• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy मायावी गणित (Completed)

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
58,033
42,973
354
Update 30

रामू ने अपनी अक्ल लगानी शुरू की और सूराखों पर अपनी नज़रें गड़ा दीं। सूराख काफी ज़्यादा संख्या में थे।
'अगर उन्हें बन्द कर दिया जाये तो?" रामू ने सोचा और कमरे में इधर उधर नज़र दौड़ाने लगा कि शायद कोई चीज़ उन सूराखों को बन्द करने के लिये मिल जाये। उसे निराश नहीं होना पड़ा। क्योंकि कमरे में स्टेज के पास ही लकड़ी के ढेर सारे गोल ढक्कन पड़े हुए थे जो उन सूराखों के ही साइज़ के थे।
'अरे वाह! सूराखों को बन्द करने के औज़ार तो यहीं पड़े हैं।" रामू ने खुश होकर आठ दस ढक्कन एक साथ उठा लिये और मच्छरों से बचते बचाते उन सूराखों की ओर बढ़ा। उसने पहला ढक्कन एक सूराख पर फिट किया। लेकिन यह क्या? हाथ हटाते ही वह ढक्कन नीचे गिर गया था क्योंकि उसे धक्का मारते हुए उसी समय कई मच्छर बाहर निकल आये थे।
'क्या इन ढक्कनों को लगाने की भी कोई ट्रिक है?" रामू सोचने लगा। यहाँ पर खड़े रहकर सोचना काफी मुश्किल था क्योंकि मच्छर लगातार डिस्टर्बेंस पैदा कर रहे थे। वह सूराखों से निकलते हुए मच्छरों को गौर से देखने लगा। और उसी समय उसपर एक नया राज़ खुला।
हालांकि सूराख लगभग पूरी दीवार में वर्गाकार क्षेत्र में बने हुए थे। लेकिन उन सबसे हर समय मच्छर नहीं निकल रहे थे। बल्कि उनके बाहर आने में एक पैटर्न नज़र आ रहा था। एक खड़ी लाइन में बने तमाम सूराखों में से कभी सभी सूराखों में से मच्छर निकल आते थे तो कभी कुछ सूराखों से। और जब एक लाइन के सूराखों से निकलने वाले मच्छर कम होते थे तो उसके आसपास की कुछ लाइनों से निकलने वाले मच्छरों की संख्या बढ़ जाती थी।
रामू को याद आया कि एक बार वह नेहा के साथ लाइब्रेरी गया था और वहाँ पर नेहा ने उसे तरंग गति के बारे में कुछ समझाया था और किताब में तरंग गति का डायग्राम भी दिखाया था। अब यहाँ मच्छरों के निकलने में उसे तरंग गति ही नज़र आ रही थी।
''तुम खड़े सोच क्या रहे हो। मेरी ताकत धीरे धीरे कम हो रही है। जल्दी कुछ करो।" उसके चारों तरफ चकराते फरिश्ते ने उसके विचारों को भंग कर दिया।
''बस थोड़ी देर और इन्हें झेलो, मुझे लगता है मैं किसी नतीजे पर पहुंच रहा हूं।" फरिश्ता एक बार फिर ज़ोर शोर से उन मच्छरों से मुकाबला करने लगा। जबकि रामू मच्छरों के निकलने के पैटर्न पर और गौर करने लगा था।
किसी तरंग की तरह एक खड़ी लाइन के सूराखों से निकलने वाले मच्छरों की संख्या पहले बढ़ते हुए सबसे ऊपर व सबसे नीचे के सूराख तक पहुंच जाती थी और फिर घटते घटते एक समय के बाद शून्य हो जाती थी। ऐसा हर खड़ी लाइन में कुछ इस तरह हो रहा था मानो कोई चल तरंग आगे बढ़ रही है।
फिर रामू ने एक तजुर्बा करने का फैसला किया। एक खड़ी लाइन में जैसे ही मच्छरों के निकलने की संख्या शून्य हुई, उसने उसके बीच के सूराख में ढक्कन लगा दिया।
परिणाम उसके अनुमान से भी ज्यादा आशाजनक साबित हुआ। न केवल उस सूराख से मच्छरों का निकलना बन्द हो गया बल्कि उस खड़ी लाइन के सभी सूराखों से मच्छरों का निकलना बन्द हो गया।
रामू को मालूम हो चुका था कि ढक्कन लगाने का सही समय क्या है। उसने यह क्रिया सभी खड़ी लाइनों के साथ दोहरायी और जल्दी ही सूराखों से मच्छरों का निकलना पूरी तरह बन्द हो गया।
''वो मारा।" फरिश्ता खुशी से चीखा। लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा देर कायम न रह सकी। क्योंकि अब वह दीवार बुरी तरह हिल रही थी जिसके सूराख बन्द किये गये थे।
''य...ये क्या हो रहा है?" रामू घबराकर बोला।
''लगता है अब सारे मच्छर दीवार गिराकर बाहर आना चाहते हैं।" फरिश्ता भी घबराकर बोला। अगर ऐसा हो जाता तो दोनों के लिये बचना नामुमकिन था। लेकिन फिलहाल उन दोनों को गिरती हुई दीवार से बचना था। अत: वे कई कदम पीछे हट गये।
फिर एक धमाके के साथ दीवार नीचे आ गयी। लेकिन ये देखकर उन्होंने इतिमनान का साँस ली कि दीवार के पीछे कोई भी मच्छर नहीं था, बल्कि वहाँ एक और कमरा दिखायी दे रहा था। उस कमरे में हर तरफ लाल रंग की लेसर जैसी किरणें फैली हुई थीं। उसकी रोशनी में उन्होंने देखा कि कमरे के दूसरे सिरे पर एक बन्द संदूक़ मौजूद है।
''वो संदूक कैसा है?" फरिश्ते ने ही उसकी ओर उंगली से इशारा किया।
''बचपन में दादी ने कुछ कहानियां सुनाई थीं। जिसमें किसी खज़ाने की रक्षा के लिये इस तरह के तिलिस्म बनाये जाते थे। और उन्हें सख्त सुरक्षा में रखा जाता था। जिस तरह यहाँ खतरनाक टाइप के मच्छर घूम रहे थे, और जिस तरह यहाँ तक आने में रुकावटें पैदा हुईं, हो न हो उस संदूक़ में ज़रूर कोई खज़ाना है।"
...........continued
_________________________
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
58,033
42,973
354
Update 31

