शादाब धीरे धीरे शाहनाज के हाथ पकड़े बेड तक पहुंच गया। शाहनाज ने अभी तक बुर्का पहना हुआ था और उसके हाथ पैर कांप रहे थे। जिस्म में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी और रह रह कर उसकी सांसे रुक सी रही थी। शहनाज़ ने धीरे से अपने सैंडिल निकाले और बेड पर चढ़ गई और बैठ गई। शादाब ने शहनाज़ का हाथ हल्का सा दबाते हुए कहा:"
" अम्मी आप बैठो मैं अभी आया पांच मिनट में।
शहनाज़ ने बिना मुंह से कुछ बोले अपने गर्दन हिला दी और शादाब कमरे से बाहर अा गया। शादाब किचेन में चला गया और केसर बादाम वाला दूध गर्म करने लगा। सच में शादाब आज बहुत खुश था क्योंकि उसकी अम्मी ने अब हर तरह से उसे अपना लिया था।
दूसरी तरफ शहनाज़ ने शादाब के जाने के बाद अपना बुर्का उतार दिया और एक तरफ रख कर अपने घूंघट को ठीक किया और शादाब का इंतजार करने लगी। शहनाज़ के कदम कदमों कि आहट पर लगे हुए थे और उसकी चूत अपने आप टपक रही थी।
शादाब ने ग्लास में दूध भर लिया और एक डिब्बा लेकर शहनाज़ के रूम की तरफ चल पड़ा। कमरे में घुसने के बाद शादाब ने गेट को लॉक लगाकर बंद कर दिया तो शहनाज़ के रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने दूध को टेबल पर रख दिया और डिब्बे में से एक मस्त तेज महक वाला परफ्यूम पूरे कमरे में छिड़क दिया तो पूरा कमरा महक से भर उठा। शादाब ने अपने जूते उतारे और बेड पर चढ़ गया और शहनाज़ के सामने बैठ गया। घूंघट से शहनाज़ के कांपते हुए लाल सुर्ख होंठ साफ दिख रहे थे।
शादाब ने कहा:" उफ्फ अम्मी आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दिन हैं क्योंकि मेरा सबसे बड़ा सपना पूरा हो रहा हैं। आप मिल गई मुझे सब कुछ मिल गया।
शहनाज़ सिर्फ हल्का सा मुस्कुरा उठी तो शादाब बोला:"
" उफ्फ शहनाज़ मेरी अम्मी, मेरी जान बस अब अपना ये चांद सा चेहरा मुझे दिखा दो। मैं अपनी दुल्हन को जी भर कर देख तो लूं एक बार।
शहनाज़ ने ना मैं सिर हिला दिया और तो शादाब बोला:"
" उफ्फ अम्मी आज तो मना मत करो, आज क्यों ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?
शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा अभी काफी नादान हैं इसलिए धीरे से बोली:"
" मेरे राजा, आज के दिन मुंह दिखाई गिफ्ट में दी जाती हैं, पहले मेरा गिफ्ट दो, तब जाकर ये घूंघट हटेगा।
शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी क्या चाह रही हैं इसलिए वो उठा और डब्बे से एक हीरे की अंगूठी निकाल ली और बेड की तरफ चल पड़ा। अब दोनो मा बेटे एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे और शादाब बोला:"
" शहनाज़ मैं मुंह दिखाई देने के लिए तैयार हूं, बस अब देर ना कर मेरी जान।
शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान अा गई और वो उठी और बेड के सिरहाने से एक डिब्बे से अंगूठी निकाल ली। शादाब भी खड़ा हो गया और शहनाज़ को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से आज अपने बेटे के पहले स्पर्श से एक सिसकी निकल पड़ी।
" आह राजा, थोड़ा प्यार से मेरी जान, बहुत नाजुक हैं तेरी अम्मी
शादाब का एक हाथ शहनाज़ की छाती तो दूसरा उसके पेट पर टिका हुआ था। शहनाज़ ने अपने हाथ आगे लाते हुए शादाब के हाथो पर रख दिए तो दोनो एक दूसरे को अंगूठी पहनाने लगे।
शादाब का पूरी तरह से खड़ा हुआ लंड शहनाज़ की गांड़ से लगा हुआ था जिससे शहनाज़ का बदन तपता जा रहा था। अंगूठी पहन लेने के बाद शादाब बोला:"
" बस शहनाज़ मेरी अम्मी अब तो दिखा दे अपना चांद सा चेहरा मुझे।
शहनाज़ ने एक स्माइल दी और शादाब को हान में सिर हिला दिया तो शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ का घूंघट उठाने लगा। जैसे जैसे घूंघट उठता जा रहा था शहनाज़ की सांसे तेज होती जा रही थी। जैसे ही घूंघट हट गया तो शहनाज़ का चांद से ज्यादा चमकता हुआ चेहरा शादाब के आगे अा गया और शादाब बिना पलके झपकाए उसे देखता रहा।
शहनाज़ दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन बनी हुई थी और शादाब अपलक उसे देखे जा रहा था। शहनाज़ की आंखे बंद शर्म से झुकी जा रही थी इसलिए वो शर्म के मारे अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाने लगीं।
शादाब ने शहनाज़ के चेहरे को हाथ से थाम लिया और बोला:"
" उफ्फ मेरी जान, मेरी शहनाज़ देखने दो ना जी भर कर मुझे अपनी दुल्हन को।
शहनाज़ अपने बेटे की बाते सुनकर शर्मा सी गई और बोली:'
" बस कर मेरे राजा और कितना देखेगे मुझे, कहीं नजर लग गई तो?
