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Incest मामा का गांव ( बड़ा प्यारा )

Sanju@

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भाग ६

आधी रात में मंगल को जोरो की पेशाब लगती हे। रात का समय था उसे बाहर जाने में डर लग रहा था।इस लिए मंगल विलास को जगाने लगती हे।
मंगल - गौरी के बाबा उठिए मुझे पेशाब लगी हे मुझे बाहर जाने में डर लग रहा है।
विलास - नींद में चली जा आगे में आता हूं और सो गया।
विलास नही जगा इस लिए मंगल अकेली घर के पीछे चली जाति हे।
बाहर चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल कुत्तों के भौंकने और सियार की ही आवाज आ रही थी जाहिर था पूरे गांव वाले नींद की आगोश में सो रहे थे।
वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी की कोई उसे मुतते हुवे न देख ले। पर उसे कहीं कोई दिखाई तो नहीं दे रहा और वैसे भी इतनी आधी रात को वहां कौन आने वाला था लेकिन फिर भी मन की शांति के दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
बाहर घना अंधेरा था कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।जैसे तैसे मंगल घर के पीछे एक बड़ा पेड़ था पेड़ के पास ही जंगली झाड़ियों के पीछे पहुंच गई।

घर के अंदर सूरज को जोरो की पेशाब लगी थी इस लिए वह नींद से जाग कर कमरे से बाहर आ गया दूसरी तरफ विलास को भी पेशाब लगी थी इस लिए विलास कमरे से बाहर आया उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो विलास बोला
सूरज बेटा इतनी रात को कहा जा रहे हो
सूरज सकपकता हुवा ओ.. ओ... दरअसल मुझे पेशाब लगी थी इस लिए में पेशाब करने बाहर जा रहा था।
विलास चलो मुझे भी पेशाब लगी हे साथ में मिलके चलते हे। सूरज और विलास बाते करते करते बाहर आने लगे।

इधर बाहर
झाड़ियों के पीछे मंगल ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठालीया लाल रंग की कच्छी नीचे सरका के पेशाब करने बैठ गई।
कुछ ही सेकंड में बुर से निकलती हुई सीटी की आवाज वातावरण में गूंजने लगी
बड़ी-बड़ी घास होने की वजह से मंगल हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठाए हुए थी,,, और उसकी हल्के से उठी हुई गांड किसी पहाड़ी की तरह लग रही थी।

मंगल इस समय अपनी मत मस्त गांड को उठाकर एकदम मन मोहिनी लग रही थी जो कि पृथ्वी के किसी भी इंसान को अपनी तरफ मोहित कर देने में सक्षम थी। मंगल की बुर से लगातार मधुर संगीत फूट रही थी उसे इतनी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी कि चारों तरफ फैले हुए सन्नाटे में उसकी बुर की सीटी की आवाज बहुत दूर तक जा रही थी,,,।

वातावरण में शीतलता के साथ-साथ चांदनी भी फैली हुई थी लेकिन जिस स्थान पर मंगल मूत रही थी वहां घनी झाड़ियां थी,,, बड़ी ओर घनी जंगली झाड़ियां के पीछे मूतने के कारण मंगल किसीको भी नजर नहीं आ सकती थी ,,,

मंगल लगातार अपनी गुलाबी बुर के छेद में से नमकीन पानी की बौछार जंगली झाड़ियों पर कर रही थी,,,
धीरे-धीरे करके मंगल की पेशाब की टंकी पूरी तरह से खाली हो गई वह जबरदस्ती प्रेशर देकर अपनी गुलाबी बूर के छेद में से बची दो चार बूंदों को भी बाहर निकाल देना चाहती थी इस लिए अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के से दो-तीन बार झटके देकर वहां अपनी बुर के किनारे पर फंसे पेशाब की बूंदों को बाहर झटक दी,,,
मंगल पेशाब करके उठाने ही वाली थी तभी