''तो क्या मैं उस संदूक़ को उठा लाऊं?" फरिश्ते ने पूछा। रामू ने सहमति में सर हिलाया।
फरिश्ते ने एक छलांग लगायी और दूसरे कमरे में पहुंच गया। लेकिन जैसे ही वह उन लेसर टाइप किरणों से टकराया, उसके जिस्म में आग लग गयी और वह ज़ोरों से चीखा।
''मुझे बचाओ मैं जला जा रहा हूं!"
रामू ने भी चीख कर उसे आवाज़ लगायी। लेकिन उसके पास हाथ मलने के अलावा और कोई चारा नहीं था। देखते ही देखते वह फरिश्ता धूं धूं करके पूरा जल गया और वह बेबसी से उसे देखता रह गया।
अब तो वहाँ उसकी राख भी नहीं दिख रही थी। रामू पछताने लगा। क्यों उसने बिना सोचे समझे उसे संदूक लाने के लिये भेज दिया था। दूसरे कमरे में बिखरी हुई किरणें काफी खतरनाक थीं।
अपने सर को दोनों हाथों से थामकर वह वहीं ज़मीन पर बैठ गया। जब वह राक्षस पहली बार मिला था तो रामू को उससे बहुत डर लगा था। लेकिन इतनी देर में वह रामू से इतना घुलमिल गया था और इतनी मदद की थी कि वह उसे अपना बहुत करीबी दोस्त मानने लगा था। और अब उस दोस्त की इस तरह जुदाई उससे सहन नहीं हो रही थी।
थोड़ी देर बाद जब उसके दिल को कुछ तसल्ली हुई तो उसने अपने सर को उठाया और चारों तरफ देखने लगा। उसे बहरहाल आगे बढ़ना था और उस कन्ट्रोल रूम को ढूंढना था जो उसे एम-स्पेस से आज़ादी दिला देता। उसने अपने चारों तरफ देखा। लेकिन फिलहाल उसे आगे बढ़ने का कहीं कोई रास्ता नज़र नहीं आया। जो यान उसे लेकर आया था वह अपने प्लेटफार्म पर टिका हुआ था। लेकिन उसका आगे उड़ना अब नामुमकिन था क्योंकि उसे बढ़ाने के लिये फरिश्ते के रूप में जो एनर्जी थी वह खत्म हो चुकी थी।
काफी देर सोच विचार करने के बाद उसकी समझ में यही आया कि फिलहाल उस संदूक तक पहुंचने के अलावा उसके पास करने को और कुछ नहीं। हो सकता है उस बन्द संदूक के अंदर आगे बढ़ने का कोई राज़ छुपा हो। या ज़ीरो जैसा कोई हथियार। लेकिन उस संदूक तक जाना निहायत खतरनाक था। क्योंकि लेसर रूपी किरणें रास्ते में फैली हुई थीं और संदूक तक जाने के लिये उसे उनसे हर हाल में बचना था।
उसने ये खतरा उठाने का निश्चय किया। मरना तो ऐसे भी था। उस बन्द कमरे में बिना खाना व पानी के वह कितनी देर जिंदा रहता।
वह उठ खड़ा हुआ और सामने मौजूद लाल किरणों को गौर से देखने लगा। किरणों के बीच के गैप से उसने अंदाज़ा लगाया कि उसका जिस्म उनके बीच से निकल सकता था। हालांकि उसमें काफी खतरा था। ज़रा सी चूक उसे किरणों के सम्पर्क में ला सकती थी और वह मिनटों में स्वाहा हो जाता।
वह धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ा। इस समय उसका दिमाग और जिस्म पूरी तरह ऐक्टिव था क्योंकि यह जिंदगी और मौत का मामला था। उसने किरणों वाले कमरे में कदम रखा और धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। किरणों से बचते बचाते वह आगे बढ़ रहा था। उसकी एक आँख संदूक पर जमी हुई थी और दूसरी किरणों पर। चींटी की चाल से वह आगे बढ़ रहा था।
आखिर में लगभग आधे घंटे बाद जब वह संदूक तक पहुंचा तो सर से पैर तक वह पसीने में नहा चुका था। यह आधा घंटा उसे सदियों के बराबर लग रहा था। संदूक तक पहुँचने के बाद उसने सुकून की एक गहरी साँस ली और कुछ मिनट आराम करने के बाद वह संदूक का निरीक्षण करने लगा। फिर उसने संदूक का कुंडा पकड़ लिया। कुंडा पकड़ते ही कमरे में बिखरी सारी किरणों गायब हो गयीं। और वहाँ घुप्प अँधेरा छा गया।
अँधेरे में ही टटोलकर उसने कुंडे की मदद से संदूक का ढक्कन उठाया और फिर पछताने लगा कि संदूक तक आने के लिये उसने इतना खतरा क्यों मोल लिया।
उस संदूक के अन्दर हल्की रोशनी फैली हुई थी। और उस रोशनी में उसे किसी बच्चे का सर कटा धड़ साफ दिखाई दे रहा था। धड़ गहरे पीले रंग का था और उस धड़ के अलावा उस संदूक में और कुछ नहीं था।
''क्या इसी सरकटी लाश को देखने के लिये मैंने इतना खतरा मोल लिया?" उसने झल्लाकर संदूक बन्द कर दिया। लेकिन संदूक बन्द करते ही कमरे में फिर घना अँधेरा छा गया।
अचानक उसके ज़हन में एक नया विचार चमका।
इससे पहले उसने एक मुकाम पर कटा हुआ सर देखा था। और उस सर ने कहा था कि, ''जिस जगह तुम मेरा कटा हुआ धड़ देखोगे वही जगह होगी कण्ट्रोल रूम। लेकिन वह सर तो बूढ़े का था जबकि सर बच्चे का।
फिर उसे याद आया कि जिस ग्रह के लोगों ने उसे एम-स्पेस में कैद किया था वह बच्चे के साइज़ के बौने प्राणी ही मालूम होते थे। और अगर बूढ़ा जिसका सर उसने देखा था उसी ग्रह का था तो यह धड़ उसका हो सकता था।
''तो क्या यही कण्ट्रोल रूम है? लेकिन ऐसा कोई आसार तो नज़र नहीं आ रहा था। चारों तरफ घुप्प अँधेरा फैला हुआ था। उसने संदूक का ढक्कन फिर उठा दिया, क्योंकि संदूक से निकलती हल्की रोशनी में कमरे का अँधेरा कुछ हद तक दूर हो रहा था। रोशनी में भी रामू को आसपास ऐसा कुछ नज़र नहीं आया कि वह उसे कण्ट्रोल रूम मान लेता। हर तरफ की दीवारें सपाट थीं। कहीं कोई भी मशीनरी दिखाई नहीं दे रही थी।
एक बार फिर उसने अपना ध्यान संदूक की तरफ किया। क्योंकि वही एक चीज़ थी जो कुछ खास थी। वह बारीकी से संदूक का निरीक्षण करने लगा। उसने देखा कि ताबूत में मौजूद धड़ ताबूत के फर्श पर न होकर नुकीली कीलों के ऊपर टिका हुआ था जो ताबूत के पूरे तल में जड़ी हुई थीं। रामू ने उन कीलों को गिनने की कोशिश की, लेकिन वे संख्या में बहुत ज़्यादा थीं। शायद उनकी संख्या दस हज़ार से भी ऊपर थी।
_______________________
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
58,033
42,973
354
Update 32

