकी बच्चो के मुकाबले इसी लिए ऐसा हो गया।
मैं: तो इसमें तो फिर आपका ही दोष है, आपके दूध की वजह से ही हुआ था मैं इस वक्त हेल्दी।
मां : लो कर लो बात, अब इसमें भी मेरा ही दोष है, दूध पीना छोड़ा तूने नहीं और दोष मुझे दे रहा है।
मैं: हां हां, आप जानो अब
मां: तु अपने आप को अब देखिओ जरा, कितना कमजोर हो गया है पहले से।
मैं: हां मां, अब मुझे दूध नहीं मिलता ना पीने के लिए शायद इसलिए।
मां : अच्छा जी, तुझे भी बाते बनानी आ गई है अब, सही है बेटा , सही है।
मैं और मां हसने लगे और मैं बोला : तो सच ही तो है मां ये बात, आप बताओ।
मां : क्यूं नहीं मिलता तुझे दूध, पीता तो है डेली तु।
मैं: मां पर वो तो दूसरा होता है ना।
मां : दूध तो दूध ही होता है बेटा, ये दूसरा पहला क्या होता है।
मैं: नहीं मां फर्क होता है सब में।
मां : हां, ठीक है चल होता होगा।, तु क्या चाहता है अब मैं तुझे अपना दूध पिलाऊ तेरी सेहत बनाने के लिए, लुच्चे कहीं के।
मां ऐसा बोलते ही हसने लगी और फिर बोली : पता नहीं एग्जाम की टेंशन तेरे सर से उतरने के बाद तेरे मन में क्या क्या आ रहा है।
मैं: तो इसमें क्या है मां, आप मेरी मां हो , मैं आपका बेटा हूं, मां तो अपने बेटे को दूध पिलाती ही है ना।
मां : हां तब बेटे को पिलाती है जब वो उसकी गोद में आता है, ना की तब जब मां बेटे की गोद में आने की उम्र की हो जाए।
मैं: तो मां , आप मेरी गोद में आना चाहते हो तो मेरी में आकर पिला देना।
अब माहोल ऐसा था के मेरे मन में मां के प्रति खुले विचार आ रहे थे और मैं बिना ज्यादा सोचे बेफिक्र होकर मां से बाते कर रहा था और मां भी आना कानी करते करते मजे में बाते कर रही थी।
मां : हां, ऐसा करती हूं, मैं तेरी गोद में आ जाती हूं, तु मुझे अपना दूध पिला दे।
ऐसा बोलते ही हम दोनो तेज तेज हसने लगे और ये सुनकर मेरी तो हंसी ही नहीं रुकी और मैं भी बातों के मजे लेते लेते बोला : ठीक है मां, आ जाओ, आज मैं आपको अपना दूध पिलाता हूं।
 

