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Incest मामा का गांव ( बड़ा प्यारा )

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भाग १

शाम के वक्त सभी लोग अपने अपने खेतो से काम करके वापस घर की ओर लोट रहे थे उनमें से एक था विलास कुमार

विलास कुमार ४२ साल का आदमी जो अपने गांव में रहकर खेती संबलता था।उसके पास १२ एकड़ का बड़ा खेत का हिस्सा था।
खेत बड़ा होने के कारण विलास ज्यादा तर खेतो में ही रहता था। इसी लिए विलास ने खेतो में एक मकान। बनवाया था। ज्यादा बड़ा तो नही था आराम करने लायक था।

विलास की पत्नी मंगलदेवी
एक गदराई हुई ४० साल की खूबसूरत औरत जो पिछले ५ साल से अपनी चूत की आग अपनी उँगलियों से तो कभी गाजर मूली से शांत करते आ रही है। क्योंकि
विलास में पहले जैसी फुर्ती नही रही।
मंगलदेवी जरा गरम स्वभाव की ,यह विलासकुमार का नसीब ही होगा की मंगल जैसी पत्नी उसको मिली।


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बेटी गौरी कुमारी २२ साल बिलकुल अपनी मां की तरह दिखने में जवानी में बस कदम रखे थे। गांव की सहेलियों से की वजह से चुदायी के बारे में मालूम था। पर कभी देखी नही थी।

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विलास कुमार का भांजा जो बचपन से उनके साथ रहता है।
सूरज कुमार २३ साल का हटा कट्टा जवान मर्द खेतो में काम करने की वजह से सख्त शरीर था। उसका ९ इंच का लंड किसी भी ओरात की चूत की प्यास बुझाने के लिए काफी था।

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Bahut hi mazedar aur sexy kahani hai
 

Rajizexy

❤Lovely Doc
Supreme
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भाग ६

आधी रात में मंगल को जोरो की पेशाब लगती हे। रात का समय था उसे बाहर जाने में डर लग रहा था।इस लिए मंगल विलास को जगाने लगती हे।
मंगल - गौरी के बाबा उठिए मुझे पेशाब लगी हे मुझे बाहर जाने में डर लग रहा है।
विलास - नींद में चली जा आगे में आता हूं और सो गया।
विलास नही जगा इस लिए मंगल अकेली घर के पीछे चली जाति हे।
बाहर चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल कुत्तों के भौंकने और सियार की ही आवाज आ रही थी जाहिर था पूरे गांव वाले नींद की आगोश में सो रहे थे।
वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी की कोई उसे मुतते हुवे न देख ले। पर उसे कहीं कोई दिखाई तो नहीं दे रहा और वैसे भी इतनी आधी रात को वहां कौन आने वाला था लेकिन फिर भी मन की शांति के दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
बाहर घना अंधेरा था कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।जैसे तैसे मंगल घर के पीछे एक बड़ा पेड़ था पेड़ के पास ही जंगली झाड़ियों के पीछे पहुंच गई।

घर के अंदर सूरज को जोरो की पेशाब लगी थी इस लिए वह नींद से जाग कर कमरे से बाहर आ गया दूसरी तरफ विलास को भी पेशाब लगी थी इस लिए विलास कमरे से बाहर आया उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो विलास बोला
सूरज बेटा इतनी रात को कहा जा रहे हो
सूरज सकपकता हुवा ओ.. ओ... दरअसल मुझे पेशाब लगी थी इस लिए में पेशाब करने बाहर जा रहा था।
विलास चलो मुझे भी पेशाब लगी हे साथ में मिलके चलते हे। सूरज और विलास बाते करते करते बाहर आने लगे।

इधर बाहर
झाड़ियों के पीछे मंगल ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठालीया लाल रंग की कच्छी नीचे सरका के पेशाब करने बैठ गई।
कुछ ही सेकंड में बुर से निकलती हुई सीटी की आवाज वातावरण में गूंजने लगी
बड़ी-बड़ी घास होने की वजह से मंगल हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठाए हुए थी,,, और उसकी हल्के से उठी हुई गांड किसी पहाड़ी की तरह लग रही थी।

मंगल इस समय अपनी मत मस्त गांड को उठाकर एकदम मन मोहिनी लग रही थी जो कि पृथ्वी के किसी भी इंसान को अपनी तरफ मोहित कर देने में सक्षम थी। मंगल की बुर से लगातार मधुर संगीत फूट रही थी उसे इतनी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी कि चारों तरफ फैले हुए सन्नाटे में उसकी बुर की सीटी की आवाज बहुत दूर तक जा रही थी,,,।

वातावरण में शीतलता के साथ-साथ चांदनी भी फैली हुई थी लेकिन जिस स्थान पर मंगल मूत रही थी वहां घनी झाड़ियां थी,,, बड़ी ओर घनी जंगली झाड़ियां के पीछे मूतने के कारण मंगल किसीको भी नजर नहीं आ सकती थी ,,,

मंगल लगातार अपनी गुलाबी बुर के छेद में से नमकीन पानी की बौछार जंगली झाड़ियों पर कर रही थी,,,
धीरे-धीरे करके मंगल की पेशाब की टंकी पूरी तरह से खाली हो गई वह जबरदस्ती प्रेशर देकर अपनी गुलाबी बूर के छेद में से बची दो चार बूंदों को भी बाहर निकाल देना चाहती थी इस लिए अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के से दो-तीन बार झटके देकर वहां अपनी बुर के किनारे पर फंसे पेशाब की बूंदों को बाहर झटक दी,,,
मंगल पेशाब करके उठाने ही वाली थी तभी