'शायद इन बेशुमार कीलों में कोई राज़ छुपा हुआ है।' रामू के दिल में विचार पैदा हुआ।
उसने एक कील को हिलाने डुलाने की कोशिश की। और इसी क्रिया में वह कील नीचे की तरफ धंस गयी। उसी समय कमरे की दीवार का एक हिस्सा किसी टीवी स्क्रीन की तरह रोशन हो गया और उसपर हरे रंग का लहराता हुआ धुवां जैसा दिखाई देने लगा था। रामू ने कील पर से अपना हाथ हटा लिया। उसके हाथ हटाते ही कील वापस उभर आयी और साथ ही दीवार पर दिखने वाला हरा धुवां गायब हो गया।
रामू ने कुछ समझते हुए सर हिलाया और दूसरी कील दबा दी। एक बार फिर उसी दीवार पर रंगों से कोई अनजान पैटर्न बनने लगा था जो कि पिछले पैटर्न से अलग था।
अब उसने और एक्सपेरीमेन्ट करने का इरादा किया और दो कीलें एक साथ दबा दीं। इस बार नतीजा कुछ और था। दीवार पर किसी अनजान जगह की तस्वीर उभर आयी थी। शायद यह किसी वीरान ग्रह की शुष्क ज़मीन थी। उन्हीं दोनों कीलों को दबाये हुए रामू ने एक तीसरी कील भी दबा दी। इसबार भी नतीजा आश्चर्यजनक था।
उस वीरान ग्रह की तस्वीर अब थ्री डी होकर कमरे के भीतर उभर आयी थी। रामू ने सर हिलाते हुए तीन पुरानी कीलों के साथ चौथी कील को भी दबा दिया। और वह थ्री डी तस्वीर चलती फिरती नज़र आने लगी। ऐसा लगता था कि कोई अंतरिक्षयान उस ग्रह की भूमि के ऊपर उड़ रहा है और उसकी मूवी बना रहा है।
वह अपने दोनों हाथों से चार से ज्यादा कीलें नहीं दबा सकता था अत: उसने उन्हें छोड़ दिया। कीलों को छोड़ते ही कमरे में दिखने वाली थ्री डी मूवी गायब हो गयी। कुछ कुछ कीलों का रहस्य रामू की समझ में आ गया था। अब उसने यह एक्सपेरीमेन्ट कीलों के नये सेट के साथ करने को सोचा। और चार नयी कीलें एक साथ दबा दीं।
इस बार भी एक थ्री डी मूवी कमरे में दिखने लगी थी। लेकिन दृश्य नया था। यह दृश्य किसी विशाल समुन्द्र का था जहाँ दैत्याकार लहरें कभी पहाड़ की ऊंचाई तक उठ रही थीं तो कभी नीचे गिर रही थीं। अपने एक्सपेरीमेन्ट को आगे बढ़ाते हुए उसने दो नयी और दो पुरानी कीलों को दबाया। इसबार उसे उस वीरान ग्रह पर ज़मीन से फूटता फव्वारा दिखाई दिया जो तेज़ी से विशाल तालाब का आकार ले रहा था। फिर वह तालाब देखते ही देखते विशाल समुन्द्र में बदल गया।
''यह सब क्या है?" इतने एक्सपेरीमेन्ट करने के बावजूद रामू अभी तक कुछ नहीं समझ सका था। कीलों को दबाने पर कुछ दृश्य उभरते थे और उसके बाद गायब हो जाते थे। इतना ज़रूर उसने देखा था कि चार कीलों को एक साथ दबाने पर थ्री डी मूवी चलने लगती है जबकि तीन को दबाने पर किसी अनजान जगह का स्टिल थ्री डी फोटोग्राफ नज़र आता है।
जब उसे कुछ समझ में नहीं आया तो उसने संदूक में से उस सरकटे धड़ को निकालने का निश्चय किया।
उसने दोनों हाथ उस धड़ के नीचे लगाये और उसे उठाने के लिये ज़ोर लगाने लगा। उसके बंदर वाले जिस्म के लिये ये निहायत मुश्किल काम था। भरपूर ताकत लगाने के बाद आखिरकार वह उसे संदूक में से निकालने में कामयाब हो गया।
जैसे ही उसने उस धड़ को निकाला उसने देखा कि दीवार की स्क्रीन एक बार फिर रोशन हो गयी थी और उसपर कोई थ्री डी मूवी इस तरह चल रही थी मानो कोई वीडियो कैसेट तेज़ी से रिवर्स की जा रही हो। लगभग दस मिनट तक वह मूवी 'रिवर्स' होती रही फिर एक तस्वीर पर आकर रुक गयी। और यह तस्वीर जानी पहचानी थी।
उस थ्री डी तस्वीर में वही कटा सर मेज़ पर रखा हुआ दिखाई दे रहा था जो इससे पहले वह कुएँ नुमा कमरे में देख चुका था। वह थ्री डी फोटोग्राफ अजीब था। लगता था जैसे हक़ीक़त में थोड़ी दूर पर मेज़ मौजूद है और उसपर कटा सर रखा हुआ है।
'कहीं ऐसा तो नहीं वह फोटोग्राफ न होकर वास्तविकता हो?' रामू ने सोचा और उस मेज़ की तरफ बढ़ा। मेज़ के पास पहुंचकर उसने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया। उसे यकीन था कि हाथ हवा में लहराकर रह जायेगा। क्योंकि वह इससे पहले कई थ्री डी फिल्में देख चुका था।
लेकिन यह क्या? मेज़ तो वाकई ठोस और वास्तविक थी। उसके हाथों ने मेज़ की सख्ती महसूस कर ली थी। फिर उसने देखा, मेज़ पर रखा सर भी वास्तविक था। उसने सर को उठाने की कोशिश की और सर आसानी से उसके हाथ में आ गया।
'इसका मतलब मैं वाकई एम-स्पेस के कण्ट्रोल रूम तक पहुंचने में कामयाब हो चुका हूं।' ये विचार आते ही उसका अंग अंग खुशी से फड़कने लगा। लेकिन आगे कौन सा कदम उठाना है? ये सवाल ज़हन में आते ही वह फिर मायूस हो गया। अभी तक तो अंधी चालें कामयाब साबित हुई थीं। शायद उसपर तक़दीर भी मेहरबान थी। लेकिन आगे क्या हो जाता कुछ नहीं कहा जा सकता था।
_______________________
 