विलास और सूरज घर के पीछे आ जाते हे। उनकी आवाज सुने मंगल उसी अवस्था में वही बैठी रहती हे।
विलास सूरज चलो उन झाड़ियों के पास चलत कर मुतते
हे
सूरज मामा के सात पेशाब करने में शरमा रहा था।नही मामाजी में दूसरी तरफ जाता हू विलास अरे शरमा क्यों रहा है चल मेरे साथ और विलास और सूरज झाड़ियों की तरफ जाने लगाते हे।
मंगल उनकी बातो ओर पास आते हुवे कदमो की आवाज से डर जाति हे। मंगल अभी तक साड़ी कमर तक उठाए हुवे नीचे से नंगी थी।
विलास झाड़ियों के पास पेड़ था वहा मूतने चला गया और सूरज जंगली झाड़ियों के पास चला जाता हे।
मंगल को झाड़ियों के पास किसी के कदमों की आहट आने लगी मंगल डराने लगी की आगे क्या होगा। कदमों की आहट झाड़ियों के पास आ कर रुक गई।
धोती में सूरज का मुसल जैसा लंड पूरी तरह से आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,,
उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी थी ,,, सूरज ने धोती खोली और वह वही खड़े होकर मुतने लगा,,,
पेशाब की जोरदार तिरछी धार झाड़ियों में से हल्की खुली जगह से गुजरते हुवे सीधे मंगल की नंगी बूर पर जा गिरी इस हमले से मंगल सिहर गई लंड का गरम पानी बूर पर गिरते ही उसके मुंह से हल्की सी आहा.... निकल गई जो किसी ने नहीं सुनी। मंगल वहासे उठाना चाहती थी लेकिन वह ऐसा करती तो पकड़ी जाती ओर अपने पति और सूरजबेटे के सामने शर्मिंदा होती। वह साड़ी नीचे भी नही कर सकती अगर ऐसा करती तो चूड़ियों की आवाज से दोनो को मालूम पड़ जाता झाड़ियों के पीछे कोई हे।
इस लिए मंगल वैसे ही बैठी रही।
बूर पर पेशाब की गरम मोटी धार की गर्माहट पाकर उसे लगा कि बूर बर्फ की तरह पिघल ना जाए। पेशाब की गरम धार से मंगल के बुर से मदन रस का रिसाव हो रहा था ,,, मंगल बहुत गरम हो रही थी।मंगल को यह लग रहा था कि कहीं उसकी बुर से मदन रस की धार ना छूट जाए,,,।
सूरज जोरो से पेशाब की धार बूर पे मारे जा रहा था।
मंगल का मुंह बैचेनी जी वजह से खुला हुआ था।
सूरज के लंड में पेशाब की आखरी धार बची थी
सूरज ने अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके झुलाकर पेशाब की आखरी धार छोड़ दी,,,।

