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Incest मामा का गांव ( बड़ा प्यारा )

Devrajan

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भाग ३

उधर गौरी अपने सहेली के घर

कम्मो - गौरी आज कितना मजा आया में तुझे बता नही सकती
गौरी - क्या हुवा ..?
कम्मो - आज कल्लू ने मुझे खेतो में जमके चोदा में भी बेसुध हो कर गन्नों के बीच उससे बूर चूदवाती रही।
गौरी - क्या कल्लू...? कल्लू तो तुमारा चहेरा भाई हे।
कम्मो - हा तो क्या हुवा बाहोत दिनों से मेरी बूर के पीछे पड़ा था आज उसे मोका दे दिया उसका लंड छोटा था पर पहली बार में मजा बहुत आया हमने जम के चुदायी की...

गौरी - छी कितनी गंदी बात करती है।
कम्मो- गौरी तुम भी मे कोई मस्त लंड अपने बूर में डलवा लो फिर देखना कितना मजा आता हे।
गौरी- चुप कर कमिनी तू पूरी बिगड़ गए हे अपने ही भाई से....
कम्मो - देख मेरी बात ध्यान से सुन बूर में जब आग लगती हे तो सिर्फ लंड मांगती हे। लंड चाहे किसी का भी को पर उसकी प्यास भुजाए।
गौरी कम्मो की बातो से गरम हो गई उसे बैचेनी महसूस होने लगी बूर हलकी पानिया होने लगी

कम्मो - गौरी की चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाया और हसकर कहा देखा ये कितने बड़े हो गए हे। इसको कीसी मर्द की जरूरत हे।
गौरी - आहा छोड़ कमिनी तू तो काफी बिगड़ गई हे।

गौरी - कम्मो में अब चलती हूं तुजसे बाते करते करते शाम हो गई घर में मां इंतजार कर रही होगी।
कम्मो - ठीक ही मेरी जान पर मेरी बातो पर ध्यान देना।

गौरी वहासे अपने घर की ओर निकल पड़ी उसकी बूर पहली बार पानीया हो गई थी जाते समय साडी के ऊपर से बूर को हलका सा दबाया उसके मुंह से आहा निकल गई
ये क्या हो रहा है मुझे पहले ऐसा कभी नहीं हूवा था। कम्मो कैसे अपने भाई से चुदावा सकती हे क्या बूर सिर्फ लंड देखती हे क्या वो किसी का भी हो।इसी विचारो में गौरी घर पहोच जाति हे।

घर आ कर मां को खाना बनाने में मदत करने लगती हे
रात के वक्त हम सबने मिलकर खाना खाया। में नीचे सर झुकाए चुप चाप खाना खा रहा था। खाना खाने के बाद मामा मामी और गौरी अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।

में अपने कमरे में आ के बिस्तर पे लेट गया और थोड़ी देर पहले घटी हुई घटना के बारे में सोचने लगा और कब मुझे नींद लगी पता ही नही चला।
उधर मामा के कमरे में मामी आंखे बंद कर के थोड़ी देर पहली घटना को याद करने लगती हे।

मंगल अपने भांजे की शर्मनाक हरकत के बारे में सोचकर एकदम शर्मिंदा हुए जा रही थी,,, सूरज की आंखों में कामवासना साफ नजर आ रही थी,,,, मंगल बात सोच कर और भी ज्यादा परेशान और शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि उसके बेट समान सूरज तो अपना था अपना ही बेटा था,,, उसे तो समझना चाहिए और देख भी किसी रहा था अपनी ही मां समान मामी को और वह भी पेशाब करते हुए,,,,छी,,,,,, ।

मंगल सूरज की हरकत बेहद शर्मनाक लग रही थी बार-बार आंखों बंद करके भी अपने पीछे सूरज खड़ा नजर आने लगा था जोकि पूरी तरह से आंख फाड़े उसे ही देख रहा था,,, और तो और उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड भी खडा हो गया था,, जो कि यह बात मंगल अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है,,, इसलिए तो यह सोच सोच कर हैरान थी कि क्या सूरज उसे पेशाब करते हुए देख कर उसे चोदने की इच्छा रखता है क्या...? क्या सच में सूरज मुझे चोदना चाहता है,,,,अगर ऐसा नहीं होता तो उसका लंड खड़ा क्यों होता ,,,,,

यही सब सोचकर मंगल एकदम हैरान थी और काफी परेशान भी इसी विचारो में वह सो गई।
 

Devrajan

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भाग ४

सुबह का वक्त सभी तरफ अंधेरा छाया हुवा था।
विलास जल्दी उठ कर सूरज को जगाने चला गया।
विलास - सूरज में आगे खेतो में जा रहा हु। तुम भी थोड़ी देर में आ जाना सूरज आंखे मलते हुवे ठीक ही मामा।
फिर सूरज कल वाली घटना को भूल कर खेतो की तरफ निकल पड़ा।
सूरज के खेत पास छोटी नहर थी। उसमे नहाकर खेतों पर जा जाने लगा,, चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे,, बाकी के मुकाबले विलास के पास कुछ खेत ज्यादा ही जमीन थी जिसमें वह सब्जियां भी ऊगा लेता था जिससे उसका जीवन निर्वाह अच्छे से हो रहा था,,,