शादाब :" अम्मी दीवाने की नजर नहीं लगती हैं।
शादाब ने इतना कहकर शहनाज़ का एक हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ ने एक झटके के साथ उससे अपना हाथ छुड़ा लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:"
"इतना गुस्सा किसलिए शहनाज़ ? क्या मुझसे कोई गलती हुई है ?
शहनाज़ ने उसे जलाने के लिए कहा:" हान बहुत बड़ी भूल कर रहा हैं तू राजा, अभी तेरा मेरे सिर्फ पर हक नहीं हैं।
शहनाज़ के मुंह से निकले ये लफ़्ज़ शादाब को एक तीर की तरह से चुभे और बोला:"
" अम्मी ऐसा क्यों बोल रही हो आप ? सब कुछ आपकी मर्जी से तो रहा हैं।
शहनाज़ शादाब का रोना सा मुंह देखकर अंदर ही अंदर मुस्करा उठी और धीरे से अपना मुंह उसके कान के पास लाते हुए बोली:" राजा पहले निकाह में बंधे हुए मेरे मेहर दो मुझे, उसके बाद ही तुम मुझे छू सकते हो।
शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई और बोला:"
" शहनाज़ क्या तुम मेरे मेहर माफ करोगी ? या मैं आपको चुका दू।
( मेहर निकाह के वक़्त लड़की की सुरक्षा के लिए तय की गई एक रकम होती हैं। अगर पति तलाक चाहे तो उसे मेहर की रकम पत्नी को देनी होती हैं।)
शहनाज़: जा माफ कर दिए मेरे राजा।
जैसे ही शहनाज़ ने मेहर माफ किए तो शादाब ने तेजी से आगे बढ़ कर उसे अपने सीने से लगा लिया तो शहनाज़ भी अपने बेटे से चिपक गई।
शादाब:" ओह शहनाज़ आई लव यू मेरी जान।
शहनाज़:: लव यू टू मेरे शादाब।
शादाब:" अम्मी मुझे आज सब कुछ मिल गया। आप जैसी दुल्हन पाकर मेरी किस्मत खुल गई।
शहनाज़:" शादाब सच में तुम एकदम मेरे सपनो के शहजादे हो, तुम्हे पाकर आज मैं भी पूरी हो गई हूं मेरे राजा।
शादाब ने अपना लंड शहनाज़ की जांघो में दबाते हुए कहा:"
" आह अम्मी, अभी आप कहां पूरी हुई हो ?
शहनाज़ उसका हाथ दबाते हुए:"
" उफ्फ शैतान, क्यों तंग करता हैं मुझे डराकर इससे ?
शादाब:" आज तक मेरी रात हैं, मैं जो चाहे करू, आज मुझे पूरा हक है शहनाज़ ।
दोनो मा बेटे ऐसे ही बेड पर लेट गई और शहनाज़ पूरी तरह से शादाब से कस कर लिपट गई और बोली:"
" आह मेरे राजा, आज तुझे पूरा हक मुझ पर, मेरा सब कुछ तेरा हैं अब हमेशा के लिए।
दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे और शादाब की नजरे बार बार शहनाज़ के रस टपकाते हुए लिप्स पर ठहर रही थी। दोनो मुस्कुरा दिए और शहनाज़ ने अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठो को रस से पूरी तरह से गीला कर दिया तो शादाब के होंठ अपने आप शहनाज़ के होंठो की तरफ बढ़ गए। शादाब ने शहनाज़ का मुंह से उपर किया तो शहनाज़ का चेहरा शर्म से लाल हो गया और शादाब ने अपने प्यासे होंठ अपनी दुल्हन, अपनी शहनाज़ के होंठो पर टिका दिए। जैसे ही शहनाज़ को अपने बेटे के होंठो का स्पर्श हुआ तो उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसके हाथ शादाब की गर्दन में कस गए तो शादाब ने शहनाज़ के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और उसके हाथ शहनाज़ के बालो को सहलाने लगे। शहनाज़ भी पूरी तरह से किस में डूब गई और उसने भी अपने बेटे के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तो शादाब ने कसकर बिल्कुल अपने करीब कर लिया जिससे लंड फिर से शहनाज़ की जांघो में घुस गया। लंड लगते ही शहनाज़ पूरी तरह से जोश में आ गई और शादाब के कभी उपर वाले तो कभी नीचे वाले होंठ को पूरी ताकत से चूसने लगी।
शादाब भी शहनाज़ के होंठो को किसी रसभरी की तरह से चूस रहा था और उसके हाथ शहनाज़ की गर्दन को मसल रहे थे जिससे शहनाज़ मदहोश होती जा रही थी। शादाब ने अपनी जीभ बाहर निकाली और शहनाज़ के दांतो पर दबाव दिया तो शहनाज़ का मुंह खुल गया और शादाब की जीभ उसके मुंह में घुसती चली गई। जैसे ही शहनाज़ की जीभ शादाब की जीभ से टकराई तो शहनाज़ का रोम रोम सुलग उठा और अपनी चूत को शादाब के लंड पर रगड़ने लगीं। दोनो मा बेटे की जीभ अब एक दूसरे के मुंह में घुस रही थी।
