शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और शर्म के मारे उसका समूचा जिस्म पूरी तरह से हिल रहा था। उफ्फ ये क्या हो गया शादाब क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में। उसकी नजर अपनी चुचियों के उभार पर पड़ी तो उसने देखा कि उसकी चूचियां कितनी खूबसूरत और ठोस हैं इस उम्र में भी। अपनी चूचियों को ललचाई नज़रों से देखते उसका एक हाथ अपने आप उन पर पहुंच गया तो उसे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां पूरी तरह से भीगी हुई थी तो उसे एक झटका सा लगा और धुंधला धुंधला याद आने लगा कि उसका बेटा उसकी चूचियों के बीच में अपनी जीभ फिरा रहा था। ये याद आते ही शहनाज़ की सांसे शर्म के मारे थम सी गई और उसने एक अपनी गोलाईयों को अच्छे से छूकर देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसके बेटे ने पूरी मस्ती से अपनी जीभ से उन्हें चाटा हैं।
शहनाज़ ने जैसे ही अपनी गोलाईयों को ध्यान से देखा तो उसे एक हल्का सा निशान दिखाई दिया तो उसने हल्का सा हाथ फेरकर देखा तो उसे बहुत अच्छा मीठा मीठा दर्द महसूस हुआ। उफ्फ इस कमीने शादाब ने तो मेरी चुचियों पर अपने दांत भी गड़ा दिए हैं ये सोचकर शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी।
शहनाज़ को अपनी कमर पर कुछ गीला गीला महसूस होने लगा तो उसका एक हाथ उत्सुकतावश उसकी कमर पर पहुंच गया तो उसने देखा कि सचमुच उसकी कमर भीगी हुई है तो उसने अपनी उंगलियों को अच्छे से अपनी कमर पर घुमाया तो उसकी उंगलियां काफी हद तक गीली हो गई और वो ये देखने के लिए कि उसकी कमर पर क्या लगा था अपनी उंगलियां अपनी आंखो के सामने लाकर देखने लगी। उफ्फ ये क्या हैं सफ़ेद सफ़ेद सा इतना गाढ़ा मेरी कमर पर कहां से लग गया। शहनाज उसे गौर से देखने के लिए थोड़ा सा और अपनी आंखो के पास लाई तो एक कस्तूरी जैसी मस्त खुशबू का एहसास उसे हुआ तो वो मस्ती से भर उठी। उफ्फ कितनी अच्छी खुशबू आ रही है इसमें से, मैं मदहोश होती जा रही हूं। अगर सूंघने से ही इतना अच्छा है तो ये कितना स्वादिष्ट होगा, उसके मन में सबसे पहले यही सवाल आया कि क्या मुझे इसका टेस्ट करना चाहिए ये सोचते ही उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। उफ्फ पता नहीं क्या होगा ऐसे ही किसी चीज को चाटना अच्छा नहीं होगा ये सोचकर उसने अपना विचार बदल दिया। लेकिन एक बार फिर से अच्छे से सूंघने की इच्छा हुई तो उसने अपनी कमर को अपनी उंगलियों से अच्छे से रगड़ा तो उसे अपनी कमर पर दर्द का एहसास हुआ तो उसकी आंखो के आगे वो दृश्य तैर गया जब उसके बेटा का लंड औखली में घुसते मूसल के साथ उसकी कमर को ठोक रहा था। लंड के उस कठोर स्पर्श को याद करते ही शहनाज के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। कमीना कहीं का मसाले के साथ साथ मेरी कमर को भी कूट दिया। शहनाज़ अपनी बेटी की ताकत की कायल हो गई और उसने अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए उन्हें शुक्रिया बोला क्योंकि इनका दूध पीकर ही वो इतना ताकतवर बना था।
शहनाज़ ने रेडीमेड मसाले निकाले और सब्जी बनाने के लिए किचेन में घुस गई। आज वो बहुत दिनों के बाद इतनी ज्यादा खुश थी और हल्की आवाज में मधुर गीत गुनगुनाती हुई अपना काम कर रही थी।