रास्ते में गाना गाते हुआ सूरज चला जा रहा था,,,
तभी सूरज को गन्ने के खेतो से कुछ आवाजें आनी लगती है। तो सूरज गन्ने के खेत में थोड़ा अंदर चला जाता है और देखता हे की। कल्लू और निम्मो जो रिश्ते में भाई बहन हे वो दोनो चुदाई कर रहे थे। सूरज पाहिली बार चुदाई देखा रहा था वो भी भाई बहन की सूरज वही रुक कर उन दोनो की चुदाई देखने लगा।

निम्मो- आह आह कल्लू तू कितना अच्छा चोद्ता है ऐसे ही मुझे चोद्ते रहना, आह और ज़ोर से खूब कस कर चोद आह आह

कल्लू सतसट अपने लंड को अपनी दीदी की चूत मे मारने लगता है और उसका लंड बड़ी चिकनाहट के साथ आगे पिछे होने

लगता है. कल्लू अपनी बहन पर पूरी तरह लेट कर उसके रसीले होंठो को चूमने लगता है और एक हाथ से उसकी चुचियों को
मसल्ने लगता है, करीब 10 मिनिट तक कल्लू अपनी बहन को चोदने के बाद उसकी चूत मे अपना पानी छोड़ देता है और

निम्मो आह-आह करती हुई कल्लू से पूरी तरह चिपक जाती है और उसकी चूत से भी पानी बहने लगता है,

निम्मो- अपनी जाँघो को फैला कर कल्लू को दिखाती हुई देख रामू तूने मेरी चूत से तेरा पानी बह रहा हे।

कल्लू - दीदी अब तो तेरी इस चूत को रोज ऐसा ही पानी बहेगा और हसने लगता है

चुदाई खतम होने के बाद दोनो घर चले जाते हे और सूरज भी अपने खेतो की तरफ निकल जाता हे।
रास्ते में मुझे यह खयाल आता है की कम्मो अपने भाई से केसे चुदावा सकती हे। ये समाज के नियमो के खिलाफ हे पर सूरज जानता था की बूर की प्यास बड़ती हे तो वह रिश्ते नाते नहीं देखती सिर्फ लंड देखती है लंड चाहे उसके भाई का हो या बेटे का वह चूद ज्याती हे। रिश्तो में चुदाई की बात से सूरज का लंड कड़क हो गया।
तभी सूरज को मामी को मुतता हुवा देखने की बात याद अति हे सूरज को भी अपनी मां समान मामी को चोदने की अभिलाषा बढ़ जाती हे। सूरज ने ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो मामी को चोद कर रहूंगा।इन्ही खयालों में खोया हुवा सूरज थोड़ी ही देर में वहां कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर अपने खेतों में घुस गया जहां पर चारों तरफ गन्ने और धान की फसल लहरा रही थी,,, सूरज से भी अधिक ऊंचाई मैदान पूरे खेतों में दूर-दूर तक छाया हुआ था एक तरह से उन धानों के बीच में सूरज खो सा गया था,, ।

सूरज धीरे-धीरे खेतों के बीच में चला जा रहा था,,, देखते ही देखते सूरज खेत के एकदम बीचो-बीच बने अपने मकान में पहुंच गया,,, यह मकान यहां पर खेतों में काम करते-करते थक जाने पर आराम करने के लिए ही बनाई गई थी,,, खेतों के बीच में यह बना मकान बेहद ही खूबसूरत लगता था। मकान के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिसकी वजह से उसकी छाया मकान पर बराबर पडती थी,, और उसकी वजह से ठंडक भी रहती थी।

खेत पहुंच कर में मामा की मदत करने लगा। दोपहर को कड़ी धूप में काम करके बहोत थकान और भूख लग रही थी। तभी मामा बोले

मामा - अब तक घर से कोई भी खाना लेके नही आया सूरज बेटा मुझे भूख लगी
सूरज - हा मामा मुझे भी जोरो की भूख लगी हे।
मामा - तू एक काम कर घर जा के तू पहले खाना खाले और मेरे लिए घर से खाना लेके आ।
सूरज - ठीक ही मामाजी और में घर की ओर निकल पड़ा और मामाजी खेतो के फिरसे काम करने लग गए।

दूसरी तरफ सूरज घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। इसी लिए मामी को आवाज देने लगा पर कोई उत्तर नही आया। इसलिए सूरज गौरी को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया और गौरी को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया सूरज के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि गरमी की वजह से अभी अभी गौरी नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर टावेल ही पहन रखी थी बाकी नीचे कुछ नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और टावेल भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे गौरी के सारे नितंबों का आकार सूरज की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि गौरी की पीठ सूरज की तरफ थी सूरज तो गौरी की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी मामा की लड़की है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
मामी को मुताता देख कर सूरज का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से गौरी को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह कल्लू और कम्मो की चुदाई देख कर गरम हो गया था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह गौरी को इस अवस्था में देख रहा था तब जाकर पता चला था कि गौरी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। गौरी की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। सूरज के मन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से गौरी को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे। क्योंकि ओरातो को केसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है सूरज को मालूम था। लेकिन अभी वह गौरी के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।

तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही गौरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर सूरज खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। गौरी की हड़बड़ाहट देखकर सूरज समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।

गौरी जल्दी से खाना निकाल दो

गौरी जल्दी से अपनी साड़ी उठा कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार सूरज की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी सूरज ने जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,।
थोड़ी ही देर में गौरी रसोई के पास आकर अपने सूरज के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही ।

