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Incest मां बेटे का सफर 2

mastmast123

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ये कहानी पहले रवि लिख रहे थे, उन्होंने इसे बीच में ही छोड़ दिया था मैं इसे फिर से शुरू कर रहा हूं वहीं से जहां उन्होंने छोड़ा था, कुछ शुरुआत उन्हीं के थ्रेड में कर चुका हूं मगर अब अपने नाम से यहां continue कर रहा हूं, वो सारे कंटेंट जो वहां लिखे थे यहां ला रहा हूं कृपया इस कहानी को अब यहीं पढ़िए,,,,
 

mastmast123

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Hi Aaj shuru karen
 
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mastmast123

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प्रमिला क्या सोच रही थी उसके मन में ये उसे कोई अहसास नहीं है वो रवि को पूरा सुख देना चाहती है और चाहती कि रवि जवान है उसका लं ड बेमिसाल है उसकी मोटाई और लबाई का कोई मुकाबला नहीं है वो कई chooto का उद्धार कर सकता है, मेरा बेटा कितना शक्तिशाली है और इसे लेकर मैं कितनी selfish हूं की इसे सिर्फ अपने तक ही बांधे रखना चाहती हूं, सेक्स की दुनियां में जब एक बार सीमा लांघ ली जाए तो फिर मर्यादा का कोई स्थान नहीं रह जाता है, जैसे में खुद अपने पति को धोखा देकर अपने ही बेटे का लोड़ा चूस रही हूं, तो उसे कैसे सिर्फ एक ही औरत का होकर रहने का वादा ले सकती हूं।
बहुत वैचारिक मंथन के बाद वो तय करती है कि रवि को भी घर की अन्य औरतों के साथ संभोग और काम क्रीड़ा करने का पूरा पूरा हक है, में स्वयं ये बात उसे सिखाऊंगी,
ये सोचकर वो सुबह उठाती है रवि पास ही सो रहा था उसे सेक्स के साथ साथ रवि की ईच्छा पूर्ति की भी भावना आ रही है, वो रवि का माथा चूमकर नीचे चली जाती है।
नीचे उसका भाई और स्वाति जाने की तैयारी में लगे थे।
प्रमिला भाई से - तू कह रहा था तुझे एक डेढ़ महीने बाद फिर से कुछ दिनों के लिए जाना है
भाई - हां दीदी
प्रमिला तो फिर स्वाति को यही छोड़ जा मेरा तो मन भरा ही नहीं हम तो ठीक से मिले ही नहीं, क्यों स्वाति
स्वाति हां दीदी मैं भी रुकना चाहती थी कुछ दिन यहीं
भाई ने कहा अगर ऐसा है तो रोक लो दीदी इसको , लेकिन इसको कोई कष्ट न हो , वो प्रमिला को छेड़ते हुए कहता है, तेरे से ज्यादा अगर इसको सुख मैने नही दिया तो कभी फिर इसे मत लाना , कहते हुए उसने स्वाति की तरफ मुंह करते हुए उसको आंख मारी और उसका हाथ धीरे से दबा दिया, स्वाति कुछ न समझकर भी शर्म से लाल हो गई और सोचने लगी ये कोनसा सुख देने वाली हैं मुझे और नजरें नीची कर लेती हैं।
भाई बोला दीदी मैं तो आपको छेड़ रहा था वैसे ही sorry,
प्रमिला बोली लेकिन मैं तो सच बोल रही हूं जब तू आयेगा तब खुद ही पूछ लेना कितना सुख दिया है मैने मेरी लाडली सुंदर कमाल भाभी को,
हंसी मजाक के बीच भाई अकेला चला गया।
तब स्वाति बोली मुझे आपसे बात करनी है दीदी , प्रमिला बोली हां बोलो, यहां नहीं अंदर कमरे में चलो, दोनों अंदर गए जहां स्वाति और भाई को रुकाया था, तब स्वाति ने प्रमिला का हाथ दोनों हाथों से पकड़ कर शरमाते हुए चूमा और पूछा दीदी सच बताओ आप किस सुख की बात कर रही थी, और कहते कहते स्वाति शर्म से दोहरी हो गई, स्वाति अभी कड़क जवान थी भरे हुए स्तन 38 वाले और गडराई गांड की मालकिन थी, आज प्रमिला ने उसको पूरे ध्यान से देखा था, पता नहीं क्यों उसको अहसास हुआ उसकी भाभी बहुत बहुत प्यासी है, उसने प्यार से उसके गाल पर हाथ फेरा और प्यार से चपत लगाते हुए बोली अभी सुबह के सब काम पड़े हैं वो निपटा कर, जब सब चले जायेंगे तब तुझे में अच्छे से समझाऊंगी और ऐसा बोलकर उसकी एक चूची को अच्छे से दबा दिया, स्वाति हाय दीदी बोलकर उनसे लिपट गई और देर तक दोनो के स्तन आपस में टकराते रहे और स्वाति की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वो कान में धीरे से बोली बहुत सारा थैंक्स , आज मुझे लगा कोई है जिसे मेरी खुशी की परवाह है और खुशी से देर तक सुबकती रही, प्रमिला ने उसके गीले गालों से आंसू को जीभ से चाट लिया और उसके हांठोंको एक गीला चुम्बन देते हुए बोली, अभी चले महारानी जी दिन में सब खोलकर समझाऊंगी, और उसके दोनो चूतड के बीच दरार में उंगली डालते हुए उसे खींच कर बाहर ले आई।
 