जो झाड़ियों के पीछे जा के मंगल के ब्लाउज़ के ऊपर चूचियों पर और मुंह में गिर गई मंगल को कुछ समाज नही आया और अनजाने में मुंह में गिरा पेशाब पी गई।
मंगल को पेशाब खारे नमकीन गरम पानी जैसा लगा। वह कुछ कर भी नही सकती थी।
पेशाब करने के बाद सूरज ने लंड को धोती में डाल दिया
उधर विलास का भी पेशाब करके हो गया था। फिर दोनो साथ में अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
मंगल अभी भी उसी अवस्था में बैठी हूई थी।पेशाब के गरम पानी ने उसे गीला कर दिया था। पेशाब का गरम पानी मंगल की बूर के झाटो से होते हुवे धीरे धीरे जमीन पर गिर रहा था। मंगल को समाज नही आ रह था की उसके सामने कोन पेशाब कर रहा था। उसके पति या फिर स स स सूरज का नाम लेते ही बूर फूलने लगी।
उसे ये जानने की इच्छा थी कि किसने झाड़ियों के पास पेशाब की उसे यह बात सिर्फ उसका पति ही बता सकता है।
इसी लिए जलादि से मंगल खड़ी हो गई पेटीकोट से अपनी गीली बूर को साफ किया। लाल रंग की कच्छी बड़े बड़े चूतड़ों पे पहन ली और साड़ी नीचे कर कर घर के अंदर चली गई।
अंदर कमरे में आ के बिस्तर पे लेट जाति हे। विलास मंगल को बिस्तर पर लेटता देख उससे कहता हे।कहा थी तुम में बाहर आया था पर मुझे तुम दिखाई नहीं दी। वो में बाथरूम में पेशाब करने गई थी।
पर आप कहा थे..?
विलास - मै पेशाब करने के लिए कमरे से बाहर आया तो सूरज भी कमरे से बाहर पेशाब करने के किया आया। तो हम साथ में चले गए।
मंगल - कहा....?
विलास - घर के पीछे
मंगल - घर के पीछे कहा... उसकी जिज्ञासा बड़ती चली जा रही थी।
विलास - तू भी न छोटी बच्ची की तरह सवाल पूछ रही हे
मंगल - तो फिर सही से बताओ ना।
विलास - में पेड़ के पास पेशाब कर रहा था बस हो गया ना।अब मुझे सोने दे मुझे सुबह खेतो में जाना हे।
मंगल - ओर सूरज कहा था
विलास - ओहो मंगल तू भी सवाल पे सवाल किए जा रही हे। सूरज झाड़ियों के पास पेशाब कर रहा था बस अब और सवाल नही में सो रहा हू।
ओर खराटे लेते हुवे गहरी नींद में सो जाता हे।