  • Like
Reactions: Vaibhav

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
58,033
42,973
354
Update 33

''तुम ही बताओ कि मैं आगे क्या करूं?" रामू ने हाथ में पकड़े सर से पूछा। लेकिन सर खामोश रहा। हालांकि उसकी पलकें झपक रही थीं जिससे मालूम होता था कि वह सर अभी भी जिंदा है। फिर रामू ने देखा उस सर की आँखें धड़ की तरफ इशारा कर रही हैं।
कुछ सोचकर रामू वापस धड़ तक पहुंचा और सर को उस धड़ के ऊपर रख दिया। फिर उसने हैरत से देखा कि अब तक बेजान धड़ एकाएक उठ खड़ा हुआ। लेकिन अब उसे धड़ कहना मुनासिब नहीं था क्योंकि सर उसके ऊपर पूरी तरह जुड़ चुका था। और अब वह बूढ़ा व्यक्ति पूरी तरह मुकम्मल था।
और अब वह अपना हाथ रामू की तरफ बढ़ा रहा था। रामू डर कर जल्दी से दो तीन कदम पीछे हट गया।
''डरो नहीं मेरे बच्चे। तुमने बहुत बड़ा काम किया है। जिसके लिये मैं अगर जिंदगी भर तुम्हारा शुक्रिया अदा करूं तो भी कम होगा।" उस बूढ़े ने मोहब्बत से उसके सर पर हाथ फेरा।
''अ...आप कौन हैं?" रामू ये सवाल पहले भी उस बूढ़े के सर से पूछ चुका था और उस समय उसका जवाब नहीं मिला था।
''मैं एम-स्पेस का क्रियेटर हूं।" बूढ़े की बात सुनकर रामू को एक झटका सा लगा।
यानि वह बूढ़ा इस पूरे खतरनाक चक्रव्यूह का रचयिता था। लेकिन फिर वह खुद ही इस चक्रव्यूह में कैसे कैद हो गया? और उसने इस खतरनाक चक्रव्यूह को बनाया ही क्यों? अपने दिमाग में उमड़ते सवालों को रामू उस बूढ़े से पूछ बैठा।
''एम-स्पेस स्वयं कोई खतरनाक चक्रव्यूह नहीं है। बल्कि इसकी मदद से चक्रव्यूह की रचना की जा सकती है।" बूढ़ा बताने लगा, ''वास्तव में एम-स्पेस एक ऐसी मशीन है जो गणितीय समीकरणों द्वारा कण्ट्रोल होती है। और उन समीकरणों में उलट फेर करके कोई व्यक्ति इस यूनिवर्स में कहीं भी जा सकता है। और वहाँ की घटनाओं को कुछ हद तक कण्ट्रोल कर सकता है। सच कहा जाये तो हम जिस वास्तविक यूनिवर्स में रहते हैं वह भी गणितीय समीकरणों पर ही आधारित है। ये समीकरण ही फिजि़क्स के नियम कहलाते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि एम-स्पेस वास्तविक यूनिवर्स का छोटा सा गणितीय माडल है।
''और इस माडल को आपने बनाया है।" रामू ने प्रशंसात्मक दृष्टि से उस जीनियस को देखा।
''हाँ। ये जो बाक्स तुम देख रहे हो। जिसमें मेरा धड़ कैद था, ये एम-स्पेस को कण्ट्रोल करने का यन्त्र है। इसमें सैंकड़ों कीलों के अलग अलग काम्बीनेशन के द्वारा एम-स्पेस यूनिवर्स के अलग अलग स्थानों की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। और उन घटनाओं के लिये चक्रव्यूह की भी रचना की जा सकती है।
''हाँ, मैंने भी कुछ कीलों को दबाकर घटनाओं को देखा था।"
''किसी जगह की घटनाओं को नियनित्रत करने के लिये कम से कम चार कीलों को एक साथ दबाना ज़रूरी है। क्योंकि यूनिवर्स की सभी घटनाएं स्पेस-टाइम की चार विमाओं से कण्ट्रोल होती हैं। और चार कीलों का ग्रुप उन चारों विमाओं को प्रभावित करता है। लेकिन यूनिवर्स की घटनाओं को सुचारू तरीके से कण्ट्रोल करने के लिये कीलों के सही काम्बीनेशन की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है वरना इसे इस्तेमाल करने वाला गंभीर मुसीबत में भी गिरफ्तार हो सकता है।"
बूढ़े की बात रामू के पल्ले पूरी तरह नहीं पड़ी। अत: उसने अगला सवाल पूछा जो बहुत देर से उसके दिमाग में घूम रहा था, ''लेकिन आप खुद अपनी बनायी मशीन के चक्रव्यूह में कैसे फंस गये थे?"
बूढ़े ने एक ठंडी साँस ली और कहने लगा, ''दरअसल मैंने बहुत बड़ा धोखा खाया। जब मैं अपनी मशीन को लगभग मुकम्मल करने की आखिरी स्टेज में था तो कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोग मेरे शागिर्द बनकर मेरे ग्रुप में शामिल हो गये। सम्राट उनका लीडर था, वही सम्राट जिसका दिमाग तुम्हारे शरीर में फिट है। उन्होंने मेरी इस मशीन पर कब्ज़ा करके मुझे कैद कर लिया। इसी मशीन द्वारा उन्होंने मेरा सर अलग और धड़ अलग कर दिया था जिसके कारण मैं कुछ भी करने से लाचार हो गया। यहाँ तक कि मैं किसी को मदद के लिये भी नहीं कह सकता था वरना हमेशा के लिये मेरे सर का सम्पर्क धड़ से टूट जाता। यही वजह है कि मैंने हमेशा तुमसे इशारों में बात की। फिर इसी एम स्पेस द्वारा उन्होंने एक यान की रचना की और उसे लेकर पृथ्वी पर उतर गये। लेकिन उन्होंने कोई तकनीकी गलती कर दी थी अत: पृथ्वी पर उतरते समय सम्राट का शरीर नष्ट हो गया और उसने तुम्हारा शरीर ग्रहण कर लिया।"
''तो क्या अब मुझे कभी अपना शरीर वापस नहीं मिलेगा?" रामू ने थोड़ी आशा और थोड़ी निराशा के साथ बूढ़े की ओर देखा।
''तुम अपने दिमाग से सम्राट द्वारा बनाये गये एम-स्पेस के चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब हुए है। इसलिए तुम्हारा शरीर तुम्हें ज़रूर मिलेगा। अब ये जि़म्मेदारी मेरी है। बूढ़े ने उसका कन्धा थपथपाया।
-------
उस मैदान में कम से कम एक लाख लोगों का मजमा था जो रामू बने सम्राट के भक्त हो चुके थे। उनकी जय जयकार से पूरा मैदान गूंज रहा था। अभी तक उनके भगवान का वहाँ पर अवतरण नहीं हुआ था अत: टाइम पास करने के लिये वे उसकी तस्वीरों को नमन कर रहे थे। लगभग सभी के हाथों मे रामू उर्फ सम्राट की तस्वीरें पायी जाती थीं।
............continued
_________________________
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
58,033
42,973
354
Update 34