विलास और सूरज घर के पीछे आ जाते हे। उनकी आवाज सुने मंगल उसी अवस्था में वही बैठी रहती हे।
विलास सूरज चलो उन झाड़ियों के पास चलत कर मुतते
हे
सूरज मामा के सात पेशाब करने में शरमा रहा था।नही मामाजी में दूसरी तरफ जाता हू विलास अरे शरमा क्यों रहा है चल मेरे साथ और विलास और सूरज झाड़ियों की तरफ जाने लगाते हे।
मंगल उनकी बातो ओर पास आते हुवे कदमो की आवाज से डर जाति हे। मंगल अभी तक साड़ी कमर तक उठाए हुवे नीचे से नंगी थी।
विलास झाड़ियों के पास पेड़ था वहा मूतने चला गया और सूरज जंगली झाड़ियों के पास चला जाता हे।
मंगल को झाड़ियों के पास किसी के कदमों की आहट आने लगी मंगल डराने लगी की आगे क्या होगा। कदमों की आहट झाड़ियों के पास आ कर रुक गई।
धोती में सूरज का मुसल जैसा लंड पूरी तरह से आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,,
उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी थी ,,, सूरज ने धोती खोली और वह वही खड़े होकर मुतने लगा,,,
पेशाब की जोरदार तिरछी धार झाड़ियों में से हल्की खुली जगह से गुजरते हुवे सीधे मंगल की नंगी बूर पर जा गिरी इस हमले से मंगल सिहर गई लंड का गरम पानी बूर पर गिरते ही उसके मुंह से हल्की सी आहा.... निकल गई जो किसी ने नहीं सुनी। मंगल वहासे उठाना चाहती थी लेकिन वह ऐसा करती तो पकड़ी जाती ओर अपने पति और सूरजबेटे के सामने शर्मिंदा होती। वह साड़ी नीचे भी नही कर सकती अगर ऐसा करती तो चूड़ियों की आवाज से दोनो को मालूम पड़ जाता झाड़ियों के पीछे कोई हे।
इस लिए मंगल वैसे ही बैठी रही।
बूर पर पेशाब की गरम मोटी धार की गर्माहट पाकर उसे लगा कि बूर बर्फ की तरह पिघल ना जाए। पेशाब की गरम धार से मंगल के बुर से मदन रस का रिसाव हो रहा था ,,, मंगल बहुत गरम हो रही थी।मंगल को यह लग रहा था कि कहीं उसकी बुर से मदन रस की धार ना छूट जाए,,,।
सूरज जोरो से पेशाब की धार बूर पे मारे जा रहा था।
मंगल का मुंह बैचेनी जी वजह से खुला हुआ था।
सूरज के लंड में पेशाब की आखरी धार बची थी
सूरज ने अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके झुलाकर पेशाब की आखरी धार छोड़ दी,,,।

जो झाड़ियों के पीछे जा के मंगल के ब्लाउज़ के ऊपर चूचियों पर और मुंह में गिर गई मंगल को कुछ समाज नही आया और अनजाने में मुंह में गिरा पेशाब पी गई।
मंगल को पेशाब खारे नमकीन गरम पानी जैसा लगा। वह कुछ कर भी नही सकती थी।
पेशाब करने के बाद सूरज ने लंड को धोती में डाल दिया
उधर विलास का भी पेशाब करके हो गया था। फिर दोनो साथ में अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
मंगल अभी भी उसी अवस्था में बैठी हूई थी।पेशाब के गरम पानी ने उसे गीला कर दिया था। पेशाब का गरम पानी मंगल की बूर के झाटो से होते हुवे धीरे धीरे जमीन पर गिर रहा था। मंगल को समाज नही आ रह था की उसके सामने कोन पेशाब कर रहा था। उसके पति या फिर स स स सूरज का नाम लेते ही बूर फूलने लगी।
उसे ये जानने की इच्छा थी कि किसने झाड़ियों के पास पेशाब की उसे यह बात सिर्फ उसका पति ही बता सकता है।
इसी लिए जलादि से मंगल खड़ी हो गई पेटीकोट से अपनी गीली बूर को साफ किया। लाल रंग की कच्छी बड़े बड़े चूतड़ों पे पहन ली और साड़ी नीचे कर कर घर के अंदर चली गई।
अंदर कमरे में आ के बिस्तर पे लेट जाति हे। विलास मंगल को बिस्तर पर लेटता देख उससे कहता हे।कहा थी तुम में बाहर आया था पर मुझे तुम दिखाई नहीं दी। वो में बाथरूम में पेशाब करने गई थी।
पर आप कहा थे..?
विलास - मै पेशाब करने के लिए कमरे से बाहर आया तो सूरज भी कमरे से बाहर पेशाब करने के किया आया। तो हम साथ में चले गए।
मंगल - कहा....?
विलास - घर के पीछे
मंगल - घर के पीछे कहा... उसकी जिज्ञासा बड़ती चली जा रही थी।
विलास - तू भी न छोटी बच्ची की तरह सवाल पूछ रही हे
मंगल - तो फिर सही से बताओ ना।
विलास - में पेड़ के पास पेशाब कर रहा था बस हो गया ना।अब मुझे सोने दे मुझे सुबह खेतो में जाना हे।
मंगल - ओर सूरज कहा था
विलास - ओहो मंगल तू भी सवाल पे सवाल किए जा रही हे। सूरज झाड़ियों के पास पेशाब कर रहा था बस अब और सवाल नही में सो रहा हू।
ओर खराटे लेते हुवे गहरी नींद में सो जाता हे।

