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मीना ने अपनी बेहोश पड़ी मां को ज़ख्मी हालत में चुधता देख मानव को रोकने की कोशिश करने लगी।
मीना, “आप कुंवारियों को नहीं चोदते!…
मैं आप को आप के 20 हजार रुपए दूंगी।
अभी! इसी वक्त!…
रुक जाओ!…
रुक जाओ!!…
प्लीज रुक जाओ!!…
मेरी मां मर रही है!!…
रुक जाओ ना!!…”
मानव ने अपने लौड़े को 10 इंच तक पेलते हुए मीना को तरस भरी नजरों से देखा और धक्का लगा कर बेड पर गिरा दिया।
मानव, “बेवकूफ लड़की! तेरी मां कुंवारी थी पर मर्द की सच्चाई जानती थी। इसी लिए उसने तुझे अपनी वासिहत के बारे में चूधने से पहले बताया। मर्द का लौड़ा और जंग का मिसाइल सिर्फ तब तक रोका जा सकता है जब तक उसमें बारूद भरा नहीं जाता। एक बार दोनों चालू हो गए तो बारूद फटने के बाद ही रुकेंगे। अब जा अपनी मां का सर पकड़, जब उसकी बच्चेदानी फटेगी तब उसे कुछ देर के लिए होश आएगा।“
मानव से उसकी बेरहम चुधाई की विधि सुनकर मीना सुन्न हो कर अपनी मां को पकड़ कर बैठ गई। मानव ने अपने लौड़े को समान गति से आगे पीछे करते हुए गीता की कुंवारी योनि को 10 इंच चोदते हुए खोल दिया। मानव ने बेहोश गीता की दबी हुई जवानी को जगाते हुए उसे अपने लौड़े की धुन पर नाचना सिखाया।
गीता की बेहोशी में उसकी जवानी जाग कर झूम उठी। मानव के साथ अपना पहला नाच नाचते हुए उसने अपनी हर चोट और मोच का मजा लिया। मीना ने अपनी मां की सांसों को तेज़ चलते महसूस किया और उसे लगा की ये उसकी मां की आखरी सांसे हैं। मीना ने रोते हुए अपनी मां के सर को अपने मासूम मम्मों के तकिए पर दबाया तो गीता का बदन अकड़ने लगा। गीता बेहोशी में किसी जानवर की तरह आवाजें निकाल कर कांपते हुए झड़ने लगी और मानव ने अपने हाथों से गीता की कमर को कस कर पकड़ा।।
मानव ने गीता के झड़ने के चरम पर अपने लौड़े को पूरी तरह छोड़ दिया। जंगली घोड़े की तरह मानव के लौड़े से लपक कर तेज़ दौड़ लगाई।
गीता (अचानक अपनी आंखे खोल कर दर्द से चीख पड़ी), “मां!!!…”
मानव ने अपने लौड़े की जड़ को गीता के योनि मुख पर दबाते हुए उसके यौन मोती को अपने लौड़े के ऊपरी हिस्से से रगड़ा।
गीता (आह भरते हुए), “मां!!…”
मीना, “हां मां!… मैं यहीं हूं!!…”
गीता, “नहीं… जाओ…”
मीना, “नहीं मां!!… मैं तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगी!…”
इस से पहले कि गीता कुछ और कहती मानव ने अपने लौड़े को 5 इंच बाहर खींच कर गीता की बच्चेदानी को खाली कर दिया।
गीता (आह भरते हुए), “मां!!…”
मानव ने दुबारा अपने लौड़े को ठूंस कर गीता की बच्चेदानी फाड़ कर खोलते हुए भर दी।
गीता (दर्द से तड़प कर), “मां!!…”
मीना ने इस बार गीता के कसे हुए पेट को देखा। गीता की नाभी के नीचे अंदर से 3 इंच लंबी चीज गीता के कसे हुए पेट को अंदर से उठाकर धड़क रही थी। मीना गीता से माफी मांगते हुए उस से लिपट गई।
गीता को एक gynaecologist होने के नाते पता था की हर औरत दर्द एक समान नहीं सेह सकती। अक्सर दर्द से काम वासना टूटने के बारे में गीता ने अपने मरीजों से सुना था पर उसकी बच्चेदानी फटने और योनि फैलने का तेज़ दर्द भी उसकी वासना भड़का रहा था। गीता ने सोचा की अगर इसी तरह मेज लेते हुए वह कल सुबह तक मर गई तो मौत भी उतनी बुरी नही लगेगी।
मानव के लौड़े ने गीता की योनि को फैलाते हुए अपने ऊपर जैसे ढाल लिया था। गीता की एक एक नस मानव के लौड़े से रगड़कर अपने उच्चतम स्तर पर चीखती गीता का बदन जला रही थी। मानव का सुपाड़ा और लौड़े का अग्र भाग गीता की बच्चेदानी को फैलाते हुए उसे एक अनोखे एहसास से भर रहे थे।
मानव ने मीना को अपनी मां की एक चूची चुसवाते हुए गीता के दूसरे मम्मे को दबाया। खाली हाथ से गीता के यौन मोती को मानव ने सहलाया तो गीता यौन उत्तेजना से तड़पकर चीख पड़ी। गीता को मानव के लौड़े ने ऐसे फैला दिया था कि मानव का लंबा मूसल उसके मोती को अंदर से सहलाते हुए मानव के लौड़े की जड़ उसे बाहर से सहला रही थी। बचीकुची कसर मानव की उंगलियों ने पूरी कर दी तो गीता बेहाल होकर चीखते हुए लगातार झड़ने लगी।
अपनी मां की कुंवारी चूत में से उड़ता खून से सना काम रस देख मीना को लगा कि उसकी मां का पेट अंदर से फट गया है और खून की फुहार उड़ रही है। मीना ने मानव पर हमला कर उसे रोकने की कोशिश की जब गीता बुरी तरह अकडकर झड़ते हुए ढीली पड़ गई। मानव का लौड़ा इस आखरी निचोड़ने से हार गया और गीता की जख्मी कोख को अपने गर्म वीर्य का मरहम लगाकर बाहर निकला।
मीना ने अपनी मां को अधमरी हालत में खून सना गाढ़ा घोल अपनी चूत में से बाहर निकालते देखा और रोते हुए अपने हाथ जोड़कर मानव के सामने घुटनों पर बैठ गई।
मीना, “मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई! मैंने गुस्से में अपनी मौसी का प्यार नही पहचाना! पर मेरी गलती की सजा मेरी मां को मिलना इंसाफ तो नही। मैं कुछ भी करूंगी बस मेरी मां को मरने से बचालो! मेरी मां अब भी बच सकती है, उस को और मत चोदो!”
मानव ने बेसुध गीता को देखा और मीना की ओर देख कर मुस्कुराया।
मानव, “कुछ भी…?”
मीना ने गहरी सांस लेकर अपना सर हिलाते हुए अपनी टॉप को ऊपर उठा कर उतार दिया।
मीना, “कुछ भी!… सब कुछ!!…”