मामला काफी गर्म और बेहद नाजुक मोड़ पर आ चुका था, स्वाति जो आज से पहले पतिव्रता और सौम्य सभ्य दहलीज के भीतर अपने शरीर के ताप को दबाए या यूं कहूं नजरंदाज किए जिए जा रही थी, प्रमिला ने सिर्फ चंद घंटों में उसे पूरा शोला बना दिया था जो इतना दहक चुका है कि अब खुद स्वाति के बस से बाहर हो चुका है, यौवन से भरपूर बदन अंग अंग में तरंग सर्प की तरह लहराती काया अमृत रस से लबरेज चूत के साथ यौवन अर्क से सुगंधित दो अति अदभुत विशाल वक्ष किसी पूर्ण पुरुष को लालायित करने में किसी भी तरह कमतर नहीं हैं स्वयं कामदेव एक बार इस नारी को अगर देख ले तो मैं दावे से कह सकता हूं वो रति को सदा के लिए भूलकर यही पृथ्वी लोक में ही बस जाए।
प्रमिला का स्तन मर्दन दोनों चिकने हाथों से तेजी के साथ अनवरत रूप से सक्रिय था, स्वाति के सबसे मादक अंग में बिजलियां दौड़ रही थी और नीचे की नदी ठाठे मार रही थी पूर्ण मदहोशी की अवस्था में इसके पूरे शरीर और मन को उस सुख की अनुभूति हो रही थी जिसके लिए उसकी बेशकीमती काया आज तक तरस रही थी। प्रमिला के मादक चुम्बन ने रहा सहा जब्त भी बहा दिया था जांघों के बीच के दरिया के पानी के साथ। प्रमिला का पहला और आखरी लक्ष्य था स्वाति को अपनी बनाना, कि आज के बाद यदि स्वाति के सबसे करीब कोई हो तो वो सिर्फ प्रमिला हो वो आदमी भी नही जो उसे पूर्ण संतुष्ट करने वाला था निकट भविष्य में। शायद प्रमिला का दिल स्वाति पर पूरी तरह आ गया था, वजह उसे भी पता नहीं चल रही थी, खैर ये तो उसके मन की बात थी लेकिन अब वो स्वाति के वक्ष छोड़कर उठी और उसके पैरों की ओर बढ़ी उसने स्वाति की दोनो टांगों को खींचकर जमीन से टिका दिया स्वाति का धड़ पलग पर था स्वाति की आंखे बंद थी वासना में डूबी दोनों हाथों को गद्दों में धसाएं कंधों को बैचनी में हिलाए जा रही थी और हाय हाय ,,,,,,,, मां मेरा क्या होगा ऐसा तो इस चूत और बेरहम बोबों ने मुझे आज तक नहीं सताया था वह प्रमिला के अगले बार का इंतजार कर रही थी, प्रमिला नीचे जमीन पर बैठी और उसने स्वाति की दोनों टांगों को एक दूसरे से दूर किया, आज तक की सबसे सुंदर अत्यंत गोरी नाजुक और बेहद कम चुदी रसीली चूत उसके सामने थी, उसको अंदाजा भी नहीं था स्वाति की चूत इतनी बेदाग होगी क्योंकि शादी के कुछ साल बाद ही गोरी से गोरी चमड़ी वाली औरत की चूत पर कालिमा की परत चढ़ने लग जाती है और इस चूत के दोनों होठों के आसपास जहां से लंड देव प्रवेश करते है और ऊपर की हड्डी की चमड़ी पर जहां टकसाल की ठुकाई होती है अति तीव्र वेग से , वे हिस्से चूत के तो काले होना लाजमी है, मगर ईश्वर ने न जाने किस मिट्टी और कहां के अमृत तुल्य पानी से स्वाति को गढ़ा था, उसकी चूत को लेश मात्र भी असर नहीं हुआ था, प्रमिला की चूत