पर मंगल नींद नहीं आ रही थी। ये बात सुन कर मंगल सुन्न रह गई।अभी थोड़ी देर पहले उसके बूर पे जो पेशाब गिरा था वह सूरज का था ये जानने के बाद...
मंगल का मन बहक ने लगा उसके पांव आकर्षण के चिकनी माटी में फीसलते चले जा रहे थे।
मंगल की कच्छी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसे कुछ कसमसाहट सा महसूस हो रहा था इसलिए वह खुद ही अपनी साड़ी को पकड़ के ऊपर की तरफ सरकाने लगी... देखते ही देखते मंगल अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी। उसकी लाल रंग की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जो कि उसे साफ साफ नजर आ रहा था उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह खाली कल्पना करके ही बूर इतना सारा पानी फेंक चुकी है उसकी बुर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना महसूस कर रही थी क्योंकि उसकी फुली हुई बुर कच्छी के ऊपरी सतह पर किसी गरम कचोरी की तरह नजर आ रही थी। मंगल कच्छी के ऊपर से ही अपनी पुर की हालत को देखकर एकदम उत्तेजित हो गई वह धीरे धीरे अपनी गीली वाली जगह पर अपनी हथेली रखकर अपने बुर को रगड़ना शुरू कर दी कुछ ही पल में मंगल को मज़ा आने लगा और उसके मुख से गरम-गरम सिसकारी की आवाज भी आने लगी मंगल के चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे थे उसका गोरा गाल लाल टमाटर की तरह हो गया था कुछ देर तक यूं ही वह कच्छी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलती रही। यह सब करते हुए भी उसके मन के एक कोने में यह सब बड़ा ही घृणित लग रहा था लेकिन अपने आनंद के वश में होकर वह रुकने का नाम नहीं ले रही थी... वह कभी अपनी बुर मसल रही थी तो दूसरे हाथ से कभी अपनी नंगी चिकनी मक्खन जैसी जांघों को सहला रही थी तो कभी उसी हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपने फड़फड़ाते दोनों कबूतरों को शांत करने की कोशिश कर रही थी।
मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी सही गलत सोचने का उसके पास समय बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि इस समय वह आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे और उसके जेहन में उस आनंद का केंद्र बिंदु उसका भांजा सूरज था। जो थोड़ी देर पहले उसकी बूर पर अनजाने में पेशाब किया था।सुगंधा अपनी हथेली को अपनी नंगी बुर पर रखकर हल्के हल्के दबाने लगी और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते वह अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से अपनी बूर की गहराई में उतार दी और एक हल्की चीख के साथ अपनी आंखों को बंद करके उस उंगली से बुर के अंदर अंदर बाहर हो रही रगड़ का आनंद लेने लगी मंगल को मजा आने लगा कुछ देर तक वह अपनी एक ही उंगली से अपनी बुर को चोदती रही। लेकिन एक उंगली से उसकी बुर की खुजली शांत होने वाली नहीं थी इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली भी अपने बुर के अंदर डाल दी और अपने सूरज बेटे के मोटे तगड़े लंड की कल्पना करने लगी वह ना चाहते हुए भी ऐसी कल्पना कर रही थी कि सूरज उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर चोद रहा है और जैसे-जैसे अपनी उंगली को बड़ी तेजी से बुर के अंदर-बाहर करती वैसे वैसे उसकी कल्पनाओं का घोड़ा उसके बेटे की हिलती हुई कमर को देखती रहती और उस नजारे की कल्पना करके मंगल का तन बदन एक अद्भुत सुख के एहसास से भर जा रहा था..... उसके मन में यही विचार उमड़ रहा था कि जैसे-जैसे वह अपनी उंगलियों की गति को बुर के अंदर बाहर करते हुए बढ़ाती वैसे वैसे सूरज जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुवे अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा है उसकी उत्तेजना का आलम इस कदर उस पर हावी हो चुका था कि अपनी उंगली से अपनी बुर चोदते हुए वह पूरी तरह से बिस्तर पर छटपटा रही थी
( पर पास में विलास खराटे मारता हुवा गहरी नींद में सो रहा था उसे मालूम ही नहीं था की उसकी पत्नी प्यासी हे और बूर में अपने बेटे का लंड की कल्पना कर के उंगली अंदर बाहर कर रही हे )
उसकी साड़ी उसके बदन से अलग हो चुकी थी और उत्तेजना ग्रस्त मंगल ना जाने कब अपनी उंगली से हस्तमैथुन करते हुए सूरज ओहो सूरज करके मजे लेने लगी इस बात का उसे पता भी नहीं चला और थोड़ी देर बाद उसकी बुर ने ढेर सारा पानी फेंक दी। काफी वर्षों के मंगल की बूर ने पानी छोड़ा था। उसे इस एहसास ने काफी आनंदित किया था कुछ देर तक वह यूं ही बिस्तर पर लेटी रही लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब वासना का तूफान उसके दिमाग से थम चुका था। उसे इस बात का अहसास होने लगा कि उसने जो किया वह गलत था।मंगल को अपने किए पर शर्मिंद गी आ रहीं थी। थोड़ी देर पहले सूरज ने जो किया वह अनजाने में हुवा लेकिन उसने जो सूरज का नाम लेके बूर से पानी छोड़ा वह गलत था। मंगल ने ठान लिया की आज के बाद वह ये सब हरकत कभी नही करेगे चाहे कुछ भी हो। आखिर सूरज उसके बेटे जैसा हे।ओर यही सोचकर बिस्तर में सो गई।
Nice story 👌 👌👌💯
 
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Rajizexy

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भाग ७

सुबह में और मामा जल्दी उठ कर खेतो की तरफ निकल पड़े ओर खेत पहुंच कर काम करने लगे। सूरज का कल से बुरा हाल हो रहा था। उसक लंड धोती में बार बार खड़ा हो रहा था। उसे तो बस पहिली चुदाई का इंतजार था।
तभी सुधिया जो रिश्ते में सूरज की मामी लगती हे वह विलास मामा के खेतो में आइ।

सुधिया ४२ साल की औरत


( सुधियां मामी के बड़े भाई की पत्नी जो इसी गांव में रहकर खेती करता था। सुधियां मामी की सहेली भी हे और मेरे दोस्त पप्पू की मां भी )
वह हमारे खेतो में आइ।
उसका खेत हमारे खेतो के पास में ही था। खेत में आके मामा से बात करने लगी

सुधीया - विलासजी जरा सूरज को मेरे साथ भेजिए ना जरा खेतो में कुछ काम हे।
विलास - इस में पूछने की क्या बात ले जाइए
मामा मुझसे कहने लगे सूरज बेटा जा भाभीजी की मदत कर के घर चला जा आज खेतो में ज्यादा काम नही हे।
सूरज - ठीक ही मामाजी और में सुधिया मामी के साथ उनके खेतो में चला गया।

सुधिया सूरज को लेकर खेत में के के चली गई।
सुधियां ट्रांसपेरेंट पीली रंग की साड़ी में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ट्रांसपेरेंट साड़ी की वजह से उसका गोरा बदन पीले रंग की साड़ी में भी साफ-साफ नजर आ रहा था। सुधियां की गहरी नाभि एक छोटी सी बुर के समान बेहद मनमोहक और कामुक लग रही थी जिस पर नजर पड़ते हैं सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी। सुधियां आगे आगे चल रही थी और सूरज पीछे पीछे चल रहा था।