जब दोनो की सांसे उखड़ने लगी तो दोनो कर होंठ सांस लेने के लिए अलग हुए और फिर से जुड़ गए। शादाब के हाथ इस बार शहनाज़ की कमर को मसल रहे थे जिससे शहनाज़ उसके होंठ पूरे जोश में चूस रही थी। एक लंबे किस के बाद आखिर कार दोनो को अलग होना पड़ा और शादाब ने शहनाज़ की आंखो में देखा जो किस की वजह से लाल सुर्ख होकर दहक रही थी। शादाब ने शहनाज़ के लहंगे पर रख दिया तो शहनाज़ शादाब से मुंह नीचा करके शरमाते हुए बोली:"
" आह पहले लाइट बंद कर दीजिए ना आप।
शादाब समझ गया कि शहनाज़ लाइट की वजह से ज्यादा शर्मा रही है इसलिए उसने उठकर लाइट बन्द कर दी और बोला:"
" शहनाज़ मेरी जान, अगर आपकी इजाज़त हो तो कुछ मोमबत्तियां जला दू ?
शहनाज़ अपना मुंह नीचे किए हुए ही बोली:" शादाब मैं आज तक किसी के सामने पूरे कपडे नहीं निकाले है बेटा। इसलिए तू रहने दे।
शादाब:" आह शहनाज़ आज तो आपका बेटा आपको पूरी तरह से नंगी करके प्यार करेगा।
शहनाज़ अपने आप में ही सिमट सी गई और बोली:"
" तेरे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है मेरे राजा।
शादाब:' अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं कुछ मोमबत्तियां जला दू मेरी जान ?
शहनाज़ ने सिर हिलाकर अपनी सहमति दे दी तो शादाब ने कमरे में रखी गई मोमबत्तियों को जलाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ भी उसका सहयोग करने लगी।
जल्दी ही पूरा कमरा मोमबत्तियों की हल्की रोशनी से भर गया और उसमे शहनाज़ पहले से ज्यादा सेक्सी और खुबसुरत नजर आने लगी। शहनाज़ बेड पर लेटी हुई थी और शादाब आगे आकर उसके उपर चढ़ गया तो शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर बांध दिए। शादाब ने शहनाज़ के माथे को चूम लिया और फिर धीरे धीरे उसकी आंखो को प्यार करने लगा। शहनाज़ ने अपने जिस्म को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और शादाब का लंड उसकी जांघो में घुसा जा रहा था।
शादाब ने नीचे आते हुए शहनाज़ के गाल पर अपने होंठ टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथों से शादाब की कमर को सहलाना शुरू कर दिया तो शादाब ने जोश में आते हुए शहनाज़ के गुलाबी गाल को मुंह में भर कर काट किया तो शहनाज़ के होंठो से आह निकल पड़ी।
" उफ्फ आराम से मेरे राजा, दर्द होता हैं मुझे।
शादाब उसके गाल को सहलाते हुए कहा:" " मेरी जान शहनाज़ आज की रात तो तुम्हे बहुत दर्द होंगे मीठे मीठे इस से भी बढ़कर।
शहनाज़ ने उसकी बात सुनकर उसे जोर से कस लिया और बोली:" आह मेरे राजा, आज तेरी मा हर दर्द सहने के लिए तैयार हैं तेरे लिए।
शादाब ने शहनाज़ के दोनो गालों को बारी बारी से चूमा, चाटा और हल्का हल्का दांतो से काट काट कर लाल कर दिया। शादाब ने अब अपने होंठ फिर से शहनाज़ के होंठो पर टिका दिए और चूसने लगा तो शहनाज़ भी उसका साथ देने लगी। शादाब का एक हाथ नीचे सरक कर उसकी चूचियों पर अा गया और हल्का हल्का दबाने लगा तो शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ शादाब की कमर पर घुमाने शुरू कर दिए।
शादाब ने शहनाज़ की कान की लौ को जीभ से चाटना शुरू किया तो शहनाज़ के जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी और उसकी सिसकी निकल पड़ी। शादाब ने जैसे ही उसकी लौ दांतो से हल्का सा काटा तो शहनाज़ की सिसकियां तेज होने लगी और वो शादाब की गांड़ पर हाथ फेरने लगी। शादाब ने नीचे आते हुए शहनाज़ की गर्दन पर अपने होंठ टिका दिए और उसकी गर्दन को चाटने लगा।
शहनाज़ से ये सब बर्दाश्त नही हुआ और उसकी गर्दन अपने आप ही शादाब की जीभ पर थिरकने लगी। (शहनाज़ को आज पहली बार एहसास हो रहा था कि प्यार क्या होता हैं, उसके पति ने सीधे लंड घुसा दिया था)!