दूसरी तरफ शादाब अभी तक अपने पहले स्खलन के एहसास में डूबा हुआ था। उफ्फ उसे रह रह कर अपनी अम्मी की गोरी चिकनी चूचियां याद आ रही थी, उफ्फ कितनी सुंदर लग रही थी वो, अम्मी कैसे मस्ती से मेरे साथ मसाला कूट रही थी।
तभी उसे फर्श पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने हाथ फेर कर देखा तो उसकी उंगलियां अपनी अम्मी के रस से भीग गई। शादाब को याद आया कि यहां तो उसकी अम्मी बैठी हुई थी तो क्या ये उनके अंदर से निकला हैं। उसने सोचा उफ्फ आज मेरा भी कितना सारा दूध सा कुछ निकला हैं तो क्या अम्मी के अंदर से भी ऐसे ही निकलता हैं। उसने उंगली को अपनी नाक के पास किया और सूंघने लगा तो उसे बहुत अच्छा लगा और उसने उसे टेस्ट करने के लिए अपने मुंह में अपनी उंगली को घुसा लिया।एक खट्टे खट्टे तेज नमकीन स्वाद से आज उसका परिचय हुआ जो उसे बहुत स्वादिष्ट लगा और ज्यादा चूसने का लालच उस पर सवार हो गया। शादाब सोच रहा था कि अब अम्मी क्या सोच रही होगी मेरे बारे में!! जोर से मसाला कूटने के चक्कर में उनका सूट भी फाड़ दिया मैंने और सारे मसाले का भी सत्यानाश कर दिया। कहीं अम्मी मुझे डांटने ना लग जाए, शादाब हल्का सा डर गया और अम्मी का मूड चेक करने के लिए बाहर निकला तो उसके कानों में शहनाज़ के गीत की मधुर आवाज सुनाई पड़ी तो उसे कुछ सुकून मिला और वो वापिस अपने कमरे में आ गया और फर्श पर पड़ा हुआ मसाला साफ करने लगा।
थोड़ी देर में खाना बन गया। शादाब नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया था और जल्दी ही नहाकर बाहर आ गया और अपने कमरे में घुस गया। शहनाज़ ने खाना बनाने के बाद शादाब को आवाज लगाई तो वो डरता हुआ अपनी अम्मी के पास पहुंच गया।
उसे देखकर शहनाज भी थोड़ी शर्म महसूस कर रही थी लेकिन उसका डर देखकर उसकी हिम्मत बढ़ गई और बोली:"
" शादाब खाना बन गया है इसलिए नीचे ले जाने में मेरी मदद करो। तुम्हारे दादा दादी को खाना खिलाना हैं नहीं तो वो आवाज लगाने लगेंगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा बिल्कुल भी बेटा।
शादाब अपना मुंह नीचे किए ही आगे बढ़ा और खाना लेकर नीचे की तरफ चल पड़ा तो उसके साथ ही शहनाज़ भी गरम गरम रोटी लेकर उसके साथ ही चल पड़ी। नीचे जाकर उहोंने खाना सजा दिया तो उसके सास ससुर खाना खाने लगे। जैसे ही ससुर ने पहला निवाला खाया तो उसे एहसास हो गया कि आज आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसलिए बोला:"
" बेटी आज खाने का टेस्ट कुछ अलग हैं इसमें से कुटे हुए मसालों की खुशबू नहीं आ रही हैं।
शहनाज़ और शादाब दोनो के दिल एक साथ धड़क उठे और उन्होंने चोर निगाहों से एक दूसरे की तरफ देखा और शहनाज़ बोली:" अब्बा दर असल वो औखली नहीं मिली थी, सफाई करते हुए याद नहीं रहा कहां रख दी थी मैंने, मैं शाम तक पक्का ढूंढ़ लूंगी और शाम को सब्जी में कुटे हुए मसाले ही इस्तेमाल करूंगी।
ससुर:" ठीक है बेटी, दर असल आदत सी बन गई हैं इसलिए उसके बिना खाना अच्छा नहीं लगता मुझे।
शादाब:" आप फिक्र ना करे दादा जी, मैं खुद अम्मी के साथ मिलकर औखली ढूंढ़ लूंगा।
शहनाज़ अपने बेटे की इस बात से बुरी तरह से लजा गई क्योंकि औखली सुनते ही उसे अपनी चूत याद आ गई। उफ्फ कमीना कैसे अपने दादा जी के आगे ही ऐसी बात कर रहा है।
शहनाज़ ने जल्दी से कहा:"
" औखली तो मिल गई थी बेटा मूसल नहीं मिला था। इसलिए मसाला नही कुट पाया था!