mastmast123

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दिन में सब काम से निपट कर दोनों ने एक दूसरे को देखा तो स्वाति ने भौहें उचका कर प्रमिला से पूछा क्या, तो प्रमिला बोली चले अंदर, स्वाति शरमाते हुए आगे आगे कमरे की तरफ चल पड़ी। प्रमिला बोली तुम चलो मैं main door lock कर के आती हूं। सब लोग चले गए थे ऑफिस और स्कूल कालेज।
प्रमिला अंदर आई तो देखा स्वाति bed के एक कोने पर साड़ी का पल्लू दातों से दबाए नीचे देखती हुई बैठी है।
प्रमिला उसके पास बैठती हुई बोली स्वाति अब तुम कुंवारी कली नही हो एक खेली खाई चू दी हुई परिपक्व औरत हो अगर इसी तरह शरमाते हुए रहना है तो मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है और वो बेड से उठने लगी, स्वाति एकदम से शर्म से बाहर आती हुई प्रमिला का हाथ पकड़ कर बिठाती हुई बोली दीदी आप भी ना, पहले आप बैठो फिर सुनो , देखिए आपने मेरी शादी के इतने सालो बाद मुझसे इतना खुलकर बात की है में भी कभी से चाहती थी लेकिन आप बड़ी है मुझे थोड़ी शर्म तो आयेगी ही, प्लीज बुरा मत मानिए, अब नहीं शर्माऊंगी। और आगे बढ़कर दीदी को पलंग से उठाया और थोड़ी शर्म के साथ प्रमिला के दोनों पहाड़ों को हथेलियों से टाइट पकड़ते हुए उसके होंठो को तेजी से चूमने चाटने लगी, प्रमिला हैरान रह गई और तारीफ की नजरों से देखते हुए हाथ से वाह का इशारा किया। स्वाति जल्दी से फिर शर्माती हुई नीचे बैठ गई। अब प्रमिला नीचे जमीन पर बैठ कर स्वाति की आंखों में देखती हुई नशीली आवाज में बोली आज से तुम मेरी भाभी नहीं मेरी पक्की सहेली और मेरी जान हो, और उसके पेटीकोट में हाथ डालकर ऊपर की ओर बढ़ाने लगी, स्वाति ने शर्म से दोनों टांगेभींच ली, फिर से वही स्वाति मैं जाऊं यहां से और गई तो फिर कभी इस तरह नहीं आउंगी, स्वाति झट से टांगें खोल दी और कान पकड़ कर सॉरी बोली, प्रमिला ने हां ना यार अब क्या शर्माना हम दोनों खेली खाई हैं, स्वाति सिहर रही थी एक हाथ धीरे धीरे पंजों से होता हुआ जांघों की तरफ सरक रहा था, प्रमिला नीचे बैठी स्वाति की आंखों में देख रही थी और स्वाति दोनों हाथों से चादर सख्ती से पकड़े हुए शर्म से गड़ी जा रही थी मगर उसके होठों पर मुस्कान थी और चमकती आंखों से प्रमिला को देख रही थी। वो नहाने के बाद साड़ी तो बदल चुकी थी पर न जाने क्या सोचकर उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी मगर ये बात प्रमिला को में पता थी दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे अब हाथ तकरीबन घुटने के पास पहुंचने वाला था, स्वाति के हाथ और कस गए और उसकी भोली भाली चूत ने बड़ी तेजी से रोना शुरू कर दिया था, उसके चेहरे के भाव बदल गए थे शर्म और उत्तेजना से दहकने के साथ नीचे झुकने लगा था प्रमिला ने हाथ पैर पर टिका कर आगे बढ़ाने से रोक दिया था और स्वाति से पूछा मेरी मेरी पक्की सहेली की चूत क्या डर रही है मुझसे, स्वाति की चूत ये सुनकर और फड़क गई और स्वाति नशे में डूबी बोली नहीं दीदी नहीं डरी नहीं है वो बस संकोच में है बार बार खुल और बंद हो रही है अपनी दीदी के हाथ को करीब पाकर, प्रमिला बोली अब से तुम मुझे दीदी नहीं पम्मी बोला करोगी जब दोनों अंतरंग होंगे ठीक है स्वा, और मैं तुम्हें सिर्फ स्वा ही बुलाऊंगी, और उंगलियों को एक cm आगे बढ़ाया, स्वाति की चूत बहुत जोर से सिसकी और ढेर सा चूत रस छोड़ा, जो बहाकर जांघो से नीचे आने लगा स्वाति किनारे पर बैठी थी एकदम और उसके पांव जमीन की तरफ सीधे थे सो चूत रस नीचे आ रहा था कुछ प्रमिला की सीधी नजर उसकी आंखों में और कुछ पहला पहला मिलन किसी औरत का किसी अपनी सबसे करीब रिश्तेदार से, प्रमिला की चूत क्या कम बह रही थी वो तो स्वाति से दस गुना ज्यादा सेक्सी और चुड़ककड थी, जैसे ही प्रमिला का हाथ स्वाति की ओर थोड़ा ऊपर बड़ा उसकी उंगलियों पर चिपचिपा पानी लगा और स्वाति धीरे से चीखी oooooohhhhhh दीदी ये आप ने क्या कर दिया ओह ये कैसी खुशी है मेरी मुनिया खुशी से रो रही है और आपकी उंगलियों तक पहुंच गई उसकी खुशी, मैं धन्य हुई कहते हुए प्रमिला को हाथो से पकड़ कर चूम बैठी और तुरंत हाथ पीछे कर लिए, प्रमिला का भी पहला अनुभव था वो सिहर गई और सोचने लगी चूत से मिलने का नशा क्या इतना गहरा होता है, और उसने हाथ बाहर निकाल लिया , स्वाति ने चौंक कर प्रमिला को देखा और नशे से जाग कर पूछा क्या हुआ दीदी, और रोनी सूरत हो गई, प्रमिला झट से खड़ी हुई और स्वाति को पकड़ कर खड़ा कर दिया और कस के सीने से लगा लिया, स्वाति निहाल हो गई उसकी चूत तो रो ही रही थी आंखों ने भी रोना शुरू कर दिया वासना और मस्ती के वशीभूत होकर।
अब दोनों खड़ी थी और दोनों की चूत बुरी तरह से बह रही थी चूत रस बहकर तकरीबन पिंडलियों तक आ पहुंचा था, स्वाति बोली दीदी आपका चरणामृत मुझे पीना है प्रमिला बोली अभी कैसे , स्वाति बोली आप मुझसे बड़ी और ज्यादा चू दी हुई हो ओर आपको नहीं मालूम , दीदी चरणामृत मतलब दोनों चरणों के बीच की खाई से निकलने वाला अमृत, इतना कह कर वो जल्दी से नीचे बैठ गई और झटके से प्रमिला की साड़ी और पेटीकोट को पकड़ कर कमर तक उठा दिया जांघो पर बह रहे चूत रस को चाटने लगी, और जोर से हाय दीदी हाय दीदी बोलती हुई चाटने लगी, प्रमिला पहली बार वासना के समंदर में डब गई, इतना नशा तो कभी रवि के साथ भी नहीं आया था, वो मस्ती के अतिरेक में गिरने को हुई तुरंत उसने पलंग को थाम लिया और चहकने लगी स्वाति क्या मुझे आज मार ही डालोगी इतनी जल्दी तुम शर्माना छोड़ दोगी नहीं जानती थी, हाय स्वाति तुम पहले क्यों नहीं मिली मुझे, हाय क्या और कितना खो दिया है मैने बता नहीं सकती, स्वाति खड़ी हुई और बोली मैं तो शादी की पहली रात से ही आपके पास होना चाहती थी मगर कभी हिम्मत ही नहीं हुई आपसे कुछ कहने की। हाय पम्मी मैं आज तुम्हारी गद रिली गांड और उन्नत विशाल चुचियों के साथ हूं कहते हुए पेटीकोट में हाथ डालकर प्रमिला की दोनों चूतड़ों को कस कर पकड़ लिया, प्रमिला नशे में डूबी स्वाति के कंधों को पकड़ कर चूत रस पूरी धारा प्रवाह बहाने लगी।
ठहर स्वाति कहती हुई प्रमिला ने स्वाति को खड़ा किया और उसकी साड़ी की खींच कर उतारने लगी स्वाति भी कहां कम पड़ने वाली थी आनन फानन में दोनों ने एक दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए और पूर्ण नग्न होते हुए एक दूसरे को बांहों में भरते हुए बिस्तर पर गिर गए।
 