पर मंगल नींद नहीं आ रही थी। ये बात सुन कर मंगल सुन्न रह गई।अभी थोड़ी देर पहले उसके बूर पे जो पेशाब गिरा था वह सूरज का था ये जानने के बाद...
मंगल का मन बहक ने लगा उसके पांव आकर्षण के चिकनी माटी में फीसलते चले जा रहे थे।
मंगल की कच्छी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसे कुछ कसमसाहट सा महसूस हो रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी साड़ी को पकड़ के ऊपर की तरफ सरकाने लगी... देखते ही देखते मंगल अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी। उसकी लाल रंग की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जो कि उसे साफ साफ नजर आ रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह खाली कल्पना करके ही बूर इतना सारा पानी फेंक चुकी है उसकी बुर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना महसूस कर रही थी क्योंकि उसकी फुली हुई बुर कच्छी के ऊपरी सतह पर किसी गरम कचोरी की तरह नजर आ रही थी। मंगल कच्छी के ऊपर से ही अपनी पुर की हालत को देखकर एकदम उत्तेजित हो गई वह धीरे धीरे अपनी गीली वाली जगह पर अपनी हथेली रखकर अपने बुर को रगड़ना शुरू कर दी कुछ ही पल में मंगल को मज़ा आने लगा और उसके मुख से गरम-गरम सिसकारी की आवाज भी आने लगी मंगल के चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे थे उसका गोरा गाल लाल टमाटर की तरह हो गया था कुछ देर तक यूं ही वह कच्छी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलती रही। यह सब करते हुए भी उसके मन के एक कोने में यह सब बड़ा ही घृणित लग रहा था लेकिन अपने आनंद के वश में होकर वह रुकने का नाम नहीं ले रही थी... वह कभी अपनी बुर मसल रही थी तो दूसरे हाथ से कभी अपनी नंगी चिकनी मक्खन जैसी जांघों को सहला रही थी तो कभी उसी हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपने फड़फड़ाते दोनों कबूतरों को शांत करने की कोशिश कर रही थी।
मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी सही गलत सोचने का उसके पास समय बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि इस समय वह आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे और उसके जेहन में उस आनंद का केंद्र बिंदु उसका भांजा सूरज था। जो थोड़ी देर पहले उसकी बूर पर अनजाने में पेशाब किया था।सुगंधा अपनी हथेली को अपनी नंगी बुर पर रखकर हल्के हल्के दबाने लगी और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते वह अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से अपनी बूर की गहराई में उतार दी और एक हल्की चीख के साथ अपनी आंखों को बंद करके उस उंगली से बुर के अंदर अंदर बाहर हो रही रगड़ का आनंद लेने लगी मंगल को मजा आने लगा कुछ देर तक वह अपनी एक ही उंगली से अपनी बुर को चोदती रही। लेकिन एक उंगली से उसकी बुर की खुजली शांत होने वाली नहीं थी इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली भी अपने बुर के अंदर डाल दी और अपने सूरज बेटे के मोटे तगड़े लंड की कल्पना करने लगी वह ना चाहते हुए भी ऐसी कल्पना कर रही थी कि सूरज उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर चोद रहा है और जैसे-जैसे अपनी उंगली को बड़ी तेजी से बुर के अंदर-बाहर करती वैसे वैसे उसकी कल्पनाओं का घोड़ा उसके बेटे की हिलती हुई कमर को देखती रहती और उस नजारे की कल्पना करके मंगल का तन बदन एक अद्भुत सुख के एहसास से भर जा रहा था..... उसके मन में यही विचार उमड़ रहा था कि जैसे-जैसे वह अपनी उंगलियों की गति को बुर के अंदर बाहर करते हुए बढ़ाती वैसे वैसे सूरज जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुवे अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा है उसकी उत्तेजना का आलम इस कदर उस पर हावी हो चुका था कि अपनी उंगली से अपनी बुर चोदते हुए वह पूरी तरह से बिस्तर पर छटपटा रही थी
( पर पास में विलास खराटे मारता हुवा गहरी नींद में सो रहा था उसे मालूम ही नहीं था की उसकी पत्नी प्यासी हे और बूर में अपने बेटे का लंड की कल्पना कर के उंगली अंदर बाहर कर रही हे )
उसकी साड़ी उसके बदन से अलग हो चुकी थी और उत्तेजना ग्रस्त मंगल ना जाने कब अपनी उंगली से हस्तमैथुन करते हुए सूरज ओहो सूरज करके मजे लेने लगी इस बात का उसे पता भी नहीं चला और थोड़ी देर बाद उसकी बुर ने ढेर सारा पानी फेंक दी। काफी वर्षों के मंगल की बूर ने पानी छोड़ा था। उसे इस एहसास ने काफी आनंदित किया था कुछ देर तक वह यूं ही बिस्तर पर लेटी रही लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब वासना का तूफान उसके दिमाग से थम चुका था। उसे इस बात का अहसास होने लगा कि उसने जो किया वह गलत था।मंगल को अपने किए पर शर्मिंद गी आ रहीं थी। थोड़ी देर पहले सूरज ने जो किया वह अनजाने में हुवा लेकिन उसने जो सूरज का नाम लेके बूर से पानी छोड़ा वह गलत था। मंगल ने ठान लिया की आज के बाद वह ये सब हरकत कभी नही करेगे चाहे कुछ भी हो। आखिर सूरज उसके बेटे जैसा हे।ओर यही सोचकर बिस्तर में सो गई।
वाह बहुत की कामुक अपडेट
इसी तरह incest का जनम होता है जो आगे चलकर प्यार और बस प्यार में बदल जाता ह मगर दुनिया इसको गलत मानती ह जो सारा सर गलत ह
अब मंगल को अपने भांजा से सच्चा प्यार होगा
 
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मंगल और सूरज की चुदाई बाहोत जबरदस्त होने वाली हे आप सबको बहोत मजा आयेगा।
बिल्कुल और गोरी की भी बुर की सील सिर्फ और सिर्फ सूरज के तगड़े लौड़ा से ही होगा की नहीं ??????????
 
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