शहनाज़ की हालत फिर से खराब होने लगी और उसकी जीभ अपने आप शादाब के मुंह में घुस गई तो तो शादाब पूरे जोश में अपनी अम्मी की जीभ चूसने लगा।
शहनाज़ की हालत फिर से खराब होने लगी और उसकी जीभ अपने आप शादाब के मुंह में घुस गई तो तो शादाब पूरे जोश में अपनी अम्मी की जीभ चूसने लगा। बाथ टब में पानी भर चुका था इसलिए शादाब शहनाज को लेकर बाथ टब में उतर गया।
हल्का गुनगुना पानी दोनों के जिस्मों को राहत प्रदान करने लगा। शादाब ने शहनाज़ को लिटा दिया और उसके बदन को साबुन से साफ करने लगा।
जैसे ही शादाब के हाथ शहनाज़ की चूचियों से गुजरते तो शहनाज़ कांप उठती और मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ती।
शादाब ने प्यार से उसकी चूचियों के निप्पल को हाथ से सहलाया और हल्का सा रगड़ते हुए साफ किया तो शहनाज़ का बदन एक शोल की तरह जल उठा और उसने जोश में शादाब का सिर अपनी चूचियों पर झुका दिया
तो शादाब ने उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया तो शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया और वो सिसकते हुए बोली:"
" अहहह शादाब एसईईईई उफ्फ मेरा बेटा, उफ्फ चूस मेरे राजा,
शादाब ने शहनाज़ के निप्पल को चूसते चूसते हल्का हल्का काट दिया तो शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसका एक हाथ अपने आप शादाब के लंड पर पहुंच गया और मुट्ठी में भर कर दबाने लगी।
लंड बिलकुल सख्त हो गया था और झटके मार रहा था। लंड पर शहनाज़ के हाथ पड़ते ही शादाब ने शहनाज़ की दूसरी चूची को हथेली में भर कर जोर से दबा दिया
तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने खुद ही अपने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया और जोर से सिसक उठी।
शहनाज़ की चूत पूरी तरह से पानी के अंदर थी लेकिन एकदम गर्म हो गई थी और उसमें से आग की लपटे सी निकल रही थी। शादाब ने कसकर उसकी चूत को दबा दिया तो शहनाज़ ने शादाब की जीभ को पकड़ कर जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। शादाब ने एक उंगली शहनाज़ की चूत में घुसा दी
तो शहनाज़ तड़प उठी और किस अपने आप टूट गई और बोली:"
" आहहझ बेटा, दुखती हैं मेरी, उफ्फ मा री, हाय शादाब।
शहनाज़ की चूत आखिरी बार हुई दमदार चुदाई में पूरी तरह से रगड़ी गई थी जिससे चूत के होंठ और अंदर की दीवारें सूज गई थी और हल्का सा छूने से ही शहनाज़
को दर्द का एहसास हो रहा था।
शादाब ने उसका दर्द समझते हुए उंगली को बाहर निकाल लिया तो शहनाज़ ने शिकायती नजरो से उसकी तरफ देखा और बोली:"
" आह शादाब, बाहर निकालने के लिए तो मैंने नहीं कहा था मेरे राजा, आहहह मा उफ्फ
शादाब ने एक झटके के साथ अपनी दो उंगलियां शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से कराह उठी और अपनी टांगो को जोर से कस लिया और बोली:"
" आह क्या करता हैं कमीने, मर जाएगी तेरी शहनाज़, उफ्फ शादाब आह्ह्हह्ह
शादाब अपनी उंगलियां धीरे से अन्दर बाहर करते हुए:'
" आहओह अम्मी, उफ्फ कितनी टाइट हो गई है ये चूत, उफ्फ उंगलियां कैसे फस कर घुस रही है
शहनाज़ की चूत के होंठ सूज कर मोटे हो गए थे और पूरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे इसलिए चूत पहले से ज्यादा टाईट हो गई थी। चूत के होंठ पर रगड़ती हुई शादाब की उंगलियां शहनाज़ को जन्नत दिखा रही थी लेकिन दर्द हो रहा था मीठा मीठा। शादाब का लंड पर पूरी तरह से तैयार हो गया था इसलिए शहनाज़ ने लंड को छोड़ दिया और शादाब की तरफ देखा तो शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ को घुमा दिया और अपनी गोद में ले लिया।
अब शहनाज़ की पीठ शादाब की छाती से लगी हुई थी और शादाब ने अपने दोनो हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली तो शहनाज़ हल्का सा उपर को हुई और लंड अपने आप उसकी चूत पर जा लगा तो दोनो मा बेटे मस्ती भर गए।