इतना बोलकर शहनाज अपने ससुर को पानी देने के थोड़ा सा आगे हुई जिससे उसके पैर टेबल के नीचे से ही शादाब के पैरो से जा टकराए तो शादाब ने एक बार अपनी अम्मी की तरफ देखा तो शहनाज़ का चेहरा शर्म से लाल होकर झुक गया।
शादाब अपनी अम्मी के पैरो को अपने पैरो से सहलाते हुए बोला:"
" अम्मी मूसल की आप फिक्र ना करे उसकी जिम्मेदारी मेरी हैं आप बस औखली तैयार रखें !
इतना कहकर उसने जोर से अपनी अम्मी का पैर दबा दिया जिससे शहनाज़ के मुंह से हल्की सी मस्ती भरी आह निकलते निकलते बची। कमीना पैर भी इतनी जोर से दबा रहा है मानो मसाला कैसे कुटेगा ये दिखा रहा हो। शहनाज़ ने अपने बेटे के पैर में हल्का सा नाखून चुभा दिया तो शादाब ने अपनी अम्मी की तरफ शिकायत भरी नजरो से देखा तो शहनाज़ पहली बार उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"
" तेरे दादा जी को खूब तगड़ा कुटा हुआ बारीक मसाला पसंद हैं क्या तू कूट पाएगा इतना बारीक ?
अपने सास ससुर के सामने ऐसी बाते करते हुए शहनाज की हालत खराब हो चुकी थी। लेकिन वो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी चाहे कुछ भी हो जाए।
" अम्मी मैं मसाले को ऐसा तगड़ा करके कूट दूंगा कि उसकी सारी धज्जियां उड़ा दूंगा, दादा जी खुश हो जाएंगे ऐसे बारीक मसाले की सब्जी खाकर। क्यों दादा जी?
इतना कहकर शादाब ने थोड़ा जोर से अपनी अम्मी का पैर दबा दिया तो उसकी चूत टप टप करने लगी। वो अपने नीचे वाले होंठ को दांतो से काट रही थीं
ससुर:" हान बेटी, मुझे अपने पोते पर पूरा यकीन हैं, ये मूसल से बहुत तगड़ा मसाला कूटेगा, बस तुम औखली को अच्छे से साफ करके तैयार कर लेना कहीं धूल ना जम गई हो !!
शहनाज बुरी तरह से तड़प उठी अपने ससुर की बात सुनकर, उफ्फ ये कहीं मुझे मेरी चूत साफ करने की सलाह तो नहीं दे रहे हैं।
दादा की बात सुनकर दादी भी मैदान में कूद पड़ी और बोली:"
" जाओ जी आप तो अपने पोते का ही पक्ष लोगे, बेटी तुम खूब टाइट टाइट मसाला डालना अपनी औखली में फिर देखती हू कैसे कूट पाएगा ये !!
उफ्फ शहनाज़ की तो जिससे बोलती बंद हो गई। ये दोनो मिलकर मुझे मेरे बेटे से चुदवाना तो नहीं चाह रहे है सोचते ही शहनाज का पूरा जिस्म मस्ती से कांपने लगा।
दादा दादी दोनो खाना खा चुके थे इसलिए वो चुपचाप बर्तन समेटकर उपर की तरफ चल पड़ी तो शादाब अपने दादा दादी के पास ही बैठ गया।
शहनाज खाना बनाते हुए पसीने से भीग गई थी इसलिए नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। उसने धीरे धीरे अपने सारे कपड़े उतार दिए और हमेशा की तरह आंखे बंद करके नहाने लगी क्योंकि उसमे अभी भी खुद को नंगा देखने की हिम्मत नहीं आई थी। इसलिए वो आराम आंखे बंद करके नहा रही थी, जैसे ही उसका हाथ उसकी चूचियों से टकराया तो उसकी उंगलियां उस जगह पर रुक गई जहां उसके बेटे के मस्ती से अपने दांत गड़ाए थे। शहनाज रोमांच से भर उठी और उस जगह को हल्के हल्के सहलाने लगी। उसका दूसरा हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसे अपनी सास की बात याद आ गई कि बेटी अपनी औखली को अच्छे से साफ कर लेना, ये सोचते ही उसकी सांसे रुक सी गई और उसने अच्छे से अपनी चूत पर हाथ फेरकर देखा तो उस पर कल साफ होने के कारण एक भी बाल नहीं था, मगर फिर भी उसने वीट क्रीम उठाई और फिर से अपनी चूत के आस पास लगा दिया ताकि बिल्कुल चिकनी कर सके। थोड़ी देर के बाद उसने अपने शरीर का पानी से साफ कर दिया तो उसकी चूत चांद की तरह चमक उठी। शहनाज़ ने कांपते हुए हाथो से अपनी चूत पर हाथ फिराया और एक दम चिकनी पाकर खुशी के मारे उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई और अपने बदन को टॉवल से साफ करने लगी।
नीचे शादाब अपने दादा दादी के पास बैठा हुआ था और उनसे बात करने लगा।
शादाब:" और बताए दादा जी कुछ, क्या आपका मन लग जाता हैं घर में लेटे हुए पूरे दिन?
