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Incest मा का दीवाना बेटा। (Completed)

tpk

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आज सुबह से शहनाज़ बहुत खुश थी क्योंकि इकलौता बेटा शादाब दस साल के बाद घर वापिस लौट रहा था। इन सालों के दौरान दोनो के बीच बहुत कम बात हुई क्योंकि बेटा हॉस्टल में रहता था।

दरअसल शहनाज़ के पति की मौत गांव में डॉक्टर ना होने की वजह से हो गई थी इसलिए वी बुरी तरह से टूट गई थी और उसने उसी दिन फैसला किया था कि वो अपने बेटे को हर हाल में एक डॉक्टर बनाएगी ताकि फिर गांव में किसी की मौत डॉक्टर ना होने की कमी के चलते ना हो सके। उसने अपने बेटे से कसम ली थी कि जब तक वो एमबीबीएस का एग्जाम पास नहीं करेगा वो उसकी शक्ल तक नहीं देखेगी।
कल ही सीपीएमटी का रिजल्ट आया था जिसमें उसके बेटे ने टॉप किया था और बस अब कुछ साल में अंदर ही उसका डाक्टर बन जाना तय था।

शाहनवाज जानती थी कि उसने अपने मासूम से बेटे पर बहुत ज़ुल्म किए हैं लेकिन वो गांव की भलाई के चलते मजबुर थी और ये उसके बाप की भी इच्छा थी कि उसका बेटा एक डॉक्टर बने। शाहनवाज की शादी रहमान से मात्रा 17 साल की उम्र में हो गई है और अगले ही साल उसने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया था। लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई और एक एक्सिडेंट में उसके पति की मौत हो गई थी, गांव से शहर तक ले जाते उसने दम तोड़ दिया था। काश उस वक़्त गांव में अस्पताल होता तो आज उसका मियां जिस्म होता।

शहनाज़ के शौहर एक शाही राजघरानों से थे। राज पाट तो चले गए लेकिन उनकी शानो शौकत अभी तक जिंदा थी। घर में पीछे छुट गई थे उसके सास ससुर जी की अब पूरी तरह से कमजोर होकर बेड का सहारा ले चुके थे। बस उनकी सेवा में लगी रहती थी, घर वालो और रिश्तेदारों ने दूसरी शादी का बहुत दबाव दिया लेकिन उसने अपने बेटे के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया और शादी ना करने का फैसला किया था। बेचारी नाज बचपन से लेकर अब तक दुख ही झेलती अाई थी, छोटी सी उम्र में ही मा का इंतकाल हो गया था, बाप ने दूसरी शादी कर ली और सौतेली मा ने नाज को बहुत परेशान किया जिस कारण वो सिर्फ 12 तक ही पढ़ सकी थी।


एक दिन रहमान के बाप की नजर उस पर पड़ी तो उन्हें लगा कि उन्हें अपने बेटे के लिए जिस परी की तलाश थी वो उन्हें मिल गई हैं बस फिर उसकी शादी हो गई।



पूरे घर को सजाया गया था और एक बहुत ही बड़ी पार्टी का आयोजन किया गया था क्योंकि आज शादाब ने एमबीवीएस का एग्जाम पास कर लिया था इसलिए पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी।

शहनाज़ सुबह जल्दी उठी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। उसने अपना बुर्का बाहर ही उतार दिया था और अब सिर्फ सूट सलवार पहने हुए थी। शाहनवाज एक गोरे बदन की भरी हुई औरत थी, दूध में चुटकी भर सिंदूर मिला दो तो ऐसा गजब का रंग था, एक दम चांद सा खुबसुरत चेहरा, गहरे काले घने बाल मानो ऐसे लहराते थे कि सावन की घटाए भी पनाह मांगती थी।उसके भरे हुए सुंदर गाल मानो कोई खूबसूरत सेब, गालों की लाली देखते ही बनती थी, उसकी बड़ी बड़ी प्यारी खूबसूरत बोलती हुई आंखे, छोटी सी प्यारी सी नाक जो उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा देती थी। उसके होंठ बिल्कुल शबनम की बूंद की तरह से नाजुक, हल्का सा लाल रंग लिए हुए मानो कुदरत ने खुद ही उसके होंठो को सजाकर भेजा हो,एक दम पतले पतले होंठ मानो किसी गुलाब की आपस में जुड़ी हुई लाल सुर्ख फूल की दो पंखुड़ियां।

बस उसका ये कातिल चेहरा ही आज तक सभी ने देखा था क्योंकि वो अपने आपको पुरी तरह से ढक कर रखती थी। वो एक मर्यादा में रहने वाली औरत थी और उसने अपनी मर्यादा को कभी लांघने की कोशिश नहीं करी थी क्योंकि उसके संस्कार हमेशा आड़े अा जाते थे। वो इतनी शर्मीली थी कि आज तक किसी के आगे पूरी तरह से नंगी नहीं हुई थी यहां तक की सुहागरात को भी उसने अपने पति को पूरे कपड़े निकालने से साफ इंकार कर दिया था क्योंकि उससे ये सब नहीं हो सकता था। नहाते हुए भी हमेशा अपनी आंखे बंद करके ही नहाती थी क्योंकि उसमे इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वो अपने आपको खुद ही नंगा देख सके। आंखो की हया और खुदा का डर उसके उपर हमेशा हावी रहा।


उसने अपने कपड़े धीरे से एक एक करके बंद आंखो के साथ निकाले और जल्दी ही नहा धोकर तैयार हो गई। ब्रा पेंटी पहन लेने के बाद उसने एक काले रंग का सूट सलवार पहना और फिर बुर्का पहनकर एयरपोर्ट जाने के लिए तैयार हो गई।




ड्राइवर ने गाड़ी निकाली और जल्दी ही वो एयरपोर्ट पर खड़ी हुई थी। वो बाहर निकलते लोगो पर नजर गड़ाए हुए थी उसकी बेचैनी इस कदर बढ़ गई थी कि उसे आने वाले हर लड़के में अपना बेटा नजर अा रहा था। अपने लख्ते जिगर को वो कैसे पहचानेगी ये सोच सोच कर वो परेशान थी। एयरपोर्ट पर जाने वाले एक मात्र रास्ते पर उसका ड्राइवर उसके बेटे के नाम की तख्ती लिए खड़ा हुआ था।


खुले कपडे पहने के बाद ही उसके जिस्म का हर उभार साफ नजर आता था। कपड़ों के ऊपर से ही उसकी भरी हुई भारी भरकम गांड़, एक दम उभरी हुई, बिल्कुल बाहर की तरफ निकली हुई ऐसे लगती थी मानो जबरदस्ती अंदर कैद की गई हो। उसकी गांड़ की मस्त गोलाई देख कर लोगो के लंड सलामी देने लगते थे और आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। उससे थोड़ी दूर खड़े हुए दो मनचले बहक गए और उनमें से एक बोला:'

" ओए उधर देख, क्या माल है यार, उफ्फ ऐसी तगड़ी उभरी हुई गांड़ आज तक किसी की नहीं देखी, लंड खड़ा हो गया।

दूसरा:" हान भाई, क़यामत हैं क़यामत, काश इसकी नंगी गांड़ देख पाता,मसल मसल कर लाल कर देता मैं, साली ने लंड को तड़पा दिया।

शहनाज़ उनके बाते सुनकर हैरान हो गई, इतनी थोड़ी सी उम्र में ये लड़के बिगड़ गए हैं, क्या जमाना अा गया है। लेकिन लडको की बाते सुनकर वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी अपनी तारीफ सुनकर और उसके जिस्म में हलचल सी हुई।


पहला लड़का:" उसकी गांड़ का एक उभार तेरे दोनो हाथो में भी नहीं आएगा, तुझसे नहीं हो पाएगा, इसके लिए तो कोई सांड जैसा तगड़ा लड़का चाहिए।

तभी शादाब दूर से आता हुआ दिखाई दिया तो लड़को की नजर उस पर पड़ गई, छह फीट लंबा चौड़ा खूबसूरत जवान, एक दम अपनी मां की तरफ गोरा, चौड़ी छाती, आंखो पर काला चश्मा,।

उसे देखते ही पहले वाला मनचला बोल उठा:" वो देख यार, क्या खूबसूरत लड़का हैं, बिल्कुल सांड के जैसा मोटा तगड़ा, मेरे हिसाब से इस औरत के लिए ये सही है, हाथ देख उसके कितने बड़े और मजबूत लग रहे हैं। इसकी गांड़ तो वो ही ठीक से मसल सकता हैं।


मनचले की बात सुनकर शहनाज़ की नजर अपने आप उस शादाब की तरफ उठ गई। सच में खूबसूरत था वो, दूर से आता हुआ बिल्कुल कामदेव के जैसा लग रहा था, एक बार तो उसे देखकर सच में शहनाज़ का दिल धड़क उठा और नजरे गड़ाए उसे ध्यान से देखती रही। जैसे जैसे वो पास आता जा रहा था शहनाज़ की आंखे मस्ती से चोड़ी होती जा रही थी और पूरे जिस्म में कंपकपी सी दौड़ रही थी।

जैसे ही वो उसके सामने आया तो दोनो की आंखे टकराई और दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए तो शादाब आगे बढ़ा और बोला:"

" अम्मी मैं शादाब, आपका बेटा,

शहनाज़ तो जैसे ख्वाबों से बाहर अाई और उसे पहचान लिया और एक दम से अपनी बांहे फैला दी तो बेटा अपनी मा की बांहों में समा गया। दोनो एक दुसरे की धड़कन सुनते रहे और बेटा पूरी तरह से अपनी मा को कसकर अपनी बांहों में भर लिया था और मा भी प्यार से अपने बेटे की कमर थपथपा रही थी।

थोड़ी देर बाद शहनाज़ ने उसे पुकारा:" बेटा बस छोड़ अब मुझे, घर चले, तेरे दादा दादी तेरा इंतजार कर रहे होंगे।

शादाब जैसे भावनाओ के आवेश से बाहर आया और अपनी मा की तरफ देखते हुए कहा:"

" हान अम्मी चलो, घर

बाहर आकर दोनो गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी घर की तरफ चल पड़ी। शहनाज़ को अपना बेटा बहुत प्यारा लगा और वो बार बार उसे ही देखे जा रही थी। उसे रह रह कर उन मनचलों की बाते याद अा रही थी कि इसकी गांड़ को थामने के लिए तो इस लड़के जैसे मोटे और तगड़े हाथ चाहिए। ये बात मन में आते ही ना चाहते हुए भी शहनाज़ की नजर अपने बेटे के हाथो पर पड़ी। सच में उसके बेटे के हाथ बहुत तगड़े और मोटे ताजे थे। शहनाज़ का पूरा वजूद कांप उठा और उसकी सांसे अपने आप तेज गति से चलने लगी और माथे पर हल्का सा पसीना उभर आया। उफ्फ मैं ये क्या सोचने लगी, शहनाज़ को एक तेज झटका सा लगा और वो अपनी कल्पना से बाहर अाई और आगे की तरफ देखते हुए चुप चाप बैठ गई। ना चाहते हुए भी बीच बीच में रह रह कर उसकी नजर अपने बेटे के हाथो पर पड़ रही थी। खैर कुछ देर के बाद वो घर पहुंच गए।
शहनाज़ गाड़ी से उतरी और घर के अंदर की तरफ चल पड़ी। शादाब भी उसके साथ ही था। दोनो जैसे ही दरवाजे के अंदर दाखिल हुए तो शादाब के उपर छत पर से फूलो की बरसात होने लगी और लोगो ने माला पहना कर उसका स्वागत किया। गांव की औरतें और जवान लड़कियां उसे देख कर आंहे भर रही थी। इस सम्मान के बाद शादाब अपनी मा के साथ घर में चला गया और दोनो मा बेटे दादा दादी के कमरे की तरफ बढ़ गए। शादाब पीछे पीछे चल रहा था और शहनाज़ की गांड़ इतनी ज्यादा उछल रही थी कि ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपनी मां की गांड़ पर जमी हुई थी। कर कदम पर शहनाज़ की गांड़ उपर नीचे हो रही थी और बुर्के में से साफ़ नजर आ रही थी। शादाब को अच्छा नहीं लगा रहा था अपनी सगी मा की गांड़ के इस तरह देखना इसलिए वो तेजी से चलता हुआ अपनी मा से आगे निकल गया। शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"

" क्या बात हैं बेटा, बहुत जल्दी ही अपने दादा दादी से मिलने की तुझे जो इतनी तेजी से चल रहा है !!