mastmast123

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प्रमिला भोचक्की सी स्वाति की देह को निहार रही थी, स्वाति किसी फिल्मी तारिका की तरह एकदम सफेद रंग की रंगत लिए नीली आंखों में मद लिए प्रमिला को देख रही थी, वक्ष पर नजर पड़ते ही प्रमिला से रहा नहीं गया मानों पहाड़ ही चोटी पर दो धवल कठोर विशाल कटोरिया हवा के झोकों से हिलोरे मार रही हों और उनकी घुंडियों से ताजा स्वेद बिंदु नीचे फिसलने को आतुर है, प्रमिला ने आगे हाथ बढ़ा कर उन घुंडियाें को उमेठना शुरू कर दिया। स्वाति सीत्कार उठी और लहरा कर दोहरी होती हुई पलंग पर पीठ के बल लहराती हुई गिर गई। प्रमिला ने पास रखे टेबल से क्रीम की शीशी से बहुत सारा क्रीम अपने हथेलियों में लथेड लिया और स्वाति के सिर की तरफ बैठकर उसके कठोर हो चुके स्तनों की घनघोर मालिश करने लगी। स्वाति मादकता में सराबोर होकर बुरी तरह मचलने लगी उसे पांव चारों दिशाओं में बहकने लगे उसके हाथों ने प्रमिला की नग्न जांघो को कसकर पकड़ रखा था। वो पूरी तरह से गर्म होकर आंखे बंद किए प्रमिला से कहने लगी पम्मो मैं मर रहीं हूं मेरी चूत की प्यास के मारे तू इस का कुछ नहीं कर सकती है मुझे एक बहुत मोटा बहुत लंबा लंड कहीं से भी लाकर दे नहीं तो मैं यहीं इसी हालत में दम तोड दूंगी तूने जो हालत मेरी कर दी है उसके बाद कोई औरत इस निगोड़ी चूत की प्यास नहीं बुझा पाएगी। Pls pls pls पम्मों सुन ले इस चूत की आह,,,,प्रमिला ने एक हाथ उसकी बहती हुई चूत पर रखा और बोली हाय कोई देखो मेरी बन्नो को किस्से किसी हालव्वी कठोर लंड के लिए अपना दम तोड रही है, और ऐसा कहते हुए स्वाति के रस भरे होठों को वासना में डूबकर बेतहाशा चूमने लगी, स्वाति भी पूरे मन से उसका साथ देते हुए मस्ती से छटपटाने लगी।
 