शहनाज़ ने अपना हाथ नीचे लाते हुए शहनाज़ के सूट को पकड़ लिया और उपर की तरफ बढ़ाने लगा तो शहनाज़ की सांसे तेज होने लगी और चूत गीली हो गई। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और शादाब ने उसका सूट उतार दिया तो शहनाज़ शर्म के मारे शादाब से कसकर लिपट गई तो शादाब के हाथ उसकी नंगी कमर पर जा लगे तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
" आह शादाब मेरे राजा, उफ्फ
शादाब ने शहनाज़ की कमर को अपने हाथो में भर कर सहलाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ किसी अमर बेल की तरह उससे लिपट गई। शादाब उसकी कमर दबाते हुए कहा:'
" आह अम्मी, आपकी कमर कितनी चिकनी और पतली हैं मेरी शहनाज़ !!
इतना कहकर उसने शहनाज़ की कमर को जोर दे दबा दिया तो शहनाज़ मस्ती से सिसक उठी और बोली:"..
" आह मेरे शादाब थोड़ा प्यार से राजा, सब कुछ तेरे लिए ही है मेरी जान।
शादाब के हाथ शहनाज़ की कमर से होते हुए उसकी गांड़ तक पहुंच गए और वो प्यार से शहनाज़ की गांड़ सहलाने लगा। शहनाज़ तो जैसे पागल ही हो गई और अपने दोनो हाथ अपने बेटे के हाथो पर रख दिए और अपनी गांड़ को दबाने लगी। शादाब ने अब शहनाज़ की सलवार के नाड़े को एक झटके में खोल दिया तो शहनाज़ के मुंह से उत्तेजना में फिर से सिसकी निकल पड़ी और शादाब ने उसकी सलवार को नीचे सरका कर उतार दिया तो अब शहनाज़ सिर्फ ब्रा पेंटी में पड़ी हुई थी और शर्म के मारे अपने आप में सिमट रही थी। (कमरे में जल रही मोमबत्तियां मैजिक कैंडल की तर्ज पर बनी हुई जिनका प्रकाश थोड़ी देर के बाद ट्यूब लाइट से भी तेज हो जाता हैं और अब धीरे धीरे कमरे में प्रकाश बढ़ रहा था) शहनाज़ की गांड़ सिर्फ पेंटी में थी।
शहनाज़ शर्म के मारे पेट के बल लेट गई और शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड़ को पकड़ लिया और दोनो हाथो में भर कर जोर जोर से दबाने लगा। शहनाज़ मस्ती से भर उठी और सिसकते हुए बोली:"
" आह शादाब, उफ्फ थोड़ा प्यार से मेरी जान,
शादाब अपनी अम्मी की सिसकियां सुनकर जोश में अा गया और पूरी ताकत से उसकी गांड़ दबाने लगा।
शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती में सिसकते हुए:"
" आह मार ही देगा क्या मुझे, उफ्फ दर्द होता हैं राजा थोड़ा प्यार से मसल।
शादाब उसकी के पटो को खोलकर अंदर की तरफ दबाते हुए:" आह शहनाज़, कितनी मस्त उभरी हुए गांड़ हैं तेरी, दबाने दे जोर जोर से आह टाइट है।
शादाब के मुंह से अपनी गांड़ की तारीफ सुनकर शहनाज़ बहक गई और अपनी गांड़ खुद ही उसके हाथो में मारने लगी और बोली:"
" आह मेरे राजा, मसल पूरी तरह से रगड़ मुझे ऐसे ही, दबा पूरी भर भर दबा मुझे।
शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी अपने हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा तो शहनाज़ सिसकते हुए बोली:"
" आह मेरे बच्चे,तेरे हाथ तो मेरी गांड़ के लिए ही बने हैं, उफ्फ कितनी बड़ी हैं फिर भी पूरी समा गई।
शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी तरह से दबा दबा कर लाल कर दिया और शहनाज़ मस्ती से अपनी गांड़ मसलवाती रही। शादाब ने एक हाथ से शहनाज़ की गांड़ दबाते हुए दूसरे हाथ से खुद को नंगा करना शुरू कर दिया और उसके जिस्म पर अब सिर्फ अंडर वियर बचा हुआ था।
शहनाज़ की गांड़ को जी भर कर दबा कर लाल सुर्ख कर देने के बाद शादाब शहनाज़ की पीठ पर लेट गया तो शहनाज़ को उसके नंगे होने का एहसास हुआ और उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शादाब उसकी गर्दन चाटते हुए अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ में घुसाने लगा। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से गीली हो गई और कच्छी भीग चुकी थी। शादाब ने अब शहनाज़ की कमर को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की सिसकियां निकलने लगी।
शादाब अपनी जीभ निकाल कर शहनाज़ की कमर को चाटने लगा तो शहनाज़ ने दोनो हाथो से बेड शीट को दबोच लिया और अपनी चूची और चूत बेड शीट पर रगड़ते हुए बोली:"
" आह मेरे राजा, उफ्फ ऐसे ही प्यार कर मुझे, बहुत प्यासी है तेरी अम्मी शादाब।