सुधियां के नितंबों में एक अजीब सा भारीपन और थिरकन नजर आ रहा था और वह पीले कल साड़ी के अंदर होने के बावजूद भी साफ साफ महसूस हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे सुधियां के कमर के नीचे दो बड़े-बड़े गुब्बारे पानी से भरे हुए बांधे हो और चलने पर इधर-उधर हो रहे हैं। सूरज को अपनी मामी की मटकती हुई गांड बहुत ही खूबसूरत लग रही थी जिसकी वजह से धोती में सोया हुआ उसका लंड हरकत कर रहा था।
सुधियां ऊंची नीची पगडंडी पर संभाल संभाल कर अपने पैर रखते हुए आगे बढ़ रही थी।

लेकिन सुधिया को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसके पीछे चल रहा उसका भांजा उसके भराव दार बड़ी बड़ी गांड को घूर रहा है।

कुछ देर के बाद सुधियां और सूरज खेत में पाहोच गए।

सुधियां - अच्छा हुआ तू आ गया अब जल्दी से घास का ढेर रस्सी से बांधकर मेरे सर पर रख दे,,,,।( सुधिया एकदम सीधी खड़ी होते हुए और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर बड़ी ही मादक अदा दिखाते हुए बोली हालांकि यह बिल्कुल उसके लिए सहज था उसने कोई जानबूझकर इस तरह की अदा नहीं दिखाई थी लेकिन सूरज के देखने का रवैया पूरी तरह से बदल चुका था इसलिए सुधिया के इस तरह से खड़े होने पर भी ऐसे सुधिया के अंदर मादकता नजर आ रही थी,,, सूरज घास के ढेर को रस्सी से बांधते बांधते सुधिया के खूबसूरत यौवन का रस अपनी आंखों से पीने लगा,,,, सुधीया की दोनों चूचियां कसे हुए ब्लाउज में और भी ज्यादा उछाल मार रहे थे,,,। उनको देखते ही सूरज के मुंह में पानी आ गया,,,,,

सूरज घास के ढेर के बोझ को रस्सी से अच्छी तरह से बांध चुका था,,,। वैसे तो इस बोझ को सूरज को ही उठाना था लेकिन सूरज के मन में कुछ और चल रहा था,,,। इसलिए वह घास के ढेर को उठाकर सुधिया के सर पर रखने की तैयारी करने लगा और सुधिया भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी वह अपने लिए जगह बना कर अच्छी तरह से खड़ी हो गई ताकि सूरज आराम से उसके सर पर घास का ढेर रख सके,,, घास के बोझ को उठाकर सूरज सुधिया के सर पर रखने लगा,,, घास का ढेर कुछ ज्यादा ही था,,, सूरज सुधिया के ठीक सामने से उसके सर पर बोझ रखने लगा,,, वह बोझ उसके सर पर रखने के बहाने धीरे-धीरे सुधिया के एकदम करीब आने लगा इतना करीब के देखते ही देखते सुधिया की मदमस्त जवान चूचियां सूरज के सीने से स्पर्श होने लगी,,, सुधिया की मस्त चूचियों की कड़ी गोलाईया जैसे ही सूरज के सीने में स्पर्श करते हुए चुभने लगी वैसे ही तुरंत सूरज के तन बदन में आग लग गई उसका पूरा शरीर उत्तेजना के मारे गनगना गया,,,,, पल भर में ही सूरज को लगने लगा कि जैसे वह उछल कर चांद को छू लिया हो,,, अद्भुत अहसास से वह पूरी तरह से भर गया,,,, पर यही हाल सुधिया का भी होगा बोझ उसके सर पर रखने के बहाने चुचियों के बेहद करीब आ गया था और उसे भी अपनी मदमस्त चूचियां सूरज की चौड़ी छाती पर स्पर्श के साथ-साथ रगड़ होती हुई भी महसूस होने लगी थी,,,, सुधिया के तन बदन में भी उत्तेजना का संचार होने लगा,,,। पल भर में ही उसे भी ना जाने क्या अपने तन बदन में हलचल महसूस होने लगी थी,,,,। सूरज के इतने करीब होते हुए सुधिया अपने आप को असहज महसूस करने लगी थी,,,। सूरज अभी भी उसके माथे पर घास के बोझे को ठीक तरह से रखने की कोशिश कर रहा था,,,, और इसी कोशिश में वह सुधिया के और ज्यादा करीब आ गया अब वह इतना ज्यादा करीब आ गया था कि उसके धोती में बना तंबू देखते ही देखते सुधियां की दोनों टांगों के बीच स्पर्श होने लगी,,,, और देखते ही देखते सूरज के धोती का तंबू लग जा की दोनों टांगों के बीच के मखमली द्वार पर ठोकर मारने लगा,,,
दोनों टांगों के बीच में ठोकर सूरज के बदन के कौन से अंग की है पर यह एहसास सुधियां को होते ही वह पूरी तरह से कसमसाने लगी और वह पूरी तरह से लाचार और असहज हो गई जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पीछे की तरफ गिर गई साथ ही वह गिरते-गिरते अनजाने में ही अपने दोनों हाथ को सूरज के कमर पर रखकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए उसको भी लेकर गिर गई,,,, सूरज ठीक उसके दोनों टांगों के बीच गिरा हुआ था और सुधिया उसके ठीक नीचे थी,,,।

सुधिया के होश उड़ गए जब उसे साफ महसूस होने लगा कि सूरज का लंड जोकि धोती में होने के बावजूद भी तंबू की तरह खड़ा था वह ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर लगा रहा था सूरज का लंड तो धोती के अंदर था लेकिन गिरने की वजह से सुधीया की साड़ी पूरी तरह से कमर के ऊपर चढ़ चुकी थी जिससे वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई थी और इस समय सुधिया की नंगी बुर पर सूरज के धोती मैं बना तंबू पूरी तरह से छा चुका था,,,। सूरज के लंड के कठोरपन को अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस करते ही सुधिया एकदम से गनगना गई,,,, सूरज को इस बात का एहसास हो गया था कि उसके लंड की ठोकर सुधिया की नंगी बुर के ऊपर हो रही है इसलिए वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था।सूरज ने जानबूझकर अपनी कमर को हल्के से नीचे की तरफ दबा दिया जिससे इस बार सूरज के धोती के तंबू का घेराव सुधिया की मखमली बुरके गुलाबी पत्तियों को हल्का सा खोल कर अंदर की तरफ जाने का प्रयास करने लगी,,। और सुधिया को इसका एहसास हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बड़ी गर्मजोशी के साथ वह सूरज को अपने आप में समाने की इजाजत दे दे या उसे रोक दें इसी कशमकश में वह,,, दर्द के मारे कराह उठी,,,,