ने इस नायाब चूत को देखकर थोड़ा स्त्राव बाहर को धकेला और प्रमिला के वक्ष मादकता से चिन्हुके और उसकी जीभ सरपट बूंद बूंद टपकती मधुर सुगंध छोड़ती गहरी खाई की ओर लपकी और उसके भगनासा क्लोट्रिस को जबान की नोंक से कुरेदने लगी। मैं मरी मेरी मां, स्वाति बहुत जोर से चिल्लाई, चूंकि घर में कोई और नहीं था इसलिए कुछ अनहोनी का डर नहीं था, पम्मी क्या आज मेरी चूत का अंतिम संस्कार कर के ही दम लेगी , ऐसा कह कर स्वाति दोनों हाथों और साथ ही दोनों पैरों को पटकने लगी , अनंत मजे के सागर में हिचकोले खाती हुई, aaaaah aaaaaae ईईईईई रीरीरिर मेरे मालिक ये आज कहां मेरी किस्मत ले आई आज अगर चली गई होती तो मेरी किस्मत हमेशा के लिए फुट गई होती, पम्मी पम्मी मेरी जान, आज से मेरा अंग अंग तेरे नाम हुआ, में कसम खाती हूं आज से मैं तेरी हुई सम्पूर्ण समस्त मेरी आत्मा और शरीर सहित, ये कहते हुए वो निरंतर मछली की तरह मचलती जा रही थी, उसकी चूत जो धारा प्रवाह रस बहा रही थी प्रमिला का हाथ जो चूत के निचले हिस्से पर था अभिषेक की तरह भीगने लगा, अब उसकी जीभ ने नीचे झरने की मुख्य नलिका में प्रवेश करना प्रारंभ कर दिया था, जैसे ही जीभ अंदर घुसी प्रमिला तो शुद्ध खटास से भरे जल से धन्य होती हुई अपनी नासिका चूत के ऊपरी भाग में दबाने लगी जिससे स्वाति की उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच चुकी थी, दिल की धड़कन किसी धोकनी की तरह धड़ धड़ हो रही थी, मारे उत्तेजना के उसके मुंह से आवाज निकालना बंद हो गई थी सारा सेंसेशन शरीर का चूत को सम्हालने में व्यस्त हो गया था, जबरदस्त चुसाई किसी मस्त औरत की वो भी बड़ी देर से गर्म की हुई चूत की, मेरे पास स्वाति के अहसास को बयां करने के लिए न तो शब्द हैं ना ही तजुर्बा क्योंकि में नारी नहीं पुरुष हूं ये वर्णन तो कोई इस अनुभव से गुजरी नारी ही कर सकती है। खैर कब तक संयम का बांध हिम्मत रखता , स्वाति का भी संयम टूटने को ही था उसको टूटने में प्रमिला की इंडेक्स फिंगर जो स्वाति के चूत रस सराबोर थी ने किया, प्रमिला ने धीरे धीरे स्वाति की चौड़ी गांड के छेद पर वो उंगली घीसनी शुरू की, उसकी चूत चुसाई अपने तीव्र वेग पर चालू थी , घिसते घिसते प्रमिला ने धीरे से उंगली स्वाति की गांड में सरका दी, स्वाति की धड़कन एक धड़क चूक गई और वो अपनी चूत को पूरी ताकत से ऊपर उछल कर फव्वारा छोड़ बैठी चूत से क्योंकि उस उछाल से प्रमिला का मुंह चूत से हट चूका था पर उंगली गांड में ही थी जिसे उसने अब बकायदा एक इंच तक अंदर बाहर करना जारी रखा था, फव्वारा चलाता रहा प्रमिला का मुख भीगता रहा, और मेरी समस्त मादा पाठिकाओं का रस उनकी उंगलियों को भिगोता हुआ बह रहा हैं अनवरत , यकीन न हो तो वे स्वयं ये देख लें नीचे झुककर।