शहनाज़ की हालत फिर से खराब होने लगी और उसकी जीभ अपने आप शादाब के मुंह में घुस गई तो तो शादाब पूरे जोश में अपनी अम्मी की जीभ चूसने लगा। बाथ टब में पानी भर चुका था इसलिए शादाब शहनाज को लेकर बाथ टब में उतर गया। हल्का गुनगुना पानी दोनों के जिस्मों को राहत प्रदान करने लगा। शादाब ने शहनाज़ को लिटा दिया और उसके बदन को साबुन से साफ करने लगा। जैसे ही शादाब के हाथ शहनाज़ की चूचियों से गुजरते तो शहनाज़ कांप उठती और मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ती। शादाब ने प्यार से उसकी चूचियों के निप्पल को हाथ से सहलाया और हल्का सा रगड़ते हुए साफ किया तो शहनाज़ का बदन एक शोल की तरह जल उठा और उसने जोश में शादाब का सिर अपनी चूचियों पर झुका दिया तो शादाब ने उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया तो शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया और वो सिसकते हुए बोली:"
" अहहह शादाब एसईईईई उफ्फ मेरा बेटा, उफ्फ चूस मेरे राजा,
शादाब ने शहनाज़ के निप्पल को चूसते चूसते हल्का हल्का काट दिया तो शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसका एक हाथ अपने आप शादाब के लंड पर पहुंच गया और मुट्ठी में भर कर दबाने लगी। लंड बिलकुल सख्त हो गया था और झटके मार रहा था। लंड पर शहनाज़ के हाथ पड़ते ही शादाब ने शहनाज़ की दूसरी चूची को हथेली में भर कर जोर से दबा दिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने खुद ही अपने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया और जोर से सिसक उठी। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से पानी के अंदर थी लेकिन एकदम गर्म हो गई थी और उसमें से आग की लपटे सी निकल रही थी। शादाब ने कसकर उसकी चूत को दबा दिया तो शहनाज़ ने शादाब की जीभ को पकड़ कर जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। शादाब ने एक उंगली शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ तड़प उठी और किस अपने आप टूट गई और बोली:"
" आहहझ बेटा, दुखती हैं मेरी, उफ्फ मा री, हाय शादाब।
शहनाज़ की चूत आखिरी बार हुई दमदार चुदाई में पूरी तरह से रगड़ी गई थी जिससे चूत के होंठ और अंदर की दीवारें सूज गई थी और हल्का सा छूने से ही शहनाज़
को दर्द का एहसास हो रहा था।
शादाब ने उसका दर्द समझते हुए उंगली को बाहर निकाल लिया तो शहनाज़ ने शिकायती नजरो से उसकी तरफ देखा और बोली:"
" आह शादाब, बाहर निकालने के लिए तो मैंने नहीं कहा था मेरे राजा, आहहह मा उफ्फ
शादाब ने एक झटके के साथ अपनी दो उंगलियां शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से कराह उठी और अपनी टांगो को जोर से कस लिया और बोली:"
" आह क्या करता हैं कमीने, मर जाएगी तेरी शहनाज़, उफ्फ शादाब आह्ह्हह्ह
शादाब अपनी उंगलियां धीरे से अन्दर बाहर करते हुए:'
" आहओह अम्मी, उफ्फ कितनी टाइट हो गई है ये चूत, उफ्फ उंगलियां कैसे फस कर घुस रही है
शहनाज़ की चूत के होंठ सूज कर मोटे हो गए थे और पूरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे इसलिए चूत पहले से ज्यादा टाईट हो गई थी। चूत के होंठ पर रगड़ती हुई शादाब की उंगलियां शहनाज़ को जन्नत दिखा रही थी लेकिन दर्द हो रहा था मीठा मीठा। शादाब का लंड पर पूरी तरह से तैयार हो गया था इसलिए शहनाज़ ने लंड को छोड़ दिया और शादाब की तरफ देखा तो शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ को घुमा दिया और अपनी गोद में ले लिया। अब शहनाज़ की पीठ शादाब की छाती से लगी हुई थी और शादाब ने अपने दोनो हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली तो शहनाज़ हल्का सा उपर को हुई और लंड अपने आप उसकी चूत पर जा लगा तो दोनो मा बेटे मस्ती भर गए।