सूरज को मामी की बड़ी-बड़ी नितंब और गौरी की गोरी गोरी गांड़ ही नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए सूरज का लंड धोती में फूलने लगा।उसे शांत का कर खाना खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे गौरी वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, सूरज द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदन में उतेजना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में सूरज ने खाना खा लिया और गौरी को आवाज देते हुए बोला,,,।

गौरी जल्दी से मामा के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही गौरी अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपने बाबूजी के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, गौरी ने सूरज से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी बाबूजी के लिए खाना बांधते हुए सूरज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,
ये लो खाना जलादि जा वरना खाना ठंडा हो जायेगा।
सूरज गौरी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,

ओर जाते जाते सूरज गौरी से बोला अभी जो कुछ हुवा वह गलती से हो गया मामी को इसके बारे में कुछ मत बताना।
गौरी - मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा में मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( गौरी की बात सुनते ही सूरज मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और गौरी वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या सूरज सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। सूरज कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, गौरी भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,।
तभी उसकी मां आ गई क्या हुवा बेटी कुछ नही मां सूरज आया था खाना लेने उसे खाना से दिया।
मंगल ठीक ही में थोड़ा कमरे में आराम करती हू
गौरी ठीक ही मां में कम्मो से मिलके अति हू
ओर मंगल अपने कमरे में चली जाति हे और गौरी कम्मो से मिलने चली जाति हे

सूरज कल से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, क्योंकि जबसे मामी को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था। सुबह कल्लू और कम्मो की चुदाई देखी
ओर अभी अभी गौरी की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं मामी को पता चल गया तो हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर फिरसे नाराज हो जाए ओर ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,। सूरज खेत पहुंच गया और मामा को खाना दिया। मामा ने खाना खाया कुछ देर आराम किया और वापस खेतो के काम में जुट गए।
 

A.A.G.

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सुबह का वक्त सभी तरफ अंधेरा छाया हुवा था।
विलास जल्दी उठ कर सूरज को जगाने चला गया।
विलास - सूरज में आगे खेतो में जा रहा हु। तुम भी थोड़ी देर में आ जाना सूरज आंखे मलते हुवे ठीक ही मामा।
फिर सूरज कल वाली घटना को भूल कर खेतो की तरफ निकल पड़ा।
सूरज के खेत पास छोटी नहर थी। उसमे नहाकर खेतों पर जा जाने लगा,, चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे,, बाकी के मुकाबले विलास के पास कुछ खेत ज्यादा ही जमीन थी जिसमें वह सब्जियां भी ऊगा लेता था जिससे उसका जीवन निर्वाह अच्छे से हो रहा था,,,

रास्ते में गाना गाते हुआ सूरज चला जा रहा था,,,
तभी सूरज को गन्ने के खेतो से कुछ आवाजें आनी लगती है। तो सूरज गन्ने के खेत में थोड़ा अंदर चला जाता है और देखता हे की। कल्लू और निम्मो जो रिश्ते में भाई बहन हे वो दोनो चुदाई कर रहे थे। सूरज पाहिली बार चुदाई देखा रहा था वो भी भाई बहन की सूरज वही रुक कर उन दोनो की चुदाई देखने लगा।

निम्मो- आह आह कल्लू तू कितना अच्छा चोद्ता है ऐसे ही मुझे चोद्ते रहना, आह और ज़ोर से खूब कस कर चोद आह आह

कल्लू सतसट अपने लंड को अपनी दीदी की चूत मे मारने लगता है और उसका लंड बड़ी चिकनाहट के साथ आगे पिछे होने

लगता है. कल्लू अपनी बहन पर पूरी तरह लेट कर उसके रसीले होंठो को चूमने लगता है और एक हाथ से उसकी चुचियों को
मसल्ने लगता है, करीब 10 मिनिट तक कल्लू अपनी बहन को चोदने के बाद उसकी चूत मे अपना पानी छोड़ देता है और

निम्मो आह-आह करती हुई कल्लू से पूरी तरह चिपक जाती है और उसकी चूत से भी पानी बहने लगता है,

निम्मो- अपनी जाँघो को फैला कर कल्लू को दिखाती हुई देख रामू तूने मेरी चूत से तेरा पानी बह रहा हे।

कल्लू - दीदी अब तो तेरी इस चूत को रोज ऐसा ही पानी बहेगा और हसने लगता है

चुदाई खतम होने के बाद दोनो घर चले जाते हे और सूरज भी अपने खेतो की तरफ निकल जाता हे।
रास्ते में मुझे यह खयाल आता है की कम्मो अपने भाई से केसे चुदावा सकती हे। ये समाज के नियमो के खिलाफ हे पर सूरज जानता था की बूर की प्यास बड़ती हे तो वह रिश्ते नाते नहीं देखती सिर्फ लंड देखती है लंड चाहे उसके भाई का हो या बेटे का वह चूद ज्याती हे। रिश्तो में चुदाई की बात से सूरज का लंड कड़क हो गया।
तभी सूरज को मामी को मुतता हुवा देखने की बात याद अति हे सूरज को भी अपनी मां समान मामी को चोदने की अभिलाषा बढ़ जाती हे। सूरज ने ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो मामी को चोद कर रहूंगा।इन्ही खयालों में खोया हुवा सूरज थोड़ी ही देर में वहां कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर अपने खेतों में घुस गया जहां पर चारों तरफ गन्ने और धान की फसल लहरा रही थी,,, सूरज से भी अधिक ऊंचाई मैदान पूरे खेतों में दूर-दूर तक छाया हुआ था एक तरह से उन धानों के बीच में सूरज खो सा गया था,, ।