mastmast123

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अभी दोनों को मजे लुटने देते हैं, उनकी हालत में बयान करता हूं थोड़ी देर में, तब तक एक जरूरी हेर फेर के बारे में बता दूं , पहली यह कि रवि की बहन मेरी कहानी में उससे चार साल बड़ी है और graduate हो चुकी है और उसके लिए लड़का जोर शोर से ढूंढा जा रहा है , मेरी कहानी में अश्लीलता जबरदस्त होगी मगर समाज से छुपकर चार दिवारी के बीच जिसे सिर्फ वो ही जानेंगे जो इसमें involve हैं बाकी और कोई नहीं, अगर कोई किसी को सपोर्ट करेगा तो सिर्फ उकसाने तक लेकिन दो लोगों के इंटरकोर्स के समय उपस्थित नहीं होगा, कुछ अपवाद हो सकते हैं , जब ऐसी परिस्थिति आयेगी तब देखा जायेगा, बहन का नाम अब अनुराधा होगा, रवि से मिलन के पहले उसकी शादी होगी फिर जब वो विवाहित हो जायेगी सारे समाज के सामने तब उसका विधिवत रवि से मिलन करवाया जायेगा लेकिन उस मिलन की सूत्रधार होगी हमारी सीने तरीका स्वाति, जिसे प्रमिला hint देती रहेगी मगर न रवि ना ही अनुराधा के सामने एक्सपोज होगी।
अब दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण बात, प्रमिला को रवि का गंदे तरीके से बात करना अंतरंग क्षणों में जैसे मेरी पर्सनल रण्डी मेरी कुतिया मेरी रखैल और insulting तरीके से बात करना कतई पसंद नही था लेकिन रवि hurt ना हो इसलिए वो चुप रही, अब जब उसने तय कर लिया कि वो रवि का अपने घर और रिश्तेदारी में कई कई चूतों से संगम करवाएगी, तब उसकी मानसिकता का सही होना अत्यंत जरूरी है उसके मन में औरतों के प्रति अगाध सम्मान होना चाहिए, औरत सोती जरूर नीचे हैं मगर सिर्फ और सिर्फ मर्द को आनंद देने के लिए, इसका ये अर्थ मर्द ये न निकाले कि उसको औरत को जलील और अपशब्द कहने का अधिकार है चाहे वो सिर्फ वासना के अतिरेक में कुछ समय के लिए ही हो, ये अशोभनीय संबोधन की शैली प्रमिला के मन को बहुत कचोट रही थी, उनसे अपने एक डॉक्टर मित्र से बिना अपने और रवि के संबंध को उजागर किए बतलाई , तब उस डॉक्टर ने जो कि साइकोलॉजिस्ट है ने बताया कि उसको intesive psycological reheb की जरूरत इसके लिए कुछ दिन रवि को उसके reheb centre में भर्ती रहना पड़ेगा, प्रमिला मान गई और उसने रवि से बात की, पहले तो रवि नहीं माना मगर जब उसने अपने प्रेम और अपने शरीर का वास्ता दिया और ये कहा कि यदि वो ये कर लेगा तो वो उसको दूसरी औरतों से स्वयं मिलवाएगी और उनकी चूदाई की भी व्यवस्था स्वयं वह करेगी। तब रवि तुरंत मान गया और centre में admit हो गया है, सो फिलहाल रवि वहां है और प्रमिला निश्चिंत होकर स्वाति के साथ है उसको पूर्ण तौर पर रवि के लिए तैयार करने के लिए, एक अच्छी बात ये हुई है कि स्वाति स्वयं एक खतरनाक लंड की कामना किए हुए है और प्रमिला के सामने गिड़गिड़ा रही है, वो ये नहीं जानती है कि उसने प्रमिला का काम कितना आसान कर दिया है।
बस ये बदलाव मैने किए हैं इसी तरह आगे कहानी चलेगी। मेरे स्वयं के मन में नारी के प्रति अति सम्मान है, मेरे मन में बहुत वासना भरी है औरतों के लिए किसी भी अच्छी गद्देदार औरत को देखकर बाहों में भरने और बिस्तर पर लिटाने का मन करता है, मगर अपमानजनक शब्दावली और अशोभनीय संबोधन का प्रोयोग में कभी नही कर सकता हूं, वे हमेशा आदर की पात्र हैं चाहे पूरी नग्न अवस्था में भी मेरे साथ हो, तो मेरे पात्र कैसे ऐसा व्यवहार उन औरतों के साथ कर सकते हैं, इसीलिए रवि का brain wash आवश्यक है।
कुछ समय बाद हम सभी कामुकता के रस भीगी स्वाति और प्रमिला के साथ होंगे।
 