शादाब ने मुड़कर अपनी मा की तरफ देखा तो उसकी नजर फिर से अपनी मा के खूबसूरत चेहरे पर पड़ी और वो मुस्कुरा दिया। शहनाज़ जैसे जैसे उसके पास आती जा रही थी शादाब की नजर एक पल के लिए ही सही लेकिन उसकी तनी चूचियों पर पड़ गई जो कि पूरी तरह से कपड़ों के ऊपर से ही उभरी हुई नजर आ रही थी।

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शादाब की आंखे फिर से खुली की खुली रह गई। उफ्फ वो तो इसलिए आगे निकला था कि अपनी मा की गांड़ देखने से बच जाए लेकिन चूचियों का नजारा तो गांड़ से भी ज्यादा मादक था। शादाब जैसे अपने होश ही खो बैठा और एकटक अपनी मा की तरफ देखता रहा। शहनाज़ चलती हुई उसके पास पहुंची और उसकी आंखो के आगे चुटकी बजाई तो शादाब जैसे नींद से जागा ।

शहनाज़:" क्या हुआ बेटा कहां खो गए थे? तबियत तो ठीक हैं तुम्हारी ?

शादाब हकलाते हुए:" हान अम्मी, ठीक हैं सब, बस आपको देख रहा था कि मेरी अम्मी कितनी खूबसूरत है, बहुत दिनों के बाद देखा आपको ।

शहनाज़:" हान बेटा मैं भी तरस गई थी तुझे देखने के लिए, चल पहले तेरे दादा दादी से मिल लेते है, वो बेचारे नहीं तेरी एक झलक के लिए बेचैन हैं, हम तो बाद में भी बात कर लेंगे आराम से उपर जाकर !!


दोनो मा बेटे एक साथ आगे बढ़ गए और दादा दादी के कमरे में पहुंचे तो दोनो के चेहरे आपके इकलौते पोते को देख कर खुशी से खिल उठे। शादाब ने उन्हें सलाम किया तो उसकी दादा दादी ने उसे अपनी बांहों में भर लिया। शादाब भी अपनी दादी मा से लिपट गया।

दादी पूरी तरह से भावुक हो गई थी इसलिए भर्राए गले के साथ बोली:"

" आंखे तरस गई थी तुझे देखने के लिए मेरे बच्चे, अब जाकर सुकून मिला हैं। कितना बड़ा हो गया है तू, अल्लाह तुझे सलामत रखे बेटा।

दादा:" बेटा अगर दादी से मन भर गया तो अपने दादा के भी गले लग जा एक बार ताकि मुझ बूढ़े को भी थोड़ा सुकून मिल सके।

शादाब पागलों की तरह अपने दादा से लिपट गया तो ये देख कर दादी और शहनाज़ दोनो की आंखे छलक उठी। थोड़ी देर के बाद शादाब अलग हुआ और उन्हें अपने हॉस्टल की बात बताने लगा। सभी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे और शादाब बीच बीच में मजाक भी कर रहा था जिससे अब माहौल थोड़ा बदल चुका था। उसकी बाते सुनकर शहनाज़ बार बार मुस्कुरा रही थी जिससे उसका चेहरा और भी खूबसूरत लग रहा था।

शहनाज़ अपने ससुर से पर्दा नहीं करती थीं क्योंकि उसके ससुर ने उसे मना कर दिया था और उसे अपनी सगी बेटी की तरह प्यार करता था। शहनाज़ भी जानती थी कि सास ससुर का उसके सिवा इस दुनिया में कोई नहीं है इसलिए उसने भी अपने ससुर की बात मान ली थी और अपने ससुर से पर्दा खोल दिया था।

खैर दादा दादी खाना खा चुके थे। धीरे धीरे बाहर अंधेरा होने लगा और दादा दादी ने शादाब को बोला:

" बेटा उपर जाकर खाना खाकर तू भी आराम कर ले, थक गया होगा सारे दिन के सफर से। जा बेटा सुबह बात करेंगे क्योंकि तेरी अम्मी शहनाज़ भी सुबह से भूखी हैं तेरे लिए।

शादाब ने अपने दादा की बात सुनकर प्यार से अपनी अम्मी की देखा तो शहनाज़ ने उसे एक प्यारी सी स्माइल दी और दोनो मा बेटे एक साथ उपर की तरफ चल पड़े। घर थोड़े दिन पहले ही फिर से बनाया गया था इसलिए आगे आगे शहनाज़ चल रही थी और सीढ़ियों पर चढने की वज़ह से उसकी गांड़ उछल उछल पड़ रही थी और शादाब फिर से अपनी मा की गांड़ को थिरकते हुए देखने से खुद को नहीं रोक पाया और उसके लंड में हलचल सी होने लगी।

खैर जल्दी ही वो उपर पहुंच गए और शादाब नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।
good one
 

Siraj Patel

The name is enough
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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 

Carry Minati

Tushar
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अगले दिन सुबह शहनाज़ जल्दी ही उठ गई क्योंकि आज वो इतनी खुश थी कि उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उसने अपने पास लेटे शादाब का मुंह चूम लिया तो शादाब ने भी अपनी आंखे खोल दी और शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया।

शहनाज़:" उठ जा शादाब, जल्दी से तैयार हो जा आज हमे शहर जाना हैं नया मकान देखने के लिए बेटा।

शादाब उसकी चूचियों में अपना मुंह घुसाते हुए बोला:"

" उम्म्म सोने दो ना शहनाज़, अभी तो ठीक से दिन भी नहीं निकला हैं।

शहनाज़:" आलसी कहीं का, मैं तो चली नहाने।

इतना कहकर शहनाज़ बाथरूम में घुस गई। रेशमा भी उठ गई और वो जानती थी कि आज सुबह जल्दी ही शादाब और शहनाज़ शहर जाएंगे इसलिए वो नाश्ता आज खुद तैयार करना चाहती थी।

जैसे ही वो ऊपर अाई तो उसने शादाब को सोते हुए देखा और उसे उस पर बहुत प्यार आया और उसने शादाब का मुंह चूम लिया। जैसे ही रेशमा को किसी के आने की आहट हुई तो वो सीधी होकर पीछे हट गई।

रेशमा ने देखा कि शहनाज़ नहाकर अा गई है। दोनो की एक दूसरे को देखकर हैरान हो गई, शहनाज़ उसे ऊपर देखकर डर गई और मन ही मन खुशी खुश हुई कि मैं पकड़ी नहीं गई जबकि रेशमा इसलिए खुश थी शहनाज़ ने उसे शादाब को किस करते हुए नहीं देखा।

रेशमा आगे बढ़ी और शहनाज़ से मजाक करते हुए बोली:"

" बड़ी जल्दी हैं शहर जाने की भाभी, इतनी सुबह ही उठ गई।

शहनाज़ अपनी असली खुशी छुपाते हुए बोली:"

" अरे मैं तो रोज ही सुबह उठ जाती हूं और खुश इसलिए हूं कि अपने बेटे के साथ रहने को मिलेगा मुझे।

रेशमा ने आगे बढ़कर शहनाज के गाल चूम लिए और बोली:"

" क्या बात हैं भाभी आप तो दिन प्रति दिन जवान होती जा रही हो, आप कहे तो किसी से दोस्ती करा दू आपकी !!

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और वो रेशमा को हल्का सा मारते हुए बोली:"

" चल बदतमीज कहीं की, जो मुंह में आए बोल देती हैं।

रेशमा ने शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया और बोली:"

" सच में भाभी अगर मैं लड़का होता तो आपको लेकर भाग जाता शहनाज।

रेशमा ने उसे आंखे दिखाईं और थोड़ा सा बनावटी गुस्सा करते हुए बोली:"

" रेशमा तुम क्यों मेरे मजाक उड़ा रही हो, इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं।

रेशमा ने उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" तुम सुंदर नहीं कयामत हो कयामत, अब उपर से शहर का फैशन देख लेना भाभी तुम पक्का कांड करके वापिस आओगी ।

शहनाज़ ने उसे जोर से डांट दिया और बोली:" जा चल अपना काम कर, आजकल तेरी जुबान बहुत चलने लगी हैं।

रेशमा उसे जीभ दिखाती हुई चली गई और नाश्ता तैयार करने लगी।थोड़ी देर बाद ही शादाब और शहनाज़ सारे परिवार के साथ नाश्ता कर चुके थे और शहर जाने के लिए तैयार थे तभी शादाब का मोबाइल बज उठा। उसके फोन उठाया और बोला:"

" अजय मेरे भाई मेरे दोस्त कैसे हो तुम ?

अजय:" ठीक ही मैं, घर में कैसे हैं सब, फिर कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना ?

शादाब:" नहीं भाई, सब ठीक हैं, मैंने अपनी जमीन पर हॉस्पिटल का काम एक पार्टी को दे दिया है।जल्दी ही बन जाएगा।

अजय:" भाई ये तो बहुत अच्छी बात है, हमे भी किसी छोटी मोटी जॉब पर रख लेना ।

अजय की बात सुनकर शादाब के चेहरे पर हल्का दर्द दिखाई दिया और बोला:" भाई तुम तो मालिक हो यार, जो तुम्हे अच्छा लगे बता देना मुझे। आज मैं शहर में घर देखने जा रहा हूं क्योकि मैं और अम्मी अब साथ रहेंगे।

अजय:" अबे साले अगर घर ही खरीदना हैं तो होवार्ड यूनिवर्सिटी के आस पास खरीद ले।

शादाब खुशी के मारे उछल पड़ा और बोला:" क्या सच अजय, तू सच बोल रहा है भाई ?

अजय:" हान मेरी जान, तेरा सेलक्शन हो गया हैं, कल रिजल्ट आया है।

शादाब तो जैसे खुशी के मारे पागल हो गया, उसे समझ ही नहीं अा रहा था कि कैसे खुशी मनाए, उसने शहनाज़ को अपने गले लगा लिया और उसके गाल चूम लिए। शहनाज़ रेशमा और वसीम के आगे अपने गाल इस तरह चूमे जाने से शर्मा गई और सबसे बड़ी आज वो पहली बार वसीम के सामने बेपर्दा हुई थी तो उसने झट से अपने मुंह पर फिर से घूंघट डाल दिया लेकिन तब तक वसीम उसका खूबसूरत चेहरा देख चुका था ।

सभी लोग हैरानी से उसे देख रहे थे और मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। हर कोई ये जानना चाहता था कि शादाब की इस खुशी का क्या कारण हैं।

शादाब:" अजय मैं तुझे बाद में कॉल करता हूं भाई, घर मैं सबको बता दू पहले।

इतना कहकर अजय ने फोन काट दिया और बोला:"

" अम्मी बुआ मेरा होवार्ड यूनिवर्सिटी में चयन हो गया है।

शादाब की बाते सुनकर सबके चेहरे खुशी के मारे दमक उठे और उसे मुबारकबाद देने लगे।

तभी शहनाज़ बोली:"

" अरे बेटा अजय का क्या हुआ, एग्जाम तो उसने भी दिया था ना ?

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने तुरंत अजय को कॉल किया और बोला:"

" अरे मेरे भाई, ये तो बता तुम्हारे एग्जाम का क्या हुआ ?

अजय खामोश सा हो गया और उसकी मायूसी भरी आवाज उभरी :"

" शादाब मेरा एक नंबर से रह गया हैं भाई, लेकिन देखना अगली बार तेरा भाई टॉप करेगा।

शादाब की खुशियां आधी हो गई और बोला:"

" भाई मुझे तेरे पर पूरा यकीन हैं, देखना अगले साल सिर्फ तेरे ही चर्चे होंगे।

अजय:" चल ठीक हैं शादाब, मैं तुझे बाद मैं करता हूं।


अजय ने फोन काट दिया और शादाब ने होवार्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट को चैक किया तो देखा कि उसका चयन हो गया है और अजय सच में एक नंबर से रह गया। शादाब को दुख हुआ लेकिन क्या कर सकता था।

दो दिन बाद शादाब और शहनाज एयरपोर्ट के बाहर खड़े हुए थे और दोनो 5 साल के लिए अमेरिका जा रहे थे।

रेशमा और शहनाज़ दोनो की आंखो में आंसू थे क्योंकि उनमें सगी बहनों जैसा प्यार हो गया था। लेकिन जाना तो था ही आखिर कार दोनो ने एक दूसरे को हसरत भरी निगाहों से देखा और दोनो एक दूसरे के गले लग गई।

रेशमा:" भाभी अपना ध्यान रखना और शादाब का भी।

शहनाज़:" तुम भी रेशमा अच्छे से रहना और हम फोन पर बात करेंगे।

इतना कहकर दोनो अलग हो गई और शहनाज़ और शादाब दोनो अंदर चले गए जबकि रेशमा और वसीम ने उन्हें देखकर हाथ हिलाते रहें।

अंदर प्लेन में बैठी हुई शहनाज़ आज जहां एक ओर खुशी थी वहीं डर भी रही थी। शादाब ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला:"

" क्या हुआ शहनाज़ परेशान लग रही हो ?