फिर उन्होंने देखा आसमान से एक सिंहासन उतर रहा है। और उस सिंहासन पर रामू बना सम्राट विराजमान था। पब्लिक की जय जयकारों की आवाज़ें और तेज़ हो गयीं। सम्राट का सिंहासन चबूतरे पर उतर गया। और वह शान से सामने आकर पब्लिक को दोनों हाथ उठाकर शांत करने लगा। पब्लिक उसके प्रवचन को सुनने के लिये पूरी तरह शांत हो गयी।
रामू बने सम्राट ने कहना शुरू किया, ''मेरे भक्तों, तुमने मुझे ईश्वर मान लिया है। अत: तुम्हें मैं इसका पुरस्कार अवश्य दूंगा। अभी और इसी समय।"
''भगवान, लेकिन मैंने तो सुना है कि ईश्वर भक्तों को उनका पुरस्कार मरने के बाद देते हैं।" एक जिज्ञासू भक्त बोल उठा।
''यह उस समय होता है जब ईश्वर का अवतरण नहीं होता। अब ईश्वर का अवतरण हो चुका है अत: पुरस्कार भी अवतरित होगा।"
''वह पुरस्कार किस प्रकार का होगा भगवान?" एक भक्त ने भाव विह्वल होकर पूछा।
''अभी थोड़ी देर में यहाँ पर हीरे मोतियों की बारिश होगी। और वह हीरे मोती केवल मेरे भक्तों के लिये होंगे।"
सम्राट की बात सुनकर लोगों की नज़रें फौरन आसमान की ओर उठ गयीं। कुछ अक्लमंद भक्तों ने अपने सर पर कपड़े व बैग भी रख लिये। अगर बड़े हीरों की बारिश हुई तो उनकी खोपड़ी फूट भी सकती थी।
सम्राट ने अपना हाथ हवा में लहराया मानो वह हीरे मोतियों की बारिश करने के लिये कोई मन्त्र पढ़ रहा हो। लोगों ने देखा कि आसमान में चमकदार बादल छाने लगे थे। शायद यही बादल हीरे मोतियों से भरे थे। फिर थोड़ी देर बाद बारिश शुरू हो गयी।
लेकिन यह क्या? इस बारिश में हीरे मोतियों का तो कहीं अता पता नहीं था। बल्कि यह गंदे बदबूदार पानी की बारिश थी जिसमें साथ साथ मोटे मोटे कीड़े भी टपक रहे थे। वहाँ खलबली मच गयी। लोग बुरी तरह चीखने लगे। कुछ महिलाएं जो सुबह नाश्ते में अच्छी तरह खा पीकर आयी थीं वह वहीं उगलने लगीं।
''भगवान ये सब क्या है?" कुछ भक्तों ने चीखकर पूछा। लेकिन भगवान खुद ही बदहवास हो चुके थे। ये माजरा उनकी समझ से भी बाहर था। रामू बने सम्राट के सामने चीख पुकार मची थी। लोग अपने ऊपर रेंगते कीड़ों को गिनगिनाते हुए फेंक रहे थे और किसी आड़ में जाने की कोशिश में भाग रहे थे। लेकिन उस मैदान में किसी आड़ का दूर दूर तक पता नहीं था।
''भगवान .. भगवान! हमें इन बलाओं से बचाईये ।" लोग हाथ जोड़ जोड़कर विनती कर रहे थे।
फिर रामू बने सम्राट ने चीखकर कहा, ''आप लोग शांत रहें। शैतान ने मेरे काम में रुकावट डाली है। ये मुसीबत शैतान की लायी हुई है। उससे निपट कर मैं अभी वापस आता हूं।
वह फौरन अपने सिंहासन पर सवार हुआ और वहाँ से रफूचक्कर हो गया। मैदान में पहले की तरह अफरातफरी मची थी।
-------
अपने सिंहासन पर सवार सम्राट यान में दाखिल हुआ और उसके साथी उसके अभिवादन में खड़े हो गये। सम्राट जल्दी से यान से नीचे उतरा।
''क्या बात है सम्राट?" उसे यूं हड़बड़ी में देखकर डोव ने पूछा।
''कुछ गड़बड़ हुई है। मैंने एम-स्पेस द्वारा हीरे मोतियों की बारिश के लिये समीकरण सेट की थी लेकिन वहाँ से कीचड़ और कीड़ों की बारिश होने लगी।"
''क्या ऐसा कैसे हो सकता है?" सिलवासा हैरत से बोला।
''कहीं एम-स्पेस में कोई खराबी तो नहीं आ गयी?" रोमियो ने विचार व्यक्त किया।
''या तो किसी ने समीकरण को बदल दिया है।" सम्राट ने अंदाज़ा लगाया।
''लेकिन ऐसा कौन कर सकता है?" रोमियो ने कहा।
''ये मैंने किया है।" वहाँ पर एक आवाज़ गूंजी और सब की नज़रें यान की स्क्रीन पर उठ गयीं जहाँ बन्दर के शरीर में रामू नज़र आ रहा था।
''तुम?" सम्राट ज़ोरों से चौंका। रामू को स्क्रीन पर देखकर सभी के चेहरों पर हैरत के आसार नज़र आने लगे।
''हाँ। मैं जिसको तुम लोगों ने एम-स्पेस के चक्रव्यूह में फंसा दिया था। लेकिन मैं वहाँ से बाहर आ चुका हूं।"
''नहीं। ये असंभव है। पृथ्वी का कोई मानव उस चक्रव्यूह को पार ही नहीं कर सकता।" सम्राट बेयकीनी से बोला।
''तुम लोगों ने पृथ्वीवासियों की क्षमता के बारे में गलत अनुमान लगाया था।" वे लोग एक बार फिर उछल पड़े क्योंकि अब वह बूढ़ा स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था जो एम-स्पेस का क्रियेटर था। वह कह रहा था, ''इस बच्चे ने न केवल तुम्हारे चक्रव्यूह को भेद दिया बल्कि कण्ट्रोल रूम तक पहुंचकर मुझे भी आज़ाद कर दिया। और अब तुम लोग अपनी सज़ाओं को भुगतने के लिये मेरे पास आने वाले हो।"
''नहीं!" वे लोग एक साथ चीखे लेकिन उसी समय लाल रंग की किरणें उनके पूरे यान में बिखर गयीं और उन किरणों के बीच वे सभी गायब हो गये।
________________________
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
58,033
42,973
354
Update 35