सूरज धीरे-धीरे खेतों के बीच में चला जा रहा था,,, देखते ही देखते सूरज खेत के एकदम बीचो-बीच बने अपने मकान में पहुंच गया,,, यह मकान यहां पर खेतों में काम करते-करते थक जाने पर आराम करने के लिए ही बनाई गई थी,,, खेतों के बीच में यह बना मकान बेहद ही खूबसूरत लगता था। मकान के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिसकी वजह से उसकी छाया मकान पर बराबर पडती थी,, और उसकी वजह से ठंडक भी रहती थी।

खेत पहुंच कर में मामा की मदत करने लगा। दोपहर को कड़ी धूप में काम करके बहोत थकान और भूख लग रही थी। तभी मामा बोले

मामा - अब तक घर से कोई भी खाना लेके नही आया सूरज बेटा मुझे भूख लगी
सूरज - हा मामा मुझे भी जोरो की भूख लगी हे।
मामा - तू एक काम कर घर जा के तू पहले खाना खाले और मेरे लिए घर से खाना लेके आ।
सूरज - ठीक ही मामाजी और में घर की ओर निकल पड़ा और मामाजी खेतो के फिरसे काम करने लग गए।

दूसरी तरफ सूरज घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। इसी लिए मामी को आवाज देने लगा पर कोई उत्तर नही आया। इसलिए सूरज गौरी को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया और गौरी को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया सूरज के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि गरमी की वजह से अभी अभी गौरी नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर टावेल ही पहन रखी थी बाकी नीचे कुछ नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और टावेल भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे गौरी के सारे नितंबों का आकार सूरज की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि गौरी की पीठ सूरज की तरफ थी सूरज तो गौरी की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी मामा की लड़की है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
मामी को मुताता देख कर सूरज का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से गौरी को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह कल्लू और कम्मो की चुदाई देख कर गरम हो गया था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह गौरी को इस अवस्था में देख रहा था तब जाकर पता चला था कि गौरी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। गौरी की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। सूरज के मन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से गौरी को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे। क्योंकि ओरातो को केसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है सूरज को मालूम था। लेकिन अभी वह गौरी के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।

तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही गौरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर सूरज खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। गौरी की हड़बड़ाहट देखकर सूरज समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।

गौरी जल्दी से खाना निकाल दो

गौरी जल्दी से अपनी साड़ी उठा कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार सूरज की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी सूरज ने जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,।
थोड़ी ही देर में गौरी रसोई के पास आकर अपने सूरज के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही ।

सूरज को मामी की बड़ी-बड़ी नितंब और गौरी की गोरी गोरी गांड़ ही नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए सूरज का लंड धोती में फूलने लगा।उसे शांत का कर खाना खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे गौरी वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, सूरज द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदन में उतेजना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में सूरज ने खाना खा लिया और गौरी को आवाज देते हुए बोला,,,।

गौरी जल्दी से मामा के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही गौरी अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपने बाबूजी के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, गौरी ने सूरज से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी बाबूजी के लिए खाना बांधते हुए सूरज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,
ये लो खाना जलादि जा वरना खाना ठंडा हो जायेगा।
सूरज गौरी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,

ओर जाते जाते सूरज गौरी से बोला अभी जो कुछ हुवा वह गलती से हो गया मामी को इसके बारे में कुछ मत बताना।
गौरी - मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तुम्हारी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा में मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( गौरी की बात सुनते ही सूरज मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और गौरी वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या सूरज सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। सूरज कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, गौरी भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,।
तभी उसकी मां आ गई क्या हुवा बेटी कुछ नही मां सूरज आया था खाना लेने उसे खाना से दिया।
मंगल ठीक ही में थोड़ा कमरे में आराम करती हू
गौरी ठीक ही मां में कम्मो से मिलके अति हू
ओर मंगल अपने कमरे में चली जाति हे और गौरी कम्मो से मिलने चली जाति हे

सूरज कल से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, क्योंकि जबसे मामी को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था। सुबह कल्लू और कम्मो की चुदाई देखी
ओर अभी अभी गौरी की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं मामी को पता चल गया तो हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर फिरसे नाराज हो जाए ओर ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,। सूरज खेत पहुंच गया और मामा को खाना दिया। मामा ने खाना खाया कुछ देर आराम किया और वापस खेतो के काम में जुट गए।
nice update..!!
 

Devrajan

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भाग ५

दोपहर को गौरी कम्मो के मकान के पास पहोच जाति हे कम्मो मकान जो कच्ची ईटो से बना हुआ था। गौरी मकान के अंदर जाने के लिए दरवाजे के पास पहुंच जाति हे उसे खुसर फुसर की आवाज आ रही थी,,,। ये आवाज मकान के पीछे टूटी फूटी झोपड़ी से आ रही थी। गौरी को कुछ अजीब सा लगा, गौरी धीरे-धीरे अपने पांव आगेे बढ़ा कर झोपड़ी के पास जाने लगी ।,,,,
गौरी धीरे धीरे पैर रखते झोपड़ी की तरफ बढ़ रही थी जैसे जैसे झोपड़ी की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे-वैसे अंदर से आ रही कसूर कसूर की आवाज तेज हो रही थी लेकिन क्या बात हो रही है यह उसके समझ से परे थी। लेकिन उसे इतना तो समझ पड़ गया था कि,,, झोपड़ी में 2 लोग थे।
क्योंकि रह रह कर हंसने की भी आवाज आ रही थी और हंसने की आवाज से उसे ज्ञात हो चुका था