शहनाज़:" बेटा वहां तो बड़ी सुन्दर सुन्दर लड़कियां होगी कहीं तू मुझे छोड़ तो नहीं देगा ?

इतना कहकर शहनाज़ की आंखे भर आई तो शादाब ने अपने रुमाल से उसका मुंह साफ किया और बोला:"

" क्या आपको अपने दूध और खून पर भरोसा नहीं है क्या अम्मी ?

शहनाज़ ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया और बोली:"

" अपने आप से भी ज्यादा मेरे राजा, लेकिन अब तू मुझे अम्मी नहीं सिर्फ शहनाज़ कहकर बुलाएगा ।

शादाब स्माइल करते हुए बोला:"

" ठीक हैं शहनाज़ मेरी जान जैसे आपको अच्छा लगे।

शहनाज़ उसकी बाते सुनकर खुशी से उसकी आंखो में देखने लगी तो शादाब बोला:"

" आई लव यू मेरी अम्मी शहनाज़

इसके साथ ही दोनो मा बेटे एक साथ मुस्कराए और शहनाज़ एक हाथ से उसका कान तो दूसरे से उसका लंड खींचते हुए बोली:"

" तू कभी नहीं सुधर सकता मेरे राजा।

शादाब ने शहनाज़ का हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया और प्लेन उड़ गया।

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समाप्त
Too good
 
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Blackboy

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शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और शर्म के मारे उसका समूचा जिस्म पूरी तरह से हिल रहा था। उफ्फ ये क्या हो गया शादाब क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में। उसकी नजर अपनी चुचियों के उभार पर पड़ी तो उसने देखा कि उसकी चूचियां कितनी खूबसूरत और ठोस हैं इस उम्र में भी। अपनी चूचियों को ललचाई नज़रों से देखते उसका एक हाथ अपने आप उन पर पहुंच गया तो उसे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां पूरी तरह से भीगी हुई थी तो उसे एक झटका सा लगा और धुंधला धुंधला याद आने लगा कि उसका बेटा उसकी चूचियों के बीच में अपनी जीभ फिरा रहा था। ये याद आते ही शहनाज़ की सांसे शर्म के मारे थम सी गई और उसने एक अपनी गोलाईयों को अच्छे से छूकर देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके बेटे ने पूरी मस्ती से अपनी जीभ से उन्हें चाटा हैं।

शहनाज़ ने जैसे ही अपनी गोलाईयों को ध्यान से देखा तो उसे एक हल्का सा निशान दिखाई दिया तो उसने हल्का सा हाथ फेरकर देखा तो उसे बहुत अच्छा मीठा मीठा दर्द महसूस हुआ। उफ्फ इस कमीने शादाब ने तो मेरी चुचियों पर अपने दांत भी गड़ा दिए हैं ये सोचकर शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी।


शहनाज़ को अपनी कमर पर कुछ गीला गीला महसूस होने लगा तो उसका एक हाथ उत्सुकतावश उसकी कमर पर पहुंच गया तो उसने देखा कि सचमुच उसकी कमर भीगी हुई है तो उसने अपनी उंगलियों को अच्छे से अपनी कमर पर घुमाया तो उसकी उंगलियां काफी हद तक गीली हो गई और वो ये देखने के लिए कि उसकी कमर पर क्या लगा था अपनी उंगलियां अपनी आंखो के सामने लाकर देखने लगी। उफ्फ ये क्या हैं सफ़ेद सफ़ेद सा इतना गाढ़ा मेरी कमर पर कहां से लग गया। शहनाज उसे गौर से देखने के लिए थोड़ा सा और अपनी आंखो के पास लाई तो एक कस्तूरी जैसी मस्त खुशबू का एहसास उसे हुआ तो वो मस्ती से भर उठी। उफ्फ कितनी अच्छी खुशबू आ रही है इसमें से, मैं मदहोश होती जा रही हूं। अगर सूंघने से ही इतना अच्छा है तो ये कितना स्वादिष्ट होगा, उसके मन में सबसे पहले यही सवाल आया कि क्या मुझे इसका टेस्ट करना चाहिए ये सोचते ही उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। उफ्फ पता नहीं क्या होगा ऐसे ही किसी चीज को चाटना अच्छा नहीं होगा ये सोचकर उसने अपना विचार बदल दिया। लेकिन एक बार फिर से अच्छे से सूंघने की इच्छा हुई तो उसने अपनी कमर को अपनी उंगलियों से अच्छे से रगड़ा तो उसे अपनी कमर पर दर्द का एहसास हुआ तो उसकी आंखो के आगे वो दृश्य तैर गया जब उसके बेटा का लंड औखली में घुसते मूसल के साथ उसकी कमर को ठोक रहा था। लंड के उस कठोर स्पर्श को याद करते ही शहनाज के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। कमीना कहीं का मसाले के साथ साथ मेरी कमर को भी कूट दिया। शहनाज़ अपनी बेटी की ताकत की कायल हो गई और उसने अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए उन्हें शुक्रिया बोला क्योंकि इनका दूध पीकर ही वो इतना ताकतवर बना था।

शहनाज़ ने रेडीमेड मसाले निकाले और सब्जी बनाने के लिए किचेन में घुस गई। आज वो बहुत दिनों के बाद इतनी ज्यादा खुश थी और हल्की आवाज में मधुर गीत गुनगुनाती हुई अपना काम कर रही थी।

दूसरी तरफ शादाब अभी तक अपने पहले स्खलन के एहसास में डूबा हुआ था। उफ्फ उसे रह रह कर अपनी अम्मी की गोरी चिकनी चूचियां याद आ रही थी, उफ्फ कितनी सुंदर लग रही थी वो, अम्मी कैसे मस्ती से मेरे साथ मसाला कूट रही थी।

तभी उसे फर्श पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने हाथ फेर कर देखा तो उसकी उंगलियां अपनी अम्मी के रस से भीग गई। शादाब को याद आया कि यहां तो उसकी अम्मी बैठी हुई थी तो क्या ये उनके अंदर से निकला हैं। उसने सोचा उफ्फ आज मेरा भी कितना सारा दूध सा कुछ निकला हैं तो क्या अम्मी के अंदर से भी ऐसे ही निकलता हैं। उसने उंगली को अपनी नाक के पास किया और सूंघने लगा तो उसे बहुत अच्छा लगा और उसने उसे टेस्ट करने के लिए अपने मुंह में अपनी उंगली को घुसा लिया।एक खट्टे खट्टे तेज नमकीन स्वाद से आज उसका परिचय हुआ जो उसे बहुत स्वादिष्ट लगा और ज्यादा चूसने का लालच उस पर सवार हो गया। शादाब सोच रहा था कि अब अम्मी क्या सोच रही होगी मेरे बारे में!! जोर से मसाला कूटने के चक्कर में उनका सूट भी फाड़ दिया मैंने और सारे मसाले का भी सत्यानाश कर दिया। कहीं अम्मी मुझे डांटने ना लग जाए, शादाब हल्का सा डर गया और अम्मी का मूड चेक करने के लिए बाहर निकला तो उसके कानों में शहनाज़ के गीत की मधुर आवाज सुनाई पड़ी तो उसे कुछ सुकून मिला और वो वापिस अपने कमरे में आ गया और फर्श पर पड़ा हुआ मसाला साफ करने लगा।

थोड़ी देर में खाना बन गया। शादाब नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया था और जल्दी ही नहाकर बाहर आ गया और अपने कमरे में घुस गया। शहनाज़ ने खाना बनाने के बाद शादाब को आवाज लगाई तो वो डरता हुआ अपनी अम्मी के पास पहुंच गया।

उसे देखकर शहनाज भी थोड़ी शर्म महसूस कर रही थी लेकिन उसका डर देखकर उसकी हिम्मत बढ़ गई और बोली:"

" शादाब खाना बन गया है इसलिए नीचे ले जाने में मेरी मदद करो। तुम्हारे दादा दादी को खाना खिलाना हैं नहीं तो वो आवाज लगाने लगेंगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा बिल्कुल भी बेटा।

शादाब अपना मुंह नीचे किए ही आगे बढ़ा और खाना लेकर नीचे की तरफ चल पड़ा तो उसके साथ ही शहनाज़ भी गरम गरम रोटी लेकर उसके साथ ही चल पड़ी। नीचे जाकर उहोंने खाना सजा दिया तो उसके सास ससुर खाना खाने लगे। जैसे ही ससुर ने पहला निवाला खाया तो उसे एहसास हो गया कि आज आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसलिए बोला:"

" बेटी आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसमें से कुटे हुए मसालों की खुशबू नहीं आ रही हैं।

शहनाज़ और शादाब दोनो के दिल एक साथ धड़क उठे और उन्होंने चोर निगाहों से एक दूसरे की तरफ देखा और शहनाज़ बोली:" अब्बा दर असल वो औखली नहीं मिली थी, सफाई करते हुए याद नहीं रहा कहां रख दी थी मैंने, मैं शाम तक पक्का ढूंढ़ लूंगी और शाम को सब्जी में कुटे हुए मसाले ही इस्तेमाल करूंगी।

ससुर:" ठीक है बेटी, दर असल आदत सी बन गई हैं इसलिए उसके बिना खाना अच्छा नहीं लगता मुझे।

शादाब:" आप फिक्र ना करे दादा जी, मैं खुद अम्मी के साथ मिलकर औखली ढूंढ़ लूंगा।

शहनाज़ अपने बेटे की इस बात से बुरी तरह से लजा गई क्योंकि औखली सुनते ही उसे अपनी चूत याद आ गई। उफ्फ कमीना कैसे अपने दादा जी के आगे ही ऐसी बात कर रहा है।

शहनाज़ ने जल्दी से कहा:"
" औखली तो मिल गई थी बेटा मूसल नहीं मिला था। इसलिए मसाला नही कुट पाया था!

इतना बोलकर शहनाज अपने ससुर को पानी देने के थोड़ा सा आगे हुई जिससे उसके पैर टेबल के नीचे से ही शादाब के पैरो से जा टकराए तो शादाब ने एक बार अपनी अम्मी की तरफ देखा तो शहनाज़ का चेहरा शर्म से लाल होकर झुक गया।

शादाब अपनी अम्मी के पैरो को अपने पैरो से सहलाते हुए बोला:"

" अम्मी मूसल की आप फिक्र ना करे उसकी जिम्मेदारी मेरी हैं आप बस औखली तैयार रखें !

इतना कहकर उसने जोर से अपनी अम्मी का पैर दबा दिया जिससे शहनाज़ के मुंह से हल्की सी मस्ती भरी आह निकलते निकलते बची। कमीना पैर भी इतनी जोर से दबा रहा है मानो मसाला कैसे कुटेगा ये दिखा रहा हो। शहनाज़ ने अपने बेटे के पैर में हल्का सा नाखून चुभा दिया तो शादाब ने अपनी अम्मी की तरफ शिकायत भरी नजरो से देखा तो शहनाज़ पहली बार उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" तेरे दादा जी को खूब तगड़ा कुटा हुआ बारीक मसाला पसंद हैं क्या तू कूट पाएगा इतना बारीक ?

अपने सास ससुर के सामने ऐसी बाते करते हुए शहनाज की हालत खराब हो चुकी थी। लेकिन वो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी चाहे कुछ भी हो जाए।

" अम्मी मैं मसाले को ऐसा तगड़ा करके कूट दूंगा कि उसकी सारी धज्जियां उड़ा दूंगा, दादा जी खुश हो जाएंगे ऐसे बारीक मसाले की सब्जी खाकर। क्यों दादा जी?

इतना कहकर शादाब ने थोड़ा जोर से अपनी अम्मी का पैर दबा दिया तो उसकी चूत टप टप करने लगी। वो अपने नीचे वाले होंठ को दांतो से काट रही थीं

ससुर:" हान बेटी, मुझे अपने पोते पर पूरा यकीन हैं, ये मूसल से बहुत तगड़ा मसाला कूटेगा, बस तुम औखली को अच्छे से साफ करके तैयार कर लेना कहीं धूल ना जम गई हो !!