आहहहहह,,,,,,


सूरज - क्या हुआ मामी तुम्हें चोट तो नहीं लगी,,,,


मेरे ऊपर गिरा पड़ा है और कहता है कि चोट नहीं लगी तेरी वजह से मेरे पैर में दर्द हो रहा है,,,

( सूरज अभी भी बातें करता हुआ अपने कमर का दबाव सुधिया कि दोनों टांगों के बीच उसकी मखमली बुर पर बनाया हुआ था,,,। सच पूछो तो सूरज का मन सुधियां के ऊपर से उठने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था उसका मन तो कर रहा था कि धोती थोड़ा नीचे करके अपने नंगे लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन इस तरह से करना अभी उचित नहीं था,,,।)

सुधिया - चल अब उठेगा भी या इसी तरह से पड़ा रहेगा,,,,

सूरज - हां मामी उठता हूं मुझे तो तुम्हारी फिक्र थी,,,,( सूरज अच्छी तरह से जानता था कि कमर के नीचे से सुधिया पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए उसके मखमली बदन को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं सका,,, और उसने के बहाने वह सुधिया की नंगी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करते हुए उठा
जिस तरह से वह अपनी हथेली उसकी जांघों पर रखकर उसे हल्का सा दबाया था,,,, सुधिया पूरी तरह से उत्तेजना में सिहर उठी थी उसका संपूर्ण बदन अपना वजूद होता हुआ महसूस कर रहा था,,,,। अपने मन के अरमान को पूरा करते हुए रखो सुधिया के ऊपर से उठा तो लग जा झट से अपनी साड़ी को अपनी कमर के नीचे फेंक कर अपने नंगे जिस्म को ढक ली,,,, सूरज उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, पल भर में ही सुधिया के लिए सब कुछ बदला बदला सा हो गया था,,,,
( सुधियां का पति शराबी था। शराबी पति की चुदाई का सुख ना के बराबर था और सूरज के जवान लंड ने जिस तरह का स्पर्श कराकर उसे पूरी तरह से झकझोर दिया था उस तरह का एहसास उसके पति के द्वारा कभी नहीं उसे हुआ था,,, )
उत्तेजना के मारे उसका गला सूख गया था जिसे वह अपने थूक से गीला करने की कोशिश कर रही थी,,,। सूरज भी समझ रहा था कि कुछ ज्यादा ही हो गया था,,,। इसलिए वह ज्यादा छूट लेने की कोशिश नहीं कर रहा था कहीं लेने के देने न पड़ जाए यही सोचकर वह बोला,,,।
सूरज चलिए में आपको झोपड़ी में छोड़ देता हू।( सुधियां के खेत में झोपड़ी बनी हुवि थी जो गरमी में आराम करने के काम अति थी )
सुधियां नही बेटा मेरा पैर दर्द कर रहा ही मुजसे चला नही जायेगा।

सूरज - मामी आपकी झोपड़ी पास में ही हे में आपको गोद में उठा कर झोपड़ी में छोड़ देता हू और बाद में इस घास को ले आता हू।
पहले तो सुधिया ने मना किया फिराबाद में उसके घुटने में दर्द हो रहा था,, इस लिए मान गई

सूरज - में आपको गोद में उठा ता हू
सुधियां - संभाल कर सूरज गिरा मत देना,,,।

सूरज - आप मेरे हाथों में हो मामी गिरने नहीं दूंगा,,,।
इतना कहने के साथ ही सूरज ने सुधीया को गोद मे उठा लिया
गोद में उठा ने की वजह से ब्लाउज का पहला बटन खुल चुका था जिसकी वजह से उसके दोनों खरबूजे आपस में एकदम सटे हुए थे और दोनों खरबूजा के बीज की पतली लकीर बेहद लुभावनी लग रही थी,,ब्लाउज में से निप्पल ब्लाउज के अंदर से भी बाहर झलक रही थी,, सूरज को सुधियां के निप्पल का नूकीलापन बेहद आकर्षक लग रहा था।

सुधियां की भारी-भरकम चूचियां ब्लाउज में से उसकी सांसों की गति के साथ होले होले ऊपर नीचे हो रही थी जो कि बेहद मादकता का अनुभव करा रही थी यह सब देख कर सूरज के तन बदन में नशा सा छाने लगा था

सूरज इच्छा हो रही थी कि सुधीया चूची को मुंह में भर कर जी भर कर पीए,,, उत्तेजना के मारे सूरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, उसका लंड आसमान की तरफ मुंह करके खड़ा था और अब धीरे-धीरे सुधियां की साड़ी के ऊपर से बूर पर स्पर्श होने लगा था कुछ देर तक तो सुधियां को समझ में नहीं आया कि उसकी साड़ी के ऊपर से बूर पर रगड़ खा रही और चुभन दे रही चीज क्या है,,,लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बूर पर चुभ रही और रगड़ खा रही चीज कुछ और नहीं बल्कि सूरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड है तो इस बात के एहसास से ही पल भर में ही उसकी बुर ऊतेजना के मारे गरम रोटी की तरह फूलने पिचकने लगी,,।
( सुधियां सोचने लगी की शुक्र हे की मेने साड़ी पहनी हे अगर ये साड़ी नही होती तो सूरज का तगड़ा मोटा लंड मेरी बूर में घुस जाता )

काफी महीने गुजर गए थे उसे उत्तेजना का अनुभव किए हुए लेकिन पलभर में ही उसे उत्तेजना का एहसास होने लगा था
सूरज मोटे तगड़े लंड को अपनी बूर पे एकदम साफ तौर पर महसूस की थी,,,और एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना तो पता ही होगा कि एक मर्द का लंड किस अवस्था में और कब खड़ा होता है,,

सूरज का लंड उसकी साड़ी के ऊपर से बूर पर बार बार ठोकर मार रहा है,,,,,, सुधीया को मजा आने लगा था। पर डर भी लग रहा था

सूधिया - बेटा कोई देख लेगा हमे इस हालत में जाते हुए तो।
सूरज - मामी कोई नही हे यह पे चारो तरफ गन्ने का खेत हे आप फिकर मत कीजिए।