दादा के मुंह पर एक दर्द भरी टीस साफ दिखाई दी और उन्होंने भावुकता के साथ बोलना शुरू किया :" हान बेटा, थोड़ी दिक्कत तो होती हैं लेकिन क्या करे अब जिस्म में ताकत नहीं रही पहले जैसी इसलिए जब कभी ज्यादा दिल करता है तो लाठी के सहारे थोड़ा घूम आता हूं!!
शादाब को अपने दादा जी की पीड़ा का अनुभव हुआ और वो उनका हाथ प्यार से सहलाने लगा जिससे दादा दादी दोनो भावुक हो गए और उन्हें लगा कि उनका अपना बेटा वापिस लौट आया हैं।
दादी:" बेटा बस तेरे आने से थोड़ी हिम्मत बढ़ गई है इसलिए अब अच्छा लगता है कुछ। बस हमारी खुशियों की किसी की नजर ना लगे।
दादा जी:" हान बेटा, हमने बेटा बहुत बुरे दिन देखे हैं सबने जिसका तुझे अंदाजा भी नहीं हैं, खासतौर से तेरी अम्मी शहनाज़ ने तो अब तक ज़िन्दगी में बस दुख ही उठाए हैं।
दादी दादा जी की बात सुनकर सिसक उठीं और उसकी आंखो से आंसू की एक बंद छलक आई जिसे शादाब ने आगे बढ़कर साफ किया और बोला:"
" क्या हुआ दादी आपकी आंखो में आंसू ?
दादी:" बस बेटा तेरी मां के बारे में सोच कर आंसू निकल पड़े। बेचारी जैसे दुख उठाने के लिए ही पैदा हुई है। छोटी सी थी तो मा गुजर गई और बाप ने दूसरी शादी कर ली और सौतेली मा ने बेचारी को एक पल के लिए भी चैन नहीं लेने दिया, ज़ुल्म पर ज़ुल्म करती रही और उसका पढ़ना भी बंद हो गया!!
दादी उम्र ज्यादा होने के कारण इतना बोलकर सांस लेने के लिए रुकी तो उसने देखा कि शादाब उसकी बाते ध्यान से सुन रहा हैं।
शादाब के दिल में अपनी अम्मी के लिए प्यार उमड़ पड़ा और भावुक होते हुए बोला:" फिर क्या हुआ दादी ?
दादी की आंखे फिर से नम हो गईं और अपने आंसू को थामते हुए भारी गले के साथ बोलना शुरू किया :" बेटा फिर तेरी अम्मी की छोटी सी उम्र में ही शादी हो गई और वो दुल्हन बनकर हमारे घर में आ गई, तेरे बाप ने भी कभी उसकी कद्र नहीं करी लेकिन इस बेचारी ने कभी एक शब्द नहीं बोला और अपने आपको किस्मत के सहारे छोड़ दिया, लेकिन जैसे अभी ज़ुल्म की इंतहा बाकी थी इसलिए एक दिन तेरा बाप भी इसे भरी जवानी में बेवा बनाकर इस दुनिया से चला गया। जब तू इसके पेट में था बेटे, मैंने और तेरे दादा जी ने बहुत कोशिश करी कि इसकी दूसरी शादी कर दी जाए लेकिन इसने साफ मना कर दिया कि अब वो इस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाएगी क्योंकि मेरा बिना आप दोनो का कोई सहारा नहीं है।
इतना कहकर दादी की सांसे उखड़ने लगी तो दादी फिर से सांसे लेने के लिए रुकी तो उसने देखा कि शादाब की आंखो से भी आंसू निकल रहे थे जिन्हें उसने साफ किया और बोलना शुरू किया:"
" बेटा इस बेचारी ने हमारी खूब मन लगाकर सेवा करी, भरी जवानी में भी इसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे घर की इज्ज़त खराब हो बेटा। हमारी सगी बेटी रेशमा भी शादी के बाद बदल गई और हमसे मुंह मोड़ लिया लेकिन तेरी मा ने कभी हमे बेटी की कमी महसूस होने नहीं दी और एक बहु बेटी सब का फ़र्ज़ उसने निभाया। जब तू छोटा सा था तो उसने गांव की भलाई के लिए तुझे शहर भेज दिया और अकेले में घुट घुट कर रोती रही लेकिन कभी उफ्फ तक नहीं की, उसने अपनी ममता का पूरी तरह से गला घोट दिया।
शादाब की हिम्मत जवाब दे गई और वो अपने दादा जी के गले लगकर फफक पड़ा तो दादा जी ने उसे सहारा दिया और बोले:"