शहनाज बुरी तरह से तड़प उठी अपने ससुर की बात सुनकर, उफ्फ ये कहीं मुझे मेरी चूत साफ करने की सलाह तो नहीं दे रहे हैं।

दादा की बात सुनकर दादी भी मैदान में कूद पड़ी और बोली:"

" जाओ जी आप तो अपने पोते का ही पक्ष लोगे, बेटी तुम खूब टाइट टाइट मसाला डालना अपनी औखली में फिर देखती हू कैसे कूट पाएगा ये !!



उफ्फ शहनाज़ की तो जिससे बोलती बंद हो गई। ये दोनो मिलकर मुझे मेरे बेटे से चुदवाना तो नहीं चाह रहे है सोचते ही शहनाज का पूरा जिस्म मस्ती से कांपने लगा।

दादा दादी दोनो खाना खा चुके थे इसलिए वो चुपचाप बर्तन समेटकर उपर की तरफ चल पड़ी तो शादाब अपने दादा दादी के पास ही बैठ गया।

शहनाज खाना बनाते हुए पसीने से भीग गई थी इसलिए नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। उसने धीरे धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिए और हमेशा की तरह आंखे बंद करके नहाने लगी क्योंकि उसमे अभी भी खुद को नंगा देखने की हिम्मत नहीं आई थी। इसलिए वो आराम आंखे बंद करके नहा रही थी, जैसे ही उसका हाथ उसकी चूचियों से टकराया तो उसकी उंगलियां उस जगह पर रुक गई जहां उसके बेटे के मस्ती से अपने दांत गड़ाए थे। शहनाज रोमांच से भर उठी और उस जगह को हल्के हल्के सहलाने लगी। उसका दूसरा हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसे अपनी सास की बात याद आ गई कि बेटी अपनी औखली को अच्छे से साफ कर लेना, ये सोचते ही उसकी सांसे रुक सी गई और उसने अच्छे से अपनी चूत पर हाथ फेरकर देखा तो उस पर कल साफ होने के कारण एक भी बाल नहीं था, मगर फिर भी उसने वीट क्रीम उठाई और फिर से अपनी चूत के आस पास लगा दिया ताकि बिल्कुल चिकनी कर सके। थोड़ी देर के बाद उसने अपने शरीर का पानी से साफ कर दिया तो उसकी चूत चांद की तरह चमक उठी। शहनाज़ ने कांपते हुए हाथो से अपनी चूत पर हाथ फिराया और एक दम चिकनी पाकर खुशी के मारे उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई और अपने बदन को टॉवल से साफ करने लगी।

नीचे शादाब अपने दादा दादी के पास बैठा हुआ था और उनसे बात करने लगा।

शादाब:" और बताए दादा जी कुछ, क्या आपका मन लग जाता हैं घर में लेटे हुए पूरे दिन?

दादा के मुंह पर एक दर्द भरी टीस साफ दिखाई दी और उन्होंने भावुकता के साथ बोलना शुरू किया :" हान बेटा, थोड़ी दिक्कत तो होती हैं लेकिन क्या करे अब जिस्म में ताकत नहीं रही पहले जैसी इसलिए जब कभी ज्यादा दिल करता है तो लाठी के सहारे थोड़ा घूम आता हूं!!

शादाब को अपने दादा जी की पीड़ा का अनुभव हुआ और वो उनका हाथ प्यार से सहलाने लगा जिससे दादा दादी दोनो भावुक हो गए और उन्हें लगा कि उनका अपना बेटा वापिस लौट आया हैं।

दादी:" बेटा बस तेरे आने से थोड़ी हिम्मत बढ़ गई है इसलिए अब अच्छा लगता है कुछ। बस हमारी खुशियों की किसी की नजर ना लगे।

दादा जी:" हान बेटा, हमने बेटा बहुत बुरे दिन देखे हैं सबने जिसका तुझे अंदाजा भी नहीं हैं, खासतौर से तेरी अम्मी शहनाज़ ने तो अब तक ज़िन्दगी में बस दुख ही उठाए हैं।

दादी दादा जी की बात सुनकर सिसक उठीं और उसकी आंखो से आंसू की एक बंद छलक आई जिसे शादाब ने आगे बढ़कर साफ किया और बोला:"

" क्या हुआ दादी आपकी आंखो में आंसू ?

दादी:" बस बेटा तेरी मां के बारे में सोच कर आंसू निकल पड़े। बेचारी जैसे दुख उठाने के लिए ही पैदा हुई है। छोटी सी थी तो मा गुजर गई और बाप ने दूसरी शादी कर ली और सौतेली मा ने बेचारी को एक पल के लिए भी चैन नहीं लेने दिया, ज़ुल्म पर ज़ुल्म करती रही और उसका पढ़ना भी बंद हो गया!!

दादी उम्र ज्यादा होने के कारण इतना बोलकर सांस लेने के लिए रुकी तो उसने देखा कि शादाब उसकी बाते ध्यान से सुन रहा हैं।

शादाब के दिल में अपनी अम्मी के लिए प्यार उमड़ पड़ा और भावुक होते हुए बोला:" फिर क्या हुआ दादी ?

दादी की आंखे फिर से नम हो गईं और अपने आंसू को थामते हुए भारी गले के साथ बोलना शुरू किया :" बेटा फिर तेरी अम्मी की छोटी सी उम्र में ही शादी हो गई और वो दुल्हन बनकर हमारे घर में आ गई, तेरे बाप ने भी कभी उसकी कद्र नहीं करी लेकिन इस बेचारी ने कभी एक शब्द नहीं बोला और अपने आपको किस्मत के सहारे छोड़ दिया, लेकिन जैसे अभी ज़ुल्म की इंतहा बाकी थी इसलिए एक दिन तेरा बाप भी इसे भरी जवानी में बेवा बनाकर इस दुनिया से चला गया। जब तू इसके पेट में था बेटे, मैंने और तेरे दादा जी ने बहुत कोशिश करी कि इसकी दूसरी शादी कर दी जाए लेकिन इसने साफ मना कर दिया कि अब वो इस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाएगी क्योंकि मेरा बिना आप दोनो का कोई सहारा नहीं है।

इतना कहकर दादी की सांसे उखड़ने लगी तो दादी फिर से सांसे लेने के लिए रुकी तो उसने देखा कि शादाब की आंखो से भी आंसू निकल रहे थे जिन्हें उसने साफ किया और बोलना शुरू किया:"

" बेटा इस बेचारी ने हमारी खूब मन लगाकर सेवा करी, भरी जवानी में भी इसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे घर की इज्ज़त खराब हो बेटा। हमारी सगी बेटी रेशमा भी शादी के बाद बदल गई और हमसे मुंह मोड़ लिया लेकिन तेरी मा ने कभी हमे बेटी की कमी महसूस होने नहीं दी और एक बहु बेटी सब का फ़र्ज़ उसने निभाया। जब तू छोटा सा था तो उसने गांव की भलाई के लिए तुझे शहर भेज दिया और अकेले में घुट घुट कर रोती रही लेकिन कभी उफ्फ तक नहीं की, उसने अपनी ममता का पूरी तरह से गला घोट दिया।

शादाब की हिम्मत जवाब दे गई और वो अपने दादा जी के गले लगकर फफक पड़ा तो दादा जी ने उसे सहारा दिया और बोले:"

" बेटा अगर आज हम दोनों जिंदा हैं तो बस तेरी मा की वजह से हैं, उसके एहसान हम कभी नहीं भूल सकते बेटा।

दादी अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए बोली:" बेटा बस तुझसे एक गुज़ारिश हैं कि हम दोनों का तो पता नहीं कब तक जिए इसलिए तू हमेशा अपनी मा का ख्याल रखना बेटा ।

दादा जी:" हान बेटा, अब बस तू ही उसका एकमात्र सहारा हैं, इसलिए बेटा कभी उसकी आंखो में आंसू मत आने देना। कभी भूलकर भी उसका दिल मत दुखाना मेरे बच्चे।

शादाब ने अपना चेहरा उपर उठाया जो कि पूरी तरह से आंसुओ से भीगा हुआ जिससे दादा जी का कुर्ता भी गीला हो गया था, दादी दादा दोनो अपने बेटे के चेहरे को साफ करने लगे तो शादाब उनका इतना प्यार देख कर फिर से सिसक उठा। बार बार उसकी आंखो के आगे उसकी मा का मासूम चेहरा घूम रहा था। उफ्फ मेरी मा तो त्याग की देवी हैं और उसके दिल में अपनी मम्मी के लिए इज्जत और प्यार बहुत ज्यादा बढ़ गया।

दादी उसके बालो में उंगलियां निकालते हुए बोली:"

" बेटा संभालो अपने आप को तुम, तुम तो मेरे बहादुर बेटे हो ऐसे बच्चो कि तरह नहीं रोते।

शादाब ने बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोके और मन में एक आखिरी निर्णय किया और अपने दादा दादी के सिर पर हाथ रख कर बोला:"

" आप दोनो की कसम, मैं अपनी अम्मी को कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दूंगा, अपने आपसे ज्यादा उनका ख्याल रखूंगा।

अपने पोते की बात सुनकर दोनो की आंखे खुशी के मारे छलक उठी और दादी बोली:"

" बस अब रोना बंद कर मेरे बच्चे और जा उपर जाकर खाना खा ले तेरी मा भूखी होगी, वो तेरे बिना खाना नहीं खाएगी बेटा!

शादाब ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और उपर की तरफ चल दिया। बाथरूम के अन्दर घुसी शहनाज़ अब बाहर निकल रही थी जिसने अपने जिस्म पर सिर्फ एक लाल रंग का टॉवेल बांधा हुआ था वो बाथरूम से बाहर निकल गई।

जैसे ही दोनो की नजरे टकराई तो शादाब को अपने अम्मी में अब त्याग और समर्पण की मूर्ति नजर आई और बहुत प्यार के साथ उन्हें देखने लगा। शहनाज़ के दोनो कंधे बिल्कुल नंगे थे जिन पर उसके काले घने बाल बिखरे हुए थे और बालो से टपकती पानी की बूंदे उसकी खूबसूरती को पूरी तरह से निखार रही थी। काले बालों में बीच में उसका खूबसूरत चेहरा ऐसे लग रहा था मानो बादलों के बीच से चांद निकल आया हों। अपने बेटे को देखकर उसे बड़ी शर्म महसूस हुई और उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे। उसने एक हाथ से कसकर टॉवल को पकड़ लिया और अपने बेटे की तरफ देखा जो पूरी तरह से खोया हुआ सिर्फ उसे ही देख रहा था। शहनाज ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए उसे बोली:

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" जाओ बेटा अपने कमरे में जाओ, मुझे अपने कमरे में जाना हैं , जल्दी जाओ।

अपनी अम्मी की बात सुनकर शादाब जैसे नींद से जागा और बिना कुछ बोले अपने कमरे में घुस गया। शहनाज़ ने उसके जाने के बाद राहत की सांस ली लेकिन अपने बेटे का ऐसे बिल्कुल भावहीन चेहरा देख कर उसे हैरानी हुई और वो अपने कपड़े पहनने लगीं। जल्दी ही वो बाहर आ गई और दोनो मा बेटे खाना खाने लगे। शादाब ने खाने का एक निवाला बनाया और अपनी अम्मी के मुंह की तरफ बढ़ा दिया तो शहनाज़ ने अपना मुंह खोलते हुए निवाला अंदर ले लिया और खाते हुए कहा:"

" क्या बात हैं आज अपनी अम्मी पर बड़ा प्यार आ रहा हैं मेरे बेटे को ??

शादाब एकटक अपनी अम्मी की तरफ प्यार भरी नजरो से देख रहा था जिनमें वासना नाम के लिए भी नही थी। शहनाज अपने बेटे की आंखो में झांकने लगी। खुदा ने औरत के अंदर ये गजब की ताकत दी है कि वो अपनी तरफ देखने वाली हर नजर को बड़ी सफाई से पहचान लेती है। शहनाज़ को अपने बेटे की आंखो में अपने लिए प्यार और सिर्फ प्यार नजर आ रहा था। इसलिए जैसे ही अगली बार शादाब ने खाने का निवाला उसकी तरफ बढ़ाया तो शहनाज़ ने निवाले के साथ साथ उसकी उंगली में हल्का सा काट खाया जिससे शादाब के होंठो पर पहली बार स्माइल आ गई और बोला:"

" अम्मी लगता हैं आप बहुत भूखी है, खाने के साथ साथ मेरी उंगली भी खा जाएगी क्या!!