सूरज का लंड खड़ा होने की वजह से चलते चलते उसकी धोती खुल गई और उसका लंबा मोटा लंड हवा में लहराने लगा।
और सुधियां की साड़ी भी कमर तक चढ़ गई अब सुधिया भी नीचे से नंगी थी।

अब नीचे से दोनो नंगे होने की वजह से सुधियां की बूर का पूरा भार सूरज के लोहे जैसे लंड पर आ गया था "

पहली बार अपने लंड को किसी औरत की बुर के ऊपर पाकर सूरज पूरी तरह से जोश में आ गया था उसकी उत्तेजना और प्रसन्नता समाए नहीं समा रही थी वो बेहद खुश था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो उसे जन्नत का मज़ा मिलने लगा था लेकिन अभी तो उसका लंड केवल बूर के प्रवेश द्वार पर ही दस्तक दे रहा था।

सुधियां को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती के ऊपर सूरज के मोटे तगड़े गरम लंड का एहसास हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना में आकर सिहर उठी,,,,,आहहहहहहह सूरज,,,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारी के साथ सूरज का नाम निकल गया,,,,,।

"लन्ड सुधिया की बूर पर टकराते ही लन्ड जोर से फड़फड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन लंड गांड़ के नीचे दबे होने से उसके सुपाड़े की खाल ही आगे पीछे हो पा रही थी "

सुधियां को अपनी बुर के ऊपर रगड़ते हुवे लंड से इस बात का एहसास हो गया था कि सूरज का लंड ज्यादा ही मोटा और लंबा है जो कि बड़े आराम से उसकी बुर के ऊपर रेशमी बालों के झुरमुट पर आगे पीछे हो रहा था,,,,,
सुधिया को अपनी बूर के रेशमी बालों के झुरमुट पर सूरज का लंड काले नाग की तरह लग रहा था जो कि उसकी गुलाबी बिल में जाने के लिए बेताब था,,,,।

सूरज की सांसे बेहद गहरी चल रही थी उसका चौड़ा सीना ओर चौड़ी छाती को देखकर सुधियां समझ गई थी कि सूरज पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ जवान लड़का है जो उसे अपनी गोद में उठाए हूवा चल रहा है।

सुधियां - बेटा जल्दी से चलो ,

"सूरज तेजी से चलने लगा जिससे उसका लंड का सुपाडा जोर-जोर से सुधियां की गुलाबी बुर पर पटकने ओर रगड़ने लगा और तेजी से चलने की वजह से सुधियां के चूतड ऊपर नीचे उछल कूद कर रहे थे "
जिससे सुधियां को अंदर ही अंदर बहोत मजा आ रहा था।
( सुधियां मन में ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,,,ओहहहहहह, सूरज,,,,, मेरे राजा तूने तो कमाल कर दिया है रे,,,। लंड रगड़ने की वजह से जब इतना मजा आ रहा है तो जब तेरा लंड मेरी बुर में जाएगा तब कितना मजा आएगा,,,,)

"सूरज ने चलते हुए एक हल्की सी छलांग लगाई जिससे सुधियां की कमर ज्यादा ऊपर की ओर उछल गई और सूरज का लंड झटके खाते हुए सुपाड़ा आसमान की तरफ हो गया और जैसे ही सुधियां उछलने के बाद पहले वाली अवस्था में आने की कोशिश करने लगी , सूरज का आधा लंड सुधिया की बूर में घुस गया"

लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियों को चीरता हुआ अंदर धंस गया था,,,

सुधियां के दर्द के मारे चीख पडी"

सुधिया - आआआह....आह्हह्हह ...ऊऊह्ह्ह्ह....बेटा मर गई मैं तो ......आह्ह्ह्....

पहली बार सूरज का लंड बूर के अंदर जाने की वजह से
"हल्का सा दर्द सूरज को भी हुआ
उसका सुपाड़ा पूरा खुल गया था।धक्का इतना जबरदस्त और तेज था कि सुधियां के मुंह से चीख निकल गई लेकिन उस चीज को उस सन्नाटे में उस वीराने में सुनने वाला इस समय कोई नहीं था,,,।

सूरज - आआह्ह्ह....मामी..

आशा - आआआअह्हह्ह्....बेटा निकाल

सूरज (अनजान बनते हुए ) - किसको निकालू मामी ...

सुधियां - आहहहहहहह,,,, हाय रे ,,,,आहहहहहहह,,,, मैं मर जाऊंगी बहुत दर्द कर रहा है निकाल तेरा लंड मेरी बूर से ,,,,, ( उसे एहसास हो रहा था कि सूरज उसे सबसे अच्छा सुख देने वाला है उसे तृप्त कर देने वाला है इसलिए वह भले ऊपर से बोल रही थी कि अपने लंड को बाहर निकाल ले लेकिन अंदर से यही चाहती थी कि वह अपने लंड को बाहर ना निकालें,,,,)

सुधिया दर्द से छटपटा रही थी वह जानती थी कि सूरज के लंड की मोटाई उसकी बुर की छेद से काफी बड़ा था इसलिए उसे इस तरह का दर्द हो रहा था,,,, लेकिन सूरज पहली बार किसी औरत की बुर में अपना लंड मिल रहा था इसलिए उस में से निकालने की उसकी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी,,,,

सुधिया को इस बात का एहसास हो गया की सूरज के लंड का सुपाड़ा काफी मोटा है अब तो उसे दर्द भी होने लगा था लेकिन दर्द के बाद मिलने वाले अद्भुत सुख को महसूस करने के लिए वह इस दर्द को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,,

सुधियां को डर था कि किसने उन दोनो को इस हालत में देख लिया तो बहोत बदनामी होगी इस लिए सुधिया सूरज को कहती हे।

सुधिया - सूरज बेटा तू जल्दी चल झोपड़ी में कोई हमे देख लेगा।

"अभी सूरज और सुधिया को आधा रास्ता और चलाना था "

"सूरज तेजी से चल रहा था और सुधिया के उछलने की वजह से उसका आधा लन्ड तेजी से ही सुधिया की चूत में आगे पीछे हो रहा था "

" सुधियां दर्द में साथ हल्की हल्की मादक सिसकारियां भी निकाल रही थी "