औरते का मन हमेशा उत्सुकता से भरा ही रहता है वह जानना चाहती थी कि इतनी दोपहर में,,, टूटी हुइ झोपड़ी में क्या करें हे जानने के लिए वह फिर से अपने कदमों को आगे बढ़ाने लगी,, जैसे-जैसे झोपड़ी के करीब जा रही थी वैसे वैसे अंदर से हंसने और खुशर फुसर की आवाज तेज होती जा रही थी,,,
जिस तरह से अंदर से लड़की की हंसने की आवाज आ रही थी एक लड़की होने के नाते गौरी इसका एहसास हो चुका था कि, टूटी हुई झोपड़ी के अंदर एक लड़का और लड़की के बीच कुछ हो रहा था जिसे देखना तो नहीं चाहिए था लेकिन गौरी की उत्सुकता उसे अंदर झांकने के लिए विवश कर रही थी।

गौरी आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ रही थी ताकि आवाज ना हो,,,, गौरी पूरी तरह से एहतियात बरत रही थी धीरे धीरे कर के पास टूटे हुए झोपड़ी के करीब पहुंच गई झोपड़ी के करीब पहुंचते ही अंदर से आ रही आवाज साफ सुनाई देने लगी,,,,
वह कितने बड़े बड़े हैं रे तेरे,,,, इसे तो मैं दबा दबाकर पीऊंगा।,,,,,
( गौरी लड़के की आवाज में इतनी सी बात सुनते ही सन्न रह गई,, उसी समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या हो रहा है। गौरी का उत्सुक मन अंदर झांकने के लिए व्याकुल होने लगा और वह इधर-उधर नजरे थोड़ा कर ऐसी जगह ढूंढने लगे कि जहां से अंदर का दृश्य देखा जा सके टूटी फूटी झोपड़ी होने की वजह से जगह-जगह से ईंटे निकल चुकी थी,,, गौरी अपने आप को कच्ची दीवार में से निकली हुई ईट की दरार में से अंदर झांकने से रोक नहीं पाई और उसने अपने चारों तरफ नजरे जुड़ा कर इस बात की तसल्ली कर ली थी कोई उसे देख तो नहीं रहा है और तसल्ली करने के बाद अपनी आंखों को टूटी हुई ईंट की दरार से सटा दी,,,,,,
गौरी इस समय किसी बच्चे की तरह व्याकुल और ऊत्सुक हुए जा रही थी।
गौरी का व्याकुल मन इधर उधर ना होकर केवल टूटी हुई झोपड़ी के अंदर स्थिर हो चुका था।,,,
निकली हुई ईंट की दरार में से,, अंदर का दृश्य देखते ही गौरी पूरी तरह से सन्न हो गई,,, अंदर कल्लू जो की दुबला पतला काले रंग का लड़का जो कम्मो रिश्ते में उसकी बहन लगती है उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए पी रहा था,,, यह नजारा गौरी के लिए बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था। पल भर में ही गौरी की सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,,, एक बार अंदर का नजारा देखने पर गौरी की नजरें हट नहीं रही थी वह व्याकुल मन से अंदर का नजारा देखने लगी।
गौरी पहली बार चुदाई देख रही थी
अंदर कल्लू जोर जोर से उस कम्मो की दोनों चुचियों को दबा दबा कर जितना हो सकता था उतना मुंह में भरकर पी रहा था। और वह कम्मो अपनी स्तन चुसाई का भरपूर आनंद लूटते हुए बोल रही थी।
आहहहहहहहह,,,,, और जोर जोर से पी मेरे कल्लू बहुत मजा आ रहा है,,,,,।
( कम्मो की बेशर्मी भरी बातें सुनकर गौरी थोड़ी सी विचलित हो रही थी,,, कि कम्मो भला इस तरह की गंदी बातें कैसे बोल सकती है,,,, फिर भी ना जाने की गौरी को कम्मो की बातें सुनकर अंदर ही अंदर आनंद की अनुभूति हो रही थी गौरी बार बार अपने चारों तरफ नजरें दौड़ा ले रही थी कि कोई से इस स्थिति में ना देख ले,,,,।
मेरी कम्मो रानी आज तो तुझे जी भर कर चोदुंगा,,,,
मेरे कल्लू राजा,,, जब तक तेरा लंड मेरी बुर में नहीं जाता तब तक चुदाई का मजा ही नहीं आता,,,,
( दोनों की गंदी बातें गौरी के तन बदन में आग लगा रही थी पहिली बार उसने इस तरह का नजारा देख था)