ashik awara

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मां का "दूध छुड़वाने से चुस्वाने" तक का सफर : पार्ट 4
फिर अगले दिन की सुबह मेरी लेट आंख खुली। आंख खुलते ही वो रात का सीन मेरी आखों के सामने फिर आ गया और लोड़ा खड़ा हो गया। लोड़े को सैट करके मैं बाथरूम में घुसा, फ्रैश होकर रूम से निकल कर मां को आवाज लगाई
मैं: मां, कहां हो आप?
मां: यहां किचन में हूं बेटा।
मैं: गुड मार्निंग मां
मां : गुड मॉर्निंग बेटा।
मैं: मां पापा कहां है?
मां : वो तो अभी निकले काम के लिए, तु घड़ी देख पहले, आज लेट उठा है तु इतना।
मैनें वक्त देखा तो 10 बज चुके थे। फिर मैं बोला : ओ हां, आज थोड़ा लेट हो गया मां।
मां : हां, चल ब्रश करले फिर साथ मिलकर नाश्ता करते हैं, मैनें भी अभी नहीं किया।
मैं: ठीक है मां।
ऐसे बोलकर मैं ब्रश करने चला गया। ब्रश कर कर आया तो मां फ्रिज खोलकर नीचे घोड़ी की तरह बनकर झुकी हुई फ्रिज के निचले शैल्फ में से सामान उठा रही थी। मां को ऐसा झुका हुआ देखकर आज पहली बार था के मेरे मन में कुछ खुराफाती विचार आ रहा था। मन कर रहा था के मां की पजामी को नीचे उतारूं और उनकी गांड़ में अपना मुंह दे कर चाटने लग जाऊं।
हमारा फ्रिज किचन के अंदर घुसते ही साइड में रखा था और मां के इस तरह खड़े होने से अंदर जाने का थोड़ा सा ही रास्ता बचा हुआ था तो मैनें सोचा क्यूं ना इसी बात का फायदा उठाया जाए और आज मां की गांड़ का एहसास कर लिया जाए। मैनें भी मां के खड़े होने से पहले ही उनकी गांड़ के पीछे से गुजरने के बहाने से अपना शरीर उनसे थोड़ा सा रगड़ा। मां ने कुछ भी नहीं बोला और ना ही कोई प्रतिक्रिया की। फिर मैं किचन में घुस कर इधर उधर यूंही समान देखने लगा और बोला : मां, क्या बनाया है नाश्ते में आज?
मां उठी और बोली : आज तो पोहा बनाया है बेटा।
मैं: बहुत भूख लगी है मां, दे दो जल्दी से।
मां : हां देती हूं।
मैं और मां फिर बाहर सोफे पर बैठे और पोहा खाने लगे के मैनें मां से कहा : अच्छा मां ,एक बात तो बताओ
मां: क्या ?
मैं: क्या मैनें सच में बचपन में दबा दबा कर दूध पिया करता था जैसा मोसी बोली कल?
मां : ओर नहीं तो क्या.. वो तो मैं थी जो तुझे ओट लेती थी, कोई और होती मेरी जगह तो शायद तुझे दूध पिलाती ही नहीं कभी।
मैं: ऐसा क्यूं मां?
मां : तु था ही इतना हेल्दी बचपन में के किसी का भी दूध पीते वक्त हाय निकलवा देता।
मैं: अच्छा सच्ची मां?