यह एक बड़ा सा पिंजरा था जिसमें सम्राट और उसके साथी कैद थे। पिंजरा अजीब था क्योंकि उसकी सलाखें लोहे की न होकर सफेद रंग की किरणों से बनी थीं। इस पिंजरे के बाहर रामू व बूढ़ा दोनों मौजूद थे।
''क्या अब तुम इन्हें मार दोगे?" रामू ने बूढ़े से पूछा।
''तुम क्या चाहते हो?" बूढ़े ने पूछा।
''नहीं इन्हें मारना मत। मैं किसी की जान नहीं लेना चाहता।"
''देख लिया तुम लोगों ने?" बूढ़े ने सम्राट व उसके साथियों को मुखातिब किया, ''जिस लड़के को तुमने इतने कष्ट दिये वह तुम लोगों को मारना नहीं चाहता।"
सम्राट किरणों से बनी सलाखों के पास आया और कहने लगा, ''मारना तो हम भी इसे नहीं चाहते थे। यह लड़का तो खुद अपने को मारने जा रहा था। हमने इसके शरीर का उपयोग कर लिया।"
''हाँ, वह मेरी गलती थी।" रामू बोला, ''लेकिन अब मुझे सबक मिल गया है कि दुनिया की मुसीबतों का अगर मुकाबला किया जाये तो वह मुसीबतें आसान हो जाती है। और गणित तो हरगिज़ मुसीबत नहीं है बल्कि बहुत सी मुश्किलों से मुकाबला करने का शक्तिशाली हथियार है।"
बूढ़े ने रामू की ओर देखा, ''तुम ठीक कहते हो। वैसे मेरा इन लोगों को मारने का कोई इरादा नहीं। और एम-स्पेस में मौत का कान्सेप्ट है भी नहीं।"
''क्या?" रामू ने हैरत से कहा, ''लेकिन कुछ लोगों को मैंने अपनी आँखों से मरते हुए देखा है। जैसे कि फल खाकर मरने वाला वह बन्दर या वह फरिश्ता जिसने मुझे कण्ट्रोल रूम तक पहुंचाया।"
''वह लोग तुम्हारी आँखों के सामने मरे थे, लेकिन वास्तव में वह एम-स्पेस के किसी और यूनिवर्स में पहुंचकर जिंदा हैं। और किसी और रूप में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। एम-स्पेस में इसी तरह चीज़ें किसी और यूनिवर्स में पहुंचकर अपना रूप बदल लेती हैं। इसी तरह मैं इन लोगों को भी एक काम्प्लेक्स यूनिवर्स में भेजने वाला हूं जहाँ इनका अस्तित्व केवल आभासी रूप में होगा। यानि ये यूनिवर्स की घटनाओं का केवल एक हिस्सा होंगे लेकिन उन घटनाओं पर इनका कोई नियन्त्रण नहीं होगा।"
''नहीं प्लीज़ हमें ऐसा जगह न भेजिए जहाँ हम केवल कठपुतली बनकर रह जायें।" सम्राट हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया।
''मैं समझता हूं कि तुम लोगों ने जो जुर्म किया है उसकी ये सज़ा भी कम है। लेकिन उससे पहले तुम्हें ये शरीर इस लड़के को वापस देना होगा।" कहते हुए बूढ़ा उस छोटी मशीन के पास पहुंचा जिसमें बेशुमार कीलें लगी हुई थीं। उसने उनमें से पन्द्रह बीस कीलें तेज़ी के साथ दबा दीं।
इसी के साथ रामू को अपना सर चकराता हुआ महसूस हुआ। और फिर उसे कुछ होश नहीं रहा।
-------
रामू को जब दोबारा होश आया तो उसने अपने को किसी आरामदायक बिस्तर पर पाया। उसने अपनी आँखें मलीं और उठकर बैठ गया। उसे ये जगह जानी पहचानी लग रही थी। फिर उसे ध्यान आया, ये तो उसका ही कमरा था जहाँ पर आराम करने के लिये वह तरस गया था। अचानक उसकी नज़र अपने हाथों की तरफ गयी और उसने हर्षमिश्रित आश्चर्य से देखा कि उसकी शरीर अब बंदर का नहीं रहा था। बल्कि उसे उसका मानवीय शरीर वापस मिल गया था। यानि उस बूढ़े ने अपना वादा पूरा कर दिया था।
लेकिन वह बूढ़ा कहाँ है? और वह कण्ट्रोल रूम? उसने बिस्तर से नीचे की तरफ छलांग लगा दी। उसी समय उसे अपने सिरहाने रखा हुआ एक पर्चा नज़र आया। उसने उसे उठाया और पढ़ने लगा। उस पर्चे में बूढ़े ने उसे मुखातिब किया था।