अगर किसी की भी नजर इस तरह से पड़ जाती तो उसके बारे में क्या सोचेगा इसलिए वह वहां से जाना चाहती थी वह वहां से नजर हटाने ही वाली थी कि,,, उस कम्मो ने पजामे की डोरी खोल कर कल्लू के खड़े लंड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दी,,, कम्मो की हरकत को देखकर गौरी का धैर्य जवाब देने लगा,,,, उसके कदम फिर से वही ठिठक गए और वह ध्यान से उस नजारे को देखने लगी,,, कम्मो ने जिस लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर हिला रही थी वह पूरी तरह से एकदम काला था। कल्लू का लंड ज्यादा बड़ा नहीं था पर कड़क था लंड देखकर गौरी अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,
दोनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे टूटी हुई झोपड़ी में जिस तरह का खेल चल रहा है उसे देखकर गौरी भी धीरे-धीरे उत्तेजना की तरफ बढ़ रही थी उसकी जांघों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी थी गौरी अभी कुछ समझ पाती इससे पहले ही उस कल्लू ने कम्मो को घुमाया और जैसे कम्मो भी सब कुछ समझ गई हो वह खुद-ब-खुद अपनी पेटीकोट को पकड़कर कमर तक उठा दी और झुक गई
गौरी यह देखकर उत्तेजित होने लगी उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा,, क्योंकि वह नही जानती थी कि इससे आगे क्या होने वाला है।,,
गहरी सांसे लेते हुए गौरी अंदर का नजारा देखती रही और कल्लू ने कम्मो को चोदना शुरू कर दिया,,, कम्मो की चीख और गर्म पिचकारी की आवाज सुनकर गौरी को समझते देर नहीं लगी की वह कम्मो,,, मजे ले लेकर कल्लू से चुदवा रही थी। कल्लू भी उसकी कमर थामे उस कम्मो को चोद रहा था। गौरी का वहां खडी रहना उसके बस में नहीं था क्योंकि उसे अपने बदन में हो रही हलचल असामान्य लग रही थी ।वह वहां से सीधे घर की तरफ चल दी
गौरी कच्चे रास्ते पर से अपने घर पर लौट चुकी थी,,।
रास्ते भर वह टूटे हुए झोपड़ी के अंदर के दृश्य के बारे में सोचती रही ना जाने कल्लू और कम्मो आज उस दृश्य से हट नहीं रहा था यकीन नहीं हो रहा कि जो उसने देखी वह सच है।,, कल्लू खड़ा लंड अभी भी ऊसकी आंखों के सामने घूम रहा था।,,
टूटी हुई झोपड़ी के उस कामोत्तेजक नजारे ने गौरी के तन बदन में अजीब सी हलचल मचा रखी थी।
जांघो के बीच की सुरसुराहट ऊसे साफ महसूस हो रही थी। पहिली इस तरह की हलचल को अपने अंदर महसूस की थी,,,, बार बार दोनों के बीच की गर्म वार्तालाप उसके कानों में अथड़ा रहे थे।
उसे सोच कर अजीब लग रहा था कि औरत एक मर्द से इस तरह की अश्लील बातें कैसे कर सकती है। लेकिन यह एक सच था अगर किसी दूसरे ने उसे यह बात कही होती तो शायद उसे यकीन नहीं होता लेकिन यह तो वह अपनी आंखों से देख रही
अपनी आंखों से देख रही थी अपने कानों से सुन रही थी इसलिए इसे झुठलाना भी उसके लिए मुमकिन नहीं था।,,,
वह घर पर पहुंच चुकी थी जांघो के बीच हो रहे गुदगुदी को अपने अंदर महसूस करते ही उसके हाथ साड़ी के ऊपर से ही बुर वाले स्थान पर चले गए जिससे उसे साफ आभास हुआ कि उस स्थान पर गीलेपन का संचार हो रहा था जोंकि उसका काम रस ही था। पहली बार गौरी की बुर गीली हुई थी,,, इस गीलेपन के एहसास से उसे घ्रणा भी हो रही थी तो अदृश्य कामोन्माद से आनंद की अनुभूति भी हो रही थी।,,, गौरी की कच्छी कुछ ज्यादा ही गीली महसूस हो रही थी जिसकी वजह से वह असहज महसूस कर रही थी,,,। इसलिए वह अपनी कच्ची को बदलने के लिए कमरे में दाखिल होने जा रही

कमरे में आते ही अपनी कच्ची को नीचेकी तरफ सरका ते हुए,,,, उसे घुटनों से नीचे कर दी अब वह आराम से अपनी पूरी हुई बुर को देखने लगी गौरी काफी दिनों बाद अपनी खूबसूरत बुरको निहार रही थी,,,, गौरी के चेहरे पर मासूमियत फेली हुई थी,,, ठीक वैसी ही मासूमियत देसी मासूमियत एक मां अपने छोटे से बच्चे को देखते हुए महसूस करती है। अपनी खूबसूरत गरम रोटी की तरह फुली हुई बुर को देखकर वह मन ही मन सोचने लगी कि,,,,,