मां : हां ओर क्या, तेरी मोसी ने तो तुझे एक ही बार पिलाया था और बेचारी की जान निकाल दी थी तूने?
मां ओर मैं हसने लगे और मां फिर बोली : पता है क्या, तु एक को हाथ से दबाता रहता था और दूसरे को कस के पकड़ कर चूसता रहता था।
मैं: हां मां। और मैं इतना हेल्दी कैसे हो गया था मां बचपन में?
मां : शायद तु तीन साल तक दूध पीता रहा मेरा बाकी बच्चो के मुकाबले इसी लिए ऐसा हो गया।
मैं: तो इसमें तो फिर आपका ही दोष है, आपके दूध की वजह से ही हुआ था मैं इस वक्त हेल्दी।
मां : लो कर लो बात, अब इसमें भी मेरा ही दोष है, दूध पीना छोड़ा तूने नहीं और दोष मुझे दे रहा है।
मैं: हां हां, आप जानो अब
मां: तु अपने आप को अब देखिओ जरा, कितना कमजोर हो गया है पहले से।
मैं: हां मां, अब मुझे दूध नहीं मिलता ना पीने के लिए शायद इसलिए।
मां : अच्छा जी, तुझे भी बाते बनानी आ गई है अब, सही है बेटा , सही है।
मैं और मां हसने लगे और मैं बोला : तो सच ही तो है मां ये बात, आप बताओ।
मां : क्यूं नहीं मिलता तुझे दूध, पीता तो है डेली तु।
मैं: मां पर वो तो दूसरा होता है ना।
मां : दूध तो दूध ही होता है बेटा, ये दूसरा पहला क्या होता है।
मैं: नहीं मां फर्क होता है सब में।
मां : हां, ठीक है चल होता होगा।, तु क्या चाहता है अब मैं तुझे अपना दूध पिलाऊ तेरी सेहत बनाने के लिए, लुच्चे कहीं के।
मां ऐसा बोलते ही हसने लगी और फिर बोली : पता नहीं एग्जाम की टेंशन तेरे सर से उतरने के बाद तेरे मन में क्या क्या आ रहा है।
मैं: तो इसमें क्या है मां, आप मेरी मां हो , मैं आपका बेटा हूं, मां तो अपने बेटे को दूध पिलाती ही है ना।
मां : हां तब बेटे को पिलाती है जब वो उसकी गोद में आता है, ना की तब जब मां बेटे की गोद में आने की उम्र की हो जाए।
मैं: तो मां , आप मेरी गोद में आना चाहते हो तो मेरी में आकर पिला देना।
अब माहोल ऐसा था के मेरे मन में मां के प्रति खुले विचार आ रहे थे और मैं बिना ज्यादा सोचे बेफिक्र होकर मां से बाते कर रहा था और मां भी आना कानी करते करते मजे में बाते कर रही थी।
मां : हां, ऐसा करती हूं, मैं तेरी गोद में आ जाती हूं, तु मुझे अपना दूध पिला दे।
ऐसा बोलते ही हम दोनो तेज तेज हसने लगे और ये सुनकर मेरी तो हंसी ही नहीं रुकी और मैं भी बातों के मजे लेते लेते बोला : ठीक है मां, आ जाओ, आज मैं आपको अपना दूध पिलाता हूं।
क्या बात हे साहिल जी माँ के छाले से दूध पीने तक आगे क्या
 