शादाब की जीभ जैसे ही शहनाज़ की ब्रा से टकराई तो दोनो मा बेटे एक साथ मस्ती से सिसक पड़ें। शादाब ने शहनाज़ की ब्रा के हुक को दांतो से भर लिया और खोलने लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मचलने लगा। शादाब ने ब्रा के हुक को खोल दिया तो शहनाज़ की कमर पूरी तरह से नंगी हो गई और शहनाज़ फिर से सिसक उठी। शादाब में अपनी जीभ से उसकी पूरी कमर को चाटना शुरू कर दिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने ने हल्की सी अपनी कमर उपर उठाई और अपने दोनो हाथ अपनी चुचियों के नीचे टिका दिए। जैसे ही उसकी कमर नीचे अाई तो चूचियां अपने आप दबती चली गई और शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया :"
" आह मेरे राजा, उफ्फ मेरा शादाब।
शादाब ने उसकी कमर को हल्का हल्का काटना शुरू किया तो शहनाज़ पागल हो उठी और एक हाथ से अपनी चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ से चूत को पकड़ कर जोर से दबा दिया। शादाब ये सब देख कर आपे से बाहर हो गया और शहनाज़ को पलट दिया तो शर्म के मारे शहनाज़ ने दोनो हाथो से अपनी चुचियों को ढक लिया और आंखे बंद कर ली।
शादाब ने अपने हाथ शहनाज़ के हाथो पर टिका दिए और उसकी चूचियों को हल्का हल्का दबाने लगा। शादाब का लंड अब उसकी चूत पर गड़ गया था और शादाब हल्के हल्के धक्के मार रहा था जिससे शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई। शादाब ने उसके हाथो को हटाना चाहा तो शहनाज़ ने जोर से अपनी चूचियों को पकड़ लिया क्योंकि आज तक उसने खुद भी अपनी चूची और चूत को नहीं देखा था।
शादाब: " आह अम्मी क्यों तड़पा रही हो, उफ्फ हाथ हटा लो ना ?
शहनाज़ कांपते हुए:" आह राजा,मुझे शर्म आती हैं, आज तक मैंने खुद ही इन्हे नहीं देखा और ना ही कभी अपनी टांगो के बीच झांका हैं।
शादाब अपनी अम्मी की सुनकर मस्ती में अा गया और शहनाज़ का एक हाथ पकड़ कर नीचे की तरफ ले जाने लगा तो शहनाज़ ने दूसरे हाथ की कोहनी से अपनी दोनो चूचियों को छिपा लिया। शादाब ने शहनाज़ का हाथ अपने लंड पर टिका दिया तो शहनाज़ की चूत कुलबुलाने लगी। शादाब ने शहनाज़ के हाथ से धीरे धीरे अपने अंडर वियर को नीचे सरकाना शुरू कर दिया और जैसे ही अंडर वियर उतरा तो लंड अपने आप शहनाज़ के हाथ में अा गया। शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने लंड को हाथ में थाम लिया और शादाब ने शहनाज़ का दूसरा हाथ उसकी चूचियों पर से हटा दिया। शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार सिसकी निकल पड़ी और उसके शर्म और उत्तेजना के मारे अपनी आंखो को बंद कर लिया।
" आह मेरे शादाब, उफ्फ ये कर दिया बेटा, हाय मेरी चूची देख ली
तूने राजा।
शादाब ने अपनी नजरे पहली बार शहनाज की चुचियों पर टिका दी। एक दिन गोल गोल मोटी तनी हुई ठोस चूचियां, बिल्कुल किसी मोटे कश्मीरी सेब के आकार की। बीच में तने हुए निप्पल एक दम सीधे खड़े हुए।
शादाब ने अपने दोनो हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ की चूचियों पर रख दिए और उन्हें हल्के हल्के सहलाने लगा। शहनाज़ की चूचियां पूरी तरह से अकड़ी हुई थी और शादाब को निप्पल चुनौती दे रहे थे। शादाब ने अपनी मा की चूचियों को दोनो हाथो में भर कर जोर से दबा दिया तो शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
" आह शादाब, थोड़ा प्यार से मेरे राजा, उफ्फ दबा धीरे धीरे अच्छा लग रहा है।
शादाब तो पिछले छह दिन से तड़प रहा था शहनाज़ की चूचियों को दबाने के लिए इसलिए उसने पूरी जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की चूचियां में हल्का हल्का मीठा मीठा दर्द होने लगा और उसकी आह निकल गई और उसने जोर से अपने बेटे के लंड को दबा दिया तो शादाब मस्ती से भर उठा और जोर जोर से उसकी चूचियां दबाने लगा।
शहनाज के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगीं और वो अपनी चूचियां उपर की तरफ उछालने लगी जिससे शादाब मस्त हो गया और एक निप्पल को अपनी उंगलियों में भर कर मसल दिया तो शहनाज़ दर्द और मस्ती दे कराह उठी।
" आह मेरे शादाब, उखाड़ ही देगा क्या राजा मेरी चूचियां आज ?