वह कुंवारी थी बूर पे बस हल्के हल्के बालों का झुरमुट सा बन गया है २२ साल की गौरी से रहा नहीं गया और वह हल्के से अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ा कर हथेलियों से अपनी बुर को सहलाने लगी,,, ऐसा करने पर गौरी को आनंद की अनुभूति हो रही थी वह हल्के हल्के अपनी फुली हुई बुर पर झांटों के झुरमुटों के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दी,,,,, गौरी अपनी ही हरकत की वजह से कुछ ही पल में उत्तेजित होने लगी उसकी सांसे तेज चलने लगी,,,, हथेली का दबाव बुर के ऊपरी सतह पर बढ़ने लगा लेकिन अपनी बढ़ती हुई और तेज दौड़ती हुई सांसो पर गौर करते ही वह अपने आप को संभाल लीया,,,,
पल भर में ही अपने आप पर काबू पाकर घुटनों के नीचे फंसी हुई कच्ची को पैरों का सहारा लेकर अपने लंबे गोरे पैराे से बाहर निकाल दी,,,,
यह नजारा बेहद कामुक लग रहा था एक हाथ से गौरी अपनी सारी को संभाले हुई थी और कमर के नीचे का भाग पूरी तरह से संपूर्ण नग्नावस्था में था।
भरावदार सुडोल खुली हुई गांड का गोरापन दूध की मलाई की तरह लग रहा था,,, साथ ही मोटी चिकनी जांगे केले के तने की समान चमक रही थी।,,,, गौरी वैसे ही हालत में एक हाथ से अपनी साड़ी को पकड़े हुए अलमारी की तरफ बढ़ी अपने कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ाने की वजह से उसकी भारी भरकम नितंबों का लचक पन बेहद ही मादक लग रहा था। इस स्थिति में अगर कोई भी गौरी के दर्शन कर ले तो उसका जन्म सफल हो जा
गौरी ने अलमारी खोलकर अपनी कच्ची ढूंढ रही थी।,,,,, और आलमारी खोल कर वह अपनी पीले रंग की कच्ची बाहर निकाल ली और वापस अलमारी को बंद कर दी,,,,,
गौरी नीचे की तरफ झुक कर अपने एक पैर को कच्छी के एक छेद में डाल दी और अगला पैर उठा कर दूसरे छेद में डाल दी,,,,
कच्छी पहनकर वाह अपनी साड़ी को नीचे गिरा कर,,,, बिस्तर पर लेट गई अभी घटी हुवि घटना के बारे में सोचते हुवे उसे नींद आ गई।

खेत में काम करते वक्त विलास के पीछे बड़ा सा साप आ जाता हे विलास कुछ आवाज अति हे इसी लिए वह पीछे मुड़ता हे पीछे देखा कर विलास डर जाता हे बड़ा सा साप जो उसे काटने ही वाला होता है तभी सूरज की नजर उस पर जाति हे सूरज जलादि से पास में पड़ी लकड़ी उठाकर साप की ओर फेक देता है जो साप को लगती है साप तेजी से वहा से भाग जाता हे।
विलास बहुत डरा हुवा था अगर साप उसे काट लेता तो शायद उसी जान भी चली जाति।
सूरज दौड़ता हुवा मामा के पास चला जाता हे और मामा को संभालने लगता है
विलास - बेटा तू नही होता तो मेरा आज क्या होता सूरज - आप छोड़िए इन बातो को चलिए मकान में आप आराम कीजिए
सूरज मामा को लेके खेत में बने मकान में चला जाता हे

शाम के विलास ओर सूरज खेतो से वापस घर की ओर निकल पड़ते हे रास्ते में उसे कल्लू दिखाई देता है जो शाम को आखरी बस के किधर तो जा रहा था। वही पर उसे अपना दोस्त पप्पू दिखाई देता है तो वह कल्लू को बस में छोड़ने आया था।
सूरज - मामाजी आप आगे चले जाओ में पप्पू से बाते करके आता हू। विलास जल्दी आना बेटा कहकर अकेला ही घर की ओर निकल पड़ता है।
सूरज पप्पू को अपने पास बुलाकर उससे बाते करने लागत हे।

विलास घर पहुंच कर मंगल को आवाज दे कर बाहर बुला लेता है और उसे दोपहर को घटी सारी घटना बता देता है।
मंगल ये बात सुनकर चौक जाति हे और कहती हे आप ठीक तो है
विलास में ठीक हू सच कहूं ये जो बंजर जमीन मेंं कोई सोच भी नही सकता था की खेती की जा सकती हे उन खेतो में जो हरियाली हे वह सूरज बेटे की बदौलत हे।
में तो नाम ही किसान हू इसके पीछे सूरज की मेहनत हे जो हमे किसी भी चीज की कोई कमी नही।

मंगल को समाज आ गया था की सूरज ने उसके सुहाग की जान बचाई थी और खेत उसके मेहनत की बदौलत आज फले ओर फूले थे। मंगल को कल की बातो का अफसोस हो रहा था की उसने सूरज को डाटा था।
मंगल को समझ आ गया था की उसमे सूरज की कोई गलती नही थी सब अनजाने में हुवा।
मामा बाते खतम कर के घर के अंदर जाने लगाते हे।

मंगल बाहर खड़ी रहकर सूरज का इंतजार करने लगती हे। थोड़ी देर बाद सूरज घर के अंदर आ जाता हे।

तभी मामी सूरज आवाज देकर बुला रही थी और सूरज उसकी तरफ आगे बढ़ता चला जा रहा था लेकिन जैसे-जैसे अपनी मामी की तरफ आगे बढ़ता चला जा उसे डर लग रहा था और साथ में उसके जेहन में बसा वह दृश्य उसके मन मस्तिष्क पर उभरने लगा था,,,,। कल्लू और कम्मो की चुदाई देख कर सूरज का नजरिया हर औरत के लिए बदलने लगा था,,, मामी के करीब बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे उसकी आंखों के सामने,,, उसकी मामी की नंगी गांड और उसकी बुर में से निकलती हुई पेशाब की तेज धार नजर आने लगी थी और यह दृश्य उसके मन में उभरते ही उसके लंड का तनाव बढ़ना शुरू हो गया था,,, बार-बार वह अपने मन को दूसरी तरफ भटकाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा उसके लिए शायद मुमकिन नहीं हो पा रहा था,,,, पहली बार में ही वह अपनी मामी की नंगी गांड के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुका था।