sahilgarg6065

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मां का दूध छुड़वाने से चुस्वाने तक का सफर : पार्ट 5

मां : गोलू इतना शैतान हो गया है ना तु, तुझे गाली देने का मन कर रहा है ।
मैं: आपको आती है गाली?
मां : हां आती है ना।
मैं: कोन सी?
मां : बहुत सारी आती है, जब बचपन में मेरी ओर तेरी मोसी की कभी लड़ाई हो जाती थी ना तो हम एक दूसरे को दिया करते थे।
मैं: अच्छा मां, कोन कोन सी
मां : बस थी काफी सारी
मैं: अच्छा, तो क्या अब आप मुझे दोगी?
मां ये सुनते ही हैरान होकर मन में सोचने लगी के ये क्या मांग रहा है मुझसे और बोली : क्या दूंगी?
मां तो ऐसे हैरान हो गई के मैनें जैसे उनकी चूत मांग ली हो उनसे।
मैंने मां की बात का तुरंत जवाब दिया : अरे मां, गाली, आप कह रही थी ना अभी के तुझे गाली देने का मन कर रहा है, तो वो पूछ रहा था मैं, के क्या आप दोगी मुझे गाली?
मां : नहीं नहीं तुझे क्यूं दूंगी, वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी।
मैं: अच्छा तो फिर आओगी मेरी गोदी में?
मां : अच्छा जी, ज्यादा मस्ती सूझ रही है तुझे, मां को गोदी में सुलाना चाहता है अपनी
मैं: हां मां, आओ ना, अब तुम तो मुझे दूध पिला नहीं रही तो मैं ही तुम्हे पिला देता हूं।
मां हस्ते हुए : देखो तो कह तो ऐसे रहा है जैसे तेरा दूध सच में आता हो और मुझे तु पिला दे।
मैं: मां आता तो नहीं है मेरा, पर अगर आप चूसो तो क्या पता शायद आ ही जाए।
मां ओर मैं दोनो हसने लगे और खुल के बातों के मजे लेने लगे। अब हमारी बातें धीरे धीरे डबल मीनिंग होती जा रही थी।
मां : हां, चल ले मैं भी देखती हूं कितना दूध आता है तेरा। ले चल पिला मुझे।
मां के मुंह से ये सुनते ही मैं हंसा और मां ने फट से मेरे हाथ से पलेट पकड़ी और टेबल पर रख कर मुझे कहा : ले बैठ सही तरह सोफे पर, मैं लेटती हूं तेरी गोद में, मैं भी तो देखूं कितना दूध पिलाता है आज तू अपनी मां को।
मैं भी हस्ते हस्ते बड़े वाले सोफे पर साइड में जा बैठा और मां मेरे बैठते ही सोफे पर टांगे ऊपर करके मेरी गोद में सिर रख के मुझे स्माइल देते देते देखने लगी और बोली : चलो मेरी भोलू मम्मी, पिलाओ मुझे दूध, भूख लगी है।
हम दोनो हसने लगे और मां ने एकदम से मेरी शर्ट ऊपर उठाई और अपना मुंह ऊपर करके बोली : पिलाओ ना दूध अब।