" बेटा अगर आज हम दोनों जिंदा हैं तो बस तेरी मा की वजह से हैं, उसके एहसान हम कभी नहीं भूल सकते बेटा।
दादी अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए बोली:" बेटा बस तुझसे एक गुज़ारिश हैं कि हम दोनों का तो पता नहीं कब तक जिए इसलिए तू हमेशा अपनी मा का ख्याल रखना बेटा ।
दादा जी:" हान बेटा, अब बस तू ही उसका एकमात्र सहारा हैं, इसलिए बेटा कभी उसकी आंखो में आंसू मत आने देना। कभी भूलकर भी उसका दिल मत दुखाना मेरे बच्चे।
शादाब ने अपना चेहरा उपर उठाया जो कि पूरी तरह से आंसुओ से भीगा हुआ जिससे दादा जी का कुर्ता भी गीला हो गया था, दादी दादा दोनो अपने बेटे के चेहरे को साफ करने लगे तो शादाब उनका इतना प्यार देख कर फिर से सिसक उठा। बार बार उसकी आंखो के आगे उसकी मा का मासूम चेहरा घूम रहा था। उफ्फ मेरी मा तो त्याग की देवी हैं और उसके दिल में अपनी मम्मी के लिए इज्जत और प्यार बहुत ज्यादा बढ़ गया।
दादी उसके बालो में उंगलियां निकालते हुए बोली:"
" बेटा संभालो अपने आप को तुम, तुम तो मेरे बहादुर बेटे हो ऐसे बच्चो कि तरह नहीं रोते।
शादाब ने बड़ी मुश्किल से अपने आंसू रोके और मन में एक आखिरी निर्णय किया और अपने दादा दादी के सिर पर हाथ रख कर बोला:"
" आप दोनो की कसम, मैं अपनी अम्मी को कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दूंगा, अपने आपसे ज्यादा उनका ख्याल रखूंगा।
अपने पोते की बात सुनकर दोनो की आंखे खुशी के मारे छलक उठी और दादी बोली:"
" बस अब रोना बंद कर मेरे बच्चे और जा उपर जाकर खाना खा ले तेरी मा भूखी होगी, वो तेरे बिना खाना नहीं खाएगी बेटा!
शादाब ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और उपर की तरफ चल दिया। बाथरूम के अन्दर घुसी शहनाज़ अब बाहर निकल रही थी जिसने अपने जिस्म पर सिर्फ एक लाल रंग का टॉवेल बांधा हुआ था वो बाथरूम से बाहर निकल गई।
जैसे ही दोनो की नजरे टकराई तो शादाब को अपने अम्मी में अब त्याग और समर्पण की मूर्ति नजर आई और बहुत प्यार के साथ उन्हें देखने लगा। शहनाज़ के दोनो कंधे बिल्कुल नंगे थे जिन पर उसके काले घने बाल बिखरे हुए थे और बालो से टपकती पानी की बूंदे उसकी खूबसूरती को पूरी तरह से निखार रही थी। काले बालों में बीच में उसका खूबसूरत चेहरा ऐसे लग रहा था मानो बादलों के बीच से चांद निकल आया हों। अपने बेटे को देखकर उसे बड़ी शर्म महसूस हुई और उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे। उसने एक हाथ से कसकर टॉवल को पकड़ लिया और अपने बेटे की तरफ देखा जो पूरी तरह से खोया हुआ सिर्फ उसे ही देख रहा था। शहनाज ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए उसे बोली:
" जाओ बेटा अपने कमरे में जाओ, मुझे अपने कमरे में जाना हैं , जल्दी जाओ।
अपनी अम्मी की बात सुनकर शादाब जैसे नींद से जागा और बिना कुछ बोले अपने कमरे में घुस गया। शहनाज़ ने उसके जाने के बाद राहत की सांस ली लेकिन अपने बेटे का ऐसे बिल्कुल भावहीन चेहरा देख कर उसे हैरानी हुई और वो अपने कपड़े पहनने लगीं। जल्दी ही वो बाहर आ गई और दोनो मा बेटे खाना खाने लगे। शादाब ने खाने का एक निवाला बनाया और अपनी अम्मी के मुंह की तरफ बढ़ा दिया तो शहनाज़ ने अपना मुंह खोलते हुए निवाला अंदर ले लिया और खाते हुए कहा:"
" क्या बात हैं आज अपनी अम्मी पर बड़ा प्यार आ रहा हैं मेरे बेटे को ??