वह धीरे-धीरे मामी के करीब पहुंच गया और मंगल ने एक पल की भी देरी किए बिना उसे अपने गले से लगा लीया,,,,, ओर उसके पूरे चेहरे पर चुंबनों की बारिश कर दी,,,
सूरज को कुछ समाज नही आ रहा था।बूत बना अपनी मां समान मामी के चुंबन होता मजा ले रहा था और चुंबनो के बाद...
मामी ने उसे अपने गले से अपने सीने से लगा ली,,,, मामी के सीने से लगते ही सूरज के तन बदन में शोले भड़क में लगे उसका पूरा वजूद उत्तेजना की लहर में कांप गया,,,, क्योंकि जिस तरह से मामी ने उसे अपने सीने से भींचते हुए गले लगाई थी,,, उससे मामी की भारी-भरकम चूचियां सूरज के सीने से रगड़ खा रही थी और उसकी तनी हुई निप्पल उसके सीने में चुप रही थी जिसकी चुभन को वह अच्छी तरह से अपनी छातियों पर महसूस कर रहा था,,,, उत्तेजना के बारे में पूरी तरह से गनगना गया था,,,, पर अपनी मामी की इस हरकत की वजह से उसे अपने धोती में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होता हुआ महसूस हो रहा था,,, और उसे यह भी साथ महसूस हो रहा था कि उसका खड़ा लंड तंबू की शक्ल लेकर उसकी मामी की टांगों के बीच ठीक उसकी बुर वाली जगह पर ठोकर मार रहा था,,,। उसे इस बात का पता तो नहीं था कि उसकी मामी को उसके तंबू के कठोर पन का एहसास अपनी बुर पर हो रहा है कि नहीं लेकिन,,, इतने से ही सूरज का पूरा वजूद हिल गया था उसका ईमान डोल ने लगा था,,,,। मंगल अभी भी सूरज को अपने गले से लगाए उसे दुलार कर रही थी,,,


वह अपनी मामी के खूबसूरत बदन के आकर्षण में पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था उसे बराबर महसूस हो रहा था कि उसके धोती में बना तंबू उसकी मामी की टांग के बीच उसकी बूर पर ही दस्तक दे रही है लेकिन अपने बेटे समान भांजे को दुलार करने में मंगल को शायद इस बात का अहसास तक नहीं हो पा रहा था कि उसके गुप्तांगों को उसके भांजे का गुप्त अंग स्पर्श कर रहा है एक तरह से कपड़ों के ऊपर से ही सूरज का मोटा तगड़ा लंड अपनी मामी की कसी हुई बुर का चुंबन कर रहा था,,,,।

सूरज पूरी तरह से उत्तेजना के आवेश में आ चुका था और वह भी अपने हाथ को अपनी मामी की पीठ पर रखकर अपना प्यार दर्शा रहा था,,,,।

मामी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि पल भर में ही यह क्या हो गया जिस तरह की चुभन वह अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस की थी क्या सच में उसके भांजे का लंड बेहद तगड़ा है,,,। क्या सूरज ने अपनी हथेली को जानबूझकर उसकी गांड पर रखकर दबाया था या अनजाने में हो गया था,,,
मंगल यही सब अपने मन में सोच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सूरज की हरकत का क्या निष्कर्ष निकाला जाए,,
मंगल को अच्छा तो नहीं लग रहा था सूरज के द्वारा इस तरह की हरकत करना लेकिन जो कुछ भी हुआ।
ना जाने क्यों उसके तन बदन में आग सी लग गई थी,,,। वह अपने भांजे को दुलार करते हुए गले से तो लगाया था। लेकिन उसके बाद जिस तरह की हरकत सूरज ने किया था वह उसे सोचने पर मजबूर कर गया था क्योंकि एक तरह से सूरज उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपनी हथेली को उसके संपूर्ण बदन पर इधर से उधर घुमा भी रहा था और दुलार करते समय ना जाने कब उसकी हथेली उसकी बड़ी बड़ी गांड पर आ गई यह उसे पता भी नहीं चला लेकिन अगर यह सब अनजाने में हुआ तो रघु ने उसके नितंबों पर अपनी हथेली का दबाव बनाकर अपनी तरफ क्यों खींचा और तो और वह अपनी टांगों के बीच की चुभन को बराबर महसूस की थी और अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह कठोर चीज उसकी मखमली द्वार पर ठोकर मारने वाली कौन सी चीज थी मंगल अच्छी तरह से जानती थी की साड़ी के ऊपर से भी एकदम बराबर अपनी ठोकर को महसूस कराने वाली चीज उसके भांजे का खड़ा लंड था,,, पर एक औरत होने के नाते वह यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब और किस कारण से खड़ा होता है
मंगल अपने आप को संभालते हुवे सूरज को अलग कर के कहती हे बेटा जा अंदर मेने गरमा गरम खाना बनाया हे खाले सूरज मामी से अलग हो कर घर के अंदर चला जाता हे।

मंगल के दिमाग में है मेरे बेटे समान भांजा ऐसा नहीं हो सकता यह सब अनजाने में हुआ था,,, और मंगल अपने मन को झूठी दिलासा देते हुए उस और से अपना ध्यान हटाते हुवे घर के अंदर चली गई।
ओर सबको खाना परोसने लगी
रात को सभने खाना खाया और सोने के लिए चले गए।
 
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