बाथ टब में पानी भर चुका था इसलिए शादाब शहनाज को लेकर बाथ टब में उतर गया। हल्का गुनगुना पानी दोनों के जिस्मों को राहत प्रदान करने लगा। शादाब ने शहनाज़ को लिटा दिया और उसके बदन को साबुन से साफ करने लगा। जैसे ही शादाब के हाथ शहनाज़ की चूचियों से गुजरते तो शहनाज़ कांप उठती और मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ती। शादाब ने प्यार से उसकी चूचियों के निप्पल को हाथ से सहलाया और हल्का सा रगड़ते हुए साफ किया तो शहनाज़ का बदन एक शोल की तरह जल उठा और उसने जोश में शादाब का सिर अपनी चूचियों पर झुका दिया तो शादाब ने उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया तो शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया और वो सिसकते हुए बोली:"
" अहहह शादाब एसईईईई उफ्फ मेरा बेटा, उफ्फ चूस मेरे राजा,
शादाब ने शहनाज़ के निप्पल को चूसते चूसते हल्का हल्का काट दिया तो शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसका एक हाथ अपने आप शादाब के लंड पर पहुंच गया और मुट्ठी में भर कर दबाने लगी। लंड बिलकुल सख्त हो गया था और झटके मार रहा था। लंड पर शहनाज़ के हाथ पड़ते ही शादाब ने शहनाज़ की दूसरी चूची को हथेली में भर कर जोर से दबा दिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने खुद ही अपने बेटे का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया और जोर से सिसक उठी। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से पानी के अंदर थी लेकिन एकदम गर्म हो गई थी और उसमें से आग की लपटे सी निकल रही थी। शादाब ने कसकर उसकी चूत को दबा दिया तो शहनाज़ ने शादाब की जीभ को पकड़ कर जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। शादाब ने एक उंगली शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ तड़प उठी और किस अपने आप टूट गई और बोली:"
" आहहझ बेटा, दुखती हैं मेरी, उफ्फ मा री, हाय शादाब।
शहनाज़ की चूत आखिरी बार हुई दमदार चुदाई में पूरी तरह से रगड़ी गई थी जिससे चूत के होंठ और अंदर की दीवारें सूज गई थी और हल्का सा छूने से ही शहनाज़
को दर्द का एहसास हो रहा था।
शादाब ने उसका दर्द समझते हुए उंगली को बाहर निकाल लिया तो शहनाज़ ने शिकायती नजरो से उसकी तरफ देखा और बोली:"
" आह शादाब, बाहर निकालने के लिए तो मैंने नहीं कहा था मेरे राजा, आहहह मा उफ्फ
शादाब ने एक झटके के साथ अपनी दो उंगलियां शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से कराह उठी और अपनी टांगो को जोर से कस लिया और बोली:"
" आह क्या करता हैं कमीने, मर जाएगी तेरी शहनाज़, उफ्फ शादाब आह्ह्हह्ह
शादाब अपनी उंगलियां धीरे से अन्दर बाहर करते हुए:'
" आहओह अम्मी, उफ्फ कितनी टाइट हो गई है ये चूत, उफ्फ उंगलियां कैसे फस कर घुस रही है
शहनाज़ की चूत के होंठ सूज कर मोटे हो गए थे और पूरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे इसलिए चूत पहले से ज्यादा टाईट हो गई थी। चूत के होंठ पर रगड़ती हुई शादाब की उंगलियां शहनाज़ को जन्नत दिखा रही थी लेकिन दर्द हो रहा था मीठा मीठा। शादाब का लंड पर पूरी तरह से तैयार हो गया था इसलिए शहनाज़ ने लंड को छोड़ दिया और शादाब की तरफ देखा तो शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ को घुमा दिया और अपनी गोद में ले लिया। अब शहनाज़ की पीठ शादाब की छाती से लगी हुई थी और शादाब ने अपने दोनो हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली तो शहनाज़ हल्का सा उपर को हुई और लंड अपने आप उसकी चूत पर जा लगा तो दोनो मा बेटे मस्ती भर गए।