मैं हैरान सा हो गया और मां के इसे कारनामे के मजे लेने लगा और उनका सिर पकड़ कर अपने निप्पल पर लगाने लगा। पता तो हम दोनों को ही था के ये दूध का आना पॉसिबल नहीं है पर शायद हम दोनों बातों की मस्ती में कुछ भी किए जा रहे थे।
फिर मां ने जैसे ही मेरे निप्पल को चूसा, मेरे पूरे शरीर को मानों एक झटका सा लगा हो, पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा और मां भी मस्ती में आ गई। 2 मिनट यूंही चूसने के बाद उनके होंटों की लिपस्टिक मेरी चैस्त पर लग गई और वो अपना मुंह वहा से हटा कर बोली : इसमें से तो दूध ही नहीं आ रहा भोलू, अब बोल, तु कह रहा था कोशिश करो शायद आ जाए।
मैं: हां मां , शायद ये दूध कहीं और से ही आना चाहता है।
मैनें मां को उनके बूब्स से आने वाले दूध के बारे में कहा और वो ये सुनते ही बोली
मां: नहीं नहीं ये अब वहां से भी नहीं आता
मैं: क्यूं मां?
मां : क्यूं क्या?, ये जब अंदर बनता है तो ही आता है।
मैं: तो क्या अब आपका दूध बनता नहीं है?
मां : नहीं बेटा , अब नहीं बनता
मैं: क्यूं मां, क्या उम्र के साथ ऐसा होता है?
मां : हां उम्र के साथ भी होता है और भी कई कारण होते हैं इसके।
मैं: और कोन से कारण मां?
मां मेरी गोद में ही लेटी लेटी बोली : और जब पति पत्नी प्यार करना बंद कर देते हैं तो शरीर में ये सब होना भी वक्त के साथ बंद हो जाता है।
मां की इस बात ने मुझे ये तो बता दिया था के अब वो सैक्स नहीं करती हैं पापा से। शायद पापा का अब सैक्स में मन खत्म हो गया था। अब मैं मां के मन की बात जानना चाहता था के क्या मां का अभी भी मन करता है सेक्स करने का या नहीं। तो मैंने यूंही मां को उनकी बात पर पूछा : तो क्या अब पापा आपसे प्यार नहीं करते?
मां : हम्म्म, वो प्यार तो करते हैं पर...
मैं : पर क्या मां?
मां : कुछ नहीं छोड़ ये सब
मैं: ओर आप का मन भी नहीं करता क्या प्यार करने का?
मां : करता तो है , पर...
मैं: पर क्या मां?।
मां : कुछ नहीं, छोड़ ये सब, तेरी बातों के चक्कर में मेरा घर का सारा काम रह गया। यूंही तेरे साथ बैठी रही तो सारा काम भी बीच में रह जाएगा।
मां फिर उठी और वहां से जाने लगी
 

ashik awara

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मां का दूध छुड़वाने से चुस्वाने तक का सफर : पार्ट 5