शादाब एकटक अपनी अम्मी की तरफ प्यार भरी नजरो से देख रहा था जिनमें वासना नाम के लिए भी नही थी। शहनाज अपने बेटे की आंखो में झांकने लगी। खुदा ने औरत के अंदर ये गजब की ताकत दी है कि वो अपनी तरफ देखने वाली हर नजर को बड़ी सफाई से पहचान लेती है। शहनाज़ को अपने बेटे की आंखो में अपने लिए प्यार और सिर्फ प्यार नजर आ रहा था। इसलिए जैसे ही अगली बार शादाब ने खाने का निवाला उसकी तरफ बढ़ाया तो शहनाज़ ने निवाले के साथ साथ उसकी उंगली में हल्का सा काट खाया जिससे शादाब के होंठो पर पहली बार स्माइल आ गई और बोला:"
" अम्मी लगता हैं आप बहुत भूखी है, खाने के साथ साथ मेरी उंगली भी खा जाएगी क्या!!
शहनाज को अपने बेटे के चेहरे पर स्माइल देख कर खुशी हुई और बोली:"
" बेटा तूने जब मुझसे इतनी ज्यादा मेहनत कराई हैं तो भूख तो जोर से लगनी ही थी।
शादाब पूरी तरह से अपनी अम्मी की बात नहीं समझ पाया और बोला:" अम्मी मैंने तो आपसे कोई मेहनत नहीं कराई, आप ही बताए।
शहनाज़ को अपने बेटे के भोलेपन पर तरस आ गया और उसके थोड़ा करीब होते खाने का निवाले बनाकर उसके मुंह में डालते हुए बोली:"
" भूल गया मेरा राजा बेटा, इतनी मेहनत जो कराई तूने मसाला कूटने में अपनी मा से !!
शहनाज ने बड़ी मुश्किल से ये बात कहीं और कांपने लगी। शादाब का भी चेहरा लाल हो गया और बोला :"
" मुझसे गलती हो गई, आगे से मैं ध्यान रखूंगा, आराम से मसाला कूट दूंगा !!
शहनाज़ अपने बेटे के इस बदले हुए रुख को देखकर थोड़ा हैरान हुई और उसे छेड़ते हुए उसके कान के पास धीरे से बोली:"
" बेटा मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा, जब तेरे पास इतना बड़ा मूसल हैं तो उससे तो ऐसे ही जोर जोर से औखली को ठोकना चाहिए !!
शहनाज़ ने जान बूझकर मसाला नहीं बल्कि सीधे औखली बोल दिया जिससे शादाब अपनी अम्मी की बात सुनकर थोड़ा खुश हुआ और बोला:" अम्मी क्या फिर से आप मेरे साथ मसाला कुटना चाहोगी?
शहनाज़:" नहीं बिल्कुल नहीं, अगर मैं तेरे साथ ऐसे ही मसाला कूटने लगी तो तू तो दो चार दिन में ही मेरे सारे कपड़े फाड़ देगा!!
शहनाज़ ने बड़ी मुश्किल से बोला और शर्म से लजा गई। शादाब ने अपनी अम्मी की तरफ देखा और बोला
" आपका ये दोस्त आपके लिए कपड़ों की लाइन लगा देगा एक से बढ़कर एक मॉडर्न कपडे, आप बस मसाला कूटने के लिए हान तो करो?
दोनो बात करते हुए खाना भी खाते जा रहे थे। अपने बेटे की बात सुनकर अवाक रह गई और बोली:" ना बेटा, रोज एक सूट फटेगा तो कितना ज्यादा खर्च बढ़ जाएगा हमारा ?