शादाब :" आह अम्मी आपकी चूचियां कितनी सख्त हैं, उफ्फ कितना मजा आ रहा है आह मेरी शहनाज़ उफ्फ ।
शहनाज़ की चूत पूरी तरह से भीग चुकी थी और रस जांघो तक बह रहा था। शहनाज़ ने शादाब के लंड को मसलना शुरू कर दिया तो शादाब ने झुक कर शहनाज़ की एक चूची के उभार को चाटना शुरू किया तो शहनाज़ का जिस्म मस्ती से हवा में उड़ने लगा और उसका एक हाथ अपने शादाब के सिर पर पहुंच हुआ और उसे उसे अपनी चूची पर दबाने लगी। शादाब ने अपना मुंह खोल कर उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी और उसकी चूत ने दो बूंद रस और टपका दिया तो शहनाज़ से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने शादाब का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया।चूत पर हाथ लगते ही दोनो मा बेटे आपे से बाहर हो गए और शादाब ने उसकी चूची को जोर जोर से चूसना शुरू किया तो शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद हो गई और बोली:"
"आह मेरे बेटे, चूस ले मेरी चूचियों को, उफ्फ कहां था तू अब तक ?
शादाब ने शहनाज़ के निप्पल को जोर जोर से चूसा तो शहनाज़ शादाब का लंड मसलने लगी और शादाब ने शहनाज़ की पेंटी को एक तरफ सरका दिया और उसकी टपकती हुई चूत को उंगली से सहलाने लगा। शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो अपनी टांगे पटकते हुए शादाब को अपने उपर खींचने लगी तो शादाब उसके बेट को चूमने लगा। शहनाज़ को गुदगुदी हो रही थी और चूत पूरी तरह से बह रही थी। शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से गरम हो गया था और वो अपने टांगे बुरी तरह से पटक रही थी, कभी मचल रही थी तो कभी जोर जोर से सिसक रही थी।
शादाब ने अब शहनाज़ की जांघो को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ खुद ही जोर जोर से अपनी चूचियां दबाने लगी। कमरे में पूरी तरह से प्रकाश फैल गया था लेकिन शहनाज़ को अब कोई शर्म या हया नहीं रही थी। शादाब ने जैसे ही उसकी पेंटी को पकड़ कर खींचा तो शहनाज़ ने अपनी गांड़ उपर उठा दी और शादाब ने उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया तो शहनाज़ का बदन पूरी तरह से कांपने लगा और उसने अपनी टांगो को भींच लिया। शादाब ने धीरे से उसकी टांगो को खोल दिया तो शहनाज़ ने शर्म के मारे आंखे बंद कर ली । शादाब ने पहली बार शहनाज़ की चूत को देखा। गुलाबी रंगत लिए हुए दो होंठ एक दूसरे में बिल्कुल घुसे हुए और पूरी तरह से रस से भीगे हुए, एकदम छोटी सी चिकनी मासूम चूत, चूत का दाना पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हुआ। शादाब ने चूत पर उपर से नीचे एक उंगली फिरा दी तो शहनाज़ जोर से सिसक उठी। शादाब ने अब उसकी जांघो को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ का जिस्म मस्ती से उछलने लगा। शादाब के होंठ जैसे ही उसकी चूत के पास पहुंच गए तो शहनाज़ ने उसका सिर थाम लिया और बोली:"
" आह शादाब, वहां नहीं बेटे, उफ्फ गंदी हैं वो।
शादाब ने अपने दोनो हाथों से शहनाज़ के हाथो को पकड़ लिया और जीभ निकाल कर उसकी चूत पर फेर दी।
चूत पर जीभ लगते ही शहनाज़ मस्ती से उछल पड़ी और सिसकते हुए बोली:'
" उफ्फ शादाब, वहां मत चूम बेटे, मुझे कुछ होता है, आह हाय मा हट जा बेटा।
शादाब ने शहनाज़ की टांगो को पूरी खोल दिया और उसकी चूत को चाटने लगा तो शहनाज के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी
" आह शादाब,उफ्फ कितना अच्छा लग रहा है, चूस ले तू अपनी मा की चूत, मेरी जान हैं तू
शादाब ने शहनाज़ के दोनो हाथ पकड़ लिए और उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ घुसा दी तो शहनाज़ बिस्तर पर पड़ी पड़ी उछलने लगी और मुंह उठा कर शादाब को देखने लगी। जैसे ही शादाब ने उसकी चूत के दाने को मुंह में भर कर चूसा तो शहनाज़ ने उसे अपनी टांगो के बीच में भींच लिया और अपनी गांड़ उठा उठा कर उसके मुंह पर मारने लगी
" आह मेरे शादाब, चूस अपनी अम्मी की चूत, आह कितना अच्छा है तू।
शादाब ने जैसे ही उंगली से उसकी चूत को सहलाया तो शहनाज़ पूरी तरह से तड़प उठी और अपनी पूरी ताकत लगाकर शादाब को अपने उपर खींच लिया। शादाब शहनाज़ के उपर छा गया और दोनो के नंगे जिस्म आपस में चिपक गए। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से रस से लबालब भरी हुई थी और शादाब शहनाज़ के होंठो को चूसने तो शहनाज़ ने अपने हाथ से पकड़ कर लंड को खुद ही अपनी चूत पर टिका दिया और शादाब को जोर से कस लिया। शादाब का मोटा मूसल अपनी चूत पर लगाकर शहनाज़ डर के मारे कांप उठी। शादाब ने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और रस से पूरी तरह से सुपाड़ा भीग गया।
लंड की रगड़ से शहनाज़ तड़प उठी और अपनी चूत खुद ही उठाने लगीं। शादाब ने एक बार शहनाज़ की आंखो में देखा तो शहनाज़ हल्का सा मुस्कुरा उठी और शर्म से अपनी आंखे बंद कर ली तो शादाब ने शहनाज़ के होंठो को मुंह में भर लिया और दोनो हाथो से उसकी चूचियां भरकर लंड का सुपाड़ा का धक्का शहनाज़ की चूत पर लगा दिया लेकिन लंड फिसल गया और उसकी जांघ से जा लगा। शहनाज़ को लगा कि कोई लोहे की रॉड उसकी जांघ से टकरा गई है। शहनाज़ सिसक उठी और उसने खुद लंड को चूत के छेद पर टिका दिया तो शादाब में एक जोर का धक्का मारा और मोटा तगड़ा सुपाड़ा अन्दर घुस गया
शहनाज़ के होंठो से एक दर्द और मस्ती भरी आह निकल पड़ी
" उफ्फ शादाब, आह कितना मोटा है ये, दर्द होता है। हाय शादाब, घुसा दे पूरा अंदर,
शादाब ने शहनाज़ के होंठो को मुंह में भर लिया और उसकी दोनो चूचियों को हाथो में थाम लिया और लंड का एक और जोरदार धक्का लगाया तो आधा लंड शहनाज़ की चूत में घुस गया। शहनाज़ दर्द से कराह उठी और शादाब से कसकर लिपट गई। शहनाज़ की आंखो से आंसू निकल पड़े जिन्हे शादाब ने अपनी जीभ से चाट लिया और शहनाज़ की आंखे खुल गई और अपने बेटे का प्यार देख कर दर्द में भी मुस्कुरा उठी और शादाब को देखने लगी। शादाब ने अब तक का सबसे जोरदार धक्का लगाया और शादाब का लंड शहनाज़ की चूत को फाड़ते हुए जड़ तक घुस गया। शहनाज़ को लगा जैसे उसके अंदर कोई मोटा मूसल घुसेड़ दिया गया हैं और वो दर्द से कराहती हुई शादाब से बुरी तरह से लिपट गई और उसके मुंह से निकली एक जोरदार चीनख़ पूरे घर में गूंज उठी।
" आह नहीं शादाब, मर गई मेरी अम्मी, हाय बहुत दर्द हो रहा है
लंड सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और इस अदभुत एहसास को महसूस करते ही शहनाज़ के सब्र का बांध टूट गया और उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया।
" आह बेटे, उफ्फ ये क्या हो गया, गई मेरी चूत, हाय अल्लाह,
शहनाज़ ने उपर उठते ही शादाब के होंठ चूम लिए और बोली:"
" आह मेरे राजा, बस घुसा लिया, अब हट जा मुझे बाथरूम जाना हैं शादाब।