mastmast123

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मामला काफी गर्म और बेहद नाजुक मोड़ पर आ चुका था, स्वाति जो आज से पहले पतिव्रता और सौम्य सभ्य दहलीज के भीतर अपने शरीर के ताप को दबाए या यूं कहूं नजरंदाज किए जिए जा रही थी, प्रमिला ने सिर्फ चंद घंटों में उसे पूरा शोला बना दिया था जो इतना दहक चुका है कि अब खुद स्वाति के बस से बाहर हो चुका है, यौवन से भरपूर बदन अंग अंग में तरंग सर्प की तरह लहराती काया अमृत रस से लबरेज चूत के साथ यौवन अर्क से सुगंधित दो अति अदभुत विशाल वक्ष किसी पूर्ण पुरुष को लालायित करने में किसी भी तरह कमतर नहीं हैं स्वयं कामदेव एक बार इस नारी को अगर देख ले तो मैं दावे से कह सकता हूं वो रति को सदा के लिए भूलकर यही पृथ्वी लोक में ही बस जाए।
प्रमिला का स्तन मर्दन दोनों चिकने हाथों से तेजी के साथ अनवरत रूप से सक्रिय था, स्वाति के सबसे मादक अंग में बिजलियां दौड़ रही थी और नीचे की नदी ठाठे मार रही थी पूर्ण मदहोशी की अवस्था में इसके पूरे शरीर और मन को उस सुख की अनुभूति हो रही थी जिसके लिए उसकी बेशकीमती काया आज तक तरस रही थी। प्रमिला के मादक चुम्बन ने रहा सहा जब्त भी बहा दिया था जांघों के बीच के दरिया के पानी के साथ। प्रमिला का पहला और आखरी लक्ष्य था स्वाति को अपनी बनाना, कि आज के बाद यदि स्वाति के सबसे करीब कोई हो तो वो सिर्फ प्रमिला हो वो आदमी भी नही जो उसे पूर्ण संतुष्ट करने वाला था निकट भविष्य में। शायद प्रमिला का दिल स्वाति पर पूरी तरह आ गया था, वजह उसे भी पता नहीं चल रही थी, खैर ये तो उसके मन की बात थी लेकिन अब वो स्वाति के वक्ष छोड़कर उठी और उसके पैरों की ओर बढ़ी उसने स्वाति की दोनो टांगों को खींचकर जमीन से टिका दिया स्वाति का धड़ पलग पर था स्वाति की आंखे बंद थी वासना में डूबी दोनों हाथों को गद्दों में धसाएं कंधों को बैचनी में हिलाए जा रही थी और हाय हाय ,,,,,,,, मां मेरा क्या होगा ऐसा तो इस चूत और बेरहम बोबों ने मुझे आज तक नहीं सताया था वह प्रमिला के अगले बार का इंतजार कर रही थी, प्रमिला नीचे जमीन पर बैठी और उसने स्वाति की दोनों टांगों को एक दूसरे से दूर किया, आज तक की सबसे सुंदर अत्यंत गोरी नाजुक और बेहद कम चुदी रसीली चूत उसके सामने थी, उसको अंदाजा भी नहीं था स्वाति की चूत इतनी बेदाग होगी क्योंकि शादी के कुछ साल बाद ही गोरी से गोरी चमड़ी वाली औरत की चूत पर कालिमा की परत चढ़ने लग जाती है और इस चूत के दोनों होठों के आसपास जहां से लंड देव प्रवेश करते है और ऊपर की हड्डी की चमड़ी पर जहां टकसाल की ठुकाई होती है अति तीव्र वेग से , वे हिस्से चूत के तो काले होना लाजमी है, मगर ईश्वर ने न जाने किस मिट्टी और कहां के अमृत तुल्य पानी से स्वाति को गढ़ा था, उसकी चूत को लेश मात्र भी असर नहीं हुआ था, प्रमिला की चूत ने इस नायाब चूत को देखकर थोड़ा स्त्राव बाहर को धकेला और प्रमिला के वक्ष मादकता से चिन्हुके और उसकी जीभ सरपट बूंद बूंद टपकती मधुर सुगंध छोड़ती गहरी खाई की ओर लपकी और उसके भगनासा क्लोट्रिस को जबान की नोंक से कुरेदने लगी। मैं मरी मेरी मां, स्वाति बहुत जोर से चिल्लाई, चूंकि घर में कोई और नहीं था इसलिए कुछ अनहोनी का डर नहीं था, पम्मी क्या आज मेरी चूत का अंतिम संस्कार कर के ही दम लेगी , ऐसा कह कर स्वाति दोनों हाथों और साथ ही दोनों पैरों को पटकने लगी , अनंत मजे के सागर में हिचकोले खाती हुई, aaaaah aaaaaae ईईईईई रीरीरिर मेरे मालिक ये आज कहां मेरी किस्मत ले आई आज अगर चली गई होती तो मेरी किस्मत हमेशा के लिए फुट गई होती, पम्मी पम्मी मेरी जान, आज से मेरा अंग अंग तेरे नाम हुआ, में कसम खाती हूं आज से मैं तेरी हुई सम्पूर्ण समस्त मेरी आत्मा और शरीर सहित, ये कहते हुए वो निरंतर मछली की तरह मचलती जा रही थी, उसकी चूत जो धारा प्रवाह रस बहा रही थी प्रमिला का हाथ जो चूत के निचले हिस्से पर था अभिषेक की तरह भीगने लगा, अब उसकी जीभ ने नीचे झरने की मुख्य नलिका में प्रवेश करना प्रारंभ कर दिया था, जैसे ही जीभ अंदर घुसी प्रमिला तो शुद्ध खटास से भरे जल से धन्य होती हुई अपनी नासिका चूत के ऊपरी भाग में दबाने लगी जिससे स्वाति की उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच चुकी थी, दिल की धड़कन किसी धोकनी की तरह धड़ धड़ हो रही थी, मारे उत्तेजना के उसके मुंह से आवाज निकालना बंद हो गई थी सारा सेंसेशन शरीर का चूत को सम्हालने में व्यस्त हो गया था, जबरदस्त चुसाई किसी मस्त औरत की वो भी बड़ी देर से गर्म की हुई चूत की, मेरे पास स्वाति के अहसास को बयां करने के लिए न तो शब्द हैं ना ही तजुर्बा क्योंकि में नारी नहीं पुरुष हूं ये वर्णन तो कोई इस अनुभव से गुजरी नारी ही कर सकती है। खैर कब तक संयम का बांध हिम्मत रखता , स्वाति का भी संयम टूटने को ही था उसको टूटने में प्रमिला की इंडेक्स फिंगर जो स्वाति के चूत रस सराबोर थी ने किया, प्रमिला ने धीरे धीरे स्वाति की चौड़ी गांड के छेद पर वो उंगली घीसनी शुरू की, उसकी चूत चुसाई अपने तीव्र वेग पर चालू थी , घिसते घिसते प्रमिला ने धीरे से उंगली स्वाति की गांड में सरका दी, स्वाति की धड़कन एक धड़क चूक गई और वो अपनी चूत को पूरी ताकत से ऊपर उछल कर फव्वारा छोड़ बैठी चूत से क्योंकि उस उछाल से प्रमिला का मुंह चूत से हट चूका था पर उंगली गांड में ही थी जिसे उसने अब बकायदा एक इंच तक अंदर बाहर करना जारी रखा था, फव्वारा चलाता रहा प्रमिला का मुख भीगता रहा, और मेरी समस्त मादा पाठिकाओं का रस उनकी उंगलियों को भिगोता हुआ बह रहा हैं अनवरत , यकीन न हो तो वे स्वयं ये देख लें नीचे झुककर।
 