शादाब तो जैसे इसके लिए पहले से ही तैयार था इसलिए बोला:"
" अम्मी अगर आप थोड़े ढीले कपडे पहनोगी तो सूट फटने से बच जाएगा।
शहनाज़ को जैसे ही अपनी बेटे की बात का मतलब समझ आया तो जैसे शर्म के मारे हालत खराब हो गई और वो अपने दांत निकालते हुए अपने बेटे को मारने के लिए बढ़ी तो शादाब उसकी तरफ जीभ निकालता हुआ भाग उठा। शहनाज़ उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़ी।
शादाब कमरे में घुस गया और गेट बंद करने लगा तो शहनाज ने तेजी से अपना पैर गेट में फसा दिया क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा चाह कर उसे चोट नहीं पहुंचा पाएगा। शादाब ने जैसे ही अपनी अम्मी के पैर को दरवाजे में देखा तो उसने गेट पर से हाथ हटा दिया और शहनाज़ मौके का फायदा उठाकर अंदर घुस गई और शादाब को पकड़ लिया और उसे बेड पर गिराकर उसके उपर चढ़ गई और बोली :"
" अब बता ना क्या बोल रहा था शैतान मुझे ?
शहनाज भगाकर आई थी जिससे उसकी सांसे तेज होने के कारण चूचियां उपर नीचे हो रही थी जिन्हे देखकर शादाब मुस्कुरा दिया तो शहनाज़ की नजर अपने चूचियों पर पड़ी तो उसका चेहरा एक बार फिर से लाल हो उठा।
शहनाज ने अपने बेटे के एक हाथ को पकड़ लिया और दूसरे हाथ को उसकी आंखो पर रख दिया और बोली:"
" बेटे ऐसे मत देख मुझे, शर्म आती हैं मेरे राजा बेटा,
शादाब अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुरा दिया और उसका हाथ फिर से सहलाने लगा जिससे शहनाज़ की सांसे एक बार फिर से उखड़ने लगी और उसकी चूचियां अपने बेटे के सीने में घुसने लगी। शादाब इस एहसास से तड़प उठा और उसने अपनी अम्मी से हाथ छुड़ाकर उसकी कमर पर रख दिया और जोर से अपनी तरफ खींचा तो शहनाज के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और उसका हाथ उसके मुंह पर से हट गया।
शादाब अपनी अम्मी को दर्द में देख कर परेशान हो गया और बोला:" क्या हुआ अम्मी? आपको दर्द हुआ क्या ?
शहनाज़ की कमर पर शादाब ने उस जगह दबा दिया था जहां पर लंड ने अपना जोर दिखाया था, वो जगह लाल होकर सूज गई थी जिससे शहनाज को दर्द हुआ था। शर्म के मारे वो दोहरी हो गई अब अपने बेटे को कैसे बताए!!
शादाब ने हाथ की प्यार से उसकी कमर पर फेरा तो उसकी सूजी हुई कमर का एहसास हुआ तो डर के मारे बोला:"
" अम्मी प्लीज़ बताओ ना कैसे हुआ ये सब?
शहनाज़ ने अपने बेटे की बेटे सुनकर शर्म से अपना मुंह उसकी छाती में छुपा लिया और उसके एक हाथ को पकड़ लिया। शादाब अपनी अम्मी की हालत समझते हुए बोला:" अम्मी प्लीज़ बताओ ना आप मुझे, कैसे हुआ ये सब ?
शहनाज़ उसके कान में धीरे से बोली :" उफ्फ बेटा कैसे बताऊं तुझे, मुझे बहुत शर्म आती है
शादाब बोला: " अम्मी बेटा नहीं एक दोस्त समझ कर ही बता दो आप मुझे,!
शहनाज़ ने उसके हाथ पर अपने हाथ से थोड़ा ज्यादा दबाव बढ़ाते हुए कहा"
" वो बेटा तूने मसाले के साथ साथ म म म री !!!
शहनाज शर्म के मारे इससे आगे नहीं बोल पाई तो शादाब अपनी अम्मी के बालो में प्यार से उंगली फिराने लगा तो शहनाज भावनाओ में बह गई और एक झटके के साथ बोल पड़ी:"
" बेटा तूने मसाले के साथ साथ मेरी कमर को भी कूट दिया था !