शादाब ने शहनाज़ को पूरी तरह से कस लिया और लंड को पूरी ताकत से बाहर निकाला और फिर से एक ही धक्के में पूरा घुसा दिया। शहनाज़ दर्द और मस्ती से सिसक उठी और बोली:_
" ये क्या था मेरे राजा, बहुत अच्छा लगा, उफ्फ दर्द होता है अभी बहुत।
शादाब उसकी चूचियों को दबाते हुए:'
" आह अम्मी इसे चुदाई कहते हैं,कितनी टाइट और गर्म हैं आपकी चूत।
शहनाज़ ने शादाब की आंखो में देखते हुए बोली:"
" उफ्फ बेटे, तेरे पापा तो एक ही बार में घुसा कर मेरे अंदर माल छोड़ देते थे। मुझे क्या पता चुदाई इसे कहते हैं।
शादाब ने धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और शहनाज़ तो जैसे मस्ती से पागल सी हो गईं और शादाब के होंठो को चूसने लगी। सख्त लंड का सुपाड़ा चूत को पूरी तरह से रगड़ रहा था।
शहनाज़ मस्ती से अपने की आंखो में देखते हुए बोली:"
" आह राजा, बहुत मजा आ रहा हैं, ऐसा लग रहा है जैसे मूसल की तरह मसाला कूट रहा है तेरा लंड, कूट शादाब मेरी चूत का मसाला आह सआईआईआईआईआई उफ्फ
कुछ धक्कों के बाद चूत शहनाज़ के लंड से हिसाब से खुल गई तो अब दर्द तो जैसे खतम हो गया और बस मजा ही मजा रह गया। शहनाज़ ने नीचे से अपनी गांड़ उठानी शुरू कर दी और शादाब उसके होंठ चूसते हुए प्यार से धक्के लगाने लगा। दोनो अब एक दूसरे की आंखो में देखते हुए धक्के लगा रहे थे, जैसे ही शादाब लंड बाहर की तरफ खींचता तो शहनाज़ अपनी चूत उठा देती जिससे लंड अंडर घुस जाता और शहनाज़ का मुंह मजे से खुल जाता।
" आह शादाब, चुदाई में इतना मजा आता हैं आज पता चला, करता रह ऐसे ही हाय शादाब तेरा लंड कितना अच्छा है मेरे राजा,
शादाब ने लंड को पूरा बाहर निकाला तो शहनाज़ तड़प उठी और लंड को हाथ में पकड़ कर चूत में घुसाने लगी तो शादाब ने एक जोरदार धक्का लगाया और लंड जड़ तक घुसा दिया और बोला;_
" आह मेरी शहनाज़ ये लंड नहीं लोला हैं मेरी जान, हाय अम्मी तेरी चूत।
शहनाज़ इस धक्के से मस्ती से भर उठी और शादाब की तरफ देखते हुए बोली;_
" आह शादाब का लोला, मेरे बेटे का लोला घुस गया मेरी चूत में, मेरी चुदाई कर रहा है शादाब तू, चोद अपनी मां की चूत बेटा, आह
शादाब ऐसे ही प्यार से धक्क लगाता रहा और शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां पूरे घर में गूंज रही थी। शहनाज़ की चूत से अब फच फ़च की मधुर आवाज गूंज रही थी जो कमरे के माहौल को और गर्म कर रही थी। शादाब शहनाज की एक चूची को मुंह में भर कर चूस रहा था तो दूसरी को जोर जोर से भींच रहा था। शहनाज़ की टाइट चूत का असर लंड पर होने लगा तो शादाब ने पूरा लंड बाहर निकाला और एक तेज झटके के साथ शहनाज़ की चूत में घुसा दिया और लंड सीधे बच्चेदानी को जा लगा। शादाब ने कसकर शहनाज़ को भींच दिया मानो उसकी हड्डी ही तोड़ देना चाहता हो।
" आह शहनाज़ तेरी मा की चूत, एसआईआईआईआईए, गया मैं तो मेरी जान।
शादाब के लंड ने वीर्य की पिचकारी मारने शुरू कर दी और इसके साथ ही शहनाज़ ने भी अपनी चूत पूरी ताकत से लंड पर दबा दी और बेटे के चेहरे को बहुत बुरी तरह से चूमने लगी।
" आह शादाब, मर गई मेरी चूत, हाय उफ्फ
शहनाज़ की चूत ने एक बार फिर से अपना रस बहा दिया और वो शादाब से पूरी ताकत से लिपट गई। शादाब शहनाज़ की चुचियों पर गिर पड़ा और शहनाज़ ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथ लपेट दिए और उसे पूरी तरह से कस लिया।