शहनाज को अपने बेटे के चेहरे पर स्माइल देख कर खुशी हुई और बोली:"

" बेटा तूने जब मुझसे इतनी ज्यादा मेहनत कराई हैं तो भूख तो जोर से लगनी ही थी।

शादाब पूरी तरह से अपनी अम्मी की बात नहीं समझ पाया और बोला:" अम्मी मैंने तो आपसे कोई मेहनत नहीं कराई, आप ही बताए।

शहनाज़ को अपने बेटे के भोलेपन पर तरस आ गया और उसके थोड़ा करीब होते खाने का निवाले बनाकर उसके मुंह में डालते हुए बोली:"

" भूल गया मेरा राजा बेटा, इतनी मेहनत जो कराई तूने मसाला कूटने में अपनी मा से !!

शहनाज ने बड़ी मुश्किल से ये बात कहीं और कांपने लगी। शादाब का भी चेहरा लाल हो गया और बोला :"

" मुझसे गलती हो गई, आगे से मैं ध्यान रखूंगा, आराम से मसाला कूट दूंगा !!

शहनाज़ अपने बेटे के इस बदले हुए रुख को देखकर थोड़ा हैरान हुई और उसे छेड़ते हुए उसके कान के पास धीरे से बोली:"

" बेटा मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा, जब तेरे पास इतना बड़ा मूसल हैं तो उससे तो ऐसे ही जोर जोर से औखली को ठोकना चाहिए !!

शहनाज़ ने जान बूझकर मसाला नहीं बल्कि सीधे औखली बोल दिया जिससे शादाब अपनी अम्मी की बात सुनकर थोड़ा खुश हुआ और बोला:" अम्मी क्या फिर से आप मेरे साथ मसाला कुटना चाहोगी?

शहनाज़:" नहीं बिल्कुल नहीं, अगर मैं तेरे साथ ऐसे ही मसाला कूटने लगी तो तू तो दो चार दिन में ही मेरे सारे कपड़े फाड़ देगा!!

शहनाज़ ने बड़ी मुश्किल से बोला और शर्म से लजा गई। शादाब ने अपनी अम्मी की तरफ देखा और बोला

" आपका ये दोस्त आपके लिए कपड़ों की लाइन लगा देगा एक से बढ़कर एक मॉडर्न कपडे, आप बस मसाला कूटने के लिए हान तो करो?

दोनो बात करते हुए खाना भी खाते जा रहे थे। अपने बेटे की बात सुनकर अवाक रह गई और बोली:" ना बेटा, रोज एक सूट फटेगा तो कितना ज्यादा खर्च बढ़ जाएगा हमारा ?

शादाब तो जैसे इसके लिए पहले से ही तैयार था इसलिए बोला:"

" अम्मी अगर आप थोड़े ढीले कपडे पहनोगी तो सूट फटने से बच जाएगा।

शहनाज़ को जैसे ही अपनी बेटे की बात का मतलब समझ आया तो जैसे शर्म के मारे हालत खराब हो गई और वो अपने दांत निकालते हुए अपने बेटे को मारने के लिए बढ़ी तो शादाब उसकी तरफ जीभ निकालता हुआ भाग उठा। शहनाज़ उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़ी।

शादाब कमरे में घुस गया और गेट बंद करने लगा तो शहनाज ने तेजी से अपना पैर गेट में फसा दिया क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा चाह कर उसे चोट नहीं पहुंचा पाएगा। शादाब ने जैसे ही अपनी अम्मी के पैर को दरवाजे में देखा तो उसने गेट पर से हाथ हटा दिया और शहनाज़ मौके का फायदा उठाकर अंदर घुस गई और शादाब को पकड़ लिया और उसे बेड पर गिराकर उसके उपर चढ़ गई और बोली :"

" अब बता ना क्या बोल रहा था शैतान मुझे ?

शहनाज भगाकर आई थी जिससे उसकी सांसे तेज होने के कारण चूचियां उपर नीचे हो रही थी जिन्हे देखकर शादाब मुस्कुरा दिया तो शहनाज़ की नजर अपने चूचियों पर पड़ी तो उसका चेहरा एक बार फिर से लाल हो उठा।


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शहनाज ने अपने बेटे के एक हाथ को पकड़ लिया और दूसरे हाथ को उसकी आंखो पर रख दिया और बोली:"

" बेटे ऐसे मत देख मुझे, शर्म आती हैं मेरे राजा बेटा,

शादाब अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुरा दिया और उसका हाथ फिर से सहलाने लगा जिससे शहनाज़ की सांसे एक बार फिर से उखड़ने लगी और उसकी चूचियां अपने बेटे के सीने में घुसने लगी। शादाब इस एहसास से तड़प उठा और उसने अपनी अम्मी से हाथ छुड़ाकर उसकी कमर पर रख दिया और जोर से अपनी तरफ खींचा तो शहनाज के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और उसका हाथ उसके मुंह पर से हट गया।

शादाब अपनी अम्मी को दर्द में देख कर परेशान हो गया और बोला:" क्या हुआ अम्मी? आपको दर्द हुआ क्या ?

शहनाज़ की कमर पर शादाब ने उस जगह दबा दिया था जहां पर लंड ने अपना जोर दिखाया था, वो जगह लाल होकर सूज गई थी जिससे शहनाज को दर्द हुआ था। शर्म के मारे वो दोहरी हो गई अब अपने बेटे को कैसे बताए!!

शादाब ने हाथ की प्यार से उसकी कमर पर फेरा तो उसकी सूजी हुई कमर का एहसास हुआ तो डर के मारे बोला:"

" अम्मी प्लीज़ बताओ ना कैसे हुआ ये सब?

शहनाज़ ने अपने बेटे की बेटे सुनकर शर्म से अपना मुंह उसकी छाती में छुपा लिया और उसके एक हाथ को पकड़ लिया। शादाब अपनी अम्मी की हालत समझते हुए बोला:" अम्मी प्लीज़ बताओ ना आप मुझे, कैसे हुआ ये सब ?

शहनाज़ उसके कान में धीरे से बोली :" उफ्फ बेटा कैसे बताऊं तुझे, मुझे बहुत शर्म आती है

शादाब बोला: " अम्मी बेटा नहीं एक दोस्त समझ कर ही बता दो आप मुझे,!

शहनाज़ ने उसके हाथ पर अपने हाथ से थोड़ा ज्यादा दबाव बढ़ाते हुए कहा"

" वो बेटा तूने मसाले के साथ साथ म म म री !!!

शहनाज शर्म के मारे इससे आगे नहीं बोल पाई तो शादाब अपनी अम्मी के बालो में प्यार से उंगली फिराने लगा तो शहनाज भावनाओ में बह गई और एक झटके के साथ बोल पड़ी:"

" बेटा तूने मसाले के साथ साथ मेरी कमर को भी कूट दिया था !

इतना कहकर शहनाज ने अपने बेटे का मुंह चूम लिया और उसके अपने एक हाथ से अपना चेहरा फिर से ढक लिया। शादाब को सब कुछ समझ में आ गया और उसका लंड खड़ा हो गया जिसका एहसास शहनाज़ को अपनी जांघो पर हुआ और चेहरा लाल सुर्ख होकर दहकने लगा।, उसने अपनी अम्मी को शरमाते हुए देखकर थोड़ा मजा लेने की सोची और बोला:"
" आपकी कमर को कैसे कूट दिया मूसल तो औखली में था और मसाला कूट रहा था।

शहनाज ने एक बार अपने बेटे की तरफ देखा तो उसे अब सिर्फ अपने सपनों का शहजादा नजर आया और वो पूरी तरह से बहक गई और बोली:"

" जरूर तेरे पास कोई दूसरा मूसल रहा होगा जिससे तूने मेरी कमर कूटी हैं! बता ना क्या तेरे पास नहीं था?

शादाब का लंड अपनी अम्मी की बात सुनकर अपनी औकात पर आ गया एक तेज झटके के साथ उसकी जांघो में जा लगा जिससे शहनाज़ के मुंह से फिर से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी।

शादाब सब कुछ जानता था इसलिए उसका गाल चूमते हुए बोला:* क्या हुआ अम्मी फिर से मूसल चुभ गया क्या?


शहनाज़ की आंखे एक दम वासना से लाल हो उठी और उसके चेहरे के भाव बिगड़ने बनने लगे और उसने एक बार अपनी टांगो को थोड़ा सा लंड पर दबा दिया तो लंड किसी सांप की तरह फुफकारते हुए झटके मारने लगा जिससे शहनाज़ का मुंह फिर से मस्ती से खुल उठा

" आह राजा ये मूसल तो औखली वाले मूसल से भी ज्यादा खतरनाक हैं, उफ्फ कितना ठोस हैं ये, ये तो अपने आप ही झटके मार मार कर मेरी जांघों को कूट रहा है; हाय मेरे राजा कहां से लाया तू ये करामाती मूसल ??

शादाब अपनी अम्मी की मस्ती भरी बाते सुनकर जोश में आ गया और अब थोड़ा जोर से लंड के झटके मारने लगा तो शहनाज़ ने पूरी तरह से अपने जिस्म पर से काबू खोते हुए अपने बेटे के हाथ को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके शहनाज के जिस्म को अपने आप मस्ती से झटके लगने लगे जिससे उसका जिस्म हिलने लगा और उसका जिस्म थोड़ा सा ऊपर खिसक गया जिससे अब उसकी चूत लंड के ठीक ऊपर थी और लंड के झटके उसकी चूत पर पड़ रहे थे।

शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां अब कमरे में गूंज रही थी और शादाब पूरी मस्ती से उसके गाल चूम रहा था। शादाब ने एक हाथ को उसकी कमर पर से नीचे की तरफ लाते हुए जैसे ही उसकी गांड़ पर रखा तो शहनाज़ का समूचा जिस्म मस्ती से भर उठा। उफ्फ मेरे बेटे के चौड़े चौड़े हाथ मेरी गांड़ पर हैं ये सोचकर वो अपनी सब लाज शर्म त्याग कर अपने बेटे की गर्दन चाटने लगी।


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शादाब ने भी जोश में आते हुए अपनी अम्मी की भारी भरकम उभरी हुई गांड़ को अपने चौड़े हाथो में भर लिया। शहनाज़ की मस्ती का अब कोई ठिकाना नहीं था, उसकी मोटी गांड़ पूरी तरह से उसके बेटे के हाथो मे भर गई थी तो शहनाज़ को यकीन हो गया कि उसकी गांड़ सिर्फ उसके बेटे के लिए ही बनी हैं और शहनाज़ के लिए तो जैसे ये सपने के साकार होने जैसा था । जैसे ही शादाब ने अपनी अम्मी की गांड़ को पहली बार दबाया तो शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को जोर से लंड पर दबा दिया और एक बार फिर से झड़ती चली गई। शादाब भी अपनी अम्मी की चूत की पहली रगड़ लंड पर बर्दाश्त नही कर पाया और उसके लंड ने एक बार फिर से अपना लावा उगल दिया। दोनो मा बेटे ने एक दूसरे को पूरी तरह से कस लिया और अपनी सांसे दुरुस्त करने लगे।

जैसे ही शहनाज़ की सांसे नॉर्मल हुई तो उसे शर्म का एहसास हुआ और अपने बेटे का मुंह चूमते हुए उठकर अपने कमरे में घुस गई।
 
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सच में इस फोरम पर ये मेरी पसंदीदा कहानी हैं क्योंकि इसके काफी नाम मेरी अपनी ज़िन्दगी से मेल खाते हैं। जितनी बार पढू इतना ही कामुक और उत्तेजक महसूस होता है। यूनिक स्टार जी आपसे गुजारिश है कि फिर से शहनाज़ नाम से कोई कहानी शुरू कीजिए।
 
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mp kahlon

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शादाब धीरे धीरे शाहनाज के हाथ पकड़े बेड तक पहुंच गया। शाहनाज ने अभी तक बुर्का पहना हुआ था और उसके हाथ पैर कांप रहे थे। जिस्म में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी और रह रह कर उसकी सांसे रुक सी रही थी। शहनाज़ ने धीरे से अपने सैंडिल निकाले और बेड पर चढ़ गई और बैठ गई। शादाब ने शहनाज़ का हाथ हल्का सा दबाते हुए कहा:"