mastmast123

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मेरी एक और कहानी " मेरा अतीत और वर्तमान, चूत की अनंत प्यास" यहां चल रही है जिसको में रोज लिख रहा हूं इस कहानी के साथ साथ , तमाम महिला पाठकों को समर्पित है वह कहानी, यहां इस फोरम पर महिलाओं पर और महिलाओं के लिए कोई नहीं लिखता है , मैने तय किया है में सिर्फ ओरतों पर औरतों के लिए ही लिखूंगा, पुरुष पात्र होंगे लेकिन सिर्फ खाना पूर्ति के लिए, यहां पुरुष के मन की नहीं चलेगी, सिर्फ और सिर्फ महिला पात्र ही तय करेगी उसे किस से चुदना है या महिला ही सिलेक्ट करेगी कोई पुरुष जिससे वो अपनी सहेली बहन भाभी मां या अन्य किसी को चुदने के लिए प्रेरित करे अथवा उनके आग्रह पर किसी की तलाश करे, कोई भी मर्द किसी औरत को चुदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा, जैसा यहां आम तौर पर सभी करते हैं, मेरे लिए नारी सम्मान की हकदार है चाहे वो अंकशायिनी ही क्यों न हो जाए।
अनुरोध है वह कहानी भी देख लीजिए, शायद आपको अच्छी लगे।
सारी पाठिकाओं को सादर नमन।
 