मां : गोलू इतना शैतान हो गया है ना तु, तुझे गाली देने का मन कर रहा है ।
मैं: आपको आती है गाली?
मां : हां आती है ना।
मैं: कोन सी?
मां : बहुत सारी आती है, जब बचपन में मेरी ओर तेरी मोसी की कभी लड़ाई हो जाती थी ना तो हम एक दूसरे को दिया करते थे।
मैं: अच्छा मां, कोन कोन सी
मां : बस थी काफी सारी
मैं: अच्छा, तो क्या अब आप मुझे दोगी?
मां ये सुनते ही हैरान होकर मन में सोचने लगी के ये क्या मांग रहा है मुझसे और बोली : क्या दूंगी?
मां तो ऐसे हैरान हो गई के मैनें जैसे उनकी चूत मांग ली हो उनसे।
मैंने मां की बात का तुरंत जवाब दिया : अरे मां, गाली, आप कह रही थी ना अभी के तुझे गाली देने का मन कर रहा है, तो वो पूछ रहा था मैं, के क्या आप दोगी मुझे गाली?
मां : नहीं नहीं तुझे क्यूं दूंगी, वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी।
मैं: अच्छा तो फिर आओगी मेरी गोदी में?
मां : अच्छा जी, ज्यादा मस्ती सूझ रही है तुझे, मां को गोदी में सुलाना चाहता है अपनी
मैं: हां मां, आओ ना, अब तुम तो मुझे दूध पिला नहीं रही तो मैं ही तुम्हे पिला देता हूं।
मां हस्ते हुए : देखो तो कह तो ऐसे रहा है जैसे तेरा दूध सच में आता हो और मुझे तु पिला दे।
मैं: मां आता तो नहीं है मेरा, पर अगर आप चूसो तो क्या पता शायद आ ही जाए।
मां ओर मैं दोनो हसने लगे और खुल के बातों के मजे लेने लगे। अब हमारी बातें धीरे धीरे डबल मीनिंग होती जा रही थी।
मां : हां, चल ले मैं भी देखती हूं कितना दूध आता है तेरा। ले चल पिला मुझे।
मां के मुंह से ये सुनते ही मैं हंसा और मां ने फट से मेरे हाथ से पलेट पकड़ी और टेबल पर रख कर मुझे कहा : ले बैठ सही तरह सोफे पर, मैं लेटती हूं तेरी गोद में, मैं भी तो देखूं कितना दूध पिलाता है आज तू अपनी मां को।
मैं भी हस्ते हस्ते बड़े वाले सोफे पर साइड में जा बैठा और मां मेरे बैठते ही सोफे पर टांगे ऊपर करके मेरी गोद में सिर रख के मुझे स्माइल देते देते देखने लगी और बोली : चलो मेरी भोलू मम्मी, पिलाओ मुझे दूध, भूख लगी है।
हम दोनो हसने लगे और मां ने एकदम से मेरी शर्ट ऊपर उठाई और अपना मुंह ऊपर करके बोली : पिलाओ ना दूध अब।
मैं हैरान सा हो गया और मां के इसे कारनामे के मजे लेने लगा और उनका सिर पकड़ कर अपने निप्पल पर लगाने लगा। पता तो हम दोनों को ही था के ये दूध का आना पॉसिबल नहीं है पर शायद हम दोनों बातों की मस्ती में कुछ भी किए जा रहे थे।
फिर मां ने जैसे ही मेरे निप्पल को चूसा, मेरे पूरे शरीर को मानों एक झटका सा लगा हो, पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा और मां भी मस्ती में आ गई। 2 मिनट यूंही चूसने के बाद उनके होंटों की लिपस्टिक मेरी चैस्त पर लग गई और वो अपना मुंह वहा से हटा कर बोली : इसमें से तो दूध ही नहीं आ रहा भोलू, अब बोल, तु कह रहा था कोशिश करो शायद आ जाए।
मैं: हां मां , शायद ये दूध कहीं और से ही आना चाहता है।
मैनें मां को उनके बूब्स से आने वाले दूध के बारे में कहा और वो ये सुनते ही बोली
मां: नहीं नहीं ये अब वहां से भी नहीं आता
मैं: क्यूं मां?
मां : क्यूं क्या?, ये जब अंदर बनता है तो ही आता है।
मैं: तो क्या अब आपका दूध बनता नहीं है?
मां : नहीं बेटा , अब नहीं बनता
मैं: क्यूं मां, क्या उम्र के साथ ऐसा होता है?
मां : हां उम्र के साथ भी होता है और भी कई कारण होते हैं इसके।
मैं: और कोन से कारण मां?
मां मेरी गोद में ही लेटी लेटी बोली : और जब पति पत्नी प्यार करना बंद कर देते हैं तो शरीर में ये सब होना भी वक्त के साथ बंद हो जाता है।
मां की इस बात ने मुझे ये तो बता दिया था के अब वो सैक्स नहीं करती हैं पापा से। शायद पापा का अब सैक्स में मन खत्म हो गया था। अब मैं मां के मन की बात जानना चाहता था के क्या मां का अभी भी मन करता है सेक्स करने का या नहीं। तो मैंने यूंही मां को उनकी बात पर पूछा : तो क्या अब पापा आपसे प्यार नहीं करते?
मां : हम्म्म, वो प्यार तो करते हैं पर...
मैं : पर क्या मां?
मां : कुछ नहीं छोड़ ये सब
मैं: ओर आप का मन भी नहीं करता क्या प्यार करने का?
मां : करता तो है , पर...
मैं: पर क्या मां?।
मां : कुछ नहीं, छोड़ ये सब, तेरी बातों के चक्कर में मेरा घर का सारा काम रह गया। यूंही तेरे साथ बैठी रही तो सारा काम भी बीच में रह जाएगा।
मां फिर उठी और वहां से जाने लगी
कहानी का आरंभ अच्छा हे जारी रखिये , हिंदी में ही और लिखते रहिये
 