सुधिया अपने आप को रोक नहीं पायि ओर उसकी बूर ने पानी छोड़ दिया आआआअह्हह्ह्ह.....आआह्ह्ह्ह बेटा...
बूर के पानी ने सूरज के लंड को पूरा गीला कर दिया।
सूरज समझ गया था की सुधिया मामी की बूर ने पानी छोड़ दिया हे।

"अब सूरज तेज दौड़ने लगता है और तेजी से आधा लंड अपने मामी की गरमा गर्म बूर पेले जा रहा था "
सूरज का आधे से ज्यादा लंड सुधिया के बुर में प्रवेश करा चुका था,,,,
"सूरज भागते हुए अब झोपड़ी के दरवाजे के पास पहुंच जाता है "
"और वहां पहुंच तेहि सूरज का पैर फिसल जाता है और
नीचे गिर जाता है और सुधियां उसके ऊपर गिर जाति हे।( गिरने की वजह से सुधियां की साड़ी और ब्लाउज पूरी तरह से खुल जाता है और वह पूरी नंगी हो जाति हे )

गिरते हुवे सूरज का मोटा लंड जोकि पहले से ही आधा सुधियां की बूर में था अब बुर की गुलाबी पतियों को चीरता हुवा बुर की गहराई में चला गया। सुधिया की बुर खुलते हुए सूरज के लंड पर अपनी कसाव की गिरफ्त में ले लेती हे।

सुधियां - आआआहहह....अह्हह्हह....मर गई .....बेटा अह्हह्ह्ह......अहहाह्ह्ह.

सूरज (गिरते हुए) - आआह्ह्ह् ..... मामी.....आआआह्हह्ह्ह....

गिरने की वजह थोड़ी देर के लिए दोनो सुन्न हो गए।
कुछ देर बाद
सूरज नीचे देखता हे वैसे वैसे आश्चर्य से सूरज का मुंह खुलता चला जा रहा था,,,। उसका का मोटा तगड़ा लंड सुधियां की बुर की गहराई में कहां खो गया पता ही नहीं चल रहा था
सुगंधा इस समय अपने भांजे ऊपर बूर में लंड डाले लेटी हुई थी,,, अपने भांजे के मोटे लंड को अपनी बुर की गहराई में उतारकर सुधियां मदहोश हुवे जा रही थी उसका रोम-रोम प्रसन्नता के भाव से पुलकित हुए जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अपने भांजे के ऊपर गिरकर उसके खड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार लीया है,,, ।
सूरज तो अपनी मामी की इस मादकता भरे वजन से पूरी तरह से सिहर उठा और अपनी आंखों से अपनी मामी की गुलाबी बुर गुलाबी पत्तियों को उसके लंड के इर्द-गिर्द कसता हुआ देख कर उसके मुख से से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सससहहहहहहहह,,, मामी,,,,,

( सुधियां पे अब चुदाई का बुखार चढ़ गया था अब सुधियां रुकने वाली नही थी )

सुधिया - क्या हुआ बेटा,,,, (सुगंधा अपनी मादक अदा बिखेरते हुए बोली,,)

सूरज - मामी मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई मेरा हाथ पकड़ कर मुझे हवा में उड़ाए ले जा रहा है मैं बता नहीं सकता कि मुझे कैसा लग रहा है बहुत मजा आ रहा है,,,,( सूरज की आंखों में खुमारी छाई हुई थी वह उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को मूंद कर मदहोश होता हुआ बोल रहा था यह देखकर सुधिया मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

सुधिया - मुझे भी मजा आ रहा हे तेरे घोड़े पर बैठकर,,,,,
( सुधिया इतना कहकर अपनी भारी भरकम गांड को एक बार फिर से ऊपर की तरफ उठाई और फिर से उसी लय में नीचे की तरफ लाते हुए फिर से बैठ गई,, सूरज अपनी आंखों से अपनी मामी की हरकत की वजह से अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मामी की बुर के अंदर बाहर होता हुआ देखकर प्रसन्न हो रहा था उसे अच्छा लग रहा था और धीरे-धीरे करके सुधिया अपनी भारी-भरकम कमर के ऊपर नीचे करते हुए अपने भांजे के लंड पर ऊपर नीचे उठना बैठना शुरु कर दीया।ऐसा लग रहा था कि मानो सुधियां घोड़े पर बैठकर घुड़सवारी कर रही हो,,,, बड़ा ही मादक दृश्य था,,, झोपड़ी में पूरी तरह से वातावरण के विरुद्ध गर्मी छाई हुई थी

सुधियां जोर जोर से अपनी भारी-भरकम गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,, मानो ऐसा लग रहा था कि वह जोर-जोर से फर्श पर पटक पटक कर कपड़े धो रही हो,,,, सुधियां में मानो उत्तेजना के कारण फुर्ती सी आ गई हो वह अपनी मदमस्त बूर को एक ही लेय मे अपने भांजे के लंड पर पटक रही थी जिससे उसका पूरा का पूरा लंड उसकी बूर की गहराई में समा जा रहा था,,,,।

एक बार झड़ने के बावजूद भी सुधीया इस बार दुगनजोश के साथ अपने भांजे से चुदवा रही थी,, चुदवा नहीं रही बल्कि खुद ही चोद रही थी सुधियां अपनी भारी-भरकम गांड को जोर-जोर से उसके भांजे के लंड पर पटक रही थी मानो उसके लंड पर अपनी बूर से तमाचा मार रही हो जो कि उसका लंड इस तमाचे से बेहद प्रसन्न और जोशीला नजर आ रहा था,,,, सूरज का लंड पूरी तरह से सुधियां के मदन रस में डूब चुका था एकदम गिला हो चुका था जो कि धूप की पीली रोशनी में चमक रहा था,,,,

मामी मुझे कितना मजा आ रहा है मैं बता नहीं सकता,,,,। अपने ये सब कहा से सीखा...
सुधिया - बस अभी-अभी तेरे मजबूत लंड को देखकर मैं सीखी हूं इससे पहले मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं किया लेकिन सच बताऊं तो तेरे ऊपर चढ़कर तेरी चुदाई करने में मुझे और ज्यादा मजा आ रहा है,,,,।
( सुधिया ऐसा कहते हुए जोर-जोर से अपनी बूर को अपने भांजे के लंड पर पटक रही थी जिससे उसका सारा मादक मांसल बदन हिचकोले खा रहा था साथ ही उसके दोनों दशहरी आम हवा में जैसे झूल रहे हो और उन झूलते हुए दशहरी आम को देखकर सूरज अपनी लालच को रोक नहीं पाया और दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उन्हें अपनी हथेली में भर भर कर दबाना शुरू कर दिया जिससे सुधियां के मुख से सिसकारी निकल जा रही थी,,,)