इतना कहकर शहनाज ने अपने बेटे का मुंह चूम लिया और उसके अपने एक हाथ से अपना चेहरा फिर से ढक लिया। शादाब को सब कुछ समझ में आ गया और उसका लंड खड़ा हो गया जिसका एहसास शहनाज़ को अपनी जांघो पर हुआ और चेहरा लाल सुर्ख होकर दहकने लगा।, उसने अपनी अम्मी को शरमाते हुए देखकर थोड़ा मजा लेने की सोची और बोला:"
" आपकी कमर को कैसे कूट दिया मूसल तो औखली में था और मसाला कूट रहा था।
शहनाज ने एक बार अपने बेटे की तरफ देखा तो उसे अब सिर्फ अपने सपनों का शहजादा नजर आया और वो पूरी तरह से बहक गई और बोली:"
" जरूर तेरे पास कोई दूसरा मूसल रहा होगा जिससे तूने मेरी कमर कूटी हैं! बता ना क्या तेरे पास नहीं था?
शादाब का लंड अपनी अम्मी की बात सुनकर अपनी औकात पर आ गया एक तेज झटके के साथ उसकी जांघो में जा लगा जिससे शहनाज़ के मुंह से फिर से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी।
शादाब सब कुछ जानता था इसलिए उसका गाल चूमते हुए बोला:* क्या हुआ अम्मी फिर से मूसल चुभ गया क्या?
शहनाज़ की आंखे एक दम वासना से लाल हो उठी और उसके चेहरे के भाव बिगड़ने बनने लगे और उसने एक बार अपनी टांगो को थोड़ा सा लंड पर दबा दिया तो लंड किसी सांप की तरह फुफकारते हुए झटके मारने लगा जिससे शहनाज़ का मुंह फिर से मस्ती से खुल उठा
" आह राजा ये मूसल तो औखली वाले मूसल से भी ज्यादा खतरनाक हैं, उफ्फ कितना ठोस हैं ये, ये तो अपने आप ही झटके मार मार कर मेरी जांघों को कूट रहा है; हाय मेरे राजा कहां से लाया तू ये करामाती मूसल ??
शादाब अपनी अम्मी की मस्ती भरी बाते सुनकर जोश में आ गया और अब थोड़ा जोर से लंड के झटके मारने लगा तो शहनाज़ ने पूरी तरह से अपने जिस्म पर से काबू खोते हुए अपने बेटे के हाथ को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके शहनाज के जिस्म को अपने आप मस्ती से झटके लगने लगे जिससे उसका जिस्म हिलने लगा और उसका जिस्म थोड़ा सा ऊपर खिसक गया जिससे अब उसकी चूत लंड के ठीक ऊपर थी और लंड के झटके उसकी चूत पर पड़ रहे थे।
शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां अब कमरे में गूंज रही थी और शादाब पूरी मस्ती से उसके गाल चूम रहा था। शादाब ने एक हाथ को उसकी कमर पर से नीचे की तरफ लाते हुए जैसे ही उसकी गांड़ पर रखा तो शहनाज़ का समूचा जिस्म मस्ती से भर उठा। उफ्फ मेरे बेटे के चौड़े चौड़े हाथ मेरी गांड़ पर हैं ये सोचकर वो अपनी सब लाज शर्म त्याग कर अपने बेटे की गर्दन चाटने लगी।
शादाब ने भी जोश में आते हुए अपनी अम्मी की भारी भरकम उभरी हुई गांड़ को अपने चौड़े हाथो में भर लिया। शहनाज़ की मस्ती का अब कोई ठिकाना नहीं था, उसकी मोटी गांड़ पूरी तरह से उसके बेटे के हाथो मे भर गई थी तो शहनाज़ को यकीन हो गया कि उसकी गांड़ सिर्फ उसके बेटे के लिए ही बनी हैं और शहनाज़ के लिए तो जैसे ये सपने के साकार होने जैसा था । जैसे ही शादाब ने अपनी अम्मी की गांड़ को पहली बार दबाया तो शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को जोर से लंड पर दबा दिया और एक बार फिर से झड़ती चली गई। शादाब भी अपनी अम्मी की चूत की पहली रगड़ लंड पर बर्दाश्त नही कर पाया और उसके लंड ने एक बार फिर से अपना लावा उगल दिया। दोनो मा बेटे ने एक दूसरे को पूरी तरह से कस लिया और अपनी सांसे दुरुस्त करने लगे।
जैसे ही शहनाज़ की सांसे नॉर्मल हुई तो उसे शर्म का एहसास हुआ और अपने बेटे का मुंह चूमते हुए उठकर अपने कमरे में घुस गई।