mastmast123

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अब जबकि स्वाति रानी का बांध फूट चुका था और प्रमिला देवी रस के सागर में आकंठ डूबी हुई थी, वह इस खारे अमृत को हौले हौले स्वाद लेते हुए ग्रहण कर रही थी , स्वाति का नशा अब धरातल पर आ चुका था उसने प्रमिला को अपने छोड़े गए चूत रस को पूरे दिल से गटकते देखा उसे प्रमिला में एक सच्ची साथी नजर आने लगी, क्योंकि सेक्स अपनी जगह है और किसी को पूर्णतया आत्मसात कर लेना जो प्रमिला ने स्वाति को किया है स्वाति दिल से प्रमिला का सम्मान करने लगी अभी तक वो पति की बड़ी बहन के नाते आदर दिया करती थी मगर आज उसने जाना कि उसके तन मन और आत्मा को किस तरह खुद में समाहित कर सकता है वो प्रमिला ने उसके लिए किया है।
अब प्रमिला की बारी थी यौन सुख को भोगने की, उसने मुंह पास पड़े नेपकिन से पौंछ कर स्वाति के हाथ अपने कामेच्छा से लहर खाते वक्षों पर रख दिया और इंगित किया इनका भी तो उद्धार करो स्वाति महारानी।
स्वाति ने वक्ष पकड़ तो लिए मगर औपचारिक तरीके से, उसके मन में कुछ और चल रहा था, बोली दीदी आपने क्षणिक सुख तो दिया है मगर मेरी उस प्रार्थना का क्या होगा जो मैं अभी आप से कर रही थी। प्रमिला को झटका लगा ओह तो इसकी प्यास नहीं बुझी है अभी तक ये वाकई एक बहुत भयंकर चूदाई की आस लिए बैठी है वो भी एक स्पेशल मोटे लंबे और देर तक टिकने वाले लंड से।
दीदी, अच्छा तो मैं अब मेरी स्वा की दीदी बन गई जरा सा ज्वार क्या उतरा चूत की गर्मी का देवी को होश आ गया है, मेरी बन्नो अब मुझे पम्मो से दीदी बुलाएगी तेरी ये हिमाकत और ऐसा कहते हुए उसने स्वाति की घुंडियो को प्यार से मगर जोर से उमेठ दिया, स्वाति फारिग तो हुई थी मगर संतुष्ट नहीं, यौवन की कशिश उसके तन में पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थी जब से उसने जाना था दीदी उसके लिए सब कुछ करेगी। वो aaaahhhh पम्मो कितना सताती है री तू, सुनकर प्रमिला बोली अब लाइन पर आई है, तेरे अनुरोध को जब तू पूरी चुदेल होकर गिड़गिड़ा रही थी मुझे तब ही यकीन हो चला था मेरी इस बेहद खूबसूरत काम वासना में जलती हुई सहेली का उद्धार करना ही है चाहे कुछ भी हो जाए। लेकिन एक बात बता क्या तेरा ही शरीर वासना के चरमोत्कर्ष किए तड़प सकता है क्या कोई और तुझे अभी नजर नहीं आ रहा जो तेरी सेवा करते हुए भी उसी ज्वाला में तूझसे भी अधिक जलता रहा है।
तुरंत स्वाति को बोध हुआ वह अपने स्वार्थ में दीदी की जलती काया को तो भूल ही गई , जो सुख आज इन्होंने दिया है क्या कभी में इसकी कल्पना भी कर सकती थी, लंड जैसा मैं सोच रही हूं वैसा मिले ना मिले मगर मेरा प्रथम कर्त्तव्य दीदी को उनके दिए से दुगना देना है।
अब उसने सोच लिया था वो किस तरह ये करेगी।
स्वाति ने कमान सम्हालते हुए प्रमिला को बिस्तर पर पीठ के बल सीधा लेटा दिया और उसी क्रीम से सिर्फ दोनों हाथों की उंगलियां बहुत गीली कर ली और प्रमिला की दाहिनी ओर बैठकर सीधी उनकी आंखो में देखते हुए उनके विशाल चूचों की सिर्फ घुंडियां उंगलियों और अंगूठे से पकड़ कर ज्यादा जोर देकर मसलने लगी, कोई भी औरत इस अहसास और सुख को जानती जब उसके पूर्ण मादक होने पर ऐसा किया जाता है। प्रमिला भी सिसक पड़ी, uunnhuun uunnnhuunnn स्वाति मैं कहां हूं ये क्या हो रहा है मुझे,
क्या हो रहा है पम्मो
तू तो जैसे जानती ही नहीं तेरे पास तो बोबें और चूत तो है ही नही जैसे, अरे मेरी मां मैं तो सच में आज मरी।
पम्मी जब से आई हूं देख रही हूं कैसी छमक झल्लो बनकर पूरे घर में भटकती रहती हैं।
प्रमिला क्या कह रही हो तुम, आंख खोलकर स्वाति को देखते हुए बोली।
स्वाति जिस तरह मैने अपने मन को दीदी आपके सामने बेझिझक खोल दिया, इतना कह कर उसने अपने हाथ उसके वक्ष से हटा लिए, और बोली क्या आप मुझे अपने बारे में सत्य नही बताओगी, और वह प्रमिला की आंखों में देखती हुई उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
कुछ सेकंड्स के लिए काम खेल में विश्राम आ गया था, प्रमिला मस्ती के आलम से बाहर निकली और सोचने लगी , बात तो स्वाति सही कह रही है क्या उसे मुझे पूरी तरह जानने का हक नहीं है। हां पूरा है उसने खुद से कहा और वह पूरे मन से फिर खेल में शामिल होती हुई एकदम से बैठ गई और बोली स्वाति जैसे तुमने अपनी वास्तविकता मेरे सामने जाहिर कर दी है में भी तैयार हूं खुद को तुम्हारे सामने सब कुछ कहने को, पूछो क्या जानना और कहना चाह रही थी अभी मुझसे मेरी बन्नो, और स्वाति को आलिंगन भरा और उसके मीठे रस से भरे होंठो को अपने होठों में भींच कर एक गहरा सेक्स से भरा चुम्बन लेना प्रारंभ किया। दोनों डूब गए एक बार फिर से चूत की प्यास में। दोनों की चूतेँ चरमराई और दोनों चूतें खिसक कर आपस में मिल गई, दोनों के हाथ एक दूसरे के चूचों को मसल रहे थे और चू तें हौले हौले एक दूसरे से रगड़ खा रही थी।
 