ससससससहहहहह आहहहहहहहह सूरज,,, सूरज मेरे बेटे मेरे भांजे ऐसे ही जोर जोर से दबा मुझे मजा आ रहा है इसका सारा रस निचोड़ डाल इसे अपने मुंह में लेकर पी,,, (और इतना कहते हुए सुधिया थोड़ा सा झुक गई ताकि उसके झूलते हुए दोनों दशहरी आम उसके सूरज के मुंह तक आराम से पहुंच सके और ऐसा हुआ भी जैसे ही सुधियां थोड़ा सा झुकी तो सूरज अपनी लालच को रोक नहीं पाया और अपनी मामी के दशहरी आम को मुंह में लेकर पीने के लिए अपना मुंह उठाकर सीधे उन्हें मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया जिससे सुधिया का मजा दुगना हो गया और सूरज भी काफी जोश में आ गया जिससे वह नीचे से अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने लंड को अपनी मामी की बुर में पेलना शुरु कर दिया दोनों तरफ से बराबर की जंग छिड़ी हुई थी दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरा दम लगाए हुए थे,,,,।

पूरे झोपड़ी में सुधिया और सूरज की सिसकारी और कराने की आवाज गूंज रही थी दोनों में नशा छाया हुआ था दोनों एक दूसरे को परास्त करने में लगे हुए थे नीचे से सूरज और ऊपर से सुधिया दोनों अपने अपने तरीके से एक दूसरे के अंगों से खेल कर मजा लूट रहे थे,,,,।

कुछ देर तक यूं ही बूर ऊचलने के बाद सुधियां सासो की गति तेज होने लगी उसका पानी निकलने वाला था और यही हाल सूरज का भी हो रहा था वह अपनी मामी की चुचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ अपने मुंह में बारी-बारी से भरकर नीचे से अपनी कमर उछाल रहा था उसका भी पानी निकलने वाला था,,,,

ओहहहहहहहह.,,,,, सूरज बेटा ऐसे ही ससससकहहहहहह,,,, और जोर जोर से,,,,, आहहहहहहह,,,, सूरज,,,,, नीचे से जोर जोर से अपनी कमर उछाल,,,,मेरे राजा आहहहहहहहहह,,, मेरी बुर में पेल दे अपने लंड को,,,,,,ऊमममममममम,,, ऐसे ही मार ऐसे ही चोद मुझे,,,,,,,,( सुधीया पागलों की तरह सिसकारी लेते हुए अपने भांजे को उकसा रही थी और सूरज अपनी मामी की गर्म सिसकारी और उसकी बातें सुनकर इतना मदहोश हो गया l

सूरज अपने दोनों हाथों को अपनी मामी की चूची पर से हटा कर वैसे ही मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड को थामकर उसे पकड़े हुए नीचे से अपने लंड को पेलना शुरू कर दिया और साथ ही सुधियां भी ऊपर से जोर दे रही थी,,,

थोड़ी ही देर में सुधियां सूरज को अपनी बाहों में कसते हुए उसकी बूर ने पानी फेंकना शुरू कर दी और सूरज भी अपना लंड की पिचकारी अपनी मामी की बुर में मार दिया दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे और एक दूसरे पर निढाल होकर अपनी ऊखड़ती हुई सांसों को नियंत्रित करने लगे एक बार फिर से दोनों सफलतापूर्वक संतुष्टि प्राप्त कर चुके थे एक अद्भुत एहसास दोनों के तन बदन में भरा हुआ था दोनों एकदम तरोताजा महसूस कर रहे थे दोनों उसी तरह से संपूर्ण नग्ना अवस्था में एक-दूसरे को बाहों में लेकर सो गए,,,,

सुधियां को अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन और संतुष्टि भरा दिन गुजारा था,, जिसकी कसक अभी तक उसके बदन में महसूस हो रही थी,,। सूरज के एक-एक जबरदस्त धक्के को याद करके मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,। उसने कभी जिंदगी में नहीं सोची थी कि ४२ की उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसे इस तरह से एक अद्भुत सुख का अनुभव होगा,,,। सूरज के साथ वक्त गुजारने का उसे बिल्कुल भी मलाल नहीं था,,। भले ही वह अपने पति को धोखा दे चुकी थी लेकिन जिंदगी का बेहतरीन सुख उसने प्राप्त की थी,

वासना का तूफान थमने के बाद सुधियां अपने आप को धिक्कार आने लगा उसे अपने आप से घिन्न आने लगी,,, क्योंकि उसने बहुत ही घिनौनी हरकत कर दी थी
थोड़ी देर पहले उसने अपने भांजे से चुदवाया था
लेकिन अपनी प्यासी जवानी के आगे घुटने टेकते हुए वह अपनी उम्र की परवाह ना करते हुए अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ उसके मोटे तगड़े लंड का मजा लूटते हुए चुदाई का आनंद लीया,,, और अब सूरज से नजरें मिलाने से कतरा रही थी,,, लेकिन सूरज काफी खुश था और संतुष्ट,,, क्योंकि दिन भर उसे सुधियां की बेहतरीन रसमलाई दार बुर चोदने को जो मिली थी,,,,

सुधिया सूरज से झोपड़ी के बाहर जाने को कहती हे। सूरज बिना कुछ कहे झोपड़ी बाहर जाने अपनी धोती पहन कर घर की ओर निकल पड़ता हे।

झोपड़ी के अंदर सुधियां अपने आपको अपनी ही नजर से गिरता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसकी आंखों में आंसू थे वह अपने आप को कोस रही थी,,,क्योंकि झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसमे उसकी गलती थी।
सुधियां दोबारा कभी ऐसा नहीं होगा ऐसा सोचकर उसने मन ही मन ठान लिया था।
सुधियां अपनी साड़ी पहन कर अपने घर की ओर निकल पडी

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सुधियां मामी
Kamuk update 💯👌👌👌
 
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