" अम्मी आप बैठो मैं अभी आया पांच मिनट में।

शहनाज़ ने बिना मुंह से कुछ बोले अपने गर्दन हिला दी और शादाब कमरे से बाहर अा गया। शादाब किचेन में चला गया और केसर बादाम वाला दूध गर्म करने लगा। सच में शादाब आज बहुत खुश था क्योंकि उसकी अम्मी ने अब हर तरह से उसे अपना लिया था।

दूसरी तरफ शहनाज़ ने शादाब के जाने के बाद अपना बुर्का उतार दिया और एक तरफ रख कर अपने घूंघट को ठीक किया और शादाब का इंतजार करने लगी। शहनाज़ के कदम कदमों कि आहट पर लगे हुए थे और उसकी चूत अपने आप टपक रही थी।

शादाब ने ग्लास में दूध भर लिया और एक डिब्बा लेकर शहनाज़ के रूम की तरफ चल पड़ा। कमरे में घुसने के बाद शादाब ने गेट को लॉक लगाकर बंद कर दिया तो शहनाज़ के रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने दूध को टेबल पर रख दिया और डिब्बे में से एक मस्त तेज महक वाला परफ्यूम पूरे कमरे में छिड़क दिया तो पूरा कमरा महक से भर उठा। शादाब ने अपने जूते उतारे और बेड पर चढ़ गया और शहनाज़ के सामने बैठ गया। घूंघट से शहनाज़ के कांपते हुए लाल सुर्ख होंठ साफ दिख रहे थे।

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शादाब ने कहा:" उफ्फ अम्मी आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दिन हैं क्योंकि मेरा सबसे बड़ा सपना पूरा हो रहा हैं। आप मिल गई मुझे सब कुछ मिल गया।

शहनाज़ सिर्फ हल्का सा मुस्कुरा उठी तो शादाब बोला:"

" उफ्फ शहनाज़ मेरी अम्मी, मेरी जान बस अब अपना ये चांद सा चेहरा मुझे दिखा दो। मैं अपनी दुल्हन को जी भर कर देख तो लूं एक बार।

शहनाज़ ने ना मैं सिर हिला दिया और तो शादाब बोला:"

" उफ्फ अम्मी आज तो मना मत करो, आज क्यों ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?

शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा अभी काफी नादान हैं इसलिए धीरे से बोली:"

" मेरे राजा, आज के दिन मुंह दिखाई गिफ्ट में दी जाती हैं, पहले मेरा गिफ्ट दो, तब जाकर ये घूंघट हटेगा।

शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी क्या चाह रही हैं इसलिए वो उठा और डब्बे से एक हीरे की अंगूठी निकाल ली और बेड की तरफ चल पड़ा। अब दोनो मा बेटे एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे और शादाब बोला:"

" शहनाज़ मैं मुंह दिखाई देने के लिए तैयार हूं, बस अब देर ना कर मेरी जान।

शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान अा गई और वो उठी और बेड के सिरहाने से एक डिब्बे से अंगूठी निकाल ली। शादाब भी खड़ा हो गया और शहनाज़ को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से आज अपने बेटे के पहले स्पर्श से एक सिसकी निकल पड़ी।

" आह राजा, थोड़ा प्यार से मेरी जान, बहुत नाजुक हैं तेरी अम्मी

शादाब का एक हाथ शहनाज़ की छाती तो दूसरा उसके पेट पर टिका हुआ था। शहनाज़ ने अपने हाथ आगे लाते हुए शादाब के हाथो पर रख दिए तो दोनो एक दूसरे को अंगूठी पहनाने लगे।



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शादाब का पूरी तरह से खड़ा हुआ लंड शहनाज़ की गांड़ से लगा हुआ था जिससे शहनाज़ का बदन तपता जा रहा था। अंगूठी पहन लेने के बाद शादाब बोला:"

" बस शहनाज़ मेरी अम्मी अब तो दिखा दे अपना चांद सा चेहरा मुझे।

शहनाज़ ने एक स्माइल दी और शादाब को हान में सिर हिला दिया तो शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ का घूंघट उठाने लगा। जैसे जैसे घूंघट उठता जा रहा था शहनाज़ की सांसे तेज होती जा रही थी। जैसे ही घूंघट हट गया तो शहनाज़ का चांद से ज्यादा चमकता हुआ चेहरा शादाब के आगे अा गया और शादाब बिना पलके झपकाए उसे देखता रहा।

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शहनाज़ दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन बनी हुई थी और शादाब अपलक उसे देखे जा रहा था। शहनाज़ की आंखे बंद शर्म से झुकी जा रही थी इसलिए वो शर्म के मारे अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाने लगीं।



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शादाब ने शहनाज़ के चेहरे को हाथ से थाम लिया और बोला:"

" उफ्फ मेरी जान, मेरी शहनाज़ देखने दो ना जी भर कर मुझे अपनी दुल्हन को।

शहनाज़ अपने बेटे की बाते सुनकर शर्मा सी गई और बोली:'

" बस कर मेरे राजा और कितना देखेगे मुझे, कहीं नजर लग गई तो?

शादाब :" अम्मी दीवाने की नजर नहीं लगती हैं।

शादाब ने इतना कहकर शहनाज़ का एक हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ ने एक झटके के साथ उससे अपना हाथ छुड़ा लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:"

"इतना गुस्सा किसलिए शहनाज़ ? क्या मुझसे कोई गलती हुई है ?

शहनाज़ ने उसे जलाने के लिए कहा:" हान बहुत बड़ी भूल कर रहा हैं तू राजा, अभी तेरा मेरे सिर्फ पर हक नहीं हैं।

शहनाज़ के मुंह से निकले ये लफ़्ज़ शादाब को एक तीर की तरह से चुभे और बोला:"

" अम्मी ऐसा क्यों बोल रही हो आप ? सब कुछ आपकी मर्जी से तो रहा हैं।

शहनाज़ शादाब का रोना सा मुंह देखकर अंदर ही अंदर मुस्करा उठी और धीरे से अपना मुंह उसके कान के पास लाते हुए बोली:" राजा पहले निकाह में बंधे हुए मेरे मेहर दो मुझे, उसके बाद ही तुम मुझे छू सकते हो।

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके होंठो पर मुस्कान तैर गई और बोला:"

" शहनाज़ क्या तुम मेरे मेहर माफ करोगी ? या मैं आपको चुका दू।

( मेहर निकाह के वक़्त लड़की की सुरक्षा के लिए तय की गई एक रकम होती हैं। अगर पति तलाक चाहे तो उसे मेहर की रकम पत्नी को देनी होती हैं।)

शहनाज़: जा माफ कर दिए मेरे राजा।

जैसे ही शहनाज़ ने मेहर माफ किए तो शादाब ने तेजी से आगे बढ़ कर उसे अपने सीने से लगा लिया तो शहनाज़ भी अपने बेटे से चिपक गई।

शादाब:" ओह शहनाज़ आई लव यू मेरी जान।

शहनाज़:: लव यू टू मेरे शादाब।

शादाब:" अम्मी मुझे आज सब कुछ मिल गया। आप जैसी दुल्हन पाकर मेरी किस्मत खुल गई।

शहनाज़:" शादाब सच में तुम एकदम मेरे सपनो के शहजादे हो, तुम्हे पाकर आज मैं भी पूरी हो गई हूं मेरे राजा।

शादाब ने अपना लंड शहनाज़ की जांघो में दबाते हुए कहा:"

" आह अम्मी, अभी आप कहां पूरी हुई हो ?

शहनाज़ उसका हाथ दबाते हुए:"

" उफ्फ शैतान, क्यों तंग करता हैं मुझे डराकर इससे ?

शादाब:" आज तक मेरी रात हैं, मैं जो चाहे करू, आज मुझे पूरा हक है शहनाज़ ।

दोनो मा बेटे ऐसे ही बेड पर लेट गई और शहनाज़ पूरी तरह से शादाब से कस कर लिपट गई और बोली:"

" आह मेरे राजा, आज तुझे पूरा हक मुझ पर, मेरा सब कुछ तेरा हैं अब हमेशा के लिए।

दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे और शादाब की नजरे बार बार शहनाज़ के रस टपकाते हुए लिप्स पर ठहर रही थी। दोनो मुस्कुरा दिए और शहनाज़ ने अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठो को रस से पूरी तरह से गीला कर दिया तो शादाब के होंठ अपने आप शहनाज़ के होंठो की तरफ बढ़ गए। शादाब ने शहनाज़ का मुंह से उपर किया तो शहनाज़ का चेहरा शर्म से लाल हो गया और शादाब ने अपने प्यासे होंठ अपनी दुल्हन, अपनी शहनाज़ के होंठो पर टिका दिए। जैसे ही शहनाज़ को अपने बेटे के होंठो का स्पर्श हुआ तो उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसके हाथ शादाब की गर्दन में कस गए तो शादाब ने शहनाज़ के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और उसके हाथ शहनाज़ के बालो को सहलाने लगे। शहनाज़ भी पूरी तरह से किस में डूब गई और उसने भी अपने बेटे के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तो शादाब ने कसकर बिल्कुल अपने करीब कर लिया जिससे लंड फिर से शहनाज़ की जांघो में घुस गया। लंड लगते ही शहनाज़ पूरी तरह से जोश में आ गई और शादाब के कभी उपर वाले तो कभी नीचे वाले होंठ को पूरी ताकत से चूसने लगी।

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शादाब भी शहनाज़ के होंठो को किसी रसभरी की तरह से चूस रहा था और उसके हाथ शहनाज़ की गर्दन को मसल रहे थे जिससे शहनाज़ मदहोश होती जा रही थी। शादाब ने अपनी जीभ बाहर निकाली और शहनाज़ के दांतो पर दबाव दिया तो शहनाज़ का मुंह खुल गया और शादाब की जीभ उसके मुंह में घुसती चली गई। जैसे ही शहनाज़ की जीभ शादाब की जीभ से टकराई तो शहनाज़ का रोम रोम सुलग उठा और अपनी चूत को शादाब के लंड पर रगड़ने लगीं। दोनो मा बेटे की जीभ अब एक दूसरे के मुंह में घुस रही थी।


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जब दोनो की सांसे उखड़ने लगी तो दोनो कर होंठ सांस लेने के लिए अलग हुए और फिर से जुड़ गए। शादाब के हाथ इस बार शहनाज़ की कमर को मसल रहे थे जिससे शहनाज़ उसके होंठ पूरे जोश में चूस रही थी। एक लंबे किस के बाद आखिर कार दोनो को अलग होना पड़ा और शादाब ने शहनाज़ की आंखो में देखा जो किस की वजह से लाल सुर्ख होकर दहक रही थी। शादाब ने शहनाज़ के लहंगे पर रख दिया तो शहनाज़ शादाब से मुंह नीचा करके शरमाते हुए बोली:"

" आह पहले लाइट बंद कर दीजिए ना आप।

शादाब समझ गया कि शहनाज़ लाइट की वजह से ज्यादा शर्मा रही है इसलिए उसने उठकर लाइट बन्द कर दी और बोला:"

" शहनाज़ मेरी जान, अगर आपकी इजाज़त हो तो कुछ मोमबत्तियां जला दू ?

शहनाज़ अपना मुंह नीचे किए हुए ही बोली:" शादाब मैं आज तक किसी के सामने पूरे कपडे नहीं निकाले है बेटा। इसलिए तू रहने दे।

शादाब:" आह शहनाज़ आज तो आपका बेटा आपको पूरी तरह से नंगी करके प्यार करेगा।

शहनाज़ अपने आप में ही सिमट सी गई और बोली:"

" तेरे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है मेरे राजा।

शादाब:' अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं कुछ मोमबत्तियां जला दू मेरी जान ?