'रामू बेटे जब तुम जागने के बाद ये पर्चा पढ़ रहे होगे उस समय मैं तुम्हारी दुनिया से बहुत दूर जा चुका हूंगा। अब तुम वही पुराने रामू बन चुके हो। लेकिन साथ में मैंने तुम्हारे दिमाग में थोड़ी सी पावर भी भर दी है। अब तुम्हें गणित और साइंस का कोई फार्मूला परेशान नहीं करेगा। कभी कभी हम लोग सपनों के द्वारा मिला करेंगे। अगर कभी भी तुम्हें मेरी ज़रूरत महसूस हो तो आँखें बन्द करके मन में कहना - एम-स्पेस के क्रियेटर मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। मैं तुमसे अवश्य सम्पर्क करूंगा। शुभ प्रभात।'
रामू के फेफड़ों से एक गहरी साँस खारिज हुई और उसने पर्चे को दोबारा पढ़ने के लिये उसकी ओर नज़र की। लेकिन ये क्या? पर्चे पर लिखी तहरीर गायब हो चुकी थी। उसने उलट पलट कर देखा। पर्चा पूरी तरह कोरा था।
उसी समय कोई ज़ोर ज़ोर से उसके कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगा। और साथ में उसके पापा की आवाज़ सुनाई दी, ''रामू बेटा! दरवाज़ा खोलो जल्दी।"
उसने जल्दी से आगे बढ़कर दरवाज़ा खोल दिया। सामने उसके पापा मौजूद थे, ''रामू बेटे तुमने हमें किस मुसीबत में फंसा दिया। सवेरे सवेरे दरवाज़े पर भीड़ इकटठा हो चुकी है। सब तुम्हारे दर्शन करना चाहते हैं।"
''आप चिंता मत कीजिए पापा। अभी सब ठीक हो जायेगा।" कहते हुए रामू दरवाज़े की ओर बढ़ा।
दरवाज़ा खोलते ही उसे अपनी कालोनी वालों के साथ ही आसपास की कालोनयों के भी काफी लोग दिखाई पड़े। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला सब उसके सामने नतमस्तक हो गये और उसकी जयजयकार करने लगे।
''नहीं। ये गलत है। मैं न तो भगवान हूं और न ही कोई दैवी शक्ति। मैं तो बस एक मामूली इंसान हूं।" उसने चीख कर कहा।
ये सुनते ही पूरे मजमे पर सन्नाटा छा गया।
''ये आप क्या कह रहे हैं? हम तो अब आप को भगवान ईश्वर सब कुछ मान बैठे हैं।" सबसे आगे मौजूद मलखान सिंह जी हकलाते हुए बोले।
''हाँ हाँ। आप ही ने तो यह रहस्य हम पर खोला था कि आप भगवान हैं।" पंडित बी.एन.शर्मा हाथ जोड़कर बोले।
''हाँ मैंने ये कहा था। लेकिन उस समय मैं अपने होश में नहीं था। दरअसल बहुत ज़्यादा गणित पढ़ने के कारण मेरा दिमाग उलट गया था। और मैं उल्टा सीधा बकने लगा था। लेकिन अब मैं ठीक हूं।"
''आप कैसे ठीक हुए भगवान?" पंडित बी.एन.शर्मा ने फिर हाथ जोड़कर पूछा।
''मैंने अपने को अनुभव किया। एकांत में जाकर अपने बारे में सोचा। तब मुझे मालूम हुआ कि मैं बस मामूली इंसान हूँ। इतना ज़रूर है कि अब मैं गणित में मामूली नहीं रहा। मैंने अपनी मेहनत से उसपर अधिकार स्थापित कर लिया है। और अब कोई मुझे घोंघाबसंत कहकर नहीं बुला सकता। आप लोग प्लीज़ अपने घरों को वापस जायें और जिन भगवानों की या अल्लाह की पूजा इबादत करते हैं उन ही की करते रहिए।"
उसकी बात सुनकर मजमा धीरे धीरे तितर बितर होने लगा। और कुछ ही देर में वहाँ पर थोड़े से लोग बाकी रह गये थे।
रामू ने देखा कि उनमें अगवाल सर भी मौजूद हैं।
''सर आप?"
''हाँ रामू बेटे। मैं तो तुम्हें भगवान समझकर कुछ माँगने आया था। मुझे क्या पता था कि यहाँ मुझे मायूसी हाथ लगेगी।" अग्रवाल सर के जुमले में गहरी मायूसी झलक रही थी।
''सर मैं भगवान तो नहीं लेकिन अपनी समस्या मुझे ज़रूर बताइये। हो सकता है मैं कुछ कर सकूं।"
''बेटे। स्कूल की प्रिंसिपल मुझे निकालकर किसी और को मैथ के टीचर रखना चाहती है।" बड़ी मुश्किल से भर्राये गले से अग्रवाल सर ने अपनी बात पूरी की।
''ऐसा हरगिज़ नहीं होगा।" रामू ने दृढ़ता से कहा, ''मेरे मैथ के टीचर आप ही रहेंगे। मैं जाकर खुद प्रिंसिपल मैडम से बात करूंगा।"
रामू ने देखा अग्रवाल सर की आँखें सागर की तरह लबालब भर गयी थीं। फिर बिना कुछ बोले अग्रवाल सर ने उसे गले से लगा लिया। गले लगते ही रामू की आँखें भी बरस पड़ी थीं।
--समाप्त--
__________________________
 