mastmast123

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इससे पहले कि स्वाति और प्रमिला की running comentry continue की जाए मेरी एक बात सारे लोग सुनें जो लगातार मुझे पढ़ रहे हैं, यहां एक और मेरी कहानी " मेरा अतीत और वर्तमान, चूत की अनंत प्यास" इस फोरम पर है जिसे मैं रोज इसी तरह लिख रहा हूं दोनों कहानियों के एक साथ, मेरे सभी पाठकों से मेरा निवेदन है कि उस कहानी को एक बार जरूर पढ़े यदि अच्छी न लगे तो बेशक आगे न पढ़े किंतु एक बार तो पढ़ ही लोजिए।
चलिए अब उस कमरे में चलते हैं जहां दोनों सुंदरियां नग्न अवस्था में अपनी चूतें आपस में रगड़ रही है।
दोनों बहुत गर्म हो चुकी हैं मगर स्वाति जो अभी अभी बुरी तरह झड़ी है वो होश में है और उसे प्रमिला का सच जानना है , वह आलिंगन तोड़ कर अलग होती हुई प्रमिला को बिस्तर पर फिर से लिटा देती है और उसकी दोनों टांगों को पूरी चौड़ी करके बीच में बैठ जाती है और अपने क्रीम से सने हाथों से प्रमिला के चूचों की नोंक पकड़ कर उमेठने लगती है प्रमिला गनागना जाती है और aaaauuu aaaaiiiii ससीईईआईआई करती हुई तड़पने लगती है अब स्वाति अपने चाल चलती है दीदी मैं देख रही हूं, अरे दीदी नहीं पम्मो में जब पिछली बार आई थी तब तू कितनी सीधी और भगवान की भक्ति में डूबी हुई थी और मेरे साथ भी समय बिताती थी तेरा चेहरा और ये दोनों गोले भी ढीले ढाले और निस्तेज थे, अबकी बार आई हूं तो कैसी मटक मटक कर चूतड हिलती हुई घूम रही है और ये दोनों गोले भी बहुत उछल कूद मचाए हुए है और मेरी तरफ तो तेरा ध्यान बिलकुल भी नहीं है, और दावे से कह सकती हूं तेरे रंग ढंग देखकर जरूर तेरी चूत भी पेटीकोट में दिन भर पनियाई रहती होगी, मेरी रज्जो अब बता कौन है जिसने तेरा ये हाल किया हुआ है। प्रमिला पहले ही स्वाति की अपने चूचों पर मसलाई की वजह से और पिछले एक घंटे से स्वाति की हालत देखकर बुरी तरह चूत में उबाल खा रही थी और उसकी शर्म ओ हया रफ्फोचक्कर हो चुकी थी मगर फिर भी ये मां बेटे के संबंध की बात थी कैसे खोल देती , सिसियाते हुए ही बोली अरे मेरी भोली भाभी ऐसा तो कुछ भी नहीं है तुझे कोई गलतफहमी हो रही है स्वाति समझ गई अभी थोड़ा पर्दा बाकी है उसने हाथ हटा कर थोड़ी पीछे होकर अपना मुंह प्रमिला की नदी बहती चूत के मुंह पर रख दिया और उसे बुरी तरह चूसने लगी, उसके दाने को जीभ की नोंक से कुरेदने और सहलाने लगी, प्रमिला पूरी ताकत से छटपटाई और बोली स्वाति ये क्या है री पहली बार किसी औरत ने यहां चूमा और चूसा है और वो बुरी तरह अपने हाथों और ऊपरी धड़ को हिलाने लगी और बोली मैं मरी री मेरी मां कोई बचाओ री मुझे haaaa aaaaa aaaaiiii और अपने ही हाथों से अपने मोटे मोटे बूब्स जोरों से दबाने लगी तभी स्वाति ने अपना मुंह उसकी चूत से हटा लिया और वो पलंग से उतर गई, प्रमिला अचानक बंद हुई क्रिया कलाप से चौकी और आंखे खोली तो स्वाति को नीचे खड़ा पाया , तब उसने पूछा क्या हुआ स्वाति उठ क्यों गई, स्वाति बोली जब तुझे बताना ही नहीं है तो फिर मैं ही क्यों बेवकूफ बनू अपने दिल शरीर की तमाम बातें बताकर, और वो धीरे धीरे पीछे होने लगी , प्रमिला ने उसका हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींचा और उसके गालों को चूमती हुई बोली स्वाति समझ न मुझे बहुत शर्म आ रही है इस पर बात करने के लिए pls ना बन्नो नाराज मत हो न,
 
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