शहनाज़ ने सिर हिलाकर अपनी सहमति दे दी तो शादाब ने कमरे में रखी गई मोमबत्तियों को जलाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ भी उसका सहयोग करने लगी।


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जल्दी ही पूरा कमरा मोमबत्तियों की हल्की रोशनी से भर गया और उसमे शहनाज़ पहले से ज्यादा सेक्सी और खुबसुरत नजर आने लगी। शहनाज़ बेड पर लेटी हुई थी और शादाब आगे आकर उसके उपर चढ़ गया तो शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर बांध दिए। शादाब ने शहनाज़ के माथे को चूम लिया और फिर धीरे धीरे उसकी आंखो को प्यार करने लगा। शहनाज़ ने अपने जिस्म को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और शादाब का लंड उसकी जांघो में घुसा जा रहा था।

शादाब ने नीचे आते हुए शहनाज़ के गाल पर अपने होंठ टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथों से शादाब की कमर को सहलाना शुरू कर दिया तो शादाब ने जोश में आते हुए शहनाज़ के गुलाबी गाल को मुंह में भर कर काट किया तो शहनाज़ के होंठो से आह निकल पड़ी।

" उफ्फ आराम से मेरे राजा, दर्द होता हैं मुझे।

शादाब उसके गाल को सहलाते हुए कहा:" " मेरी जान शहनाज़ आज की रात तो तुम्हे बहुत दर्द होंगे मीठे मीठे इस से भी बढ़कर।

शहनाज़ ने उसकी बात सुनकर उसे जोर से कस लिया और बोली:" आह मेरे राजा, आज तेरी मा हर दर्द सहने के लिए तैयार हैं तेरे लिए।

शादाब ने शहनाज़ के दोनो गालों को बारी बारी से चूमा, चाटा और हल्का हल्का दांतो से काट काट कर लाल कर दिया। शादाब ने अब अपने होंठ फिर से शहनाज़ के होंठो पर टिका दिए और चूसने लगा तो शहनाज़ भी उसका साथ देने लगी। शादाब का एक हाथ नीचे सरक कर उसकी चूचियों पर अा गया और हल्का हल्का दबाने लगा तो शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ शादाब की कमर पर घुमाने शुरू कर दिए।

शादाब ने शहनाज़ की कान की लौ को जीभ से चाटना शुरू किया तो शहनाज़ के जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी और उसकी सिसकी निकल पड़ी। शादाब ने जैसे ही उसकी लौ दांतो से हल्का सा काटा तो शहनाज़ की सिसकियां तेज होने लगी और वो शादाब की गांड़ पर हाथ फेरने लगी। शादाब ने नीचे आते हुए शहनाज़ की गर्दन पर अपने होंठ टिका दिए और उसकी गर्दन को चाटने लगा।


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शहनाज़ से ये सब बर्दाश्त नही हुआ और उसकी गर्दन अपने आप ही शादाब की जीभ पर थिरकने लगी। (शहनाज़ को आज पहली बार एहसास हो रहा था कि प्यार क्या होता हैं, उसके पति ने सीधे लंड घुसा दिया था)!

शहनाज़ ने अपना हाथ नीचे लाते हुए शहनाज़ के सूट को पकड़ लिया और उपर की तरफ बढ़ाने लगा तो शहनाज़ की सांसे तेज होने लगी और चूत गीली हो गई। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उपर उठा दिए और शादाब ने उसका सूट उतार दिया तो शहनाज़ शर्म के मारे शादाब से कसकर लिपट गई तो शादाब के हाथ उसकी नंगी कमर पर जा लगे तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

" आह शादाब मेरे राजा, उफ्फ

शादाब ने शहनाज़ की कमर को अपने हाथो में भर कर सहलाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ किसी अमर बेल की तरह उससे लिपट गई। शादाब उसकी कमर दबाते हुए कहा:'

" आह अम्मी, आपकी कमर कितनी चिकनी और पतली हैं मेरी शहनाज़ !!

इतना कहकर उसने शहनाज़ की कमर को जोर दे दबा दिया तो शहनाज़ मस्ती से सिसक उठी और बोली:"..
" आह मेरे शादाब थोड़ा प्यार से राजा, सब कुछ तेरे लिए ही है मेरी जान।

शादाब के हाथ शहनाज़ की कमर से होते हुए उसकी गांड़ तक पहुंच गए और वो प्यार से शहनाज़ की गांड़ सहलाने लगा। शहनाज़ तो जैसे पागल ही हो गई और अपने दोनो हाथ अपने बेटे के हाथो पर रख दिए और अपनी गांड़ को दबाने लगी। शादाब ने अब शहनाज़ की सलवार के नाड़े को एक झटके में खोल दिया तो शहनाज़ के मुंह से उत्तेजना में फिर से सिसकी निकल पड़ी और शादाब ने उसकी सलवार को नीचे सरका कर उतार दिया तो अब शहनाज़ सिर्फ ब्रा पेंटी में पड़ी हुई थी और शर्म के मारे अपने आप में सिमट रही थी। (कमरे में जल रही मोमबत्तियां मैजिक कैंडल की तर्ज पर बनी हुई जिनका प्रकाश थोड़ी देर के बाद ट्यूब लाइट से भी तेज हो जाता हैं और अब धीरे धीरे कमरे में प्रकाश बढ़ रहा था) शहनाज़ की गांड़ सिर्फ पेंटी में थी।


शहनाज़ शर्म के मारे पेट के बल लेट गई और शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड़ को पकड़ लिया और दोनो हाथो में भर कर जोर जोर से दबाने लगा। शहनाज़ मस्ती से भर उठी और सिसकते हुए बोली:"

" आह शादाब, उफ्फ थोड़ा प्यार से मेरी जान,

शादाब अपनी अम्मी की सिसकियां सुनकर जोश में अा गया और पूरी ताकत से उसकी गांड़ दबाने लगा।


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शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती में सिसकते हुए:"

" आह मार ही देगा क्या मुझे, उफ्फ दर्द होता हैं राजा थोड़ा प्यार से मसल।

शादाब उसकी के पटो को खोलकर अंदर की तरफ दबाते हुए:" आह शहनाज़, कितनी मस्त उभरी हुए गांड़ हैं तेरी, दबाने दे जोर जोर से आह टाइट है।

शादाब के मुंह से अपनी गांड़ की तारीफ सुनकर शहनाज़ बहक गई और अपनी गांड़ खुद ही उसके हाथो में मारने लगी और बोली:"

" आह मेरे राजा, मसल पूरी तरह से रगड़ मुझे ऐसे ही, दबा पूरी भर भर दबा मुझे।

शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी अपने हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा तो शहनाज़ सिसकते हुए बोली:"

" आह मेरे बच्चे,तेरे हाथ तो मेरी गांड़ के लिए ही बने हैं, उफ्फ कितनी बड़ी हैं फिर भी पूरी समा गई।

शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी तरह से दबा दबा कर लाल कर दिया और शहनाज़ मस्ती से अपनी गांड़ मसलवाती रही। शादाब ने एक हाथ से शहनाज़ की गांड़ दबाते हुए दूसरे हाथ से खुद को नंगा करना शुरू कर दिया और उसके जिस्म पर अब सिर्फ अंडर वियर बचा हुआ था।


शहनाज़ की गांड़ को जी भर कर दबा कर लाल सुर्ख कर देने के बाद शादाब शहनाज़ की पीठ पर लेट गया तो शहनाज़ को उसके नंगे होने का एहसास हुआ और उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शादाब उसकी गर्दन चाटते हुए अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ में घुसाने लगा। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से गीली हो गई और कच्छी भीग चुकी थी। शादाब ने अब शहनाज़ की कमर को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की सिसकियां निकलने लगी।

शादाब अपनी जीभ निकाल कर शहनाज़ की कमर को चाटने लगा तो शहनाज़ ने दोनो हाथो से बेड शीट को दबोच लिया और अपनी चूची और चूत बेड शीट पर रगड़ते हुए बोली:"

" आह मेरे राजा, उफ्फ ऐसे ही प्यार कर मुझे, बहुत प्यासी है तेरी अम्मी शादाब।

शादाब की जीभ जैसे ही शहनाज़ की ब्रा से टकराई तो दोनो मा बेटे एक साथ मस्ती से सिसक पड़ें। शादाब ने शहनाज़ की ब्रा के हुक को दांतो से भर लिया और खोलने लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मचलने लगा। शादाब ने ब्रा के हुक को खोल दिया तो शहनाज़ की कमर पूरी तरह से नंगी हो गई और शहनाज़ फिर से सिसक उठी। शादाब में अपनी जीभ से उसकी पूरी कमर को चाटना शुरू कर दिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने ने हल्की सी अपनी कमर उपर उठाई और अपने दोनो हाथ अपनी चुचियों के नीचे टिका दिए। जैसे ही उसकी कमर नीचे अाई तो चूचियां अपने आप दबती चली गई और शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया :"

" आह मेरे राजा, उफ्फ मेरा शादाब।

शादाब ने उसकी कमर को हल्का हल्का काटना शुरू किया तो शहनाज़ पागल हो उठी और एक हाथ से अपनी चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ से चूत को पकड़ कर जोर से दबा दिया। शादाब ये सब देख कर आपे से बाहर हो गया और शहनाज़ को पलट दिया तो शर्म के मारे शहनाज़ ने दोनो हाथो से अपनी चुचियों को ढक लिया और आंखे बंद कर ली।

शादाब ने अपने हाथ शहनाज़ के हाथो पर टिका दिए और उसकी चूचियों को हल्का हल्का दबाने लगा। शादाब का लंड अब उसकी चूत पर गड़ गया था और शादाब हल्के हल्के धक्के मार रहा था जिससे शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई। शादाब ने उसके हाथो को हटाना चाहा तो शहनाज़ ने जोर से अपनी चूचियों को पकड़ लिया क्योंकि आज तक उसने खुद भी अपनी चूची और चूत को नहीं देखा था।

शादाब: " आह अम्मी क्यों तड़पा रही हो, उफ्फ हाथ हटा लो ना ?

शहनाज़ कांपते हुए:" आह राजा,मुझे शर्म आती हैं, आज तक मैंने खुद ही इन्हे नहीं देखा और ना ही कभी अपनी टांगो के बीच झांका हैं।

शादाब अपनी अम्मी की सुनकर मस्ती में अा गया और शहनाज़ का एक हाथ पकड़ कर नीचे की तरफ ले जाने लगा तो शहनाज़ ने दूसरे हाथ की कोहनी से अपनी दोनो चूचियों को छिपा लिया। शादाब ने शहनाज़ का हाथ अपने लंड पर टिका दिया तो शहनाज़ की चूत कुलबुलाने लगी। शादाब ने शहनाज़ के हाथ से धीरे धीरे अपने अंडर वियर को नीचे सरकाना शुरू कर दिया और जैसे ही अंडर वियर उतरा तो लंड अपने आप शहनाज़ के हाथ में अा गया। शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने लंड को हाथ में थाम लिया और शादाब ने शहनाज़ का दूसरा हाथ उसकी चूचियों पर से हटा दिया। शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार सिसकी निकल पड़ी और उसके शर्म और उत्तेजना के मारे अपनी आंखो को बंद कर लिया।

" आह मेरे शादाब, उफ्फ ये कर दिया बेटा, हाय मेरी चूची देख ली
तूने राजा।

शादाब ने अपनी नजरे पहली बार शहनाज की चुचियों पर टिका दी। एक दिन गोल गोल मोटी तनी हुई ठोस चूचियां, बिल्कुल किसी मोटे कश्मीरी सेब के आकार की। बीच में तने हुए निप्पल एक दम सीधे खड़े हुए।


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शादाब ने अपने दोनो हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ की चूचियों पर रख दिए और उन्हें हल्के हल्के सहलाने लगा। शहनाज़ की चूचियां पूरी तरह से अकड़ी हुई थी और शादाब को निप्पल चुनौती दे रहे थे। शादाब ने अपनी मा की चूचियों को दोनो हाथो में भर कर जोर से दबा दिया तो शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

" आह शादाब, थोड़ा प्यार से मेरे राजा, उफ्फ दबा धीरे धीरे अच्छा लग रहा है।

शादाब तो पिछले छह दिन से तड़प रहा था शहनाज़ की चूचियों को दबाने के लिए इसलिए उसने पूरी जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की चूचियां में हल्का हल्का मीठा मीठा दर्द होने लगा और उसकी आह निकल गई और उसने जोर से अपने बेटे के लंड को दबा दिया तो शादाब मस्ती से भर उठा और जोर जोर से उसकी चूचियां दबाने लगा।


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शहनाज के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगीं और वो अपनी चूचियां उपर की तरफ उछालने लगी जिससे शादाब मस्त हो गया और एक निप्पल को अपनी उंगलियों में भर कर मसल दिया तो शहनाज़ दर्द और मस्ती दे कराह उठी।

" आह मेरे शादाब, उखाड़ ही देगा क्या राजा मेरी चूचियां आज ?