Siraj Patel

The name is enough
Staff member
Sr. Moderator
136,924
113,968
354
Hello, Ladies :kiss: & Gentleman, :hi:
We are so glad to Introduce Ultimate Story Contest of this year.

Jaise ki aap sabhi Jante Hain is baar Hum USC contest chala rahe hain aur Kuch Din pahle hi Humne Rules & Queries Thread ka announce kar diya tha aur ab Ultimate Story Contest ka Entry Thread air kar diya hai jo 17th, Nov 2019, 11:59 PM ko close hoga.

Khair ab main point Par Aate Hain Jaisa ki entry thread aired ho chuka hai isliye aap Sabhi readers aur writers se Meri personally request hai ki is contest mein aap Jarur participate kare aur
Apni kalpnao ko shabdon ka rasta dikha ke yaha pesh kare ho sakta hai log use pasand kare.
Aur Jo readers nahi likhna chahte wo bakiyo ki story padhke review de sakte hai mujhe bahut Khushi Hogi agar aap is contest mein participate lekar apni story likhenge to.

Ye aap Sabhi Ke liye ek bahut hi sunhara avsar hai isliye Aage Bade aur apni Kalpanao ko shabdon Mein likhkar Duniya Ko dikha De.

Ye ek short story contest hai jisme Minimum 800 words se maximum 6000 words tak allowed hai itne hi words mein apni story complete Karni Hogi, Aur ek hi post mein complete karna hai aur
Entry Thread mein post karna hai.
I hope aap mujhe niraash nahi Karenge aur is contest Mein Jarur participate Lenge.


:thanks:
On Behalf of Admin Team
Regards :-
Siraj Patel


 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
34,183
150,849
304

Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 
Top