Ajju Landwalia

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मां का दूध छुड़वाने से चुस्वाने तक का सफर : पार्ट 5

मां : गोलू इतना शैतान हो गया है ना तु, तुझे गाली देने का मन कर रहा है ।
मैं: आपको आती है गाली?
मां : हां आती है ना।
मैं: कोन सी?
मां : बहुत सारी आती है, जब बचपन में मेरी ओर तेरी मोसी की कभी लड़ाई हो जाती थी ना तो हम एक दूसरे को दिया करते थे।
मैं: अच्छा मां, कोन कोन सी
मां : बस थी काफी सारी
मैं: अच्छा, तो क्या अब आप मुझे दोगी?
मां ये सुनते ही हैरान होकर मन में सोचने लगी के ये क्या मांग रहा है मुझसे और बोली : क्या दूंगी?
मां तो ऐसे हैरान हो गई के मैनें जैसे उनकी चूत मांग ली हो उनसे।
मैंने मां की बात का तुरंत जवाब दिया : अरे मां, गाली, आप कह रही थी ना अभी के तुझे गाली देने का मन कर रहा है, तो वो पूछ रहा था मैं, के क्या आप दोगी मुझे गाली?
मां : नहीं नहीं तुझे क्यूं दूंगी, वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी।
मैं: अच्छा तो फिर आओगी मेरी गोदी में?
मां : अच्छा जी, ज्यादा मस्ती सूझ रही है तुझे, मां को गोदी में सुलाना चाहता है अपनी
मैं: हां मां, आओ ना, अब तुम तो मुझे दूध पिला नहीं रही तो मैं ही तुम्हे पिला देता हूं।
मां हस्ते हुए : देखो तो कह तो ऐसे रहा है जैसे तेरा दूध सच में आता हो और मुझे तु पिला दे।
मैं: मां आता तो नहीं है मेरा, पर अगर आप चूसो तो क्या पता शायद आ ही जाए।
मां ओर मैं दोनो हसने लगे और खुल के बातों के मजे लेने लगे। अब हमारी बातें धीरे धीरे डबल मीनिंग होती जा रही थी।
मां : हां, चल ले मैं भी देखती हूं कितना दूध आता है तेरा। ले चल पिला मुझे।
मां के मुंह से ये सुनते ही मैं हंसा और मां ने फट से मेरे हाथ से पलेट पकड़ी और टेबल पर रख कर मुझे कहा : ले बैठ सही तरह सोफे पर, मैं लेटती हूं तेरी गोद में, मैं भी तो देखूं कितना दूध पिलाता है आज तू अपनी मां को।
मैं भी हस्ते हस्ते बड़े वाले सोफे पर साइड में जा बैठा और मां मेरे बैठते ही सोफे पर टांगे ऊपर करके मेरी गोद में सिर रख के मुझे स्माइल देते देते देखने लगी और बोली : चलो मेरी भोलू मम्मी, पिलाओ मुझे दूध, भूख लगी है।
हम दोनो हसने लगे और मां ने एकदम से मेरी शर्ट ऊपर उठाई और अपना मुंह ऊपर करके बोली : पिलाओ ना दूध अब।
मैं हैरान सा हो गया और मां के इसे कारनामे के मजे लेने लगा और उनका सिर पकड़ कर अपने निप्पल पर लगाने लगा। पता तो हम दोनों को ही था के ये दूध का आना पॉसिबल नहीं है पर शायद हम दोनों बातों की मस्ती में कुछ भी किए जा रहे थे।
फिर मां ने जैसे ही मेरे निप्पल को चूसा, मेरे पूरे शरीर को मानों एक झटका सा लगा हो, पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा और मां भी मस्ती में आ गई। 2 मिनट यूंही चूसने के बाद उनके होंटों की लिपस्टिक मेरी चैस्त पर लग गई और वो अपना मुंह वहा से हटा कर बोली : इसमें से तो दूध ही नहीं आ रहा भोलू, अब बोल, तु कह रहा था कोशिश करो शायद आ जाए।
मैं: हां मां , शायद ये दूध कहीं और से ही आना चाहता है।
मैनें मां को उनके बूब्स से आने वाले दूध के बारे में कहा और वो ये सुनते ही बोली
मां: नहीं नहीं ये अब वहां से भी नहीं आता
मैं: क्यूं मां?
मां : क्यूं क्या?, ये जब अंदर बनता है तो ही आता है।
मैं: तो क्या अब आपका दूध बनता नहीं है?
मां : नहीं बेटा , अब नहीं बनता
मैं: क्यूं मां, क्या उम्र के साथ ऐसा होता है?
मां : हां उम्र के साथ भी होता है और भी कई कारण होते हैं इसके।
मैं: और कोन से कारण मां?
मां मेरी गोद में ही लेटी लेटी बोली : और जब पति पत्नी प्यार करना बंद कर देते हैं तो शरीर में ये सब होना भी वक्त के साथ बंद हो जाता है।
मां की इस बात ने मुझे ये तो बता दिया था के अब वो सैक्स नहीं करती हैं पापा से। शायद पापा का अब सैक्स में मन खत्म हो गया था। अब मैं मां के मन की बात जानना चाहता था के क्या मां का अभी भी मन करता है सेक्स करने का या नहीं। तो मैंने यूंही मां को उनकी बात पर पूछा : तो क्या अब पापा आपसे प्यार नहीं करते?
मां : हम्म्म, वो प्यार तो करते हैं पर...
मैं : पर क्या मां?
मां : कुछ नहीं छोड़ ये सब
मैं: ओर आप का मन भी नहीं करता क्या प्यार करने का?
मां : करता तो है , पर...
मैं: पर क्या मां?।
मां : कुछ नहीं, छोड़ ये सब, तेरी बातों के चक्कर में मेरा घर का सारा काम रह गया। यूंही तेरे साथ बैठी रही तो सारा काम भी बीच में रह जाएगा।
मां फिर उठी और वहां से जाने लगी


Bahut hi badhiya updates he Bhai,

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