शादाब :" आह अम्मी आपकी चूचियां कितनी सख्त हैं, उफ्फ कितना मजा आ रहा है आह मेरी शहनाज़ उफ्फ ।

शहनाज़ की चूत पूरी तरह से भीग चुकी थी और रस जांघो तक बह रहा था। शहनाज़ ने शादाब के लंड को मसलना शुरू कर दिया तो शादाब ने झुक कर शहनाज़ की एक चूची के उभार को चाटना शुरू किया तो शहनाज़ का जिस्म मस्ती से हवा में उड़ने लगा और उसका एक हाथ अपने शादाब के सिर पर पहुंच हुआ और उसे उसे अपनी चूची पर दबाने लगी। शादाब ने अपना मुंह खोल कर उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी और उसकी चूत ने दो बूंद रस और टपका दिया तो शहनाज़ से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने शादाब का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया।चूत पर हाथ लगते ही दोनो मा बेटे आपे से बाहर हो गए और शादाब ने उसकी चूची को जोर जोर से चूसना शुरू किया तो शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद हो गई और बोली:"

"आह मेरे बेटे, चूस ले मेरी चूचियों को, उफ्फ कहां था तू अब तक ?

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शादाब ने शहनाज़ के निप्पल को जोर जोर से चूसा तो शहनाज़ शादाब का लंड मसलने लगी और शादाब ने शहनाज़ की पेंटी को एक तरफ सरका दिया और उसकी टपकती हुई चूत को उंगली से सहलाने लगा। शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो अपनी टांगे पटकते हुए शादाब को अपने उपर खींचने लगी तो शादाब उसके बेट को चूमने लगा। शहनाज़ को गुदगुदी हो रही थी और चूत पूरी तरह से बह रही थी। शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से गरम हो गया था और वो अपने टांगे बुरी तरह से पटक रही थी, कभी मचल रही थी तो कभी जोर जोर से सिसक रही थी।

शादाब ने अब शहनाज़ की जांघो को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ खुद ही जोर जोर से अपनी चूचियां दबाने लगी। कमरे में पूरी तरह से प्रकाश फैल गया था लेकिन शहनाज़ को अब कोई शर्म या हया नहीं रही थी। शादाब ने जैसे ही उसकी पेंटी को पकड़ कर खींचा तो शहनाज़ ने अपनी गांड़ उपर उठा दी और शादाब ने उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया तो शहनाज़ का बदन पूरी तरह से कांपने लगा और उसने अपनी टांगो को भींच लिया। शादाब ने धीरे से उसकी टांगो को खोल दिया तो शहनाज़ ने शर्म के मारे आंखे बंद कर ली । शादाब ने पहली बार शहनाज़ की चूत को देखा। गुलाबी रंगत लिए हुए दो होंठ एक दूसरे में बिल्कुल घुसे हुए और पूरी तरह से रस से भीगे हुए, एकदम छोटी सी चिकनी मासूम चूत, चूत का दाना पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हुआ। शादाब ने चूत पर उपर से नीचे एक उंगली फिरा दी तो शहनाज़ जोर से सिसक उठी। शादाब ने अब उसकी जांघो को चूमना शुरू कर दिया तो शहनाज़ का जिस्म मस्ती से उछलने लगा। शादाब के होंठ जैसे ही उसकी चूत के पास पहुंच गए तो शहनाज़ ने उसका सिर थाम लिया और बोली:"

" आह शादाब, वहां नहीं बेटे, उफ्फ गंदी हैं वो।

शादाब ने अपने दोनो हाथों से शहनाज़ के हाथो को पकड़ लिया और जीभ निकाल कर उसकी चूत पर फेर दी।

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चूत पर जीभ लगते ही शहनाज़ मस्ती से उछल पड़ी और सिसकते हुए बोली:'

" उफ्फ शादाब, वहां मत चूम बेटे, मुझे कुछ होता है, आह हाय मा हट जा बेटा।

शादाब ने शहनाज़ की टांगो को पूरी खोल दिया और उसकी चूत को चाटने लगा तो शहनाज के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी

" आह शादाब,उफ्फ कितना अच्छा लग रहा है, चूस ले तू अपनी मा की चूत, मेरी जान हैं तू

शादाब ने शहनाज़ के दोनो हाथ पकड़ लिए और उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ घुसा दी तो शहनाज़ बिस्तर पर पड़ी पड़ी उछलने लगी और मुंह उठा कर शादाब को देखने लगी। जैसे ही शादाब ने उसकी चूत के दाने को मुंह में भर कर चूसा तो शहनाज़ ने उसे अपनी टांगो के बीच में भींच लिया और अपनी गांड़ उठा उठा कर उसके मुंह पर मारने लगी

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" आह मेरे शादाब, चूस अपनी अम्मी की चूत, आह कितना अच्छा है तू।

शादाब ने जैसे ही उंगली से उसकी चूत को सहलाया तो शहनाज़ पूरी तरह से तड़प उठी और अपनी पूरी ताकत लगाकर शादाब को अपने उपर खींच लिया। शादाब शहनाज़ के उपर छा गया और दोनो के नंगे जिस्म आपस में चिपक गए। शहनाज़ की चूत पूरी तरह से रस से लबालब भरी हुई थी और शादाब शहनाज़ के होंठो को चूसने तो शहनाज़ ने अपने हाथ से पकड़ कर लंड को खुद ही अपनी चूत पर टिका दिया और शादाब को जोर से कस लिया। शादाब का मोटा मूसल अपनी चूत पर लगाकर शहनाज़ डर के मारे कांप उठी। शादाब ने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और रस से पूरी तरह से सुपाड़ा भीग गया।

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लंड की रगड़ से शहनाज़ तड़प उठी और अपनी चूत खुद ही उठाने लगीं। शादाब ने एक बार शहनाज़ की आंखो में देखा तो शहनाज़ हल्का सा मुस्कुरा उठी और शर्म से अपनी आंखे बंद कर ली तो शादाब ने शहनाज़ के होंठो को मुंह में भर लिया और दोनो हाथो से उसकी चूचियां भरकर लंड का सुपाड़ा का धक्का शहनाज़ की चूत पर लगा दिया लेकिन लंड फिसल गया और उसकी जांघ से जा लगा। शहनाज़ को लगा कि कोई लोहे की रॉड उसकी जांघ से टकरा गई है। शहनाज़ सिसक उठी और उसने खुद लंड को चूत के छेद पर टिका दिया तो शादाब में एक जोर का धक्का मारा और मोटा तगड़ा सुपाड़ा अन्दर घुस गया


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शहनाज़ के होंठो से एक दर्द और मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" उफ्फ शादाब, आह कितना मोटा है ये, दर्द होता है। हाय शादाब, घुसा दे पूरा अंदर,

शादाब ने शहनाज़ के होंठो को मुंह में भर लिया और उसकी दोनो चूचियों को हाथो में थाम लिया और लंड का एक और जोरदार धक्का लगाया तो आधा लंड शहनाज़ की चूत में घुस गया। शहनाज़ दर्द से कराह उठी और शादाब से कसकर लिपट गई। शहनाज़ की आंखो से आंसू निकल पड़े जिन्हे शादाब ने अपनी जीभ से चाट लिया और शहनाज़ की आंखे खुल गई और अपने बेटे का प्यार देख कर दर्द में भी मुस्कुरा उठी और शादाब को देखने लगी। शादाब ने अब तक का सबसे जोरदार धक्का लगाया और शादाब का लंड शहनाज़ की चूत को फाड़ते हुए जड़ तक घुस गया। शहनाज़ को लगा जैसे उसके अंदर कोई मोटा मूसल घुसेड़ दिया गया हैं और वो दर्द से कराहती हुई शादाब से बुरी तरह से लिपट गई और उसके मुंह से निकली एक जोरदार चीनख़ पूरे घर में गूंज उठी।


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" आह नहीं शादाब, मर गई मेरी अम्मी, हाय बहुत दर्द हो रहा है

लंड सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और इस अदभुत एहसास को महसूस करते ही शहनाज़ के सब्र का बांध टूट गया और उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया।

" आह बेटे, उफ्फ ये क्या हो गया, गई मेरी चूत, हाय अल्लाह,

शहनाज़ ने उपर उठते ही शादाब के होंठ चूम लिए और बोली:"

" आह मेरे राजा, बस घुसा लिया, अब हट जा मुझे बाथरूम जाना हैं शादाब।

शादाब ने शहनाज़ को पूरी तरह से कस लिया और लंड को पूरी ताकत से बाहर निकाला और फिर से एक ही धक्के में पूरा घुसा दिया। शहनाज़ दर्द और मस्ती से सिसक उठी और बोली:_

" ये क्या था मेरे राजा, बहुत अच्छा लगा, उफ्फ दर्द होता है अभी बहुत।

शादाब उसकी चूचियों को दबाते हुए:'

" आह अम्मी इसे चुदाई कहते हैं,कितनी टाइट और गर्म हैं आपकी चूत।

शहनाज़ ने शादाब की आंखो में देखते हुए बोली:"

" उफ्फ बेटे, तेरे पापा तो एक ही बार में घुसा कर मेरे अंदर माल छोड़ देते थे। मुझे क्या पता चुदाई इसे कहते हैं।

शादाब ने धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और शहनाज़ तो जैसे मस्ती से पागल सी हो गईं और शादाब के होंठो को चूसने लगी। सख्त लंड का सुपाड़ा चूत को पूरी तरह से रगड़ रहा था।
शहनाज़ मस्ती से अपने की आंखो में देखते हुए बोली:"

" आह राजा, बहुत मजा आ रहा हैं, ऐसा लग रहा है जैसे मूसल की तरह मसाला कूट रहा है तेरा लंड, कूट शादाब मेरी चूत का मसाला आह सआईआईआईआईआई उफ्फ

कुछ धक्कों के बाद चूत शहनाज़ के लंड से हिसाब से खुल गई तो अब दर्द तो जैसे खतम हो गया और बस मजा ही मजा रह गया। शहनाज़ ने नीचे से अपनी गांड़ उठानी शुरू कर दी और शादाब उसके होंठ चूसते हुए प्यार से धक्के लगाने लगा। दोनो अब एक दूसरे की आंखो में देखते हुए धक्के लगा रहे थे, जैसे ही शादाब लंड बाहर की तरफ खींचता तो शहनाज़ अपनी चूत उठा देती जिससे लंड अंडर घुस जाता और शहनाज़ का मुंह मजे से खुल जाता।

" आह शादाब, चुदाई में इतना मजा आता हैं आज पता चला, करता रह ऐसे ही हाय शादाब तेरा लंड कितना अच्छा है मेरे राजा,

शादाब ने लंड को पूरा बाहर निकाला तो शहनाज़ तड़प उठी और लंड को हाथ में पकड़ कर चूत में घुसाने लगी तो शादाब ने एक जोरदार धक्का लगाया और लंड जड़ तक घुसा दिया और बोला;_

" आह मेरी शहनाज़ ये लंड नहीं लोला हैं मेरी जान, हाय अम्मी तेरी चूत।

शहनाज़ इस धक्के से मस्ती से भर उठी और शादाब की तरफ देखते हुए बोली;_
" आह शादाब का लोला, मेरे बेटे का लोला घुस गया मेरी चूत में, मेरी चुदाई कर रहा है शादाब तू, चोद अपनी मां की चूत बेटा, आह



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शादाब ऐसे ही प्यार से धक्क लगाता रहा और शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां पूरे घर में गूंज रही थी। शहनाज़ की चूत से अब फच फ़च की मधुर आवाज गूंज रही थी जो कमरे के माहौल को और गर्म कर रही थी। शादाब शहनाज की एक चूची को मुंह में भर कर चूस रहा था तो दूसरी को जोर जोर से भींच रहा था। शहनाज़ की टाइट चूत का असर लंड पर होने लगा तो शादाब ने पूरा लंड बाहर निकाला और एक तेज झटके के साथ शहनाज़ की चूत में घुसा दिया और लंड सीधे बच्चेदानी को जा लगा। शादाब ने कसकर शहनाज़ को भींच दिया मानो उसकी हड्डी ही तोड़ देना चाहता हो।

" आह शहनाज़ तेरी मा की चूत, एसआईआईआईआईए, गया मैं तो मेरी जान।

शादाब के लंड ने वीर्य की पिचकारी मारने शुरू कर दी और इसके साथ ही शहनाज़ ने भी अपनी चूत पूरी ताकत से लंड पर दबा दी और बेटे के चेहरे को बहुत बुरी तरह से चूमने लगी।

" आह शादाब, मर गई मेरी चूत, हाय उफ्फ


शहनाज़ की चूत ने एक बार फिर से अपना रस बहा दिया और वो शादाब से पूरी ताकत से लिपट गई। शादाब शहनाज़ की चुचियों पर गिर पड़ा और शहनाज़ ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथ लपेट दिए और उसे पूरी तरह से कस लिया।
superb update sir
 

Siraj Patel

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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